सूर्या- जब दिल्ली जाएगा.. तब ना..
मैं- हाँ अब दिल्ली ही जाऊँगा.. कितने दिन यहाँ रहूँगा।
सूर्या- ठीक है जब दिल्ली जाएगा.. तो मैं हेल्प कर दूँगा।
मैं- ठीक है।
मैंने फोन रख दिया.. तभी सोनाली मेरे कमरे में कॉफी ले कर आई.. जैसे ही टेबल पर उसने कॉफ़ी रखी.. मैंने उसे खींच कर अपनी गोद में बैठा लिया और उसकी चूचियों को दबा दिया।
सोनाली- पापा घर पर ही हैं.. ज़रा सबर करो।
मैं- तो क्या हुआ.. अभी इधर थोड़े ही आएंगे।
सोनाली- अगर आ गए तो.. अभी कंट्रोल करो.. और किससे फोन पर बात हो रही थी?
मैं- तुम्हारे आशिक से..
सोनाली- सूर्या से क्या बात हो रही थी.. मेरे बारे में पूछ रहा था क्या?
मैं- नहीं सोनिया को चोद दिया उसने.. यह बताने के लिए फोन किया था।
सोनाली- क्या.. सोनिया मान कैसे गई?
मैं- मैंने मनाया था।
सोनाली- बड़ा कमीना है तू… और कुछ प्रोमिस की बात हो रही थी।
मैं- हाँ सुहाना को पटाने की।
सोनाली- अब उसको भी?
मैं- हाँ दिल्ली जा रहा हूँ.. वहीं है सुहाना.. उस पर भी ट्राई मारूँगा।
सोनाली- ऊऊ ऊऊहह.. वो तो आसानी से पट जाएगी।
इमैं- ऐसा क्यों?
सोनाली- जब सोनिया को पटा लिया तो सुहाना तो पहले से ही फास्ट है।
मैं- तुमको कैसे पता?
सोनाली- अरे स्कूल में वो मेरी जूनियर थी ना.. तब से ही जानती हूँ उसको.. तब ही दो तीन ब्वॉय-फ्रेण्ड थे.. तो अब तो दिल्ली में रहती है।
मैं- तब तो उसको मेरे बेडरूम मे आने में ज्यादा देर नहीं लगेगी!
सोनाली- हाँ..
मैं- ठीक है.. मैं दिल्ली जा रहा हूँ 2-3 दिनों में ही..
सोनाली- और यहाँ शेफाली को भूल गए?
मैं- नहीं उसको अगली बार.. अभी सुहाना उसके बाद शेफाली।
सोनाली- ठीक है.. लेकिन मुझे भोपाल कौन छोड़ने जाएगा.. तुम दिल्ली जाओगे तो?
मैं- सूर्या को बोलूँगा.. वो तुमको छोड़ आएगा।
सोनाली- वाउ.. लेकिन पापा उसके साथ नहीं जाने देंगे ना..
मैं- वो मैं कर लूँगा ना..
सोनाली- कैसे..?
मैं- पापा को बोलूंगा.. तुमको मैं भोपाल छोड़ कर दिल्ली चला जाऊँगा.. लेकिन स्टेशन से तुम सूर्या के साथ चली जाना।
सोनाली- वाउ प्लान अच्छा है।
मैंने तीन दिन बाद भोपाल के दो और दिल्ली एक-एक टिकट बनवा लिए और दिल्ली जाने से पहले मैंने और सूर्या ने सोनाली और सोनिया को जम कर चोदा।
दिन में सूर्या मेरे घर आ कर सोनाली को चोदता और मैं उसके घर जाकर सोनिया को चोदता था।
रात को अपने-अपने घरों में अपनी-अपनी बहनों को चोदते थे।
दिन में मम्मी-पापा के ऑफिस जाने के बाद या तो सूर्या सोनिया को ले कर मेरे घर आ जाता था.. या तो मैं सोनाली को ले कर सूर्या के घर पहुँच जाता था और शाम तक सामूहिक चुदाई होती थी, फिर अपने-अपने घर लौट जाते थे।
अब वो दिन आ गया.. जब हमें वापस जाना था.. तो मैं सोनाली को लेकर स्टेशन पहुँचा.. तो सूर्या पहले से वहाँ पहुँचा हुआ था।
मुझे एक सामान का बैग दिया।
सूर्या- लो ये सुहाना को दे देना.. और मैं उसको बोल चुका हूँ.. तुम उसके होस्टल में सामान पहुँचा देना.. मैंने तुमको उसका नंबर दे दिया है.. और तुम भी अपने मोबाइल से अभी उसे फोन कर लो… मैं तुम्हारी बात करा देता हूँ।
सूर्या ने मुझे सुहाना का नंबर दिया तो मैंने फोन किया.. पूरी रिंग हुई लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया।
मैं- हो सकता है कहीं बिजी होगी.. बाद में बात कर लूँगा।
सूर्या- ठीक है.. लो ट्रेन भी आ गई।
मैं- हाँ..
मैंने उन दोनों को ट्रेन में चढ़ा दिया उनके डिब्बे में ज्यादा आदमी नहीं