भाग 15
यह कहते हुए संगीता दीदी उठ कर मेरे सामने घुटने के बल बैठ गई । पूरे समय हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे | मैं उसे आश्चर्य से देख रहा था । वो बैठ कर मेरी बेल्ट खोलने लगी ।
मैं (आश्चर्य से): क्या ... क्या कर रही हो दीदी ?
दीदी: ओह भाई रिलैक्स, तू बस मज़े ले और देख की मैं क्या-२ करती हूँ | ये बेल्ट तुम खोलोगे या ये ही मुझे ही करना पड़ेगा ?
मैंने बिना और कुछ भी बोले फटाफट अपनी पैंट की बेल्ट खोल के ज़िप नीचे कर दी | दीदी ने जल्दी से मेरी पैंट और मेरे अंडरवियर की इलास्टिक को पकड़ लिया नीचे सरकाना शुरू कर दिया | मैंने अपनी गांड उठा के अपने लंड को आज़ाद करने में उसकी मदद की | एक झटके से दीदी ने मेरी पैंट और अंडरवियर को मेरे टखने तक पहुंचा दिया | मेरा लंड एक स्प्रिंग की तरह उछल कर खड़ा हो गया । अब मैं अपनी बहन के सामने बिल्कुल नंगा था | अब उसके सामने नंगे होने में शर्माना कैसा जब नंगा ही उसने खुद किया था ।
दीदी (लंड को मुठी में जकड़ते हुए): भाई तेरा लंड बहुत लंबा और मोटा है | लड़कियाँ तो ज़रूर तेरे ऊपर मरती होंगी । कितनी लड़कियों को अभी तक अपने लंड से संतुष्ट हो चुके हो ?
मैं (मासूमियत से): लंड पकड़ाया तो है दो-तीन को, लेकिन किसी को संतुष्ट करने का मौका अभी तक नहीं मिला |
दीदी: चूतिया थी वो लड़कियाँ जो इतने मस्त लंड का स्वाद नहीं लिया | कोई बात नहीं भाई, जो उन्होंने गँवा दिया वो स्वाद अब मैं लुंगी |
यह कहते हुए दीदी मेरा लंड अपनी मुट्ठी में पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी । वो लगातार मेरी आँखों में देख रही थी और शायद मेरी उत्तेजना को देख कर खुद भी उत्तेजित हो रही थी । मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया था । मस्ती से मेरी आँखें बंद हो रही थी | कुछ समय बाद मैंने अपनी ऑंखें बंद कर ली और पीछे की तरफ सिर झुका कर इस स्वर्गिक समय का आनंद लेने लगा । अचानक से मुझे अपने लंड पे कुछ टाइट-२ और गरम सा महसूस हुआ | मैंने नज़र घुमा कर नीचे देखा तो ....
ओह माय-२ .... माय गॉड | दीदी ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया था और उसे बड़े ही प्यार से चूस रही थी । ये दृश्य मैं अपने सपनो में सैकड़ों बार देख चूका था | मेरी सेक्सी, लाड़ली, प्यारी जवान बहन, सच-मुच में मेरा लंड चूस रही थी। क्या बात थी, क्या मज़ा था, क्या अनुभूति थी | क्या स्पर्श था उसके नरम-२ होंटो का, गीले-२ मुंह का, खुरदरी-२ जीभ का, गरम-२ साँसों का मेरे टाइट-२ लोडे पे | ये सोच कर की मेरी बहन मेरा लंड वास्तविकता में चूस रही है, मैं झड़ने के बिलकुल करीब आ गया | मेरा लंड इतना कड़ा हो गया था कि जैसे फट ही जाएगा ।
मैं (हांफते हुए): ओह दीदी .... मेरा .... मेरा निकलने वाला है |
दीदी ने एक पल के लिए मुंह से लंड निकला और बोली: ओके भाई ... आ जा ... मैं तैयार हूँ | और फिर लंड मुंह में लेके और जोर से चूसने लगी |
मैं झड़ने लगा | वीर्य की पहली धार सीधे दीदी के गले तक पहुँच गयी | मैं जैसे पागल हो गया | मैं बेरहमी से अपने दोनों हाथों से दीदी के सिर को पकड़ कर अपने लंड पे दबाने लगा | मेरा लंड उसके मुंह की जड़ तक पहुँच गया था | मेरे वीर्य की पिचकारी सीधे दीदी के हलक में उतर रही थी | मेरे कड़क लंड का मोटा सुपाड़ा दीदी के गले तक पहुँच गया था । वो अपना मुँह हिला रही थी और सिर उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैं अलग ही दुनिया में था | मैं अभी भी ताकत से उसके मुँह को अपने लंड पर दबा रहा था । उसके मुंह से उह… उह… उ की आवाज निकल रही थी | वो अपना सिर छुड़ाने का इशारा कर रही थी लेकिन मैं अपने लंड पर उसके मुँह को तब तक दबाता रहा जब तक कि मेरे लंड से वीर्य की आखिरी बून्द तक निचुड़ नहीं गयी ।
मेरे लंड का पूरा माल दीदी के मुँह में चला गया | मैं बिलकुल शक्तिहीन हो गया था | एक आह के साथ मैंने अपनी आँखें मूँद लीं और बिलकुल निष्क्रिय हो कर बैठ गया । कुछ क्षण के बाद जब मैं होश में आया तो देखा की दीदी अपने गले को सहला रही थी और ज़ोर-२ से खांस रही थी | दीदी मुझे बहुत ही गुस्से से देख रही थी ।
ओह गॉड, ये ,मैंने क्या कर दिया था ... अभी तो कहानी अच्छे से शुरू भी नहीं हुई थी, अभी से दीदी को नाराज़ कर दिया | मैं प्राथना करने लगा की कहीं दीदी नाराज़ ना हो जाये, कहीं गाड़ी चलने से पहले ही पटड़ी से ना उतर जाये |