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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

rohnny4545

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शाम ढलने को थी रघु घूमते हुए गांव के नुक्कड़ पर हलवाई की दुकान पर पहुंच गया,,, 10 दिन जैसे हो चुके थे वह हलवाई की बीवी के दर्शन नहीं कर पाया था,,, आज भी रघु के नस नस में हलवाई की बीवी की जवानी का नशा पूरी तरह से घूम रहा था,,, पानी भरे गुब्बारों की तरह छातियों पर लहराते हुए इसकी दोनों चूचियां तरबूज से भी बड़ी बड़ी गांड की दोनों फांके केले के वृक्ष के मोटे तने की तरह चिकनी चिकनी उसकी जांघेो की यादें,,, अक्सर रघु के लंड को पूरी तरह से खड़ा कर जाता था,,,, रघु के तन बदन में अभी भी हलवाई की बीवी के खूबसूरत नंगे बदन की मादकता भरी खुशबू बसी हुई थी,,, जिसको अपने जेहन में महसूस करके रघु यहां तक खींचा चला आया था,,,
फिर भाई की बीवी पर दूर से नजर पड़ते ही रघु के तन बदन में जवानी का जोश उमड़ने लगा एक बार फिर से उसे भोगने की इच्छा उसके मन में प्रज्वलित हो गई,,,, हलवाई की बीवी आज भी समोसे तल रही थी और लगभग लगभग उसी तरह से अपनी दोनों टांगे फैलाकर बेफिक्र होकर बैठी हुई थी,,, रघु का लंड एक बार फिर से हलवाई की बीवी की मस्त जवानी देख कर अंगड़ाई लेने लगा,,, रघु हलवाई की बीवी के करीब पहुंच गया वैसे तो दुकान पर बीरबल बिल्कुल की नहीं थी बस इक्का-दुक्का आदमी है अपनी मस्ती में मस्त होकर शराब पीकर समोसे का लुफ्त उठा रहे थे,,,। हलवाई की बीवी की नजर रघु पर पड़ते ही उसके भी अरमान मचल उठे,,, उसके भारी-भरकम शरीर में तरंगे बजने लगी रुको को देखते ही उसे चांदनी रात की संभोगनीय पल याद आने लगा,,, उसे भी अच्छी तरह से याद है था कि रघु किस तरह से सारी रात उसकी जवानी का रस निचोड़ा था,,, उसके पति के गैरहाजिरी में किस तरह से वह संभोग के असीम सुख का अहसास उसे कराया था,,, रघु का हर एक धक्का उसके पूरे वजूद को हच मचा दिया था,,, हलवाई की बीवी समोसे चलते हुए इस बात पर मुस्कुरा देगी अच्छा है उसके पति ने खटिया मजबूत लकड़ी का बनवाया था वरना रघु की घमासान चुदाई की वजह से उसकी खटिया भी टूट जाती है और फिर वह टूटी हुई खटिया के बारे में अपने पति को क्या जवाब देती,,,

क्या बात है चाची बहुत मुस्कुरा रही हो,,,

कुछ नहीं रे कुछ याद आ गया था,,,।

क्या याद आ गया था चाची हमें भी तो बताओ,,,

तुझे बताने लायक नहीं है,,,( हलवाई की बीवी उसी तरह से रघु की तरफ देखे बिना कढ़ाई में से समोसे तलती रही,,,।)


ऐसी कौन सी बात है जो मुझे बताने लायक नहीं है जबकि सब कुछ खोल खोल कर तुमने मुझे दिखा दि हो,,,
( रघु के मुंह से सब कुछ दिखाने वाली बात सुनते ही शर्म के मारे हलवाई की बीवी के गाल लाल हो गए और वह शर्मा कर मुस्कुराने लगी और बोली,,।)

दिखाने और बताने में फर्क होता है,,,।
( रघु समझ गया कि बात पर ज्यादा जोर देने में भलाई नहीं है इसलिए वह बात को बदलते हुए बोला,,,।)

वैसे चाची उस दिन तुम्हारा समोसा बहुत गर्म था,,,( हलवाई की बीवी के ब्लाउज में से जाते हुए उसकी चुचियों को घूरते हुए रघु बोला,,,।)

हमारा समोसा हमेशा गर्म ही रहता है,,, एकदम तरोताजा मसाले से भरपूर,,,,( हलवाई की बीवी मुस्कुराते हुए बोल रही थी,,, वह रघु के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी तभी तो वह भी उसी के सुर में जवाब भी दे रही थी,,)

पता है क्या जी अभी तक तुम्हारे समोसे के मसाले का स्वाद मेरी जीभ पर है,,, इसलिए तो यहां आया हूं एक बार फिर से तुम्हारे गरमा गरम मसाले से भरपूर तरोताजा समोसे का स्वाद लेना चाहता हूं,,,।( रघु उसी तरह से हलवाई की बीवी की बड़ी-बड़ी चूचियां को घुरता हुआ बोला,,, तिरछी नजरों से हलवाई की बीवी रघु की तरफ देख ले रहे थे मेरे को अच्छी तरह से जान रही थी कि मैं को उसके ब्लाउज में से झांकते हुए उसकी चूचियों को देख रहा है लेकिन फिर भी साड़ी के पल्लू से अपनी छातियों को ढकने की बिल्कुल भी तसदी नहीं ली,,, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि जो इंसान उसके घर पहुंची जैसे चुचियों से रातभर खेला हो भला उसकी नजरों से छुपाने से क्या फायदा,,, रघु की बातें सुनकर हलवाई की बीवी आंखों को ना चाहते हुए रघु की तरफ देखी और बड़े ही मादक स्वर में बोली,,।)

नामुमकिन इस समय तो मैं तुम्हें अपनी गरमा गरम समोसे को बिल्कुल भी नहीं खिला सकती लेकिन हां गरमा गरम समोसे का दूर से दर्शन जरूर करा सकती हूं,,,,( हलवाई की बीवी चकर पकर अपने चारों तरफ देखकर बोली,,,, हलवाई की बीवी की यह बात सुनकर रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ने लगी,,।)

क्या सच में चाची तुम अपनी गरम गरम समोसे को मुझे दिखा सकती हो वह भी इस समय,,,,


क्यों नहीं मेरे राजा,,,,( हलवाई की बीवी पास में पड़े तपेलें के पानी से अपना हाथ धोते हुए बोली,,,।)

इतनी ही मेहरबान हो तो अंदर चलकर समोसा ही खिला दो दिखाओगी तो भूख और ज्यादा बढ़ जाएगी,,,,।

जब भूख ज्यादा बढ़ेगी तभी तो परोसी गई थाली का भरपूर फायदा उठाओगे और जी भरकर खाओगे तब तुम्हें खाने में और मुझे खिलाने में बहुत मजा आएगा,,,
( हलवाई की बीवी के शब्दों में कामुकता भरी जलेबी की तरह मिठास भरी हुई थी जिसे सुनकर और उसकी कामुक अदा को देखकर रघु के पजामे में खलबली मची हुई थी,,,।)

तो अभी क्या हुआ चाची चलो घर में मौका भी है दस्तूर भी है,,,।

अंदर तेरे चाचा जी है जो ऊबाले हुए आलू को छील रहे हैं,,,

( यह सुनकर रघु के सारे अरमान पानी में बह गए,,, रघु को उदास होता हुआ देखकर हलवाई की बीवी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)
तू चिंता मत कर कभी कभी समोसा खाने से बेहतर समोसे का दर्शन करना भी हो जाता है आज दर्शन ही कर ले फिर कभी मौका मिलेगा तो खिला दूंगी,,,।

लेकिन ये दोनों,,,( रघु वहां पास में बैठे दोनों शराबियों की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,।)

तुम दोनों की चिंता बिल्कुल भी मत करिए दोनों पक्के शराबी है तू ईनके ऊपर मौत के भी चला जाएगा तो भी नहीं लगेगा कि शराब का जाम छलक गया है,,,
( उसकी बातें सुनकर रघु हंसने लगा और हलवाई की बीवी के ब्लाउज का ऊपर का बटन खुला देख कर बोला,,,।)

चाची यह तुम ब्लाउज के ऊपर का बटन जानबूझकर खोलती हो या तुम्हारी बड़ी बड़ी चूची हो की वजह से अपने आप ही खुल जाता है,,,


मेरे राजा तेरी नजर इधर उधर बहुत जाती है,,, मैं इसे (अपनी चुचियों की तरफ हाथ से इशारा करते हुए) जानबूझकर ही खोल देती हूं क्योंकि चूल्हे के सामने बैठे बैठे पूरा शरीर गरम हो जाता है इसलिए थोड़ी बहुत हवा चाहिए रहता है ना और तू तो अच्छी तरह से जानता है कि मेरे ब्लाउज का साइज मेरी चूचियों के सारे से छोटा ही है इसलिए बहुत कसा कसा सा लगता है इसलिए मुझे एक बटन खोलना ही पड़ता है,,,।

क्या बात है चाची लेकिन तुम्हारी यह जानबूझकर की गई गलती से यहां आने वाले ग्राहकों में कितना उत्साह रहता है जलेबी से ज्यादा तो तुम्हारे ब्लाउज के अंदर से झांकते हुए दोनों दशहरी आम का रस अपनी आंखों से पीकर मस्त हो जाते हैं,,,,।


वह सब सिर्फ आंखों से ही पीते हैं लेकिन तू तो अपना मुंह लगाकर पिया है,,,,,

वह तो है चाची,,,( इतना कहकर अपने पजामे में बने तंबू को अपने हाथ से ठीक करते हुए,,,) अब ऐसा करो चाची की जल्दी से दिखा दो कहीं चाचा जी आ गए तो इस पर भी पानी फिर जाएगा,,,
( अपने पजामे में बने तंबू को ठीक करते हुए हलवाई की बीवी की नजर रघु पर पड़ गई थी और मंद मंद मुस्कुराते हुए बोली)

तेरा खड़ा बहुत जल्दी हो जाता है,,,,

और तब तो तुम यह भी जानती होगी कि बिना तीन चार बार पानी निकाले शांत भी नहीं होता,,,,।


वह तो मैं देखी चुकी हूं जो भी तेरा लेगी ना सच में तेरी दीवानी हो जाएगी,,,


तुम हुई क्या चाची,,,,?


मत पूछ इस जालिम अभी भी पूरे बदन में मीठा मीठा दर्द होता है,,,।


वह तो होगा ही चाची,, मेहनत भी तो तुमने बहुत की थी,,,।

( जितना देखने की उत्सुकता रघु में थी उससे कई ज्यादा उत्सुकता हलवाई की बीवी को अपनी बुर रघु को दिखाने में थी,,,, गंदी गंदी बातें करते हुए हलवाई की बीवी की बुर उत्तेजना के मारे समोसे की तरह फूलने लगी थी,,, वह जल्द से जल्द अपनी पुर के दर्शन रघु को कराना चाहती थी इसलिए एक बार फिर से अपने चारों तरफ देखने लगे और एक नजर दोनों शराबियों पर डाली जो कि अपनी ही मस्ती में डूबे हुए थे,,, एक बार पीछे की तरफ देखें जो कि दरवाजा बंद था वह समझ गए कि अभी भी उसका पति अंदर आलू छील रहा,,, मौका सही था,,, धीरे-धीरे अंधेरा होने लगा था दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था इसलिए मौके की नजाकत को देखते हुए हलवाई की बीवी अपने दोनों टांग को घुटनों से मोड़कर हल्का सा फैला ली और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ सरकाने लगी,,,, रघु की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी हालांकि रात भर हलवाई की बीवी की ओर से जैसे मर्जी आया वैसे खेल चुका था लेकिन फिर भी उसे देखने की तमन्ना उसके मन में जोर मार रही थी,,,, मर्द और औरत के बीच यही बात एकदम समान होती है चाहे जितना भी औरत मर्द का लंड अपनी बुर में ले ले,,,, लेकिन कुछ समय के अंतराल के बाद एक बार फिर से अपनी बुर में लेने की इच्छा पूरी तरह से प्रज्वलित हो जाती है और उसी तरह से मर्द की भी हालत होती है वह भी औरत की बुर से दिन-रात खेलने के बाद भी उसकी प्यास उसे देखने की और उसमें लंड डालने की हमेशा बनी रहती है और इसी प्यास के चलते रघु धड़कते दिल के साथ हलवाई की बीवी के एकदम करीब खड़ा था जहां पर चूल्हा जल रहा था और उस पर कढ़ाई रखी हुई थी जिसमें तेल एकदम खोल रहा था,,, ऐसे में हलवाई की बीवी अपनी बुर दिखाने के लिए साड़ी ऊपर की तरफ कर रही थी जो कि सारे समा में आग लगा देने वाली थी,,




, हलवाई की बीवी भी कुछ कम नहीं थी वह बड़े धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी,,, धीरे-धीरे वह समा में आग लगाने की सोच रही थी यह बात तो अच्छी तरह से जानती थी कि,, चूल्हे की आग से कहीं ज्यादा गर्म और तपन उसकी कचोरी जैसी फूली हुई बुर में है,,।
रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था वह बार-बार अपने खड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ ले रहा था,,, अगर घर के अंदर उसका पति ना होता तो शायद आज वह हलवाई की बीवी को उसी जगह पर लिटा कर उसकी चुदाई कर देता लेकिन वह भी मजबूर था,,,,


जल्दी करो चाची अब क्या मेरा पानी निकाल दोगी,,,

तेरा इतने जल्दी निकलने वाला नहीं है,

तुम इतना तड़पाओगी तो निकल ही जाएगा ,,,( रघु जोर से अपने लंड को दबाते हुए बोला,,,।)

अच्छा ले बस दिखा देती हू,,,( इतना कहने के साथ ही हलवाई की बीवी झट से अपने घुटनों के बल बैठ गई और अपनी साड़ी को एकदम से कमर तक उठा दी,,,, रघु तो आंखें फाड़े देखता ही रह गया,,, हलवाई की बीवी की बुर कचोरी जैसी फूली हुई थी इस समय उसकी बुर एकदम मासूम लग रही थी जिसे देखकर रघु को उसके ऊपर ढेर सारा प्यार आ रहा था लेकिन प्यार करने के लिए समय नहीं था हलवाई की बीवी अपनी साड़ी कमर तक उठाए हुए चारों तरफ देख रही थी कि तभी दरवाजा खुलने की आहट हुई और झट से साड़ी नीचे करके बैठ गई,,,,, अंदर से उसका पति सिले हुए आलू बड़े से पतीले में लेकर आया और उसके करीब रखता हुआ बोला,,,।

ले जल्दी जल्दी ईसे तैयार कर दे,,,,

चाचा जी चाची के हाथों में जादू है चाची का समोसा बहुत गर्मा गर्म और मसालेदार होता है तभी तो मैं रोज यहां आ रहा हूं,,,।


सब भगवान की कृपा है बेटा,,, चाची के समोसे खाने रोज आया करो,,,,


सो जाऊंगा चाचा भला इतने गरमा गरम समोसे कहीं मिल पाते हैं,,, पूरे गांव में नहीं मिलते तभी तो मैं रोज यहां खिंचा चला आता हूं,,,,,

( हलवाई का पति मुस्कुराते हुए अपनी बीवी के करीब बैठकर छिले हुए आलू को जोर जोर से मसलने लगा,,, रघु समझ गया कि अब उसकी दाल से ज्यादा गलने वाली नहीं है,,,, इसलिए वह बोला,,,।)

अच्छा चाची में चलता हूं आज तो गरमा गरम समोसे के दर्शन करके ही मन एकदम भर गया,,,, किसी दिन जी भर कर खाऊंगा,,,,( इतना कहकर रघु गांव की तरफ जाने लगा तो हलवाई की बीवी पीछे से आवाज लगाते हुए बोली,,।)

आते रहना बेटा,,,

आता रहूंगा चाची,,,,
( और इतना कह कर रघु गांव की तरफ चल दिया,,,, रात को हलवाई की बीवी की मस्त चिकनी बुर को याद करके खाना खाने लगा,,,, खाना खाकर जैसे ही बिस्तर पर लेटा नींद की आगोश में चला गया,,,, सुबह हो चुकी थी कजरी खेतों पर चली गई थी और शालू घर का काम करके खाना बना रही थी कि तभी उसे याद आया कि उसका भाई तो घर में सो रहा है उसे जगाना जरूरी था और वह उसे जगाने के लिए रसोई से उठ गई,,,।)
 
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शालू की चुदाई का वक्त नजदीक आ रहा है रघू साथ
जल्दी से चुदवा दो मजा आ जायेगा :)
बहोत ही शानदार और कामुक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

rohnny4545

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शालू की चुदाई का वक्त नजदीक आ रहा है रघू साथ
जल्दी से चुदवा दो मजा आ जायेगा :)
बहोत ही शानदार और कामुक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
जल्द से जल्द अपडेट देने की कोशिश करूंगा
 
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