साधना रघू को अपनी आंखों से बड़े आराम से जाते हुए देखती रही उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि जो कुछ देर पहले उसकी आंखों ने देखा था वह सच है या एक सपना लेकिन वास्तविकता यही थी कि जो कुछ भी उसकी आंखों ने देखा था सब कुछ सच था,,,, आज से अपनी मां का नया रूप देखने को मिला था,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी मां इस कदर नीचे गिर जाएगी कि गांव के जवान लड़के के साथ चुदवाएगी,,,, ऐसा क्यों हुआ क्या कमी पड़ गई जो उसकी मां को इस तरह के कदम उठाने पड़े यह साधना के समझ के बाहर की बात थी,,,,। लेकिन वह हैरान थी बार-बार अपनी मां के मासूम चेहरे को देख रही थी और उस मासूम चेहरे के पीछे छुपी एक अय्याश औरत को,,,,साधना अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर उसके पिताजी को यह बात मालूम पड़ेगी तो वह क्या सोचेंगे उन पर क्या गुजरेगी,,,,,,, उसे जो कुछ भी उसकी मां ने की थी उस बारे में सोच कर बुरा भी लग रहा था लेकिन ना जाने क्यों कि उसने पहली बार अपनी आंखों से एक पूरे चुदाई के प्रसंग को अपनी आंखों से देखी थी और वह भी अपनी ही मां की किसी के गैर जवान लड़के के साथ वह बिल्कुल अद्भुत था उसके लिए उसने अपनी आंखों से कभी भी इस तरह के दृश्य को ना तो देखी थी ना ही इस तरह के ब्रिज के बारे में कभी कल्पना ही की थी,,, इसलिए अभी भी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी ना चाहते हुए भी उसके दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार में मुनमुनाहट सी हो रही थी,,,,अपनी मां के खूबसूरत मासूम चेहरे को देख कर उसे कुछ देर पहले घर के अंदर का वह दृश्य याद आ रहा था जब वह जवान लड़का उसकी मां के पीछे खड़े होकर उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगा रहा था उसके हर एक धक्के के साथ उसकी मां के मुंह से अजीब अजीब सी आवाजें निकल रही थी और चेहरे के हाव भाव बदलते नजर आ रहे थे,,,,,,साधना को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां का चेहरा एकदम लाल टमाटर की तरह हो गया था,,,, और जिस तरह से वह लड़का अपना दोनों हाथ आगे की तरफ लाकर अपने हाथों से ही उसकी मां के ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसकी बड़ी बड़ी चूची को दबा रहा था वह प्रसंग याद करके साधना की गर्म जवानी से भरी हुई कसी बुर पिघलने लगी थी,,,,। अपने आप ही उसकी सांसे गहरी होने लगी थी,,,, जब उसकी मां की नजर साधना पर पड़ी तो उसे किसी ख्यालों में खोया हुआ पाकर वह बोली,,,।
क्या हुआ कहां खोई है,,,?
कककक, कुछ नहीं,,,,,
अंधेरा होने वाला है जाकर सारे सामान को समेट कर रख दे,,,।
ठीक है,,,( और इतना कह कर वह उसी पल को याद करके सारे सामान को समेटने लगी,,, दूसरी तरफ रघु बहुत खुश था,,, उसे उम्मीद नहीं थी कि समोसे और जलेबियां खरीदते खरीदते उसे रसमलाई का स्वाद भी चखने को मिल जाएगा,,,,,,, जब वह घर पहुंचा तो अंधेरा हो चुका था,,,,,, आज उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था,,,, आज वह अपनी मां को अपना लंड चूसवाना चाहता था,,,वह देखना चाहता था कि उसकी मां किस तरह से उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चुस्ती है,,,,,, सबके साथ जितनी भी औरतों के साथ उसने संभोग किया था उसकी चुदाई किया था उन सब को उसने अपना लंड चुसवाया था,,,,,, इसीलिए वह अपनी मां के साथ भी इस अनुभव का आनंद लेना चाहता था,,,। जब वह घर पर पहुंचा तो देखा कि रामु उसकी मां से बात कर रहा था,,,।
अरे रामू तु,,, बड़े दिनों बाद,,,,
ऐसा क्यों कह रहा है,,, जैसे कि मैं बहुत दूर रहता हूं,,,,
वो बात नहीं है,,,, काफी दिन हो गए हम दोनों एक साथ कहीं मिलते नहीं है घूमते नहीं है वरना हम दोनों का तो बिना एक दूसरे के दिन ही नहीं गुजरता था,,,।
हां यार रघु सच कह रहा है तू,,,,
(रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि रामू उससे क्यों दूरियां बनाने लगा था जब से उसने इस बात का पता चला था कि रघु तूफान वाली रात को उसकी मां की जमकर चुदाई किया था और चुदाई में उसकी मां को भी बहुत मजा आया था तब से वह रघू से पहले की तरह बात नहीं करता था उसके मन में,, रघु और उसकी मां के बीच हुए शारीरिक संबंध को लेकर एक टीस थी,,, वह गुस्सा करता था,,, लेकिन वह इस बात को भी नजरअंदाज नहीं कर पा रहा था कि उसकी ही वजह से वह भी जिंदगी में पहली बार जुदाई के सुख से वाकिफ हुआ था और वह भी अपनी मां को ही चोदकर जोकि रघु के ही बदौलत क्योंकि वह उसकी मां और रघु के बीच के संबंध को जान गया था,,,,,, इस बारे में वह अपनी मां से बात भी किया था,,, और उसकी मां ना चाहते हुए भी अपने ही बेटे के साथ चुदवाने लगी,,,,,,,)लेकिन क्यों नहीं मिलते हैं यह बात भी तो अच्छी तरह से जानता है,,,,
क्यों नहीं मिलते हो तुम दोनों मुझे भी तो बताओ,,,,(रामू की बात सुनते ही कजरी बीच में बोल पड़ी,,,।)
अरे कुछ नहीं चाची अब पहले जैसा समय नहीं रहता ना,,, सारा दिन काम में उलझे रहते हैं,,,
अच्छा तुम दोनों बातें करो मैं गाय और बकरियों को देखकर आती हुं,,,(इतना कहकर कजरी खड़ी हुई और घर के पीछे की तरफ जाने लगी जहां पर गाय और भैंस बकरीया बांधती थी ,,। कजरी के जाते ही रघू बोल पड़ा,,,)
क्यों रे रामू क्यों नहीं मिलता मुझसे बता तो,,, तेरी मां को मैंने चोदा था इसलिए ना,,,,,,,,,
(रघु की बात सुनकर रामू कुछ नहीं बोलातो रघु जानबूझकर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
इसीलिए नाराज है ना तू,,,,
, छोड तु ऊन बातों को,,,,,,
अच्छा जाने दे वह सब बातें मैं नहीं करता,,,,,,, लेकिन सच बताऊं तो तेरी मां मजा बहुत देती है,,, जवान लड़की जितना मजा नहीं देती उतना मजा तेरी मां से मिलता है,,,
(रघु उसे चिढ़ाने के लिए यह सब बोल रहा था लेकिन सच्चाई भी इसमें उतनी ही थी जितना कि वह बोल रहा था,,, और यह बात है रामू भी अच्छी तरह से जानता था क्योंकि वह भी अपनी मां को चोदता था,,।)
देख रघू यह सब गंदी बातें मुझसे मत किया कर,,, मुझे अच्छा नहीं लगता,,,।
अच्छा बच्चु,,, अपनी मां को सोच करते हुए अपनी बहन को पेशाब करते हुएदेखना अच्छा लगता है और बातें करना खराब लगता है भूल गया सब कुछ मेरे साथ मिलकर तू अपनी मां को खेतों में नहीं देख रहा था उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड के दीखाते हुए सोच कर रही थी,,,
अब नहीं करता ना,,,,
चल अच्छा जाने दे,,,, ये सब बातें करके कोई फायदा नहीं है,,,, हम दोनों को फिर से पहले की तरह ही रहना चाहिए,,,
मैं तो अभी भी पहले की तरह ही रहना चाहता हूं रघु लेकिन तू नहीं बदला,,,।
क्या मतलब कि मैं नहीं बदला,,,,
तू अभी भी मेरे मां को चोदता है,,,,
क्या बात कर रहा है पागल हो गया क्या,,,,?
पागल नहीं हो गया हूं लेकिन मैं सच कह रहा हूं जो मैं अपनी आंखों से देखा हूं वही बता रहा हूं,,,,।
क्या देखा तु अपनी आंखों से,,,,
यही कि तू खेता में मेरी मां को चोद रहा था,,,,
(राहुल की बात सुनते ही रघु थोड़ा सा सक पका गया क्योंकि उसकी चोरी पकड़ी गई थी,,,,वो कुछ बोल सकने की स्थिति में नहीं था फिर भी बोला,,,)
यार इसमे अब मेरी कोई गलती नहीं है चाची है ही इतनी खूबसूरत कि मुझसे रहा नहीं जाता और उस दिन भी ऐसा ही हुआ था,,,,।
जो कुछ भी हो रहा है रघू गलत हो रहा है,,,, तू ही सोच अगर मैं तेरी मां की चुदाई करु तो,,,
(रामू की बात सुनते ही रघु एकदम गुस्से में आ गया वह अपनी मुट्ठी को जोर से भींच कर अपने आप को शांत करने लगा क्योंकि वह जानता था कि गलती उसकी भी है,,, रघु बोला कुछ नहीं,,,,)
तुझे कैसा लगेगा रघू बोल,,,,।
मुझे क्या,,,, मुझे कुछ नहीं लगेगा औरतों को अगर जरूरत पड़ती है तो उन्हें रोक नहीं सकते उस तरह से तू भी अपनी मां को रोक नहीं सकता क्योंकि उन्हें भी जरूरत है,,,, अगर उनकी जरूरत घर में ही पूरी हो जाए तो शायद उनको मेरी जरूरत ना पड़े,,,,।
(रघु की बात सुनकर रामू उसकी बात से पूरी तरह से सहमत था,,,, जब इस तरह के हालात दोनों के बीच बिल्कुल भी नहीं थे तब दोनों दिन भर औरतों की ताका झांकी में ही लगे रहते थे रामू खुद अपनी मां को चोदना चाहता था तभी तो रघु जब भी उसकी मां के बारे में उसकी बहन के बारे में,,, एकदम गंदी बातें करता था तोरामू को बहुत अच्छा लगता था उसे उत्तेजना का अनुभव होता था,,,, रामू यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि उसके द्वारा उसकी मां की चुदाई के कारण ही उसे खुद अपनी मां को चोदने का मौका और सौभाग्य प्राप्त हुआ था और साथ ही खेतों में जब वह उसकी मां की चुदाई कर रहा था तो उसकी बहन ने अपनी आंखों से देख ली थी जो कि पूरी तरह से उत्तेजित होकर खुद अपने भाई से चुदवाई पर इस तरह से रामू को अपनी मां के साथ साथ अपनी बहन को भी चोदने का मौका मिल गया,,,,,,, वरना अब तक वह सिर्फ हाथ से हिला कर ही काम चला रहा था,,,, रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) क्यो क्या हुआ,,,? तू खुद अपनी मां को चोदना चाहता था मुझे पूरा यकीन तो तेरी हरकतों को देखकर यह बात को तु झुठला नहीं सकता,,,, सच कहूं तो तुझे भी इसने बहुत मजा आएगा तू अपनी मां को चोद सकता है,,,( रखो यह बात नहीं जानता था कि रामू खुद अपनी मां की चुदाई करना शुरू कर दिया है इसलिए वह उसे अपनी मां को चोदने का आसान तरीका बता रहा था,,,,)
यह तो कैसी बातें कर रहा है रघू,,,, मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकता,,,
क्यों नहीं कर सकता मैं तेरा दोस्त हूं मुझसे कुछ भी छुपाने की जरूरत नहीं है और ना ही कुछ छुपा हुआ है,,,, भूल गया हम दोनों साथ में मिलकर तेरी दोनों बहनों की मस्त गोरी गोरी गांड देखकर मुट्ठ मारते थे,,,,जब कभी भी मैं तेरी मां के बारे में गंदी बातें करता था तो सबसे पहले तेरा लंड खड़ा हो जाता था,,,,, और याद है तुझे रात को तेरी मां जब मैदान में सोच करने गई थी तो हम दोनों चोरी-छिपे झाड़ी के पीछे बैठकर तेरी मां को देख रही थी उस समय सबसे पहले तेरी मां की नंगी गांड देखकर तेरा खड़ा हुआ था,,, उसकी नंगी गांड देखकर हम दोनों साथ में हीलाना शुरू किए थे,,,,, और, तु सबसे पहले झड़ गया था,,,,,, याद है कि नहीं,,, और ऐसा क्यों हुआ था तुझे पता है ना,,,, क्योंकि तू अपनी मां को चोदना चाहता था,,,,।
(रघु की बातों को सुनकर रामू कुछ बोल नहीं रहा था और बोलता भी कैसे सब कुछ सच जो था,,,, रामू रघु से बोलना चालना इसलिए बंद किया था कि वह उसकी मां की चुदाई करता था,,, पर इस बात को लेकर रामू को जलन होती थी कि उसकी मां रघु से क्यों चुदवाती है,,,, क्योंकि रामु अपने आप को उसकी खुद की मां को चोदने का अधिकारी समझता था,,,।)
अब बोलेगा कुछ नहीं मुझे सब पता है क्योंकि जो कुछ भी मैं कह रहा हूं सब सच है,,,, मैं तो यही कहूंगा कि मेरा ही सही मेरी और तेरी मां की करतूतों के बारे में उसे बातें करके खुद भी उसकी चुदाई कर मुझे पूरा यकीन है कि तेरी मां तुझसे भी चुदवाएगी ,,,। बोल कोशिश करेगा कि नहीं अगर ऐसा नहीं करेगा तो तेरी मां बार-बार मेरे पास आती रहेगी,,,,।
चल छोड़ इन बातों को,,,,,,, मुझे जोरों की भूख लगी है मैं जा रहा हूं,,,,।
(रामू कुछ भी हो अपनी हकीकत को किसी और को बताना नहीं चाहता था वह नहीं चाहता था कि उसके और उसकी मां के बीच जो कुछ भी चल रहा है इस बारे में किसी और को पता चले जैसा कि रघु खुद अपनी मां के एवज में यही चाहता था,,,, रामू वहां से चला गया और रघू मुस्कुराते हुए घर में प्रवेश किया तब तक थोड़ी देर में उसकी मां भी आ चुकी थी,,,,रघु अपने हाथ में लिए हुए समोसे और जलेबीयो के पड़ीके को,,, अपनी मां के हाथों में पकड़ाते हुए बोला,,,।)
यह लो मां समोसे और जलेबीया,,,,
अरे तू यह किस लिए ले आया खाना तो बना चुकी हुं,,,(कजरी उन पड़ीको को हाथ में लेते हुए बोली,,,)
अरे मां जलेबियां खिलाकर तुम्हारी रसमलाई जो चाटना हैं,,,।
(अपने बेटे की बात सुनते ही कजरी एकदम से शर्मा गई उसे इस बात का एहसास हो गया था कि रघु अब बात करते समय भी अब शर्माता नहीं है,,, कजरीअच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा किसी बारे में बोला है लेकिन फिर भी वह अनजान बनते हुए बोली,,,)
रसमलाई मैं कुछ समझी नहीं,,,
अरे मां तुम्हारी बुर की मलाई,,, अपनी जीभ से चाटना,, है,(इतना कहते हुए रघु,, अपनी जीभ को बाहर निकाल कर बुर चाटने की अदाकारी करते हुए बोला,,, और कजरी अपने बेटे की हरकत को देखकर पूरी तरह से पानी पानी हो गई और वह बोली,,,)
बाप रे कितना शैतान हो गया है तु थोड़ा तो शर्म कर,,,,
वह कहते हैं ना मां जिसने किया शर्म उसके फूटे करम तो ऐसा ही कुछ है अगर मैं शर्म किया होता तो तुम्हारी रसमलाई जैसी बुर चोदने को ना मिलती,,,,
बात तो तू ठीक ही कह रहा है,,, लेकिन थोड़ी बहुत तो शर्म किया कर आखिरकार में तेरी मां हूं,,,,।
वह तो मैं अब घर के बाहर लेकिन इस चारदीवारी में तो तुम एक खूबसूरत औरत हो जिसकी मैं जब चाहु तब दोनों टांगे फैलाकर ले सकता हूं,,,।
धत्त,,,, शैतान चल जल्दी से हाथ धो ले मैं तेरे लिए खाना निकालती हूं,,,,
(इतना कहकरमुस्कुराते हुए कजरी खाना निकालने के लिए चली गई और रघु हाथ धोने के लिए थोड़ी ही देर में दोनों मां बेटी खाना खाकर और समोसे और जलेबीयो का चटकारा लेते हुए खड़े हो गए,,, दोनों सोने की तैयारी करने लगे,,, हाथ में लालटेन उठाए रघू बोला,,,)
क्यों मा मुतने चलोगी,,?
नहीं आज मुझे लगी नहीं है,,, तू ही जाकर हिलाते हुए मुत ले,,,
भगवान ने मुझे हीलाने वाला औजार दिया है तो हिला कर ही मुतुंगना,,, और तुम्हें सिटी मारने वाला जब तुम पेशाब करती हो तो तुम्हारी बुर से बहुत तेज सीटी की आवाज निकलती है,,,
(रघु की इस तरह की बातें सुनकर कजरी की हालत खराब हो रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा इतने खुले शब्दों में उससे यह सब कहेगा,,, लेकिन फिर भी कजरी को मजा आ रहा था उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी,,,, रघु की बातें उसकी बुर गीली कर रही थी,,, )
अच्छा जा मुत के आ,,,(कजरी शरमाते हुए बोली और रघु हंसते हुए बाहर चला गया और थोड़ी ही देर में पेशाब करके वापस आ गया,,,हालांकि कजरी को भी पेशाब लगी थी लेकिन इतने जोरो से नहीं लगी थी कि जाना पड़े,,, रघू बिस्तर समेटने लगा तो कजरी बोली,,,)
कहां,,,?
छत पर और कहां,,,?
देख नहीं रहे हो बाहर बादल है कभी भी पानी बरस सकता है,,,,
तो,,,
तो क्या यही कमरे में,,,,
(कजरी खुलकर मज़ा लेना चाहती थी इसलिए अंदर ही सोना चाहती थी और अपनी मां की बात सुनकर रघु भी पूरी तरह से मस्तीया गया,,, और मुस्कुराते हुए शरारती अंदाज में बोला,,,)
लगता है आज तुम्हारा भी लेने का बहुत मन कर रहा है,,,
धत्त,,,,जाकर पहले दरवाजा बंद करके आ,,,( कजरी भी शरमाते हुए बोली अपनी मां की बात सुनते ही रखो तुरंत गया और अपने हाथों से बनाए हुए दरवाजे को बंद करते हुए अपने मन में सोचने लगा कि ईस दरवाजे की वजह से अब वह उसकी मां खुलकर कभी भी चुदाई का मजा लूट सकते हैं,,,, दरवाजा बंद करते समय रघु के मन में लड्डू फूट रहे थे और दूसरी तरफ कजरी की बुर पानी छोड़ रही थी क्योंकि वह जानते थे कि अब खटिया में एक बार फिर से घमासान चुदाई होने वाली,,, है,,,।)