भाग 12
मैं कुछ देर तक इंतज़ार करता रहा लेकिन संगीता दीदी की और से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई | थोड़ा और इंतज़ार करके मैंने अपनी आँखें खोली और नीचे देखा | नीचे का नज़ारा देख कर मैं आश्चर्यचकित रह गया । संगीता दीदी मुस्कुराते हुए मेरे पसीने से भीगे हुए होंठों पर अपनी जीभ फिरा रही थी | ओह .... वो मेरे पसीने को चाट रही थी ।
जब हम दोनों की ऑंखें मिली तो वो मुस्कुराते हुए बोली: वाह भाई ..... क्या बात है | मुझे नहीं पता था की तुम्हारा पसीना इतना टेस्टी होगा | तुम तो सही में बड़े हो गए हो | तुम्हारे पसीने का स्वाद एक जवान आदमी के जैसा है | और ..... मुझे ये स्वाद बहुत पसंद है | भाई, प्लीज-२ .... क्या मैं तुम्हारा पसीना चाट सकती हूँ ?
उसने मेरे उत्तर की प्रतीक्षा नहीं की | शायद वो मेरा उत्तर पहले से ही जानती थी | उसने अपनी जीभ को पूरा बाहर निकाल के मेरे पेट के एक बड़े हिस्से को चाट लिया | मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया | वो मेरे शरीर पर लगे पसीने को चाटती हुई ऊपर की तरफ बढ़ रही थी | जैसे-२ संगीता दीदी मुझे चाट रही थी वैसे-२ मेरी उनको
चोदने की इच्छा बलवती होती जा रही थी | मेरे बदन को चाटते हुए दीदी ऊपर की तरफ आ रही थी और साथ में मेरी छाती पर हाथ भी फेरा रही थी | धीरे-२ वो मेरे निप्पल तक पहुँच गयी | अब वो मेरे एक निप्पल को चाट रही थी जबकि दूसरे निप्पल को अपने लंबे नाखूनों से हल्का-२ खरोंच रही थी |
चाटते-२ उसके मुंह से मदहोशी में निकला: ओह, भाई ...... तू कितना टेस्टी है यार | पहले पता होता तो में तुझे अभी तक तो कच्चा चबा गयी होती | तेरी काखों से कितना पसीना निकल रहा है | ज़रा अपनी कांख तो दिखा भाई |
मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि मेरे पसीने की गंध से संगीता दीदी परेशान नहीं हुई बल्कि वह इसे पसंद कर रही थी | मैंने हिचकिचाते हुए अपना दाहिना हाथ उठा दिया | वह बहुत खुश लग रही थी, पहले वो थोड़ा सा मुस्कुराई और फिर मुझे थोड़ा सा अपनी तरफ झुका से अपनी नाक को मेरी कांख में घुसा दिया | पहले उसने एक गहरी साँस ले के मेरे पसीने को सूँघा और फिर वो मेरी कांख को अपनी जीभ से चाटने लगी । उसकी जीभ से मुझे बहुत गुदगुदी होने लगी | थोड़ी देर बाद उसने मुझ से बिना पूछे ही मेरा दूसरा हाथ उठाया और फिर से वही ... सूंघना और चाटना शुरू कर दिया | उसके चाटने से मैं मस्ती में भर गया और मेरे शरीर के सारे रोंगटे खड़े हो गए ।
कुछ देर मुझे दिल भर चाटने के बाद दीदी अपने होंठो पे जीभ फिराती हुई उठी और बोली: भाई, तुझे नहीं पता की मुझे ये टेस्ट कितना पसंद है | मैं बहुत फ्रेश और एनर्जेटिक फील कर रही हूँ | इतना मज़ा तो निम्बू पानी में नहीं होता जितना तेरे पसीने में है | तूने क्या कभी अपने काखों के बाल शेव नहीं किये ?
मैं: एक बार किये थे, वैसे ही try करने के लिए | लेकिन मुझे बाल रखना पसंद है | मुझे तो वो लोग, खासकर लड़के, ही पसंद नहीं आते जो अपने काखों के बाल साफ़ करते हैं |
दीदी (उत्तेजित स्वर में): भाई, मुझे भी काखों के बाल बहुत पसंद है | अच्छा है की तेरे काखों में लम्बे-२ बाल हैं |