• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest बरसात की रात,,,(Completed)

rohnny4545

Well-Known Member
13,342
34,782
259
वह लड़की एकदम से हतप्रभ हो गई थी ,,, हैरान थी अपनी आंखों के सामने उसी लड़के को देखकर,,,,,, जो कुछ महीने पहले इसी तरह से उसे नहाते हुए देख रहा था उस दिन की बात याद आते ही और अभी जिस अवस्था में वह उसे देख रहा था इसको लेकर,,, उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया,,,।

तुम्हें कुछ समझ में आता है कि नहीं,,,(सलवार की डोरी को बांधकर कुर्ती को नीचे करते हुए,,,)

मैंने क्या किया,,,?


तुम सच में दुस्ट हो,,, चोरी-छिपे देख भी रहे हो और कहते हो कि मैंने क्या किया,,,?(दोनों हाथ को कमर पर रखते हुए गुस्से में बोली,,,)


पर मैंने देखा क्या कुछ भी तो नहीं देखा,,,,(रघु मासूम बनता हुआ बोला)


मैं सब जानती हूं कि क्या देखे हो,,,, तुम्हें शर्म नहीं आती यह सब करते हुए,,,,


पर क्या करते हुए बताओ गी,,,,


अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं तुम्हारे जैसा चलाकर दुष्ट इंसान मैंने आज तक नहीं देखी,,,,


देखो तुम क्या कह रही हो यह तो मैं बिल्कुल भी नहीं जानता लेकिन मुझे भला-बुरा बिल्कुल भी मत कहो मैंने कुछ किया नहीं हूं,,,,
(रघु की बात सुनते ही वह और ज्यादा गुस्से में आ गई क्योंकि वह जानती थी कि उसने उसे क्या करते हुए देखा है और फिर भी बड़े आसानी से पलट जा रहा है)



एक बार नहीं हजार बार कहुंगी,,,, और तुम यहां आते क्यों हो समोसे जलेबी खाना है तो आगे से चला जाया करो,,, मैं अभी जाकर मां को बताती हूं,,,,(इतना कहते हुए वक्त गुस्से में आकर उसके पास से गुजरने के बाद ही थी कि वह उसकी बांह पकड़कर उसे रोकते हुए बोला)


क्या कहोगी जाकर,,,,?


यही कि तुम पीछे क्यों आते हो और अभी अभी तुमने मुझे किस हालात में देखे हो,,,,



पीछे क्यों आते हो तो मैं तुम्हें बता दूं कि,,, मैं अपनी मर्जी से पीछे नहीं आया,,, तुम्हारी मां ने मुझे सूखी हुई लकड़िया लाने के लिए यहां भेजी है और मेरी किस्मत देखो इतनी तेज की तुम्हें मुतते हुए देख लिया,,,(रघु मुतने वाली बातइतना सहज होकर और बेशर्मी भरी हंसी लेकर बोला था कि वह और ज्यादा क्रोधित हो गई और वैसे भी उसके मुंह से अपने लिए मुतने वाला शब्द सुनकर वह एकदम से शर्म से पानी पानी हो गई,,,उसी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह इस तरह के शब्दों का प्रयोग करेगा और वह भी उसके सामने,,, एकदम से आग बबूला होते हुए बोली,,)


कितनी बेशरम हो तुम इतनी बिल्कुल भी शर्म नहीं आती है कि लड़की से किस तरह से बात किया जाता है,,,,


मुझे अच्छी तरह से मालूम है क्योंकि लड़की से औरत से किस तरह से बात किया जाता है लेकिन मैं तो सिर्फ सच्चाई बता रहा था कि यहां पर आने पर मैंने क्या देखा और अगर तुम्हारी मां पूछेगी तो उन्हें भी मैं यही कहूंगा कि मैं यहां आकर क्या देखा और वैसे भी मैंने कोई गलती नहीं किया मेरी आंखों के सामने ठीक सामने तुम्हारी नंगी गांड थी जब तुम सलवार नीचे करके मुत रही थी,,,,,,,(रखो उस लड़की से बातें करते रहो बार-बार उसकी छातियों की तरफ देख रहा था जोकि कुर्ती में से उसके अमरुद बाहर को झांक रहे थे,,, और उसकी नजरों को हलवाई की लड़की अच्छी तरह से समझ रही थी,,,, रघू की नजरों की वजह से और उसकी बातों की वजह से उसे शर्म आ रही थी,,, हलवाई की लड़की को समझते देर नहीं लगी की रघू बेहद बेशर्म किस्म का लड़का था,,, उससे बात करने की और ज्यादा हिम्मत उसमें नहीं थी,,,। प्रभात चित्र से समझ गई थी कि अगर वह अपनी मां से इस बारे में बात करेगी तो वह बिल्कुल बेशर्म की तरह उसकी मां के सामने भी वही करेगा तो उसके सामने कह रहा है इसलिए वह बात को आगे बढ़ाना नहीं चाहती थी और पैर पटक कर चली गई,,, रघु उसे जाते हुए देखता रह गया,,, हलवाई की लड़की होने के बावजूद भी उसके बदन पर चर्बी का असर बिल्कुल भी देखने को नहीं मिल रहा था बहुत ही खूबसूरत बदन था उस लड़की का,,,
रघु की नजर में उसके डोलते हुए नितंब बस गए थे,,, जो कि एकदम कसे हुए थे,,, हलवाई की लड़की की गांड देखकर रघु के मुंह में पानी आ गया था,,,,। रघु मन मसोसकर रह गया और फिर सूखी लकड़ियों को इकट्ठा करके,,, हलवाई की बीवी के पास आ गया और सूखे में लकड़ियों को उसके करीब रखते हुए बोला,,।


लो ले आया सूखी लकड़ियां,,,


बहुत अच्छा किया रघू तुने,,,,(वह मुस्कुराते हुए बोली,,,,)

अब चाची जल्दी से गरमा गरम समोसे और जलेबियां तोल दो,,,,


क्यों आज तुझे रसमलाई नहीं खाना है क्या,,,,(नजरों को मादक अदाओं से घुमाते हुए बोली)


खाना तो है चाची,,, लेकिन तुम्हारी बिटिया यही है,,,,


तु उसकी चिंता मत कर,,, मैं सब संभाल लूंगी,,,,(वह चक्र पकड़ ताकते हुए बोली)


बहुत हिम्मत वाली हो गई हो चाची तुम,,,, अगर किसी दिन चाचा को पता चल गया तो तुम्हारी खैर नहीं,,,।


पता चलता है तो चलने दो खुद से तो कुछ उखडता नहीं है,,,



चाचा के साथ मजा नहीं आता क्या चाची,,,,।


उनसे मजा मिलता तो तेरे से कहती क्या,,,, औरत को आदमी से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए रहता है दो वक्त की रोटी और रात को पलंग तोड़ चुदाई बस इससे ज्यादा और क्या चाहिए लेकिन यहां तो दोनों की मुसीबत है काम करते-करते थक जाओ सुबह से शाम तक और रात को बस खटिया में पड़े पड़े अंगड़ाई लेते रहो,,,,।


अरे चाची चाचा कुछ नहीं करते तो तुम्ही चढ जाया करो चाचा पर,,,,


मैं जिस दिन चढ़ गई ना प्राण पखेरू सब उड़ जाएंगे और वैसे भी तेरे चाचा में इतना दम नहीं है चढ़ तो जाऊं,,, लेकिन वह मुआ ईतना थका रहता है कि,,, उसका खड़ा नहीं हो पाता,,,,।


ओहहहहह,,, चाची तब तो सच में तुम्हें हमेशा के लिए मेरे जैसे लौंडे की जरूरत पडती ही रहेगी,,, लगता है अब तुम्हारी सेवा का जिम्मा मुझे ही लेना पड़ेगा,,,,,।



तो ले लेना इतना सोचता क्यों है,,,(सूखी हुई लकड़ी को चूल्हे में डालते हुए बोली,,,,,,)


चलो कोई बात नहीं यह जिम्मेदारी तो मुझे जिंदगी भर के लिए मंजूर है,,,, मैं जिंदगी भर तुम्हारी बुर में लंड डालना चाहता हूं,,,,
(मेरे मुंह से इतना सुनते ही वह अपने होठों पर उंगली रख कर मुझे चुप रहने का इशारा करते हुए अपने चारों तरफ देखने लगी और बोली)


पागल हो गया गया कोई सुन लेगा तो,,,,


कोई नहीं सुनेगा चाची,,, एक काम करो ना चाची,,,,


बोल,,,,,



एक बार फिर अपनी टांग खोल कर अपनी रसमलाई दिखा दो,,,,
(रघु की बात सुनते ही हलवाई की बीवी मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली)


तू सच में बुद्धू है मैं तुझे पूरी रसमलाई का कटोरा दे रही हूं और तू सिर्फ उसे देखना चाहता है,,,,।


क्या करूं चाची इस समय मेरा देखने का बहुत मन कर रहा है,,,,,,(रघु पजामे के ऊपर से अपने खड़े लंड को मसलते हुए बोला और हलवाई की बीवी उसकी ईस हरकत को देखकर उत्तेजित होने लगी,,,, रघु की हरकत से उसके गोरे गाल पर शर्म की लाली साफ नजर आ रही थी,,,,, वह धीरे से बोली,,,)


चल अंदर तुझे अच्छे से दिखाती हुं,,,,


लेकिन तुम्हारी बेटी,,,,



तो उसकी चिंता बिल्कुल भी मत कर,,,,



लेकिन तुम्हारा चूल्हा जल रहा है,,,,।


यहां पुरी भट्टी सुलग रही है और तुझे चूल्हे की पड़ी है,,,।
(वह दोनों हाथों से अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बुर की तरफ इशारा करते हुए बोली, रघू को उसकी यह हरकत बेहद लुभावनी लगी और वह धीरे से बोला,,,)

लेकिन तुम्हारी बेटी,,,।


मैं कह रही हूं ना तु उसकी चिंता मत कर,,, मैं सब संभाल लूंगी बस तू बोल चलता है कि नहीं अंदर,,,,


चाची तुम्हारी बुर चोदने के लिए भला कौन इनकार कर सकता है,,,,,,,
(रघु की बात सुनते ही हलवाई की बीवी के होंठों पर मुस्कान तैरने लगी,,, पर मुस्कुराते हुए अपनी बेटी को आवाज देते हुए बोली,,,।)



साधना और साधना ईधर आ तो,,,,(पूडी को बेलते हुए बोली,,,, अब जाकर रघु को उसका नाम पता चला साधना नाम सुनते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी अपने मन में ही बोला,,, वाह क्या नाम है जैसा नाम है वैसी खूबसूरती,,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि तभी वह लगभग दौड़ते हुए वहां आकर हाजिर हो गई,,, उसकी नजर रघु पर पडते ही वह नाक सिकोड़ने लगी,,, तभी उसकी मां बोली,,,)

बेटी जरा यह समोसे कर देना तो और जलेबीया भी छान देना,,, तब तक नहीं रघु से हिसाब किताब कर लु,,, इसकी बहन की शादी का हिसाब किताब अभी करना बाकी है,,,।
(इतना कहते हुए वह अपनी जगह से खड़ी हुई ,,,साड़ी जांघो तक चढ़ी हुई थी इसलिए उसके खडी होते ही,,, साड़ी उसके कदम तक नीचे आ गई लेकिन जांघों से नीचे आने के दौरान इतने बीच में रघु को उसकी मोटी मोटी नंगी जांघों के दर्शन हो गए हालांकि वह इस दिल को भी देख चुका था लेकिन उत्तेजना के लिए औरतों के किसी भी अंग का बस झलक भर पा जाना ही काफी होता है,,,, इसलिए रघु जल्द से जल्द उसकी बुर में लंड डालने के लिए तड़प उठा,,, वह अपनी साड़ी को झाड़ते हुए नीचे उतर आई और उसकी बेटी साधना उसकी जगह पर जाकर बैठ गई,,, रघु का मन कर रहा था कि हलवाई की बेटी को नजर भर कर देखता ही रह जाए क्योंकि गजब की कशिश उसके चेहरे पर नजर आ रही थी,,,, और वह गुस्से मे रघू की तरफ देख भी नहीं रही थी,,,,
हलवाई की बीवी अपनी बड़ी बड़ी गांड मटकाते हुए घर के अंदर जाने लगी और,, पीछे पीछे लार टपकाते हुए रघू एक नजर उसकी बेटी साधना पर मारते हुए घर के अंदर घुस गया,,,, हलवाई की बीवी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी इस बात को सोचकर ही कि अब उसकी बुर में वही मोटा तगड़ा लंड फिर से जाने वाला है जिसे अपनी बुर में महसूस कर के वह पानी पानी हो जाती थी,,,। रघु के पास गांव के सबसे हसीन और खूबसूरत जवान औरत उसकी मां अब उसकी बाहों में थी जिसके साथ अब वह जब चाहे तब कुछ भी कर सकता था,,, लेकिन मर्दों की फितरत में अक्सर यही होता है कि मौका मिलते हैं किसी गैर औरत की बाहों में जाने से बिल्कुल भी नहीं कतराते,,, लेकिन इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता था कि हलवाई की बीवी ही उसकी जिंदगी में पहली औरत थी जिसने उसे चुदाई के अद्भुत सुख से वाकिफ कराई थी,,, जिसने रघू को अपनी दूर के दर्शन करा कर एक औरत की बुर की संरचना क्या होती है उससे वाकिफ कराई थी,,, सही मायने में हलवाई की बीवी संभोग विषय की उसकी अध्यापिका थी और वह उसका छात्र तो गुरु दक्षिणा तो बनती ही थी,,,। इसीलिए तो वहां यहां पर आया था अपनी मां को खुश करने के लिए समोसे और जलेबी लेने के लिए लेकिन हलवाई की बीवी की तड़प देखकर वह उसकी कामाग्नि को शांत करने के लिए उसके
पीछे पीछे घर में घुस गया था,,,

हलवाई की बीवी के मदमस्त खूबसूरत मक्खन जैसे बदन की खूबसूरती से अच्छी तरह से वाकिफ था इसलिए घर में घुसते उसे अपनी बाहों में लेकर उसके लाल लाल होठों पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दिया,,,,,। हलवाई की बीवी जो कि पहले से ही गीली हो रही थी वह पूरी तरह से मदमस्त हो गई मदहोश हो गई और वह कसके रघु को अपनी बाहों में भर ले जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचीया उसकी छातियों पर नगाड़े की तरह बजने लगी,,, दोनों की सांसें एकदम तेज चलने लगी,,,, हलवाई की बीवी की बुर में आग लगी हुई थी जिस शांत करना बेहद जरूरी था,,,।

ओहहहहह,,,, रघू मेरी बुर में आग लगी हुई है,,, इसे शांत कर रघू मेरी रसमलाई को चाट,,,,ओहहहहह रघू,,,,,।(ऐसा कहते हुए वह खुद अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,,और देखते ही देखते वह अपने हाथों से अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर कमर के नीचे एकदम नंगी हो गई,,,,रघु को इस बात का अहसास नहीं था कि वह खुद अपने हाथों से अपनी साड़ी को कमर तक उठाया था लेकिन जैसे ही हो अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर साड़ी के ऊपर से ही उसकी फूली हुई बुर को टटोलना चाहा तो उसके हथेली में उसकी नंगी बुर आ गई और वह पूरी तरह से की गई थी एकदम चिपचिपी,,, रघू जैसे ही अपनी नजरों को नीचे किया तो नीचे की तरफ देखकर दंग रह गया,,,,,, एक औरत की प्यास इस कदर बढ़ जाती है इस बात का एहसास रखो को अच्छी तरह से मालूम था और उसी तरह से हलवाई की बीवी भी पूरी तरह से प्यासी हो चुकी थी,,, तन की प्यास औरतों को किसी भी हद तक जाने के लिए मजबूर कर देती है ठीक वैसा ही हलवाई की बीवी के साथ भी हो रहा था वह रघू से चुदवाना चाहती थी काफी दिनों बाद रघु को देखते ही उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होना शुरू हो गया था और अपनी बेटी की उपस्थिति में भी वह घर के अंदर रघु को ले जाकर अपने जिस्म की प्यास को बुझाने में लगी हुई थी,,, नंगी बुर हथेली में आते ही रघु पूरी तरह से मदहोश हो गया,,, वह जोर-जोर से उसकी बुर को मसलने लगा उसकी गर्माहट उसे अपनी हथेली में महसूस हो रही थी जिसका सीधा असर उसके लंड पर पड़ रहा था,,,,,,

रघु के इस तरह से बुर को रगड़े जाने की वजह से हलवाई की बीवी एकदम से चुदवासी हो गई और बार-बार रघू से बुर चाटने की गुजारिश कर रही थी,,,, रघु भी मचल रहा था,, इसलिए उसकी तरफ देखते ही वह खुद अपने घुटनों के बल बैठ गया और हलवाई की बीवी मदमस्त अदा बिखेरते हुए अपनी एक टांग उठा कर खटिया पर रख दी जिससे रघु को थोड़ी और जगह मिल गई और वह हलवाई की बीवी की मक्खन जैसी चिकनी जांघों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपने प्यासे होठों को उसकी मचलती बुर पर रख दिया,,,,।

सहहहहहह आहहहहहह,,,, रघू,,,,,,,
(काफी दिनों बाद एक जवान लड़के की प्यासी होठों को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों पर महसूस करते ही,,,, हलवाई की बीवी अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पाई और उसके मुंह से गर्म सिसकारी फुट पड़ी,,,, उसकी गर्म सिसकारी में एक तडप थी एक कशिश थी,,,, अपने पति से की गई बेवफाई थी,,, एक औरत का अधिकार था,,, एक गूंज थी उन मर्दों के खिलाफ जो उन्हें जब चाहे अपनी मर्जी से इस्तेमाल करते हैं उनसे अपनी शारीरिक भूख मिटा कर करवट लेकर सो जाते हैं,,, उन्ही सब का जवाब थी हलवाई की बीवी,,,,, जोकी मस्ती के साथ अद्भुत गर्म सिसकारी की आवाज निकालते हुए एक जवान लड़के से अपनी बुर चटवा रही थी,,,,,, अपनी मां की बुर का स्वाद चखने के बाद,,, अद्भुत और स्वादिष्ट एहसास उसे किसी और की बुर में नहीं मिलता लेकिन हलवाई के बीवी की बात कुछ और थी इसीलिए तो वह जितना हो सकता था उसने जीभ को उसकी बुर की गहराई में डालकर उसमें से मलाई चाट रहा था,,,,,,,।

ओहहहहह रघू मेरे राजा ऐसे ही पूरी जीभ डालकर चाट,,,आहहहहहह बहुत मजा आ रहा है बहुत मजा तेरा बड़ी बेसब्री से कई दिनों से इंतजार कर रही थी,,,सहहहहह,,आहहहहहहह,,,, आज मिला है ,,,,,मस्त कर दे मुझे,,,,,,
(हलवाई की तरह की बातें करते हुए रघु का हौसला बना रही थी और रघू उसकी बातों को सुनकर पूरे गर्मजोशी के साथ मदहोशी में उसकी बुर ऐसे चाट रहा था मानो कि जैसे उसके सामने मीठी खीर की कटोरी भरी पड़ी हो,,,,, कुछ देर तक रखो उसी तरह से हलवाई की बीवी की बुर चाटता रहा इस दौरान वह एक बार झड़ चुकी थी,,,, पजामे में रघु का मुसल ओखली में घुसने के लिए तैयार था,,,, रघू खड़ा हुआ और उसके खड़े होते हैं बिना किसी ईसारे के मानो हलवाई की बीवी को क्या करना है वह जानती हो,,, इसलिए वह खटिया के पाटी पर बैठ गई अपनी भारी-भरकम शरीर के कारण नीचे अच्छी तरह से बेठ पाना उसके लिए मुनासिब नहीं था,,,, पजामे में बने तंबू को देखकर उसके मुंह के साथ-साथ उसकी बुर में भी पानी आना शुरू हो गया,,,, सब कुछ ऐसा लग रहा था कि जैसे वह पहली बार रघू के साथ यह उन्मादक पल विता रही हो,,, अपने उत्तेजना के मारे सूखते गले के नीचे थूक को निगलते हुएअपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर उसके पजामे को एक झटके से घुटनों तक खींच दी,,,।

आहहहहह,,,, अद्भुत अतुल बेहद उत्तेजना से भरा हुआ नजारा एक बार फिर उसकी आंखों के सामने घूमने लगा रघु का मतवाला आजाद लंड हवा में लहराने लगा,,,, उसकी अकड़ किसी पहाड़ की तरह थी जिसके सामने दुनिया की किसी भी औरत की बुर की ताकत टकरा कर घुटने टेक दे,,,,, रघु का बेलगाम लंड हवा में लहरा रहा था जिसे हलवाई की बीवी अपना हाथ आगे बढाकर उसे हवा में ही लपक ली,,,,,,, और उस पर काबू पाने के लिए उसे सीधे अपने मुंह में भर ली,,,। एकदम अंदर गले तक और तब तक जब तक उसकी सांस अटकने ना लग गई फिर बाहर ऐसा वह बार-बार कर रही थी,,,, हालांकि लंड चूसने की कारीगरी उसे रघु ने अपना लंड चुसवा कर ही सिखाया था इसमें वह पूरी तरह से पारंगत हो चुकी थी और इस समय रघु को पूरी तरह से अपने वश में कर रही थी,,, रघु तो पूरी तरह से मस्त हो चुका था जिस तरह से वह उसके लंड को चूस रही थी,,, उसे डर था कि कहीं उसका पानी उसके मुंह में ना छुट जाए,,,, इसलिए मैं तुरंत अपनी कमर को पीछे लेते हुए अपने लंड को उसके मुंह से बाहर निकाल लिया,,, हलवाई की बीवी की सांसे गहरी चल रही थी,,,, दोनों पूरी तरह से मदहोश हो चुके थे श्री वालों की बीवी अपने गुलाबी बुर के अंदर रघु के मोटे तगड़े लंड को लेने के लिए तैयार हो चुकी थी,,,, रघु अपने लंड को हिलाते हुए गहरी सांस लेते हुए बोला,,,।


अब बोलो चाची क्या करु,,,?
(दूसरी तरफ उसकी बेटी साधना समोसे कल चुकी थी लेकिन जलेबी कितना करना है या उसे नहीं मालूम था इसलिए वह पूछने के लिए चूल्हे पर से हटी और सीधा घर के दरवाजे पर पहुंच गए आवाज दे नहीं पा रही थी कि अंदर से आती आवाज उसके कानों में पड़ने लगी जो कि हिसाब किताब के बारे में बिल्कुल भी नहीं थी,,,)

अब तो अच्छी तरह से जानता है रखो तुझे क्या करना है तेरा यह पहली बार नहीं है जो मुझे सिखा ना पड़े तेरे मोटे तगड़े लंड को देखकर मेरी बुर में आग लगी हुई है,,,।
(लंड और बुर सब्द कानों में पड़ते हैं साधना के कान खड़े हो गए उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसके कानों में क्या शब्द पड़ेंगे और वह भी घर के अंदर से जहां पर उसकी मां एक गैर जवान लड़के के साथ अंदर थी,,,, साथी ना समझ गई कि अंदर जरूर कुछ गड़बड़ चल रही है अब सुनने से नहीं बल्कि देखने से ही पता चलेगा कि अंदर क्या हो रहा है इसलिए वह दरवाजे में से अंदर की तरफ झांकने लगी दरवाजा के कांच के टुकड़ों से बना हुआ है एक लकड़ी का दरवाजा था जिसमें से अंदर झांकना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन अंदर जैसे ही उसकी निगाहें सीधे उसकी मां पर और उस लड़के पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए उसकी मां खटिया के पाटी पर बैठी हुई थी उसकी साड़ी कमर तक थी हल्की हल्की उसकी बड़ी बड़ी गांड साधना को नजर आ रहे थे लेकिन उस लड़के पर नजर पड़ते उसके होश उड़ गए थे क्योंकि नजारा ही कुछ ऐसा था और साधना के लिए तो यह पहली बार था उसने आज तक एक जवान लंड़ को अपनी आंखों से कभी नहीं देखी थी और ना ही उसकी कल्पना की थी,,,,उसकी आंखों के सामने जो था वह सब कुछ हकीकत था कोई सपना बिल्कुल भी नहीं था,,,। रखो जिस तरह से उसे अपने हाथ में लेकर ऊपर नीचे करके हीला रहा था उसे देखकर साधना की कंपकंपी छूट गई,,,, तभी उसके कानों में जो सुनाई दिया उसे सुनकर उसके होश उड़ गए,,,।


मेरी रानी तुम्हारी बुर में जाने के लिए मेरा लंड तड़प रहा है,,,,



मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है मेरे राजा,,,,तेरे लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तो मैं न जाने कब से तड़प रही हूं,,,, बस अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है डाल दे जल्दी से अपनी लंड को मेरी बुर में,,,,(इतना कहने के साथ ही हलवाई की बीवी खड़ी हुई और उसी तरह से अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए ही पकड़े हुए वह घूम कर अपनी गांड को रघु के सामने परोस दी और झुक कर खटिया के पाटी को पकड़ ली,,, यह सब नजारा साधना के लिए अद्भुत था कभी ना देखा हुआ नजारा देखकर साधना की हालत खराब होने लगी उसकी टांगों के बीच कपकपी होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें घर के अंदर चुदवाने की तैयारी कर रही थी,,, और मैं बाहर खड़ी दरवाजे के छेद मे से देख रही थी,,,,इन सब से अनजान होने के बावजूद भी उसे इतना तो पता चल ही रहा था कि एक औरत अपने कपड़े उतार कर एक मर्द के साथ क्या करवाती हैं,,,इसलिए वह हैरान थी उसे अपनी मां से इस तरह की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उस लड़के को देख कर उसे गुस्सा भी आ रहा था जो कि अपने मोटे तगड़े लंड को हाथ में पकड़ कर हिला रहा था और साधना यह भी जानती थी कि कुछ ही पल में वह लड़का अपने लंड को उसकी मां की बुर में डाल देगा जिसे साफ जुबान में चुदाई कहते हैं,,,।

अपनी मां को ऐसा करने से रोकना चाहती थी उस लड़के को वहां से भगाना चाहती थीलेकिन ना जाने उस नजारे में कैसी कशिश थी कि साधना चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी इसमें उसका बिल्कुल भी दोष नहीं था,,,यह उम्र ही कुछ ऐसी होती है कि आंखें यही सब देखने के लिए भटकती रहतीं हैं,,, मन मचलता रहता हूं और उम्र के मुनासिब ही घर के अंदर का नजारा बना हुआ था देखते ही देखते रघू साधना की मां के पीछे आ गया और जोर से उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए मजा ले रहा था,,, लेकिन साधना एकदम हैरान थी क्योंकि वह लड़का बड़े जोरों से उसकी मां की गांड पर चपत लगा रहा था और उसकी मां दर्द से कराहने की जगह अजीब अजीब सी आवाज निकाल रही थी,,,,

साधना का दिल जोरों से धड़क रहा था वह बार-बार अपने पीछे की तरफ देख ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन कोई भी वहां मौजूद नहीं था क्योंकि हल्का हल्का अंधेरा होने लगा था और बरसात का मौसम होने की वजह से वहां पर किसी के आने की आशंका भी नहीं थी,,,
देखते ही देखते रघु अपने हाथ में लंड लेकर ठीक है उसकी मां के पीछे आ गया और नीचे की तरफ हल्के से कमर झुकाकर अपने लंड को उसकी मां की बुर में डाल दिया जैसे जैसे लेडीस की मां की बुर में जा रहा था वैसे वैसे उसकी मां के चेहरे के हावभाव बदलते जा रहे थे,,,, साधना की हालत पर पल खराब होती जा रही थी,,, अपनी आंखों के सामने अपनी मां को एक जवान लड़के से चुदवाते हुए देख रही थी,,, उसे बड़ा अजीब लग रहा था पल भर में उसे इस बात का एहसास होगा कि उसकी मां उसके पिताजी को धोखा दे रही है लेकिन क्यों दे रही है इस सवाल का जवाब शायद जानने के लिए वह अभी पूरी तरह से परिपक्व नहीं थी,,,,,,

आहहहहह आहहहहह,,,,ओहहहह मेरे राजा,,,,,आहहहहहह,,,,



साधना को एकदम साफ उसकी मां की आवाज सुनाई दे रही थी,,, इस तरह की आवाज साधना के लिए बिल्कुल नई थी बेहद अजीब थीलेकिन ना जाने क्यों इस तरह की आवाज सुनकर साधना के तन बदन में भी कुछ कुछ होने लगा था उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की उस जगह में से कुछ रिसता हुआ महसूस हो रहा था,,,। यह सब कुछ उसके लिए नया था उसे साफ दिखाई दे रहा था कि वह जवान लड़का उसकी मां के पीछे उसकी कमर था हमें अपनी कमर को आगे पीछे करके ही मारा था जिसका मतलब वह अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए तो उसकी भी खुद की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, साधना को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां को मजा आ रहा है और वह लड़का अपने दोनों हाथ को उसकी कमर पर से हटा कर आगे की तरफ लाकर अपने हाथों से उसकी मां के ब्लाउज के बटन खोलने लगा और उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों को बाहर निकालकर उसे दबाते हुए अपनी कमर को जोर-जोर से हीलाना शुरू कर दिया,,,,,,, रघु जोर जोर से धक्के लगा रहा था और हर धक्के के साथ उसकी मां की हालत खराब हो जा रही थी लेकिन मजा दोगुना आ रहा था,,, यह सब नजारा साधना के बर्दाश्त के बाहर था,,,, लेकिन फिर भी वह अपनी आंख दरवाजे से लगाए खड़ी थी,,,, उसे अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि उसकी मां कौन से हिसाब की बात कर रही थी,,,,उसे अपनी मां पर गुस्सा भी आ रहा था लेकिन उसने चेहरे को देखकर उत्तेजना भी बढ़ रही थी और इस तरह की उत्तेजना का अनुभव वह अपने बदन में पहली बार कर रही थी,,,,

उसकी मां की गरम सिसकारी की आवाज तेज होने लगी रघु को एहसास हो गया कि वह चढ़ने वाली है इसलिए अपने को को तेज कर दिया नहीं बाहर खड़ी साधना को बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था कि उसकी मां की सिसकारी की आवाज तेज क्यो हो गई,,,, जितनी तीव्रता से रफ्तार के साथ रखो कमर हिला रहा था उसे देखकर साधना हैरान थी क्योंकि आज तक उसने अपनी आंखों से चुदाई नहीं देखी थी यह पहला मौका था जब अपनी आंखों से चुदाई देख रही थी और वह भी अपनी मां की,,,, क्रोध उतेजना का मिलाजुला असर साधना के चेहरे पर दिखाई दे रहा था,,।

आखिरकार कुछ धक्के के बाद दोनों एक साथ झड़ गए यह नजारा यह कामलीला खत्म होने का एहसास साधना को तब हुआ जब उसकी मां अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगी और वह तुरंत उस जगह को छोड़कर वापस चूल्हे के पास बैठ गई और बिना कुछ पूछे अपने मन से ही जलेबी छान में लगी,,, थोड़ी देर बाद दोनों घर से बाहर निकल गई और ऐसा बर्ताव करने लगे कि जैसे अंदर कुछ हुआ ही ना हो,,,, रघु जलेबी और समोसे लेकर अपने घर की तरफ चला गया,,,।
 

Sirajali

Active Member
1,881
4,824
144
वह लड़की एकदम से हतप्रभ हो गई थी ,,, हैरान थी अपनी आंखों के सामने उसी लड़के को देखकर,,,,,, जो कुछ महीने पहले इसी तरह से उसे नहाते हुए देख रहा था उस दिन की बात याद आते ही और अभी जिस अवस्था में वह उसे देख रहा था इसको लेकर,,, उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया,,,।

तुम्हें कुछ समझ में आता है कि नहीं,,,(सलवार की डोरी को बांधकर कुर्ती को नीचे करते हुए,,,)

मैंने क्या किया,,,?


तुम सच में दुस्ट हो,,, चोरी-छिपे देख भी रहे हो और कहते हो कि मैंने क्या किया,,,?(दोनों हाथ को कमर पर रखते हुए गुस्से में बोली,,,)


पर मैंने देखा क्या कुछ भी तो नहीं देखा,,,,(रघु मासूम बनता हुआ बोला)


मैं सब जानती हूं कि क्या देखे हो,,,, तुम्हें शर्म नहीं आती यह सब करते हुए,,,,


पर क्या करते हुए बताओ गी,,,,


अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं तुम्हारे जैसा चलाकर दुष्ट इंसान मैंने आज तक नहीं देखी,,,,


देखो तुम क्या कह रही हो यह तो मैं बिल्कुल भी नहीं जानता लेकिन मुझे भला-बुरा बिल्कुल भी मत कहो मैंने कुछ किया नहीं हूं,,,,
(रघु की बात सुनते ही वह और ज्यादा गुस्से में आ गई क्योंकि वह जानती थी कि उसने उसे क्या करते हुए देखा है और फिर भी बड़े आसानी से पलट जा रहा है)



एक बार नहीं हजार बार कहुंगी,,,, और तुम यहां आते क्यों हो समोसे जलेबी खाना है तो आगे से चला जाया करो,,, मैं अभी जाकर मां को बताती हूं,,,,(इतना कहते हुए वक्त गुस्से में आकर उसके पास से गुजरने के बाद ही थी कि वह उसकी बांह पकड़कर उसे रोकते हुए बोला)


क्या कहोगी जाकर,,,,?


यही कि तुम पीछे क्यों आते हो और अभी अभी तुमने मुझे किस हालात में देखे हो,,,,



पीछे क्यों आते हो तो मैं तुम्हें बता दूं कि,,, मैं अपनी मर्जी से पीछे नहीं आया,,, तुम्हारी मां ने मुझे सूखी हुई लकड़िया लाने के लिए यहां भेजी है और मेरी किस्मत देखो इतनी तेज की तुम्हें मुतते हुए देख लिया,,,(रघु मुतने वाली बातइतना सहज होकर और बेशर्मी भरी हंसी लेकर बोला था कि वह और ज्यादा क्रोधित हो गई और वैसे भी उसके मुंह से अपने लिए मुतने वाला शब्द सुनकर वह एकदम से शर्म से पानी पानी हो गई,,,उसी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह इस तरह के शब्दों का प्रयोग करेगा और वह भी उसके सामने,,, एकदम से आग बबूला होते हुए बोली,,)


कितनी बेशरम हो तुम इतनी बिल्कुल भी शर्म नहीं आती है कि लड़की से किस तरह से बात किया जाता है,,,,


मुझे अच्छी तरह से मालूम है क्योंकि लड़की से औरत से किस तरह से बात किया जाता है लेकिन मैं तो सिर्फ सच्चाई बता रहा था कि यहां पर आने पर मैंने क्या देखा और अगर तुम्हारी मां पूछेगी तो उन्हें भी मैं यही कहूंगा कि मैं यहां आकर क्या देखा और वैसे भी मैंने कोई गलती नहीं किया मेरी आंखों के सामने ठीक सामने तुम्हारी नंगी गांड थी जब तुम सलवार नीचे करके मुत रही थी,,,,,,,(रखो उस लड़की से बातें करते रहो बार-बार उसकी छातियों की तरफ देख रहा था जोकि कुर्ती में से उसके अमरुद बाहर को झांक रहे थे,,, और उसकी नजरों को हलवाई की लड़की अच्छी तरह से समझ रही थी,,,, रघू की नजरों की वजह से और उसकी बातों की वजह से उसे शर्म आ रही थी,,, हलवाई की लड़की को समझते देर नहीं लगी की रघू बेहद बेशर्म किस्म का लड़का था,,, उससे बात करने की और ज्यादा हिम्मत उसमें नहीं थी,,,। प्रभात चित्र से समझ गई थी कि अगर वह अपनी मां से इस बारे में बात करेगी तो वह बिल्कुल बेशर्म की तरह उसकी मां के सामने भी वही करेगा तो उसके सामने कह रहा है इसलिए वह बात को आगे बढ़ाना नहीं चाहती थी और पैर पटक कर चली गई,,, रघु उसे जाते हुए देखता रह गया,,, हलवाई की लड़की होने के बावजूद भी उसके बदन पर चर्बी का असर बिल्कुल भी देखने को नहीं मिल रहा था बहुत ही खूबसूरत बदन था उस लड़की का,,,
रघु की नजर में उसके डोलते हुए नितंब बस गए थे,,, जो कि एकदम कसे हुए थे,,, हलवाई की लड़की की गांड देखकर रघु के मुंह में पानी आ गया था,,,,। रघु मन मसोसकर रह गया और फिर सूखी लकड़ियों को इकट्ठा करके,,, हलवाई की बीवी के पास आ गया और सूखे में लकड़ियों को उसके करीब रखते हुए बोला,,।


लो ले आया सूखी लकड़ियां,,,


बहुत अच्छा किया रघू तुने,,,,(वह मुस्कुराते हुए बोली,,,,)

अब चाची जल्दी से गरमा गरम समोसे और जलेबियां तोल दो,,,,


क्यों आज तुझे रसमलाई नहीं खाना है क्या,,,,(नजरों को मादक अदाओं से घुमाते हुए बोली)


खाना तो है चाची,,, लेकिन तुम्हारी बिटिया यही है,,,,


तु उसकी चिंता मत कर,,, मैं सब संभाल लूंगी,,,,(वह चक्र पकड़ ताकते हुए बोली)


बहुत हिम्मत वाली हो गई हो चाची तुम,,,, अगर किसी दिन चाचा को पता चल गया तो तुम्हारी खैर नहीं,,,।


पता चलता है तो चलने दो खुद से तो कुछ उखडता नहीं है,,,



चाचा के साथ मजा नहीं आता क्या चाची,,,,।


उनसे मजा मिलता तो तेरे से कहती क्या,,,, औरत को आदमी से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए रहता है दो वक्त की रोटी और रात को पलंग तोड़ चुदाई बस इससे ज्यादा और क्या चाहिए लेकिन यहां तो दोनों की मुसीबत है काम करते-करते थक जाओ सुबह से शाम तक और रात को बस खटिया में पड़े पड़े अंगड़ाई लेते रहो,,,,।


अरे चाची चाचा कुछ नहीं करते तो तुम्ही चढ जाया करो चाचा पर,,,,


मैं जिस दिन चढ़ गई ना प्राण पखेरू सब उड़ जाएंगे और वैसे भी तेरे चाचा में इतना दम नहीं है चढ़ तो जाऊं,,, लेकिन वह मुआ ईतना थका रहता है कि,,, उसका खड़ा नहीं हो पाता,,,,।


ओहहहहह,,, चाची तब तो सच में तुम्हें हमेशा के लिए मेरे जैसे लौंडे की जरूरत पडती ही रहेगी,,, लगता है अब तुम्हारी सेवा का जिम्मा मुझे ही लेना पड़ेगा,,,,,।



तो ले लेना इतना सोचता क्यों है,,,(सूखी हुई लकड़ी को चूल्हे में डालते हुए बोली,,,,,,)


चलो कोई बात नहीं यह जिम्मेदारी तो मुझे जिंदगी भर के लिए मंजूर है,,,, मैं जिंदगी भर तुम्हारी बुर में लंड डालना चाहता हूं,,,,
(मेरे मुंह से इतना सुनते ही वह अपने होठों पर उंगली रख कर मुझे चुप रहने का इशारा करते हुए अपने चारों तरफ देखने लगी और बोली)


पागल हो गया गया कोई सुन लेगा तो,,,,


कोई नहीं सुनेगा चाची,,, एक काम करो ना चाची,,,,


बोल,,,,,



एक बार फिर अपनी टांग खोल कर अपनी रसमलाई दिखा दो,,,,
(रघु की बात सुनते ही हलवाई की बीवी मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली)


तू सच में बुद्धू है मैं तुझे पूरी रसमलाई का कटोरा दे रही हूं और तू सिर्फ उसे देखना चाहता है,,,,।


क्या करूं चाची इस समय मेरा देखने का बहुत मन कर रहा है,,,,,,(रघु पजामे के ऊपर से अपने खड़े लंड को मसलते हुए बोला और हलवाई की बीवी उसकी ईस हरकत को देखकर उत्तेजित होने लगी,,,, रघु की हरकत से उसके गोरे गाल पर शर्म की लाली साफ नजर आ रही थी,,,,, वह धीरे से बोली,,,)


चल अंदर तुझे अच्छे से दिखाती हुं,,,,


लेकिन तुम्हारी बेटी,,,,



तो उसकी चिंता बिल्कुल भी मत कर,,,,



लेकिन तुम्हारा चूल्हा जल रहा है,,,,।


यहां पुरी भट्टी सुलग रही है और तुझे चूल्हे की पड़ी है,,,।
(वह दोनों हाथों से अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बुर की तरफ इशारा करते हुए बोली, रघू को उसकी यह हरकत बेहद लुभावनी लगी और वह धीरे से बोला,,,)

लेकिन तुम्हारी बेटी,,,।


मैं कह रही हूं ना तु उसकी चिंता मत कर,,, मैं सब संभाल लूंगी बस तू बोल चलता है कि नहीं अंदर,,,,


चाची तुम्हारी बुर चोदने के लिए भला कौन इनकार कर सकता है,,,,,,,
(रघु की बात सुनते ही हलवाई की बीवी के होंठों पर मुस्कान तैरने लगी,,, पर मुस्कुराते हुए अपनी बेटी को आवाज देते हुए बोली,,,।)



साधना और साधना ईधर आ तो,,,,(पूडी को बेलते हुए बोली,,,, अब जाकर रघु को उसका नाम पता चला साधना नाम सुनते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी अपने मन में ही बोला,,, वाह क्या नाम है जैसा नाम है वैसी खूबसूरती,,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि तभी वह लगभग दौड़ते हुए वहां आकर हाजिर हो गई,,, उसकी नजर रघु पर पडते ही वह नाक सिकोड़ने लगी,,, तभी उसकी मां बोली,,,)

बेटी जरा यह समोसे कर देना तो और जलेबीया भी छान देना,,, तब तक नहीं रघु से हिसाब किताब कर लु,,, इसकी बहन की शादी का हिसाब किताब अभी करना बाकी है,,,।
(इतना कहते हुए वह अपनी जगह से खड़ी हुई ,,,साड़ी जांघो तक चढ़ी हुई थी इसलिए उसके खडी होते ही,,, साड़ी उसके कदम तक नीचे आ गई लेकिन जांघों से नीचे आने के दौरान इतने बीच में रघु को उसकी मोटी मोटी नंगी जांघों के दर्शन हो गए हालांकि वह इस दिल को भी देख चुका था लेकिन उत्तेजना के लिए औरतों के किसी भी अंग का बस झलक भर पा जाना ही काफी होता है,,,, इसलिए रघु जल्द से जल्द उसकी बुर में लंड डालने के लिए तड़प उठा,,, वह अपनी साड़ी को झाड़ते हुए नीचे उतर आई और उसकी बेटी साधना उसकी जगह पर जाकर बैठ गई,,, रघु का मन कर रहा था कि हलवाई की बेटी को नजर भर कर देखता ही रह जाए क्योंकि गजब की कशिश उसके चेहरे पर नजर आ रही थी,,,, और वह गुस्से मे रघू की तरफ देख भी नहीं रही थी,,,,
हलवाई की बीवी अपनी बड़ी बड़ी गांड मटकाते हुए घर के अंदर जाने लगी और,, पीछे पीछे लार टपकाते हुए रघू एक नजर उसकी बेटी साधना पर मारते हुए घर के अंदर घुस गया,,,, हलवाई की बीवी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी इस बात को सोचकर ही कि अब उसकी बुर में वही मोटा तगड़ा लंड फिर से जाने वाला है जिसे अपनी बुर में महसूस कर के वह पानी पानी हो जाती थी,,,। रघु के पास गांव के सबसे हसीन और खूबसूरत जवान औरत उसकी मां अब उसकी बाहों में थी जिसके साथ अब वह जब चाहे तब कुछ भी कर सकता था,,, लेकिन मर्दों की फितरत में अक्सर यही होता है कि मौका मिलते हैं किसी गैर औरत की बाहों में जाने से बिल्कुल भी नहीं कतराते,,, लेकिन इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता था कि हलवाई की बीवी ही उसकी जिंदगी में पहली औरत थी जिसने उसे चुदाई के अद्भुत सुख से वाकिफ कराई थी,,, जिसने रघू को अपनी दूर के दर्शन करा कर एक औरत की बुर की संरचना क्या होती है उससे वाकिफ कराई थी,,, सही मायने में हलवाई की बीवी संभोग विषय की उसकी अध्यापिका थी और वह उसका छात्र तो गुरु दक्षिणा तो बनती ही थी,,,। इसीलिए तो वहां यहां पर आया था अपनी मां को खुश करने के लिए समोसे और जलेबी लेने के लिए लेकिन हलवाई की बीवी की तड़प देखकर वह उसकी कामाग्नि को शांत करने के लिए उसके
पीछे पीछे घर में घुस गया था,,,

हलवाई की बीवी के मदमस्त खूबसूरत मक्खन जैसे बदन की खूबसूरती से अच्छी तरह से वाकिफ था इसलिए घर में घुसते उसे अपनी बाहों में लेकर उसके लाल लाल होठों पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दिया,,,,,। हलवाई की बीवी जो कि पहले से ही गीली हो रही थी वह पूरी तरह से मदमस्त हो गई मदहोश हो गई और वह कसके रघु को अपनी बाहों में भर ले जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचीया उसकी छातियों पर नगाड़े की तरह बजने लगी,,, दोनों की सांसें एकदम तेज चलने लगी,,,, हलवाई की बीवी की बुर में आग लगी हुई थी जिस शांत करना बेहद जरूरी था,,,।

ओहहहहह,,,, रघू मेरी बुर में आग लगी हुई है,,, इसे शांत कर रघू मेरी रसमलाई को चाट,,,,ओहहहहह रघू,,,,,।(ऐसा कहते हुए वह खुद अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,,और देखते ही देखते वह अपने हाथों से अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर कमर के नीचे एकदम नंगी हो गई,,,,रघु को इस बात का अहसास नहीं था कि वह खुद अपने हाथों से अपनी साड़ी को कमर तक उठाया था लेकिन जैसे ही हो अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर साड़ी के ऊपर से ही उसकी फूली हुई बुर को टटोलना चाहा तो उसके हथेली में उसकी नंगी बुर आ गई और वह पूरी तरह से की गई थी एकदम चिपचिपी,,, रघू जैसे ही अपनी नजरों को नीचे किया तो नीचे की तरफ देखकर दंग रह गया,,,,,, एक औरत की प्यास इस कदर बढ़ जाती है इस बात का एहसास रखो को अच्छी तरह से मालूम था और उसी तरह से हलवाई की बीवी भी पूरी तरह से प्यासी हो चुकी थी,,, तन की प्यास औरतों को किसी भी हद तक जाने के लिए मजबूर कर देती है ठीक वैसा ही हलवाई की बीवी के साथ भी हो रहा था वह रघू से चुदवाना चाहती थी काफी दिनों बाद रघु को देखते ही उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होना शुरू हो गया था और अपनी बेटी की उपस्थिति में भी वह घर के अंदर रघु को ले जाकर अपने जिस्म की प्यास को बुझाने में लगी हुई थी,,, नंगी बुर हथेली में आते ही रघु पूरी तरह से मदहोश हो गया,,, वह जोर-जोर से उसकी बुर को मसलने लगा उसकी गर्माहट उसे अपनी हथेली में महसूस हो रही थी जिसका सीधा असर उसके लंड पर पड़ रहा था,,,,,,

रघु के इस तरह से बुर को रगड़े जाने की वजह से हलवाई की बीवी एकदम से चुदवासी हो गई और बार-बार रघू से बुर चाटने की गुजारिश कर रही थी,,,, रघु भी मचल रहा था,, इसलिए उसकी तरफ देखते ही वह खुद अपने घुटनों के बल बैठ गया और हलवाई की बीवी मदमस्त अदा बिखेरते हुए अपनी एक टांग उठा कर खटिया पर रख दी जिससे रघु को थोड़ी और जगह मिल गई और वह हलवाई की बीवी की मक्खन जैसी चिकनी जांघों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपने प्यासे होठों को उसकी मचलती बुर पर रख दिया,,,,।

सहहहहहह आहहहहहह,,,, रघू,,,,,,,
(काफी दिनों बाद एक जवान लड़के की प्यासी होठों को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों पर महसूस करते ही,,,, हलवाई की बीवी अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पाई और उसके मुंह से गर्म सिसकारी फुट पड़ी,,,, उसकी गर्म सिसकारी में एक तडप थी एक कशिश थी,,,, अपने पति से की गई बेवफाई थी,,, एक औरत का अधिकार था,,, एक गूंज थी उन मर्दों के खिलाफ जो उन्हें जब चाहे अपनी मर्जी से इस्तेमाल करते हैं उनसे अपनी शारीरिक भूख मिटा कर करवट लेकर सो जाते हैं,,, उन्ही सब का जवाब थी हलवाई की बीवी,,,,, जोकी मस्ती के साथ अद्भुत गर्म सिसकारी की आवाज निकालते हुए एक जवान लड़के से अपनी बुर चटवा रही थी,,,,,, अपनी मां की बुर का स्वाद चखने के बाद,,, अद्भुत और स्वादिष्ट एहसास उसे किसी और की बुर में नहीं मिलता लेकिन हलवाई के बीवी की बात कुछ और थी इसीलिए तो वह जितना हो सकता था उसने जीभ को उसकी बुर की गहराई में डालकर उसमें से मलाई चाट रहा था,,,,,,,।

ओहहहहह रघू मेरे राजा ऐसे ही पूरी जीभ डालकर चाट,,,आहहहहहह बहुत मजा आ रहा है बहुत मजा तेरा बड़ी बेसब्री से कई दिनों से इंतजार कर रही थी,,,सहहहहह,,आहहहहहहह,,,, आज मिला है ,,,,,मस्त कर दे मुझे,,,,,,
(हलवाई की तरह की बातें करते हुए रघु का हौसला बना रही थी और रघू उसकी बातों को सुनकर पूरे गर्मजोशी के साथ मदहोशी में उसकी बुर ऐसे चाट रहा था मानो कि जैसे उसके सामने मीठी खीर की कटोरी भरी पड़ी हो,,,,, कुछ देर तक रखो उसी तरह से हलवाई की बीवी की बुर चाटता रहा इस दौरान वह एक बार झड़ चुकी थी,,,, पजामे में रघु का मुसल ओखली में घुसने के लिए तैयार था,,,, रघू खड़ा हुआ और उसके खड़े होते हैं बिना किसी ईसारे के मानो हलवाई की बीवी को क्या करना है वह जानती हो,,, इसलिए वह खटिया के पाटी पर बैठ गई अपनी भारी-भरकम शरीर के कारण नीचे अच्छी तरह से बेठ पाना उसके लिए मुनासिब नहीं था,,,, पजामे में बने तंबू को देखकर उसके मुंह के साथ-साथ उसकी बुर में भी पानी आना शुरू हो गया,,,, सब कुछ ऐसा लग रहा था कि जैसे वह पहली बार रघू के साथ यह उन्मादक पल विता रही हो,,, अपने उत्तेजना के मारे सूखते गले के नीचे थूक को निगलते हुएअपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर उसके पजामे को एक झटके से घुटनों तक खींच दी,,,।

आहहहहह,,,, अद्भुत अतुल बेहद उत्तेजना से भरा हुआ नजारा एक बार फिर उसकी आंखों के सामने घूमने लगा रघु का मतवाला आजाद लंड हवा में लहराने लगा,,,, उसकी अकड़ किसी पहाड़ की तरह थी जिसके सामने दुनिया की किसी भी औरत की बुर की ताकत टकरा कर घुटने टेक दे,,,,, रघु का बेलगाम लंड हवा में लहरा रहा था जिसे हलवाई की बीवी अपना हाथ आगे बढाकर उसे हवा में ही लपक ली,,,,,,, और उस पर काबू पाने के लिए उसे सीधे अपने मुंह में भर ली,,,। एकदम अंदर गले तक और तब तक जब तक उसकी सांस अटकने ना लग गई फिर बाहर ऐसा वह बार-बार कर रही थी,,,, हालांकि लंड चूसने की कारीगरी उसे रघु ने अपना लंड चुसवा कर ही सिखाया था इसमें वह पूरी तरह से पारंगत हो चुकी थी और इस समय रघु को पूरी तरह से अपने वश में कर रही थी,,, रघु तो पूरी तरह से मस्त हो चुका था जिस तरह से वह उसके लंड को चूस रही थी,,, उसे डर था कि कहीं उसका पानी उसके मुंह में ना छुट जाए,,,, इसलिए मैं तुरंत अपनी कमर को पीछे लेते हुए अपने लंड को उसके मुंह से बाहर निकाल लिया,,, हलवाई की बीवी की सांसे गहरी चल रही थी,,,, दोनों पूरी तरह से मदहोश हो चुके थे श्री वालों की बीवी अपने गुलाबी बुर के अंदर रघु के मोटे तगड़े लंड को लेने के लिए तैयार हो चुकी थी,,,, रघु अपने लंड को हिलाते हुए गहरी सांस लेते हुए बोला,,,।


अब बोलो चाची क्या करु,,,?
(दूसरी तरफ उसकी बेटी साधना समोसे कल चुकी थी लेकिन जलेबी कितना करना है या उसे नहीं मालूम था इसलिए वह पूछने के लिए चूल्हे पर से हटी और सीधा घर के दरवाजे पर पहुंच गए आवाज दे नहीं पा रही थी कि अंदर से आती आवाज उसके कानों में पड़ने लगी जो कि हिसाब किताब के बारे में बिल्कुल भी नहीं थी,,,)

अब तो अच्छी तरह से जानता है रखो तुझे क्या करना है तेरा यह पहली बार नहीं है जो मुझे सिखा ना पड़े तेरे मोटे तगड़े लंड को देखकर मेरी बुर में आग लगी हुई है,,,।
(लंड और बुर सब्द कानों में पड़ते हैं साधना के कान खड़े हो गए उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसके कानों में क्या शब्द पड़ेंगे और वह भी घर के अंदर से जहां पर उसकी मां एक गैर जवान लड़के के साथ अंदर थी,,,, साथी ना समझ गई कि अंदर जरूर कुछ गड़बड़ चल रही है अब सुनने से नहीं बल्कि देखने से ही पता चलेगा कि अंदर क्या हो रहा है इसलिए वह दरवाजे में से अंदर की तरफ झांकने लगी दरवाजा के कांच के टुकड़ों से बना हुआ है एक लकड़ी का दरवाजा था जिसमें से अंदर झांकना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन अंदर जैसे ही उसकी निगाहें सीधे उसकी मां पर और उस लड़के पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए उसकी मां खटिया के पाटी पर बैठी हुई थी उसकी साड़ी कमर तक थी हल्की हल्की उसकी बड़ी बड़ी गांड साधना को नजर आ रहे थे लेकिन उस लड़के पर नजर पड़ते उसके होश उड़ गए थे क्योंकि नजारा ही कुछ ऐसा था और साधना के लिए तो यह पहली बार था उसने आज तक एक जवान लंड़ को अपनी आंखों से कभी नहीं देखी थी और ना ही उसकी कल्पना की थी,,,,उसकी आंखों के सामने जो था वह सब कुछ हकीकत था कोई सपना बिल्कुल भी नहीं था,,,। रखो जिस तरह से उसे अपने हाथ में लेकर ऊपर नीचे करके हीला रहा था उसे देखकर साधना की कंपकंपी छूट गई,,,, तभी उसके कानों में जो सुनाई दिया उसे सुनकर उसके होश उड़ गए,,,।


मेरी रानी तुम्हारी बुर में जाने के लिए मेरा लंड तड़प रहा है,,,,



मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है मेरे राजा,,,,तेरे लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तो मैं न जाने कब से तड़प रही हूं,,,, बस अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है डाल दे जल्दी से अपनी लंड को मेरी बुर में,,,,(इतना कहने के साथ ही हलवाई की बीवी खड़ी हुई और उसी तरह से अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए ही पकड़े हुए वह घूम कर अपनी गांड को रघु के सामने परोस दी और झुक कर खटिया के पाटी को पकड़ ली,,, यह सब नजारा साधना के लिए अद्भुत था कभी ना देखा हुआ नजारा देखकर साधना की हालत खराब होने लगी उसकी टांगों के बीच कपकपी होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें घर के अंदर चुदवाने की तैयारी कर रही थी,,, और मैं बाहर खड़ी दरवाजे के छेद मे से देख रही थी,,,,इन सब से अनजान होने के बावजूद भी उसे इतना तो पता चल ही रहा था कि एक औरत अपने कपड़े उतार कर एक मर्द के साथ क्या करवाती हैं,,,इसलिए वह हैरान थी उसे अपनी मां से इस तरह की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उस लड़के को देख कर उसे गुस्सा भी आ रहा था जो कि अपने मोटे तगड़े लंड को हाथ में पकड़ कर हिला रहा था और साधना यह भी जानती थी कि कुछ ही पल में वह लड़का अपने लंड को उसकी मां की बुर में डाल देगा जिसे साफ जुबान में चुदाई कहते हैं,,,।

अपनी मां को ऐसा करने से रोकना चाहती थी उस लड़के को वहां से भगाना चाहती थीलेकिन ना जाने उस नजारे में कैसी कशिश थी कि साधना चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी इसमें उसका बिल्कुल भी दोष नहीं था,,,यह उम्र ही कुछ ऐसी होती है कि आंखें यही सब देखने के लिए भटकती रहतीं हैं,,, मन मचलता रहता हूं और उम्र के मुनासिब ही घर के अंदर का नजारा बना हुआ था देखते ही देखते रघू साधना की मां के पीछे आ गया और जोर से उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए मजा ले रहा था,,, लेकिन साधना एकदम हैरान थी क्योंकि वह लड़का बड़े जोरों से उसकी मां की गांड पर चपत लगा रहा था और उसकी मां दर्द से कराहने की जगह अजीब अजीब सी आवाज निकाल रही थी,,,,

साधना का दिल जोरों से धड़क रहा था वह बार-बार अपने पीछे की तरफ देख ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन कोई भी वहां मौजूद नहीं था क्योंकि हल्का हल्का अंधेरा होने लगा था और बरसात का मौसम होने की वजह से वहां पर किसी के आने की आशंका भी नहीं थी,,,
देखते ही देखते रघु अपने हाथ में लंड लेकर ठीक है उसकी मां के पीछे आ गया और नीचे की तरफ हल्के से कमर झुकाकर अपने लंड को उसकी मां की बुर में डाल दिया जैसे जैसे लेडीस की मां की बुर में जा रहा था वैसे वैसे उसकी मां के चेहरे के हावभाव बदलते जा रहे थे,,,, साधना की हालत पर पल खराब होती जा रही थी,,, अपनी आंखों के सामने अपनी मां को एक जवान लड़के से चुदवाते हुए देख रही थी,,, उसे बड़ा अजीब लग रहा था पल भर में उसे इस बात का एहसास होगा कि उसकी मां उसके पिताजी को धोखा दे रही है लेकिन क्यों दे रही है इस सवाल का जवाब शायद जानने के लिए वह अभी पूरी तरह से परिपक्व नहीं थी,,,,,,

आहहहहह आहहहहह,,,,ओहहहह मेरे राजा,,,,,आहहहहहह,,,,



साधना को एकदम साफ उसकी मां की आवाज सुनाई दे रही थी,,, इस तरह की आवाज साधना के लिए बिल्कुल नई थी बेहद अजीब थीलेकिन ना जाने क्यों इस तरह की आवाज सुनकर साधना के तन बदन में भी कुछ कुछ होने लगा था उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की उस जगह में से कुछ रिसता हुआ महसूस हो रहा था,,,। यह सब कुछ उसके लिए नया था उसे साफ दिखाई दे रहा था कि वह जवान लड़का उसकी मां के पीछे उसकी कमर था हमें अपनी कमर को आगे पीछे करके ही मारा था जिसका मतलब वह अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए तो उसकी भी खुद की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, साधना को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां को मजा आ रहा है और वह लड़का अपने दोनों हाथ को उसकी कमर पर से हटा कर आगे की तरफ लाकर अपने हाथों से उसकी मां के ब्लाउज के बटन खोलने लगा और उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों को बाहर निकालकर उसे दबाते हुए अपनी कमर को जोर-जोर से हीलाना शुरू कर दिया,,,,,,, रघु जोर जोर से धक्के लगा रहा था और हर धक्के के साथ उसकी मां की हालत खराब हो जा रही थी लेकिन मजा दोगुना आ रहा था,,, यह सब नजारा साधना के बर्दाश्त के बाहर था,,,, लेकिन फिर भी वह अपनी आंख दरवाजे से लगाए खड़ी थी,,,, उसे अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि उसकी मां कौन से हिसाब की बात कर रही थी,,,,उसे अपनी मां पर गुस्सा भी आ रहा था लेकिन उसने चेहरे को देखकर उत्तेजना भी बढ़ रही थी और इस तरह की उत्तेजना का अनुभव वह अपने बदन में पहली बार कर रही थी,,,,

उसकी मां की गरम सिसकारी की आवाज तेज होने लगी रघु को एहसास हो गया कि वह चढ़ने वाली है इसलिए अपने को को तेज कर दिया नहीं बाहर खड़ी साधना को बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था कि उसकी मां की सिसकारी की आवाज तेज क्यो हो गई,,,, जितनी तीव्रता से रफ्तार के साथ रखो कमर हिला रहा था उसे देखकर साधना हैरान थी क्योंकि आज तक उसने अपनी आंखों से चुदाई नहीं देखी थी यह पहला मौका था जब अपनी आंखों से चुदाई देख रही थी और वह भी अपनी मां की,,,, क्रोध उतेजना का मिलाजुला असर साधना के चेहरे पर दिखाई दे रहा था,,।

आखिरकार कुछ धक्के के बाद दोनों एक साथ झड़ गए यह नजारा यह कामलीला खत्म होने का एहसास साधना को तब हुआ जब उसकी मां अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगी और वह तुरंत उस जगह को छोड़कर वापस चूल्हे के पास बैठ गई और बिना कुछ पूछे अपने मन से ही जलेबी छान में लगी,,, थोड़ी देर बाद दोनों घर से बाहर निकल गई और ऐसा बर्ताव करने लगे कि जैसे अंदर कुछ हुआ ही ना हो,,,, रघु जलेबी और समोसे लेकर अपने घर की तरफ चला गया,,,।
Kamal hai bhai ek ek shabd me gazab ka maza diya hai..... update itna accha uski taareef karke main use bekaar nahi karna chahta ... raghu aur halwai ki biwi ki shaandaar chudai. Ka jo aapne varnan kiya hai wo bahut uttejit karne wala hai.....lagta hai beti ka number bhi kabhi na kabhi lag hi jayega ..... aapke likhne ka jawab nahi
 

chachajaani

Active Member
559
992
108
वह लड़की एकदम से हतप्रभ हो गई थी ,,, हैरान थी अपनी आंखों के सामने उसी लड़के को देखकर,,,,,, जो कुछ महीने पहले इसी तरह से उसे नहाते हुए देख रहा था उस दिन की बात याद आते ही और अभी जिस अवस्था में वह उसे देख रहा था इसको लेकर,,, उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया,,,।

तुम्हें कुछ समझ में आता है कि नहीं,,,(सलवार की डोरी को बांधकर कुर्ती को नीचे करते हुए,,,)

मैंने क्या किया,,,?


तुम सच में दुस्ट हो,,, चोरी-छिपे देख भी रहे हो और कहते हो कि मैंने क्या किया,,,?(दोनों हाथ को कमर पर रखते हुए गुस्से में बोली,,,)


पर मैंने देखा क्या कुछ भी तो नहीं देखा,,,,(रघु मासूम बनता हुआ बोला)


मैं सब जानती हूं कि क्या देखे हो,,,, तुम्हें शर्म नहीं आती यह सब करते हुए,,,,


पर क्या करते हुए बताओ गी,,,,


अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं तुम्हारे जैसा चलाकर दुष्ट इंसान मैंने आज तक नहीं देखी,,,,


देखो तुम क्या कह रही हो यह तो मैं बिल्कुल भी नहीं जानता लेकिन मुझे भला-बुरा बिल्कुल भी मत कहो मैंने कुछ किया नहीं हूं,,,,
(रघु की बात सुनते ही वह और ज्यादा गुस्से में आ गई क्योंकि वह जानती थी कि उसने उसे क्या करते हुए देखा है और फिर भी बड़े आसानी से पलट जा रहा है)



एक बार नहीं हजार बार कहुंगी,,,, और तुम यहां आते क्यों हो समोसे जलेबी खाना है तो आगे से चला जाया करो,,, मैं अभी जाकर मां को बताती हूं,,,,(इतना कहते हुए वक्त गुस्से में आकर उसके पास से गुजरने के बाद ही थी कि वह उसकी बांह पकड़कर उसे रोकते हुए बोला)


क्या कहोगी जाकर,,,,?


यही कि तुम पीछे क्यों आते हो और अभी अभी तुमने मुझे किस हालात में देखे हो,,,,



पीछे क्यों आते हो तो मैं तुम्हें बता दूं कि,,, मैं अपनी मर्जी से पीछे नहीं आया,,, तुम्हारी मां ने मुझे सूखी हुई लकड़िया लाने के लिए यहां भेजी है और मेरी किस्मत देखो इतनी तेज की तुम्हें मुतते हुए देख लिया,,,(रघु मुतने वाली बातइतना सहज होकर और बेशर्मी भरी हंसी लेकर बोला था कि वह और ज्यादा क्रोधित हो गई और वैसे भी उसके मुंह से अपने लिए मुतने वाला शब्द सुनकर वह एकदम से शर्म से पानी पानी हो गई,,,उसी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह इस तरह के शब्दों का प्रयोग करेगा और वह भी उसके सामने,,, एकदम से आग बबूला होते हुए बोली,,)


कितनी बेशरम हो तुम इतनी बिल्कुल भी शर्म नहीं आती है कि लड़की से किस तरह से बात किया जाता है,,,,


मुझे अच्छी तरह से मालूम है क्योंकि लड़की से औरत से किस तरह से बात किया जाता है लेकिन मैं तो सिर्फ सच्चाई बता रहा था कि यहां पर आने पर मैंने क्या देखा और अगर तुम्हारी मां पूछेगी तो उन्हें भी मैं यही कहूंगा कि मैं यहां आकर क्या देखा और वैसे भी मैंने कोई गलती नहीं किया मेरी आंखों के सामने ठीक सामने तुम्हारी नंगी गांड थी जब तुम सलवार नीचे करके मुत रही थी,,,,,,,(रखो उस लड़की से बातें करते रहो बार-बार उसकी छातियों की तरफ देख रहा था जोकि कुर्ती में से उसके अमरुद बाहर को झांक रहे थे,,, और उसकी नजरों को हलवाई की लड़की अच्छी तरह से समझ रही थी,,,, रघू की नजरों की वजह से और उसकी बातों की वजह से उसे शर्म आ रही थी,,, हलवाई की लड़की को समझते देर नहीं लगी की रघू बेहद बेशर्म किस्म का लड़का था,,, उससे बात करने की और ज्यादा हिम्मत उसमें नहीं थी,,,। प्रभात चित्र से समझ गई थी कि अगर वह अपनी मां से इस बारे में बात करेगी तो वह बिल्कुल बेशर्म की तरह उसकी मां के सामने भी वही करेगा तो उसके सामने कह रहा है इसलिए वह बात को आगे बढ़ाना नहीं चाहती थी और पैर पटक कर चली गई,,, रघु उसे जाते हुए देखता रह गया,,, हलवाई की लड़की होने के बावजूद भी उसके बदन पर चर्बी का असर बिल्कुल भी देखने को नहीं मिल रहा था बहुत ही खूबसूरत बदन था उस लड़की का,,,
रघु की नजर में उसके डोलते हुए नितंब बस गए थे,,, जो कि एकदम कसे हुए थे,,, हलवाई की लड़की की गांड देखकर रघु के मुंह में पानी आ गया था,,,,। रघु मन मसोसकर रह गया और फिर सूखी लकड़ियों को इकट्ठा करके,,, हलवाई की बीवी के पास आ गया और सूखे में लकड़ियों को उसके करीब रखते हुए बोला,,।


लो ले आया सूखी लकड़ियां,,,


बहुत अच्छा किया रघू तुने,,,,(वह मुस्कुराते हुए बोली,,,,)

अब चाची जल्दी से गरमा गरम समोसे और जलेबियां तोल दो,,,,


क्यों आज तुझे रसमलाई नहीं खाना है क्या,,,,(नजरों को मादक अदाओं से घुमाते हुए बोली)


खाना तो है चाची,,, लेकिन तुम्हारी बिटिया यही है,,,,


तु उसकी चिंता मत कर,,, मैं सब संभाल लूंगी,,,,(वह चक्र पकड़ ताकते हुए बोली)


बहुत हिम्मत वाली हो गई हो चाची तुम,,,, अगर किसी दिन चाचा को पता चल गया तो तुम्हारी खैर नहीं,,,।


पता चलता है तो चलने दो खुद से तो कुछ उखडता नहीं है,,,



चाचा के साथ मजा नहीं आता क्या चाची,,,,।


उनसे मजा मिलता तो तेरे से कहती क्या,,,, औरत को आदमी से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए रहता है दो वक्त की रोटी और रात को पलंग तोड़ चुदाई बस इससे ज्यादा और क्या चाहिए लेकिन यहां तो दोनों की मुसीबत है काम करते-करते थक जाओ सुबह से शाम तक और रात को बस खटिया में पड़े पड़े अंगड़ाई लेते रहो,,,,।


अरे चाची चाचा कुछ नहीं करते तो तुम्ही चढ जाया करो चाचा पर,,,,


मैं जिस दिन चढ़ गई ना प्राण पखेरू सब उड़ जाएंगे और वैसे भी तेरे चाचा में इतना दम नहीं है चढ़ तो जाऊं,,, लेकिन वह मुआ ईतना थका रहता है कि,,, उसका खड़ा नहीं हो पाता,,,,।


ओहहहहह,,, चाची तब तो सच में तुम्हें हमेशा के लिए मेरे जैसे लौंडे की जरूरत पडती ही रहेगी,,, लगता है अब तुम्हारी सेवा का जिम्मा मुझे ही लेना पड़ेगा,,,,,।



तो ले लेना इतना सोचता क्यों है,,,(सूखी हुई लकड़ी को चूल्हे में डालते हुए बोली,,,,,,)


चलो कोई बात नहीं यह जिम्मेदारी तो मुझे जिंदगी भर के लिए मंजूर है,,,, मैं जिंदगी भर तुम्हारी बुर में लंड डालना चाहता हूं,,,,
(मेरे मुंह से इतना सुनते ही वह अपने होठों पर उंगली रख कर मुझे चुप रहने का इशारा करते हुए अपने चारों तरफ देखने लगी और बोली)


पागल हो गया गया कोई सुन लेगा तो,,,,


कोई नहीं सुनेगा चाची,,, एक काम करो ना चाची,,,,


बोल,,,,,



एक बार फिर अपनी टांग खोल कर अपनी रसमलाई दिखा दो,,,,
(रघु की बात सुनते ही हलवाई की बीवी मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली)


तू सच में बुद्धू है मैं तुझे पूरी रसमलाई का कटोरा दे रही हूं और तू सिर्फ उसे देखना चाहता है,,,,।


क्या करूं चाची इस समय मेरा देखने का बहुत मन कर रहा है,,,,,,(रघु पजामे के ऊपर से अपने खड़े लंड को मसलते हुए बोला और हलवाई की बीवी उसकी ईस हरकत को देखकर उत्तेजित होने लगी,,,, रघु की हरकत से उसके गोरे गाल पर शर्म की लाली साफ नजर आ रही थी,,,,, वह धीरे से बोली,,,)


चल अंदर तुझे अच्छे से दिखाती हुं,,,,


लेकिन तुम्हारी बेटी,,,,



तो उसकी चिंता बिल्कुल भी मत कर,,,,



लेकिन तुम्हारा चूल्हा जल रहा है,,,,।


यहां पुरी भट्टी सुलग रही है और तुझे चूल्हे की पड़ी है,,,।
(वह दोनों हाथों से अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बुर की तरफ इशारा करते हुए बोली, रघू को उसकी यह हरकत बेहद लुभावनी लगी और वह धीरे से बोला,,,)

लेकिन तुम्हारी बेटी,,,।


मैं कह रही हूं ना तु उसकी चिंता मत कर,,, मैं सब संभाल लूंगी बस तू बोल चलता है कि नहीं अंदर,,,,


चाची तुम्हारी बुर चोदने के लिए भला कौन इनकार कर सकता है,,,,,,,
(रघु की बात सुनते ही हलवाई की बीवी के होंठों पर मुस्कान तैरने लगी,,, पर मुस्कुराते हुए अपनी बेटी को आवाज देते हुए बोली,,,।)



साधना और साधना ईधर आ तो,,,,(पूडी को बेलते हुए बोली,,,, अब जाकर रघु को उसका नाम पता चला साधना नाम सुनते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी अपने मन में ही बोला,,, वाह क्या नाम है जैसा नाम है वैसी खूबसूरती,,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि तभी वह लगभग दौड़ते हुए वहां आकर हाजिर हो गई,,, उसकी नजर रघु पर पडते ही वह नाक सिकोड़ने लगी,,, तभी उसकी मां बोली,,,)

बेटी जरा यह समोसे कर देना तो और जलेबीया भी छान देना,,, तब तक नहीं रघु से हिसाब किताब कर लु,,, इसकी बहन की शादी का हिसाब किताब अभी करना बाकी है,,,।
(इतना कहते हुए वह अपनी जगह से खड़ी हुई ,,,साड़ी जांघो तक चढ़ी हुई थी इसलिए उसके खडी होते ही,,, साड़ी उसके कदम तक नीचे आ गई लेकिन जांघों से नीचे आने के दौरान इतने बीच में रघु को उसकी मोटी मोटी नंगी जांघों के दर्शन हो गए हालांकि वह इस दिल को भी देख चुका था लेकिन उत्तेजना के लिए औरतों के किसी भी अंग का बस झलक भर पा जाना ही काफी होता है,,,, इसलिए रघु जल्द से जल्द उसकी बुर में लंड डालने के लिए तड़प उठा,,, वह अपनी साड़ी को झाड़ते हुए नीचे उतर आई और उसकी बेटी साधना उसकी जगह पर जाकर बैठ गई,,, रघु का मन कर रहा था कि हलवाई की बेटी को नजर भर कर देखता ही रह जाए क्योंकि गजब की कशिश उसके चेहरे पर नजर आ रही थी,,,, और वह गुस्से मे रघू की तरफ देख भी नहीं रही थी,,,,
हलवाई की बीवी अपनी बड़ी बड़ी गांड मटकाते हुए घर के अंदर जाने लगी और,, पीछे पीछे लार टपकाते हुए रघू एक नजर उसकी बेटी साधना पर मारते हुए घर के अंदर घुस गया,,,, हलवाई की बीवी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी इस बात को सोचकर ही कि अब उसकी बुर में वही मोटा तगड़ा लंड फिर से जाने वाला है जिसे अपनी बुर में महसूस कर के वह पानी पानी हो जाती थी,,,। रघु के पास गांव के सबसे हसीन और खूबसूरत जवान औरत उसकी मां अब उसकी बाहों में थी जिसके साथ अब वह जब चाहे तब कुछ भी कर सकता था,,, लेकिन मर्दों की फितरत में अक्सर यही होता है कि मौका मिलते हैं किसी गैर औरत की बाहों में जाने से बिल्कुल भी नहीं कतराते,,, लेकिन इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता था कि हलवाई की बीवी ही उसकी जिंदगी में पहली औरत थी जिसने उसे चुदाई के अद्भुत सुख से वाकिफ कराई थी,,, जिसने रघू को अपनी दूर के दर्शन करा कर एक औरत की बुर की संरचना क्या होती है उससे वाकिफ कराई थी,,, सही मायने में हलवाई की बीवी संभोग विषय की उसकी अध्यापिका थी और वह उसका छात्र तो गुरु दक्षिणा तो बनती ही थी,,,। इसीलिए तो वहां यहां पर आया था अपनी मां को खुश करने के लिए समोसे और जलेबी लेने के लिए लेकिन हलवाई की बीवी की तड़प देखकर वह उसकी कामाग्नि को शांत करने के लिए उसके
पीछे पीछे घर में घुस गया था,,,

हलवाई की बीवी के मदमस्त खूबसूरत मक्खन जैसे बदन की खूबसूरती से अच्छी तरह से वाकिफ था इसलिए घर में घुसते उसे अपनी बाहों में लेकर उसके लाल लाल होठों पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दिया,,,,,। हलवाई की बीवी जो कि पहले से ही गीली हो रही थी वह पूरी तरह से मदमस्त हो गई मदहोश हो गई और वह कसके रघु को अपनी बाहों में भर ले जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचीया उसकी छातियों पर नगाड़े की तरह बजने लगी,,, दोनों की सांसें एकदम तेज चलने लगी,,,, हलवाई की बीवी की बुर में आग लगी हुई थी जिस शांत करना बेहद जरूरी था,,,।

ओहहहहह,,,, रघू मेरी बुर में आग लगी हुई है,,, इसे शांत कर रघू मेरी रसमलाई को चाट,,,,ओहहहहह रघू,,,,,।(ऐसा कहते हुए वह खुद अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,,और देखते ही देखते वह अपने हाथों से अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर कमर के नीचे एकदम नंगी हो गई,,,,रघु को इस बात का अहसास नहीं था कि वह खुद अपने हाथों से अपनी साड़ी को कमर तक उठाया था लेकिन जैसे ही हो अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर साड़ी के ऊपर से ही उसकी फूली हुई बुर को टटोलना चाहा तो उसके हथेली में उसकी नंगी बुर आ गई और वह पूरी तरह से की गई थी एकदम चिपचिपी,,, रघू जैसे ही अपनी नजरों को नीचे किया तो नीचे की तरफ देखकर दंग रह गया,,,,,, एक औरत की प्यास इस कदर बढ़ जाती है इस बात का एहसास रखो को अच्छी तरह से मालूम था और उसी तरह से हलवाई की बीवी भी पूरी तरह से प्यासी हो चुकी थी,,, तन की प्यास औरतों को किसी भी हद तक जाने के लिए मजबूर कर देती है ठीक वैसा ही हलवाई की बीवी के साथ भी हो रहा था वह रघू से चुदवाना चाहती थी काफी दिनों बाद रघु को देखते ही उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होना शुरू हो गया था और अपनी बेटी की उपस्थिति में भी वह घर के अंदर रघु को ले जाकर अपने जिस्म की प्यास को बुझाने में लगी हुई थी,,, नंगी बुर हथेली में आते ही रघु पूरी तरह से मदहोश हो गया,,, वह जोर-जोर से उसकी बुर को मसलने लगा उसकी गर्माहट उसे अपनी हथेली में महसूस हो रही थी जिसका सीधा असर उसके लंड पर पड़ रहा था,,,,,,

रघु के इस तरह से बुर को रगड़े जाने की वजह से हलवाई की बीवी एकदम से चुदवासी हो गई और बार-बार रघू से बुर चाटने की गुजारिश कर रही थी,,,, रघु भी मचल रहा था,, इसलिए उसकी तरफ देखते ही वह खुद अपने घुटनों के बल बैठ गया और हलवाई की बीवी मदमस्त अदा बिखेरते हुए अपनी एक टांग उठा कर खटिया पर रख दी जिससे रघु को थोड़ी और जगह मिल गई और वह हलवाई की बीवी की मक्खन जैसी चिकनी जांघों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपने प्यासे होठों को उसकी मचलती बुर पर रख दिया,,,,।

सहहहहहह आहहहहहह,,,, रघू,,,,,,,
(काफी दिनों बाद एक जवान लड़के की प्यासी होठों को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों पर महसूस करते ही,,,, हलवाई की बीवी अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पाई और उसके मुंह से गर्म सिसकारी फुट पड़ी,,,, उसकी गर्म सिसकारी में एक तडप थी एक कशिश थी,,,, अपने पति से की गई बेवफाई थी,,, एक औरत का अधिकार था,,, एक गूंज थी उन मर्दों के खिलाफ जो उन्हें जब चाहे अपनी मर्जी से इस्तेमाल करते हैं उनसे अपनी शारीरिक भूख मिटा कर करवट लेकर सो जाते हैं,,, उन्ही सब का जवाब थी हलवाई की बीवी,,,,, जोकी मस्ती के साथ अद्भुत गर्म सिसकारी की आवाज निकालते हुए एक जवान लड़के से अपनी बुर चटवा रही थी,,,,,, अपनी मां की बुर का स्वाद चखने के बाद,,, अद्भुत और स्वादिष्ट एहसास उसे किसी और की बुर में नहीं मिलता लेकिन हलवाई के बीवी की बात कुछ और थी इसीलिए तो वह जितना हो सकता था उसने जीभ को उसकी बुर की गहराई में डालकर उसमें से मलाई चाट रहा था,,,,,,,।

ओहहहहह रघू मेरे राजा ऐसे ही पूरी जीभ डालकर चाट,,,आहहहहहह बहुत मजा आ रहा है बहुत मजा तेरा बड़ी बेसब्री से कई दिनों से इंतजार कर रही थी,,,सहहहहह,,आहहहहहहह,,,, आज मिला है ,,,,,मस्त कर दे मुझे,,,,,,
(हलवाई की तरह की बातें करते हुए रघु का हौसला बना रही थी और रघू उसकी बातों को सुनकर पूरे गर्मजोशी के साथ मदहोशी में उसकी बुर ऐसे चाट रहा था मानो कि जैसे उसके सामने मीठी खीर की कटोरी भरी पड़ी हो,,,,, कुछ देर तक रखो उसी तरह से हलवाई की बीवी की बुर चाटता रहा इस दौरान वह एक बार झड़ चुकी थी,,,, पजामे में रघु का मुसल ओखली में घुसने के लिए तैयार था,,,, रघू खड़ा हुआ और उसके खड़े होते हैं बिना किसी ईसारे के मानो हलवाई की बीवी को क्या करना है वह जानती हो,,, इसलिए वह खटिया के पाटी पर बैठ गई अपनी भारी-भरकम शरीर के कारण नीचे अच्छी तरह से बेठ पाना उसके लिए मुनासिब नहीं था,,,, पजामे में बने तंबू को देखकर उसके मुंह के साथ-साथ उसकी बुर में भी पानी आना शुरू हो गया,,,, सब कुछ ऐसा लग रहा था कि जैसे वह पहली बार रघू के साथ यह उन्मादक पल विता रही हो,,, अपने उत्तेजना के मारे सूखते गले के नीचे थूक को निगलते हुएअपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर उसके पजामे को एक झटके से घुटनों तक खींच दी,,,।

आहहहहह,,,, अद्भुत अतुल बेहद उत्तेजना से भरा हुआ नजारा एक बार फिर उसकी आंखों के सामने घूमने लगा रघु का मतवाला आजाद लंड हवा में लहराने लगा,,,, उसकी अकड़ किसी पहाड़ की तरह थी जिसके सामने दुनिया की किसी भी औरत की बुर की ताकत टकरा कर घुटने टेक दे,,,,, रघु का बेलगाम लंड हवा में लहरा रहा था जिसे हलवाई की बीवी अपना हाथ आगे बढाकर उसे हवा में ही लपक ली,,,,,,, और उस पर काबू पाने के लिए उसे सीधे अपने मुंह में भर ली,,,। एकदम अंदर गले तक और तब तक जब तक उसकी सांस अटकने ना लग गई फिर बाहर ऐसा वह बार-बार कर रही थी,,,, हालांकि लंड चूसने की कारीगरी उसे रघु ने अपना लंड चुसवा कर ही सिखाया था इसमें वह पूरी तरह से पारंगत हो चुकी थी और इस समय रघु को पूरी तरह से अपने वश में कर रही थी,,, रघु तो पूरी तरह से मस्त हो चुका था जिस तरह से वह उसके लंड को चूस रही थी,,, उसे डर था कि कहीं उसका पानी उसके मुंह में ना छुट जाए,,,, इसलिए मैं तुरंत अपनी कमर को पीछे लेते हुए अपने लंड को उसके मुंह से बाहर निकाल लिया,,, हलवाई की बीवी की सांसे गहरी चल रही थी,,,, दोनों पूरी तरह से मदहोश हो चुके थे श्री वालों की बीवी अपने गुलाबी बुर के अंदर रघु के मोटे तगड़े लंड को लेने के लिए तैयार हो चुकी थी,,,, रघु अपने लंड को हिलाते हुए गहरी सांस लेते हुए बोला,,,।


अब बोलो चाची क्या करु,,,?
(दूसरी तरफ उसकी बेटी साधना समोसे कल चुकी थी लेकिन जलेबी कितना करना है या उसे नहीं मालूम था इसलिए वह पूछने के लिए चूल्हे पर से हटी और सीधा घर के दरवाजे पर पहुंच गए आवाज दे नहीं पा रही थी कि अंदर से आती आवाज उसके कानों में पड़ने लगी जो कि हिसाब किताब के बारे में बिल्कुल भी नहीं थी,,,)

अब तो अच्छी तरह से जानता है रखो तुझे क्या करना है तेरा यह पहली बार नहीं है जो मुझे सिखा ना पड़े तेरे मोटे तगड़े लंड को देखकर मेरी बुर में आग लगी हुई है,,,।
(लंड और बुर सब्द कानों में पड़ते हैं साधना के कान खड़े हो गए उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसके कानों में क्या शब्द पड़ेंगे और वह भी घर के अंदर से जहां पर उसकी मां एक गैर जवान लड़के के साथ अंदर थी,,,, साथी ना समझ गई कि अंदर जरूर कुछ गड़बड़ चल रही है अब सुनने से नहीं बल्कि देखने से ही पता चलेगा कि अंदर क्या हो रहा है इसलिए वह दरवाजे में से अंदर की तरफ झांकने लगी दरवाजा के कांच के टुकड़ों से बना हुआ है एक लकड़ी का दरवाजा था जिसमें से अंदर झांकना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन अंदर जैसे ही उसकी निगाहें सीधे उसकी मां पर और उस लड़के पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए उसकी मां खटिया के पाटी पर बैठी हुई थी उसकी साड़ी कमर तक थी हल्की हल्की उसकी बड़ी बड़ी गांड साधना को नजर आ रहे थे लेकिन उस लड़के पर नजर पड़ते उसके होश उड़ गए थे क्योंकि नजारा ही कुछ ऐसा था और साधना के लिए तो यह पहली बार था उसने आज तक एक जवान लंड़ को अपनी आंखों से कभी नहीं देखी थी और ना ही उसकी कल्पना की थी,,,,उसकी आंखों के सामने जो था वह सब कुछ हकीकत था कोई सपना बिल्कुल भी नहीं था,,,। रखो जिस तरह से उसे अपने हाथ में लेकर ऊपर नीचे करके हीला रहा था उसे देखकर साधना की कंपकंपी छूट गई,,,, तभी उसके कानों में जो सुनाई दिया उसे सुनकर उसके होश उड़ गए,,,।


मेरी रानी तुम्हारी बुर में जाने के लिए मेरा लंड तड़प रहा है,,,,



मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है मेरे राजा,,,,तेरे लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तो मैं न जाने कब से तड़प रही हूं,,,, बस अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है डाल दे जल्दी से अपनी लंड को मेरी बुर में,,,,(इतना कहने के साथ ही हलवाई की बीवी खड़ी हुई और उसी तरह से अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए ही पकड़े हुए वह घूम कर अपनी गांड को रघु के सामने परोस दी और झुक कर खटिया के पाटी को पकड़ ली,,, यह सब नजारा साधना के लिए अद्भुत था कभी ना देखा हुआ नजारा देखकर साधना की हालत खराब होने लगी उसकी टांगों के बीच कपकपी होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें घर के अंदर चुदवाने की तैयारी कर रही थी,,, और मैं बाहर खड़ी दरवाजे के छेद मे से देख रही थी,,,,इन सब से अनजान होने के बावजूद भी उसे इतना तो पता चल ही रहा था कि एक औरत अपने कपड़े उतार कर एक मर्द के साथ क्या करवाती हैं,,,इसलिए वह हैरान थी उसे अपनी मां से इस तरह की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उस लड़के को देख कर उसे गुस्सा भी आ रहा था जो कि अपने मोटे तगड़े लंड को हाथ में पकड़ कर हिला रहा था और साधना यह भी जानती थी कि कुछ ही पल में वह लड़का अपने लंड को उसकी मां की बुर में डाल देगा जिसे साफ जुबान में चुदाई कहते हैं,,,।

अपनी मां को ऐसा करने से रोकना चाहती थी उस लड़के को वहां से भगाना चाहती थीलेकिन ना जाने उस नजारे में कैसी कशिश थी कि साधना चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी इसमें उसका बिल्कुल भी दोष नहीं था,,,यह उम्र ही कुछ ऐसी होती है कि आंखें यही सब देखने के लिए भटकती रहतीं हैं,,, मन मचलता रहता हूं और उम्र के मुनासिब ही घर के अंदर का नजारा बना हुआ था देखते ही देखते रघू साधना की मां के पीछे आ गया और जोर से उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए मजा ले रहा था,,, लेकिन साधना एकदम हैरान थी क्योंकि वह लड़का बड़े जोरों से उसकी मां की गांड पर चपत लगा रहा था और उसकी मां दर्द से कराहने की जगह अजीब अजीब सी आवाज निकाल रही थी,,,,

साधना का दिल जोरों से धड़क रहा था वह बार-बार अपने पीछे की तरफ देख ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन कोई भी वहां मौजूद नहीं था क्योंकि हल्का हल्का अंधेरा होने लगा था और बरसात का मौसम होने की वजह से वहां पर किसी के आने की आशंका भी नहीं थी,,,
देखते ही देखते रघु अपने हाथ में लंड लेकर ठीक है उसकी मां के पीछे आ गया और नीचे की तरफ हल्के से कमर झुकाकर अपने लंड को उसकी मां की बुर में डाल दिया जैसे जैसे लेडीस की मां की बुर में जा रहा था वैसे वैसे उसकी मां के चेहरे के हावभाव बदलते जा रहे थे,,,, साधना की हालत पर पल खराब होती जा रही थी,,, अपनी आंखों के सामने अपनी मां को एक जवान लड़के से चुदवाते हुए देख रही थी,,, उसे बड़ा अजीब लग रहा था पल भर में उसे इस बात का एहसास होगा कि उसकी मां उसके पिताजी को धोखा दे रही है लेकिन क्यों दे रही है इस सवाल का जवाब शायद जानने के लिए वह अभी पूरी तरह से परिपक्व नहीं थी,,,,,,

आहहहहह आहहहहह,,,,ओहहहह मेरे राजा,,,,,आहहहहहह,,,,



साधना को एकदम साफ उसकी मां की आवाज सुनाई दे रही थी,,, इस तरह की आवाज साधना के लिए बिल्कुल नई थी बेहद अजीब थीलेकिन ना जाने क्यों इस तरह की आवाज सुनकर साधना के तन बदन में भी कुछ कुछ होने लगा था उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की उस जगह में से कुछ रिसता हुआ महसूस हो रहा था,,,। यह सब कुछ उसके लिए नया था उसे साफ दिखाई दे रहा था कि वह जवान लड़का उसकी मां के पीछे उसकी कमर था हमें अपनी कमर को आगे पीछे करके ही मारा था जिसका मतलब वह अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए तो उसकी भी खुद की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, साधना को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां को मजा आ रहा है और वह लड़का अपने दोनों हाथ को उसकी कमर पर से हटा कर आगे की तरफ लाकर अपने हाथों से उसकी मां के ब्लाउज के बटन खोलने लगा और उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों को बाहर निकालकर उसे दबाते हुए अपनी कमर को जोर-जोर से हीलाना शुरू कर दिया,,,,,,, रघु जोर जोर से धक्के लगा रहा था और हर धक्के के साथ उसकी मां की हालत खराब हो जा रही थी लेकिन मजा दोगुना आ रहा था,,, यह सब नजारा साधना के बर्दाश्त के बाहर था,,,, लेकिन फिर भी वह अपनी आंख दरवाजे से लगाए खड़ी थी,,,, उसे अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि उसकी मां कौन से हिसाब की बात कर रही थी,,,,उसे अपनी मां पर गुस्सा भी आ रहा था लेकिन उसने चेहरे को देखकर उत्तेजना भी बढ़ रही थी और इस तरह की उत्तेजना का अनुभव वह अपने बदन में पहली बार कर रही थी,,,,

उसकी मां की गरम सिसकारी की आवाज तेज होने लगी रघु को एहसास हो गया कि वह चढ़ने वाली है इसलिए अपने को को तेज कर दिया नहीं बाहर खड़ी साधना को बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था कि उसकी मां की सिसकारी की आवाज तेज क्यो हो गई,,,, जितनी तीव्रता से रफ्तार के साथ रखो कमर हिला रहा था उसे देखकर साधना हैरान थी क्योंकि आज तक उसने अपनी आंखों से चुदाई नहीं देखी थी यह पहला मौका था जब अपनी आंखों से चुदाई देख रही थी और वह भी अपनी मां की,,,, क्रोध उतेजना का मिलाजुला असर साधना के चेहरे पर दिखाई दे रहा था,,।

आखिरकार कुछ धक्के के बाद दोनों एक साथ झड़ गए यह नजारा यह कामलीला खत्म होने का एहसास साधना को तब हुआ जब उसकी मां अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगी और वह तुरंत उस जगह को छोड़कर वापस चूल्हे के पास बैठ गई और बिना कुछ पूछे अपने मन से ही जलेबी छान में लगी,,, थोड़ी देर बाद दोनों घर से बाहर निकल गई और ऐसा बर्ताव करने लगे कि जैसे अंदर कुछ हुआ ही ना हो,,,, रघु जलेबी और समोसे लेकर अपने घर की तरफ चला गया,,,।
वाह वाह क्या बात है।
अच्छा होता कि हलवाईन के साथ दो चार चुदाई होती और साधना को शक होने लगता। रघु और साधना की छेड़खानी भी बढ़ने लगती। उसके बाद लड़की की अपनी माँ की चुदाई के दर्शन होते।
लेकिन फिर भी जो लिखा अच्छा लिखा
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,279
56,583
259
Wah kya baat h. Bhai maza aagaya Kya likhte ho. Cha gaye
 

Janu002

Well-Known Member
7,577
17,330
188
Nice update
 
  • Like
Reactions: Napster
Top