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सुबह में हुए अपनी मम्मी पापा के झगड़े की वजह से आरती को ऐसा लग रहा था कि उसकी मम्मी गुस्सा कर अपने कमरे में सोने चली गई है और उसके पापा के लिए दूध लेकर नहीं गई इसलिए वह अपने हाथ में दूध का गिलास लेकर अपने पापा के कमरे की तरफ जाने लगी थी,,,।
लेकिन दूसरी तरफ कमरे के अंदर का नजारा कुछ ओर ही था,,,, रूपलाल सब कुछ भुलाकर अपनी बीवी को मनाने की कोशिश कर रहे थे,,,, वह बिस्तर पर लेटे हुए थे,,, रुपलाल की बीवी,, गुस्सा कर बिस्तर पर किनारे बैठी हुई थी,,, रूपलाल भी उठकर बैठ गया और अपनी बीवी के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,,,।
तुम खामखा नाराज हो जाती हो,,,,
नाराज क्यों ना होऊं,,,,,, तुम मेरी एक भी बात सुनते कहां हो,,,, कितने दिन से कह रही हूं की आरती के बारे में बात करो आरती के बारे में बात करो लेकिन तुम हो कि सुनने का नाम ही नहीं लेते,,,।
अरे भाग्यवान तुम समझ नहीं रही हो मनोहर लाल बहुत बड़ा आदमी है भले ही मेरा दोस्त है लेकिन इस तरह से सीधे-सीधे उसको जाकर यह कहूंगा कि मेरी लड़की को अपने घर की बहू बना लो तो यह तो हमारी मजबूरी हो जाएगी कभी बात जिक्र छेढ़ेगा तो मैं जरूर आरती की बात करूंगा इतनी सीधे-सीधे जाकर उससे कहने में कुछ अजीब लगता है,,,।
मैं भी जानती हूं किसी से सीधे जाकर इस तरह की बात नहीं की जा सकती लेकिन मुझे इस बात का डर है कि कहीं देर हो गई तो,,,,।
देखो भाग्यवान यह सब किस्मत का खेल है शादी विवाह सब किस्मत से होता है अगर उसकी किस्मत में मनोहर लाल की बहू बना लिखा होगा तो हमें तो कहने की भी जरूरत नहीं है रिश्ता खुद ब खुद चलकर घर पर आ जाएगा,,,,।
तुम्हारी यह सब बातें मुझे पढ़ने नहीं पड़ती तुम हर काम किस्मत पर छोड़ देते हो कुछ करते नहीं,,,, जैसा कि बिस्तर पर,,,,,।
अरे भाग्यवान उसका भी समाधान करके आया हूं,,,।
समाधान,,,, कैसा समाधान,,,,?(आश्चर्य से अपने पति की तरफ देखते हुए रमा बोली,,,)
तुम शायद नहीं जानती लेकिन तुम्हारी यह सब बातें सुनकर मुझे भी ऐसा लगने लगा है कि जरूर मेरे में ही कुछ कमी है इसलिए मैं इसके इलाज के लिए डॉक्टर के पास गया था,,,,।
डॉक्टर के पास,,,(एकदम उत्साहित होते हुए रमा बोली,,,)
हां एक डॉक्टर के पास,,,,
तो क्या कहा डॉक्टर ने,,,,
डॉक्टर ने पूरी जांच पड़ताल करके कहा है कि ज्यादा परेशान होने वाली बात नहीं है उसकी दी हुई दवाई अगर में एक-दो महीना तक खाऊंगा और उसके द्वारा दिया गया तेल लगाऊंगा तो जल्द ही मेरी मुसीबत दूर हो जाएगी,,,,।
यह बात है,,, लेकिन वह दवा और तेल कहां है,,,,, लाए जल्दी दिखाओ मुझे,,,,(वह एकदम से उत्साहित होते हुए बोली उसे रहा नहीं जा रहा था क्योंकि इस समय उसकी जरूरत यही थी,,,)
अरे रुको तो सही थोड़ा सब्र करो मैं अभी तुम्हें दिखाता हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही रूप लाल अपनी बिस्तर पर से नीचे उतर गया और अलमारी के पास किया और अलमारी में रखे हुए कपड़े के पीछे छुप कर रखी हुई तेल की सीसी और दवाई अपने हाथ में लेकर खुश होते हुए अपनी बीवी के पास आया,,,,)
यह देखो यही दिया है डॉक्टर ने,,,,
(रूपलाल ने जैसे ही अपनी बीवी को दवा दिखाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया वैसे ही तुरंत रमा अपना हाथ आगे बढ़कर उसके हाथ से दवाई और तेल की सीसी ले ली और तेल किसी को बड़े करे से उलट पलट कर देखने लगी,,,, तेल की शीशी पर कीमत लिखी हुई थी 899रुपया,,,, इतनी कीमत देखकर वह आश्चर्यजताते हुए बोली,,,,)
बाप रे समझ लो पूरे ₹900 हैं सिर्फ केवल ₹1 कम है,,, इतनी महंगी,,,,।
अरे मुसीबत भी तो वैसे ही है इसीलिए दवा भी महंगी है,,,,।
क्या यह काम करेगी,,,,।
रमा और उसका पति
100% डॉक्टर ने पूरा विश्वास दिलाया है और मैं ही वही नहीं था उसके वहां तो बहुत भीड लगती है,,, दो-चार लोगों से मैंने पूछा भी वह लोग भी वहीं से दवा ले रहे हैं और उन्हें आराम लगने लगा है वह दवा काम करने लगी है इसीलिए तो मैंने लिया हूं वरना मैं लेता ही नहीं,,,।
कसम से अगर यह काम करने लगा तब तो मजा ही आ जाएगा,,,,(उसे सीसी के धोखे को इधर-उधर घूमा कर देखते हुए बोली,,, वह सीसी के खोखे पर छपे हुए खड़े लंड को देख रही थी जो की काफी मोटा और लंबा था,,, और मन ही मन सोच रही थी काश उसके जीवन में भी उसकी बुर के लिए ऐसा मोटा तगड़ा लंड लिखा होता तो उसका जीवन सफल हो जाता ,,, फिर भी उस खोखे पर छपे लंड को देखकर वह उत्तेजित होने लगी थी और उस चित्र को अपने पति को दिखाते हुए बोली,,,)
रुपलाल अपनीबीवी की चड्डी उतरता हुआ
अगर तुम्हारा ऐसा होता तो कितना मजा आता,,,,।
शुरू शुरू में तो ऐसा ही था अब उम्र का थोड़ा तो फर्क पड़ेगा ही,,,,।(रूपलाल इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि धोखे में छपे लंड से आधा भी नहीं था उसका लंड फिर भी वह अपने मन को मनाने के लिए बोल रहा था,,,,)
चलो अब जल्दी से दवा खा लो फिर मैं यह तेल तुम्हारे लंड पर लगाकर मालिश कर देती हूं देखु तो सही इसका असर,,,, थोड़ा बहुत तो करंट लगाएगा ही ,,,।
हां शुरू शुरू में थोड़ा बहुत तो असर करेगा ही धीरे-धीरे कुछ ज्यादा असर करने लगेगा,,,।
(इतना कहने के साथ ही रूपलाल टेबल पर रख पानी के गिलास को हाथ में दिया और दवाई को मुंह में डालकर पानी पी लिया और फिर सीधा बिस्तर पर आ गया जहां पर उसकी बीवी पूरी तरह से तैयार थी,,,,)
रमा और उसका पति
अब बिस्तर पर लेट जाओ,,,,, मैं भी जरा देखूं इस तेल का कमाल,,,,,,।
(अपनी बीवी की बात सुनते ही रूपलाल बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया,,,,, वह इस बात से खुश तथा ही की वह अपनी कमजोरी के लिए तेल और दवाई लेकर आया था और इस बात से कुछ ज्यादा ही खुश था कि उसकी बीवी बहुत जल्दी मान गई थी उससे नाराज नहीं थी,,,,,रमा अपने हाथों से अपने पति का पजामा उतरने लगी और देखते ही देखते कमर के नीचे उसे पूरी तरह से नंगा कर दी नंगा होते ही उसकी नजर अपने पति के दोनों टांगों के बीच कहीं तो देखकर थोड़ी तो निराशा उसे महसूस हो रही थी क्योंकि जहां पर पति-पत्नी के बीच इस तरह की बातें आपस में होती हो वहां पर पति-पत्नी दोनों ही उत्तेजित हो जाते हैं जैसा कि वह खुद हो रही थी उसे पूरा अहसास हो रहा था कि उसकी बुर से पानी टपक रहा था वह तेज हो रही थी लेकिन उसके पति में जरा भी फर्क नहीं पड़ रहा था उसका लंड मुरझाए हुए बैंगन की तरह था,,,, फिर भी मन में उम्मीद लिए वह अपना हाथ आगे बढ़कर अपनी उंगली से लंड को इधर-उधर करने लगी क्योंकि इस समय सुषुप्त अवस्था में उसकी उंगली जितना ही था,,,,।
रमा और उसका पति
फिर भी उसकी हरकत से रूपलाल के लंड में थोड़ी बहुत हलचल होने लगी,,, जिसे देखकर रमा भी खुश हो रही थी,,,,,, और वह खुश होते हुए उसे खोखे में से तेल की सीसी बाहर निकाल ली,,,, और उसका ढक्कन खोलने लगी,,,, यह देख कर रूपलाल मन ही मन बहुत खुश हो रहा था उसे भी ऐसा था कि तेल लगाते ही उसके लंड में हरकत जरूर होगी,,, और देखते ही देखते उसकी बीवी तेल के सीसी के ढक्कन को खोलकर एक तरफ रख दी और उसमें से तेल की धार को अपनी हथेली पर गिराते हुए धीरे से सीसी का ढक्कन लगाकर बंद कर दी,,,,।और उसे नीचे रख दी,,, और फिर हथेली में लिया हुआ तेल वह बड़े आराम से अपने पति के लंड पर लगाने लगी,,,, वह बड़ी शिद्दत से अपने पति के लंड पर तेल की मालिश कर रही थी,,,।
और दूसरी तरफ आरती अपनी मां के कमरे तक पहुंच चुकी लेकिन अच्छी दरवाजा बंद है लेकिन खिड़की से उजाला बाहर आ रहा था इसलिए वह दरवाजे पर दस्तक देने से पहले यह देख लेना चाहती थी कि उसके मम्मी पापा सो रहे हैं या जाग रहे हैं इसलिए कहा सहज रूप से औपचारिकता निभाते हुए खिड़की से अंदर की तरफ देखी तो अंदर का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,,,,।
रमा और उसका पति कुछ ईस तरह से
kasak song
ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,, वह कभी सोची नहीं थी कि उसे अपनी मां के कमरे में इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी उसे सब को साफ नजर आ रहा था जिंदगी में पहली बार उसने इस तरह का दृश्य अपनी आंखों से देखी थी,,, और वह भी किसी गैर का नहीं बल्कि अपने ही मम्मी पापा का,,,, कुछ देर के लिए उसे कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें वह अपनी आंखों से क्या देख रही है कमरे में क्या हो रहा है वह एकदम से शुन्य मनस्क हो चुकी थी,,, लेकिन जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि अंदर एक मर्द और औरत के बीच खेले जाने वाला खेल जारी है तो उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह वहीं खड़ी रहे या वहां से चली जाए,,,,।
रमा और उसका पति
आरती पूरी तरह से जवान हो चुकी थी शादी के लिए लड़का ढूंढा जा रहा था इसका मतलब साफ था कि अब वह चुदवाने के लिए तैयार थी,,, उसके बदन में भी जगह-जगह पर उभार आ चुका था वह पूरी तरह से जवान हो चुकी थी इसलिए औपचारिक रूप से इस तरह का दृश्य देखने पर जिस तरह का एहसास दूसरी लड़कियों को होना चाहिए वही एहसास आरती को भी होने लगा था उसे अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल होती हुई महसूस होने लगी थी,,, आरती वहां पर खड़ी रहना नहीं चाहती थी वह दबे पांव वहां से वापस लौट जाना चाहती थी लेकिन ऐसा हुआ कर नहीं पा रही थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार किसी मर्द और औरत के बीच के रिश्ते को वह अपनी आंखों से देख रही थी और कमरे में कोई गैर नहीं बल्कि उसके ही मम्मी पापा थे इसके बारे में कभी सोच नहीं सकती क्योंकि इस उम्र में भी दोनों इस तरह की हरकत करते होंगे,,,,।
रमा और उसका पति कुछ इस तरह से
उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां उसके पापा के लंड पर मालिश कर रही थी,, और सुबह जिस तरह से दोनों के बीच जी मुद्दे पर लेकर बात हो रही थी आरती को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां उसके पापा के लंड को खड़ा करने की कोशिश कर रही है,,,, तभी उसके कानों में उसकी मां की आवाज सुनाई दे जो उसके पापा से बोल रही थी,,,।
अभी तक तुम्हारे लंड में कोई हरकत नहीं हो रही है,,,।
(अपनी मां के मुंह से इस तरह की बात सुनकर खास करके लंड शब्द का प्रयोग सुनकर उसके तो होश उड़ गए उसकी भी बुर की स्थिति बिगड़ने लगी उसे अपने कानों पर और अपनी आंखों पर भी विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी हो रहा था उसकी आंखों के सामने सब कुछ वास्तविक था इसमें कोई भी कल्पना या सपना नहीं था तभी उसके पापा की आवाज उसके कानों में आई)
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मुझे महसूस हो रहा है थोड़ा और हीलाओ धीरे-धीरे खड़ा हो रहा है,,,,।
लो हीला देती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह लंड को जो उंगली से पकड़ कर हिलाने लगी,,, रूपलाल का लंड रबड़ की तरह इधर-उधर हो रहा था लेकिन उसमें जरा भी उत्थान नहीं था इस बात को आरती भी अच्छी तरह से समझ रही थी ना जाने क्यों उसके मन में अपने पापा के खड़े लंड को देखने की आवश्यकता जगने लगी,, क्योंकि उसने एक बार अपनी सहेली के द्वारा लंड का चित्र देखी थी जिसमें एक औरत मर्द के लैंड को हाथ में लेकर उसे अपने होठों से लगाई हुई थी और वह लंड गधे के लंड की तरह ही था,,, इसलिए आरती को समझ में नहीं आ रहा था कि वह चित्र वास्तविक था या झूठा क्योंकि वह अपने पापा के लंड को अच्छी तरह से देख रही थी जो की छोटी सी उंगली के बराबर ही था और वह अपने मन में सोच भी रही थी कि खड़ा होने पर कितना खड़ा होगा,,,।
रमा अपने कमरे में
आरती यह सब सोच ही रही थी कि तभी उसकी मां की आवाज उसके कानों में पड़ी,,,)
लगता है तेल बेकार है,,,,।
अरे भाग्यवान महीना भर का समय लिया है डॉक्टर ने एक ही दिन में थोड़ी खड़ा कर देगा जरा तुम इसे मुंह में लेकर चूसो शायद बात बन जाए,,,,।
(अपने पापा के मुंह से इस तरह की बात को सुनकर तो आरती एकदम स्तब्ध रह गई उसके तो होश उड़ गए उसे यकीन नहीं हो रहा था कि बंद कमरे में उसके मम्मी पापा इस तरह की गंदी बातें करते हैं और जिस तरह से उसके पापा लंड को मुंह में लेने के लिए बोल रहे थे उसकी मां को आरती समझ नहीं पा रही थी कि वाकई में उसकी मा मुंह में लेगी या नहीं,,,, क्योकी आरती जानती थी कि उसकी मां वह धार्मिक किस्म की थी पूजा पाठ समाज सत्संग इन सब पर ज्यादा ध्यान देती थी इसीलिए तो उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि कमरे के अंदर बिस्तर के ऊपर जो औरत बैठी हुई है वाकई में उसकी मां है या कोई दूसरी औरत,,, और आरती के आश्चर्य के बीच,,, उसकी मां नीचे झुककर उसके पापा के लंड को मुंह में भरली और से चूसने लगी,,,।
रमा अपने कमरे में
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यह नजारा देखकर आरती को सब कुछ सपना जैसा लग रहा था उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे अपनी मां पर विश्वास नहीं हो रहा था उसकी हरकत पर विश्वास नहीं हो रहा था वह कभी सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी मां इस तरह की हरकत करेगी,,,, उसका दिल बड़े जोरों से तड़प रहा था वह भी बेहद उत्तेजित हो गई थी उसे सांप में से सो रहा था की उत्तेजना की वजह से उसकी पेंटि गीली हो रही थी उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,, उसे ऐसा लग रहा था कि उसके पापा की बात सुनकर उसकी मां गुस्सा करेगी लेकिन वह तो एकदम खुशी-खुशी उसके पापा का कहां मानकर उनके लंड को मुंह में ले ली थी,,,।
अब तो आरती का खिड़की पर से हटने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था,,, उसकी आंखों के सामने ऐसा लग रहा था कि कोई गंदी फिल्म चल रही है जिसे वह चोरी चोरी देख रही है,,,, उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां बड़े आराम से उसके पापा के लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी और उसके पापा अपना हाथ आगे बढ़कर ब्लाउज के बटन को खोल रहे थे,,,, प्रोजेक्ट देखे उसके पापा ब्लाउज के सारे बटन खोलकर चुची को हाथ में लेकर दबाना शुरू कर दिए,,, इस नजारे को देखकर आरती का हाथ खुद ब खुद उसकी खुद की चूची पर आ गई और वह हल्के से उसे दबा दे और उसके मुंह से हल्की सी आह निकल गई,,,,।
अपनी मां की अश्लील हरकतों को देखकर आरती का बदन तपने लगा था,,,, अभी उसके कानों में उसके पापा की आवाज सुनाई दी,,,।
आहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है आरती की मां,,,,आहहहहह,,,, अब लग रहा है कि तुम्हारे मुंह में मेरा लंड बड़ा हो रहा है,,,।
(अपने पापा किस बात को सुनकर आरती के तन बदन में आग लगने लगी उसे भी एहसास होने लगा कि वाकई में उसकी मां ने कमाल कर दिया है उसके पापा के लंड को अपने मुंह में लेकर खड़ा कर दि है,,,, अब आरती का मन अपने पापा के लंड को देखने के लिए मचलने लगा वह देखना चाहती थी कि उसके पापा का लंड कैसा नजर आता है कैसा दिखाई देता है उसकी लंबाई मोटाई कैसी है,,,,, तभी थोड़ी देर बाद उसकी मां धीरे से लंड को अपने मुंह से बाहर निकाली,,,, लंड में थोड़ी बहुत जान आ चुकी थी लेकिन अभी भी वह रबड़ की तरह झुल रहा था,, लेकिन थोड़ा बहुत उसकी लंबाई बढ़ चुकी थी लेकिन फिर भी आरती इससे संतुष्ट नहीं थी क्योंकि जिस लंड के चित्र उसने अपनी आंखों से देखी थी उस लंड से उसकी तुलना करना पागलपन के बराबर था,,, क्योंकि चित्र में देखे गए लंड की तुलना में उसके पापा का लंड बच्चे के ही तरह था,,,। मुंह में से निकले हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए उसके पापा बोले,,,,)
दिल के साथ-साथ तुम्हारे मुंह ने भी कमाल कर दिया,,,,,।
लेकिन अभी बहुत ढीला है ठीक से घुसेगा नहीं,,,,।
(रमा अपनी साड़ी खोलते हुए बोली अपनी मां की बात सुनकर आरती अपनी मां की उत्तेजना और उसकी उतावलेपन और उसकी चुदास पन को अच्छी तरह से समझ रही थी,,, और अपने आप से ही बोली दिन में तो कितनी सीधी-सादी धार्मिक बनी रहती है रात को देखो क्या गुल खिला रही है,,,,, अपनी बीवी की बात सुनकर रुपलाल बोले,,,)
चिंता मत करो रानी तुम्हारी बुर पर छूवाऊंगा तो अपने आप टनटना जाएगा,,,।
नहीं नहीं सीधे डाल मत देना मुझे मालूम है दो-तीन धक्के में तो तुम्हारा पानी निकल जाएगा और मैं प्यासी की प्यासी रह जाऊंगी पहले तुम अपनी उंगली से मेरी प्यास बुझाओ,,,,,।
(अपनी मम्मी पापा की बात सुनकर तो आरती की हालत खराब होती जा रही थी उसकी बुर से पानी का सैलाब फुट रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि कहीं उसके हाथ में लिया हुआ दूध का गिलास नीचे गिर ना जाए इसलिए वह धीरे से क्लास को नीचे रख दे और फिर से खिड़की में से देखने लगी वह पूरी तरह से पागल हो जा रही थी उसकी बुर से भी पानी निकल रहा था और उसकी पेंटिं गिली हो रही थी,,,। अपनी मां की ख्वाहिश को सुनकर उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसके पापा मन ही मन खुश हो रहे थे उनकी खुशी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी और वह मुस्कुराते हुए बोले,,,)
ठीक है मेरी जान तुम्हारे लिए तो जान आई रे बस जल्दी से नंगी होकर लेट जाओ,,,,।
(जिंदगी में पहली बार अपनी मम्मी पापा के मुंह से इस तरह की गंदी बातों को सुन रही थी और हैरान भी हो रही थी और न जाने क्यों उन लोगों के मुंह से इस तरह की गंदी बातों को सुनकर वह उत्तेजित भी हो रही थी,,, और थोड़ी ही देर में उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई अपनी मां को पहली बार वह पूरी तरह से नग्नावस्था में देख रही थी ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में उसका गोरा बदन एकदम चमक रहा था,,,।
आरती को अपनी मां का नंगा बदन एकदम साथ दिखाई दे रहा था,,, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां बड़ी-बड़ी गांड उसका गदराया बदन देखकर,,, आरती को पहली बार ऐहसास हो रहा था कि,, बड़ी-बड़ी गांड बड़ी बड़ी चूची गठीला बदन औरतों की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है,, पहली बार अपनी मां को नंगी देखकर आरती को एहसास हो रहा था कि उसकी मां वाकई में बहुत ज्यादा खूबसूरत है,,,, क्योंकि अपनी मां के नंगे बदन को देखकर उसकी चूची और बड़ी-बड़ी गांड देखकर उसकी खुद की हालत खराब हो रही थी उसकी खुद की बुर से पानी निकल रहा था,,,,।
देखते देखते उसकी मां पीठ के बल लेट गई और अपनी दोनों टांगों को खोल दी उसकी दोनों टांगों को खोलते ही आरती की नजर सीधे अपनी मां की बुर पर गई क्योंकि एकदम चिकनी एकदम मलाई की तरह थी उसे पर बाल का एक रेशा तक नहीं था,,, और उसे इस बात का एहसास हुआ कि पूरी तरह से जवानी के दहलीज पर कदम रखने के बावजूद भी वह बुर के बाल की सफाई मे लापरवाह है,,,, आरती को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां की बुर उत्तेजना के मारे फुल कर कचोरी की तरह हो गई थी,,, जिसे देखकर उसके पापा पागल हो जा रहे थे और अपनी हथेली उस पर रखकर जोर-जोर से दबा रहे थे और उसकी मां मस्ती से अंगड़ाई ले रही थी मदहोश हो रही थी,,,,।
रमा चुदासी होती हुई
और फिर देखते ही देखते उसके पापा अपनी एक उंगली को उसकी बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगे यह क्रिया देखकर आरती की हालत खराब होने लगी क्योंकि इस क्रिया के बारे में उसकी सहेली में भी उसे बता रखी थी कि जब मन करे तो उंगली डालकर अंदर बाहर करके अपने आप को हल्का कर लेने का लेकिन आज तक आरती ने इस तरह की हरकत नहीं की थी लेकिन आज अपने पापा को उसकी मां के साथ इस तरह की हरकत करते देखकर वह सोचने पर मजबूर हो गई थी,,,,।
बिस्तर पर उसकी मां मचल रही थी तड़प रही थी उसके पापा जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर करते हुए अपनी दूसरी उंगली भी उसकी बुर में डाल दिए थे जिससे उसकी मां की शिसकारी पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,, थोड़ी ही देर में उसकी मां पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी मदहोश होने लगी और वह उसके पापा का बाल पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींचने लगी उसके पापा समझ गए थे कि अब उसे क्या करना है वह तुरंत उसकी दोनों टांगों के बीच आ गए और अपने लंड को जो की पूरी तरह से खड़ा नहीं था लेकिन फिर भी धीरे-धीरे करके अपनी बीवी की बुर में डाल दिया और अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिए,,,,।
रमा की चुदाई
आरती पहली बार अपनी मां को चुदवाते हुए देख रही थी उसके पापा उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाकर उसकी मां के ऊपर छा चुके थे और अपनी कमर को जोर-जोर से हिला रहे थे आरती सोच रही थी कि यह चुदाई कितनी देर चलती है लेकिन उसका सोचा था कि तभी उसके पापा जोर का आवाज करते हुए एकदम से ढेर हो गए,,, आरती को समझ में नहीं आया क्या हुआ क्योंकि उसके पापा अपनी कमर ही रहना एकदम से बंद कर दिए थे और कुछ देर तक उसकी मां के ऊपर लेटे रह गए फिर धीरे से उसके ऊपर से उठने लगे तो उसकी मां की आवाज उसके कानों में पड़ी,,,।
मैं बोली थी ना सीधे-सीधे बुर में मत डालना पहले उंगली से मेरी प्यास बुझा देना,,,, अगर सीधे-सीधे डालते तो आज भी मैं प्यासी रह जाती क्योंकि चार-पांच धक्के में ही तुम ढेर हो गए,,,।
अपनी मां की बात सुनकर आरती समझ गई थी कि उसकी प्यास उसके पापा के लंड से नहीं बल्कि उनकी उंगली से बुझी है,,,, अब दूध का गिलास उसके पापा को देने का कोई फायदा नहीं था इसलिए वह दबे पांव वापस अपने कमरे में आ गई।
लेकिन दूसरी तरफ कमरे के अंदर का नजारा कुछ ओर ही था,,,, रूपलाल सब कुछ भुलाकर अपनी बीवी को मनाने की कोशिश कर रहे थे,,,, वह बिस्तर पर लेटे हुए थे,,, रुपलाल की बीवी,, गुस्सा कर बिस्तर पर किनारे बैठी हुई थी,,, रूपलाल भी उठकर बैठ गया और अपनी बीवी के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,,,।
तुम खामखा नाराज हो जाती हो,,,,
नाराज क्यों ना होऊं,,,,,, तुम मेरी एक भी बात सुनते कहां हो,,,, कितने दिन से कह रही हूं की आरती के बारे में बात करो आरती के बारे में बात करो लेकिन तुम हो कि सुनने का नाम ही नहीं लेते,,,।
अरे भाग्यवान तुम समझ नहीं रही हो मनोहर लाल बहुत बड़ा आदमी है भले ही मेरा दोस्त है लेकिन इस तरह से सीधे-सीधे उसको जाकर यह कहूंगा कि मेरी लड़की को अपने घर की बहू बना लो तो यह तो हमारी मजबूरी हो जाएगी कभी बात जिक्र छेढ़ेगा तो मैं जरूर आरती की बात करूंगा इतनी सीधे-सीधे जाकर उससे कहने में कुछ अजीब लगता है,,,।
मैं भी जानती हूं किसी से सीधे जाकर इस तरह की बात नहीं की जा सकती लेकिन मुझे इस बात का डर है कि कहीं देर हो गई तो,,,,।
देखो भाग्यवान यह सब किस्मत का खेल है शादी विवाह सब किस्मत से होता है अगर उसकी किस्मत में मनोहर लाल की बहू बना लिखा होगा तो हमें तो कहने की भी जरूरत नहीं है रिश्ता खुद ब खुद चलकर घर पर आ जाएगा,,,,।
तुम्हारी यह सब बातें मुझे पढ़ने नहीं पड़ती तुम हर काम किस्मत पर छोड़ देते हो कुछ करते नहीं,,,, जैसा कि बिस्तर पर,,,,,।
अरे भाग्यवान उसका भी समाधान करके आया हूं,,,।
समाधान,,,, कैसा समाधान,,,,?(आश्चर्य से अपने पति की तरफ देखते हुए रमा बोली,,,)
तुम शायद नहीं जानती लेकिन तुम्हारी यह सब बातें सुनकर मुझे भी ऐसा लगने लगा है कि जरूर मेरे में ही कुछ कमी है इसलिए मैं इसके इलाज के लिए डॉक्टर के पास गया था,,,,।
डॉक्टर के पास,,,(एकदम उत्साहित होते हुए रमा बोली,,,)
हां एक डॉक्टर के पास,,,,
तो क्या कहा डॉक्टर ने,,,,
डॉक्टर ने पूरी जांच पड़ताल करके कहा है कि ज्यादा परेशान होने वाली बात नहीं है उसकी दी हुई दवाई अगर में एक-दो महीना तक खाऊंगा और उसके द्वारा दिया गया तेल लगाऊंगा तो जल्द ही मेरी मुसीबत दूर हो जाएगी,,,,।
यह बात है,,, लेकिन वह दवा और तेल कहां है,,,,, लाए जल्दी दिखाओ मुझे,,,,(वह एकदम से उत्साहित होते हुए बोली उसे रहा नहीं जा रहा था क्योंकि इस समय उसकी जरूरत यही थी,,,)
अरे रुको तो सही थोड़ा सब्र करो मैं अभी तुम्हें दिखाता हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही रूप लाल अपनी बिस्तर पर से नीचे उतर गया और अलमारी के पास किया और अलमारी में रखे हुए कपड़े के पीछे छुप कर रखी हुई तेल की सीसी और दवाई अपने हाथ में लेकर खुश होते हुए अपनी बीवी के पास आया,,,,)
यह देखो यही दिया है डॉक्टर ने,,,,
(रूपलाल ने जैसे ही अपनी बीवी को दवा दिखाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया वैसे ही तुरंत रमा अपना हाथ आगे बढ़कर उसके हाथ से दवाई और तेल की सीसी ले ली और तेल किसी को बड़े करे से उलट पलट कर देखने लगी,,,, तेल की शीशी पर कीमत लिखी हुई थी 899रुपया,,,, इतनी कीमत देखकर वह आश्चर्यजताते हुए बोली,,,,)
बाप रे समझ लो पूरे ₹900 हैं सिर्फ केवल ₹1 कम है,,, इतनी महंगी,,,,।
अरे मुसीबत भी तो वैसे ही है इसीलिए दवा भी महंगी है,,,,।
क्या यह काम करेगी,,,,।
रमा और उसका पति
100% डॉक्टर ने पूरा विश्वास दिलाया है और मैं ही वही नहीं था उसके वहां तो बहुत भीड लगती है,,, दो-चार लोगों से मैंने पूछा भी वह लोग भी वहीं से दवा ले रहे हैं और उन्हें आराम लगने लगा है वह दवा काम करने लगी है इसीलिए तो मैंने लिया हूं वरना मैं लेता ही नहीं,,,।
कसम से अगर यह काम करने लगा तब तो मजा ही आ जाएगा,,,,(उसे सीसी के धोखे को इधर-उधर घूमा कर देखते हुए बोली,,, वह सीसी के खोखे पर छपे हुए खड़े लंड को देख रही थी जो की काफी मोटा और लंबा था,,, और मन ही मन सोच रही थी काश उसके जीवन में भी उसकी बुर के लिए ऐसा मोटा तगड़ा लंड लिखा होता तो उसका जीवन सफल हो जाता ,,, फिर भी उस खोखे पर छपे लंड को देखकर वह उत्तेजित होने लगी थी और उस चित्र को अपने पति को दिखाते हुए बोली,,,)
रुपलाल अपनीबीवी की चड्डी उतरता हुआ
अगर तुम्हारा ऐसा होता तो कितना मजा आता,,,,।
शुरू शुरू में तो ऐसा ही था अब उम्र का थोड़ा तो फर्क पड़ेगा ही,,,,।(रूपलाल इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि धोखे में छपे लंड से आधा भी नहीं था उसका लंड फिर भी वह अपने मन को मनाने के लिए बोल रहा था,,,,)
चलो अब जल्दी से दवा खा लो फिर मैं यह तेल तुम्हारे लंड पर लगाकर मालिश कर देती हूं देखु तो सही इसका असर,,,, थोड़ा बहुत तो करंट लगाएगा ही ,,,।
हां शुरू शुरू में थोड़ा बहुत तो असर करेगा ही धीरे-धीरे कुछ ज्यादा असर करने लगेगा,,,।
(इतना कहने के साथ ही रूपलाल टेबल पर रख पानी के गिलास को हाथ में दिया और दवाई को मुंह में डालकर पानी पी लिया और फिर सीधा बिस्तर पर आ गया जहां पर उसकी बीवी पूरी तरह से तैयार थी,,,,)
रमा और उसका पति
अब बिस्तर पर लेट जाओ,,,,, मैं भी जरा देखूं इस तेल का कमाल,,,,,,।
(अपनी बीवी की बात सुनते ही रूपलाल बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया,,,,, वह इस बात से खुश तथा ही की वह अपनी कमजोरी के लिए तेल और दवाई लेकर आया था और इस बात से कुछ ज्यादा ही खुश था कि उसकी बीवी बहुत जल्दी मान गई थी उससे नाराज नहीं थी,,,,,रमा अपने हाथों से अपने पति का पजामा उतरने लगी और देखते ही देखते कमर के नीचे उसे पूरी तरह से नंगा कर दी नंगा होते ही उसकी नजर अपने पति के दोनों टांगों के बीच कहीं तो देखकर थोड़ी तो निराशा उसे महसूस हो रही थी क्योंकि जहां पर पति-पत्नी के बीच इस तरह की बातें आपस में होती हो वहां पर पति-पत्नी दोनों ही उत्तेजित हो जाते हैं जैसा कि वह खुद हो रही थी उसे पूरा अहसास हो रहा था कि उसकी बुर से पानी टपक रहा था वह तेज हो रही थी लेकिन उसके पति में जरा भी फर्क नहीं पड़ रहा था उसका लंड मुरझाए हुए बैंगन की तरह था,,,, फिर भी मन में उम्मीद लिए वह अपना हाथ आगे बढ़कर अपनी उंगली से लंड को इधर-उधर करने लगी क्योंकि इस समय सुषुप्त अवस्था में उसकी उंगली जितना ही था,,,,।
रमा और उसका पति
फिर भी उसकी हरकत से रूपलाल के लंड में थोड़ी बहुत हलचल होने लगी,,, जिसे देखकर रमा भी खुश हो रही थी,,,,,, और वह खुश होते हुए उसे खोखे में से तेल की सीसी बाहर निकाल ली,,,, और उसका ढक्कन खोलने लगी,,,, यह देख कर रूपलाल मन ही मन बहुत खुश हो रहा था उसे भी ऐसा था कि तेल लगाते ही उसके लंड में हरकत जरूर होगी,,, और देखते ही देखते उसकी बीवी तेल के सीसी के ढक्कन को खोलकर एक तरफ रख दी और उसमें से तेल की धार को अपनी हथेली पर गिराते हुए धीरे से सीसी का ढक्कन लगाकर बंद कर दी,,,,।और उसे नीचे रख दी,,, और फिर हथेली में लिया हुआ तेल वह बड़े आराम से अपने पति के लंड पर लगाने लगी,,,, वह बड़ी शिद्दत से अपने पति के लंड पर तेल की मालिश कर रही थी,,,।
और दूसरी तरफ आरती अपनी मां के कमरे तक पहुंच चुकी लेकिन अच्छी दरवाजा बंद है लेकिन खिड़की से उजाला बाहर आ रहा था इसलिए वह दरवाजे पर दस्तक देने से पहले यह देख लेना चाहती थी कि उसके मम्मी पापा सो रहे हैं या जाग रहे हैं इसलिए कहा सहज रूप से औपचारिकता निभाते हुए खिड़की से अंदर की तरफ देखी तो अंदर का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,,,,।
रमा और उसका पति कुछ ईस तरह से
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ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,, वह कभी सोची नहीं थी कि उसे अपनी मां के कमरे में इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी उसे सब को साफ नजर आ रहा था जिंदगी में पहली बार उसने इस तरह का दृश्य अपनी आंखों से देखी थी,,, और वह भी किसी गैर का नहीं बल्कि अपने ही मम्मी पापा का,,,, कुछ देर के लिए उसे कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें वह अपनी आंखों से क्या देख रही है कमरे में क्या हो रहा है वह एकदम से शुन्य मनस्क हो चुकी थी,,, लेकिन जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि अंदर एक मर्द और औरत के बीच खेले जाने वाला खेल जारी है तो उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह वहीं खड़ी रहे या वहां से चली जाए,,,,।
रमा और उसका पति
आरती पूरी तरह से जवान हो चुकी थी शादी के लिए लड़का ढूंढा जा रहा था इसका मतलब साफ था कि अब वह चुदवाने के लिए तैयार थी,,, उसके बदन में भी जगह-जगह पर उभार आ चुका था वह पूरी तरह से जवान हो चुकी थी इसलिए औपचारिक रूप से इस तरह का दृश्य देखने पर जिस तरह का एहसास दूसरी लड़कियों को होना चाहिए वही एहसास आरती को भी होने लगा था उसे अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल होती हुई महसूस होने लगी थी,,, आरती वहां पर खड़ी रहना नहीं चाहती थी वह दबे पांव वहां से वापस लौट जाना चाहती थी लेकिन ऐसा हुआ कर नहीं पा रही थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार किसी मर्द और औरत के बीच के रिश्ते को वह अपनी आंखों से देख रही थी और कमरे में कोई गैर नहीं बल्कि उसके ही मम्मी पापा थे इसके बारे में कभी सोच नहीं सकती क्योंकि इस उम्र में भी दोनों इस तरह की हरकत करते होंगे,,,,।
रमा और उसका पति कुछ इस तरह से
उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां उसके पापा के लंड पर मालिश कर रही थी,, और सुबह जिस तरह से दोनों के बीच जी मुद्दे पर लेकर बात हो रही थी आरती को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां उसके पापा के लंड को खड़ा करने की कोशिश कर रही है,,,, तभी उसके कानों में उसकी मां की आवाज सुनाई दे जो उसके पापा से बोल रही थी,,,।
अभी तक तुम्हारे लंड में कोई हरकत नहीं हो रही है,,,।
(अपनी मां के मुंह से इस तरह की बात सुनकर खास करके लंड शब्द का प्रयोग सुनकर उसके तो होश उड़ गए उसकी भी बुर की स्थिति बिगड़ने लगी उसे अपने कानों पर और अपनी आंखों पर भी विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी हो रहा था उसकी आंखों के सामने सब कुछ वास्तविक था इसमें कोई भी कल्पना या सपना नहीं था तभी उसके पापा की आवाज उसके कानों में आई)
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मुझे महसूस हो रहा है थोड़ा और हीलाओ धीरे-धीरे खड़ा हो रहा है,,,,।
लो हीला देती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह लंड को जो उंगली से पकड़ कर हिलाने लगी,,, रूपलाल का लंड रबड़ की तरह इधर-उधर हो रहा था लेकिन उसमें जरा भी उत्थान नहीं था इस बात को आरती भी अच्छी तरह से समझ रही थी ना जाने क्यों उसके मन में अपने पापा के खड़े लंड को देखने की आवश्यकता जगने लगी,, क्योंकि उसने एक बार अपनी सहेली के द्वारा लंड का चित्र देखी थी जिसमें एक औरत मर्द के लैंड को हाथ में लेकर उसे अपने होठों से लगाई हुई थी और वह लंड गधे के लंड की तरह ही था,,, इसलिए आरती को समझ में नहीं आ रहा था कि वह चित्र वास्तविक था या झूठा क्योंकि वह अपने पापा के लंड को अच्छी तरह से देख रही थी जो की छोटी सी उंगली के बराबर ही था और वह अपने मन में सोच भी रही थी कि खड़ा होने पर कितना खड़ा होगा,,,।
रमा अपने कमरे में
आरती यह सब सोच ही रही थी कि तभी उसकी मां की आवाज उसके कानों में पड़ी,,,)
लगता है तेल बेकार है,,,,।
अरे भाग्यवान महीना भर का समय लिया है डॉक्टर ने एक ही दिन में थोड़ी खड़ा कर देगा जरा तुम इसे मुंह में लेकर चूसो शायद बात बन जाए,,,,।
(अपने पापा के मुंह से इस तरह की बात को सुनकर तो आरती एकदम स्तब्ध रह गई उसके तो होश उड़ गए उसे यकीन नहीं हो रहा था कि बंद कमरे में उसके मम्मी पापा इस तरह की गंदी बातें करते हैं और जिस तरह से उसके पापा लंड को मुंह में लेने के लिए बोल रहे थे उसकी मां को आरती समझ नहीं पा रही थी कि वाकई में उसकी मा मुंह में लेगी या नहीं,,,, क्योकी आरती जानती थी कि उसकी मां वह धार्मिक किस्म की थी पूजा पाठ समाज सत्संग इन सब पर ज्यादा ध्यान देती थी इसीलिए तो उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि कमरे के अंदर बिस्तर के ऊपर जो औरत बैठी हुई है वाकई में उसकी मां है या कोई दूसरी औरत,,, और आरती के आश्चर्य के बीच,,, उसकी मां नीचे झुककर उसके पापा के लंड को मुंह में भरली और से चूसने लगी,,,।
रमा अपने कमरे में
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यह नजारा देखकर आरती को सब कुछ सपना जैसा लग रहा था उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे अपनी मां पर विश्वास नहीं हो रहा था उसकी हरकत पर विश्वास नहीं हो रहा था वह कभी सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी मां इस तरह की हरकत करेगी,,,, उसका दिल बड़े जोरों से तड़प रहा था वह भी बेहद उत्तेजित हो गई थी उसे सांप में से सो रहा था की उत्तेजना की वजह से उसकी पेंटि गीली हो रही थी उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,, उसे ऐसा लग रहा था कि उसके पापा की बात सुनकर उसकी मां गुस्सा करेगी लेकिन वह तो एकदम खुशी-खुशी उसके पापा का कहां मानकर उनके लंड को मुंह में ले ली थी,,,।
अब तो आरती का खिड़की पर से हटने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था,,, उसकी आंखों के सामने ऐसा लग रहा था कि कोई गंदी फिल्म चल रही है जिसे वह चोरी चोरी देख रही है,,,, उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां बड़े आराम से उसके पापा के लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी और उसके पापा अपना हाथ आगे बढ़कर ब्लाउज के बटन को खोल रहे थे,,,, प्रोजेक्ट देखे उसके पापा ब्लाउज के सारे बटन खोलकर चुची को हाथ में लेकर दबाना शुरू कर दिए,,, इस नजारे को देखकर आरती का हाथ खुद ब खुद उसकी खुद की चूची पर आ गई और वह हल्के से उसे दबा दे और उसके मुंह से हल्की सी आह निकल गई,,,,।
अपनी मां की अश्लील हरकतों को देखकर आरती का बदन तपने लगा था,,,, अभी उसके कानों में उसके पापा की आवाज सुनाई दी,,,।
आहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है आरती की मां,,,,आहहहहह,,,, अब लग रहा है कि तुम्हारे मुंह में मेरा लंड बड़ा हो रहा है,,,।
(अपने पापा किस बात को सुनकर आरती के तन बदन में आग लगने लगी उसे भी एहसास होने लगा कि वाकई में उसकी मां ने कमाल कर दिया है उसके पापा के लंड को अपने मुंह में लेकर खड़ा कर दि है,,,, अब आरती का मन अपने पापा के लंड को देखने के लिए मचलने लगा वह देखना चाहती थी कि उसके पापा का लंड कैसा नजर आता है कैसा दिखाई देता है उसकी लंबाई मोटाई कैसी है,,,,, तभी थोड़ी देर बाद उसकी मां धीरे से लंड को अपने मुंह से बाहर निकाली,,,, लंड में थोड़ी बहुत जान आ चुकी थी लेकिन अभी भी वह रबड़ की तरह झुल रहा था,, लेकिन थोड़ा बहुत उसकी लंबाई बढ़ चुकी थी लेकिन फिर भी आरती इससे संतुष्ट नहीं थी क्योंकि जिस लंड के चित्र उसने अपनी आंखों से देखी थी उस लंड से उसकी तुलना करना पागलपन के बराबर था,,, क्योंकि चित्र में देखे गए लंड की तुलना में उसके पापा का लंड बच्चे के ही तरह था,,,। मुंह में से निकले हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए उसके पापा बोले,,,,)
दिल के साथ-साथ तुम्हारे मुंह ने भी कमाल कर दिया,,,,,।
लेकिन अभी बहुत ढीला है ठीक से घुसेगा नहीं,,,,।
(रमा अपनी साड़ी खोलते हुए बोली अपनी मां की बात सुनकर आरती अपनी मां की उत्तेजना और उसकी उतावलेपन और उसकी चुदास पन को अच्छी तरह से समझ रही थी,,, और अपने आप से ही बोली दिन में तो कितनी सीधी-सादी धार्मिक बनी रहती है रात को देखो क्या गुल खिला रही है,,,,, अपनी बीवी की बात सुनकर रुपलाल बोले,,,)
चिंता मत करो रानी तुम्हारी बुर पर छूवाऊंगा तो अपने आप टनटना जाएगा,,,।
नहीं नहीं सीधे डाल मत देना मुझे मालूम है दो-तीन धक्के में तो तुम्हारा पानी निकल जाएगा और मैं प्यासी की प्यासी रह जाऊंगी पहले तुम अपनी उंगली से मेरी प्यास बुझाओ,,,,,।
(अपनी मम्मी पापा की बात सुनकर तो आरती की हालत खराब होती जा रही थी उसकी बुर से पानी का सैलाब फुट रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि कहीं उसके हाथ में लिया हुआ दूध का गिलास नीचे गिर ना जाए इसलिए वह धीरे से क्लास को नीचे रख दे और फिर से खिड़की में से देखने लगी वह पूरी तरह से पागल हो जा रही थी उसकी बुर से भी पानी निकल रहा था और उसकी पेंटिं गिली हो रही थी,,,। अपनी मां की ख्वाहिश को सुनकर उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसके पापा मन ही मन खुश हो रहे थे उनकी खुशी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी और वह मुस्कुराते हुए बोले,,,)
ठीक है मेरी जान तुम्हारे लिए तो जान आई रे बस जल्दी से नंगी होकर लेट जाओ,,,,।
(जिंदगी में पहली बार अपनी मम्मी पापा के मुंह से इस तरह की गंदी बातों को सुन रही थी और हैरान भी हो रही थी और न जाने क्यों उन लोगों के मुंह से इस तरह की गंदी बातों को सुनकर वह उत्तेजित भी हो रही थी,,, और थोड़ी ही देर में उसकी मां अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई अपनी मां को पहली बार वह पूरी तरह से नग्नावस्था में देख रही थी ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में उसका गोरा बदन एकदम चमक रहा था,,,।
आरती को अपनी मां का नंगा बदन एकदम साथ दिखाई दे रहा था,,, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां बड़ी-बड़ी गांड उसका गदराया बदन देखकर,,, आरती को पहली बार ऐहसास हो रहा था कि,, बड़ी-बड़ी गांड बड़ी बड़ी चूची गठीला बदन औरतों की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है,, पहली बार अपनी मां को नंगी देखकर आरती को एहसास हो रहा था कि उसकी मां वाकई में बहुत ज्यादा खूबसूरत है,,,, क्योंकि अपनी मां के नंगे बदन को देखकर उसकी चूची और बड़ी-बड़ी गांड देखकर उसकी खुद की हालत खराब हो रही थी उसकी खुद की बुर से पानी निकल रहा था,,,,।
देखते देखते उसकी मां पीठ के बल लेट गई और अपनी दोनों टांगों को खोल दी उसकी दोनों टांगों को खोलते ही आरती की नजर सीधे अपनी मां की बुर पर गई क्योंकि एकदम चिकनी एकदम मलाई की तरह थी उसे पर बाल का एक रेशा तक नहीं था,,, और उसे इस बात का एहसास हुआ कि पूरी तरह से जवानी के दहलीज पर कदम रखने के बावजूद भी वह बुर के बाल की सफाई मे लापरवाह है,,,, आरती को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां की बुर उत्तेजना के मारे फुल कर कचोरी की तरह हो गई थी,,, जिसे देखकर उसके पापा पागल हो जा रहे थे और अपनी हथेली उस पर रखकर जोर-जोर से दबा रहे थे और उसकी मां मस्ती से अंगड़ाई ले रही थी मदहोश हो रही थी,,,,।
रमा चुदासी होती हुई
और फिर देखते ही देखते उसके पापा अपनी एक उंगली को उसकी बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगे यह क्रिया देखकर आरती की हालत खराब होने लगी क्योंकि इस क्रिया के बारे में उसकी सहेली में भी उसे बता रखी थी कि जब मन करे तो उंगली डालकर अंदर बाहर करके अपने आप को हल्का कर लेने का लेकिन आज तक आरती ने इस तरह की हरकत नहीं की थी लेकिन आज अपने पापा को उसकी मां के साथ इस तरह की हरकत करते देखकर वह सोचने पर मजबूर हो गई थी,,,,।
बिस्तर पर उसकी मां मचल रही थी तड़प रही थी उसके पापा जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर करते हुए अपनी दूसरी उंगली भी उसकी बुर में डाल दिए थे जिससे उसकी मां की शिसकारी पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,, थोड़ी ही देर में उसकी मां पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी मदहोश होने लगी और वह उसके पापा का बाल पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींचने लगी उसके पापा समझ गए थे कि अब उसे क्या करना है वह तुरंत उसकी दोनों टांगों के बीच आ गए और अपने लंड को जो की पूरी तरह से खड़ा नहीं था लेकिन फिर भी धीरे-धीरे करके अपनी बीवी की बुर में डाल दिया और अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिए,,,,।
रमा की चुदाई
आरती पहली बार अपनी मां को चुदवाते हुए देख रही थी उसके पापा उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाकर उसकी मां के ऊपर छा चुके थे और अपनी कमर को जोर-जोर से हिला रहे थे आरती सोच रही थी कि यह चुदाई कितनी देर चलती है लेकिन उसका सोचा था कि तभी उसके पापा जोर का आवाज करते हुए एकदम से ढेर हो गए,,, आरती को समझ में नहीं आया क्या हुआ क्योंकि उसके पापा अपनी कमर ही रहना एकदम से बंद कर दिए थे और कुछ देर तक उसकी मां के ऊपर लेटे रह गए फिर धीरे से उसके ऊपर से उठने लगे तो उसकी मां की आवाज उसके कानों में पड़ी,,,।
मैं बोली थी ना सीधे-सीधे बुर में मत डालना पहले उंगली से मेरी प्यास बुझा देना,,,, अगर सीधे-सीधे डालते तो आज भी मैं प्यासी रह जाती क्योंकि चार-पांच धक्के में ही तुम ढेर हो गए,,,।
अपनी मां की बात सुनकर आरती समझ गई थी कि उसकी प्यास उसके पापा के लंड से नहीं बल्कि उनकी उंगली से बुझी है,,,, अब दूध का गिलास उसके पापा को देने का कोई फायदा नहीं था इसलिए वह दबे पांव वापस अपने कमरे में आ गई।
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