शालू अपने भाई को जगाने के लिए रसोई करते हुए उठ गई थी वह उस दिन वाली बात बिल्कुल भी भूल गई थी जब अपने भाई को जगाने के लिए गई थी और उसे जबरदस्त नजारा दिखाई दिया था,,,, और दूसरी तरफ रघु और चुका था लेकिन अल शाया हुआ था सुबह का समय था इसलिए शरीर में उत्तेजना का संचार हो रहा था हलवाई की बीवी की मस्ती भरी बातें और उसका साड़ी उठाकर समोसे रूपी बुर के दर्शन कराने वाले दृश्य को याद करके वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था जिसकी वजह से उसका लंड पूरी आजादी के साथ हवा में लहरा रहा था और नींद में होने की वजह से कमर से लपेटा हुआ टावल एकदम से खुल गया था या यूं कह लो कि कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगा था,,, वह यही सोच रहा था कि उसे कोई जगह नहीं नहीं आएगा इसीलिए निश्चिंत होकर कुछ देर और सोने की मन में ठान करवा अपनी आंखों को बंद कर लिया लेकिन कमर के नीचे के अंग में उत्तेजना के संचार की वजह से उसे नींद नहीं आ रही थी,,, वह इधर-उधर सिर घुमा कर आंखों को बंद करके सोने की चेष्टा कर रहा था लेकिन जब एक बार बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगे तो नींद कहां आने वाली थी और वह भी उसके ख्यालों की मल्लिका भी बेहद खूबसूरत है भरे बदन की मालकिन थी जिसकी हर एक अदा में मादकता छलकती हुई उसे नजर आती थी,,, इस समय उसके जेहन हलवाई की बीवी बसी हुई थी और बार-बार उसकी आंखों के सामने उसका साड़ी उठाकर अपनी बुर के दर्शन कराना वही दृश्य नजर आ रहा था,,,
कमरे में वह निश्चिंत होकर सोने की कोशिश कर रहा था और कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा होने के बावजूद भी उस पर चादर डालने का ख्याल बिलकुल भी उसके मन में नहीं आ रहा था वह पूरी तरह से निश्चिंत था और दूसरी तरफ शालू काफी देर होने की वजह से उसे जगाने के लिए जा रही थी,,,, रघु पीठ के बल लेटा हुआ था एकदम सीधा और अपना मुंह दूसरी तरफ फिर कर सोने की कोशिश कर रहा था आंखें बंद थी कि तभी उसे दरवाजे पर आठवी चूड़ियों की आवाज सुनकर उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी बड़ी बहन शालू दरवाजे पर है अब वह करे भी तो क्या करें अभी भी उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर अपनी औकात दिखा रहा था अगर इस समय वह अपने खड़े लंड पर चादर डालकर उसे छुपाने की चेष्टा करता है तो उसकी बहन को यही लगेगा कि उसका भाई कुछ गंदी हरकत कर रहा था तभी उसका नंबर इस तरह से खड़ा है उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें लेकिन शालू के तन बदन में आग लग गई थी एक बार फिर से अपने भाई के खड़े लंड के दर्शन करते ही उसे उस दिन वाला दिल से याद आ गया जो कि आज वही दृश्य दोहराया जा रहा था,,,। शालू का पूरा वजूद कांप गया वह दरवाजे पर ठिठक गई उसकी आंखों के सामने उसके भाई का खड़ा लंड था जोकि कि आज वह दूसरी बार देख रही थी,,,,
शालू को भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वापस चली जाए या हाथ में आई इस मौके का अपनी नजरों से मजा ले,,,, हालांकि शालू का व्यक्तित्व बिल्कुल भी ऐसा नहीं था लेकिन कुछ दिनों से वह बदली बदली सी नजर आ रही थी जब से वह अपने भाई के खड़े लंड को देखी थी और यह बात बीजू के मुंह से सुनी थी कि उस दिन जब हो तब आप से नंगी होकर बाहर भाग रही थी तब पीछे से उसके भाई ने उसके संपूर्ण नंगे व्यक्तित्व को देख लिया था लेकिन यह नहीं जान पाया था कि वह नंगी लड़की उसकी की बहन है,,,,
शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस तरह से अपने भाई के खड़े लगने के दर्शन कर पाएगी जोकि अनजाने में ही हुआ था और वह भी दूसरी बार वह बार-बार दरवाजे पर खड़ी होकर बाहर की तरफ देख ले रही थी कि कहीं उसकी मां तो नहीं आ रही है वह कुछ देर तक यूं ही दरवाजे पर खड़ी रही,,। रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बहन उसकी खड़े लंड को देखने के बावजूद भी दरवाजे पर खड़ी क्यों है शर्मा कर चले क्यों नहीं गई,,, इस समय रघु का बदन पूरी तरह से कसमसा रहा था,,, उसे अपनी बड़ी बहन शालू पर थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था,,,,
रघु ऐसी स्थिति में था कि अपने नंगे बदन को छुपा भी नहीं सकता था,,, वह ऐसा ही जताना चाह रहा था कि उसकी बहन को लगे कि वह पूरी तरह से गहरी नींद में है,,, वह उसी तरह से दूसरी तरफ मुंह करके आंखों को बंद किया हुआ लेटा रहा हलवाई की बीवी की कल्पना इतनी जबरदस्त थी कि इस तरह के कठिन समय में भी उसके लंड की कठोरता बरकरार थी उस में जरा भी ढीलापन नहीं आ रहा था,,,,। शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था पूरे कमरे में केवल उसकी दिल की धड़कन की आवाज सुनाई दे रही थी उसकी सांसे गहरी चल रही थी वह भी नहीं समझ पा रही थी कि वापस चली जाए या अपने भाई के खड़े लंड को देखती रहे क्योंकि वाकई में खड़ा लैंड कितना बेहतरीन और लाजवाब होता है यह बात शालू को आज पता चल रही थी वैसे तो वह पहले भी अपने भाई के लंड को देख चुकी थी लेकिन आज कुछ ज्यादा देर तक उसे अपने भाई का लंड देखने को मिला था,,,, साथ ही अपने भाई के लंड को देख कर उसे आम के बगिया वाला दृश्य याद आने लगा जब बिरजू से अपनी बाहों में भर कर उसके होठों को चूम रहा था और पजामे में टाइट हुए अपने लंड को उसकी टांगों के बीच रगड़ रहा था उस रगड़ को महसूस करते ही शालू की हिम्मत बढ़ने लगी,,,। इतनी देर तक खड़े रहने के बाद उसे इस बात का आभास तो हो ही गया था कि उसका भाई गहरी नींद में सो रहा है वरना उसके आने की आहट सुनकर वह अपने नंगे बदन को छुपाने की जरूर कोशिश करता लेकिन उसके बदन में बिल्कुल भी हरकत नहीं हो रही थी इसलिए वह चोर कदमों से आगे बढ़ी,,, वह अपनी कलाइयों में खनक रही चूड़ियों की आवाज को दबाने की भरपूर कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी चूड़ियां खनक जा रही थी और खनकती हुई चूड़ियां की आवाज और पैरों के कदमों की आहट रघु के कानों में साफ सुनाई दे रही थी उसे इस बात का आभास हो गया था कि उसकी बड़ी बहन शालू उसके करीब आ रही है,,,। उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह का दृश्य देखने के बाद वह शर्मा कर चले जाने की बजाय उसके करीब क्यों आ रही है,,,। अब तो अपने करीब आ रही चूड़ियों की आवाज को सुनकर उसका बदन कसमसा ने लगा उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि इस तरह की चिंता की घड़ी में भी उसका लंड ज्यों का त्यों बना हुआ है ढीला बिल्कुल भी नहीं हो रहा है ताकि उसकी बहन वहां से चली जाए,,,,
शालू धीरे-धीरे करके अपने भाई के खाट के बिल्कुल करीब पहुंच गई,,,, वह कुछ देर तक खड़ी होकर अपने भाई के खड़े लंड को निहारती रही बेहद दमदार और मोटा लंड देखकर उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,,। उत्तेजना के मारे शालू का गला सूख रहा था जिसे वह बार-बार अपने थूक से गिला करने की कोशिश कर रही थी,,,, शालू अभी भी नहीं समझ पा रही थी कि उसे वहां रुकना चाहिए या चले जाना चाहिए,,।
शालू पूरी तरह से जवान हो चुकी थी जवानी की लहर उसके तन बदन को भी हिचकोले खिला रही थी इसीलिए तो वह अपने भाई के खड़े मोटे तगड़े लंबे लंड के आकर्षण से ही वह अपने मन को बहकने से बचा भी नहीं पा रही थी,,,,। शालू कभी रघु के चेहरे की तरफ देखती तो कभी उसकी कमर के नीचे के बेहतरीन नजारे की तरफ रघु अभी भी निश्चिंत होकर आंखों को बंद किया हुआ लेटा था जो कि शालू को यही लग रहा था कि उसका भाई गहरी नींद में सो रहा है आखिरकार शालू निर्णय ले ली वह धीरे से अपने भाई के खटिया के करीब बैठ गई,,, वह निश्चिंत बिल्कुल भी नहीं थी वह पूरी तरह से सजग थी एकदम चौकन्नी,,, पूरी तरह से तैयार था कि जरा भी हलचल रघु के बदन में हो तो वह वहां से नौ दो ग्यारह हो जाए और उसके भाई को पता भी ना चले,,,, गला पूरी तरह से सूख चुका था दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह खटिया के करीब बैठकर अपनी फटी आंखों से अपने भाई के टन टनाते हुए लंड को देख रही थी,,,,, आज पहली बार उसे पता चल रहा था कि जिस तरह से उसकी बुर के इर्द-गिर्द रेशमी बालों का झुरमुट रहता है उसी तरह से मर्दों के लंड के इर्द-गिर्द बालों के झुरमुटो की झांठ रहती है,,,,, और उन झांटों के बीच खड़ा लंड बहुत ही मनमोहक लग रहा था,,,। अपने भाई के खड़े लंड को देख कर उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि उसका भाई भी अब जवान हो रहा है,,,।
शालू अपने भाई के नंबर को अपने हाथ से अपनी नाचू को मिली है उसे स्पर्श करना चाहती थी उसे छूना चाहती थी उसे अपनी हथेली में पकड़ कर देखना चाहती थी कि कैसा लगता है लेकिन इसमें रघु के जाग जाने का डर था,,, वह पकड़ी जा सकती थी और अगर उसे इस तरह की हरकत करता हुआ उसका भाई देख लेता तो उसके बारे में क्या सोचता,,,, उसके दिमाग में यही ख्याल आ रहा था और फिर उसका मन कहता है कि डर क्यों रही है तेरा भाई गहरी नींद में सो रहा है अगर जाग ना होता तो अब तक जाग चुका होता एक बार अपने भाई के लंड को अपने हाथ में पकड़ कर देख ले,,, महसूस कर ले कि एक लंड को हाथ में पकड़ कर कैसा लगता है,,,,।
शालू अपने मन में चल रहा है ख्यालों के बवंडर मैं से समझ में नहीं आ रहा था कि किसका हाथ पकड़ कर बाहर निकले हालांकि ख्यालों पर आकर्षण का दबाव बराबर बना हुआ था,,, शालू अपनी तेज नजरों से अपने भाई को लंड के मोटे सुपाड़े को देख रही थी जो कि एकदम बदामी रंग का हो गया था,,, और गोलाकार सुपाड़े के नीचे पतली चमड़ी में आई सिकुड़न लंड के आकर्षण को और ज्यादा बढ़ा रही थी,,,, लंड के चारों तरफ नशे ऊभरी हुई थी जिनमें रक्त का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था,,,। शालू काफी देर से अपने भाई के खड़े लंड को देख रही थी लेकिन इस बात से हैरान थी कि इतना दमदार मोटा तगड़ा लंड होने के बावजूद भी अभी तक उस में जरा भी झुकाव नहीं आया था ना इधर झुक रहा था ना उधर बस सीधा ही खड़ा था,,,,।
रघु की हालत खराब होती जा रही थी चूड़ियों की खनक और गहरी चल रही सांसो की आवाज से उसे इतना तो आभास हो गया था कि उसकी बहन उसके बेहद करीब बैठी हुई है,,,,। और इस बात का एहसास की उसकी बहन उसके बेहद करीब बैठ कर उसके खड़े लंड को देख रही है वह पूरी तरह से उत्तेजना से भरने लगा,,, क्योंकि अच्छी तरह से जानता था कि भले ही वह आंखें खोल कर अपनी बहन की तरफ ना देखा हो लेकिन इतना तो वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन जवान हो चुकी थी और जवानी की याद शायद उसके तन बदन को भी जला रही थी तभी तो वह यहां से चले जाने की वजह उसके खड़े लंड को देखकर उसके बेहद करीब आकर बैठ गई थी इस बात का एहसास रघु को भी उत्तेजना के सागर में खींचता चला जा रहा था,,,।
एक नजर अपने भाई की तरफ डाल कर उसके गहरी नींद में होने की तसल्ली कर लेने के बाद,, अपना हाथ आगे बढ़ाई रघु के लंड की तरफ उसके हाथों के साथ-साथ पूरे बदन में कंपन खेल रही थी खास करके उसकी टांगों के बीच की उस पतली दरार में जिसकी वजह से शालू इतनी हिम्मत दिखा रही थी,,,, उंगलियों में कंपन शालू को साफ नजर आ रही थी,, धीरे-धीरे शालू का हाथ अपने भाई के लंड के बेहद करीब पहुंच गया,,,, एक बार तो उसके मन में आया कि उठकर यहां से चली जाए लेकिन अपने भाई के लंड के आकर्षण में वह पूरी तरह से बंध हो चुकी थी,,, रघु को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसकी बहन उसके लंड को पकड़ने जा रही है,,,। मुझे ऐसे ही अपनी बहन की नाजुक नाजुक उंगलियों का स्पर्श उसे अपने लंड के ऊपर हुआ वह एकदम से कसमसा गया उसके पूरे बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी,,, साडू अभी अपने भाई के लंड को पूरी तरह से पकड़ी नहीं थी बस अपनी नाज़ुक उंगलियों का स्पर्श भर कराई थी,,,, अपनी बहन के नाजुक हूं गोलियों का स्पर्श अपने लंड पर होते हैं अपने आप ही उसके कमर हल्के से ऊपर की तरफ हो गई थी और अपने भाई के बदन में आई हरकत को देखकर शालू उसी तरह से बस अपने भाई के लंड पर अपनी उंगलियां सटाई रही,, इस बात का इंतजार कर रही थी कि उसकी हरकत पर उसकी भाई की नींद खुलती है या अभी भी वह गहरी नींद में सोया रहता है और रघु जानबूझकर आंखों को बंद किया हुआ सोने का नाटक करता रहा क्योंकि अब उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी कुछ देर पहले जब अपनी बहन की हरकत पर वह गुस्सा हो रहा था,,, तब से इस बात का अहसास तक नहीं था कि अपनी बहन की हरकत की वजह से उसके तन बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ने लगेगी,,, लेकिन अब उसका ख्याल बिलकुल बदल चुका था,,,
शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था और उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया था,,, कुछ देर तक अपने भाई के बदन में हरकत ना होता देखकर शालू अपने भाई के लंड को पूरी तरह से अपनी हथेली में जकड़ ली,,, उसकी हथेली पूरी तरह से गर्म हो गई और उससे भी ज्यादा गर्मी उसे अपनी बुर के अंदर महसूस होने लगी पहली बार उसे इस बात का अहसास हो रहा था कि लंड वाकई में बहुत गर्म होता है,,,। शालू को इस बात का एहसास हो रहा था कि उसके भाई का लंड ज्यादा मोटा था दूसरी तरफ रघु के तन बदन में आग लग रही थी जिस तरह से उसकी बहन उसके लंड को पकड़े हुए थी,,,। उसका मन कर रहा था कि इस नाटक पर पर्दा डाल कर अपनी आंखें खोल दी और अपनी बहन को उसी खटिया पर लेटा कर उसकी बुर में अपना लंड डाल दे क्योंकि अब तक रघु को इस बात का पता चल गया था कि उसकी बहन के मन में भी चुदाई करवाने की भूख बढ़ रही है,,, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी पहली बार में ही वह इस तरह से कैसे अपनी बहन की चुदाई कर दे आखिरकार वह उससे बड़ी थी इसलिए रघु आंखों को बंद किए हुए उसी तरह से लेता रहा वह देखना चाहता था कि अब उसकी बहन क्या करती है,,।
शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था और ऐसा होता भी क्यों नहीं जिंदगी में पहली बार तो वह मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड को अपने हाथ में जो ले रही थी उसका कठोर बंद उसे अपनी नरम नरम हथेलियों में चुभ रहा था। अब से पहले वह नहीं जानती थी कि लंड इतना कठोर होता है,,, वह अपनी हथेली को अपने भाई के लंड के इर्द-गिर्द एकदम दबोची हुई थी जिसकी वजह से शुभम के लंड की चमड़ी ऊपर की तरफ चढ़ गई थी और उसका मोटा सुपाड़ा आधा ढक गया था,,,, शालू उसके संपूर्ण सुपाड़े को देखने के लिए अपनी मुट्ठी में कसे हुए रघु के लंड को नीचे की तरफ अपनी हथेली खींची तो वह चमड़ी उसकी सुपाड़े पर से नीचे की तरफ आ गई और उसे लंड का संपूर्ण सुपाड़ा नजर आने लगा,,, और वही हरकत फिर से वह ऊपर की तरफ की और बार-बार वह अपनी हरकत को दोहराने लगे उसे अपने भाई के लंड को मुठिया ने में मजा आ रहा था लेकिन रघु की तो हालत खराब होती जा रही थी शायद उसकी बहन को यह नहीं मालूम था कि इस तरह से लंड को मुठीयाने से उस में से पानी की पिचकारी निकल जाती है,,,, रघु को मजा भी आ रहा था वह आंखों को बंद किए हुए अपनी बहन की हरकत का मजा ले रहा था,,, शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था लंड की गर्माहट उसके पूरे वजूद को गर्म कर रही थी,,,लंड की गर्मी को अपनी हथेली में महसूस करके उसे अपनी जांघों के बीच कुछ पिघलता हुआ महसूस हो रहा था,,,,शालू इस खेल को आगे बढ़ा थी कि तभी उसे घर के बाहर बाल्टी रखने की आवाज सुनाई दी और वह छठ से खड़ी हुई और ज्यों का त्यों छोड़कर कमरे से बाहर निकल गई रसोई केकरी पहुंचकर देखी तो उसकी मां हैंड पंप से पानी भरकर लाई थी,,,,वह रसोई के करीब बैठ गई और अपनी ऊखडती सांसो को दुरुस्त करने में लग गई,,,
रघु की हालत खराब थी वह जान गया था कि बाहर उसकी मां आ गई है लेकिन यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि वह उसे जगाने के लिए अंदर नहीं आएगी क्योंकि वह नहाने जा रही थी,,,,, शालू ने जिस तरह का अद्भुत उत्तेजना का संचार उसके तन बदन में फैलाई थी अब उसे पूरा करने का जिम्मेदारी रघु पर आ गई थी और वह अपनी बहन के खूबसूरत चेहरे और उस दिन अनजाने में देखी हुई उसकी नंगी चिकनी गोरी गोरी जांघ और उसकी गोलाकार गांड को याद करके अपने खड़े लंड को हिलाना शुरू कर दिया वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि जल्दी ही उसका पानी निकल गया,,,।