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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

rohnny4545

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समय के अभाव के कारण अपडेट नहीं दे पा रहा हूं लेकिन कोशिश करके कल जरूर धमाकेदार अपडेट दूंगा
 

Jassybabra

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Nice update
 
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rohnny4545

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तुम चिंता मत करो मैं संभाल लूंगी,,,(इतना कहकर वह तांगे पर से नीचे उतरने लगी,,यह बात वो भी अच्छी तरह से जानती थी कि नीचे उतरने पर उसकी साड़ी पानी में भीग जाएगी इसलिए वह एक हाथ से अपनी साड़ी को पकड़ कर नीचे उतरने लगी साड़ी को थोड़ा सा उठा रखी थी जिससे घुटनों के नीचे की टांगें दिखाई देने लगी एकदम गोरी गोरी मखमली टांगों को देखकर रघु की आंखों में चमक आने लगी,,,, रघु के हाथों में प्रताप सिंह की बीवी का हाथ था एकदम नरम नरम एकदम मुलायम ऐसा लग रहा था कि जैसे हाथ नहीं बल्कि रुई के ढेर को अपनी हथेली में दबा रखा हो,, धीरे धीरे वह एक एक करके अपने दोनों पैर को पानी में उतार दी देखते ही देखते पानी उसके घुटनों तक आ गया और वह अपनी साड़ी को घुटनों के ऊपर तक उठा दी,,, उसकी साड़ी घुटनों के ऊपर तक थी जिससे उसकी गोरी गोरी पिंडलिया नजर आ रही थी,, रघु के होश खोने लगे वह मदहोश होने लगा,,, जी मैं आ रहा था कि वह उसकी साड़ी को कमर तक उठाकर उसकी मदमस्त गोरी गोरी गांड के दर्शन करके अपने आप को धन्य कर ले,,, लेकिन यह ख्याल बस था हकीकत की शक्ल देने में शायद अभी बहुत वक्त था,,, प्रताप सिंह की बीवी तांगे के दूसरे छोर पर खड़े होकर एक हाथ से साड़ी पकड़ कर तांगे को धक्का लगाने लगी,, यह देख कर रघू भी जोर लगाने लगा,,,

दम लगा के हईशा ,,,,,,,दम लगा के हईशा,,,,,,(प्रताप सिंह की बीवी हंसते हुए यह बोलकर रघु की तरफ देख रही थी रघु भी उस के सुर में सुर मिलाता हुआ दम लगा के हईशा बोलने लगा,,, दोनों को मजा आ रहा था प्रताप सिंह की बीवी में ऐसा लग रहा था कि अभी भी बचपना बाकी था या तो वह अपने बचपन को ठीक तरह से बीता नहीं पाई थी,,,प्रताप सिंह की बीवी का इस तरह से दम लगा कर हईशा बोल बोल के तांगे को धक्का लगा ना बहुत अच्छा लग रहा था,,,,टांगे को धक्का लगाते हुए वह थोड़ा सा झुकी हुई थी जिसकी वजह से घुटनों के ऊपर तक उठी हुई साड़ी और बाहर की तरफ निकला हुआ उभार दार मदमस्त कर देने वाला अद्भुत नितंब रघु के होश उड़ा रहा था बार-बार उसकी नजर उसकी उठी हुई गांड पर चली जा रही थी और रघु जिस तरह से वो झुकी हुई थी,,,रघु टांगे को धक्का लगाते लगाते कल्पना कर रहा था कि वह उसी स्थिति में प्रताप सिंह की बीवी की चुदाई कर रहा है और उसके मुख से दम लगा के हईशा की जगह गरमा गरम सिसकारियों की आवाज गूंज रही है,,,, रघु कल्पना करके ही एकदम मस्त हो जा रहा था,,,, प्रताप सिंह की बीवी एक हाथ से अभी भी साड़ी को पकड़े हुए थी,,, कभी कभी जोर लगाने की अफरातफरी में उसकी साड़ी जांघों तक ऊपर उठ जाती थी जिसकी वजह से रघु को मोटी मोटी इतनी मांसल गोरी जांघें देख कर अपनी आंखें सेंकने का मौका मिल जा रहा था,,, रघु मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि जमीदार की बीवी अपनी साड़ी को कमर तक उठा दे ताकि वह उसकी गोलाकार सुडोल अद्भुत गांड के दर्शन कर सकें,,,।

जोर लगाओ रघु मेरी तरफ क्या देख रहे हो,,,,, तांगे को पानी से निकालना है कि नहीं,,,,

जजजज,,जी,,, मालकिन,,,,,( रघु एकदम से हडबडाते हुए बोला,,,प्रताप सिंह की बीवी को इतना तो समझ में आ ही गया था कि रघु उसे अपनी प्यासी नजरों से देख रहा है और उसका इस तरह से उसे देखना उसे अच्छा भी लग रहा था,,, वह इतना तो अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाई हुई है उसकी मांसल सुडौल जांघें रघु को साफ दिखाई दे रही है,, और वही अंग रघु चोर नजरों से देख भी रहा था,,,। बार-बार वह भगवान से एक ही प्रार्थना कर रहा था कि काश ऊसकी साड़ी कमर तक उठ जाए और उसे वह दृश्य नजर आ जाए जिसके देखने की कामना वह अपने मन में बसाकर रखा है,,,, धीरे धीरे रघू के पजामे में तंबू बनना शुरू हो गया था,,,, प्रताप सिंह की बीवी की मादकता भरी जवानी उसके होश उड़ा रही थी,,, घोड़ा अपनी पूरी ताकत लगा रहा था साथ ही रखो और प्रताप सिंह की बीवी भी अपना-अपना जोर दिखा रहे थे,,, एकाएक घोड़े की ताकत और दोनों की कोशिश रंग लाई हो तांगे का पहिया पत्थर सुपर से ऊपर की तरफ होता हुआ आगे निकल गया,,,, घोड़ा बड़ी तेजी से आगे की तरफ निकला था इसलिए प्रताप सिंह की बीवी अपने आप को संभाल नहीं पाई और आगे की तरफ एकदम से झुक गई जिसकी वजह से अपने आप को संभालने के चक्कर में उसके हाथ में फंसी साड़ी ऊपर की तरफ उठ गई और ऐसा लग रहा था कि भगवान मेरा को की प्रार्थना सुन ली और उसकी आंखों के सामने वही तेरे से नजर आने लगा जिसकी काम लावा कर रहा था साड़ी के ऊपर उठ जाने की वजह से प्रताप सिंह की बीवी की नंगी गांड रघु की आंखों के सामने उजागर हो गई,, रघू तो देखता ही रह गया,,, रघु की आंखों के सामने प्रताप सिंह की बीवी की नंगी गांड थी जिसकी शायद वह कल्पना भी नहीं कर सकता था वह इतनी ज्यादा खूबसूरत है एकदम गोरी ,,, ऐसा लग रहा था कि गोरी गांड की शक्ल में चांद नीचे जमीन पर उतर आया हो,,,,प्रताप सिंह की बीवी की गांड देखते ही रघू के मुंह में पानी आ गया पजामे में हरकत होना शुरू हो गई,,,,, रघु से ज्यादा दृश्य अपनी आंखों से देख पाता इससे पहले ही अपने आप को ना संभाल पाने की स्थिति में प्रताप सिंह की बीवी पानी में गिर गई,,,, और एकदम से घबरा गया और जल्दी से आगे बढ़ा,,,प्रताप सिंह की बीवी को उठाने के लिए जैसे ही अपना हाथ आगे बढ़ाया प्रताप सिंह की बीवी पानी में पूरी तरह से भीग चुकी थी पानी ज्यादा नहीं था घुटनों जितना ही था इसलिए वह एक तरह से पानी में एकदम से बैठ गई थी,,, वह रघू को देखकर जोर-जोर से हंसने लगी,, रघू भी हंसने लगा प्रताप सिंह की बीवी का पूरा बदन पानी में डूबा हुआ था कि बलवा अपना चेहरा बाहर निकाल कर हंस रही थी और बड़ी खूबसूरत लग रही थी रघु तो उसे देखता ही रह गया,,,,।

आप हंस क्यों रही है मालकिन,,,,

बचपन का दिन याद आ गया रे रघू,,,,, इसी तरह से हम लोग नदी में खूब मजे किया करते थे कोई पाबंदी नहीं थी कोई रोक-टोक नहीं था,,,, लेकिन जैसे जैसे बड़े होने लगे वैसे कैसे मर्यादा की दीवार समाज के बंधन में बंधते चले गए,,, सब कुछ उम्र के साथ पीछे छूट गया रघू,,,,।

लेकिन मालकिन आज यहां पर किसी भी प्रकार का बंधन नहीं है कोई मर्यादा की दीवार में न समाज है ना लोग हैं कुछ नहीं है,,,, आप हंसती हो तो बहुत खूबसूरत लगती हो आज एक बार फिर से बचपन लौट आया है,,, क्यों ना आज जिस तरह से बचपन में मजे करती थी उसी तरह से जवानी में मजे कर लो,,,,
(रघु जानबूझकर जवानी शब्द पर जोर देते हुए बोला था और प्रताप सिंह की बीवी भी अपने लिए जवानी शब्द सुनकर एक पल के लिए रघु को एकटक देखने लगी थी क्योंकि यह बात वही अच्छी तरह से जानती थी कि,, भले ही वह एक उम्र दराज जमीदार के साथ ब्याही गई थी तो इसका मतलब यह नहीं था कि उसकी भी उम्र हो गई है वह अभी भी जवान थी और एकदम जवान जिसे देखकर गांव के बड़े बूढ़े सब लोग आहें भरते थे,,,, प्रताप सिंह की बीवी कुछ सोचने के बाद मुस्कुराते हुए खड़ी हुई,,,, और जैसे ही खड़ी हुई रघु के होश उड़ गए क्योंकि पानी में गिरने की वजह से अपने आप ही उसके ब्लाउज का ऊपर ही बटन खोल चुका था और उसकी मदमस्त लाजवाब चूचियां आधे से ज्यादा नजर आने लगी थी,,, एकदम गोरी और एकदम गोल मानो उसके ब्लाउज में चुचियों की जगह अलग से खरबूजा रख दिया गया हो,,,। और साड़ी की हालत भी अस्त व्यस्त थी पानी में भीग कर उसकी साड़ी एकदम बदन से चिपक गई थी और साड़ी का एक चोर उसके घुटनों के ऊपर चिपका हुआ था जिससे घुटनों के नीचे वह पूरी तरह से अपनी लाजवाब बेहतरीन नंगी टांगों को अपना आकार बक्स रहा था,, रघु का आश्चर्य से मुंह खुला का खुला रह गया था रघु को इस तरह से अपने आप को देखता हुआ पाकर उसके तन बदन में भी अजीब सी हलचल हो रही थी लेकिन वह अपने कपड़ों को यहां अपनी स्थिति को सुधारने के बजाय मुस्कुराकर एकाएक घूम गई और आगे पांव बढ़ाकर पानी में जाते हुए बोली,,,,

तुम ठीक कह रहे हो रघु,,, मुझे यहां पर खुल कर जी लेना चाहिए एक बार फिर से अपने बचपन को अपनी मस्ती के साथ जी लेना चाहिए,,,,(और ऐसा कहते हुए वह नदी में चलने लगी रघु उसके पीछे खड़ा उसे देख रहा था पानी में पूरी तरह से भीग जाने की वजह से उसकी साड़ी पूरी तरह से उसकी भारी-भरकम बड़ी बड़ी गांड से चिपक गई थी जिसकी वजह से उसकी गांड का हर एक कटाव और उसका उठाव बेहतरीन आकार लिए अपने आप को प्रदर्शित कर रहा था,,,। यह जबरदस्त अद्भुत और अतुल्य नजारे को देखकर रघु के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था,,,। जिस तरह से वह पानी में अपने पैरों को जोर देकर चल रही थी उससे उसके नितंबों में अजीब सी हलचल अद्भुत थिरकन हो रही थी,,, यह देख कर रघू के तन बदन में जवानी का शोला भड़कने लगा था,,। उसकी बड़ी-बड़ी मटकती हुई गांड को देखकर रघु यही सोच रहा था कि प्रताप सिंह ऐसी जवान बीवी से कितना मजा लेता होगा,,, लेकिन फिर उसके मन में ख्याल आया कि,, क्या प्रताप सिंह उम्र दराज होने के बावजूद अपनी जवानी से लबालब बीवी को संतुष्ट कर पाता होगा क्या उसकी बेलगाम जमाने को अपने लगाम से काबू में कर पाता होगा,,,, रघु का अपने सवाल का जवाब अच्छी तरह से मालूम था की प्रताप सिंह अपनी जवानी से भरपूर कम उम्र की बीवी को संतुष्ट नहीं कर पाता होगा,,,, क्योंकि उसके सामने दो औरतों के उदाहरण पहले से मौजूद थे एक हलवाई की बीवी और दूसरी रामू की मां दोनों के पति मौजूद है अगर वह लोग अपने पति से संतुष्ट होती तो उसके साथ कभी भी शारीरिक संबंध नहीं बनाती,,, गैर मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाने का सबसे अहम कारण नहीं होता है कि औरत अपने पति से संतुष्ट नहीं होती उनका पति उन्हें जुदाई का भरपूर साथ नहीं दे पाता तब जाकर मजबूर होकर औरत किसी गैर मर्द से संबंध बनाती है ताकि वह उसे संतुष्ट कर सके और रघु इस मामले में दोनों औरतों को उनकी सोच के मुताबिक ज्यादा ही संतुष्टि का एहसास करा चुका था इसलिए तो वह दोनों औरते रघू की दीवानी हो चुकी थी,,,,और प्रताप सिंह की बीवी को देखकर रघु को यही लग रहा था कि फल पूरी तरह से पक चुका है बस उसकी झोली में गिरने का इंतजार है,,, और यही देखना था कि कब उसकी झोली में गिरता है,,,। इसलिए तो रघु प्यासी नजरों से प्रताप सिंह की बीवी की मटकती हुई गांड देख रहा था जो कि बेहद मादक अदा से ईठलाती हुई पानी में आगे बढ़ रही थी,,, रघु कुछ बोल पाता इससे पहले ही वह फिर से पानी में पूरी तरह से जानबूझकर गिर गई और थोड़े से पानी में तैरने का आनंद लेने लगी चिलचिलाती गर्मी में नदी का पानी ठंडक दे रहा था।,,, पानी इतना ज्यादा नहीं था कि उसके पूरे बदन को अपनी आगोश में ले सके,,, इसलिए जब बहुत ही करने की कोशिश करती थी तो उसकी भारी-भरकम मदमस्त गांड पानी से भीगी हुई नदी के पानी से बाहर नजर आ जा रही थी,,,, यह देखकर रघु पजामे के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को हाथ से मसल दे रहा था,। प्रताप सिंह की बीवी रघू की इस हरकत से अनजान नदी के पानी में नहाने का मजा लूट रही थी,,,, पानी में लेटे लेटे ही वह रघु की तरफ देख कर बोली,,।

रघु तुम भी पानी में नहाने का मजा ले लो इस चिलचिलाती धूप में नदी के पानी से नहाने का मजा ही कुछ और है,,,(वह इतना बोल ही रही थी कि तभी उसकी नजर रघु के पजामे की तरफ गई और पजामे में बने तंबू को देखकर हैरान रह गई,,, वह रघु के तंबू को देखती ही रह गई,,, इतना तो अंदाजा लगा ली थी कि जिस तरह का तंबू उसके पहचानोगे दिख रहा है पजामे के अंदर का हथियार उतना ही दमदार होगा,,,, वह अपने चेहरे पर आए हैंरानी के भाव को जल्द ही दूर करते हुए एकदम सहज भाव से बोली,,।)

तुम भी नहा लो रघु गर्मी बहुत है,,,,।
(रघु उसकी बात को टाल नहीं सका और जहां खड़ा था वहीं पानी में बैठकर ठंडे पानी का आनंद लेने लगा वह नहा रहा था प्रताप सिंह की बीवी भी नहा रही थी लेकिन अब उसका नहाने में मन नहीं लग रहा था क्योंकि जिस तरह का तंबू उसने रघु के पजामे में देखी थी,,वह कोई मामूली तंबू नहीं था यह इस बात का अंदाजा उसे लग चुका था इसलिए बार-बार उसका ध्यान रघु के तने हुए तंबू पर चला जा रहा था जो कि अब वह पानी में नहा रहा था,, प्रताप सिंह की बीवी के तन बदन में हलचला होना शुरु हो गई थी,,,,,, रघु बार-बार उसके तन बदन को प्यासी नजरों से देख ले रहा था और वह उसी तरह से पानी में तैरने की कोशिश कर रही थी उसकी भारी-भरकम नितंब पानी में डूबी हुई बहुत ही खूबसूरत लग रही थी,,, रघु का लंड शांत बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था,,, तकरीबन आधा घंटे तक नदी के पानी में नहाने के बाद प्रताप सिंह की बीवी खड़ी हुई और रघु की तरफ देख कर बोली,,,।

रघु बहुत हो गया अब चलो चलते हैं,,,,(इतना कहकर वो नदी के पानी से बाहर जाने लगी लेकिन रघु उसके ब्लाउज की तरफ देख चुका था जिसका दो बटन खोल चुका था अब आधे से भी ज्यादा चूचियां उसे निर्वस्त्र हालत में नजर आ रही थी उसकी कलाइयां साफ-साफ ब्लाउज के अंदर अपनी आभा बिखेर रहा था,,, रघु प्रताप सिंह की बीवी की दोनों गोलाइयो को पानी से एकदम गीला देखकर एकदम मस्त हो गया और यह बात उसे भी पता थी कि उसके ब्लाउज के दो बटन खुल चुके हैं लेकिन वहां उसे बंद करने की जरा भी सुध नहीं ले रही थी वह उसी तरह से नदी के पानी में चलती चली जा रही थी उसकी मटकती गांड रघु की हालत पतली किए जा रही थी,,,। वह भी पानी में से खड़ा हो गया था,,,,और साथ ही उसका लंड भी जो कि पैजामा पूरी तरह से पानी में भीग गया था और पानी में गीला होने की वजह से उसका पैजामा पूरी तरह से उसके लंड के आकार पर चिपक गया था,,, और पानी में भीगने की वजह से उसके लंड की त्वचा एकदम साफ नजर आ रही थी जो कि अब तक प्रताप सिंह की बीवी की नजर में नहीं आई थी लेकिन उसका मन उसे देखने का बहुत कर रहा था,,,, रघु भी पीछे-पीछे जाने लगा शायद अब साड़ी को पानी में भीगने से बचाने की जरूरत नहीं थी इसलिए प्रताप सिंह की बीवी बड़े आराम से पानी में चल रही थी उसकी साड़ी पानी की सतह पर गुब्बारे की तरह दे रहा था लेकिन नितंबों पर अभी भी उसका वस्त्र गीला होकर चिपका हुआ था जिससे उसके आकार में अद्भुत उठाव नजर आ रहा था,,,, यह नजारा देखकर रघु को डर लग रहा था कि उसका लंड कहीं बगावत पर ना उतर आए,,,, उसकी जगह कोई और औरत होती तो अब तक रघु उसे अपने नीचे ले लिया होता लेकिन इतने बड़े जमींदार की औरत होने के नाते रघु को थोड़ा डर भी लग रहा था उसके साथ कुछ ऐसा वैसा करने में क्योंकि उसकी कोई भी गलत हरकत उसकी जान ले सकती थी इसलिए अपने आप को संभाले हुए था वह चाहता था कि उसकी बीवी खुद अपने आप ही उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए,,, इसलिए तो वह अब उसकी आंखों के सामने से अपने तंबू को छिपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था क्योंकि वह जानता था अगर प्रताप सिंह की बीवी उसके पजामे में बने तंबू को देख ली तो जरूर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए लालायित हो जाएगी।

प्रताप सिंह की बीवी आगे आगे चल रही थी और रघु पीछे पीछे,,,, एक नारी होने के नाते इस तरह से एकांत में एक जवान लड़के की उपस्थिति में गीले बदन उसे अद्भुत और उत्तेजना का अनुभव रहा था उसका रोम रोम उत्तेजित हुए जा रहा था,,, वैसे भी उसे ही इस बात का आभास था कि उसे शारीरिक संतुष्टि नहीं प्राप्त हो पा रही है क्योंकि प्रताप सिंह की उम्र और ताकत इतनी नहीं थी कि वह एक जवान औरत को अपने मर्दाना ताकत से संपूर्ण संतुष्टि का अहसास करा सकें,,,, इसलिए तो रघु के आकर्षण में वह बंधती चली जा रही थी,,,, वह पानी में चलते हुए पीछे मुड़ कर रघू की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी,,,,लेकिन जैसे ही उसकी नजर एक बार फिर से उसके तंबू पर पड़ी तो वह हक्की बक्की रह गई क्योंकि इस बार पानी में भीग जाने की वजह से उसके पेजामे का कपड़ा पूरी तरह से उसके लंड से चिपक गया था जिससे लगभग लगभग पजामे के अंदर होने के बावजूद भी,,, रघू का लंड पुरी औकात में नजर आ रहा था,,, यह नजारा देखते ही प्रताप सिंह की बीवी की दोनों टांगों के बीच हलचल होना शुरू हो गई और मन ही मन रघु कै लंड के आकार की कल्पना करने लगी थी,,,। रघु जिस तरह से बड़ी मुश्किल से पानी में अपने पैरों को आगे बढ़ाते हुए आ रहा था और उसी कशमकश में पजामे के अंदर अपना जलवा बिखेर रहा उसका लंड ऊपर नीचे हो रहा था जिसे देख देख कर प्रताप सिंह की बीवी की हालत खराब हो रही थी,,,, अजीब सी हलचल उसके तन बदन को झकझोर कर रख दे रही थी वह बार-बार उसके तंबू पर से अपनी नजर हटा ले रही थी लेकिन उसे बार-बार देखने की लानत उसे मजबूर कर दे रही थी,,,,

देखते ही देखते दोनों नदी से बाहर आ गए,,,, गर्मी के महीने में चिलचिलाती धूप,,,, पूरे वातावरण को अपनी आगोश में ले लिया था गंगा नदी के बाहर हरी हरी घास में खड़ा था और घोड़ा उसी हरी हरी घास का मजा ले रहा था,,,, उसे भूख लगी हुई थी इसलिए वह हरी हरी घास खा रहा था,,,, जहां पर तांगा खड़ा था वहां पर विशाल वृक्ष था जिसकी छाया में तांगा खड़ा था और वह दोनों की उसी पेड के नीचे जाकर खड़े हो गए,,, दोनों के वस्त्र पूरी तरह से पानी से किले हो चुके थे जिन्हें बदलना आवश्यक था,,,, रघु जानबूझकर प्रताप सिंह की बीवी की आंखों के सामने ही अपना कुर्ता निकालने लगा और जैसे ही कुर्ता निकाल कर बताएंगे पर रखकर उसे सुखाने के लिए रख दिया उसकी नंगी चौड़ी छाती देख कर प्रताप सिंह की बीवी एक दम काम विह्वल हो गई,,,। रघु एकदम जवान था उसका गठीला और कसरती बदन किसी भी औरत के लिए आकर्षण बन जाता है इसलिए तो प्रताप सिंह की बीवी एकदम से उसकी तरफ आकर्षित हो गई उसका जवान पत्नी देखकर ना जाने क्यों उसके तन बदन में हलचल होने लगी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,अपने बदन में इस तरह की हलचल का मतलब वह अच्छी तरह से समझ रही थी वह हैरान थी कि उसे यह क्या हो रहा है कि वह अनजान लड़के के आकर्षण में खींचती चली जा रही है,,, वह अभी भी गीले कपड़ों में थी इसलिए रघू ही उसे बोला,,,

मालकिन कपड़े बदल लो वरना सर्दी लग जाएगी,,,

हुं,,,,,,(इतना कहकर वह टांगे में रखी हुई अपनी अटैची खोलने लगी,,, जिसमें वह अपने काम का सामान और कपड़े रखी हुई थी,,,, देखते ही देखते वह उसमें से अपनी साड़ी ब्लाउज और पेटीकोट निकालकर तांगे के दूसरे छोर पर चली गई,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था रघू तांगे के ईस ओर खड़ा था और प्रताप सिंह की बीवी दूसरी ओर,,, रघु का भी दिल जोरों से धड़क रहा था,,, पहली बार कोई औरत उसके इतने करीब अपने सारे कपड़े उतार कर कपड़े बदल रही थी हालांकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि रखो किसी औरत को कपड़े बदलते देखा नहीं हो वह अपनी मां और अपनी बहन दोनों को कपड़े उतारते हुए बदलते हुए और उन्हें एकदम नग्न अवस्था में देख चुका है हालांकि वह अपनी बड़ी बहन की चुदाई भी करता आ रहा है,,,लेकिन आज पहली बार किसी बड़े घराने की औरत उसके बेहद समकक्ष खड़ी होकर अपने सारे कपड़े उतार कर कपड़े बदलने वाली थी,,, इसलिए उसके तन बदन में हलचल मची हुई थी,,,,
दूसरी तरफ प्रताप सिंह की बीवी एक-एक करके अपने सारे कपड़े उतारने लगी ब्लाउज के बटन ऊपर के दो तो पहले से ही खुल चुके थे बाकी के बटन को खोल कर अपना ब्लाउज उतारकर वही तांगे पर आगे रख दी,,, ठंडे पानी में भीग कर ऐसा लग रहा था कि उसकी दोनों चूचियां कुछ और ज्यादा बड़ी और कठोर हो गई है क्योंकि दोनों की हालत को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि दोनों चूचियां बगावत पर उतर आई है,,, अपनी चुचियों पर नजर डालकर वह अपने पेटीकोट की डोरी के साथ-साथ अपनी गीली साड़ी भी खोलने लगी,,,उसे इतना तो पता था कि 1 मीटर जैसी दूरी पर पीछे खड़ा होकर रघु भीअपने कपड़े बदल रहा होगा जिस तरह की हलचल रघू अपने तन बदन में महसूस कर रहा था ठीक उसी तरह की हलचल प्रताप सिंह की बीवी अपने तन बदन में महसूस कर रही थी,,, एक अनजान जवान लड़के के बेहद करीब खड़ी होकर अपने सारे वस्त्र उतार कर,, नंगी हो रही थी,,, यह अनुभव यह एहसास उसके लिए बिल्कुल नया था जिंदगी में पहली बार किसी जवान लड़के के सामने,,, भले ही वह उसके सामने खड़ी होकर ना सही लेकिन उसके समकक्ष अपने सारे कपड़े उतार रही थी देखते ही देखते वह अपनी साड़ी को भी उतार फेंकी,,,, पेटिकोट की डोरी को खोलते हुए वह पेटीकोट को उतारने ही वाली थी कि दूसरे छोर पर खड़े रघू के हाथ से उसका गिला कपड़ा नीचे गिर गया और वह जैसे ही नीचे झुक कर उसे उठाने को चला वैसे ही प्रताप सिंह की बीवी दूसरे छोर पर अपने पेटीकोट की डोरी को खोल कर उसे अपनी कमर से आजाद कर दी और उसका पेटीकोट भरभरा कर उसके कदमों में जा गिरा,,, पर जैसे ही उसका पेटीकोट उसके कदमों में गिरा दूसरे छोर पर रघु नीचे झुक कर अपना कपड़ा उठाते हुए उसकी नजर दूसरे छोर पर खड़ी प्रताप सिंह की बीवी पर पड़ी जिसका पेटीकोट उसके कदमों में गिर गया था,,,,, दूसरे छोर के नजारे को देखते ही रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा वह एकदम से मदहोश होने लगा क्योंकि उसे प्रताप सिंह की बीवी की मोटी चिकनी जांघों से लेकर के उसके पैर के अंगूठे तक साफ नजर आ रहा था एकदम गोरी,,, रघु की तो आंखें फटी की फटी रह गई एकदम से बावला हो गया था प्रताप सिंह की बीवी को चोदने की इच्छा उसके मन में एकदम प्रबलित हो रही थी,,, रघू उसके गोरे बदन को अपनी बाहों में लेना चाहता था,,,लेकिन एक बार उसके मन में था कि कहीं यह बात प्रताप सिंह को पता चल गई तो उसकी खैर नहीं,,,, उसकी मदमस्त मोटी मोटी गोरी टांगों से पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह उसके बदन पर फिसल रही थी,,, प्रताप सिंह की बीवी को इस बात का अहसास तक नहीं था कि वह उसे नीचे झुककर उसकी नंगी चिकनी टांगों को देख रहा है,,,, कमर के नीचे का संपूर्ण बदन रघु की आंखों से नजर आ रहा था बस उसे इंतजार था कि वह उसकी तरफ मुंह करके खड़ी हो जाए ताकि उसकी दोनों टांगों के बीच की वो पतली दरार मद मस्त रसीली फूली हुई बुर ऊसे नजर आ जाए,,,, वह धड़कते दिल के साथ अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर सामने के नजारे को देख रहा था,,, उसके लंड की नसों में खुन का दौरा इतनी तेज गति से हो रहा था कि मानो अभी उसके लंड की नसें फट जाएंगी,,,, प्रताप सिंह की बीवी अपनी मस्ती में इस बात से अनजान की कमर के नीचे का संपूर्ण नग्न बदन रखो अपनी आंखों से देख कर मस्त हो रहा है वह अपनी ही धुन मे अपने कपड़े बदल रही थी,,,, देखते ही देखते सबसे पहले वह अपना ब्लाउज उठाई और उसे पहनने लगी,,,,पर एक-एक करके अपने ब्लाउज के सारे बटन को बंद करके अपनी मदमस्त चूचियों को ब्लाउज की कैद में रख दी,,,, और जैसे ही अपनी अटैची में से पेटिकोट निकालने को हुई तो उसका पेटिकोट उसके हाथों से छुट कर नीचे गिर गया और वह तुरंत अपना पेटीकोट उठाने के लिए नीचे झुकी तो उसकी नजर सीधे जाकर रघु की नजरों से टकरा गई,,, रघु को अपनी तरफ देखता हुआ पाकर वह ऊतेजना के मारे एकदम से गनगना गई,,,,उसके तो होश उड़ गए जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि रघु नीचे झुककर उसकी नंगे बदन को देख रहा है,,, वो झट से अपनी पेटीकोट उठाकरतुरंत अपना एक-एक करके दोनों पांव डालकर पेटिकोट को कमर तक उठा दी और जल्दी से उसकी डोरी को कस दी,,,, देखते ही देखते बेहद उत्तेजना से भरपूर मादक नजारे पर पर्दा पड़ गया और प्रताप सिंह की बीवी अपनी साड़ी पहन कर एक बार फिर से तैयार हो गई नहाने के बाद वह और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,, रघू एकदम शर्मिंदा हो गया था वह प्रताप सिंह की बीवी से नजर नहीं मिला पा रहा था और प्रताप सिंह की बीवी ना जाने किस एहसास में पूरी तरह से मस्त होकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी रघु का इस तरह से चोरी छिपे उसके नंगे बदन को देखना उसे अच्छा लग रहा था,,, रघु इधर-उधर देख रहा था वह प्रताप सिंह की बीवी से नजर नहीं मिला पा रहा था,,,

धूप बड़ी जोरों की लग रही थी साथ ही प्रताप सिंह की बीवी को भूख भी लगी हुई थी,,,, वह अच्छी सी जगह देखकर घास के ढेर में घर से लाया हुआ भोजन लेकर बैठ गई,,,, वह अकेले खाने वाली नहीं थी वह जानती थी कि रघू भी भूखा होगा,,, और रघु उससे नजरे चुरा रहा था,, प्रताप सिंह की बीवी उसे आवाज देकर बोली,,,।


अरे रघु सुन तो,,, आकर खाना खा ले मुझे मालूम है तुझे भी भूख लगी होगी,,,, जल्दी आ,,,

(रघु जो कि थोड़ी दूर जाकर ,,, नदी की तरफ मुंह करके खड़ा था प्रताप सिंह की बीवी की आवाज कानों में पड़ते ही,,, उसे एहसास हुआ कि उसे भी बड़े जोरों की भूख लगी है इसलिए वह सब कुछ भूल कर प्रताप सिंह की बीवी के पास आकर बैठ गया,,,हालांकि वह पजामा पहना हुआ था और पैजामा अभी भी गिला था और कमर के ऊपर कुर्ता नहीं पहना था जैसे उसकी नंगी चौड़ी छाती एकदम साफ नजर आ रही थी,,, और प्रताप सिंह की बीवी को रघु की नंगी चौड़ी छाती देखकर कुछ-कुछ हो रहा था,,,।)
 

Desi Man

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बहुत कामुक अपडेट हैं दोस्त
 
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Nice update ...raghu ko mast najara dekhne ko mila pratap ki biwi ka jaise uski sudol gand 😁.
ab lagta hai dono hi bhig jayenge .phir shayad kuch ho jaaye 🤣..
 
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तुम चिंता मत करो मैं संभाल लूंगी,,,(इतना कहकर वह तांगे पर से नीचे उतरने लगी,,यह बात वो भी अच्छी तरह से जानती थी कि नीचे उतरने पर उसकी साड़ी पानी में भीग जाएगी इसलिए वह एक हाथ से अपनी साड़ी को पकड़ कर नीचे उतरने लगी साड़ी को थोड़ा सा उठा रखी थी जिससे घुटनों के नीचे की टांगें दिखाई देने लगी एकदम गोरी गोरी मखमली टांगों को देखकर रघु की आंखों में चमक आने लगी,,,, रघु के हाथों में प्रताप सिंह की बीवी का हाथ था एकदम नरम नरम एकदम मुलायम ऐसा लग रहा था कि जैसे हाथ नहीं बल्कि रुई के ढेर को अपनी हथेली में दबा रखा हो,, धीरे धीरे वह एक एक करके अपने दोनों पैर को पानी में उतार दी देखते ही देखते पानी उसके घुटनों तक आ गया और वह अपनी साड़ी को घुटनों के ऊपर तक उठा दी,,, उसकी साड़ी घुटनों के ऊपर तक थी जिससे उसकी गोरी गोरी पिंडलिया नजर आ रही थी,, रघु के होश खोने लगे वह मदहोश होने लगा,,, जी मैं आ रहा था कि वह उसकी साड़ी को कमर तक उठाकर उसकी मदमस्त गोरी गोरी गांड के दर्शन करके अपने आप को धन्य कर ले,,, लेकिन यह ख्याल बस था हकीकत की शक्ल देने में शायद अभी बहुत वक्त था,,, प्रताप सिंह की बीवी तांगे के दूसरे छोर पर खड़े होकर एक हाथ से साड़ी पकड़ कर तांगे को धक्का लगाने लगी,, यह देख कर रघू भी जोर लगाने लगा,,,

दम लगा के हईशा ,,,,,,,दम लगा के हईशा,,,,,,(प्रताप सिंह की बीवी हंसते हुए यह बोलकर रघु की तरफ देख रही थी रघु भी उस के सुर में सुर मिलाता हुआ दम लगा के हईशा बोलने लगा,,, दोनों को मजा आ रहा था प्रताप सिंह की बीवी में ऐसा लग रहा था कि अभी भी बचपना बाकी था या तो वह अपने बचपन को ठीक तरह से बीता नहीं पाई थी,,,प्रताप सिंह की बीवी का इस तरह से दम लगा कर हईशा बोल बोल के तांगे को धक्का लगा ना बहुत अच्छा लग रहा था,,,,टांगे को धक्का लगाते हुए वह थोड़ा सा झुकी हुई थी जिसकी वजह से घुटनों के ऊपर तक उठी हुई साड़ी और बाहर की तरफ निकला हुआ उभार दार मदमस्त कर देने वाला अद्भुत नितंब रघु के होश उड़ा रहा था बार-बार उसकी नजर उसकी उठी हुई गांड पर चली जा रही थी और रघु जिस तरह से वो झुकी हुई थी,,,रघु टांगे को धक्का लगाते लगाते कल्पना कर रहा था कि वह उसी स्थिति में प्रताप सिंह की बीवी की चुदाई कर रहा है और उसके मुख से दम लगा के हईशा की जगह गरमा गरम सिसकारियों की आवाज गूंज रही है,,,, रघु कल्पना करके ही एकदम मस्त हो जा रहा था,,,, प्रताप सिंह की बीवी एक हाथ से अभी भी साड़ी को पकड़े हुए थी,,, कभी कभी जोर लगाने की अफरातफरी में उसकी साड़ी जांघों तक ऊपर उठ जाती थी जिसकी वजह से रघु को मोटी मोटी इतनी मांसल गोरी जांघें देख कर अपनी आंखें सेंकने का मौका मिल जा रहा था,,, रघु मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि जमीदार की बीवी अपनी साड़ी को कमर तक उठा दे ताकि वह उसकी गोलाकार सुडोल अद्भुत गांड के दर्शन कर सकें,,,।

जोर लगाओ रघु मेरी तरफ क्या देख रहे हो,,,,, तांगे को पानी से निकालना है कि नहीं,,,,

जजजज,,जी,,, मालकिन,,,,,( रघु एकदम से हडबडाते हुए बोला,,,प्रताप सिंह की बीवी को इतना तो समझ में आ ही गया था कि रघु उसे अपनी प्यासी नजरों से देख रहा है और उसका इस तरह से उसे देखना उसे अच्छा भी लग रहा था,,, वह इतना तो अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाई हुई है उसकी मांसल सुडौल जांघें रघु को साफ दिखाई दे रही है,, और वही अंग रघु चोर नजरों से देख भी रहा था,,,। बार-बार वह भगवान से एक ही प्रार्थना कर रहा था कि काश ऊसकी साड़ी कमर तक उठ जाए और उसे वह दृश्य नजर आ जाए जिसके देखने की कामना वह अपने मन में बसाकर रखा है,,,, धीरे धीरे रघू के पजामे में तंबू बनना शुरू हो गया था,,,, प्रताप सिंह की बीवी की मादकता भरी जवानी उसके होश उड़ा रही थी,,, घोड़ा अपनी पूरी ताकत लगा रहा था साथ ही रखो और प्रताप सिंह की बीवी भी अपना-अपना जोर दिखा रहे थे,,, एकाएक घोड़े की ताकत और दोनों की कोशिश रंग लाई हो तांगे का पहिया पत्थर सुपर से ऊपर की तरफ होता हुआ आगे निकल गया,,,, घोड़ा बड़ी तेजी से आगे की तरफ निकला था इसलिए प्रताप सिंह की बीवी अपने आप को संभाल नहीं पाई और आगे की तरफ एकदम से झुक गई जिसकी वजह से अपने आप को संभालने के चक्कर में उसके हाथ में फंसी साड़ी ऊपर की तरफ उठ गई और ऐसा लग रहा था कि भगवान मेरा को की प्रार्थना सुन ली और उसकी आंखों के सामने वही तेरे से नजर आने लगा जिसकी काम लावा कर रहा था साड़ी के ऊपर उठ जाने की वजह से प्रताप सिंह की बीवी की नंगी गांड रघु की आंखों के सामने उजागर हो गई,, रघू तो देखता ही रह गया,,, रघु की आंखों के सामने प्रताप सिंह की बीवी की नंगी गांड थी जिसकी शायद वह कल्पना भी नहीं कर सकता था वह इतनी ज्यादा खूबसूरत है एकदम गोरी ,,, ऐसा लग रहा था कि गोरी गांड की शक्ल में चांद नीचे जमीन पर उतर आया हो,,,,प्रताप सिंह की बीवी की गांड देखते ही रघू के मुंह में पानी आ गया पजामे में हरकत होना शुरू हो गई,,,,, रघु से ज्यादा दृश्य अपनी आंखों से देख पाता इससे पहले ही अपने आप को ना संभाल पाने की स्थिति में प्रताप सिंह की बीवी पानी में गिर गई,,,, और एकदम से घबरा गया और जल्दी से आगे बढ़ा,,,प्रताप सिंह की बीवी को उठाने के लिए जैसे ही अपना हाथ आगे बढ़ाया प्रताप सिंह की बीवी पानी में पूरी तरह से भीग चुकी थी पानी ज्यादा नहीं था घुटनों जितना ही था इसलिए वह एक तरह से पानी में एकदम से बैठ गई थी,,, वह रघू को देखकर जोर-जोर से हंसने लगी,, रघू भी हंसने लगा प्रताप सिंह की बीवी का पूरा बदन पानी में डूबा हुआ था कि बलवा अपना चेहरा बाहर निकाल कर हंस रही थी और बड़ी खूबसूरत लग रही थी रघु तो उसे देखता ही रह गया,,,,।

आप हंस क्यों रही है मालकिन,,,,

बचपन का दिन याद आ गया रे रघू,,,,, इसी तरह से हम लोग नदी में खूब मजे किया करते थे कोई पाबंदी नहीं थी कोई रोक-टोक नहीं था,,,, लेकिन जैसे जैसे बड़े होने लगे वैसे कैसे मर्यादा की दीवार समाज के बंधन में बंधते चले गए,,, सब कुछ उम्र के साथ पीछे छूट गया रघू,,,,।

लेकिन मालकिन आज यहां पर किसी भी प्रकार का बंधन नहीं है कोई मर्यादा की दीवार में न समाज है ना लोग हैं कुछ नहीं है,,,, आप हंसती हो तो बहुत खूबसूरत लगती हो आज एक बार फिर से बचपन लौट आया है,,, क्यों ना आज जिस तरह से बचपन में मजे करती थी उसी तरह से जवानी में मजे कर लो,,,,
(रघु जानबूझकर जवानी शब्द पर जोर देते हुए बोला था और प्रताप सिंह की बीवी भी अपने लिए जवानी शब्द सुनकर एक पल के लिए रघु को एकटक देखने लगी थी क्योंकि यह बात वही अच्छी तरह से जानती थी कि,, भले ही वह एक उम्र दराज जमीदार के साथ ब्याही गई थी तो इसका मतलब यह नहीं था कि उसकी भी उम्र हो गई है वह अभी भी जवान थी और एकदम जवान जिसे देखकर गांव के बड़े बूढ़े सब लोग आहें भरते थे,,,, प्रताप सिंह की बीवी कुछ सोचने के बाद मुस्कुराते हुए खड़ी हुई,,,, और जैसे ही खड़ी हुई रघु के होश उड़ गए क्योंकि पानी में गिरने की वजह से अपने आप ही उसके ब्लाउज का ऊपर ही बटन खोल चुका था और उसकी मदमस्त लाजवाब चूचियां आधे से ज्यादा नजर आने लगी थी,,, एकदम गोरी और एकदम गोल मानो उसके ब्लाउज में चुचियों की जगह अलग से खरबूजा रख दिया गया हो,,,। और साड़ी की हालत भी अस्त व्यस्त थी पानी में भीग कर उसकी साड़ी एकदम बदन से चिपक गई थी और साड़ी का एक चोर उसके घुटनों के ऊपर चिपका हुआ था जिससे घुटनों के नीचे वह पूरी तरह से अपनी लाजवाब बेहतरीन नंगी टांगों को अपना आकार बक्स रहा था,, रघु का आश्चर्य से मुंह खुला का खुला रह गया था रघु को इस तरह से अपने आप को देखता हुआ पाकर उसके तन बदन में भी अजीब सी हलचल हो रही थी लेकिन वह अपने कपड़ों को यहां अपनी स्थिति को सुधारने के बजाय मुस्कुराकर एकाएक घूम गई और आगे पांव बढ़ाकर पानी में जाते हुए बोली,,,,

तुम ठीक कह रहे हो रघु,,, मुझे यहां पर खुल कर जी लेना चाहिए एक बार फिर से अपने बचपन को अपनी मस्ती के साथ जी लेना चाहिए,,,,(और ऐसा कहते हुए वह नदी में चलने लगी रघु उसके पीछे खड़ा उसे देख रहा था पानी में पूरी तरह से भीग जाने की वजह से उसकी साड़ी पूरी तरह से उसकी भारी-भरकम बड़ी बड़ी गांड से चिपक गई थी जिसकी वजह से उसकी गांड का हर एक कटाव और उसका उठाव बेहतरीन आकार लिए अपने आप को प्रदर्शित कर रहा था,,,। यह जबरदस्त अद्भुत और अतुल्य नजारे को देखकर रघु के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था,,,। जिस तरह से वह पानी में अपने पैरों को जोर देकर चल रही थी उससे उसके नितंबों में अजीब सी हलचल अद्भुत थिरकन हो रही थी,,, यह देख कर रघू के तन बदन में जवानी का शोला भड़कने लगा था,,। उसकी बड़ी-बड़ी मटकती हुई गांड को देखकर रघु यही सोच रहा था कि प्रताप सिंह ऐसी जवान बीवी से कितना मजा लेता होगा,,, लेकिन फिर उसके मन में ख्याल आया कि,, क्या प्रताप सिंह उम्र दराज होने के बावजूद अपनी जवानी से लबालब बीवी को संतुष्ट कर पाता होगा क्या उसकी बेलगाम जमाने को अपने लगाम से काबू में कर पाता होगा,,,, रघु का अपने सवाल का जवाब अच्छी तरह से मालूम था की प्रताप सिंह अपनी जवानी से भरपूर कम उम्र की बीवी को संतुष्ट नहीं कर पाता होगा,,,, क्योंकि उसके सामने दो औरतों के उदाहरण पहले से मौजूद थे एक हलवाई की बीवी और दूसरी रामू की मां दोनों के पति मौजूद है अगर वह लोग अपने पति से संतुष्ट होती तो उसके साथ कभी भी शारीरिक संबंध नहीं बनाती,,, गैर मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाने का सबसे अहम कारण नहीं होता है कि औरत अपने पति से संतुष्ट नहीं होती उनका पति उन्हें जुदाई का भरपूर साथ नहीं दे पाता तब जाकर मजबूर होकर औरत किसी गैर मर्द से संबंध बनाती है ताकि वह उसे संतुष्ट कर सके और रघु इस मामले में दोनों औरतों को उनकी सोच के मुताबिक ज्यादा ही संतुष्टि का एहसास करा चुका था इसलिए तो वह दोनों औरते रघू की दीवानी हो चुकी थी,,,,और प्रताप सिंह की बीवी को देखकर रघु को यही लग रहा था कि फल पूरी तरह से पक चुका है बस उसकी झोली में गिरने का इंतजार है,,, और यही देखना था कि कब उसकी झोली में गिरता है,,,। इसलिए तो रघु प्यासी नजरों से प्रताप सिंह की बीवी की मटकती हुई गांड देख रहा था जो कि बेहद मादक अदा से ईठलाती हुई पानी में आगे बढ़ रही थी,,, रघु कुछ बोल पाता इससे पहले ही वह फिर से पानी में पूरी तरह से जानबूझकर गिर गई और थोड़े से पानी में तैरने का आनंद लेने लगी चिलचिलाती गर्मी में नदी का पानी ठंडक दे रहा था।,,, पानी इतना ज्यादा नहीं था कि उसके पूरे बदन को अपनी आगोश में ले सके,,, इसलिए जब बहुत ही करने की कोशिश करती थी तो उसकी भारी-भरकम मदमस्त गांड पानी से भीगी हुई नदी के पानी से बाहर नजर आ जा रही थी,,,, यह देखकर रघु पजामे के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को हाथ से मसल दे रहा था,। प्रताप सिंह की बीवी रघू की इस हरकत से अनजान नदी के पानी में नहाने का मजा लूट रही थी,,,, पानी में लेटे लेटे ही वह रघु की तरफ देख कर बोली,,।

रघु तुम भी पानी में नहाने का मजा ले लो इस चिलचिलाती धूप में नदी के पानी से नहाने का मजा ही कुछ और है,,,(वह इतना बोल ही रही थी कि तभी उसकी नजर रघु के पजामे की तरफ गई और पजामे में बने तंबू को देखकर हैरान रह गई,,, वह रघु के तंबू को देखती ही रह गई,,, इतना तो अंदाजा लगा ली थी कि जिस तरह का तंबू उसके पहचानोगे दिख रहा है पजामे के अंदर का हथियार उतना ही दमदार होगा,,,, वह अपने चेहरे पर आए हैंरानी के भाव को जल्द ही दूर करते हुए एकदम सहज भाव से बोली,,।)

तुम भी नहा लो रघु गर्मी बहुत है,,,,।
(रघु उसकी बात को टाल नहीं सका और जहां खड़ा था वहीं पानी में बैठकर ठंडे पानी का आनंद लेने लगा वह नहा रहा था प्रताप सिंह की बीवी भी नहा रही थी लेकिन अब उसका नहाने में मन नहीं लग रहा था क्योंकि जिस तरह का तंबू उसने रघु के पजामे में देखी थी,,वह कोई मामूली तंबू नहीं था यह इस बात का अंदाजा उसे लग चुका था इसलिए बार-बार उसका ध्यान रघु के तने हुए तंबू पर चला जा रहा था जो कि अब वह पानी में नहा रहा था,, प्रताप सिंह की बीवी के तन बदन में हलचला होना शुरु हो गई थी,,,,,, रघु बार-बार उसके तन बदन को प्यासी नजरों से देख ले रहा था और वह उसी तरह से पानी में तैरने की कोशिश कर रही थी उसकी भारी-भरकम नितंब पानी में डूबी हुई बहुत ही खूबसूरत लग रही थी,,, रघु का लंड शांत बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था,,, तकरीबन आधा घंटे तक नदी के पानी में नहाने के बाद प्रताप सिंह की बीवी खड़ी हुई और रघु की तरफ देख कर बोली,,,।

रघु बहुत हो गया अब चलो चलते हैं,,,,(इतना कहकर वो नदी के पानी से बाहर जाने लगी लेकिन रघु उसके ब्लाउज की तरफ देख चुका था जिसका दो बटन खोल चुका था अब आधे से भी ज्यादा चूचियां उसे निर्वस्त्र हालत में नजर आ रही थी उसकी कलाइयां साफ-साफ ब्लाउज के अंदर अपनी आभा बिखेर रहा था,,, रघु प्रताप सिंह की बीवी की दोनों गोलाइयो को पानी से एकदम गीला देखकर एकदम मस्त हो गया और यह बात उसे भी पता थी कि उसके ब्लाउज के दो बटन खुल चुके हैं लेकिन वहां उसे बंद करने की जरा भी सुध नहीं ले रही थी वह उसी तरह से नदी के पानी में चलती चली जा रही थी उसकी मटकती गांड रघु की हालत पतली किए जा रही थी,,,। वह भी पानी में से खड़ा हो गया था,,,,और साथ ही उसका लंड भी जो कि पैजामा पूरी तरह से पानी में भीग गया था और पानी में गीला होने की वजह से उसका पैजामा पूरी तरह से उसके लंड के आकार पर चिपक गया था,,, और पानी में भीगने की वजह से उसके लंड की त्वचा एकदम साफ नजर आ रही थी जो कि अब तक प्रताप सिंह की बीवी की नजर में नहीं आई थी लेकिन उसका मन उसे देखने का बहुत कर रहा था,,,, रघु भी पीछे-पीछे जाने लगा शायद अब साड़ी को पानी में भीगने से बचाने की जरूरत नहीं थी इसलिए प्रताप सिंह की बीवी बड़े आराम से पानी में चल रही थी उसकी साड़ी पानी की सतह पर गुब्बारे की तरह दे रहा था लेकिन नितंबों पर अभी भी उसका वस्त्र गीला होकर चिपका हुआ था जिससे उसके आकार में अद्भुत उठाव नजर आ रहा था,,,, यह नजारा देखकर रघु को डर लग रहा था कि उसका लंड कहीं बगावत पर ना उतर आए,,,, उसकी जगह कोई और औरत होती तो अब तक रघु उसे अपने नीचे ले लिया होता लेकिन इतने बड़े जमींदार की औरत होने के नाते रघु को थोड़ा डर भी लग रहा था उसके साथ कुछ ऐसा वैसा करने में क्योंकि उसकी कोई भी गलत हरकत उसकी जान ले सकती थी इसलिए अपने आप को संभाले हुए था वह चाहता था कि उसकी बीवी खुद अपने आप ही उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए,,, इसलिए तो वह अब उसकी आंखों के सामने से अपने तंबू को छिपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था क्योंकि वह जानता था अगर प्रताप सिंह की बीवी उसके पजामे में बने तंबू को देख ली तो जरूर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए लालायित हो जाएगी।

प्रताप सिंह की बीवी आगे आगे चल रही थी और रघु पीछे पीछे,,,, एक नारी होने के नाते इस तरह से एकांत में एक जवान लड़के की उपस्थिति में गीले बदन उसे अद्भुत और उत्तेजना का अनुभव रहा था उसका रोम रोम उत्तेजित हुए जा रहा था,,, वैसे भी उसे ही इस बात का आभास था कि उसे शारीरिक संतुष्टि नहीं प्राप्त हो पा रही है क्योंकि प्रताप सिंह की उम्र और ताकत इतनी नहीं थी कि वह एक जवान औरत को अपने मर्दाना ताकत से संपूर्ण संतुष्टि का अहसास करा सकें,,,, इसलिए तो रघु के आकर्षण में वह बंधती चली जा रही थी,,,, वह पानी में चलते हुए पीछे मुड़ कर रघू की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी,,,,लेकिन जैसे ही उसकी नजर एक बार फिर से उसके तंबू पर पड़ी तो वह हक्की बक्की रह गई क्योंकि इस बार पानी में भीग जाने की वजह से उसके पेजामे का कपड़ा पूरी तरह से उसके लंड से चिपक गया था जिससे लगभग लगभग पजामे के अंदर होने के बावजूद भी,,, रघू का लंड पुरी औकात में नजर आ रहा था,,, यह नजारा देखते ही प्रताप सिंह की बीवी की दोनों टांगों के बीच हलचल होना शुरू हो गई और मन ही मन रघु कै लंड के आकार की कल्पना करने लगी थी,,,। रघु जिस तरह से बड़ी मुश्किल से पानी में अपने पैरों को आगे बढ़ाते हुए आ रहा था और उसी कशमकश में पजामे के अंदर अपना जलवा बिखेर रहा उसका लंड ऊपर नीचे हो रहा था जिसे देख देख कर प्रताप सिंह की बीवी की हालत खराब हो रही थी,,,, अजीब सी हलचल उसके तन बदन को झकझोर कर रख दे रही थी वह बार-बार उसके तंबू पर से अपनी नजर हटा ले रही थी लेकिन उसे बार-बार देखने की लानत उसे मजबूर कर दे रही थी,,,,

देखते ही देखते दोनों नदी से बाहर आ गए,,,, गर्मी के महीने में चिलचिलाती धूप,,,, पूरे वातावरण को अपनी आगोश में ले लिया था गंगा नदी के बाहर हरी हरी घास में खड़ा था और घोड़ा उसी हरी हरी घास का मजा ले रहा था,,,, उसे भूख लगी हुई थी इसलिए वह हरी हरी घास खा रहा था,,,, जहां पर तांगा खड़ा था वहां पर विशाल वृक्ष था जिसकी छाया में तांगा खड़ा था और वह दोनों की उसी पेड के नीचे जाकर खड़े हो गए,,, दोनों के वस्त्र पूरी तरह से पानी से किले हो चुके थे जिन्हें बदलना आवश्यक था,,,, रघु जानबूझकर प्रताप सिंह की बीवी की आंखों के सामने ही अपना कुर्ता निकालने लगा और जैसे ही कुर्ता निकाल कर बताएंगे पर रखकर उसे सुखाने के लिए रख दिया उसकी नंगी चौड़ी छाती देख कर प्रताप सिंह की बीवी एक दम काम विह्वल हो गई,,,। रघु एकदम जवान था उसका गठीला और कसरती बदन किसी भी औरत के लिए आकर्षण बन जाता है इसलिए तो प्रताप सिंह की बीवी एकदम से उसकी तरफ आकर्षित हो गई उसका जवान पत्नी देखकर ना जाने क्यों उसके तन बदन में हलचल होने लगी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,अपने बदन में इस तरह की हलचल का मतलब वह अच्छी तरह से समझ रही थी वह हैरान थी कि उसे यह क्या हो रहा है कि वह अनजान लड़के के आकर्षण में खींचती चली जा रही है,,, वह अभी भी गीले कपड़ों में थी इसलिए रघू ही उसे बोला,,,

मालकिन कपड़े बदल लो वरना सर्दी लग जाएगी,,,

हुं,,,,,,(इतना कहकर वह टांगे में रखी हुई अपनी अटैची खोलने लगी,,, जिसमें वह अपने काम का सामान और कपड़े रखी हुई थी,,,, देखते ही देखते वह उसमें से अपनी साड़ी ब्लाउज और पेटीकोट निकालकर तांगे के दूसरे छोर पर चली गई,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था रघू तांगे के ईस ओर खड़ा था और प्रताप सिंह की बीवी दूसरी ओर,,, रघु का भी दिल जोरों से धड़क रहा था,,, पहली बार कोई औरत उसके इतने करीब अपने सारे कपड़े उतार कर कपड़े बदल रही थी हालांकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि रखो किसी औरत को कपड़े बदलते देखा नहीं हो वह अपनी मां और अपनी बहन दोनों को कपड़े उतारते हुए बदलते हुए और उन्हें एकदम नग्न अवस्था में देख चुका है हालांकि वह अपनी बड़ी बहन की चुदाई भी करता आ रहा है,,,लेकिन आज पहली बार किसी बड़े घराने की औरत उसके बेहद समकक्ष खड़ी होकर अपने सारे कपड़े उतार कर कपड़े बदलने वाली थी,,, इसलिए उसके तन बदन में हलचल मची हुई थी,,,,
दूसरी तरफ प्रताप सिंह की बीवी एक-एक करके अपने सारे कपड़े उतारने लगी ब्लाउज के बटन ऊपर के दो तो पहले से ही खुल चुके थे बाकी के बटन को खोल कर अपना ब्लाउज उतारकर वही तांगे पर आगे रख दी,,, ठंडे पानी में भीग कर ऐसा लग रहा था कि उसकी दोनों चूचियां कुछ और ज्यादा बड़ी और कठोर हो गई है क्योंकि दोनों की हालत को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि दोनों चूचियां बगावत पर उतर आई है,,, अपनी चुचियों पर नजर डालकर वह अपने पेटीकोट की डोरी के साथ-साथ अपनी गीली साड़ी भी खोलने लगी,,,उसे इतना तो पता था कि 1 मीटर जैसी दूरी पर पीछे खड़ा होकर रघु भीअपने कपड़े बदल रहा होगा जिस तरह की हलचल रघू अपने तन बदन में महसूस कर रहा था ठीक उसी तरह की हलचल प्रताप सिंह की बीवी अपने तन बदन में महसूस कर रही थी,,, एक अनजान जवान लड़के के बेहद करीब खड़ी होकर अपने सारे वस्त्र उतार कर,, नंगी हो रही थी,,, यह अनुभव यह एहसास उसके लिए बिल्कुल नया था जिंदगी में पहली बार किसी जवान लड़के के सामने,,, भले ही वह उसके सामने खड़ी होकर ना सही लेकिन उसके समकक्ष अपने सारे कपड़े उतार रही थी देखते ही देखते वह अपनी साड़ी को भी उतार फेंकी,,,, पेटिकोट की डोरी को खोलते हुए वह पेटीकोट को उतारने ही वाली थी कि दूसरे छोर पर खड़े रघू के हाथ से उसका गिला कपड़ा नीचे गिर गया और वह जैसे ही नीचे झुक कर उसे उठाने को चला वैसे ही प्रताप सिंह की बीवी दूसरे छोर पर अपने पेटीकोट की डोरी को खोल कर उसे अपनी कमर से आजाद कर दी और उसका पेटीकोट भरभरा कर उसके कदमों में जा गिरा,,, पर जैसे ही उसका पेटीकोट उसके कदमों में गिरा दूसरे छोर पर रघु नीचे झुक कर अपना कपड़ा उठाते हुए उसकी नजर दूसरे छोर पर खड़ी प्रताप सिंह की बीवी पर पड़ी जिसका पेटीकोट उसके कदमों में गिर गया था,,,,, दूसरे छोर के नजारे को देखते ही रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा वह एकदम से मदहोश होने लगा क्योंकि उसे प्रताप सिंह की बीवी की मोटी चिकनी जांघों से लेकर के उसके पैर के अंगूठे तक साफ नजर आ रहा था एकदम गोरी,,, रघु की तो आंखें फटी की फटी रह गई एकदम से बावला हो गया था प्रताप सिंह की बीवी को चोदने की इच्छा उसके मन में एकदम प्रबलित हो रही थी,,, रघू उसके गोरे बदन को अपनी बाहों में लेना चाहता था,,,लेकिन एक बार उसके मन में था कि कहीं यह बात प्रताप सिंह को पता चल गई तो उसकी खैर नहीं,,,, उसकी मदमस्त मोटी मोटी गोरी टांगों से पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह उसके बदन पर फिसल रही थी,,, प्रताप सिंह की बीवी को इस बात का अहसास तक नहीं था कि वह उसे नीचे झुककर उसकी नंगी चिकनी टांगों को देख रहा है,,,, कमर के नीचे का संपूर्ण बदन रघु की आंखों से नजर आ रहा था बस उसे इंतजार था कि वह उसकी तरफ मुंह करके खड़ी हो जाए ताकि उसकी दोनों टांगों के बीच की वो पतली दरार मद मस्त रसीली फूली हुई बुर ऊसे नजर आ जाए,,,, वह धड़कते दिल के साथ अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर सामने के नजारे को देख रहा था,,, उसके लंड की नसों में खुन का दौरा इतनी तेज गति से हो रहा था कि मानो अभी उसके लंड की नसें फट जाएंगी,,,, प्रताप सिंह की बीवी अपनी मस्ती में इस बात से अनजान की कमर के नीचे का संपूर्ण नग्न बदन रखो अपनी आंखों से देख कर मस्त हो रहा है वह अपनी ही धुन मे अपने कपड़े बदल रही थी,,,, देखते ही देखते सबसे पहले वह अपना ब्लाउज उठाई और उसे पहनने लगी,,,,पर एक-एक करके अपने ब्लाउज के सारे बटन को बंद करके अपनी मदमस्त चूचियों को ब्लाउज की कैद में रख दी,,,, और जैसे ही अपनी अटैची में से पेटिकोट निकालने को हुई तो उसका पेटिकोट उसके हाथों से छुट कर नीचे गिर गया और वह तुरंत अपना पेटीकोट उठाने के लिए नीचे झुकी तो उसकी नजर सीधे जाकर रघु की नजरों से टकरा गई,,, रघु को अपनी तरफ देखता हुआ पाकर वह ऊतेजना के मारे एकदम से गनगना गई,,,,उसके तो होश उड़ गए जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि रघु नीचे झुककर उसकी नंगे बदन को देख रहा है,,, वो झट से अपनी पेटीकोट उठाकरतुरंत अपना एक-एक करके दोनों पांव डालकर पेटिकोट को कमर तक उठा दी और जल्दी से उसकी डोरी को कस दी,,,, देखते ही देखते बेहद उत्तेजना से भरपूर मादक नजारे पर पर्दा पड़ गया और प्रताप सिंह की बीवी अपनी साड़ी पहन कर एक बार फिर से तैयार हो गई नहाने के बाद वह और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,, रघू एकदम शर्मिंदा हो गया था वह प्रताप सिंह की बीवी से नजर नहीं मिला पा रहा था और प्रताप सिंह की बीवी ना जाने किस एहसास में पूरी तरह से मस्त होकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी रघु का इस तरह से चोरी छिपे उसके नंगे बदन को देखना उसे अच्छा लग रहा था,,, रघु इधर-उधर देख रहा था वह प्रताप सिंह की बीवी से नजर नहीं मिला पा रहा था,,,

धूप बड़ी जोरों की लग रही थी साथ ही प्रताप सिंह की बीवी को भूख भी लगी हुई थी,,,, वह अच्छी सी जगह देखकर घास के ढेर में घर से लाया हुआ भोजन लेकर बैठ गई,,,, वह अकेले खाने वाली नहीं थी वह जानती थी कि रघू भी भूखा होगा,,, और रघु उससे नजरे चुरा रहा था,, प्रताप सिंह की बीवी उसे आवाज देकर बोली,,,।


अरे रघु सुन तो,,, आकर खाना खा ले मुझे मालूम है तुझे भी भूख लगी होगी,,,, जल्दी आ,,,

(रघु जो कि थोड़ी दूर जाकर ,,, नदी की तरफ मुंह करके खड़ा था प्रताप सिंह की बीवी की आवाज कानों में पड़ते ही,,, उसे एहसास हुआ कि उसे भी बड़े जोरों की भूख लगी है इसलिए वह सब कुछ भूल कर प्रताप सिंह की बीवी के पास आकर बैठ गया,,,हालांकि वह पजामा पहना हुआ था और पैजामा अभी भी गिला था और कमर के ऊपर कुर्ता नहीं पहना था जैसे उसकी नंगी चौड़ी छाती एकदम साफ नजर आ रही थी,,, और प्रताप सिंह की बीवी को रघु की नंगी चौड़ी छाती देखकर कुछ-कुछ हो रहा था,,,।)
nice update ..dono ne paani me nahane ka maja le liya 😍..
 
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