अब आगे——
मैं हाथ में towel लेके नंगी सिम्मी को अपने room की
और जाते हुए देख रहा था।सिम्मी अब पहले से ज़्यादा सैक्सी लगने लगी थी,मन किया के पकड़
के यहीं चोद दूँ,यह सोच कर के घर में कोई नहीं है।पर मैं ये भी नहीं जानता था सिम्मी
मुझ से चुदवाना चाहेगी के नहीं।मैं पहल नहीं करूँगा।इस ख़्याल को झटक के
मैं कपड़े पहन कर ब्रेकफास्ट करने के लिए किचन में जाने लगा।सोचा सिम्मी
को भी ब्रेकफास्ट के लिये पूछ लूँ।
सिम्मी दूसरी तरफ़ मुँह कर के नंगी ही लेटी हुई थी।मैंने सिम्मी के पास जाकर पूछा
sis breakfast यहीं लाकर दूँ तुम्हें।
simmi- नहीं bro आप कर लो,मैं बाद में नहा के breakfast कर लूँगी।आप लेट
हो जाओगे आपने ऑफिस जाना है,मैंने सिम्मी को नहीं बताया था के मैंने Doctor के
पास जाना है,पर तुम college क्यों नहीं गई,मैंने सिम्मी से पूछा।
bro,मैं तुमसे आज बहुत नाराज़ थी,और तुमसे झगड़ा करने के मुड़ में थी,सिम्मी ने कहा
इस लिये आज मैंने college से bunk मारा ताकि मैं आज तुम्हें घेर कर तुम्हारा वीर्यरस पान
ज़बरदस्ती कर सकूँ।जिसमे मैं कामयाब रही।पर bro मुझे आज जितना मज़ा आया
पहले कभी नहीं आया।bro तुमने मेरी चूत इतनी अच्छे से चाटी के मेरी चूत से रस की बाढ़ आ गई,पर जब तुम्हारे लण्ड कि नोक मेरी चूत के सुराख़ में घुसने की कोशिश कर रही थी।तो
मैंने अपनी सांस रोक ली,अपनी आँखें भींच कर बंद कर ली और अपने जबड़े भींच लिये।
इस सोच में की bro आज मेरी seal तोड़ेगा।मुझे चोदेगा ,पर
जब तुमने मुझे पटक के बेड पे मारा तो मैं समझ गई की तुम मुझे आज नहीं चोदोगे,
और मेरी virginity आज लूटने से रह गई,I will wait for the next time,
फिर भी bro मुझे बहुत मज़ा आया।आगे भी इसी तरह के session किया करेंगे।,
मैं समझ गया कि सिम्मी चुदने के लिये पूरी तरह से तैयार है,पर मुझे ये भी
चिंता हो गई कि कोई और इस मासूम का फ़ायदा ना उठा ले।मुझे सिम्मी का ध्यान रखना पड़ेगा।
सुबह के 11 बज गये थे।मैं अपना breakfast लेकर,doctor से मिलने के लिये
चला गया,बारह बजे मेरी appointment थी तो मैं waiting में जाकर बैठ गया।
बारह बजते ही मैं doctor के चैम्बर में चला गया।
doctor ने मुझे बैठने को बोला,और पूछा महेश सिम्मी का इलाज़ कैसा चल रहा है ,
महेश-sir,एक problem आ गई है।
doctor-बोलो क्या बात है,
महेश-sir,मेरा semen बहुत कम हो गया है।मैं सिम्मी को तीन बार semen की dose
नहीं पिला सकता।इसका कोई हल बताइये।सिम्मी मुझ से बहुत झगड़ा करती है और कहती है,
तुम मेरा इलाज नहीं करना चाहते हो और मुझे सिर्फ़ एक बार ही अपना semen पिलाते हो।
मैंने Doctor से रोज़ी और श्वेता का नाम छिपा लिया,नहीं तो Doctor मुझे ठरकी समझेगा
जो मैं था ही।मैं शादी से पहले ही तीन तीन virgin चुतों का रस चूसने का मज़ा ले रहा था और
तीनों को बग़ैर चोदे,अपने लण्ड का वीर्य रस पीला रहा था।
doctor- एक नई medicine india में अभी आयी है जिस से मर्द के semen की quantity कई
गुना बढ़ जाती है,और जिन औरतों के vaginal juice कम बनने की वजह से orgasm नहीं
होता,उन में भी इस medicine के सेवन से उनका vaginal juice बनना बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है
और उनका सेक्स करने के दोरान orgasm भी बहुत powerful होता है।
महेश-sir,मुझे इस medicine की prescription वना दीजिए।
doctor ने medicine की पर्ची मेरे हाथ में पकड़ा दी।
महेश-doctor,इस medicine को यूज़ करने का मुझे तरीक़ा समझा दीजिये।
doctor-तुमको सिमी को अपना semen पिलाने से एक घंटा पहले ये
medicine लेनी है,और दिन में तीन बार से अधिक ये मेडिसिन नहीं लेनी है।और अगर medicine
लेने के बाद तुम्हारे testis फ़ूल गये हों और उनमें दर्द हो रहा हो,तो समझो की तुम्हारे testis
semen से भर गए हैं।और
जब तक semen से भरी हुई testis ख़ाली ना हों जाये तुमने medicine को अगली dose
नहीं लेनी और अगर सिम्मी तुम्हारा semen ना पी सके ,फिर या तो किसी और लड़की को
तुम्हें अपना semen पिलाना पड़ेगा या फिर किसी गिलास में अपना semen निकाल कर
उसे फिर किसी time सिम्मी के पीने के लिए deep fridge में किसी bottle में भरकर रख दो,
उसे सिम्मी कभी भी एक हफ़्ते के अन्दर पी सकती है। एक हफ़्ते वाद बो semen useless हो जायेगा।
महेश-sir,एक और मेरे मन में सवाल था,if you permit me to ask
doctor — ask me any question, I will answer,
महेश-सिमी जब भी मेरा semen पीती है तो कहती है,bro तुम्हारा semen
चमन के अंगूर जितना मीठा है और उसकी ख़ुशबू सेब जैसी है।मैंने रोज़ी और श्वेता का
नाम डॉक्टर से छुपा लिया,फिर मैंने पूछा कि doctor ऐसा कभी होता है क्या,और
क्या किसी और के semen के ऐसे गुण होते हैं क्या,
doctor-हाँ हो सकता है,तुम्हारे semen में ये गुण हैं ना,तुम तो मेरे सामने बैठे हो,
पर ऐसा case rare ऑफ़ the rarest होता है,लाखों में एक ,ढूँढने से भी ना
मिले,जिस लड़की से तुम्हारी शादी होगी वो ख़ुद भी तुम्हारा semen किसी भी hole
में लेने से अति सुंदर हो जाएगी और तुमसे जो बच्चे उसके पैदा होंगे वो अति सुंदर होंगे
और उन बच्चों में जो लड़के पैदा होंगे उनके semen में वही गुण होंगे,जैसे तुम्हारे semen में हैं,
महेश-पर मेरा semen इतना मीठा क्यों है,doctor,
doctor-इसका जवाब बहुत complex है,फिर कभी बताऊँगा।अब जो diet तुम लेते हो अगर
बो सारी उमर खाते रहोगे,तो तुम्हारे semen की quality यही रहेगी।पर अगर कोई
और बंदा तुम्हारी जैसी diet खायेगा,तो उसका semen भी तुम्हारे जैसा बन जाएगा।it
is not possible,ऐसा आदमी तो ढूँढने से भी नहीं मिलेगा।
Thank you doctor,मुझे मेरे सवालों का जवाब मिल गया है।
इतना बोल कर मैं chemist की shop से अपनी एक महीने की 90 dose की
medicine लेके मैं hospital के बाहर आ गया।
एक dose तो medicine की मैंने बहीं पर canteen में जाकर ले ली।
आज मैं बहुत खुश था,इस लिये की अब सिम्मी का पूरा इलाज हो सकेगा,जिसका
promise मैंने अपनी mom से किया था,और अब सिम्मी की शादी जल्दी कर
सकेंगे और फिर मैं भी अपनी शादी करने के लिये फ्री हो जाऊँगा।
मैं हॉस्पिटल से निकल कर रोज़ी के घर मैं एक बजे पहुँचा।
बहाँ घर के बाहर रोज़ी दरवाज़ा खोल कर खड़ी हुई मेरी वेट कर रही थी।
डार्लिंग आ गये तुम।रोज़ी बोली
फिर रोज़ी ने मुझे अंदर ले लिया और door बंद करके मुझे हग करने लगी
और मेरी छाती से चिपक गई।
रोज़ी—इतनी देर मत लगाया कर ,देखो मेरा दिल कितना ज़ोर ज़ोर से
धड़क रहा है,कह कर रोज़ी ने अपने कोमल मोटे मम्मे मेरे कान से लगा दिये।
डार्लिंग ऐसे ही लेट हो गया।गलती हो गई मैडम,मैंने कानों को हाथ लगाया,
मुझे देखकर रोज़ी हंस पड़ी और मुझे smooch करने लगी।
फिर हम दोनों आंटी के room में चले गये,महेश आ गये तुम,आंटी बोली
रोज़ी तो कबसे बाहर खड़ी तुम्हारे आने की राह देख रही थी।
रोज़ी महेश को बताने लगी के doctor ने बोला है की मम्मी को
रोज़ एक घंटा walker के साथ चलाया ताकि उनकी टांगों में
blood supply बड़े और हड्डियों में मज़बूती आये।
चलो मुझे पकड़ कर खड़ा करो,आंटी बोली।
मैंने आंटी को दोनों बगलों से पकड़ कर खड़ा कर दिया,
रोज़ी आंटी के लिए walker ले आयी।
मैंने आंटी को कहा की आप धीरे धीरे walker को पकड़ कर चलना शुरू कीजिये।
आधे घंटे की walking के बाद आंटी बोली,महेश बेटा मैं तो थक गई मुझे
मेरे बिस्तर पर लिटा दो।
आंटी के लेटने के बाद,रोज़ी मेरा हाथ पकड़ कर लॉबी में ले गई,
और बोली तुम बैठो,मैं अभी आयी।
रोज़ी किचन में जा कर दो plates में ख़ाना लगा कर ले आयी,
एक प्लेट रोज़ी ने आंटी को उसके रूम में जाकर दे दी।
दूसरी प्लेट में ख़ाना लेकर मेरे पास आकर मेरी गोद में बैठ गई,
और बोली मैं तुम्हें ख़ाना खिलाती हूँ ,चुप चाप खा लो।
रोज़ी मुझे ख़ाना भी खिला रही थी और बता भी रही थी,
की मम्मी डैडी का ख़ाना बना कर रख दिया है,
डैडी रात को आकर ,माइक्रो में ख़ाना गर्म कर के ख़ुद भी खा लेंगे,
मम्मी को भी खिला देंगे।
कल का ख़ाना पड़ोस में मम्मी की फ्रेंड तीनों time दे जाया करेगी,
डैडी कल मम्मी के पास ही रहेंगे।
रोज़ी मुझे ख़ाना भी खिला रही थी,और ख़ुद भी खा रही थी।
और सब बातें भी बता रही थी।
आधे घंटे में हमने ख़ाना ख़त्म किया और जाने के लिए उठ गये।
रोज़ी ने अपनी प्लेट भी उठाई और मम्मी की प्लेट भी उठाई,
और kitchen में चली गई।
थोड़ी देर बाद रोज़ी अपना काम ख़त्म करके,
अच्छी सी साड़ी पहन कर अपने हाथ एक सूटकेस लेकर आ गई।
डार्लिंग चलें,मुझे बस से मेरे ससुराल छोड़ के आ जाना।
आंटी को बोल कर,हम लोग बाहर आ गये,
मैंने अपना बाइक बहीं रोज़ी के घर छोड़ दिया और
autorickshaw पर बैठ कर बस स्टैंड पहुँच गये।अभी दोपहर के तीन बजे थे।कितनी
रोज़ी के ससुराल की nonstop बस में luggage box में attache रख कर,
हम टिकट लेकर अपनी सीट पर बैठ जाकर बैठ गये।
महेश-रोज़ी तुम्हारा ससुराल यहाँ से कितनी दूर है।
रोज़ी —डेढ़ घंटे में हम मेरे ससुराल पहुँच जाएँगे।
थोड़ी दर बाद रोज़ी ने अपने हाथों में मेरा हाथ ले लिया,और उसको अपनी साड़ी के
पल्लू से ढक लिया,फिर मुझ से पूछने लगी,
डार्लिंग,तुमने मुझ से ये नहीं पूछा की मैं दो दिन के लिये ससुराल क्यों
जा रही हूँ।
महेश- अब बता दो।
रोज़ी serious हो गई और मेरे हाथों को कस के पकड़ लिया और बोलने लगी।
महेश डार्लिंग,तुम जानते ही हो,की मेरी शादी को तीन साल हो गये हँ,
तुम ये भी जानते हो के तुम मेरा पहला प्यार हो और आख़िरी भी।
मैं जब से तुम्हें प्यार करने लगी तो मैंने तन मन से तुम्हें अपना पति मन लिया
था,और तुमसे शादी करना चाहती थी,पर मेरे भाग्य में दुख लिखे थे।
अब मैंने अपने भाग्य की पुरानी दुख की लकीर मिटा कर सुख की नयी लकीर खींचने की ठान ली है।
बातें करते करते रोज़ी कि आँखें भर आयीं,और मेरे कंधे से लगकर रुँधे गले से बोली,
महेश,मैं तुम्हारे बच्चों की माँ बनना चाहती हूँ,हमेशा के लिए तुम्हारे साथ रह कर
तुमसे दिन रात प्यार करना चाहती हूँ,हर रात तुमसे चुदना चाहती हूँ।
रोज़ी बोलती जा रही थी।
महेश- ये सब बातें तो तुम्हारी सही हैं,पर इसका तुम्हारी मम्मी को छोड़ कर
तुम्हारे ससुराल जाने का क्या संबंध है,इसका कारण,मुझे समझ नहीं आया।
रोज़ी-मैंने अपने ये बात अपनी मम्मी को बता दी है की मैं तुम्हारे बच्चे की माँ
बनना चाहती हूँ।और mummy ने इस बात के लिये मुझे अपनी consent दे दी है,
मम्मी बस मुझे खुश देखना चाहती हैं।और बो यह भी जानती है,की यह सुख और
ख़ुशी सिर्फ़ तुम्हीं मुझे दे सकते हो।डैडी को जब समय आएगा मैं सब ख़ुद बता दूँगी।
डैडी भी मुझे हर हाल में ख़ुश देखना चाहते हैं।
रोज़ी से बातें करते करते मेरे लण्ड में hardneess आने लगी और पेंट में टाइट हो गया।
मेरे लण्ड के ऊपर रोज़ी का हाथ रखा हुआ था,
मेरा लण्ड खड़ा हो गया है,ये बात रोज़ी ने भी महसूस की,
और मुस्करा कर मेरी तरफ़ देखने लगी।इस बात से खुश हो रही थी उसकी बातों
से मेरा लण्ड खड़ा हो गया था।
पर यहाँ तो मसला कुछ और ही था,जो medicine की dose मैंने hospital
में ली थी,उसका असर मेरे लण्ड को और testicles को महसूस होने लगा था।
इतनी बात तो मुझे समझ आ गई थी रोज़ी मुझ से बहुत प्यार करती है
और मुझ से चुदाई करा कर मेरे बच्चे की माँ बनना चाहती,जिसके लिये
मैं रोज़ी को मना नहीं करूँगा,यह मैंने सोच लिया था।
मैं ये भी जानता था के रोज़ी मेरा वीर्यरस पान करके सुन्दर से सुन्दर होना चाहती थी।
महेश-पर इन सब बातों का तुम्हारे ससुराल जाने का क्या संबंध है,
रोज़ी- मैं दो रातें अपने घरवाले के साथ सोऊँगी,और उसकी लुल्ली अपने हाथ से
पकड़ कर अपने चूत में उसका semen छुड़वाने का ड्रामा करूँगी।
बापस आकर मैं तुझ से खूब चुदबाऊँगी,जब तक मैं pregnant नहीं हो
जाती।बाद में फ़ोन करके अपनी सास को फ़ोन करके बता दूँगी की मैं pregnant हो गई हूँ।
अब तो मेरे लण्ड के साथ साथ मेरी testicles में भी दर्द होने लगा था।महेश सोचने लगा।
अभी रोज़ी के ससुराल आने में एक घंटे पड़ा था,
मैंने रोज़ी के कान में अपनी problem बतायी।
तो रोज़ी मुँह पे हाथ रख कर हंसने लगी।-
और बोली फिर मैं क्या करूँ,रोज़ी बोली
महेश-मेरा लण्ड तुम्हारे हाथ में है,इसकी मूठ मार दो।
रोज़ी - आगे से अपनी वीर्य मणि को waste करने की सोचना भी नहीं,
जब भी मुझे कहोगे,मैं अपनी चूत में तुम्हारा लण्ड ले लूँगी पर ज़मीन पर तुम्हारी मणि गिरने नहीं दूँगी।
इतना बोल कर रोज़ी मेरे कंधे से लग गई।
फिर मेरी गोद में लेट गई,और अपनी टाँगे इकट्ठी करके सोने का ड्रामा करने लगी।
मैंने रोज़ी का सिर और मुँह रोज़ी के पल्लू से अच्छी तरह से ढक दिया।
रोज़ी ने मेरी पेंट की ज़िप तो खोल ली,पर लण्ड फ़ुल कर कुप्पा हो गया था,
और रोज़ी से बाहर नहीं निकल रहा था,
रोज़ी के मुँह में अभी से पानी आ रहा था।
रोज़ी ने मेरा हाथ पकड़ कर लण्ड को खींच कर बाहर निकालने को कहा।
जैसे ही मेरा लण्ड बाहर निकला,रोज़ी ने लपक के पकड़ लिया के कहीं भाग नहीं जाये।
और रोज़ी ने पहले अपने मुँह में जो saliva भरा हुआ था,
रोज़ी ने अपने मुँह का सारा saliva अपने जीभ में लपेट कर
मेरे लण्ड को अपने saliva से अच्छे से भिगो दिया,और मेरे लण्ड को चिकना करके गप से
अपने मुँह में भर लिया।
मेरे लण्ड का दर्द जैसे जैसे बढ़ रहा था,वैसे वैसे मेरे लण्ड की hardness बढ़ रही थी।
धीरे धीरे रोज़ी ने मेरे लण्ड को पूरे का पूरा अपने मुँह भर लिया और
प्यार से चूसने लगी।जैसे जैसे रोज़ी मेरा लण्ड चुसती गई,वैसे वैसे मेरे लण्ड का
दर्द कम होने लगा।मुझे एकदम लगा मैं अभी झड़ जाऊँगा,पर ऐसा नहीं हुआ,
बल्कि मेरे testicles में जो वीर्य जमा हो गया था,वो मेरे लण्ड से लीक होके
रोज़ी के मुँह में गिर रहा था।जैसे ही रोज़ी ने मेरा वीर्य पीना शुरू किया वैसे
ही रोज़ी moan करने लगी,और रोज़ी पर मस्ती छाने लगी।रोज़ी को भी लण्ड
चूसने का मज़ा आ रहा था,और अब तो मेरे वीर्य की निकालने speed भी
बढ़ गई थी।रोज़ी ने भी मेरे लण्ड को चूसने की speed भी बढ़ा दी थी।
पहले मैं एक ही झटके में झड कर अपने वीर्य की पिचकारी मार देता था,
पर मुझ पर medicine का असर इतना ज़बरदस्त था कि मैं लगातार झड़ रहा था
और मेरा वीर्य भी लगातार रोज़ी के मुँह में गिरता जा रहा था,और रोज़ी की
moan करने की speed भी बढ़ गई थी।मेरा लण्ड तो उतना ही hard था
पर उसमे से दर्द ग़ायब था और testicles में अब दर्द नहीं हो रहा था।
रोज़ी का मुँह मेरे पेट की तरफ़ था,घुटने भी मेरी और मुड़े हुए थे,रोज़ी के छोटे छोटे
पैर बाहर की और निकले हुए थे,पैरों का हिलना वता रहे थे ,रोज़ी की बॉडी में
कोई हलचल चल रही है,यह कोई नहीं जानता था ,बस या तो मुझे पता था
या रोज़ी को।
suddenly,रोज़ी ने बग़ैर मेरे लण्ड छोड़े,रोज़ी ने मेरा दायां हाथ पकड़ कर अपने नंगे
पेट पर रख दिया,फिर रोज़ी ने अपने पेट को अंदर करके मेरा हाथ अपने पेटीकोट
की elastic में घुसा कर,अपनी पैंटी के अंदर डाल कर,फूल जैसी चूत पर टीका दिया,
जैसे मेरे हाथ ने इस फूल की पंखुंडियों को छुआ,तो रोज़ी के मुँह से moaning की हल्की सी
चीख ओह माँ—-निकल गई।मेरे हाथ तो जैसे जलेबी की चाशनी में डूब गये थे।
रोज़ी की पेंटी भी एक दम भीग चुकी थी।मैं सोच रहा था कैसे रोज़ी अपनी
भीगी हुई पेंटी के साथ अपने ससुराल जाएगी।देखा जाएगा।
रोज़ी ने इशारे से अपना हाथ हिला कर मुझे उसकी चूत रगड़ने को कहने लगी।
जिस बस में हम travel कर रहे थे,बो non stop थी,ना उसने कोई नया passenger
चढ़ाना था,ना कोई उतारना था।
इसलिए सभी passenger सो रहे थे और हमे कोई भी नहीं देख रहा था।इसलिए
हम भी मस्त होकर एक दूसरे से खेल रहे थे।
मैं रोज़ी की चूत को ऊपर से नीचे की और रगड़ रहा था,और नीचे से ऊपर की
और रगड़ रहा था।
रोज़ी की चूत रगड़ते रगड़ते मेरा हाथ रोज़ी के clit को छू जाता था,
धीरे धीरे रोज़ी का clitoris अपनी गुफा से बाहर निकल आया था।
रोज़ी के clitoris की शक्ल बिल्कुल मेरे लण्ड जैसी थी।
भाई लोगो यह सच की anatomically औरत के clitoris की structure
लगभग मर्द के penis जैसी होती है।
clitoris का size लण्ड के मुक़ाबले बहुत छोटा होता है,
पर clitoris की sensitivity,मर्द के लण्ड से दोगुनी होती है।
मर्द के लण्ड में 4000 nerve endings होती हैं,
औरत के clitoris में 8000 nerve endings होती हैं।
चलें आगे चलते हैं—-
रोज़ी का मुँह मेरे लण्ड से भरा हुआ था,और उसमें से वीर्य लगातार रिस रिस
कर रोज़ी के मुँह में जा रहा था।अगले दस मिण्ट रोज़ी मेरा लण्ड चूसती जा
रही थी,और उसकी moaning की आवाज़ मुझे ही सुनाई दे रही थी।
जब भी मेरा हाथ रोज़ी के clit को छू जाता,रोज़ी अपनी जाँघ भींच कर मेरे
हाथ को दबा देती,रोज़ी की चूत का clit full size का होकर बाहर निकल
आया था,
रोज़ी की चूत ऊपर नीचे रगड़ते रगड़ते मेरी उँगलियों में रोज़ी की चूत का
clit फँस गया,और अपनी उँगलियों में फँसे clit को मरोड़ दिया,
रोज़ी की दर्द की और मज़े की चीख निकल गई,
और आह आह करती करती झटके खाकर झड़ने लगी।
रोज़ी को झटके बहुत देर तक आते रहे और उसकी चूत तब तक पानी बरसाती रही।
रोज़ी की पेंटी के अंदर मेरा हाथ रोज़ी की चूत के पानी से बिल्कुल भीग चुका था।
रोज़ी के झटके बंद होते ही रोज़ी शांत हो गई,
मैंने भी अपना हाथ रोज़ी की पैंटी से बाहर निकाल लिया,
रोज़ी के चूत रस से भीगे अपने हाथ को पहले सूंघा फिर चाट कर अपना हाथ
साफ़ कर लिया।
रोज़ी का मुँह अभी भी उसकी साड़ी के पल्लू से ढका हुआ था,
रोज़ी ने अभी भी अपने मुँह में मेरा लण्ड फँसा रखा था,उसे छोड़ा नहीं था।
मैंने रोज़ी की साड़ी का पल्लू हटा कर देखा तो रोज़ी निश्चिंत होकर सो रही थी,
रोज़ी के चेहरे पर असीम संतुष्टि के भाव थे।मैंने रोज़ी का चेहरा फिर ढक दिया।
मेरा लण्ड अभी भी हार्ड था,मैंने अपने लण्ड को push करके रोज़ी के मुँह के अन्दर
गले तक पहुँचा दिया,अब मेरे लण्ड से वीर्य रिस कर सीधा रोज़ी के गले में गिरने
लगा।
रोज़ी बीच बीच में नींद में मेरे लण्ड को चूसने लगती फिर रुक जाती,
धीरे धीरे मेरे testicles और लण्ड का वीर्य कम हो कर बंद हो गया।
मैं भी हल्का फुलका महसूस कर रहा था,आप ये समझो मेरे लण्ड ने
झड़ना तब तक जारी रखा जब तक उसमे से वीर्य रिसता रहा।
मेरे लण्ड से जैसे ही वीर्य निकलना बंद हुआ,वैसे मैंने रोज़ी के मुँह से खींच
कर अपना लण्ड जो रोज़ी के saliva और मेरे वीर्य से भीगा हुआ था,बाहर निकाल कर अपनी पैंट में वापस डाल लिया।
रोज़ी अभी भी बेफ़िकर होकर सो रही थी और हल्के हल्के खर्राटे ले रही थी।