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Incest बहन के साथ यादगार यात्रा (Completed)

ruby mittal

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भाग 11

हम फिर से पहले वाली पोजीशन में आ गए | मैं पहले की तरह खिड़की के पास बैठ गया और संगीता दीदी ने अपना सिर मेरी गोद में रख लिया और फिर से सोने लगी | थोड़ी देर के बाद उसकी सांसें गहरी हो गयी, उसकी नींद पक्की हो गयी थी | अब मैंने उससे फिर से वासना भरी नज़रों से घूरना शुरू कर दिया | जब तक वो जाग रही थी, मैं उसे अच्छे से नहीं देख सकता था | अब मैं उससे सर से पाँव तक आराम से देख रहा था |

ब्रा निकालने के बाद उसके बोबे बिलकुल साफ़ दिखाई दे रहे थे | तकरीबन 25 % बोबे तो वैसे ही कमीज से बाहर थे और जो 75 % अंदर भी थे वो भी उस पसीने से भीगी पारदर्शी कमीज से नंगे ही प्रतीत हो रहे थे | उसके उभरे हुए निप्पल उसकी ड्रेस में अलग से खड़े हुए स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहे थे | उसके पसीने ही उग्र गंध मेरे नथुनों में समा रही थी |

मेरे काखों में भी बहुत बाल हैं, मुझे काखों से बाल साफ़ करना अच्छा भी नहीं लगता | एक तो मौसम इतना गरम था और उस पर मेरी जवान बहन की गरमा-गरम जवानी, मुझे भी बहुत पसीना आ रहा था | पहले तो शायद मेरे पसीने की गंध शर्ट की वजह से रुक रही थी, लेकिन अब तो मैंने शर्ट भी उतार दी थी | मेरे पसीने की गंध पूरे कम्पार्टमेंट में फ़ैल रही थी |

मुझे यकीन था कि संगीता दीदी सो रही थी और उसे मेरे पसीने की गंध का पता नहीं चला होगा | माना की मेरे पसीने की गंध तेज थी लेकिन संगीता दीदी भी इस बात में पीछे नहीं थी | उसके पसीने की महक मुझे पागल कर रही थी । मैं संगीता दीदी को टंग बाथ देना चाहता था, उसके पूरे शरीर को चाटना चाहता था | मुझे विश्वास था की उसके पसीने में शराब से भी ज़्यादा नशा होगा | मेरा लंड बुरी तरह से सख्त हो चूका था और उसमें से थोड़ा सा पानी भी निकलना शुरू हो गया था | मुझे लग रहा था कि कहीं मेरी पैंट गीली ना हो जाये, लेकिन मैं कर भी क्या सकता था, ये मेरे नियंत्रण में नहीं था ।

यह सब मेरे लिए किसी कामुक सपने की तरह था | जिस बहन के जिस्म को सपनो में सोच-२ कर ना जाने कितने सालों से मुठ मारा करता था वही बहन आज वास्तव में मेरी गोदी में अपना सिर रख कर सोई हुई थी |

उसके नंगे बोबे, खड़े निप्पल, पसीने से लथपथ शरीर मेरी आँखों और लपलपाती जीभ से केवल कुछ इंच की दूरी पर थे । मैं अत्यधिक उत्तेजित हो चूका था | मैं मन ही मन प्रार्थना कर रहा था कि कहीं मेरा वीर्य छूट न जाये | अगर ऐसा हुआ तो मैं मर ही जाऊंगा | संगीता दीदी को पता चल जायेगा | वो शायद मुझसे नफरत करने लग जाये, शायद मुझसे फिर कभी बात ना करे | ये विचार आते ही मैं घबरा गया था।

तभी नींद में संगीता दीदी ने करवट ली और अपना मुंह मेरे तरफ कर लिया | उसने अपना सर उठाकर थोड़ा सा आगे कर लिया । इस पोजीशन में उसके होंठ मेरे पेट के साइड को छूने लगे । मैं उसके रसीले होठों के मुलायम-२ स्पर्श से गनगना गया | तभी मैंने नीचे की तरफ देखा तो हिल गया। मेरी छाती पे कुछ पसीने की बूंदे इकठी हो हर एक बड़ी बूँद बन गयी थी और वहां बहुत सा पसीना इकठा हो गया था | अब वो पसीना धीरे-२ एक धार का रूप लेके नीचे मेरे पेट की तरफ जा रहा था | अगर मेरा पसीना इसी तरह से गिरता रहता तो निश्चित रूप से वो वहां पहुँच जाता जहाँ संगीता दीदी के कामुक होंठ मेरे पेट हो छू रहे थे |

वो धार चलनी शुरू हो गयी, पक्के से वो संगीता दीदी के होंठो तक पहुँचाने वाली थी | मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या किया जाये | डर के मारे मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और संगीता दीदी की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करने लगा |
kahtarnaak description hai writer ji ..
 
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ruby mittal

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भाग 12

मैं कुछ देर तक इंतज़ार करता रहा लेकिन संगीता दीदी की और से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई | थोड़ा और इंतज़ार करके मैंने अपनी आँखें खोली और नीचे देखा | नीचे का नज़ारा देख कर मैं आश्चर्यचकित रह गया । संगीता दीदी मुस्कुराते हुए मेरे पसीने से भीगे हुए होंठों पर अपनी जीभ फिरा रही थी | ओह .... वो मेरे पसीने को चाट रही थी ।

जब हम दोनों की ऑंखें मिली तो वो मुस्कुराते हुए बोली: वाह भाई ..... क्या बात है | मुझे नहीं पता था की तुम्हारा पसीना इतना टेस्टी होगा | तुम तो सही में बड़े हो गए हो | तुम्हारे पसीने का स्वाद एक जवान आदमी के जैसा है | और ..... मुझे ये स्वाद बहुत पसंद है | भाई, प्लीज-२ .... क्या मैं तुम्हारा पसीना चाट सकती हूँ ?

उसने मेरे उत्तर की प्रतीक्षा नहीं की | शायद वो मेरा उत्तर पहले से ही जानती थी | उसने अपनी जीभ को पूरा बाहर निकाल के मेरे पेट के एक बड़े हिस्से को चाट लिया | मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया | वो मेरे शरीर पर लगे पसीने को चाटती हुई ऊपर की तरफ बढ़ रही थी | जैसे-२ संगीता दीदी मुझे चाट रही थी वैसे-२ मेरी उनको
चोदने की इच्छा बलवती होती जा रही थी | मेरे बदन को चाटते हुए दीदी ऊपर की तरफ आ रही थी और साथ में मेरी छाती पर हाथ भी फेरा रही थी | धीरे-२ वो मेरे निप्पल तक पहुँच गयी | अब वो मेरे एक निप्पल को चाट रही थी जबकि दूसरे निप्पल को अपने लंबे नाखूनों से हल्का-२ खरोंच रही थी |

चाटते-२ उसके मुंह से मदहोशी में निकला: ओह, भाई ...... तू कितना टेस्टी है यार | पहले पता होता तो में तुझे अभी तक तो कच्चा चबा गयी होती | तेरी काखों से कितना पसीना निकल रहा है | ज़रा अपनी कांख तो दिखा भाई |

मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि मेरे पसीने की गंध से संगीता दीदी परेशान नहीं हुई बल्कि वह इसे पसंद कर रही थी | मैंने हिचकिचाते हुए अपना दाहिना हाथ उठा दिया | वह बहुत खुश लग रही थी, पहले वो थोड़ा सा मुस्कुराई और फिर मुझे थोड़ा सा अपनी तरफ झुका से अपनी नाक को मेरी कांख में घुसा दिया | पहले उसने एक गहरी साँस ले के मेरे पसीने को सूँघा और फिर वो मेरी कांख को अपनी जीभ से चाटने लगी । उसकी जीभ से मुझे बहुत गुदगुदी होने लगी | थोड़ी देर बाद उसने मुझ से बिना पूछे ही मेरा दूसरा हाथ उठाया और फिर से वही ... सूंघना और चाटना शुरू कर दिया | उसके चाटने से मैं मस्ती में भर गया और मेरे शरीर के सारे रोंगटे खड़े हो गए ।

कुछ देर मुझे दिल भर चाटने के बाद दीदी अपने होंठो पे जीभ फिराती हुई उठी और बोली: भाई, तुझे नहीं पता की मुझे ये टेस्ट कितना पसंद है | मैं बहुत फ्रेश और एनर्जेटिक फील कर रही हूँ | इतना मज़ा तो निम्बू पानी में नहीं होता जितना तेरे पसीने में है | तूने क्या कभी अपने काखों के बाल शेव नहीं किये ?

मैं: एक बार किये थे, वैसे ही try करने के लिए | लेकिन मुझे बाल रखना पसंद है | मुझे तो वो लोग, खासकर लड़के, ही पसंद नहीं आते जो अपने काखों के बाल साफ़ करते हैं |

दीदी (उत्तेजित स्वर में): भाई, मुझे भी काखों के बाल बहुत पसंद है | अच्छा है की तेरे काखों में लम्बे-२ बाल हैं |
my god ye didito bilkul pagal h yaarrrr
 

ruby mittal

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भाग 13

मैं (धीरे से): बाल तो आपकी काखों के भी कम नहीं हैं |

दीदी: अच्छा जी, तो यही सब देख रहे थे भाई साहिब | बताया ना तेरे को मुझे काखों के बाल पसंद हैं | उनको रखना भी और ..... चाटना भी |

दीदी (मेरी पैंट के उभार को देखते हुए): क्या ..... तुझे भी काखों के बाल सूंघना और चाटना पसंद है ?

मैं (तपाक से): हाँ दीदी, बहुत ......

दीदी (हँसते हुए): पता था मुझे ... आखिर खून तो एक ही है | भाई, क्या सूंघेगा अपनी दीदी की कांख को?

मैं (जल्दी से): खुशी-२ दीदी, ख़ुशी-२ .... मैं तो आपसे पूछने ही वाला था।

यह कहते हुए मैं संगीता दीदी की तरफ खिसक गया | संगीता दीदी ने एक कातिल स्माइल देते हुए अपना हाथ ऊपर उठा लिया और अपनी काख मेरे मुंह के पास ले आयी | मैंने जल्दी से अपना मुंह उसकी कांख में गुस्सा दिया और एक गहरी साँस ली ।

जैसे ही मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके उसकी कांख को पतली सी ड्रेस के ऊपर से चाटना शुरू किया, दीदी ने अपना हाथ हटा लिया और बोली, "रुक भाई रुक, ये तो गलत बात है | मैंने तो डायरेक्ट चाटा था और तुम ड्रेस के ऊपर से | मैं इस कमीज को उतार देती हूँ ताकि तुम भी डायरेक्ट मेरे पसीने का मज़ा ले सको |"

तो उसने तुरंत ही कमीज़ के बटन खोले और पलक झपकते ही अपनी कमीज निकल दी | मुझे विस्वाश ही नहीं हो रहा था, मेरी जवान बहन मेरे सामने अपने बड़े-२ पपीते जैसे बोबों को शान से दिखते हुए आधी नंगी बैठी हुई थी | कमीज में तो मैं उसके बोबे पहले ही देख चूका था लेकिन कमीज के बाहर उसके बोबे और भी गोर और बड़े लग रहे थे, उसके निप्पल पहले से ज़्यादा कड़े और बड़े लग रहे थे | दीदी का ये रूप देख कर मैं पागल हो रहा था, मेरे हाथ पैर उतेज़ना से कम्कम्पाने से लगे थे | ना जाने मैं कितनी देर दीदी के बोबों को निहारता रहा |

दीदी: भाई, तेरा तो ठीक है लेकिन पूरी दुनिया को अपनी बहन नंगी दिखायेगा क्या? खिड़की तो बंद कर दे कम से कम |

दीदी की बात सुन के जैसे मैं नींद से जगा और खड़ा हो के तुरंत खिडकी बंद करने लगा |

यहाँ मेरा बुरा हाल हो रहा था और दीदी को जैसे कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था | वो बिलकुल नार्मल तरीके से पेश आ रही थी | जैसे ही मैं खिड़की बंद करके वापिस मुडा दीदी ने अपने हाथ उठा दिए, जैसे मुझे अपने शरीर का रस पीने के लिए आमंत्रित कर रही हो |

यहाँ मेरा बुरा हाल हो रहा था और दीदी को जैसे कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था | संगीता दीदी को अपने भाई के सामने ऐसे खुल के नंगी खड़ी होने में कोई शर्म महसूस नहीं हो रही थी | जैसे ही मैं खिड़की बंद करके वापिस मुडा दीदी ने अपने हाथ उठा दिए, जैसे मुझे अपने शरीर का रस पीने के लिए आमंत्रित कर रही हो |

दीदी सीट पर बैठी थी और उसने अपने हाथ अपने सिर के पीछे से हुए थे | मैं निचे अपने घुटने टेक कर बैठ गया और वापिस अपनी बहन के कांख में घुस गया | मैं जीभ निकाल कर संगीता दीदी की पसीने से भरी कांख चाटने लगा | उसके पसीने का स्वाद बिलकुल सस्ती देसी शराब की तरह था और नशा उससे कई गुना | उस पोज़िशन में बैठ कर अपनी बहन की बालों से भरी कांख चाटने से मेरा लंड और भी सख्त हो रहा था । इस पोजीशन में मेरे लंड को फैलने की लिए जगह भी थोड़ा ज़्यादा मिल रही थी | वासना से दीदी की ऑंखें बंद हो गयी थी | मैं दीदी को बहुत देर तक चाटता रहा |

फिर कुछ देर बाद दीदी ने कहा: ओह भाई .... इतना पसंद आया तुझे अपनी बहन का पसीना | मैं कब से इस दिन का इंतज़ार कर रही थी की कोई इतने प्यार से मेरी कांखों को चाटे | तेरे जीजा को तो जैसे इन सब से कोई मतलब ही नहीं है | मैं बहुत खुश हूँ भाई |

मैं: दीदी आपकी ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ और आपका पसीना तो जैसे अमृत है | अगर आप कहो तो मैं इससे ज़िन्दगी भर चाट सकता हूँ |

दीदी (ख़ुशी से): सच में भाई .... मुझे चाटने की तू कोई चिंता न कर | जब तेरा दिल करे मुझे बता देना ... तेरी बहन तेरे लिए सदा हाज़िर है | अब बहुत देर हो गयी तुझे चाटते हुए, अब मेरी बारी ।
ohhh myy goddddd this is really mad mad sis-bro
 

ruby mittal

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भाग 14

यह कहते हुए संगीता दीदी ने मुझे उठाया और सीट पर बैठा दिया । फिर वो भी मेरे पास बैठ गई और फिर से मेरे हाथ को उठाते हुए मेरी कांख को चाटने लगी | चाटने के साथ-२ वो अपनी हथेली को मेरे सीने पर घुमा भी रही थी | कभी वो अपना हाथ मेरे पेट पर ले आती और फिर से ऊपर उठाते हुए मेरे सीने के बालों से खेलने लगती | अपनी जवान बहन के हाथ के स्पर्श से मैं बहुत ही कामुक हो गया था। मेरा सख्त लंड मेरी पैंट के ऊपर से साफ़ दिख रहा था । अगर संगीता दीदी देख लेती तो उससे तुरंत पता चल जाता की उसका भाई कितना उत्तेजित हो रखा है | लेकिन मुझे अब कोई परवाह नहीं थी । बल्कि इसके विपरीत मैं तो चाहता था की वो अपने भाई के विशाल लंड को देखे इसलिए मैंने अपने उभार को छिपाने की कोई कोशिश नहीं की ।

एक बार फिर से संगीता दीदी अपना हाथ घुमाते हुए नीचे ले गयी | इस बार उसका हाथ थोड़ा ज़्यादा की नीचे चला गया और मेरे लंड से छू गया । मुझे एक दम से 440 वोल्ट का झटका लगा और मस्ती से मेरी आँखें बंद हो गयी | उसने अपना हाथ वापिस ऊपर कर लिया और छाती पे फिराने लगी | कुछ ही पलों में उसका हाथ वापिस से नीचे खिसक गया और अब दीदी मेरे लंड पे अपना हाथ फिराने लगी | मैंने धीरे से अपनी आँखें खोलीं और उसकी तरफ देखा । संगीता दीदी मुस्कुराते हुए मुझे ही देख रही थी | उसका हाथ धीरे धीरे मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहला रहा था जैसे की मेरे लंड के साइज को कड़कपन का अंदाजा लगा रही हो |

दीदी: ओह भाई, तुम तो बहुत उत्तेजित हो रखे हो |

मैं (शरमाते हुए): वो तो ..... दीदी बस ऐसे ही |

दीदी: अरे .. शर्माने की क्या बात है ...अच्छा खासा तो है तुम्हारा लंड | ऐसे लंड की तो लोग नुमाइश करते हैं, और तुम हो की शर्मा रहे हो |

संगीताई के उन शब्दों ने मुझे भोचक्का कर दिया था | दीदी मेरे खड़े लंड को देख के गुस्सा नहीं हुई उल्टा उसे सहला रही थी | मैं आश्चर्यचकित था कि वह कितनी आसानी से 'लंड' जैसे शब्द को बोल रही थी । उसके मुंह से ऐसे शब्द मैंने पहले कभी नहीं सुने थे | मैं उसके इस खुलेपन से हैरान था । माना की मैं उसके खुलेपन से हैरान हो गया था लेकिन लंड की तो शायद अपनी ही अलग दुनिया था | उसके मुंह से लंड सुन के, मेरे लोडे ने भी एक झटका मारा | दीदी का हाथ अब भी मेरे लंड पर घूम रहा था ।

"यह ... अब मैं क्या कहूं दीदी" मैं आगे कुछ नहीं कह सका।

दीदी: भाई, इसमें शर्म की बात है | मैं समझ सकती हूँ | इतना कुछ हो रहा है तो तेरा लंड टाइट नहीं होगा क्या।

ओह, तो ये बात | उसके ये बात सुन के मैंने मन बना लिया था की अगर दीदी इतना खुलकर के पेश आएगी तो मैं भी पीछे नहीं हटूंगा, मैं भी खुल के पेश आऊंगा |

दीदी: अच्छा भाई ... एक बात बता ... तू मेरे चाटने से ज़्यादा उत्तेजित हुआ है या मेरे बोबों को देख कर ?

मैं (बिना हिचकिचाहट के, पूरी बेशर्मी से): दोनों से, दीदी

दीदी (सेक्सी लहजे में): ओहो .... तब तो तुम्हारे लंड का कुछ करना पड़ेगा ... नहीं तो खड़ा-२ कहीं दर्द न करने लग जाये बेचारा ।
what a co-operation from sis - bhai ka acche se khayal rakh rahi hai .. hehehe
 

ruby mittal

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भाग 15

यह कहते हुए संगीता दीदी उठ कर मेरे सामने घुटने के बल बैठ गई । पूरे समय हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे | मैं उसे आश्चर्य से देख रहा था । वो बैठ कर मेरी बेल्ट खोलने लगी ।

मैं (आश्चर्य से): क्या ... क्या कर रही हो दीदी ?

दीदी: ओह भाई रिलैक्स, तू बस मज़े ले और देख की मैं क्या-२ करती हूँ | ये बेल्ट तुम खोलोगे या ये ही मुझे ही करना पड़ेगा ?

मैंने बिना और कुछ भी बोले फटाफट अपनी पैंट की बेल्ट खोल के ज़िप नीचे कर दी | दीदी ने जल्दी से मेरी पैंट और मेरे अंडरवियर की इलास्टिक को पकड़ लिया नीचे सरकाना शुरू कर दिया | मैंने अपनी गांड उठा के अपने लंड को आज़ाद करने में उसकी मदद की | एक झटके से दीदी ने मेरी पैंट और अंडरवियर को मेरे टखने तक पहुंचा दिया | मेरा लंड एक स्प्रिंग की तरह उछल कर खड़ा हो गया । अब मैं अपनी बहन के सामने बिल्कुल नंगा था | अब उसके सामने नंगे होने में शर्माना कैसा जब नंगा ही उसने खुद किया था ।

दीदी (लंड को मुठी में जकड़ते हुए): भाई तेरा लंड बहुत लंबा और मोटा है | लड़कियाँ तो ज़रूर तेरे ऊपर मरती होंगी । कितनी लड़कियों को अभी तक अपने लंड से संतुष्ट हो चुके हो ?

मैं (मासूमियत से): लंड पकड़ाया तो है दो-तीन को, लेकिन किसी को संतुष्ट करने का मौका अभी तक नहीं मिला |

दीदी: चूतिया थी वो लड़कियाँ जो इतने मस्त लंड का स्वाद नहीं लिया | कोई बात नहीं भाई, जो उन्होंने गँवा दिया वो स्वाद अब मैं लुंगी |

यह कहते हुए दीदी मेरा लंड अपनी मुट्ठी में पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी । वो लगातार मेरी आँखों में देख रही थी और शायद मेरी उत्तेजना को देख कर खुद भी उत्तेजित हो रही थी । मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया था । मस्ती से मेरी आँखें बंद हो रही थी | कुछ समय बाद मैंने अपनी ऑंखें बंद कर ली और पीछे की तरफ सिर झुका कर इस स्वर्गिक समय का आनंद लेने लगा । अचानक से मुझे अपने लंड पे कुछ टाइट-२ और गरम सा महसूस हुआ | मैंने नज़र घुमा कर नीचे देखा तो ....

ओह माय-२ .... माय गॉड | दीदी ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया था और उसे बड़े ही प्यार से चूस रही थी । ये दृश्य मैं अपने सपनो में सैकड़ों बार देख चूका था | मेरी सेक्सी, लाड़ली, प्यारी जवान बहन, सच-मुच में मेरा लंड चूस रही थी। क्या बात थी, क्या मज़ा था, क्या अनुभूति थी | क्या स्पर्श था उसके नरम-२ होंटो का, गीले-२ मुंह का, खुरदरी-२ जीभ का, गरम-२ साँसों का मेरे टाइट-२ लोडे पे | ये सोच कर की मेरी बहन मेरा लंड वास्तविकता में चूस रही है, मैं झड़ने के बिलकुल करीब आ गया | मेरा लंड इतना कड़ा हो गया था कि जैसे फट ही जाएगा ।

मैं (हांफते हुए): ओह दीदी .... मेरा .... मेरा निकलने वाला है |

दीदी ने एक पल के लिए मुंह से लंड निकला और बोली: ओके भाई ... आ जा ... मैं तैयार हूँ | और फिर लंड मुंह में लेके और जोर से चूसने लगी |

मैं झड़ने लगा | वीर्य की पहली धार सीधे दीदी के गले तक पहुँच गयी | मैं जैसे पागल हो गया | मैं बेरहमी से अपने दोनों हाथों से दीदी के सिर को पकड़ कर अपने लंड पे दबाने लगा | मेरा लंड उसके मुंह की जड़ तक पहुँच गया था | मेरे वीर्य की पिचकारी सीधे दीदी के हलक में उतर रही थी | मेरे कड़क लंड का मोटा सुपाड़ा दीदी के गले तक पहुँच गया था । वो अपना मुँह हिला रही थी और सिर उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैं अलग ही दुनिया में था | मैं अभी भी ताकत से उसके मुँह को अपने लंड पर दबा रहा था । उसके मुंह से उह… उह… उ की आवाज निकल रही थी | वो अपना सिर छुड़ाने का इशारा कर रही थी लेकिन मैं अपने लंड पर उसके मुँह को तब तक दबाता रहा जब तक कि मेरे लंड से वीर्य की आखिरी बून्द तक निचुड़ नहीं गयी ।

मेरे लंड का पूरा माल दीदी के मुँह में चला गया | मैं बिलकुल शक्तिहीन हो गया था | एक आह के साथ मैंने अपनी आँखें मूँद लीं और बिलकुल निष्क्रिय हो कर बैठ गया । कुछ क्षण के बाद जब मैं होश में आया तो देखा की दीदी अपने गले को सहला रही थी और ज़ोर-२ से खांस रही थी | दीदी मुझे बहुत ही गुस्से से देख रही थी ।

ओह गॉड, ये ,मैंने क्या कर दिया था ... अभी तो कहानी अच्छे से शुरू भी नहीं हुई थी, अभी से दीदी को नाराज़ कर दिया | मैं प्राथना करने लगा की कहीं दीदी नाराज़ ना हो जाये, कहीं गाड़ी चलने से पहले ही पटड़ी से ना उतर जाये |
areee baap re - didi to bhayya ka pura choos gai .. aisa bhi hota hai kyaaaaaa
 

ruby mittal

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भाग 16

दीदी (गुस्से से): कमीने .... वहशी .... मैं मर जाती तो ?

मैं (रोनी सूरत बना के): दीदी .... मुझे माफ़ कर दो .... जब निकलने वाला था तो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था .... ना जाने कैसे हो गया ... अपने-आप

दीदी (इतराते हुए): ये माफ़ी-वाफी से काम नहीं चलने वाला ... समझा ... अब मेरी बारी है ... चल शुरू हो जा

ओह, क्या अदा है दीदी तेरी |

मैं (उत्साहित होते हुए): हाँ, क्यों नहीं दीदी ... बताओ ना ... आपका सेवक आपकी सेवा में हाज़िर है |

इतना कहते हुए मैं सीट से नंगा ही उठ गया। दीदी ने तुरंत अपने पैर फैलाए और अपने दोनों हाथों को सिर के पीछे ले गयी |

दीदी (रोब से): "इधर आओ ..... चलो शुरू हो जाओ .... मेरे दोनों हाथों को चाटो ।

मैं: दीदी हाथ क्या ... मैं तो आपका पूरा शरीर चाटूंगा ।

दीदी: बस .. बस ... अब मुंह से बोलना छोड़ ... चाटना शुरू कर |

दीदी सीट पर बैठी हुई थी और मैं उसके सामने खड़ा हुआ था | मैं पूरा जन्मजात नंगा था जबकि दीदी ने अभी भी नीचे सलवार पहनी हुई थी | दीदी का भी ऊपरी हिस्सा नंगा था और उसके बड़े-२ बोबे खुली हवा झूल रहे थे | दीदी ने जब चाटने के लिए कहा तो मैं अपने दोनों हाथ दीदी के दोनों तरफ रख के उनकी तरफ झुक गया | मैंने अपने शरीर का भार अपने हाथों पर लिया हुआ था ।

मैं धीरे-२ दीदी के हाथों की उँगलियों को चाटने लगा | चाटते-२ मैं उसकी बाँहों तक पहुँच गया | उसकी बाँहों को अच्छे से चाटने के बाद मैं उसकी काखों तक पहुँच गया | अब मुझे ज़्यादा झुकना पड़ रहा था | उसके बोबे मेरे कन्धों से रगड़ खाने लगे | मैं अपने कन्धों पर उसके उत्तेजक लंबे, सख्त रबर जैसे निप्पल साफ़ महसूस कर पा रहा था | मैं पूरी लगन से दीदी को चाटने में लगा हुआ था | बीच-२ में दीदी के मुंह से निकलती सिसकारी माहौल को और कामुक बना रही थी | दीदी भी धीरे-२ मेरी पीठ सहला रही थी |

दीदी की बगलों को धीरे-धीरे चाटने के बाद मैं उसके कंधे पर चला गया । उसके कंधों को चाटते हुए मैंने अपने दोनों हाथ उसके बोबों पर कस कर रख दिए और उसके बोबों को दबा दिया । दीदी मुंह से एक तेज सिसकी निकली | मैंने दीदी के दोनों निप्पल पकडे और उसके निप्पल को दबाने और मरोड़ने लगा | थोड़ी देर निप्पल दबाने के बाद भी जब मुझे राहत नहीं मिली तो और मैं थोड़ा नीचे खिसक गया और अपना मुँह उसके कड़े चुचों पर रख दिया। दीदी के मुंह से उतेज़ना से भरी की एक चीख निकल गई ।

मैं बहुत खुश था की मैं दीदी को इतना उत्तेजित कर पा रहा था और दीदी को इतना मज़ा दे पा रहा था । उसके बोबों को दोनों हाथों से पकड़ कर मैंने उसे चूसना शुरू कर दिया । मैं बीच-२ में उसके निप्पलों को अपने होंठों में लेकर दबाना और चबाता भी जा रहा था | मैं बहुत देर तक उसके बोबों को चूसता और चाटता रहा लेकिन मन नहीं भरा | मन मार कर मैं नीचे की तरफ खिसका, चूची के चक्कर में चूत थोड़ा ना छोड़नी थी |
bhai bhi kam naughty nahi niklaa - bahen ne lift kya di - bhai to shuru hi ho gaya yaarrrr
 

ruby mittal

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भाग 17

नीचे खिसक कर मैंने थोड़ी देर उसके सपाट पेट और गोल गहरी नाभि को चाटा । जब मैं अपनी जीभ को उसकी नाभि के सबसे गहरे हिस्से में ले जा कर चारों तरफ घुमा रहा था तो दीदी मस्ती के मारे दोहरी हो गयी और नीचे झुक कर अपने पेट को मेरे मुंह पे दबाने लगी | फिर मैं और नीचे खिसक गया और उसके सूट के ऊपर से ही उसकी चूत को चूमने लगा | दीदी तो जैसे पागल हो गई। जैसे ही मैंने अपने चेहरे को उसकी चूत पर रखा उसने अपने दोनों हाथों से मेरे बालों को पकड़ लिया |

दीदी: रुको, भाई | मैं सलवार निकाल देती हूँ |

इतना कहते हुए, दीदी ने एक झटके में अपनी सलवार का नाडा खींच दिया | मैं उठ कर खड़ा हो गया । उसने नितंबों को ऊपर उठाते हुए सलवार को नीचे खिसका दिया और एक ही झटके में सलवार पैंटी को निकाल दिया।

अब मेरी जवान बहन पूरी तरह से नंगी थी | मैं उसे वासना भरी नजरों से देख रहा था । जिस बहन को हजारों बार सपनो में नंगी देखा था वो आज वास्तव में मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी | उसने अपने हाथों को अपने सिर के नीचे रखा हुआ था | उसकी चूत पर बालों का एक घन्ना जंगल था | शायद ही कभी उसकी चूत की पंखुड़ियों ने दुनिया देखि हो, हमेशा उसके झांटों के जंगल में छुपी रहती होंगी | जैसे मुझे काखों के बाल पसंद हैं, वैसे ही मुझे झांटों से बहुत लगाव है | उसकी झांटों से भरी चूत बहुत सेक्सी लग रही थी |

दीदी (सेक्सी लहज़े में): भाई, क्या हुआ ... तुम रुक क्यों गए ?

मैंने भी बिना रुके सीधे उसकी चूत पर हमला कर दिया | मैंने नीचे झुकते हुए अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया । दीदी पूरी तरफ से गरम हो चुकी थी | उसकी चूत से कामरस रिसने लगा था | उसकी चूत से बहुत ही मादक खुशबु आ रही थी जो मुझे पागल बना रही थी | मैंने जीभ निकाल कर उसकी चूत को ऊपर से नीचे तक चाटा । चाटते हुए मैंने देखा कि उसकी चूत के ऊपर के छोटा सा चने जितना दाना उभर आया था | मैंने अपना पूरा ध्यान वहीँ लगा दिया | जैसे ही मैंने दाने को चाटना शुरू किया, उसने मेरे बालों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और मेरे सिर को अपनी चूत पे दबाने लगी | उसकी इस हरकत से मैं उत्साहित हो गया और उसके दाने को दुगने जोश से चूसने लगा |

अब दीदी मस्ती के मारे बेहोश सी होने लगी | उसने मेरे सिर को कसकर दबाते हुए, अपने कूल्हों को हिलाना शुरू कर दिया। ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरा मुँह अपनी चूत में घुसाने की कोशिश कर रही थी | मैं पागलों की तरह उसकी चूत चाट रहा था। उसके कूल्हे और तेज हिलने लगे | उसके मुंह से निकलती सिसकारियां अब चीखों में बदल रही थी | अचानक से वो जोर से चीखी और मेरा मुँह कस कर अपनी चूत पर दबा लिया । वो इतने ज़ोर से मुझे दबा रही थी कि मैं अपना सिर हिला नहीं सकता था । मेरी नाक उसकी चूत में दब गयी थी इसलिए मैं सांस भी नहीं ले पा रहा था । कुछ देर तक तो मैंने अपनी सांस रोक कर रखी पर जब यह असहनीय हो गया तो मैंने ज़ोर से अपना सिर हिलाया और थोड़ा उठ कर सांस ली।

दीदी की चूत अभी तक रिस रही थी | उसका शरीर अब निढाल हो गया था | उसने मेरे सिर को छोड़ दिया | दीदी से छूटते ही मैंने अपना मुंह पूंछा हो उठकर दीदी के पैरों के पास बैठ गया और खुलकर सांस २-३ सांस ली | कुछ देर आराम करने के बाद मैं फिर से दीदी के नंगे बदन को देखने लगा | दीदी की ऑंखें अभी तक बंद थी | दीदी को ऊपर-नीचे होते बोबों को देख कर मेरा लंड फिर से टाइट हो गया । मैंने अपने कठोर लंड पर दीदी का हाथ रख दिया और हिलने लगा | मैं वासना से उसके नंगे शरीर को घुर रहा था | उसकी बालों से भरी चूत को देख के सोच रहा था कि यह मेरा अगला टारगेट यही है।
simply hottttttttttt
 

Pinky

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lagta hai kaafi time se update nahi diya writer ji ne - hope ki ye kahani apne anjaam tak pahunchegi ....
ab tak jitni update hai - wo kafi hott hai or mast hai ...
story line puri tarah didi k control me hai .. good ...

Last update was on yesterday evening.
कहानी ज़िंदा है .. हम भी ज़िंदा हैं
 

Pinky

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भाग 18

ना जाने मैंने कितनी देर तक दीदी की चूत को मंत्र्मुघ्द हो कर देखता रहा | मुझे पता ही नहीं लगा की दीदी ने कब ऑंखें खोली | अचानक से उसने चुटकी बजायी तो मैं उसकी चूत की दुनिया से बाहर आया | मैंने उसकी तरफ देखा और वो शरारत से मुस्कुरा दी ।

दीदी: ये अच्छा है तुम जैसे कम उम्र के लड़कों का, तुरंत दूसरे राउंड के लिए त्यार हो जाते हो |

यह कहते हुए दीदी उठ कर मेरे सामने खड़ी हो गई । मुझे धक्का देते हुए सीट धकेल दिया | मेरे कंधे का सहारा लेते हुए दीदी मेरे ऊपर बैठने लगी | अभी दीदी अपने घुटनो पे खड़ी थी | उसके बोबे बिलकुल मेरे मुंह से सामने आ गए थे | मैंने अपने हाथ उसके कूल्हों पर मजबूती से टिका दिए | दीदी ने एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को पकड़ कर तीन से चार बार हिलाया और फिर अपनी चूत के मुहाने पे टिका दिया ।

मैं जैसे स्वर्ग पहुँच गया था | मेरी प्यारी बहन की चुत के स्पर्श से मेरा लंड धन्य हो गया था । मैं ज़िन्दगी में कभी भी उस पल को कभी नहीं भूल पाऊंगा । फिर दीदी ने मेरे लंड को दो से तीन बार अपनी चूत पर रगड़ा । फिर उसने मेरा लंड अपनी चूत के छेद पर टिका दिया और धीरे-धीरे नीचे बैठने लगी । जैसे ही वह नीचे बैठने लगी, मेरा लंड उसकी चूत में गायब होता जा रहा था | कुछ समय बाद जब मुझे अपने लंड पे दीदी की झांटे महसूस हुई तो पता चला की मेरा पूरा लंड मेरी बहन की चूत में घुस गया था । मेरी बहन की चूत मेरे लंड से पूरी तरह भर गयी थी | दीदी की चूत इतनी टाइट थी की मेरा लंड बुरी तरह से खिंच गया था | उसकी चूत भट्टी की तरह गरम थी | अब मुझ से रुका नहीं गया | मैंने उसके कूल्हों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए । मैंने अपनी बहन के रसीले होंठो को पीना शुरू कर दिया | दीदी भी पूरे जोश से मेरा साथ दे रही थी | मुझे नहीं पता था कि कब हम होंठ छोड़ के एक दूसरे की जीभ चूसने लगे ।

मेरे हाथ अब दीदी के कूल्हों पर और कस गए थे और मैं उसके भारी नितंबों को पागलों की तरह सहलाने लगा था । धीरे धीरे वो मेरे लंड पर ऊपर-नीचे होने लगी | मैंने भी उसके नितंबों को पकड़ कर उसे अपने लंड पर ऊपर नीचे करने लगा । उसके बोबे मेरे मुंह से बार-२ टकरा रहे थे | दीदी ने एक हाथ से मेरा सर पकड़ा और उस अपनी छाती पे दबा दिया ।

मैंने भी उसका इशारा समझते हुए देर नहीं की और तुरंत उसके बोबे को मुंह में भर कर बेसब्री से चूसने लगा | बीच बीच में मैं उत्तेजित को कर उसके निप्पल को काट लेता | धीरे धीरे हमारे धक्कों को स्पीड बढ़ती जा रही थी | मेरा लंड पिस्टन की तरह घर्षण करता हुआ उसकी चूत को दीवारों को पूरा फैला रहा था | अब उसके चुचों को चूसते रहना मुश्किल हो रहा था | मैंने अपने हाथ उसके नितम्बों से हटा के उसके बोबों को कस के पकड़ लिया और उसके बोबों को गूंथने लगा |

दीदी की स्पीड और भी बढ़ गई थी । अब वो बिना रुके ऊपर-नीचे हो रही थी । मेरा लंड उसकी चूत की गहराई तक जा रहा था । उसने मेरे सिर को पकड़ा और मुझे कस कर गले लगा लिया । उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थी | अचानक से दीदी ने तेज चीख मारी और अपने चरम पर पहुंच कर धीरे-धीरे शांत होने लगी | दीदी एक बार फिर से झड़ गयी थी | मैं अभी नहीं झडा था | मैंने उसके दोनों नितंबों को अपने दोनों हाथों से उठा लिया और नीचे से ज़ोर-२ से अपने चूतड़ हिला के ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा |

दीदी: "ए ... आ .. आईई ... सी ... भाई ..... धीरे ... धीरे ..... करो ... ओह ....

मैं: दीदी ..... बस थोड़ा सा .... मेरा भी होने वाला है .....

दीदी: ओह ... ह ..... इ .... रुक जा ..... सांस ...... सांस तो लेने दे ..... कुत्ते ....

मैं: "दीदी ...... दीदी ...... मैं ..... मेरा ...... फिनिश ... .. हा ... हह ... हह ... आह ... आह ...

फिर कुछ और ताबड़तोड़ धक्के लगा कर मेरा पानी भी दीदी की चूत में छूटने लगा । धीरे-धीरे मैं भी शांत हो गया और दीदी को गले लगा लिया | कुछ देर तक हम भाई बहन एक दूसरे को गले लगा कर शांत बैठे रहे और उस खुमार का आँखें मूँद कर मज़ा उठाते रहे |
 
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