दूसरे दिन शालू ठीक समय पर आम की बगिया पर पहुंच गई,,, आपकी बगिया बिरजू का ही था,,, जहां पर एकदम नीरव शांति थी चारों तरफ हरियाली हे हरियाली और यहां पर दूसरा कोई आता भी नहीं था,,,, इसलिए बिरजू शालू को यहां मिलने के लिए बुलाया था वैसे तो पहले वह लोग नदी के किनारे झरने पर मिला करते थे लेकिन जिस दिन से वहां पर रघु पहुंच गया था तब से वह दोनों की मुलाकात हुई ही नहीं थी,,, और जब मुलाकात हुई तो बिरजू ने शालू को आम की बगिया पर ही बुलाया,,,, शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी आम की बगिया पर उन दोनों के सिवा तीसरा कोई नहीं होगा क्योंकि यह गांव से थोड़ा दूर भी था और अभी आम पके नहीं थे बस अभी-अभी डालियों पर आम लगना शुरू हुए थे इसलिए यहां पर किसी के भी आने का डर नहीं था,,,।
शालू को थोड़ी घबराहट हो रही थी क्योंकि मन के कोने में उसे यह डर रहता था कि कहीं बिरजू उसके साथ उल्टा सीधा ना कर दे लेकिन उसे अपने आप पर थोड़ा विश्वास भी था कि उसके पैर नहीं डगमगाएंगे लेकिन कुछ दिनों से शालू का धैर्य ऐसा लगता कि कभी भी खो जाएगा,,,। और दोनों बार उसके छोटे भाई रघु की ही वजह से हुआ था,,,।
पहली बार तो वह पूरी तरह से अपना आपा खो देखो तो बची थी क्योंकि नजारा ही उसकी आंखों के सामने इस तरह का आ गया था कि वह चाहकर भी अपनी नजरों को हटा नहीं पा रही थी जब वह अपने भाई को जगाने गई थी,, और यह भी सच था की शालू जिंदगी में पहली बार किसी के लंड को अपनी आंखों से देख रही थी,,,, सभी अपने ही छोटे भाई रघु का,,,, उस दिन अपने भाई के लंड चोदने की तरह जिस तरह की कसम साहब उत्तेजना और रुक सकता उसके तन बदन में हलचल मचा रहा था उस तरह का एहसास उसे कभी नहीं हुआ था उस दिन उसका मन अपनी भाई की लंड को अपने हाथ में पकड़ने के लिए मचल उठा था बड़ी मुश्किल से वह अपने आप को संभाले हुए थी,,,।
और दूसरी बात अब जब वहां नहा कर कमरे में अपने बालों को सवार रही थी और उस वक्त वह केवल अपनी कुर्ती पहने हुए थे सलवार नहीं पहनी थी और कब उसका भाई दरवाजे पर आकर उसे ना जाने कब से निहार रहा था इस बात का उसे पता तक नहीं चला जब उसने पीछे मुड़कर देखें तो वह कमर के नीचे के अपने नंगे पन को छुपाने की अफरातफरी में पूरी तरह से शर्मिंदा हो गई थी लेकिन यह बात उसे अंदर तक उत्तेजित कर गई थी कि उसका भाई उसके नंगे बदन को अपनी फटी आंखों से देख रहा था,,,,।
आज आज भी जब वह बिरजू से आम की बगिया में मिलने आई थी तो उसके मन में वही सब बातें चल रही थी,,,।
शालू दूर से देखी तो बिरजू बड़े पत्थर भी छोटे से गड्ढे में भरे पानी में कंकड फेंक रहा था,,
शालू दबे कदमों से उसकी तरफ जाने लगी क्योंकि जिस तरह से वह निश्चिंत होकर पत्थर पर बैठकर गड्ढे में कंकड़ फेंक रहा था शालू ऊसे डराना चाहती थी,,, और धीरे-धीरे जाकर वह बिरजू के कान के पास जोर से चिल्लाई वाकई में बिरजू एकदम से डरकर चिल्ला उठा,,,,। और उसे डरा सहमा देखकर शालू जोर जोर से हंसने लगी उसकी हंसी नहीं समा रही थी और उसको हंसता हुआ देखकर बिरजू को तो थोड़ा गुस्सा आया लेकिन उसकी खूबसूरत चेहरे को देखकर उसका गुस्सा हवा में फुर्र हो गया,,,,।
क्या यार शालू तुम भी,,,।
बिरजू तुम तो बच्चों की तरह डर गए ,,,(शालू हंसते हुए बोली) तुम इतना खो गए कि तुम्हें मेरे आने का एहसास तक नहीं हुआ,,,।
हां तुम सच कह रही हो मैं एकदम से खो गया था लेकिन तुम्हारे ख्यालों में तुम्हारे बारे में सोच रहा था,,,।
मेरे बारे में क्यों,,,? ( शालू भी उस बड़े पत्थर पर बिरजू के करीब बैठते हुए बोली,,,।)
क्योंकि मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,।
क्या समझ में नहीं आ रहा है,,,( शालू इस बार शांत स्वर में बोली)
यही कि हम दोनों का क्या होगा सच कह रहा हूं शालू,,,( बिरजू उसके दोनों कमरों को पकड़कर उसकी तरफ देखते हुए बोला,,,।) तुम अगर मुझे नहीं मिली तो मैं मर जाऊंगा,,,,
ऐसा क्यों कह रहे हो,,,,( शालू तुरंत अपनी हथेली उसके होठों पर रखते हुए बोली)
पता नहीं पिताजी हम दोनों की शादी करने की मंजूरी देंगे या नहीं,,,,।
( फ्रिज की बात सुनकर शालू भी चिंतित हो गई और बोली,)
तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है बिरजू,,,,।
पता नहीं लेकिन ना जाने क्यों मन में डर जैसा लग रहा है,,,
( बिजी हो अपने मन में जिस वजह से डर का सैलाब उठा था उस बात को दबा ले गया क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी औकात और शालू की हालात में जमीन आसमान का फर्क था उसके पिताजी कभी नहीं चाहेंगे कि छोटे घर में उसकी शादी हो,,,।)
तुम चिंता मत करो फिर जो मैं हूं ना अगर तुम्हारे पिताजी दोनों की शादी की इजाजत नहीं भी देंगे तो मैं तुम्हें भगा ले जाऊंगी,,,
( यह सुनकर बिरजू उसकी तरफ देखकर हंसने लगा और उसको हंसता हुआ देखकर शालू बोली,,,।)
क्यों क्या हुआ हंस क्यों रहे हो,,,।
तुम मुझे भगा ले जाने की बात कर रहे हो तुम्हारे में इतनी हिम्मत है,,,।
बिरजू अब तुम ज्यादा बोल रहे हो मेरे में बहुत हिम्मत है,,,।
देखा हूं मैं तुम्हारी हिम्मत कपड़े उतारने के लिए बोलो तो कितना नाटक करती हो,,,।
वह बात अलग है,,, शादी से पहले मैं कुछ ऐसा वैसा नहीं करना चाहती,,,
क्यों नहीं करना चाहती,,,?
तुम सच में पागल हो ,, क्योंकि एक लड़की के लिए उसका इज्जत ही सबसे बड़ा गहना होता है और अगर तुम ही मेरे गहने को लूट लिए और उसके बाद मुझसे शादी करने से इंकार कर दिए तो मेरे पास बचेगा क्या,,,,? मैं तो बर्बाद हो जाऊंगी,,,।
सिर्फ कपड़े उतारने में कैसे बर्बाद हो जाओगी,,,
झरने के नीचे क्या हुआ यह तो तुम अच्छी तरह से जानते हो ना अगर सोचो मेरा भाई मेरा चेहरा देख लिया होता तो क्या होता,,,,
कुछ नहीं होता तुम्हारे खूबसूरत चेहरे हो तुम्हारे खूबसूरत नंगे बदन को देख कर तुम्हारा भाई भी तुम्हारी चुदाई कर देता,,,,
धत्,,,, यह कैसी बातें कर रहे हो तुम्हें शर्म नहीं आती मेरे भाई के बारे में इतनी गंदी बातें कर रहे हो क्या मैं तुमसे बात नहीं नहीं करती,,,,।( इतना कहकर शालू गुस्से में जाने लगे तो बिरजू दौड़ कर उसका हाथ पकड़ते हुए बोला,,,।)
अरे अरे सुनो तो तुम तो एकदम नाराज हो गई,,,
नाराज होने वाली बात ही कर रहे हो क्या कोई अपनी बहन को गंदी नजरों से देखता है जो तुम मेरे भाई के बारे में ऐसा कह रहे हो,,,,
मैं तो सिर्फ मजाक कर रहा था मेरी रानी,,,
मुझे ऐसा मजाक बिल्कुल भी पसंद नहीं है बिरजू,,,( ऐसा कहते हुए सालों अपने दोनों हाथ को बांधकर अपनी छाती पर रखते हो दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई,,,)
शालू शालू शालू मेरी जान मैं तो मजाक कर रहा था तुम्हारा दिल दुखाने का मेरा बिल्कुल भी ईरादा नहीं था,,,,( बिरजू को लगने लगा कि मजाक में क्या करने का कुछ ज्यादा ही बोल गया है इसलिए शालू के सामने कान पकड़ कर उठक बैठक करते हुए बोला,,,।)
मुझे माफ कर दो शालू आइंदा से ऐसी गलती नहीं होगी,,,,। मुझे क्या मालूम था कि मेरी शालू रानी नाराज हो जाएगी,,,।
नाराज क्यों ना होऊ अगर मैं भी कहूं की तुम भी अपनी मां को नंगी देखकर उसकी चुदाई कर दोगे तो तुम्हें क्या अच्छा लगेगा,,,,।
वाह सालु रानी तुम्हारे मुंह से चुदाई शब्द सुनकर मैं तो धन्य हो गया,,,।
( बिरजू की बात सुनते ही शालू को इस बात का एहसास हुआ कि अनजाने में उसके मुंह से गंदा शब्द निकल गया था इसलिए वह तुरंत अपने दांतो तले उंगली दबाते हुए बोली,,।)
ऊई,,,, मां,,,,, यह क्या हो गया नहीं नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए था,,,, हे भगवान यह मैंने क्या कर दी,,,,
( शालू को परेशान होता हुआ देखकर बिरजू हंसने लगा,,,। बस इतना हंस रहा था सालों इतना ज्यादा परेशान और गुस्सा हो रही थी,,, शालू गुस्से में और भी ज्यादा खूबसूरत लगती है इस बात का एहसास बिरजू को अब हो रहा था,,,, बिरजू काफी उत्तेजना का अनुभव करने लगा और शालू हे भगवान हे भगवान करके इधर-उधर घूम रहे थे वास्तव में उसके मुख्य से पहली बार इतना गंदा शब्द निकला था इसलिए वह अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी और बिरजू तुरंत उसके पास जाकर उसे अपनी बाहों में भर लिया,,, लेकिन फिर भी शालू अपने मन में ही बड़बड़ाए जा रही थी,,,, बिरजू को भी इस बात का एहसास हुआ कि शालू वाकई में काफी परेशान है इसलिए उसे शांत करने के लिए बोला,,,।)
कुछ नहीं हुआ शालू कुछ नहीं हुआ तुम गंदी लड़की नहीं हो तुम अच्छी लड़की हो बहुत अच्छी लड़की हो तुम जाने में तुम्हारे मुंह से ऐसी बात निकल गई,,,, तुम बहुत अच्छी लड़की हो,,,,,( बिरजू से कसके अपनी बाहों में लिया हुआ था लिया हुआ क्या था जिस तरह से वहां परेशान हो रही थी उसे देखते हुए फिर जो उसे पकड़े हुए था शालू इस समय बेहद खूबसूरत लग रही थी उसके बाल बिखर गए थे उसके बालों की लट उसकी गानों को छू रही थी,,,,)
मैं अच्छी हूं मैं अच्छी लड़की हूं,,,
हां शालू तुम बहुत अच्छी लगती हो बहुत अच्छी एकदम सीधी-सादी,,,,( ऐसा कहते हुए बिरजू के होंठ शालू के होठों से बेहद करीब आ गए,,,, जब इस बात का एहसास शालू को हुआ तो वह एकदम से शर्मसार हो गए उसका बदन शर्म के मारे कसमसाने लगा,,, लेकिन बिरजू शालू के लाल होठों को इतने करीब देखकर एकदम बदहवास मदहोश होने लगा और वह अपने आप को छोड़ा पाती इससे पहले ही अपने होंठ को शालू के होंठ पर रखकर उसके लाल होठों से मधुर रस को पीना शुरू कर दिया,,,, शुरू शुरू में शालू उसकी पकड़ से अपने आप को छुड़ाने की भरपूर कोशिश कर रही थी लेकिन थोड़ी ही देर में इस प्रगाढ़ चुंबन के असर मैं वह खुद मदहोश होने लगी,,,, और देखते ही देखते शालू भी बिरजू के होंठों को अपने होठों में भरकर चूसना ,,, शुरू कर दी,,,, देखते ही देखते दोनों मदहोश होने लगे बिरजू काफी उत्तेजित हो गया था इस समय आम की बगिया में किसी के भी आने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए बिरजू की हिम्मत बढ़ने लगी थी और जिस तरह से वह उसके होठों को चूम कर उसका सरकार दे रही थी उसे देखते हुए बिरजू छोट लेना चाहता था इसलिए उसकी पीठ पर से अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ लाते लाते शालू के भरपूर जवान नितंबों पर अपनी दोनों हथेली रखकर उन्हें जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,, शालू को इस बात का एहसास हो रहा था कि बिरजू उसके नितंबों को अपनी हथेली से मसल रहा है और उसे अच्छा भी लग रहा था सलवार के ऊपर से शालू की मदमस्त सुडोल करण को अपने हाथों से दबाने में बिरजू को बहुत आनंद आ रहा था दोनों का चुंबन और भी ज्यादा उत्तेजना से भरपूर होता जा रहा था,,,,, लेकिन तभी ना जाने क्या हुआ कि शालु तुरंत उसको धक्का देकर पीछे हट गई,,,, उसकी सांसे अभी भी बहुत गहरी चल रही थी लेकिन बिरजू से बिना कुछ बोले वह तुरंत वहां से भाग खड़ी हुई,,,, उत्तेजना के मारे हंसते हुए बिरजू भी उसे भागता हुआ बस देखता ही रह गया,,,, बिरजू से रोकने की कोशिश नहीं किया क्योंकि वह समझ गया था कि यह चुंबन और उसकी हरकत जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में हुआ था शालू से ज्यादा आगे बढ़ने नहीं देगी इस बात का एहसास बिरजू को अच्छी तरह से था लेकिन आज पहली बार बिरजू हिम्मत दिखाते हुए उसके होंठों को अपने होठों में लेकर चूस रहा था एक नशा सा उसके बदन में उतर चुका था उसकी नरम नरम नितंबों को दबाकर एक अतुल्य एहसास अपने अंदर भर लिया था,,,। जिसकी वजह से उसके पजामे में अच्छा खासा तंबू बन चुका था,,,। चुंबन से ज्यादा कुछ ना कर सकने का मलाल उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था,,,।