सुबह जब मैं उठा तो सोनाली अभी भी वहीं सो रही थी और उसका नंगा बदन सुबह की किरणों के साथ सोने की तरह चमक रहा था।
उसे देखते ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, मैंने उसे बाँहों में भरा और एक ज़ोरदार किस करते हुए बोला- गुड मॉर्निंग डार्लिंग..!
वो भी आँखें बंद किए ही बोली- गुड मॉर्निंग डियर..
फिर उसने मुझे उठ कर फ्रेंच किस करते हुए बोला- लास्ट नाइट वाज़ मोस्ट वंडरफुल नाइट ऑफ माय लाइफ जानू…
तो मैंने कहा- कम ऑन.. गेट रेडी फॉर आ सेकेंड ट्रिप..
वो थोड़ा शरमाई और फिर बोली- ओह कम ऑन.. कम माय बेबी..
उसने मुझे हग किया और फिर किस करते हुए दराज में से एक कन्डोम निकाल अपने मुँह से मेरे लंड पर चढ़ाने लगी।
फिर मैंने उसे कहा- जानू.. अब घोड़ी की तरह झुक हो जाओ।
उसने ऐसे ही किया और फिर मैंने उसकी चूत में पीछे से लंड डाल दिया और वो सिसकारने लगी।
फिर 10 मिनट तक मैंने ऐसे ही उसे चोदा और फिर मैंने कंडोम निकाल कर उसके मुँह से लंड साफ़ करवाया।
अब वो नहाने चली गई और बोली- तुम बाजार से दूध और ब्रेड ले आओ.. मैं तब तक चाय बनाती हूँ.. जाओ तुम सामान ले आओ… और मेरे लिए एक विस्पर भी ले आना.. वो ख़त्म हो गया है।
मैं बाजार चला गया और जब थोड़ी देर बाद आया तो वो रसोई में थी। उसने अपने जिस्म पर सिर्फ़ एक तौलिया लपेटा हुआ था।
वो चाय लाई.. फिर हमने पी और वो नाश्ता तैयार करने लगी और मैं नहाने चला गया।
वो और मैं भी घर में सिर्फ़ जॉकी डाल घूमने लगे। हमने साथ में नाश्ता किया और फिर वो घर का काम करने लगी और मैं कमरे में चला गया।
वो तीन घंटे बाद मेरे कमरे में आई वो अभी भी सिर्फ़ तौलिये में ही थी, वो आकर बोली- और जानू.. अब क्या ख्याल है?
यह बोलते हुए उसने अपना तौलिया उतार दिया… अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी, वो मेरी तरफ बढ़ने लगी, उसने मुझे पकड़ा और कहा- अब मेरी बारी है.. तुम्हें चोदने की..
उसने मुझे पकड़ा और अपनी जीभ पूरी मेरे मुँह में डाल दी।
फिर मेरे होंठों को चूसने लगी। वो धीरे-धीरे मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरी चुम्मियां लेने लगी और साथ ही उसने मेरा जॉकी उतार दिया।
अब वो मेरे लंड को बुरी तरह चूसने लगी। मैं पूरी तरह मदहोश हो गया था और मेरे मुँह से सिसकियाँ निकल रही थीं- आह.. आह आह…
वो उन्हें सुन कर और तेज होती गई। फिर लंड को हाथ में पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगी और मेरे अन्डकोषों को चूसने लगी। थोड़ी देर बाद मेरे लंड से माल बाहर आ गया और वो उसे चाटने लगी।
लेकिन मेरा लंड अभी भी लोहे की रॉड की तरह मजबूत था। उसने मेरे लंड को पकड़ा और धीरे से उस पर अपने चूत का छेद रख कर ऊपर बैठते हुए उसे अन्दर करने लगी।
तो मैंने कहा- जान कन्डोम?
तो वो बोली- नहीं आज मुझे उसके बिना ही मजा लेना है.. रसगुल्ले को कपड़े में रख कर खाने का क्या फ़ायदा..
फिर पूरा लंड अन्दर करके धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होकर उसे अन्दर-बाहर करने लगी और जब वो अन्दर-बाहर कर रही थी.. तो उसकी चूचियों उछाल मार रही थीं। मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और जोर से दबाया। फिर उसको खींच कर अपने मुँह के पास ले आया और उका चूचा चूसने लगा। दूसरे हाथ से उसके चूतड़ों को पकड़ कर चूत को लौड़े के ऊपर-नीचे करने में उसकी हेल्प करने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उठा और उसको गोद में उठा कर चोदने लगा।
कुछ देर ऐसे ही चुदाई की.. फिर मैं लेट गया और वो मेरे लंड पर बैठ कर ऊपर से खुद करने लगी।
फिर मैं भी थोड़ा साथ देते हुए ऊपर-नीचे होने लगा। धीरे-धीरे वो तेज-तेज कूदने लगी और चीखने लगी- आअहह.. अह आआहह.. जान.. अया आहह..
फिर वो रुक गई और आगे को झुक गई तो मैं नीचे से ही उछाल मार कर उसे झटके देने लगा और वो भी सिसकियां भरने लगी।
थोड़ी देर बाद वो मुझ से लिपट गई और उसका बदन अकड़ने लगा, मैं समझ गया की लौंडिया झड़ने वाली है.. सो मैंने लंड बाहर निकाल लिया और वो झड़ गई.. साथ में मैं भी झड़ गया और अगल-बगल ही लेट गए।
उस दो दिन में मुझे जितने भी चुदाई के आसन आते थे.. उन हर अवस्था में मैंने उसको चोदा। मम्मी-पापा के आने तक हम लोग कहीं नहीं गए.. सिर्फ़ चुदाई ही करते रहे।
उन लोगों के आने के बाद भी मुझे जब भी मौका मिलता था.. मैं उसकी चूचियों को और गाण्ड को दबा देता था और रात को उसे पूरी रात चोदता था। वो पूरे एक महीना घर पर रही। एक दिन दोपहर को मेरे पास आई और बोली- देखो तुमने क्या कर दिया है..?