अपनी मम्मी पापा की गरमा गरम चुदाई देखकर आरती दबे पांव अपने कमरे में वापस आ चुकी थी,,, अभी भी उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि आज तक आरती ने अपनी मम्मी पापा के बारे में इस तरह की हरकत करने के बारे में सोची ही नहीं थी,,, आरती आज पूरी तरह से जवान हो चुकी थी शादी लायक हो चुकी थी लेकिन आज तक उसने कभी अपनी मम्मी पापा को अश्लील हरकत करते देखी नहीं थी इसीलिए वह आज अपनी मम्मी पापा को एक नए रूप में देखकर पूरी तरह से हैरान हो चुकी थी,,,,।
अपने कमरे में आने के बावजूद भी दूध का गिलास अभी भी उसके हाथ में था,,,, वह अपनी बिस्तर पर बैठी हुई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था जो कुछ भी उसके मम्मी पापा के कमरे में हो रहा था वह सब कुछ उसकी आंखों के सामने किसी फिल्म की तरह घूम रहा था उसे खुद पर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी कि आज उसने अपनी आंखों से क्या देख ली,,, आज तक वह अपनी मम्मी को पुरे वस्त्र में और धार्मिकता के साथ-साथ पूजा पाठ करते हुए देखते आ रही थी आज तक अपनी मम्मी के मुंह से कभी भी एक अश्लील शब्द नहीं सुनी थी लेकिन आज पूरे जज्बात बदल चुके थे पूरा नजारा बदल चुका था आरती अपनी मम्मी को एकदम संस्कारी और धार्मिक समझती थी लेकिन आज उसका यह भरम तुट चुका था,,,। आज तक उसने अपनी मां को ना तो बाथरूम में ना ही उसके खुद के कमरे में कभी अर्धनग्न अवस्था में भी नहीं देखी थी की नाच अपनी मां को वह संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में देखकर आ रही थी इसलिए वह पूरी तरह से आश्चर्य में थी,,,,।
जहां एक तरफ वह अपनी मम्मी पापा के बीच इस तरह के रिश्ते को देखकर हैरान थी वहीं दूसरी तरफ उसके बदन में अजीब सी हलचल भी हो रही थी मदहोशी उसके बदन को अपनी आगोश में ले रही थी,,,, उसे अपने पापा पर दया आ रही थी वह अपने पापा की हालत पर शर्मिंदा भी थी क्योंकि वह इतनी तो समझदार हो गई थी कि वह अपनी मां की कहानी गई बात को और अपने बाप की लाचारी को समझ सकती थी ,,,। अपनी मां की बात को सुनकर वह समझ गई थी उसके पापा उसकी मां को खुश करने मैं अब बिल्कुल भी समर्थ नहीं है अपनी मां की बात सुनकर क्या उनके द्वारा लाया गया तेल की शीशी और दवा को देखकर वह समझ गई थी कि वह दवा मर्दों के अंग में मर्दाना ताकत वापस लाने की औषधि है,,,।
लेकिन आरती एक बात से हैरान थी कि इस उम्र में भी उसकी मां चुदवाने के लिए क्यों तड़प रही है,,,,। जबकि उम्र के इस पड़ाव पर तो औरतों और भी ज्यादा धार्मिक हो जाती हैं और पूजा पाठ में ही मन लगाते हैं उसकी सहेलियों की मां लोग भी तो धार्मिक और पूजा पाठ वाली है उन्हें वह खुद अपनी आंखों से देखी थी ऐसा वह अपने मन में सोच रही थी,,, उसके मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे आज उसे ऐसा लग रहा था कि उसकी मां उनकी सहेलियों की मां जैसी क्यों नहीं है उसके पापा उसके सहेलियों के पापा जैसे क्यों नहीं है सीधे-साधे अपने काम से कम रखने वाले हो पूजा पाठ और समाज में उठने बैठने वाले उन्हें देखकर लगता नहीं है कि वह लोग कमरे में इस तरह की हरकत करते होंगे,,,, आरती यह सब अपने मन में सोच ही रही थी कि तभी उसे एहसास हुआ कि उसके मम्मी पापा भी थे आज की रात से पहले दूसरों के मां-बाप की तरह ही सीधे शादी और धार्मिक विचारों वाले ही थे,,,, क्या सभी मर्द और औरत समाज के सामने कुछ और और बंद कमरे के अंदर कुछ और व्यवहार करते हैं,,,, जैसा कि वह खुद अपनी मम्मी पापा को देख चुकी थी,,,,।
अपने मन में ही काफी विचार विमर्श करने के बाद उसे एहसास होने लगा कि वाकई में उसके मम्मी पापा की तरह दूसरे की मम्मी पापा भी इसी तरह का व्यवहार करते होंगे कमरे के अंदर बस समाज को नहीं पता चलता कि उनके अंदर भी एक प्यासा इंसान छुपा हुआ है,,,, जो रात को ही कमरे के अंदर ही बाहर आता है,,,, आरती की सांस अभी भी भारी चल रही थी उसे जब एहसास हुआ कि उसके हाथ में तो उसका ग्लास है तो वह धीरे से अपनी बिस्तर पर से उठी और चलते हुए खिड़की तक गई जहां पर टेबल पड़ा हुआ था टेबल के ऊपर ही हुआ दूध का ग्लास रख दी ,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें आखिरकार वह भी थी तो एक औरत और वह भी पूरी तरह से जवान जिसकी जवानी अभी तो शुरू हुई थी जिसके मन में इस तरह के ख्याल आना लाजमी था,,।
जब उसे गर्मी का एहसास हुआ तो वह छत की तरफ देखी पंखा बंद था,,, तो वह खिड़की के पास ही पंखे के स्विच को दबाकर चालू कर दो और पंखा अपनी रफ्तार में घूमने चला लेकिन फिर भी बर्दाश्त नहीं हुआ तो बाकी को खोल दी और रात को चल रही ठंडी हवा को अपने कमरे में आने के लिए आमंत्रण दे दी ठंडी हवा का झोंका उसके विभिन्न को थोड़ी बहुत राहत दे रहा था लेकिन,,, वह अपने आप को सहज नहीं महसूस कर पा रही थी,,,, खिड़की के खुलते ही मुख्य सड़क पर आवागमन कर रहे वाहन को वह बड़ी गौर से देखने लगी और अपने मन में सोचने लगी,,,,।
इन सभी गाड़ियों में कुछ मर्द बैठे होंगे कुछ औरत बैठी होगी जो अपनी-अपने घर की तरफ जाने के लिए उतावले हो रहे हैं और यह लोग घर पर जाकर क्या करेंगे,,, समाज की नजरों से दूर बंद कमरे के अंदर औरत और मर्द एक दूसरे की प्यास बुझाने में पूरी तरह से जुट जाएंगे,,, चार दीवारी के अंदर इंसान का एक अलग ही चेहरा सामने आता है,,, यह सब सोच कर उसके मन को राहत नहीं बल्कि वह और भी उलझन में फसती चली जा रही थी,,, आखिरकार उसने कौन सा कयामत ला देने वाला नजारा देख ली थी औरत और मर्द के बीच होने वाली औपचारिक संबंध जिसे संभोग कहते हैं वही तो देखी थी,,,, लेकिन यह विचार केवल महापुरुषों के मन में आ सकता है एक साधारण इंसान के मन में बिल्कुल भी नहीं और आरती तो अभी-अभी जवानी पर कदम रखी थी उसकी तो शुरुआत थी,,, उसके लिए तो यह सब कुछ नया था भले ही इन सब के बारे में सोच कर उसका आकर्षण इन बातों की ओर कभी-कभी हो जाता था लेकिन आज जो कोई भी उसने अपनी आंखों से देखी थी वह उसके दिलों दिमाग पर पूरी तरह से छप गया था,,,,।
कुछ देर खुली हुई खिड़की के पास खड़ी होकर सड़क देखने के बाद आरती धीरे से अपने बिस्तर के पास आई और बैठ गई,,,,,, और अपने मन में सोचने लगी कि उसकी मां को क्या चाहिए जिसके लिए वह अपने ही पति को भला बुरा कह कर उसे अपमानित कर दी ,, और इस सवाल का जवाब वह अपने मन में ही अपने आप को देते हुए बोली इन सब के पीछे जवाबदार है लंड,,,, लंड शब्द अपने मन में ही बोलने पर ही उसके बदन में उत्तेजना का तूफान उठने लगा,,, वह अपने आप को ही जवाब देते हुए पति उसकी मां को लंड चाहिए मोटा तगड़ा लंबा जो उसकी बुर की प्यास बुझा सके यही तो चाहती है उसकी मां,,, सब खेल लंड का ही है,,, और उसके पापा का खेल बिगाड़ा भी है तो सिर्फ लंड ने ,, पापा का लंड कमजोर हो गया है उसमें अब बुरे के अंदर घुसने की शक्ति नहीं रह गई देखी तो थी वह अपनी आंखों से पापा का लंड कैसा ढीला सा और झूल सा गया था,,, फिर वह अपने मन में सोचने लगी की ढीला लंड वाकई में बर के छेद में बिल्कुल भी प्रवेश नहीं कर सकता,,,, इस बात को अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि कपड़े बदलते समय बाथरूम में नहाते समय वह अपनी बर को अपनी आंखों से देखी थी उसके छोटे से छेद को अच्छे से पहचानती थी और वह अपने मन में यही सोच रही थी की औरत के छोटे से छेद में मोटा लंड घुसने के लिए उसमें ताकत होना वाकई में बेहद जरूरी है उसका टन टना कर खड़ा होना बेहद जरूरी है,,, जोकि उसके पापा का बिल्कुल भी नहीं हो रहा था,,,।
आरती अपने मन में यही सब सो रही थी कि तभी उसे ख्याल आया कि तेल की मालिश करने के बावजूद भी उसके पापा का लंड एकदम ढीला था ,, और इस बारे में उसकी मां ने भी उसके पापा से बोली थी तो उसके पापा ने यही कहा था कि मुंह में लेकर इसे खड़ा कर दो,,, अपने पापा की यह बात उसे याद आती है उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी उसकी दोनों टांगों के बीच सुरसुराहट बढ़ने लगी और उसे महसूस होने लगा कि जैसे वह पेशाब करती है उसे अपनी पेंटिंग पूरी तरह से गली और चिपचिपी महसूस होने लगी,,, उसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आया वह देखना चाहती थी कि आखिर वह कह रहा है इसलिए तुरंत अपने बिस्तर पर से खड़ी हुई और अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी और देखते ही देखते अपने हाथों से अपनी सलवार उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दी वह केवल कुर्ती और पेटी में थी,,,,, उसे साफ दिखाई दे रहा था की पेंटिं का आगे वाला हिस्सा पूरी तरह से गिला हो चुका था वह धीरे से हाथ अपनी पैंटी पर लेकर गई तो उसकी उंगलियों में चिपचिपाहट महसूस होने लगी और वहां हाथ को दूर करके अपनी उंगली आपस में रगड़ने लगी तो ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी उंगलियों में गोंद लाग गया हो,,,, उसे इस चिपचिपाहट भर पानी के बारे में कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,,,।
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आरती की ना समझी उसके संस्कारों की छवि थी वह कभी भी इस तरह की हरकत की नहीं थी कि इन सब के बारे में उसे ज्ञान हो हां कभी कबार कोई लड़का उसे बड़े अच्छा लग जाता था लेकिन वह इस हद तक ना तो उसे लड़के को लेकर कभी सोचती थी और नहीं कभी अपने कदम डगमगाने देती थी,,,, वह धीरे से अपनी पेंटिं को आगे की तरफ खींचकर अपनी पैंटी में झांकने लगी,,, उसे अपनी बुर पर हल्के हल्के बाल दिखाई दे रहे थे,,, और तभी उसे अपनी मां की बुरी आदत नहीं जो कि एकदम मक्खन की तरह चिकनी थी उसे इस बात का एहसास हुआ कि सफाई के मामले में उसकी मां एक कदम आगे है,,,, सफाई के मामले में ही खूबसूरती के मामले में भी वह एक कदम आगे हैं आरती को तुरंत अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां याद आ गई उसकी बड़ी-बड़ी गांड याद आ गई और उसे इस बात का एहसास हुआ कि वाकई में साड़ी पहनने पर औरतों की चूची और गांड बड़ी होनी चाहिए तभी उनकी खूबसूरती में चार चांद लगते हैं,,वह अपने मन मे सोचने लगी कि अगर वाकई में उसे कभी मौका मिला तो अगर वह अपनी मम्मी के साथ कपड़े उतार कर अगर नंगी हो जाए तो मां बेटी दोनों में उसकी मां ही अव्वल नंबर आएगी खूबसूरती के मामले में जवान और खूबसूरत होने के बावजूद भी वह खुद अपनी मां से पिछड़ जाएगी,,,।
Rooplaal ki bibi
चूचियों की बात आते ही उसकी नजर अपने आप ही उसकी छाती पर चली गई,,, और उसे अपनी चूची देखकर एहसास हुआ कि वाकई में जहां एक तरफ उसकी मां के छाती की शोभा उसकी पपैया जैसी बड़ी-बड़ी चूची बढ़ा रही थी वही उसके खुद के पास अभी केवल संतरा ही था,,,, गहरी सांस लेते हुए वह वापस अपनी चड्डी में देखने लगी जो की पूरी तरह से भीग चुकी थी,,,। उसे बड़ा अजीब लग रहा था उसकी चिपचिपाहट उसे अच्छी नहीं लग रही थी इसलिए वह धीरे से अपनी पैंटी को उतार कर उसे भी फर्श पर फेंक दी,,, और कमर के नीचे वह नंगी हो गई,,,,,, दूसरी पैंटी पहनने की जल्दबाजी उसमें बिल्कुल भी नहीं थी,,, वह उसी तरह से बिस्तर पर बैठ गई,,, और उसे ख्याल आया कि कैसे उसके पापा उसकी मां को लंड मुंह में लेने के लिए बोल रहे थे अपने पापा की बात सुनकर उसे मन में ऐसा ही लग रहा था कि उसकी मांग कर देगी ऐसा गंदा काम नहीं करेगी क्योंकि लंड से तो सुसु किया जाता है,,, और जिस लंड से पेशाब किया जाता है उसे एक औरत कैसे मुंह में लेकर चुस सकती है,,, लेकिन उसकी आंखें तब आश्चर्य से फटी की फटी हो गई जब उसकी मां बिल्कुल भी इनकार किए बिना ही बेझिझक उसके पापा के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, यह देख करके तो उसकी हालत खराब हो गई थी,,, पल भर के लिए उसे लगा कि उसकी मां बहुत गंदी औरत है लेकिन जब उसकी मां थोड़ी देर बाद लंड को मुंह में से बाहर निकले तो वाकई में उसके पापा का लंड थोड़ा सा बड़ा हो गया था,,, इस बात से वह हैरान भी थी,,, लेकिन इस हरकत के लिए आरती के मन में अपनी मां के लिए इज्जत थोड़ी कम हो गई थी क्योंकि वह नहीं जानती थी कि उसकी मां इतनी गंदी हरकत भी कर सकती है,,,,।
Rooplaal ki bibi panty utar k phenkti huyi
अपनी मम्मी पापा के कमरे में जो कुछ भी उसने देखी थी उसके बारे में सोचकर वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और वह धीरे से अपनी बिस्तर पर लेट गई थी जो कुछ भी हो रहा था वह अन्जाने में हो रहा था वह अपनी मम्मी पापा के बारे में सोचते हुए अपनी दोनों टांगों को खोल चुकी थी और अपने आप ही उसकी हथेली उसकी बुर पर आ चुकी थी जो की उत्तेजना के मारे कचोरी की तरह फुल चुकी थी,,,, अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखते ही उसके बदन में झनझनाहट होने लगी लेकिन यह झनझनाहट उसे बहुत अच्छी लग रही थी वह धीरे-धीरे अपनी आंखों को बंद करके हथेली से अपनी गुलाबी बुर को रगड़ने लगी मसलने लगी और ऐसा करने में उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,
अपनी बुर को मसलते हुए यही सोच रही थी कि वाकई में बुर की छोटे से छेद में जाने के लिए लंड का कड़क होना बेहद जरूरी है जो कि उसके पापा का बिल्कुल भी नहीं हो रहा था,,, इस बारे में सोच कर वहां अपनी सोच को अपने ऊपर ही आजमाना चाहती थी और धीरे से अपनी एक उंगली को अपनी बुर में डालना शुरू कर दी,,, यह उसकी पहली कोशिश थी अपनी बुर में अपनी उंगली को डालने की वरना आज तक वह इस बारे में कभी सोची भी नहीं रही लेकिन आज हालात कुछ और थे,,,, वह मजबूर हो चुकी थी वह धीरे-धीरे अपनी उंगली को अपनी बर के छोटे से छेद में डाल रही थी और उसे एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी पतली सी उंगली उसके छोटे से छेद में बड़ी मुश्किल से जा रही थी तो मोटा तगड़ा लंड भला बुरे के छेद में आराम से और वह भी ढीला होने पर कैसे चला जाएगा,,,।
Rooplaal ki bibi madhosh hoti huyi
अपनी उंगली को अपनी बुर में डालते हुए उसे अपनी मां की बात याद आ गई जब उसके पापा उसकी मां को चोदने के लिए तैयार से तभी उसकी मां ने कही थी कि पहले उंगली से मेरी प्यास बुझा दो तभी अंदर डालना,,,, और उसके पापा भी उसकी मां की बात को मान गए थे और बुर में उंगली अंदर बाहर कर रहे थे,,, अपनी मां की इस बात को बस समझ नहीं पाई थी लेकिन उसे अपनी बुर में उंगली डालने में बहुत मजा आ रहा था धीरे-धीरे अंदर बाहर कर रही थी और उसकी तरह से वह मदहोश हो जा रही थी उसकी आंखें बंद थी और वह बिस्तर पर मचल रही थी जिसकी वजह से बिस्तर पर बीछी चादर पर सिलवटें पड़ रही थी,,,।
देखते देखते वह अपने चरम सुख के करीब पहुंचने लगी जैसे-जैसे चरम सुख के करीब पहुंच रही थी वह पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी उसके चेहरे का रंग टमाटर की तरह लाल हो गया था वह मजबूत हो चुकी थी उसके बदन में ऐंठन हो रही थी और देखते ही देखते हो अपनी उंगली को बड़े जोरों से अपनी बुर के अंदर बाहर करने लगी और से इस बात का भी एहसास हो रहा था कि जितनी देर से हो अपनी बुर में उंगली कर रही थी उसके आगे समय में ही उसके पापा देर हो गए थे,,,, देखते देखते उसकी कमर एकदम से ऊपर की तरफ हवा में उछली और उसकी बुर से नमकीन रस का फवारा फुट पड़ा उसे ऐसा लगा कि जैसे वह पेशाब कर दी,, लेकिन उसे एहसास हुआ कि वह पेशाब नहीं कुछ और था वह मत हो चुकी थी जीवन का पहला चरण सुख वह अपनी उंगली से प्राप्त ली थी,,, फिर फिर वह इस अवस्था में नीद की आगोश में चली गई,,।
Rooplaal ki bibi
दूसरे दिन सुबह उठने पर वह अपनी मां से नजर नहीं मिल पा रही थी अपनी मां से नजर मिलाने में उसे शर्म का एहसास हो रहा था क्योंकि जो कुछ भी उसने रात को देखी थी अपनी मां की हरकत को देखी थी उसके चलते न जाने क्यों उसके मन में अपनी मां के लिए इज्जत थोड़ी कम हो गई थी शायद इसलिए कि वह एक औरत के मन को नहीं जानती थी औरत होने के बावजूद भी औरत की चाहत को वह नहीं समझती थी,,।
धीरे-धीरे इसी तरह से 10 15 दिन गुजर गए वह फिर से अपनी मां को पहले की तरह ही इज्जत देने लगी,,, लेकिन अभी तक उसके पापा उसके बारे में मनोहर लाल से बात नहीं किए थे,,,, हां लेकिन इस बीच वह अपने लंड की मालिश करना नहीं भुलते थे,,, वैसे तो रूप लाल भी मनोहर लाल से मिलना चाहता था लेकिन दोनों की मुलाकात ही नहीं हो रही थी लेकिन एक दिन शाम को बगीचे में दोनों की मुलाकात हो गई और आज रूपलाल अपने मन में ठंड लिया था कि आज वह अपनी बेटी की बात मनोहर लाल से करके रहेगा,,।
Rooplaal ki bibi ki mast