रूपलाल की बीवी रमा देवी का चिंतित होना स्वाभाविक था,,,, क्योंकि अभी तक उनकी बेटी को लेकर के शादी की बात नहीं हो पाई थी जबकि मनोहर लाल की पार्टी में जाने का मकसद यही था लेकिन किसी तरह से रूप लाल अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाया हालांकि वह पार्टी के दौरान अपनी बेटी के साथ ही मनोहर लाल के ईर्द गिर्द था,,, लेकिन वह अपने मन की बात मनोहर लाल को बात नहीं पाया क्योंकि उसने भी देखा था कि उसकी तरह की बहुत से लोग थे जो अपनी बेटी को लेकर के आए थे और सबका मकसद यही था अपनी बेटी को मनोहर लाल की बहू बनाना,,,,,।
इसीलिए तो रमा देवी बहुत चिंतित नजर आ रही थी और उन्होंने अपने पति रूप लाल को हिदायत भी दे दी थी कि जल्द से जल्द मनोहर लाल से अपनी बेटी के बारे में बात करें,,,, और इस बात को रूप लाल भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बेटी का भविष्य मनोहर लाल के घर में बहुत ही ज्यादा उज्जवल है इसलिए वह अभी देर नहीं करना चाहता था लेकिन मनोहर लाल उसका बचपन का दोस्त था इसलिए थोड़ा हिचकिचा रहा था, ,,, लेकिन वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बेटी को देख लेने के बाद मनोहर लाल कभी भी इनकार नहीं कर पाएगा,,,,। इसलिए वह भी सही मौके की तलाश में था,,,,।
दूसरी तरफ पार्टी के खत्म होने के बाद लिफाफा में उपहार के साथ-साथ कई लड़कियों के फोटो भी थे,,, जो की शादी के रिश्ते के लिए ही आए थे और उन फोटो को बारी-बारी से शेख मनोहर लाल अपने कमरे में बिस्तर पर बैठे हुए देख रहे थे और हर लीफाफे पर नाम और पता भी देख रहे थे,,,, और अपने मन में ही सोच रही थी कि यह लड़की राकेश के लिए कैसी होगी यह लड़की अगर घर में बहू बनकर आएगी तो कैसा होगा,,,, लिफाफे के हर एक फोटो से वह अपना और अपने बेटे का भविष्य तय कर रहे थे लेकिन कोई भी लड़की उन्हें ठीक नहीं लग रही थी,,,, सेठ मनोहर लाल की जेहन में एक चेहरा बस गया था और चेहरे को वह लिफाफे में निकले फोटो में तलाशने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह चेहरा उन्हें किसी भी फोटो में दिखाई नहीं दिया,,,,।
फिर भी इतने सारे फोटो आए थे तो उन्हें अपने बेटे को दिखाना जरूरी था वह चाहते थे कि इन फोटो में से उनका बेटा किसी एक अच्छी लड़की को पसंद कर ले इसके साथ वह अच्छे तरीके से जीवन निर्वाह कर सके,,,, रात के तकरीबन 10:00 बज रहे थे,,, और सेठ मनोहर लाल बार-बार सभी फोटो को बारी-बारी से देख रहे थे लेकिन कुछ जम नहीं रहा था,,, फिर भी वह अपने बेटे को आवाज लगाते हुए बोले,,,,।
राकेश,,,,ओ,,, राकेश,,,,।
जी पापा,,,,(थोड़ी ही देर में राकेश अपने पिताजी के कमरे में प्रवेश करते हुए बोला,,,)
अरे देखो तो सही इन फोटो में से तुम्हें कौन सी लड़की अच्छी लगती है,,,,।
(अपने पिताजी की बात सुनकर धीरे-धीरे राकेश चलता हुआ बिस्तर तक आया और बिस्तर पर बीछे हुए फोटो को देखने लगा और आश्चर्य जताते हुए बोला,,,)
मैं कुछ समझा नहीं पापा,,,,।
अरे इसमें समझना क्या है,,, पार्टी में देखे थे ना,,, लोग अपनी अपनी लड़की को बुलाए थे जानते हो किस लिए,,,।
किस लिए,,,!(फिर से आश्चर्य जताते हुए राकेश बोला,,,)
विवाह के लिए,,,,
विवाह के लिए,,,! मैं कुछ समझा नहीं,,,,
यही तो मुश्किल है कि तुम कुछ समझ नहीं पाते,,,, अरे तुम्हारे विवाह के लिए और यह सब फोटो देख रहे हो,,,(बिस्तर पर रख फोटो को इधर-उधर करते हुए) यह सब लड़कियों के प्रस्ताव हैं विवाह के लिए और वह भी तुमसे,,,, शहर की शारी लड़कियां इस घर की बहू बनना चाहती है,,,, मैंने तो सभी फोटो को देख लिया हूं लेकिन आखिरी फैसला तुम पर छोड़ा हूं,,,,
पापा मैं बताया तो था कि मैं अभी विवाह नहीं करना चाहता अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊं तब विवाह करूंगा,,,,।
अरे बरखुरदार,,, क्यों ना समझो की तरह बात करते हो,,, अपना खुद का बिजनेस है और तुम रहते हो कि अपने पैरों पर खड़ा होना है,,,,।
वह तो मैं जानता हूं पापा,,, लेकिन मैंने जो इतनी मेहनत करके इंजीनियरिंग की डिग्री लिया है उसका कुछ तो उपयोग आना चाहिए ना,,,,।
देखो बेटा मैं जानता हूं तुम अच्छे लड़के हो नौजवान हो इसलिए अपनी डिग्री का सही उपयोग करना चाहते हो लेकिन मेरा भी तो सोचो,,, बरसों से अकेला हूं अगर भगवान ना करे तुम्हारी शादी से पहले मुझे कुछ हो गया तो,,,,,(मनोहर लाल के मुंह से इतना निकलते ही राकेश खुद अपना हाथ आगे बढ़कर अपने पिताजी के मुंह पर रख दिया और बोला)
नहीं पापा ऐसी बातें मत करिए,,,, आप रहते हो तुम्हें फोटो देखने के लिए तैयार हूं लेकिन अगर पसंद नहीं आई तो,,,,
तो क्या,,,, दूसरी देखेंगे,,, बेटा तुम बिल्कुल भी फिक्र मत करो तुम्हें नहीं पसंद आएगी तो नहीं करूंगा तुम्हारी पसंद की ही लड़की से शादी करूंगा लेकिन इतनी सारी फोटो आई है उनमें से तो देख लो शायद तुम्हें कोई पसंद आ जाए,,,।
ठीक है पापा आप रहते हो तो मैं देख लेता हूं लेकिन मुझे लगता नहीं है कि कोई पसंद आएगी,,, ।(राकेश ने यह बात इसलिए कहा था क्योंकि उसका दिल तो किसी और लड़की पर आ गया था जो रेस्टोरेंट में उसके साथ टकराई थी,,,,,,)
कोई बात नहीं बेटा कोशिश तो करो फोटो में भी एक से बढ़कर एक लड़की है कोई तो पसंद आ ही जाएगी,,,,(ऐसा कहते हुए सेठ मनोहर लाल बिस्तर पर बचे हुए सारे फोटो को इकट्ठा करने लगे और इकट्ठा करके राकेश को थमा दिए राकेश भी मुस्कुरा कर अपने पिताजी के हाथ में से लड़कियों के फोटो ले लिया और उसे लेकर अपने कमरे में आ गया,,,,)
यार ये पापा किसी मुसीबत में फंसा रहे हैं,,,, मैं जानता हूं इनमें से मुझे कोई लड़की पसंद आने वाली नहीं है क्योंकि मेरा दिल तो इस लड़की पर आया है लेकिन न जाने कहां होगी कैसी होगी क्या करती होगी कुछ पता नहीं है अपना घर का पता है ना उसका नाम पता है,,,,,(अपने आप से ही बातें करते हुए राकेश लड़कियों के फोटो को टेबल के ड्रोवर में रखकर ड्रावर बंद कर दिया,,,) जो लड़की बार-बार टकराना चाहिए मिलना चाहिए वह तो नहीं मिल रही वह औरत न जाने क्यों बार-बार टकरा जा रही है,,,,,।
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(उसे औरत का ख्याल आते ही राकेश के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसकी आंखों के सामने उस औरत का अर्ध नग्न शरीर उसका खूबसूरत बदन नजर आने लगा,,, कपड़े की दुकान में कपड़े बदलते हुए और खुद के कमरे के बाथरूम में साड़ी उठाकर पेशाब करते हुए यह सब नजारा उसकी आंखों के सामने घूमते ही उसका खुद का लंड एकदम से खड़ा हो गया,,,,, राकेश अपने भविष्य को लेकर चिंतित जरूर था लेकिन जब कभी भी ऐसा कोई वाक्या याद आ जाता था तो,,, उसका लंड खड़ा हो जाता था और तब उसे एक साथी की जरूरत जान पड़ती थी,,,,,।
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उस औरत का ख्याल आते ही राकेश का लंड खड़ा हो गया था,,, और उसे मुठ मरने की जरूरत पड़ रही थी,,, लेकिन जैसे तैसे करके अपने मन को मना कर वह सो गया,,,,।
तीन चार दिन यूं ही बीत गए सेठ मनोहर लाल मिठाई की दुकान का हिसाब किताब देखने में व्यस्त है हो गए थे और उन्होंने फोटो के बारे में राकेश से पूछा ही नहीं,,,, अचानक रात को खाना खाते समय मनोहर लाल को याद आ गया कि उन्होंने ढेर सारे फोटो राकेश को देखने के लिए दिए थे और वहां प्रसन्न भाव से राकेश से खाना खाते हुए बोले,,,।
अरे बेटा मैं तुम्हें लड़कियों की तस्वीरें दिया था,,, कोई पसंद आई कि नहीं,,,,
मैं कहा था ना पापा उनमें से मुझे एक भी पसंद नहीं आएगी,,,।
अरे बेटा मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि तुझे किस तरह की लड़की चाहिए मुझे भी तो बता उसमें से नहीं पसंद आई तो दूसरी ढूंढेंगे,,,, लेकिन पता तो चलना चाहिए,,,,।
अब क्या बताऊं पापा मुझे क्या पसंद है क्या नहीं पसंद है वैसे तो मैं शादी नहीं करना चाहता था लेकिन आपकी जीद के कारण मैं शादी करने के लिए तैयार हुं,, लेकिन मुझे जो लड़की पसंद है उसकी फोटो तो इसमें है ही नहीं,,,।
(अपने बेटे की बात सुनते ही शेठ मनोहर लाल के चेहरे की चमक बढ़ने लगी,,, और वह एकदम से उत्साहित होते हुए बोले,,,)
क्या कोई प्यार का चक्कर है अगर तुझे कोई लड़की पसंद है तो मुझे बता दे इस शहर में कोई ऐसा है ही नहीं जो मेरी बात को टाल सके,,,,।
मैं अच्छी तरह से जानता हूं पापा इस घर की बहू बनने के लिए कोई भी तैयार हो जाएगा ,,, मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि यह बात आपसे करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए लेकिन मेरे लिए तो जो कुछ भी हो आप ही हो मेरे दोस्त हो मां हो पापा हो सब कुछ हो,,, इसलिए आपसे बताना भी जरूरी है,,,।
देख बेटा पहेलियां मत बुझा ,, साफ-साफ बता दे,,,, कौन है वह लड़की,,,,।
मैं कैसे बता दूं पापा ,,,, मुझे भी तो नहीं मालूम है कि कौन है वह लड़की,,,,।
(अपने बेटे की यह बात सुनते ही सेठ मनोहर लाल का चेहरा एकदम से उतर गया पल भर के लिए उन्हें अपना बेटा बेवकूफ नजर आने लगा जिस लड़की के बारे में कुछ पता भी नहीं है और वह उसी लड़की को ढूंढ रहा है,,,)
यह कैसी बातें कर रहा है बेटा तुझे मालूम ही नहीं है जो लड़की तो ऐसी लड़की तुझे मिलेगी कहां,,,,।
यही तो मैं सोच सोच कर परेशान हुआ जा रहा हूं,,, अब आपसे क्या छिपाना,,, अभी कुछ दिन पहले ही जग में यहां पर आया तो घूमने के लिए एक रेस्टोरेंट में गया था और वहीं पर एक लड़की से टकरा गया था उसकी किताबें भी मेरी वजह से नीचे गिर गई थी और मैं उसकी किताबों को समेट कर उसे दिया भी था,, और वह मुस्कुरा कर चली गई,,, बस इतनी सी मुलाकात है पापा ना तो मैंने उसका नाम पूछ पाया नहीं उसका घर का पता जान पाया लेकिन मुझे ऐसा लगने लगा है कि अगर कोई मेरी बीवी बन सकती है इस घर की बहू बन सकती है तो वह लड़की वही है,,,,।
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(राकेश की बातों को सुनकर सेट मनोहर लाल के चेहरे की लकीरें तन गई थी वैसे तो वह अपने बेटे की बात से खुश थे लेकिन इस बात से नाराज भी थे कि उसने उसे लड़की का नाम नहीं पूछ पाया था,,,, अपने बेटे की यह बात सुनते ही उन्हें अपने कॉलेज का जमाना याद आ गया था इसी तरह से तो मुलाकात हुई थी राकेश की मां से ठीक इसी तरह से,,, वह भी रेस्टोरेंट में जा रहे थे और राकेश की मां आ रही थी,,,,,, दोनों में इसी तरह से टक्कर हुई थी और वही पहली मुलाकात जिंदगी भर का साथ बन गया था लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था लेकिन यह सब तो राकेश के साथ भी हो रहा है कहीं ऐसा तो नहीं उसे टकराने वाली लड़की उसकी जीवन साथी हो,,,, यह ख्याल मन में आते ही सेठ मनोहर लाल के चेहरे की चमक एकदम से बढ़ गई और वह एकदम प्रसन्न मुद्रा में अपने बेटे से बोले,,,,)
तू ढूंढ बेटा उस लड़की को,,,, वह लड़की ही इस घर की बहू बनेगी,,,।
लेकिन कैसे पिताजी उस लड़की को तुम्हें जानता ही नहीं हूं और वह अब तक एक ही बार मुझसे मिली है,,,,।
रेस्टोरेंट में मिली थी ना तुझसे,,,
हां,,,,,।
तो वह लड़की जरूर रेस्टोरेंट में आती जाती होगी तो इस रेस्टोरेंट में दिन-रात चक्कर लगा लेकिन ढूंढ कर ला तू मेरी बहू को,,,,।
(अपने पिताजी की बात सुनकर राकेश का भी हौसला बुलंद हो गया और वह भी एकदम खुश हो गया और अपने पिताजी को वचन देते हुए बोला..)
अब आप आपकी आज्ञा मिल गई है तो मैं पीछे हटने वाला नहीं हूं उसे लड़की को इस घर की बहू को दूर कर ही रहूंगा पिताजी बस मुझे आशीर्वाद दीजिए,,, (ऐसा कहते हुए तुरंत वह कुर्सी पर से उठाओ और अपने पिताजी के पैर छूने लगा उसके पिताजी भी उसके सिर पर हाथ रखते हुए उसे आशीर्वाद देते हुए बोले,,,)
तुम जरूर अपने लक्ष्य को प्राप्त करोगे विजई बनोगे बेटा,,,।