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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Raz-s9

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Nevil singh

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रघु ने जब अपनी मां से शादी का दिन तय हो गया यह बताया तो उसकी मां खुशी से झूम उठे शालू के कानों में यह खबर पडते ही वह खुशी से फूले नहीं समा रही थी,,, आखिरकार घर की इज्जत जो बच चुकी थी,,,। कजरी तो खुशी के मारे अपने बेटे को गले लगा ली थी,,,।

ओहहहह ,,,, रघु बेटा मैं बता नहीं सकती कि मैं आज कितना खुश हूं,,, तुने तो अपने बाप का फर्ज निभाया है,, जो काम एक बात तो करना चाहिए था वह तूने किया है मुझे तुझ पर गर्व है बेटा,,,,,(कजरी कस के गले लगते हुए बोली कजरी के ऐसा करने पर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां सीधे रघु की छातियों पर चुभने लगी,,,रघु को अपनी मां की चूचियों की चुभन बेहद ऊन्मादक लग रही थी ,,। वह भी कहां पीछे हटने वाला था,, भाभी मौके का फायदा उठाते हैं अपनी मां को उसी तरह से अपनी बाहों में भर लिया और अपनी हथेली को उसकी चिकनी पीठ पर फिराते हुए नीचे की तरफ ले जाने लगा अपने बेटे की हरकत का एहसास कजरी को अच्छी तरह से हुआ था लेकिन कुछ दिनों से जिस तरह की उन्मादक स्थिति वह से हो गुजर रही थी,,, और वह भी किसी दूसरे की वजह से नहीं बल्कि खुद के सगे बेटे की वजह से इसलिए अपने बेटे की यह हरकत उसे अच्छी लग रही थी,,। कजरीको यह भी पता था कि जिस तरह से अपनी बेटी को गले लगा कर रखी हुई है उसकी चूची जरूर उसकी छातियों पर अपना असर दिखा रही होगी इसलिए वह और कस के अपने बेटे को अपनी छाती से लगा ली थी,,, रघु उन्मादक स्थिति में मदहोश हुआ जा रहा था,,,वह अपनी हथेलियों को धीरे धीरे अपनी मां की चिकनी कमर को नीचे की तरफ नितंबों के उभार पर ले आया अपने बेटे की हथेली को अपने नितंबों पर महसूस करते ही उसके संपूर्ण बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,। देखते ही देखते दोनों काफी उत्तेजित हो गए और रघु अपनी मां की तरबूज जैसी गांड को दोनों हाथों में भरकर दबाना शुरू कर दिया,,,,कजरी अपने बेटे को अपनी बाहों की कैद से आजाद नहीं करना चाहती थी और ना ही रघु अपनी मां की बाहों की कैद से आजाद होना चाहता था,,,,,, रघु अपने बस में बिल्कुल भी नहीं था और वह वासना के अधीन होकर अपनी मां के खूबसूरत बदन को अपनी बाहों में लेकर इतना मदमस्त हो गया कि अपनी मां की गर्दन पर अपने होठों से चुंबन लेने लगा,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी लेकिन फिर भी अपने काबू में थी वह जानती थी उन दोनों के बीच के पवित्र रिश्ते को जितना हो सकता था वह इस रिश्ते को तार-तार होने से बचाना चाहती थी लेकिन बदन की चाह उसकी प्यास के आगे वह भी बेबस थी,,,,,,, जिस तरह से रघुअपनी मां को बाहों में लेकर उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपनी हथेली में भर भर कर दबा रहा था और उसके गर्दन पर चुंबन ले रहा था और उसकी मां बिल्कुल भी ऐतराज नहीं जता रही थी यह देखकर रघु को लगने लगा कि आज जरूर वह अपनी मां को चोद पाएगा,,,, लेकिन तभी बाहर वाले कमरे से आवाज आई,,,।


मां खाना लग गया आ कर खा लो,,,,,
(शालू की आवाज सुनते ही दोनों की मदमस्त भरी तंद्रा भंग हुई उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि शालू घर पर ही है ,,,कुछ देर की खामोशी को देखकर उन दोनों को ऐसा ही लगा था कि चालू अपनी शादी की बात सुनकर शरमा गई है और चली गई है,,,, दोनों एक दूसरे से अलग है ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्हें अपनी गलती का पछतावा हो रहा है दोनों एक-दूसरे से नजरें नहीं मिला पा रहे थे,,,, दोनों नजरों को झुकाए हुए ही बाहर आ गए और खाना खाने लगे लेकिन अंदर ही अंदर तीनों बहुत खुश थे,,,,।)


बेटी तेरे तो भाग्य खुल गए अब तो हवेली में रहेगी जांच करेगी,,,,(इतना सुनकर शालू शर्मा गई,,,, और रघु अपनी मां का साथ देते हुए बोला)

हां मां ,,, दीदी तो अब महल में रहेंगी,,,, रानी बनकर,,,, मां सच में जमीदार की हवेली बहुत खूबसूरत है,,, अपनी दीदी की तो किस्मत बदल गई।


हां रघु तो सच कह रहा हूं लेकिन जो कुछ भी हुआ है सब तेरी बदौलत ही हुआ है,,,,


अरे सब भगवान की कृपा है और बड़ी मालकिन की अगर वह ना होती तो शायद,,,,,,(इतना कहकर वो खामोश हो गया,,, और खाना खाने लगा)

वह सब तो ठीक है लेकिन इतनी जल्दी हम बंदोबस्त कैसे कर पाएंगे,,,।


हमें कुछ नहीं करना है मां,,,,सारा इंतजाम बड़ी मालकिन की तरफ से हमें बस सालु को दुल्हन बनाकर मंदिर तक ले जाना,,,, कोई धाम धुम से शादी नहीं करना है,,, जमीदार की तबीयत की वजह से,,, वैसे भी मम्मी हमारी इज्जत बच गई हमारे खानदान की,,,,,,(शालू की तरफ देखते हुए बोला तो रघु की बात सुनकर शालू का सर शर्मिंदगी से नीचे छूट गया वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि किसकी बदौलत पेट से है,,, सब किया धरा रघु का था उसके साथ जिस्मानी संबंध बनाकर उसे शादी से पहले ही पेट से कर दिया था यह बात कजरी नहीं जानती थी,,,, कजरी को यही बताया गया था कि जमीदार के लड़के बिरजू के द्वारा वह पेट से हुई है और तब जाकर रघु ने यह सारा खेल रचा था और अच्छी तरह से पार भी कर दिया था आज शालू की शादी जमीदार के लड़के बिरजू से तय हो चुकी थी,,, दोनों के सर से बहुत बड़ा बोझ हटने वाला था,,, तीनों खाना खाकर अपने अपने काम पर लग गए,,,, शादी का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा था वैसे वैसे कजरी रघु और शालू तीनों की चिंता बढ़ती जा रही थी,,, कजरी की चिंता इसलिए की शालू उसकी बेटी की शादी करने के बाद वह अपने ससुराल चली जाएगी घर सुना सुना हो जाएगा और रघु की चिंता है इसलिए कि सालु के जाने के बाद जब भी उसे चोदने का मन करेगा तो जुगाड़ नहीं हो पाएगा लेकिन चिंता में भी खुशी इस बात की थी कि उसकी की गई गलती बिरजू के सर मढ दी गई थी जोकि अच्छे तरीके से पार होने वाली थी,,,
देखते ही देखते रघु और कजरी ने सारे गांव में नेवता बांट दी,,, पूरे गांव वाले हैरान इस बात से थे कि शालू की शादी जमीदार के घर केसे तय हो गई,,, जिसका जवाब ना तो कजरी दे रही थी और ना ही रघु बस भगवान की कृपा है कहकर आगे बढ़ जा रहा था देखते ही देखते शादी की सारी तैयारियां हो गई,,, रघु लाला की बहू कोमल को भी शादी में आने का न्योता देना चाहता था इसलिए शादी के 1 दिन पहले ही उसके घर की तरफ निकल गया,,,, जहां पर लाला शराब के नशे में एकदम धुत,,, था,,, उसका अपमान हुआ था और तो और जिस लड़की की शादी तय करना चाहता था उस लड़की की ना उसकी बेज्जती करके गई थी क्योंकि वह जानकारी थी कि अब यह शादी होने वाली नहीं है अब तक वहां अपनी लड़की की शादी के बदौलत ही लाला को अपना जिस्म परोसती आ रही थी,,,, और वह लाला को कभी अपना गंदा मुंह मत दिखाना यह कह कर गई थी,,,। लाला अपमान की आग में जल रहा था वह बदला लेना चाहता था वह जानता था कि रघु की वजह से ही उसके द्वारा की गई शादी अब टल गई थी,,,लेकिन वह यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि जमीदार की इस तरह की हालत की बदौलत,,, ही जमीदार की बीवी अपनी मनमानी करने पर तुल चुकी थी क्योंकि वह जानते थे कि जमींदार ना तो बोल सकती हैं और ना ही कुछ कर सकते हैं इसलिए यह शादी पूरी तरह से उसकी मनमानी का ही नतीजा था,,, लाला बोतल मुंह में लगा कर घूंट भर भर कर पी रहा था,,, तभी उसकी बहू कोमल उस से खाना पूछने के लिए आई तो गुस्से में अपमान सहन करके और नशे में अपनी खूबसूरत बहू को देखते ही उसकी आंखों में वासना के लाल डोरे नजर आने लगे,,, उसे रहने की और वहां आगे बढ़कर अपनी बहू को मेरे को अपनी बाहों में भर कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चुंबन करने लगा कोमल एकदम से सकपका गई,,, लाला के मुंह से शराब की तेज बदबू आ रही थी जो कि कोमल के बर्दाश्त के बाहर थे अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन लाला पूरी जान लगा कर उसे अपनी बाहों में पकड़े हुए था,,,, कोमल घबरा गई थी क्योंकि उसे आज लगने लगा था कि आज वह अपनी इज्जत नहीं बचा पाएगी,,,, देखते ही देखते लाला अपनी धोती उतार कर फेंक दिया कोमल यह देखते ही रोने लगी,,, नशे में धुत लाला अपनी बहू कोमल के ब्लाउज को दोनों हाथों से पकड़ कर चीर दिया,,, तड़ तड़ करके उसके ब्लाउज के सारे बटन टूट कर जमीन पर बिखर गए और उसका ब्लाउज खुल गया लाला अपनी बहू कोमल की खूबसूरत संतरे जैसे चुचियों को देखकर एकदम पागल हो गया उसकी आंखों में हवस के बादल साफ नजर आने लगे,,, लाला जबरदस्ती अपनी कोई कि दोनों चूचियों को अपने हथेली में पकड़कर दबाना शुरू कर दिया,,, और कोमल उसे छोड़ देने की विनती की जा रही थी,,,।


यह क्या कर रहे हो बाबू जी मुझे छोड़ दीजिए मैं तुम्हारी बेटी समान हूं,,,,


कैसे छोड़ दु मेरी रानी तुम बहुत खूबसूरत हो और मैं यह भी जानता हूं कि प्यासी भी बहुत हो,,, आज मैं तुझे चोदकर तेरी और मेरी हम दोनों की प्यास बुझाऊंगा,,,,, आजा मेरी जान,,,,( ऐसा कहते हुए लाला जोर-जोर से उसकी चूचियों को दबा रहा था कोमल को आज अपनी इज्जत तार-तार होती हुई नजर आ रही थी,,,,,वह चिल्लाना चाह रही थी लेकिन डर के मारे उसके मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी वह एकदम सदमे में थी डरी हुई सहमी हूई जिसका लाला भरपूर फायदा उठा रहा था,,, लाला अपनी बहुत कोमल की साड़ी खोलना शुरू कर दिया,,, देखते ही देखते कमल की साड़ी उतार कर नीचे जमीन पर गिर गई और वह अपने ससुर के सामने पेटीकोट में आ गई,,, लाला की आंखों में अपनी बहू की मदमस्त जवानी देख कर वासना की चमक उपसने लगी थी,,, लाला उसे पीछे से अपनी बाहों में भर कर उसके गोलाकार नितंबों के उधार पर अपने लंगोट में खड़े लंड को रगड़ रहा था उसे अनुभव बेहद उत्तेजना पूर्ण लग रहा था लाला को मजा आ रहा है और कोमल बेबस थी रो रही थी लाला की हालत पल पल खराब होती जा रही थीनशे में होने के बावजूद भी एक औरत के जिस्म को भोगने के लिए उसके बदन में ताकत आ गई थी,,, लाला अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर कोमल की पेटीकोट की डोरी को खोलने लगा तो कोमल उसे रोकने कीआखिरी कोशिश करते हुए उसका हाथ पकड़ ली और तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,,।


लालाजी,,,, कहां हो लाला जी दरवाजा खोलिए,,,,,
(रघु की आवाज को कोमल अच्छी तरह से पहचानती थी और उसकी आवाज सुनते ही उसकी आंखों में चमक आ गई,,,, लेकिन लाला की हालत खराब हो गई उसके किए कराए पर पानी फिरता नजर आने लगा और कुछ बोला नहीं वह खामोश रहा,,, लेकिन आशा की आखिरी उम्मीद सामने नजर आती हुई देखकर कोमल से रहा नहीं गया और वह जोर जोर से चिल्लाने लगी,,,।)


रघु मुझे बचाओ,,,, मुझे बचाओ रघु,,,।
(इतना सुनते ही रखो को समझते देर नहीं लगी कि अंदर क्या हो रहा है उसका खून खोलने लगा,,,,, कुछ देर तक वह उसी तरह से दरवाजा पीटता रहा लेकिन अंदर से कोई खोलने वाला नहीं था क्योंकि कोमल लाला की गिरफ्त में थी और लाला उसके साथ मनमानी करने पर उतारू हो चुका था इसके पेटीकोट की दूरी ना खुलने पर वह पेटीकोट को पकड़ कर ऊपर की तरफ आ रहा था जिसे कोमल बार-बार पकड़कर नीचे कर दे रही थी,,,, कोमल अच्छी तरह से जानती थी कि ज्यादा देर तक होगा अपने ससुर का मुकाबला नहीं कर सकती थी इसलिए वह फिर से जोर-जोर से चिल्ला के लिए बोली)


मुझे बचा लो रघु यह हैवान मेरी इज्जत लूटना चाहता है,,,,।


चला जा हरामजादे ,,, यहां से चला जा वरना तेरी लाश भी गांव वालों को नहीं मिलेगी,,,,(इतना सुनते ही रघु एकदम पागल हो गया और गुस्से में बोला,,,)

साले मादरचोद मुझे धमकी देता है,,,,(इतना कहने के साथ ही दरवाजे पर दो बार जोर-जोर से एकदम ताकत लगाकर लात मारा दरवाजे की कड़ी एकदम से टूट गई और दरवाजा खुल गया और वह कमरे के अंदर आ गया और अंदर आते ही जो नजारा उसने देखा उसके होश उड़ गए लाला अपनी बहू कोमल को अपनी बाहों में दबोचे हुए था उसके ब्लाउज के सारे बटन टूटे हुए थे उसकी दोनों चूचियों एकदम साफ नजर आ रही थी और वह सिर्फ पेटीकोट में थी जिसे लाना ऊपर करने की कोशिश कर रहा था यह देखकर रघु एकदम से गुस्से से तिलमिला उठा,,,और आगे बढ़कर कोमल को लाला की चुंगल से छुडाकर लाला को पीटना शुरू कर दिया रघु के मजबूत हाथ लाला पर पडते ही लाला को नशा काफूर हो गया,,,, वह चारों खाने चित हो कर वहीं ढेर हो गया,,,, वह मरा नहीं था बेहोश हो गया था,,,, लाला को बेहोश देखकर कोमल के जान में जान आई और वह दौड़ कर रघु के गले लग गई वह रो रही थी,,,, लेकिन जिस अवस्था में वह थी उसकी नंगी चूचियां रघु के सी ने पर रगड़ खाने लगी,,, पल भर में ही रघु को उत्तेजना का एहसास होने लगा,,, लेकिन दिल ही दिल में व कोमल से प्यार करने लगा था कोई और मौका होता तो शायद गांव को मिल की चुदाई कर देता लेकिन इसलिए को मिलकर जिस्म के साथ खेलने का मतलब था कि उसकी नजर से भी गिर जाना इसलिए वह उसे सांत्वना देते हुए उसकी नंगी पीठ पर अपनी हथेली फिराते हुए उसे शांत करने लगा,,, और उसके ऊपर नीचे गिरी साड़ी डाल कर उसके नंगे बदन को ढक दिया,,,।


तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है कोमल मैं हूं ना,,,


आज तो मैं लुट गई थी रघु अगर तुम वक्त करना आते तो मैं तुम्हें मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाती,,,


ऐसा कभी नहीं होगा कोमल,,,,,और हां मैं तो तुम्हें यहां नेवता देने आया था अच्छा हुआ ठीक समय पर आ गया,,,


कैसा नेवता,,,,,


कल मेरी दीदी की शादी है जमीदार के लड़के के साथ मंदिर में जरूर आ जाना,,,,


क्या सच कह रहे हैं रघु,,,


हां मैं सच कह रहा हूं कल समय पर आ जाना,,,,


मैं जरूर आऊंगी रघु,,,,, तुम्हारे बिना मुझसे एक पल भी रहा नहीं जाता,,,,
(कोमल की बात सुन कर रघु उसकी तरफ ध्यान से देखने लगा,,, और मुस्कुराते हुए उसे वापस गले लगा लिया,,,,)

मुझे छोड़कर मत जाओ रघु,,,,


मैं तुम्हें छोड़कर नहीं जा रहा हूं कोमल मैं यही हूं,,, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं,,,
(इतना सुनते ही कोमल की आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे और वह रघु को हसरत भरी निगाहों से देखने लगी और बोली)


मैं भी तुमसे प्यार करने लगी हु रघु,,,, बहुत प्यार करती हूं,,,,।

प्यार करती हो तो मुझ पर भरोसा रखो,,, मैं तुम्हारा बाल भी बांका नहीं होने दूंगा,,,,, अभी मुझे जाना होगा बहुत काम है,,,(इतना कहते हुए रघु कोमल के होंठों पर अपने होंठ रख कर उसे चुंबन करने लगा कोमल भी उसका साथ देने लगी कुछ देर तक दोनों इसी तरह से एक दूसरे के होंठों के रस को पीते रहे और फिर वहां से चला गया,,,,,, शादी के 1 दिन पहले रात को कजरी गहरी नींद में सो रही थी और रघु छत पर लेटा अपनी बहन शालू का इंतजार कर रहा था,,, थोड़ी ही देर में शालू के पायल की आवाज आने लगी और रघु का लंड अंगड़ाई लेने लगा,,,)
Mast update mitr
 

Nevil singh

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कजरी चैन की नींद सो रही थी,,, रघु की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि वह जानता था कि कल शादी करके उसकी बहन अपने ससुराल चली जाएगी हालांकि उधर वह उससे मिल सकता था लेकिन ससुराल में उसकी चुदाई करने का मौका उसे मिलेगा कि नहीं यह निश्चित नहीं था इसलिए आज की रात वह पूरी तरह से संतुष्ट हो जाना चाहता था,,, शायद शालू के मन में भी यही चल रहा था,,, शालू भी जानती थी कि शादी के बाद वह ससुराल चली जाऊंगी और लंड के मुकाबले में बिरजू उसके भाई के सामने कुछ भी नहीं था जो मजा उसे अपनी भाभी से छुपा कर मिलता था वह बिरजू से नहीं मिल पाया था बिरजू उसे संपूर्ण रूप से संतुष्ट करने में नाकामयाब साबित हुआ था,,, अगर अपने शारीरिक जरूरतों की बात होती तो शायद शालु भी बिरजू से शादी करने के लिए इंकार कर देती लेकिन मामला उलझ चुका था वह पेट से थी,, और अपनी ऐसी पाप को छुपाने के लिए वह भी अपनी शारीरिक जरूरतों को एक तरफ रख कर इस शादी के लिए तैयार हो चुकी थी,,,रघु के साथ चुदाई का मजा लूट कर वो पूरी तरह से प्यासी हो चुकी थी,,, अपने भाई से चुदवाए बिना उसका भी मन नहीं मानता था,,,,

रघु छत पर लेटा हुआ अपनी बहन की पायल की आवाज सुनते ही उत्तेजित होने लगा,,, उसके बदन पर केवल तोलिया लिपटा हुआ था,, और तोलिए के अंदर धीरे धीरे उसका लंड अपना मुंह उठा रहा था शालू पर नजर पड़ते ही उसके होठों पर मुस्कान तेरने लगी,,, वह एक नजर अपनी मां के ऊपर डाली जो कि निश्चिंत होकर चैन की नींद सो रही थी और फिर धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए रघु के पास आ गई जो कि जाग रहा था,,। शालू वहीं पर बैठ गई,,, शालू को देखते हुए रघु उसी तरह से लेटे हुए ही बोला,,,।


अब तो खुश हो ना दीदी,,,


खुश क्यों नहीं होंऊगी,,, तूने जो मेरा हाल किया था अगर सब कुछ सही नहीं होता तो शायद मैं मर जाती,,,।


नहीं नहीं दीदी ऐसा भला मै होने देता,,,,


तेरी वजह से हुआ भी तो था,,,,



क्या तुम्हें मजा नहीं आया दीदी,,,,(रघु के इस बात पर सालु कुछ नहीं बोली,,) अब तो शादी करके तुम अपने ससुराल चली जाओगी वहां रोज बिरजू तुम्हारी चुदाई करेगा,,,,


लेकिन तेरे जैसा मजा नहीं दे पाएगा,,,(शालू उदास होते हुए बोली अपनी अतृप्त संतुष्टि की पूर्ति ना होने का एहसास उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था,,,)


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं हूं ना,,, मैं वहां पर हमेशा आता जाता रहूंगा,,,,


आते जाते रहोगे लेकिन क्या हमें मौका मिल पाएगा और किसी ने देख लिया तो,,,।


ऐसा कुछ भी नहीं होगा दीदी,,, वैसे भी बिरजू एकदम बुद्धू है तुम तो उसे आराम से संभाल लोगी,,,,,


हां कह तो तू सच ही रहा है,,, लेकिन घर छोड़कर जाने का मन नहीं कर रहा है,,,।

अरे वह तो जाना ही पड़ेगा दुनिया का दस्तूर है शादी करके ससुराल में अपना घर बसाना पड़ता है नहीं तो क्या जिंदगी भर यहां रह कर अपने भैया से चुदवाती रहोगी,,,,।


बहुत हारामी हो गया है तु,,,,



तुम्हारी बदौलत दीदी,,,, वरना मैं तो बिल्कुल नकारा था कुछ भी पता नहीं चलता था लेकिन तुम्हारे खूबसूरत बदन ने,,(एक हाथ में कमीज के ऊपर से ही शालू की चूची पकड़कर दबाते हुए,,) मुझे एकदम समझदार बना दिया है,,,।


चल रहने दे तुम मर्दों को बस यही आता है,,,,



और वैसे भी औरतें मर्दों की इसी हरकत से खुश रहती हैं,,,,( तोलियों को एक तरफ करते हुए अपने खाने नंबर को अपने हाथ में पकड़ लिया यह देखकर सालु की बुर में बुलबुलाहट होने लगी,,,) क्यों सही कहा ना दीदी,,,,


हां तू सच कह रहा है,,,,(इतना कहते हुए सालु भीअपना हाथ बढ़ा कर अपने भाई के लंड को पकड़ ली और उत्तेजना के मारे ऊसे दबाने लगी,)


ससससहहहहह,,,, दीदी तुम्हारी यही अदा मुझे बहुत अच्छी लगती है,,,, लंड को तुम बहुत अच्छी तरह से पकड़ कर दबाती हो,,,ससससहहहहह आहहहहहहहहहहह,,,(इतना सुनते ही शालू और जोर से अपने भाई के लंड को दबाने लगी किसी से रघु के मुंह से सिसकारी की आवाज निकल पड़ी,,,,)

दीदी बहुत दिन हो गए हैं,,, तुमने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर नहीं चुसी,,,,,


मा जाग जाएगी,,,,,(अपने भाई के लंड को मुट्ठी आते हुए बोली)


नहीं जागेगी दीदी,,,,,


नहीं मुझे डर लगता है,,,,


डर कैसा दीदी,,,, पहली बार थोड़ी ना हूं बहुत बार तुम्हारी ले चुका हूं छत पर,,,,



फिर भी ना जाने क्यों मुझे डर लगता है अगर मा ने देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,, चल नीचे कमरे में चलते हैं,,,,


हां यह सही है,,,,
(इतना कहने के साथ ही रघु उठ खड़ा हुआ और अपने तालियों को कमर से लपेट ते हुए बोला,,,)


चलो दीदी कमरे में ही मजा आएगा तुम लालटेन उठा लो,,,
(शालू लालटेन उठाकर धीरे-धीरे सीढ़ियां उतरने लगे लेकिन उसे जोरो की पिशाब लगी हुई थी इसलिए सीढ़ियां उतरकर वहां लालटेन को रघु के हाथ में पकड़ाते हुए बोली,,)

ले रघू इसे पकड़,,,,

अब क्या हुआ दीदी,,,


अरे मुझे जोरो की पिशाब लगी है पेशाब तो कर लेने दे,,,


वाहहहहहह,,,, दीदी अब तो मजा आ जाएगा तुम्हें पेशाब करते हुए देखने में बहुत मजा आएगा बड़ी बड़ी बड़ी गांड देखने में बहुत मजा आएगा,,,,।


चल पागल कहीं का बडा आया गांड देखने ऐसा लग रहा है कि जैसे कभी देखा ही नहीं,,,,


सब कुछ देख चुका हूं दीदी लेकिन पेशाब करते हुए देखने में जो मजा है वह किसी चीज में नहीं,,,,


चल अब थोड़ा दूर खड़े रह मुझे पेशाब करना है,,,


कर लो ना दीदी चारों तरफ अंधेरा है कोई देख थोड़ी ना रहा है और देखना चाहेगा तो भी उसे कुछ दिखेगा नहीं,,,


तू तो है ना देखने वाला,,,,


मुझसे कैसी शर्म दीदी मैं तो तुम्हारा सब कुछ देख चुका हूं और ले भी चुका हूं,,,,



बड़ा निकम्मा हो गया है तू,,,,(इतना कहते हुए शालू दो कदम आगे बढ़ गई और सलवार की डोरी खोलने लगी,,, अपने छोटे भाई के साथ चुदाई का सुख भोग कर,,, वह पूरी तरह से खुल गई थी,,, वरना अपने भाई के साथ शारीरिक संबंध बनाने से पहले शालू बेहद सीधी सादी और संस्कारी लड़की थी उसके लिए यह सब बातें सोचना भी पाप था वह किसी के सामने इस तरह से खुले शब्दों में पेशाब करने वाली बात कहती भी नहीं कि भले ही वह उसकी सहेली क्यों ना हो लेकिन शालू जानती थी कि रघुउसका सबसे बड़ा राजदार था और साथी भी जिसके साथ वह सब कुछ कर सकती थी इसलिए उसकी शर्म एकदम से दूर हो चुकी थी,,, तभी तो बहुत बेझिझक,,, बाद में भाई से पेशाब करने वाली बात कह रही थी अंदर ही अंदर वह भी यही चाहती थी कि उसका भाई उसे पेशाब करते हुए देखे उसकी बुर से निकल रही सीटी की आवाज को अपने कानों से सुनकर एकदम मस्त हो जाए,,,, रखो दो कदम की दूरी पर लालटेन लिए खड़ा था लालटेन की रोशनी में जहां पर शालू खड़ी थी वहां तक का दृश्य एकदम साफ नजर आ रहा था बाकी एकदम अंधेरा ही अंधेरा था,,,, शालू अपने सलवार की दूरी खोज की थी और अपनी सलवार को नीचे घुटनों तक करके वहीं बैठ गई वह जानती थी कि उसका भाई पीछे से खड़ा उसको देख रहा है,,,परेशानी उसकी नजरें उसकी गोलाकार गांड पर टिकी होंगी यह भी वह जानती थी,,, लेकिन अपने भाई के सामने उसे बिल्कुल भी शर्म नहीं आ रही थी वह बेशर्म बन चुकी थी और बेशर्म बनने में औरतों को कुछ ज्यादा ही मजा आता है और यही सुख शालू भी भोग रही थी,,,, देखते ही देखते रघु के कानों में अपनी बहन की बुरी में से निकल रही सिटी की मधुर आवाज गूंजने लगी ,वह पूरी तरह से मस्त हो गया बदहवास हो गया मदहोश हो गया अपनी बहन का यह कामुक रूप देखकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, उसका लंड खड़ा होकर तोलिए से बाहर आ गया जिसे वो खुद छिपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था वह तो अपनी बहन की गोलाकार गांड की आकर्षण में और उसकी बुर की मधुर आवाज में खो चुका था देखते ही देखते शालू मुत्र क्रिया को समाप्त करके खड़ी हो गई है अपनी सलवार की डोरी बांधने लगी लेकिन रखवा के बर्तन उसे ऐसा करने से रोक दिया और उसकी सलवार की डोरी को खुद पकड़कर उसे कमरे के अंदर की तरफ ले जाने लगा सालु भी निश्चिंत होकर अपने भाई के साथ कमरे के अंदर जाने लगी,,,।
दोनों के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी शालू समझ गई थी कि उसे पेशाब करते वक्त पर उसका भाई अपने काबू में बिल्कुल भी नहीं है और ऐसा ही हुआ कमरे के अंदर पहुंचते ही वह कमरे का पर्दा खींच दिया दरवाजा तो था नहीं इसलिए पर्दे का ही दरवाजा बनाया था और लालटेन को दीवाल में लगी एक कील से लटका दिया कमरे के अंदर पीली रोशनी फैल गई रघु अभी भी अपनी बहन की सलवार की डोरी अपने हाथ में पकड़े हुए था और उस दूरी को खींचकर वह अपनी बहन को अपनी बाहों में भर लिया अपनी बहन को बाहों में पढ़ते ही उसके हाथ से सलवार की डोरी टूट गई और सलवार एकदम से शालू के कदमों में जा गिरी और कमर के नीचे से एकदम नंगी हो गई और रघु बदहवास होकर अपनी बहन की तरबुज जैसी गोल गोल गांड अपने दोनों हाथ से पकड़कर जोर जोर से दबाते हुए उसके लाल लाल होठों को पीना शुरू कर दिया,,,, देखते ही देखते दोनों उत्तेजित हो गए शालू भी अपने भाई का साथ देते मैं अपने मुंह को खोल दिया और दोनों एक दूसरे की जीभ को चाटना शुरू कर दिए,,,


देखते ही देखते रघु अपने हाथों सेअपनी बहन की कमीज को पकड़कर ऊपर की तरफ उठाने लगा और उसकी बहन भी उसका साथ देते अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा दी और देखते-देखते रघु अपनी बहन की कमीज उतार फेंका और शालू खुद अपने पैरों से अपने पैरों में फंसी सलवार को पैरों का सहारा लेकर उतार कर नीचे फेंक दी शालू अपने भाई की बाहों में पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और वहां एक हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने भाई के टावल को खींच कर नीचे जमीन पर खेती दोनों कमरे के अंदर संपूर्ण रूप से नंगे हो गए,,,।
ओहहहहहह,,,, दीदी मेरी प्यारी दीदी कल तुम्हारी शादी है और आज की रात में तुम्हारे साथ सुहागरात मना रहा हूं,,,,


हां मेरे राजा,,,, सुहागरात मनाने का असली हकदार तू ही है तभी तो नहीं आज के बाद तुझे नीचे लेकर आई हूं ताकि आज की रात में खुलकर तेरे साथ चुदाई का मजा ले सकु,,,



ओहहहहह दीदी तुम कितनी अच्छी हो अपने भाई का इतना ख्याल रखती हो,,,,


अपने भाई का ख्याल में नहीं रखुंगी तो कौन रखेगा,,,,,


ओहहहहह,,,,दीदी (इतना कहने के साथ ही रघु अपनी बहन की चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया और अपने भाई की इस हरकत से शालू एकदम से मदहोश हो गई और वह अपने भाई का सर पकड़ कर अपनी चूची पर जोर जोर से दबाने लगी,,,,,रेखा के नीचे की तरफ ले जाकर अपने भाई के खड़े लंड को पकड़कर उसे अपनी बुर की गुलाबी दरार पर रगड़ना शुरु कर दी,,,दोनों मदहोश में जा रहे थे अपने अपने तरीके से दोनों एक दूसरे के बदन से आनंद ले रहे थे,,,, कुछ देर तक इसी तरह से रघु अपनी बहन की दोनों चूचियों को पीकर मजा लेता रहा,,,। और अब वह अपनी बहन को चोदना चाहता था,,, और अपने लंड को पकड़ कर अपनी बहन की बुरके गुलाबी छेद पर र रगडते हुए बोला,,,।)


दीदी,,,, बिरजू से चुदवाते समय मेरे लंड की याद आएगी ना तुम्हें,,,


बहुत आएगी मेरे भैया,,, क्योंकि बिरजू का लंड तेरे जितना मोटा और लंबा नहीं है,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो दीदी मैं बराबर पहुंचता रहूंगा तुम्हें चोदने के लिए,,,।
(दोनों कमरे के बीचो बीच खड़े होकर ही काम क्रीड़ा कर रहे थे तूने एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे रघु तड़प रहा था अपनी बहन को चोदने के लिए इसलिए वह अपनी बहन से बोला,,,)

खटिया पर चला दी थी मैं तुम्हें आज जी भर के चोदना चाहता हूं,,,,


चोद लेना मेरे राजा,,, लेकिन पहले मैं तेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना चाहती हु,,,,


ओहहहहहह,,, दीदी,,,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु अपनी बहन के दोनों कंधों को पकड़कर नीचे की तरफ दबाव बनाने लगा और शालू देखते ही देखते अपने घुटनों के बल बैठ गई और अपने भाई के खड़े लंड को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी,,, रघु की तो हालत खराब हो रही थी शालू बड़े अच्छे से उसके लंड की चुसाई कर रही थी,,, शालू अपनी बहन के लंड को चूसने में माहिर हो चुकी थी उसे अच्छी तरह से पता था कि कैसे लंड को चूस कर मर्द को मस्त किया जाता है और यही सच भी था रघु पूरी तरह से अपनी बहन का गुलाम हो चुका था उसे अपने बहन की जीभ अपने लंड पर बड़े अच्छे से महसूस होती थी,,,। सालुअपने भाई के लंबे लंड को गले तक नीचे उतारकर उसे चूसने का आनंद ले रही थी उसकी सांस अटक जा रही थी लेकिन लंड चूसने के आनंद को वह बिल्कुल भी जाने नहीं देना चाहती थी,,,,,, रघु धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया अपने भाई की यह हरकत शालू को और अच्छी लगती थी,,,। कुछ देर तक दोनों इसी अवस्था में आनंद लेते रहे उत्तेजना के मारे रघु को लग रहा था कहीं उसके लंड से लावा ना फूट पड़े,,, इसलिए वह,,, अपने लंड को अपनी बहन के मुंह से बाहर निकाल लिया,,,, उसकी सांसे बड़ी भारी चल रही थी,,,, रघु अपनी बहन को आश्वस्त करते हुए बोला,,,।


अब मेरी बारी दीदी और इतना कहने के साथ ही वह,,अपनी बहन की बाहों को पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाते हुए खुद नीचे घुटनों के बल बैठ गया शालू को समझते देर नहीं लगी कि उसका भाई क्या करना चाहता है इसलिए वह तुरंत खड़ी हुई और अपने घुटनों को मोड़कर उसे अपने भाई के कंधे पर रख ली जिससे उसकी गुलाबी बुर ठीक उसके मुंह के सामने आ गई जिससे रघु को उसकी बुर चाटने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं पेश आ रही थी और वह अपनी जीभ बाहर निकाल कर अपनी बहन की बुर को लपा लप चाटने लगा,,,, दोनों एक दूसरे में पूरी तरह से खो चुके थे लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था दरवाजे पर पर्दा लगा हुआ था इतनी रात को किसी के भी आने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए दोनों निश्चिंत थे लेकिन दूसरी तरफ छत पर अचानक कजरी की नींद खुल गई और वह उठ कर बैठ गई पास में पडे लौटे को उठाकर वह पानी पीने लगी,,, और‌वह छत पर चारों तरफ छत पर नजर दौड़ाई तो वह हैरान रह गई छत पर रघु और शालू दोनों नहीं थे,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी रात हो गई और वह दोनों छत पर नहीं आए लेकिन उसे याद आया कि जब वह छत पर आई थी तब रघु छत पर सो रहा था ऐसा कजरी को लग रहा था जबकि वह जाग रहा था इसलिए वह हैरान हो गई कि आखिरकार इतनी रात को दोनों कहां है गर्मी में दोनों नीचे सोने से रहे लेकिन फिर भी वह बेचैन हो गई परेशान हो गई और वह धीरे-धीरे सीढ़ियां उतर कर नीचे की तरफ आने लगी,,,।

दूसरी तरफ कमरे में एक दूसरे के अंगों से खेलने का घमासान मचा हुआ थारखो पागलों की तरह अपनी बहन की बुर को चाट रहा था मानो कि जैसे कटोरे में भरी खीर को चाट रहा हो,,, हालांकि की की मलाई से कहीं अत्यधिक आनंदित और पोस्टिक बुर की मलाई होती है इसे चाटने में जो सुख मर्दों को मिलता है और जिस तरह से तृप्ति का एहसास औरतों को होता है ऐसा पूरे जगत में किसी भी कार्य को करने से नहीं होता,,,, रघु के ईस तरह की बुर चटाई से शालू एकदम आनंदित हो उठी थी,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी अभी भी वह अपने घुटनों को मोड़कर अपने भाई के कंधे पर रखी हुई थी और अपने दोनों हाथों से उसके बाल को पकड़कर जोर जोर से अपनी बुर पर रगड रही थी,,,।

कजरी सीड़िया नीचे उतर चुकी थी,,, जैसे ही कमरे के पास पहुंची पर्दा लगा होने के बावजूद भी अंदर लालटेन की रोशनी का एहसास उसे हो रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सब क्या हो रहा है जैसे ही वह कमरे के पास पहुंची तो अंदर से गरम सिसकारी की आवाज उसे सुनाई देने लगी इस आवाज से वह भलीभांति वाकिफ थी एक औरत होने के नाते औरत के मुंह से निकल रही गरमा गरम सिसकारी की आवाज को अच्छी तरह से पहचानती थी,,।इस तरह की आवाज सुनकर उसके होश उड़ गए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह की आवाज उसके घर से कैसे आ रही है उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और छत पर से शालू और रघु के गायब होने की वजह से उसके मन में जिस तरह की कल्पना हो रही थी उसे सोच कर उसके पांव लड़खड़ा रहे थे,,,, आखिरकार धड़कते दिल के साथ वह अपने दिल को मजबूत कर के आगे बढ़ते हुएकांपते हाथों से पर्दे को थोड़ा सा हटा कर अंदर की तरफ देखी तो अंदर के नजारे को देखकर उसके होश उड़ गए उसके पास वही जमीन पर एकदम से गड गए और उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,। जिस तरह के नजारे को अपनी आंखों से देखी थी उसे डर था कि कहीं उसे दिल का दौरा ना पड़ जाए,,,वास्तव में मां के लिए इस तरह का नजारा देखना किसी सदमे से कम नहीं था कि कमरे के अंदर उसका छोटा बेटा अपनी बड़ी बहन की बुर चाट रहा है और दोनों मजे ले रहे हो,,, कजरी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था उसका मन कर रहा था कि कमरे के अंदर जाकर दोनों को जी भर कर पीटे इस तरह की गंदी हरकत करने के लिए दोनों को सजा दे,,,लेकिन कमरे में जाने की हिम्मत उसकी बिल्कुल भी नहीं हो रही थी वह बस दरवाजे पर खड़ी होकर पर्दे को थोड़ा सा हटा कर अंदर के तेरे को देख रही थी अंदर का कामुक दृश्य इतना उत्तेजना से भरा हुआ था कि 5 मिनट भी बीते नहीं होंगे कि न जाने कजरी को क्या होने लगा वह उस कामोत्तेजना से भरे हुए नजारे मे वह पूरी तरह से आकर्षित होने लगी,,, कजरी को गुस्सा आ रहा था क्रोध से भरी जा रही थी लेकिन कमरे के अंदर के गरमा गरम नजारे में कुछ ऐसा कर सकती वह कुछ कर नहीं पा रही थी,,,

सससहहहह ,,,आहहहहहह,,,, मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है मुझे तेरी जीभ मुझे पागल कर देगी,,,, सच में बुर चटवाने में कितना मजा आता है,,,,(अपनी बेटी के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर कजरी एकदम से हैरान हो गई लेकिन उसकी यह बात की बुर चटवाने में बहुत मजा आता है इससे उसके मन में दबी हसरत जागने लगी,,, इस नजारे को देखकर उससे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों उसे मन के किसी कोने में अच्छा भी लग रहा था क्योंकि वर्षो से वह प्यासी थी अपनी इच्छाओं को अपनी भावनाओं को अपने मन में दफन कर चुकी थी अपनी बेटी की गरमा गरम बातें और उसकी हरकत उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा करने लगी थी उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसके बेटे की जीभ उसकी बेटी की बुर में बड़े आराम से अंदर बाहर हो रही थी शादीशुदा जिंदगी में उसके पति ने कभी भी इस तरह की हरकत इसके साथ नहीं की थी इसलिए कजरी को इस बात का अहसास तक नहीं था कि औरतों की बुर भी चाटी जाती है,,,। इसलिए कजरी के संपूर्ण वजूद को हिला के रख दिया था पल भर में ही कजरी को अपनी बुर गीली होती हुई महसूस होने लगी,,,।
कमरे के अंदर के नजारे को देखकर जो गुस्से में तिलमिला उठी थी उसका गुस्सा वासना की आग में जलकर काफूर हो चुका था अब कजरी धीरे धीरे अंदर चल रहे दृश्य का आनंद लेने लगी,,, एक मां के लिए ईस नजारे को देखना बेहद शर्मनाक था लेकिन कजरी के मन में इस तरह की हलचल हो रही थी कजरी को खुद समझ में नहीं आ रहा था,,,, रघु अपनी बहन की पतली कमर को पकड़कर उसकी बुर को चाट रहा था,,,,, कजरी को अपने बेटे से ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी,,,लेकिन एक बात से वह भी इंकार नहीं कर सकती थी कि उसके बच्चे बड़े हो गए थे जवान हो गए थे और जिस तरह का बदलाव रघु के अंदर ऐसे देखने को मिल रहा था खास करके उसके खुद के साथ उसे समझ जाना चाहिए था कि उसका बेटा जवान हो गया है,,,,लेकिन इस समय ना जाने क्यों इतना होने के बावजूद भी अपने बच्चों की इतनी गंदी हरकत का वह आनंद ले रही थी,,, इसकी एक ही वजह थी कि वह खुद प्यासी थी,,,।

इसलिए सामने का नजारा देखकर वह बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी लालटेन की रोशनी में ऊसे सब कुछ साफ नजर आ रहा था आधी रात से ज्यादा का समय हो चुका था,,,रघु बार बार कट उसकी कमर पर दोनों हाथ रखकर दबाता तो कभी उसकी गोलाकार गांड को अपने दोनों हथेली में भर लेता,,, यह सब नजारा कजरी के लिए अद्भुत और मादकता से भरा हुआ था,,,।


आहहहह,,,, रघु अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,, मेरी बुर में आग लगी है मेरे राजा मुझे तेरा लंड चाहिए जल्दी से मेरी चुदाई कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,।
(अपनी बेटी के मुंह से यह बात सुनकर कजरी एकदम स्तब्ध रह गई उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी हो सुन रही है उसकी बेटी कह रही है उसे उम्मीद ही नहीं थी कि उसकी बेटी इतनी गंदी बात कहेगी,,,, वह हैरान थी लेकिन उत्सुक भी थी थोड़ी देर बाद रघु खड़ा हुआ और अपनी बहन को तुरंत अपनी गोद में उठा लिया दोनों एकदम नंगे थे,,, कजरी की नजर अपने बेटे के खड़े लंड पर पड़ी जो कि इस समय सालु को गोद में उठाने की वजह से उसका लंड उसकी पीठ पर रगड़ खा रहा था,,,, कजरी का दिमाग काम करना बंद कर दिया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसका बेटा और उसकी बेटी दोनों काम क्रीडा में मग्न हो गए थे उन्हें इस बात का आभास तक नहीं था कि दरवाजे पर खड़ी ऊन दोनों की मां उनकी बेशर्मी भरी हरकत को देख रही है,,,,।


चलो मेरी रानी खटिया हम दोनों का इंतजार कर रहा है चलो आज तुम्हारी जमकर चुदाई करता हूं,,,,(इतना कहते हुए रघु उसे खटिया पर लेटा दिया कजरी के लिए यह नजारा अद्भुत होता जा रहा था उसने कभी अपनी आंखों से इस तरह के नजारे को नहीं देखी थी और देखी भी तो,,, अपने ही बच्चों को,,,, रघु पूरा जवान हो चुका था एक औरत को संतुष्ट करने लायक उसके पास मर्दाना ताकत से भरा हुआ लंड कजरी को नजर आ रहा था,,, कजरी इस बात के हिसाब से और ज्यादा उत्तेजित हो गई कि उसका बेटा अपनी ही बहन को गोद में उठाकर खटिया पर लेटा कर क्या करने वाला है इसलिए उससे यह नजारा बर्दाश्त नहीं हुआ और वह अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी ही हथेली से अपनी गरम बुर को ठंडा करने की कोशिश करने लगी,,, रघु दुनिया से बेखबर मान मर्यादा को तार-तार करते हुए अपनी बहन की दोनों टांगों के बीच आ गया और उसे अपनी बाहों में भरकर अपने रहने की उसकी बुर में एक झटके में पूरा का पूरा पेल दिया,,, बस हल्की सी आहहह सालु के मुंह से निकली और उसके बाद रघु की कमर रफ्तार के साथ ऊपर नीचे होने लगी कजरी की हालत खराब हुई जा रही थी वह अपनी उंगली को अपनी बुर में डालकर अंतर बार कर रही थी ना जाने क्यों उसका मन कर रहा था कि कमरे में चली जाए और अपनी बेटी शालू को हटाकर खुद उसकी जगह लेट जाएं क्योंकि सालु से ज्यादा वो खुद प्यासी थी,,, रघु की नंगी पीठ पर सालु की हथेली इधर से उधर घूम रही थी,,, जो की कजरी के लिए शायद एक सबक थी रिश्ते नाते मान मर्यादा सब अपनी जगह,,, और शरीर की भूख एक जगह,,,, शरीर की जरूरत पूरी करने के लिए उसकी बड़ी बेटी शालू और उसका छोटा बेटा रघु काम क्रीड़ा में पूरी तरह से तल्लीन हो चुके थे,,,। पूरे कमरे में गर्म सिसकारी की आवाज गूंज रही थी कजरी अपने बदन की जरूरत के कारण अपने तन की प्यास के आगे लाचार थीवह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को तार-तार होते हुए अपनी नजरों से देख कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी बल्कि उस नजारे को देखकर वो खुद गर्म हो चुकी थी,,,। यह चुदाई लगभग आधे घंटे तक चलती रही,,,जो खुद अपनी उंगली से ही 2 बार झड़ चुकी थी लेकिन लड़कों का पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था यह देखकर कजरी खुद हैरान थी कजरी अपने कानों से सालों की बात सुन चुकी थी कि वह इस दौरान दो बार झड़ चुकी थी लेकिन रखो उसी तरह से टिका हुआ था तकरीबन आधे घंटे बाद उसका भी पानी निकल गया अपने बेटे के मर्दाना ताकत को देखकर कजरी बेहाल हो गई थी न जाने क्यों अपने बेटे के प्रति इस समय और ज्यादा आकर्षित हो चुकी थी वह ज्यादा देर तक वहां खड़ी नहीं रही और वापस छत के ऊपर आ गई लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी कल शादी थी और वह अपने बच्चों के सामने इस जिक्र को छेडकर,,, माहौल को खराब नहीं करना चाहती थी छत पर उसके जाने के बाद तकरीबन 2 घंटे के बाद है दोनों वापस छत पर आए तेरी समझ गई कि इन 2 घंटों में वह दोनों ना जाने कितनी बार संभोग रत हुए होंगे,,,,। धीरे-धीरे कजरी की भी आंख लग गई,,,,, दूसरे दिन उठते ही वह शादी की तैयारी में जुट गई,,,।
Kadak update mitr
 

Nevil singh

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आज का दिन कजरी के परिवार के लिए बहुत खास था क्योंकि आज एक साथ दो काम होने वाले थे एक तो शालू के हाथ पीले होने वाले थे और कजरी के माथे से बहुत बड़ा बोझ था, वह उतरने वाला था,,, बोझ शालू नहीं थी बल्कि उसकी हरकत की वजह से वह पेड़ से हो गई थी वह बोझ था,,, कजरी के लिए यही अच्छी बात है कि शालू पेट से है इस बारे में किसी को कानों कान खबर नहीं थी केवल रघु और बिरजू की मां उसकी बहू और जमीदार को यह बात मालूम थी,,,, कजरी दिल से जमीदार की बीवी को दुआ दे रही थी क्योंकि उसी की बदौलत आज यह रिश्ता खुशी पूर्वक संपन्न होने जा रहा था,,, कजरी घर में और आंगन में झाड़ू लगाकर साफ सफाई कर रही थी,,,लेकिन उसके मन में अभी भी हलचल मची हुई थी जो नजारा उसने रात को अपनी आंखों से देखी थी उस पर उसे विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसने देखी थी वह सनातन सत्य था हकीकत था वह कोई सपना नहीं था बल्कि अपनी आंखों से देखा हुआ रिश्तो को तार-तार करता हुआ बेहद शर्मनाक नजारा था लेकिन उस शर्मनाक नजारे को देखते हुए भी कजरी के मन में गुस्सा नहीं था बल्कि उस नजारे का आकर्षण पूरी तरह से उसके तन बदन के साथ-साथ उसके प्यासी भावनाओं पर हावी हो चुका था,,,, वह साफ-साफ अपनी आंखों से देख रही थी कि उसका जवान बेटा और जवान बेटी दोनों एक दूसरे के नंगे बदन से खेल रहे थे ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि दोनों एक दूसरे के सामने शर्म या परदा कर रहे हो,,, वह दोनों एकदम बेशर्म हो चुके थे और बेशर्मी से भरी हुई हरकत कर रहे थे,,,, कजरी अपने मन में यही सोच कर हैरान हो रही थी कि किस तरह से उसका बेटा अपनी बड़ी बहन की बुर को जीभ लगा कर चाट रहा था,,,क्योंकि उसने आज तक अपनी शादीशुदा जिंदगी में इस तरह की हरकत ना तो की थी और ना ही उसके पति ने इस तरह की चेष्टा करने की कोशिश की थी उसे तो पता भी नहीं था कि औरतों की बुर को चाटा भी जाता है,,, इसलिए तो वह उस नजारे को देखकर एकदम मदहोश हो चुकी थी और उस दृश्य को देखकर अपने बच्चों पर गुस्सा करने की जगह उस दृश्य से एकदम आकर्षित हो गई थी,,,। और पूरे कामोत्तेजना से भरपूर संभोग दृश्य को देखे बिना वहां से गई नहीं,,,, कजरी के मन में बार-बार यह प्रश्न उठ रहा था कि उन दोनों के बीच यह शारीरिक रिश्ता कब से पनप रहा है उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बेटी शालू ऐसी बिल्कुल भी नहीं थी कहीं ऐसा तो नहीं कि रघु ने ही उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर कर दिया हो लेकिन सालु भी तो मजा ले रही थी,,,अगर उसमें लाज शर्म होती तो वह खुद अपने मुंह से जिस कार्य को करने में उसे संतुष्टि मिल रही थी वह क्यों कहती,,,, दोनों में खिचड़ी काफी समय से पक रही है लेकिन तभी उसके दिमाग चकराना शुरू हो गया उसे इस बात की शंका होने लगी कि कहीं शालू के पेट में पल रहा बच्चा कहीं उसके खुद के भाई का तो नहीं यह बात मन में आते ही उसका दिल बैठने लगा उसे चक्कर आने लगा और वह वहीं पर बैठ गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें कहीं ऐसा हुआ तो कितनी कलंक वाली बात है,,,। लेकिन थोड़ी देर शांत रहने के बाद वह अपने लंबे सोचने लगी कि अगर ऐसा है तो बेशक यह शर्मिंदगी से भरी बात है रिश्तो को तार-तार कर देने वाली बात है और अच्छा हुआ कि यह बात किसी को पता तक नहीं है और तो और शालू के पेट में बच्चा पल रहा है और वह बिरजू का है इस बात से बिरजू की मां भी इनकार नहीं कर पाई और यही बात कजरी के लिए राहत देने वाली थी,,,। वह अपने मन में ही सोच रही थी कि उसका बेटा साले को चोद कर उसे कितना आनंद से भर दे रहा था तभी तो खटिए पर उसकी बेटी मदहोश हुए जा रही थी,,, जिस तरह से जोर-जोर से अपनी कमर हिला कर अपनी बहन को चोद रहा था यह नजारा देखकर कजरी अपने मन में यही सोच रही थी कि उसके बेटे में मर्दाना ताकत से भरा हुआ जो है और बहुत देर तक वह सालु की चुदाई करता रहा,,, कजरी यही बात अपने मन में सोच सोच के उत्सुक हो रही थी कि अपनी शादीशुदा जिंदगी में कितनी देर तक कभी भी उसने चुदाई का आनंद नहीं ले पाई थी,,। उसका आदमी डालते ही दो-तीन धक्के में पानी निकाल देता था चुदाई के असली सुख से वह पूरी तरह से वंचित रह गई थी,,, अपने जवान बेटे और जवान लड़की की गरमा गरम चुदाई देखकर ना चाहते हुए भी कजरी के मन में ख्याल आने लगा कि अगर उसके बेटे का लंड उसकी बुर में जाएगा तो वह कितनी देर तक चोदेगा कितनी देर तक ठहर पाएगा उसे कितनी बार एक ही बार में झाड़ पाएगा,,,, यह सब सोचकर ही कजरी की बुर गीली होती जा रही थी,,,,। वह अपने बेटे के ख्यालों में एकदम से खो चुकी थी,, कि तभी रघु उसे आवाज देते हुए बोला,,,।


तुम अब तक यही दोस्ती होना कितना काम करना है पता है जल्दी उठो,,,,
(अपने बेटे की आवाज सुनते ही जैसे उसकी तंद्रा भंग हुई और वह हड़बड़ा कर खड़ी हो गई,,,,)

क्या सोच रही हो मां,,,


ककककक,,,कुछ नहीं यही सोच रही हूं कि शालू चली जाएगी तो घर सुना सुना हो जाएगा,,,


हां मां तुम सच कह रही हो दीदी के बिना यह घर काटने को दौड़ेगा मुझे तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा,,(रघु अपनी कमर पर दोनों हाथ रखते हुए बोला और यह बात सुनकर कचरी अपने मन में सोचने लगी कि किस लिए उसके जाने के बिना यह घर तुझे काटने को दौड़ेगा यह मैं अच्छी तरह से जानती हूं,,, अपनी बड़ी दीदी को चोदे बिना तेरा मन नहीं मानता और वह भी तेरे लंड की एक दम प्यासी हो चुकी है,,,, तभी तो शादी के 1 दिन पहले ही अपने ही भाई से चुदवाकर अपने पति से पहले ही अपने भाई के साथ ही सुहागरात मना रही थी,,,)


चल अच्छा मैं साफ-सफाई कर दी हूं तू बाकी की तैयारी कर,,, और हां गांव में सब को कह तो दिया है ना मंदिर पर चलना है,,,


हां मैं सबको कह दिया हूं समय पर सब मंदिर पर पहुंच जाएंगे,,,,


चल ठीक है जा दूसरे काम निपटा,,,,


ठीक है मां,,,(इतना कहकर वह दूसरे काम को निपटाने के लिए चल दिया,,,,कजरी अपने बेटे को जाते हुए देख रही थी अपने बेटे को देख कर उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह वही लड़का है जिस पर वह भरोसा करती थी वो खुद अपनी ही बहन की चुदाई कर रहा है,,, लेकिन जिस तरह की भावना कजरी के अंदर जागरूक हो रही थी यह देख कर उसे पूरा यकीन हो गया था कि रघु जब अपनी बहन को चोद सकता है तो उसे भी चोद सकता है उसे भी कभी सुख दे सकता है जो अपनी बहन को दे रहा है,,,इस बात से कजरी को संतुष्टि प्राप्त हो रही थी और वह अच्छी तरह से समझ रही थी कि जल्द ही उसकी कोरी बुर में उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड समा जाएगा,,,, इतना सोच कर वह पूरी तरह से गनगना गई,,,,, जैसे जैसे समय बीत रहा था वैसे वैसे कजरी के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही है यह उसके लिए पहला मौका था जब वह शादी के मौके पर अपना अहम हिस्सा निभाने जा रही थी अब तक वह दूसरों की शादी में फिर भाग लेते आ रही थी लेकिन आज उसे अपनी ही बेटी की शादी करके उसे विदा करना था इसलिए उसे बेटी से बिछड़ने का गम भी था और खुशी भी,,।

देखते ही देखते आखिरकार गांव के सभी लोग मंदिर पर इकट्ठा होने लगे,, मंदिर को बड़े अच्छे से सजाया गया था मंदिर के आगे मंडप बांधा गया था जिसमें बैठकर विवाह संपन्न होना था,,, थोड़ी ही देर में रघु और कजरी अपनी बहन को दुल्हन की तरह से जाकर मंदिर पर ले आए साथ में ले लिया और उसकी दोनों लड़कियां और रघु का दोस्त भी था,,,, सब लोग बहुत खुश थे,,, थोड़ी ही देर में बड़ी मालकिन और उसके नौकर के साथ बिरजू भी दूल्हा बनकर मंदिर पर पहुंच गया पंडित पहले से ही मौजूद थे पंडित ने आवाज लगाकर दूल्हा दुल्हन को दोनों को मंडप में बुला लिया और मंत्रोचार करने लगे कि तभी,,, बड़ी मालकिन रघु से बोली जो कि आज खुद सज धज कर एकदम दुल्हन लग रही थी उसको देखते ही रघु के पजामे में हरकत होना शुरु हो गया था अगर विवाह का अपना होता तो बड़ी मालकिन को यही पटक कर उसकी चुदाई कर दिया होता,,,, लेकिन डाकू जानता था कि देर सबेर,,, मालकिन को चोदने का शोक उसे नहीं जाता है तो इस तरह से मन को मचलने से क्या फायदा,,,,, बड़ी मालकिन जोकि रघु के साथ ही खड़ी थी रघु को इधर उधर देखते हुए बोली,,,।)


अरे रघु अभी तक राधा नहीं आई,,,,


क्या अभी तक छोटी मालकिन नहीं आई उन्हें तो तुम्हारे साथ नहीं आना चाहिए था,,,


हां आ तो रही थी साथ में लेकिन जमीदार को दूध पिलाना था इसलिए रुक गई थी,,,, एक काम करो तुम ही जल्दी से जाओ और राधा को साथ लेकर आओ,,,,


ठीक है मालकिन मैं भी जाता हूं और अभी आता हूं,,,,

मां तब तक तुम ख्याल रखना,,,,


ठीक है बेटा जल्दी आना,,,,, तुझे ही सारे रस्म निभाना है,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं अभी गया और अभी आया,,,,

(हवन का धुआं चारों तरफ अपनी खुशबू बिखेर रहा था बड़ा ही मनमोहक और लुभावना दृश्य था,,, गांव वाले मंडप के चारों तरफ नीचे जमीन पर बैठे थे पास में ही भोजन का प्रबंध हो रहा था जिसकी खुशबू से गांव वालों के मुंह में पानी आ रहा था,,, कुछ लोग इस शादी को लेकर हैरान भी थे तो किसी को इतना भी हो रही थी कि शालू कि ईतने बड़े घर में शादी हो रही है,,,,,,, गांव के ही कुछ लोगों ने सारे प्रबंध का बीड़ा उठा लिया था जो इधर-उधर घूम कर सारे प्रबंध को अपनी निगरानी में देखरेख कर रहे थे,,, मंत्रोच्चार से पूरा वातावरण गूंज रहा था बिरजू और शालू बेहद खुश हैं शालू बड़ा सा घूंघट करके शर्मा कर देती हुई थी और बिरजू बार-बार चालू की तरफ देख ले रहा था दोनों की मन की इच्छा जो पूरी हो रही थी,,, दूसरी तरफ रघु हवेली पर पहुंच गया था दरवाजे पर दस्तक देकर वह खड़ा हो गया तो थोड़ी देर बाद हम होली का दरवाजा खुला और खुद राधा ने दरवाजा खोली राधा भी एकदम दुल्हन की तरह सजधज कर तैयार हुई थी,,, उसे देखते ही रघु के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया,,,।)


वाह छोटी मालकिन आज तो तुम खुद दुल्हन की तरह लग रही हो,,,।


और दिन कैसी लगती थी,,,,


नहीं मेरी ऐसी कोई बात नहीं है आपतो हमेशा खूबसूरत लगती हो लेकिन आज की बात कुछ और है,,, आज तुम एकदम दुल्हन की तरह लग रही है,,,,(कंधे पर रखा हुआ पल्लु को रघु अपने हाथों से उसके सिर पर रखते हुए ,,) अब देखो एकदम चांद का टुकड़ा लग रही हो,,,.


रघु के मुंह से, अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर राधा गदगद हो गई,,,,उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा साथ में चला रही थी और यही अदा रघु के मन के तार को छेड़ रही थी,,,,


चल रहने दे तारीफ करने को,,,, अगर इतनी ही खूबसूरत होती तो,,, अपनी बड़ी मालकिन की ही सेवा में ना जुटा रहता,,,, छोटी मालकिन पर तो तु बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता,,,,(राधा प्यार भरा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)


नहीं नहीं छोटी मालकीन ऐसा क्यों कहती हो,,, बड़ी मालकिन का ख्याल रखना बहुत जरूरी है यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो क्योंकि वह खुश रहेंगे तो मेरा यहां पर आना-जाना बना है क्या और तुम्हारी भी सेवा करने का मौका वो खुद ही मुझे दे देती है अगर मैं उनका ख्याल नहीं रख लूंगा तो हो सकता है इस हवेली से मेरा दाना पानी उठ जाए,,,,।


कह तो तु ठीक ही रहा है,,,, लेकिन फिर भी तू नहीं जानता कि मेरे दोनों टांगों के बीच कितनी हलचल मची हुई है,,,,

तुम चिंता मत करो छोटी मालकिन तुम्हारी खुजली को मैं जरूर मिटा दूंगा लेकिन तुम मंदिर पर क्यों नहीं पहुंची,,, कितना समय हो रहा है,,।


हां मैं जाने के लिए तैयार हो चुकी थी लेकिन माजी ने कहा कि बाबू जी को दूध पिला दो तो मैं दूध पिलाने के लिए रुक गई,,,।


बाबू जी को अपना दूध पीला रही थी,,,।,(रघु ब्लाउज में से झांकती उसकी दोनों चूचियों की तरफ देखते हुए बोला,,)


धत्,,,,, कितना शैतान हो गया है तू,,,, यह तो सिर्फ तेरे लिए है,,,,(राधा मुस्कुराते हुए बोली,,,)

ओहहहह,,,हो,,,,, तुम्हारी यही अदा तो मुझे पागल बना देती है छोटी मालकिन,,,,

(रघु कि यह बात सुनकर राधा शर्मा गई और मुस्कुराते हुए बोली,,,)


चल अच्छा अब देर हो रही है बाबू जी को मैं दूध पिला चुकी हूं,,,,
(राधा की बात सुनकर रघु इधर-उधर देखने लगा वह पूरी तसल्ली कर लेना चाहता था कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है,,,, और उसे चकर पकर देखता हुआ पाकर राधा बोली,,,)


इधर उधर क्या देख रहा है चल अब देर नहीं हो रही है,,,।


रुक तो जाओ छोटी मालकिन,,, अब ऐसा मौका ना जाने कब मिलेगा,,,,


मतलब,,,!(अपनी आंखों को नचाते हुए राधा बोली,,,)


मेरा मतलब है कि,,,,(इतना कहने के साथ ही दरवाजे पर खड़ा रघु घर में कदम आगे बढ़ाया और कदम बढ़ाते ही,,, आगे बढ़ कर रघु राधा को अपने हाथों का घेराबंदी करके उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,,)


अरे अरे अरे यह क्या कर रहा है,,,, नीचे उतार में गिर जाऊंगी,,,,


नहीं नहीं छोटी मालकिन मैं तुम्हें गिरने नहीं दूंगा,,,,


लेकिन चलना देर नहीं हो रही है क्या,,,,?


अरे शादी तो होती रहेगी लेकिन ऐसा मौका मुझे फिर कभी नहीं मिलेगा,,,,


अरे करना क्या चाहता है तू,,,,


वही जो एक खूबसूरत औरत के साथ एक जवान मर्द को करना चाहिए,,,,,


अरे रहने दे बाबू जी जाग रहे हैं,,,,



जाग रहे हैं तभी तो,,,,(ऐसा कहते हुए गोद में उठाए हुए रघु राधा को जमीदार के कमरे में ले जाने लगा)


नहीं नहीं रघु वहां नहीं मुझे शर्म आती है बाबूजी क्या सोचेंगे,,,



जो भी सोचना है सोचने दो तुम भूल गई बाबुजी ने तुम्हारा कितना अपमान किया था,,,,



हमें जानती हूं रघु लेकिन मुझे शर्म आ रही है,,,


इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है छोटी मालकिन भला जमीदार देखने के सिवाऔर क्या कर सकते हैं ना तो कुछ बोल सकते हैं ना किसी को कुछ बता सकती हैं डरने वाली कोई बात नहीं है,,,,,(ऐसा कहते हुए रघुजमीदार की बहू राधा को गोद में उठाए हुए ही जमीदार के कमरे में पहुंच गया जमीदार की आंखें खुली उसे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि वह जानता था कि आज उसकी इच्छा के विरुद्ध हो रहा है उसकी आंखों में गुस्सा था लेकिन लाचार था वह इस बात से और दुखी था कि उसकी ऐसी हालत के बावजूद भी उसकी बीवी अपने लड़के की शादी उस लड़की से कर रही है जिसका रिश्ता उसे गवारा नहीं था,,,,, और रघु को अपनी बहू को गोद में उठाए हुए अपने कमरे में देख कर वह और जल भुन गया,,,, रघु राधा को उसी तरह से गोद में उठाए हुए जमीदार के बिस्तर के करीब गया और बोला,,,)


क्या हाल है मालिक,,,, देख लिया ना छोटी सी जीद का नतीजा,,,, आज मेरी बहन जी इस घर की इस हवेली की बहू बनकर आ रही है तुम्हारे बेटे बिरजू की और शालू की शादी मंत्रोच्चार के साथ शुरू हो गई है इसे कहते हैं किस्मत का पलटवार,,,,, क्यों राधा रानी,,,(गोद में उठाए हुए ही वह राधा की तरफ देखते हुए बोला लेकिन राधा कुछ बोली नहीं शर्मा कर दूसरी तरफ नजरों को फिर लिए देखकर जमीदार के सामने ही रघु राजा के होठों पर अपने होंठ रख कर चूमने लगा जो देखकर जमीदार की हालत और खराब होने लगी वह मन ही मन में अपनी बहू को बहुत गाली देने लगा,,,, और मन में गाली देने के सिवा और कुछ भी कर नहीं सकता था,,,,)

मालिक अगर थोड़ा सा सब्र रख कर हालात पर गौर किए होते तो सब कुछ सही हो जाता,,, घर में दो दो औरतें प्यासी थी लेकिन उनकी प्यास की तुम्हे कद्र ही नहीं थी,,, थोड़ा सा दिमाग लगाए होते घर में झांक लिया होता घर की औरतों के दर्द को समझे होते तो आज तुम घर की दोनों औरतों के साथ मौज कर रहे होते लेकिन तुम्हारे में तो इतना दम भी नहीं है कि अपनी ही बीवी की प्यास बुझा सको,,, अगर बुझा सकते तो तुम्हारी बीवी मेरी पहलू में ना आती,,, और देखो मैंने सब्र से काम लिया,,, नतीजा तुम्हारी आंखों के सामने है,,,(राधा को नीचे जमीन पर रखते हुए और ब्लाउज के नीचे के बटन को अपने हाथ से खोलते हुए उसे उपर की तरफ करके,,, राधा कि नारंगी जैसी चुची बाहर निकाल दिया और,,,, यह देखकर जमीदार और क्रोधित होने लगा लेकिन रघु अपने एक हाथ से राधा की चूची को पकड़कर दबाते हुए) अगर सपने से काम लिए होते तो आज चम्मच से नहीं बल्कि मुंह लगाकर दूध पी रहे होते,,,(और इतना कहते ही रघु अपना मुंह राधा की चूची पर रख कर उसे पीना शुरू कर दिया,,,,, राधा एकदम से सिसकारी भरने लगी,,, और रघु जमीदार के सामने ही उसकी बहू की दोनों चुचियों को बाहर निकालकर से बारी-बारी से दबा दबा कर पीना शुरू कर दिया राधा अपने ससुर के सामने शर्मा रही थी,,,लेकिन अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रही थी ना चाहते हुए भी उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकल रही थी,,,,।)


ससससहहहहह,,,आहहहह७हहहहह,,,,ऊफफफ,,,,,,
(अपनी बहू की मस्ती भरी सिसकारी की आवाज सुनकर जमीदार को वैसा महसूस हो रहा था कि जैसे कोई उसके कानों में गर्म सीसा पिघला कर डाल रहा हो,,, वह अंदर ही अंदर तड़प रहा था अपने आपको भी करता हुआ नहीं सोच कर रहा था जिस हवेली के सामने कोई आंख उठा कर देख नहीं सकता था आज वह हालत थी कि गांव का ही एक लड़का उसके घर की इज्जत से खेल रहा था,,,, रघुजमीदार की तरफ देखते हुए राधा की दोनों चूचियों को पीकर तृप्त हो गया था,,,, समय का अभाव रघु के पास ही था वह जानता था कि समय पर शादी में पहुंचना जरूरी है लेकिन जमीदार को यह बेहतरीन नजारा दिखाना भी जरूरी था वह जमीदार को उसकी औकात दिखाना चाहता था,,,, राधा शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पा रही थी वह भी लोगों का साथ पूरी तरह से दे रही थी लेकिन बुत बनकर खड़ी थी,,,आखिरकार बिस्तर पर लेटा हुआ इंसान उसका ससुर था जिसकी वह बहुत इज्जत करती थी अपने बाबूजी की तरह उसका भी मान सम्मान करती थी लेकिन हालात बदल गए थे अपने जिस्म की प्यास के कारण वह भी बेशर्मी का रास्ता अपना ली थी खास करके उस दिन से जिस दिन उसके ससुर ने उसे अपमानित किया था उस पर लांछन लगाया था वह भी मन ही मन में अपने ससुर से बदला लेना चाहती थी और इसीलिए वह भी अपने ससुर के कमरे में रघु को उसके खूबसूरत बदन से खेलने से इंकार ना कर पाए वह जानती थी कि भले ही उसके ससुर कुछ बोल नहीं पा रहे हो कुछ कर नहीं पा रहे हो लेकिन इस तरह का शर्मिंदगी भरा नजारा देखकर वह तिल तिल तड़प उठेगा और यही उसकी सजा है,,,,)


देख रहे हो मालिक,,, तुम्हारी बड़ी बड़ी खूबसूरती में इसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता बेहद खूबसूरत जिस्म की मालकीन जिसे पाने के लिए गांव का हर मर्द तड़प उठता है और जानते हो तुम्हारी बहू को याद करके ना जाने कितने लोग अपना लंड ही ना कर पानी निकाल देते हैं मेरा भी यही हाल था जब मैं पहली बार तुम्हारी बहू को देखा था मैं तो पागल हो गया था मुझे नींद नहीं आती थी,,, मैं भी ना जाने कितनी बार तुम्हारी बहू को याद करके अपने हाथ से अपना लंड हिला कर पानी निकाला हूं,,,,(यह बात सुनकर जमीदार पर गुस्सा निकाला उसकी आंखें बता रही थी कि वह आग बबूला हो रहा था और यही बात राधा सुनकर शर्म से पानी पानी होने लगी उसे इस बात का एहसास हो गया कि रघु जो कह रहा था वह वाकई में सच ही होगा,,, लेकिन फिर भी अपनी तसल्ली के लिए उसके मुंह से सिर्फ इतना ही निकला,,,)

क्या तू सच कह रहा है रघु,,,,


हां छोटी मालकीन में बिल्कुल सच कह रहा हूं,,,, तुम्हें देखकर गांव के हर मर्द की हालत खराब हो जाती है जैसे कि मेरी,,,, मैं भी तुमको ही याद करके,,,,(अपनी पजामे को घुटनों तक सरका कर अपनी खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर हीलाते हुए,,) ना जाने कितनी बार इसको हिला हिला कर इसका पानी निकाल दिया हुंं(रघु की बात सुनते ही राधा की नजर जैसे ही नीचे गई उसके खड़ी लंड को देखकर उसकी बुर में कुलबुलाहट होने लगी,,, वह शर्म के मारे पानी पानी हो गई लेकिन उसके खानदान को अपने हाथ में पकड़ कर उसकी गर्मी को मैसेज करने की लालच को वह अपने अंदर दबा नहीं पाई और अपने हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर अपने ससुर के सामने ही रघु के लंड को पकड़कर उसे जोर जोर से दबाते हुए हिलाने लगी,,,, यह देख कर जमींदार की आंखों में खून उतर आया लेकिन बेबस लाचार वह कुछ कर नहीं पा रहा था,,,, वह अपनी किस्मत को कोसने लगा और इसके सिवा और कुछ कर भी नहीं सकता था,,,, राधा के नरम नरम हाथ अपने लंड पर महसूस होते ही रघु के मुंह से हल्की सिसकारी फूट पड़ी,,,,)


आहहहहह,,,, छोटी मालकिन,,,,, बहुत अच्छा लग रहा है,,, अब जरा इसे अपने ससुर के सामने मुंह में लेकर इसे एकदम गीला कर दो ताकि ये तुम्हारी बुर में बड़े आराम से जा सके,,,,,
(इतना सुनते ही राधा रघु की आज्ञा का पालन करते हुए एक नजर अपने ससुर के ऊपर डाली दोनों की नजरें आपस में टकराई और मानो जमीदार अपनी नजरों से ही राधा को मार डालने की धमकी दे रहा हो,,, लेकिन राधा अपने ससुर की नजरों की दहशत को अनदेखा करते हुए नीचे घुटनों के बल बैठ गई,,, और रघु के खड़े लंड को बेझिझक अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी ,,,, लाल रंग की साड़ी में राधा एकदम दुल्हन की तरह लग रही थी और रघु दुल्हा लग रहा था,,,, राधा कुछ दिनों से रघु से चुदाई का सुख नहीं पाई थी इसलिए पूरी तरह से पागल हो गई थी इसलिए जितना हो सकता था उतना अपने मुंह में लेकर उसे चूसने का मजा ले रही थी जमीदार अपने मन में यह सोच कर हैरान था कि उसके घर की औरतें ईतनी प्यासी है उसे इस बात का अहसास तक नहीं हुआ था,,, रघु मदहोश हो रहा है एक तरफ उसकी बहन की शादी हो रही थी जहां पर मंत्रोच्चार पढ़ा जा रहा था और दूसरी तरफ रघु अपनी बहन की जेठानी के साथ,,, सुहागरात मना रहा था और वह भी दिन में ही,,,, जमीदार की हालत खराब हो रही थी उसे अपनी हालत पर गुस्सा आ रहा था कि वहां यह सब देखने के लिए जिंदा क्यो है इससे अच्छा तो मर गया होता,,, कुछ देर तक रघु राधा के मुंह में ही अपना लंड डालकर अपनी कमर हिलाता रहा,,,, लेकिन समय का अभाव उसके पास था,,, उसे ईस बात का डर भी था कि कहीं मालकिन किसी और को हवेली पर ना भेज दे,,, इसलिए रघु सब कुछ जल्दी खत्म करना चाहता था,,, इसलिए रघु,,, राधा के मुह में से अपने लंड को बाहर खींच लिया,,, राधा तड़प उठी रघु के मोटे तगड़े लंड को मुंह में लेकर चूसने के आनंद को प्राप्त करके राधा ये भी भुल गई कि उसे शादी में भी जाना है,,,।
रघु राधा को पकड़कर खड़ी किया और उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,, देखते ही देखते रघु राधा की साड़ी को उठाकर कमर तक कर दिया और उसकी बड़ी-बड़ी गांड उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी होकर चमकने लगी,,, राधा की गोरी गोरी गदराई गांड को देखकर रघु की हालत खराब होने लगी वह जमीदार को और जलाना चाहता था इसलिए राधा की कमर को पकड़ कर जमीदार की तरफ कर दिया जिससे जमीदार को उसकी बहू की गोरी गोरी गदराई गांड एकदम साफ नजर आए,,, एक पल के लिए तो अपनी बहू की गोरी गोरी मदमस्त गांड देखकर जमीदार की भी हालत खराब हो गई,,,, रघु जमीदार को उसकी बहू की कार दिखाते जैसी गोरी गोरी गांड पर लगातार चार पांच चपत लगाने लगा जिससे देखते ही देखते राधा की गोरी गांड टमाटर की तरह लाल हो गई,,,, जमीदार को रघु का इस तरह से उसकी बहू की गांड पर शपथ लगाना अच्छा नहीं लग रहा था वह फिर से क्रोधित होने लगा,,,, राधा शर्म के मारे सिमटी जा रही थी भले ही वह भी अपनी सांसों से अपने अपमान का बदला लेना चाहती हो लेकिन इस तरह से वह अपने ससुर के सामने आएगी यह कभी उसने सपने में भी नहीं सोचा था इसलिए अपनी बड़ी बड़ी गांड अपने ससुर को दिखाने में शर्म महसूस हो रही थी वो शर्म के मारे अपनी नजरों को नीचे झुका ली थी,,,,।


देखो जमीदार साहब मेरी किस्मत देखो जिस औरत को देखकर मैं पागल हुआ जा रहा था जिसको याद करके सिर्फ मुठ मारा करता था मैं कभी सपने में नहीं सोचा था कि उसे मैं चोद पाऊंगा,,, और आज देखो ईस हवेली की दोनों औरतेंमेरे लिए पागल है और मैं जब चाहो तब हवेली में आकर तुम्हारी आंखों के सामने तुम्हारी बीवी के साथ-साथ तुम्हारी बहू को चोद सकता हूं,,,, क्यों छोटी मालकिन,,,,?
(रघू राधा के मुंह से जमीदार को सुनवाना चाहता था लेकिन राधा शर्म के मारे कुछ बोल रही थी तो रघु ही उसको उकसाते हुए बोला,,,)


शरमाओ मत राधा रानी,,,,, बोलो ना,,, मैं जब चाहु तब इस हवेली में आकर तुम्हारी चुदाई कर सकता हूं ना,,,,।


हा,,,,रे कर सकता है,,,,,,(राधा शर्माते हुए बोली)


सोना मालिक,,,,,अब देखो मैं कैसे तुम्हारी बहु की चुदाई कर सकता हूं अपने मोटे खड़े लंड से,,,(अपनी टनटनाते हुए लंड को हाथ में लेकर जमीदार को दिखाते हुए बोला,,, जमीदार अपने चेहरे को नहीं ला सकता था इसलिए अपनी नजरों को कभी रघु के लंड की तरफ तो कभी अपनी बहू की गांड की तरफ घुमा रहा था,,,,, रघु पूरी तरह से तैयार था राधा को चोदने के लिए,,, इसलिए वह राधा से बोला,,,)


थोड़ा झुक जाओ मेरी रानी फिर देखो मेरा कमाल,,,,,
(इतना सुनते ही राधा झुक गई,,, और उसकी गोल गोल गांड और ऊभरकर बाहर आ गई,,, जिससे उसकी गुलाबी बुर साफ नजर आने लगी,,,राधा के गुलाबी पुर जमीदार की नजरों से बच नहीं पाई जमीदार की भी नजर अपनी ही बहू की गुलाबी बुर पर पड़ी तो उसके होश उड़ गएउसे इस अवस्था में भी इस बात का एहसास हुआ कि वाकई में उसकी बहू की बुर बेहद खूबसूरत और हसीन है लेकिन उसे इस बात का अफसोस था कि उसकी इस हालत का फायदा उठाते हुए उसकी आंखों के सामने ही उसकी बहू को गैर लड़का चोदने जा रहा है,,,, उसे अपने बड़े बेटे पर क्रोध आने लगा जो कि एकदम निकम्मा और निकला थाअगर वह अपनी औरत का ख्याल रखता तो शायद उसे यह दिन देखना नहीं पड़ता,,,, रघु कमल राधा की बुर को चाटने को कर रहा था लेकिन उसके पास समय नहीं था इसलिए वह राधा को चोदना चाहता था,,,।

देखते ही देखते रघु अपने खड़े लंड को राधा की गुलाबी बुर में अंदर तक डाल दिया,,,, राधा एकदम से सिहर उठी राधा उसके लंड को अपनी बुर की गहराई तक महसूस कर रही थी यहां तक कि उसे उसके लंड का सुपाड़ा अपने बच्चे दानी के ऊपर महसूस हो रहा था,,, इसलिए वो और ज्यादा उत्तेजित हो रही थी,,,।


देखो मालिक मैं तुम्हारी आंखों के सामने कैसे तुम्हारी बहू की जबरदस्त चुदाई करता हूं और साथ ही तुम्हें तुम्हारा पोता भेंट में दूंगा यह मेरा वादा है,,,(और इतना कहने के साथ ही रघु की कमर तेज रफ्तार से आगे पीछे होने लगी वह साड़ी को कमर तक उठाए हुए उसकी कमर को पकड़ कर चुदाई करना शुरू कर दिया,,,,फच्च,, फच्च की आवाज से जमीदार का कमरा गूंजने लगा,,, राधा की केले के समान मांसल जांघें रघु की जांघों से टकराकर एक अद्भुत आवाज पैदा कर रही थी,,,, राधा की गरम सिसकारी पूरे कमरे में गुंजने लगी,,,,,, राधा एक दम मस्त हो चुकी थी,,, तकरीबन जमीदार के कमरे में जमीदार की आंखों के सामने रघु आधा घंटा तक उसकी बहू की चुदाई करता रहा,,, अपने ससुर के सामने संभोग करते हुए राधा उत्तेजना के मारे जल्दी ही झड़ चुकी थी लेकिन रघु की सूझबूझ से या फिर से तैयार हो चुकी थी और अंत में दोनों एक साथ अपना पानी निकाल कर झड़ गए,,,, रघु अपने लंड की पिचकारी को,, राधा की बुर में पूरी तरह से खाली करने के बाद ही बाहर निकाला,,,, राधा एक दम तृप्त हो चुकी थी राधा ऐसी गरमा गरम चुदाई के कारण पसीने से तरबतर हो चुकी थी,,,, राधा अपने कपड़ों को दुरुस्त करके,,, हाथ मुंह धोने के लिए चली गई और रघु अपने पजामे को पहन कर उसकी डोरी को बांधते हुए,,, जमीदार से बोली,,,।

देख लिया जमीदार मुझ से टकराने का नतीजा मेरा अपमान करने का बदला मैं तुझसे रोज लूंगा तु तील-तील मरेगायही तेरी इस हवेली में तेरे कमरे में तेरी आंखों के सामने ही तेरी बीवी की रोज चुदाई करूंगा,,,, तेरी बहू को भी रोज अपने लंड की शैर कराऊंगा मादरचोद,,,,
(और ऐसा कहकर रघु उसके कमरे से बाहर निकल गया कुछ ही देर में राधा भी वहां पर आ गई और रघु वहीं खड़ी तांगा को बाहर निकाला और राधा को उसमें बैठने के लिए बोला,,, थोड़ी ही देर में वह दोनों मंदिर पर पहुंच गए,,, उन्हें देखकर जमीदार की बीवी बोली,,,)

इतनी देर कहां लगा दीए तुम दोनों,,,,,, विवाह संपन्न होने वाला है,,,


बाबूजी ठीक से दूध नहीं पी पा रहे थे,,, इसलिए देर हो गई,,,



चलो कोई बात नहीं अच्छा हुआ समय से पहुंच गए,,,,


रघु भी वहीं खड़ा हो गया तभी उसे सामने से कोमल आती हुई नजर आई और वह मुस्कुराने लगा और तुरंत,,, कोमल के पास पहुंच गया,,,,


अच्छा हुआ तुम्हारा ही तुम्हारा इंतजार कर रहा था,,,


तुम बुलाओ और मैं ना आऊं कैसे हो सकता है,,,,


तुम्हारे ससुर जी,,,,



उनका नाम मत लो मेरे सामने,,, वह ससुर नहीं हैवान है,,,।


चलो उसका नाम नहीं लेते हैं,,,, लेकिन आ जाओ मंडप के पास बैठो मैं और प्रबंध देख कर आता हूं,,,(इतना कहकर रघु इधर उधर का इंतजाम देखने चला गया और कोमल मंडप के पास आकर बैठ गई,,,।


तुम कब आई बेटी,,,,(जमीदार की बीवी राधा को देख कर बोली)


अभी अभी आ रही हूं,,,,,


अच्छा हुआ कि तुम भी आ गई,,, समधी जी नहीं दिख रहे हैं,,,,


वह सुबह से कहीं गए हैं,,,


ठीक है कोई बात नहीं,,,,

(थोड़ी ही देर में विवाह संपन्न हो गया,,,, इसके बाद भोजन का प्रबंध कराया गया जहां पर सब लोग बैठ कर बड़े ही आराम से भोजन ग्रहण किए और विदाई की बेला पर कजरी की आंखें नम हो गई,,,,विवाह समारोह सादगी में हुआ था लेकिन फिर भी बड़ी मालकिन ने डोली का बंदोबस्त की थी ताकि उनकी बहू डोली में बैठकर उनकी हवेली तक जाएकजरी अपनी बेटी को डोली में बैठी हुई देखकर खुशी से फूले नहीं समा रही थी बारी बारी से गांव की औरतें चालू करो आशीर्वाद के साथ साथ भेंट उपहार दे रहे थे,,,, थोड़ी देर में कहांर डोली उठाकर हवेली की तरफ चल पड़े सब लोग एक दूसरे से विदा लिए,,,
Jabardast update mitr
 
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Nevil singh

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विवाह शांतिपूर्वक और अच्छे से संपन्न हो चुका था कजरी और गांव की औरतें शालू को विदा करके नम आंखों के साथ गांव लौट गई थी कहार डोली उठाए हवेली की तरफ जा रहे थे और,,, जमीदार की बीवी और बहू को हवेली छोड़ने के लिए रघु तांगा तैयार कर रहा था कोमल भी वहीं पास में खड़ी थी,,, क्योंकि रास्ते में उसे भी घर छोड़ते हुए जाना था,,,,

आज कैसा लग रहा है रघु तुम्हें,,,


सच कहूं तो मालकीन आज ऐसा लग रहा है कि दुनिया की सारी खुशियां मेरी झोली में आ गई हो,,, और यह सब केवल आपकी वजह से हुआ है,,,।


मेरी वजह से नहीं इन सब में तेरा भी हाथ है,,,, सच कहूं तो सिर्फ तेरी वजह से ही यह शादी संपन्न हुई है,,,
(यह बात मालकिन सच ही कह रही थी और रघु और राधा भी इस बात को अच्छी तरह से समझ रहे थे क्योंकि भले ही यह शादी शालू की थी लेकिन शालू की शादी के साथ साथ रघु राधा और बड़ी मालकिन का भी गठबंधन हो चुका था और हमेशा के यह साथी तो केवल एक बहाना था और इस लालच का केंद्र बिंदु था रघु जिसके मर्दाना ताकत के आगे हवेली की बहूएं अपने घुटने टेक चुकी थी,,,। और हमेशा के लिए उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लालच की वजह से ही आज जबरजस्ती इस शादी को करवाई और अपने ही पति को पूरी तरह से अपाहिज बना दी,,,,)

यह तो आपका बड़प्पन है मालकिन,,, वरना इस नाचीज की हैसियत क्या थी,,,?(घोड़े को तांगे में फंसाते हुए बोला,,)


तुम ना चीज नहीं हो तुम बहुत ऊंची चीज हो,,,(जमींदार की बीवी हंसते हुए तांगे पर अपना एक पैर रखकर चढ़ते हुए बोली,,, इसके बाद एक-एक करके राधा और कोमल भी बैठ गए रघु तांगे को हांक कर आगे बढ़ा दिया,,,,)

जैसा सोची थी उससे भी कहीं अच्छी तरीके से यह शादी संपन्न हो गई,,,, भोजन का प्रबंध भी बहुत ही अच्छा था,,।

ठीक कह रही हो मां जी,,, भोजन तो मुझे बहुत स्वादिष्ट लगा,,, और तुम्हें कोमल,,,,


हां,,,,, हां हां,,,, बहुत अच्छा प्रबंध था,,,(इतना कहकर कोमल शांत हो गई,,, उसका मन अपने आप से ही जूझ रहा था उसका मन शांत नहीं था वह अपने ससुर के बारे में ही सोच रही थी,,, ऊसे इस बात का डर था कि कहीं घर पहुंचने पर उसका ससुर उसके साथ फिर से वही हरकत किया तो वह कैसे बच पाएगी अपनी जिंदगी के बारे में सोच कर वह दुखी हो रही थी,,,, तांगा अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रहा था,,, रास्ते में शालू की डोली भी मिली जिसके साथ पैदल ही बिरजू साथ साथ में चल रहा था,,,, बड़ी मालकिन को घर पहुंच कर अपनी बहू के स्वागत का सारा प्रबंध करना था,,, इसलिए वह भी डोली से पहले ही घर पहुंचना चाहती थी,,, तांगे में बैठकर और वह भी रघु के साथ जमीदार की बीवी को बहुत दिन याद आने लगा जब इसी तरह से रघु तांगे में बैठा कर उसे उसके मायके लेकर जा रहा था उस दिन के लिए जमीदार की बीवी भगवान का शुक्रिया अदा कर रही थी क्योंकि अगर उस दिन तांगा लेकर रखो उसके मायके नहीं जाता तो शायद उसे रघु कभी नहीं मिल पाता उसे सब कुछ याद आ रहा था किस तरह से सारी रात घने जंगल में रघु टांगे के अंदर ही उसके सारे कपड़े उतार कर उसे एकदम नंगी करके रात भर उसकी चुदाई किया था औरत और लालटेन की रोशनी में उसे तांगे के करीब झाड़ियों के बीच पेशाब करने के लिए उसका सहारा बना था और उसे पेशाब करता हुआ देखकर किस तरह से रघु की हालत ज्यादा खराब हो गई और वह वहीं पर डाली पर लालटेन को टांग कर वही झाड़ी में खड़े-खड़े ही उसकी भरपूर चुदाई किया,,, और तो और मायके में भी जमकर उसकी चुदाई किया,,, यह सब याद करके जमीदार की बीवी की बुर गीली होना शुरू हो गई थी,,,।

रास्ते में ही कोमल का घर पड़ता था कोमल के घर के सामने तांगा रोककर रघु उसे वही उतार दिया और उसे देखकर एक मुस्कान अपने होठों पर लाकर आगे बढ़ गया,,, थोड़ी ही देर में रखो तांगा लेकर हवेली पहुंच चुका था,,, और थोड़ी ही देर में सास बहू दोनों शालू का स्वागत करने के लिए परंपरा गलत तरीके से सारी तैयारी कर ली और थोड़ी देर बाद ही डोली भी घर पर पहुंच गई जिसमें से राधा शालू को नीचे उतार कर उसे घर के अंदर प्रवेश करने की रीति रिवाज निभाने लगी,,, बिरजू बहुत खुश था,,, क्योंकि वह भी शालू के साथ ही शादी करना चाहता था और,,, आज उसके मन की हो गई थी,,,,


थोड़ी ही देर में गृह प्रवेश की बीवी पूरी हो गई और जमींदार की बीवी अपने बेटे और बहू को अपने पति के कमरे में उनका आशीर्वाद लेने के लिए ले गई,,, जमीदार अपने बेटे को शालू के साथ देख कर क्रोध से भर गया उसे यह शादी कतई मंजूर नहीं थी लेकिन विवश था लाचार था कर भी क्या सकता था,,, शालू और बिरजू दोनों जमीदार के पैर छूकर आशीर्वाद दिया लेकिन आशीर्वाद देने के लिए जमीदार में बिल्कुल भी ताकत नहीं थी और शायद आशीर्वाद देता भी नहीं,,,,।

ठीक है बेटा बिरजू,,,, बहू को अपने कमरे में लेकर जाओ,,, राधा तुम थोड़ा इन दोनों को खाने का प्रबंध करो,,,, दोनों थक गए होंगे,,,।


ठीक है माजी,,(इतना कह कर राधा अपने देवर बिरजू और अपनी देवरानी सालु को उनके कमरे में लेकर जाने लगी,,,, जमीदार के बीवी जमींदार को तिरछी नजरों से देखते हुए अपने होठों पर कुटिल मुस्कान लाते हुए बोली,,,)

देख लिया ना जमींदार साहब आज तुम्हारी मन की नहीं बल्कि मेरे मन की हुई है आखिरकार शालू इस घर में बहू बनकर आ ही गई और कर क्या लिए तुमने शिवाय खटिया तोड़ने के,,,, हरामजादी तूने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी मैं भी तुझे थोड़ा-थोड़ा करके मारूंगी ताकि तुझे इस बात का एहसास हो कि अपनी हवस के चलते किसी लड़की की जिंदगी बर्बाद नहीं की जाती उनके अरमानों का उनके सपनों का गला नहीं घोटा जाता,,,,,,, इतना तो जानते ही होगे कि आज की रात हमारे बेटे बिरजू और सालु की सुहागरात है,,,(ऐसा कहते हुए जमीदार की बीवी दरवाजे की तरफ आगे बढ़ी और दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा दी और वापस पलंग की तरफ आते हुए बोली) एक तरफ हमारा बेटा हमारी बहू के साथ सुहागरात मनाएगा और उससे पहले तुम्हारी बीवी अपने इस यार के साथ,,(रघु के गले में अपनी दोनों बाहें डालते हुए,,) इसी कमरे में तुम्हारी आंखों के सामने सुहागरात मनाएगी,,,, क्यों रघु चोदोगे ना मुझे,,(अपनी नाजुक उंगली को रघु के होठों पर फिराते हुए)


इसमें पूछने वाली क्या बात है मालकिन,,,(और इतना कहने के साथ ही एक बार फिर से रघु दम दिखाते हुए जमीदार की बीवी को जमीदार की आंखों के सामने ही उसे अपनी गोद में उठा लिया और उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया,,,, और देखते ही देखते दोनों के बदन से वस्त्र कब उतर कर नीचे जमीन पर बिखर गए शायद इस बारे में दोनों को भी पता नहीं चला और रघु जमीदार की आंखों के सामने ही अपने मोटे खड़े लंड को उसकी बीवी की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,, और तब तक चलता रहा जब तक कि उसका गरम पानी पूरी तरह से निचुड़ कर जमीदार की बीवी की बुर में ना ऊतर गया,,,,।


दूसरी तरफ कोमल अपने कमरे में आराम कर रही थी कि तभी घर के पीछे वाला दरवाजा खुला और से दरवाजा खुलने की आहट हो गई उसे पता चल गया कि उसके ससुर घर पर आ चुके हैं लेकिन कदमों की आहट कुछ ज्यादा ही थी वह अपने कमरे से बाहर निकल कर चोरी से खिड़की से बाहर की तरफ देखी तो लाला अपने 3 आदमियों के साथ कमरे में बैठा हुआ था और शराब पी रहा था और वह तीनों की शराब पी रहे थे लाला के चेहरे से पता चल रहा था कि वह कितना क्रोध में था,,,, वह शराब के गिलास को होठों से लगाते हुए बोला,,,)


लानत है मुझ पर वह हराम का पिल्ला मेरी सारी बाजी को पलट दिया,,, नहीं छोडूंगा उस हरामजादे को,,, मैं अपने अपमान का बदला उससे लेकर रहूंगा,,, समझता क्या है मादरचोद,,,,(इतना कहकर गिलास की सारी शराब एक ही सांस में अपने गले के नीचे उतार ले गया,, कोमल अपने ससुर का यह रूप देखकर एकदम से घबरा गई थीं,,, उसके साथ ही में शराब पीकर एकदम हैवान हो चुके थे जिसमें से एक बोला,,,)


मालिक आपका अपमान मतलब हमारा अपमान है,,, इसका बदला हम जरूर लेंगे,,, कहो तो साले को उसकी औकात याद दिला दें,,, उसके हाथ पाव तोड़कर अपाहिज करते या फिर उसे जान से ही मार दें,,,,( शराब का घूंट भरता हुआ वह बोला,, तभी दूसरा आदमी बोला,,,)

यह सच कह रहा हूं आज तक गांव में गांव में तो क्या क्या ओके 20-20 कोस तक जितने भी गांव हैं किसी ने भी आपकी तरफ नजर उठाकर देखने की हिम्मत नहीं की और यह साला कुत्तिया का पिल्ला,,, इतना बड़ा अपमान कर गया इसका बदला तो लेना ही होगा मालिक,,,,


हां हां हमें यह बदला लेना ही होगा उसे ऐसी मौत मारेंगे कि सात जन्म तक याद रखेगा,,(तीसरा भी सुर में सुर मिलाता हुआ बोला,,, कोमल खिड़की की ओट में से सब कुछ देख भी रही थी और सुन भी रही थी,,, उसे घबराहट हो रही थी,,,)

मैं मारूंगा उसे अपने हाथों से,,,, जब तक उसे मार नहीं लूंगा तब तक मुझे चैन नहीं आएगा,,,,(लाला क्रोधित होता हुआ बोला,, और यह बात कोमल के कानों में पड़ते ही उसके होश उड़ गए वह समझ गई कि रघु बहुत बड़ी खतरे में है उसका दिल बैठा जा रहा था,,,, क्या करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,)


लेकिन मालिक,,,, ऐसे ही मार देंगे तो कुछ मजा नहीं आएगा,,, उसे बेइज्जत करके मारेंगे,,,,


कैसे,,,,?(दूसरा आदमी बीच में बोल पड़ा)



मालिक की नजर ना जाने कब से रघु की मां कजरी पर है,,, मालिक कजरी के जवानी का रस पीना चाहते हैं,,,(वह आदमी लाला की तरफ देखता हुआ बोला जो कि कुछ सोचते हुए शराब का घूंट पी रहा था,,,)


तब तो यही मौका ठीक रहेगा मालिक,,,(दूसरा आदमी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)


हां हां,,,,मालिक बदला लेने में इंतजार करने की जरूरत नहीं है आज की ही रात दील के सारे अरमान पूरे कर लो मालिक,,,, रघु को मौत की नींद सुला दो और उसकी मां के साथ अपने तन की प्यास बुझा लो,,,,,,,,


तु ठीक ‌कह रहा है,,,,,, आज की रात बहुत खास है आज की रात उस हरामजादे की बहन की सुहागरात है वहां हमारे समधी का लड़का उस हरामजादी के साथ सुहागरात मनाएगा और मैं उस हरामजादे की मां के साथ सुहागरात मनाऊंगा,,, और उसके बाद अपने हाथों से उस रघु को मौत के घाट उतारुंगा,,,, तब जाकर मेरे मन की भड़ास मिटेगी,,,,



तो देर किस बात की है मालिक हमें इजाजत दो,,,, हम उसकी मां को लाकर आपके कदमों में डाल देते हैं,,,,


कर पाओगे,,,,(लाला आश्चर्य जताते हुए बोला)


क्यों मालिक अब तक नहीं करते आए हैं क्या,,, जिस किसी औरत पर आपका दिल आया है आप के इशारे पर तब तब उठाकर आपके कदमों में डाल दिया है,,, कजरी को भी उठा कर लाएंगे,,,,,


मुझे तुम लोगों पर भरोसा है,,,, ऐसा ही करना है,,, आज की रात कजरी को मेरे पास लेकर आना,,, आज की रात में कजरी को जी भर कर चोदूंगा,,,,, और यह बात रघु को पता चलनी चाहिए,,, कि मैं रात भर उसकी मां की चुदाई किया हूं,,,, यह खबर सुनते ही वह पागल हो जाएगा,,,, शर्मिंदा हो जाएगा अपनी नजरों में ही गिर जाएगा और उसके बाद फिर रघु को इस दुनिया से अलविदा कर देंगे,,,,(हाथ में शराब का ग्लास लिए लाला मन में कल्पना करते हुए बोला,,, कोमल यह सुनकर हैरान रह गई वह कभी नहीं चाहती थी कि रघु पर या रघु के परिवार पर किसी तरह की मुसीबत आए,,,,,,,)


जाओ और देखना किसी को कानों कान खबर ना पड़ जाए बड़ी चालाकी से और सफाई से यह काम करना और उस कजरी को नहर के पास वाले घर में लेकर आना,,, बगीचे वाले घर का पता रघु को अच्छी तरह से मालूम है,,,, जाओ जल्दी जाओ,,,(लाला अपने आदमियों को जल्दी से यह काम पूरा करने के लिए बोला और वो लोग भी अपने मालिक की बात मानते हुए सलाम करके घर से बाहर निकल गए,,,, तभी बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई देने लगी,,,, बारिश होने वाली थी ,,,, लाला बारिश का अंदेशा जानकर कोने में पड़ी छतरी उठाया और घर से बाहर निकल गया उसकी बातें सुनकर कोमल समझ गई कि वह कहां जा रहा है,,,, कोमल के दिल की धड़कन बढ़ने लगी रघु के परिवार के साथ बहुत गलत होने जा रहा था,,, जिसे कोमल रोकना चाहती थी,,,वह खबर जल्द से जल्द रघु के पास पहुंचाना चाहती थी लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था वह जानती थी कि समय रघु कहां है इसलिए हिम्मत करके बस घर से बाहर निकलते चारों तरफ अंधेरा था आसमान में काले बादल मंडरा रहे थे किसी भी वक्त तेज बारिश शुरू होने वाली थी यह सब की फिक्र किए बिना कोमल लगभग भागते हुए हवेली की तरफ जाने लगी,,, जहां पर रघु हवेली से निकलने की तैयारी में था,,, रघु तृप्त हो चुका था अपनी बहन की सुहागरात से पहले वह अपनी बड़ी मालकिन के साथ सुहागरात मना चुका था,,,, जाते-जाते शालू उससे मिलने के लिए आई और उसकी आंखों में आंसू आ गए,,,, रघु माहौल को खराब नहीं करना चाहता था,,,,,, इसलिए उसका मन बनाने के लिए धीरे से उसके कान में बोला,,,।


दीदी जीजा जी एकदम नादान है जो कुछ भी करना है तुम्हें ही करना है अच्छे से सुहागरात मनाना,,,,(रघु कि यह बात सुनते ही सालु के चेहरे पर शर्म की लाली छाने लगी और वह ना चाहते हुए भी मुस्कुरा दी,,, जमीदार की बीवी उसे रोकना चाहती थी और रात भर उसके साथ मस्ती करना चाहती थी लेकिन अब जानता था कि घर पर उसकी मां अकेली है और शालू को विदा करने के बाद उसकी मां को संभालने वाला भी चाहिए था इसलिए वह घर जाना चाहता था आखिरकार वह सब से विदा लेकर घर से बाहर निकल गया बाहर का वातावरण देखकर वह समझ गया कि बारिश होने वाली है इसलिए जल्दी जल्दी अपने पांव अपने घर की तरफ आगे बढ़ाने का कुछ दूरी पर गया था कि बारिश शुरु हो गई और वह भी बड़े जोरों के साथ बादलों की गड़गड़ाहट तेज हवा के साथ बारिश होना शुरू हो गई थी,,,
कोमल खबर आ जाए इस तरह की तूफानी बारिश से हमेशा उसे डर लगता था लेकिन वह हिम्मत करके आगे बढ़ती रही क्योंकि यह खबर रघु तक पहुंचाना बेहद जरूरी था,,। वह मन में भगवान का नाम लेकर आगे बढ़ती रही,,,बरसात के पानी में वह पूरी तरह से देख चुकी थी देखते ही देखते चारों तरफ पानी ही पानी नजर आने लगा उसे ठंड भी लग रही थी लेकिन हवेली पर पहुंचना जरूरी था दूसरी तरफ से रघु अपनी मस्ती में चला आ रहा था,,,,तभी उसे दूर से कोई साया उसकी तरफ बढ़ता हुआ नजर आने लगा वह एक पल के लिए खड़ा हो गया किस तूफानी बारिश में सुनसान जगह पर यह कौन चला आ रहा है,,, जैसे-जैसे वह साया नजदीक आता जा रहा था वैसे वैसे रघु के मन में थोड़ी घबराहट होने लगी थी,,, भूत प्रेतों की बातें व कहानियां बुजुर्गों से सुन चुका था लेकिन कभी उन्हें अपनी आंखों से देखा नहीं था उसे लगने लगा था कि शायद वह सच में आज किसी भूत को देख रहा है जैसे-जैसे बसाया नजदीक आने लगा वैसे वैसे रघु को यह एहसास होने लगा कि वह शायद किसी औरत की है और औरत का ख्याल आते ही उसे चुड़ैल का भ्रम होने लगा,,,,कोमल कुछ देख नहीं रही थी बस आगे बढ़ी जा रही थी और एकाएक एकदम से रघु से टकरा गई,,,, अपने बेहद करीब कोमल को देखते ही बार उसे पहचान लिया और अपने दोनों हाथों से उसे थाम लिया वरना वह गिर जाती,,,,।


कोमल तुम यहां कर रही हो इतनी तूफानी बारिश में,,,,


मैं तुम्हें ही पुरानी आ रही थी रघु,,,,



मुझे लेकिन क्यों और अभी इतनी तूफानी बारिश में ऐसी कौन सी बात हो गई थी जो तुम मुझे बुलाने के लिए ऐसी तूफानी बारिश में घर से बाहर निकल गई,,,,,


क्या करूं रघु बात ही कुछ ऐसी हो गई थी,,,,


कैसी बात मुझे ठीक से समझाओ,,,,?



रघु,,, रघु,,,, मेरे ससुर है ना,,, अपने आदमियों को तुम्हारी मां को उठा लाने के लिए भेजें है,,,,


मेरी मां को लेकिन क्यों,,,(रघु हैरान होता हुआ बोला)


तुम से बदला लेना चाहते है,,,,मेरे ससुर तुम्हारी मां के साथ गंदा काम करना चाहते हैं,,,उसके बाद तुम्हें बेइज्जत करके तुम्हें मारने का षड्यंत्र बनाया है,,,,(रघु को सारी बात समझ में आ गई,,, बस इस बात का एहसास हो गया कि उसकी मां के साथ भी लाला वही करना चाहता है कि दूसरी औरत के साथ करता रहा है रघु का खून खोलने लगा वह किसी भी तरह से अपनी मां को बचाना चाहता था,,,,।)

कहां है लाला,,,(रघु गुस्से में चिल्लाते हुए बोला) उसी आम के बगीचे वाले घर में ना,,,,


नहीं नहीं रघु वहां नहीं,,, मैं उसके मुंह से सुनी थी कि बगीचे वाले घर को तुम अच्छी तरह से जानते हो वह अपने आदमियों को तुम्हारी मां को नाहर के पास वाले घर में लाने के लिए बोल कर गया है,,,,


और उसके आदमी,,,,


तुम्हारे घर की तरफ निकले हैं,,,,


यह कब की बात है,,,,


अभी अभी कुछ देर पहले की है,,,,


कोमल अच्छा हुआ तुम मुझे यह सब बातें बता दी तुम्हारा एहसान में जिंदगी भर नहीं बोलूंगा तुम घर चली जाओ,,,, आज लाला के बच्चे का आखिरी दिन है,,,,, लाला हरामजादे मैं आ रहा हूं,,,,(रघु गुस्से में चिल्लाते हुए अपने घर की तरफ तेज बारिश में भी भागता हुआ चला गया,,, वही सोच रहा था कि शायद वो लोग अभी उसके घर ना पहुंचे हो लेकिन जब वह घर पर पहुंचा तो उसकी मां घर पर नहीं थी उसके पहुंचने से कुछ देर पहले ही लाला के आदमी कजरी को उठाकर घर से ले जा चुके थे तेज बारिश हो रही थी इसलिए अगल-बगल पास पड़ोस में किसी को भनक तक नहीं लगी,,,,घर पर अपनी मां को ना पाकर रघु एकदम से गुस्से में आग बबूला हो गया,,, ना चाहते हुए भी उसके मन में गंदे गंदे ख्याल आ रहे थे और उसके ख्यालों में उसे वही तिरछी नजर आ रहा था जब वह आम के पेड़ पर चढ़कर खिड़की में से घर के अंदर का नजारा देख रहा था उसे उस औरत की जगह अपनी मां नजर आ रही थी और उसे नजर आ रहा था कि लाना उसकी मां की दोनों टांगों के बीच में जगह बनाकर उसकी मां की चुदाई कर रहा है ,,, और यह ख्याल मन में आते ही रघु का गुस्सा और ज्यादा पड़ गया और वह घर में पड़ी कुल्हाड़ी जो कि एकदम तेज धारदार थी उसे उठा लिया और उसे लेकर भागते हुए नहर वाले घर की तरफ जाने लगा,,,,
लाला के आदमी कजरी को जल्दी जल्दी लेकर चले जा रहे थे उनमें से एक आदमी कजरी को अपने कंधे पर उठाया हुआ था जोकि भागते हुए भी कजरी की बड़ी बड़ी गांड को दबाने के अपने लालच को रोक नहीं पा रहा था और बार-बार कजरी की गांड को दबा रहा था,,,, कजरी छटपटा रही थी उसके हाथों में से छूटने के लिए,,, लेकिन लाला के आदमी बहुत ही मजबूत थे,,, वह किसी भी हाल में कजरी को अपनी पकड़ से छूटने नहीं देते,,,,


आज तो मालिक को मजा आ जाएगा,,,, जब इसकी चुदाई करेंगे,,,,(साथ में चल रहा है एक आदमी बोला तभी दूसरा आदमी भी सुर में सुर मिलाते हुए बोला)

हां यार जिस तरह से लाला की नजर,,, रघु की मां कजरी पर ना जाने कब से थी,,, में भी ईसके खूबसूरत बदन को देखकर इसका दीवाना हो गया था,,,, मैं भी ईसको चोदना चाहता थालेकिन अपने मालिक की नजर इस पर थे इसलिए मैं ऐसा करने से डरता था कि कहीं मालिक को पता चल गया तो ,,,,


तू चिंता मत कर,,,, कजरी को तो मैं पहली बार देख रहा हूं,,, इसको देख कर ही मेरा बुरा हाल है,,,, देख ईसकी गांड कितनी बड़ी बड़ी है,,,(कजरी को अपने कंधे पर उठाए हुए ही वह कजरी की गांड को जोर-जोर से दबाते हुए बोला,, यह देख कर दूसरे दोनों की भी हालत खराब होने लगी कजरी को सारा मामला समझ में आ गया था लाला की नजर ना जाने कब से उसके ऊपर थी और आज उसकी नसीब खराब थी जो उसके हाथ लग गई थी वह मन में भगवान से प्रार्थना करने लगी कि उसकी इज्जत बचा ले लिखित बेबस थी इतनी भयंकर बारिश में तूफान ने उसे बचाने वाला भला कौन आ सकता था,,,)

तू सच कह रहा है इसकी गांड देख कर ही तो मेरा लंड खड़ा हो जाता था,,, आज मालिक को एकदम शुद्ध माल मिला है देखना आज मालिक तृप्त हो जाएंगे रात भर इसकी चुदाई करेंगे,,,,


यार तेरी बात सुनकर मेरे मन में ख्याल आया है तुम लोग का हो तो बताऊं,,,,(कजरी को कंधे पर उठाए हुए ही वह जल्दी-जल्दी चलते हुए बोला,,,)


बता क्या ख्याल आया है,,,,


यार मैं सोच रहा था कि अपने मालिक तो इसको चोदने वाले ही नहीं किसी भी हाल में इस को छोड़ेंगे नहीं,,, इसलिए मैं सोच रहा था कि मैं मालिक के पास पहुंचा आने से पहले इस तूफानी बारिश का फायदा उठाकर यहीं कहीं पर हम तीनों मिलकर इसकी चौड़ाई करके मजा लेने इसके बाद मालिक के पास ले जाएंगे,,,


तेरा कहना तो एकदम सच है लेकिन इसमें बहुत खतरा है,,,



नहीं नहीं ऐसा करने की सोचना भी नहीं,,,, अगर मालिक को पता चल गया तो रघु के साथ साथ हम तीनों को भी जिंदा गाड़ देंगे,,,
( रघु का जिक्र आते ही कजरी के होश उड़ गए,,, उसका दिल बैठने लगा,,,)

क्या किया तुम लोगों ने रघु के साथ,,,, बोलो क्या किया तुम लोगों ने,,,,


अभी तक तो कुछ नहीं किया है लेकिन बहुत ही जल्द रघु की हालत खराब होने वाली है,,,,


हराम जादो मेरे रघु की तरफ आंख उठाकर भी मत देखना,,,,


नहीं तो क्या कर लेगी पहले अपनी इज्जत बचा,,,,


मैं तो कहता हूं यह जो कह रहा है बिल्कुल ठीक कह रहा है मालिक के पास ले जाने से पहले अपने तीनों मिलकर इसकी चुदाई करके मजा ले लेते हैं,,, कजरी जैसी खूबसूरत औरत पूरे गांव में नहीं है,,,, और वैसे भी यहां पर हम तीनों केस की चुदाई कर लेंगे तो मालिक को इस बात की भनक तक नहीं लगेगी,,, क्यों सच कह रहा हूं ना,,,
(कजरी उसकी बात सुनकर एकदम से घबरा गई किसी भी हाल में आज उसकी चुदाई होना निश्चित था,,,वह अपने मन में सोचने लगी कि अगर लाला के पास कहीं तो केवल लाला ही उसको चोदेगा,,, लेकिन उससे पहले यह तीन मिलकर इस की चुदाई करेंगे और तीनो के तीनो एकदम सांड की तरह थे,,, यह सोचकर ही कजरी एकदम से घबरा गई,,,)


हां मेभी तो यही कह रहा था,,,(कंधे पर उठाए हुए ही वह एक बार फिर से कजरी की गांड को जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,, लेकिन इस बार वह कजरी की साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर उठाते हुए उसकी कमर तक ला दिया और उसकी नंगी गांड को जितना हो सकता था उसने अपनी हथेली में भर-भर कर उसकी गांड को दबाने का मजा लूटने लगा,,,जिस तरह से वह जोर जोर से कजरी की गांड को दबा रहा था कजरी को दर्द हो रहा था,,, उसकी नंगी गांड को उसके दोनों साथी देख कर मजा ले रहे थे,,,ऊन दोनों में से एक बोला,,,)

यार मुझसे रहा नहीं जा रहा है मेरा भी बहुत मन कर रहा है इसको चोदने का इसको उतार यहीं पर इसकी चुदाई करते हैं,,,, मालिक को कानो कान खबर नहीं पड़ेगा,,,, वैसे भी हमसे बताएगा कौन हम तीनो में से कोई भी तो बताएगा नहीं,,,,


मैं बताऊंगी हरामजादों मैं सब कुछ लाला को बता दूंगी,,,,

(कजरी की बात सुनते ही तीनों हैरान रह गए,,, इस बारे में उन तीनों ने सोचा भी नहीं था लेकिन उसकी बात सुनते ही,, उन तीनों का मजा लेने का विचार ज्यादा रहा तीनों के होश उड़ गए,,,, उनमें से एक कजरी की कांड पर चपत लगाते हुए उसे ज़ोर से हथेली में भरते हुए बोला)


हरामजादी तुझे बहुत मालिक से चुदवाने का शौक चढ़ा है,,, हम तीनों का भी ले लेगी तो कुछ बिगड़ नहीं जाएगा,,,


नहीं मैं लाला को सब बता दूंगी,,,,


अब क्या होगा,,,,?


अब क्या होगा,,,, लेकर चलते हैं उसे लाला के पास,,, पहले लाला उसके बाद हम तीनों का नंबर तो लगने हीं वाला है,,,, साले छिनार,,,(एक बार फिर से उसकी गान्ड पर चपत लगाते हुए) हरामजादी भोसड़ा चोदी,,, तुझे क्या लगता है कि तेरी बुर हमें चोदने को नहीं मिलेगी जरूर मिलेगी लेकिन मालिक के चोदने के बाद,, समझ गई ना,,,,
(इतना कहकर वह तीनों तूफानी बारिश में हंसते हुए आगे बढ़ने लगे,,,, लाला नहर के पास वाले घर पर पहुंच चुका था बारिश बहुत तेज हो रही थी नहर के पास वाले घर में हर चीज का इंतजाम था वहां पहले से ही शराब की बोतलें रखी हुई थी जो कि लाला बोतल खोल कर धीरे-धीरे शराब का सेवन कर रहा था और बेसब्री से रघु की मां कजरी का इंतजार कर रहा था,,,)
Shaandaar update bhai
 
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Jassybabra

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