सूर्या मूवी देख कर और भी चुदासा होता जा रहा था.. अगर उसे मेरा ख्याल नहीं होता या सोनाली मेरी बहन नहीं होती तो अब तक चोद चुका होता। लेकिन शायद उसे मेरी दोस्ती रोक रही थी।
तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और सूर्या भी उधर आँखें फाड़-फाड़ कर देखने लगा।
मैंने भी देखा.. मैं सोच रहा था कि अब क्या करामात करने वाली है..
सोनाली का हाथ बाहर आया.. मैं मन में ही सोचने लगा कहीं नंगे ही तो बाहर नहीं आ रही है।
तभी लाल तौलिया दिखा.. तो मन में सोचा शुक्र है.. कम से कम जिस्म पर तौलिया तो लपेट लिया है।
जब पूरी बाहर आई.. तो मैं सोचने लगा कि ये क्या.. एक छोटी सी लाल तौलिया में अपने आपको किसी तरह लपेट कर निकली.. जिसमें तौलिया ऊपर निप्पल के पास बँधा हुआ था।
मतलब आधी चूचियों साफ़ बाहर थीं और नीचे चूतड़ों के पास तक ही तौलिया था.. मतलब हल्की सी भी झुकती तो चूतड़ बाहर दिख जाते और साइड में जिधर तौलिया के दोनों सिरे थे.. उधर चलते वक्त जिस्म की एक झलक दिखाई दे रही थी।
ऊपर बँधे हुए बाल और बालों से चूचियों तक का खाली भाग.. आह्ह.. एक तो गोरा बदन था.. ऊपर से पानी की बूँदें और भी कयामत ढा रही थीं। नीचे देखा तो.. चूतड़ों के नीचे गोरी सेक्सी टाँगों का तो कोई जबाब ही नहीं था। सीधी बात कहूँ तो कोई अगर देखे तो उसका लंड क्या.. सब कुछ खड़ा हो जाएगा।
मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि कोई उसको देखने के बाद अपनी पलक भी नहीं झपका पाएगा और शायद यही हाल सूर्या का भी था.. वो बिना पलक झपकाए उसे देखे जा रहा था।
सोनाली से उसकी नज़र मिलीं तो सोनाली हल्की सी मुस्कुरा दी.. मतलब उसका खुला आमंत्रण था और सोनाली अपने कमरे की तरफ़ बढ़ने लगी। तभी वो फिसल गई.. शायद वो जानबूझ कर फिसली थी।
सोनाली- आअहह..
सूर्या- क्या हुआ?
सूर्या दौड़ते हुए उसके पास गया।
सोनाली- मैं गिर गई.. उठने में मेरी मदद करो।
सूर्या को तो मानो इसी मौके का इंतज़ार था.. उसको छूने का और उसने उसको हाथ पकड़ कर उठाने की कोशिश की लेकिन नहीं हो पाया।
‘मुझसे नहीं उठा जाएगा.. आह्ह.. मुझे गोद में उठा कर मेरे कमरे में ले चलो प्लीज़..’
सूर्या- ओके..
सूर्या ने उसको गोद में उठा लिया और कमरे ले जाने लगा और उसको बिस्तर पर लिटा दिया।
‘कहाँ चोट लगा है.. बताओ?’
सोनाली पैर की तरफ़ इशारा करते हुए बोली- देखो.. उधर सामने बाम रखी हुई है.. जरा लगा दो ना..
सूर्या ने एक जगह छूते हुए पूछा- यहाँ?
सोनाली- नहीं.. ऊपर..
ये बोल कर वो पेट के बल लेट गई।
सूर्या जाँघों के पास हाथ ले गया.. और पूछा- यहाँ?
सोनाली- नहीं.. और ऊपर..
सूर्या ने चूतड़ों को छुआ और पूछा- जहाँ से ये स्टार्ट होते हैं?
सोनाली- हाँ यहीं..
सूर्या उसके नंगे चूतड़ों पर बाम लगाने लगा।
सूर्या- अच्छा लग रहा है?
सोनाली- हाँ अच्छा.. थोड़ा और ऊपर करो न.. कमर के पास भी लगा दो ना.. वहाँ भी दर्द है..
सूर्या- ठीक है..
वो अपना हाथ तौलिया के अन्दर ले गया और लगाने लगा, तब तक सोनाली ने अपना तौलिया की गाँठ खोल दी।
जब वो पूरी तरह से बाम लगा चुका.. तब तक उसका लंड भी तन कर तंबू हो गया था।
पूरी मालिश करने के बाद उसने पूछा- दर्द कैसा है?
तो सोनाली उठी.. उसका तौलिया बिस्तर पर ही रह गया और नंगी ही सूर्या के गले लग गई।
सूर्या देखता ही रह गया।