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Adultery बहुरानी,,,,एक तड़प

Premkumar65

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जलसा समारोह खत्म हो चुका था सेठ मनोहर लाल अपने बेटे के आने की खुशी में बहुत ही अच्छी पार्टी दिए थे जिसका जाते-जाते सब लोग गुणगान गा रहे थे किसी भी तरह से मेहमानों को कोई भी दिक्कत या परेशानी पेश नहीं आई थी सब लोग इस व्यवस्था से खुश थे,,, और मेहमानों की खुशी देखकर शेठ मनोहर लाल मन ही मन बहुत खुश हो रहे थे क्योंकि जलसा समारोह बहुत ही शांतिपूर्वक और व्यवस्थित रूप से संपन्न हो गया था,,,, शेठ मनोहर लाल के जो नौकर पास में ही रहते थे वह अपने-अपने घर जा चुके थे लेकिन जो दूर रहते थे वह आज की रात बंगले पर ही रुक गए थे और,,, जरूरी काम निपटा कर सो गए थे।

सेठ मनोहर लाल अपने कमरे में बेड पर बैठे हुए थे और टेबल पर रखे हुए अपनी बीवी के फोटो को देख कर उनसे बातें करते हुए बोल रहे थे,,,।

तुम अगर यहां होती तो कितना अच्छा होता तुम सब कुछ अपनी आंखों से देखी अपने बेटे को जवान होते हुए देखती,,,, देखो तुम्हारे बेटे की आने की खुशी में कितनी अच्छी पार्टी दिया था शहर के सारे रईस आए थे और इतनी अच्छी व्यवस्था किया था कि सभी लोग तारीफ कर रहे थे,,, क्या कुछ नहीं है सब कुछ तुम्हें मेरे पास सीवा तुम्हारे ,, मैं कभी सोचा भी नहीं था कितनी जल्दी हम दोनों को अलग होना पड़ेगा मैं तो शुरू से यही सोचता था कि अपने बेटे को जवान होता हुआ उसका विवाह होता हुआ साथ में देखेंगे उसके बच्चों को खिलाएंगे लेकिन सब कुछ तहस-नहस हो गया तुम भी समझदार में छोड़कर मुझे चली गई,,, मेरे विश्वास को तोड़ दी,,,,(अपनी बीवी के फोटो से बातें करते हुए शेठ मनोहर लाल की आंखों में आंसू आ गए,,, आए दिन उन्हें अपनी बीवी की याद आ जाती थी और अपने आप ही उनकी आंखों में आंसू आ जाते थे क्योंकि सेठ मनोहर लाल अपनी बीवी से बहुत प्यार करते थे उन्हें अभी भी यकीन नहीं होता था कि उनकी बीवी उन्हें छोड़कर चली गई है,,,,।)

दूसरी तरफ राकेश अपने कमरे में अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था उसे नींद नहीं आ रही थी पार्टी का ख्याल उसके मन में बिल्कुल भी नहीं था उसकी आंखों के सामने तो मादकता से भरा हुआ दृश्य नाच रहा था,,, जो कुछ घंटे पहले उसके ही कमरे में दर्शाया गया था,,,, उसके मन में उसके जेहन में वही दृश्य बस सा गया था,,,, उसके मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे उसे औरत को लेकर इसके बारे में वह कुछ भी नहीं जानता था बस दो बार उससे मुलाकात हुई थी और दोनों बार जिस हालात में मुलाकात हुई थी उस बारे में सोचकर ही उसकी हालत खराब हो जाती थी यहां तक की उसका लंड खड़ा हो जाता था,,, वैसे तो उसकी आंखों के सामने बहुत सी औरतें और लड़कियां आती जाती थी लेकिन उनका चेहरा उसे ध्यान नहीं रहता था लेकिन उसे औरत का चेहरा वह भला कैसे भूल सकता हूं जिसके खूबसूरत अंगों का वो दो दो बार दर्शन कर चुका है,,,।

राकेश कभी सोचा नहीं था कि किसी औरत से इस तरह से मुलाकात होगी और दो-दो बार,,, पहली बार से भी अत्यधिक इस बार के दृश्य में मादकता भरी हुई थी पहली बार तो वह सिर्फ कपड़े बदलते हुए देखा था उसकी खूबसूरत गांड के दर्शन किया था लेकिन उस समय जिस तरह की घबराहट उसके मन में थी उसको लेकर वहां उसे औरत के नितंबों की अच्छी तरह से दर्शन नहीं कर पाया था बस इतना ही एहसास हुआ था कि वह औरत कपड़े बदल रही हैं और कुछ पहनी है,,, उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई है,,, लेकिन इस बार का दृश्य तो कुछ ज्यादा ही मनमोहक और उत्तेजनात्मक था,,, जो की पूरी तरह से राकेश के दिलों दिमाग पर हथौड़े बरसा रहा था,,,।

तभी तो उसकी आंखों से नींद कोसे दूर जा चुकी थी,,, पार्टी की तैयारी करते हुए सारी व्यवस्था देखते हुए यहां तक कि अगर किसी पार्टी में भी जाना हो तो वहां से आते समय इंसान थक जाता है और थककर सो जाता है लेकिन इन सब के बावजूद भी रात के 2:00 बज रहे थे लेकिन राकेश की आंखों में नींद नहीं थी ,,, उसकी आंखों के सामने उसे औरत की नंगी गांड नजर आ रही थी उसकी बुर से निकलने वाली पेशाब की धार की आवाज सीटी की तरह सुनाई दे रही थी,,, बार-बार राकेश की आंखों के सामने वही दृश्य नजर आ रहा था उसका दरवाजा खोलने और दरवाजे के खुलते ही बाथरूम में उसे औरत के बैठे हुए पेशाब करना साड़ी कमर तक उठी हुई उसकी नंगी गांड पूरी तरह से उजागर होती हुई,,,, उसे औरत की खीली हुई गांड राकेश के अरमानों को पंख लगा रहे थे राकेश पूरी तरह से उसे दृश्य की गहराई में डूबता चला जा रहा था,,,, जिंदगी में पहली बार राकेश किसी औरत के बारे में इतना सोच रहा था,,,।

राकेश को एकदम साफ दिखाई दे रहा था कि बाथरूम में जो औरत बैठकर पेशाब कर रही है उसकी गांड एकदम कसी हुई थी उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच जाने के बावजूद भी उसकी जवानी बिल्कुल भी कम नहीं हुई थी,,,, और औरत की कसी हुई गांड हमेशा उसे जवानी बक्सने का काम करती है,,, उसे औरत के बारे में सोच सोच कर राकेश की हालत खराब हो रही थी यहां तक की उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो गया था,,,, राकेश खुद इस मनोस्थिति से बाहर नहीं निकल पा रहा था,,,, जब कभी भी वह करवट लेकर सोने की तैयारी करता तो उसकी आंखों के सामने उस औरत की नंगी गांड नाचने लगती थी और उसकी नींद उड़ जाती थी,,,,,,।

लाख कोशिशें के बावजूद भी जब उसका ध्यान उस दृश्य से नहीं जाता तो मजबूरन उसे अपने बिस्तर से उठ जाना पड़ा,,,, उठकर वह चालाक आदमी करने लगा खिड़की खुली हुई थी और खिड़की से शीतल हवा कमरे को ठंडक दे रही थी खिड़की में सेवा बाहर की तरफ देखा तो रोड पूरी तरह से सुनसान नजर आ रहा था इसलिए लैंप में सड़क पीले रंग की नजर आ रही थी और पूरी तरह से सुनसान दिखाई दे रही थी,,, मुख्य सड़क होने के बावजूद भी रात के 2:00 बजे सड़क हमेशा सुनसान हो जाती थी इसका कारण यह भी था कि इससे बगल में तकरीबन आधे किलोमीटर दूरी पर ही मुख्य हाइवे गुजरा था और बड़ी गाड़ियां वहीं से आवागमन करती थी,,,। राकेश खिड़की के करीब खड़े होकर सुनसान सड़क की तरफ ही देख रहा था,,, दूर-दूर की बिल्डिंगों में भी नाइट लैंप जल रहा था,,, बिल्डिंगों में नाइट लैंप जलते हुए देख कर आना ऐसे उसके मन में ख्याल आ गया,,,की बिल्डिंग में रहने वाले बहुत से जोड़े इस समय जाग कर चुदाई का खेल खेल रहे होंगे एक दूसरे के अंगों से खेल रहे होंगे औरत अपने दोनों टांगें खोलो मर्द के लंड को अपनी बुर में ले रही होगी,, और मर्द औरत की बुर की गहराई नापते हुए धक्के पर धक्का लगा रहा होगा,,,, कितना मजा आ रहा होगा उन लोगों को जिसके पास जुगाड़ है,,,।

जुगाड़ वाला खेल मन में आते ही वह मन में सोचने लगा कि उसके पास भी तो जुगाड़ हो सकता है उसके पिताजी उसकी शादी करवाना चाहते हैं और शादी के बाद उसके पास भी खूबसूरत औरत होगी जो खुशी-खुशी उसे अपना सब कुछ दे देगी और वह भी हर रात उसकी दोनों टांगें खोलकर उसकी बुर में अपना लंड डाल देगा,,,, कितना मजा आएगा,,, एक ख्याल अपने मन में आते ही वह फिर से सच में पड़ गया उसे ख्याल आया कि उसने तो अपने पिताजी को शादी के लिए इंकार कर दिया है अभी शादी करने का उसका कोई इरादा ही नहीं है,,, लेकिन उसके पिताजी ने अभी तक उसकी शादी करने का मन में ठान लिए है,,, अभी राकेश यह सब सोच ही रहा था कि रेस्टोरेंट वाली लड़की का ख्याल उसके मन में आ गया जो उससे टकराई थी,,, कितनी खूबसूरत थी कितनी मासूम रहती है उसके चेहरे में,,,, अगर उस लड़की से शादी करना होगा तो वह तुरंत हां कर देगा,,, लेकिन वह मिलेगी कहां,,,,।

दोबारा उस लड़की से तो मुलाकात भी नहीं हुई,,, उसे लड़की को लेकर राकेश बहुत सी बातों को सोच रहा था वह अपने मन में ही सोच रहा था कि अगर वह लड़की उसके जीवन में आ जाए तो कितना मजा है लेकिन वह कौन है कहां रहती है उसका नाम क्या है कुछ तो मालूम नहीं है और मुलाकात भी उसके साथ एक ही बार हुआ है और अगर उस लड़की को अपने पिताजी से मिला भी देंगे तो क्या उसके पिताजी उसके साथ शादी करने के लिए तैयार होंगे,,, कहां की है कौन है कुछ तो पता नहीं है मुझे लेकिन अगर फिर भी वह लड़की मुझे मिल जाती है और शादी करने के लिए तैयार हो जाती है तो पिताजी को मनाने में कोई ज्यादा दिक्कत नहीं है पिताजी की खुशी तो मेरी ही खुशी में है वह तैयार हो जाएंगे और वैसे भी उसे लड़की में कोई कमी नहीं है,,,, आप कहां ढूंढु उस लड़की को इस शहर में एक ही बार तो टकराई है और वह औरत,,,, ना चाहते हुए भी दो-दो बार टकरा गई और दूसरी बार खुद के अपने घर में,,,,।

उसे लड़की के बारे में सोते हुए राकेश का ध्यान कुछ देर के लिए अपनी उत्तेजना पर से हट गया था जिसके चलते हैं उसका लंड धीरे-धीरे सुषुप्त हो रहा था लेकिन जैसे ही उस औरत के बारे में ख्याल आया तो एक बार फिर से उसका लंड बगावत करने पर उतर आया,,, अपने मन में सोचने लगा की पहली बार कपड़े की दुकान में दूसरी बार खुद के अपने घर में उसे औरत को देख चुका है उसके घर में उसके देखे जाने का मतलब है कि वह मेहमान थी उसे पिताजी ने ही बुलाया था वह पिताजी के जान पहचान की ही होगी उसका परिवार पिताजी को जानता होगा,,,, यह सब सोचते हुए राकेश उस औरत के बारे में जानना चाहता था आखिरकार वह औरत है कौन जो उसके सामने दो-दो बार आ चुकी थी और वह भी अर्धनग्नअवस्था में,,, लेकिन इस बारे में वहां अपने पिताजी से भी नहीं पूछ सकता था,,, पुछता भी तो कैसे पूछता उसका नाम पता तो उसे मालूम भी नहीं था,,,,।

यह सब सोच कर राकेश परेशान हुआ जा रहा था,, खिड़की में से आ रही ठंडी हवा भी उसके माथे के पसीने को नहीं मिटा पा रही थी,,, राकेश इस बात से हैरान था कि उसकी आंखों के सामने दो दो औरत नजर आई लेकिन उन दोनों के बारे में वह कुछ भी नहीं जानता पहली तो बला की खूबसूरत जैसी दिखाई देती थी और दूसरी कामरूप धारण की हुई काम देवी जो अपनी मादक अदा से किसी का भी लंड खड़ा करने में सक्षम थी,,, लेकिन दोनों में से किसी का भी ना तो नाम मालूम था ना ही पता मालूम था,,, लेकिन इस दौरान उसका लंड फिर से खड़ा हो चुका था वह मजबूर हो चुका था विवस हो चुका था अपने हाथ से हिलाने के लिए,,,, वह इस तरह की हरकत पहने कभी नहीं करता था लेकिन उसे औरत ने मजबूर कर दिया था उसके दिलों दिमाग पर पूरी तरह से उसके जवानी का नशा छा चुका था,,,।

नतीजन वह अपने कमरे में ही बनी बाथरूम में गया जी बाथरूम में वह औरत कुछ घंटे पहले पेशाब कर रही थी जिसके मुत की गंध अभी भी बाथरुम में से आ रही थी,,, लेकिन उसे मूत्र के गंध से परेशान ना होकर वह और भी ज्यादा अपने अंदर उत्तेजना कम करने लगा उसे ऐसा लग रहा था कि उसकी आंखों के सामने अभी भी वह औरत बैठकर पेशाब कर रही है और वह यह सोचते सोचते अपने पजामे को घुटनों तक सरकाया और अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाना शुरू कर दिया अपनी आंखों को बंद कर दिया,,,, वह कल्पना करने लगा कि उसकी आंखों के सामने वही औरत साड़ी कमर तक उठाए हुए पेशाब कर रही है और उसकी नंगी गांड को देखकर वह मुठ मार रहा है,,,,।

उसकी कल्पना इतनी गजब की थी कि वह आंखों को बंद करके एहसास कर रहा था कि वह औरत साड़ी को कमर टकड़े हुए ही इस तरह से उठकर खड़ी हो गई और अपनी बड़ी-बड़ी गांड को उसके सामने परोस दी,, और फिर खुद ही अपना हाथ पीछे की तरफ ले जाकर उसके लंड को पकड़ कर उसे अपने गुलाबी छेद पर लगाने लगी,,, और फिर देखते ही देखते राकेश का लंड उसकी बुर की गहराई नापने लगा और अपनी कमर आगे पीछे करके धक्का पर धक्का लगना शुरू कर दिया वह उसे औरत को चोदना शुरू कर दिया,,,, मुठ मारते हुए राकेश अद्भुत कल्पना का आनंद ले रहा था,,,, और फिर थोड़ी ही देर में उसका लावा फूट पड़ा,,,।

दूसरी तरफ चार-पांच दिन गुजर गए थे लेकिन सेठ मनोहर लाल की तरफ से रूपलाल को किसी भी प्रकार का संदेश प्राप्त नहीं हुआ था ,, जिसके चलते रूप लाल की बीवी चिंतित हो गई थी,,,,।

मुझे तो लगता है कि आपने आरती के बारे में सेठ मनोहर लाल से बात ही नहीं किए हो,,,।

कैसी बातें कर रही हो भगवान पूरी पार्टी के दौरान मनोहर लाल के ईर्द गिर्द गर्द तो घूम रहा था,,,।

घूमने में और बात करने में फर्क है मैं तुमसे बोली थी की बात कर लेना कहीं ऐसा तो नहीं किसी से मनोहर लाल को कोई और लड़की पसंद आ गई हो,,,।

ऐसा हो भी सकता है भगवान देख नहीं रही थी वहां सभी लोग अपनी अपनी लड़कियां लेकर आए थे,,, हम ही थोड़ी हैं दूसरे भी लाइन लगाए बैठे हैं,,,

इसीलिए तो कह रही हूं कुछ करो शेठ मनोहर लाल से बातचीत करो वरना ऐसा मौका हाथ से निकल गया तो पछताना पड़ेगा,,,,।

तुम चिंता मत करो मैं जल्द ही मनोहर से बात करता हूं,,,।
Sexy Story.
 

Premkumar65

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सेठ मनोहर लाल बहुत खुश नजर आ रहे थे और खुशी की बात ही थी क्योंकि उनका बेटा इंजीनियर बनकर घर लौट रहा था और अभी अगले सप्ताह,,,, सेठ मनोहर लाल की खुशी समा नहीं रही थी,,, जो भी परिचित उनसे मिलता था सबसे अपनी खुशी जाहिर कर रहे थे,,, और वह लोग भी शेठ मनोहर लाल की खुशी में खुश हो रहे थे,,,, और इसी खुशी में मैं सेट मनोहर लाल पार्टी देना चाहते थे जिसमें शहर के माने जाने लोगों को आमंत्रित करना चाहते थे,,,, और उनके मन में अपने बेटे के विवाह के बारे में भी ख्याल उमड़ रहा था वह अपनी मन में यही सोच रहे थे कि इस बार वह अपनी बेटी को कहीं नहीं जाने देंगे अच्छी लड़की से विवाह करके वह राकेश को अपने खानदानी व्यवसाय में लगा देना चाहते थे ऐसा करने से वह अपने बेटे के करीब भी रहने का बहाना ढूंढ रहे थे,,,।

वैसे भी राकेश के सिवा इस दुनिया में उनका और कोई नहीं था और उसे बेटे से भी वह परसों पढ़ाई की वजह से दूर ही रहते थे लेकिन जब उनके बेटे ने इंजीनियरिंग का कोर्स पूरा कर लिया तब उनके मन में यही ख्याल रहा था कि अब बस बहुत हो गया अब वह अपनी बाकी की जिंदगी अपने बेटे अपने बहू और अपने पोते पोतियो के साथ गुजारना चाहते थे इसीलिए वह और भी ज्यादा खुश थे क्योंकि वह अच्छी तरह से जाते थे कि उनका बेटा उनकी बात मानने से कभी भी इनकार नहीं करता था,,,, और उन्हें पूरी उम्मीद थी कि उनका बेटा उनकी बात जरूर मानेगा,,,,।

मनोहर लाल खुद ही मेहमानों की लिस्ट बनाने लगे और कार्ड छपवाकर पूरे शहर में जो भी जाने-माने लोग थे जो भी उनके पहचान के थे जो भी उनके बड़े और पुराने ग्राहक थे सभी को पार्टी के लिए आमंत्रण भेज दिया,,,, और एक आमंत्रण कार्ड सेट मनोहर लाल ने अपनी परम मित्र रूप लाल के घर भी भिजवा दिया था,,,,।

रूपलाल कुर्सी पर बैठकर समाचार पत्रिका पढ़ रहे थे कि तभी उनकी नजर टेबल पर पड़े कार्ड पर पड़ी तो उन्होंने समाचार पत्रिका को एक तरफ रखकर उसे आमंत्रण कार्ड को अपने हाथ में ले लिया और नाम पढ़ते ही उनके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी उन्हें मुस्कुराता हुआ देखकर उनकी धर्मपत्नी,,, नैना देवी बोल पड़ी,,,।

क्या बात है जी बहुत मुस्कुरा रहे हैं,,,।

मुस्कुरा ही रहा हूं खुश हो रहा हूं,,,,,

ऐसी कौन सी बात है जो खुश हो रहे हैं,,,,(चाय का कप लेकर नैना देवी भी ठीक अपने पति के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई,,,, वैसे नैना देवी इस उम्र में भी बाला की खूबसूरत लगती थी लंबी कट काटी और भरे बदन की होने की वजह से उनकी खूबसूरती में चार चांद लग जाता था लंबे घने बाल गोल चेहरा आंखें बड़ी-बड़ी लाल-लाल होठ,, हल्का सा पेट निकला हुआ जो कि उनकी खूबसूरती में और भी ज्यादा इजाफा कर देता था बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज में ठीक से समा भी नहीं पाती थी,,, नितंबों का गोलाकार उभार इस उम्र में भी मर्दों के आकर्षण का केंद्र बिंदु बना हुआ था वैसे भी कई हुई साड़ी में नैना देवी की गांड और भी ज्यादा खूबसूरत नजर आती थी,,,, रूपलाल अपनी बीवी से बहुत प्यार करते थे लेकिन उम्र का तक आज इस तरह हावी हो गया था की चाह कर भी अपनी बीवी को शरीर सुख नहीं दे सकते थे और वैसे भी कभी-कभार कोशिश करने पर,,,, उनके कट्टे से गोली निकलने से पहले ही दग जाती थी,,, जिससे नैना देवी गुस्सा कर दूसरी तरफ मुंह करके सो जाती थी और इससे ज्यादा वह कुछ कर भी नहीं सकती थी क्योंकि संस्कारों में जो बंधी हुई थी,,,, लेकिन फिर भी यह गुस्सा भी केवल इस पल के लिए होता था और अगले पल सब कुछ ठीक हो जाता था इसीलिए रूप लाल भी अपनी बीवी की तरफ से निश्चिंत थे वरना भाभी दूसरे मर्दों की तरह अपनी बीवी के लिए फिक्र करते रहते क्योंकि वह दुनिया की रीति रिवाज से अच्छी तरह से वाकिफ थे वह जानते थे कि जो मर्द औरत को अपने नीचे सुख और खुशी नहीं दे पता चल नहीं ऐसी औरत दूसरे मर्दों के नीचे आ जाती है लेकिन इस बात से वह पूरी तरह से निश्चित हो गए थे,,,,,)

मेरा दोस्त है ना मनोहर लाल,,,,।

अच्छा अच्छा वह मिठाई वाले भाई साहब,,,,

हां वही उनका लड़का इंजीनियर बनकर अगले सप्ताह घर लौट रहा है और उसकी खुशी में उन्होंने घर में पार्टी दिए हैं जिसमें हम सभी को आमंत्रित किए हुए हैं,,,।

अच्छा तो यह कार्ड उसी के लिए है,,,,

हां,,,, तुम तो जानती ही हो उनके एक ही लड़का है राकेश अरे उसे बचपन में हम दोनों ने खिलाया भी तो है अपनी आरती के साथ तो खेलता था,,,,।
(अपने पति के मुंह से इतना सुनते ही नैना देवी की आंखों में चमक नजर आने लगी,,, और वह एकदम से उत्साहित होते हुए बोली,,,,)

अच्छा वही राकेश,,,,,

हां वही अगले सप्ताह घर लौट रहा है इंजीनियर बनकर,,,,

तुम्हारी बात सुनकर तो मेरे अरमानों को पंख लगने लगे,,,

अरमानों को पंख में कुछ समझ नहीं,,,,(आश्चर्य से अपनी बीवी की तरफ देखते हुए रूपलाल बोले)

जवान बेटी के बाप हो गए हो लेकिन इतना भी नहीं समझते,,,,

अरे भाग्यवान तुम क्या कहना चाहती हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,।

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तुम तो सच में एकदम कभी-कभी बुद्धू हो नजर आते हो,,,, गांव गए थे आरती के लिए लड़का ढूंढने मिला क्या,,,,।

नहीं बात बनी नहीं,,,,

तो क्यों ना आरती के लिए,,,,, राकेश,,,
(इतना सुनते ही रूपलाल,,, अपनी बीवी की बात को बीच में काटते हुए बोले,,,)

नहीं नहीं ऐसा कैसे हो सकता है हैसियत में मनोहर के आगे हम लोग कुछ भी नहीं है भले ही हमारा खुद का बिजनेस है,,,, लेकिन हमारा और उनका मुकाबला नामुमकिन है,,,,।

अरे वह तो तुम्हारे दोस्त है ना दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाएगी,,,,

नहीं यार नैना मेरे रिश्ते के बारे में बात भी नहीं कर सकता कहीं मनोहर गलत समझ गया तो उसे ऐसा लगेगा कि कारोबार देखकर दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने चला है नहीं नहीं मुझसे ऐसा नहीं होगा,,,,।

किसी बातें कर रहे हो हमारी बेटी एकदम परी की तरह खूबसूरत है उसे तो देखते ही कोई भी पसंद कर देगा,,,

हां यह हो सकता है अगर मनोहर अपनी आरती को पसंद कर ले तो बात बन सकती है बाकी मैं आगे से चलकर उसे रिश्ते की बात करूं तो यह नहीं हो सकता दोस्ती में दरार आ सकती है,,,,।

चलो कोई बात नहीं मैं तुम्हारी बात से सहमत हूं लेकिन पार्टी में आरती को भी लेकर चलेंगे अगर भगवान जाएंगे तो मनोहर लाल अपनी आरती को जरूर अपनी बहू के रूप में देखना पसंद करेंगे और मुझे तो पूरा यकीन है की आरती मनोहर के घर की बहू बनेगी और अगर ऐसा हो गया तो हम दोनों गंगा नहा लेंगे,,,,।

तुम्हारी बात ठीकहै,,, अगर सब कुछ सही हुआ तो ऐसा रिश्तेदार ढूंढने से भी नहीं मिलेगा अपनी बेटी तो उनके घर में राज करेगी तुम ठीक रहती हो पार्टी में हम आरती को भी लेकर चलेंगे,,,,
(रूपलाल का इतना कहना था कि,,, उनकी बेटी आरती हाथ में किताब के उन दोनों के पास आए,,,)

नमस्ते पापा,,, नमस्ते मम्मी,,,(अपनी मम्मी पापा के पैर छूकर नमस्ते करते हुए आरती बोली अपनी बेटी के इस व्यवहार पर रूप लाल और उनकी बीवी दोनों करके हो जाते थे रूपलाल अपनी बेटी को आशीर्वाद देते हुए बोले,,,,)

खुश रहो बेटी तुम्हारी यही आदत तुम्हारे ससुराल जाने के बाद हम दोनों को बहुत तडपाएगी,,, ऐसे माहौल में तुम्हारी जैसी संस्कारी बेटी पानी बहुत किस्मत की बात है और हम दोनों बहुत किस्मत वाले हैं जो तुम मेरे घर पर जन्म ली हो,,,,

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पापा ऐसी बात है तो मैं शादी नहीं करूंगी मैं जिंदगी भर तुम दोनों के साथ रहूंगी और वैसे भी मैं तुम दोनों को छोड़कर कहीं भी जाने नहीं देना चाहती,,,,।

अरे पगली मां बाप का बस चले तो भला अपनी फूल जैसी बच्ची को दूसरों के घर क्यों भेजे लेकिन दुनिया का यही रीति रिवाज है की बेटी को दूसरों के घर ही जाना पड़ता है,,,,

मैं दूसरों के घर नहीं जाऊं की बल्कि मेरी शादी किसके साथ होगी मैं उसे अपने घर पर लाऊंगी,,,

अच्छा घर जमाई बनकर,,, ताकि शादी के बाद भी मुझे तुम दोनों की सेवा करना पड़े,,,।

मम्मी,,,,,(इठलाते हुए आरती अपनी मां के गले लग गई और नैना देवी उसके सर पर हाथ रखकर सहलाने लगी जैसी मां थी वैसी बेटी थी जिस तरह की खूबसूरती से कुदरत ने नैना देवी को नवाजा था उसी तरह की खूबसूरती उनकी बेटी आरती को भी झोली भर भर कर दिया था,,,, आरती भी अपनी मां की तरह ही लंबी कट काटी थी और गोराई में तो वह अपनी मां से एक कदम बढ़कर थी,,, वह इतनी गोरी थी कि हल्के से अगर उसके बदन पर चिकोटी भी काट लो तो टमाटर की तरह लाल हो जाती थी,,,,, नैना देवी की तरह ही गोल चेहरा तीखे नेन नक्श,,,, उसके भी थे,,,। पूरी तरह से जवान हो‌ चुकी आरती की चूचियां कश्मीरी से की तरह एकदम गोल-गोल थी जो की उसके कुर्ती में से उसका उभार एकदम साफ नजर आता था और उसकी छाती का उभार उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देता था,,, पतली सी कमनीय‌ काया के निचले भाग में उसके उभरे हुए नितंबों का जोड़ मिलना बहुत मुश्किल था वह बहुत ही खूबसूरत थी लिए हुए उभरा हुआ नजर आता था और उसकी सलवार में तो ऐसा लगता था कि जैसे तूफान उमड़ रहा हो मर्दों की नजर हमेशा उसके नितंबों पर टिकी हुई रहती थी क्योंकि ना तो ज्यादा बड़ी थी और ना ही ज्यादा छोटी,,, एकदम सीमित रूप से सुगठित आकार में थी इसीलिए तो आरती के नितंब और उसकी चूचियां उसकी खूबसूरती के केंद्र बिंदु बने हुए थे,,,,,,,)

कॉलेज जा रही है,,,, लंच बॉक्स ली कि नहीं,,,

ले ली हूं मम्मी और दही भी ले ली हूं,,,

ठीक है,,, सही समय पर खा लेना,,,,

जी मम्मी,,,, बाय मम्मी बाय पापा,,,
(इतना कहते हुए आरती अपने कॉलेज के बैग को अपने कंधों में डालकर मुस्कुराते हुए घर का मुख्य गेट को अपने हाथों से खोलकर सड़क पर आ गई ,, और कुछ देर पैदल चलने के बाद,,,, एक चौराहे पर आकर रुक गई क्योंकि यहां पर उसकी सहेली आई थी और दोनों साथ मिलकर जाते थे 5 मिनट जैसा इंतजार करने के बाद उसकी सहेली भी उसे चौराहे पर आ गई और दोनों साथ में मिलकर कोलेज जाने लगे,,,।)
mast mast hain Maa beti.
 
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Eternallover012

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दोस्तों मैं आप सब लोगों के सामने एक नई कहानी लेकर पेश हुआ हूं वैसे तो मेरी तीन कहानियां अभी भी चल रही है जिनमें से एक कहानी का जल्द ही अंत होने वाला है बहुत से लोगों ने मुझे प्राइवेट मैसेज करके एडल्ट कहानी भी लिखने के लिए प्रस्ताव किया है,,,। मैं भी सोचा कि कुछ अलग कहानी लिखते हैं,,,,ससुर और बहू और दुसरे रिश्तो पर ,,, तो मैं भी यह कहानी लिखना शुरू कया हूं,,, और बहुत ही जल्दी इस कहानीका भी अपडेट शुरू हो जएगा। तो आशा करता हूं कि आप लोग इस कहानी को भी पसंद करेंगे और अपने कमेंट के जरिए हौसला बढ़ाएंगे ताकि इस कहानी को भी बेहतर लिख सकु,,,।

1, सेठ मनोहर लाल
2, राकेश,,(मनोहरलाल का लड़का)
3,रुपलाल,,(मनोहरलाल का मित्र)
4,,आरती,,,(रूपलाल की लड़की)
5,, रमा देवी,,,(मनोहर लाल की बीवी)
बहुत अच्छा किया आप ने
 

Premkumar65

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आखिरकार सेठ मनोहर लाल का एकलौता पुत्र राकेश अपनी पढ़ाई खत्म करके और इंजीनियर की डिग्री लेकर घर लौट रहा था।उसे लेने के लिए खुद मनोहर लाल अपने ड्राइवर के साथ रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए थे ।मनोहर लाल का उनके साथ था वह पहली बार अपने मालिक को मुझे भाभी खुश हो रहा था अपने मालिक से बोला।

सेठ जी मैं पहली बार आपको खुश होता हुआ देख रहा हूं ।

क्या करूं मोहन दिन ही कुछ ऐसा है ।शायद तुम नहीं जानते मोहन बेटे से मिलने के लिए बाप कितना तड़पता है... और ऐसे हालात में उसकी तड़प और बढ़ जाती है जब उसके परिवार में उसके बेटे के सिवा और कोई ना हो...

मैं समझ सकता हूं मालिक आपके मन पर क्या गुजरती हैं... क्योंकि मैं आपको कईं बार उदास बैठा हुआ देखता हूं मेरा दिल खुद तड़प उठता है... सच कहूं तो मालिक आज आपको खुश देखकर मैं भी बहुत खुश हूं और छोटे मालिक आ रहे हैं यह बात जानते ही मेरे मन में कितनी खुशी हो रही है शायद मैं बात नहीं सकता क्योंकि हवेली की खुशियां जो लौटने वाली है.... मैं तो कहता हूं मालिक का विवाह करके उन्हें बंधन में बांध ं दीजिए ताकि वह आपको और घर छोड़कर कभी न जाए...

तुम ठीक कह रहे हो मोहन मैं भी यही सोच रहा हूं कोई अच्छी सी लड़की देख कर राकेश का विवाह कर दु,,, ( सेठ मनोहर लाल का इतना कहना था कि रेलवे स्टेशन पर अनाउंस होने लगा कि ट्रेन आने वाली है और इतना सुनकर मनोहर लाल का दिल जोरो से धड़कने लगा और थोड़ी ही देर में ट्रेन रेलवे प्लेटफार्म पर आ गई... राकेश अपने पिताजी को देखकर बहुत खुश हुआ और आगे बढ़कर अपने पिता के पेर को छूकर आशीर्वाद लिया और गाड़ी में बैठकर घर पर आ गया...

अपने बेटे के आने की खुशी में सेठ मनोहर लाल पूरे घर को दुल्हन की तरह सजवा दिए थे... यह देखकर राकेश हैरान होता हुआ बोला...

क्या बात है पिताजी घर दुल्हन की तरह क्यों सजा हुआ है...

तेरे आने की खुशी में बेटा...( गाड़ी में से उतरते हुए शेठ मनोहर लाल जी बोले,,)

मेरे आने की खुशी में...( थोड़ा हैरान होते हुए राकेश बोल तो इस बार उसके पिताजी की जगह उनका ड्राइवर बीच में बोल पड़ा..)


जी छोटे मालिक तुम्हारे आने की खुशी में बड़े मालिक ने पूरे घर को दुल्हन की तरह सजवा दिया है तुम नहीं जानते छोटे मालिक की बड़े मालिक कितना खुश है.... वह तो तुम्हारे आने की खुशी में घर में पार्टी भी दिए हैं...,( इतना सुनते ही रहते थे हैरान होता हुआ अपने पिताजी की देखने लगा और मनोहर लाल राकेश की तरफ देखकर मुस्कुरा रहे थे... अपने पिताजी की खुशी और अपने लिए उनके दिल में इतना प्यार देखकर राकेश बहुत खुश हुआ और जाकर अपने गले से लगा लिया,,,,

थोड़ी ही देर में दोनों डिनर टेबल पर भोजन कर रहे थे मनोहर लाल बहुत खुश थे राकेश भी बहुत खुश था क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी उसके आने की खुशी में उसके पिताजी घर में पार्टी देंगे और पूरे घर को सजा कर रखेंगे वह खाना खाते हुए बोला..

इन सब की क्या जरूरत थी पिताजी आखिरकार में आ तो गया हूं...

तू आ गया है बेटा इसलिए तो यह सब कर रहा हूं तू नहीं जानता कि मैं कितना खुश हूं एक बाप को इससे ज्यादा और क्या चाहिए जब उसका बेटा उसके साथ हो... तेरे आने की खुशी में शहर के बड़े-बड़े लोगों को इनवाइट किया है....

पार्टी कब है पिताजी,,,,!( मुंह में निवाला डालते हुए राकेश बोला)


बस इसी रविवार को...

क्या कह रहे हैं पिताजी इतनी जल्दी रविवार को इतने कम समय में इंतजाम कैसे हो पाएगा...( हैरान होता हुआ राकेश बोला और वैसे भी राकेश का हैरान होना लाजिमी था क्योंकि दो दिन रह गए थे रविवार को और ऐसे में इतनी बड़ी पार्टी देना इतने कम समय में संभव नहीं था लेकिन राकेश की बात सुनकर मुस्कुराते हुए मनोहर लाल बोले)


सारा इंतजाम हो गया है तुझे टेंशन लेने की जरूरत नहीं है जिस दिन तेरा खत मिला था उसी दिन से मैं सारी तैयारी कर चुका था...
( इतना सुनते ही राकेश एकदम खुश हो गया और एकदम खुश होता हुआ बोला ....)

पिताजी आप कितने अच्छे हैं मैं कितना भाग्यशाली हूं कि मुझे तुम्हारे घर बेटे के रूप में जन्म लेने का मौका मिला....

( अपने बेटे की बात सुनते ही सेठ मनोहर लाल को अपनी स्वर्गवासी पत्नी याद आ गई और उनकी आँखों में आंसू आ गए लेकिन वह अपने बेटे से अपनी आंखों के आंसुओं को छुपा ले गए थे,,,,


दूसरे दिन राकेश टहलने के लिए मार्केट की तरफ निकल गया... वैसे तो उसके पास खुद की मोटरसाइकिल थी लेकिन वह पैदल ही मार्केट की तरफ निकल गया था क्योंकि बहुत दिन गुजर गए थे वह अपने शहर के मार्केट में गया नहीं था और वैसे भी मार्केट घूमने का सबसे अच्छा तरीका होता है,,, पैदल घूमना,,,,

घूमते घूमते हुए काफी थक चुका था गर्मी का समय था इसलिए उसे गर्मी भी बहुत लग रही थी इसलिए एक अच्छी सी रेस्टोरेंट पर ठंडा पीने के लिए गया,,, वह रेस्टोरेंट की सीढ़ियां चढ़ रहा था की तभी सामने से आ रही एक लड़की से वह टकरा गया उसके हाथ में किताबें और कोका कोला की बोतल थी जिसमें स्टो डालकर वह पी रही थी,,,,, उस लड़की से टकराने की वजह से... राकेश एकदम से चौंक गया था और उसे लड़की के हाथ से उसकी किताबें छोड़कर नीचे गिर गई थी और उसके हाथ में जो कोका कोला था उसमें से कोल्ड ड्रिंक निकल कर राकेश के शर्ट पर गिर गई थी,,,, लेकिन इसका ध्यान उसे बिल्कुल भी नहीं था उसे इस बात की चिंता थी कि टकराने की वजह से उसे लड़की के हाथ से किताबें नीचे गिर चुकी थी जिसे वह तुरंत नीचे झुक कर उठने लगा था और वह लड़की के नीचे झुक कर अपनी किताबों को समेटने लगी थी वह दोनों एक दूसरे को सॉरी सोरी कह रहे थे,,, लेकिन इसमें राकेश की कोई भी गलती नही थी और इस बात को वह लड़की भी जानती थी इसीलिए शर्मिदा हो कर वह उससे माफी मांग रही थी,,,, और राकेश उसे शांत्वना देते हुए बोल रहा था...

देखिए इसमें आपकी कोई गलती नहीं है नहीं थोड़ा ध्यान नहीं दिया,,,

नहीं नहीं इसमें आपकी कोई गलती नहीं है नहीं लापरवाह हो गई थी मुझे देखना चाहिए था...
( दोनों एक दूसरे की तरफ देखे बिना ही नीचे गिरी हुई किताबों को बटोर रहे थे और तभी किताबों को देते समय और लेते समय दोनों की नजरे आपस में टकराई तो दोनों एक दूसरे को ध्यान से देखने लगे राकेश तो उस लड़की को देखता ही रह गया,,,, वह उसकी आंखों की खूबसूरती में पूरी तरह से डूबने लगा था और वह लड़की भी राकेश को गौर से देख रही थी,,,, अभी वहां पर उस लड़की की सहेलियां आ गई और वह लोग चुटकी लेते हुए बोली,,,,)


एक दूसरे से माफी मांगने का प्रोग्राम खत्म हो चुका हो तो घर की तरफ चलें...
( लड़कियों की आवाज को सुनकर दोनों का ध्यान एकदम से टूटा हुआ दोनों एकदम से उठकर खड़े हो गए और राकेश ही सबसे पहल बोल पड़ा ,,)

देखिए इसमें तुम्हारी सहेली की कोई भी गलती नहीं है मै हीं लापरवाह हो चुका था मुझे देखकर चलना चाहिए था,,,,

ठीक है मिस्टर आइंदा से देख कर चलिएगा,,,( उनमें से ही एक लड़की चुटकी लेते हुए बोली)

जी जरूर ईतना कहते हुए राकेश लड़की के खूबसूरत चेहरे की तरफ ही देख रहा था और वह लड़की राकेश के इस नजरीए से शर्मा रही थी लेकिन तभी उसकी नजर राकेश की शर्ट पर पड़ी जिस पर उसके हाथ का कोका-कोला गिर गया था,,,वह एकदम से हैरान होते हुए बोली,,,

ओहह,,,, आपकी शर्ट पर तो दाग लग गया है,,,,
( उसके इतना कहते ही राकेश अपने शर्ट की तरफ देखा तो सच में उसे पर कोका-कोला गिरा हुआ था लेकिन वह बिल्कुल भी नाराजगी ना दर्शाते हुए,,, बोला,,,,)

कोई बात नही दाग ही तो है धूल जाएंगे आप बिल्कुल भी चिंता ना करें,,,,.
( राकेश की दरिया दिली देखकर वह लड़की मुस्कुराने लगी और सॉरी बोलकर वहां से चलने लगी लेकिन बार-बार पलट कर वह राकेश की तरफ देख रही थी राकेश भी उसी को ही देख रहा था यह देखकर उसकी सहेली चुटकी लेते हुए बोली,,,)

क्या बात है,,, कहीं पहली नजर का प्यार तो नहीं हो क्या मेरी लाडो रानी को...

धत्,,,, कैसी बाते करती है... मेरी ही गलती थी मैं ही उससे टकरा गई और वह तो अच्छा हो उसे इंसान का कि मुझे कुछ बोला नहीं और खुद ही सॉरी बोल रहा है...

तेरी खूबसूरती देखकर सॉरी बोल रहा होगा...

धात कुछ भी बोलती रहती है....
( इतना कहकर वह लोग वहां से चले गए लेकिन राकेश उसे लड़की को तब तक देखता रहे क्या जब तक कि वह लड़की उसकी निगाहों से ओझल नहीं हो गई,,,,,


रात के 11:00 बज रहे थे नैना देवी अपने सारे काम निपटाकर,,, आरती के कमरे में जाकर उसे दूध का गिलास देकर अपने कमरे में आ गई,,,, यह देख करवा खुश हुई कि उसका पति रुप लाल अभी भी जाग रहा था और किताब पढ़ रहा था वह जल्दी से कमरे को बंद कर दी और अपने बदन से
कपड़े उतारना शुरू कर दी... यह देखकर रूपलाल हाथ में ली हुई किताब को टेबल पर रख दिया... और अपनी बीवी की काम रूप को देखने लगा,,, नैना एकदम मस्त होकर अपने बदन से कपड़े उतारना शुरू कर दी थी अपनी साड़ी को उतार कर वहां नीचे जमीन पर फेंक दी थी और अपने पति के सामने वह केवल पेटिकोट और ब्लाउज में थी,,,, मोटी मोटी पपैया जैसी चुचीया.. ब्लाउज में ठीक तरह से समा नहीं पा रही थी.... देवी का पेट थोड़ा निकला हुआ था लेकिन उसके बदन की कद काठी उसकी लंबाई के हिसाब से उसका निकला हुआ पेट छिप जाता था और उसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जाती थी,,,, नैना देवी काफी उत्तेजित नजर आ रही थी उसके चेहरे का रंग सुर्ख गुलाबी हो चुका था और वह अपने ब्लाउज के बटन खोलते हुए अपने पति की तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी और बोल रही थी...
( अच्छा हुआ तुम जाग रहे हो वरना आज भी सो जाते तो मेरे अरमानों पर पानी फीर जाता,,,,)
Naina

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तुम्हारा यह रूप देखकर भला किसको नींद आएगी..( इतना कहते हुए रूप लाल भी अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया और दूसरी तरफ उसकी बीवी नैना अपने ब्लाउस उतार कर उसे भी जमीन पर फेंक दी थी और अपने पेटिकोट की डोरी खींचकर पेटीकोट को एक झटके में अपने कदमों में गिर चुकी थी और इस समय वह अपने पति की आंखों के सामने केवल ब्रा और पेटी में खड़ी थी,,,, वाकई में इस रूप में और उम्र के इस पड़ाव में भी बला की खूबसूरत लग रही थी.... वह सिर्फ ब्रा और पेंटिं मैं बिस्तर की तरफ आगे पड़ी और बिस्तर के करीब पहुंचते ही अपना पैर उठाकर घुटनों के परिवार बिस्तर चढ़ गई और देखते ही देखते हैं वह अपने पति के पैरो के बीच में आ चुकी थी... अपने अंडरवियर को खुद रूप लाल अपने हाथों से उतर कर एकदम नंगा हो गया तो नंगा होने के बाद उसका लंड अभी भी पूरी तरह से तैयार नहीं था जिसे अपने हाथों में लेकर उसकी बीवी इधर-उधर हिला कर सीधे अपने मुँह में भर ली और उसे चुस कर तैयार करने लगी.... थोड़ी बहुत मेहनत के बाद रूपलाल का लंड उसकी बीवी नैना के मुंह में बड़ा होने लगा,,, और यह एहसास होते ही नैना अपने पति के दोनों टांगों के बीच से निकाल कर वहां पीठ के बल लेट गई लेकिन लेटने से पहले वह अपने हाथों से ही अपने ब्रा का हो खोलकर अपनी ब्रा को अपने बदन से अलग कर चुकी थी जिसकी वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम से लहराने लगी थी जिसे देख रूपलाल के मुंह में पानी आने लगा था... रूपलाल से रहा नहीं गया और वह अपनी बीवी की दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर दबाना शुरू कर दिया,,,,, लेकिन उसकी बीवी उसे रोकते हुए बोली...

बस रहने दीजिए आग तो मेरी बुर में लगी हुई है जल्दी से इसकी आग बुझाईए वरना कहीं,,, आपकी टंकी खाली हो गई तो मेरी आग बुझ नहीं पाएगी...

चिंता मत करो मेरी जान आज तो मैं पूरा तैयार हो गया हूं...( और इतना कहने के साथ अपने हाथों से अपनी बीवी की पैंटी उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया औप उसके दोनों टांगों के बीच जाकर जगह बनाकर अपने लंड उसकी बुर से सटाकर एक जोरदार से धक्का मारा और उसका पूरा लंड उसकी बीवी की बुर में समा गया.... उसके बीवी के मुंह से हल्की सी आहह निकली और रूप लाल अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,,.

आराम से धीरे-धीरे वरना एकदम गरम हो जाओगे तो निकल जाएगा...

कुछ नहीं होगा मेरी जान...( इतना कहकर रूप लाल अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया लेकिन बड़ी तेजी से कमर हिला रहा था मजा तो नैना देवी को बहुत आ रहा था लेकिन वह आने वाले पल के बारे में सोच कर घबरा भी रही थी.... थोड़ी ही देर में रूपलाल पसीने से तरबतर हो गया और एकदम से ढह गया,,,, वह झड़ चुका था नैना को संतुष्ट किए बिना ही उसका पानी निकल चुका था इसी बात का डर नैना को था इसीलिए वह उस से धीरे-धीरे करने को कह रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका पति में एकदम से पानी छोड़ देता है और उसे प्यासी तड़पने के लिए छोड़कर सो जाता है जिसका डर था वही आज भी हुआ था....

नैना एकदम क्रोधित हो गई थी लेकिन वह कुछ कर सकते की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी रूपलाल अपनी बीवी के ऊपर से उठा और बगल में एकदम से लेट गया...

मेरी तो किस्मत ही फुट गई है तुमसे शादी करके,,,,( छत की तरफ देखते हुए नैना बोली तो रूपलाल धीरे से बोला,,,,)


इस उम्र में तुम्हें भी इन सब चीजों की चाह छोड़ देनी चाहिए.....( रूपलाल जानबूझकर उम्र का लिहाजा करने का बहाना बनाकर इन सब चीजों से हाथ छुड़ाना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि इस उम्र में वह अपनी बीवी को खुश नहीं कर पा रहा था,,,,, अपने पति की यह बात सुनकर वह एकदम गुस्से में बोली...)

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ऐसा क्यों क्या मेरा मन नहीं करता मेरा मन बहुत करता है तुम बूढ़े हो चुके हो मैं नहीं मेरे बदन में अभी भी जवानी बरकरार है बस तुमसे ही मेरी जवानी की प्यास बुझती नहीं है तुम मेरी जवानी की प्यास बुझा पाने में समर्थ नहीं हो.... सबसे बेकार हो तुम अपने पड़ोस की निर्मला को देख लो इस उम्र में भी उसका पति रात भर सोने नहीं देता,,,, बहू पोते नाते वाली हो गई है... लेकिन फिर भी रोज चुदवाती है रोज उसका पति उसे खुश करता है और एक तुम हो तुमसे कुछ भी नहीं होता....
( उसका इतना कहना था कि रूपलाल करवट बदलकर चादर तानकर दूसरी तरफ मुंह फेर लिया क्योंकि वह जानता था कि जो कुछ भी उसकी बीवी का रही है वह सच है इस उम्र में वह अपनी पत्नी को खुश करने में समर्थ नहीं था जिसका उसे भी मलाल था लेकिन वह कुछ भी कर सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था,,,, नैना देवी कुछ देर तक अपनी किस्मत को कोसते हुए घर की छत की तरफ देखती रह गई और नग्न अवस्था में ही करवट लेकर सो गई...
Sexyyyy update.
 

Premkumar65

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नैना देवी भले ही एक जवान लड़की की मां हो चुकी थी और सास बनने की तैयारी में थी लेकिन अभी भी उनके अंदर जवानी पूरी तरह से बरकरार थी अभी भी उनकी बुर पानी छोड़ती थी अभी भी वह मोटे तगड़े लंड के लिए तरसती थी,,, उन्हें अपने पति पर वैसे तो बिल्कुल भी भरोसा नहीं था क्योंकि बरसों से वह देखते आ रही थी महसूस करती आ रही थी लेकिन फिर भी पूरी उम्मीद अपने पति से ही होती थी लेकिन हर बार नैना का पति असफल हो जाता था अपनी बीवी को ना उम्मीद कर देता था,,,, और वह तड़पती तरसती प्यासी बिस्तर पर करवट बदलते बदलती नींद की आगोश में चली जाती थी,,,।

दूसरी तरफ राकेश की आंखों की नींद गायब हो चुकी थी वह जिस लड़की से टकराया था बार-बार उसी का खूबसूरत चेहरा उसकी आंखों के सामने घूमने लगता था पहली बार वह किसी खूबसूरत लड़की से मिला था ऐसा उसे महसूस हो रहा था,,, अपने आप से ही बातें करते हुए कह रहा था की कितनी खूबसूरत लड़की थी मैंने आज तक किसी खूबसूरत लड़की नहीं देखा टकराने के बावजूद उसकी मदद करने के बावजूद भी मैं उसका नाम तक नहीं पूछ पाया कहां रहती है भी नहीं जान पाया सब मेरा ही दोस्त है मैं भी अगर अपने दोस्तों की तरह होता तो शायद उसे लड़की का नाम पता मालूम कर लेता लेकिन न जाने क्यों शुरू से ही मुझे लड़कियों से दूरी बनाए रखना ही पसंद है लेकिन आज न जाने क्यों उसे लड़की को देखकर मेरा दिल अभी भी जोरों से धड़क रहा है कितनी खूबसूरती उसकी आंखों में थी ऐसा लग रहा था कि,,, उसकी आंखों में डूब जाऊं,,,, एक अजीब सी आकर्षक खुशबू उसके बदन से आ रही थी जिसकी खुशबू में मैं पूरी तरह से डुब गया था काश वह लड़की मुझे फिर मिल जाती तो इस बार उसका नाम पता सब कुछ पूछ लेता,,,, लड़कियों के मामले में सबसे तेज आकाश था,,,,।

आकाश के बारे में सोचकर वह पुराने ख्यालों में डूब गया,,, उसे वह दिन अच्छी तरह से याद था,, जब हॉस्टल में दोनों साथ में पढ़ा करते थे और एक दिन हॉस्टल से बाहर निकल कर आकाश उसे घूमाने के बहाने,,, शहर से थोड़ी दूर हाईवे पर ले गया था जहां पर एक झुग्गी बनी हुई थी राकेश को तो कुछ समझ में नहीं आया कि यह शहर से दूर इतनी दूर झोपड़ी के पास क्या करने लेकर आया,,,,।

हाईवे के किनारे आकाश और राकेश दोनों ऑटो से उतारकर थोड़ा नीचे की तरफ एक झोपड़ी के पास गए,,,।

अरे यार आकाश ये कहां लेकर आ गया तू,,,

अरे चल तो सही तुझे सब कुछ बताता हूं,,,,

हॉस्टल से निकलने के बाद से ही तु इतना ही कह रहा है चल तो सही तुझे बताता हूं और इतनी दूर आ गया,,, लेकिन अभी भी बोल रहा है अभी बताता हूं,,,
(इतना कहने के साथ ही राकेश एकदम से रुक गया था तो आकाश उसका हाथ पकड़ कर आगे ले जाते हुए बोला,,,)

चल तो सही तुझे जन्नत दिखता हूं,,,,

जन्नत यहां पर पागल हो गया क्या तू,,,,

अरे यहां पर नहीं उसे झोपड़ी के अंदर है जन्नत वह देख रहा है ना झोपड़ी,,,(हाथ के इशारे से झोपड़ी की तरफ दिखाते हुए)

हां मुझे दिख रहा है लेकिन झोपड़ी में जन्नत पागल तो नहीं हो गया तु,,,


अरे बुद्धू में सच कह रहा हूं तो चल तो सही,,,,
(ऐसा कहते हुए आकाश उसका हाथ पकड़ कर जबरदस्ती झोपड़ी की तरफ ले जाने लगा चारों तरफ सुन सान था,,, चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ नजर आ रहे थे केवल दूर से हाईवे दिखाई दे रहा था और उस पर आती-जाती गाड़ियों का शोर नहीं दे रहा था ,,,, राकेश के मन में अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह आकाश उसे कहां ले जा रहा है,,, यही सब सोचते हुए दोनों झोपड़ी के पास पहुंच गए,,,,)

तू यही खडे रह में बुला कर लाता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही आकाश झोपड़ी के द्वार पर गया और वहां से आवाज लगाने लगा,,,)

शालिनी चाची,,,, ओ शालिनी चाची,,,,
(राकेश हैरान इस बात से की इतनी सुनसान जगह पर शहर से दूर आकाश की रिश्तेदार कहां इस झोपड़ी में रहने लगी,,,, वह हैरान था और उत्सुक था आकाश के रिश्तेदार को देखने के लिए,,,, थोड़ी देर में एक मोटी सी औरत बाहर निकली,,,,)

क्या है,,,,?

अरे चाची तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे पहचानती ही नहीं हो,,

अरे तू है मैं समझी कोईऔर है,,(अपनी अस्त व्यस्त साड़ी को ठीक करते हुए वह बोली,,,, यह देखकर राकेश एकदम से आगे बढ़ा और उस महिला के पैर छूकर बोला,,,)

प्रणाम चाची,,,,,
(राकेश कि इस हरकत पर वह महिला एकदम से हैरान हो गई,,, और उसे आशीर्वाद देने की जगह पीछे हट गई थी आकाश भी राकेश की हरकत पर एकदम हैरान था लेकिन थोड़ी ही देर में सब मामला उसे समझ में आ गया और दोनों जोर-जोर से हंसने लगे लेकिन वह दोनों किस लिए हंस रहे हैं यह राकेश के बिल्कुल भी परे था,,, वह आश्चर्य से दोनों की तरफ देखते हुए बोला,,,)

क्या हुआ,,,?
(राकेश के ईस सवाल पर आकाश हंसते हुए जवाब दिया,,,)

कुछ नहीं मुझे मालूम नहीं था कि तू इतना ज्यादा संस्कारी है,,,,
(राकेश को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था वह हैरान होकर आकाश की तरफ और उस औरत की तरफ देख रहा था,,, जो अभी भी राकेश को देखकर मुस्कुरा रही थी,,,, राकेश हैरान होकर दोनों की तरफ देख रहा था,,, वाकई में उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था,,, थोड़ी ही देर में आकाश उसे औरत से बोल भाव करने लगा जो कि अभी भी राकेश को समझ में नहीं आ रहा था कि वह दोनों क्या बात कर रहे हैं और थोड़ी ही देर में वह औरत बोली,,,,)

देख में पहले ही बोल देता हूं झोपड़ी में जगह नहीं है तुम दोनों में से केवल एक ही झोपड़ी में जा सकता है और दूसरे को पेड़ के पीछे जाना पड़ेगा,,,

पेड़ केपीछे,,,,(आकाश हैरान होते हुए बोला,,,)

तो क्या हो गया डरने की कोई जरूरत नहीं है यहां दूर-दूर तक कोई नहीं आता जिसे पता है वही आता है समझ गया ना,,,

ठीक है मैं समझ गया,,,, मैं झोपड़ी में अंदर जाऊंगा,,,,

तो इसे पेड़ के पीछे जाना पड़ेगा,,,,
(दोनों की बातों को सुनकर राकेश हैरान था राकेश धीरे से आकाश से बोला)

मैं कुछ समझ नहीं रहा हूं पेड़ के पीछे क्या यह चाची क्या कह रही है,,,?

अरे पागल तू अभी भी नहीं समझा यह चाची तुझे जवान बनाना चाहती है,,,, जैसा वह कहेंगी वैसा ही करना ,,,, मैं झोपड़ी में जा रहा हूं,,,,।
(राकेश को समझ पाता या कुछ बोल पाता है इससे पहले ही आकाश झोपड़ी के अंदर प्रवेश कर गया झोपड़ी में दो लड़कियां बैठी हुई थी,,, उनमें से एक मुस्कुरा कर उठकर खड़ी हुई और झोपड़ी से बाहर निकल गई वह सलवार और कमीज पहनी थी और जो अंदर बैठी थी वह जींस और शर्ट पहनी थी,,,, अंदर से खूबसूरत लड़की को बाहर निकलता हुआ देखकर राकेश उसे देखा ही रह गया सलवार कमीज में वह बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही थी तभी वह औरत बोली,,,)

सन्नो इसे पेड़ के पीछे ले जा,,,।

ठीक है चाची,,,(वह मुस्कुराते हुए बोली और राकेश की तरफ आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ ली,,,, जैसे ही उसने राकेश का हाथ पकड राकेश के बदन में हलचल सी बचाने लगी पहली बार कोई जवान लड़की उसका इस तरह से हाथ पकड़ी थी,,, वह कुछ बोल पाता या पूछ पाता इससे पहले ही वह लड़की उसका हाथ पकड़ कर झोपड़ी के पीछे घनी झाड़ियो के पास ले जाने लगी,,,, राकेश से रहा नहीं गया तो वह बोला,,,)

कहां ले जा रही हो मुझे,,,,

तुम्हें जन्नत दिखाने,,,,

जन्नत दिखाने मे कुछ समझा नहीं,,,,

वाकई में भोले हो या भोला बनने की कोशिश कर रहे हो,,,,


देखो मुझे सच में नहीं पता कि यहां क्या हो रहा है मेरा दोस्त मुझे यहां लेकर आया अपनी चाची से मिलाने,,,

चाची कौन चाची,,,?

अरे वही जो झोपड़ी के बाहर खड़ी थी,,,,।

(इस बार हंसने की बारी उसे लड़की की थी और वह जोर-जोर से हंसने लगी उसे हंसता हुआ देखकर राकेश फिर आश्चर्य में पड़ गया और बोला,,)

तुम हंस क्यों रही हो,,,!

हंसु नहीं तो और क्या करूं ,,,,


मतलब,,,,

तुम सच में भोले हो,,,, वह औरत तुम्हारे दोस्त की चाची नहीं है बल्कि धंधा करने वाली है और तुम्हारा दोस्त उसे औरत के ऊपर ना जाने कितनी बार चढ़ चुका है,,,

धंधा करने वाली,,,,(राकेश फिर से आश्चर्य से बोला)

हां चुदवाने वाली पैसा लेकर,,,,।

(उस लड़की के मुंह से इतना सुनते ही,,, राकेश एकदम से सन्न हो गया,,,, उसे सारा माजरा समझ में आ गया था और यह भी समझ में आ गया था कि जब वह उसे औरत के पैर छुए थे तब वह दोनों क्यों हंस रहे थे,,,,। देखते ही देखते वह लड़की राकेश को लेकर घनी झाड़ियों के पीछे बड़े से पेड़ के पीछे पहुंच चुकी थी,,, सारा मामला समझ में आते ही राकेश शर्म से पानी पानी हुए जा रहा था,,, कभी सपने में भी यहां आने की सोच नहीं सकता था और उसका दोस्त उसे यहां लेकर आ चुका था और उसके हिस्से में एक लड़की भी दे दिया था,,,,)

इससे पहले कभी किसी लड़की की चुदाई किया है,,,,(ऐसा कहते हुए वह लड़की जिसका नाम सन्नो था वह अपने गले में से दुपट्टा निकाल कर पेड़ की डाली पर टांग दी,,, दुपट्टा के सीने से हटते हैं इसकी भारी भरकम छातिया एकदम से उजागर होने लगी उसके बीच की पसली दरार एकदम साफ नजर आने लगी और राकेश उसकी चूचियों की पतली दरार को देखता ही रह गया,,,,)

क्या हुआ जवाब क्यों नहीं दे रहे हो पहले कभी किसी लड़की की चुदाई कीए,,, हो क्या,,,!
(उसके इस सवाल पर अभी भी राकेश उसकी चूचियों की तरफ देख रहा था जिंदगी में पहली बार कोई लड़की इतने करीब से उसे अपना बदन दिखा रही थी वह मदहोश होने लगा था,,, जब उसे लड़की को पता चला कि वह उसकी चूचियों की तरफ देख रहा है तो मुस्कुराते हुए अपनी कुर्ती को दोनों हाथों से पकड़कर ऊपर उठा दि और उसे भी उतार कर पेड़ पर टांग दी,,,, अब राकेश पूरी तरह से हैरान था क्योंकि उसकी आंखों के सामने वह लड़की केवल ब्रा में खड़ी थी ब्रा में से झांकी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्रा को फाड़ कर बाहर आने के लिए आतुर नजर आ रही थी राकेश पूरी तरह से मजबूत होने लगा था उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी पहली बार किसी लड़की को इस अवस्था में देख रहा था,,,, वह लड़की मर्दों को रीझाना अच्छी तरह से जानती थी इसलिए जब दूसरी बार भी राकेश की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं हुई उसे अपना जवाब नहीं मिला तो वह राकेश की तरफ हाथ बढ़ाकर उसके दोनों हाथ को पकड़ लिया और उसकी हथेलियां को सीधे अपनी ब्रा के ऊपर रख दी ब्रा के ऊपर रखते हैं राकेश के तो होश उड़ गई और वह डर के मारे अपने हाथों को जल्दी से पीछे की तरफ खींच लिया,,,, खेली खाई वह लड़की अच्छी तरह से समझ गई थी कि राकेश इस खेल में बिल्कुल नया खिलाड़ी था अगर उसकी जगह कोई और होता तो अब तक सन्नो उसे भगा दी होती या जल्दी से काम खत्म करके वापस आ जाती है लेकिन जिंदगी में पहली बार उसके जीवन में भी कोई सीधा-साधा जवान लड़का आया था जो इन सब चीजों से बिल्कुल अनजान था इसलिए वह मजा लेने की सोच रही थी,,,, जैसे ही हाथ पीछे की तरफ खींचा सन्नो अपने हुस्न का जलवा अपनी मादक अदा भी खेलते हुए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले गई और अपनी ब्रा का हुक एकदम से खोल दी और ब्रा का हक खुलते ही उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों पर से ब्रा की कटोरी एकदम से ढीली हो गई और संतरे के छिलके की तरह एकदम से अलग होने लगी जिसे खुद सन्नो अपने हाथों से अलग करते हुए कमर के ऊपर पूरी तरह से नंगी हो गई पहली बार जीवन में राकेश अपनी आंखों के सामने एक अर्धनग्न लड़की को देख रहा था उसकी मदद कर देने वाली चूचियों को देख रहा था,,,, डर के मारा उसका बदन कांप रहा था,,,।

सन्नो इस खेल में पुरानी खिलाड़ी थी,,, वह तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर एक बार फिर से राकेश के हाथ थामली और उसकी हथेलियां को अपनी नंगी चूचियों पर रखी इस बार तो मानो जैसे राकेश के बदन में करंट दौड़ रहा हो वह एकदम से गनगना गया,,,। नंगी चूचियों का स्पर्श उसकी गर्माहट उसकी नरमाहट पूरी तरह से अद्भुत और अतुलनीय था राकेश के लिए जिंदगी में पहली बार में किसी खूबसूरत लड़की की चूची को अपने हाथों में पकड़ा हुआ था,,, वह लड़की खुद राकेश की हथेलियां के ऊपर अपना हाथ रखकर अपनी चूची को दबवा रही थी और मादक भरे स्वर में बोली,,,)

इससे पहले किसी औरत से प्यार नहीं किया क्या किसी औरत को नंगी नहीं देखे क्या,,,?
(उसे लड़की की हरकत से राकेश पूरी तरह से चारों खाने चित हो चुका था बोलने लायक उसके पास शब्द नहीं थे वह पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डूब गया था वह शब्दों से नहीं बल्कि इशारे से अपना कर ना में हिला कर जवाब दिया,,,,)

इसका मतलब तो कभी चुदाई भी नहीं किए होगे,,,,

(इस बार भी वह नाम मे सिर हिला दिया,,,, वह लड़की मुस्कुराने लगी और बोली,,,)

कोई बात नहीं तुम मेरे पास आए हो और यह जगह तुम जैसे हो के लिए ही है जैसे स्कूल होता है ना वह सीखना है अपने कदमों पर खड़ा होना इस तरह से हम लोग का भी है स्कूल है हम लोग मर्द बनाते हैं उनका खड़ा होना सीखाते हैं मैं तुम्हें भी सिखाऊंगी,,,

(राकेश पहली बार किसी औरत के मुंह से इस तरह की बातें सुन रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हो रहा था पहली बार की तरह ही इस बार भी वह अपनी हथेलियां को उसकी चूचियों से वापस खींच लेना चाहता था लेकिन नंगी चूचियों का स्पर्श उसे पूरी तरह से मजबूर कर दी थी उसके दिल और दिमाग पर पूरी तरह से काबू पा चुकी थी इसलिए वह चाहकर भी अपनी हथेलियों को हटा नहीं पा रहा था,,, और मौके की नजाकत को समझते हुए लड़की अपनी हथेली को राकेश की हथेली पर से हटा दी और वह मुस्कुराने लगी क्योंकि राकेश खुद ही अपने आप से ही उसकी चूचियों को दबा रहा था,,,, अपनी चुचियों में उलझा हुआ देखकर वह लड़की अपनी हथेली को राकेश की पेंट के ऊपर देखकर उसके लंड को दबाने लगी जो की धीरे-धीरे खड़ा हो रहा था लेकिन उसकी हरकत से राकेश अपनी कमर को पीछे की तरफ खींच लिया था लेकिन वह लड़की पेट के ऊपर से ही उसके लंड को पकड़ ली थी अपने काबू में ले ली थी और इशारे से ही उसे ऐसा न करने के लिए कहने लगी,,, राकेश रुक गया और इस बीच उसकी हथेली उस लड़की की चूची पर से बिल्कुल भी नहीं हटी और एक लड़की के द्वारा पेट के ऊपर से अपने लंड को पकड़े जाने पर वह बेहद उत्तेजना का अनुभव करने लगा जिंदगी में पहली बार वह इस तरह का अनुभव कर रहा था और देखते ही देखते वहां लड़की उसके पेट की बटन खोलकर लंड को बाहर निकाल ली,,, राकेश हैरान था क्योंकि पहली बार हुआ इस तरह का अनुभव कर रहा था और एक लड़की को इस तरह की गंदी हरकत करते हुए देख रहा था पूरी तरह से मदहोश हो चुका राकेश भी उत्तेजित अवस्था में उस लड़की की चूची को जोर-जोर से दबाने लगा,,,)

थोड़ी ही देर में वह लड़की घुटनों के बल बैठ गई और राकेश के लंड को पकड़कर जोर-जोर से हिलाने लगी,, राकेश मदहोश हो जा रहा था पागल हुआ जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह तो ऐसा लग रहा था कि जैसे आसमान में उड़ रहा हो वह लड़की अगर कुछ और पैसे मिले होते तो राकेश के लंड को मुंह में लेकर चुसती लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकती थी क्योंकि इसके पैसे अलग से नहीं मिले थे,,,,।

समय ज्यादा हो रहा था और राकेश तैयार था,,, इसलिए वह लड़की भी देर करना उचित नहीं समझी क्योंकि समय ज्यादा हो चुका था,,, वह लड़की अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी और यह देखकर राकेश का दिल जोरो से धड़कने लगाक्योंकि पहली बार वह किसी लड़की को नंगी होता हुआ देखने जा रहा था उसका दिन जोरों से तड़प रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह पति आंखों से उसे लड़की की तरह देख रहा था वह लड़की राकेश की आंखों के सामने ही अपनी सलवार की डोरी खोलकर सलवार को उतार कर उसी डाली पर टांग दी,,,, सन्नो उसकी आंखों के सामने केवल पेंटिं में खड़ी थी,,।

हाईवे से तकरीबन 5 मिनट की दूरी पर घनी झाड़ियों के बीच राकेश एक जवान लड़की के साथ जो कि अपने कपड़े उतार कर लगभग नंगी हो चुकी थी केवल उसके बदन पर एक छोटी सी पेंटिं ही थी और उसे उतारने से पहले वह लड़की मुस्कुराते हुए राकेश से बोली,,,

कभी किसी की बुर देखे हो,,,

और इस बार भी राकेश का जवाब ना था,,,

मतलब कि आज पहली बार सब कुछ देखने जा रहे हो और करने जा रहे हो,,,

जी,,,

तुम चिंता मत करो सब सीख जाओगे,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपनी पेंटिं उतार कर घनी झाड़ियां में एकदम से नंगी हो गई,,,, राकेश का दील जोरों से धड़कने लगा एक खूबसूरत नंगी लड़की को देखकर उसके होश उड़ रहे थे और लंड बेकाबू हो रहा था,,, वह लड़की अपने दोनों टांगों को खोलकर राकेश को अपनी बुर दिखा रही थी,,, राकेश उसे देख भी रहा था पहली बार हुआ किसी औरत की बुर से रूबरू हो रहा था पहली बार वह किसी बुर के भूगोल के बारे में समझ रहा था लेकिन उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,,, दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को देखकर वह आश्चर्य से वस्मी भूत हो रहा था,,,, वह लड़की उसकी उत्तेजना को बढ़ाते हुए अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर हल्के से मसलने लगी,,, यह देखकर राकेश की हालत और ज्यादा खराब होने लगे और इस बार वह लड़की अपना हाथ आगे बढ़कर राकेश का हाथ पकड़ ली और उसकी हथेली को अपनी बुर पर रख दी,,,,।

राकेश को उस लड़की की बुर की तपन बेहद गरम कर रही थी,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि,,, औरत का यह अंग इतना गर्म हो सकता है,,,, थोड़ी देर में वह लड़की राकेश के हाथ को हटाकर अपनी उंगली गुलाबी बुर के छेद में डालते हुए बोली,,,,।

देखो राजा ईसी मे अपना लंड डालना और इसी में लंड डालकर चुदाई होती है,,,,।
(उसे खूबसूरत लड़की के दिशा निर्देश को समझ कर राकेश हां में सिर हिला दिया और सन्नो अपने साथ लाए हुए कंडोम को अपने हाथों से राकेश के लंड पर चढ़ा दे,,,फिर वह लड़की राकेश की तरफ गांड करके पेड़ का सहारा लेकर झुक गई और अपनी बड़ी-बड़ी गांड को हवा में ऊपर की तरफ उठा दी और अपने हाथ को अपने दोनों टांगों के बीच लाकर अपनी एक उंगली को अपने गुलाबी छेद में डालकर अंदर बाहर करते हुए फिर से उसे बोली की ईसी में डालना है,,,, और राकेश उसके पीछे खड़ा होकर तैयार हो चुका था पहले तो वह उसे लड़की की गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड को देखकर पागल होने लगा लेकिन उसे भी चोदने की इच्छा जाग चुकी थी,,, अपने लंड को पकड़कर वह धीरे से आगे बढ़ा और उसे लड़की के बेहद करीब आकर अपने लंड को पकड़े हुए उसके गुलाबी छेद में सटाने लगा लेकिन वह इस तरह से तय नहीं कर पा रहा था कि उसका गुलाबी छेद कहां पर है क्योंकि उसे ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था क्योंकि उसे लड़की की गांड बड़ी थी थोड़ी देर मसक्कत करने के बाद वह लड़की समझ गई कि राकेश से नहीं हो पाएगा इसलिए वहां धीरे से अपना हाथ दोनों टांगों के पीछे से बाहर की तरफ ले गई और अपने हाथ में राकेश का लंड पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपने गुलाबी छेद से सटा दी और बोली,,,)

अब लगा धक्का,,,,

(अपने लंड को बुर से स्पर्श होता हुआ महसूस करते ही राकेश के दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसके बदन में उत्तेजना का सैलाब उठने लगा और वहां दोनों हाथों से उसे लड़की की कमर पकड़ कर अपनी कमर को जोरदार धक्का देते हुए आगे की तरफ लेकर आओ पहली बार में ही राकेश का लंडड सन्नो की बुर में समा गया,,,, सन्नो धंधे वाली लड़की थी इसलिए झेल गई थी और बड़े आराम से घुस भी गया था,,,, सन्नों के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई,, थी,,,,।

पहली बार अपने लंड को बुर में डालने की खुशी राकेश के चेहरे पर साफ झलक रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था और जोर-जोर से धक्का लगाना शुरू कर दिया था वह लड़की जानती थी इसलिए वह राकेश को आराम से करने के लिए बोल रही थी और चेतावनी भी दे रही थी कि अगर इसी तरह से करते रहेगा तो पानी निकल जाएगा जल्दी लेकिन सर पर वासना का भूत सवार हो जाने के बाद रखे से रहा नहीं जा रहा था तो जीवन में पहली बार वह बुर पाया था,,, और आखिरकार वही हुआ जिसका डर था,,, जल्दी से राकेश का पानी निकल गया और खेल खत्म।

वह लड़की अपने कपड़े पहनते हुए मुस्कुराकर राकेश से बोली,,,,।

आते रहोगे तो जल्दी सब सीख जाओगे,,,,

(लेकिन उसे दिन के बाद से राकेश कभी भी उसे और नहीं दिया और नहीं किसी लड़की और औरत के करीब गया वह अपना सारा ध्यान पढ़ाई में लगाए रह गया और वैसे भी वह आकाश के साथ अनजाने में गया था अगर उसे मालूम होता तो चाहता भी नहीं और आकाश को बोल भी दिया था कि मैं अब कभी भी ऐसी जगह पर नहीं जाऊंगा अपने घर से अपने पिताजी से दूर रहकर जिंदगी में पहली बार राकेश इस तरह की गलती किया था और वह भी उसकी पहली गलती उसकी आखरी गलती थी,,,,।

उसे दिन के बारे में सोच कर राकेश आज बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रहा था और अपने आप से ही कह रहा था कि अगर वह उसके दोस्त आकाश की तरह होता तो शायद उसे लड़की का आता पता सब जान जाता ,,,। लेकिन फिर भी उसे उम्मीद थी कि उसकी मुलाकात उस लड़की से जरूर होगी,,। लेकिन उसकी मुलाकात नहीं हुई ,,,पर पार्टी का दिन आगे जिसका राकेश को भी बड़ी बेसब्री से इंतजार है और उसके पिताजी को भी,,,,।
Superb update.
 

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सेठ मनोहर लाल के द्वारा दी गई पार्टी का दिन नजदीक आ चुका था,,, जितना इंतेज़ार इस पार्टी का मनोहर लाल को था उतना ही ज्यादा इंतजार मनोहर लाल के मित्र रूप लाल और रूपलाल की बीवी रमा देवी को था,,, क्योंकि दोनों यह बात अच्छी तरह से जानते थे कि मनोहर लाल का बेटा इंजीनियरिंग पूरी करके घर लौट आया था और उसके लिए अच्छी सी लड़की भी ढूंढने का इंतजाम मनोहर लाल ने कर दिया था,,, शादी तो रूपलाल भी अपनी बेटी का करना चाहता था लेकिन ढंग का कोई रिश्ता नहीं मिल रहा था और इसीलिए वह और उसकी बीवी चाहती थी कि इस पार्टी में आरती भी उन दोनों के साथ जाए और आरती को देखकर मनोहर लाल उसे अपनी बहू बनाने के लिए तैयार हो जाए,,, और ऐसा अगर हो गया तो रूपलाल और रमा देवी की तपस्या खत्म हो जाएगी और उनकी बेटी एक सुखी संपन्न घर की बहू बनकर धन्य हो जाएगी,,,,।

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पार्टी में पहनने के लिए वैसे तो कपड़े रमादेवी के पास और आरती के पास भी बहुत सारे थे,,, लेकिन फिर भी रमा जोर देकर आरती को खरीदी के लिए एक अच्छे से कपड़े की दुकान पर ले गई जो की बहुत बड़ी थी,,,,।

क्या मम्मी तुम भी मेरे पास इतने सारे कपड़े तो हैं नए कपड़े लेकर क्या करोगी और वैसे भी अब तुम दोनों ने तो मुझे घर से भगाने का सारा इंतजाम कर लिया है तो फिर यह कपड़े खरीद कर क्या फायदा,,,

भगाने का नहीं,,,,, विवाह कराने का,,,

मतलब तो वही हुआ ना मम्मी,,,(दुकान की सीढ़ियां चढ़ते हुए आरती बोली,,,)

कैसे मतलब वही हुआ हर लड़की उम्र के साथ विवाह करती है और अगर तेरा भी होगा तो इसमें हर्ज ही क्या है,,।(साड़ी को हल्के से अपनी उंगली से दबाकर थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठाकर सीढ़ियां चढ़ते हुए रमादेवी बोली,,,)




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मुझे नहीं करनी है ना,,,

तु कितना भी बोल करना तो पड़ेगा ही,,,

अब तुम दोनों ने मिलकर ठान हीं लिया है तो करके ही मानोगे,,,

चल अब बकवास बंद कर,,, जिंदगी भर कुंवारी रहने का इरादा है,,,,।

तो इसमें हर्ज ही क्या है,,,

तुझे नहीं है लेकिन मुझे तो है ना तेरी उम्र की मोहल्ले की सारी लड़कियों की एक-एक करके शादी होती चली जा रही है,,, और तू अभी तक घर में कुंवारी बेठी है दुख तो होगा ही ना,,,।




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मम्मी तुम्हारे पास कारण तो तैयारी रहता है,,, चलो रहने दो तुमसे बहस करके कोई फायदा नहीं है,,,।
(इस तरह से दोनों मां बेटे के बीच किसी न किसी चीज पर बहस होती ही रहती थी लेकिन कुछ दिनों से शादी पर बहस चल रही थी और आरती समझ गई थी कि अब उसके मम्मी पापा मानने वाले नहीं है ऐसा नहीं था की आरती शादी नहीं करना चाहती थी शादी भाभी करना चाहती थी लेकिन अच्छे इंसान से जो उससे प्यार करें उसकी इज्जत करें उसका सम्मान करें जैसा कि अब तक देखते आ रहे थे उसकी सहेलियां जितनी भी विवाहित थी वह लड़कियां ऐसे इंसान से शादी नहीं की थी जो उन लोगों की इज्जत कर सके उन्हें सम्मान दे सके उन्हें बराबर का दर्जा दे सके इसीलिए कहीं ना कहीं आरती के मन में घबराहट होती थी,,,, लेकिन कुछ दिनों से उसके मन में एक चेहरा घूमता रहता था ,, जिससे वह टकराई थी कुछ दिनों से वह उसी के बारे में सोचती रहती थी उसका भोला चेहरा उसके मन में बस गया था और अपने मन में कहीं ना कहीं वह इस चेहरे वाले इंसान को अपना पति मानने लगी थी कल्पना करने लगी थी,,,।



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दोनों मां बेटी दुकान में प्रवेश कर चुके थे दुकान काफी बड़ी थी,,, और यहां पर हर किस्म के कपड़े मिलते थे साड़ी से लेकर ड्रेस तक मर्दों की अंडरवियर से लेकर औरतों की चड्डी और ब्रा तक सस्ते महंगे ब्रांडेड सभी तरह के कपड़े मिलते थे इसीलिए तो रमादेवी को जब भी कपड़े खरीदने होते थे तो वह इसी दुकान पर आती थी,,,।

देख आरती पार्टी में तुझे सलवार कमीज नहीं बल्कि साड़ी पहन कर चलना है ताकि सेठ मनोहर लाल साड़ी में देखकर तुझे अपनी बहु के रूप में स्वीकार कर ले,,,।

क्या मम्मी तुम भी जीत कर रही हो जरूरी है कि मनोहर लाल की ही बहू बनु ,,

जरूरी तो नहीं है बेटा लेकिन मैं चाहती हूं कि तुम उनके घर की ही बहू बन ताकि जिंदगी भर किसी चीज की तकलीफ ना हो मैं उनके परिवार को अच्छी तरह से जानती हूं घर में कोई खास नहीं है सिर्फ मनोहर लाल है उनका बेटा बस,,,।

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क्या मम्मी दो लोगों से कहीं घर बनता है,,,।


मैं जानता हूं मेरी लाडो रानी घर बनता नहीं है बनाया जाता है अपने प्यार से अपने संस्कारों से आपसी रिश्ते से और तुझे वही करना है अगर बात बन गई तो समझ लो तू जिंदगी भर ऐश करेगी,,,।

तुम्हारी जीद के आगे तो मैं हार जाती हूं,,,।

चल अब जल्दी से कपड़े खरीद लेते हैं,,,।

(इतना कहने के साथ ही दोनों मां बेटी है काउंटर पर खड़े हो गए और अपने-अपने पसंद के कपड़े लेने लगे आरती अपने लिए सूट सलवार खरीद रही थी हालांकि वह जानती थी कि उसे साड़ी भी खरीदना है लेकिन उसे पसंद आ गई तो सूट सलवार भी खरीद ली,,, रमादेवी भी अपने लिए अच्छी सी साड़ी खरीद ली थी,, लेकिन उसके मैचिंग का उसके पास ब्रा और पैंटी नहीं थी,,, इसलिए वह आरती से बोली,,,)



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बाकी सब तो ठीक है आरती लेकिन साड़ी के मैचिंग का मेरे पास ब्लाउज तो है लेकिन ब्रा और पैंटी नहीं है,,,।

क्या मम्मी तुम भी अभी उम्र में मैचिंग की ब्रा और पैंटी ढूंढ रही हूं,,,।

इस उम्र में,,,, तेरा मतलब क्या है इस उम्र में मैं क्या तुझे बुढी लगती हूं,,,, अभी मेरी उम्र यह क्या है हम दोनों साथ चलते हैं तो मुझे बस तेरी बड़ी बहन ही समझते हैं,,,,।(रमादेवी अपनी बेटी की उम्र वाली बात पर थोड़ा सा गुस्सा हो गई थी और इस बात को आरती भी अच्छी तरह से जानती थी इसलिए हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,,)

अरे हां मैं जानती हूं कि तुम मेरी मम्मी नहीं बड़ी बहन जैसी हो लेकिन मम्मी,,, अब साड़ी के अंदर ब्लाउज के अंदर क्या पहनी हो इससे क्या फर्क पड़ता है,,,।

अरे पगली फर्क पड़ता है मुझे भी पहले ऐसे ही लगता था लेकिन विवाह होने के बाद,,, मेरे ससुराल में एक बगल में औरत रहती थी जो कि मेरी सांस सही लगती थी उसी ने मुझे बताया था कि विवाह के बाद औरतों को इन सब बातों का बहुत ध्यान रखना चाहिए वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने में बहुत काम आता है,,,।



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(अपनी मां की बात सुनकर आरती मुस्कुरा दी क्योंकि वह शादी लायक हो चुकी थी उसे इतना तो मालूम ही था कि उसकी मां क्या कहना चाह रही थी और वह अपनी मां से सहमत भी थी वह अच्छी तरह से जानती थी की शादी के बाद पति इन सब चीजों का बहुत ख्याल रखते हैं बिस्तर पर,,, और वह कुछ बोल नहीं पाई,,, आरती ने हीं साड़ी के रंग का मैचिंग ब्रा और पेंटी निकलवा कर अपनी मां को दी,,,, लेकिन रमा देवी को उसके साइज में थोड़ा अंतर दिखाई दे रहा था तो आरती नहीं अपनी मां से चेंजिंग रूम में जाकर पहनकर देख लेने के लिए बोली और इतना सुनते ही रमादेवी चेंजिंग रूम की तरफ जाने लगी और आरती अपने लिए साड़ी लेने के लिए दूसरे काउंटर पर चली गई,,, और अपने लिए अच्छी-अच्छी साड़ी निकलवाने लगी,,,।

दूसरी तरफ रमादेवी चेंजिंग रूम में चली गई और कपड़े पहन कर देखने लगी,,,, पहली बार अपनी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरकर ब्लाउज का बटन खोलने लगी क्योंकि उसे ब्रा भी पहन कर देखना था उसकी साइज देखनी थी उसका कसावपन देखना था,, धीरे-धीरे करके सारे बटन खोलकर वह ब्लाउज को उतार कर वहीं पर हैंगर लगा हुआ था उसमें टांग दी और फिर खरीदी हुई ब्रा को पहन कर उसके नाप का जायजा लेने लगी,,,,, अच्छे से उसे पहन कर अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर उसका हक बंद कर दी और आईने में अपने आप को देखने लगी। रमादेवी ने अपने लिए गुलाबी रंग की साड़ी खरीदी थी,, और उनके बदन पर गुलाबी रंग की ब्रा बहुत खूबसूरत लग रही थी उम्र कैसे पड़ाव पर पहुंच जाने के बावजूद भी खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चूचियां होने के बावजूद भी चुचियों में ढीलापन कुछ खास नहीं था अभी भी छाती की शोभा बढ़ाते हुए दोनों चूचियां तनी हुई तोप की तरह नजर आती थी,,, ब्रा की साइज से संतुष्ट होकर रमादेवी अब अपनी चड्डी का नाप लेना चाहती थी उसे पहन कर देखना चाहती थी,,,।

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इसके लिए वह अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और ऐसे हालत में कमर के नीचे उसकी पहले से पहनी हुई लाल रंग की चड्डी नजर आने लगी चौकी यह रंग भी उसके गोरे रंग पर खूब फब रहा था,,, वह अपनी साड़ी को कमर पर लपेटकर अपने दोनों हाथों का सहारा लेकर अपनी चड्डी को उतार कर उसे भी हैंगर में टांग दी,,, वह साड़ी को कमर तक उठाकर इस तरह से फंसाई हुई थी की कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और साड़ी कमर पर ही टिकी हुई थी कमर के नीचे का भाग संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में था,,, साड़ी पर से दोनों हाथ हटा लेने के बावजूद भी साड़ी ज्यो की त्यों,, कमर पर टीकी हुई थी,,, और वह खरीदी हुई पेंटिं को हाथ में लेकर उसे देख ही रही थी कि तभी चेंजिंग रूम का दरवाजा एकदम से खुल गया और सामने एक जवान लड़के को देखकर रमादेवी एकदम से चौंक गई,,,,,, वह जवान लड़का भी एकदम से चौंक गया उसे उम्मीद नहीं थी कि चेंजिंग रूम में कोई होगा क्योंकि दरवाजा खुला हुआ था मतलब दरवाजा तो बंद ही था लेकिन कड़ी नहीं लगी हुई थी वह भी अपने लिए सूट पसंद कर रहा था और उसे पहन कर देखने के लिए चेंजिंग रूम में आया था लेकिन दरवाजा खोलते ही उसके सामने के द्रश्य से को देखकर उसके होश उड़ गए थे,,,।

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वह जवान लड़का कोई और नहीं मनोहर लाल का बेटा राकेश था और पार्टी में पहनने के लिए अपने लिए सूट खरीदने के लिए आया था और चेंजिंग रूम में एक औरत को अर्ध नग्न अवस्था में देखकर उसकी आंखें फटी रह गई थी,,,, चेंजिंग रूम के अंदर का नजारा देखकर राकेश को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें और अंदर रामा देवी भी दरवाजे पर खड़े जवान लड़के को देखकर वह भी कुछ समझ नहीं पा रही थी कि क्या करें और घबराकर कुछ क्षण बाद घूम गई और ऐसा करने पर वह खुद ही अपनी बड़ी-बड़ी कसी हुई गांड के दर्शन में जवान लड़के को करा दी,, जब तक वह सामने खड़ी थी तब तक राकेश उसकी मोटी मोटी खूबसूरत चिकनी जांघों को ही देख पाया था जांघों के बीच के उस पतली दरार पर उसकी नजर नहीं गई थी,,, लेकिन जिस तरह से वह घबरा कर उसकी तरफ पीठ करके घूम गई थी,,, ऐसा करके उसने तो राकेश के दिलों दिमाग पर हथौड़िया चलाने लगी थी,,,।


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हाईवे के किनारे वाले अनुभव के बाद यह उसका दूसरा मौका था जब वह किसी औरत को लगभग लगभग नग्न अवस्था में देख रहा था रमा देवी की बड़ी-बड़ी गोरी गोरी गांड देखकर राकेश के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी वह मदहोश होने लगा था वह एक टक रमादेवी की गांड ही देखे जा रहा था,,,, वैसे तो सड़क पर चलते फिरते आते जाते उसका ध्यान बहुत ही औरत और जवान लड़कियों पर जा चुका था और एक मर्द होने के नाते आदत अनुसार उसकी नज़र उनकी छाती और नितंबों की घेराव पर चली ही जाती थी,,, और वह मर्दों के फितरत के अनुसार मन में ही कल्पना किया करता था कि कपड़े के नीचे औरतों की गांड कैसी दिखती होगी उनकी चूचियां कैसी दिखती होगी हालांकि एक बार अपने दोस्त के साथ मजा ले चुका था लेकिन घबराहट के मरा हुआ उनके इन अंगों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाया था,,,।

और आज चेंजिंग रूम में एक औरत की नंगी गांड देखकर उसकी हालत पतली हो रही थी,,, वैसे तो राकेश का मन वहां से जाने को नहीं हो रहा था न जाने कैसा असर था कि वह मंत्र मुग्ध सा रामा देवी की गांड को देखे ही जा रहा था,,, लेकिन इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि वह कौन सी जगह पर है वह बड़े से कपड़े की दुकान पर था जहां पर बहुत से लोगों का आना जाना था और चेंजिंग रूम की तरफ कोई भी आ सकता था इसलिए इधर-उधर देखकर जब वह समझ गया कि किसी ने उसे देखा नहीं है तो एकदम से दरवाजा बंद करते हुए बोला,,,।)

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माफ करना गलती से आ गया था और दरवाजे की कड़ी बंद रखा करो,,,,(इतना कहकर वह जल्दी से वहां से चला गया और रमादेवी तुरंत दरवाजे की कड़ी लगाकर बंद कर दी उसकी सांसे बड़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी ,,वह गहरी गहरी सांस ले रही थी वह एकदम से घबरा चुकी थी,,, उसे उम्मीद नहीं थी कि कोई इस तरह से चेंजिंग रूम का दरवाजा खोल देगा,,, और वह अपनी गलती पर अपने आप को ही कोसने लगी जल्दबाजी में उसने ही अंदर दरवाजे की कड़ी को बंद नहीं की थी,,, और फिर जल्दी-जल्दी चड्डी को पहन कर उसका नाप लेकर वापस उसे निकाल कर चेंजिंग रुम से बाहर आ गई,,, वहां पर जो कुछ भी हुआ उसे वह आरती से बताना मुनासिफ नहीं समझी,, क्योंकि गलती उसी की ही थी,,, अपनी बेटी के लिए साड़ी और बाकी का सामान खरीदने के दौरान वह पूरी दुकान में उसे लड़के को ढूंढती रहेंगी लेकिन वह दोबारा उसे दिखाई नहीं दिया और दिखाई देता भी कैसे वह घबराकर सूट खरीदे बिना ही दुकान से बाहर निकल गया था क्योंकि वह रमा देवी की आंखों के सामने नहीं आना चाहता था क्योंकि उसे इस बात का डर था की कही बखेड़ा खड़ा ना हो जाए,,,। और दोनों मां बेटी कपड़े खरीद कर घर वापस आ गए,,,।
Mast mast sexy update.
 
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कपड़े की दुकान में क्या हुआ था इसका जिक्र रमा देवी ना तो अपनी बेटी आरती से कर पाई थी और ना ही अपने पति रूपलाल से,,, कपड़े की दुकान में जो कुछ भी हुआ था वह रमादेवी के लिए अचंभित कर देने वाला था,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कपड़े की दुकान में उसके साथ ऐसा कुछ हो जाएगा लेकिन इसमें गलती उसी की थी इस बारे में भी वह जानती थी इसका एहसास उसे अच्छी तरह से था जल्दबाजी में उसने चेंजिंग रूम के दरवाजे की कड़ी बंद करना भूल गई थी,,,। नहीं ब्रा और पेंटी का माप जांचने के चक्कर में वह इतना मशगूल हो गई थी कि भूल गई थी कि वह कपड़े की दुकान के चेंजिंग रूम में है वह चेंजिंग रूम को अपना ही कमरा समझ रही थी,, और इसी वजह से उससे गलती हुई थी,,,।

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कड़ी बंद करने की बात भी दरवाजे पर खड़ा लड़का ही बोला था और उसके जाते ही उसे लड़के की बात मानते हुए औपचारिक रूप से रमादेवी तुरंत दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा दी थी,,, हालांकि यह सब होने के बावजूद भी वह ब्रा और पेटी को पहनकर उसके मन को परखना नहीं भूली थी,,, राहत इस बात से थी कि उसे समय वहां पर कोई नहीं था ना तो इस बारे में किसी को पता ही चला था नहीं तो हल्ला मच जाता और बेज्जती हो जाती उस लड़के का तो कुछ नहीं बिगड़ता लेकिन,, रमादेवी शर्मिंदा हो जाती,,,।

रमा देवी का मन आज किसी काम में नहीं लग रहा था,, बार-बार उनकी आंखों के सामने वही चेंजिंग रूम वाला दृश्य किसी फिल्म के सीन की तरह चल रहा था,, वह अपने मन में यह सोचकर एक तरफ शर्मिंदगी का एहसास भी कर रही थी और दूसरी तरफ ना जाने क्यों उनके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी अपने मन में सोच रही थी कि जिस समय दरवाजा एकाएक खुला था उसे समय वह ठीक उस लड़के के सामने थी,,, कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी बुर एकदम साफ दिखाई दे रही थी,, हैंगर पर ब्लाउज पेंटी दोनों लटकी हुई थी,,, वह अपने मन में यह सोचकर उत्तेजित भी हो रही थी परेशान भी हो रही थी कि उसे लड़के ने जरूर उसकी बुर को देखा होगा,, और बुर को देखकर अपने मन में न जाने कैसे कैसे ख्याल लाया होगा न जाने उसके बारे में क्या सोच रहा होगा,,, अगर उसमें ऐसी कोई बात ना होती तो वह लड़का दरवाजा खोलते ही उसे अंदर देखकर तुरंत दरवाजा बंद कर देता लेकिन वह दरवाजा खुला रखकर उसे ही घुर रहा था,,, ऊपर से नीचे तक उसके बदन को देख रहा था और ऐसी हालत में उसने जरूर उसकी बुर को देखा होगा उसके दर्शन की होगी और उसकी बुर को देखकर ना जाने क्या सोच रहा होगा,,, यह ख्याल मन में आते ही,,, उसका ध्यान अपनी दोनों टांगों के बीच चला गया वह अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार के बारे में सोचने लगी जिस पर हल्के हल्के बालों लगे हुए थे 15 दिन हो गए थे उसने अपनी बुर की सफाई नहीं की थी,,, और यह उसकी आदत भी थी उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच जाने के बावजूद भी वह जवानी की तरह अभी भी अपने बदन की सफाई अच्छी तरह से करती थी वह चाहे बगल के बाल हो या बुर के ऊपर के झांट के बाल,,,, समय-समय पर उसे पर क्रीम लगाकर साफ करती रहती थी,, उसका यह मानना था कि बदन की सफाई से उम्र का कोई लेना-देना नहीं होता हर औरत को अपनी बदन की सफाई रखनी चाहिए,,, लेकिन 15 दिन जैसे गुजर गए थे उसने अपनी बर पर क्रीम लगाकर उसे चिकनी नहीं की थी,,,।

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और इस बात से वह परेशान थी कि,,, उस जवान लड़के ने उसकी बुर की तरफ देखा होगा,,, उसकी बुर पर बाल देखा होगा तो अपने मन में क्या सोच रहा होगा,,,, यही सोच रहा होगा की औरतें अपनी बुर की सफाई नहीं रखती या फिर ऐसा भी हो सकता है कि उसे औरत के बुर पर बाल अच्छे लगते हो,,, जो भी हो जो कुछ भी हुआ बहुत गजब हुआ,,, रूपलाल की बीवी अपने कमरे में बिस्तर पर बैठे-बैठे यही सब सोच रही थी रात की तकरीबन 10:00 बज रहे थे,,, और रूपलाल घर की छत पर टहल रहे थे,,,, कपड़े की दुकान में जो कुछ भी हुआ था उसके बारे में सोच कर रूप लाल की बीवी कामांध होते जा रही थी,,, उसकी नस-नस में जवानी का रस घुलता चला जा रहा था,, चेंजिंग रूम में हुई अपनी एक गलती उसे याद आते ही उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,, वह अपने मन में सोच रही थी कि एक तरह से तो वह उस लड़के को अपनी बर के दर्शन करा ही चुकी थी लेकिन उस समय अपनी आंखों के सामने एक जवान लड़के को देखकर उसे कुछ समझ में नहीं आया और अपनी बर छुपाने के चक्कर में घूम गई थी जिसकी वजह से उसकी नंगी गांड एकदम से उस लड़के के सामने आ गई थी और इस बात को तो वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे बड़ी कमजोरी औरतों की बड़ी-बड़ी गांड होती है सबसे पहले मर्दों का आकर्षण औरतों की गांड की तरफ ही होता है,,,। और अनजाने में ही उसने अपनी गांड के दर्शन भी उसे समान लड़के को कर चुकी थी जो की पूरी तरह से अपरिचित था न जाने उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर वह क्या सोच रहा होगा,,,, यह सोचकर अपनी मन में मुस्कुराने लगी कि आज जो नजर उसे जवान लड़के देखा है अगर जुगाड़ हुआ तो ठीक करना आज हुआ जरूर अपने हाथ से हिला कर अपनी जवानी की गर्मी शांत करेगा,,,,।

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इस तरह का ख्याल अपने मन में रहकर वह खुद उत्तेजित हो जा रही थी और देखते ही देखते वहां बिस्तर पर पेट के बल लेट गई और अपने पैर को घुटनों से मोड़कर पर को इधर-उधर खिलने लगी जिसके चलते उसकी साड़ी उसकी जामुन तक आ गई और उसकी बड़ी-बड़ी कम एकदम से बिस्तर पर छितरा गई,,, वह जानबूझकर इस तरह की अठखेलियां बिस्तर पर कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका पति किसी भी वक्त कमरे में दाखिल हो जाएगा और उसे इस तरह से देखेगा तो जरूर उसके मन में काम भावना जागेगी और वह उसके साथ संभोग करेगा,,,।

और ऐसा ही हुआ रूप लाल जैसे ही कमरे में दाखिल हुआ तो सामने बिस्तर पर अंगड़ाई लेती हुई अपनी बीवी की जवानी को देखा तो उसके भी सोए हुए अरमान जाग गए और वह तुरंत अपने कपड़े उतार कर अपने लंड को खड़ा करने की कोशिश करने लगा लेकिन शायद अब उसके बस की बात नहीं था रूपलाल की बीवी तुरंत घुटनों के बल चलते हुए बिस्तर के एकदम किनारे आगे और उसके लंड को पड़कर धीरे से उसे मुंह में लेली जो कि अभी भी पूरी तरह से ढीला था लेकिन धीरे-धीरे उसकी कोशिश रंग लाने लगी और एक बार रूप लाल के लंड में पूरी तरह से तनाव आ गया,,, अपने लंड को खड़ा हुआ देखकर रूपलाल खुश हुआ और अपनी बीवी से बोला,,,।

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क्या बात है आरती की मम्मी आज कुछ ज्यादा ही मन कर रहा है क्या तुम्हारा,,,

आज तो पूछो मत बहुत मन कर रहा है लेकिन तुम ही हो कि मेरे अरमान को समझ नहीं पाते,,,,(ऐसा कहते हुए बाद तुरंत बिस्तर के किनारे अपनी बड़ी-बड़ी गांड रखकर साड़ी को कमर तक उठा दी और अपनी टांगों को खोल दी वह जानती थी कि अपने पति से ज्यादा देर तक बात करने का मतलब था लंड के तनाव को खत्म करना,, और फिर मौके की नजाकत को देखते हुए रूप लाल भी अपने लंड को अपनी बीवी की बुर में डाल दिया और अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,, रूपलाल की बीवी की मेहनत कुछ देर तक रंग लाई थी लेकिन रंग पूरी तरह से शबाब पर चढ़ता इससे पहले ही रूपलाल पूरी तरह से ढेर हो गया,,,।
रूपलाल की बीवी एकदम से निराश हो गई क्योंकि अभी अभी तो उसे मजा आना शुरू हुआ था,,,
लेकिन यह तो ऐसा ही हो गया कि रास्ता दिखाने के साथ ही मंजिल पर पहुंच जाना,,, सफर का मजा तो मिला ही नहीं था इसलिए मंजिल पर पहुंचने पर भी कुछ खास उत्सुकता नहीं हुई थी रूपलाल की बीवी को तो ऐसा ही लग रहा था कि जैसे उसकी पत्नी ने बीच मझदार में ही छोड़कर किनारा कर लिया हो,,,

कुछ देर बाद पति-पत्नी दोनों करवट लेकर सो रहे थे लेकिन रूप लाल की बीवी अपनी किस्मत पर रो रही थी,,।

दूसरी तरफ राकेश की भी आंखों में नींद नहीं थी खाना खाकर वह अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा लेटा,,, कपड़े की दुकान वाली घटना के बारे में ही सोच रहा था जीवन में दूसरी बार वह उत्तेजित हुआ था पहली बार अपने दोस्त के साथ हाईवे के किनारे एक जवान लड़की के साथ शरीर संबंध बनाते समय और दूसरा कपड़े की दुकान में,,,, चेंजिंग रूम में वह भी अपना सूट पहन कर देखने के लिए ही जाने वाला था लेकिन उसे क्या मालूम था कि चेंजिंग रूम में पहले से ही एक औरत कपड़े बदल रही थी पर जाने में ही दरवाजा खोल दिया था और अंदर का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए थे वैसे तो राकेश चरित्रवान लड़का था लेकिन अपनी आंखों के सामने अर्धनग्नवस्था में औरत को देखकर उसकी भी आंखें फटी की फटी रह गई थी और उसे जगह से चले जाने की बजाय वह वहीं पर खड़े होकर उसे औरत की जवानी को अपनी आंखों से देख रहा था,,,, चेंजिंग रूम की एक-एक घटना उसे अच्छी तरह से याद थी दरवाजा खोलते ही उसे एक औरत दिखाई दी थी जिसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और वह कमर के नीचे कुछ भी नहीं पहनी हुई थी उसकी मोटी मोटी केले के तनेके समान चिकनी जांघें से साफ दिखाई दे रही थी लेकिन अफरा तफरी में उसने उस औरत की बुर को नहीं देख पाया था,, इस बात का मलाल उसे अभी भी हो रहा था क्योंकि वह कुछ देर तक दरवाजे पर खड़ा ही रह गया था इतने में उसे उसे औरत की बुर के दर्शन कर लेना चाहिए थी लेकिन न जाने क्यों उसे समय उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पर उसकी नजर ही नहीं गई थी,,,,।

उस औरत के बारे में सोचते हुए राकेश उसकी उम्र के बारे में अर्थ गठन कर रहा था,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी उम्र लगभग 40 से 45 के बीच में ही होगी उसके बदन का कसाव बता रहा था कि उसकी जवानी अभी भी बरकरार थी क्योंकि राकेश ने उसकी बड़ी-बड़ी और कई हुई गांड को अच्छी तरह से देखा था जब वह एकदम से पलट गई थी अपना एक अंगद छुपाने के चक्कर में वह अपना दूसरा कीमती अंग भी राकेश की आंखों के सामने परोस दी थी,,, उसकी बड़ी-बड़ी गांड के बारे में सोच कर ही राकेश का लंड खड़ा होने लगा था,,, यह पहली बार था जब किसी औरत के बारे में सोच कर उसकी हालत खराब हो रही थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,,, उस औरत के बारे में सोच सोच कर उसकी हालत खराब हो रही थी और वह अपने मन में कल्पना करने लगा था,,, और यह कल्पना उसके जीवन की लगभग पहले ही कल्पना थी जब वह किसी औरत के बारे में इतनी गहराई से सोचता होगा उसके बारे में गंदी बातें विचार कर रहा था,,,।

चेंजिंग रूम वाली औरत के बारे में सोते हुए वह धीरे से अपने पजामे को नीचे सरका कर बिस्तर पर लेटे-लेटे अपने लंड को अपनी मुट्ठी में दबा लिया और फिर अपनी आंखों को बंद करके सोने लगा कि वह भी चेंजिंग रूम में उसे औरत के होने के बावजूद भी अंदर घुस गया और अपने हाथों से चेंजिंग रूम का दरवाजा बंद कर दिया वह औरत की साड़ी अभी भी कमर के ऊपर तक की और नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और वह तुरंत उसे औरत की बड़ी-बड़ी चूचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया क्योंकि उसे समय उसका ब्लाउज भी उतरा हुआ था और वह केवल ब्रा पहनी हुई थी,,,। कल्पना करते हुए राकेश अपने लंड को जोर-जोर से दबाते हुए कल्पना में उसे औरत की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबा रहा था पागल हुआ जा रहा था और वह अपनी कल्पनाओं का घोड़ा इतनी तेजी से दौड़ा रहा था की कल्पना में उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी हरकत की वजह से औरत पूरी तरह से उत्तेजित होकर अपनी गांड को बार-बार उसके लंड पर मार रही थी,,,।
Rakesh ki kalnpA

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खड़े-खड़े कल्पना में उसे औरत की हरकत से राकेश पूरी तरह से पागल हो गया और उसकी नंगी गांड की दोनों फांकों को अपने हाथ से फैलाते हुए उसके गुलाबी छेद में अपना लंड डाल दिया उसे चोदना शुरू कर दिया,,,, कल्पना में भी राकेश को अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था और अत्यधिक आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह पागलों की तरह अपने लंड को हीरा रहा था और देखते ही देखते कल्पना में उसे औरत की कमर को दोनों हाथों से पकड़े हुए अपने लंड से पिचकारी फेंक दिया,,,,।

और जब वह होश में आया तो वह झड़ चुका था,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी बिस्तर पर बिजी हुई चादर उसकी पिचकारी से गीली हो चुकी थी वह धीरे से उठा और फिर कुछ देर तक बिस्तर पर पर लटका कर बैठे हुए आनंदित क्षण का आनंद लेने लगा,,,, और जैसे-जैसे उसके सर पर से वासना का भूत उतारने लगा हुआ होश में आने लगा उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह हस्तमैथुन किया था,,, वह अपनी मन में पछताने लगा और फिर दोबारा न करने की कसम खाकर वह चादर को हाथों में तेरी और बाथरूम में जाकर उसे धोने लगा और धोने के बाद उसे बाहर हैंगर पर टांग दिया।

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दूसरे दिन उसके आने की खुशी में पार्टी थी जिसकी तैयारी तो कुछ दिनों से चली रही थी लेकिन सुबह से ही घर की सजावट में घर के नौकर लगे हुए थे वैसे तो घर पर सिर्फ एक ही नौकर थी जो सिर्फ खाना बनाती थी बाकी दुकान के सभी कारीगर जो इस समय हाथ बताने के लिए उपस्थित थे।
Nice erotic story.
 

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सुबह के 9:00 बज रहे थे और सेठ मनोहर लाल की मिठाई की दुकान के सभी कारीगर घर की सजावट में लगे हुए थे,,, सेठ मनोहर लालनी अपनी मिठाई की दुकान के कारीगरों को पैसा बचाने के लिए घर के काम में नहीं लगाया था बल्कि कारीगरों का अपने शेठ से इतना लगाव था वालों खुद ही अपने सेठ के काम में हाथ बटा रहे थे,,, अपने कारीगरों का अपने प्रति प्रेम देखकर सेठ मनोहर लाल भाव विभोर हो गए थे,,, सब लोग अपना-अपना काम कर रहे थे सेठ मनोहर लाल भी सबको हिदायत दे रहे थे कि क्या कैसा करना है,,,, तभी मनोहर लाल का बेटा राकेश शर्ट की बटन को बंद करते हुए,,, अपने पिताजी के पास आया और बोला,,,।

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नमस्ते पापा,,,

खुश रहो बेटा नहा लिए हो,,,, और थोड़ा चाय नाश्ता कर लो,,,,(इतना कहने के साथ ही सेठ मनोहर लाल आगे बढ़े और लोन पर बीझी घास पर लगाई गई टेबल के इर्द-गिर में रखी कुर्सी पर जाकर बैठ गए टेबल पर चाय नाश्ता दोनों तैयार था,,, वैसे भी नाश्ता करने का समय हो गया था इसलिए राकेश भी अपने पिताजी के बगल में जाकर बैठ गया,,,, सेठ मनोहर लाल अपने बेटे से इतना प्यार करते थे कि खुद ही,,, चाय के मग में से कप में चाय निकालने लगै,,, यह देखकर राकेश तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाया और अपने पिताजी के हाथ से चाय का मग लेते हुए बोला,,,।



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यह क्या कर रहे हैं पिताजी मेरे होते हुए मेरे लिए चाय निकल रहे हो,,,(इतना कहने के साथ ही राकेश खुद अपने लिए और अपने पिताजी के लिए चाय निकलने लगा राकेश की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए शेठ मनोहर लाल बोले,,)

इसमें क्या हो गया बेटा तू भले दुनिया के लिए बड़ा हो गया है लेकिन मेरे लिए तो वही छोटा सा मुन्ना है और तेरे लिए चाय निकालने में खाना परोसने में मुझे बिल्कुल भी खराब नहीं लगता बल्कि मुझे तो अच्छा लगता है,,,।

बात ठीक है पिताजी लेकिन मेरे होते हुए सब काम आपको करना पड़े यह मुझे अच्छा नहीं लगता,,,,(चाय का कप हाथ में लेकर अपने पिताजी की तरफ आगे बढ़ते हुए बोला और मनोहर लाल अपने बेटे के हाथ से चाय का कप लेकर चुस्की लेते हुए बोले)

अच्छा बेटा राकेश अपने दोस्तों को तो बुलाया है ना,, क्योंकि मैं तो जानता नहीं हूं तेरे दोस्तों को उन्हें निमंत्रण देने का अधिकार तुझे ही है,,,


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जी पापा,, मैं अपने सभी दोस्तों को निमंत्रण दे दिया हूं समय पर वह लोग पहुंच जाएंगे,,,,,(निमंत्रण की बात आई तो राकेश को वह लड़की याद आ गई जो उसे से टकराई थी वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसे लड़की का नाम पता पता होता तो उसे भी निमंत्रण दे दिया होता लेकिन अफसोस ना तो उसका नाम मालूम है ना तो उसका पता बस दिन रात भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि एक बार फिर से कहीं दिख जाए तो उसका नाम और पता दोनों पूछ लुं,,, चाय की चुस्की लेते हुए और कुछ लड़की के बारे में सोचते हुए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)


एक बात है पापा अपने इंतजाम बहुत बढ़िया किया है,,,



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इंतजाम बढ़िया तो करना ही पड़ेगा बेटा शहर के बड़े-बड़े लोग जो आ रहे हैं,,,, मैं तो चाहता था कि कोई अच्छी सी लड़की मिल जाती तो लगे हाथ तेरी सगाई भी कर देता,,,,

क्या पापा आप भी,,,,(राकेश शर्माते हुए बोला,,,)

अब मैं तेरी एक भी नहीं सुनने वाला बरसों से इंतजार कर रहा हूं कि घर में कोई सदस्य बढे ,, लेकिन अब तेरी मनमानी नहीं चलने वाली,,,,

क्या पापा,,,

पापा वापा कुछ नहीं,,, अब मैं तेरी एक नहीं सुनने वाला,, मैं चाहता हूं कि तेरी जल्दी से शादी हो जाए इस घर में बहु आए नाती पोता खेलें बस अब यही मेरी अंतिम इच्छा है क्या तू इसे भी पूरा नहीं करेगा,,,,



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समय आने पर सब सही हो जाएगा पापा,,,।
(इतना कहकर राकेश वहां से उठकर दूसरे काम में लग गया उसके पिताजी अपने मन में सोचने लगे और निश्चय करने वालों की चाहे कुछ भी हो जाए इस बार तेरी शादी करा के रहूंगा,,, और इसके लिए उन्होंने अपने दोस्तों से अपने रिश्तेदारों से चर्चा भी करना शुरू कर दिया था,,,,।)

धीरे-धीरे समय आगे बढ़ रहा था और देखते ही देखते शाम ढलने लगी 9:00 बजे से कार्यक्रम शुरू होना था घर की तैयारी पूरी हो चुकी थी घर की सजावट भी पूरी हो चुकी थी शाम ढलते ही रोशनी से पूरा बंगला जगमगाने लगा,,, बंगले को दुल्हन की तरह सजाया गया था,,, जिसे दूर दराज से आना था वह धीरे-धीरे पहुंचना शुरू कर दिए थे और सेठ मनोहर लाल सब का अभिवादन करते हुए उन्हें बैठा रहे थे और शरबत पिला रहे थे,,,।



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दूसरी तरफ रूपलाल के घर में भी तैयारी हो रही थी तैयार होने की,,, रूपलाल और उनकी बीवी एक ही कमरे में सज धज रहे थे,,, रूपलाल की बीवी रमा देवी अपने पति के सामने नए कपड़े पहनने के लिए अपने पुरानए वस्त्रो का त्याग कर रही थी,,, देखते ही देखते वह रूपलाल की आंखों के सामने ही पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी थी,,, रमादेवी के बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था और वह आदमकद आईने के सामने खड़ी थी और उसके बगल में रूपलाल खड़े थे जो कि अपने बीवी को निर्वस्त्र अवस्था में देखकर उसे देखते ही रह गए थे,,, रूपलाल की बीवी अपने हाथ में अपनी नई पेंटिं को लेकर उसे इधर-उधर करके देख रही थी,,, और रुपलाल उसके रूप यौवन को निहार रहे थे,,, अपने पति को इस तरह से देखता हुआ पाकर रमादेवी बोली,,,।

ऐसे क्या देख रहे हो,,,?



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नहीं देख रहा हूं कि जवान लड़की की मां होने के बावजूद ,,ईस उम्र में भी तुम देखने लायक हो,,,

नजर मत लगाना मेरी जवानी पर,,,

मेरी नजर नहीं लगने वाली,,,

क्यों नहीं लगने वाली तुम्हारी नजर,,,,(अपनी पैंटी को दोनों हाथों में लेकर अपने एक पैर को पेटी के एक छोर में डालते हुए,,,)
रूपलाल की बीवी तैयार होती हुईं

क्योंकि तुम्हारे खूबसूरत बदन पर मेरा ही हक है,,,

हमम,, होता तो तुमसे कुछ है नहीं और हक जताने चले हो,,,

अरे भूल गई मेरी रानी जवानी के दिन रात भर सोने नहीं देता था,,,

हां भूल गई,,, क्योंकि औरतों को रोज जरूरत पड़ती है,,, पहले तुम रात भर सोने नहीं देती थी और आप रात भर सोते ही रहते हो तुमसे होता कुछ नहीं है,,,

क्या कह रही हो भाग्यवान,,,(इतना कहते हुए रूपलाल पीछे से अपनी बीवी को बाहों में भर लिया,,, और वह पेटी को,, अपनी आधी जांघो पर अटकाते हुए आईने में देखने लगी आईने में उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसका पति उसे पीछे से अपनी बाहों में भरे हुए था पेंटिं के बावजूद भी वह पूरी तरह से नंगी ही थी,,, वह अपने पिछवाड़े पर अपने पति के लंड को महसूस करना चाहती थी उसकी अकड़न भरी रगड़ को अपने नितंबों पर महसुस करना चाहती थी,,, लेकिन कुछ देर खड़े रहने के बावजूद भी ऐसा कुछ भी उसे महसूस नहीं हुआ आईना में एकदम साफ दिखाई दे रहा था कि आज सुबह ही उसने क्रीम लगाकर अपनी बुर के बाल को साफ की थी,,, रूपलाल अपनी नंगी बीवी की जवानी में मदहोश हो रहा था लेकिन टांगों के बीच उसे कुछ महसूस नहीं हो रहा था,,, रुप लाल की बीवी इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि उम्रकेश पडाव में भी उसका बदन एकदम कसा हुआ है और ऐसे में कोई भी जवां मर्द अगर उसे देख भर ले तो भी उसका लंड खड़ा हो जाए लेकिन उसके पति में जरा भी हरकत नहीं हो रही थी इसलिए वहपरेशान होते हुए बोली,,,।

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आईने में देख रहे हो,,,

देख रहा हूं मेरी जान,,,

क्या देख रहे हो बताओ तो जरा,,,,?


तुम्हारी नशीली जवानी,,,(बाहों में भरे हुए ही वह बोला)

जवानी में क्या देख रहे हो,,,

तुम्हारी बड़ी बड़ी चूचियां,,,

और कुछ दिखाई नहीं दे रहा है,,



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और तो बहुत कुछ है मेरी जान लेकिन तुम्हारी चूचियां बहुत मस्त है,,,

बस हो गया ना,,,, तुम जानते हो मैं अपनी पैंटी को जांघों पर अटका कर क्यों रखी हुं ,,,,

क्यों रखी हो,,,

ताकि तुम्हारी नजर मेरी बुर पर जा सके,,, लेकिन तुम्हारी नजर तो सिर्फ चुची पर जा रही है,, काम की जगह पर तो जा ही नहीं रही है यही फर्क होता है इस उम्र में,,, अब तुमसे कुछ नहीं होने वाला,,,,(निराश होते हुए रुपलाल की बीवी अपनी पैंटी को ऊपर चढ़ाते हुए बोली,,,,)




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ऐसा नहीं है मेरी जान,,,

चलो अब दूर हटो मुझे कपड़े पहनने दो,,, तुम्हारी जगह और कोई होता तो उसकी नजर सिर्फ मेरी बुर पर जाती उसके काम की जगह पर जाती,, लेकिन तुम्हारी,,,,,।

(अपनी बीवी की बातें सुनकर रूप लाल भी निराश हो चुका था वह अपनी कमजोरी को अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए अपनी बीवी से दूर हो गया,,, और इसके बाद दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई और दोनों अपने-अपने तरीके से तैयार हो गए,,, इसमें रमा देवी की कोई गलती नहीं थी,,, शरीर सुख पाने की कोई उम्र नहीं होती,,, व्यस्क होने से ढलती उम्र तक तन के जरूरत के मुताबिक मर्द और और दोनों को शरीर सुख की भूख रहती है लेकिन धीरे-धीरे रूप लाल इसमें अपवाद होता जा रहा था,, उसकी शारीरिक क्षमता कमजोर पड़ती जा रही थी और इसके विरुद्ध उसकी बीवी की काम क्षमता बढ़ती जा रही थी,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आ चुके थे और बाहर आकर रमा देवी अपनी बेटी को आवाज लगाती हुई बोली,,,)


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आरती,,,अरे ओ आरती,,, तैयार हुई कि नहीं,,,

जी मम्मी आई,,,,(ऐसा कहते हुए अपने कमरे से आरती बाहर आने लगी वह अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक कर रही थी उसे साड़ी में देखकर उसके मम्मी पापा एकदम दंग रह गए दोनों के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि इस समय आरती परी लग रही थी उसे देखकर रमा देवी अपने मन में ही सोचने लगी,,, जरूर इसको देखकर सेठ मनोहर लाल अपनी बहू बनाने के लिए तैयार हो जाएंगे,,,,)

मैं भी तैयार हो गई मम्मी कैसी लग रही हूं,,,।

बहुत खूबसूरत मेरी बच्ची,,,(इतना कहते हुए माथे पर हल्का सा काजल का टीका लगा दी जो की बहुत ही मामूली था,,,) किसी की नजर ना लगे आज तो तो जरूर से मनोहर लाल की घर की बहू बन जाएगी,,,


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क्या मम्मी,,, फिर से शुरू पड़ गई, ,(आरती शर्माते हुए बोली,,,)

अरे जल्दी चलो 8:30 बज चुके हैं 9:00 वहां पहुंचना है,,,,(रूपलाल हाथ में बंधी हुई घड़ी को देखते हुए बोले)

अरे मालूम है उनका घर कौन सा दूर है पैदल चलेंगे तो भी 15 मिनट में पहुंच जाएंगे,,,(रमादेवी रूपलाल की तरफ देखते हुए बोली ,,)

अरे वह तो ठीक है लेकिन थोड़ा पहले पहुंच जाओगी तो क्या बिगड़ जाएगा मनोहर को भी अच्छा लगेगा कि समय से पहले आ गए,,,

पापा ठीक कह रहे मम्मी,,,(आरती भी अपने पापा के सुर में सुर मिलाते हुए बोली)

चलो अच्छा ठीक है,,,(इतना कहकर तीनों घर में ताला लगाकर बाहर आ गए और रूप लाल अपनी कार स्टार्ट कर दिया,,, कार के स्टार्ट होते ही आरती और उसकी मम्मी दोनों कर में बैठ गए,,, और वह लोग सेठ मनोहर लाल के घर की तरफ निकल गए,,,)
Now the action starts.
 
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सेठ मनोहर लाल की बंगले पर मेहमानों का जमावड़ा शुरू हो चुका था धीरे-धीरे करके शहर के माने जाने लोग आ रहे थे सेट मनोहर लाल दरवाजे पर ही खड़े होकर उन लोगों का स्वागत कर रहे थे,,, इसी से पता चल रहा था कि मनोहर लाल की इस शहर में कितनी इज्जत है,,, सेठ मनोहर लाल बहुत खुश नजर आ रहे थे,,,, क्योंकि उनके घर पर नामी जानी हस्तियां जो धीरे-धीरे आ रही थी जैसे-जैसे लोग आ रहे थे वैसे-वैसे उनका स्वागत किया जा रहा था और उन्हें मेहमान कच्छ में बिठाकर शरबत पिलाया जा रहा था,,,, मेहमानों में कुछ नए जोड़े भी थे जिन्हें देखकर सेठ मां और लाल अपने मन में यही सोच रहे थे कि काश उसके बेटे की भी शादी हो जाती तो उसकी भी जोड़ी बन जाती कहीं भी आते जाते तो दोनों साथ में आते जाते,,, कितना अच्छा लगता देखने में,,,।


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लेकिन मनोहर लाल अपने मन में ठान लिए थे कि अपनी इस इच्छा को जरूर पूरी करके रहेंगे भले ही उनका बेटा कितना ही ना नुकुर करें,,, बाकी के नौकर मेहमान की सेवा व्यवस्था में लगे हुए थे,,, सभी नौकरों को ठीक से समझा दिया गया था कि उन्हें क्या करना है और किसी भी शिकायत का मौका किसी को भी ना मिले इसका खास ध्यान रखा गया था आखिरकार शेठ मनोहर लाल की इज्जत का सवाल था,,, पार्टी बंगले के बगीचे में ही रखी हुई थी बाकी पूरे घर को रोशनी से सजाया गया था,,,,। सड़क से गुजरा हुआ हर शख्स कुछ देर के लिए सड़क पर ही रुक जाता था और सेठ मनोहर लाल के बंगले की लालिमा को देखकर प्रसन्न हो जाता था और मन में ही सोचता था कि काश वह भी इस पार्टी का हिस्सा होता तो कितना अच्छा होता,,,।



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देखते ही देखते 10:00 बज गए थे अब किसी भी मेहमान के आने की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए सेठ मनोहर लाल दरवाजे से हटकर पार्टी में आए मेहमानों की देखरेख में लग गए थे सेठ मनोहर लाल सभी मेहमानों को खुद पूछ पूछ कर उनके मुताबिक खाने पीने की व्यवस्था कर रहे थे,,, खाने पीने की व्यवस्था तो थी ही सेठ मनोहर लाल यह भी जानते थे कि उनके कुछ मित्र पीने के भी शौकीन हैं इसलिए शराब की भी व्यवस्था की गई थी,,, सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए सेठ मनोहर लाल की आंख एक जगह टिक रही थी जब उनके परम मित्र रूप लाल उनके घर प्रवेश किए थे तब उनकी नजर एक खूबसूरत नवयुवती पर टिकी टिकी रह गई थी जो की साड़ी में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थी उसे समय मौके की नजाकत को देखते हुए सेठ मनोहर लाल उसे लड़की के बारे में पूछ नहीं पाए थे कि वह कौन है कहां से आई है किसके साथ आई है लेकिन उन्हें अंदाजा था कि वह लड़की रूपलाल के ही साथ आई थी क्योंकि वह रूप लाल के पीछे खड़ी थी जब वह लोग पार्टी के लिए दरवाजे से प्रवेश कर रहे थे,,,।

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पार्टी शुरू हो चुकी थी लोग अपने-अपने हिसाब से खाने पीने का सामान लेकर खा रहे थे,,, तभी आरती को उसके ही कॉलेज की एक सहेली मिल गई थी और वहां अपनी सहेली के साथ कपड़े लड़ाने में लग गई थी,,,।

बाप रे आरती तू तो ऐसी लग रही है कि जैसे स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा हो पहली बार तुझे साड़ी में देख रही हूं नहीं तो पहली बार पहचान ही नहीं पाई थी कि तू आरती,,,

क्यों मैं तुझे पहले खूबसूरत नहीं लगती थी क्या,,,.(अपने बाल की लटो को अपनी उंगली से कान के पीछे ले जाते हुए आरती बोली,,,)

नहीं नहीं ऐसी बात नहीं आती तो पहले से ही भला की खूबसूरत है लेकिन आज तो बिजली गिरा रही है पता नहीं आज तुझे देख कर कौन-कौन घायल होने वाला है,,,,



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चल अब रहने भी दे,,,, वैसे तू बता तू किसके साथ आई है,,,

मम्मी पापा के साथ आई हूं,,,,

और तू,,,

मैं भी मम्मी पापा के ही साथ आई हूं,,,, लेकिन तू तो कभी पार्टी में आती जाती नहीं है फिर आज कैसे,,,

अरे यार आरती मैं तो यहां भी नहीं आना चाहती थी लेकिन मम्मी पापा जबरदस्ती लेकर आ गए,,,

वह क्यों भला,,,?

कहते हैं कि शेठ मनोहर लाल का लड़का राकेश इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर घर वापस आया है उसकी शादी की तैयारी होनी है,,,,(उसका इतना कहना था की आरती उसके कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ गई थी वह समझ गई थी कि उसके मम्मी पापा शादी का सोचकर ही उसे साथ में लेकर आए थे लेकिन आरती कुछ बोली नहीं बस उसकी बात सुनती रही,,, वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) और मेरे मम्मी पापा चाहते हैं कि उसके पापा मुझे पसंद कर ले,,,।

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how to type an exponent in word
तो इसमें हर्ज ही क्या है,,,(बेमन से आरती औपचारिकता निभाते हुए बोली) कर लेना चाहिए ना तुझे शादी मनोहर लाल शहर के माने जाने हस्ती है,,,

अब वह चाहे जो भी हो आरती तुझे तो मालूम है कि मैं दूसरे से प्यार करती हूं वह तो मम्मी पापा के जिद के कारण यहां आ गई वरना आती भी नहीं,,, ।

चल कोई बात नहीं किस्मत में अगर लिखा होगा तो तेरी शादी तू चाहती है वही होगी और अगर नहीं तो फिर जहां होनी है वहां तो होनी ही है,,,

तो ठीक कह रही है आरती,,,,
(उसका इतना कहना था कि तभी उसकी मम्मी पापा उसे आवाज देकर अपने पास बुलाए वह लोग राकेश से उसके पिताजी से उसे मिलाना चाहते थे,,, वैसे तो आरती भी शादी के लिए तैयार नहीं वह भी अपनी मम्मी पापा के जीद के कारण ही यहां आई थी और उसे भी साफ पता चल रहा था कि यहां पर बहुत सारी लड़कियां आई थी ,, एकदम सज धज कर,,, और उन लोगों का इरादा भी यही था,,,, आरती सोच में पड़ गई की इतनी सारी लड़कियां ,, सभी मां-बाप अपनी लड़कियों की शादी राकेश के साथ कराना चाहते हैं तो जरूर कुछ बात होगी,,,,अब आरती के मन में राकेश को देखने की अभिलाषा जागने लगी,,वह देखना चाहती थी कि राकेश कैसा दिखता है कैसा लगता है,,, और वह वापस अपनी मम्मी पापा के पास जाने लगी,,,।

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पार्टी में खाने-पीने के साथ-साथ शराब और शरबत का भी जुगाड़ था इसलिए कुछ लोग शराब पीकर स्पीकर पर बज रहे गाने को सुनकर झुमने लगे थे,,, महफ़िल पूरी तरह से जमने लगी थी,,, महफिल का रंग बनने लगा था,,, पार्टी में आए सभी मेहमान खुश नजर आ रहे हैं क्योंकि उन्हें शिकायत का कोई मौका नहीं दिया गया था सिर्फ मनोहर लाल अच्छा बंदोबस्त किए थे और सभी के मुंह से उनकी तारीफ सुनने कोई मिल रही थी क्योंकि कुछ लोग तो यह कह रहे थे कि आज तक उन्होंने इस तरह की पार्टी नहीं देखी,,,,,।

सभी बड़ा सा गोलाकार आकार में और 5 मंजिला वाला केक बंगले के बगीचे के बीचो-बीच रख दिया गया था और यह केक शेठ मनोहर लाल की दुकान पर ही बनाया गया था,,, केक को देखकर मेहमान समझ गई थी केक काटने का समय आ गया है उसके बाद खाना पीना का आनंद लिया जाएगा,, अभी तक तो सिर्फ शरबत शराब और नाश्ता ही चल रहा था,,,, तभी रूप लाल अपनी बीवी से बोले,,,।



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देखो भाग्यवान केक आ चुका है अब कुछ ही देर में राकेश भी आ जाएगा ,, तुम आरती को लेकर सबसे आगे खड़ी रहना,,, ताकि राकेश और उसके पिताजी की नजर आरती पर ही पड़े,,,।

मैं सब जानती हूं मुझे क्या करना है,,,,,, तुम बस शेठ मनोहर लाल के साथ रहना ,,,, लेकिन मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है मुझे जाना होगा,,,,

लेकिन जाओगी कहां,,,?(रूपलाल परेशान होते हुए बोले)

मैं वेटर से पूछ लेती हूं कुछ तो इंतजाम होगा ही,,,

ठीक है,,,

(रूपलाल की बीवी के पास पहुंच गए हो वहीं पर एक वेटर से पूछी,,,)

वॉशरूम कहां है,,,,?

जी मैडम ऊपर सीढियो से जाईएगा वहीं बाईं और पर है,,,।

थैंक,,, यू,,,,

यू वेलकम मैडम,,,,

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(रास्ता बता कर बैठा अपने काम में लग गया और रूपलाल की बीवी रमा देवी,, बंगले के अंदर पहुंच गई और सीढीओ से ऊपर की तरफ जाने लगी,,,,,, यह पहली मर्तबा उसके साथ ऐसा हुआ था कि किसी पार्टी में जाने पर उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी थी,,, इसलिए उसे थोड़ी शर्म भी महसूस हो रही थी वह बंगले में तो आ चुकी थी और सीढ़ियां चढ़ते हुए वह पूरे बंगले को देख रही थी वाकई में शेठ मनोहर लाल कितने रईस है ये उनका बंगला देखने पर ही पता चल रहा था,,,, और यह सब देखते हुए वह अपने मन में सोच रही थी कि भगवान करे उसकी बेटी इस घर की बहू बन जाए तो जिंदगी भर राज करेगी,,,।

एक तरफ वह अपनी बेटी को इस घर की बहू बने के बारे में सोच रही थी वह दूसरी तरफ उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसी अफरा तफरी में उसे समझ में नहीं आया कि वेटर ने उसे दाएं जाने के लिए बोला था या बाएं,,,, पल भर के लिए बस सीढ़ियां चढ़कर वहीं खड़ी होकर दाएं बाएं देखने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था की जाए तो जाए कहां और यहां पर कोई नजर भी नहीं आ रहा था,,, जिस तरह की महफिल घर के बाहर सजी हुई थी अंदर उतना ही सन्नाटा फैला हुआ था और रमा देवी को थोड़ी घबराहट भी हो रही थी,,, क्योंकि वह पेशाब करने के लिए दूसरे के बंगले पर जो आ गई थी,,, यह स्थिति सिर्फ रमादेवी के लिए नहीं बल्कि हर एक औरत के लिए शर्मिंदगी का एहसास कराने वाला हो जाता है,,,। क्योंकि इस तरह की जगह पर जाकर पेशाब करने के लिए जगह छोड़ने वाकई में एक औरत के लिए शर्मसार कर देने वाला होता है और यही अनुभव इस समय रमादेवी महसूस कर रही थी,,,।



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उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,, और पेशाब की तीव्रता उन्हें परेशान कर रही थी इसलिए आखिरी निष्कर्ष पर उतरते हुए वह दाएं तरफ घूम गई,,, और आगे जाने पर उन्हें कमरे का दरवाजा खुला हुआ मिला घर में कोई मौजूद नहीं था इसका आभास रमा देवी को हो चुका था ,,, इसलिए इस मौके का फायदा उठाते हुए वह कमरे में प्रवेश कर गई और उन्हें तुरंत सामने ही बाथरूम खुला हुआ दिखाई दिया,,,, और इस समय जिस तरह की उनकी हालत थी खुले हुए बाथरूम को देखकर उनके चेहरे पर चमक आ गई और वह तुरंत बाथरूम में प्रवेश कर गई,,,,।

उसे बड़े जोरों की लगी हुई थी वह बाथरूम में घुसते ही ,,, अपनी साड़ी कमर तक उठे और चड्डी घुटनों का खींचकर बैठ गई पेशाब करने के लिए,,, जैसे ही उसकी गुलाबी छेद से पेशाब के बाहर निकली उसे राहत महसूस होने लगी और वहीं दूसरी तरफ कमरे में मौजूद राकेश को किसी के कमरे में घुसने की आहट हुई और वह तुरंत देखने के लिए उसे जगह पर आकर और इधर देखने लगा,,, जिस कमरे में रूपलाल की बीवी पेशाब करने के लिए खुशी थी वह कमरा राकेश का ही इसलिए रूपलाल की बीवी के सैंडल की आवाज और उनको चूड़ियों की खनक कमरे में साफ सुनाई दे रही थी,,,, राकेश को लेकिन कोई दिखाई नहीं दे रहा था उसी को समझ में नहीं आ रहा था की आहट आई तो ए किसकी तभी उसे बाथरूम के अंदर से हल्की-हल्की सीटी की आवाज सुनाई दे रही थी,,।



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राकेश पार्टी में जाने के लिए तैयार हो चुका था अब उसकी वहां पर जरूरत थी और वह निकलने वाला था कि कमरे में किसी की आहट आ गई थी और वह रुक गया था,,, लेकिन वह समझ गया था उसके बाथरूम से ही आवाज आ रही है,,, इसलिए उसका दिल जोरो से धड़कने लगा वह नहीं जानता था कि कमरे के अंदर कोई औरत है और उसके बाथरूम में ही है उसे लग रहा था कि कोई और है लेकिन कौन है यह नहीं जानता इसलिए धीरे-धीरे बाथरूम के दरवाजे के पास भी है वहां से अभी भी बड़ी जोरों की सीटी की आवाज आ रही थी और अनुभवहीन राकेश समझ नहीं पा रहा था कि आखिरकार यह सिटी की आवाज किस चीज की,,,, इसलिए उसने तुरंत दरवाजा खोल दिया,,,।



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और दरवाजा खोलते ही बाथरूम के अंदर का जो नजारा उसकी आंखों के सामने नजर आया उसे देख करके उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,, वह कभी सोचा नहीं था कि उसके कमरे में इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा एक तरह से उसकी आंखें चौंधिया गई थी,,.। आखिर वह भी क्या कर सकता था उसकी जगह कोई और होता तो उसकी भी हालत ठीक राकेश की तरह ही होती,,,,,,, नजर ही कुछ ऐसा था बाथरूम के अंदर का,,,, जिसे देखकर राकेश की सिट्टी पीट्टी गुम हो गई थी,,,।


उसके ही कमरे में उसके ही बाथरूम के अंदर एक औरत पेशाब कर रही थी,,, उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी उसकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम चमक रही थी और उसकी बुर से लगातार सिटी की आवाज आ रही थी देख कर ही राकेश समझ गया था कि वह औरत पेशाब कर रही है,,, लेकिन उसके कमरे में उसके ही बाथरूम में क्यों उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जिस तरह से उसने दरवाजा खोला था दरवाजा खुलते ही,,, रमादेवी एकदम से चौंक गई थी और चौक कर दरवाजे की तरफ देखने लगी थी और जब उन्होंने देखा कि दरवाजे पर वही कपड़े की दुकान वाला लड़का है तो उसके होश उड़ गए,,, उसे भी कुछ समझ में नहीं आया और वह भी राकेश को ही देखने लग गई,,, कुछ पल के लिए राकेश को भी कुछ समझ में नहीं आया उसकी नजर सबसे पहले उसे औरत की बड़ी-बड़ी गांड पर ही गई थी एकदम नंगी एकदम गोरी कैसी हुई उम्र का जरा भी असर उसकी गांड पर नहीं पड़ा था गांड को देखने पर लगता ही नहीं था कि एक जवान औरत की मां है,,,, लेकिन जैसे ही वह औरत राकेश की तरफ देखने लगी तो राकेश के भी होश उड़ गए राकेश उसे औरत को पहचानने में जरा भी समय नहीं लिया हुआ पहचान गया था कि यह औरत तो वही है चेंजिंग रूम में जिसे अर्धनग्न अवस्था में देखा था,,, यह देखकर राकेश के भी होश उड़ गए उसे इस समय भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें दरवाजा बंद कर दे या वहीं खड़ा रहे,,,,‌
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राकेश दूसरे लड़कों की तरह बिल्कुल भी नहीं था वह तुरंत अपनी संस्कारों का असर दिखाते हुए अपने हाथों से दरवाजा बंद कर दिया और वहां से हट गया अंदर पेशाब करने बैठी रमादेवी के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थी,,, उनके चेहरे पर शर्म की लालिमा छानी लगी थी वह अपनी मम्मी सो रही थी की अजब इत्तेफाक है यही लड़का चेंजिंग रूम के बाहर भी था और इस समय भी कमरे के अंदर भी समझ में नहीं आ रहा कि आखिरकार हो क्या रहा है,,, यह लड़का यहां क्या कर रहा है,,,,।

थोड़ी देर में पेशाब करके वह खड़ी हो गई और अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगी,, शर्म के मारे चेहरे पर उपस आए पसीने की बूंदों को पानी के छीटे मारकर अपने रुमाल से अपने चेहरे को साफ की और फिर दरवाजे के पास पहुंच गई दरवाजे को खोलने में उसे समय महसूस हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि वह लड़का यही खड़ा होगा क्योंकि उसके पैरों की आवाज ज्यादा दूर तक जाती हुई उसे सुनाई नहीं देती उसके इर्द-गिर्द ही सुनाई दे रही थी इसलिए उसे अंदाजा लगाने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हुई कि वह लड़का कमरे में ही है लेकिन कमरे में क्या कर रहा है यह उसके लिए एक बड़ा सवाल था।

आखिरकार धीरे से वह दरवाजे को खुली और दो कदम आगे गई तो वही बाय और बड़े से बेड पर वह बैठा हुआ था रमादेवी की उस नजर मिलाने की हिम्मत नहीं हुई,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह वहीं खड़ी रहे या चली जाए,,,, लेकिन फिर भी औपचारिकता निभाते हुए बोली।

मैं माफी चाहती हूं मुझे बाथरूम युज करना पड़ा,,,

कोई बात नहीं लेकिन आप वही चेंजिंग रूम वाली लेडी होना,,,

जी हां मुझे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा कि आखिरकार मेरे साथ यह सब क्यों हो रहा है,,,।(अपने सर को झुकाए हुए ही वह बोली)

क्योंकि वहां की तरह यहां भी आप दरवाजे की कड़ी लगाना भूल गई थी,,,, और इस गलती को जितनी जल्दी हो सके सुधार लो क्योंकि गड़बड़ हो सकती है,,,।
(राकेश के द्वारा गड़बड़ वाली बात सुनकर रमादेवी के बदन में सिहरन सी दौड़ गई,,, वह अच्छी तरह से समझ रही थी कि वह लड़का किस लिए गड़बड़ हो सकती है बोल रहा है,,, क्योंकि वह जिस तरह से पेशाब कर रही थी पैसे में कोई और लड़का उसे देखा तो वह भी बाथरुम में आ जाता है और अभद्र व्यवहार करने लगता,,,, राकेश की बात सुनकर बहुत ज्यादा कुछ बोली नहीं बस इतना ही बोली,,,)

आइंदा ख्याल रखूंगी,,,(इतना कहकर वह कमरे से बाहर निकल गई और राकेश दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर बिस्तर पर टिकाकर अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति को देखने लगा,, जो की बेहद खराब स्थिति से गुजर रहा था उसके पेंट के आगे वाले भाग में तंबू बना हुआ था,,,, उसे औरत की बड़ी-बड़ी गांड देखकर और इस पेशाब करता हुआ देखकर उसका लंड खड़ा हो गया था किसी औरत को पेशाब करते हुए जो देख रहा था इसीलिए वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पा रहा था,,,। उसे पहले से ही देर हो रही थी और अब पेट में तंबू बना हुआ था और इस हालत में वह पार्टी में जा नहीं सकता था,,, इसलिए अपने उत्तेजना पर काबू करने के लिए वह कुछ देर तक अपने बिस्तर पर ही बैठा रहा और जब उससे भी काम नहीं बना तो उठकर खड़ा हो गया और बाथरूम में जाकर खुद अपने पेट में से लंड को बाहर निकाला,,, जो कुछ भी अब तक हुआ था उसके बारे में सोच कर उसका मन तो यहीं कर रहा था कि अपने हाथ से हिला कर अपनी गर्मी को शांत कर ले,, लेकिन किसी तरह से अपने मां पर काबू करके पेशाब करने लगा,,,,।

अभी-अभी इसी बाथरूम में वह खूबसूरत औरत पेशाब करके गई थी इसके पेशाब की गंध उसके नथुनों तक बड़े आराम से पहुंच रही थी,,, लेकिन इस गंध का असर उसे कमांध कर रहा था,,, वह और भी ज्यादा अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव करने लगा जिसके चलते उसका लंड और ज्यादा कड़क हो गया,,, अब उससे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था अपने लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा,,, और यह क्रिया करते हुए अनजाने में उसे मजा आने लगा और फिर उसे औरत को याद करके वह पूरी तरह से अपने लंड को अपने मुट्ठी में भर लिया और मुठ मारने लगा,,,।


वासना का तूफान शांत होते ही वह हाथ मुंह धोकर बाथरूम से बाहर निकला तब तक उसका मन हल्का हो चुका था और पेंट के आगे वाला भाग भी सही हो गया था और फिर वह धीरे से अपने कमरे से बाहर निकल गया,,,, काफी देर हो जाने की वजह से उसके पिताजी उसे लेने के लिए आ रहे थे और सीढ़ियों पर ही उनकी मुलाकात हो गई,,,।

राकेश क्या कर रहे थे बहुत देर हो रही है मेहमान इंतजार कर रहे हैं,,,

वो वो क्या है ना पापा की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या पहनु इसलिए देर हो गई,,,

तुम्हारे ऊपर तो सब कुछ जंचता है जो पहन लोगे सब अच्छा लगेगा,,,।
(और ऐसा कहते हुए अपने बेटे के कंधे पर हाथ रख कर वह जहां पर केक रखा हुआ था वहां तक अपने बेटे को लेकर आया और सभी से मिलाते हुए बोला,,)

लेडीज एंड जैंटलमैन यह पार्टी में अपने बेटे के घर आने की खुशी में दिया हूं और वह इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर घर आया है,,, राकेश,,,, मेरे बेटे का नाम है राकेश,,,,।
(सेठ मनोहर लाल को इतना कहते ही तालिया बजने लगी और रमादेवी,,, यह देखकर हैरान थी कि दो-दो बार उसे अर्धनग्नवस्था में देखने वाला लड़का कोई और नहीं बल्कि शेठ मनोहर लाल का ही बेटा है जिसके साथ वह अपनी बेटी का विवाह तय करवाना चाहती है,,,, यह देखते ही रूपलाल की बीवी के होश उड़ने लगे थे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

पार्टी पूरी होने तक रमा देवी अपनी बेटी को साथ लिए हुए सेठ मनोहर लाल के इर्द-गिर्द घूमती रही,,,, पार्टी खत्म हो चुकी थी सारे मेहमान जा चुके थे शेठ मनोहर लाल भी थक कर अपने कमरे में चले गए थे,,, लेकिन राकेश की हालत खराब थी बार-बार उसकी आंखों के सामने बाथरूम वाला दृश्य नजर आ जा रहा था वाकई में बेहद कामुकता से भरा हुआ दृश्य जो था,,,, वह कभी सोचा भी नहीं था कि बाथरूम का दरवाजा खोलते ही उसे खूबसूरत औरत पेशाब करते हुए दिखाई देगी और यही सोचता हुआ वह अपने बिस्तर पर करवट बदल रहा था,,,।
Bahut hi standaar update.
 
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