कजरी कजरी,,,ओ कजरी,,,, अभी भी सोई हैं क्या,,,? बाप रे रात की बारिश ने तो जैसे सब कुछ दबा कर दिया हो,,,,
(ललिया की आवाज सुनते ही कजरी की नींद टूटी तो वह खटिए मैं अपने आपको अपने बेटे की बाहों में पाई और दोनों पूरी तरह से नंगे थे बाहर ललिया की आवाज सुनते ही वह बुरी तरह से चौक गई उसे डर था कि कहीं ललियां अंदर ना आ जाए,, अगर अंदर आ गई तो सब कुछ तबाह हो जाएगा इसलिए आनन-फानन में वह एकदम से खटिए पर उठ कर बैठ गई,,,, रघू की भी नींद तुरंत खुल गई,,, रघु भी मौके की नजाकत को समझते हुए,,, तुरंत खटिया पर से नीचे खड़ा हुआ और आनन-फानन में अपने कपड़े पहनने लगा जो की खटिए के नीचे फेंके हुए थे,, कजरी भी तुरंत खटिया से नीचे उतरी और अपनी पेटीकोट पहनने लगी कोने में पड़ी ब्लाउज को उठाकर जल्दी से अपनी बाहों में डालकर अपनी बड़ी-बड़ी दशहरी आम को छुपाने लगी,,,, ललिया अब तक घर के बाहर ही खड़ी थी,,, कजरी और रघु यह बात दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि ललिया का बिल्कुल भी भरोसा नहीं था वह बेझिझक अंदर तक आ जाती थी और वह दोनों नहीं चाहते थे कि उन दोनों की इस हालत को कोई और देखें,,,, कजरी मन ही मन भगवान को धन्यवाद देने लगी कि ऐन मौके पर उसकी आंख खुल गई थी वह दोनों कपड़े पहन चुके थे,,,, वह यह सोचकर एकदम से घबरा उठी थी कि अगर खटिया पर उन दोनों को ललीया अपनी आंखों से देख लेती तो क्या होता,,,,
कजरी अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए बाहर आ गई,,,,
क्या हुआ इतनी सुबह सुबह,,,,
अरे यह सुबह-सुबह है तु ही देर तक सो रही थी उठने का समय है,,,,और अपने चारों तरफ देख तो सही क्या हाल हुआ है,,,,, खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है,,,,
अरे तो इसमें क्या हुआ भरा है तो सुख भी जाएगा,,, लेकिन यह बात है कि रात को जो बारिश हुई ऐसी बारिश मैंने कभी जिंदगी में नहीं देखी थी और यह रात की बारिश मैं कभी जिंदगी में नहीं भूल पाऊंगी,,,,।
सच कह रही हो कजरी नेट एकदम से घबरा गई थी मैंने भी ऐसी बारिश कभी नहीं देखी थी इतनी जोर जोर से बादल गड़गड़ा रहे थे,,, इतनी तेज आंधी चल रही थी,,, की मुझे तो लगने लगा था कि आज मेरी मड़ई उड़ जाएगी,,,,
चल अच्छा हुआ बच गई,,,,
मैं तो खेतों में जा रही हूं एक नजर मारने,,, तुझे आना है तो आ जा,,,
नहीं तु जा मुझे अभी बहुत काम है,,,, गाय भैंस को चारा भी देना है,,,,
ठीक है मैं जा रही हूं,,,( और इतना कह कर ललिया चली गई,,,,, कजरी मन ही मन में उसको बुदबुदाते हुए वापस कमरे में आ गई,,,, रघु वही अंदर वाले कमरे में खड़ा था और अपनी मां से बोला,,,)
क्या हुआ गई कि नहीं,,,?
गई,,,,
साली परेशान करके रख दी है,,,,
(अपने बेटे के मुंह से ललिया के लिए गाली सुनकर कजरी मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)
गाली कब से देने लगा,,,,
क्या करूं मा,,,, यह ललिया चाची ना हम दोनों को चैन से सोने भी नहीं देगी,,,,
तू सच कह रहा है,,,,, अगर आज मेरी नींद वक्त पर ना खुलती तो गजब हो जाता,,,,
क्या हो जाता कुछ नहीं,,,, हम दोनों का राज,,, राज ही रहता,,,,
वह कैसे,,,?(कजरी तिरछी नजर से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली)
अरे उसे भी अपने खेल में शामिल कर लेते,,,,
और तुझे क्या लगता है कि वह शामिल हो जाती है,,,
क्यों नहीं होती,,,, औरत की सबसे बड़ी कमजोरी यही होती है,,, चाचा जी को देखो एकदम मरियल से है,, और चाची एकदम गदराई हुई,,,,उनकी बड़ी बड़ी गांड देखकर मुझे लगता नहीं है कि चाचा जी चाची को खुश कर पाते होंगे,,,,
ओर जेसे तू खुश कर लेता ना,,,,(कजरी प्रश्न सूचक नजरों से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,,)
तुम नहीं हुई क्या मां,,,, तुम जैसी खूबसूरत हुस्न की परी स्वर्ग की अप्सरा को जब मैं अपने (पजामे के ऊपर से ही धीरे-धीरे तन रहे अपने लंड के ऊपर हाथ रखते हुए) लंड से पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया तो ललिया क्या चीज है,,,।
(अपने बेटे की इस तरह की गंदी बात और उसकी हरकत जो कि वह अपने हाथ से अपने लंड को पजामे के ऊपर से दबा रहा था यह देखकर कजरी पूरी तरह से एक बार फिर से उत्तेजित होने लगी,,, और अपने लिए स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा का बडाई सुनते ही वह मन ही मन और खुश होने लगी,,, वह मुस्कुराते हुए अपने बेटे के पजामे की तरफ देखते हुए बोली,,)
बड़ा नाज है तुझे अपने,,,,,,लंड पर,,,(कजरी लंड शब्द पर कुछ ज्यादा ही भार देते हुए बोली,,,)
क्यों नहीं होगा मां,,,,, लेकिन सच कहूं तो,,,,(अपनी मां की तरफ कदम बढ़ाते,,, हुए) मुझे सबसे ज्यादा नाज है तुम्हारी (अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर सीधे साड़ी के ऊपर से ही अपनी मां की दोनों टांगों के बीच रखकर उसकी बुर को दबाते हुए) इस रसीली बुर पर,,,,,,,,, एक लंड की असली ताकत की परीक्षा तभी होती है जब वह किसी बेहद खूबसूरत हसीन औरत जैसे कि तुम उसकी बुर में जाकर उसे पूरी तरह से संतुष्ट करके ही बाहर आए तब जाकर वह एक असली मर्द कहलाता है,,,,,,,
और तूने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया है,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी अपना हाथ आगे बढ़ाकर सीधे उसे अपने बेटे को लंड पर रख दी जो की पूरी तरह से तैयार हो चुका था,,, अपनी मां के हाथों की पकड़ को अपने लंड पर महसूस करते ही रघू से रहा नहीं गया,,, और वह अपनी मां की कमर में अपना दूसरा हाथ डालकर उसे अपने करीब खींच लिया और उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर एक बार फिर से उसके होठों का रसपान करने लगा थोड़ी सी देर में कजरी पूरी तरह से काम उत्तेजित हो गई उसकी सांसे गहरी चलने लगी अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से अपनी बुर में लेने के लिए मचलने लगी,,,, और रघु भी अपनी मां को एक बार फिर से चोदने के लिए बेताब हो गया,,, अपनी मां के होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर साड़ी के ऊपर से ही अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को दबाना शुरू कर दिया,, भले ही वह रात में जमकर अपनी मां की दो बार चुदाई कर चुका था लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाकी था और वैसे भी संभोग कभी भी पूर्ण नहीं होता इसकी चाहत खत्म नहीं होती,,, इसीलिए रघू अपने दोनों हाथों से अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड पर चपत लगाने लगा,,, कजरी मदहोश होते ही अपना एक हाथ अपने बेटे के पजामे में डाल कर उसके खड़े लंड को पकड़ ली,,,वह भी अपने बेटे से खुलकर प्यार नहीं कर पाई थी लेकिन एक ही रात में धीरे-धीरे वह पूरी तरह से खुलती चली जा रही थी,,,, कजरी पूरी तरह से मदहोशी में अपने बेटे के मोटे तक में लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर मुठिया रही थी,,, रघू अपनी मां की इस कामुक हरकत पर पूरी तरह से उत्तेजित हो उठा और एक झटके से हमसे उसकी बांह पकड़ कर दूसरी तरफ घुमा दिया और उसकी साड़ी को कमर तक उठाए हुए ही वह बिना कुछ बोलेगहरी सांस लेते हुए अपनी मां की पीठ पर अपनी हथेली रखकर उसे नीचे की तरफ दबाने लगा,,,कजरी अपने बेटे के इशारे को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए वह अपने बेटे की हथेली का दबाव अपनी पीठ पर पाते ही वह उसी दिशा में नीचे की तरफ झुकती चली गई और रघु तब तक अपनी मां को झुकाता रहा जब तक कि उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से खील नहीं उठा,,,, रघु को बड़े आराम से अपनी मां की गुलाबी बुर नजर आने लगी,,,, अपनी मां की गुलाबी बुर को देख कर उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रात भर उसी बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई किया है,,,, रघु तुरंत अपना पजामा घुटनों तक खींच दिया,,, और अपने टनटनाते लंड को हाथ से पकड़ कर उसके मोटे सुपाड़े को अपनी मां की बुर की गुलाबी पतियों के बीच रगडना शुरू कर दिया,,,, अपने बेटे की इस जबरदस्त कामुक हरकत की वजह से ना चाहते हुए भी कजरी के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,,।
सहहहहहहहह,,,रघघघघुऊऊऊऊऊऊ,,,,,
(अपनी मां की मादक सिसकारी की आवाज सुनते ही रघू पूरी तरह से पागल हो गया,,, वह मदहोश हो उठा अपनी मां की गर्भ सिसकारी की आवाज ने उसे पूरी तरह से चुदवासा कर दिया,,, और वह अपने बदामी रंग के सुपाड़े को हल्के से अपनी मां की गुलाबी पत्तियों के बीच सरकाना शुरू कर दिया अपनी मां की बुर में लंड डालना उसके लिए बेहद आसान हो चुका था क्योंकि रात भर में उसने अपनी मां का छेद बड़ा जो कर दिया था,,,,, कजरी को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके बेटे का लंड उसकी बुर में पहली बार जा रहा हो कजरी कोअपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर अपने बेटे के लंड की मोटाई की रगड़ बराबर महसूस हो रही थी,,,, जैसे-जैसे रघु का लंड बुर के अंदर घुस रहा था वैसे वैसे कजरी का मुंह खुलता चला जा रहा था,,,,, और देखते ही देखते रघु ने एक बार फिर से अपनी मां की मतवाली जवानी को काबू में करते हुए अपने लंड को अपनी मां की बुर की गहराई में डाल दिया और लगा अपनी कमर हिलाने,,,, कजरी एक बार फिर चहक उठी,,, उसकी बेलगाम जवानी पर उसका बेटा पूरी तरह से काबू पा चुका था उसकी कमर था मैं जोर-जोर से अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था और उसके हर एक धक्के पर कजरी आगे की तरफ लुढ़क जा रही थी क्योंकि वह खटिया के पाटी को पकड़कर अपने आप को संभाले हुए थी,,,,
देखते ही देखते अंदर वाले कमरे में कजरी की मादक सिसकारियां गूंजने लगी,,,, और जांघ से जांघ टकराने की आवाज अलग उन्माद जगा रही थी,,,,
एक बार फिर कजरी पानी पानी हो चुकी थी,,, और कुछ ही देर में रघू भी ढेर हो गया,,,,।
कजरी अपने कपड़े दुरुस्त कर के काम में लग गई लेकिन उसे एक बात की चिंता सताए जा रही थी कि अब उसके और उसके बेटे के बीच किसी भी प्रकार की दीवार नहीं रह गई थी सब कुछ ढह चुका था और कजरी यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि औरत चुदवाने के बाद और ज्यादा प्यासी हो जाती है,,,, वह अच्छी तरह से जानती थी कि यह यह सिलसिला अब यहां रुकने वाला नहीं था,,,,,।
और वह यह भी नहीं चाहती थी कि दोनों के बीच के इस सिलसिले पर किसी तरह की रुकावट आए,,, और ना ही किसी भी तरह से दोनों मां-बेटे की बदनामी हो,,,,,, वैसे भी आज सुबह में ललिया के हांथो दोनों पकड़ा ते पकड़ाते बचे थे,,,, अब इस तरह की गलती दोबारा ना हो इसलिए कजरी अपने मन में फैसला कर ली थी और रघु को बुलाकर बोली,,,।
रघु हमें आज ही लकड़ी का दरवाजा बनाना होगा,,,
वह किसलिए मां,,,
अरे बुद्धू देखा नहीं आज सुबह में ललिया कैसे आ धमकी थी,,, अगर हम दोनों पकड़े जाते तो,,, द्वार पर दरवाजा रहेगा तो हम लोगों को इत्मीनान रहेगा,,,
सच कह रही हो मां,,,, मैं अभी इंतजाम करता हूं,,,,
और रघू,,, बांस का इंतजाम करने लगा और उसे दरवाजे की ऊंचाई तक काटकर एक-एक करके सारे बांस को जोड़ता गया और दरवाजा तैयार कर दिया,,,
दूसरी तरफ़ बिरजू अपने प्यार को पाकर पूरी तरह से खुश हो चुका था जो उसे छूने से भी डरता था वह 2 दिन से सालु की चुदाई कर रहा था शालू भी बहुत खुश थी,,, बिरजू को जब यह बात का पता चला कि सालु के पेट में उसका बच्चा पल रहा है तो वो खुशी से झूम उठा,,, उसे यही लग रहा था कि शादी से पहले शालू की चुदाई करने पर ही बच्चा ठहर गया है,,, जबकि हकीकत सिर्फ सालु और रघु ही जानते थे राधा और बड़ी मालकिन को यही लगता था कि शालू के पेट में पल रहा बच्चा बिरजू का ही है,,,, शालू तो अपनी गलती को छुपाने के लिए ही बिरजू के साथ चुदवाने का बस नाटक की थी ताकि वह अपने पाप को दुनिया वालों से छुपा सके अपनी और अपने भाई के बीच के नाजायज संबंध को बिरजू के नाम से ढंक सके और वह अपने भाई के द्वारा बताएं गए युक्ति पर चलकर वहां कामयाब भी हो चुकी थी,,,शालू के ससुराल में सब को यही लगता था कि उसके पेट में पल रहा बच्चा उनके खानदान का चिराग है,,,
बिरजू से चुदवाने में उसे अच्छा तो लगता था लेकिन अपने भाई की तरह वह तृप्ति का अहसास नहीं दिला पाता था,,,।
शाम ढल चुकी थी,,, रघु बांस की लकड़ियों का एक अच्छा खासा दरवाजा तैयार कर दिया था और उस में अंदर से कड़ी भी लगा दिया था,,, दरवाजे को देखकर ललिया बोली,,,।
अरे वाह कजरी यह एक ही दिन में इतना अच्छा दरवाजा तैयार करके लगा भी दी,,,
हां रे,,,
इतने सालों से तो मैं देखती आ रही हूं,,, दरवाजे की जरूरत कभी पडी नहीं,,,। शालू के जाते ही दरवाजे की जरूरत पड़ गई,,, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,
(ललिया की ऐसी बात सुनते ही कजरी एकदम से सकपका गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोले तभी अपने दिमाग को दौडाते हुए हक लाते हुए बोली,,,)
व,,व,,,वो क्या है ना कि तू तो जानती ही हैं,,, की इससे पहले दरवाजे की जरूरत क्यों नहीं पड़ी,,,, दिनभर शालू घर पर ही रहती थी तो एक तरह से घर की रखवाली हो जाया करती थी,,, मैं दिन भर खेतों में इधर-उधर काम करती रहती हुं,,, दिन भर कहां घर पर रहती हुं,,, और शालू के जाने के बाद तू तो जानती ही है की रघू का कोई ठिकाना नहीं होता वो दिन भर घूमता रहता है,,,,, कभी हां तो कभी वहां और वैसे भी बरसात का महीना शुरु हो गया है तो देख ली जानवर कीड़े मकोड़ों का घर में घुसा आना अच्छा नहीं लगता है,,, इसलिए दरवाजा रहेगा तो मैं भी निश्चिंत रहूंगी,,,।
बात तो तू सही कह रही है कजरी,,,, दरवाजा भी अच्छा बनाया है,,, लेकिन बनाया किसने ,,,
रघु ने और किसने,,,,
वाह दरवाजा तो बहुत अच्छा बनाया है मैं भी बनाऊंगी,,, रघु से,,,
बनवा लेना,,,,,
(ललिया मुस्कुराते हुए अपने घर की तरफ चली गई और उसके जाते ही कजरी राहत की सांस ली,,,,,,,
शाम ढलने लगी थी,,, रघु बहुत खुश था क्योंकि एक ही रात में उसे सारी दुनिया जो मिल गई थी अपनी मां को पाकर वह बहुत खुश था,,, और उसकी मां की बहुत खुश थी यह बात भी रघु अच्छी तरह से जानता था तभी तो वह दोनों के बीच पनपते संबंध को लेकर किसी को भनक ना लग जाए इसीलिए तो दरवाजा लगवा दी थी ताकि बेझिझक दोनों घर के अंदर मस्ती कर सकें,,, रघु अपनी मां को खुश करने के लिए समोसे और जलेबी खरीदने के लिए हलवाई के वहां पहुंच गया क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां को जलेबी और समोसे बहुत पसंद है,,, वह अपने मन में यही ठान कर रखा था कि आज वह अपनी मां को जलेबी और समोसे खिला कर अपना लंड चटवाएगा,,, और अपनी इस अभिलाषा को लेकर वह बेहद उत्साहित भी था,,,,।
हलवाई की दुकान पर रघू पहुंच चुका था,,, औरो दिन की तरह आज भी दुकान पर इक्का-दुक्का लोग ही बैठे हुए थे,,, हलवाई की बीवी पर नजर पड़ते ही रघु को पुराने दिन याद आ गए,,,,