Yash maurya
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Bhai kajri ko bhi chudwao
Usi ke intezaar me muth nhi maar pa rha h m
Usi ke intezaar me muth nhi maar pa rha h m
Lovely update bhaiनहर के किनारे हड़कंप मचा हुआ था,,,, लाला और उसके तीनों साथी की लाश कीचड़ में सनी हुई थी,,, गांव वाले यह मंजर देख कर हैरान हो गए थे उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि लाना जैसे शैतान का भी यह हाल हो सकता है,,,, पूरा गांव इकट्ठा हो चुका था रघु भी दूसरों की तरह आश्चर्य जता रहा था,,,, जमीदार की बीवी भी वहां पहुंच चुकी थी और साथ ही अपने ससुर की मौत की खबर सुनते ही कोमल भी वहां पहुंच चुकी थी कोमल अपने ससुर की लाश देख कर हैरान हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रोए यहां से जिंदगी में उसने पहले कभी इस तरह का डरावना दृशय नहीं देखी थी,,,, पास में ही रघु खड़ा था,,, रघु की तरफ देखते ही उसे सारा मामला समझ में आ गया था वह समझ गई थी कि इन चारों की इस तरह की हरकत करने वाला रघु ही है लेकिन उसे भी आश्चर्य था कि रघु जैसा लड़का इतनी हिम्मत कैसे रख सकता है,,,। रघु और कोमल दोनों की नजरें आपस में मिली,,, आंखों ही आंखों में दोनों ने अपने मतलब की बात कर ली,,,, जमीदार की बीवी लाला की हालत देखकर परेशान हो गई थी गांव वालों से पूछने लगी कि यह किसने किया किसकी इतनी हिम्मत हो गई,,,, लाला रिश्ते से उसका समधी जो था,,, आखिरकार किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंच पाना गांव वालों के लिए बड़ा ही मुश्किल काम था,,,,,,,फिर भी इसी नतीजे पर निकलेगी या किसी रंजिश की वजह से किसी ने लाला की यह हालत कर दी,,,, गांव की औरतें लाला की मौत पर खुश नजर आ रही थी क्योंकि वो लोग अच्छी तरह से जानती थी कि लाला अपने आदमियों के सहारे,,, और मेरी मजबूरी का फायदा उठाकर उनके साथ मनमानी करता था,,,, कजरी भी वहां पहुंच चुकी थी अपनी आंखों के सामने अपने बेटे के किए गए कारनामे को देखकर वह मन ही मन अपने बेटे पर फक्र महसूस कर रही थी और इस बात से उसे राहत महसूस हुई थी कि लाल और उसके साथियों की हत्या में उसके बेटे का कहीं भी जिक्र नहीं हो रहा था,,,,, थोड़ी देर बाद भीड छंटने लगी,,,,,,, जैसे-जैसे लाला की मौत की खबर मिलते जा रही थी वैसे वैसे उसके रिश्तेदार इकट्ठा होते जा रहे थे और लाला के साथ साथ उसके 3 साथी के भी रिस्तेदार इकट्ठा हो चुके थे चारों का अग्नि संस्कार किया गया सारी विधि में रघु भी शामिल था और किसी को कानों कान रघु के कारनामे के बारे में भनक तक नहीं लगी,,,,,,
शाम ढलने के बाद सांत्वना देने के लिए रघु कोमल के घर पहुंच गया जहां कुछ देर पहले ही गांव की औरतें कोमल को समझा-बुझाकर वापस अपने घर लौट चुकी थी रघु को देखते ही वह रघु के गले लग कर रोने लगी,,,, उसे चुप कराते हुए रघु बोला,,,।
अपने आप को संभालो कोमल,,,,,,इस तरह से रोती रहोगी तो कैसे चलेगा तुम्हारी भी तबीयत खराब हो जाएगी मैं नहीं चाहता कि तुम्हें किसी भी तरह से तकलीफ पहुंचे तुम रोते हुए मुझे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती,,,,,,
तो हम क्या करें रघु,,,हमें तो यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि अपने ससुर की मौत पर खुश हो या दुखी,,,,
दुखी होने की जरूरत,,,नहीं है कोमल इस तरह से रो कर जिंदगी गुजारने का कोई मतलब नहीं है और वैसे भी अपने ससुर से छुटकारा पाकर तुम्हें तो राहत की सांस लेनी चाहिए थी क्योंकि वह तुम्हारा ससुर नहीं का हैवान था जो तुम्हारी इच्छा से खेलना चाहता था तुम्हें किसी भी वक्त लूट सकता था,,, और यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो एक तरह से मैंने उसे मार कर तुम्हें छुटकारा दिलाया है एक राक्षस के हाथों से तुम्हें बचाया है,,,
लेकिन हम तो इस समय एकदम अकेले पड़ गए एक तो हमारा पति जोकि ना जाने कहां भटक रहा है,,, और ससुर के मरने की खबर सुनकर हमें तो समझ में नहीं आ रहा है,,, सच कहूं तो रघु हमें तो डर लग रहा है,,,,अपने ससुर की मौत ने एक तरह से मेरा भी हाथ है मुझे डर लगता है कि कहीं वह भूत बनकर,,,,,
(इतना सुनते ही रघु जोर जोर से हंसने लगा,,, और हंसते हुए बोला,,,)
अच्छा तो तुम्हारे डरने की वजह यह है,,,,(इतना कहने के साथ ही रखो अपनी बाहों में से कोमल को अलग करते हुए उसके दोनों कंधों को पकड़कर उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोला ,,,,)
अरे पागल भूत और कुछ नहीं होता मैं हूं ना,,,,,,
कब तक रहोगे रघु,,,,
जब तक मेरी धड़कन चलेगी तब तक मैं तुम्हारे साथ रहूंगा,,,,
किस रिश्ते से मेरे साथ रहोगे रघु एक ना एक दिन सारे गांव वालों को पता चल जाएगा उस समय मेरी कितनी बदनामी होगी यह बात का अंदाजा लगाए हो कभी,,,
पति के रिश्ते से,,,,
(रघु के मुंह से इतना सुनते ही कोमल आश्चर्य से रघु की आंखों में देखने लगी क्योंकि वास्तव में उसकी आंखों में ऊसे अपने लिए प्यार नजर आ रहा था,,। कोमल की आंखों में आंसू आ गए,,,, कोमल को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहें,,,,,, रघु की बातें सुनकर वो पूरी तरह से भावनाओं में बहती चली जा रही थी,,, उसके लिए यह पल बेहद हसीन और अनमोल था क्योंकि इस तरह से उसी से किसी ने भी नहीं कहा था रघु की तरह को पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी थी किसी छोटी-छोटी मदद वह करता रहता था और उसके प्रति आकर्षण के चलते वह अपना तन उसे सौंप चुकी थी,,,, रघु उसकी आंखों में देख रहा था,,, कोमल विस्की आंखों में डबडबाई आंखों से देख रही थी,,, कोमल की आंखों में कुछ सवाल है जिनका जवाब वक्त के साथ ही मिलने वाला था लेकिन फिर भी अपने मन की बात कोमल के होठों पर आ ही गई,,,)
रघु हमें डर लग रहा है,,,
किस लिए,,,,
यही तो तुम कह रहे हो क्या समाज इस रिश्ते को स्वीकार करेगा मेरा पति जीवित है या मर गया है इस बारे में कोई नहीं जानता अगर जिंदा है फिर भी एक पति के होते हैं दूसरी शादी कैसे कर सकती हो और अगर मर गया है तो क्या यह एक विधवा के लिए मुमकिन होगा एक कुंवारे लड़के से शादी कर सके,,,,
क्यों मुमकिन नहीं है कोमल,,,, वैसे भी जिंदगी अपने हिसाब से जीनी चाहिए यह समाज के रिश्तेदार यह किसी का दुख दूर नहीं कर सकते किसी का दुख बांट नहीं सकते केवल लोग समाज का डर दिखाकर तुम्हारी जिंदगी और नर्क कर देंगे क्या समाज को पता है कि तुम इतनेबड़े घर की बहू होने के बावजूद भी कितनी दुख सह रही हो पति के प्यार से वंचित हो शरीर सुख से वंचित हो और साथ ही अपने ही ससुर की गंदी नजरों से प्रताड़ित हो चुकी हो क्या समाज ही सब जानता है,,,, नहीं जानता ना तो मैं फिर दूसरों के हिसाब से जिंदगी जीने का क्या फायदा और वैसे भी तुम्हारी उम्र,,,, ही कितनी है,,, सच कहूं तो तुम्हें मेरी बीवी होना चाहिए था जो कि मैं ये कमि अब पूरी करना चाहती हूं तुम्हें अपनी पत्नी बनाना चाहता हूं,,,,,,
सच में रघु क्या ऐसा हो सकता है,,,,
बिल्कुल हो सकता है मेरी कोमल,,,,भगवान लगता है हम दोनों को मिलाने के लिए यह सारी लीला रचे हैं,,,,
ओहहहहह,,, रघु,,,,,(इतना कहने के साथ ही कोमल भावनाओं में बहते हुए रघु के गले लग गई और इसी के साथ ही उसकी दोनों उन्नत चुचियां रघु की छाती से जा टकराई जिसके नुकीले एहसास से रघु पूरी तरह से कामविह्वल हो गया और अगले ही पल वह अपने होठों को कोमल के लाल लाल होठों पर रखकर उसका रस चूसना शुरू कर दिया,,,, पर अपने हाथ को उसकी पेट से नीचे की तरफ लाकर उसकी ऊभरी हुई गांड पर रखकर जोर जोर से दबाने लगा,,,, कोमल भी उत्तेजित होने लगी चुदवासी होकर उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,, पजामे में रघु का खड़ा लंड सीधे साड़ी के ऊपर से ही कोमल की बुर के ऊपर दस्तक देने लगा,,,, रघु और कोमल दोनों एकांत पाकर एकदम से चुदवासे हो गए,,,, रघु जोर-जोर से कोमल की गांड को दबाते हुए साड़ी को ऊपर कमर की तरफ उठाने लगा और देखते ही देखते रहो खूब कोमल की साड़ी को कमर तक उठा दिया और उसकी नंगी चित्र में गांड को अपनी हथेली में लेकर उसकी गर्माहट और नर्माहट दोनों का आनंद लेते हुए जोर जोर से दबाने लगा कोमल भी उसका साथ देते हुए अपने गुलाबी होठों को खोल कर रघु की जीभ को अपने मुंह के अंदर लेकर उसे चाटना शुरू कर दी,,,,,,, दोनों की सांसें तेज चलने लगी रघुउसके लाल-लाल होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथ को ऊपर की तरफ लाकर उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा और देखते ही देखते उसके ब्लाउज के सारे बटन को खोलकर झटके से उसका ब्लाउज एकदम से उसके बदन से अलग कर दिया कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी हो गई और उसके नंगे पन के एहसास को अपनी छातियों पर महसूस करने के लिए अपने कुर्ते को झट से उतार कर कर अपनी नंगी छाती पर कोमल की नंगी छाती को दबा कर उसकी गरमाहट को महसूस करके उत्तेजित होने लगा,,,,,,।
ओहहहह कोमल,,,, क्या मस्त जवानी है तुम्हारी,,,, कसम से जवानी का गोदाम हो,,,,,(और इतना कहने के साथ ही एक हाथ में उसकी चूची पकड़ कर दूसरी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,,)
सससहहहह आहहहहहहह,,,, रघु,,,,,,,(रघु कि ईस तरह की हरकत से कोमल के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,, रघु पूरे जोश से कोमल की कोमल चूची को मुंह में भर कर उसकी गर्माहट उसके मद भरे रस के एहसास में डूबता चला जा रहा था,,, यह पल रघु के लिए बेहद उत्तेजक था,,,, कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव इस समय रघु कर रहा था क्योंकि इस समय का माहौल कुछ और था,,,, अभी-अभी कोमल के ससुर का अंतिम संस्कार हुआ था उसकी चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि उसकी बहू कोमल अपने मन की अपने तन की प्यास को बुझाने में लगी हुई थी जिसका कारण यह भी था कि ससुर की हरकत को देखते हुए वह उससे नफरत करने लगी थी और मन ही मन में उसे ससुर मानने से इंकार करती थी वह बात अच्छी तरह से जानती थी कि ससुर को बाप का दर्जा दिया जाता है लेकिन यहां तो ससुर ही हैवान हो चुका था ऐसे में कोमल के पास कोई विकल्प नहीं बचा रहा था और उसे सांत्वना की जरूरत थी ऐसे शाथी की जरूरत थी,,,जो उसको समझ सके उसे सहारा दे सके उसकी भावनाओं की कद्र कर सके और इस समय उसकी नजर में केवल रघु ही था जो कि इस समय हर एक मोड़ पर उसके साथ खड़ा था,,,, इसलिए तो रघु के सानिध्य को पाकर वह यह भी भूल गई थी कि आज ही उसके ससुर का देहांत हुआ था और वह रघु के द्वारा जारी किए गए काम कीड़ा में तल्लीन हो गई जिस शिद्दत से रघु उसकी दोनों कोमल सूचियों से खेलता हुआ उसे मुंह में बारी-बारी से भरकर पी रहा था उतने ही प्यार से कोमल अपनी चुचियों को रघु के मुंह में डालकर पिला रही थी,,,,
कुछ देर पहले गमगीन बन चुका कमरे का माहौल अब मादकता का रस घोल रहा था रघु धीरे-धीरे कोमल की साड़ी को अपने हाथों से खोल रहा था ,,, रघु कोमल को नंगी करना चाहता था और कोमल रघु के हाथों से नंगी होना चाहती थी,,, शायद ऐसा कभी ना होता अगर कोमल को अपने पति से मर्दाना क्यों से भरा प्यार मिला होता लेकिन पुरुष के मर्दाना प्यार से वंचित रह चुकी थी इसलिए रघु को पाते ही वह सब कुछ भूल चुकी थी कोमल रघु का हौसला बढ़ाने के लिए उसके बालों में अपनी उंगली डालकर हल्के हल्के सहला रही थी,,, और रघु देखते ही देखते अपने हाथों से कमर पर बनी उसकी साड़ी को खोलकर नीचे जमीन पर फेंक दिया था और पल भर में ही उसकी पेटीकोट की डोरी खींच कर उसकी पेटीकोट को उसके कदमों में गिरा दिया था रघु की बाहों में रघु की आंखों के सामने कोमल पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और नंगी होने के बाद कोमल रत्ती का रूप लग रही थी,,,,,,, शाम ढल चुकी थी अंधेरा छाने लगा था,,,, जहां गांव वाले यह बात को सोचकर परेशान और चिंतित थे कि पति और ससुर के बिना कोमल कैसे अपनी जिंदगी बिताएगी,,,, वही दूसरों के सोच के विरुद्ध कोमल अपने प्रेमी की बाहों में नंगी होकर उसे अपने हुस्न का रस पिला रही थी,,,,,
रघु के मुंह में कोमल की चूची थी और रघु का एक हाथ कोमल की दोनों टांगों के बीच उसकी कोमल कस नरम नरम मद भरी बुर के ऊपर गश्त लगा रही थी कोमल की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, वह बार-बार रघु की हरकत से गर्म होकर लंबी लंबी सांसे लेकर छोड़ रही थी और उत्तेजना के आवेश में आकर वह अपना एक हाथ,,,रघु के पजामे में डालकर उसके खड़े टनटनाते हुए लंड को अपनी हथेली में भरकर उसकी गरमाहट को महसूस करते ही पानी पानी हुई जा रही थी,,,, जिसका एहसास रघु को अपनी उंगलियों पर महसूस हो रहा था,,,
अपनी महबूबा को पानी पानी होता देख रघु से रहा नहीं गया और वह,,,, कोमल को अपनी गोद नहीं उठा लिया,,,कोमल पहले तो घबरा गई लेकिन रघु कि ताकत सेपूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी कि निश्चिंत रहो गई रघु उसे अपनी गोद में उठाये हुए ही ऊसके कमरे की तरफ जाने लगा,,,, कोमल के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,,, उसके बदन के हर एक कोने में उसी छलकती जवानी चिकोटी काटने लगी,,,, उसे इस बात का था और ज्यादा गीला कर रहा था कि,,, रघु उसे अपनी गोद मैं उठाकर उसे चोदने के उसके कमरे में ले जा रहा है।,,, रघु उसकी आंखों में देख रहा था कोमल शर्मा रही थी,,,, रघु कोमल को अपनी गोद ने उठाए उसके संपूर्ण वजूद को अपनी आंखों से देख रहा था,,।रघु और कोमल दोनों में किसी भी प्रकार की वार्तालाप हो नहीं रही थी और रघु ना तो कोई बात करना चाहता था वह नहीं चाहता था कि बात करने पर किसी बात से उसे अपने परिवार की या अपने ससुर की याद आ जाए जिससे माहौल खराब हो जाए इसलिए वह चुप रह कर अपना काम धीरे-धीरे आगे बढ़ा रहा था देखते ही देखते वह कोमल को लेकर उसे कमरे में पहुंच गया और धर्म धर्म करते पर लगभग उसे उछाल कर गिरा दिया जिससे वह नरम नरम गद्दी पर गिरते ही थोड़ा सा उछल गई और रघु अपने लिए जगह बनाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच आ गया और अपना मुंह ऊसकी पिघलती हुई बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,, कोमल पागल हो गई मदहोश होने लगी,,,, ऐसा लग रहा था कि मानो वह हवा में उड़ रही हो रह रहे कर वह अपनी गांड को ऊपर की तरफ उछाल दे रही थी,,,,,,,,
लोहा गरम हो चुका था हां थोड़ा मारने की डेरी के मौके की नजाकत को समझते हुए रघु अपने बदन पर से पजामे को भी उतार फेंका,,, कोमल के कमरे में कोमल और रघु पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गए,, रघु के खड़े लंड को देखते ही,,, एक बार फिर से कोमल की आंखों में चमक आ गई,,, उसे इस बात का अहसास हुआ कि वास्तव में उस के नसीब में इसी तरह का जवान लंड होना चाहिए था जो कि अपनी इस कमी को वह पूरा कर लेना चाहती थी,,, इसलिए वह खुद ही अपनी दोनों टांगों को फैला दी,,,,, कोमल की इस खूबसूरत हरकत ने रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर को ज्यादा बढ़ावा दे दिया और वह बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाया और कमर की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में डाल देना एक बार फिर से उसकी कमर ऊपर नीचे होने लगी,,,एक बार फिर से कोमल अपनी पुर के अंदर एक मोटे तगड़े लंड को अंदर बाहर होता हुआ महसूस करने लगी,,,,,,,
यह चुदाई रात भर चलती रहे,,, सुबह बाहर दरवाजे की दस्तक को सुनकर कोमल की नींद खुली तो बिस्तर में वह अपने आप को रघु की बाहों में पाई जो कि वह पूरी तरह से मांगा था और उसका ढीला उसका लंड फिर भी खंड की तरह उसकी गोलाकार गांड से सटा हुआ था और वह खुद एकदम नंगी उसकी बाहों में थी अपनी आंखों को मिलते हुए दरवाजे की दस्तक को सुनकर वह बिस्तर पर उठ कर बैठ गई,,, लेकिन बाहर से आ रही पैसे की आवाज के साथ साथ कुछ लोगों की आवाज को सुनकर वह उस आवाज को पहचानने की कोशिश करने की वजह से उस आवाज को पहचानी वह एकदम से चौंक गई दरवाजे पर उसकी मां और बापू जी थे और वह खुद एक अनजान लड़की के साथ अपने कमरे में एकदम नंगी लेटी हुई थी एकदम से घबरा गई और रघु को जगाने लगी,,,,
अरे उठो अभी तक सोए हो जल्दी उठो,,,,
क्या हुआ,,,?(रघु भी एकदम से हडबडाते हुए उठ कर बैठ गया,,,)
अरे बाहर मेरे मां और बाबू जी आए हैं जल्दी यहां से जाओ,,,
लेकिन कैसे जाऊं दरवाजे पर तो तुम्हारे मां और बाबू जी खड़े हैं,,,,
पीछे के रास्ते से चले जाओ,,,(कुछ देर सोचने के बाद वह धीरे से बोली,,,, रघु जल्दी से बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया और अपने कपड़े समेट कर पहनने लगा साथ में कोमल भी अपनी की साड़ी उठाकर पहनने लगी जल्दी से एक बार फिर से उसे अपनी बाहों में लेकर उसके होठों पर चुंबन करके वहां से चलता बना और वह थोड़ा सा मायूस होकर दरवाजा खोलने लगी दरवाजे पर अपने मां-बाबु जी को देख कर वह फूट-फूट कर रोने लगी,,,
दूसरी तरफ कजरी रात भर रघु के बिना बिस्तर पर तड़पती रही,,,भले ही वह अपने बेटे के साथ चुदाई के सुख को प्राप्त नहीं कर पाई थी लेकिन उसके साथ दो अर्थ वाली गंदी बातें करके मस्त हो जाती थी,,,,थोड़ी ही देर में रघु अपने घर पर पहुंच गया और उसे देखते ही कजरी उस पर नाराज होते हुए बोली,,,।
रात भर कहां रह गया था मुझे कितनी चिंता हो रही थी तुझे मालूम है,,,।
अरे मा इसमें चिंता करने वाली कौन सी बात है दोस्त के घर रुक गया था वह जबरदस्ती घर पर रोक लिया तो क्या करता,,,
तो क्या करता,,,,,, यहां मेरी क्या हालत हो रही थी तुझे इस बात का अंदाजा है,,,,(कजरी मुंह बनाते हुए बोली,,)
जानता हूं मां,,,, तुम परेशान हो रही थी लेकिन क्या करता है मजबूर हो गया था,,,,,,
तेरे बिना आप एक पल भी अच्छा नहीं लगता मुझे छोड़कर मत जाना ,,,(ऐसा कहते हुए वह अपने बेटे को गले लगा ली,,, रघु भी अपनी मां को अपनी बाहों में भर लिया उसकी बड़ी बड़ी चूची को अपनी छाती पर महसूस करते हुए उसके तन बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और उसके पजामे में कैद घोड़ा अपना मुंह ऊठाने लगा,,, जो कि सीधा साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर पर ठोकर मारने लगा कजरी अपने बेटे के घोड़े को अपनी बुर की जमीन पर दौड़ता हुआ महसूस करते हुए एकदम से उत्तेजित हो गई और कसके उसे अपनी बाहों में भर ली अपनी मां की उत्तेजना को महसूस करते ही रघु अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ पर से नीचे लाते हुए उसकी गांड पर रख दिया उसे जोर से दबा दिया,,,,,,, लेकिन यह मतवाला घोड़ा कजरी की बुर पर दूर तक दौड़ कर जाता है इससे पहले ही बाहर से ललिया की आवाज आ गई,,,।
अरे कजरी खेतों पर चलना नहीं है क्या,,,,
(ललिया की आवाज सुनते ही अपने मन में उसे गाली देते हुए बोली आ गई हरामजादी डायन,,, उस दिन भी सारा काम करती थी और आज भी,,,)
हां आई,,,,,,
(रघु भी मन ही मन लगी आपको ढेर सारी गाली दिया कजरी मन मसोस कर चली गई,,,, और थोड़ी देर बाद रघु भी अपनी मां का हाथ बताने के लिए खेतों की तरफ चल दिया,,)
Garam update dostकजरी और ललिया खेतों पर पहुंच चुके थे कजरी को ललिया पर बहुत गुस्सा आ रहा था,,,,,,बार-बार वह एन मौके पर आकर उसकी गर्म जवानी पर ठंडा पानी डाल दे रही थी,,,, लेकिन वह कजरी को खुलकर डांट भी नहीं सकती थी,,, थोड़ी ही देर में रघु भी वहां पहुंच गया,,, ललिया पर उसे बहुत गुस्सा आ रहा था,,,,,, अपनी जवानी की गर्मी वह गुस्से में ललिया पर उतारना चाहता था,,,, और मौके की तलाश में था,,, वह भी अपनी मा और ललिया के साथ काम में हाथ बंटाने लगा,,,,,,
क्यों चाची आज बहुत जल्दी पड़ी थी खेतों पर आने की,,,,(रघु एक नजर अपनी मां के ऊपर डालकर ललिया की तरफ देखते हुए बोला,,,, रघु और उसकी मां कजरी एक खेत में और ललिया दूसरे खेत में आमने सामने काम कर रही थी,,, कजरी अपने बेटे के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी,,,)
अरे कौन सी जल्दबाजी देख नहीं रहा है कितना समय हो गया है अभी सूरज सर पर आ जाएगा तो खेतों में काम भी नहीं हो पाएगा,,,
फिर भी ,,, थोड़ा देर में आती तो शायद मेरा काम बन जाता,,,(इतना सुनते ही कजरी के तन बदन में हलचल सी होने लगी टांगों के बीच थरथराहट होने लगी अपने बेटे के कहने का मतलब को वह अच्छी तरह से समझ रही थी,,,अपने बेटे की यह बात सुनकर कजरी अपने मन में सोचने लगी कि क्या उसका बेटा भी इसी मौके की तलाश में है ,,,, इस बात का एहसास ही कजरी की बुर में पानी भर गया,,,,, उसका मन मचल उठा कुछ देर पहले जब वह साड़ी के ऊपर से ही अपने बेटे का लंड की ठोकर को अपनी बुर्के महसूस कर रही थी और अब वह अपने बेटे की बात सुनकर अपने बेटे के लंड को अपनी बुर के अंदर लेने के लिए मचल उठी थी,,, और दूसरी तरफ रघु की यह बात ललिया समझ नहीं पाई और बोली,,,)
ऐसा कौन सा तेरा काम बन जाता ,,,, दिन भर सोया सोया खाट तोड़ता रहता है,,, थोड़ा काम भी कर लिया कर,,,,,
खाट पर सोए सोए भी बहुत सा काम हो जाता है चाची यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो,,,(रघु अपनी मां की तरफ देखता हुआ बोला और उसकी मां शर्म से नजरें नीचे झुका ली,,, रघु के कहने का मतलब को ललिया भी अच्छी तरह से समझ गई थी रघु ने यह साथ कजरी को नहीं बल्कि ललिया को उत्तेजित करती हुई बोला था लेकिन कजरी सोच रही थी यह बात उसने उसके लिए बोला है इसलिए शर्म आ गई थी और ललिया जानती थी कि रघु उसकी कर चुका है और इस बात का मतलब वह अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए वह भी शर्मा कर कुछ बोली नहीं है,,, कुछ देर तक तीनों इसी तरह से काम करते रहे,,, जब तीनों को थोड़ी सी थकावट महसूस हुई तो तीनों एक पेड़ की छाया के नीचे बैठ गए,,,, तीनों काफी थक चुके थे,,, रघु अपनी मां से नजरें बचाकर ललिया की तरफ देख कर इशारा कर रहा था,,, ललिया उसके इशारे को समझ कर शर्मा रही थी हालांकि उसका भी मन करने लगा था,,,, रघु इशारे से उसे,, खेतों के बीच बने हेड पंप के पास चलने के लिए बोल रहा था क्योंकि वहां घड़ी झाड़ियां थी,,,, कजरी इन सबसे बेखबर अपनी थकान मिटाने के लिए पेड़ का सहारा लेकर अपनी आंखों को बंद कर ली थी,,,, कजरी को इस तरह से आंख बंद करके लेटा हुआ देखकर रघु अपने एक हाथ के अंगूठे और अंगुली को गोल करके और दूसरे हाथ की उंगली को उस गोलाई में डालकर अंदर बाहर करते हुए उसे चोदने का इशारा करने लगा रघु कि ईस तरह की हरकत और इशारे को देखकर ललिया शर्म से पानी-पानी हुए जा रही थी,,, रघु बार-बार उसे इशारा करके झाड़ियों में चलने के लिए कह रहा था,,, और ललिया कजरी की तरफ देख कर उसे मना कर रही थी ऊसे इस बात का डर था कि कहीं कजरी को पता ना चल जाए,,,,,, रघु अपनी मां की बंद आंखों को देख कर ललिया की तरफ इशारा किया कि उसकी मां सो चुकी है,,, लेकिन ललियां डर रही थी,,, रघु परेशान था बुर में लंड डालने के लिए अपनी जवानी के गर्मी वह इस समय ललिया से ही मिटा सकता था,,, इसलिए वह ललिया पर ज्यादा जोर दे रहा था,,, रघु को लगने लगा कि उसकी मां की हाजिरी में ललिया डर रही है इसलिए रघु खड़ा हुआ और उसका हाथ पकड़ कर उसे उठाने लगारघु की हरकत को देखकर ललिया की बुर में भी हलचल मचने लगी थी इसलिए वह रघु को और ज्यादा इंकार नहीं कर पाई और कजरी की तरफ एक नजर डालकर दबे पैर झाड़ियों की तरफ चल दी,,,,,, कजरी थक कर मीठी नींद में खो गई थी,,,,,,
रघु ललिया का हाथ पकड़े हुए खेतों के बीच ले गया,,,, और वही नीम के घने पेड़ के छांव के नीचे ललिया को खड़ी करके ,, ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी बड़ी बड़ी चूची को दबाते हुए बोला,,,।
आहहहहह,,, मेरी रानी बहुत जवानी चढ़ी है तुझे,,,,
तुझ पे भी तो जवानी चढ़ी है तभी मुझे यहां जबरदस्ती पकड़ कर लेकर आया है,,,
उठाकर तो नहीं लाया ना मेरी रानी तेरी भी तो इच्छा कर रही थी लेने को,,, तभी तो आई है मेरे साथ,,,,(ब्लाउज के बटन को अपने दोनों हाथों से खोलते हुए बोला,,,)
क्या करूं तेरा लंड ही ऐसा दमदार है कि मुझे आना पड़ा,,,(पजामे के ऊपर से ही रघु के खड़े लंड को मसलते हुए बोली,,,)
मुझे भी तो तेरी बुर की बहुत याद आ रही थी आज मौका मिला है,,, आज सारी कसर निकाल लूंगा,,,,(ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसकी दोनों सूची को अपने दोनों हथेली में भरकर दबाते हुए बोला,,,)
आहहहहह,,,, इतने दिन बाद याद आई तुझे,,,
क्या करूं मेरी जान मौका नहीं मिल रहा था,,,,
यहां तेरी मां आ गई तो,,,,
नहीं आएगी देखी नहीं गहरी नींद मैं सोने लगी थी,,,।(इतना कहने के साथ ही रघु उसकी एक चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,)
सससहह७,आहहहहहहह,,,,, रघु,,,,,,,, अगर मान ले कि तेरी मां आ ही गई तब क्या करेगा,,,, अगर हम दोनों को देख ली तो,,,,(उत्तेजना के मारे गहरी सांस लेते हुए बोली)
देख ली तो देख ली,,,, हम दोनों को इस हाल में देखकर वह समझ जाएगी कि उसका बेटा जवान हो गया है उसकी शादी करना जरूरी है,,,,,(रघु चूची को अपने मुंह से बाहर निकाल कर दूसरी चूची पर मुंह रखते हुए बोला),,,
आहहहहह,,,, कहीं अपनी मां की चुदाई मत कर देना,,,,
मादरचोद उसकी तो बाद में सोचेंगे,,,,, चल पहले मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चुस,,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु एक झटके में अपना पहचाना घुटनों तक कर दिया और अपने खड़े लंड को हिलाता हुआ,,, एक हाथ कजरी के कंधे पर रखकर उसे नीचे की तरफ दबाते हुए उसे अपने लंड को चूसने के लिए उकसाने लगा,,,,,,, कजरी रघु लंड की पूरी तरह से दीवानी हो चुकी थी,,, इसलिए तुरंत अपने घुटनों के बल बैठ गई और उसके खड़े मोटे लंबे कोई झटके से अपने मुंह में भर कर चूसना शुरु कर दी,,,,।)
आहहहहहहह,,,,आहहहहहहहह,,,ओहहहहहहह,,,, मेरी रानी,,,,,, गजब बहुत अच्छा लग रहा है,,,,, बस ऐसे ही मेरी रानी पूरा मुंह में भर कर,,,,,आहहहहहहह,,,,,(रघु ललिया की इस हरकत पर उसकी जीभ की करामत को देखते हुए एकदम मदमस्त हो गया और गर्म सांसे भरते हुए अपनी कमर को आगे पीछे कर के उसके मुंह को चोदना शुरु कर दिया,,,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से मजा ले रहे लेकिन रघु को लगने लगा कि उसके लंड का लावा कभी भी फूट पड़ेगा,,, इसलिए वह तुरंत अपने लंड को ललिया के मुंह से बाहर निकाल लिया,,,,, मोटा तगड़ा लंड होने की वजह से ललिया हांफने लगी थी,,,,,, रघु पूरी तरह से तैयार था ललिया की बुर में अपना लंड डालने के लिए,,,,,।
बस मेरी रानी अब खड़ी हो जा अब मुझसे और ज्यादा इंतजार नहीं हो रहा है,,,,, साड़ी उठाकर अपनी बुर दिखा दे मुझे,,,, बहुत दिन हो गए तेरी बुर के दर्शन किए,,,,।
चिंता मत कर मेरी मां जा मैं भी बेताब हुं तुझे अपनी पूरी दिखाने के लिए,,,,,(और इतना कहने के साथी ललिया खड़ी हुई और अपनी साड़ी को एक झटके से कमर तक उठाकर अपनी गुलाबी बुर को रघु के सामने परोस दी,,,, रघु की आंखों में चमक आ गई,,,,उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे लगी या नहीं बल्कि उसकी मां की साड़ी उठाकर उसे अपनी बुर के दर्शन करा रही है,,,, इसलिए रघु कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया,,,।और अपना हाथ बढ़ाकर ललिया की गुलाबी बुर को अपनी हथेली से मसलते हुए बोला,,,)
आहहहहहह,,,, क्या मस्त बुर है रे तेरी,,,, साली तेरी बुर पूरा लंड डालकर तेरे को चोद दूंगा,,,
तो चोदना मेरे राजा,,,, मैं भी तो यही चाहती हूं,,,(अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल गोल नचाते हुए बोली,,,,)
आजा मेरी रानी इंतजार किस बात का है,,,(इतना कहने के साथ ही रघु ललिया की कमर में अपना दोनों हाथ डाल कर,,, अपनी कमर को हिलाने लगा जिसकी वजह से रघु का लंड ललिया की बुर के इर्द-गिर्द रगड़ खाने लगी रघु की इस हरकत की वजह से लगी आग की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी वह अपने आप को सातवें आसमान में उड़ते हुए महसूस करने लगी,,, पल-पल ललिया की हालत खराब हो रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द रघु के लंड को अपनी बुर के अंदर ले लेना चाहती थी,,,।इसलिए अपना ही खाते नीचे की तरफ ले जाकर रघु के लंड को पकड़ लिया और उसे अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रगड़ना शुरु कर दी,,,
आहहहहहह रघु,,,, बहुत गर्म लंड है रे तेरा मेरी बुर पिघलने लगी है,,,,,
सससहहहहहह,,,,आहहहहहहह,,,, मेरी रानी तेरी पुर की कही करम है मुझे डर है कि कहीं जल्दी से मेरा लंड पिघलना जाए,,,,,(ललिया की गर्दन पर चुंबनो की बौछार करते हुए बोला,,,)
नहीं नहीं मेरे राजा ऐसा बिल्कुल मत होने देना,,,, जब तक मेरा पानी निकल जाए उससे पहले तू झडना मत,,,, बस अब डाल दे मेरी बुर में अपना लंड मेरे राजा,,,,,(ललिया रघु के लंड के सुपाड़े को अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी पत्तियों के बीच रखते हुए बोली,,,,और रघु ललिया की हरकत की वजह से पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और उतावला भी इसलिए अपना एक हाथ उसकी चिकनी जांघों पर रखकर उसे उठाते हुए अपनी कमर पर लपेट लिया और उसी अवस्था में अपने लंड को उसकी बुर में डालना शुरू कर दिया,,,, रघु ललिया को पेड़ के सहारे टिका दिया था,,,, और खड़े-खड़े ही धीरे-धीरे करके बड़ी शिद्दत के साथ रघु अपने मोटे तगड़े लंड को ललिया की बुर की गहराई तक उतार दिया,,,,, ललिया को अपनी बच्चेदानी पर रघु के लंड के सुपाड़े की ठोकर महसूस होने लगी,,,, उत्तेजना में पूरी तरह से गदगद हो गई और रघु धीरे-धीरे अपनी कमर आगे पीछे करके हिलाना शुरू कर दिया,,,,,,
लगातार रघु एक ही रफ्तार से अपनी कमर को हिला रहा था और उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से अपने मुंह में भर कर उसे पी रहा था और अपने दोनों हाथों को उसके गोलाकार नितंबों पर रखकर उसे दबोचे हुए था मानो कि जैसे उसकी बड़ी बड़ी गांड का सहारा लेकर उसे पकड़े हुए हो,,,, ललिया पूरी तरह से रघु की आगोश में समा चुकी थी रघु पूरी तरह से उसे अपनी बाहों में लेकर कैद किए हुए था,,,,,, रघु के मोटे तगड़े लंड कोअपनी पुर के अंदर अंदर कहां रहता महसूस करके ललीया को बेहद सुकून मिलता था,,,,
आहहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है रे ऐसा लग रहा है कि पहली बार तु मेरी चुदाई कर रहा है,,,,।
सससहहहहह,,,ऐसा ही लगेगा मेरी चाची जब जब मैं तुम्हारी चुदाई करूंगा तब तक तुम्हें ऐसा लगेगा कि मेरा लंड तुम्हारी बुर में पहली बार जा रहा है,,,,,,
हां रे सच कह रहा है तू,,,,, बहुत अच्छा लग रहा है,,,,(रघु के बालों में अपनी उंगली घुमाते हुए बोली,,, ललिया को अपनी बुर में रघु का लंड को ज्यादा ही मोटा लगता था वैसा नहीं था कि उसकी बुर कसी हुई थी तीन तीन जवान बच्चों की मां होने के बाद लागू नहीं था कि उसकी बु की कसावट ढीली पड़ चुकी थी,,, लेकिन रघु का लंड था ही इतना मोटा की जिस किसी की भी बुर में जाता था उसे अपनी बुर कसी हुई ही लगती थी,,,,
नीम के घने पेड़ की छांव में पेड़ का सहारा लेकर रघु अपनी मां की नजरों से बचकर ललिया की चुदाई कर रहा था जिसे वह चाची कहता था,,,, रघु पूरी तरह से ललिया के खूबसूरत बदन से मजा ले रहा था,,,अभी चूची को मुंह में भर कर पीता तो कभी उसे अपनी हथेली में लेकर दबाने लगता तो कभी उसकी गोरी गोरी बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए जोर से मसल दे रहा था,,,, रघुलड़कियों की बुर में अपना लंड पेलते हुए थोड़ा सा पीछे होकर ललिया को बोला,,,।
सहहहहहह मेरी रानी जरा अपनी दोनों टांगों के बीच तो देखो कैसे मेरा मोटा लंड तुम्हारी छोटी सी बुर के अंदर बाहर हो रहा है,,,,(रघु की बात सुनते ही दुनिया की नजर जैसे यह अपनी दोनों टांगों के बीच गई तो वहां की स्थिति को देखकर पूरी तरह से शर्म से पानी-पानी हो गई वाकई में अपनी आंखों से देखने के बावजूद भी ललिया विश्वास नहीं कर रही थी कि रघु का इतना मोटा लंड उसकी बुर के छोटे से छेद में कैसे आराम से अंदर बाहर हो रहा था वह शरमा गई और शर्मा कर अपनी नजर को दूसरी तरफ फेर ली,,,,)
शर्मा क्यों रही हो मेरी जान,,,,मुझे तो यह नजारा देखने में बहुत ही मजा आ रहा है कैसे तुम्हारी बुर में मेरा लंड घुस रहा है,,,,(रघु जानबूझकर इस तरह की गंदी बात करते हुए ललिया को और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था,,,)
नहीं मैं नहीं देखूंगी ,,,,
क्यों नहीं देखोगी,,,,
मुझे शर्म आती है ,,,,,
इस में कैसी शर्म टांग फैला कर अपनी बुर में मेरा लंड ले रही हो और उसे देखने में शर्म आ रही है,,,,,,।
हां आ रही है,,,,,
लेकिन क्यों आ रही है बताओ ना,,,,,
विश्वास नहीं हो रहा है,,,,,
क्या विश्वास नहीं हो रहा है,,,,,
यही कि तुम्हारा मोटा लंड मेरी बुर के अंदर कितने आराम से अंदर बाहर हो रहा है,,,,
यही तो करामत है मेरी जान,,,,,,, इसी को तो बुर कहते हैं जो अपने अंदर कितनी भी मोटी और लंबी चीज को ले लेती है,,,,
क्या अपनी मां को भी ऐसे ही चोदेगा,,,,
धत,,,,,ऐसी कैसी बात कर रही है तु,,,,,,
सही कह रही हूं बताना,,,,तेरी मां की बुर तो मेरी बुर से भी ज्यादा हसीन होगी,,,,
ऐसा क्यों कह रही है,,,,,(गहरी सांस लेते हुए बोली)
क्योंकि तेरी मां पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत है,,,,
हां यह बात तो है,,,,(खूबसूरती वाली बात सुनकर उत्तेजित होता हुआ रघु उसकी दोनों चूचियों को जोर से मसलते हुए बोला)
तभी तो कह रही हूं अगर तेरी मां भी मेरी तरह से दोनों टांगे फैला कर तुझे अपना लंड अपनी बुर में डालने के लिए बोले तो क्या तू डालेगा,,,,
(ललिया जानबूझकर उसकी मां का जिक्र बार-बार कर रही थी वह रघु के मुंह से सुनना चाहती थी कि ऐसे हालात में क्या वह अपनी मां को चोद देगा क्योंकि ललिया खुद मजबूर होकर अपने बेटे से चुदवा चुकी थी,,,क्योंकि उसका बेटा रामू यह बात अच्छी तरह से जान गया था कि रघु उसकी मां को चोदता है,,, और ऊसी का फायदा उठाते हुए रामू भी अपनी मां की चुदाई कर चुका था और ललिया को यही लगता था कि,,,पूरी दुनिया में वही कैसी औरत है जो अपने ही बेटे के साथ चुदवा चुकी है इसलिए थोड़ा उसे गलत भी लगता था,,, और इसीलिए वह रघु के मन की बात इस तरह के नाजुक मौके पर जानना चाहती थी,,,। लेकिन रघु बहुत ही सातिर था,,,एैसे नाजुक क्षण में भी इस तरह की बातें नहीं करना चाहता था जिससे उसकी मां पर कोई उंगली उठा सकें,, इसलिए बलिया किस तरह की गंदी बात तो उसे उत्तेजित होने के बावजूद भी वह अपना मुंह नहीं खोलना चाहता था बस ना नुकुर कर रहा था,,, लेकिन फिर भी ललिया उसके पीछे पड़ी हुई थी,,,)
बोलना अपनी मां को चोदेगातेरी मां की टांगो के बीच तो बहुत खूबसूरत छेद है क्या तू उसमें अपना लंड डालेगा,,,,
(ललिया के मुंह से अपनी मां के लिए गंदी बातें सुनकर रघु की उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी और वह जोर जोर से धक्के लगाते हुए बोला,,,,)
मेरी जान मेरी रंडी क्या रामू तुझे चोदता है क्या,,,, बोलना मेरी जान,,,,, क्या रामु,,,,तेरी बुर में लंड डालता है,,,
धत्,,, हरामी कैसी बातें करता है,,,,
कैसी बातें नहीं,,,, सच कह रहा हूं,,,, एक बार अपने बेटे को मौका देकर देख तुझे मस्त कर देगा,,,
धत्,,,,, कितना गंदा है तु,,,,, मादरचोद,,,,,
(रघु कि बातें सुनकर ललिया को बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आ रहा था क्योंकि जो कुछ भी रघु कह रहा था वह सच था,,,। रघु अपने लंड को ऊसकी बुर में से बाहर निकाल कर उसे पैड की तरफ घुमा दिया,,,,,, और उसकी कमर को पकड़ कर उसकी गोलाकार गांड को अपनी तरफ खींचते हुए बोला,,,)
साली रंडी कुत्तिया,,, कितना मजा आएगा मैं तुझे बताता हूं,,, तू सोच कि मेरी जगह तेरा बेटा है और वह तुझे चोद रहा है देखने कितना मजा आता है तुझे,,,(इतना कहने के साथ ही रघु अपने लंड को एक बार फिर से पीछे से ललिया की बुर में डाल दिया,,,,,,, और ललिया कि मुंह से हल्की सी चीख निकल गई,,, उसकी चीख की आवाज सुनकर रघु बोला,,,)
देखी ना शाली कितना मजा आता है,,, अपने बेटे की कल्पना करके,,,,
(यह बात सही थी कि ललिया को भी अपने बेटे के साथ मजा आता था लेकिन संतुष्टि का अहसास सिर्फ रघु के साथ ही आता थाइसलिए भले ही वह रघु की जगह अपने बेटे की कल्पना करने लगी थी लेकिन जो लंड उसकी बुर में अंदर बाहर हो रहा था वह रघु का ही था इस बात से वह भी झुठला नहीं सकतेी थी,,, और रघु की जगह अपने बेटे की कल्पना करके चुदवाना ललिया के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी क्योंकि वह वास्तव में अपने बेटे से ही चुदवाती थी,,। लेकिन रघु को बहुत मजा आ रहा थाक्योंकि वाला दिया की जगह अपनी मां की कल्पना कर रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह पीछे से अपनी मां की बुर में लंड डालकर चुदाई कर रहा हो इसलिए वह काफी उत्तेजना महसूस कर रहा था और बड़ी तेजी से अपनी कमर हिला रहा था,,, वह दोनों चुदाई में मग्न थे और दूसरी तरफ कजरी पेड़ के नीचे मीठी नींद का मजा ले रही थी लेकिन रामू और उसकी बहन रानी खेतों में अपनी मां का हाथ बंटाने के लिए पीछे के रास्ते से आ रहे थे,,,इस बात से बेखबर की खेतों में उनकी मां काम करने की जगह कामलीला रचा रही है,,,,जैसे ही वह लोग खेतों मे हेड पंप के करीब पहुंचे वहां से अा रही मादक सिसकारी की आवाज सुनकर दोनों के कान खड़े हो गए क्योंकि वह दोनों इस आवाज से भलीभांति वाकिफ थे,,, एक पेड़ के पीछे छुप कर दोनों यह देखने लगे कि वह आवाज आ कहां से रही है,,, जैसे ऊन दोनों की नजर पेड़ से सट कर खड़े रघु और झुक कर खडी अपनी मां पर पड़ी वैसे ही दोनों के होश उड़ गए,,, दोनों की आंखें फटी की फटी रह गई,,, रामू यह बात जानता था कि रघु उसकी मां को चोदता है लेकिन उसने कभी अपनी आंखों से देखा नहीं था आज पहली बार वह अपनी आंखों से अपनी मां की चुदाई देख रहा था उसका जिगरी दोस्त उसकी मां के पीछे खड़ी होकर उसकी कमर को थामें अपना लंड उसकी बुर में पेल रहा था,,, पहले तो रामू को बहुत गुस्सा आया लेकिन अपनी बहन को बड़े ध्यान से उस नजारे को देखता हुआ पाकर उसके तन बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, रानी पहले से ही एक पर रघु से चुदाई का मजा लूट चुकी थी इसलिए जुदाई में कितना मजा आता है यह बात अच्छी तरह से जानती थी इसलिए तो अपनी मां को चुदवाते हुए देख कर एक बार फिर से उसकी बुर गर्म होने लगी,,,।,, वह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी आंखों के सामने उसकी मां रघु से चुदवा रही है फिर भी वह गुस्सा होने की जगह बड़े गौर से उस गर्म नजारे को देखकर गर्म हो रही थी,,,,,,
साली हरामजादी कैसा लग रहा है बोल,,,तेरी बुर में बहुत गर्मी है आज पूरी गर्मी निकाल दुंगा,,,,
मादरचोद निकालना सिर्फ बोलने से काम नहीं चलता और तेज धक्के लगा मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,।
(रखो और अपनी मां की गरम बातें सुनकर रानी और रामू दोनों ऊतेजीत होने लगे,,,,रानी पेड़ के सहारे पेड़ की ओट में आगे खड़ी थी और ठीक उसके पीछे रामु खड़ा था,,,,अपनी मां को चुदवाते हुए देखकर रामू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था पजामे में उसका लंड खड़ा हो गया,,, और अपनी उत्तेजना को काबू ना कर सकने के कारण वह अपना है खाना खिला कर अपनी बहन की चूची पर रख दिया और कुर्ती के ऊपर से ही अपनी बहन की चूची को दबाना शुरू कर दिया रघु के साथ चुदाई का मजा लेकर वह ना जाने कब से तड़प रही थी एक बार फिर से अपनी बुर में लंड लेने के लिए इसलिए अपने भाई की हरकत से वह एकदम से गर्म हो गई और उसे रोकने की जगह अपनी गांड को पीछे की तरफ रामू के लंड की तरफ ठेलने लगी और रानी अपने भाई के लंड को अपनी गांड पर महसूस करने लगी वह और ज्यादा उत्तेजित होने लगी रामू अपनी बहन की चूची को जोर जोर से दबाने लगा जब उसे इस बात का एहसास हो गया की रानी कुछ बोलेगी नहीं तो अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर उसके सलवार का नाडा खोलने लगा,,,सामने के गर्म नजारे को देखकर रानी इंकार नहीं कर पाई और उसे अपने सलवार का नाडा खोलने दी देखते ही देखते रामू अपनी बहन की सलवार को घुटनो तक खींच कर नीचे कर दिया,,, दोनों घनी झाड़ियों के पीछे थे इसलिए देखे जाने का डर बिल्कुल भी नहीं था,,,, रानी के मुंह से गर्म सांसे निकल रही थी वह लगातार अपनी मां को रघु से चुदवाते हुए देख रही थी,,। उसकी पलकें झपक नही रही, थी,,, जैसा दिखाई दे रहा था कि उसकी मां बड़े मजे लेकर रघु से चुदवा रही थी,,, रामू के लिए पहला मौका था जब वह अपनी बहन को चोदने जा रहा था वैसे भी पहले वह सोच करते समय अपनी बहन की गोरी गोरी गांड देखकर अपने हाथ से हिला कर अपने मन को शांत कर लेना था लेकिन आज उसे मौका मिला था अपनी बहन की गर्म जवानी को अपने लंड से शांत करने के लिए इसलिए वह इस मौके को जाने देना नहीं चाहता था,,,जब से उसे इस बात का पता चला था कि रघु उसकी मां की चुदाई करता है तब से वह रघु से ठीक से बात तक नहीं करता था लेकिन मन ही मन रघु को दुआएं भी देता था क्योंकि उसकी बदौलत ही उसे अपनी मां को चोदने का मौका जो मिला था और आज दूसरी बार वह रघु को मन ही मन दुआ दे रहा था क्योंकि फिर से उसकी वजह से ही एक बार फिर से उसे अपनी बहन को चोदने का मौका मिल रहा था,,,, रानी खुद को खुद अपने भाई को अपनी गांड सौंप दी वो थोड़ा झुक गई अपनी मां को चोद कर रहा हूं इतना तो समझ गया था कि चुदाई कैसे करते हैं और किस तरह से करते हैं इसलिए अच्छे से अपने लंड पर थूक लगाकर वह अपनी बहन के बुलाकी पुर के छेद पर अपना लंड रख कर धीरे धीरे से अंदर की तरफ डालने लगा,,,अपनी मां की चुदाई देख कर उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी जिससे अपने भाई के लंड को अपनी बुर के अंदर लेने में उसे जरा भी कठिनाई महसूस नहीं हुई क्योंकि पहले से ही रघु उसकी बुर में अपनी लंड का सांचा तैयार कर चुका था और रामू का लंड रघु से 19 ही था,,,, गजब का माहौल बन चुका था एक तरफ खेतों के बीचो-बीच हेड पंप के पास नीम के पेड़ के नीचे रामू की मां उसके जिगरी दोस्त रघु से चला रही थी और दूसरी तरफ उसके ठीक सामने ही झाड़ियों का सहारा लेकर अपनी मां को चुदवाते हुए देखकर दोनों भाई बहन चुदाई का मजा ले रही थी,,,, रामू और रानी दोनों हैरान थे क्योंकि रघु उनकी मां को चोदते हुए गंदी गंदी गालियां दे रहा था लेकिन उसकी मां जाना भी ऐतराज नहीं कर रही थी बल्कि वह रघु के द्वारा दी गई गाली का जवाब गाली से ही दे रही थी ,,,,,,,,
आखिरकार ललिया के साथ-साथ रघु का भी पानी निकल गया और कुछ देर में,,, रानी और रामू दोनों झड़ गए,,, रघु के साथ चुदवा कर रानी को इतनी शर्म महसूस नहीं हुई थी जितनी,,, अपने भाई से जितना कर सब महसूस कर रही थी वह अपने भाई से नजर भी नहीं मिला पाया दूसरी तरफ मुंह करके अपनी सलवार की डोरी को बांधने लगी और बिना कुछ बोले वहां से घर वापस लौट गई,,, राम कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा है उसके बाद पीछे की तरफ से घूम कर उस जगह पर आ गया जहां पर वह तीनों काम कर रहे थे,,,। और अपनी मां के काम में इस तरह से हाथ बढ़ाने लगा कि मानो कुछ हुआ ही ना हो,,, ललिया भी निश्चित थी क्योंकि उसे इस बात का पता बिल्कुल भी नहीं था कि उसकी कामलीला को उसके बच्चे अपनी आंखों से देख चुके हैं,,,।
सूरज सर पर आ चुका था,,,, कजरी बार-बार अपने बेटे की तरफ देख रही थी उसके गठीला बदन को देखकर उसका रोम-रोम पुलकित हो रहा था खास करके उसकी बुर की गहराई में सिहरन सी दौड़ जा रही थी,,,। वह जल्द से जल्द अपने बेटे के साथ एकांत गुजारना चाहती थी लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था,,,,।