• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,238
56,541
259
आखिरकार हलवाई की बीवी रघु के संभोग गाथा की पहली नायिका जो थी,, जिसने सर्वप्रथम उसे एक औरत के खूबसूरत जिस्म के हर कोने से उसके हर एक अंग से वाकिफ कराई थी,,, संभोग की परिभाषा को रघु के साथ मिलकर सार्थक करके दिखाई थी,,, रघु ने जिंदगी में पहली बारहलवाई की बीवी के साथ संभोग की शुरुआत करके उसके एहसास से पूर्ण रूप से अवगत हुआ था,,, इसीलिए वह हलवाई की बीवी के एहसान को जिंदगी में कभी भी भुला नहीं सकता था,,,,

हलवाई की बीवी की नजर जैसे ही रघू पर पड़ी उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और साथ ही तन बदन में उन मादकता बढ़ने लगी,,,, हलवाई की बीवी रघु से चुदवाने के बाद अभी तक उस तरह की तृप्ति का एहसास नहीं महसूस कर पाई थी इसलिए रघु की याद उसे बहुत सताती थी,,, इसलिए तो आज रघू को इतने दिनों बाद देख कर वो खुशी से फूली नहीं समा रही थी,,,, और एकदम से खुश होते हुए बोली,,,।


आज बड़े दिनों बाद याद आई रे तुझे यहां की,,,(कढ़ाई में समोसे तलते हुए बोली,,,)

ऐसी बात नहीं है चाची,,, याद तो तुम्हारी रोज ही आती थी,,,(हलवाई की बीवी की खुली हुई दोनों टांगों के बीच झांकते हुए बोला,,,हलवाई की बीवी रघु की नजरों को अच्छी तरह से भांप गई थी और इसीलिए मुस्कुराते हुए बोली,,,)


मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लगता कि तुझे मेरी याद आती होगी,,,


सच कह रहा हूं चाची,, वैसे भी तुम भूलने वाली चीज बिल्कुल भी नहीं हो,,, हां इस बात के लिए माफी मांगता हूं कि इधर आ नहीं सका और शादी में तुम्हारे वहां आने के बावजूद भी मैं तुमसे मिल नहीं पाया क्योंकि काम ही बहुत ज्यादा था तुम तो अच्छी तरह से जानती हो कि बहन की शादी थी कितना दौड धुप करना पड़ता है,,,


हां बात तो सही है,,,, लेकिन फिर भी तुझसे मैं नाराज हूं,,,


किसलिए,,,,,?


मेरे साथ साथ तु ,( अपने चारों तरफ नजर घुमाकर तसल्ली कर लेने के बाद हलवाई की बीपी चूल्हे के अगल-बगल अपनी दोनों टांगों को फैलाए हुए थी और उसे रघु की तरफ करके दोनों टांगों को खोलकर बड़े अच्छे से,, अपनी बुर के दर्शन कराते हुए) इसे भी भुल गया,,,
(रघु तो हलवाई की बीवी की मादक अदा और उसकी बालों से भरी हुई बुर को देखकर एकदम से मदहोश हो गया,,, उसे पुराने दिन याद आ गए जब वह पहली बार नजर भर कर हलवाई की बीवी की बुर को देखा था हाथ में लालटेन दिए हुए उसे पेशाब कराते हुए देखा था,,, सब कुछ किसी फिल्म की तरह उसकी आंखों के सामने चलने लगा मोटी होने के बावजूद भी हलवाई की बीवी की मादकता और आकर्षण बरकरार थी,,, खड़े-खड़े किसी का भी पानी निकालने के लिए उसकी जवानी सक्षम थी,,,, रघु आंखें फाड़े उसकी खुली दोनों टांगों के बीच उसकी साड़ी के अंदर झांक रहा था,,,रघु की हालत को देखकर हलवाई की बीवी मंद मंद मुस्कुराने लगी और वापस से अपनी टांग दूसरी तरफ करते हुए बोली,,,।)

क्यों सच कह रही हूं ना,,,


नहीं चाची ऐसी बिल्कुल भी कोई बात नहीं है,,,, समय नहीं मिल पा रहा था खेती का काम ऊपर से शादी ब्याह उसी में ही उलझ कर रह गया,,,


तो आज कैसे फुर्सत मिल गई,,,,


अब तो बस फुर्सत ही फुर्सत है,,,,,,,, मैं समोसे और जलेबी लेने आया था,,,



चल अच्छा हुआ इसी बहाने तुझे मेरी याद तो आई,,, समोसे जलेबी नहीं खाने का होता तो याद भी नहीं आती,,, तू बिल्कुल बुद्धू तुझे दुनिया की सबसे बेशकीमती रसमलाई खिलाती हूं फिर भी तुम समोसे और जलेबी पर जान दिए हुए हैं,,,,


चाची तुम्हारी रसमलाई उसका स्वाद अभी तक मेरी जुबान पर है,,,,(रघु गहरी सांस लेते हुए बोला,,,)


चखेगा फिर से रसमलाई,,,,,


चाची नेकी और पूछ पूछ,,,,, बिल्कुल चखुंगा,,,,,(रघु एकदम से मदहोश होता हुआ बोला,,, उसकी बात सुनकर हलवाई की बीवी मुस्कुराने लगी और उसकी बुर में खुजली बढ़ने लगी,,, वह जल्द से जल्द पुराने दिनों की तरह आज भी रघु के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तड़प उठी,,, और रघु कढ़ाई में समोसे गलती हुई हलवाई की बीवी को बड़े गौर से देख रहा था उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां छोटी सी ब्लाउज में ठीक से समा नहीं पा रही थी,,,, जो कि कढ़ाई मैं समोसे को चलते हुए पानी भरे गुब्बारे की तरह मिल रही थी जिसे देख कर रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, बहुत खूबसूरत गदराए और हुस्न की मलिका उसकी झोली में थी फिर भी वह अभी भी दूसरी औरतों को देखकर लाल टपकारा था यही हर मर्दों की फितरत होती है मौका मिलने पर वह मौका कभी नहीं छोड़ते भले ही उनके बिस्तर में दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत क्यो ना हो,,, और रघु की भी यही इच्छा हो रही थी,,, हालांकि वह हलवाई की बीवी की जमकर चुदाई कर चुका था आज कई दिनों बाद उससे मुलाकात होते ही और उसकी मादक अदाओं को देखकर,,, रघु का लंड हलवाई की बीवी को देखकर खड़ा होने लगा था,,,,,,, हलवाई की बीवी अपने मन में रघु से चुदवाने का योजना बना रही थी,,,, इसलिए थोड़ा समय बीत जाने का इंतजार कर रही थी और वह इसी योजना के तहत रघु से बोली,,,,।)


रघु तेरे चाचा जी पास वाले गांव नहीं गए हैं इसलिए थोड़ी मेरी मदद कर दे,,,,।


बोलो चाची तुम्हारी मदद करने के लिए तो मैं हमेशा तैयार हूं,,, करना क्या है बोलो,,,,,।
(हलवाई की बीवी की टांग खोलकर बुर दिखाने वाली अदा को देखकर रघु का लंड पजामे में खड़ा हो चुका था,,, और उसकी पजामे को देखकर हलवाई की बीवी मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,, और मुस्कुराते हुए बोली,,,।)

जा जरा पीछे जाकर लकड़िया ला दे तो चूल्हा बुझने वाला है,,,।


ठीक है चाची में अभी जाकर लेकर आता हूं,,,,,,
(इतना कहकर रघु पीछे की तरफ चल दिया जहां पर ढेर सारी सुखी कोई लकड़िया रखी रहती है हलवाई की बीवी उसे जाते हुए देखती रही उसे साफ महसूस हो रहा था कि रघु से बात करके पुराने दिनों को याद करके उसकी बुर पसीजने लगी थी,,,,,, वह खुश होकर पूड़ी बेलने लगी ताकि और समोसे तैयार कर सके दूसरी तरफ रघू घर के पीछे की तरफ जैसे ही पहुंचा तो हेड पंप के पास का दृश्य देखकर उसकी आंखें चौड़ी हो गई,,,, वहां पर रघु की तरफ पीठ किए हुए एक लड़की बैठी हुई थी और यह लड़की वही लड़की थी जिसे रघू पहली बार इसी जगह पर मिला था और वह बर्तन साफ कर रही थी,,, काफी दिन बीत चुके थे इसलिए उसका नाम तक याद नहीं था लेकिन उसकी गोरी गोरी गांड देखकर उसके होश उड़ गए थे,,,, लड़की हेड पंप के पास बैठकर पेशाब कर रही थी,,, रघु एकदम से स्थिर खडा हो गया,,,,,,, गांव के किनारे हलवाई की दुकान होने की वजह से यहां पर हमेशा शांति रहती थी और इसीलिए ही,,, उसकी बुर से निकल रही सीटी की आवाज सीधे रघु के कानों में मिश्री की तरह घुल रही थी,,,,,, रघू तो उसे देखता ही रह गया,,,,, रघु को सिर्फ उसकी नंगी गांड ही नजर आ रही थी,,,, यह दृश्य रघु को पूरी तरह से मदहोश कर देने के लिए काफी था,,,, फिर पंप के अगल बगल जामफल के पेड़ लगे हुए थे जिससे वहां पूरी तरह से छाया थी,,,, अपने आप ही रघू का हाथ पजामे के ऊपर से लंड को दबाने लगा,,,,,,,, गोलाकार जवान गांड रघु के होश उड़ा रही थी,,,,,, पल भर में ही रघू उस लड़की की गांड से हलवाई की बीवी की गांड की तुलना करने लगा,,,, रघु समझ गया था कि यह हलवाई की लड़की है,,,,अपने मन में ही सोच रहा था कि एक तरफ मां की बड़ी-बड़ी मदमस्त कर देने वाली गांड दूसरी तरफ बेटी की 4 बोतलों के नशा से भरपूर जवान गांड,,, दोनों अपने आप में बेमिसाल है एक दूसरे से तुलना करना उन दोनों की खूबसूरती और उनके खूबसूरत अंगों की तोहीन करने के बराबर थी,,,। रघु अपने मन में ही सोचने लगा कि दोनों मां बेटी की गांड अपने आप में लाजवाब थी,,, रघु अपने मन में यही सोच रहा था कि तभी वहां लड़की पेशाब करके तुरंत खड़ी हुई और अपनी सलवार को कमर तक खींच कर सलवार की डोरी बांधने के लिए रघु की तरफ घूमी तो रघू को अपनी आंखों के सामने देखती हो पूरी तरह से चौक गई,,,उसके पीछे कोई लड़का खड़ा होगा इस बात का उसे अंदाजा भी नहीं था इसलिए पूरी तरह से खबर आ चुकी थी और तुरंत रघु की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई और अपनी सलवार की डोरी बांधने लगी और अपनी सलवार की डोरी बांधते बांधते बोली,,,।
Bhai kya Boli??
 
  • Like
Reactions: Napster

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,238
56,541
259
Bhai ekdu Must Update.
Waiting for Next update
 

jayantaDS

Aao kabhi haveli pe
475
1,858
124
कजरी कजरी,,,ओ कजरी,,,, अभी भी सोई हैं क्या,,,? बाप रे रात की बारिश ने तो जैसे सब कुछ दबा कर दिया हो,,,,
(ललिया की आवाज सुनते ही कजरी की नींद टूटी तो वह खटिए मैं अपने आपको अपने बेटे की बाहों में पाई और दोनों पूरी तरह से नंगे थे बाहर ललिया की आवाज सुनते ही वह बुरी तरह से चौक गई उसे डर था कि कहीं ललियां अंदर ना आ जाए,, अगर अंदर आ गई तो सब कुछ तबाह हो जाएगा इसलिए आनन-फानन में वह एकदम से खटिए पर उठ कर बैठ गई,,,, रघू की भी नींद तुरंत खुल गई,,, रघु भी मौके की नजाकत को समझते हुए,,, तुरंत खटिया पर से नीचे खड़ा हुआ और आनन-फानन में अपने कपड़े पहनने लगा जो की खटिए के नीचे फेंके हुए थे,, कजरी भी तुरंत खटिया से नीचे उतरी और अपनी पेटीकोट पहनने लगी कोने में पड़ी ब्लाउज को उठाकर जल्दी से अपनी बाहों में डालकर अपनी बड़ी-बड़ी दशहरी आम को छुपाने लगी,,,, ललिया अब तक घर के बाहर ही खड़ी थी,,, कजरी और रघु यह बात दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि ललिया का बिल्कुल भी भरोसा नहीं था वह बेझिझक अंदर तक आ जाती थी और वह दोनों नहीं चाहते थे कि उन दोनों की इस हालत को कोई और देखें,,,, कजरी मन ही मन भगवान को धन्यवाद देने लगी कि ऐन मौके पर उसकी आंख खुल गई थी वह दोनों कपड़े पहन चुके थे,,,, वह यह सोचकर एकदम से घबरा उठी थी कि अगर खटिया पर उन दोनों को ललीया अपनी आंखों से देख लेती तो क्या होता,,,,

कजरी अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए बाहर आ गई,,,,


क्या हुआ इतनी सुबह सुबह,,,,


अरे यह सुबह-सुबह है तु ही देर तक सो रही थी उठने का समय है,,,,और अपने चारों तरफ देख तो सही क्या हाल हुआ है,,,,, खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है,,,,


अरे तो इसमें क्या हुआ भरा है तो सुख भी जाएगा,,, लेकिन यह बात है कि रात को जो बारिश हुई ऐसी बारिश मैंने कभी जिंदगी में नहीं देखी थी और यह रात की बारिश मैं कभी जिंदगी में नहीं भूल पाऊंगी,,,,।


सच कह रही हो कजरी नेट एकदम से घबरा गई थी मैंने भी ऐसी बारिश कभी नहीं देखी थी इतनी जोर जोर से बादल गड़गड़ा रहे थे,,, इतनी तेज आंधी चल रही थी,,, की मुझे तो लगने लगा था कि आज मेरी मड़ई उड़ जाएगी,,,,


चल अच्छा हुआ बच गई,,,,


मैं तो खेतों में जा रही हूं एक नजर मारने,,, तुझे आना है तो आ जा,,,



नहीं तु जा मुझे अभी बहुत काम है,,,, गाय भैंस को चारा भी देना है,,,,


ठीक है मैं जा रही हूं,,,( और इतना कह कर ललिया चली गई,,,,, कजरी मन ही मन में उसको बुदबुदाते हुए वापस कमरे में आ गई,,,, रघु वही अंदर वाले कमरे में खड़ा था और अपनी मां से बोला,,,)

क्या हुआ गई कि नहीं,,,?


गई,,,,



साली परेशान करके रख दी है,,,,
(अपने बेटे के मुंह से ललिया के लिए गाली सुनकर कजरी मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)


गाली कब से देने लगा,,,,


क्या करूं मा,,,, यह ललिया चाची ना हम दोनों को चैन से सोने भी नहीं देगी,,,,


तू सच कह रहा है,,,,, अगर आज मेरी नींद वक्त पर ना खुलती तो गजब हो जाता,,,,



क्या हो जाता कुछ नहीं,,,, हम दोनों का राज,,, राज ही रहता,,,,


वह कैसे,,,?(कजरी तिरछी नजर से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली)


अरे उसे भी अपने खेल में शामिल कर लेते,,,,



और तुझे क्या लगता है कि वह शामिल हो जाती है,,,


क्यों नहीं होती,,,, औरत की सबसे बड़ी कमजोरी यही होती है,,, चाचा जी को देखो एकदम मरियल से है,, और चाची एकदम गदराई हुई,,,,उनकी बड़ी बड़ी गांड देखकर मुझे लगता नहीं है कि चाचा जी चाची को खुश कर पाते होंगे,,,,


ओर जेसे तू खुश कर लेता ना,,,,(कजरी प्रश्न सूचक नजरों से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,,)


तुम नहीं हुई क्या मां,,,, तुम जैसी खूबसूरत हुस्न की परी स्वर्ग की अप्सरा को जब मैं अपने (पजामे के ऊपर से ही धीरे-धीरे तन रहे अपने लंड के ऊपर हाथ रखते हुए) लंड से पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया तो ललिया क्या चीज है,,,।

(अपने बेटे की इस तरह की गंदी बात और उसकी हरकत जो कि वह अपने हाथ से अपने लंड को पजामे के ऊपर से दबा रहा था यह देखकर कजरी पूरी तरह से एक बार फिर से उत्तेजित होने लगी,,, और अपने लिए स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा का बडाई सुनते ही वह मन ही मन और खुश होने लगी,,, वह मुस्कुराते हुए अपने बेटे के पजामे की तरफ देखते हुए बोली,,)

बड़ा नाज है तुझे अपने,,,,,,लंड पर,,,(कजरी लंड शब्द पर कुछ ज्यादा ही भार देते हुए बोली,,,)


क्यों नहीं होगा मां,,,,, लेकिन सच कहूं तो,,,,(अपनी मां की तरफ कदम बढ़ाते,,, हुए) मुझे सबसे ज्यादा नाज है तुम्हारी (अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर सीधे साड़ी के ऊपर से ही अपनी मां की दोनों टांगों के बीच रखकर उसकी बुर को दबाते हुए) इस रसीली बुर पर,,,,,,,,, एक लंड की असली ताकत की परीक्षा तभी होती है जब वह किसी बेहद खूबसूरत हसीन औरत जैसे कि तुम उसकी बुर में जाकर उसे पूरी तरह से संतुष्ट करके ही बाहर आए तब जाकर वह एक असली मर्द कहलाता है,,,,,,,


और तूने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया है,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी अपना हाथ आगे बढ़ाकर सीधे उसे अपने बेटे को लंड पर रख दी जो की पूरी तरह से तैयार हो चुका था,,, अपनी मां के हाथों की पकड़ को अपने लंड पर महसूस करते ही रघू से रहा नहीं गया,,, और वह अपनी मां की कमर में अपना दूसरा हाथ डालकर उसे अपने करीब खींच लिया और उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर एक बार फिर से उसके होठों का रसपान करने लगा थोड़ी सी देर में कजरी पूरी तरह से काम उत्तेजित हो गई उसकी सांसे गहरी चलने लगी अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से अपनी बुर में लेने के लिए मचलने लगी,,,, और रघु भी अपनी मां को एक बार फिर से चोदने के लिए बेताब हो गया,,, अपनी मां के होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर साड़ी के ऊपर से ही अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को दबाना शुरू कर दिया,, भले ही वह रात में जमकर अपनी मां की दो बार चुदाई कर चुका था लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाकी था और वैसे भी संभोग कभी भी पूर्ण नहीं होता इसकी चाहत खत्म नहीं होती,,, इसीलिए रघू अपने दोनों हाथों से अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड पर चपत लगाने लगा,,, कजरी मदहोश होते ही अपना एक हाथ अपने बेटे के पजामे में डाल कर उसके खड़े लंड को पकड़ ली,,,वह भी अपने बेटे से खुलकर प्यार नहीं कर पाई थी लेकिन एक ही रात में धीरे-धीरे वह पूरी तरह से खुलती चली जा रही थी,,,, कजरी पूरी तरह से मदहोशी में अपने बेटे के मोटे तक में लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर मुठिया रही थी,,, रघू अपनी मां की इस कामुक हरकत पर पूरी तरह से उत्तेजित हो उठा और एक झटके से हमसे उसकी बांह पकड़ कर दूसरी तरफ घुमा दिया और उसकी साड़ी को कमर तक उठाए हुए ही वह बिना कुछ बोलेगहरी सांस लेते हुए अपनी मां की पीठ पर अपनी हथेली रखकर उसे नीचे की तरफ दबाने लगा,,,कजरी अपने बेटे के इशारे को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए वह अपने बेटे की हथेली का दबाव अपनी पीठ पर पाते ही वह उसी दिशा में नीचे की तरफ झुकती चली गई और रघु तब तक अपनी मां को झुकाता रहा जब तक कि उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से खील नहीं उठा,,,, रघु को बड़े आराम से अपनी मां की गुलाबी बुर नजर आने लगी,,,, अपनी मां की गुलाबी बुर को देख कर उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रात भर उसी बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई किया है,,,, रघु तुरंत अपना पजामा घुटनों तक खींच दिया,,, और अपने टनटनाते लंड को हाथ से पकड़ कर उसके मोटे सुपाड़े को अपनी मां की बुर की गुलाबी पतियों के बीच रगडना शुरू कर दिया,,,, अपने बेटे की इस जबरदस्त कामुक हरकत की वजह से ना चाहते हुए भी कजरी के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,,।


सहहहहहहहह,,,रघघघघुऊऊऊऊऊऊ,,,,,
(अपनी मां की मादक सिसकारी की आवाज सुनते ही रघू पूरी तरह से पागल हो गया,,, वह मदहोश हो उठा अपनी मां की गर्भ सिसकारी की आवाज ने उसे पूरी तरह से चुदवासा कर दिया,,, और वह अपने बदामी रंग के सुपाड़े को हल्के से अपनी मां की गुलाबी पत्तियों के बीच सरकाना शुरू कर दिया अपनी मां की बुर में लंड डालना उसके लिए बेहद आसान हो चुका था क्योंकि रात भर में उसने अपनी मां का छेद बड़ा जो कर दिया था,,,,, कजरी को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके बेटे का लंड उसकी बुर में पहली बार जा रहा हो कजरी कोअपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर अपने बेटे के लंड की मोटाई की रगड़ बराबर महसूस हो रही थी,,,, जैसे-जैसे रघु का लंड बुर के अंदर घुस रहा था वैसे वैसे कजरी का मुंह खुलता चला जा रहा था,,,,, और देखते ही देखते रघु ने एक बार फिर से अपनी मां की मतवाली जवानी को काबू में करते हुए अपने लंड को अपनी मां की बुर की गहराई में डाल दिया और लगा अपनी कमर हिलाने,,,, कजरी एक बार फिर चहक उठी,,, उसकी बेलगाम जवानी पर उसका बेटा पूरी तरह से काबू पा चुका था उसकी कमर था मैं जोर-जोर से अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था और उसके हर एक धक्के पर कजरी आगे की तरफ लुढ़क जा रही थी क्योंकि वह खटिया के पाटी को पकड़कर अपने आप को संभाले हुए थी,,,,
देखते ही देखते अंदर वाले कमरे में कजरी की मादक सिसकारियां गूंजने लगी,,,, और जांघ से जांघ टकराने की आवाज अलग उन्माद जगा रही थी,,,,

एक बार फिर कजरी पानी पानी हो चुकी थी,,, और कुछ ही देर में रघू भी ढेर हो गया,,,,।

कजरी अपने कपड़े दुरुस्त कर के काम में लग गई लेकिन उसे एक बात की चिंता सताए जा रही थी कि अब उसके और उसके बेटे के बीच किसी भी प्रकार की दीवार नहीं रह गई थी सब कुछ ढह चुका था और कजरी यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि औरत चुदवाने के बाद और ज्यादा प्यासी हो जाती है,,,, वह अच्छी तरह से जानती थी कि यह यह सिलसिला अब यहां रुकने वाला नहीं था,,,,,।
और वह यह भी नहीं चाहती थी कि दोनों के बीच के इस सिलसिले पर किसी तरह की रुकावट आए,,, और ना ही किसी भी तरह से दोनों मां-बेटे की बदनामी हो,,,,,, वैसे भी आज सुबह में ललिया के हांथो दोनों पकड़ा ते पकड़ाते बचे थे,,,, अब इस तरह की गलती दोबारा ना हो इसलिए कजरी अपने मन में फैसला कर ली थी और रघु को बुलाकर बोली,,,।

रघु हमें आज ही लकड़ी का दरवाजा बनाना होगा,,,


वह किसलिए मां,,,


अरे बुद्धू देखा नहीं आज सुबह में ललिया कैसे आ धमकी थी,,, अगर हम दोनों पकड़े जाते तो,,, द्वार पर दरवाजा रहेगा तो हम लोगों को इत्मीनान रहेगा,,,


सच कह रही हो मां,,,, मैं अभी इंतजाम करता हूं,,,,

और रघू,,, बांस का इंतजाम करने लगा और उसे दरवाजे की ऊंचाई तक काटकर एक-एक करके सारे बांस को जोड़ता गया और दरवाजा तैयार कर दिया,,,


दूसरी तरफ़ बिरजू अपने प्यार को पाकर पूरी तरह से खुश हो चुका था जो उसे छूने से भी डरता था वह 2 दिन से सालु की चुदाई कर रहा था शालू भी बहुत खुश थी,,, बिरजू को जब यह बात का पता चला कि सालु के पेट में उसका बच्चा पल रहा है तो वो खुशी से झूम उठा,,, उसे यही लग रहा था कि शादी से पहले शालू की चुदाई करने पर ही बच्चा ठहर गया है,,, जबकि हकीकत सिर्फ सालु और रघु ही जानते थे राधा और बड़ी मालकिन को यही लगता था कि शालू के पेट में पल रहा बच्चा बिरजू का ही है,,,, शालू तो अपनी गलती को छुपाने के लिए ही बिरजू के साथ चुदवाने का बस नाटक की थी ताकि वह अपने पाप को दुनिया वालों से छुपा सके अपनी और अपने भाई के बीच के नाजायज संबंध को बिरजू के नाम से ढंक सके और वह अपने भाई के द्वारा बताएं गए युक्ति पर चलकर वहां कामयाब भी हो चुकी थी,,,शालू के ससुराल में सब को यही लगता था कि उसके पेट में पल रहा बच्चा उनके खानदान का चिराग है,,,
बिरजू से चुदवाने में उसे अच्छा तो लगता था लेकिन अपने भाई की तरह वह तृप्ति का अहसास नहीं दिला पाता था,,,।

शाम ढल चुकी थी,,, रघु बांस की लकड़ियों का एक अच्छा खासा दरवाजा तैयार कर दिया था और उस में अंदर से कड़ी भी लगा दिया था,,, दरवाजे को देखकर ललिया बोली,,,।

अरे वाह कजरी यह एक ही दिन में इतना अच्छा दरवाजा तैयार करके लगा भी दी,,,


हां रे,,,


इतने सालों से तो मैं देखती आ रही हूं,,, दरवाजे की जरूरत कभी पडी नहीं,,,। शालू के जाते ही दरवाजे की जरूरत पड़ गई,,, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,
(ललिया की ऐसी बात सुनते ही कजरी एकदम से सकपका गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोले तभी अपने दिमाग को दौडाते हुए हक लाते हुए बोली,,,)

व,,व,,,वो क्या है ना कि तू तो जानती ही हैं,,, की इससे पहले दरवाजे की जरूरत क्यों नहीं पड़ी,,,, दिनभर शालू घर पर ही रहती थी तो एक तरह से घर की रखवाली हो जाया करती थी,,, मैं दिन भर खेतों में इधर-उधर काम करती रहती हुं,,, दिन भर कहां घर पर रहती हुं,,, और शालू के जाने के बाद तू तो जानती ही है की रघू का कोई ठिकाना नहीं होता वो दिन भर घूमता रहता है,,,,, कभी हां तो कभी वहां और वैसे भी बरसात का महीना शुरु हो गया है तो देख ली जानवर कीड़े मकोड़ों का घर में घुसा आना अच्छा नहीं लगता है,,, इसलिए दरवाजा रहेगा तो मैं भी निश्चिंत रहूंगी,,,।


बात तो तू सही कह रही है कजरी,,,, दरवाजा भी अच्छा बनाया है,,, लेकिन बनाया किसने ,,,


रघु ने और किसने,,,,




वाह दरवाजा तो बहुत अच्छा बनाया है मैं भी बनाऊंगी,,, रघु से,,,


बनवा लेना,,,,,
(ललिया मुस्कुराते हुए अपने घर की तरफ चली गई और उसके जाते ही कजरी राहत की सांस ली,,,,,,,
शाम ढलने लगी थी,,, रघु बहुत खुश था क्योंकि एक ही रात में उसे सारी दुनिया जो मिल गई थी अपनी मां को पाकर वह बहुत खुश था,,, और उसकी मां की बहुत खुश थी यह बात भी रघु अच्छी तरह से जानता था तभी तो वह दोनों के बीच पनपते संबंध को लेकर किसी को भनक ना लग जाए इसीलिए तो दरवाजा लगवा दी थी ताकि बेझिझक दोनों घर के अंदर मस्ती कर सकें,,, रघु अपनी मां को खुश करने के लिए समोसे और जलेबी खरीदने के लिए हलवाई के वहां पहुंच गया क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां को जलेबी और समोसे बहुत पसंद है,,, वह अपने मन में यही ठान कर रखा था कि आज वह अपनी मां को जलेबी और समोसे खिला कर अपना लंड चटवाएगा,,, और अपनी इस अभिलाषा को लेकर वह बेहद उत्साहित भी था,,,,।

हलवाई की दुकान पर रघू पहुंच चुका था,,, औरो दिन की तरह आज भी दुकान पर इक्का-दुक्का लोग ही बैठे हुए थे,,, हलवाई की बीवी पर नजर पड़ते ही रघु को पुराने दिन याद आ गए,,,,
:applause: rocking update
 

Raz-s9

No nude av/dp -XF STAFF
2,183
2,933
159
ORohnny bhai ... bahut hi shaandaar updte magar theek hai............... kahani likhne me aapne koee jaldbaazi koee atishyokti nahi dikhai ... jo kahani ko aur majedaar bana raha or ma beta ki chudai ka borpor milon dekhna chiye .skip math ko plz...................................................................................... update de
 

Sirajali

Active Member
1,881
4,824
144
ORohnny bhai ... bahut hi shaandaar updte magar theek hai............... kahani likhne me aapne koee jaldbaazi koee atishyokti nahi dikhai ... jo kahani ko aur majedaar bana raha or ma beta ki chudai ka borpor milon dekhna chiye .skip math ko plz...................................................................................... update de
Rohnny bhai ..... apko to pata hai main update ki maang nahi karta ... magar apne readers ke leye ek reply to kar hi sakte hain........................................................
........ agar maine kuch galat kaha hai to mai maafi chahunga...... dhannywaad
 
  • Like
Reactions: Napster

ronny aaa

Well-Known Member
2,035
2,719
144
mast update hai bhaii
 
  • Like
Reactions: Yamraaj and Napster
Top