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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Devang

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रघु सालु को कुछ ही देर में घर पर लेकर आ गया शालू को देखते हुए उसकी मां बहुत खुश हुई,,,, कजरी अपने मन में सोच रही थी कि भले ही उसकी बेटी कैसी भी हो लेकिन उसके लिए थी तो उसके जिगर का टुकड़ा है इसलिए तो उसके दूर रहने पर उसका मन कचोट रहा था लेकिन उसे अपनी आंखों के सामने देखते ही वह फिर से खुश हो चुकी थी और उसे गले लगा कर रोने लगी थी,,,,। शालू के मायके वापस लौटने की खबर सुनते ही उसकी सहेलियां भी उससे मिलने के लिए आ गई और हाल-चाल पूछने के बाद वापस अपने अपने घर लौट गई,,,

शालू के मन में अभी भी ससुराल वाला दृश्य घूम रहा था जहां पर उसकी सास अपने कमरे में अपने ही पति की आंखों के सामने उसके भाई का लंड अपनी बुर में ले रही थी,,, शालू ने जो कुछ भी अपनी आंखों से देखी थी वह उसके लिए बेहद अजीब था,,,क्योंकि बहुत अच्छी तरह से जानती थी कि उसके परिवार में और जमीदार के परिवार में जमीन आसमान का फर्क था तो उसकी किस्मत अच्छी थी कि जमीदार की परिवार की बहू बन चुकी थी लेकिन यह बात उससे अभी भी हजम नहीं हो रही थी,,, कि जमींदार की बीवी उसके भाई के साथ शारीरिक संबंध बनाती है,,, क्योंकि वह बड़े घर की बहू थी मालकिन थी,,,, लेकिन जो कुछ भी उसने अपनी आंखों से देखी थी उसे झुठलाया भी नहीं जा सकता था,,और उसके भाई ने भी तो खुद ही बताया था कि जब उसके मायके ले जा रहा था तभी यह संबंध स्थापित हुआ था,,,, शालू अपनी भाई की बातों पर गौर कर रही थी पर अच्छी तरह से इन बातों को समझ रही थी क्योंकि जो कुछ भी उसके भाई ने बताया था वह बिल्कुल सच ही था क्योंकि उसकी सास अभी भी पूरी तरह से जवान थी और उसके ससुर बूढ़े और बिस्तर पकड़ लिया था ऐसे में औरतों का अरमान उनकी खुशियां भी मायने रखती है,,,,और इसीलिए जमीदार की बीवी और बड़े घर की बहू होने के बावजूद भी वह रघु के साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपनी खुशी पूरी कर रही है,,, और इस कार्य में उसकी जेठानी राधा भी शामिल थी,,,,वह अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई सच ही कह रहा था कि वह दोनों उसके लंड की दीवानी हो चुकी हैं जैसे कि वह खुद हो चुकी थी और अभी भी है,,, एक बार रघु का लंड कोई भी औरत अपनी बुर में ले ले तो दोबारा लिए बिना उसका मन नहीं मानता और यही सब कुछ हो गया था इस बात पर वह खुद मुस्कुरा दी,,, और घर के काम में हाथ बटाने लगी,,, उसकी मां खेतों पर जा चुकी थी,,, रघु इधर-उधर घूम कर मटरगश्ती कर रहा था सॉरी इस बात से अनजान थे कि उसकी और उसके भाई के बीच की हकीकत को उसकी मां अच्छी तरह से जान चुकी थी और रघु से कबूल भी करवा ली थी,,, इसलिए वहइस संबंध में पूरी तरह से निश्चित की और अपने भाई का ही इंतजार कर रही थी क्योंकि शादी के बाद बिरजू उसे रोज चोदता तो था लेकिन उसे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता था,,,,दिन-रात बिरजू के साथ होने के बावजूद भी वहां अपने भाई का ही सपना देखती रहती थी और आज अपने घर पर पहुंचने के बाद वह अपनी इच्छा पूरी कर लेना चाहती थी,,,, घर का सारा काम करने के बाद वह,,, घर में चारपाई पर लेट कर आराम कर रही थी कि तभी उसका ध्यान आगे के द्वार पर लगे दरवाजे पर गया तो उसे थोड़ा अजीब लगा और वह अपने मन में सोचने लगी ईतने वर्षों में तो कभी भी दरवाजा नहीं लगा था तो उसके जाने के बाद ही दरवाजा क्यों लग गया इसका जवाब शायद उसे नहीं मिल पा रहा था,,,,।

थोड़ी देर बाद रघु घर पर वापस आ गया और सीधा अंदर के कमरे में पहुंच गया जहां पर,,, शालू साड़ी पहने लेटी हुई थी,,,, विवाह के बाद शालू की मदमस्त जवानी और ज्यादा उफान मार रही थी,,, जिसका अंदाजा रघू उसके ब्लाउज के उठाव को देखकर ही लगा लिया था,,,,,, वह जानता था कि कभी भी अपनी बहन की चुदाई कर सकता था इसलिए इत्मीनान से उसके खूबसूरत यौवन को खटिया के पास खड़ा होकर देखता रह गया,,,, जरा सी आहट मिलते ही सालु की नींद खुल गई तो उसकी नजर रघू पर पड़ी जो कि उसे ही घूर रहा था,,,।


ऐसे क्या देख रहा है कभी देखा नहीं क्या,,,

देखा तो बहुत बार हो और वह भी बिना कपड़ों के लेकिन विवाह के बाद आज पहली बार देख रहा हूं तू तो और ज्यादा खूबसूरत लग रही है,,,,(पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए बोला,,,) लगता है जीजा दिन रात तेरी ले रहा है,,,,।

ओ मुआ लेता तो है लेकिन तेरे जितना मजा नहीं दे पाता,,,


क्यों मेरा लंड ज्यादा मजा देता है क्या,,,?( पजामें को नीचे सरका कर अपने लंड को बाहर निकाल कर हिलाते हुए बोला,,,)


बहुत ज्यादा तभी तो झट से तेरे साथ चलने के लिए तैयार हो गई,,,,,,,,


और सच कहूं तो मैं भी तुझे इसीलिए यहां लेकर आया हूं,,,(इतना कहने के साथ ही रघु खटिया पर बैठ गयाऔर अपना एक हाथ आगे जाकर ब्लाउज के ऊपर से ही सालु की चूची को दबाते हुए बोला,,,)

वाह,,,,, दीदी शादी के बाद तेरा दूध और बड़ा हो गया है,,, मुझे दिखा मैं देखना चाहता हूं,,,।


अपने हाथों से ही खोल कर देख ले,,,,

(इतना सुनते ही रघू अपने दोनों हाथों से शालू के ब्लाउज के बटन खोलने लगा तो उसे रोकते हुए शालू बोली,,,)


अभी नहीं बाद में अभी रहने दे मां आ गई तो,,,


तो क्या हुआ मा आ गई तो,,, वह भी हम दोनों के साथ मजा लेगी,,,(ब्लाउज का पहला बटन खोलते हुए बोला,,,)

धत्त,,,,कैसी बात कर रहा है तुझे शर्म नहीं आ रही है मां के बारे में ऐसी बात कर रहा है,,,।


तो क्या हुआ,,,,, तू भी तो मेरी बहन है हम दोनों के बीच में सब कुछ हुआ ना जरूरत के मुताबिक,,,,,,,,


कुछ भी हो लेकिन तु मां के बारे में यह सब गंदी बातें मत कर मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है,,,,,,


लेकिन मुझे तो पसंद है ना,,,(ब्लाउज के दूसरे बटन पर हाथ रखते हुए) देखी नही है मां की गांड कितनी खूबसूरत लगती है एकदम बड़ी बड़ी तेरे से भी बड़ी है,,, मेरा तो अब देखते ही खडा हो जाता है,,,,।


तू सच में पागल हो गया क्या,,,,


पागल नहीं दीवाना हो गया मां की मदमस्त गांड का,,, मेरा तो मन करता है कि मां को नंगी करके उनकी बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों में लेकर जोर जोर से दबाऊ,,,(शालू के ब्लाउज का दूसरा बटन भी खोलते हुए,,,)

सच में रघु तू पागल होता जा रहा है मां के बारे में इस तरह की बातें नहीं करते,,,।


बहन के बारे में भी तो नहीं किया जाता लेकिन देखो मैं तुम्हारा ब्लाउज के बटन खोल रहा हूं,,,।


मेरी बात कुछ और है,,,




क्या कुछ और है,,, तेरे पास चूची नहीं है कि बुर नहीं है,,,,,


रघु तू समझ नहीं रहा है,,,, मां के बारे में ऐसी बातें करना गंदी बात है,,,,।


मैं तो सब कुछ समझ रहा हूं लेकिन तू नहीं समझ रही है,,, तू ही बता जमीदार की बीवी के बारे में तु कभी सोची थी लेकिन उनकी भी कुछ जरूरते थी,,, भुख थी जिस्म की भूख,,,, जो कि तू तो अच्छी तरह से जानती है कि,,, जमीदार साहब बूढ़े हो चुके हैं और मालकिन जवानी के जोश से भरी और मालकिन की उफान मारती जवानी को संभाल पाना जमीदार के बस में बिल्कुल भी नहीं था,,, उन्हें एक मुस्टंडा नौजवान लड़का चाहिए था,,, और सही समय पर मैं मिल गया,,,, वैसे भी मा भी जमीदार की बीवी की तरह जवान है जवानी के जोश से भरी हुई है,,, तुझे नहीं लगता कि उन्हें भी जरूरत पड़ती होगी,,, और सही कहु तो मा की बुर को भी मेरे लंड की जरूरत है,,,।


धत्त,,,,, तू पागल हो गया तू अच्छे बुरे सही गलत का फैसला नहीं कर पा रहा है,,,।


देख दीदी इसमें सही क्या है गलत क्या है यह मैं नहीं जानता लेकिन मैं इतना चाहता हूं कि मां बहुत खूबसूरत है मा की गांड बहुत खूबसूरत है मा की बुर,,,आहहहहहह,,, उसमें से तो अमृत की धारा हहती होगी,,,(रघु अपनी बहन के ब्लाउज का अंतिम बटन भी खोलते हुए बोला,,, अब उसकी बहन की चुचीया रघु की आंखों के सामने नंगी थी शादी के बाद उसकी चूचियां और भी ज्यादा निखर गई थी,,
जिसे देख कर रघू कि मुंह में पानी आ रहा था ,,। रघु से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथों में अपनी बहन की दोनों चूचियों को पकड़ के दबाना शुरू कर दिया रघु की हरकत से शालू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,,, उसके तन बदन में कसमसाहट बढ़ने लगी,,,,।

सहहहहह आहहहहहहहहह,,,,।


मजा आ रहा है ना दीदी,,,,इसी तरह से मां को भी मजा आएगा जब उनकी दोनों नंगी चूचियों को मैं अपने हाथों को पकड़कर दबाऊंगा,,,,।


आहहहहहह,,,,, मां के साथ यह सब अच्छा नहीं लगेगा,,,,।


क्यों नहीं अच्छा लगेगा,,, सब कुछ अच्छा लगेगा जब में मा की चूची को मुंह में भरकर पीऊंगा तो उनके तन बदन में लहर उठने लगेगी,,,। जैसे तुम्हारी पुर से पानी निकलता है वैसे मां की बुर से भी पानी निकलने लगेगा,,,,।(शालू की दोनों चुचियों को जोर-जोर से दबाते हुए रघु बोला रघु की हरकत और उसकी गंदी बातों की वजह से और वह भी अपनी मां के बारे में यह सुनकर शालू के तन बदन में अजीब सी हलचल सी होने लगी थी उसे अपने भाई की बातें अपनी मां के बारे में गंदी बातें करते हुए अच्छा लगने लगा था,,,, इसलिए वह भी सिसकारी लेते हुए बोली,,,।)

सहहहह आहहहहहह,,,,, तो क्या तु मां को चोदना चाहता है,,,,


हां दीदी मैं तो ना जाने कब से मां को चोदने का सपना देख रहा हूं,,, उनकी बड़ी बड़ी गांड,,,,आहहहहह बहुत मजा देगी,,,, मां की बुर में जब मेरा मोटा लंड जाएगा तो देखना वो कैसे मस्त हो जाएगी,,,।
(यह बात सुनते ही शालू की बुर में खुजली होने लगी अपने मन में कल्पना करने लगी कि कैसे उसकी मां उसके भाई से चुदवाएगी,,,शालू को पूरा यकीन था कि एक बार अपने बेटे का लंड अपनी बुर में लेने के बाद उसकी मां अपने बेटे की दीवानी हो जाएगी,,,, यह कल्पना करके शालू की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,)

क्या ऐसा हो पाएगा,,,,


जरूर हो पाएगा मेरी रानी जब तुम मेरे नीचे आ गई तो क्या मां नहीं आएगी,,,,, फिर देखना हम तीनों एक साथ चुदाई का मजा लेंगे,,,,मैं मा की बुर चाटुगा और मा तुम्हारी बुर चाटेगी देखना मजा आ जाएगा,,,,।


ओहहहहह,,,,, रघू,,,, तु तो मुझे पागल कर देगा,,,,,


ओहहहहह दीदी,,,,,( इतना कहने के साथ ही रघु अपनी बहन की चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,, शालू की हालत खराब होने लगी टांगों के बीच की हलचल बढने लगी,,,। और रघु अपनी बहन के साड़ी को ऊपर कमर की तरफ उठाने लगाजानता था कि उसकी मां की आने का समय हो गया है लेकिन सालु मदहोशी में पूरी तरह से भूल चुकी थी,, रघू, अपनी मां को दिखाना चाहता था,,,, शालू की चुदाई करते हुए,,,, और ऐसा ही हुआ रघु अपनी बहन की साड़ी कमर तक उठाकर उसकी दोनों टांगों को फैला दिया और उसकी दोनों टांगों के बीच आकर उसकी चिकनी जांघों को अपनी जांघों पर रख कर अपने मोटे लंड को अपनी बहन की बुर में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया,,,। शालू एकदम मस्त हो गई बिरजू का लंड उसकी बुर में जाता जरूर था लेकिन इतना मजा नहीं देता था जितना उसे अपने भाई के लंड से आता था,,,, शालू पूरी तरह से मस्त हो गई और रघु उसकी मस्ती को और ज्यादा बढ़ाने के लिए उसकी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,,,,


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और तभी कजरी खेतों का काम पूरा करके वापस घर पर लौट आई और सीधा अंदर वाले कमरे के द्वार पर पहुंचकर अंदर से आ रही गर्म सिसकारी की आवाज सुनते ही,,, उसके कान खड़े हो गए,,,,दरवाजे पर लगे परदे को धीरे से हटाकर अंदर की तरफ देखी तो दंग रह गई,,, रघु अपनी बड़ी बहन के ऊपर लेटा हुआ था और उसका लंड उसकी बुर में था,,,, यह देखते ही पल भर में ही कजरी की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,,,, वह तुरंत कमरे के अंदर दाखिल होकर कटनी के पास दोनों हाथों को कमर पर रख कर बोली,,,,।


यह क्या हो रहा है,,,?

(इतना सुनते ही शालू कि तो सिटी पट्टी गुम हो गई,,,चुदवाने के चक्कर में वह भूल गई थी कि उसकी मां कभी भी घर पर वापस आ सकती हैं,,,। शालू की तो हालत खराब हो गई शालू घबरा गई थी लेकिन रघू उत्तेजना की परम शिखर पर पहुंच गया था,, उसकी कमर बड़ी तेजी से चल रही थी उसकी उत्तेजना इस अहसास से और ज्यादा बढ़ गई थी कि वह अपनी मां की मौजूदगी में अपनी बहन को चोद‌ रहा था,,,, शालू घबरा गई थी क्योंकि जिस हाल में उसकी मां ने उन दोनों को देख ली थी शायद इस बारे में सालु ने कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,, इसलिए वह शर्म से पानी पानी हो रही थी,,, वह रघू को अपने ऊपर से उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन रघूयह जानते हुए भी कि उसकी मां उसकी पास खड़ी होकर उन दोनों को देख रही है फिर भी वह अपनी कमर को जोर-जोर से हीलाते हुए अपनी मां के सामने ही अपनी बड़ी बहन की चूची को मुंह में भरकर पी रहा था,,,,।

रघु,,,, मां आ गई,, है,,, रघू,,,,
(लेकिन रघु रुकने का नाम नहीं ले रहा था,,, वह जल्द से जल्द अपना पानी अपनी बहन की बुर में डाल देना चाहता था,,,, इसलिए अपनी बहन की बात को अनसुना करते हुए वह धक्के लगाता रहा,,, और शालु उसे अपने ऊपर से हटाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन वह हट नहीं रहा था तो वह जोर से धक्का लगाई और इस बार रघू खटिया पर से नीचे गिर गया और अपनी आंखों के सामने अपनी मां को देखकर वह जानबूझकर डरने का नाटक करने लगा और वहां से अपने कपड़े लेकर भाग खड़ा हुआ लेकिन अंदर वाले कमरे से निकलकर बाहर वाले कमरे में जाकर कोने में खड़ा हो गया था शालू तुरंत शालू तुरंत कमर तक उठी हुई अपनी साड़ी को नीचे की तरफ कर दी और अपनी ब्लाउज के बटन बंद करने लगी तो कजरी गुस्से में बोली,,,।

यह सब क्या हो रहा है सालु,,,,

(शालू क्या बोले उसे तो कुछ सूझ नहीं रहा था आज उसकी चोरी पकड़ी गई थी वह शर्मिंदा हो गई थी और रोने लगी,,,, लेकिन कजरी जानबूझकर उसे डराने की कोशिश कर रही थी और सालु डर के मारे रोए जा रही थी,,,, और बाहर वाले कमरे में खड़ा होकर रघु हंस रहा था,,,,, शालू के मुंह से एक भी शब्द फूट नहीं रहे थे वह बस रो रही थी आंखों को नीचे झुकाएवह अपने आप को ही कोश रही थी कि बेवजह वह अपने ससुराल से यहां आ गई,,,, कजरी कुछ देर तक खड़ी रहकर शालू को डराती रही धमकाती रही उसे भला-बुरा कहती रही,,,, वह अपने दोनों हाथ से चेहरे को ढक कर रो रही थी और यही मौका रघु को ठीक लग रहा था वह वापस अंदर वाले कमरे में आ गया और,,,, अपनी मां के पीछे खड़ा होकर अपनी बहन से बोला,,,।


रो मत इधर देखो दीदी,,,(शालू फिर भी रोए जा रही थी) अरे मैं कह रहा हूं रो मत तुमने कोई पाप नहीं किया है एक बार यहां तो देखो दीदी,,,,।
(बार-बार मनाने पर शालू रोते हुए ऊपर की तरफ नजर उठाकर रघु की तरफ देखने लगी जो कि ठीक है उसकी मां के पीछे खड़ा था और वह भी बिल्कुल नंगा सालु को थोड़ी हैरानी हुई,,,, तो उसकी यह शंका भी दूर करते हुए रघू बोला,,,)

अब ध्यान से देखना दीदी,,,(और इतना कहने के साथ ही वह धीरे से नीचे की तरफ झुका और पीछे से ही अपनी मां की साड़ी को नीचे से पकड़कर धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगा यह देखकर शालू की आंखें हैरानी से फटी जा रही थी,,,,और देखते ही देखते रखो अपनी बहन को दिखाते हुए अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया और उसकी नंगी बुर नंगी टांगे मोटी मोटी जांघें सब कुछ सालु की आंखों के सामने चमकने लगी,,,शालू को तो अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था,,,। वह बस आंखें फाड़े देखी जा रही थी,,,, रघू अपनी मां के ठीक पीछे खड़ा होकर मुस्कुराए जा रहा था और बोला,,,।

मैं बोला था ना दीदी घर पर चलो,,,(इतना कहते हुए अपना एक हाथ अपनी मां की बुर पर रखकर उसे ज़ोर से अपनी मुट्ठी में भींचते हुए) बहुत कुछ बदल गया है,,,,.

(शालू को अभी भी अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था वह आंखें फाड़े बस देखे जा रही थी,,।
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Devang

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शालू की आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह गई थी उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था और होता भी कैसे उसकी आंखों के सामने उसका छोटा भाई अपनी मां की बुर को मुट्ठी में दबोचे हुए थे और उसकी इस हरकत पर उसकी मां उसे डांटने के वजाय,,, खुश हो रही थी,,,,,,, शालू के लिए नजारा बेहद आश्चर्य से भरा हुआ था लेकिन पूरी तरह से मादकता से भरा हुआ था,,, जो कुछ भी हो रहा था वह सब शालू के सोच के परे था,,, और रघु और ज्यादा बेशर्मी दिखाते हुए अपनी बहन शालू की आंखों के सामने ही अपनी मां की बुर में एक उंगली डालकर उसे अंदर-बाहर करने लगा,,,,,,,, शालू की आंखें फटी की फटी रह गई थी और अपने बेटे की हरकत पर कजरी के तन बदन में,,, अपनी ही बेटी के सामने बुर में उंगली करने की वजह से वह काफी उत्तेजित हो गई थी,,,।


देख दीदी,,, मैं कहता था ना बहुत कुछ बदल गया है,,, देख ध्यान से देख मां की बुर में मेरी उंगली कितने आराम से जा रही है,,।,,,
(रघु एकदम खुले शब्दों में बोल रहा था और शालू अपनी खुली आंखों से पूरी सच्चाई देख रही थी उसकी शादी के बाद वाकई में सब कुछ बदल गया था रिश्तो के मायने भी बदल चुके थे,,,, शालू एकदम साहब देख पा रही थी कि उसके भाई की उंगली उसकी मां की बुर में बड़े आराम से अंदर बाहर हो रही थी,,, जिसे देख कर उसे अजीब तो लग रहा था लेकिन काफी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था शालू कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,।)

आहहहहह क्या कर रहा है रे तु,,,, अब बाहर निकाल,,,।

(अपनी मां के मुंह से बाहर निकालने वाली बात सुनकर शालु स्तब्ध रह गई,,,,, 4 दिनों में वह अपनी मां का बदला हुआ रूप देख रही थी,,, उसे अभी भी अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि वह अपनी मां को संस्कारों में ढली हुई एक नारी के रूप में देखती आ रही थी कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि उसे अपनी आंखों से अपनी मां का यह रंडीपन वाला रूप देखने को मिलेगा,,,,, शालू को अच्छी तरह से दिखाई दे रहा था कि रघु की उंगली की वजह से उसकी मा कसमसा जा रही थी और अपनी कमर को दाएं बाएं घुमा दे रही थी,,,,,, अपनी मां की बात सुनकर रघू बोला,,,)


अभी थोड़ा और मा ,,,,मजा आ रहा है,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपनी दूसरी ऊंगली भी बुर में डाल दिया,,, यह देखकर शालू की आंखें चमक खा गई रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा था जो कि पीछे खड़े होने की वजह से उसकी मां की गांड पर रखा जा रहा था जिससे कजरी की उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी,,,दो अलीपुर में जाने की वजह से कजरी की आंखें उत्तेजना में बंद होने लगी उसके चेहरे का हाव भाव बदलने लगा,,, कजरी के गोरे मुखड़े पर उत्तेजना की लाली छाने लगी थी,,, शालू अपनी मां के चेहरे को उत्तेजना में दमकता हुआ देख रही थी,,,।)

क्यों दीदी कैसा लग रहा है,,?


यह सब क्या हो रहा है रघु मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है तुम दोनों,,,,।


क्यों क्या हुआ तुम दोनों भी तो वही करते हो तुम दोनों की चुदाई में अपनी आंखों से छत पर देख चुकी थी लेकिन उस समय कुछ बोली नहीं,,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही शालू एकदम से चौंक उठी,,,)


मुझे तुम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ उससे कोई एतराज नहीं है क्योंकि मैं भी खुद उसी कश्ती में सवार हूं जिसमें तुम दोनों में हम दोनों की जरूरत है एक औरत होने के नाते तो यह बात अच्छी तरह से जानती है अगर तेरे बदन में हो जरूरत ना होती तो तुम अपने भाई के साथ चुदवाती नही और उसके बच्चे की मां नहीं बनती,,


यह क्या कह रही हो मां,,,,?(बच्चे वाली बात सुनते ही शालू चौक ते हुए बोली,,,)


चल चौकने की जरूरत नहीं है मुझे सब मालूम है,,,, मुझे उसी दिन से शंका हो रही थी जिस दिन अपनी आंखों से तुझे अपने भाई से चुदवाते हुए देखी थी,,,,,,,
(बाकी बातें सुनकर शालू कभी रघु की तरह देखती तो कभी अपनी मां की तरफ शालू के चेहरे पर उड़ती हवाईयो को देखकर रघु बोला,,,)

मां को सब पता है सालू,,,,,अब हम तीनों में किसी भी प्रकार का पर्दा नहीं है हमें बस मजा लूटना है जिंदगी का मजा,,,,(इतना कहते हुए रघु अपना दूसरा हाथ ब्लाउज के ऊपर सही अपनी मां के चूची पर रखकर दबाने लगा,,,)

आऊच्च ,,,, क्या कर रहा है अभी रहने दे,,, बाद में हम तीनों मज़ा लूटेंगे,,,,
( इतना सुनते ही रघू अपनी मां की बुर में से अपनी ऊंगली को बाहर निकाल दिया,,, और उस ऊंगली में लगी अपनी मां की मदद रस को जमीन पर टपकाते हुए उसे अपनी बहन को दिखाते हुए बोला,,)

देख रही है दीदी मां कितना पानी छोड़ती है,,,( यह देखकर कजरी शरमाते हुए बोली)

धत्त,,,, पागल हो गया है तू,,, चलो तुम दोनों हाथ मुंह धोकर आओ मैं खाना निकालती हूं,,,,(इतना कहकर कजरी बाहर चली गई रघु का लंड अभी भी उसके पजामे से बाहर था और झूल रहा था,,,, वह उसी तरह से अपने लंड को बिना हाथ लगाए झुलाते हुए अपनी बहन के ठीक सामने लेकर गया और बोला,,,)


देखी ना दीदी ने क्या कहा था ना सब कुछ बदल गया है अब बस जिंदगी के मजे लो इसीलिए मैं तुम्हें तुम्हारे ससुराल से यहां रह कर आया हूं कि कुछ दिन यहां पर जिंदगी का और अत्यधिक मजा लूट लो,,,
(शालू अभी भी आंखें पानी कभी रघु की तरफ तो कभी उसके लंड की तरफ देख रही थी,,, )

चल हटा ईसे सब इसी की वजह से हुआ है,,,(शालू अपने हाथ से रघु के लंड को बड़े प्यार से एक चपत मारते हुए बोली और खटिया से उठकर अपने कपड़ों को दुरुस्त करके मुस्कुराते हुए बाहर चली गई,,,, और रघु उसे जाते हुए देखता रह गया,,,।


तीनों के बीच घमासान चुदाई होने वाली थी जिसको लेकर तीनों का उत्साह बढ़ता जा रहा था और उत्सुकता चरम सीमा पर थी,,, रघु बिल्कुल भी शर्म नहीं कर रहा था वह पूरा का पूरा बेशर्म बन चुका था क्योंकि यह बात अच्छी तरह से जानता था कि अगर जिंदगी का असली मजा लेना है तो बेशर्म बनना पड़ेगा,,,, शालू को अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि क्या होने वाला है,,,, ,,, और उस पल को लेकर वहां अपने अंदर शर्म महसूस कर रही थी और यह सोच कर परेशान हो रही थी कि अपनी मां की आंखों के सामने ही अपने सारे कपड़े उतार कर कैसे नंगी होगी कैसे अपनी मां के सामने अपने भाई का लंड अपनी बुर में लेगी,,,,,,, यह सोचकर ही उसकी बुर पसीज रही थी,,,।
और इस बात को लेकर कजरी भी हैरान थी कि सब कुछ कैसे होगा,,, हालांकि थोड़ी बहुत अच्छा झलक वह अपनी बेटी को दिखा चुकी थी जब उसका बेटा अपने हाथों से उसकी साड़ी कमर तक उठाकर उसकी बुर में उंगली पेल रहा था,,,।

सोनू तो उस पल के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा था क्योंकि उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसे क्या करना है और वह बड़े अच्छे से कर लेगा इसका उसे पूरा विश्वास था,,,,लेकिन इस बात को लेकर उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि वह एक साथ अपनी मां और बहन दोनों की चुदाई करेगा उसकी आंखों के सामने दो दो औरतें एकदम नंगी होंगी जिनके नाजुक बदन से वह जी भर कर खेलेगा,,, वह अपने मन में यह सोच कर पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था कि आज उसके सर पर दो दो औरतों को खुश करने की जिम्मेदारी आ पड़ी थी,,,, उन दोनों औरतों को पूरी तरह से संतुष्ट करना था और उसे अपने लगने पर पूरा भरोसा था,,,।

जैसे तैसे करके दिन का समय बीत गया और शाम ढलने लगी शालू रसोई में अपनी मां की मदद करने लगी,,,,,,, और रघू टहलते हुए रामू के घर पहुंच गया,,,,,, जहां पर उसकी दोनों बहने खाना बना रही थी लेकिन रामू और ललिया का अता पता नहीं था,,,, रघु ने ललिया के बारे में पूछा तो रानी उसे बताई कि उसका भाई राम और उसकी मां दोनों तबेले में गाय को चारा देने के लिए गई है जोकि घर के पीछे ही था,,,, रामू की साथ में ही है बात जानते ही रघु का मन बैठ गया क्योंकि वहां चाहता था कि एक साथ अपनी बहन और अपनी मां की चुदाई करने से पहले अपने लंड की वर्जिस ललिया की रसीली बुर से कर लेना चाहता था,,,। लेकिन फिर भी मन में एक आस लेकर वह घर के पीछे बने तबेले की तरफ जाने लगा जो कि उसके तबेले से सटा हुआ ही था,,,,,


हल्का हल्का अंधेरा होने लगा था लेकिन अभी भी सब कुछ साफ नजर आ रहा था रघु घर के पीछे खड़ा होकर चारों तरफ दौड़ाने लगा लेकिन दोनों मां-बेटे कहीं नजर नहीं आ रहे थे,,,, वह सोचा कि तभी लेकर आखिरी छोड़कर हो सकते हैं इसलिए व धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ने लगा,,,, आखिर में पहुंचने पर भी रामु और ललीया उसे कहीं नजर नहीं आ रहे थे,,,, इसलिए वह सोचा कि हो सकता है दोनों कहीं और गए हो,,,इसलिए वापस आने के लिए जैसे ही कदम पीछे दिया था कि तभी उसे चूड़ियों की खनक ने की आवाज सुनाई दी जो कि तबेले की दीवार के पीछे से आ रही थी वह वहीं रुक गया,,,, और आवाज की दिशा में देखने लगा जो कि तबेले के ठीक पीछे से ही आ रही थी,,,, वह धीरे-धीरे आगे बढ़ा,,, धीरे-धीरे उसे पीछे की आवाज सुनाई देने लगी थी,,,, जिसे सुनते ही उसे पूरा यकीन हो गया कि तबेले के दीवाल की पीछे रामू और उसकी मां ही है,,,, लेकिन दोनों के बीच की हो रही बात को सुनकर उसके कान के साथ-साथ उसका लंड भी खड़ा हो गया,,,,।




अरे मां क्या कर रही है थोड़ा नीचे तो झुको,,,


अरे झुक रही हु थोड़ा सब्र तो कर,,,,,


क्या करूं तेरी गांड देखकर सब्र नहीं होता,,,,। रघु के साथ तो मचलती रहती है चुदवाने के लिए मेरे साथ ही नखरा करती है,,,।


तु ठीक से कर ही नहीं पाता,,, मैं कहती हूं कि सीधे-सीधे मेरे ऊपर आकर कर ले लेकिन तुझे तो पीछे से लेना है,,,।


रघु को तो बहुत पीछे से देती हो,,, और मेरे साथ नखरा दिखाती हो,,,


उसका तो पीछे से भी बड़े आराम से अंदर तक चला जाता है,,,,



(दीवार के पीछे से आ रही बातों को सुनकर रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,, उसे समझ में आ गया कि उसकी तरह रामु भी अपनी मां को चोद रहा है,,,, और उसकी मां बात ही बात मेंउसकी पढ़ाई कर रही थी जो कि लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक था उसे विश्वास हो गया था कि अपनी मां और बहन को एक साथ चोदने से पहले उसे ललिया की तरफ से मानसिक ताकत प्राप्त हो चुकी थी,,,, वह अभी का लगा कर सो ही रहा था कि तभी उसके कानों में रामू की बात सुनाई दी,,,।)

बस बस हो गया मा,,,, जा रहा है थोड़ा सा बस नीचे हो जाओ,,,, हां बस ऐसे ही,,,, देखो चला गया ना,,,,आहहह आहहहह आहहहहहह,,,,,
(रघु के कानों में केवल रामू कि ही आह की आवाज सुनाई दे रही थी उसकी मां की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी,,,, जिससे रघु समझ गया कि रामू से चुदवाने में उसकी मां को जरा भी मजा नहीं आ रहा था,,,, और रघु इस खेल में कूदना चाहता था इसलिए तुरंत दीवार के पीछे जाकर खड़ा हो गया,,,, रघु को देखते ही ललिया और रामु के होश उड़ गए,,,,,,, रामू और ललिया दोनों घबरा चुके थे,,,,,,रामू के लिए घर ले लिया की जगह कोई और औरत होती तो शायद वह इतना ना घबराता ललिया के लिए भी उसके पीछे खड़ा लड़का उसका बेटा ना होता तो उसे भी उस शायद रघु के सामने कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन दोनों मां बेटे थे इसलिए तुम दोनों के बीच के बारे में आज रखो को पता चल गया था अपनी आंखों से देख लिया था इसलिए दोनों एकदम से घबरा गए थे,,,।)


यह क्या हो रहा है रामू,,, तू तो अपनी मां को ही चोदने में मस्त हो गया,,,, और क्या चाची मुझे कही होती तो मैं आ जाता अपने ही बेटे से चुदवाने की क्या जरूरत थी,,,।(रघु ललिया की बड़ी-बड़ी और गोरी गांड पर हाथ फेरते हुए बोला,,,, ललिया एकदम से खड़ी हो गई,,,)


देख रघू तु किसी से कुछ भी मत बताना,,,,,,

हां यार तुझे अपनी दोस्ती की कसम अगर किसी को कुछ भी बताया तो,,,,,,,,


जो कुछ भी हो रहा है ना रघू यह सब तेरी वजह से ही हो रहा है,,,,(ललिया अपनी साड़ी को नीचे करते हुए बोली,,)


मेरी वजह से,,, मेरी वजह से क्यों,,,?


क्योंकि रामू जान गया था कि,,, तु मुझे चोदता है,,,,,, और रामू किसी को कुछ भी ना कहे इस एवज में अपना मुंह बंद रखने के लिए उसने भी,,,,,,( इतना क्या कर ले लिया खामोश हो गई रघु समझ चुका था सारा मामला और रामू की तरफ देखते हुए बोला,,,)

ओहहह बच्चु उस दिन जब मैं बोला कि अपनी मां को चोदा कर तो मुझ पर बिगड़ उठा और अभी यहां पर खुली जगह पर ही अपनी मां की चुदाई कर रहा है,,,।


देख रघू मैं तेरे हाथ जोड़ता हूं इस बारे में किसी को कुछ भी मत बताना,,,


नहीं बताऊंगा,,,, लेकिन मेरा मन इस‌ समय तेरी मां को चोदने को कर रहा है,,,। अगर मेरा मुंह बंद रखना है तो,,,।
(रामू समझ गया था कि अपना मुंह बंद करने के एवज में रघु अपनी मनमानी करके ही रहेगा,,, वह अपने मन में सोचने लगा कि पहले भी तो वह उसकी मां की चुदाई करते आ रहा है,,, तो अभी कर लेगा तो इसमें क्या बिगड़ जाएगा,,,, ऐसा करके वह अपना मुंह बंद है तो रखेगा वरना इस बारे में अगर किसी को पता चल गया तो और आप मच जाएगा,,,,,,,,,, इसलिए वह हां में सिर हिला दिया इस बात के लिए अपनी मां से पूछना जरूरी नहीं समझा क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां भी उसके लंड की दीवानी थी,,,। रघु खुश हो गयाक्योंकि रात में अपनी मां बहन दोनों के साथ घमासान चुदाई के पहले वह अपने लंड की ताकत को आजमाना चाहता था जो कि अब वह अच्छी तरह से आजमा सकता था,,,। वह तुरंत ललिया के पीछे खड़ा हो गया और उसे झुकने के लिए बोला ललिया बिना देर लगाए झुक गई और अपनी बड़ी बड़ी गांड को ऊपर की तरफ कर दी,,,, रघू अपने ही हाथों से उसकी साड़ी को उठाकर कमर तक कर दिया,,,दीवार के पीछे खड़े होकर ही उन दोनों मां-बेटे की बातें सुनकर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, जो कि रामू की मां की बुर में जाने के लिए तैयार था,,,, और उसकी पुर में धीरे-धीरे अपने लंड को डालते हुए रामु से बोला,,,,)



देख रामु ऐसे डाला जाता है पीछे से,,,,( और इतना कहने के साथ ही रखो अपना पूरा लंड रामू की मां की बुर में डाल दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में ललीया की गरम सिसकारी गुजने लगी,,, रामू भी अपनी मां की मादक आवाज को सुनकर हैरान था,,, क्योंकि जब भी वह अपनी मां की चुदाई करता था तब उसके मुंह से आवाज निकलती थी उसके बाद के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकलता था पहले रामु इस बात को समझ नहीं पा रहा था लेकिन आज समझ गया था और हैरान भी था रघू की ताकत को देखकर,,,,,रघु ठाप पर ठाप लगाए जा रहा था,,,। बिना रुके,, रघु रामू की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था मानो कि उसे कह रहा हो कि देख ऐसे करते हैं पीछे से चुदाई,,,। रामू अपनी मां की तरफ भी देख रहा था जिसे बहुत मजा आ रहा था,,,, तकरीबन 15 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद दोनों का पानी निकल गया लेकिन इस दौरान अपनी मां की चुदाई देख कर ही रामु का पानी निकल गया था,,,,।

रघु अपने पजामे को ऊपर करता हुआ बोला,,,।


देख रहा हूं तो बिल्कुल भी चिंता मत कर यह राजा राजा ही रहेगा बस मुझे समय-समय पर तेरी मां की लेना पड़ेगा जिसमे तुझे अब कोई भी एतराज होना नहीं चाहिए,,,।
(अगर आज रघु ने अपनी आंखों से सब कुछ देख लिया ना होता तो रामू से कभी भी इजाजत नहीं देता लेकिन उसकी मजबूरी थी इसलिए हम इसे हिला दिया और रघु जाते-जाते ब्लाउज के ऊपर से ही ललिया की चूची को दबाते हुए बोला,,,।)

हाय मेरी रानी बहुत मजा देती है,,,।
(इतना कहकर वह हंसते हुए वहां से चला,,गया,,, घर पर पहुंचने पर थोड़ी देर बाद खाना भी तैयार हो गया था जिसे तीनों ने मिलकर साथ साथ खा लिए और थोड़ी देर बाहर बैठकर बात करने के बाद तीनों अंदर कमरे में जाने लगे तो कजरी रघु से बोली,,,।)

दरवाजा बंद कर लेना,,,,


हा मा तुम दोनों चलो मैं बंद करके आता हूं,,,।


अब शालू अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसके जाने के तुरंत बाद ही द्वार पर दरवाजा लगाने की जरूरत क्यों पड़ गई,,,।
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Devang

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थोड़ी ही देर में रघु दरवाजे को बंद कर के अंदर वाले कमरे में चला गया जहां पर शालु और कजरी दोनों खटिया के पाटी पर बैठी थी,,। दोनों को देखते ही रघु समझ गया कि दोनों आपस में शर्मा रही है,,, हालांकि सुबह सुबह शालू और कजरी दोनों की शर्म को दूर करने के लिए ही रघु ने अपनी बहन की आंखों के सामने ही अपनी मां की साड़ी कमर तक उठाकर उसकी बुर को मसला था,,,
लेकिन वह जानता था कि इस समय उसे ही दोनों की शर्म दूर करनी पड़ेगी हालांकि वह पूरी तरह से बेशर्म हो चुका था,,,। इसलिए वह बातों का दौर शुरू करते हुए बोला,,,।

शालू तुम को तो पता ही होगा कि मां कितनी खूबसूरत है,,, और हां मैं यह भी जानता हूं कि मां को देखकर गांव के बूढ़े जवान सभी का लंड खड़ा हो जाता है,,,।


हाय ये तु कैसी बातें कर रहा है,,,,,,(कजरी शर्म से अपनी बेटी शालू की तरफ देखते हुए बोली वह भी हैरान जरूर थी लेकिन शुभम रघु हरकत उसकी मां की स्थिति है उसे देखते हुए उसे सब कुछ सामान्य सा लगने लगा था लेकिन अभी भी उसे शर्म तो महसूस हो ही रही थी,,,)

सच कह रहा हूं,,,, मैं जानता हूं मां की तुमको देख कर गांव में सभी मर्दों का लंड खड़ा हो जाता है और खास करके तुम्हारी गांड देखकर,,,,(रघु जानबूझकर इस तरह की गंदी बातें कर रहा था लेकिन कजरी को शर्म महसूस हो रही थी,,,)

थोड़ा शर्म तो कर,,,(कजरी शरमाते हुए बोली)


शर्म करुंगा तो मजा कैसे ले पाऊंगा और तुम दोनों को मजा कैसे दूंगा,,,,, मैं सच कह रहा हूं मा,,,,, पूरे गांव में तुम सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत हो,,,,और सभी औरतों में सबसे ज्यादा खूबसूरत गांड तुम्हारी है,,,
(रघु एकदम बेशर्म होकर अपनी मां बहन के सामने गंदी गंदी बातें कर रहा था ऐसी बातें सुनकर किसी को भी शर्म महसूस हो रही थी हालांकि होना तो नहीं चाहिए था लेकिन फिर भी वह अपनी बेटी के सामने थोड़ा शर्मा रही थी,,, क्योंकि रघु अपनी बहन के सामने अपनी मां के उन अंगों का खुलकर तारीफ कर रहा था जिसे कजरी हमेशा परदे में हीं रखती थी,,, रघु अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी मां शर्म आ रही है और उसका शर्मा दूर करना बहुत जरूरी था,,, इसलिए अपनी मां को शालू के सामने शर्माता हुआ देखकर वह बोला,,,)


क्या मा अब क्यों शर्मा रही हो,,, और वह भी दीदी से तुम उसका सच जानती च हो और वह भी तुम्हारा सच जान गई है,,,,,,,।


फिर भी शर्म तो आती है ना,,,(कजरी शालू की तरफ देखते हुए बोली,,)


सुबह जब दीदी के सामने बुर में उंगली डलवा रही थी तब नहीं आ रही थी,,,।
(कजरी के पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं थे,, वह बस शालू की तरफ देख कर मुस्कुरा दी और इस बात पर सालु भी मुस्कुरा दी,,, रघू समझ गया कि अब मौका सही है,,, और वह अपनी मां का हाथ पकड़कर उसे खटिया पर से खड़ी कर दिया और उसे खींचकर अपनी बाहों में भर लिया,,,,कजरी अपने बेटे की बाहों में थी और सालु खटिए पर बैठी हुई सब कुछ देख रही थी,,,, उसे थोड़ा अजीब सा लग रहा था लेकिन इस नजारे को देखकर उसके तन बदन में हलचल सी होने लगी थी,,,, रघू अपनी मां की आंखों में देखने लगा,,,, और कजरी शर्माने लगी,,,, लेकिन रघू बिना देरी किए अपने प्यासे होठों को अपनी मां के रसीले होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिया,, यह नजारा, देखते ही सालु के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,, रघू बड़ी शिद्दत से अपनी मां के होठों का रस पी रहा था,,,,, और एक हाथ को ब्लाउज के ऊपर रखकर अपनी मां की गोलाईयों को दबा रहा था,,। धीरे-धीरे कजरी के बदन में खुमारी छाने लगी,,, वह मदहोश होने लगी,,,, कुछ देर पहले अपनी बेटी के सामने उसे शर्म आ रही थी लेकिन धीरे-धीरे शर्म का पर्दा हटता चला जा रहा था,,,,उसे काम रघु को बड़ी अच्छी तरीके से करना आता था वह अपनी मां के होठों को चूसता हुआ अपने दोनों हाथों से अपना के ब्लाउज के बटन खोलने लगा,,,, शालू यह देखकर उत्तेजित हुए जा रही थी,,।उसे यकीन नहीं हो रहा था कि 4 दिनों में इतना कुछ बदल गया है मां बेटे के बीच के रिश्ते के मायने बदल गए हैं,,, अपनी आंखों के सामने इतना कुछ बदलते हुए वह पहली बार देख रही थीजिसके सामने बच्चे उठाकर देखने की हिम्मत नहीं थी वही आज अपनी ही मां के ब्लाउज के बटन खोल रहा था यह जिस्मानी रिश्ता भी अजीब होता है,,, पर्दे में रहने वाला सख्श कब बेपर्दा हो जाता है पता ही नहीं चलता,,,, शालू ने अपनी मां को अब तक अच्छे संस्कारों से भरी हुई मर्यादा में रहने वाली औरत के रूप में तैयार थे लेकिन आज शालू को अपनी मां एक बाजारू औरत लग रही थी,,,,,, लेकिन धीरे-धीरे उसे अपनी आंखों के सामने अपने भाई की कामुक हरकत बेहद लुभावनी लगने लगी थी,,,,देखते ही देखते रघु अपनी बहन की आंखों के सामने अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए और ब्लाउज के बटन खुलते ही उसके दोनों कबूतर जैसे किसी केद से आजाद हुए हो ईस तरह से खुली हवा में फड़फड़ाने लगे,,,,, और उन फड़फड़ाते हुए कबूतर को रखो अपने दोनों हाथों में भर लिया यह देख कर शालू की टांगों के बीच हलचल सी होने लगी और रघू अपनी मां के दोनों फड़फड़ाते हुए कबूतरों की गर्दन को अपनी हथेली में भरकर दबाना शुरू कर दिया,,,,, कजरी के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी वह मस्त है जा रही थी उसे आनंद आ रहा था अपने बेटे के हर एक हरकत उसे उत्तेजना प्रदान कर रही थी,,,आज का दिन कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव कर रही थी क्योंकि आज वह अपनी बेटी के सामने अपने बेटे के साथ रंगरेलियां मना रही थी,,,, रघु जोर-जोर से दशहरी आम की तरह अपनी मां की चूचीयो को दबा रहा था,,,, और कजरी सिहर उठ रही थी,,,,,, शालू की आंखें आश्चर्य से फटी जा रही थी क्योंकि उसका भाई खुलकर अपनी सगी मां के खूबसूरत बदन से खेल रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि 4 दिन में रघु मां के साथ इतना खुल चुका होगा,,,,, ,,,।


देख शालू अपनी मां की चूचीया कितनी खूबसूरत और जवान है,,,।(सोनू अपनी मां की चूची पकड़ कर उसके निप्पल को शालू की तरफ दिखाते हुए बोला,,,, शालू की हालत खराब हो रही थी क्योंकि सालु अच्छी तरह से जानती थी कि उसके भाई की हथेली में चूचियां कितनी फुदकती रहती हैं और वह कितनी शिद्दत से उसे दबा दबा कर मजा लेता है,,, हालांकि उसके दबाने से दर्द भी होता है लेकिन मजा उससे 10 गुना मिलता है,,,,। रघु आज अपनी मां और अपनी बहन के साथ सारी हदों को पार कर देना चाहता था,,,, वह शालू की आंखों के सामने अपनी मां की चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,कजरी की हालत खराब होती जा रही थी उत्तेजना के मारे उसके घुटनों में कंपन सा महसूस हो रहा था,,,कजरी जानती थी कि उसका बेटा चुची को जब मुंह में लेता है तो कितना मजा आता है,,,और इसी आनंद के सागर में डुबकी लगाते हुए कजरी गरम सिसकारी लेना शुरू कर दी थी,,,।

सहहहह आहहहहहह ,,,, रघू,,,,,,ऊमहहहहहह,,,,,ओहहह मेरे बेटे,,,,(गर्भ संस्कार की लेते हुए कजरी मचल रही थी अंगड़ाई ले रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, रघु पागलों की तरह अपनी मां की चूची को मुंह में लेकर चूस रहा था कभी दाई चूची तो कभी बाईं चूची,,,,ऊफफफ,,,,,गजब का नशा भरा हुआ था कजरी की चुची में जिसका पूरा आनंद रघु ले रहा था,,,।,, रघु अपनी मां के साड़ी के पल्लू को कंधे पर से हटा कर अपनी मां के पीछे खड़ा हो गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया ऐसा करने से उसका लंड जोकि पजामे में पूरी तरह से खड़ा हुआ था वह पीछे से उसकी बड़ी बड़ी गांड की दरार में धंसना शुरू कर दिया,,,, अपनी गांड की दरार में अपने बेटे के लंड की चुभन उसे और ज्यादा मदहोश कर रही थी,,।वह बार-बार उस चुभन से उछल जा रही थी और रघु अपनी मां की गर्दन पर अपने होठों को रगडते हुए उसकी चूची को लगाम बनाकर उसे पूरी तरह से अपने काबू में किए हुए था,,,,,, कजरी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थीअपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के पजामे में खड़े लंड पर रगड़ने लगी वह अपनी गोल गोल गांड को गोल गोल घुमाने लगी,,,,,,, शालू की तरफ देखा तो उसका चेहरा उत्तेजना से लाल हो चुका था,,, वह खुद इस खेल में शामिल होना चाहती थी लेकिन शर्मा रही थी,,,, रघु अपनी मां की चूची के दोनों निप्पलो को अपनी उंगली और अंगूठे के बीच रखकर मसलते हुए सालु से बोला,,,,।


तुम वहां बैठी बैठी क्या कर रही हो दीदी तुम भी आओ बहुत मजा आएगा,,,,।
(शालू तो बस इसी मौके का इंतजार कर रही थी कि कोई उसे बुलाए क्योंकि अपनी मां की मस्ती को देखकर उसकी बुर गीली होना शुरू कर दी थी,,,,शालू तुरंत खटिया पर से खड़ी हुई और ठीक अपनी मां के सामने आकर खड़ी हो गई लेकिन उसकी आंखों में अभी भी शर्म के भाव नजर आ रहे थे,,,, जिसे दूर करने हेतु रघु अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अपनी बहन के सर को पकड़ लिया और उसे अपनी मां की चूची पर झुकाना शुरू कर दिया,,,,, शालू समझ गई कि उसका भाई क्या करना चाहता है,,, और क्षण मात्र में ही वह अंदाजा लगा ली कि इस खेल में आगे चलकर उसे बहुत मजा आने वाला है,,, और इसीलिए शालू भी इस खेल में शामिल होते हुए अपने गुलाबी होठों को हल्के से खोल कर अपनी मां की निप्पल को मुंह में भर लिया और चूसना शुरू कर दी,,,,,,

अद्भुत अतुल्य अवर्णनीय एहसास से शालू के साथ-साथ कजरी खुद भरी जा रही थी उसने आज तक इस तरह के सुख की कभी भी कामना नहीं की थी,,, वह कभी सोची ही नहीं थी कि एक औरत ही उसकी चूची को मुंह में भर कर पीएगी,,, शालू को बहुत मजा आ रहा था वह कभी सोच नहीं थी कि औरत की चूची पीने में मजा आता है वह तो अभी तक यही समझती थी की चूची को पीने में मर्दों को ज्यादा मजा आता है लेकिन आज उस सुख के एहसास से वह खुद वाकिफ हो रही थी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था रघू पीछे से साड़ी के ऊपर से ही अपनी मां के पिछवाड़े में अपने लंड को धंसाते हुए अपनी बहन के रेशमी बालों में उंगली घुमा रहा था,,,,। उत्तेजना में कजरी की आंखें बंद होती चली जा रही थी,,,, उसका गोरा मुखड़ा लाल टमाटर की तरह दमकने लगा था,,,।

आज की रात तीनों की जिंदगी की एक यादगार रात बनने वाली थी कजरी बहुत खुश थी क्योंकि बचपन में अपने दोनों बच्चों को उसने अपनी यही दोनों चुचियों से दूध पिला कर उनकी भुख मिटा कर उन्हें बड़ा की थी और आज उसके दोनों बच्चे इतने बड़े हो गए थे कि आज अपने बदन की भूख मिटाने के लिए आनंद लेने के लिए अपनी मां की चुची पी रहे थे,,,,,,,

शालू पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी वह बारी-बारी से अपनी मां की दोनों चूचियों का स्वाद ले रही थी,,। पहली बार वह अपनी मां की चूची को अपने हाथ से पकड़े हुए थी और उसे मूंह में भरकर पी रही थी,,,। कजरी की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी वह दोनों तरफ से गिर चुकी थी दोनों तरफ से उसके बदन में उत्तेजना का तूफान पीछे से उसका जवान बेटा उसके गर्दन को चूमते हुए अपने लंड को साड़ी के ऊपर से ही उसकी गांड में घुसा रहा था और आगे से उसके दोनों दशहरी आम का स्वाद उसकी बेटी अपना मुंह लगाकर ले रही थी,,,,।

सीईईईईईईई,,,आहहहहहह,,,,,ऊहहहहह मां,,,, तुम दोनों मिलकर क्या कर रहे हो रे,,,,(कजरी एकदम मदहोश भरे स्वर में बोली,,,)


मजा ले रहे मां बड़ी खूबसूरत बदन से तुम्हारे जवान जिस्म से हम दोनों भाई बहन मजा ले रहे हैं,,,,।


मुझे कुछ-कुछ हो रहा है,,,,।


मैं जानता हूं मां तुम्हारी बुर मेरे लंड को लेने के लिए तड़प रही होगी,,,।(रघु उसी तरह से अपनी मां की गोरी गर्दन को चूमते हुए बोला,,,, अपने भाई की घर की बात सुनकर सालु की टांगों के बीच भी हलचल होने लगी,, थी,,,, तभी उसके भाई की बात ने उसकी गर्म जवानी पर घी डालने का काम किया,,)

तेरी भी बुर तड़प रही होगी ना दीदी मेरे लंड को लेने के लिए,,,, मैं जानता हूं आज तुम दोनों मां बेटी को एक साथ चोदुंगा,,,,,


तुझे लगता है कि तू हम दोनों की प्यास बुझा पाएगा और वह भी एक साथ,,,,(कजरी व्यंग भरे स्वर में बोली,,, उसकी बात में अपने ही बेटे के लिए चुनौती थी जो कि वह जानबूझकर दे रही थी क्योंकि वह चाहती थी कि आज एक साथ उसका बेटा उसकी और उसकी बेटी की बुर से जवानी को निचोड़ लें,,,)

तो क्या देखना बिना झड़े तुम दोनों मां बेटी का पानी निकाल दूंगा,,,,(रघु अपनी मां के ब्लाउज को उसकी बाहों से निकालते हुए बोला,,,)


देखना कहीं ऐसा ना हो कि तेरा ही पहले निकल जाए,,,


ऐसा कभी नहीं हो सकता मेरी रानी मुझे मेरे लंड पर पूरा विश्वास है,,,(ब्लाउज को निकालकर खटिया पर फेंकता हुआ बोला,,,शालू की तो हालत खराब हो रही थी एक तरफ होगा अपनी मां की चूची को पीकर पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी और ऊपर से अपनी मां और भाई दोनों की गंदी बातें सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना के शोले धधक रहे थे,,,।)

चलो वह तो देखते हैं,,,,( ईतना कह कर कजरी अपने बेटे और अपनी बेटी के द्वारा मजा लेने लगी ऐसा लग रहा था कि जैसे साले अपनी मां की चुचियों को छोड़ने वाली नहीं है वह भारी बारिश ही दोनों चूची मुंह में लेकर पी रही थी उत्तेजना के मारे कजरी की निप्पल एकदम कड़क हो गई थी और उसके आकार में इजाफा भी हो चुका था,, लेकिन रघू अपनी उत्तेजना को बढ़ाने वाले अंग की खोज में लगातार आगे की तरफ बढ़ रहा था और अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते हुए वह अपनी मां की कमर से बंधी साड़ी को खोलने लगा,,, और देखते ही देखते वह अपनी साड़ी उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया,,,, अब कजरी अपने बेटे और अपनी बेटी के बीच में केवल पेटीकोट में खड़ी थी,,। कजरी के घर में उत्तेजना का महासागर उठ रहा था रात धीरे-धीरे गहरा रही थी और रात की गहराई में इन तीनों की वासना और भी ज्यादा गहरी होती जा रही थी,,, रघु अपनी मां की पेटीकोट की डोरी को दोनों हाथों से पकड़कर खींचते हुए बोला,,,।)

तुम कपड़ों के बिना ही बहुत अच्छी लगती हो मां,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी की पेटीकोट को कमर से सरक कर नीचे पैरों में गिर गई और कजरी एकदम नंगी हो गई,,, नंगे पन का एहसास होते ही कजरी शर्म से पानी पानी हो रही थी लेकिन उसकी यह शर्म उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी,,,, रघु अपनी मां की नंगी गांड पर हाथ फेरते हुए बोला,,,।


कसम से मां तेरी गोरी गोरी गांड मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है,,,आहहहहह कितनी मुलायम है मन करता है खा जाऊं,,।(रघु उत्तेजना से अपने दोनों हाथों से अपनी मां की गोल-गोल गांड की दोनों फांकों को हथेली में दबोचते हुए ‌बोला,,)

तो खा जाना रोका किसने है,,,।


रोकना चाहोगी तो भी नहीं रोक पाओगी क्योंकि तुम्हारी गांड ही मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है,,,
(रघु उसी तरह से अपनी मां की गांड को जोर-जोर से दबाते हुए बोला शालू अभी भी अपनी मां की चूची पर लट्टु थी,,, रघु देखा कि उसकी बहन अभी भी सारे कपड़े पहने हुए थी इसलिए वह उसे नंगी देखना चाहता था,,, इसलिए वह अपनी मां की गांड को जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,)

तेरी तू भी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जा अभी तक ऐसे ही खड़ी है,,,, शर्म आ रही है तो मै उतार दु(अपने भाई की बात सुन कर साले शर्म के मारे कुछ बोली नहीं तो कजरी बीच में बोल पड़ी)

तू ही उतार दे शर्मा रही है,,,,


यह बात है,,,, कपड़े उतारने में तो मुझे बहुत मजा आता है,,,
( इतना कहने के साथ ही है रघु अपनी बहन के पास आ गया और तुरंत उसके कपड़े उतारने लगा शालू भी अपने भाई के द्वारा कपड़े उतरवाने में मदद करने लगी क्योंकि वह भी यही चाहती थी कि वह भी अपनी मां की तरह नंगी हो जाए,,, और देखते ही देखते सालु अपनी मां की तरह एकदम नंगी हो गई,,,,, शालू बार-बार अपनी मां के नंगे बदन को देख रही थी वह मन ही मन में अपनी मां की खूबसूरती से अपनी खूबसूरती को मिला रही थी लेकिन कहीं भी वह अपनी मां की खूबसूरती को पा नहीं पा रही थी यह बात शालू की अच्छी तरह से समझ रही थी,,,ऐसा नहीं था कि चालू खूबसूरत नहीं थी शालू बहुत खूबसूरत है अपनी मां की तरह की लेकिन कजरी उसकी मां की वह उससे एक कदम आगे बढ़कर ही थी उसकी खूबसूरती के आगे उसकी जवानी फीकी पड़ रही थी लेकिन इस बात का उसे बिल्कुल भी मलाल नहीं था बल्कि फक्र था,,,, रघु पीछे से अपनी बहन को अपनी बाहों में भर लिया और पजामे में अपने खड़े लंड को गांड के बीचोबीच धंसाना शुरू कर दिया,,,, अपने बेटे की हरकत को देखकर कजरी को मजा आ रहा था लेकिन अभी तक उसका बेटा पूरे कपड़ों में था इसलिए वह बोली,,,।

हम दोनों का तो सब कुछ देख ले रहा है और खुदा भी कपड़ों में है हमें भी तो अपना लंड दिखा,,,,


लो अभी उतार देता हूं मुझे कौन सी शर्म,,,, मैं तो पूरी तरह से बेशर्म हो चुका हूं,,,


मादरचोद और बहन चोद,,,,(कजरी हंसते हुए बोली अपनी मां के कहने का मतलब था को अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए वह भी हंस दिया और अपने कपड़े उतारने लगा और अपने कपड़े उतार कर अपनी मां बहन दोनों के सामने एकदम नंगा खड़ा हो गया उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए बोला,,,)

यह लो तुम दोनों बुरचोदी के लिए,,,,,
(कजरी और शालू दोनों अपने लिए बुर चोदी गाली सुनकर एकदम मस्त हो गए मदहोश हो गए,,, कचरी शालू की तरफ देखते हुए बोली )

हारे हम दोनों बुरचोदी है ,,,,, और तू हमारा बुर चोदने वाला,,,

बुरचोदा,,,(बीच में शालू हंसते हुए बोली,, और वह तीनों एक साथ हंसने लगे,,,, आधीरात का समय हो रहा था पूरा गांव चैन की नींद सो रहा था लेकिन कजरी के घर में कुछ और ही चल रहा था वासना का तूफान एक दूसरे के बदन से अपनी प्यास बुझाने की होड रिश्तो की टुटती डोरी मर्यादा की गिरती दीवारें,,,, लेकिन इतना कुछ होने के बावजूद भी तीनों को असीम सुख प्राप्त हो रहा था जिसकी कोई तुलना नहीं थी,,, रघूकमरे के बीच में नंगा खड़ा था और उसके दोनों हसीनाएं एक उसकी मां और उसकी बड़ी बहन दोनों अपने घुटनों के बल बैठी थी और रघु अपने खड़े मोटे लंड को कभी अपनी मां के मुंह में तो कभी अपनी बहन के मुंह में डाल रहा था,,, कजरी एकदम मस्ती के साथ अपने बेटे के लंड को गले तक उतार कर चाट रही थी और शालू अपने भाई के लंड के आखिरी छोर को अपनी जीभ से चाट रही थी,,,, रघु तो जैसे हवा में उड़ रहा हो इस तरह का सुख से कभी नहीं मिला था,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक साथ दो दो औरतों के साथ चुदाई का सुख भोगने को मिलेगा,,,,,,,।


सहहहहह आहहहहहहह,,,, मां,,,, क्या मस्त चुसती हो तुम,,,आहहहहह बहुत मजा आ रहा है,,,(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी और मस्ती के साथ अपने बेटे की आंखों में आंखें डाल कर उसके लंड की चुसाई कर रही थी,,,,, और शालू ललचाई आंखों से देख रही थी,,,,कजरी जानती थी कि उसकी बेटी को भी यही चाहिए इसलिए वह अपने मुंह में से निकल कर अपने हाथों से अपने बेटे का लंड पकड़ कर अपने बेटी के मुंह में डाल दी परदेसी शालू को इसी का इंतजार भी था वापस अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,

आहहह देख शालू कितना अच्छा चुस्ती है,,,, सच में शालू तेरे लंड की दीवानी हो चुकी है जो अपना ससुराल छोड़कर मायके में अपने भाई से चुदवाने आई,,,


क्या मा तुम भी,,,,(शालू अपने भाई के लंड को निकाल कर बोली और फिर वापस से मुंह में ले ली,,, रघु को मजा आ रहा था एक के मुंह से निकल कर दूसरे मुंह में उसका लंड जा रहा था,,,, कुछ देर तक इसी तरह से रघू मजा लेता रहा लेकिन अब उसकी बारी थी,,, वह अपनी मां और बहन दोनों को स्वर्ग का सुख देना चाहता था,,,, इसलिए कोने में पड़ी चटाई लाकर रूम के बीचो बीच बिछा दिया खटिया को वह खड़ी कर चुका था,,,,)

अब मा तुम इस पर पीठ के बल लेट जाओ अब देखना मैं तुम्हें कैसे मस्त कर देता हूं,,,, मैं तुम्हारी बुर चाटुंगा और मा तुम् सालु की चाटना,,,,
(इतना सुनते ही शालू के साथ-साथ कजरी भी एकदम सिहर उठी अभी तक कजरी ने किसी औरत की बुर को हाथों से भी नहीं छुआ था,,,, पर यहां तो चाटना था और वह भी खुद की लड़की की,,,,)

नहीं रघु यह नहीं हो पाएगा,,,(शालू शरमाते हुए बोली नंगी होने के बावजूद भी उसके ऊपर शर्म कि हया बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,)

अरे कैसे नहीं हो पाएगा देखना बहुत मजा आएगा मुझे भी तो बहुत मजा आता है अगर मजा नहीं आता तो मैं क्या बुर चाटता,,,, चलो देखो मे कैसे मा की बुर चाटता हूं देखकर तुम्हें जोश चढ जाएगा,,,,(इतना कहते हुए हैं वह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आकर अपनी जगह बनाने लगा कचरी का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसका पूरा बदन कसमसा रहा था क्योंकि वह भी कभी किसी औरत की बुर नहीं चाहती थी इस लिए जिंदगी में पहली बार बुर चाटने का अनुभव लेने के लिए उत्सुक थी,,,,,,अपनी बहन की तरफ देखते हुए रघू अपनी मां की दोनों जांघों के बीच के उस मखमली दरार पर अपनी जीभ रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,, और कजरी की सिसकारी फूट पड़ी आज कजरी को ज्यादा ही उत्तेजित नजर आ रहे थे क्योंकि सालु की आंखों के सामने यह सब हो रहा था,,,, रघु जानता था कि अपनी मां की बुर चाटता हुआ उसे देखकर वह खुद अपने आप को रोक नहीं पाएगी और खुद ही अपनी बुर को अपनी मां के मुंह पर रख देगी,,, और ऐसा ही हुआ शालू अपने आप को रोक नहीं पाई और अपने भाई की तरफ गांड करके घुटनों के बल बैठ गई और अपनी बुर को अपनी मां के चेहरे पर रगड़ना शुरु कर दी बुर में से उठ रही मादक खुशबू का एहसास शायद कजरी को पहली बार हो रहा था,,,। इसलिए वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी और अपने दोनों हाथों से अपनी लड़की की गोरी गोरी गोल गोल गांडसको पकड़ कर अपनी जीभ को अपनी बेटी की बुर पर रख दीपहली बार शालू को अपनी पुर के ऊपर किसी औरत के होंठों का स्पर्श हो रहा था इसलिए वह पूरी तरह से मचल उठी और उसकी बुर से मदन रस की दो बूंद टपक गई जो कि कजरी के होंठों से होते हुए उसके गले में उतर गई,,,। कजरी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह बुर चाटने की कला को बिल्कुल भी नहीं जानती थी लेकिन फिर भी अपने बेटे के द्वारा उसे थोड़ा बहुत अनुभव हो चुका था इसलिए वह बड़े अच्छे से अपनी बेटी की बुर में अपनी जीभ डाल कर उसके मदन रस की मलाई चाट रही थी,,,, तीनों को बहुत मजा आ रहा था रघु की आंखों के सामने उसकी बहन की गोरी गोरी गांड चमक रही थी जो कि लालटेन की पीली रोशनी में और भी ज्यादा मादक लग रही थी रघु से रहा नहीं जा रहा था और वह अपनी मां की बुर चाटते हुए अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर,,, अपनी बहन की गोरी गोरी गांड को सहला रहा था दबा रहा था और उस पर चपत लगाने लगा इन सब से सालु की उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी,,।

हालात काबू से बाहर होता जा रहा था मां बेटी दोनों की सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी,,, द्वार पर दरवाजा लगने की वजह से तीनों निश्चिंत थे,,,, रघु में एक साथ अपनी मां और बहन दोनों की बुर चाटना चाहता था इसलिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की गांड पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचने लगा शायद इसी सारे को चालू के अच्छी तरह से समझ गई थी इसलिए वह भी तुरंत ही अपने घुटनों के बल बैठ गई और हवा में अपनी तरबूज जैसी गांड को लहरा दी,,,, अपनी बहन की यह अदा रघु को पूरी तरह से लुभा गई और वह अपनी मां की बुर पर से अपने होठों को हटाकर तूरंत अपनी बहन की बुर पर रख दिया और चाटना शुरू कर दिया शालू अपने भाई के साथ चुदाई का सुख भोग कर,,, पूरी तरह से चलाक हो चुकी थी इसलिए अपनी गांड को गोल-गोल घूमाने लगी,,।
रघु कभी अपनी मां की तो कभी अपनी बहन की बुर चाट रहा था,,,, दोनों की हालत बिल्कुल खराब थी,,,।

ओहह रघू,,, मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,, मेरी बुर तेरे लंड के लिए तड़प रही है,,,, रघू मेरे बच्चे अपने लंड को मेरी बुर में डालकर इसकी गर्मी को शांत कर दे बेटा,,,,( कजरी तड़प रही थी अपने बेटे के लंड के लिए,,,, कसमसा रही थी उसकी उत्तेजना उससे संभल नहीं रही थी,, और अपनी मां की तड़प देखकर सालु से भी रहा नहीं जा रहा था,,, उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां लहरा रही थी जिसे वह अपने दोनों हाथों से पकड़कर दबाने लगी,,,, कुछ देर तक रघु और अपनी मां की बुर को चाट कर और ज्यादा तड़पा रहा था,,,,, कजरी की तड़प इतनी ज्यादा बढ़ रही थी कि वह बार-बार अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दे रही थी,,,, रघु को समझते देर नहीं लगी की लोहा गरम हो गया है और अब हथोड़ा मारने की जरूरत है,,।
इसलिए रघू भी अब अपनी मां को चोदने के लिए तैयार हो चुका था,,,,



वो धीरे से उठा और अपनी मां की दोनों टांगों के बीच घुटनों के बल बैठ गया,,,, अपने दोनों हाथों से अपनी मोटी मोटी जांघें पकड़ कर उसे अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,, अपनी मां की बुर और लंड के बीच में जो भी फासला था रघू उसे दूर करते हुए अपने लंड़ कों अपनी मां की बुर में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया,,,, लंड के घुसते ही कजरी को सुकून मिला और वह अपने बेटे से चुदाने का सुख भोगने लगी,,,, रघु मजे ले कर अपनी मां की चुदाई कर रहा था तीनों स्वर्ग का सुख भोग रहे थे तीनों के बीच रिश्तो की मर्यादा मैं अब शर्मा बिल्कुल भी नहीं बची थी तीनों बेशर्म हो चुके थे कजरी को अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड से बेहद सुकून मिल रहा था,,, शालू अपनी गोल-गोल गांड को ललकार होगी लेकिन अपने मुंह से कुछ बोल नहीं पा रही थी उसे भी अपने भाई का लंड अपनी बुर में चाहिए था,,, जो कि इस बात को रघू अच्छी तरह से समझ रहा थाइसलिए अपनी मां की पूर्व में से अपने लंड को निकाल कर उसे अपनी बहन की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दे रहा था,,, रघु का लंड मां बेटी के मदन रस में पूरी तरह से नहाया हुआ था,,,, दोनों की गर्म सिसकारी से पूरा कमरा गुंज रहा था,,,, रघु ठाप पर ठाप लगा रहा था,,,, उसी स्थिति में रघू अपनी मां और बहन दोनों की चुदाई करता रहा,,,, कजरी की सांसें उखड़ने लगी थी वह चरम सुख के बेहद करीब थे उसका बदन अकड़ने लगा था इसलिए रघु मौके की नजाकत को समझते हुए अपने को अपनी बहन की बुर से बाहर निकालकर उसे अपनी मां की बुर में डाल दिया और जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया,,,,, देखते ही देखते हैं उसकी मां जोरदार चीख के साथ झड़ गई,,, और रघू तुरंत लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकाल कर अपनी बहन की बुर में डाल दिया और अपने दोनों हाथों से अपनी बहन की गांड पकड़कर चोदना शुरू कर दिया कुछ दिनों के बाद वह भी अपना पानी छोड़ दी,,, वादे के मुताबिक रघू अपना वादा पूरा कर दिखाया था,,, अपनी मां से बोला था कि अपना झडने से पहले वह दोनों का पानी निकाल देगा,,, और ऐसा ही हुआ था,,,, उसका पानी अभी निकला नहीं था इसलिए वह अपनी बहन की पतली कमर को पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगा रहा था,,, और थोड़ी देर बाद वह भी झड़ गया,,,।

अनुभव तीनों के लिए बेहद अतुल्य और अवर्णनीय था ,,, तीनो कि जिंदगी में इस तरह का पल आएगा तीनों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था,,,। लेकिन इस पल को जी कर तीनों बहुत खुश थे भले ही तीनों के बीच रिश्तो की वह मर्यादा की डोर संस्कारों की वह दीवार नहीं थी लेकिन तीनों खुश से अपनी अपनी जिंदगी से चारदीवारी के अंदर वह तीनों औरत और मर्द के जिनके बीज जिस्मानी ताल्लुकात जायज था,,, लेकिन चारदीवारी के बाहर वह तीनों रिश्तो से बंधे हुए थे,,,,। रात भर उसी तरह से चुदाई चलती रहीकचरी के साथ-साथ चालू भी अपने मायके में होकर अपने भाई से चुदवाने का असीम सुख भोग रही थी,,,।

निश्चित समय पर रघु ने अपनी बहन को ससुराल पहुंचा दिया था जहां पर अभी भी उसके तालुकात अपनी बहन के साथ मतलब कि जमीदार की बीवी के साथ और उसकी बहू राधा के साथ बराबर का बना हुआ था,,,, 9 महीने के अंतराल में रघू की बहन सालु ने बहुत ही सुंदर लड़के को जन्म दी,,,, दुनिया की नजर में उसे बच्चे का रघु मामा था लेकिन यह बात केवल दोनों की जानते थे कि रघु उस बच्चे का मामा नहीं बल्कि बाप था एक शालू और उसकी मां कजरी,,,,
कुछ महीनों बाद राधा ने भी एक सुंदर बच्चे को जन्म दिया और घर की मालकिन जमीदार की बीवी जुड़वा बच्चों को जन्मदिन एक लड़की और एक लड़का जमीदार की बीवी बहुत खुश थी क्योंकि उस की औलाद जो उसके हाथों में थी जो कि उसके पति से कभी भी मुमकिन नहीं था,,,। मां बनने की खुशी जमीदार की बीवी के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी लेकिन इस बारे में जब जमीदार को पता चला तो वह पूरी तरह से सदमे में था क्योंकि वह जानता था कि उसकी बीवी के पेट में रघू का बच्चा था और इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाया और दिल का दौरा पड़ने से उसकी मृत्यु हो गई जिसका दुख जमीदार की बीवी को बिल्कुल भी नहीं था ,,,,,,,

कोमल अपने माता पिता गोरखपुर से भी बात करने के लिए पूरी तरह से मना चुकी थी,,, तकरीबन 1 वर्ष के बाद कोमल गांव में वापस आई और साथ में अपने माता पिता को भी लेकर आई थी जोकि रघु के साथ विवाह करना चाहती थी मेरे बारे में रघु की मां सेबात करने पर उसकी बात मान गई थी लेकिन गांव वालों को थोड़ा एतराज था क्योंकि कोमल का पति जिंदा था या मर गया था इस बारे में किसी को पता नहीं था और एक विवाह होने पर दूसरा विवाह गांव में प्रचलित बिल्कुल भी नहीं था मैं तो कोई करता ही था लेकिन कमल के मामले में ऐसा बिल्कुल भी नहीं था वह शुरू से अपने पति का साथ नहीं पाई थी और गांव वाले जानते थे कि उसका पति अस्थिर दिमाग का था,,,,,, गांव वालों को मनाने का कोमल के पास बेहतरीन तरीका था वह जानती थी कि गांव वालों की जमीन उसके ससुर के पास गिरवी पड़ी हुई थी जिनके कागजात उसके पास ही है वह,,गांव वालों को उनकी जमीन के कागजात को लौटा दी जिससे गांव वालों को इस शादी को लेकर कोई भी एतराज नहीं था और सुखी संपन्न रूप से रघु और कोमल का विवाह करा दिया गया,,, इस विवाह से गांव के सभी लोग खुश थे,,,,,,, लेकीन रघू का विवाह हो जाने से कुछ औरतें बिल्कुल भी खुश नहीं थी खास करके कजरी,,,, लेकिन विवाह तो कराना ही था ,,, खुश होकर वह अपनी बहू और अपने बेटे को आशीर्वाद देकर एक नई जिंदगी की शुरुआत करने का आशीष दी,,, और अपने बेटे और बहू से इस बात का वचन भी ली की किसी भी हाल में वह दोनों एक दूसरे का साथ बिल्कुल भी नहीं छोड़ेंगे,,,,
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मैं तुझ से कैसे पूछूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,शायद एक मां को एक बेटे से इस तरह की बातें और इस तरह के सवाल पूछने तो नहीं चाहिए लेकिन हम दोनों के बीच के हालात बदल चुके हैं,,,, और जिस तरह का शंका का मेरे मन में पूछ रहा है उस शंके को दूर करना भी जरूरी है,,,।


किस तरह का शंका मां मैं कुछ समझा नहीं,,,,,!(रघु आश्चर्य के साथ बोला)

यही कि मैं आज तक तेरी बाबूजी के सिवा किसी के भी सामने अपने कपड़े नहीं उतारी हुं,,,, कल रात को मैं मजबूर हो गई थी,,,, कुछ अपने हालात पर और कुछ तेरे लिए,,,,


मेरे लिए मैं कुछ समझा नहीं,,,,(रघु एक बार फिर से आश्चर्य के साथ बोला)




लाला मेरी इज्जत लूटना चाहता था और अपने आदमियों से भी लूटवाना चाहता था,, और तुझे जान से मार देना चाहता था लेकिन मैं ऐसा कैसे होने देना चाहती थी मैं उससे हाथ जोड़कर विनती करने लगी और, फिर उसने तेरे जान के बदले में मेरे साथ एक सौदा किया,,,


कैसा सोदा मां,,,,,?


यही कि अगर मैं हमेशा के लिए उसकी हो जाऊं तो वह तेरी जान को बख्श देगा,,,,


फिर तुम क्या की,,,,


मैं मजबूर हो गई मैं भला अपने जीते जी अपने बेटे को मरता हुआ कैसे देख सकती थी इसलिए मुझे उसकी बात माननी पड़ी अपने सीने पर पत्थर रखकर उसके इस पौधे को मंजूर करना पड़ा,,,,


क्या मैं तुम्हें मुझ पर इतना भी भरोसा नहीं,,,


तुझ पर तो मुझे बहुत भरोसा है लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि तू मेरे भरोसे से कहीं ज्यादा ताकतवर है,,,(अपनी मां की इस बात पर रघु मुस्कुराने लगा,,,) और इसीलिए आज तक मैंने किसी के सामने कपड़े नहीं जा रही थी लेकिन लाला की बात मानते हुए मुझे उसके सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होना पड़ा,,,.(कजरी जानबूझकर अपने बेटे के सामने इन सब बातों की चर्चा कर रही थी और बार-बार अपने नंगे पन का अपनी बातों से बोलकर प्रदर्शन कर रही थी ताकि उसका बेटा उत्तेजित हो सके,,,,इन सब बातों की चर्चा करना जरूरी नहीं था लेकिन फिर भी कजरी इस तरह की बातें कर रही थी क्योंकि वास्तव में रघु पर इसका आंसर होगी रहा था अपनी मां के मुंह से बार-बार अपने लिए नंगी शब्द सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ जा रही थी,,,। अपनी मां की बात सुनकर रघु बोला,,,)


मां तुम्हें जरा सा भी शर्म नहीं आ रहा था लाला के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी होने में,,,


मुझे बहुत शर्म आ रही थी मैं तो भगवान से मना रही थी कि मौत आ जाए लेकिन मैं मजबूर थी सिर्फ तेरे खातिर लाला के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,,,


मां तुम जब लाला के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हुई तो लाला को कैसा लग रहा था,,,।


लाला,,,,,, लाला तो पागल हुआ जा रहा था साथ में उसके तीनों आदमी गंदी नजरों से मुझे देख रहे थे,,,,।


क्या लाला के तीनों आदमी भी वहीं थे,,,,।


हां तो क्या लाला की तीनों आदमी वही थे और मुझे इस तरह से देख रहे थे जैसे मुझे कच्चा खा जाएंगे और हां मुझे लाला के पास सही सलामत पहुंचाना था वरना वह तीनों तो रास्ते में ही मुझे चोदने का मन बना लिए थे,,,,(कजरी चोदने शब्द पर कुछ ज्यादा ही भाव देते हुए बोली जिसका असर रघु पर बहुत ही भारी पड़ रहा था वह अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातों को पहली बार सुन रहा था और अपनी मां के मुंह से इस तरह के गंदे शब्दों को सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर कुछ ज्यादा ही उठने लगी थी,,,)


तुम्हें कैसे मालूम मां,,,,?



क्योंकि वह तीनों रास्ते पर मुझे परेशान करते आए,,, जो मुझे कंधे पर उठाए लिए जा रहा था वह बार-बार मेरी गांड को अपने हाथों में पकड़ कर दबा दे रहा था बार-बार उस पर चपत लगा रहा था,,,, और तो और वह तीनों इतने ज्यादा गरम हो गए थे कि तीनों आपस में बात करने लगे कि लाला के पास ले जाने से पहले क्यों ना वह तीनों ही उसकी चुदाई कर दें,,,,



फिर क्या हुआ,,,,?



फिर क्या तीनों तैयार भी हो चुके थे,,,,, लेकिन तीनों की बातें सुनकर मैं घबरा गई एक साथ तीन-तीन सोच कर ही मेरा बदन कांपने लगा,,,, और मैं लाला को सब कुछ बता देने के लिए बोली तो मैं तीनों घबरा गए,,,, तब जाकर मुझे लाला के पास सही सलामत पहुंचाएं लेकिन फिर भी वह तीनों को इस बात की तसल्ली थी कि लाला के बाद उन तीनों का भी नंबर लगेगा सच में रखो अगर तू ना होता तो ना जाने क्या हो जाता,,,,।


कुछ नहीं होता मैं हूं ना,,,,



तू है तभी तो मुझे कोई फिक्र नहीं होती और आज सही सलामत घर पर हूं,,,,


लेकिन मां लाला बहुत गंदा है यह बात तो मैं जानता था लेकिन उसकी गंदी नजर तुम पर आकर ठहर जाएगी यह नहीं जानता था,,,,



तुम लोग शायद यह बात नहीं जानते लेकिन लाला की नजर मुझ पर बहुत पहले से ही थी वह बहुत पहले ही मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर चुका था लेकिन मैं उसके आगे झुकी नहीं और शालू की शादी को लेकर वह बदला लेना चाहता था इसलिए तो अपनी मनमानी करने के लिए मुझे उठवा लिया और उसके पास मौका भी था,,,,


लेकिन मां काफी समय से तुम उसके पास थी लेकिन ईतनी देर में वह तुम्हारे साथ कुछ भी नहीं कर पाया,,,,।


हां जो तू कह रहा है वह बिल्कुल ठीक है लेकिन वह बहुत इत्मीनान से था उसे लग रहा था कि रात भर में उसके पास रहूंगी उसे क्या मालूम था कि तो उसका काल बनकर वहां पहुंच जाएगा इसलिए वह मेरे साथ संबंध नहीं बना पाया,,,,



लेकिन एक बात है ना तुमको नंगी देख कर लाना पागल हो गया होगा इतना तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं,,,,


ऐसा क्यों,,,,? (कजरी अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली)


क्योंकि तुम गांव भर में सबसे ज्यादा खूबसूरत हो,,,


चल झूठी तारीफ करने को,,,,


नहीं मां मैं सच कह रहा हूं तुम बहुत खूबसूरत हो तभी तो लाला तुम्हारे पीछे पड़ा हुआ था,,,,,(रघु की बातें कजरी को बहुत अच्छी लग रही थी और वैसे भी कौन सी औरत होगी जो अपनी खूबसूरती की तारीफ नहीं सुनना चाहेगी और वह भी यहां तो अपने ही बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर कजरी मानो हवा में उड़ रही हो,,,)


हां यह तो है पीछे तो वह बहुत समय से पडा हुआ ही था,,,,(कटोरी कौवा खटिया के नीचे रखते हुए बोली)


अच्छा हुआ पहले वह कुछ कर नहीं पाया वरना शायद वह रोज तुम्हारे साथ वही करता,,,,।


हां तु सच कह रहा है,,, लाला बहुत नीच इंसान है,,,,। उसके तीनों आदमी भी मुझे पाने की आस में कमरे के बाहर इंतजार करते हुए बैठे थे लेकिन मुझे अपनी बाहों में भरने से पहले मौत को गले लगा लिए,,,,।


तुम्हें कोई हाथ लगाए और वह जिंदा रह पाए ऐसा कैसे हो सकता है मां,,,,



तू बहुत बहादुर है बेटा,,,,,


अच्छा एक बात बताओ मा पूछना तो नहीं चाहिए लेकिन फिर भी पूछ रहा हूं,,,,


क्या,,,,?


यही कि लाला तुमको जब मांगी देख रहा था तो तुम्हारे कौन से अंग पर उसकी निगाह ठहरी हुई थी,,,,,,,(रघु एकदम संकुचाते हुए बोला,,,)


पागल हो गया है क्या ऐसा कोई पूछता है,,,,

अब इसमें क्या हुआ मां,,,,


अरे मैं तेरी मां हूं और इस तरह का सवाल कोई अपनी मां से पूछता है,,,,



नहीं नहीं कभी नहीं मैं भी नहीं पूछता नहीं इस सवाल के पीछे सबसे बड़ा कारण है तुम्हारी खूबसूरती इसके लिए पूछ रहा हूं,,,,, क्योंकि दुनिया खूबसूरती के पीछे ही भागती है। अगर तुम खूबसूरत ना होती तो यह सब झमेला ही ना होता,,,,।


तो तुझको मेरी खूबसूरती अच्छी नहीं लग रही है यही कहना चाहता है ना तू,,,,



मुझे तो तुम पर नाज है कि तुम इतनी खूबसूरत हो,,,, इसलिए तो यह सवाल पूछ रहा हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हारा खूबसूरत बदन का हर एक कोना बेहद खूबसूरत है,,,इसलिए तो पूछ रहा हूं कि लाला की नजर तुम्हारे बदन के कौन से हिस्से पर सबसे ज्यादा घूम रही थी,,,,।
(अपने बेटे के इस तरह के सवाल पर कजरी कुछ देर तक सोचने लगी और फिर बोली)


हमममम,,, इस पर ,,(अपनी आंखों से ही अपनी चुचियों पर इशारा करते हुए.... यह देख कर रघु मुस्कुराने लगा और हंसते हुए बोला,,,)


मैं भी यही सोच ही रहा था,,,,


लेकिन तू ऐसा क्यों सोच रहा था,,,,,,,, और हां मैं तुझसे जो पूछना चाहती थी वह तो मैं भूल ही गई,,,,


क्या पूछना चाहती थी,,,,?



यही कि तू मुझे एकदम नंगी देख चुका है मेरे नंगे बदन को देख चुका है तो जाहिर है कि मेरी हर एक अंग को तु देखा भी होगा,,,(इतना सुनते ही रघु शर्मा कर मुस्कुराने लगा) मुस्कुरा मत मेरे को सब पता है,,, तभी तो तू अंदाजा लगा लिया कि लाला,,,मेरी इसको ही देख रहा होगा,,,( एक बार फिर से आंखों से ही अपनी दोनों चूचियों की तरफ इशारा करते हुए),,,, क्यों सही कह रही हुं ना,,,,



अब मैं क्या कहूं,,,,


वही जो मैं पूछ रही हूं,,,,


अब यह पूछ कर तुम मुझे शर्मिंदा कर रही हो अगर जानना चाहती हो तो मैं बताता हूं मैं तुम्हें वहां से उठाकर अपनी गोद में यहां घर तक लेकर आएगा और अपने हाथों से तूने कपड़े भी पहनाया ,,, तो जाहिर सी बात है कि मैं तुम्हें तुम्हारी नंगे पन को अपनी आंखों से देख भी रहा था लेकिन मेरा इरादा कुछ ऐसा नहीं था लेकिन क्या करता जब आंखों के सामने इतनी खूबसूरत चीज हो तो भला देखे बिना कोई कैसे रह सकता है,,,,।


अच्छा इतनी खूबसूरत,,,(कजरी मुस्कुराते हुए अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,,)


तो क्या,,,,शायद तुम नहीं जानती मा कि तुम पूरे गांव में पूरे गांव में कया गांव के अगल बगल के जितने भी गांव हैं उन्हें सारी औरतों में सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत तुम्हीं लगती हो,,,,,,क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम सबसे ज्यादा खूबसूरत हो अपना बदन देखकर अपनी खूबसूरती देखकर दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी तुम्हारे बदन में जरा भी ढीलापन नही है,,,(ढीलेपन वाली बात रघु अपनी मां की सूचियों की तरफ देखते हुए बोला था जो कि इस समय ब्लाउज के अंदर कैद थी और अपने बेटे की इस बात को और उसकी आंखों कह इशारे को वाची तरह से समझ गई थी और अपने बेटे की इस बात से वह अंदर ही अंदर शर्मा गई थी और अपने बदन पर गर्व भी करने लगी थी,, अपने बेटे के इस बात पर कजरी कुछ बोली नहीं बस शर्मा गई,,,)

चल छोड़ सब बात को,,,, देखा तो देखा मैं इसके लिए कुछ नहीं कह रही हूं लेकिन क्या तूने छुआ तो नहीं ना,,,


अरे कैसी बात कर रही हो मैं तुम्हें वहां से हाथों को उठाकर लेकर आया हूं और बोल रही हो छुआ कि नहीं,,,,


अरे मेरा मतलब उससे नहीं है,,, मैं यह कह रही हूं कि,,, तो मुझे नंगी देखकर कहीं अपना काबू खो दिया और,,, और उत्तेजित होकर कहीं मेरी ये,,,(आंखों से अपनी चुचियों की तरफ इशारा करते हुए) और मेरी ये,,,(अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाकर अपनी आंखों का इशारा अपनी दोनों टांगों के बीच करते हुए) छुआ तो नहीं,,,,
(इतना कहते हुए कजरी एकदम से उत्तेजित हो गई थी और यही हाल रघु का भी था चुचियों की तरफ तो ठीक जैसे ही उसकी मां अपनी आंखों का इशारा अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बुर की तरफ़ की रघु का लंड एकदम से फुंफकारने लगा,,,,, धीरे-धीरे दोनों एकदम खुलते चले जा रहे थे रघु को समझते देर नहीं लगी थी कि उसकी मां चुदवासी हुए जा रही है,,, लाला से तो चुदवाने में एतराज था लेकिन उसका लंड लेने के लिए व्याकुल हुए जा रही है रघु मन ही मन में यही बात सोचने लगा था,,,,,, अपनी मां की यह बात सुनकर वह बोला,,)

केसी बात कर रही हो मां,,,,,, नंगी थी इसलिए नजर तो हटा नहीं सकता था इसलिए तुम्हारा सब कुछ (सूचियों की तरफ से आंखों को नीचे की तरफ दोनों टांगों के बीच लाकर रोकते हुए) देख ही लिया हूं लेकिन छुआ नहीं हु लेकिन हां दुल्हन ब्लाउज पहनाते समयबटन बंद करते वक्त तुम्हारी सूचियों को पकड़कर मुझे अंदर करना पड़ा था बस इतना ही किया था बाकी मैंने तुम्हारी बुर को देखा जरूर लेकिन उसे हाथ नहीं लगाया,,,,(रघु जानबूझकर एकदम खुले शब्दों में और अपनी मां की बुर का जिक्र साफ शब्दों में कर रहा था अपनी बेटे के मुंह से अपनी बुर के बारे में सुनते ही कजरी पेटीकोट के अंदर पानी पानी होने लगीऔर अपनी मां के सामने पुर शब्द का प्रयोग करते हुए रघु की हालत खराब हो रही थी पजामे में उसका लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया था,,,,,अपने बेटे की बात सुनकर कचरी एकदम गरम हो गई थी और कर्म आहें भरते हुए एक लंबी सांस खींची और बोली,,,।)


चल अच्छा हुआ तू उसे हाथ नहीं लगाया करना शायद तुझसे अपने आप पर काबू कर पाना मुश्किल हो जाता,,(कजरी एकदम मादक अदा बिखेरते हुए बोली,,,, रघु अपनी मां के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था,,,, वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था अपनी मां की बात सुनकर वह बोला,,,,)


नहीं,,,, इतना भी कमजोर नहीं हूं कि तुम्हारी बुर को हाथ लगाते ही मैं अपने आप पर काबू ना रख पाऊं,,,,,


तुझे ऐसा लगता है बेटा अच्छे-अच्छे फिसल जाते हैं,,, तभी तो लाला बहककर इतना बड़ा कदम उठा लिया था,,,,,,


लेकिन मैं उनमें से नहीं हूं बहकना होता तो,,,, रात को ही बहक गया होता,,,(इतना कहते हुए रघु अपने पहचाने पर हाथ रखकर अपने खड़े लंड को दुरुस्त करने में लग गया और यह हरकत रघु बार-बार कर रहा था,,, पर अपने बेटे की हरकत देखकर कजरी समझ गई थी कि उसकी बातों से वह उत्तेजित हो जा रहा है और उसका लंड खड़ा हो रहा है भले ही वह लाख ना फिसलने की बात करें लेकिन कजरी अच्छी तरह से जानती थी कि अच्छे-अच्छे ऋषि मुनि विजय औरतों के अंगों को देखकर फिसल जाते हैं तो उसका बेटा क्या चीज है कजरी जानती थी कि उसका बेटा झूठ कह रहा हैलेकिन उसे हैरानी से बात की थी कि उसे संपूर्ण रूप से नंगी अपनी गोद में उठाकर घर तक लाने के बावजूद भी वह बहका कैसे नहीं वह चाहता तो उसके साथ कुछ भी कर सकता था और लाला का नाम दे सकता था,,, अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,,)


चल बड़ा आया ऋषि मुनि,,,, देखा तो सही ना,,,,


हां देखा जरूर,,,, पेटिकोट पहनाते समय सच कहूं तो आज मैं पहली बार बुर देखा हूं वरना मुझे तो उसके आकार के बारे में कुछ पता ही नहीं था,,,,,,,
(अपने बेटे की यह बात सुनकर कजरी मन ही मन में बोली चल झूठा पहली बार देख रहा है,,,, और अपनी बहन को चोद रहा था वह किस में डाल रहा था,,,, साला बहन चोद कजरी यह गाली अपने मन में जानबूझकर अपने बेटे को दी थी क्योंकि वह जानती थी कि सालु की चुदाई व करता हैऔर अपनी बहन को चोदने की वजह से ही कजरी अपने मन में उसे बहन चोद की गाली दे रही थी,,,,, कजरी अपने मन में यह भी बोल रही थी कि काश तू मादरचोद बन जाता तो कितना मजा आता,,,)

कैसा लगा तुझे उसका आकार,,,,


बहुत ही खूबसूरत दोनों टांगों के बीच नजर पड़ते ही में एकदम भौचक्का हो गया पता ही नहीं चल रहा था सिर्फ एक पतली दरार नजर आ रही थी,,,, मैं तो बस देखता ही रह गया,,,,


मैं बोली थी ना वह चीज ही ऐसी है कि अच्छे-अच्छे फिसल जाती है तो अगर उसे छू लिया होता तो पागल हो जाता,,,।

नहीं नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं,,, है।


ऐसा ही है बेटा,,,


कहो तो अभी छू कर दिखाओ,,,


धत्,,,, कितने हरामि हो गया है तू,,,


तुम खुद कह रही हो तो क्या करूं,,,, वैसे माजितनी भी औरतों को देखा हूं इनमें से सबसे ज्यादा खूबसूरत और कसी हुई चूची तुम्हारी है,,,,
(अपने बेटे की इस बात पर कजरी उसे तिरछी नजरों से देखने लगी) सच कह रहा हूं,,,,


कितनी औरतों की देख चुका है तू,,,,


अरे बिना कपड़ों की नहीं,,,, बस आते जाते उस पर नजर पड़ी ही जाती है,,, अब देखो ना अपनी ललिया चाची की उनकी चुची तुमसे छोटी और कसी हुई नहीं है,,,।


तुझे यह सब कैसे पता चला,,,,


अरे ब्लाउज को देख कर ही पता चल जाता है,,,,
अब देखो ना तुम्हारा ब्लाउज आगे से कितना उठा हुआ होता है और एकदम कड़क लगता है पता चल जाता है कि ब्लाउज के अंदर की चूचियां कितनी जानदार और शानदार है,,,


बाप रे कितना हरामि हो गया है तु एकदम शैतान हो गया है,,,(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी की हालत खराब होती जा रही थी उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ रही थी वह अपने आप को एकदम चुदवासई महसूस कर रही थी उसका मन कर रहा था कि रघु के ऊपर अभी चढ़ जाए और उसके लंड को अपनी बुर में डालकर अपनी प्यास बुझा ले,,, लेकिन ऐसे नहीं कजरी भी शायद धीरे धीरे बढना चाहती थी,,,।उसे इतना तो यकीन था कि उसका बेटा है कि उसकी दोनों टांगों के बीच जरूर आएगा क्योंकि जो अपनी बड़ी बहन को चोद सकता है तो मां को चोदने में क्या हर्ज है और वैसे भी जिस तरह की दोनों बातें कर रहे थे उससे यही लग रहा था कि जल्द ही कजरी की बुर नुमा जमीन पर सावन की फुहारे पडने वाली है,,,,,, बाहर चिड़ियों की आवाज सुनाई दे रही थी सुबह हो चुकी थी लोग अपने अपने खेतों की ओर जा रहे थे सुबह-सुबह दोनों मां-बेटे इस तरह की गंदी और कामोत्तेजना से भरपूर बातें करके एकदम से चुदवासे हो चुके थे,,,, रघु का लंड लोहे के रोड की तरह खड़ा हो चुका था,,। वह इसी समय अपनी मां को चोदने की फिराक में था क्योंकि वह पूरी तरह से गर्म हो चुका था और वह जानता था कि उसकी मां भी गरम हो चुकी है अगर वह अपनी मां की चुदाई करेगा तो उसकी मां को बिल्कुल भी ऐतराज नहीं होगा क्योंकि वो खुद यही चाह रही थी वरना इस तरह की बातें कभी नहीं करती और वैसे भी दोनों को खुला मौका जो मिल चुका था क्योंकि इस समय घर पर उन दोनों किसी का तीसरा कोई नहीं था शालू की शादी हो चुकी थी वहां अपने ससुराल जा चुकी थी इसलिए दोनों इत्मीनान थे,,,,,, और माहौल भी उसी तरह का बनता चला जा रहा था रघु बार-बार अपनी मां को दिखाते हुए अपने के जाने के ऊपर से लंड को दबा रहा था और कजरी अपने बेटे की इस हरकत को देखकर पानी-पानी हो जा रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि पजामे में उसके बेटे का लंड खड़ा हो चुका है और उसकी बुर में आने के लिए उतावला हो रहा है,,,, अपने बेटे को कजरी बहकाने के उद्देश्य से बोली,,,।)


सच कहना रघु तू मेरी उसको छूकर बहक नहीं जाएगा,,,


बिल्कुल भी नहीं मुझे अपने आप पर भरोसा है,,,
(कजरी अच्छी तरह से जानती थी कि अगर ऐसा कुछ भी हुआ तो उसका बेटा वही करेगा जो अपनी बड़ी बहन के साथ किया था और इसके लिए कजरी अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी,,,।)


नहीं नहीं तो बिल्कुल भी अपने आप पर काबू नहीं कर पाएगा मैं अच्छी तरह से जानती हूं तु बहक जाएगा,,,,


नहीं बहकुंगा अगर विश्वास नहीं है तो आजमा लो,,,,(रघु की हालत खराब होती जा रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उसकी मां बात कर रही थी उसे लगने लगा था की अपनी मां को चोदने का मौका उसे आज मिलने वाला है,,,,साथ ही कजरी की भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसकी सांसे भारी हो चली थी वाह लड़खड़ाते हुए शब्दों में बोली,,)


तुझे आजमाना ही पड़ेगा मैं भी देखना चाहती हूं कि तुझसे कितना काबू हो सकता है,,,(और इतना कहने के साथ ही कजरी वापस खटिए पर पीठ के बल लेट गई और अपनी दोनों टांगों को घुटनों से मोड़कर अपने पेटिकोट को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को उठाकर अपनी पेटीकोट को उठा नहीं जा रही थी कि तभी अचानक बाहर से आवाज आई,,,,।


अरे सुनती हो कजरी,,,,(कजरी एकदम से चौंक गई और तुरंत अपनी पेटीकोट को सही करके अपने ऊपर चादर डाल दी वह जान गई की ललिया आई है,,,, और ललिया तुरंत कमरे में आते हुए बोली,,,

अरे गजब हो गया कजरी,,,,
(ललिया कुछ देख पाती इससे पहले ही कजरी अपने कपड़ों को दुरुस्त कर चुकी थी और खटिए पर आराम से लेट गई थी)

अरे इतना हांफ क्यों रही है बताएगी भी क्या हुआ,,,? (कजरी को अंदेशा हो चुका था कि रात वाली बात गांव वालों को पता लग गई है उसे डर इस बात का था कि कहीं उसका या उसके बेटे का जिक्र ना आ जाए)

अरे नहर के किनारे लाला और उसके आदमियों की लाश मिली है,,,


अरे क्या कह रही है ललिया,,,,,,


एकदम सच कह रही हूं कजरी सारे गांव वाले उधर ही गए हैं,,,


चाची मुझे तो बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है यह कैसे हो गया,,,,, तुम भी वही जा रही हो क्या,,,(रघु सब कुछ जान कर भी अंजान बनते हुए बोला)

हा में भी वही जा रही हुं,,,,


रुको मैं भी चलता हूं,,,,,(इतना कहकर वह खड़ा हो गया,,,)

मां हम दोनों वहीं जा रहे हैं,,, तुम घर की थोड़ी सफाई करके वहीं आ जाना,,,,(इतना कहकर रघु ललिया को साथ लेकर घर से बाहर निकल गया और कजरी वही खटिए पर लेटी हुई भगवान से प्रार्थना करने लगी कि उसके परिवार का बिल्कुल भी जिक्र ना हो रात को जो कुछ भी हुआ है उसके बारे में किसी को पता ना चले,,,, और इसके बाद में खटिया पर से खड़ी हुई औरत अपनी साड़ी पहनकर वह भी नहर की तरफ जाने लगी,,,।)
Mast update hai
 

Kuresa Begam

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रघु को इस बात का अंदेशा हो गया था कि क्या करने के लिए उसकी मां गुसल खाने की तरफ जा रही है इसलिए उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था,,,, वह 3 सीढ़ियां चढ़ चुका था लेकिन फिर भी इसके आगे जाने की हालत में हो बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि उसका मन कुछ और ही कह रहा था,,, वह ना तो एक सीडी नीचे उतरा और ना ही ऊपर,,, वह दीवाल की ओट से अपनी मां को बड़ी गौर से देख रहा था और उसकी मां मादक चाल चलते हुए आगे बढ़ रही थी वह जानती थी कि उसका बेटा कहीं ना कहीं से उसे देख रहा होगा इसलिए अपनी बड़ी बड़ी गांड को कुछ ज्यादा ही मटका रही थी,,,,, क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि,,मर्दों की नजर हमेशा औरतों की बड़ी बड़ी गांड पर ही आकर्षित होती रहती है और अपने बेटे की हरकत को तो वह भली-भांति जानती थी,,,।

रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह एक टक अपनी मां की तरफ ही देख रहा था,,,अपनी मां की मटकती गांड को देख कर आनायास ही उसका हाथ पजामे के ऊपर से अपने लंड पर चला गया जो कि पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, यह पल बेहद अद्भुत और काम उत्तेजना से भरा हुआ था,,, क्योंकि बेटा अपनी मां की खूबसूरत बदन और उसकी बड़ी बड़ी गांड को देखकर अपना लंड मसल रहा था,,,,कजरी को पूरा यकीन था कि उसका बेटा उसे ही देख रहा होगा इसलिए एक बार भी पीछे मुड़कर अपने बेटे की तरफ नहीं देखी,,, गुसल खाने के करीब पहुंचते ही वह अपनी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़कर जानबूझकर अपने दाएं बाएं देखने लगी कि तुम कोई देख तो नहीं रहा है,,, और वह अपने बेटे को यह यकीन दिलाना चाहती थी कि उसे इस बात का आभास तक नहीं है कि उसका बेटा उसे देख रहा है,,,,,, इसलिए अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए और घर के बाहर खुले वातावरण का आनंद लेते हुए वह अपनी सारी को उसी तरह से पकड़े हुए हैं धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी ,,,,जैसे कि यह सारा कार्यक्रम उसने अपने बेटे को अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाने के लिए ही रखा हो,,, और वैसे भी यह सब जानबूझकर ही था देखते ही देखते कजरी अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी,,,,, एक पल के लिए तो रघु की दिल की धड़कन रुक गई रघु आंखें फाड़े अपनी मां के इस खूबसूरत मादक नजारे को देखता रह गया,,,,,, अंधेरी रात थी लेकिन फिर भी लालटेन की रोशनी के दायरे में कजरी की मदमस्त गांड रघु को एकदम साफ नजर आ रही थी,,,,, रघु की सांसे बहक रही थी कुछ क्षण तक कजरी उसी तरह से साड़ी को कमर तक उठाए हुए खड़ी रही और इसके बाद नीचे बैठकर मुतना शुरू कर दी वैसे भी ऊसे बड़े जोरों की पेशाब लगे हुई थी,,,,, पेशाब करते करते वहां एक साथ दो काम कर देना चाहती थी पेशाब भी और अपने बेटे को अपने खूबसूरती के जाल में पूरी तरह से विवस करने की,,, जो कि दोनों काम बड़ी बखूबी से हो रहा था अपनी मां की बड़ी-बड़ी नंगी गांड को देखकर रघु की हालत खराब होने लगी थी,,, कजरी इतनी जोर से मुत रही थी कि उसके मुतने की आवाज बांसुरी की धुन की तरह रघु के कानों में पड रही थी,,, रघु के कानों में जैसे मिश्री घुल रही हो,,, रघु पल-पल मादकता के एहसास से मदहोश होता चला जा रहा था,,,, कजरी मंद मंद मुस्कुरा रही थी हालांकि वह पूरी तरह से खुली नहीं लेकिन फिर भी औपचारिक रूप से और जिस तरह से पेशाब करती है उसी तरह से पेशाब कर रही थी लेकिन यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि औरतों को पेशाब करते हुए देखने में मर्दों को कितना मजा आता है क्योंकि ऐसा उसके साथ हुआ तो बहुत बार होगा लेकिन कभी कबार उसकी नजर उन अनजान नजरों पर पड़ जाती थी जो उसे पेशाब करने की स्थिति में आंखें फाड़े देखते रहते थे उस पर कजरी शर्म से पानी पानी हो जाती थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसे पेशाब करते हुए देखे लेकिन इस समय की बात कुछ और थी,,, कजरी के तन बदन में मादकता का एहसास एक मादक खुशबू की तरह घुलता चला जा रहा था,,, और वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि किसी को जानबूझकर वह पेशाब करते हुए अपनी गोरी गोरी गांड को दिखाएगी,,,। और वह भी किसी गैर को नहीं बल्कि अपने ही सगे बेटे को इसलिए तो यह पर उसके लिए बेहद उत्तेजना से भरा हुआ था एक बार निश्चित करने के लिए कि जो पैंतरा उसने आजमाया है उस पर खरी उतरी है या नहीं इसलिए वह अपनी नजरें पीछे घुमा कर अपने बेटे को देखने नतीजों की सीढ़ियों पर खड़ा होकर दीवार की ओट में से उसे ही देख रहा था बस पल भर के लिए वह अपनी नजर घुमा कर वापस उसी स्थिति में हो गई और मंद मंद मुस्कुराने लगी क्योंकि उसका यह पूरी तरह से काम कर गया था अपने बेटे को अपनी तरफ देखते हुए पाकर वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गई इसका आंसर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच किस को गुलाबी पत्तियों के बीच महसूस होने लगी जिसमें से पेशाब के साथ-साथ उत्तेजना का मधुर रस भी टपक रहा था,,,।

अपने काम में पूरी तरह से वह कामयाब हो चुकी थी इसलिए तुरंत पेशाब करके उठ खड़ी हुई यह देखते ही रखो तुरंत सीढ़ियों से ऊपर चला गया और कजरी वापस लालटेन उठाकर छत पर आ गई,,, रघु एक तरफ चटाई बिछा रहा था,,,, उसे एक तरफ चटाई बिछाता हुआ देखकर कजरी उसे कहना चाहती थी कि वह उसके पास ही सोए,,, लेकिन ऐसा कहने से उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,, रघु‌ खुद चाहता था अपनी मां के पास सोना लेकिन वह भी शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पा रहा था,,,, कजरी को ही अपने बदन का दर्द का बहाना बनाते हुए बोलना पड़ा कि,,,,।


आहहहहह,,,, रघु खेतों में काम कर करके मेरा बदन पूरा टूट रहा है,,,, शालू होती तो मेरी मालिश कर देते और बचे आराम मिल जाता,,,,,(कजरी का इतना कहना था कि रघु तुरंत बोल पड़ा)


अरे मैं हूं ना मा,,, मैं मालिश कर दूंगा आखिरकार शालू की जगह मुझे भी हाथ बढ़ाना है,,,,(रघु किसी भी तरह से अपने हाथ में आई इस मौके को गंवाना नहीं चाहता था वह किसी न किसी बहाने से अपनी मां को स्पर्श करने का सुख प्राप्त करना चाहता था,,,)


तू कर पाएगा,,,,


यह पूछो कि मैं क्या नहीं कर पाऊंगा तुम्हारी ऐसी मालिश करूंगा कि दर्द रफूचक्कर हो जाएगा,,,,


क्या बात है,,,,,, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है,,,,


भरोसा रखो मै शिकायत का बिल्कुल भी मौका नहीं दूंगा,,,
(रघु अपनी मां को भरोसा दिलाते हुए बोला वैसे भी उसे अपने बेटे पर पूरी तरह से भरोसा था,,,भले ही बात मालिश की हो रही हो लेकिन दोनों के कहने का मतलब एक ही है दोनों शारीरिक संतुष्टि की बात कर रहे थे,,,उसका बेटा उसे किस तरह से सारी संतुष्टि देगा यह उसे अच्छी तरह से पता था क्योंकि वह अपनी आंखों से अपनी बड़ी बेटी और अपने बेटे के बीच शारीरिक संबंध देख चुकी थी उन दोनों की घमासान चुदाई को अपनी आंखों से देख कर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी,,,,,,, बस वह खुद अपने बेटे के मर्दाना ताकत से दो चार हाथ होना चाहती थी,,, वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा बिस्तर में उसके साथ किस तरह की उठापटक करता है,,, इसलिए अपने बेटे की तरफ मुस्कुराते हुए देख कर बोली,,)



चल देखते हैं,,, हाथ कंगन को आरसी क्या,,,,,,


देख लो मैं कब इनकार कर रहा हूं,,,,

(अपने बेटे की बातें सुनकर मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखते हुए वह नीचे चटाई बिछाने लगी,,, आसमान में बादल पूरी तरह से छा चुके थे,,, कजरी चटाई बिछा ही रही थी कि तभी जोरों की बारिश शुरू हो गई,,,,)

अरे ये तो बारिश शुरू हो गई जल्दी चल नहीं तो भीग जाएंगे,,,,,,


सत्यानाश ,,,,,रघु अपने मन में ही बोला उसे लग रहा था कि बारिश के कारण कहीं सारा मामला बिगड़ ना जाए कहीं उसकी मां का दिमाग बदल ना जाए क्योंकि वह इस तरह के मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था वह मन ही मन बरसात को गाली देने लगा और अपनी चटाई को भी समेटने लगा,,,,,,


चल जल्दी चल बड़ी जोरों की बारिश पड़ रही है,,,,
(इतना कहने के साथ ही दोनों सीढ़ी के रास्ते नीचे आने लगे,,, लेकिन तब तक कजरी पूरी तरह से नहीं लेकिन फिर भी साड़ी गीली होने लगी थी और रघु का कुर्ता गीला हो चुका था,,,, दोनों जल्दी से अंदर वाले कमरे में पहुंच गए रघु दीवाल मैं गढ़ी हुई लकड़ी पर लालटेन टांग दीया,,, लालटेन की पीली रोशनी अंधेरे को चीरते हुए उजाला प्रदान करने लगी,,, पूरे घर में उजाला फैल गया,,,बाहर बड़े जोरों की बारिश शुरु हो चुकी थी बादलों की गड़गड़ाहट तेज हो चुकी थी,,,,,, रघु अपने कुर्ते को निकालने लगा क्योंकि वह गीला हो चुका था,,,प्रकाश ने अपने बेटे की उपस्थिति में ही उसकी आंखों के सामने अपनी साड़ी को कंधे पर से नीचे गिरा कर अपनी कमर में बंधी साड़ी को खोलने लगी क्योंकि उसकी साड़ी भी गीली हो चुकी थी,,,, रघु अपने कुर्ते को उतारते हुए अपनी मां पर नजर डाला तो एकदम दंग रह गया उसकी आंखों में चमक छाने लगी,,, रघु की मां कमर में बसी साड़ी को खोल रही थी और उसकी विशाल छातियां अपनी मादकता फैला रही थी,,, रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा अपनी मां की ब्लाउज में कैद बड़ी बड़ी चूचियों को देख कर रघु के मुंह में पानी आने लगा,,, और उसकी गहरी नाभि को देखकर रघु को ऐसा ही प्रतीत हो रहा था कि जैसे वह छोटा सा गड्ढा उसकी मां की नाभि नहीं बल्कि उसकी रसीली बुर हो,,,,,, रघु के लंड मैं सनसनाहट सी दौड़ गई थी,,,, कजरी बेझिझक अपने बेटे के सामने ही अपनी साड़ी उतार रही थी शायद इस बात का आभास उसे हो गया था कि अगर जिंदगी का मजा लेना है तो थोड़ा बेशर्म मरना होगा अपने अंदर के शर्म को मारना होगा,,, और रघु अपनी मां को एकटक देखता जा रहा था ,,, जैसे ही कट गई अपनी साड़ी को उतार कर वहीं पास में डाली हुई रस्सी पर टांगी,,, वैसे ही उसकी नजर अपने बेटे पर गई जो कि उसे ही देख रहा था उसे इस तरह से देखता हुआ पाकर कजरी बोली,,,।

ऐसे क्या देख रहा है,,,,?


तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,,,,,


चल झूठा,,,,, मैं भला कब से खूबसूरत होने लगी,,,,


नहीं मा सच में तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,,


चल बातें मत बना मेरा बदन बहुत दर्द कर रहा है,,,, जल्दी से तेल की मालिश कर दे वरना आज नींद नहीं आएगी,,,,



तुम चिंता मत करो ना तुम खटिया पर लेटो मैं तेल लगा कर तुम्हें एकदम मस्त कर दूंगा,,,,
(अपने बेटे के मुंह से तेल लगाने वाली बात सुनते ही उसकी गुलाबी पुर की गुलाबी पत्तियों में झुर झुरी सी छा गई,, क्योंकि तेल लगाने वाली बात का तात्पर्य वह अच्छी तरह से समझती थी,,, लेकिन वह बोली कुछ नहीं बस खटिया पर पेट के बल लेट ते हुए बोली,,,)


चल देखते हैं,,,,(इतना कहने के साथ ही वह पेट के बल खटिया पर लेट गई,,,, रघु पेटीकोट में छुपी उसकी उभरी हुई गांड को देखकर एक दम मस्त हो गया जो कि कुछ देर पहले वह उसी गांड को एकदम नंगी देख चुका था,,,, रघु बिल्कुल भी देर ना करते हुए जल्दी से तेल के डिब्बे में से कटोरी में तेल गिराने लगा लगभग तेल से आधी कटोरी भर दिया था,,,, दूसरी तरफ कजरी अपने बेटे को देख रही थी जिस तरह से वह कटोरी में तेल गिरा रहा था उसे देखते हुए कजरी को ऐसा ही लग रहा था कि जैसे आज वह तेल लगाकर उसकी चुदाई करेगा,,,, कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने बेटे के सामने ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी,,, रघु कटोरी लेकर अपनी मां के पास आ गया,,, पर खड़े होकर उसकी मदमस्त भरी हुई गांड को देखने लगा कार्ड के ऊपर पतली चिकनी कमर पर फिसलन भरी राह को देखने लगा मांसल चिकनी पीठ के बीच में पतली गहरी दरार को देखने लगा जो कि बेहद मादकता से भरी हुई थी,,,,, रघु गहरी सांस लेते हुए खटिए पर ही बैठ गया,,,,,,

आज कुछ गजब का होने वाला था इस बात का एहसास दोनों मां-बेटे को हो चुका था बाहर बड़ी तेज बारिश हो रही थी,,, बादलों की गड़गड़ाहट लगातार वातावरण में शोर मचा रही थी ठंडी ठंडी हवा बह रही थी जो कि अंदर कमरे तक पहुंच रही थी और कमरे को दोनों मां-बेटे की जवानी की गर्मी से राहत पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन शायद जवानी की गर्मी की आंखें मौसमी बारिश की ठंडक कमजोर पड़ती नजर आ रही थी,,,, ऐसे खुशनुमा मौसम में भी दोनों मां-बेटे एकदम गरम हो चुके थे,,, हाथ में तेल की कटोरी लिए हुए रघु बोला,,,।


कहां दर्द कर रहा है मां,,,,,


अरे यही कमर बहुत ज्यादा दर्द कर रही है दर्द तो पूरा बदन ही कर रहा है लेकिन कमर कुछ ज्यादा ही परेशान कर रही हैं,,,(हल्की दर्द से भरी हुई कराह के साथ वह बोली)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मां मेरा हाथ लगते ही दर्द दूर हो जाएगा,,,,,

काश ऐसा ही हो,,,,


ऐसा ही होगा बस तुम देखती जाओ,,,(इतना कहने के साथ ही रघु कटोरी के तेल की धार अपनी मां की कमर पर गिराने लगा,,, तेल की तेज धार कजरी को अपनी कमर पर साफ तौर पर महसूस हो रही थी,,, तेल के गिराने के बाद रघु तेल की कटोरी को खटिए के नीचे रखकर अपने दोनों हाथ को एक साथ अपनी मां की कमर के इर्द-गिर्द रख दिया,,, मांसल कमर जैसे ही रघु के दोनों हाथों में समाई रघु की हालत एकदम से खराब हो गई अपनी मां की चिकनी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसके तन बदन में अद्भुत सुख का अहसास होने लगा पहली बार वह इस तरह से अपनी मां की कमर को पकड़ रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे अपनी मां की कमर दोनों हाथों से थाम कर अपने लंड को उसकी बुर में डालने जा रहा है,,,, रघु इस अद्भुत पल के एहसास में पूरी तरह से डूबने लगा और गहरी सांस लेने लगा,,,, कजरी की भी यही हालत थी पहली बार बरसों के बाद फिर मर्दाना हाथ उसकी कमर को पकड़े हुए थे और वह भी खुद का बेटा ही कजरी के तन बदन में बिजली सी दौड़ने लगी थी कजरी की गर्म सांसे माहौल को और गर्म करने लगी,,,,, रघु लंबी आह भरते हुए अपनी मां की कमर पर गिरे हुए तेल को हथेली से इधर-उधर फैलाते हुए मालिश करने लगा,,,, गजब का एहसास से भरा हुआ यह पल दोनों मां बेटे पूरी तरह से जी लेना चाहते थे,,,।

रघु धड़कते दिल के साथ अपनी मां की चिकनी कमर पर मालिश करना शुरू कर दिया था,,,, उसकी हथेली और ऊंगलीया बराबर कमर पर गर्दिश कर रही थी,,,,,, रघु ऊतेजना के मारे,,,, अपनी हथेलियों का दबावअपनी मां की कमर पर बढ़ा दे रहा था जिससे उसकी मां भी उत्तेजित हो जाती थी पहली बार अपने कमर पर मर्दाना हथेलियों का एहसास उसे पूरी तरह से मदहोश कर दे रहा था मदहोशी का असर उसकी दोनों टांगों के बीच की उस बेशकीमती खजाने पर पड़ रही थी,,, जिसके चलते कजरी खुद मां बेटे की बीच की पवित्र रिश्ते की दीवार को गिराने पर आतुर हो चुकी थी,,,, कमर पर मालिश करते हुए भी रघु की नजर और ध्यान दोनों अपनी मां की गोलाकार बड़ी-बड़ी गांड पर केंद्रित थी,,, जो कि इस समय पेटीकोट नुमा पर्दे में कैद थी,,,वैसे भी जमाने का दस्तूर यही है कि जो चीज कीमती होती है उसे हमेशा परदे में ही रखा जाता है चाहे वो खजाना हो या नारी,,,,।

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रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था पजामे में पूरी तरह से बवंडर सा उठ रहा था,,। वह अपनी मां की गांड को अपने हाथों से दबाते हुए उसकी मालिश करना चाहता था,,, लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,,अपनी उत्तेजना पर वह बिल्कुल भी काबू नहीं कर पा रहा था इसलिए वह अपनी उंगलियों को धीरे धीरे ऊपर की तरफ जब ले जाता तो पेटिकोट की किनारी से अंदर सरका देता,,, और नीचे की तरफ लाता तो पेटिकोट की किनारी से अपनी ऊंगलियों को अंदर सरकार देता जिससे उसे अपनी मां के नितंबो के उठाव का अहसास होने लगता था,,,, ज्यादा कुछ ना करते हुए भी इतने से ही रघु को बेहद उत्तेजना और आनंद का अनुभव हो रहा था,,,,,, रह रह कर वह अपनी मां की कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर जोर से दबा देता था मानो कि जैसे वह अपनी मां के साथ संभोग का वह उत्तेजना भरा पल महसूस कर रहा हो जिससे रघु कि ईस तरह की हरकत से कजरी के तन बदन में मीठा सा दर्द उठने लगता था और उसके मुंह से हल्की कराह भरी आह निकल जाती थी,,,,कजरी को इस बात का आभास तक नहीं था कि अपने बेटे से मालिश करवाने में उसे इतना ज्यादा आनंद आएगा,,,।


अब कैसा लग रहा है मा,,,(रघु अपनी मां की कमर पर हथेली से दबाव देते हुए बोला,,,)

आहहहहह,,,,बहुत अच्छा लग रहा है मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि तू इतनी अच्छी मालिश कर सकता है,,,,

मैं बहुत कुछ कर सकता हूं मां बस एक बार मौका दे कर देखो,,,,(रघु का इशारा दूसरी तरफ था जो कि उसकी मां उसके इशारे को अच्छी तरह से समझ रही थी)


और क्या क्या कर सकता है तू,,,,


वह सब काम कर सकता हूं जो एक मर्द को करना चाहिए,,,,(इस बार थोड़ा जोर से अपनी मां की कमर को हथेली में दबाते हुए बोला,,, अपनी बेटे की बातें सुनकर कजरी को मजा आ रहा था क्योंकि वह जानती थी कि उसका बेटा किस बारे में कह रहा है,,,,)


मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है तु सब कुछ कर सकता है,,,, समय आने पर तुझे वह सब करना पड़ेगा जो एक मर्द को करना चाहिए,,, अभी बस मालिश करके मेरे दर्द को दूर कर,,,,
(रखो अपनी मां के मुंह से कुछ और सुनना चाहता था लेकिन उसकी मां बात को बदल दी थी,,,)

अब कहां ज्यादा दर्द कर रहा है मां,,,,


यहां पीठ के ऊपरी भाग पर,,,(अपने हाथ को पीछे लाकर अपनी पीठ की तरफ उंगली करते हुए बोली,,, कजरी जानबूझकर अपनी पीठ की तरफ इशारा कर रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि इस तरफ उसका बेटा अच्छी तरह से मालिश नहीं कर पाएगा क्योंकि वह ब्लाउज पहनी हुई थी वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या करता है,,,,, अपनी मां की बात सुनकर रघु बोला,,)


ठीक है मैं अभी दर्द दूर कर देता हूं,,,,,(रघु भी यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां जिस जगह पर मालिश करने के लिए बोल रही है बिना ब्लाउज उतारे उस जगह की मालिश वह नहीं कर पाएगा,,,,,,अब उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था वह अपनी मां से ब्लाउज उतारने वाली बात कैसे कहे,,, वह इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था,,, बादलों की गड़गड़ाहट एकाएक बढ़ जा रही थी जिससे कजरी उसकी आवाज से चौक जाती थी बाहर तूफानी बारिश हो रही थी,,,, ऐसे में पूरा गांव नींद की आगोश में चला गया था लेकिन कजरी और रघु दोनों आस लगाए धीरे-धीरे अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे,,, कुछ देर तक उसी तरह से बैठे रहने पर कजरी बोली,,,)


क्या हुआ,,,, नहीं हो पाएगा क्या,,,,(कजरी की बात सुनकर रघु को ऐसा ही लग रहा था कि जैसे उसकी मां उसे उकसा रही है इसलिए रघु बोला,,,)


होगा कैसे नहीं,,,,,जो काम में एक बार हाथ में ले लेता हूं तो उसे पूरा किए बिना नहीं छोड़ता लेकिन इसमें एक दिक्कत है,,,,,


कैसी दिक्कत,,,,?


बिना ब्लाउज उतारे मालिश नहीं हो पाएगी,,,(रघु अपने मन की बात बोल दिया,,,केसरिया अपने बेटे की यह बात सुनकर मंद मंद मुस्कुराने लगी क्योंकि वह भी यही चाहती थी इसलिए वह बोली,,,)


फिर,,,,,


फिर क्या अपने ब्लाउज के बटन खोल कर ब्लाउज उतारो,,,,
(इस तरह की बात करने मात्र से रघु की हालत एकदम से खराब होने लगी वह इतने ज्यादा उत्तेजित हो गया कि मानो जैसे कि वह अपनी मां के साथ संभोग कर रहा हो और अपने बेटे की इस तरह की खुली बातें सुनकर कजरी की भी हालत खराब हो गई मानो कि जैसे वह उसके कपड़े उतारने के लिए बोल कर उसके साथ संभोग करना चाहता हो,,,,, कजरी की हालत खराब हो रही थी,, क्योंकि वह भी आतुर थी अपने बेटे की आंखों के सामने अपना ब्लाउज ऊतारने के लिए,,,,, इसलिए गहरी सांस ली और उठते हुए बोली,,,)

रुक जा उतारती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह धीरे से उठी,, और अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,, उसकी पीट रघु की तरफ थी,,, रघु चोर नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था उसकी मां धीरे-धीरे अपनी नाजुक उंगलियों को हरकत देते हुए अपनी खूबसूरत खजाने को उजागर करने अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,कजरी एक-एक करके धड़कते दिल के साथ अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी और बड़े ही कामुक नजरों से रघु अपनी मां की हरकत देख रहा था हालांकि वह आगे से सरकार को नहीं देख पा रहा था लेकिन उसे अपनी मां के दोनों हाथों की हरकते साफ पता चल रहा था कि वह कब अपनी ब्लाउज का कौन सा बटन खोल रही है,,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था अपने हाथों से अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और उसे उतारने लगी ब्लाउज को उतारते समय रघु की नजर जो भी हल्की सी नजर आ रहे हैं कजरी की चूची पर पड़ गई और उस मदहोश कर देने वाली रस से भरी हुई दशहरी आम की झलक भर देख कर रघु का लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया,,,,रघु का मन बहुत कर रहा था कि वहां से बढ़कर अपनी मां की दोनों चूचियों को अपने हाथों में भरकर लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत उसमें अभी नहीं थी,,, देखते ही देखते कजरी अपना ब्लाउज उतार कर अपने सिरहाने रख ली कमर के ऊपर सेवा पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी हालांकि पूरी तरह से अभी रघु अपनी मां के दशहरी आम को नहीं देख पा रहा था लेकिन उसके मन की लालच बढ़ती जा रही थी,,।
कजरी जानती कि किस तरह से उसका बेटा उसके दोनों चुचियों को नहीं देख पा रहा है और उसके मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही है लेकिन यही वह चाहती थी वह धीरे-धीरे अपने बेटे मे अपनी खूबसूरत बदन की मदहोशी भर देना चाहती थी,,, वह उसी तरह से लेट गई और बोली,,,)

अब ठीक है ना,,,,


हां मां अब बिल्कुल ठीक है,,,,(इतना कहने के साथ ही वह फिर से तेल से भरी कटोरी को उठा लिया और उसकी धार को अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ पर ऊपर से नीचे की तरफ गिराने लगा,,, कजरी की हालत खराब हो रही थी,,, लोगों की आंखों के सामने उसकी मां अधनंगी लेटी हुई थी,,, अपनी मां की खूबसूरत जिस्म की बनावट देखकर रघु के मुंह में पानी आ रहा था,,,,वह अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ पर अपनी दोनों हथेलियां ऊपर से नीचे घुमाना शुरू कर दिया,,,, लेकिन इस तरह से बैठे होने की वजह से,,, वो ठीक तरह से अपनी मां की मालिश नहीं कर पा रहा था,,,, इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,,।


मैं जिस तरह से बैठा हूं उस तरह से ठीक तरह से मालिश नहीं हो पा रही है तुम कहो तो,,,(इतना कहकर वो खामोश हो गया कजरी को बहुत मजा आ रहा था बरसात की तूफानी रात में वह पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी इसलिए वह अपने बेटे से बोली)

तुझे जैसा ठीक लगता है वैसा कर मुझे बस इस दर्द से निजात दिला,,,,
(फिर क्या था रघु पेटीकोट में कैसे अपनी मां की उभरी हुई गांड को देखकर,, अपनी एक टांग अपनी मां की गांड के उस पार ले जाते हुए घुटनों के बल बैठ गया अब उसके दोनों घुटने कजरी की गांड के इर्द-गिर्द थे,,,ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे वह अपनी मां की गांड पर सवार हो चुका हो कजरी को भी अपने बेटे की इस हरकत का आभास पूरी तरह से हो गया तो वह पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगी,, अब वह अपनी मां की पीठ की तरफ आ कर चुप कर दोनों हाथों से अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ पर दबाव देते हुए उसकी मालिश करना शुरू कर दिया,,, इस तरह से कजरी को भी बहुत मजा आ रहा था,,,, रघु की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी वह एक तरह से अपनी मां के जिस्म से खेल रहा था जिसमें कजरी को भी बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,, रघु जिस तरह से बैठा हुआ था उस तरह से उसकी मां की बड़ी बड़ी उभरी हुई गांड उसकी दोनों टांगों के ऊपरी सतह पर स्पर्श हो रही थी जिससे उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी कुछ देर तक वह अपनी मां के पीठ की मालिश करता रहा,,, और अपनी मां से बोला,,,।


अब बोलो कैसा लग रहा है,,,,


बहुत अच्छा बेटा बहुत अच्छा,,,,, मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि तू मालिश करने में इतना माहीर है,,,,
(कजरी एकदम से उन्मादीत स्वर में बोली,,, अपनी मां की संतुष्टि भरी बातें सुनकर रघु को भी संतुष्टि मिल रही थी इसलिए वह बोला,,,,)


रुको मा तुम्हारी टांगों की भी मालिश कर दु,,, खेतों में चल चल कर दुखने लगे होंगे,,,


हां तु सच कह रहा है,,, मेरे पैरों में भी दर्द हो रहा है,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मां टांगो के दर्द को भी दूर कर दूंगा,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह अपनी मां के पैरों की तरफ आ गया हालांकि बार-बार अपनी मां की गांड का हो रहा स्पर्श उसके तन बदन में उत्तेजना की आग और ज्यादा भढका चुका था,,, वह अपनी मां के पैरों के लग आकर अपने दोनों हाथों से अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ करने लगा अपने बेटे की इस हरकत पर कजरी पूरी तरह से सिहर उठी उसे लगने लगा था कि जैसे उसका बेटा उसकी सारी को कमर तक उठा देगा लेकिन उसकी धारणा गलत साबित हुई वह अपनी मां की साड़ी को केवल घुटनों तक लाकर उसी तरह से रोक दिया,,,,, अपनी मां की गोरी गोरी मांसल पिंडलियों को देखकर उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी,,, उसके पजामे में गदर मचा हुआ था,,, उत्तेजना की पराकाष्ठा क्या होती है यह ना तो रघु जानता था और ना ही कजरी दोनों केवल मजा ले रहे थे दोनों अपने-अपने नाजुक और कठोर अंगों में उत्तेजना के बवंडर को अच्छी तरह से महसूस कर रहे थे,,,,

अपनी हथेली में सरसों का तेल गिरा कर वह अपनी मां की पिंडलियों को दोनों हाथों से मालिश करने लगा बारी-बारी से वह अपनी मां की टांग पर मालिश करते हुए उसके पैरों को दबा रहा था,,,, कजरी अद्भुत सुख के एहसास से भर्ती चली जा रही थी वह समझ नहीं पा रही थी कि यह सब क्या हो रहा है उसे इस बात का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था कि मात्र मालिश करने में इतना अत्यधिक उत्तेजना और आनंद की अनुभूति उसके होगी वह पूरी तरह से गीली हो चुकी थी उसकी बुर बार-बार पानी छोड़ रही थी,,,उसका मन कर रहा था कि यह मालिश वालिश का बहाना छोड़ कर सीधे अपने बेटे को अपने ऊपर चढ़ा ले और उसके लंड को अपनी बुर में लेकर चुदाई का अद्भुत सुख भोग ले,,,, लेकिन नहीं सीधे-सीधे अपने बेटे को चोदने के लिए नहीं बोल सकती थी लेकिन फिर भी उसे जो वह कर रहे थे इसमें बहुत मजा आ रहा था वह जानती थी कि रास्ता भले ही टेढ़ा मेढ़ा चल रहा हो लेकिन मंजिल तक पहुंचेगी जरूर,,, इसी उम्मीद से वह अपने बेटे की हर हरकत का आनंद ले रही थी,,,,

रघु की सांसे बहक रही थी अपनी मां की पिंडलियों की मालिश करते हुए वह अपने दोनों हथेलियों को पिंडलियों के ऊपर की तरफ ले जा रहा था जैसे जैसे उसकी हथेली ऊपर की तरफ जा रही थी वैसे वैसे कजरी की सांसे बहकती चली जा रही थी ,,,रघु को अपनी हथेली में अपनी मां की गर्म जवानी का अहसास बड़ी अच्छी तरह से हो रहा था वह पूरी तरह से गर्म हो चुका था,,,,,, देखते ही देखते रघु अपनी दोनों हथेलियों को,,, अपनी मां की जांघों तक लेकर चला गया,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे होने लगी ऐसा लग रहा था कि जैसे रघु उसके साथ मनमानी कर रहा हो,, और कजरी उसे अपने बदन से मनमानी कर देने की इजाजत दे दी हो,,,,

आसमान में बादल का गरजना अभी भी चालू था यह बरसात की रात दोनों मां-बेटे के बीच एक नए रिश्ते को जन्म देने वाली थी,,,, ना तो कजरी अपने बेटे को आगे बढ़ने से रोक रहीं थी और ना ही रघु रुकना चाहता था,,, शायद इस समय हालात और बदन की जरूरत ही यहीं थी,,, रघु पूरी तरह से उत्तेजित अब वह मालिश करने की जगह उत्तेजना के चलते अपनी मां की मोटी मोटी जांघों को हथेली में भरकर दबा दे रहा था जिससे कजरी के तन बदन में सिरहन सी दौड़ जा रही थी,,, कजरी पेट के बल लेटी हुई थी,,, उसकी गदराई गांड रघु की आंखों के सामने थी जिसे देख कर रघु के मन में लालच उठ रही थी,,,,उत्तेजना के मारे रघु का गला सूख रहा था और वह बार-बार अपने थुक से अपने गले को गिला करने की कोशिश कर रहा था,,,,, रघु मालिश करने की जगह अपनी मां की जांघों को सहलाने लगा,,,, जिस जगह पर उसकी हथेलियां घूम रही थी वहां से उसकी उंगलियां कजरी के नितंबों के उभार के ऊपर थिरकन कर रही थी,,,रघु को इस बात का आभास था कि उसकी उंगली उसकी मां की गांड के ऊभरे हुए भाग के शुरुआत पर टिकी हुई थी,,,,,,,रघु इस हद से आगे गुजर जाना चाहता था लेकिन इससे पहले अपनी मां की सहमति जानना उसके लिए बेहद जरूरी था वैसे तो उसे इस बात का आभास हो गया था कि उसकी मां उसे पूरी तरह से खुला निमंत्रण दे चुकी है अपनी मदमस्त जवानी से खेलने के लिए लेकिन फिर भी वह अपनी मां की हमी चाहता था,,,, इसलिए वह अपनी मां की जांघों को सगलाते हुए बोला,,,।


अब कैसा लग रहा है मां,,,?



आहहह,,,,, बहुत अच्छा बेटा बहुत ही अच्छा तेरे हाथों में तो जादू है तेरा हाथ रखते मेरे बदन से दर्द दूर होता चला जा रहा है जहां जहां तेरा हाथ लग रहा है वहां दर्द का नामोनिशान नहीं,, है,,,आहहहहह,,, बस ऐसे ही ऐसे ही मालिश करता रहे मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,,,
(कजरी एकदम मादक स्वर में बोली,,, रघु अपनी मां की मादक स्वर को अच्छी तरह से पहचान रहा था क्योंकि इस तरह की बात अक्सर को वह पहले भी कई बार सुन चुका था पहली बार हलवाई की बीवी के साथ उसे इस तरह की आवाज के बारे में ज्ञात हुआ और धीरे-धीरे जितनी भी औरतों के संगत में होगा आता क्या सबके साथ ऐसे कामुक छाया में औरतों की आवाज की क्या स्थिति होती है भाई भली-भांति जाने लगा इसलिए उसे पूरी तरह से एहसास हो चुका था कि उसकी हरकत से उसकी मां पूरी तरह से मस्त हो चुकी है अब वह कुछ भी करेगा उसकी मां कुछ नहीं बोलेगी वैसे भी अपनी मां की तरफ से संतुष्टि भरे आदेश को प्राप्त कर चुका था इसलिए रघु एक पल भी देखना लगाते हुए अपनी उंगलियों को दोनों जांघों के बीच ले जाने लगा जैसे जैसे उसकी उंगली आगे बढ़ने की वैसे वैसे कजरी के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से समझ रही थी कि उसकी उंगली किस दिशा में आगे बढ़ रही है और देखते ही देखते रघु को अपनी उंगली पर अपनी मां की बुर के रेसमी बालों का एहसास होने लगा और ऐसा होते ही रघु के खड़े लंड से मादक तरल पदार्थ नीचे चु गया,,, यह साफ तौर पर अपनी मां की मदद से जवानी के आगे घुटने टेक देने का आगाज़ था रघु को इस बात का डर था कि उसका उसकी मां की बुर में गए बिना ही कहीं पानी ना छोड़ दे,,,,लेकिन रघु इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं था और बात अच्छी तरह से जानता था कि जितनी भी औरतों के साथ हो चुदाई का शुभ हो चुका है उनकी जवानी से कह चुका है उन सब में सबसे अद्भुत और बेहद कमनीय काया की मालकिन उसकी मां थी,,,,, वो जानता था कि उसकी मां की गांड को साड़ी में देखने के बावजूद भी कितने लोगों का पानी निकल जाता है अगर वह किसी के सामने अगर अपने वस्त्र उतारकर नंगी हो जाए तो भी सामने वाला चोदे बिना ही अपने घुटने टेक देगा,,, लेकिन यह रघु की सूझबूझ और इसकी मर्दाना ताकत का असर ही था कि अब तक वह अपनी मां के खूबसूरत बदन से खेलने के बावजूद भी,,टिका हुआ था उसके लिए पानी नहीं छोड़ा था हालांकि कई बार वहां अपने आप को कमजोर होता है मैं सोच कर चुका था लेकिन हिम्मत नहीं आ रहा था अपनी मां की खूबसूरत सेनानी को पूरी तरह से संतुष्ट कर देना चाहता था ना कि अपनी मां को संतुष्ट किए बिना ढेर होना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां उससे बहुत ज्यादा उम्मीद लगाए हुए है और वह अपनी मां की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहता था,,, इसलिए जैसे ही उसे अपनी मां की बुर के ऊपर उगे हुए रेशमी बालों का एहसास अपनी उंगलियों पर हुआ वह पूरी तरह से सचेत हो गया क्योंकि वह बेहद नाजुक घड़ी थी,,, इसी पल मेंबहुत से लोग अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाती और पानी छोड़ देते हैं इसलिए रघु अपने आप को पूरी तरह से संभाल चुका था लेकिन कजरी ऐसे नाजुक मौके पर पूरी तरह से बहक गई थीक्योंकि उसे साफ तौर पर महसूस हो रहा था कि उसके बुर के बाल उसके बेटे की उंगली से ही स्पर्श हो रहे हैं और इसी उत्तेजना के चलते अपने मन पर काबू नहीं कर पाई और उसकी बुर पानी छोड़ दी,,,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,, रघु को अपनी उंगलियों पर अपनी मां के मदन रस का फुहार पडता हुआ महसूस हुआ,,, और उसकी गहरी चल रही सांसो को देखकर रघु को समझते देर नहीं लगी कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां की बुर ने पानी छोड़ दि है,,, रघु की भी हालत एकदम से खराब हो गई उसे अपना लंड फटने की स्थिति में महसूस होने लगा,,,
अद्भुत और अवर्णनीय दृश्य कमरे के अंदर का होता जा रहा था बाहर का माहौल पूरी तूफानी बारिश से झूम रहा था तेज ठंडी हवाएं सरररररर सररररररर करके वातावरण को और भी ज्यादा ठंडा बना रही थी लेकिन कमरे के अंदर का दृश्य और वातावरण पूरी तरह से गर्म था,,, रघू अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी से खेल रहा था,,,,,,, रघु की भी सांसें उखड़ रही थी अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी को पूरी तरह से अपने बस में कर लेना चाहता था कजरी भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा उसकी मालिश नहीं कर रहा है बल्कि उसके बदन से खेल रहा है,,, और उसे भी इस खेल में मजा आ रहा था,,,,
रघु अभी तक अपनी उंगलियों को अपने हाथ को अपनी मां की जांघों के बीच में से बाहर नहीं खींचा था उसे तो मजा आ रहा था वह अपनी उंगली को गोल गोल घुमा रहा था अपनी मां के रेशमी बालों के इर्द-गिर्द हालांकि अभी तक वह अपनी उंगली से अपनी मां की बुर को स्पर्श तक नहीं किया था,,, लेकिन अपनी मां की बुर की गर्मी उसे अपनी उंगली पर महसूस हो रही थी,,,,, अपनी मां के बदन में हो रही हलचल को वह अच्छी तरह से महसूस कर रहा था,,,, वह ईस खेल में और आगे बढ़ना चाहता था,,, पेटिकोट जागो तक चढ़ी हुई थी,,, पेटिकोट के अंदर रघू का हाथ था,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपनी मां की बुर को अपनी उंगली से स्पर्श करना चाहता था उसे छूना चाहता लेकिन ना जाने क्यों वह रुका हुआ था शायद वह इससे आगे बढ़ने से पहले अपनी मां की ईच्छा जान लेना चाहता था,,, इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,।


अब कैसा लग रहा है ना,,,(गहरी सांस लेते हुए वह बोला,,,अपने बेटे की यह बात सुनकर कचरी को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे के सवाल का जवाब दे कि नहीं क्योंकि उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन जवाब देने में उसे शर्म आ रही थी लेकिन फिर भी उसे कुछ तो बोलना था और वैसे भी उसकी इच्छा आगे बढ़ने को कर रही थी वह यही अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा इसे आगे बढ़कर कोई और हरकत करें इसलिए वह मादक स्वर में बोली,,,)


सससहहहहह,,,,आहहहहहहह,,,, बहुत राहत मिल रही है बेटा तेरी इस तरह की मालिस तो मेरे बदन के सारे दर्द को दूर कर देगी,,,


तो क्या रहने दो या और करु मालिश,,,,,(अपनी मां की इच्छा जानने का रघु के पास इससे अच्छा और कोई सवाल नहीं था,,,)

करता रहे बेटा,,, ऐसे ही करता रे,,, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है,,, मालिश करना बंद मत करना तेरे हाथों में जादू है,,,
(अपनी मां की तरह की बातें सुनकर रघु खुश होता हुआ बोला)



ठीक है मां,,,,आज भी तुम्हारा सारा दुख सारी तकलीफ दूर कर दूंगा अब देखो मेरे हाथ का कमाल,,,,
(ऐसा कहते हुए रघु उसी तरह से अपनी उंगली को अपनी मां की बुर के बाल पर घुमाता रहा,,, कजरी के तन बदन में अजीब सी सिरहन दौड़ जा रही थी बार-बार वह सोच रही थी कि अब उसका बेटा अपनी उंगली उसकी बुर में छुआएगा,,,, लेकिन रघु अपनी मां को और ज्यादा तड़पाना चाहता था इसलिए वह अपनी उंगली को कजरी की बुर से स्पर्श नहीं कर रहा था बस उसके इर्द-गिर्द ले जाकर वापस खींच ले रहा था कजरी की बुर बहुत पानी छोड़ रही थी इतना तो वह जवानी के दिनों में नहीं छोड़ती थी,,,, अपनी मां के तरफ से पूरी तरह से स्वीकृति पाते ही रघु को मनमानी करने का पूरा अधिकार मिल गया था इसलिए वह,,,,,, दोनों हाथ बाहर निकाल कर अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ सरका ने लगे अपने बेटे की इस हरकत पर कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि मैं जानती थी कि आप उसका बेटा उसकी गांड को एकदम नंगी कर देगा और ऐसा ही हुआ रघू धीरे-धीरे अपनी मां की साड़ी ऊपर की तरफ उठाने लगा जैसे जैसे रघू की आंखों के सामने कजरी की मदमस्त गांड का उभार नजर आता जा रहा था वैसे वैसे रघु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, कजरी की शाडी उसके नितंबों के आधे तक ही आई थी कि उसकी जांघों के नीचे दबी हुई साड़ी ऊपर की तरफ नहीं हो पा रही थी यह बात कजरी को भी अच्छी तरह से पता थी,,, कजरी चाहती तो थोड़ा सा अपनी जांघों को ऊपर की तरफ करकेसाड़ी कमर तक उठाने में रघु का सहयोग कर सकती थी लेकिन ना जाने क्यों उसे इस समय एकदम शर्म आ रही थी ,,वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,, आखिरकार शर्म आती क्यों नहीं उसका बेटा जो उसके कपड़े उतार कर उसे नंगी कर रहा था,,,।
लेकिन रघू के लिए पर्याप्त था,,, रघुअपनी मां को यह जताना चाहता था कि वह उसकी मालिश करने के लिए ही उसकी साड़ी को कमर तक उठाया है,,, इसलिए कटोरी उठाकर उसकी तेजधार को अपनी मां की गांड के बीचो बीच उसकी फांकों पर गिराने लगा,,,कजरी की हालत खराब होती जा रही थी अपने बेटे की हरकत से वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी शर्म के मारे और उत्तेजना के मारे उसके गोरे गोरे गाल टमाटर की तरह लाल हो चुके थे रघु ढेर सारा तेल उसकी गांड पर गिरा कर कटोरी को नीचे रख दिया और अपने दोनों हाथों से उसकी गांड की मालिश करना शुरू कर दिया ढेर सारा तेल की गांड की दरार से होता हुआ उसकी बुर की गुलाबी फांको के बीचो-बीच इकट्ठा हो रही थी,,, जोकि रघु के लिए ही राहत वाली बात थी इससे तेल की चिकनाहट पाकर रघु का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से उसकी मां की बुर में जा सकता था,,,
अपने बेटे के मजबूत हथेलियों को अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसूस करते ही कजरी के तन बदन में आग लग गई,,,वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसकी मालिश करेगा और इस तरह से करेगा कि वह पानी पानी हो जाएगी,,, रघु की हालत खराब थी वह अपनी मां की मोटी मोटी जांघों के इर्द-गिर्द अपना घुटना टीका कर एक तरह से अपनी मां के ऊपर बैठकर उसकी मालिश कर रहा था बड़ी बड़ी गांड को अपनी हथेलियों में जितना हो सकता था उतना लेकर वह जोर-जोर से दबाते हुए मालिश कर रहा था उत्तेजना के मारे रघु के भी गाल लाल हो चुकी थी,,,,,,रघु ने अब तक जितनी भी औरतों के साथ समय गुजारा था उन सब में सबसे ज्यादा अत्यधिक उत्तेजना का एहसास उसे अपनी मां के साथ आ रहा था बार-बार उसे ऐसा लग रहा था कि उसका लंड पानी फेंक देगा,,, बड़ी मुश्किल से वह अपनी मर्दाना ताकत के केंद्र बिंदु को संभाले हुए था,,,,,,

वातावरण और भी ज्यादा तूफानी होता जा रहा था बाहर और तेज हवाएं चल रही थी तूफान आ रहा था बरसात अपने जोरों पर थी बादलों की गड़गड़ाहट से पूरा वातावरण रह रह कर भयानक हो जा रहा था,,,, पूरा गांव नींद की आगोश में था लेकिन दोनों मां बेटे की आंखों से नींद कोसों दूर थी,,। दोनों के दिल की धड़कन बहक रही थी,, सांसो का उतार-चढ़ाव जारी था,,। ऐसे में रघू अपनी मंजिल पाने के लिए टेढ़े मेढ़े रास्तों से गुजर रहा था जिसमें उसे मजा भी आ रहा था वह बार-बार अपनी मां की गांव की दोनों आंखों को अपने दोनों हथेली में भरकर एक दूसरे से जुदा करते हुए जोर जोर से मालिश कर रहा था,,,, कजरी अत्यधिक उत्तेजना से भर्ती चली जा रही थी,,,, बार-बार उसकी बुर पानी पी रही थी वह खुद हैरान थी कि उसकी बुर में कितना पानी है इतना तो वह पेशाब करते समय पानी नहीं छोड़ती थी जितना कि मदहोश होकर छोड़ रही थी,,,
रघु का लंड बवाल मचाने को तैयार था,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे अपने काम की चीज की खुशबू मिल गई हो और उस खुशबू के अंदर समा जाने के लिए पैजामा फाड़ कर बाहर आ जाएगा,,,, लेकिन किसी तरह से रघू संभाले हुए था,,,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था बाहर इतनी तेज हवा चल रही थी कि हवा के झोंके से अंदर वाले कमरे का पर्दा लहरा उठता था,,, लेकिन ऐसी तूफानी बारिश में किसी भी कभी देखे जाने का अंदेशा बिल्कुल भी नहीं था दोनों पूरी तरह से मुक्त थे क्योंकि शालू अपने ससुराल में थी और इस समय पूरे घर में केवल रघू और उसकी मां ही थी,,,, कजरी अपने मन में इस बात के लिए बार-बार धन्यवाद दे रही थी कि इस समय शालू घर पर नहीं थी वरना इस तरह का अनमोल मदहोशी से भरा हुआ पल वह नहीं गुजर पाती,,,,

रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था और आगे चलने को मचल रहा था इसलिए रघु इस बार अपनी वाली को मालिश करने के बहाने अपनी मां की गांड की दोनों फांकों के बीच की गहरी दरार में उंगली डालकर ऊपर से नीचे तक मालिश करने की मन में ठान लिया,,, पर मालिश करते हुए वह गांड की गहरी दरार में अपनी उंगली डालकर नीचे की तरफ लाने लगा,,, कजरी की संपूर्ण गांड सरसों के तेल से डूबी हुई थी इसलिए बड़े आराम से रघु की उंगली दरार में फिसल रही थी जैसे ही रघु की बीच वाली उंगली कजरी के गांड के भूरे रंग के छेद के ऊपर पहुंची,,, कजरी के संपूर्ण बदन में सिरहन सी दौड़ गई,,, रघु को गांड की गहराई कुछ ज्यादा ही थीइसलिए उसे अपनी मां की गांड का छेद तो दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन उसे इस बात का अहसास पूरी तरह से था कि जिस जगह पर वह अपनी उंगली रखे हुए हैं वह उसकी मां की गांड का छेद इस बात से इस अहसास से रघु की पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,, रघु की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वह अपनी उंगली को अपनी मां की गांड के छेद से हटा नहीं रहा था वह अपनी मां की गांड के छेद में उंगली डालना चाहता था इसलिए अपनी उंगली का दबाव अपनी मां की गांड के छोटे से छेद पर बढ़ाने लगा,,, अपने बेटे की हरकत की वजह से कजरी पूरी तरह से पानी पानी हो रही थी उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसका बेटा अपनी उंगली को उसकी गांड के छेद में रहना चाहता है उसके तन बदन में अजीब सी हलचल सी हो रही थी कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, ना चाहते हुए भी उसके कमर के नीचे वाले भाग में कसमस आहट होने लगी तो रघु मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी उंगली को नीचे की तरफ ला दिया,,, और गांड के छेद के ठीक नीचे उत्तेजना का केंद्रीय बिंदु थी कजरी की बुर रघु पूरी तरह से मचल उठा जैसे ही उसकी बीच वाली उंगली अपनी मां की बुर पर स्पर्श हुई,,,,,,, वैसे ही रघु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी और एक बार और अपनी बेटी की उंगली का स्पर्श अपनी बुर पर महसूस होते ही कश्मीर की दूर अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पाई और फिर से पानी की पिचकारी फेंक दी,,,, जिंदगी में पहली बार कजरी की बुर बार-बार पानी फेंक रही थी,,, अपनी मां के भजन रस की पिचकारी उसे अपनी उंगली पर महसूस हुई थी और वह तुरंत अपनी उंगली को थोड़ा सा और ज्यादा दबाव देते हुए अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों के बीचो-बीच रगड़ने लगा,,,, कजरी के लिए यह उत्तेजना असहनीय था ना चाहते हुए भी उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,।

सससहहहहह,,,, आहहहहहहह,,,,,,,
(अपनी मां के मुंह से निकल रहे गर्म सिसकारी की आवाज सुनते ही रघु बोला)


क्या हुआ मां अब कैसा लग रहा है,,,,,(अपनी मां की बुर की पतली दरार को अपनी उंगली से रगडते हुए बोला,,,,)


बहुत मजा आ रहा है,,,,(इस बार उत्तेजित अवस्था में अच्छा लगने की जगह से मजा आ रहा है निकल गया था,,, मजा शब्द अपनी मां के मुंह से सुनते ही रघु के चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ नजर आने लगी उसकी हरकत से उसकी मां पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी क्योंकि वह मालिश का नहीं बल्कि काम क्रीड़ा का आनंद ले रही थी,,,, लालटेन की पीली रोशनी पूरे कमरे में फैली हुई थी लेकिन मोटी मोटी जांघों की गहराई के बीच छिपी हुई गुलाबी छेद तक लालटेन की पीली रोशनी नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए रघु को अपनी मां की बुर देखने में दिक्कत हो रही थी ऐसा नहीं था कि वह बुरके दर्शन ना किया हो,,, उसने ना जाने कितनी औरतों की बुर के दर्शन कर चुके थे,,, और खेतों में पेशाब करते हुए अपनी मां की बुर की भी दर्शन कर चुका था लेकिन नजदीक से देखने का मौका नहीं मिला था आज उसके पास पूरा मौका था अपनी मां की बुर को एकदम नजदीक से देखने के लिए लेकिन लालटेन की रोशनी उसकी बुर के करीब पहुंच नहीं पा रही थी,,,, इसलिए वह अपनी हथेली को अपनी मां की जांघों के बीच से खींचता हुआ अपनी बीच वाली उंगली को अपनी नाक के पास जाकर उसकी मदहोश कर देने वाली खुशबू को पूरी तरह से अपने अंदर खींच लिया जिससे उसकी उत्तेजना में चार चांद लग गया पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और अपनी मां से बोला,,,,,।


पीठ के बल हो जाओ मा आगे से भी अच्छी तरह से मालिश कर दुं,,,,(अपनी बहकती हुई सांसो को दुरुस्त करते हुए बोला,,,, अपने बेटे की बातें सुनकर कजरी को शर्म आने लगी हालांकि वह भी अच्छी तरह से अपनी बुर को अपने बेटे की आंखों के सामने परोस ना चाहती थी लेकिन ना जाने क्यों इस समय उसे शर्म आ रही थी,,,, कुछ देर तक तो ऐसा लगा कि जैसे वह तेरे को की बातें सुन ही नहीं पाई तो रघु फिर से बोला,,,)

क्या हुआ पीठ के बल घूम जाओ ना,,,,


मुझे शर्म आती है,,,,


इसमें कौन सी शर्म,,,, मालिश ही तो करना है,,,, और मैं तुमसे वादा कर चुका हूं कि आज तुम्हारे बदन का पूरा दर्द निकाल दूंगा,,,,


लेकिन फिर भी तेरी आंखों के सामने नंगी,,,,,,, मुझे शर्म आती है,,,।


शरमाओ मत मा वैसे भी यहां पर हम दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं है,,,,,, इसमें शर्माने वाली कोई बात नहीं है,,, वैसे भी तो मैं तुम्हारी गांड की मालिश कर ही चुका हूं,,,
( रघु जानबूझकर अपनी मां के सामने गांड शब्द का प्रयोग करते हुए बोला क्योंकि वह धीरे-धीरे खोलना चाहता था और अपनी मां को भी संपूर्ण रूप से मुक्त करना चाहता था ताकि वह शर्म के बंधन से मुक्त हो चुके,,,, और अंदर ही अंदर कजरी भी यही चाहती थी इस बात का आभास उसे अच्छी तरह से था की शर्म के बंधन को तोड़कर ही जीवन का असली मजा ले सकती है,,। अपने बेटे की बातें सुनकर हुआ कुछ देर तक सोचती रही उसके अंदर उत्तेजना का बवंडर उठ रहा था जिस पर उसका काबू बिल्कुल भी नहीं था,,,,,,, बाहर हो रही तेज बारिश की आवाज उसके तन बदन में उत्तेजना की निरंतर वृद्धि कर रहे थे उसके संपूर्ण बदन में मदहोशी छाई हुई थी,,, सांसों की गति बढ़ती जा रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि जो उसका बेटा कह रहा है ऐसा करने पर उसके बदन का हर एक हिस्सा उसके बेटे की आंखों के सामने पूरी तरह से नंगा हो जाएगा,,, कजरी यह सोच सोच के सिहर उठ रही थी किपीठ के बल हो जाने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां और उसकी सबसे बेशकीमती खजाना उसकी बुर उसके बेटे के सामने एकदम नंगी हो जाएगी,,,,उसके तन बदन में अजीब सी उत्सुकता बढ़ने लगी थी कुछ समय बीतने के बाद रघु फिर से बोला,,,,)


क्या सोच रही हो मां लगता है तुम्हें मालिश नहीं करवाना है,,,
(अपने बेटे की यह बात सुनकर कजरी बोली कुछ नहीं लेकिन उसकी आंखों के सामने ही करवट बदलने लगी उसकी हालत खराब हो रही थी और रघु के दिल में हलचल बढ़ने लगी थी देखते ही देखते कजरी शर्म के मारे अपनी आंखों को बंद करके पीठ के बल लेट गई,,,, और उसके इस तरह से लेटने से रघु की उत्तेजना में एकाएत वृद्धि हो गई,,, अपनी मां की नंगी चूचियां देखकर उसकी आंखों की चमक बढ़ गई,,,,उसकी नजर अपनी मां की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार पड़ गई जिस पर झांटों का झुरमुट ऊगा हुआ था,, उसे देखते ही रघु के लंड ने अपनी मां की जवानी को सलामी देते हुए ऊपर नीचे होने लगा,,,,,,,रघु की सांसों की गति पर रघू का बिल्कुल भी काबू नहीं था वह पूरी तरह से बहक चुकी थी,, रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी मां की नंगे बदन के कौन से अंग को देखकर पूरी तरह से संतुष्ट हो जाए क्योंकि कचरी की खूबसूरती बेमिसाल है और रघु अपनी मां की खूबसूरती को अच्छी तरह से पहचानता था लेकिन आज पहली बार अपनी आंखों के सामने अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख रहा था हालांकि कमर के इर्द गिर्द अभी भी पेटीकोट लिपटी हुई थी,, लेकिन वह सब कुछ साफ नजर आ रहा था जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द मचलता रहता है,,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, वह अपने नजरों को दूसरी तरफ पैर कर उस पर अपना हाथ रख ली थी इस अवस्था में अपनी बेटे के सामने पूरी तरह से शर्मा रही थी,,,,,, सांसो के उतार-चढ़ाव के साथ साथ उसकी मदमस्त खरबूजे जैसी चूचियां भी पानी भरे गुब्बारे की तरह छातियों पर लहरा रही थी,,,,,, रघु की आंखें फटी की फटी रह गई थी बार बार उसकी नजर कभी अपनी मां की चूचियों पर तो कभी उसकी मद भरी रसीली बुर पर चली जा रही थी,,,,
रघु को साफ नजर आ रहा था कि उसकी मां की बुर कचोरी की तरह फूल चुकी थी,,, उसका मन बार-बार अपनी मां की बुर को हथेली में भरकर दबाने को कर रहा था उसमें जीभ डालकर उसके मदन रस को चाटने का मन कर रहा था,,,,
बादलों की गड़गड़ाहट लगातार सुनाई दे रही थी,,, बारिश का जोर बिल्कुल भी कम नहीं हुआ था चारों तरफ पानी पानी हो गया था तेज चलती तूफानी हवा अंदर के कमरे के परदे को भी झकझोर कर रख दे रही थी कमरे में तूफानी हवा अपनी ठंडक को बिखेर रही थी लेकिन कजरी की मदमस्त गरमा गरम जवानी के आगे पल भर में घुटने टेक दे रही थी क्योंकि ऐसे मौसम में भी कजरी और रघु दोनों के माथे से पसीने की बूंदे उपस रही थी,,, जो की गवाही दे रही थी कि औरत की गर्म जिस्म के आगे बर्फ का पहाड़ भी पिघलने पर मजबूर हो जाता है,,,,,,

रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी मां के खूबसूरत बदन के साथ क्या करें,,, कजरी की हालत खराब थी कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह खटिया पर पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी मदमस्त खरबूजे जैसी चूचियां और उसकी दोनों टांगों के बीच की बेशकीमती खजाना अपने बेटे के सामने उजागर की हुई थी,,,तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस तरह से अपने बदन की नुमाइश अपने बेटे की आंखों के सामने करेगी,,, रघु भी खटिया पर बैठा हुआ था,,,,, कजरिया बात अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से वह लेटी हुई है,,, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां और बुर उसके बेटे की आंखों के सामने होगी और उसका बेटा उसकी दोनों मदमस्त खूबसूरत हम लोग को नजर भर कर देख रहा होगा इस बात का एहसास ही उसके तन बदन में आग लगा रहा था,,,, जिस तरह का एहसास कजरी के तन बदन में उसके मन में भर रहा था इस तरह का अनुभव उसे अपनी शादी की पहली रात में भी कभी नहीं हुआ था,,, रघू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच उसकी गुलाबी बुर के घुंघराले बाल काट के मदन रस से बनी मोती समान बूंद को देखकर बोला,,,।


वाह तुम बहुत खूबसूरत हो मां,,,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर कजरी हल्के से अपनी आंख खोलकर किसी नजरों से अपने बेटे की तरफ देखिए तो उसकी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच पाकर मदहोशी से एकदम से कसमसाने लगी,,,। लेकिन जवाब में कुछ बोल नहीं पाई कुछ बोलने के लिए उसके लब खुल नहीं रहे थे,,,, पर अपनी मां की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया का इंतजार किए बिना ही वह वापस कटोरी को उठाकर,,, तेल की धार को अपनी मां की चुचियों पर गिराते हुए बोला,,,)

आज देखना मैं ऐसी मालिश करूंगा कि फिर कभी जिंदगी में तुम्हारे बदन में दर्द नहीं उठेगा,,,(ऐसा कहते हो गए वहकटोरी से सरसों की धार को अपनी मां की दोनों चुचियों पर भारी बारिश गिराने लगा और उसे नीचे एक लकीर के रूप में गिराते हुए अपनी मां की गहरी नाभि में उस धार को छोड़ने लगा,,, कजरी की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी और देखते ही देखते कजरी की गहरी नाभि सरसों के तेल से पूरी तरह से लबालब भर गई उसके बाद रघु कटोरी को वापस खटिया के नीचे रख दिया,,,, आधी रात गुजर चुकी थी लेकिन दोनों को समय का बिल्कुल भी भान नहीं था दिनभर खेतों में कड़ी मेहनत के बावजूद भी ना तो कजरी के चेहरे पर थकान नजर आ रही थी और ना ही रघू के,,,
ऐसा लग रहा था कि मानो आज की रात दोनों जागकर ही बिताने वाले हैं,,,,,,

अपनी मां के दोनों दशहरी आम को देखकर रघु के मुंह में पानी आ रहा था अपनी मां की चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर दबाना चाहता था उसकी मालिश करना चाहता था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा करने पर उसकी मां की प्रतिक्रिया क्या होगी लेकिन उसे इतना तो विश्वास हो चुका था कि जिस तरह से दोनों के बीच शर्म का पर्दा धीरे धीरे उठता चला जा रहा है उसकी इस हरकत पर उसकी मां खामोशी रहेगी और उसकी हरकत का पूरी तरह से मजा लेगी ,, इसलिए रघूअपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर सीधे उसको अपनी मां की दोनों चुचियों पर रख दिया कजरी अपने बेटे की इस हरकत की वजह से पूरी तरह से सिहर उठी,,,,,कुछ सेकेंड तक रघु उसी तरह से अपनी मां की दोनों चूचियों को अपनी हथेली में भरे रहा उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी मां की सूचियों से वह कैसे आनंद ले,,,, अपने दिल की धड़कन पर उसका बिल्कुल भी काबू नहीं था सरसों का तेल सूचियों पर पूरी तरह से सन चुका था उत्तेजना के मारे रघु को अपनी हथेली में अपनी मां की चुचियों के निप्पल एकदम तनी हुई नजर आ रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे मूंगफली हो,,,वह अपनी मां की चूचियों को अपने हथेली में पकड़े हुए ही अपनी मां के चेहरे की तरफ देखने लगा जो कि उसका चेहरा पूरी तरह से शर्म से लाल हो चुका था लेकिन वह रघु की तरफ देखने की बिल्कुल भी हिम्मत नहीं कर पा रही थी लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,,,,रघु अपनी मां के चेहरे की तरफ देखते हुए धीरे-धीरे अपनी मां की चूचियों की गोलाई को अपनी हथेली में दबाना शुरू कर दिया कजरी को साफपता चल रहा था कि अब उसके बदन की मालिश नहीं बल्कि उसके बदन के साथ काम क्रीड़ा का खेल खेला जा रहा है लेकिन उसे भी बहुत मजा आ रहा था,,,,, अपनी मां की चूची को जोर जोर से दबाते हुए रघु गहरी गहरी सांस ले रहा था,,, उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी किसी भी पल ऐसा लगने लगता था कि उसका लंड पानी छोड़ देगा,,,,,
देखते ही देखते होते सेना के कारण कजरी की चुचियों के आकार में इजाफा होने लगा,,, रघु बड़ी शिद्दत से अपनी मां की दोनों चुचियों के साथ खेलना शुरू कर दिया था साथ में मालिश भी हो रही थी,,, जिस तरह से रघु अपनी मां की चूचियों को जोर जोर से दबा रहा था उसी से कजरी के बदन में दर्द हो रहा था लेकिन यह दर्द,,, दर्द कम मजा बहुत दे रहा था क्योंकि इस तरह की हरकत पर बदन में दर्द नहीं होता है और दर्द इस बात का निशानी होता है कि मजा बहुत आ रहा है,,,,,

अपने बेटे की हरकत की वजह से वहां अपने गर्म सिसकारी को बड़ी मुश्किल से रोक कर रखी थी लेकिन ज्यादा देर तक वह अपनी भावनाओं को काबू में नहीं कर पाई उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी निकलने लगी,,,।

सससहहहहह आहहहहहहह,,,,,आहहहहहहहह,,,ऊईईईईईईई,,, मां,,,,,,
(अपनी मां के मुंह से निकल रही गरम सिसकारी की आवाज को सुन कर रघु का मन खुशी से उछलने लगा,,, क्योंकि यह आवाज आवाज ना होकर रघू के लिए इशारा थी उसके आगे बढ़ने के लिए इसलिए बहुत जोर जोर से अपनी मां की दोनों चूचियों को सरसों के तेल से रगडते हुए बोला,,,)


कैसा लग रहा है मां,,,,,


सहहहहहहहह,,,,, पूछ मत मैं बता नहीं सकती,,,,, बस ऐसे ही दबाते रह,,,,,
(काम क्रीड़ा के आनंद में सरोबोर होकर कजरी के मुंह से दबाते रह निकल गया और अपने इस निकले हुए शब्द पर गौर करते ही कजरी शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि यह शब्द उसके मुंह से मदहोश होकर निकला था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उसकी आंखों में खुमारी छा चुकी थी और अपनी मां की यह बात सुनते ही,,, रघु का जोश और ज्यादा बढ़ गया,,, वह और जोश के साथ अपनी मां की दोनों चूचियों को दबाना शुरू कर दिया,,, अपनी मां की तपती हुई गर्मी को वह खुद सहन नहीं कर पा रहा था,,, खुद उसके मुंह से भी गर्म सिसकारी की आवाज निकल जा रही थी,,,,


तुम्हारे बहुत बड़े बड़े हैं,,,,


क्या,,,,?( कजरी मदहोश भरे स्वर में बोली)


तुम्हारी चूचियां,,,,


क्यों,,,,,?(कजरी गहरी सांस लेते हुए बोली,,,)

बहुत बड़े-बड़े है दोनों ठीक से मेरे हाथ में नहीं आ रहे है,,,,,



तुझे अच्छे नहीं लग रहे हैं क्या,,,,(कजरी उसी तरह से मादक स्वर में बोली हालांकि अभी तक वह अपने बेटे से नजर नहीं मिला रही थी वह दूसरी तरफ नजर फेर के ही बात कर रही थी,)


सच कहूं तो मुझे बहुत अच्छे लग रहे हैं,,,,(अपनी मां की बातें सुनकर रघु पूरी तरह से जो उसने कहा बार जोर से अपनी मां की चूची को दबा दिया जिससे कजरी के मुंह से आह निकल गई)

आहहहहह,,, क्या कर रहा है दर्द कर रहा है,,,,


दर्द को मिटाने के लिए ही तो जोर जोर से दबा रहा हूं,,,,


इतना भी जोर से मत दबा,,,,,कहीं ऐसा तो नहीं कि जोर जोर से दबाने में तुझे मजा आ रहा हो,,


कुछ कुछ ऐसा ही लग रहा है ना जाने मेरे बदन में क्या हो रहा है,,,,


अपने आप को संभाल कहीं गिला ना हो जाए,,,,


क्या गिला ना हो जाए,,,,

मममम,,, मेरा मतलब है कि कहीं तेरे पसीने ना छुट जाए,,,


मां तुम्हारा बेटा ऐसा वैसा नहीं है कि उसका पसीना छूट जाएगा बल्कि मैं अच्छे अच्छों का पसीना छुड़ा सकता हूं,,,


तभी तो मुझे तेरे ऊपर नाज है,,,

भरोसा रखो दर्द करेगा लेकिन जिंदगी में कभी दर्द भी नहीं होगा आज ऐसी तुम्हारी मालिश करूंगा,,,,(रघुअपनी मां की बातों को सुनकर एकदम मस्ती में आकर जोर-जोर से अपनी मां की चूची दबाते हुए बोला,,, कजरी को बहुत मजा आ रहा था पानी छोड़ने वाली बात करके वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी और यही हाल रघु का भी था अपनी मां के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था,,, उसके पजामे में भूचाल उठ रहा था,,,वह बार-बार अपने एक हाथ से अपने लंड को पजामे के अंदर बैठाने की कोशिश कर रहा था,,,,,, लेकिन वह पूरी तरह से लोहे के रोड की तरह अकड चुका था और यह तभी शांत रहने वाला था जब इसके अंदर की सारी गर्मी कजरी की बुर निचोड नाले,,,, रघु की नजर बार-बार अपनी मां की दोनों जनों के बीच चली जाती थी क्योंकि कजरी मदहोश होकर उत्तेजित अवस्था में अपनी दोनों जांघों को आपस में रगड़ रही थी,,,, रघु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी वह अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी मां के बदन में उन्माद बढ़ रहा है,,, उसकी मां की जवानी जंगली घोड़ी से कम नहीं थी जिसे काबू में करने के लिए अच्छा खासा हुनर की जरूरत थी,,, और रघु घोड़ी को कैसे काबू में किया जाता है यह अच्छी तरह से जानता था,,, अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाते हुए अपनी मां की नाभि के गड्ढे में भरे सरसों के तेल को अपनी उंगली से बाहर निकाल कर उसे अपनी मां के चिकने मांसल पेट पर फैलाने लगा,,, कजरी की सांस अटक रही थी इस तरह की उत्तेजना का अनुभव वह जिंदगी में पहली बार महसूस कर रही थी बार-बार उसकी सांसे बहक जा रही थी,,,, उसका बेटा इतना बड़ा खिलाड़ी होगा इस बात का अंदाजा उसे बिल्कुल भी नहीं था,,,,

रघु अपनी मां की गहरी नाभि में से सरसों के तेल को बाहर निकालकर पूरी तरह से पेट पर फैलाने लगा चुचियों से हाथ हटाते ही रघु दोनों हथेलियों को अपनी मां की चिकनी पेट पर फिराने लगा,,,,,, रघु को बहुत मजा आ रहा था चर्बी का नामोनिशान नहीं था एकदम चिकना पेट का और एकदम गोरा रघु के तन बदन में उत्तेजना के चिंगारी फूट रही थी वह बड़ी शिद्दत से अपनी मां के चिकने पेट पर अपना हाथ फिरा कर तेल लगा रहा था,,,, कजरी से रहा नहीं जा रहा था गहरी सांस से लेते हुए अपनी आंखों को बंद किए हुए थे बेहद खूबसूरत मदहोश कर देने वाला उन्मादक नजारा थालेकिन कजरी इस देश को अपनी आंखों से देखने में शर्म आ रही थी शायद मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते की दीवार अभी भी उसके अंदर बची हुई थी वह पूरी तरह से गीरी नहीं थी,,,,कुछ देर तक वह इसी तरह से अपनी मां के चिकने पेट पर अपनी दोनों हथेलियां फिर आता रहा और बार-बार कमर की तरफ लाकर उसे कस के दबोचता रहा जैसा कि एक मर्द औरत की चुदाई करते समय उसकी कमर को अपनी हथेली में लेकर दबाता है,,। अपनी मां के खूबसूरत बदन की मालिश करने में रघू अच्छा खासा समय व्यतीत कर चुका था,,,आधी रात से ज्यादा का समय हो गया था लेकिन नींद दोनों की आंखों में बिल्कुल भी नहीं थी,,,, रघु की आंखों में अब उसकी मां की बुर चमक रही थी जिस तरह से वह अपनी मां के संपूर्ण बदन से खेल रहा था अब उसकी बुर से खेलना चाहता था,,,।


अब कैसा लग रहा है मा,,,
(लेकिन इस बार वह कुछ बोली नहीं बस कह रही तेरी सांसे लेती रही शायद अब बोलने के लिए उसके पास शब्द नहीं बचे थे क्योंकि रघु ने जिस तरह की मालिश उसकी की थी वह बेहद अवर्णनीय थी ,,, अद्भुत थी जिसका कोई जोड़ नहीं था कचरी ने आज तक इस तरह की मालिश ना तो देखी थी और ना करवाई थी,,,अपने बेटे की इस कारीगरी पर वह बार-बार उसे दिल से दुआ दे रही थी,,,अपनी मां की तरफ से किसी भी प्रकार का जवाब ना आता देख कर रघु उसके हाव-भावऔर गहरी चल रही सांसो की गति से यह अनुमान लगा चुका था कि जो भी वह कर रहा है उसमें उसकी मां को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही है और आगे बढ़ने की अनुमति भी दे रही है इसलिए इशारों ही इशारों में अपनी मां की अनुमति पाते ही वहअपनी मां की दोनों टांगों के बीच मखमली बुर के तरफ अपना ध्यान केंद्रित करने लगा,,,,।

वह अपने फुगली को ऊपर की तरफ से अपनी मां की बुर की तरफ लाते हुए बोला,,,।


अब देखना मां अब मैं तुम्हारी ऐसी अद्भुत तरीके से मालिश करूंगा कि देखती रह जाओगी ना तो ऐसी मालिश किसी ने किया होगा और ना ही सोचा होगा,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा किस तरह की मालिश करने वाला है लेकिन इतना उसे मालूम था कि जो भी उसका बेटा करेगा उसने उसका ही भला होगा इसलिए मौन स्वीकृति धारण करते हुए वह अपने बेटे को आगे बढ़ने की इजाजत दे चुकी थी और इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए रघु अपनी उंगलियों को पेट की तरफ से अपनी मां की बुर की तरफ आगे बढ़ाने लगा और जैसे-जैसे उसकी उंगलियां बुर के ऊपर से होते हुए घुंघराले बालों से होते हुए नीचे की तरफ जा रही थी वैसे वैसे कजरी के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, और जैसे ही कजरी ने अपने बेटे की ऊंगली को अपनी बुर के ऊपरी सतह पर महसूस की वैसे ही उसके पूरे बदन में सिरहन सी दौड़ने लगी,,, और रघु खुद अपनी मां की बुर को उंगली से स्पर्श करते ही मदहोश हो गया,,,, अब उससे सबर करना नामुमकिन सा हो रहा था,,,, उससे आप एक पल भी ठहरा नहीं जा रहा था और यही हाल कजरी का भी बार-बार उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ रही थी,,, 4 बोतलों का नशा अपनी आंखों में लेकर रघु एक गहरी दृष्टि अपनी मां की रेशमी घुंघराले बालों से ढकी हुई बुर पर डाला,,, पर बिना कुछ सोचे समझे ही अपने प्यासे होठों को सीधे अपनी मां की कचोरी जैसे खुली हुई बुर पर रख दीयाऔर एक गहरी सांस लेकर उसमें से उठ नहीं पा तक खुशबू को अपने अंदर पूरा का पूरा उतार लिया,,, बेहद अतुल्य अद्भुत और मादकता से भरी हुई खुशबू कजरी की बुर से उठ रही थी आज तक इस तरह की खुशबू को उसने किसी भी औरत की बुर में महसूस नहीं किया था इसलिए वह मादक खुशबू सराब से भी ज्यादा असर करते हुए रघु के दिलो-दिमाग पर छा गया और वह पूरी तरह से उत्तेजित होकर अपनी जीभ को बाहर निकाल कर अपनी मां की गुलाबी बुर के ऊपरी सतह पर रख कर चाटना शुरू कर दिया पहले तो कजरी को कुछ पता ही नहीं चला लेकिन जैसे हीउसे अपनी पुर पर कुछ अजीब सा होता हुआ महसूस हुआ तो वह अपनी आंखों को बंद रख नहीं पाई और तुरंत अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच ले गई वहां का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,, उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था उसकी आंखों में चमक नजर आ रही थी उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,,

आसमान में बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज बढ़ती जा रही थी बारिश का जोर बढ़ता जा रहा था हवाए तेज चल रही थी,,,और तेज चलती हवाएं अंदर कमरे में पहुंचकर लालटेन को झकझोर दे रही थी जिससे लालटेन से उठ रही पीली रोशनी बहक सी जा रही थी,,,, रघु पूरी तरह से अपनी मां के ऊपर छा चुका था उसे कुछ भी सोचने समझने का मौका नहीं दिया था खटिया के पाटी पर बैठकर वह अपनी मां की बुर चाट रहा था कजरी ने आज तक इस तरह का नजारा ना देखी थी ना ही अपने पति के द्वारा इस तरह की हरकत का अनुभव लेते हुए मजा ली थी यह सब उसकी जिंदगी में पहली बार हो रहा था इसलिए पूरी तरह से हैरान थी उसे उसे तो यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसकी बुर को अपनी जीभ से चाट रहा है,,, एकाएक उसके बदन में सिरहन सी दौड़ने लगी थी,,,,,, कजरी अपनी बेटी को इस तरह की हरकत करने से रोकना चाहती थी और उसे रोकने के लिए अपने लबों को खोल ही थी कि रघु की जीभ उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में अंदर तक घुस गई,,,पल भर में अपने बेटे की सरकार से उसके तन बदन में इतना ज्यादा उत्तेजना और आनंद की अनुभूति होने लगी कि वह कुछ बोल नहीं पाए उसके लबों से एक भी शब्द फुट नहीं पाए और एक अद्भुत एहसास से उसकी आंखें बंद हो गई,,,, रघु जो चाहता था उसे मिल चुका था हालांकि मंजिल अभी भी प्राप्त नहीं हुई थी लेकिन नजर जरूर आ रही थी रास्ते एकदम आसान हो चुकी थी दोनों साथ मिलकर कर रहे थे मंजिल का मिलना एकदम तय था,,,, रघु पागलों की तरह अपनी मां की झांटों वाली बुर को चाट रहा था,,,, बुरके घुंघराले रेसमी बाल बार बार उसके मुंह में आ जा रहे थे,,, लेकिन उसकी मां की झांठ के बाल भी उसे बेहद आनंद दे रहे थे,,,,कुछ देर तक वहां खटिया के पाटी पर बैठकर ही अपनी मां की बुर को चाटता रहा,, हालांकि इस स्थिति में हुआ ठीक से अपनी मां की बुर की चटाई नहीं कर पा रहा था लेकिन वह अपना मुंह हटाना नहीं चाहता था क्योंकि वह पूरी तरह से अपनी मां को अपने बस में कर लेना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि अगर उसकी मां को उसका बुर चाटना अच्छा नहीं लगा तो ऐसा कभी नहीं करने देगी और रघु ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता था क्योंकि आज तक उसने बहुत सी औरतों और लड़कियों की बुर को चाटा था और जिसने उसे बेहद आनंद प्राप्त हुआ था लेकिन वह अपनी मां की चूत चाटना चाहता था उसके आनंद को प्राप्त करना चाहता था क्योंकि उसे इस बात का विश्वास था कि दूसरी औरतों से ज्यादा उसकी मां की बुर उसे ज्यादा मजा देगी,,,। और ऐसा हो भी रहा था जिस तरह कि मादक खुशबू और आनंद का अनुभव वह अपनी मां की बुर से प्राप्त कर रहा था ऐसा मजा उसे कभी भी प्राप्त नहीं हुआ था,,, उसके कानों में थोड़ी ही देर में उसकी मां की गर्म सिसकारी की आवाज सुनाई देने लगी,,,, उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे,,,, अब वह पूरी तरह से अपनी मां के साथ मनमानी कर सकता था,,,, इसलिए तुरंत खटिया के पाटी पर से हट कर वह अपनी मां की दोनों टांगों को अपने हाथों से फैलाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया,,, उसकी मां भी अपने बेटे का सहयोग करते हुए अपनी दोनों टांगों को जिस तरह से वह चाहता था उसी तरह से फैला ली,,, अपनी मां की दोनों टांगों को फैलाकर वह अपने दोनों हाथों से उसकी मोटी मोटी जांघों को थाम लिया और इस बार अपनी मां की बुर के ऊपर अपने होंठ रखने से पहले अपनी मां की तरफ देखा जो कि उसी को देख रही थी आपस में दोनों की नजरें टकराई और उसकी मां एकदम से मदहोश हो गई वह अपनी मां से पूछा,,,


अब कैसा लग रहा है मा,,,,(अपने बेटे का सवाल सुनकर कजरी कुछ बोली नहीं लेकिन शर्मा कर हंसते हुए दूसरी तरफ मुंह फेर ली उसकी हंसी बड़ी कातिल थी एकदम मादकता से भरी हुई रघु अपने उपर काबू नहीं कर पाया,,,और एक बार फिर से अपनी मां की फूली हुई बुर पर अपने होंठ रख कर चाटना शुरू कर दिया रघु को बहुत मजा आ रहा था धीरे-धीरे कजरी का भी डर और शर्म खुलता जा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था आनंद से भाव विभोर होती जा रही थी मदहोशी बढ़ती जा रही थी और मदहोशी में वह अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के सर पर रख ली,,, और अपने बेटे के सर को जोर से दबा के उसके मुंह को अपनी बुर पर दबाने लगी, इससे रघु का जोश और ज्यादा बढ़ गया और वहां पागलों की तरह अपनी मां की बुर को चाटना शुरू कर दिया उसकी बुर बार-बार पानी छोड़ रही थी,,,,
रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था किअपने लंड को उसकी फिर में जाने के लिए जगह बनाना बहुत जरूरी है इसलिए वह अपना एक उंगली डालकर उसे अंदर बाहर करने लगा क्योंकि उसे इस बात का पूरी तरह से जानता था कि वर्षों से उसकी मां चुदवाई नहीं है उंगली का तो नहीं जानता लेकिन उसकी मां किसी के लंड को अपनी बुर में नहीं चाहिए इस बात का विश्वास उसे गले तक था,इसलिए अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी मां की बुर में अच्छी तरह से डालने के लिए उसमें जगह बनाना जरूरी था,,, दूसरी तरफ कजरी पागल हुए जा रही थी,,,अपने बेटे की उंगली को अपनी बुर में अंदर बाहर होता महसूस करते ही उसके दिलो-दिमाग पर उत्तेजना पूरी तरह से सवार हो चुकी थी,,,

सससहहहहह,,, आहहहहह,,,,,ओह,,,,रघु,,,,,, यह क्या कर रहा है रे ओह मां,,,, मर गई,,,,, ससससहहहहह,,,,, आहहहहहहहहहहह,,,,,, हाय दइया यह क्या हो रहा है मुझे,,,,ओहहहह,,,,, रघु मेरे बेटे यह क्या कर रहा है तू,,,,

रघु अपनी मां को पूरी तरह से आनंदित कर दे रहा था वह लगातार अपनी मां की बुर चाट रहा था और उसमें उंगली अंदर बाहर कर रहा था रघु को बहुत मजा आ रहा था,,,, रघु का लंड फटने की स्थिति में आ चुका था,,,,, वह अपनी मां की बुर को तब तक चाटता रहा जब तक उसकी बुर से पानी नहीं फेंक दिया,,,, बस ऐसे ही उसकी पुर से मदन रस की पिचकारी बाहर निकली रघू उसे अमृत की धार समझकर जीभ से चाट गया,,,,,

कजरी की बुर एक बार फिर से झड़ चुकी थी,,,, वह पानी पानी हो गई थी लेकिन रघु अभी एक बार भी नहीं झड़ा था,,, लेकिन अब उसका लंड बगावत पर उतर आया रघु कुछ ऐसे इस बात का एहसास हो रहा था कि जैसे उसका लंड कह रहा हूं कि मुझे बाहर निकालकर बुर में डालो वरना मैं फट जाऊंगा,,, रघु भी अपने लंड की विवशता को अच्छी तरह से समझता था,,,क्योंकि घंटो गुजर गए थे और ऐसे हालात में उसने अभी तक अपने लंड को उसके महबूबा से मतलब कि उसकी बुर से मिलाया नहीं था,,, और उसका लंड अपनी बुर से जुदाई बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था,,,रुको धीरे से अपनी मां की दोनों टांगों के बीच से खड़ा हुआ और खटिया से नीचे उतर गया उसकी मां अभी भी अपनी दोनों टांगों को उसी तरह से फैलाई हुई थी,,, उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ नजर आ रहे थे लेकिन उस पर अभी अधूरापन था,,, खालीपन था जिसको भरना रघु अच्छी तरह से जानता था,,,।


यह कैसी मालिश थी बेटा मेरे बदन में मीठा-मीठा दर्द उठने लगा है,,,,(कजरी अपने बेटे की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए बोली हालांकि उसे अभी भी शर्म महसूस हो रही थी,,,लेकिन शायद उसे इस बात का आभास हो गया था कि उसे भी बेशर्म बनना पड़ेगा इसलिए तो अपनी दोनों टांगों को अभी भी उसी तरह से फैलाए हुए थी,, मदन रस से उसकी बुर और उसके बाल पूरी तरह से गीले हो चुके थे अपनी मां के सवाल का जवाब देते हुए रघु बोला,,,)


यह भी दूर हो जाएगा मां,,, लेकिन इसके लिए अभी खास मालिश बाकी है,,(अपने कुर्ते को उतार कर जमीन पर फेंकते हुए) लेकिन यह मालिश हाथों से नहीं होगी इसके लिए खास अंग का उपयोग करना पड़ेगा जो की पूरी तरह से तुम्हारे दर्द को दूर कर देगी,,,,


हाथों से नहीं होगी फिर किससे करेगा तु मालीश ,,,(कजरी अपने बेटे की आंखों में सवालिया नजरों से देखते हुए बोली,,, ओर रघू अपनी मां की बात सुनते ही अपने पजामे कोएक झटके में घुटनों तक खींच कर नीचे कर दिया और उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड हवा में लहराने लगा,,,, अपने बेटे के खड़े लंड को देखकर कजरी की सांस अटक गई,, और रघु अगले ही पल अपने पजामे को उतार कर जमीन पर नीचे फेंक दिया और अपने खड़े लंड को हाथ से पकड़ कर हीलाते हुए बोला,,,)



इससे अब आगे की मालिश इससे ही होगी यही तुम्हारे बदन के सारे दर्द को दूर कर पाएगा,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर और उसके खड़े लंड को ले जाता हुआ देखकर कजरी की आंखों में चमक आ गई उसकी बुर एक बार फिर से कचोरी की तरह फूलने पीचकने लगी,,,, उत्तेजना के मारे गला सूखने का का अपने बेटे के खड़े लंड को देखकर उसे इतना तो विश्वास हो गया था कि आज उसकी खैर नहीं है लेकिन फिर भी वह अपने आप को पूरी तरह से अपनी बेटे के हवाले कर चुकी थी,,,उसे विश्वास था कि उसका बेटा उसे मंजिल तक पहुंचा कर रहेगा उसे बीच राह पर अकेला नहीं छोड़ेगा,,,, लेकिन अपने बेटे के स्थिति को देखकर वह पूरी तरह से शर्म आ गई थी उसका बेटा पहली बार उसकी आंखों के सामने पूरी तरह से नंगा होकर अपनी खड़े लंड को दिखाकर अपनी मर्दाना ताकत की गवाही दे रहा था,,, रघूबेशर्मी की सारी हदों को पार कर देना चाहता था इसलिए अपनी मां की बुर में लंड डालने से पहले उसकी इजाजत लेना जरूरी समझ रहा था हालांकि वह इशारों ही इशारों में अपनी बुर को उसके हवाले कर चुकी थी लेकिन फिर भी उसका मन उसके मुंह से सुनने को हो रहा था इसलिए वह बोला,,,)

क्या मां तुम्हें मेरे मोटे लंड से मालिश करवाना मंजूर है या कहो तो नहीं करु,,,(बेशर्मी दिखाते हुए रघु अपने लैंड को हिलाते हुए बोला,,, भला एक मां के पास बेटे के ईस तरह के सवाल का जवाब कैसे हो सकता है,,, लेकिन फिर भी कजरी को इस बात का आभास हो चुका था कि स्वर्ग का आनंद लेना है तो बे शर्म बनना पड़ेगा इसलिए वह बोली,,)


तेरी मर्जी जो करना है करो मुझे तो बस इस दर्द से निजात पाना है,,,,
(दर्द से निजात पाने का मतलब रघु अच्छी तरह से समझ रहा था,,इसलिए मुस्कुराता हुआ एक बार फिर से खटिया पर चढ़ गया और अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आकर अपने लिए जगह बनाने लगा,,, बरसों के बाद कोई लंड कजरी की बुर में जाने के लिए तैयार था पर्वती किसी गैर मर्द का नहीं अपने खुद के सगे बेटे का इसलिए कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे पता नहीं चल रहा था कि आगे जो भी होगा कैसा होगा,,,बरसों से चुदाई के सुख से वंचित थी इसलिए बुर में लंड जाने का एहसास वह पूरी तरह से भूल चुकी थी,,, रघू पूरी तरह से तैयार था,, अपनी मां की बुर में लंड डालने के लिए वह ढेर सारा थूक अपनी हथेली पर लेकर उसे अपनी मां की बुर पर लगाने लगा क्योंकि कुछ देर पहले पूरी तरह से गीली हो चुकी बुर ,,,बुर की गर्मी से सूख चुकी थी,,,, रघूअपनी मां की तरफ देखा जो कि शर्मा कर दूसरी तरफ मुंह फेर कर लेटी हुई थी,,अपना दोनों हाथ अपनी मां के नितंबों के नीचे लाया और उसे पकड़कर खींचके अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,, रघूअपने लंड कै सुपाड़े को अपनी मां की गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख कर हल्कै से अंदर की तरफ ठेला,,,,लंड का सुपाड़ा कुछ ज्यादा ही मोटा था इसलिए थोड़ी दिक्कत आ रही थी लेकिन फिर भी रघु कहा हार मानने वाला था वह दोबारा कोशिश किया और इस बार बुर की चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा अंदर की तरफ सरकने लगा कजरी की हालत खराब हो रही थी एक नए सुख के एहसास से वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,
रघु बड़ी शिद्दत से अपने लंड को अपनी मां की बुर के छेद में डाल रहा था,,, और जैसे-जैसे लंडबुर की गहराई में उतर रहा था वैसे वैसे कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी देखते ही देखते रघु के लंड का पूरा सुपाड़ा बुर की गहराई में घुस गया,,,,

आहहहहह,,,,की आवाज के साथ कजरी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में स्वागत की रघु का पूरा लंड कजरी की बुर में समा चुका था कजरी को यकीन नहीं हो रहा था कि उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर की गहराई में घुस चुका है,,, अपनी तसल्ली के लिए अपने सिर उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगी तब जाकर उसे यकीन हुआ कि वाकई में उसकी बुर ने इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड अपनी बुर की गहराई में छुपा ली है,,,अपनी मां को इस तरह से नजरें उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच देखता हुआ पाकर रघु बोला,,,


क्या देख रही हो मां पूरा का पूरा घुस गया है,,,,,, अब देखना में तुम्हारी कैसी चुदाई करता हु
(अपने बेटे की बेशर्मी भरी बातें सुनकर कजरी एकदम से शर्मा गई लेकिन उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी जिसे देखकर रघु का जोश बढ गया और वह अपने लंड को बाहर की तरफ खींच कर वापस धक्का मारकर उसे बुर में घुसेड़ दिया,,,, एक बार फिर से कजरी के मुंह से आहहह निकल गई,,,,, फिर क्या था रघु अपनी कमर को हीलाना शुरू कर दिया,,, वह अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया था बरसों के बाद कजरी चुदवा रही थी यह एहसांस उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था,,,बरसों के बाद अपनी बुर में अपने ही बेटे का लंड लेकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से भर चुकी थी,,। रघु अपनी मां की दोनों जांघों को अपनी जांघों पर लेकर अपने लंड को उसकी बुर में अंदर-बाहर करते हुए उसको चोद रहा था,,,,,, अपनी मां को चोदने पर उसे देहात उत्तेजना और आनंद का अनुभव हो रहा था,,, देखते ही देखते रघु के धक्के तेज होने लगीउसके हर धक्के के साथ कजरी की बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह छाती पर लहरा जा रही थी खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी,,,।


बहुत मस्त बुर है मा तुम्हारी,,,आहहहहह मैं तो पागल हुए जा रहा हूं,,,, कितनी कसी हुईं बुर है,,, कभी किसी का डलवाई नहीं क्या,,,,

नहीं रे तेरे बाबूजी के देहांत के बाद से पूरी सूखी पड़ी है,,, आज पहली बार तेरा ही जा रहा है,,,,,,


ओहहहहह मेरी प्यारी मां कैसा लग रहा है तुम्हें मेरे लंड से चुदवाना,,,,


बहुत मजा आ रहा है ऐसा मजा तो तेरे बाबूजी भी नहीं दीए,,,
(कचरी भी शर्मा शर्मा कर मदहोश होते हुए अपने बेटे के सवाल का जवाब दे रही थी,,,)


आप चिंता मत करो मैं ऐसे ही तुम्हारी रोज चुदाई करूंगा तुम्हें वह सुख दूंगा जो बाबूजी कभी नहीं दे पाए,,,

ओहहहहह मेरा प्यारा बेटा ऐसे ही मुझसे प्यार करते रहना,,,


तुम चिंता मत करो ना मैं तुम्हें इतना प्यार दूंगा कि तुम बाबूजी को भूल जाओगी,,,(और इतना कहने के साथ ही रघुअपनी मां की दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से दबाते हुए अपनी कमर को धक्का देने लगा बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और बड़े आराम से अब लंड को अंदर बाहर ले रही थी उसमें से फच्च फच्च की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी,,, जांघों से जांघें टकराने का आवाज और ज्यादा मादकता फैला रहा था,,,
रखो पूरी ताकत लगाकर अपनी मां की चुचियों को जोर जोर से दबा रहा था,,,

बाहर बादलों का गरजना और तेज हो चुका था बरसात और आंधी दोनों तेज हो चुकी थी बाहर का माहौल पूरी तरह से डरावना था लेकिन अंदर का माहौल पूरी तरह से मादकता से भरा हुआ था मदहोश कर देने वाला था कजरी की गरम जवानी पीली रोशनी मे अपनी आभा बिखेर रही थी,,,।
दोनों मां बेटे एकदम नंगे होकर जवानी का मजा लूट रहे थे आधी रात से ज्यादा का समय बीत चुका था पूरा गांव नींद की आगोश में था लेकिन दोनों मां-बेटे मां बेटे के रिश्ते से आगे निकलकर मर्द और औरत का रिश्ता निभा रहे थे रघु चुदाई के खेल में पूरी तरह से मजा हुआ खिलाड़ी था इसलिए अपनी मां को पूरी तरह से संतुष्ट करते हुए उसे चोद रहा था और कजरी बरसों बादअपनी मदहोश कर देने वाली जवानी को अपने बेटे के हाथों में सौंप कर निश्चिंत होकर संतुष्टि के एहसास से भर्ती चली जा रही थी,,,
कचरी की सांसे तेज चलने लगी थी उसके चेहरे का रंग बदलते जा रहा था उसके चेहरे पर शर्म और उत्तेजना की लालिमा साफ नजर आ रही थी उसकी तेज चलती है सांसे को देखकर रघु समझ गया कि उसकी मां का पानी निकलने वाला है और वह अपने दोनों हाथों को उसकी दोनों पीठ की तरफ लाकर उसे अपनी बांहों में भरकर उसके ऊपर झुक गया और अपने होठों पर अपनी मां की गुलाबी होठों पर रखकर उसे चूसना शुरू कर दिया कजरी की जीवन का यह पहला चुंबन था जो उसका बेटा ले रहा था अपने बेटे के इस तरह के चुंबन से कजरी पूरी तरह से मस्त हो गई और शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी इतनी ज्यादा अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव अपने बदन में कर रही थी कि झड़ने से पहले ही उसकी बुर से पानी निकल रहा था,,,, कजरी का बदन अकड़ने लगा थारघु को औरत के झड़ने का एहसास अच्छी तरह से था इसलिए वह करके अपनी बाहों में उसे और ज्यादा दबोच लिया था और अपनी कमर बड़ी तेजी से हिलाना शुरू कर दिया था उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड बड़े आराम से उसकी मां की बुर में अंदर बाहर हो रहा था रघु के हर ठाप पर कजरी की आह निकल जा रही थी रघु की रफ्तार बढ़ती जा रही थी वह किसी इंजन सा चल रहा था और देखते ही देखते कजरी अपनी बाहों का कसाव रघु के ऊपर बढ़ाने लगी और अगले ही पल कजरी भला भला कर झढ़ने लगी,,, बरसों के बाद चुदवाई करवाते समय कजरी झढ़ी थी इसलिए यह एहसास उसकी जिंदगी का सबसे अनमोल एहसास था,,।

कजरी अपनी सांसो को दुरुस्त कर पाती उससे पहले काफी समय से अपनी उत्तेजना को काबू में कीए रहने की वजह से
रखो पहली बार ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया और दो-चार तेज झटकों के बाद वह भी झड़ गया,,, दोनों कुछ देर तक एक दूसरे की बाहों में उसी तरह से नंगे पड़े रहे,,,।

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Behtrin update hai...

Bur puri pani pani ho gai hai.
 
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