एक दिन सुबह-सुबह रघु लकड़ी के बने अपने गुसल खाने में नहा रहा था,,,,उसकी आदत थी कि जब भी वह अपने लकड़ी के बने गुसलखाना में नहाता था तो अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो जाता था और फिर नहाता था,,। गुसल खाने में जाने से पहले वह अपनी बहन के साथ मस्ती कर रहा था उसके अंगों से छेड़खानी कर रहा था इसमें सालु को भी मजा आ रहा था वह दोनों आगे बढ़ना चाहते थे,,, रघु एक बार फिर अपनी बहन को चोदना चाहता था वैसे तो दोनों की चुदाई रोज ही हो रही थी रोज रघु अपनी बहन को चोद रहा था लेकिन आज दोनों को मौका नहीं मिल पा रहा था क्योंकि कजरी घर पर ही थी,, इससे दोनों काफी उत्तेजित हो चुके थे और अपनी जवानी की गर्मी को ठंडा करने के लिए ही रखो आज जल्दी नहाने की सोच रहा था वह गुसल खाने में एकदम नंगा था उसका लंड अपनी बहन की मदहोश जवानी की खुशबू पाकर पूरी तरह से टन्ना गया था,,, गुशल खाने में पूरी तरह से नंगा होने के बाद रघु का लंड कुछ ज्यादा ही ताकतवर और लंबा लग रहा था,वह कुशल खाने में खड़े खड़े अपने खड़े लंड को देख रहा था और उसे देखकर अपने आप पर वह गर्व महसूस कर रहा था क्योंकि इस लंड के बदौलत वह अपनी जीवन की बेहतरीन पलको जी रहा था उसका पूरी तरह से मजा लूट रहा था,,, सबसे पहले हलवाई की बीवी और दूसरी रामू की मां जिसे बचपन से चाची चाची कहता आ रहा था और मौका मिलने परउसी चाची की बुर में अपना लंड डालने में उसे बिल्कुल भी शर्म का एहसास नहीं हुआ,,, और तीसरी उसकी बड़ी बहन जीसकी चुदाई करके वह धन्य हो चुका था,,, और जिसको रात दिन वह चोद रहा था,,, उसी की जवानी का नशा था कि जो गुसल खाने में भी उसका लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था और रघु उस पर ठंडा पानी डालकर उसे ठंडा करने की कोशिश कर रहा था,,,
दूसरी तरफ कजरी घर के बाहर अपने जानवर को चारा पानी दे रही थी कि तभी दो आदमी आए हट्टे कट्टे हाथ में लट्ठ लिए,,, जिन्हें अपने द्वार पर आया देखकर कजरी घबरा गई,,,, वो लोग आते ही कजरी से बोले,,,।
रघु कहां है,,,?
(कजरी एकदम से घबरा गई उसे लगा कि कुछ गड़बड़ हो गई है वह तुरंत खड़ी होकर बोली)
क्यों क्या हो गया मेरे बेटे से कोई गुस्ताखी हुई है क्या,,,,
नहीं नहीं बहन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है,,,तुम्हारे बेटे को प्रताप सिंह जी ने याद किया है किसी काम की वजह से,,, तो उसे हम लेने आए हैं,,,
मेरे बेटे से भला उन्हें क्या काम हो सकता है,,,।
यह तो वही जाने हमें तो सिर्फ आदेश मिला है,,, देखो हमें देर हो रही है अपने बेटे को बुला दो,,,।
ठीक है आप लोग यहीं बैठो में बुला कर लाती हूं,,,,(इतना कहकर कजरी घर में रघु को बुलाने के लिए चली गई,, तो सालों से पता चला कि वह तो नहाने गया है,,, और कजरी गुसल खाने की तरफ आगे बढ़ गई,,, वहगुसल खाने की तरफ पहुंचकर उसे आवाज देने ही वाली थी कि तभी,, दो बड़ी-बड़ी लकड़ियों के बीच की खाली जगह में से उसे जो नजर आया उस दृश्य पर उसे विश्वास नहीं हुआ,,, और वह एकदम करीब जाकर दोनों लकड़ियों के बीच की खाली जगह में से अपनी नजर को अंदर की तरफ दौड़ाने लगी,,।
उसकी आंखों ने जो दृश्य देखा उस दृश्य को देखकर वह एकदम दंग रह गई,,,उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सी मचने लगी,, अजीब सी थरथराहट उसके तन बदन को अपनी आगोश में लेने लगी,,,,, वह यह बात भी भूल गई कि वह यहां पर रघु को बुलाने के लिए आई थी,,,बस दोनों लकड़ियों के बीच की खाली जगह में से अपनी नजर गड़ाए अंदर के दृश्य को देखकर अपने आपको पूरी दुनिया से भुलाने लगी,,, कर भी क्या सकती थी उसकी जगह कोई और औरत होती तो वह भी इस दृश्य को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाती,,, रघु लकड़ी के बने गुशल खाने के अंदर संपूर्ण नग्ना वस्था में था और अपने बदन पर लोटे से पानी लेकर डाल रहा था,,,। यह बात कजरी के लिए हैरानी वाली बिल्कुल भी नहीं थी ,,, रघु उसका बेटा था और बचपन से वह उसको देखते आ रही थी,, उसके बदन से अच्छी तरह से वाकिफ थी अगर वाकिफ नहीं थी तो उसके दोनों टांगों के बीच लटकते हुए हथियार से वह अभी भी अपने बच्चे को बच्चा ही समझती थी और यही उसके लिए,हैरानी वाली बात थी,,, की रघु अभी बच्चा ही था लेकिन उसका लंड बड़े लोगों से भी कहीं ज्यादा तगड़ा था,,, इसी बात को लेकर कजरी हैरान थी,,,, अपने बेटे के खड़े लंड को देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,, उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उसके बेटे पहले इतना तगड़ा मोटा और लंबा होगा,,,,, इसमें उसकी कोई गलती नहीं थी आज तक वह अपने पति के ही लंड देखी थी और अपने पति के लंड को ही दुनिया के सभी मर्दों के लंड से तुलना करके संतुष्ट थी,,, लेकिन आज अपने बेटे के लंड को देखकर वह हैरान थी लंड क्या ऐसा भी होता है वह अपने आप से ही यह सवाल कर रही थी,,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, रघु बार-बार बाल्टी में से लौटा भरकर अपने बदन पर पानी डाल रहा था और पानी की बूंदे उसके बदन से होती हुई उसके लंड पर से नीचे गिर रही थी,,, ऐसा लग रहा था कि मानो वो धीरे धीरे पेशाब कर रहा हो,,,, तभी अपने बेटे की हरकत को देखकर कजरी की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल होना शुरू हो गया,,, रघु लोटे के पानी की धार को अपनी खड़े लंड पर गिरा रहा था और पानी की धार के वजन से उसका लंड ऊपर नीचे हील रहा था, और अपने बेटे के हिलते हुए लंड को देखकर एक अजीब सी लहर कजरी अपने बदन में उठती हुई महसूस करने लगी,, रघु को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उसकी मां लकड़ी के पट्टी के आड़ में खड़ी होकर उसकी हरकत को देख रही है,, वह तो अपनी मस्ती में था,,,।
कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह वहां से चली जाना चाहती थी लेकिन आंखों के सामने जिस तरह का मादक दृश्य था उसे छोड़कर जाने की इच्छा उसकी बिल्कुल भी नहीं हो रही थी और यह भी वह भूल गई थी कि वह अपने बेटे को बुलाने आई थी,,,। वह तो अपने बेटे के नंगे बदन उसके खड़े लंड को और उसकी हरकत को देखकर मंत्रमुग्ध हुए जा रही थी,,,,,, तभी रघु अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर मुट्ठीयाने लगा,,, और अपने बेटे की इस हरकत को देखकर कजरी के बदन में आग लग गई वह अपना हाथ दोनों टांगों के बीच ले जाकर साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर को जो की कचोरी की तरह फुल चुकी थी उसे दबोच ली,,,अपने बेटे की इस तरह की हरकत देखने में कपिल को आनंद की अनुभूति होने लगी उसे आनंद आ रहा था एक अजीब सा सुख उसे प्राप्त हो रहा था लेकिन रघु यह क्रिया ज्यादा देर तक नहीं किया तीन चार बार अपने लंड को मुठीयाकर वापस नहाना शुरू कर दिया,,,, अपने बेटे के मोटे तगड़े और लंबे लंड को देखकर ना चाहते हुए भी उसके मन में एकाएक यह ख्याल आया कि अगर वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेगी तो उसके बेटे का लंड ईतना मोटा है कि उसकी बुर में घुस नहीं पाएगा और इस खयाल से कजरी पूरी तरह से उत्तेजना से सरोबोर हो गई,,,, उत्तेजना के मारे उसकी बुर से अमृत रूपी रस बुंद बनकर उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच से निकलकर नीचे जमीन पर गिर गई,,,, अपने बदन में आए इस जबरदस्त बदलाव को महसूस करके कचरी एकदम से गदगद हो गई,,, उसकी आंखें अपने बेटे के लंड को देखकर यह साफ पता लगा ले रही थी कि उसके बेटे के लंड का सुपाड़ा कुछ ज्यादा ही मोटा था और उसकी बुर की गुलाबी छेद सुपाड़े से छोटी ही थी,,। अपने मन में आए इस ख्याल से साफ पता चल रहा था कि अपने बेटे के खड़े लंड को देखकर कजरी के मन में उस से चुदवाने की कामना जागने लगी थी,,,,,
कजरी,,,अपने बेटे के नंगे बदन उसके खड़े लंड के दर्शन और देर तक करना चाहती थी,,, लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया रघु तौलिया लेकर उसे अपने बदन से लपेट लिया,,, लेकिन तोलिया लपेटने के बावजूद भी उसके तौलिए में जबरदस्त तंबू बना हुआ था जिसे देखकर कजरी की हालत खराब होती जा रही थी,,,, लेकिन अब ज्यादा देर तक वहां खड़े रहना उसके लिए ठीक नहीं था,,, इसलिए वह वहां से सीधा घर में आ गई,,,,और वह भी इस इंतजार में कि घर में आने पर उसके तौलिए में बना तंबू उसे एक बार फिर से नजर आ जाएगा,,, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया रघु तब तक वही कुशल खाने में खड़ा रहा जब तक कि उसका लंड ढीला नहीं पड़ गया,,,, जब वह घर में आया तो उसे देखकर उसे नहीं बल्कि उसके तंबू को देखकर जो कि इस समय मैदान में से गायब हो चुका था निराश हो गई,,, और वह अपने बेटे से बोली,,,।
रघु तुझे प्रताप के आदमी बुलाने आए थे,,,
कौन प्रताप सिंह,,,,
हां हां वही,,,,,
लेकिन मुझ से उन्हें क्या काम हो सकता है,,,,
कोई काम होगा तभी तो तुझे बुलाया है और बाहर दो आदमी आए हैं तुझे लेने के लिए,,,,
मुझे लेने के लिए,,,,(इतना कहकर वह तसल्ली करने के लिए घर से बाहर आकर देखा तो दो आदमी वही खाट पर बैठे हुए उसका इंतजार कर रहे थे,,,रघु वापस कमरे में गया और जल्दी से तैयार होकर उन दोनों आदमी के पास पहुंच गया और बोला)
बोलो क्या काम है मुझसे,,,,
क्या काम है आप यह तो हम नहीं जानते लेकिन तुम्हें मालिक ने बुलाया है इसलिए तुम्हें लेने के लिए आए हैं,,,,
ठीक है चलो मैं चलने के लिए तैयार हूं,,,,(इतना कहकर रघु दोनों आदमी के साथ चलने लगा उसके मन में ढेर सारे सवाल चल रहे थे कि आखिरकार प्रताप सिंह को उससे क्या काम निकल आया जो उसे बुलाने के लिए अपने दो आदमी उसके घर भेज दिए थे रघु थोड़ा बहुत परेशान भी नजर आ रहा था,,,रघुयह बात अच्छी तरह से जानता था कि प्रताप सिंह गांव समाज का इज्जत दार इंसान था इसके लिए उसकी बात मानना भी जरूरी था,,,,इसलिए वह ज्यादा सवाल जवाब किए बिना ही उन दोनों के साथ चल दिया कि जो होगा वही देखा जाएगा।)