रात को सोते समय कजरी की हालत खराब हो रही थी दिन में खाना खाते समय जिस तरह का नजारा रघु ने अपनी मां को दिखाया था उसे देखकर उसका तन बदन तुझको देखा रहा था,,, उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि एक मर्द का लंड कितना मोटा तकड़ा होता है,,, वाकई में पैसे भी अपने बेटे के मुसल पर पूरी तरह से फिदा हो चुकी थी,,,हालांकि उसके मन में अपने बेटे को लेकर इस तरह के ख्याल जब भी आते थे तब तो हम वाला ग्लानि से भर जाती थी उसे अपने ऊपर गुस्सा भी आता था और बार बार कसम खाकर अपने बेटे की तरफ,, उसके प्रति गंदे विचार मैं नहीं लाती थी लेकिन क्या करें नजरों के साथ-साथ जरूरत और जवानी दोनों का कसूर था जो कि बार-बार कजरी का ध्यान अपने बेटे पर चला जाता था,,, और अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को याद करके ना जाने कितनी बार उसकी बुर पसीज ऊठती थी,,,। वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका आकर्षण उसके ही सगे बेटे के प्रति हो जाएगा,,,अगर किसी के प्रति उसका आकर्षण बढ़ता तो शायद उसके मन में इतनी ग्लानी नहीं होती लेकिनअपने ही बेटे के बारे में अपने मन में गंदे विचार लाकर उसे दुख तो बहुत होता था लेकिन मजबूर हो जाती है क्योंकि जिस तरह के ख्याल उसके मन में अपने बेटे को लेकर आ रहे थे उससे उसके तन बदन में जिस तरह की हलचल होती थी उसे महसूस करके उसका तन बदन आनंद भीबोर हो जाता था यह अलग बात थी कि उसकी प्यास दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी,,,, इसलिए तो वह रात को छत पर सोते समय अपने हाथों से ही अपने खरबूजे को हल्के हल्के दबा रही थी,, साथ ही ,,,रह रह कर अपना एक हाथ अपनी दोनों टांगों के बीच में जाकर अपनी मखमली रोटी की तरह फुली हुई बुर को दबा दे रही,,,जब जब अपने ही हाथों से अपनी फुली हुई बुर को दबाती थी तब तब उसका मन मचल उठता था उसके बदन में अजीब सी ऐंठन होने लगती थी,,,लेकिन फिर भी उसकी यह हरकत ऊसके बेटे और उसकी बेटी की नजरों में ना आ जाए इसलिए अपना मन मार कर जैसे तैसे करके वह नींद की आगोश में चली गई,,,।
दूसरी तरफ शालू के तन बदन में आग लगी हुई थी वह अपने भाई से फिर से एकाकार होना चाहती थी,,, जिस दिन से उसका भाई गया था उस दिन से उसकी प्यास को ज्यादा ही भड़कने लगी थी,,, बिरजू के साथ,, शारीरिक संबंध बनाते समय उसकी आंखों के सामने सरेआम उसकी नाकामी को देख कर उसे इस बात का आभास हो गया था कि उसकी गर्म जवानी को उसका भाई ही ठंडा कर सकता है,,,। खाना खाने के बाद वह भी छत पर आ गई जहां पर एक कोने पर उसका भाई सो रहा था,,,शालू एक नजर अपनी मां के ऊपर डाली तो वह पूरी तरह से गहरी नींद में सो रही थी वह निश्चिंत हो गई,,, और सीधे अपने भाई के पास चली गई,, शालू से रहा नहीं जा रहा था उसकी बुर में आग लगी हुई थीजिस तरह कि वह संस्कारी और सीधी-सादी लड़की थी अपने भाई के संगत में आते ही एक बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद से वह संस्कारी से बेशर्म लड़की बन गई अब दीन रात ऊसे सिर्फ अपने भाई के लंड की जरूरत रहती थी,,, अपने भाई के करीब पहुंचते ही वह बैठ गई और सीधे तोलिए के अंदर हाथ डाल कर अपने भाई के लंड को पकड़ ली जो कि अभी पूरी तरह से,,, खड़ा नहीं था,,, रघु की नींद तुरंत खुल गई लेकिन सामने अपनी बड़ी बहन को देखकर उसके होठों पर मुस्कान आ गई,,,।
हरामी कितना तड़पा रहा है तू,,, सुबह से आया है लेकिन मेरी तरफ जरा भी ध्यान नहीं दिया,,।(लंड को जोर से अपनी हथेली मे कसते हुए बोली जिसकी वजह से रघु के मुंह से दर्द भरी आह निकल गई,,,)
आहहहह,,, दीदी तुम्हारे लिए तो गया था मैं,,,
क्या करने के लिए,,,,(अपने भाई के लंड को ऊपर नीचे करके मुठीयाते हुए बोली,,)
सससहहहह आहहहहहह,,, दीदी तुम्हारी शादी की बात करने के लिए,,,।
तो हुई कि नहीं,,,,
हुई ना दीदी बड़ी मालकिन से,,,,
वो मान गई,,,,,(लंड को हिलाते हुए)
मानेंगी कैसे नहीं वह बहुत अच्छी है,,,
(अपने छोटे भाई के बाद सुनकर शालू मन ही मन खुश हो रही थी,,, लेकिन इस समय तो अपने भाई के लंड को पकड़ कर उसके बदन में उन्माद चढ रहा था,,, उसका जोश बढ़ रहा था उसकी आंखों में नशा छा रहा था,,, इसलिए वह अपने दोनों हाथों का सहारा लेकर अपनी कमीज को ऊपर करके उसे निकालते हुए बोली,,,।)
क्या मुझसे भी ज्यादा अच्छी है,,,,(कमीज निकलते ही शालू की दोनों नारंगी हवा में उछलने लगी जिस पर नजर पड़ते ही रघु की हालत खराब होने लगी और वह अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की दोनों चूचियों को अपने हाथ में भरकर दबाते हुए बोला,,,)
नहीं तुमसे अच्छी नहीं है,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपनी बहन को उसकी चूची पकड़कर ही अपनी तरफ खींचा जिससे शालू दर्द से कराह उठी लेकिन जिस तरह से उसका भाई उसकी चूचियों को दबा रहा था दर्द से ज्यादा उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी और काफी दिन हो गए थे मर्दाना हाथों को अपने जिस्म कोई स्पर्श कराएं इसलिए वह पूरी तरह से मचल उठी,,, रघु अपनी बहन को अपनी बाहों में भर लिया था और साथ ही उसकी एक चूची को अपने मुंह में भर कर पीना भी शुरू कर दिया था पल भर में ही शालू के मुंह से उन मादक सिसकारियां निकलने लगी,,, अपनी बहन की चूची को पीते हुए अपना दोनों हाथ नीचे की तरफ से जाकर रघु अपनी बहन की सलवार की डोरी खोलने लगा,,, जिस तरह से रघु पूर्ति दिखाता हुआ अपनी बहन के बदन से खेल रहा था ऐसा लग रहा था कि सालों से ज्यादा उतावला रघू है,,, पल भर में ही रख लो अपनी बहन को पूरी तरह से निर्वस्त्र कर दिया वह अपने भाई की बाहों में एकदम नंगी थी,,।दोनों पूरी तरह से जोश से भरे हुए थे इस समय दोनों को अपनी मां का भी डर नहीं लग रहा था कि कहीं उसकी नींद खुल गई और वह दोनों को इस तरह से निर्वस्त्र अवस्था में देख ली तो क्या होगा,,, दोनों जवानी के नशे में खोए हुए थे,,,, शालू अपने भाई को अपनी बुर से चटाना चाहती थी इसलिए वह बिना अपने भाई को आगाह किए सीधा अपनी गोल-गोल गांड को अपने भाई के मुंह पर रख दी,,,शालू की यही हरकत से पता चल रहा था कि जवानी के जोश में पवित्र रिश्ते भी इस तरह से तार तार हो जाते हैं क्योंकि सालु की आंखों में इस समय बिल्कुल भी शर्म नहीं थी वह बेशर्म हो चुकी थी,,,रघु को मालूम था उसे क्या करना है इसलिए वह अपना दोनों हाथों से अपनी बहन की बड़ी बड़ी गांड को थाम कर अपनी जीभ अपनी बहन की बुर में डाल कर चाटना शुरू कर दिया,,, रघु की यह हरकत सालु की जान लिए जा रही थी उसका बदन अकड़ रहा था,,, और देखते ही देखते पलभर में ही शालू झड़ने लगी और उसका छोटा भाई अपनी बहन की बुर में से निकले मदन रस को अमृत रस समझकर सारा का सारा गटगटा गया,,,। रघु की यह हरकत शालू को बहुत प्यारी लगती थी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे आज पूरा मोर्चा शालु ही संभालेगी,,, इसलिए तो वह बिना कुछ बोले अपने दोनों घुटनों को मोड़कर अपने भाई के कमर के इर्द-गिर्द रखकर और एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने भाई के खड़े लंड को पकड़ लिया और उसके लंड का मोटा छुपाना धीरे-धीरे अपनी गांड को नीचे की तरफ लाकर अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रखने लगी,,, शालू की इस अद्भुत हरकत की वजह से रघु के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,, और देखते ही देखते शालू अपनी गांड का वजन अपने भाई के लंड पर रख कर उसे धीरे-धीरे अपनी गुलाबी बुर के अंदर ले ली,,,, अद्भुत अदम्य और जवानी का जोर से खाते में शालू अपने भाई के लंबे मोटे तगड़े लंड को अपनी गुलामी पुर के छोटे से छेद में पूरी तरह से ले चुकी थी एक तरह से अपने भाई के लंड को अपनी बुरनुमा गुफा में छुपा ली थी,,,, रघु का लंड भी अपनी बहन की बुर के अंदर जाकर राहत महसूस कर रहा था,,,। शालू पूरा जोर लगा कर अपने भाई के लंड पर अपनी बुर पटक रही थी,,, दोनों का मजा आ रहा था रघु को और ज्यादा कुछ करने की जरूरत बिल्कुल भी जान नहीं पड रही थी वह केवल अपना दोनों हाथ उठाकर अपनी बहन के दोनों संतरो को पकड़कर उन्हें दबा रहा था,,,, शालू मस्त हो जा रही थी जवानी का सुख क्या होता है उसे पूरी तरह से अपने भाई से नीचोड़ लेना चाहती थी,,,, और थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ आपने लगे क्योंकि दोनों चरम सुख को प्राप्त कर चुके थे,,,,
अपने भाई से चुदवाने के बाद शालू कपड़े पहन कर उसके बगल में ही सो गई और सुबह अपनी मा के उठने से पहले ही उठ गई,,,। रघु भी उठ कर सीधे लाला के घर जाने लगा क्योंकि वह पूछना चाहता था कि कहीं तांगा से आना जाना तो नहीं है क्योंकि एक तरह से लाला ने उसे नौकरी पर रख लिया था,,,,
लाला की बहू कोमल नहाने के लिए गुशल खाने में गई हुई थी,,, नही लेने के बाद उसे पता चला कि वह कपड़े लेकर गुशलखाने में आई ही नहीं थी,, इसलिए वह अपने भी के कपड़ों को वापस से अपने बदन से लपेट ली लेकिन कपड़े गीले होने की वजह से उसके बदन से एकदम से चिपक गए और उसके नितंबों का उभार सही मायने में सही आकार सहित नजर आने लगा,,,, और वह उसी तरह से गीले कपड़ों में ही गुशल खाने से बाहर आ गई,,,, लेकिन तभी लाला का उधर आना हुआ और वह दरवाजे पर पहुंचते ही अपनी बहू के भीगे बदन और उनके कपड़ों में उसके गोलाकार नितंबों को देखकर उसकी आंखों में बसना की चमक नजर आने लगी अपनी बहू के खूबसूरत भीगे नितंबों को देखकर उसके लंड बरकत होने लगी उसकी धोती में सुरसुराहट होने लगी,,,, उससे रहा नहीं गया वह पुरी तरह से वासना में अंधा हो गया और तुरंत दरवाजा बंद करके उस पर कड़ी लगा लिया दरवाजा बंद होने की आवाज सुनते ही उसकी बहू कोमल की नजर दरवाजे पर पड़ी तो वहां पर वह अपने ससुर को देखकर घबरा गई,,,
बाबूजी आप यहां,,,,(गीले वस्त्रों में से झांक रहे अपने कोमल अंगों को छुपाते हुए वह बोली,,,)
हां बहू तुम्हारी खूबसूरत जवानी देख कर मुझसे रहा नहीं किया और मैं इधर आ गया,,,
(अपने ससुर के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर को एकदम से आश्चर्य में पड़ गई और घबराते हुए बोली,,)
यह क्या कह रही बाबू जी इस तरह की बातें आपको शोभा नहीं देती,,,,।(उसी तरह से अपने अंगों को छुपाते हुए वह बोली)
बहू तुम्हारी गर्म जवानी देख कर मैं बहकगया हूं आओ मेरी बाहों में आ जाओ,,,( इतना कहते हुए लाला अपनी बाहों को अपनी बाहों में लेने की चेष्टा करने लगा तो उसकी बहू घबरा कर उसे धक्का देने लगी,,,)
भगवान के लिए ऐसा मत करिए आप मेरे पिता समान है इस तरह की गंदी हरकत करके पवित्र रिश्ते को लांछन मत लगाइए,,,।
कैसा पवित्र रिश्ता बाबू तुम एक औरत हो और एक मर्द अच्छी तरह से जानता हूं तुम्हें एक मर्द की आवश्यकता है और मेरा बेटा वह कमी कभी पूरा नहीं कर सकता यह बात तो भी अच्छी तरह से जानती हो और मैं भी अच्छी तरह से जानता हूं वह मंदबुद्धि का है तभी तो तुम्हें छोड़कर ना जाने कहां भटक रहा है,,, तुम्हें जवानी की आग में इस तरह से तड़पता हुआ मैं नहीं देख सकता,,,।(ऐसा कहते हुए वह एक बार फिर से अपने बाबू के करीब जाने लगा और इस बार बार नहीं बहू का दोनों हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसे अपने सीने से लगा लिया ऐसा करने से लाला की छाती पर कोमल के नरम नरम सूची एकदम से दसवीं लगी जिसे अपनी छाती पर महसूस कर के लाला एकदम से मगन हो गया एकदम से मस्त हो गया मदहोश होने लगा और तुरंत अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर के अपनी बहू की गोल-गोल बड़ी बड़ी गांड को दबाना शुरू कर दिया लाला की बहू एकदम से घबरा गए और उसे छोड़ देने की दुहाई देने लगी लेकिन लाल आप कहां मानने वाला था वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था वासना में चूर हो चुका था मदहोशी और उत्तेजना उसके सर पर सवार हो चुकी थी धोती के अंदर उसका लंड खड़ा होने लगा था,,, लेकिन फिर भी उसकी बहू पूरा जोर लगा कर उसकी कैद से आजाद होना चाहती थी,,, और इस बार बार लाला को धक्का देने में सफल भी हो गई लेकिन दूर झटकते हुए लाला के हाथों में उसकी बहू की साड़ी आ गई और एक झटके में ही वह साड़ी खींचती चली गई और लाला की बहू कॉल को उसी जगह पर घूमने लगी और पल भर में ही उसके बदन पर से उसकी गीली साड़ी भी उतर गई वह पूरी तरह से नंगी हो गई,,, लाला की बहू अपने नंगे बदन को छुपाने की भरपूर कोशिश करने लगी लेकिन क्या छुपा पाती चूचियों पर हाथ रखती तो जांघों के बीच के पतली दरार नजर आने लगती थी और पतली दरार पर हाथ रखती तो ऊपर के दोनों खरबूजे हवा में लहरा उठते थे,,,लाला तो अपनी खूबसूरत बहू के नंगे जिस्म को देखकर बावला हो गया उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी,,,।
छोड़ दो बाबू जी भगवान के लिए छोड़ दो मैं कहीं भी किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाऊंगी,,,।
ऐसा कभी नहीं होगा बहु यह राज सिर्फ मेरे और तुम्हारे बीच ही रहेगा,,,।(ऐसा कहते हो हमें इतना ना फिर से आगे बढ़ने,,, लाला की बहू एकदम से घबरा गई थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने ससुर के सामने अपने आप को एकदम नंगी होता हुआ देखकर वह एकदम शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी ,,, और अपनी बहू का नंगा बदन देखकर लाला का दिल एक बार फिर से जवान होने लगा वह आगे बढ़ कर उसे फिर से एक बार अपनी बाहों में ले लिया और पूरी तरह से मस्त हो गया इस बार क्योंकि वह अपनी नंगी बहू को अपनी बाहों में लिया था बरसों के बाद में किसी औरत को एकदम नंगी करके अपनी बाहों में ले रहा था हालांकि वह कई औरतों के साथ शारीरिक संबंध बना चुका था लेकिन पूरी तरह से नंगी करके बहुत कम औरतों को चोदा था,,,लाला की बहू घबरा चुकी थी उसे लगने लगा था कि अाज ऊसकी इज्जत उसके ससुर के हाथों नहीं बच पाएगी,,, वह जोर से चिल्लाना चाहती थी अपनी इज्जत बचाने की गुहार लगाना चाहती थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,,।
लालाजी,,,, मे रघू,,,,