थोड़ी देर में रघु और रामू दोनों हलवाई की दुकान पर पहुंच गए,,, आज पहले की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही भीड़ भाड़ दुकान पर नजर आ रही थी,,, रघु का मन उदास हो क्या हलवाई की दुकान पर समोसे या जलेबी खाने नहीं बल्कि हलवाई की बीवी से मिलने आता था लेकिन आज चूल्हे पर उसका आदमी बैठा हुआ था जोकि ग्राहकों की भीड़ देखकर जल्दी-जल्दी जलेबीया छान रहा था,,, हलवाई की बीवी को वहां ना पाकर रघु की इच्छा वहां रुकने की भी नहीं हो रही थी,,, लेकिन गरमा गरम छनती हुई जलेबीया देखकर रामू के मुंह में पानी आ रहा था,,
यार रघु जलेबी की गरमा गरम खुशबू मेरी भूख और ज्यादा बढ़ा रही है,,,,
यार रुक तो सही ले रहा हूं जलेबी और साथ में समोसे भी लेकिन थोड़ा सब्र कर,,,(ऐसा कहते हुए रघु चारों तरफ नजर घुमाकर हलवाई की बीवी कोई ढूंढ रहा था और उसे चारों तरफ इस तरह से कुछ ढूंढता हुआ देखकर रामू बोला)
यार तु यहां किसको ढूंढ रहा है,,, जो काम करने के लिए इतना आए हैं वह काम शुरू करें,,,
या रामू तु कितना खा खा करता है,,, दिला रहा हूं ना पहले चाचाजी को जलेबी तो छानकर रखने दे,,,,(रघु रामु पर गुस्सा होता हुआ बोला,,,)
यार तू गुस्सा मत हो मैं तो बस गरमा गरम जलेबी देखकर अपनी लालच को रोक नहीं पा रहा हूं,,,, वैसे तु यहां किसको ढूंढ रहा है,,,
किसी को भी नहीं बस ऐसे ही रुक तुझे जलेबी और समोसे दीला देता हूं,,,
अरे चाचा जी जल्दी से एक पाव जलेबी और दो समोसे दे दो,,,, तू जाकर उधर बैठ में लेकर आता हूं,,,,
(रघु एक बहाने से उसे उधर से हटाते हुए बोला,,, और रामू बिना कोई झिझक के दूर जाकर बैठ गया उसे तो बस समोसे और जलेबी की ही पड़ी थी रघु जिस काम के लिए इधर आया था उस बारे में उसे बिल्कुल भी नहीं पता था,,,,)
और बेटा क्या हाल है,,,, घर पर सब कुशल मंगल है ना,,,
(हलवाई गरमा गरम जलेबी को कागज में रखकर तोलते हुए बोला,,,)
हां चाचा सब कुशल मंगल है आपकी कृपा है बस ऐसे ही अपनी कृपा हम पर बनाए रखना,,,(रघु खुले हुए दरवाजे में से अंदर की तरफ झांकते हुए बोला,,, लेकिन अंदर कमरे में भी कोई नजर नहीं आया,,)
अरे हमारी कहां सब भगवान की कृपा है और वैसे भी कुशल मंगल रहना ही चाहिए,,,,(जलेबी को कागज में तोलकर रघु की तरफ बढ़ाते हुए बोला,,,) और समोसे कितनी कर दु बेटा,,,,
दो समोसे बांध दीजिए चाचा,,,,
ठीक है बेटा यह लो,,,(इतना कहकर दूसरा कागज लेकर व गरमा गरम समोसे और हरी मिर्च तली हुई और प्याज के टुकड़े रखने लगा,,, और उसे रघु की तरफ बढ़ाते हुए बोला,,)
हमारी दुकान की जलेबी और समोसे तुम्हें हमेशा गर्म ही मिलेंगे,,,
जानता हूं चाचा तभी तो यहां बार-बार आता हूं,,,वैसे आज चाची जी नहीं दिख रही है कहीं गई है क्या,,,,? (रघु समोसे को बीच में से तोड़कर उसके टुकड़े को उठाकर खाते हुए बोला,,,)
अरे कहीं नहीं गई है घर के पीछे ही है सूखी लकड़ियां बीन रही है,,,, कब से गई है अभी तक नहीं आई,,,।
(हलवाई की बात सुनकर रघु को इस बात की तसल्ली तो ठीक है चलो हलवाई की बीवी इधर ही मौजूद है ज्यादा कुछ नहीं तो उसके दीदार तो हो जाएंगे,,, वैसे भी जब वह ऐसे ही सामान्य तौर पर चलती है तो उसकी बड़ी-बड़ी हिलती हुई गांड देखकर ही लंड अंगड़ाई लेने लगता है,,,, रघु यही अपने मन में सोचकर समोसे के टुकड़े का आनंद लेता हुआ रामू की तरफ जा रहा था कि तभी उसे हलवाई पीछे से आवाज देता हुआ बोला,,,)
अरे बेटा सुन तो,,,,
हां चाचा क्या हुआ,,,,(हलवाई की तरफ घूमता हुआ रघु बोला)
अरे जाकर देख तेरी चाची क्या कर रही है बहुत देर हो गई वैसे भी आज ग्राहकों की कुछ ज्यादा भीड़ है मैं जा नहीं सकता,,, जा जाकर थोड़ी मदद कर दें और सूखी हुई लकड़ियों को उठाने में उसकी मदद कर,,,
जी चाचा,,,
जा बेटा जा जल्दी जा,,,,(इतना कहकर वह दूसरे ग्राहक में व्यस्त हो गया,,, रघु की तो जैसे लॉटरी लग गई,,,,,,,आम की बगिया में लाला के द्वारा गांव की औरतों की जबरदस्त चुदाई देखकर ऐसे भी वह पूरी तरह से गर्मा चुका था,,, उस औरत की मोटी मोटी जाने को देखकर वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि उसकी भी इच्छा कर रही थी कि,,, लाला को हटाकर वो खुद इस औरत की चुदाई कर दे लेकिन ऐसा वह कर नहीं सकता था,,, इसलिए तो बस औरत की मोटी मोटी जान हो ने उसे हलवाई की बीवी की याद दिला दिया था,,,वैसे भी हलवाई की बीवी की जांघें उस औरत से काफी मोटी थी और कुछ ज्यादा ही गोरी थी। इसलिए तो वह लाला से 2 रुपए पाकर सीधे हलवाई की दुकान पर आ गया था,,,, हलवाई की बात सुनते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी इस बात से उसे काफी दिलासा मिला था कि,,,आज दुकान पर ग्राहकों की भीड़ कुछ ज्यादा ही थी और इससे हलवाई को बिल्कुल भी समय मिलने वाला नहीं था,,,,
रघु तुरंत समोसे और जलेबी लाकर अपने दोस्त रामू को थमा दिया और उसे वहीं बैठ कर खाने के लिए बोल कर जाने लगा तो रामू पीछे से आवाज देता हुआ बोला,,
अरे तू भी तो ले जा कहा रहा है,,,,?
तु यहीं बैठ कर खा मैं थोड़ी देर में आता हूं कहीं जाना नहीं,,,(इतना कह कर रघु तुरंत घर के पीछे पहुंच गया,,,उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उसे मालूम था कि उसके ख्वाबों की मलिका के दीदार उसे बहुत ही जल्द होने वाला हैं,,,, रघु घर के पीछे खड़ा होकर के चारों तरफ नजर घुमाने लगा,,,उसे एक कोने पर लकड़ियों का ढेर दिखाई दे रहा था लेकिन वहां पर उसे हलवाई की बीवी नजर नहीं आ रही थी,,, उसे लगा कि कहीं हलवाई की बीवी लकड़ियों के ढेर के बीच में ना हो और इसी तसल्ली के लिए वह अपने कदम आगे बढ़ाने लगा,,,,तीन चार कदम आगे बढ़ाने के बाद वह जब लकड़ियों के ढेर से बनी हुई थी वालों के बीच में नजर आया तो उसे हलवाई की बीवी वहीं बैठी हुई नजर आ गई,,, हलवाई की बीवी की पीठ रघु की तरफ थी,,, हलवाई की बीवी बेटी हुई थी लेकिन आगे की तरफ झुकी हुई थी जिससे उसका पिछवाड़ा कुछ ज्यादा ही भारी-भरकम और घेराव दार लग रहा था,,,, रघु तो एकदम पागल हो गया क्योंकि जीस अदा से वह बैठी हुई थी,,,, उसकी गांड हल्की सी हवा में उठी हुई थी रघु को तो मानो जैसे उसकी दुनिया उसकी आंखों के सामने नजर आ रही थी अभी कुछ देर पहले ही उसने चुदाई के गरमा गरम दृश्य को देख कर आया था और उसकी छाप उसके दिल में बस गई थी,,,, रघु भी इस समय अपनी गर्मी शांत करना चाहता था जिस का जुगाड़ सिर्फ हलवाई की बीवी ही थी,,,हलवाई की बीवी धीरे-धीरे सूखी हुई लकड़िया बिन रही थी जिसकी वजह से उसकी भारी-भरकम गांड कुछ ज्यादा ही हवा में लहरा रही थी। रघु से रहा नहीं जा रहा पजामे में उसका लंड गदर मचाए हुए था,,,हलवाई की बीवी की बड़ी-बड़ी गांड को देखकर उसकी मदमस्त जवानी को सलाम करते हुए पजामे के अंदर ही रघु का लंड ऊपर नीचे हो रहा था,,,, रघु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी हलवाई नहीं तो उसे उसकी बीवी की मदद करने के लिए भेजा था लेकिन रघु के मन में कुछ और चल रहा था,,, रघु की प्यासी निगाहें हलवाई की बीवी के कुएं नुमा चुतडो पर टिकी हुई थी,,, जिस दिन से वह हलवाई की बीवी से एक रत हुआ था,,, उस दिन से ना जाने जब भी वह औरतों की गांड देखता था उसे ना जाने क्या होने लगता है,,,,
उत्तेजना के मारे रघु का गला सूखता चला जा रहा था,,,हलवाई की बीवी ईस बात से अनजान की पीछे खड़ा होकर रघु उसकी मदमस्त जवानी को अपनी आंखों से पी रहा है वह सूखी लकड़ियां बीनने में ही व्यस्त थी,,,
हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी गांड देखकर रघु के सब्र का बांध बिल्कुल टूट गया,,,, वह धीरे से आगे बढ़ा एकदम दबे कदमों से ताकि उसके कदमों की आहट भी हलवाई की बीवी के कानों तक अपनी दस्तक ना दे सके,,,, और ऐसा हो भी रहा था,, वह हलवाई की बीवी के एकदम करीब जाकर धीरे से उसी के अवस्था में एकदम से बेठ गया जैसे की हलवाई की बीवी अपनी गांड उठाकर बैठी हुई थी,,, पजामें में पहले से ही उसका लंड पूरी तरह से तना हुआ था,,, हलवाई की बीवी इतनी व्यस्त थी और इतनी मांगने थी कि उसे इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि उसके पीछे रघु बैठा हुआ है और जो कि उससे एकदम से सटने में केवल चार पांच अंगुल का ही फासला रह गया है,,,, रघु के सांसो की गति तेज होती जा रही थी हलवाई की बीवी के बदन की खुशबू उसके नाकों तक पहुंचते ही उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,, अब अपने आप को रोक पाना रघु के लिए बहुत मुश्किल हो गया था वह हलवाई की बीवी के बेहद करीब पहुंच गया था वह जिस तरह से बैठी हुई थी रघु भी उसी तरह से बैठा हुआ था,,,, तभी रघु ने अपनी कमर को पीछे की तरफ ले जाकर,,, जोर से आगे की तरफ दे मारा,,,और हाथ से पहचाने में तना हुआ उसका लंड सीधे जाकर हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी गांड से टकरा गया रघु के जबरदस्त धक्के को वह संभाल नहीं पाई और आगे की तरफ लुढ़कते हुए उसके मुंह से सिर्फ इतना ही निकला,,,
हाय दैया,,, मर गई रे,,,(इतना कहते हुए वह पीछे की तरफ देखी तो पीछे रघु था और तब तक रघु उसकी मोटी मोटी कमर को अपने दोनों हाथों में थाम लिया था,,) रघु तू,,,, हरामी को इतनी जोर से धकेल ता है क्या,,, और तु यहां क्या कर रहा है,,,,(इतना कहते हुए वह अपने आप को संभालने की कोशिश करती रही इस दौरान रघु लगातार उसकी कमर को थामे हुए कस कस के अपनी हथेली उसकी कमर पर दबाता रहा,,,)
तुम्हारी मदद करने आया हूं चाची,,,,
मेरी मदद वह किसलिए,,,,
चाचा ही भेजे हैं मुझे,,, की जा तेरी चाची लकड़िया लेने गई है उसकी मदद कर दें,,,(इतना कहते हुए रघु धीरे से अपना हाथ ऊपर की तरफ बढ़ाया और ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को दबाने लगा तो वह उसका हाथ झटकते हुए बोली,,,)
पागल हो गया क्या,,, कोई देख लिया तो क्या कहेगा,,,
चाची जान हम दोनों को देखने वाला कौन है जो कोई भी है वह तो घर के आगे,, है,,, यहां कोई नहीं आएगा चाची,,,(इतना कहते हुए रघु उसकी दोनों चूचियों पर हाथ रख दिया और ब्लाउज के ऊपर से उसे कब आने का आनंद ल लुटने लगा हलवाई की बीवी,,, उसी तरह से रघु की तरफ मुंह करके बैठी ही रह गई वह उठना चाहती थी लेकिन रघु की हरकतों ने उसके तन बदन में भी आग लगा दी थी,,, वैसे भी वह एक बार फिर से रघु के साथ एकाकार होना चाहती थी लेकिन उसे मौका ही नहीं मिल रहा था,,, वह भले ही रघु को किसी के द्वारा देखे जाने का डर दिखा रही थी लेकिन अंदर से वह यही चाह रही थी कि रघु अपनी हरकतों को जारी रखें,, क्योंकि जिस दिन से वह चोद कर गया है,,, उस दिन से ना जाने क्यों उसकी बुर में कुछ ज्यादा ही खुजली मची हुई थी,,, इस दौरान उसके पति ने भी उसके साथ एक भी बार संभोग नहीं किया था इसलिए उसके तन बदन में कुछ ज्यादा ही आग लगी हुई थी,,, रघु उसी तरह से ब्लाउज के ऊपर से ही उसके दोनों खरबूजा से खेलता रहा,,,, और उसे एक बार चुदवाने के लिए मनाता रहा,,, लेकिन हलवाई की बीवी डर रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका पति उसे ढूंढता हुआ पीछे ना आ जाए,,)
क्या कहती हो चाचा ज्यादा कुछ नहीं करना होगा बस तुम्हें अपनी साड़ी ऊपर उठानी होगी वैसे भी मेरा लंड पूरी तरह से तैयार है तुम्हें चोदने के लिए यह देखो,(इतना कहते ही रघु अपने पहचाने को बैठे-बैठे ही नीचे की तरफ नहीं बल्कि सामने की तरफ खींच कर पजामे में टन टनाते हुए अपने लंड को दिखा दिया,,, हलवाई की बीवी आंखें फाड़े रघु के खड़े लंड को देखती रह गई जो की पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था काफी दिनों बाद वह फिर से रघु के लंड के दर्शन कर रही थी उसकी मनोकामना पूरी हो गई थी लेकिन अभी अभिलाषा बाकी थी उसे डर लग रहा था वह भी रघु के साथ चुदवाना चाहती थी,,,क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह का मौका इस समय उसके हाथ लगा है फिर पता नहीं ऐसा मौका हाथ लगे ना लगे और जब तक लगेगा तब तक ना जाने कितनी रातें रघु को याद करके करवटें बदलती रहेगी,,, इसलिए तो वह भी इस मौके का फायदा उठा लेना चाहती थी जैसा कि उस दिन रात को उठाई थी,,,। रघु का एक हाथ अभी भी हलवाई की बीवीकी चूचियों पर था और दूसरे हाथ से पजामे को खींचा हुआ था जो कि तुरंत उसे छोड़ दिया और पल भर में ही उसका खड़ा लंड दिखना बंद हो गया,,, हलवाई की बीवी अपने सूखे गले को अपने थूक से गीला करने के लिए थुक को गले में गटक गई,,, रघु एक बार फिर से उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर दबाने लगा क्योंकि अभी भी उसकी दोनों चूचियां ब्लाउज के अंदर कैद थी रघु भी जानता था कि इस समय उसके वस्त्र उतारना ठीक नहीं था,,, हलवाई की बीवी की आंखों में झांकते हुए,,, पजामे में बने अपने तंबू को दूसरे हाथ से पकड़ते हुए बोला,,
क्या कहती हो चाची एक बार फिर से हो जाए,,,,
(रघु की बात सुनकर हलवाई की बीवी की दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी अपने चारों तरफ देख रही थी कि कहीं कोई आ न जाए रघु के खड़े लंड को देखकर उसका मन बहकने लगा था,,और जिस तरह से उसने चोरी-छिपे आ कर जोर से धक्का लगाया था उसे धक्के से उसे बस रात वाले सारे धक्के याद आ गई थे,,,,,)
रघु तूने तो मुझे अजीब दुविधा में डाल दिया है तेरे चाचा जी या कोई और आ गया तो मैं तो बदनाम हो जाऊंगी,,,
कुछ नहीं होगा चाची बस तुम्हें एक बार कोशिश तो करो,,, एक बार फिर से तुम्हें स्वर्ग का आनंद देता हूं,,,,(इतना कहकर वह हलवाई की बीवी के साड़ी को ऊपर की तरफ सरकाने लगा,,,, हलवाई की बीवी ऊसे रोकते हुए बोली,,,)
नहीं नहीं रघु मुझे डर लग रहा है,,,
ऐसे डरोगी तो मेरी जान मजे कैसे लोगी,,,,
(रघु की बातें सुनकर उसका हौसला देखकर हलवाई की बीवी का भी मन बहुत कर रहा था इस मौके का फायदा उठा लेने के लिए लेकिन वह डर भी नहीं थी लेकिन फिर भी वह मन में सोच कर कि जो होगा देखा जाएगा वह अपनी जगह से खड़ी हो गई और, लकड़ी के ढेर से थोड़ा ऊपर अपना सिर उठाकर अपने घर की तरफ देखने लगी इस जगह से वह अपने घर के चारों तरफ की निगरानी रख सकती थी,,, अपनी ऐसी युक्ति पर वह मन ही मन प्रसन्न होने लगी,,,, और रघु से बोली।)
देख तू कहता है तो मैं तैयार हो जाती हूं लेकिन लेट कर नहीं खड़े-खड़े,,,
मेरी रानी जैसा तुम चाहो वैसा ही मैं करूंगा बस एक बार अपनी मदमस्त बड़ी-बड़ी बुर का दीदार करा दो,,,
(रघु की बात सुनते ही हलवाई की बीवी मुस्कुरा दी और लकड़ी के ढेर के ऊपर खड़ी होकर वह सामने की तरफ अपना मुंह कर दी जिससे वहां आने जाने वाले कोई भी अगर होगा तो उसे दिखाई दे देगा और वह अपने आप को संभाल लेगी,,,, घर की तरफ से सिर्फ हलवाई की बीवी का मुंह दिखाई दे रहा था बाकी गर्दन के नीचे का बदन लकड़ी के ढेर से ढका हुआ था सुबह लकड़ी के ढेर के पीछे बने गलियारे में खड़ी थी,,,, रघु अपनी तरफ हलवाई की बीवी की बड़ी-बड़ी कांड पाकर एकदम खुश हो गया और वह तुरंत उसकी साड़ी कमर तक उठा दिया,,,हलवाई की बीवी की नंगी गांड देखते ही उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी और वह जोर-जोर से हलवाई की बीवी की गांड पर चपत लगाते हुए बोला,,
सससहहहह आहहहह ,, मादरचोद क्या मस्त गांड है तेरी,,,इसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है बिल्कुल भी इसे खड़ा करने में मेहनत नहीं करनी पड़ती,,,,
जल्दी से डाल दो मेरी बुर में बकवास मत कर ज्यादा समय नहीं है हम दोनों के पास,,,,
डालता हूं मेरी रानी मैं जानता हूं तुम भी मेरे लंड के लिए तरस रही थी,,,,(रघु उसकी बड़ी-बड़ी गोरी गांड को दोनों हाथों में पकड़ कर जोर जोर से दबाते हुए बोला,,,हलवाई की बीवी की बड़ी-बड़ी गांड कुछ ज्यादा ही बड़ी थी जो कि पानी भरे गुब्बारों की तरह इधर-उधर हील रही थी,, इस समय हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी गांड रघु के आकर्षण का केंद्र बिंदु थी और उत्तेजना की भी,,,हलवाई की बीवी की साड़ी एकदम कमर तक उठी हुई थी जिससे उसकी बड़ी-बड़ी कोमल नरम नरम मदमस्त कर देने वाली गांड एकदम नंगी हो चुकी थी,,,, हलवाई की बीवी अपने पैरों के नीचे लकड़ी के दो चार बड़े बड़े टुकड़ों को रखकर उस पर पैर रखकर चढ़ी हुई थी जिससे वह लकड़ी के ढेर की ओट में छिप कर सामने की तरफ से आने-जाने वालों पर नजर रख सकती थी,,,अगर कोई सामने आ भी जाता तो केवल हलवाई की बीवी के चेहरे को ही देख पाता जिससे वहां यह नहीं अंदाजा लगा सकता था कि लकड़े के ढेर की ओट में छिप कर हलवाई की बीवी किसी जवान लड़के से चुदवा रही है,,,, इस तरह से हलवाई की बीवी अपनी रक्षा भी कर सकती थी और अपने आप को बदनामी से बचा भी सकती थी,,,
शाम ढल रही थी लेकिन अभी भी उजाला बरकरार था,,, जिस दिन से हलवाई की बीवी रघु के द्वारा संभोग के अद्भुत सुख को भोग चुकी थी उस दिन से वह दुबारा रघु के साथ संभोग रत होने की इच्छा बनाए हुए थे और आज अचानक ही उसे मौका मिल गया था रघु के साथ एकरत होने का,,,
हलवाई की बीवी कमर के नीचे से एकदम नंगी हो चुकी थी वह बार-बार पीछे की तरफ देख ले रही थी कि रघु क्या करता है लेकिन वह उसकी बड़ी-बड़ी गांड से खेलने में ही मस्त था,,, इसलिए वह बोली।
तू गांड से खेलता ही रहेगा कि कुछ करेगा भी,,, समय निकलता जा रहा है अगर देर हो गई तो तेरे चाचा जी इधर आ जाएंगे,,,
करता हूं चाची क्या करूं तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड देखकर मुझसे रहा नहीं जाता सबसे पहले इसे से खेलने का ही मन करता है,,,
बाद में कभी इत्मीनान से खेल लेना लेकिन अभी जो करना है जल्दी कर,, अगर कोई आ गया तो गजब हो जाएगा,,(वह चारों तरफ नजर घुमा कर देखते हुए बोली,,,)
तुम चिंता मत करो चाची एक बार डालने की आवश्यकता है उसके बाद सब काम अपने आप हो जाएगा,,, (इतना कहने के साथ ही रघु अपना पैजामा नीचे घुटनों तो खींच कर कर दिया,हलवाई की बीवी पीछे ही देख रही थी जैसे ही रघु का पजामा नीचे हुआ उसका मोटा तगड़ा लंड हवा में लहराने लगा,,, पर यह देखकर हलवाई की बीवी की सांसे अटक गई पलभर में ही उसे उस रात का सारे दृश्य नजर आने लगे जब रघु,, अपने मोटे तगड़े लंड को बड़ी शालीनता से और उसके बाद बड़ी बेरहमी से उसकी बुर में पेलता रहा,,, लेकिन रघु की बेरहमी में भी उसे आनंद ही आनंद प्राप्त हो रहा था एक बार फिर से उसी आनंद के एहसास में डूबने के लिए हलवाई की बीवी पूरी तरह से अपने आप को तैयार कर चुकी थी,,,लेकिन वह मन में भगवान से प्रार्थना भी कर रही थी कि जितनी देर तक यह काम चले इतनी देर तक वहां कोई ना आए,,,,,
रघु की आंखों के सामने हलवाई की बीवी की कचोरी जैसी फूली हुई बुर थी जिसमें से मदन रस टपक रहा था,,,ऐसे तो रखो की इच्छा हो रही थी कि अपनी प्यासे होठों को उसकी बुर से लगाकर उसके मदन रस को गले के नीचे गटक कर अपनी प्यास बुझा ले लेकिन अभी दूसरी ही प्यास बुझाना उचित था,,,,, रघु पूरी तरह से तैयार था अपने लंड को उसकी बुर में डालने के लिए,,,, इसलिए हलवाई की बीवी भी फ्री भारी-भरकम मखमली गांड को थोड़ा सा और पीछे की तरफ करके रघु के इस परम कार्य में उसका सहयोग करने लगी,,,लेकिन हलवाई की बीवी की यह कामुक हरकत रघु के तन बदन में पूरी तरह से आग की ज्वाला भड़का दी,,क्योंकि एक मर्द को औरत को चोदने में कभी ज्यादा मजा आता है जब औरत भी अपनी तरफ से इस तरह की कामुक हरकतों को अंजाम देते हुए पूरा का पूरा उस मर्द को सहयोग करें,,, और वही क्रिया इस समय हलवाई की बीवी कर रही थी,,,बस फिर क्या था रघु को और क्या चाहिए था रघु तो अपने एक हाथ में अपना लंड पकड़ कर दूसरे हाथ से उसकी भारी भरकम कांड को पकड़कर थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठाया और जैसे ही उसकी गुलाबी बुर उसकी आंखों के सामने अपनी चमक दिखाने लगी वैसे ही अपने मोटे तगड़े लंड के मोटे सुपाड़े को उस चमक के गुलाबी सुराख पर रखकर हल्के से धक्का दे दिया,,,,,, उसकी रसीली बुर कुछ ज्यादा ही रस छोड़ रही थी,,, इसलिए थोड़े से ही प्रयास में शुभम का लंड बुर के अंदर की चिकनाहट पाकर जल्दी से अंदर की तरफ सरक गया,,,काफी दिनों बाद हलवाई की बीवी को एक बार फिर से रघु का मोटा तगड़ा लंड नसीब हो रहा था इसलिए बुर के अंदर घुसते ही उसके मुंह से हल्की सी कराहने की आवाज निकल गई, आहहहहह,,,,, रघु को इस तरह की आवाज सुनना बेहद पसंद था,,,इसलिए हलवाई की बीवी के मुंह से इस तरह की आवाज सुनते ही उसका जोश बढ़ने लगा उसका हौसला बढ़ने लगा अब रघु को किसी के भी द्वारा देखे जाने का डर बिल्कुल भी नहीं था वह बस हलवाई की बीवी कीमत मस्त जवानी में पूरी तरह से अपनी जवानी को भिगो देना चाहता था,,, इसलिए उसकी बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से थाम कर वह धक्के लगाना शुरू कर दिया हर धक्के के साथ हलवाई की बीवी के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ रही थी। अपने दोनों हाथों से अपनी साड़ी को पकड़े हुए थी ताकि रघु को इस की चुदाई करने में दिक्कत ना आ जाए,,,
शाम ढल रही थी हल्का हल्का अंधेरा होने लगा था लेकिन इतना भी नहीं कि किसी के द्वारा देखा जा ना सके रामू अपनी धुन में गरमा गरम जलेबी और समोसे का लुफ्त उठा रहा था,, हलवाई लगातार जलेबी छानने में लगा हुआ था,, उसे जरा सी भी फुर्सत नहीं मिल रही थी और इसी फुर्सत ना मिलने का फायदा उसकी बीवी और रघु उठा रहे थे,,,।
आहहह आहहहहह ,,,, रघु मेरे राजा तूने कौन सी आदत डाल दिया है रे मुझमें,,,,आहहहह ,,,, जब तक तेरा लंड मेरी बुर में नहीं जाता,,आहहहह,,,आहहहहहह,(जब तक वह अपनी बात आगे बढ़ा पाती तब तक रघु जोर-जोर से दो चार धक्के लगा दिया) तब तक मुझे चैन नहीं मिलता,,,, तेरे से चुदवाकर मुझे इस बात का एहसास हुआ की चुदाई का सुख कितना महत्व रखता है औरत की जिंदगी में,,,,, बस ऐसे ही जोर जोर से धक्के लगा,,,
मेरी रानी समोसा और जलेबी खाना तो एक बहाना है सच कहूं तो मैं तुझे यहां चोदने के लिए ही आता हूं,,,,(रघु जोर-जोर से अपनी कमरिया ता हुआ बोला)
तो आज तुझे मेरा समोसा कैसा लग रहा है,,,, और उसमें से निकल रहा जलेबी का रस,,,,
बहुत अच्छा मेरी जान ऐसा स्वादिष्ट और गरमा गरम समोसा मैंने आज तक जिंदगी में कभी नहीं खाया,,, और तेरी जलेबी का रस तो आहहहह ,,,,हाअअअअअ,,,, गजब का स्वादिष्ट है,,, मेरा तो मन करता है कि तुम्हारी जलेबी के रस में पूरी तरह से डूब जाऊं,,,,
तो डूब जाना किसने रोका है,,,,(वह एकदम मादक स्वर में बोली)
डूब जाऊंगा रानी बस अपनी बुर को भोसड़ा बनाकर घुसा ले मुझे अपने अंदर,,,,
तो घुस जा ना रोका किसने हैं,,,वैसे भी अब तक मेरी बुर सही सलामत ही थी लेकिन तेरा मोटा तगड़ा लंड जरूर इसको भोसड़ा बना देगा,,,, मेरे राजा,,,,(हलवाई की बीवी उत्तेजना के मारे अपनी भारी-भरकम गांड को पीछे की तरफ से ठेलते हुए बोली,,,, रघु का जोशउसकी गरम-गरम बातें और उसकी कामुक हरकतों को देखकर और ज्यादा बढ़ने लगा,,,, रघु काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था इसलिए हलवाई की बीवीकी कमर को छोड़कर वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से ही दोनों खरबूजा को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया,,,,रघु उत्तेजना के मारे उसकी दोनों चूचियों को इतनी जोर जोर से मसल रहा था कि उसकी सिसकारी और तेज होती जा रही थी,,, रघु का हर एक धक्का हलवाई के बीवी को स्वर्ग का सुख दे रही थी लेकिन जब जब लोगों का जोरदार धक्का पड़ता तब तक उसकी भारी-भरकम नितंब पानी भरी गुब्बारों की तरह लहरा ऊठती थी मानो तालाब के शांत पानी में कोई कंकर फेंक दिया,,हो,,,
मजा दोनों को बराबर आ रहा था,,,हलवाई की बीवी तो हवा में उड़ रही थी क्योंकि रघु लगातार एक ही रफ्तार से उसे पेल रहा था,,, और बहुत देर तक एकदम ठहरा हुआ था जिसकी वजह से उसके आनंद में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही थी,,, रघु के धक्के इतनी तेज थी कि अगर हलवाई की बीवी सूखी हुई न करो के ढेर का सहारा लेकर ना खड़ी होती तो कब के जमीन पर गिर गई होती,,,,
दोनों की सांसें तेज चल रही थी,,,, दोनों एकदम चरम सुख के करीब पहुंच गए थे,,, रघु की कमर लगातार हील रही थी,,, हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी गांड में पीछे की तरफ बार-बार हील रही थी,,,रखो पीछे से उसको अपनी बाहों में भर लिया और जोर जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते दोनों का पानी एक साथ झड़ गया,,, रघु अपना लंड हलवाई की बीवी की बुर से तब तक नहीं निकाला जब तक उसके लंड की आखिरी बूंद तक उसकी बुर के अंदर नहीं निकल गई,, दोनों हांफ रहे थे,,, रघु अपना लंड हलवाई की बीवी की बुर से बाहर निकाल लीया था,,, और अपनी बुर के अंदर से लंड को बाहर निकलते ही हलवाई की बीवी अपनी दोनों टांगे चौड़ी करके कुछ देर तक खड़ी रही ताकि बुर के अंदर गिरा सारा माल बाहर निकल जाए,,
थोड़ी देर बाद दोनों कपड़े दुरुस्त करके सूखी हुई लकड़ियों का ढेर लेकर आगे हलवाई के लगा रहे हो रघु ढेर सारी शुभकामना परियों का ढेर उसके पास में रखते हुए बोला।
लो चाचा जी सारी सूखी लकड़ियां लेकर आ गया हूं,,,
जीते रहो बेटा बहुत अच्छे लड़के हो आया करो,,,
आता तो रहता हूं चाचा जी,,, क्या करूं मजबूरी है। (हलवाई की बीवी की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए बोला,, हलवाई की बीवी भी रघु को देख कर मुस्कुरा रही थीं,,, तब तक रामू भी उसके पास आ गया,,, दोनों जाने को हुए तो हलवाई की बीवी गरमा गरम जलेबी उठाकर रघु की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,)
ले रघु मेरी तरफ से खा लेना,,,,( रघु भला कैसे इंकार कर सकता था इसलिए वह हाथ बढ़ाकर जलेबी को थामते हुए बोला) इससे ज्यादा गर्म तो समोसा था चाची,,,
चल कोई बात नहीं कभी और आना तो तुझे फिर से गरमा गरम समोसा खिला दुंगी,,,(वह मुस्कुराते हुए बोली और उसका जवाब सुनकर रघु भी मुस्कुराने लगा और फिर रघु और रामू दोनों गांव की तरफ चल दिए,,)