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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

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बहुत ही शानदार और मस्त अपडेट है भाई
बहोत ही बढिया :applause:
अगले अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Sanju@

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अपने इस सुखद मिलन को लेकर दोनों भाई बहन अति प्रसन्न नजर आ रहे थे,,,,, अपने भाई के साथ संभोग करके सालु की मदमस्त जवानी और ज्यादा खिल उठी थी,, वह महकने लगी थी उसकी खूबसूरती में चार चांद लग चुके थे,,, अब उसकी दोनों गोलाइयां अपने आकार में तब्दीली लाना शुरू कर चुके,, थे,,, दोनों भाई बहन का जुगाड़ घर में ही हो चुका था जब चाहे तब दोनों एक दूसरे में समा जाते थे रघु हर बार अपनी बहन को संपूर्ण तृप्ति का अहसास दिलाता था चुदाई के असली सुख से वाकिफ कराता था,,, जवानी में शालू अपने ही भाई के मर्दाना अंग को पाकर संपूर्ण रूप से संतुष्ट हो चुकी थी,,,, दोनों मौका मिलते ही एक दूसरे के जवान जिस्म से खेलना शुरू कर देते थे जिन की भनक उनकी मां को बिल्कुल भी नहीं था,,,,,, दोनों भाई बहन का समय अच्छे से गुजरने लगा था,,,, रघु अपने आप को भाग्यशाली समझता था क्योंकि अब तक उसने हलवाई की बीवी और रामू की मां के परिपक्व खूबसूरत जिस्म के साथ-साथ अपनी बहन की कमसिन जवानी के साथ भी खेल चुका था जिसमें उसे आनंद ही आनंद प्राप्त हो रहा था,,,।

ऐसे ही 1 दिन वह रामू को बुलाने के लिए उसके घर गया तो घर में उसे उसकी मां के सिवा और कोई नजर नहीं आया जो कि वह अपने बालों को संवार रही थी,,, रामू की मां को अकेली देखते ही रघु के पजामे में हरकत होने लगी और वह पीछे से जाकर रामू की मां को अपनी बाहों में भर कर सीधे उसकी दोनों चूचियों पर ब्लाउज के ऊपर से हाथ लगाकर उन्हें दबाना शुरू कर दिया और बोला,,,।


ओहहह चाची अब तो तुम्हारे दर्शन दुर्लभ हो गए हैं दिखाई नहीं देती हो,,,
(पहले तो वह पूरी तरह से घबरा गई,,,उसे नहीं मालूम था कि उसे पीछे से अपनी बाहों में भरने वाला रघु है उसे लगा कोई और है वह कुछ बोलती ईससे पहले ही रघु की आवाज सुनते ही वह एकदम से हड़बड़ा गई और उसे दूर करते हुए धीरे से बोली,,,)

दूर हट पागल हो गया है क्या अंदर कमरे में रामु है,,,,,
( अंदर कमरे में रामू जो कि नहाने के बाद अपने कपड़े बदल रहा था,,,, उसके कानों में हल्की हल्की फुसफुसाहट भरी बातें पडते ही वो एकदम से सचेत हो गया,,,, वह अपने कान खड़े कर लिया और दूसरी तरफ बाहर कमरे में रामू की मौजूदगी में ऐसा वैसा कोई काम नहीं करना चाहता था इसलिए वह ललिया से दूर होते हुए बोला,,,)

तो यहां कौन सा मैं तुम्हारी चुदाई करने आया हूं,,, मैं तो रामू को बुलाने आया हूं,(रघु भी बड़े धीमे स्वर में बोला,,,, लेकिन चुदाई शब्द रामू के कानों में पड़ते ही वो एकदम से सचेत होते हुए अपने कानों को बाहर की बातें सुनने के लिए एकदम से गड़ा दिया,,)

पागल हो गया है क्या तू इस तरह की बातें कर रहा है,,, अगर रामु सुन लिया तो,,,,,,,,(ललिया रघु से दूरी बनाते हुए बोली,,,)

सुन लिया तो सुन लिया मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता चाची,,,(इतना कहने के साथ ही रामू एक बार फिर से उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ लिया इतनी देर में रघु का लंड खड़ा होना शुरू हो गया था,,, जोकि ललिया के पिछवाड़े पर ठोकर मार रहा था ललिया को भी रघु की यह हरकत बहुत अच्छी लगी थी क्योंकि जिस तरह से वह उसे अपनी बांहों में झगड़ा हुआ था वह अपने नितंबों पर उसके लंड के कठोर पन को बड़े अच्छे से महसूस कर पा रही थी,, वह तो रामू की बाहों से छूटने ही नहीं चाहती थी लेकिन मजबूर थी उसे भी अच्छा लग रहा था लेकिन अंदर कमरे में उसका बेटा रामू मौजूद था,,, वह कोई काम कर रहा था,,,रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी एक बार फिर से ललिया को अपनी बाहों में लेकर वह मस्त हो गया था,,,घर में अगर रामू मौजूद ना होता तो शायद ललिया दी इस मौके का अच्छी तरह से फायदा उठाती लेकिन उसे रामू का डर था कि कहीं वह अपनी आंखों से यह सब कुछ देख ना ले,,, इसलिए वह उसकी बाहों से आजाद होने की कोशिश करते हुए बोली,,,।)

रघु रहने दे बाद में यह सब कर लेना अभी जाने दे,,,
(रामू का दिल जोरो से धड़कने लगा था,,, उसे अपनी मा की बातें थोड़ा-थोड़ा सुनाई दे रही थी और जिस तरह से वह धीमे स्वर फुसफुसा रही थी,,, उससे रामू के मन में उठ रही शंका के बादल और ज्यादा गहराने लगे थे,,, दूसरी तरफ रघु ललिया के साथ पूरी तरह से मस्ती करने के मूड में आ गया था,,,पजामे में उसका लंड पूरी तरह से गदर मचाए हुआ था जो कि ललिया की बुर में घुसने के लिए बेताब था,,,। रघु ललिया की बात मानने के लिए तैयार नहीं था और वह अपना दोनों हाथ उसके ब्लाउज के ऊपर रखकर उसके दोनों कबूतरों को दबाना शुरू कर दिया,,, ललिया को साफ़ महसूस हो रहा था कि रघु के हाथों में आते ही उसके दोनों कबूतर आपस में गुटूर गू करना शुरू कर दीए थे,,,।उसका मन तो नहीं कर रहा था लेकिन फिर भी वह रामू को दूर हटाते हुए बोली,,,)

रघु रहने दे,,,, यह सब बाद में कर लेना,,,,


नहीं चाची तुम समझ नहीं रही हो मेरा बहुत मन कर रहा है,,,(इतना कहते हुए रघु उसकी साड़ी को नीचे से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाने लगा , रामू को धीरे धीरे सब कुछ साफ सुनाई दे रहा था उसे समझते देर नहीं लगी कि रघु और उसकी मां के बीच जरूर कुछ चल रहा है,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह की बातों को अपने कानों से सुन कर वह गुस्सा करें या खामोश खड़ा रहे,,,,ना जाने क्यों ऊन दोनों की बातें सुनते हुए उसके तन बदन में भी अजीब सी हलचल होने लगी थी,,,)

नहीं रामू छोड़ मुझे,,,,(इतना कहते हुए ललिया रघु के हाथों में से अपनी साड़ी छुड़ाते हुए उसे धक्का दे दी और वह अपने आप को संभाल नहीं पाया और सीधा जाकर सामने की दीवार के करीब जाकर गिरा और उसके हाथ से लगकर लकड़ी के पाटीए पर रखे हुए बर्तन गिर गए,,, और बर्तनों के गिरने की आवाज को सुनकर रामू को यही सही मौका लगा बाहर निकलने का और वह तुरंत बाहर निकलते हुए बोला,,,।

क्या हुआ मां ये बर्तन कैसे गिर,,,,(इतना कहने के साथ ही वह रघु की तरफ देखकर ऐसे चुप हो गया जैसे कि यह सब से वह बिल्कुल अनजान हो,,,) तू,,,,, तू कैसे गिर गया,,,
(० इतने में ललिया अपने कपड़ों को एकदम सही कर ली और बहाना बनाते हुए बोली,,,)

ये,,,,, ये,,,,, तुझे ही बुलाने आया था और पांव फिसल गया नीचे गिर गया,,,,।
(रामू जानता था कि माजरा कुछ और है लेकिन फिर भी वह इस समय कोई भी नाटक नहीं करना चाहता था इसलिए जानबूझकर अपनी मां की बात को मानते हुए बोला,,,)

तू है ही ऐसा हर जगह हड़बड़ाहट करता है तभी गिर गया,,,
(तब तक रघु अपने आप से उठकर अपने कपड़े झाड़ते हुए बोला,,,)

तुझे ही बुलाने आया था,,,,

हां वह तो देख ही रहा हूं,,,(रामू इतना कहते हुए रघु की तरफ तो कभी अपनी मां की तरफ देख रहा था और ललिया को अपने बेटे की नजरों से थोड़ा घबराहट हो रहा था,,,, लेकिन फिर वह सारे मामले को संभालते हुए बोली,)

जाओ तुम दोनों बाहर टहल कर आओ तब तक मैं घर का काम कर लेती हुं,,,,,,,


ठीक है मां,,, चल रघु,,,,(इतना कह कर रामु आगे बढ़ गया और रघु उसके पीछे पीछे जाते हुए अपना एक हाथ पीछे की तरफ से ही ललिया की दोनों जांघों के बीच उसकी बुर पर लाकर जोर से उसे दबा दिया,,,, ललिया जब तक अपने आप को संभाल पाती तब तक रघु की हथेली अपना काम कर चुकी थी उसकी हथेली ठीक साड़ी के ऊपर से ही ललिया की बुर को दबाने में कामयाब हो चुकी थी ललिया को रघु की इस हरकत की वजह से घबराहट तो हुई थी लेकिन मजा भी बहुत आया था,,,, घर पर रामू की मौजूदगी से अपना मन मसोसकर वह रघु को बाहर जाते हुए देखती रही,,,,,

घर से थोड़ी दूर पर पहुंचते ही,,,, रामू गुस्से में रघु की तरफ देखते हुए बोला,,,,।

घर पर क्यों आया था तू सही सही बताना,,,,।

तुझे बुलाने आया था और किस लिए आया था,,,,।


नहीं तु मुझे बुलाने नहीं आया था तू किसी और मकसद से आया था,,,,,,


कैसी बातें कर रहा है तू मेरा और कोई मकसद क्या हो सकता है तेरे घर पर आने के लिए,,,( रामू की बातें सुनकर रघु को लगने लगा था कि रामू जरूर कुछ जान गया है इसलिए इस तरह की बातें कर रहा है।)


तेरा मकसद में अच्छी तरह से समझता हूं तो मुझे बुलाने नहीं आया था किसी और काम से मेरे घर आया था,,,,

देख रामु मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि तू क्या कह रहा है,,,।

मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि मैं क्या कह रहा हूं और तू भी अच्छी तरह से जानता है कि मैं किस बारे में कह रहा हूं,,,


सच रामू मुझे बिल्कुल भी नहीं पता कि तू क्या कह रहा है,,,।

देख रघु,,, मैं तुम दोनों की बातें सुन रहा था और यह भी जानता हूं कि तुम दोनों के बीच जरूर कुछ चल रहा है,,,।

(रामू की यह बात सुनकर रघु अच्छी तरह से समझ गया कि उन दोनों के बारे में रामू को पता चल गया है इसलिए कुछ भी छुपाने से फायदा नहीं है फिर भी वह अनजान बनता हुआ बोला,,)

क्या सुन रहा था मुझे तो कुछ भी नहीं समझ में आ रहा है कि तु क्या कह रहा है,,,।

तु मेरी मां से नहीं बोला कि तुम समझ नहीं रही हो आज मेरा बहुत मन कर रहा है,,,, और मेरी मां तुझे इंकार कर रही थी की रामु अंदर है,,,,।

(रामू की बात सुनकर रघु समझ गया कि अब कुछ भी छुपाने जैसा नहीं है और वैसे भी रघु को इस बात से बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ रहा था कि वह उसकी मां को चोदता है और यह बात रामू को पता चल गई तो क्या होगा क्योंकि वह जानता था कि अगर रामू को यह बात पता भी चल गई कि वह उसकी मां को चोदता है तो भी कुछ होने वाला नहीं था क्योंकि वह रामू की नस नस से वह वाकिफ था,,, जो लड़का खुद उसके साथ बैठकर अपनी मां की नंगी बड़ी बड़ी गांड को देखकर अपना लंड हिलाता हो तो उसे इस बात से कहा फर्क पड़ने वाला था कि उसकी खुद की मां को उसका दोस्त चोदता है, इसलिए रघु भी सब कुछ रामू को बताने का मन बना लिया और उसे बोला,,,)

मैं जानता हूं कि जो कुछ भी हुआ वैसा होना तो नहीं चाहिए था लेकिन यह सब अपने आप ही हो गया,,आ, उस पेड़ के नीचे बैठ कर बातें करते हैं,,,
(इतना कहते हुए रघु उसे घने पेड़ के नीचे उस की छांव में ले गया जहां पर दोनों इत्मीनान से बैठ गए,,
बहुत ही शानदार अपडेट है
wating next update
 
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