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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
ललिया तो रघू से चुद गयी और रामु और राणी की चुदाई भी हो गई
अब कजरी का नंबर है धुवांधार चुदाई का रघू के साथ प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से अपडेट दिजिएगा
 

Baba Mechanchiii

_𝕿𝖍𝖊 𝕽𝖚𝖑𝖊𝖗 𝖔𝖋 𝕾𝖔𝖑𝖎𝖙𝖚𝖉𝖊_🎭🚬
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Waiting for next update bro 🙂...
 
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rohnny4545

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Bhai, your paintings/pics are awesome!! Hope this pic gives a sneek peak of the next episode which we are expecting. Hope you'll give the update soon. Thanks and have a nice day and Happy Diwali in advance.
Thanks dear mass
 

rohnny4545

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कोमल जिसके मन में अब रखो पूरी तरह से फंस चुका था और उसके साथ शादी करके अपना जीवन बिताने के सपने बुनने लगी थी वह रोते-रोते अपना सारा दुखड़ा,,, अपने माता पिता को बता दी,,,,पहली बार कोमल के माता-पिता को इस बात का एहसास हो रहा था कि बड़े घर में शादी करके उन्होंने गलती कर दी है,,, उन्हें तो यही लग रहा था कि उनकी बेटी बड़े घर की बहू बनकर खुश हैं,,,, उन्हें क्या मालूम था कि उसकी बेटी नरक की जिंदगी बिता रही थी और इस बात का जैसे उन्हें पता चला कि उसके ससुर की गंदी नजर उनकी बेटी कोमल पर थी वैसे ही कोमल के माता-पिता को लाला के मरने का जरा भी दुख नहीं होगा उन्हें बल्कि मन ही मन प्रसन्नता हो रही थी कि उनकी बेटी शैतान के हाथों से छूट चुकी थी आजाद हो चुकी थी लेकिन उन्हें इस बात की भी फिकर थी कि इतने बड़े हवेली और जायदाद को कोमल अकेले कैसे संभाल पाएगी,,,, कोमल से ही उन्हें इस बात का पता चला कि उसका पति महीनों गुजर गई घर नहीं लौटा था ना उसकी कोई खबर मिली थी और उसके नकारा होने का भी पता चल चुका था,,,। बात ही बात में कोमल ने मां बाप के सामने कर दी कोमल के मां-बाप हैरान थे कि पति के जीवित होने के बावजूद वह दूसरी शादी कैसे कर पाएगी समाज क्या कहेगा और तो और क्या रघु के घरवाले इस बात के लिए राजी होंगे,,, लेकिन कोमल ने अपने मां-बाप को रघु से विवाह करने के लिए मना ली थी,,,,।

जैसी तेरी इच्छा बेटी हम तो तेरी खुशी के लिए इतने बड़े घर में तेरा विवाह किए थे लेकिन हमें क्या मालूम था कि इतनी बड़ी हवेली तेरे लिए नर्क के समान होगी लेकिन फिर भी अगर तेरी इच्छा है रघु से विवाह करने की तो हमें इसमें कोई एतराज नहीं लेकिन फिर भी हम एक बार रघु से मिलना चाहते हैं,,,, और कुछ दिनों के लिए अपने साथ ले जाना चाहते हैं,,,, क्योंकि लाला के देहांत के बाद तेरा मन यहां नहीं लग पाएगा,,,,


ठीक है पिताजी में किसी को खबर देकर रघु को यहां बुलवा लेती हूं,,,,,,,(इतना कहकर कोमल प्रसन्न नजर आने लगी लेकिन उसे इस बात का मलाल था कि मायके चले जाने से उसके कहीं की इच्छा अधूरी रह जाएगी क्योंकि रघु के साथ संभोग का सुख प्राप्त करके उसकी लत लग चुकी थी लेकिन फिर भी जिस तरह से उसके मां-बाप विवाह के लिए राजी हो गए थे इस बात से खुश थी और अपने मां-बाप को नाराज नहीं करना चाहती थी इसलिए ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गई थी थोड़ी ही देर बाद रघु भी वहां आ गया आते ही वह कोमल की मां बाप के पैर छूकर उन्हें प्रणाम किया,,,, रघु को देखकर कोमल के मां-बाप दोनों खुश नजर आ रहे थे क्योंकि रघु पूरी तरह से कोमल के लिए एकदम ठीक था लेकिन फिर भी उनके मन में संदेह था इसलिए रघु से बोले,,,)

बेटा क्या तुम कोमल से विवाह करने के लिए राजी हो,,,


जी बाबू जी मैं कोमल से विवाह करना चाहता हूं,,,


यह बात जानते हुए भी कि वह शादीशुदा है फिर भी,,,


जी बाबू जी मैं सबको चाहता हूं और यह भी जानता हूं कि शादीशुदा होने के बावजूद भी कोमल नरक की जिंदगी जी रही थी और यहां से बिल्कुल भी खुश नहीं है,,,,


क्या तुम्हारे माता-पिता इस बात से राजी होंगे,,,,


पिताजी नहीं है और मैं मां को जानता हूं वह मेरी खुशी के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हो जाएगी और वैसे भी मैं कोमल के बिना एक पल भी नहीं रह सकता दुनिया चाहे इधर की उधर हो जाए लेकिन मैं कोमल का हाथ कभी नहीं छोडूंगा,,,,
(रघु की बातें सुनकर कोमल के माता-पिता को पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान हुई और वह खुश थे कि आगे की जिंदगी कोमल हंसी खुशी से गुजारेगी वैसे भी लाला की हवेली और जायदाद की रखवाली करने के लिए कोई तो चाहिए था और उन्हें रघु पर पूरा भरोसा हो चुका था इसलिए वह लोग बेहद खुश थे,,,, रघु इस बात से थोड़ा असहज हो गया कि कोमल भी उन लोगों के साथ जा रही थी लेकिन इस बात से खुश भी था कि उसके मां बाबूजी की शादी के लिए तैयार हो चुके थे शाम का वक्त हो रहा था वह बाहर तांगा तैयार था रघु कोमल की माता-पिता का सामान तांगे में रख रहा था,,,, और वह दोनों तानी पर बैठ गए थे लेकिन कोमल अभी भी अपने कमरे में ही थी,,,, तो कोमल के बाबूजी रघु से बोले,,,)


जा बेटा जरा देख तो कोमल कहां रह गई,,,,, शादी हो गई लेकिन अभी भी लापरवाह है जरा सा भी ध्यान नहीं रहता,,,



जी बाबू जी मैं भी जा कर देखता हूं,,,,(रघु इतना कह कर घर में प्रवेश करते हुए आवाज लगाया,,,)


कोमल ,,,,,ओ,,,,,कोमल कहां हो तैयार नहीं हुई क्या,,,,
(कोमल चौकी अपने कमरे में रघु का इंतजार कर रही थी उसे इस बात का अहसास था कि उसे ढूंढते हुए रघु उसके कमरे में जरूर आएगा और इस तरह से उसे आवाज लगाता हुआ देखकर वो एकदम से भाव विभोर हो गई रघु के अंदर उसे अपना पति नजर आने लगा था वह रघु को अपने पति के रूप में ही देखने लगी थी इसलिए वह प्रसन्नता से अंदर ही अंदर झूम उठे और खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू आ गए क्योंकि वह रघु से दूर नहीं होना चाहती थी,,, और रघु उसे आवाज लगाता हुआ ढूंढता हुआ उसके कमरे में पहुंच गया जहां पर,,, दरवाजे की तरफ पीठ करके कोमल खड़ी थी,,,,,, कोमल के गोल गोल पिछवाड़े को देखकर रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, जाने से पहले रघु के मन में कोमल के साथ संभोग सुख भोगने की कामना जारी रखी और यही कामना कोमल के भी मन में प्रज्वलित हो चुकी थी तो मैं किस बात का एहसास हो गया कि रघु ठीक उसके पीछे खड़ा है लेकिन उससे नजरें मिलाने की उसके में बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हो रही थी,, कुछ दिनों के लिए दोनों अलग होने वाले थे और यह जुदाई ऊस से बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,। रघु खुदा तू बड़ा और पीछे से जाकर कोमल को अपनी बाहों में भर लिया पलभर में ही कोमल के पिछवाड़े को देख कर रघु के लंड में तनाव आना शुरू हो गया था जो कि पीछे से उसे अपनी बाहों में भरने की वजह से उत्तेजना में उसका लंड उसके पिछवाड़े से रगड़ खाने लगा था जिसके एहसास से कोमल के तन बदन में उत्तेजना की आग भड़कने लगी थी,,,,,,, रघु के द्वारा इस तरह से अपनी बाहों में भरने की वजह से,,,कोमल अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और जोर से रोने लगी उसे रोता हुआ देखकर रघु एकदम हैरान हो गया और उसके कंधे को पकड़कर अपनी तरफ घुमाते हुए उसे गौर से देखने लगा,,,,, कोमल को रोता हुआ देखकर रखो कि परेशान हो गया और उसकी आंखों से आंसु को साफ करने लगा और बोला,,,


रो क्यों रही हो कोमल तुम रोते हुए बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती,,,,,


हमसे यह जुदाई बर्दाश्त नहीं हो रही है,,,,


कुछ दिनों की तो बात है,,,, उसके बाद तो हम दोनों को जिंदगी भर साथ ही रहना है,,,,


हमें यकीन नहीं हो रहा है कि हम दोनों शादी के बंधन से जुड़ जाएंगे,,,,


तुम चिंता मत करो और मुझ पर विश्वास करो ऐसा ही होगा हम दोनों की शादी होगी तुम मेरी पत्नी बनोगी,,,,,(ऐसा बोलते हो कोमल की खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों में ले लिया और उसकी आंखों में जाकर भी अपने होठों को उसके गुलाबी होठों पर चूसना शुरू कर दिया पल भर में ही यह चुंबन एकदम प्रगाढ़ होने लगा दोनों उत्तेजित होने लगे बाहर कोमल के माता-पिता उसका इंतजार कर रहे थे और अंदर रघु उनकी लड़की के साथ उत्तेजित पल गुजर रहा था,,,, रघु जाने से पहले कोमल की चुदाई करना चाहता था,,, इसलिए देखते ही देखते हुए साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,, कोमल भी इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी इसलिए रघु का किसी भी प्रकार से विरोध ना करते हुए उसका सहकार कर रही थी यह जानते हुए भी कि बाहर उसके माता-पिता उसका इंतजार कर रहे हैं,,,,देखते ही देखते कोमल की साड़ी को व कमर तक उठा दिया और कोमल इसके बाद क्या करना है वह अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह बिना कुछ बोले अपनी गांड को रघु की तरफ करके पलंग के ऊपर झुक गई और अपने हाथ की कोहनी को पलंग के नरम नरम गद्दे पर रखकर,,, अपनी मतवाली गांड को हवा में ऊपर की तरफ उठा आसन में कोमल को देखकर रघु से राह नहीं किया और तुरंत अपने पजामे को घुटनो तक खींच लिया और अपने खड़े लंड को ठीक कोमल की गुलाबी बुर पर लगा कर,,, बिना थूक लगाए जोरदार धक्का दिया और पहली ही प्रयास में रघु का मोटा तगड़ा लंड कोमल की बुर को छेंदता हुआ,, सीधा उसके बच्चेदानी से टकरा गया और कोमल के मुंह से हल्की सी आहह निकल गई,,, रघु कोमल को चोदना शुरू कर दिया कोमल मस्त हुए जा रही थी,,,। हर एक धक्के का जवाब वह अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल कर दे रही थी,,,, थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ झड़ गए,,,
रघु कोमल की अटैची लेकर हवेली के बाहर आया और तांगे में रखने लगा,,,, अटैची के रखने के बाद कोमल रघु के हाथ का सहारा लेकर तांगे पर बैठ गई रघु और कोमल दोनों की आंखें नम थी दोनों एक दूसरे को छोड़ना नहीं चाहते थे लेकिन इस समय कोमल का उसके मायके जाना ही ठीक था थोड़ा मन बहल जाता,,,, तांगा आगे बढ़ गया और रघ6 तब तक वहीं खड़ा होकर तांगे को देखता रहा जब तक तांगा आंखों से ओझल नहीं हो गया,,,।

शाम ढलने लगी थी रघु इधर-उधर घूमता हुआ अपने घर पहुंचा तो कजरी उसका ही इंतजार कर रही थी,,,,।


क्या बना रही हो मां,,,

आज तेरी पसंद का खीर और पूड़ी बना रही हूं लेकिन मेरे बदन में आज बहुत दर्द है थोड़ी मेरी मदद कर देगा,,,।


अरे हां हां क्यों नहीं,,,, आखिरकार मुझे ही तो अब तुम्हारी मदद करना पड़ेगा शालू जो नहीं है,,,,


ठीक है तू सब्जी काट दे और मैं आटा गुंथ देती हूं,,,,


ठीक है मां,,,,

(कजरी के मन में कुछ और चल रहा था वह अपने बेटे को पूरी तरह से उत्तेजित कर देना चाहती थी ताकि उसके मन की मुराद पूरी हो सके इसलिए वह लंबी लंबी लौकी को रघु की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,,)

ले ईसे छोटी-छोटी काट दे,,,,


लेकिन मुझे तो लौकी बिल्कुल भी पसंद नहीं,,,


मैं जानती हूं लेकिन मुझे तो पसंद है ना तेरे लिए तो मैं खीर पूड़ी बना रही हूं,,,,


मा मुझे समझ में नहीं आता कि तुम्हें लौकी क्यों पसंद है,,, लंबी लंबी है इसलिए,,,,



हां तो सच कह रहा है लंबी लंबी है इसलिए क्योंकि हम औरतों को लंबी लंबी चीज ही पसंद आती है,,,(अपने बेटे की तरफ कातिल मुस्कान बिखेरते हुए बोली)


ना जाने क्यों तुम औरतों को लंबी लंबी चीज ही पसंद आती है हम लड़कों को तो गोल-गोल चीज ज्यादा पसंद आती है,,,(लौकी को चाकू से छीलते हुए बोला,,,)


भला तुम लड़कों को गोल-गोल चीज ही क्यों पसंद आती है,,,,(आटे में लोटे से पानी डालते हुए बोली)


क्योंकि मां गोल गोल चीज पकड़ने में आसान होती है और अच्छा भी लगता है,,,,(लौकी को काटते हुए बोला,,कजरी की बातों को रघु और रघु की बातों को कितनी अच्छी तरह से समझ रही थी दोनों मां-बेटे दो अर्थ वाली बातें कर रहे थे दोनों को इस तरह की बातें करने में मजा भी आ रहा था,,,, अपने बेटे की बात सुनकर कजरी बोली,,)


अच्छी बात है तुम लोगों की यही आदत तो औरतों को अच्छी भी लगती है,,,(गहरी सांस लेते हुए कजरी बोली और अपनी मां की यह बात सुनकर रघु उत्तेजना से गदगद हो गया और अपनी मां के कहने का मतलब को जानते हुए भी जानबूझ कर बोला,,,)


हम लोगों की आदत औरतों को क्यों पसंद आती है,,,,


समय आने पर तु खुद समझ जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी जानबूझकर अपनी साड़ी को घुटनों तक चढ़ाकर बैठ गई जिससे उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया दिखने लगी और अपनी मां की गोरी गोरी मांसल चिकनी पिंडली को देखकर पजामें में रघु का लंड तनने लगा,,,।और कजरी जानबूझकर अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाकर अपनी दोनों हाथों को टांगों के बीच से लाकर आंटे को जोर जोर से गुंथने लगी,,,कचरी पहले से ही जानबूझकर अपने ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खोल कर रखी थी क्योंकि वह जानती थी इस तरह से आटा गूंथने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां छलक कर बाहर आ जाएंगी,,, और यही हुआ जैसे ही वह आटा गूंथने के लिए थोड़ा सा झुकी,,,ब्लाउज का पहला बटन खुला होने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज के बाहर छलक उठी जिसे देखते ही रघु की हालत खराब हो गई और वह फटी आंखों से अपनी मां की सूचियों को देखने लगा,,,,।
 
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