भाग 11
हम फिर से पहले वाली पोजीशन में आ गए | मैं पहले की तरह खिड़की के पास बैठ गया और संगीता दीदी ने अपना सिर मेरी गोद में रख लिया और फिर से सोने लगी | थोड़ी देर के बाद उसकी सांसें गहरी हो गयी, उसकी नींद पक्की हो गयी थी | अब मैंने उससे फिर से वासना भरी नज़रों से घूरना शुरू कर दिया | जब तक वो जाग रही थी, मैं उसे अच्छे से नहीं देख सकता था | अब मैं उससे सर से पाँव तक आराम से देख रहा था |
ब्रा निकालने के बाद उसके बोबे बिलकुल साफ़ दिखाई दे रहे थे | तकरीबन 25 % बोबे तो वैसे ही कमीज से बाहर थे और जो 75 % अंदर भी थे वो भी उस पसीने से भीगी पारदर्शी कमीज से नंगे ही प्रतीत हो रहे थे | उसके उभरे हुए निप्पल उसकी ड्रेस में अलग से खड़े हुए स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहे थे | उसके पसीने ही उग्र गंध मेरे नथुनों में समा रही थी |
मेरे काखों में भी बहुत बाल हैं, मुझे काखों से बाल साफ़ करना अच्छा भी नहीं लगता | एक तो मौसम इतना गरम था और उस पर मेरी जवान बहन की गरमा-गरम जवानी, मुझे भी बहुत पसीना आ रहा था | पहले तो शायद मेरे पसीने की गंध शर्ट की वजह से रुक रही थी, लेकिन अब तो मैंने शर्ट भी उतार दी थी | मेरे पसीने की गंध पूरे कम्पार्टमेंट में फ़ैल रही थी |
मुझे यकीन था कि संगीता दीदी सो रही थी और उसे मेरे पसीने की गंध का पता नहीं चला होगा | माना की मेरे पसीने की गंध तेज थी लेकिन संगीता दीदी भी इस बात में पीछे नहीं थी | उसके पसीने की महक मुझे पागल कर रही थी । मैं संगीता दीदी को टंग बाथ देना चाहता था, उसके पूरे शरीर को चाटना चाहता था | मुझे विश्वास था की उसके पसीने में शराब से भी ज़्यादा नशा होगा | मेरा लंड बुरी तरह से सख्त हो चूका था और उसमें से थोड़ा सा पानी भी निकलना शुरू हो गया था | मुझे लग रहा था कि कहीं मेरी पैंट गीली ना हो जाये, लेकिन मैं कर भी क्या सकता था, ये मेरे नियंत्रण में नहीं था ।
यह सब मेरे लिए किसी कामुक सपने की तरह था | जिस बहन के जिस्म को सपनो में सोच-२ कर ना जाने कितने सालों से मुठ मारा करता था वही बहन आज वास्तव में मेरी गोदी में अपना सिर रख कर सोई हुई थी |
उसके नंगे बोबे, खड़े निप्पल, पसीने से लथपथ शरीर मेरी आँखों और लपलपाती जीभ से केवल कुछ इंच की दूरी पर थे । मैं अत्यधिक उत्तेजित हो चूका था | मैं मन ही मन प्रार्थना कर रहा था कि कहीं मेरा वीर्य छूट न जाये | अगर ऐसा हुआ तो मैं मर ही जाऊंगा | संगीता दीदी को पता चल जायेगा | वो शायद मुझसे नफरत करने लग जाये, शायद मुझसे फिर कभी बात ना करे | ये विचार आते ही मैं घबरा गया था।
तभी नींद में संगीता दीदी ने करवट ली और अपना मुंह मेरे तरफ कर लिया | उसने अपना सर उठाकर थोड़ा सा आगे कर लिया । इस पोजीशन में उसके होंठ मेरे पेट के साइड को छूने लगे । मैं उसके रसीले होठों के मुलायम-२ स्पर्श से गनगना गया | तभी मैंने नीचे की तरफ देखा तो हिल गया। मेरी छाती पे कुछ पसीने की बूंदे इकठी हो हर एक बड़ी बूँद बन गयी थी और वहां बहुत सा पसीना इकठा हो गया था | अब वो पसीना धीरे-२ एक धार का रूप लेके नीचे मेरे पेट की तरफ जा रहा था | अगर मेरा पसीना इसी तरह से गिरता रहता तो निश्चित रूप से वो वहां पहुँच जाता जहाँ संगीता दीदी के कामुक होंठ मेरे पेट हो छू रहे थे |
वो धार चलनी शुरू हो गयी, पक्के से वो संगीता दीदी के होंठो तक पहुँचाने वाली थी | मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या किया जाये | डर के मारे मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और संगीता दीदी की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करने लगा |