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सोनिया- क्यों ना तुम सोनाली को यहीं ले आओ.. वैसे भी घर 4 दिन तो खाली ही रहेगा.. यहीं पर ग्रुप में हम लोग मस्ती करेंगे।
सूर्या और मैं- यह भी सही बोल रही है।
सूर्या- तो एक काम करो.. तुम सोनाली को ले कर आओ।
मैं- ठीक है.. अभी लेकर आता हूँ।
मैं घर चला गया.. सोनाली का चेहरा मुझे देखते ही खिल उठा और मुझसे गले लग गई और बोली- वाउ भाई तुमने तो कमाल कर दिया।
मैं- मम्मी-पापा कहाँ हैं?
सोनाली- अन्दर हैं।
मैं उनके पास गया तो मुझे देखते ही पूछने लगे- अकेले पार्टी कहाँ करके आ गया?
‘नहीं पापा पार्टी आज है.. और वो आप तीनों को भी बुलाया है।’
तो पापा बोले- अरे न भाई.. हमारे पास टाइम नहीं है.. तुम सोनाली को ले कर चले जाना.. और हमारी तरफ़ से सॉरी बोल देना.. अब हम ऑफिस चलते हैं।
इतना बोल कर वे दोनों ऑफिस चले गए उनके जाते ही सोनाली फिर से मेरे ऊपर कूद पड़ी।
सोनाली- कमाल के लड़के हो तुम यार.. इतनी जल्दी काम कर दिया।
मैं- कभी कभी कमाल कर देता हूँ।
सोनाली- बिस्तर में कैसी लगी सोनिया?
मैं- मस्त आइटम है यार.. उसके साथ चुदाई में मजा आ गया.. और वो सील पैक भी थी।
सोनाली- तब तो तुमने एक और सुहागरात मना ली.. मतलब 12 के चोदू हो गए।
मैं- हाँ चलो.. आज तुम भी मना लेना अपनी तीसरी सुहागरात..
वो शर्मा गई.. तो मैं बोला शर्माना बंद करो और जल्दी से तैयार हो जाओ.. सूर्या के यहाँ चलना है.. अभी आज तेरे मन की मुराद पूरी हो जाएगी।
हम लोग जल्दी से रेडी होकर सूर्या के घर पहुँच गए और जैसे ही अन्दर गए तो देखा सूर्या और सोनिया एक बिस्तर को सज़ा रहे थे।
पूछने पर पता चला आज इन दोनों की पहली चुदाई यादगार रहे.. उसी की तैयारी चल रही है।
तभी सोनिया सोनाली को लेकर चली गई बोली- इसको मैं सज़ा देती हूँ.. और मुझसे बोली- तुम सूर्या को जाकर सज़ा दो।
मैं सूर्या को कमरे में ले गया और बोला- खुद से तैयार हो जा..।
जब वो रेडी हो गया तो मैंने थोड़ा बहुत उसको सज़ा दिया और खुद भी फ्रेश हो कर बाहर आया।
तो पता चला सोनिया अभी भी सोनाली को सज़ा ही रही है.. वो भी बंद कमरे में।
कुछ देर बाद जब वो बाहर निकली.. तो मैं देखता ही रह गया। सोनाली एकदम खूबसूरत दुल्हन की तरह सजी हुई थी। सिल्वर रंग की पारदर्शी साड़ी और उसी रंग की ब्लाउज.. पूरा फेस मेकअप किया हुआ.. साड़ी नाभि से नीचे.. चूत से थोड़ी ही ऊपर बँधी हुई थी।
उसकी चूत और नाभि के बीच का चिकना भाग और भी खूबसूरत लग रहा था।
मुझे तो लग रहा था कोई हूर परीलोक से उतर कर आई है.. क्योंकि इतनी खूबसूरत सोनाली को मैंने भी पहले कभी नहीं देखा था।
वैसे सोनिया भी तैयार हो कर आई थी.. लेकिन सोनाली के आगे वो कुछ ख़ास नहीं लग रही थी।
मुझसे रहा नहीं गया और मैं सोनाली के गले लग गया- अभी तुम इतनी खूबसूरत लग रही हो कि मन हो रहा है कि पहले मैं ही चोद दूँ।
सोनाली- आज तो मैं सूर्या के लिए सजी हूँ.. आप किसी और दिन..
मैं- ओके मेरी जान.. लेकिन मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है।
सोनाली- सोनिया है ना.. आज इसी से काम चलाओ।
मैं- उसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं है।
सोनिया- अब तुम हटो इसको बिस्तर पर ले जाने दो।
मैं- हाँ उसको पहुँचा कर मेरे पास आ जाओ.. जल्दी से मेरा राजा खड़ा हो रहा है।
सोनिया- हाँ आती हूँ.. मेरे राजा सब्र करो।
मैं- नहीं हो पा रहा है।
सोनिया- पिछली बार मिली थी.. तो बहुत छोटी थी.. लगता है कोई मेहनत कर रहा है।
मैं- हाँ तुम्हारा वही.. और तुम आओ मैं तुम पर मेहनत करता हूँ।
सोनिया- अभी इन दोनों को देखने दो.. पहली बार लाइव सेक्स देख कर मजा आ रहा है।
सूर्या और मैं- यह भी सही बोल रही है।
सूर्या- तो एक काम करो.. तुम सोनाली को ले कर आओ।
मैं- ठीक है.. अभी लेकर आता हूँ।
मैं घर चला गया.. सोनाली का चेहरा मुझे देखते ही खिल उठा और मुझसे गले लग गई और बोली- वाउ भाई तुमने तो कमाल कर दिया।
मैं- मम्मी-पापा कहाँ हैं?
सोनाली- अन्दर हैं।
मैं उनके पास गया तो मुझे देखते ही पूछने लगे- अकेले पार्टी कहाँ करके आ गया?
‘नहीं पापा पार्टी आज है.. और वो आप तीनों को भी बुलाया है।’
तो पापा बोले- अरे न भाई.. हमारे पास टाइम नहीं है.. तुम सोनाली को ले कर चले जाना.. और हमारी तरफ़ से सॉरी बोल देना.. अब हम ऑफिस चलते हैं।
इतना बोल कर वे दोनों ऑफिस चले गए उनके जाते ही सोनाली फिर से मेरे ऊपर कूद पड़ी।
सोनाली- कमाल के लड़के हो तुम यार.. इतनी जल्दी काम कर दिया।
मैं- कभी कभी कमाल कर देता हूँ।
सोनाली- बिस्तर में कैसी लगी सोनिया?
मैं- मस्त आइटम है यार.. उसके साथ चुदाई में मजा आ गया.. और वो सील पैक भी थी।
सोनाली- तब तो तुमने एक और सुहागरात मना ली.. मतलब 12 के चोदू हो गए।
मैं- हाँ चलो.. आज तुम भी मना लेना अपनी तीसरी सुहागरात..
वो शर्मा गई.. तो मैं बोला शर्माना बंद करो और जल्दी से तैयार हो जाओ.. सूर्या के यहाँ चलना है.. अभी आज तेरे मन की मुराद पूरी हो जाएगी।
हम लोग जल्दी से रेडी होकर सूर्या के घर पहुँच गए और जैसे ही अन्दर गए तो देखा सूर्या और सोनिया एक बिस्तर को सज़ा रहे थे।
पूछने पर पता चला आज इन दोनों की पहली चुदाई यादगार रहे.. उसी की तैयारी चल रही है।
तभी सोनिया सोनाली को लेकर चली गई बोली- इसको मैं सज़ा देती हूँ.. और मुझसे बोली- तुम सूर्या को जाकर सज़ा दो।
मैं सूर्या को कमरे में ले गया और बोला- खुद से तैयार हो जा..।
जब वो रेडी हो गया तो मैंने थोड़ा बहुत उसको सज़ा दिया और खुद भी फ्रेश हो कर बाहर आया।
तो पता चला सोनिया अभी भी सोनाली को सज़ा ही रही है.. वो भी बंद कमरे में।
कुछ देर बाद जब वो बाहर निकली.. तो मैं देखता ही रह गया। सोनाली एकदम खूबसूरत दुल्हन की तरह सजी हुई थी। सिल्वर रंग की पारदर्शी साड़ी और उसी रंग की ब्लाउज.. पूरा फेस मेकअप किया हुआ.. साड़ी नाभि से नीचे.. चूत से थोड़ी ही ऊपर बँधी हुई थी।
उसकी चूत और नाभि के बीच का चिकना भाग और भी खूबसूरत लग रहा था।
मुझे तो लग रहा था कोई हूर परीलोक से उतर कर आई है.. क्योंकि इतनी खूबसूरत सोनाली को मैंने भी पहले कभी नहीं देखा था।
वैसे सोनिया भी तैयार हो कर आई थी.. लेकिन सोनाली के आगे वो कुछ ख़ास नहीं लग रही थी।
मुझसे रहा नहीं गया और मैं सोनाली के गले लग गया- अभी तुम इतनी खूबसूरत लग रही हो कि मन हो रहा है कि पहले मैं ही चोद दूँ।
सोनाली- आज तो मैं सूर्या के लिए सजी हूँ.. आप किसी और दिन..
मैं- ओके मेरी जान.. लेकिन मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है।
सोनाली- सोनिया है ना.. आज इसी से काम चलाओ।
मैं- उसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं है।
सोनिया- अब तुम हटो इसको बिस्तर पर ले जाने दो।
मैं- हाँ उसको पहुँचा कर मेरे पास आ जाओ.. जल्दी से मेरा राजा खड़ा हो रहा है।
सोनिया- हाँ आती हूँ.. मेरे राजा सब्र करो।
मैं- नहीं हो पा रहा है।
सोनिया- पिछली बार मिली थी.. तो बहुत छोटी थी.. लगता है कोई मेहनत कर रहा है।
मैं- हाँ तुम्हारा वही.. और तुम आओ मैं तुम पर मेहनत करता हूँ।
सोनिया- अभी इन दोनों को देखने दो.. पहली बार लाइव सेक्स देख कर मजा आ रहा है।