भाग 17
नीचे खिसक कर मैंने थोड़ी देर उसके सपाट पेट और गोल गहरी नाभि को चाटा । जब मैं अपनी जीभ को उसकी नाभि के सबसे गहरे हिस्से में ले जा कर चारों तरफ घुमा रहा था तो दीदी मस्ती के मारे दोहरी हो गयी और नीचे झुक कर अपने पेट को मेरे मुंह पे दबाने लगी | फिर मैं और नीचे खिसक गया और उसके सूट के ऊपर से ही उसकी चूत को चूमने लगा | दीदी तो जैसे पागल हो गई। जैसे ही मैंने अपने चेहरे को उसकी चूत पर रखा उसने अपने दोनों हाथों से मेरे बालों को पकड़ लिया |
दीदी: रुको, भाई | मैं सलवार निकाल देती हूँ |
इतना कहते हुए, दीदी ने एक झटके में अपनी सलवार का नाडा खींच दिया | मैं उठ कर खड़ा हो गया । उसने नितंबों को ऊपर उठाते हुए सलवार को नीचे खिसका दिया और एक ही झटके में सलवार पैंटी को निकाल दिया।
अब मेरी जवान बहन पूरी तरह से नंगी थी | मैं उसे वासना भरी नजरों से देख रहा था । जिस बहन को हजारों बार सपनो में नंगी देखा था वो आज वास्तव में मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी | उसने अपने हाथों को अपने सिर के नीचे रखा हुआ था | उसकी चूत पर बालों का एक घन्ना जंगल था | शायद ही कभी उसकी चूत की पंखुड़ियों ने दुनिया देखि हो, हमेशा उसके झांटों के जंगल में छुपी रहती होंगी | जैसे मुझे काखों के बाल पसंद हैं, वैसे ही मुझे झांटों से बहुत लगाव है | उसकी झांटों से भरी चूत बहुत सेक्सी लग रही थी |
दीदी (सेक्सी लहज़े में): भाई, क्या हुआ ... तुम रुक क्यों गए ?
मैंने भी बिना रुके सीधे उसकी चूत पर हमला कर दिया | मैंने नीचे झुकते हुए अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया । दीदी पूरी तरफ से गरम हो चुकी थी | उसकी चूत से कामरस रिसने लगा था | उसकी चूत से बहुत ही मादक खुशबु आ रही थी जो मुझे पागल बना रही थी | मैंने जीभ निकाल कर उसकी चूत को ऊपर से नीचे तक चाटा । चाटते हुए मैंने देखा कि उसकी चूत के ऊपर के छोटा सा चने जितना दाना उभर आया था | मैंने अपना पूरा ध्यान वहीँ लगा दिया | जैसे ही मैंने दाने को चाटना शुरू किया, उसने मेरे बालों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और मेरे सिर को अपनी चूत पे दबाने लगी | उसकी इस हरकत से मैं उत्साहित हो गया और उसके दाने को दुगने जोश से चूसने लगा |
अब दीदी मस्ती के मारे बेहोश सी होने लगी | उसने मेरे सिर को कसकर दबाते हुए, अपने कूल्हों को हिलाना शुरू कर दिया। ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरा मुँह अपनी चूत में घुसाने की कोशिश कर रही थी | मैं पागलों की तरह उसकी चूत चाट रहा था। उसके कूल्हे और तेज हिलने लगे | उसके मुंह से निकलती सिसकारियां अब चीखों में बदल रही थी | अचानक से वो जोर से चीखी और मेरा मुँह कस कर अपनी चूत पर दबा लिया । वो इतने ज़ोर से मुझे दबा रही थी कि मैं अपना सिर हिला नहीं सकता था । मेरी नाक उसकी चूत में दब गयी थी इसलिए मैं सांस भी नहीं ले पा रहा था । कुछ देर तक तो मैंने अपनी सांस रोक कर रखी पर जब यह असहनीय हो गया तो मैंने ज़ोर से अपना सिर हिलाया और थोड़ा उठ कर सांस ली।
दीदी की चूत अभी तक रिस रही थी | उसका शरीर अब निढाल हो गया था | उसने मेरे सिर को छोड़ दिया | दीदी से छूटते ही मैंने अपना मुंह पूंछा हो उठकर दीदी के पैरों के पास बैठ गया और खुलकर सांस २-३ सांस ली | कुछ देर आराम करने के बाद मैं फिर से दीदी के नंगे बदन को देखने लगा | दीदी की ऑंखें अभी तक बंद थी | दीदी को ऊपर-नीचे होते बोबों को देख कर मेरा लंड फिर से टाइट हो गया । मैंने अपने कठोर लंड पर दीदी का हाथ रख दिया और हिलने लगा | मैं वासना से उसके नंगे शरीर को घुर रहा था | उसकी बालों से भरी चूत को देख के सोच रहा था कि यह मेरा अगला टारगेट यही है।