आखिरकार हलवाई की बीवी रघु के संभोग गाथा की पहली नायिका जो थी,, जिसने सर्वप्रथम उसे एक औरत के खूबसूरत जिस्म के हर कोने से उसके हर एक अंग से वाकिफ कराई थी,,, संभोग की परिभाषा को रघु के साथ मिलकर सार्थक करके दिखाई थी,,, रघु ने जिंदगी में पहली बारहलवाई की बीवी के साथ संभोग की शुरुआत करके उसके एहसास से पूर्ण रूप से अवगत हुआ था,,, इसीलिए वह हलवाई की बीवी के एहसान को जिंदगी में कभी भी भुला नहीं सकता था,,,,
हलवाई की बीवी की नजर जैसे ही रघू पर पड़ी उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और साथ ही तन बदन में उन मादकता बढ़ने लगी,,,, हलवाई की बीवी रघु से चुदवाने के बाद अभी तक उस तरह की तृप्ति का एहसास नहीं महसूस कर पाई थी इसलिए रघु की याद उसे बहुत सताती थी,,, इसलिए तो आज रघू को इतने दिनों बाद देख कर वो खुशी से फूली नहीं समा रही थी,,,, और एकदम से खुश होते हुए बोली,,,।
आज बड़े दिनों बाद याद आई रे तुझे यहां की,,,(कढ़ाई में समोसे तलते हुए बोली,,,)
ऐसी बात नहीं है चाची,,, याद तो तुम्हारी रोज ही आती थी,,,(हलवाई की बीवी की खुली हुई दोनों टांगों के बीच झांकते हुए बोला,,,हलवाई की बीवी रघु की नजरों को अच्छी तरह से भांप गई थी और इसीलिए मुस्कुराते हुए बोली,,,)
मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लगता कि तुझे मेरी याद आती होगी,,,
सच कह रहा हूं चाची,, वैसे भी तुम भूलने वाली चीज बिल्कुल भी नहीं हो,,, हां इस बात के लिए माफी मांगता हूं कि इधर आ नहीं सका और शादी में तुम्हारे वहां आने के बावजूद भी मैं तुमसे मिल नहीं पाया क्योंकि काम ही बहुत ज्यादा था तुम तो अच्छी तरह से जानती हो कि बहन की शादी थी कितना दौड धुप करना पड़ता है,,,
हां बात तो सही है,,,, लेकिन फिर भी तुझसे मैं नाराज हूं,,,
किसलिए,,,,,?
मेरे साथ साथ तु ,( अपने चारों तरफ नजर घुमाकर तसल्ली कर लेने के बाद हलवाई की बीपी चूल्हे के अगल-बगल अपनी दोनों टांगों को फैलाए हुए थी और उसे रघु की तरफ करके दोनों टांगों को खोलकर बड़े अच्छे से,, अपनी बुर के दर्शन कराते हुए) इसे भी भुल गया,,,
(रघु तो हलवाई की बीवी की मादक अदा और उसकी बालों से भरी हुई बुर को देखकर एकदम से मदहोश हो गया,,, उसे पुराने दिन याद आ गए जब वह पहली बार नजर भर कर हलवाई की बीवी की बुर को देखा था हाथ में लालटेन दिए हुए उसे पेशाब कराते हुए देखा था,,, सब कुछ किसी फिल्म की तरह उसकी आंखों के सामने चलने लगा मोटी होने के बावजूद भी हलवाई की बीवी की मादकता और आकर्षण बरकरार थी,,, खड़े-खड़े किसी का भी पानी निकालने के लिए उसकी जवानी सक्षम थी,,,, रघु आंखें फाड़े उसकी खुली दोनों टांगों के बीच उसकी साड़ी के अंदर झांक रहा था,,,रघु की हालत को देखकर हलवाई की बीवी मंद मंद मुस्कुराने लगी और वापस से अपनी टांग दूसरी तरफ करते हुए बोली,,,।)
क्यों सच कह रही हूं ना,,,
नहीं चाची ऐसी बिल्कुल भी कोई बात नहीं है,,,, समय नहीं मिल पा रहा था खेती का काम ऊपर से शादी ब्याह उसी में ही उलझ कर रह गया,,,
तो आज कैसे फुर्सत मिल गई,,,,
अब तो बस फुर्सत ही फुर्सत है,,,,,,,, मैं समोसे और जलेबी लेने आया था,,,
चल अच्छा हुआ इसी बहाने तुझे मेरी याद तो आई,,, समोसे जलेबी नहीं खाने का होता तो याद भी नहीं आती,,, तू बिल्कुल बुद्धू तुझे दुनिया की सबसे बेशकीमती रसमलाई खिलाती हूं फिर भी तुम समोसे और जलेबी पर जान दिए हुए हैं,,,,
चाची तुम्हारी रसमलाई उसका स्वाद अभी तक मेरी जुबान पर है,,,,(रघु गहरी सांस लेते हुए बोला,,,)
चखेगा फिर से रसमलाई,,,,,
चाची नेकी और पूछ पूछ,,,,, बिल्कुल चखुंगा,,,,,(रघु एकदम से मदहोश होता हुआ बोला,,, उसकी बात सुनकर हलवाई की बीवी मुस्कुराने लगी और उसकी बुर में खुजली बढ़ने लगी,,, वह जल्द से जल्द पुराने दिनों की तरह आज भी रघु के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तड़प उठी,,, और रघु कढ़ाई में समोसे गलती हुई हलवाई की बीवी को बड़े गौर से देख रहा था उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां छोटी सी ब्लाउज में ठीक से समा नहीं पा रही थी,,,, जो कि कढ़ाई मैं समोसे को चलते हुए पानी भरे गुब्बारे की तरह मिल रही थी जिसे देख कर रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, बहुत खूबसूरत गदराए और हुस्न की मलिका उसकी झोली में थी फिर भी वह अभी भी दूसरी औरतों को देखकर लाल टपकारा था यही हर मर्दों की फितरत होती है मौका मिलने पर वह मौका कभी नहीं छोड़ते भले ही उनके बिस्तर में दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत क्यो ना हो,,, और रघु की भी यही इच्छा हो रही थी,,, हालांकि वह हलवाई की बीवी की जमकर चुदाई कर चुका था आज कई दिनों बाद उससे मुलाकात होते ही और उसकी मादक अदाओं को देखकर,,, रघु का लंड हलवाई की बीवी को देखकर खड़ा होने लगा था,,,,,,, हलवाई की बीवी अपने मन में रघु से चुदवाने का योजना बना रही थी,,,, इसलिए थोड़ा समय बीत जाने का इंतजार कर रही थी और वह इसी योजना के तहत रघु से बोली,,,,।)
रघु तेरे चाचा जी पास वाले गांव नहीं गए हैं इसलिए थोड़ी मेरी मदद कर दे,,,,।
बोलो चाची तुम्हारी मदद करने के लिए तो मैं हमेशा तैयार हूं,,, करना क्या है बोलो,,,,,।
(हलवाई की बीवी की टांग खोलकर बुर दिखाने वाली अदा को देखकर रघु का लंड पजामे में खड़ा हो चुका था,,, और उसकी पजामे को देखकर हलवाई की बीवी मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,, और मुस्कुराते हुए बोली,,,।)
जा जरा पीछे जाकर लकड़िया ला दे तो चूल्हा बुझने वाला है,,,।
ठीक है चाची में अभी जाकर लेकर आता हूं,,,,,,
(इतना कहकर रघु पीछे की तरफ चल दिया जहां पर ढेर सारी सुखी कोई लकड़िया रखी रहती है हलवाई की बीवी उसे जाते हुए देखती रही उसे साफ महसूस हो रहा था कि रघु से बात करके पुराने दिनों को याद करके उसकी बुर पसीजने लगी थी,,,,,, वह खुश होकर पूड़ी बेलने लगी ताकि और समोसे तैयार कर सके दूसरी तरफ रघू घर के पीछे की तरफ जैसे ही पहुंचा तो हेड पंप के पास का दृश्य देखकर उसकी आंखें चौड़ी हो गई,,,, वहां पर रघु की तरफ पीठ किए हुए एक लड़की बैठी हुई थी और यह लड़की वही लड़की थी जिसे रघू पहली बार इसी जगह पर मिला था और वह बर्तन साफ कर रही थी,,, काफी दिन बीत चुके थे इसलिए उसका नाम तक याद नहीं था लेकिन उसकी गोरी गोरी गांड देखकर उसके होश उड़ गए थे,,,, लड़की हेड पंप के पास बैठकर पेशाब कर रही थी,,, रघु एकदम से स्थिर खडा हो गया,,,,,,, गांव के किनारे हलवाई की दुकान होने की वजह से यहां पर हमेशा शांति रहती थी और इसीलिए ही,,, उसकी बुर से निकल रही सीटी की आवाज सीधे रघु के कानों में मिश्री की तरह घुल रही थी,,,,,, रघू तो उसे देखता ही रह गया,,,,, रघु को सिर्फ उसकी नंगी गांड ही नजर आ रही थी,,,, यह दृश्य रघु को पूरी तरह से मदहोश कर देने के लिए काफी था,,,, फिर पंप के अगल बगल जामफल के पेड़ लगे हुए थे जिससे वहां पूरी तरह से छाया थी,,,, अपने आप ही रघू का हाथ पजामे के ऊपर से लंड को दबाने लगा,,,,,,,, गोलाकार जवान गांड रघु के होश उड़ा रही थी,,,,,, पल भर में ही रघू उस लड़की की गांड से हलवाई की बीवी की गांड की तुलना करने लगा,,,, रघु समझ गया था कि यह हलवाई की लड़की है,,,,अपने मन में ही सोच रहा था कि एक तरफ मां की बड़ी-बड़ी मदमस्त कर देने वाली गांड दूसरी तरफ बेटी की 4 बोतलों के नशा से भरपूर जवान गांड,,, दोनों अपने आप में बेमिसाल है एक दूसरे से तुलना करना उन दोनों की खूबसूरती और उनके खूबसूरत अंगों की तोहीन करने के बराबर थी,,,। रघु अपने मन में ही सोचने लगा कि दोनों मां बेटी की गांड अपने आप में लाजवाब थी,,, रघु अपने मन में यही सोच रहा था कि तभी वहां लड़की पेशाब करके तुरंत खड़ी हुई और अपनी सलवार को कमर तक खींच कर सलवार की डोरी बांधने के लिए रघु की तरफ घूमी तो रघू को अपनी आंखों के सामने देखती हो पूरी तरह से चौक गई,,,उसके पीछे कोई लड़का खड़ा होगा इस बात का उसे अंदाजा भी नहीं था इसलिए पूरी तरह से खबर आ चुकी थी और तुरंत रघु की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई और अपनी सलवार की डोरी बांधने लगी और अपनी सलवार की डोरी बांधते बांधते बोली,,,।