घर पर पहुंचते ही कजरी बहुत जोरों से हांफ रही थी,,, लाला के बारे में उसने दूसरे औरतों से इतना तो सुन रखी थी कि लाला का चाल चलन ठीक नहीं है लेकिन उसे कभी विश्वास नहीं हुआ कि जो औरतें उसे कहती है वह सच है क्योंकि लाला उसे शुरू से ही बहुत ही सीधा साधा इंसान लगता था बस जमीन के मामले में थोड़ा सा अड़ा हुआ था जो कि प्रताप सिंह के कहने पर वह भी अपनी 10 बीघा जमीन छोड़ने के लिए मान गया था लेकिन आज जो उसने लाला का रूप देखी थी उसे देख कर उसे यकीन हो गया कि गांव की औरतें जो लाला के बारे में कहती है वह बिल्कुल सच है,,, वह मन ही मन सोच रही थी कि कैसे वह उसके ब्लाउज में झांक रहा था इतना सोचते हुए उसकी नजर खुद अपने ब्लाउज पर चली गई जो कि वास्तव में उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को संभाल पाने में बिल्कुल तरह से असमर्थ थी से पहली बार ऐसा हुआ कि उसकी चुचियों के मुकाबले उसके ब्लाउज का कद छोटा है,, जिसमें से उसकी आधे से ज्यादा चुचीया नजर आती थी,,,, अपनी इस गलती का एहसास उसे हो रहा था उसे यही लग रहा था कि लाला को उसके ब्लाउज में झांकने का मौका उसी ने दी थी और ना अगर सही ढंग का ब्लाउज में नहीं होती तो ऐसा कभी नहीं होता,,, लेकिन फिर भी मन में वह सोचने लगी कि मर्दों की फितरत यही है भले ही कुछ दिखता हो या ना दीखता हो मर्दों की तो आदत ही होती है इधर उधर झांकना,,, लेकिन फिर भी जो हुआ वह सब गलत था तभी उसे और गुस्सा आने लगा उसकी सांसे तेज चलने लगी जब से वह पल याद आया जब वह उसके पेटीकोट के अंदर देख रहा था जो की पूरी तरह से उसकी घुटनों पर चढ़ी हुई थी और दोनों घुटने फेले हुए थे । जिसमें से बहुत कुछ नजर आ रहा था वह मन ही मन सोच रही थी कि लाला जरूर उसकी साड़ी के अंदर जागते हुए उसकी बुर को देख लिया होगा तभी तो पागल हुआ जा रहा था तभी तो वह ऊसके पीछे पड़ा हुआ था,,, कजरी मन ही मन में यह सोच कर खबर आने लगी उसके अंदर डर के भाव पैदा होने लगे क्योंकि आज तक ऐसा कभी भी नहीं हुआ था कि किसी ने उसकी साड़ी के अंदर युं नजर गाड़ कर देखा हो,,, जैसा कि लाला देख रहा था उसकी आंखों में वासना साफ नज़र आ रही थी,,, फिर भी उसके मन में शंका हो रही थी कि क्या सच में लाला ने साड़ी के अंदर नजर डालकर उसकी रसीली बुर को देख लिया होगा,,, अगर ऐसा हुआ होगा तो यह तो सच में शर्म वाली बात है अगर लाला ने यह बात सबको बता दिया अब तो वह पूरी तरह से बदनाम हो जाएगी लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे लाला का क्या भरोसा लाला तो सबसे झूठ ही बोल देगा कि वह जानबूझकर उसे अपनी बुर दिखा कर उसे बहका रही थी यह ख्याल मन में आते ही उसके माथे से पसीना छूटने लगा बदनाम होने के डर से उसके बदन में कपकपी सी उठने लगी,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, मान मर्यादा इज्जत संस्कार यही तो उसका कहना था और वह कैसे अपने इस दौलत को लुटा दे मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था बार-बार लाला का ख्याल है उसके मन में आ रहा था जिससे वह काफी घबराई हुई सी हो गई थी,,, उसे यही डर बार-बार सताए जा रहा था कि अगर लाला ने उसकी साड़ी में नजर गाड़ कर उस की बुर को देख लिया होगा तो गजब हो जाएगा क्योंकि आज तक उसके पति के सिवा उसकी बुर के दर्शन किसी ने भी नहीं किए थे,,, और ना ही उसने आज तक किसी को भी ऐसा मौका दि थी कि ऐसी नौबत आ जाएगी कोई भी उसके नंगे बदन का दर्शन कर सके उसके अंग अंग को अपनी आंखों से नजर भर कर देख सके आज तक दुनिया की नजरों से उसने अपनी खूबसूरत अंगों को छुपाते चली आई थी और लाला पागलों की तरह उसकी खूबसूरत रंगों को घेरने की कोशिश कर रहा था यह बात उसे बहुत ही खराब लग रही थी इसी वजह से वह शर्मिंदा हुए जा रही थी कि तभी पीछे से शालू की आवाज आई और वह पूरी तरह से चौक ,गई,,,,,
क्या हुआ मां तुम इतनी जल्दी आ गई,,,,
ओ,,,हां,,, थोड़ा सा सर में दर्द हो रहा था इसलिए मैं वापस आ गई,,,,( कजरी थोड़ा सोचने के बाद बोली,)
लाओ में तुम्हारे सिर में तेल लगा कर थोड़ी मालिश कर देती हूं आराम हो जाएगा,,,,
नहीं नहीं तो रहने दे थोड़ा आराम कर लूंगी तो ठीक हो जाएगा कड़ी धूप है ना इसकी वजह से सर में दर्द हो रहा है,,, और तू तैयार होकर कहां जा रही है,,,,
मममम,,,, में,,,, कहीं तो नहीं ,,,,कहीं तो नहीं जा रही हूं,,,
( शालू अपनी मां से घबराते हुए बोली,,,।)
अच्छा ठीक है मैं थोड़ा आराम करने जा रही हूं ,,,(इतना कहकर कजरी अपने घर में गई हो नीचे चटाई बिछा कर लेट गई,,, थोड़ी ही देर में उसे नींद लग गई और सालों अपनी मां के सोने का इंतजार कर रही थी जैसे वह सो गई वैसे ही वह दबे पांव घर से बाहर निकल गई,,,।)
खड़ी दुपहरी का समय हो रहा था सूरज एकदम आसमान मैं सर के ऊपर तप रहा था,,, ऐसे में रघुवर रामू दोनों दिन भर गांव मेरा करते हुए गांव की दूसरी तरफ जा रहे थे जहां पर घनी झाड़ियों और वह जगह पहाड़ियों से घिरी हुई थी,,,
पर वहां पर बेहद हरियाली छाई हुई थी जहां पर अक्सर रघु और रामू दोनों जाया करते थे और झरने में से नीचे गिर रहे पानी में नहा कर कुछ देर वही बिताया करते थे,,,
यार रामू कसम से आज तो बहुत मजा आ गया मैंने आज तक तेरी दोनों बहनों को कपड़ों में ही देखा था लेकिन आज मैं बिना कपड़ों के देख कर उनको नंगी देखकर मेरा मन डोलने लगा है यार,,,,( रघु उसे हरियाली वाले जगह पर जाते हुए रामू के साथ मस्ती भरी बातें करता हुआ जा रहा था लेकिन रातों को अपनी बहनों के बारे में इस तरह की गंदी बातें सुनकर गुस्सा तो आ रहा था लेकिन उसे मज़ा भी आ रहा था यह बात रघु भी अच्छी तरह से जानता था कि जब भी वह रामू की मां बहन के बारे में गंदी बातें करता है तो रामू थोड़ा बहुत गुस्सा जरूर करता है लेकिन उसे भी मजा आता है इसलिए तो रघु की हिम्मत बढ़ती जाती थी राम इस तरह की बात सुनकर झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोला।
देख रामु इस तरह की बातें करेगा तो मैं यहां कभी नहीं आऊंगा तेरे साथ और हम दोनों की दोस्ती टूट जाएगी,,,
अरे नाराज क्यों होता है मेरे दोस्त जब तू भी अच्छी तरह से जानता है की तेरी दोनों बहने एकदम खूबसूरत है और साले क्या तुझे मजा नहीं आ रहा था अपनी बहन को नंगी देखने में,,,,
नहीं मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आ रहा था भला किसी भाई को अपनी ही बहनों को नंगी देखने मजा आएगा क्या,,,
वाह बच्चु मुझसे झूठ अगर तुझे मजा नहीं आ रहा था तो तेरे लंड से पानी क्यों निकल गया,,,,बता,,,,,
ओ ,,,ओ,,,, मैं नहीं जानता,,,
लेकिन मैं जानता हूं क्योंकि तो अपनी प्यासी नजरों से अपनी बहनों की गोल गोल गांड देख रहा था,,, और तेरी दोनों बहनों की गोल-गोल गांड देखकर तेरा लंड खड़ा हो गया था वह सच कहूं तो तो अपनी बहनों को चोदना चाहता था इसलिए तेरा पानी निकल गया,,,
नहीं यह सच नहीं है यह झूठ है,,,
यही सच है बेटा मेरी आंखों के सामने सब कुछ हुआ है,,,
अब ज्यादा मत बन मैं अच्छी तरह से जानता हूं की तू भी अपनी बहनों को चोदना चाहता है जैसा कि मैं तेरी बहनों को चोदना चाहता हूं,,,
तेरे से बातें अच्छी नहीं लगती मैं देखना अपनी मां से बता दूंगा,,,,
बता देना मैं तेरी मां को भी चोद दूंगा,,,,
रघु थोड़ा तो शर्म कर वो मेरी मां है,,,, और वह दोनों मेरी बहन है फिर भी तु ईतनी गंदी गंदी बातें करता है,,,,
देख रहा हूं मैं जानबूझकर यह सब बातें नहीं करता और करना भी नहीं चाहता लेकिन सच बताऊं तो मैं जानता हूं कि वह तेरी मां है और दोनों तेरी बहने है,,, कि साला जिले में नहीं जानता ना कि वह तेरी मां बहन है मेरे दोस्त की मां बहन है इसे तो कोई भी रिश्तेदारी से किसी भी प्रकार का मतलब नहीं है यह तो बस चूत और गांड देखता है जहां गांड और बुर की खुशबू ईसे लगती है तो तुरंत खड़ा होने लगता है,,,,
तब तो तू अपनी मां और अपनी बड़ी बहन शालू के बारे में भी यही सोचता होगा क्योंकि उस दोनों के पास भी तो खूबसूरत बुर और गांड है,,,( रामू की बात सुनकर रघु को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन फिर भी वह पूरी तरह से माहौल को संभालते हुए बोला,,,।)
नहीं मैं उन दोनों के बारे में ऐसा कुछ भी नहीं सोचता सच कहूं तो उन दोनों को देखने पर मेरे मन में सिर्फ ख्याल आता ही नहीं क्योंकि वह दोनों ही खूबसूरत नहीं है जितना कि तेरी मां और तेरी बहने है,,,,( रामू की यह बात एकदम सौ प्रतिशत सच है कि वह अपनी मां और बहन को देखकर कभी भी अपने मन में इस तरह के गंदे ख्याल नहीं लाया था और ना ही उसे इस तरह के ख्याल आते थे लेकिन यह बात सरासर झूठ थी कि वह दोनों खूबसूरत नहीं थी रघु की मां और बहन दोनों बला की खूबसूरत थी,,, रघु जिस तरह का ख्याल गांव की दूसरी औरतों और बहनों के प्रति रखता था उसी तरह से गांव के दूसरे मर्द भी रघु की मां और बहन के बारे में उसी की तरह ही गंदे विचार रखते थे।)
अच्छा चल अब जल्दी कर मुझे बहुत धुप लग रही है,,,,
( रघु की गंदी बातें सुनकर धीरे-धीरे रामू का लंड खड़ा होने लगा था और वह रघु की नजरों से अपनी पजामे में बने तंबू को छुपाता हुआ आगे बढ़ रहा था जो कि प्रभु से यह बात छुपी नहीं रह पाई थी वह तिरछी नजरों से रामू के पजामे में बने तंबू को देख ले रहा था,,, और उसे जैसा पता चल रहा था कि रामू को भी अपनी मां बहन की गंदी बातें सुनने में मजा आ रहा था इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाता हुआ और आगे बढ़ता चला गया,,।)
हां चल तो रहा हूं लेकिन एक बात तुझे बता दूं कि देखना एक दिन तेरी आंखों के सामने में तेरी दोनों बहनों के साथ-साथ तेरी मां की भी चुदाई करूंगा,,,
तू पागल हो गया है रघु जल्दी आ मैं तो जा रहा हूं ,,,(इतना कहकर रामू जल्दी-जल्दी आगे बढ़ने लगा और रघु उसे पीछे से आवाज देता हुआ उसके पीछे पीछे जाने लगा)
दूसरी तरफ झरना बह रहा था वो थोड़ी ऊंचाई से नीचे गिर रहा था और गिरने के बाद छोटा सा तालाब की शक्ल में आगे बढ़ता हुआ चला जा रहा था बेहद सुहावना दृश्य था चारों तरफ ऊंची नीची पहाड़ियां उस पर गिरता हुआ झरना का पानी और हरियाली से घिरा हुआ यह जगह पूरी तरह से कुदरत की बनाई हुई किसी चित्रकारी की तरह ही लग रही थी,,,, ऐसे में झरने के गिरने से इकट्ठा हुआ पानी तालाब की शक्ल में कुछ दुरी तक फैला हुआ था,,, वही बड़े-बड़े पत्थर और साथ ही घनी झाड़ियों से खिले हुए उस जगह पर शालू प्रताप सिंह के छोटे लड़के बिरजू के साथ गांव वालों की नजर बचाकर यहां आकर चोरी चोरी मिला करती थी और ऐसे ही आज भी वह घनी झाड़ियों के बीच बड़े पत्थर के पीछे उसे से प्यार भरी बातें कर रही थी और प्रताप सिंह का छोटा लड़का बिरजू उसी पत्थर के ओट में उस का सहारा लेकर बैठा हुआ था,,, और शालू उसकी चौड़ी छाती से अपनी पीठ सटाए आराम से बैठी हुई थी,,,, दोनों प्यार भरी बातें कर रहे थे बिरजू अपने हाथ शालू के बदन पर इधर-उधर फेर रहा था,,,,, तभी शालू के मुंह से हल्की कराहने की आवाज निकल गई,,,।
ससससहहहह,,,,आहहहहह,,,,, क्या कर रहे हो दर्द हो रहा है,,,,
क्या करूं जानू मेरी रानी तुम इतने करीब रहते हो तो मुझसे रहा नहीं जाता,,,,( बिरजू अपने दोनों हाथों से सालों कि दोनों चुचियों को कुर्ती के ऊपर से जोर जोर से दबा रहा था और कुर्ती के ऊपर से ही सालों की चूचियों को दबा कर उसे इस बात का अहसास हो गया था कि शालू की दोनों चूचियां नारंगी के आकार की थी जिनमें बेहद आनंद ही आनंद भरा हुआ था,,, बिरजू जोर-जोर से चालू की दोनों चूचियों को दबा रहा था लेकिन शालू उसे अपना हाथ हटाने के लिए बिल्कुल भी नहीं बोल रही थी,,,)
अच्छा शालू जब मैं तुम्हारी दोनों चूचियों को दबाता हूं तो तुम्हें मजा आता है या दर्द होता है,,,
दोनों होता है,,, दर्द भी होता है और मजा भी आता है,,,
मुझे भी शालू बहुत मजा आता है लेकिन इतने से मेरा मन नहीं भरता,,,,
तो इसमें मैं क्या कर सकती हु,?( शालू अपनी दुपट्टे को दोनों उंगलियों में फंसाकर गोल-गोल घुमाते हुए बोली,,,)
शालू तुम तो बहुत कुछ कर सकती हो लेकिन करने नहीं देती,,,,( इतना कहते हुए बिरजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसकी सलवार की डोरी खोलने के लिए उसकी सलवार की डोरी को पकड़ा ही था कि शालू उसका हाथ पकड़कर झटकते हुए बोली,,,)
इसके बारे में सोचना भी नहीं एक बार शादी हो जाएगी तो जो तुम्हारे मन में आए वह कर लेना लेकिन अभी कुछ भी नहीं,,,,
क्या शालू इतना नखरा करती हो पिछले 6 महीने से तुम मुझे इस तरह से परेशान करके रखी हो,,,
बिरजू हम दोनों धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं ना और ऐसा कैसे कह रहे हो कि मैं कुछ करने नहीं देती,,,,,
क्रमशः