भाग 19
कुछ मिनटों के बाद दीदी ने कहा: भाई पसीने और तेरे पानी से सब चिपचिपा हो गया | कुछ है क्या साफ़ करने के लिए ?
मैंने तुरंत अपनी शर्ट उठाई और उसे दे दी। उसने एक मुस्कान के साथ मेरी टी-शर्ट के मेरे माथे से पसीने को पूंछा और फिर मेरे लंड को अच्छे से साफ़ किया | मुझे साफ़ करने के बाद दीदी अपने बदन और चूत को पूंछने लगी |
दीदी: भाई, मेरे कपडे भी पसीने से भीग गए हैं , अब तो तुम्हें मेरे बैग का ताला तोड़ना ही पड़ेगा |
मैं: अरे, मेरे होते हुए , ऐसे-कैसे
मैंने तुरंत नीचे से दीदी को चाबी निकल के दे दी |
दीदी: अच्छा जी, तो चाबी जनाब को पहले ही मिल गयी थी, फिर पहले क्यों नहीं दी
मैं: फिर आपके साथ चुदाई करने का मौका कैसे मिलता?
दीदी (मुस्कुराते हुए): कमीने, तुझे शर्म नहीं आयी | अपनी जवान बहन को अपने जाल मैंने फसा लिया | मैं कपडे चेंज कर लूँ फिर तेरी खबर लेती हूँ |
दीदी ने अपने बैग से एक सिंपल सी पतली सूती ड्रेस निकाल कर बिना ब्रा पैंटी के पहन ली |
दीदी: हाँ अब बता, क्यों फसाया अपनी दीदी को ये गंदा काम करने के लिए
मैं: छोड़ो दीदी, कम तो तुम भी नहीं हो | जब ये सूती ड्रेस थी, वो शिफॉन की भड़काऊ ड्रेस क्यों पहनी थी ?
दीदी: अरे वो तो ... कितने दिनों के तू मुझे भूखी नज़रों से देख रहा था | तेरे को क्या लगा, मुझे पता नहीं चलता की तेरी नज़रें मुझे कैसे घूरती थी | मैं सोचा आज बेचारे बच्चे को थोड़ा बहुत मज़े दे दिए जाये | पर मुझे क्या पता था की तू इतना आगे पहुँच जायेगा | अपनी बहन को चोद ही देगा |
मैं: दीदी, अभी आपने अपने भाई को अच्छे से जाना ही कहाँ है | मेरे प्लान तो पता नहीं क्या-२ हैं |
दीदी: हमें भी तो पता चले .. क्या-२ हैं आपके .. प्लान ?
मैं: दीदी, अभी तो बहुत भूख लगी है | मैं पैंट्री से कुछ खाने को लेके आता हूँ, फिर बताऊंगा आपको आगे का प्लान |
दीदी: हाँ भाई, पहले पेट पूजा, फिर काम दूजा .. या फिर काम पूजा
मैं हँसते हुए पैंट्री की और जाने लगा | मैं गुनगुनाते हुए जा रहा था और सोच रहा था की दीदी की कैसे-२ चुदाई करूँगा .....
समाप्त