Update 105
“यार ये तो गोल चक्कर में घूम रहे हैं हम. फिर बात इस सीसी पर आ कर अटक गयी. पर इतना तो क्लियर है अब कि कर्नल के घर में रहने वाला ही साइको है. उसी का नाम सीसी है. सीसी ईज़ साइको. वेरी फन्नी. ना साइको मिल रहा है ना सीसी. दोनो एक ही हैं तो ये तो होना ही था. देखता हूँ कब तक बचोगे मिस्टर सीसी उर्फ साइको. कुछ ना कुछ तो तुम्हारे बारे में पता चल ही रहा है.”
पद्मिनी बुरी तरह सूबक रही थी चटाई पर पड़ी हुई. दिल कुछ इस कदर भारी हो रहा था की ज़ोर-ज़ोर से रोना चाहती थी वो पर राज शर्मा की फटकार ने उसकी आवाज़ दबा दी थी. वो अंदर ही अंदर घुट रही थी. आँखो से आँसू लगातार बह रहे थे. बहुत कोशिस कर रही थी कि मुँह से कोई आवाज़ ना हो पर रह-रह कर सूबक ही पड़ती थी.
राज शर्मा बिस्तर पर बैठा चुपचाप सब सुन रहा था.
“रोती रहो मुझे क्या है. तुम खुद इसके लिए ज़िम्मेदार हो.” राज शर्मा ने मन ही मन सोचा और लेट गया बिस्तर पर चुपचाप.
प्यार में गुस्सा ज़्यादा देर तक नही टिक सकता. प्यार वो आग है जिसमे की जीवन की हर बुराई जल कर खाक हो जाती है. गुस्सा तो बहुत छ्होटी चीज़ है. जब आप बहुत प्यार करते हैं किसी को तो उसके प्रति मन में गुस्सा ज़्यादा देर तक नही टिक पाता. संभव ही नही है ये बात.
राज शर्मा का गुस्सा शांत हुआ तो उसे पद्मिनी की शिसकियों में मौजूद उस दर्द का अहसास हुआ जो उसने उसे दिया था.“हे भगवान मैने ये क्या किया? क्या कुछ नही कह दिया मैने पद्मिनी को.” राज शर्मा ने सोचा और तुरंत उठ कर पद्मिनी के पास आ कर बैठ गया.
पद्मिनी अभी भी सूबक रही थी. राज शर्मा ने पद्मिनी के सर पर हाथ रखा और बोला, “बस पद्मिनी चुप हो जाओ.”
पद्मिनी की दबी आवाज़ जैसे आज़ाद हो गयी और वो फूट-फूट कर रोने लगी. राज शर्मा घबरा गया उस यू रोते देख.
“पद्मिनी प्लीज़…ऐसे रोता है क्या कोई….प्लीज़ चुप हो जाओ मेरा दिल बैठा जा रहा है तुम्हे यू रोते देख कर.” राज शर्मा ने भावुक आवाज़ में कहा.
“क्यों आए हो मेरे पास तुम. ना मैं प्यार के लायक हूँ ना शादी के लायक हूँ.”
“प्लीज़ ऐसा मत कहो तुम तो भगवान की तरह पूजा के लायक हो. मैने वो सब गुस्से में बोल दिया था. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. ”
“गुस्से में दिल की बात ही तो कही ना तुमने. और सच ही कहा. मैं बिल्कुल लायक नही हूँ तुम्हारे प्यार के. अच्छा हो कि साइको मेरी आर्ट बना दे ताकि धरती से कुछ बोझ कम हो. मैं और नही जीना चाहती.”
“पद्मिनी! खबरदार जो ऐसी बात की तुमने.”
“तो क्या करूँ मैं अगर ऐसा ना कहूँ तो. तुम मुझे नही समझते. मेरे दर्द और तकलीफ़ का अहसास तक नही तुम्हे. मेरे पास बस एक ही चीज़ के लिए आते हो जबकि बहुत सारी उम्मीदे लगाए रखती हूँ मैं तुमसे. मेरे लिए ये प्यार कुछ और है और तुम्हारे लिए कुछ और. मैं अकेली हूँ बिल्कुल अकेली जिसे कोई नही समझता. मैं धरती पर बोझ हूँ जिसे मर जाना चाहिए.”
“अगर ऐसा है तो मैं मर जाता हूँ पहले. कहाँ है मेरी बंदूक.” राज शर्मा उठ कर कमरे की आल्मिरा की तरफ बढ़ा. बंदूक वही रखी थी उसने घर में घुस कर.
ये सुनते ही पद्मिनी थर-थर काँपने लगी. इंसान अपनी मौत के बारे में तो बड़ी आसानी से सोच सकता है मगर जिसे वो बहुत प्यार करता है उसकी मौत के ख्याल से भी काँप उठता है. पद्मिनी फ़ौरन उठ खड़ी हुई. राज शर्मा अंधेरे में कहाँ है उसके कुछ नज़र नही आ रहा था. उसने भाग कर कमरे की लाइट जलाई. तब तक राज शर्मा पिस्टल निकाल चुका था आल्मिरा से और अपनी कनपटी पर रखने वाला था. पद्मिनी बिना वक्त गवाए राज शर्मा की तरफ भागी और बंदूक राज शर्मा के सर से हटा दी. गोली दीवार में जा कर धँस गयी.
पद्मिनी लिपट गयी राज शर्मा से और रोते हुए बोली, “तुम्हे नही खो सकती राज शर्मा…बहुत कुछ खो चुकी हूँ…. तुम्हे नही खो सकती. मेरा कोई नही है तुम्हारे सिवा.”
“तो सोचो क्या गुज़री होगी मेरे दिल पर जब तुम मरने की बात कर रही थी. दिल बैठ गया था मेरा. आज के बाद मरने की बात कही तुमने तो तुरंत गोली मार लूँगा खुद को. प्यार करता हूँ मैं तुमसे….कोई मज़ाक नही.”
दोनो एक दूसरे से लिपटे खड़े थे. दोनो की ही आँखे टपक रही थी.
“राज शर्मा मैं जानती हूँ तुम मुझे बहुत प्यार करते हो. पर ये प्यार मेरे शरीर पर ही आकर क्यों रुक गया है. मेरे शरीर में मेरा दिल भी है और मेरी आत्मा भी. मुझे तुम्हारी बहुत ज़रूरत है राज शर्मा…मैं बहुत अकेला फील करती हूँ. तुम मेरे पास आकर बस मेरे शरीर को प्यार करके हट जाते हो. कभी मेरे अंदर भी झाँक कर देखो राज शर्मा. इस सुंदर शरीर के अंदर एक अंधेरा भरा हुआ है जहा सिर्फ़ दर्द और तन्हाई के सिवा कुछ और नही है.”
“पद्मिनी तुम्हारी कसम खा कर कहता हूँ मेरा प्यार सिर्फ़ शारीरिक नही है. मैं तुम्हारा हर दर्द समझता हूँ.”
“मम्मी-पापा की मौत के बाद घुट-घुट कर जी रही हूँ मैं. बिल्कुल भी मन नही लगता मेरा कही भी. रोज उनकी याद किसी ना किसी बहाने आ ही जाती है. फिर मैं खुद को गुनहगार मानती हूँ. मेरे कारण उन्हे इतनी बुरी मौत मिली. मेरे गम बाँट लिया करो राज शर्मा कभी-कभी…सिर्फ़ तुमसे ही उम्मीद रखती हूँ. तुम भी निराश करोगे तो कहाँ जाउन्गि मैं.”
“तुम्हे मैने पहले भी बताया है कि 7 साल का था जब मेरे पेरेंट्स गुजर गये. खून के आँसू रोया था मैं. मौत का मतलब भी नही जानता था तब. जब मुझे बताया गया उनके बारे में तो यही लगा कि कही घूमने गये हैं. जानता हूँ तुम्हारे गम को और अच्छे से समझता भी हूँ. पर क्या हम इन गामो में ही डूबे रहेंगे. निकलो बाहर पद्मिनी.”
“मैने अपने पेरेंट्स को दुख के सिवा कुछ नही दिया. मेरी शादी बिखर जाने से बहुत दुखी थे वो. पर मेरा यकीन करो राज शर्मा मैने कोशिस की थी रिस्ता निभाने की. पर उनकी हर रोज एक नयी डिमांड होती थी. शरम आती थी मुझे रोज-रोज अपने पापा से कुछ माँगते हुए. इतना कुछ लेकर भी उनका पेट नही भरता था. मैं सब कुछ छोड़ कर हमेशा के लिए अपने घर आ गयी. क्या मैने ये ग़लत किया था राज शर्मा. क्या रिस्ते को हर हाल में निभाना चाहिए. पापा बहुत नाराज़ हुए थे मुझसे जब मैं सब कुछ छोड़ कर घर आई थी. काई दिन तक उन्होने बात तक नही की मुझसे. ये सब कुछ तुम्हे बताना चाहती हूँ और भी बहुत कुछ है दिल में जो तुमसे शेर करना चाहती हूँ. अगर तुम नही सुनोगे, मुझे नही समझोगे तो कहाँ जाउन्गि मैं. अपने मन मंदिर में तुम्हे बैठा चुकी हूँ और किस से उम्मीद करूँ.”
“सॉरी पद्मिनी…आइ आम रियली सॉरी फॉर दट. मैं सच में बहुत कमीना हूँ. ये बात साबित हो गयी आज.”
पद्मिनी ने राज शर्मा के मुँह पर हाथ रख दिया और बोली, “बस खुद को कुछ मत कहो. तुम्हारे खिलाफ एक शब्द भी नही सुन सकती मैं. हां मैं खुद तुम्हे बहुत कुछ बोल देती हूँ गुस्से में. फिर बाद में बहुत पछताती भी हूँ.”
“अच्छा ये बताओ…कपड़े उतार कर क्यों आई थी तुम मेरे पास?”
“मैने सोचा जब तुम्हे मेरा शरीर ही चाहिए तो समर्पित कर देती हूँ खुद को तुम्हारे आगे. सोच रही थी कि शायद उसके बाद हम प्यार में और आगे बढ़ पाएँगे. ये शरीर तुम्हारा ही तो है…तुम्हे देने में हर्ज़ ही क्या है.”
“पद्मिनी हम एक दूसरे को अभी समझ नही पाए हैं इसलिए ये बातें हो रही हैं. देखना आगे से कोई भी शिकायत का मोका नही दूँगा तुम्हे. तुम्हारे हर दुख में साथ हूँ मैं पद्मिनी. तुम अकेली नही हो. तुमने अपने पेरेंट्स को अब खोया है…मैने तो बचपन में ही खो दिया था. ये दर्द मेरे लिए इतना कामन और नॅचुरल है कि तुम्हारे दर्द को कभी समझ ही नही पाया. यही मेरी सबसे बड़ी भूल थी. मुझे माफ़ कर दो पद्मिनी. आयेज से ऐसा नही होगा. चलो बिस्तर पर लेट कर आराम से बातें करते हैं.”
“राज आइ लव यू सो मच. मुझे उम्मीद थी कि तुम मेरी बात समझोगे. तुम्हारी आँखो में मैने वो इंसान देखा है जो मेरी हर बात समझता है. तुमसे प्यार यू ही नही कर लिया मैने. एक अच्छे इंसान की छवि देखी थी तुम्हारी आँखो में.”
“मैं जितना भी कमीना सही पर बहुत प्यार करता हूँ तुम्हे. कुछ भी कर सकता हूँ तुम्हारे लिए. जितना खुश मैं अब हूँ इतना खुश जींदगी में कभी नही रहा. मम्मी पापा की मौत के बाद अब मैं जीना सीख रहा हूँ वरना तो खुद को यहाँ वहाँ घसीट रहा था. तुमने मेरी जींदगी को खूबसूरत बना दिया है पद्मिनी इतना खूबसूरत कि मैं पागल हो गया हूँ. इस पागल पन में तुम्हारे साथ बहुत कुछ कर बैठा…यकीन मानो हर बात में मेरा प्यार ही था.”
“राज शर्मा थोड़ा कन्सर्वेटिव हूँ मैं. कही मेरा ये बिहेवियर तुम्हे मुझसे दूर तो नही कर देगा.”
“पागल हो क्या. तुमसे तो किसी हाल में भी दूर नही जाने वाला. तुम तो मेरी जान हो” राज शर्मा ने पद्मिनी को ज़ोर से जाकड़ कर कहा.
“तो थोड़ा कंट्रोल रखोगे ना अब तुम, आटीस्ट जब तक हमारी शादी नही हो जाती.”
“यही पाप मुझसे नही होगा पद्मिनी बाकी तुम कुछ भी माँग लो. दीवाना बन गया हूँ तुम्हारा…चाहूं भी तो भी खुद को रोक नही सकता.”
“उफ्फ मतलब बात वही की वही रही…”
“बिल्कुल नही…अब से तुम्हारे दिल की धड़कनो को ध्यान से सुनूँगा. तुम्हारी म्रिग्नय्नि आँखो में ध्यान से देखूँगा. समझने की कोशिस करूँगा अपनी पद्मिनी को. चेहरे पर कोई भी शिकन नही आने दूँगा. आँखो में आँसू आएँगे तो मैं उन्हे अमृत समझ कर पी लूँगा. तुम्हारे दुख और तकलीफ़ खुद ब खुद मेरी आत्मा तक पहुँच जाएँगे. सब कुछ करूँगा पर मेरा हक़ नही छोड़ सकता. आख़िर आशिक़ हूँ तुम्हारा तुम्हारे हुस्न से खेलने का हक़ बनता है मेरा…”
“बहुत खूब मेरे दीवाने…तुम तो प्यार की नयी मिसाल कायम करोगे शायद.”
“बिल्कुल करूँगा. तुम साथ दोगि तो मिसाल कायम हो ही जाएगी.” राज शर्मा ने हंसते हुए कहा.
“फिर तो जंग रहेगी तुम्हारे मेरे बीच.” पद्मिनी ने भी हंसते हुए कहा.
“जंग तो शुरू से चल रही है हमारे बीच इसमे नया क्या है. लेकिन अब और मज़ा आएगा.”
“चलो छोड़ो मुझे मैं अपने दुश्मन के गले लग कर क्यों रहूं.”
“क्योंकि प्यार करती हैं आप मुझसे कोई मज़ाक नही…जंग में कयि बार दुश्मन भी गले मिलते हैं.”
“तुम सच में पागल हो राज शर्मा.”
“हां तुम्हारे प्यार में पागल हहेहहे…चलो अब सोते हैं.” राज शर्मा पद्मिनी को लेकर बिस्तर की तरफ चल दिया.
“मैं भला अपने दुश्मन के साथ क्यों लेतू.”
“अभी जंग में विराम चल रहा है…साथ लेट सकती हो कोई दिक्कत नही है.” राज शर्मा ने कहा.
पद्मिनी चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लिए राज शर्मा के साथ बिस्तर पर आ गयी. राज शर्मा ने लाइट बंद कर दी और पद्मिनी को बाहों में भर लिया.
“कब करोगी मुझसे शादी”
“मैं तो कल कर लूँगी पर डाइवोर्स नही हुआ अभी. वो होते ही कर लेंगे हम शादी.”
“वैसे तुमने बहुत बड़ा जोखिम लिया था कपड़े उतार कर मेरे पास आने का.”
“बहुत भावुक हो गयी थी राज .. सॉरी …दुबारा ऐसा नही होगा. मैं भी कम पागल नही हूँ तुम्हारे लिए. गुस्सा थी तुमसे बहुत ज़्यादा फिर भी तुम्हारे पास आ गयी थी वो भी कपड़े उतार कर.”
“मैं भड़क जाता ना तो पछताती तुम बहुत. आज रात ही काम्सुत्र के सारे आसान आज़मा लेता तुम्हारे उपर फिर तुम्हे पता चलता कि मेरे पास कपड़े उतार कर आने का क्या मतलब होता है.”
“डराओ मत मुझे तुम वरना शादी नही करूँगी तुमसे.”
“मत करना शादी… ये प्यार काफ़ी है मेरे लिए तुम पर हक़ जताने के लिए. तुम्हे मन से पत्नी मान चुका हूँ.”
“अब क्या कहूँ तुम्हे…आइ लव यू. लेकिन अपनी जंग जारी रहेगी…शादी से पहले कुछ नही हहेहहे.”
“एक पप्पी तो दे दो फिलहाल उसमें तो कोई जंग नही है हमारे बीच. कोल्गेट तो कर ही रखा होगा तुमने.”
“हां कोल्गेट तो कर रखा है.” बस इतना ही कहा पद्मिनी ने.
राज शर्मा आगे बढ़ा और अपने होंतों को पद्मिनी के होंटो पर टिका दिया. पद्मिनी ने राज शर्मा के होंटो को अपने होंटो में जकड़ने में ज़रा भी देरी नही की. ये एक ऐसी किस थी जिसमे प्यार के साथ साथ एक अंडरस्टॅंडिंग भी शामिल थी. दोनो एक प्यारी सी जंग के लिए तैयार थे.
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अगली सुबह सिकेन्दर रोहित की जगह जाय्न करने से पहले सीधा रोहित के घर पहुँच गया. रोहित ने गरम्जोशी से उसका स्वागत किया.
“ सरकार आपसे इस केस में मार्गदर्शन की आशा रखता हूँ. उम्मीद है कि आप मुझे इस केस के हर पहलू से अवगत करवाएँगे.” शिकेन्दर ने कहा.
“बिल्कुल मैं आपकी हर संभव मदद करूँगा. पहले आप ये बतायें कि इतनी दिलचस्पी क्यों थी आपको यहा आने की और इस केस को लेने की.”
“वो सब छोड़िए सरकार. हर कोई किसी ना किसी काम में दिलचस्पी रखता है. हमें बस साइको को पकड़ने पर ध्यान रखना चाहिए.”
रोहित ने साइको के केस की सभी डीटेल्स सिकेन्दर को बता दी.
“सरकार इसका मतलब बात कर्नल के घर पर आकर अटक गयी है. आपको क्या लगता है ये सीसी कौन हो सकता है.” सिकेन्दर ने पूछा.
“कोई भी हो सकता है. आप भी हो सकते हैं.” रोहित ने मज़ाक में कहा.
“सरकार मुझे तो पैंटिंग के नाम से ही डर लगता है. स्कूल में एक आपल तक ठीक से नही बना पाता था. आपल बनाते बनाते भींडी की तस्वीर बन जाती थी.” सिकेन्दर ने कहा.
“ऐसा क्यों सरकार भींडी बहुत पसंद थी क्या आपको?” रोहित ने चुस्की ली.
“छोड़िए सरकार अब क्या रखा है इन बातों में. चलता हूँ मैं और जाकर जाय्न करता हूँ. जब भी कोई शंका होगी आपसे कॉंटॅक्ट करूँगा.”
“बिल्कुल बेझीजक मुझे कॉल कर लेना.” रोहित ने कहा.
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“यार ये तो गोल चक्कर में घूम रहे हैं हम. फिर बात इस सीसी पर आ कर अटक गयी. पर इतना तो क्लियर है अब कि कर्नल के घर में रहने वाला ही साइको है. उसी का नाम सीसी है. सीसी ईज़ साइको. वेरी फन्नी. ना साइको मिल रहा है ना सीसी. दोनो एक ही हैं तो ये तो होना ही था. देखता हूँ कब तक बचोगे मिस्टर सीसी उर्फ साइको. कुछ ना कुछ तो तुम्हारे बारे में पता चल ही रहा है.”
पद्मिनी बुरी तरह सूबक रही थी चटाई पर पड़ी हुई. दिल कुछ इस कदर भारी हो रहा था की ज़ोर-ज़ोर से रोना चाहती थी वो पर राज शर्मा की फटकार ने उसकी आवाज़ दबा दी थी. वो अंदर ही अंदर घुट रही थी. आँखो से आँसू लगातार बह रहे थे. बहुत कोशिस कर रही थी कि मुँह से कोई आवाज़ ना हो पर रह-रह कर सूबक ही पड़ती थी.
राज शर्मा बिस्तर पर बैठा चुपचाप सब सुन रहा था.
“रोती रहो मुझे क्या है. तुम खुद इसके लिए ज़िम्मेदार हो.” राज शर्मा ने मन ही मन सोचा और लेट गया बिस्तर पर चुपचाप.
प्यार में गुस्सा ज़्यादा देर तक नही टिक सकता. प्यार वो आग है जिसमे की जीवन की हर बुराई जल कर खाक हो जाती है. गुस्सा तो बहुत छ्होटी चीज़ है. जब आप बहुत प्यार करते हैं किसी को तो उसके प्रति मन में गुस्सा ज़्यादा देर तक नही टिक पाता. संभव ही नही है ये बात.
राज शर्मा का गुस्सा शांत हुआ तो उसे पद्मिनी की शिसकियों में मौजूद उस दर्द का अहसास हुआ जो उसने उसे दिया था.“हे भगवान मैने ये क्या किया? क्या कुछ नही कह दिया मैने पद्मिनी को.” राज शर्मा ने सोचा और तुरंत उठ कर पद्मिनी के पास आ कर बैठ गया.
पद्मिनी अभी भी सूबक रही थी. राज शर्मा ने पद्मिनी के सर पर हाथ रखा और बोला, “बस पद्मिनी चुप हो जाओ.”
पद्मिनी की दबी आवाज़ जैसे आज़ाद हो गयी और वो फूट-फूट कर रोने लगी. राज शर्मा घबरा गया उस यू रोते देख.
“पद्मिनी प्लीज़…ऐसे रोता है क्या कोई….प्लीज़ चुप हो जाओ मेरा दिल बैठा जा रहा है तुम्हे यू रोते देख कर.” राज शर्मा ने भावुक आवाज़ में कहा.
“क्यों आए हो मेरे पास तुम. ना मैं प्यार के लायक हूँ ना शादी के लायक हूँ.”
“प्लीज़ ऐसा मत कहो तुम तो भगवान की तरह पूजा के लायक हो. मैने वो सब गुस्से में बोल दिया था. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. ”
“गुस्से में दिल की बात ही तो कही ना तुमने. और सच ही कहा. मैं बिल्कुल लायक नही हूँ तुम्हारे प्यार के. अच्छा हो कि साइको मेरी आर्ट बना दे ताकि धरती से कुछ बोझ कम हो. मैं और नही जीना चाहती.”
“पद्मिनी! खबरदार जो ऐसी बात की तुमने.”
“तो क्या करूँ मैं अगर ऐसा ना कहूँ तो. तुम मुझे नही समझते. मेरे दर्द और तकलीफ़ का अहसास तक नही तुम्हे. मेरे पास बस एक ही चीज़ के लिए आते हो जबकि बहुत सारी उम्मीदे लगाए रखती हूँ मैं तुमसे. मेरे लिए ये प्यार कुछ और है और तुम्हारे लिए कुछ और. मैं अकेली हूँ बिल्कुल अकेली जिसे कोई नही समझता. मैं धरती पर बोझ हूँ जिसे मर जाना चाहिए.”
“अगर ऐसा है तो मैं मर जाता हूँ पहले. कहाँ है मेरी बंदूक.” राज शर्मा उठ कर कमरे की आल्मिरा की तरफ बढ़ा. बंदूक वही रखी थी उसने घर में घुस कर.
ये सुनते ही पद्मिनी थर-थर काँपने लगी. इंसान अपनी मौत के बारे में तो बड़ी आसानी से सोच सकता है मगर जिसे वो बहुत प्यार करता है उसकी मौत के ख्याल से भी काँप उठता है. पद्मिनी फ़ौरन उठ खड़ी हुई. राज शर्मा अंधेरे में कहाँ है उसके कुछ नज़र नही आ रहा था. उसने भाग कर कमरे की लाइट जलाई. तब तक राज शर्मा पिस्टल निकाल चुका था आल्मिरा से और अपनी कनपटी पर रखने वाला था. पद्मिनी बिना वक्त गवाए राज शर्मा की तरफ भागी और बंदूक राज शर्मा के सर से हटा दी. गोली दीवार में जा कर धँस गयी.
पद्मिनी लिपट गयी राज शर्मा से और रोते हुए बोली, “तुम्हे नही खो सकती राज शर्मा…बहुत कुछ खो चुकी हूँ…. तुम्हे नही खो सकती. मेरा कोई नही है तुम्हारे सिवा.”
“तो सोचो क्या गुज़री होगी मेरे दिल पर जब तुम मरने की बात कर रही थी. दिल बैठ गया था मेरा. आज के बाद मरने की बात कही तुमने तो तुरंत गोली मार लूँगा खुद को. प्यार करता हूँ मैं तुमसे….कोई मज़ाक नही.”
दोनो एक दूसरे से लिपटे खड़े थे. दोनो की ही आँखे टपक रही थी.
“राज शर्मा मैं जानती हूँ तुम मुझे बहुत प्यार करते हो. पर ये प्यार मेरे शरीर पर ही आकर क्यों रुक गया है. मेरे शरीर में मेरा दिल भी है और मेरी आत्मा भी. मुझे तुम्हारी बहुत ज़रूरत है राज शर्मा…मैं बहुत अकेला फील करती हूँ. तुम मेरे पास आकर बस मेरे शरीर को प्यार करके हट जाते हो. कभी मेरे अंदर भी झाँक कर देखो राज शर्मा. इस सुंदर शरीर के अंदर एक अंधेरा भरा हुआ है जहा सिर्फ़ दर्द और तन्हाई के सिवा कुछ और नही है.”
“पद्मिनी तुम्हारी कसम खा कर कहता हूँ मेरा प्यार सिर्फ़ शारीरिक नही है. मैं तुम्हारा हर दर्द समझता हूँ.”
“मम्मी-पापा की मौत के बाद घुट-घुट कर जी रही हूँ मैं. बिल्कुल भी मन नही लगता मेरा कही भी. रोज उनकी याद किसी ना किसी बहाने आ ही जाती है. फिर मैं खुद को गुनहगार मानती हूँ. मेरे कारण उन्हे इतनी बुरी मौत मिली. मेरे गम बाँट लिया करो राज शर्मा कभी-कभी…सिर्फ़ तुमसे ही उम्मीद रखती हूँ. तुम भी निराश करोगे तो कहाँ जाउन्गि मैं.”
“तुम्हे मैने पहले भी बताया है कि 7 साल का था जब मेरे पेरेंट्स गुजर गये. खून के आँसू रोया था मैं. मौत का मतलब भी नही जानता था तब. जब मुझे बताया गया उनके बारे में तो यही लगा कि कही घूमने गये हैं. जानता हूँ तुम्हारे गम को और अच्छे से समझता भी हूँ. पर क्या हम इन गामो में ही डूबे रहेंगे. निकलो बाहर पद्मिनी.”
“मैने अपने पेरेंट्स को दुख के सिवा कुछ नही दिया. मेरी शादी बिखर जाने से बहुत दुखी थे वो. पर मेरा यकीन करो राज शर्मा मैने कोशिस की थी रिस्ता निभाने की. पर उनकी हर रोज एक नयी डिमांड होती थी. शरम आती थी मुझे रोज-रोज अपने पापा से कुछ माँगते हुए. इतना कुछ लेकर भी उनका पेट नही भरता था. मैं सब कुछ छोड़ कर हमेशा के लिए अपने घर आ गयी. क्या मैने ये ग़लत किया था राज शर्मा. क्या रिस्ते को हर हाल में निभाना चाहिए. पापा बहुत नाराज़ हुए थे मुझसे जब मैं सब कुछ छोड़ कर घर आई थी. काई दिन तक उन्होने बात तक नही की मुझसे. ये सब कुछ तुम्हे बताना चाहती हूँ और भी बहुत कुछ है दिल में जो तुमसे शेर करना चाहती हूँ. अगर तुम नही सुनोगे, मुझे नही समझोगे तो कहाँ जाउन्गि मैं. अपने मन मंदिर में तुम्हे बैठा चुकी हूँ और किस से उम्मीद करूँ.”
“सॉरी पद्मिनी…आइ आम रियली सॉरी फॉर दट. मैं सच में बहुत कमीना हूँ. ये बात साबित हो गयी आज.”
पद्मिनी ने राज शर्मा के मुँह पर हाथ रख दिया और बोली, “बस खुद को कुछ मत कहो. तुम्हारे खिलाफ एक शब्द भी नही सुन सकती मैं. हां मैं खुद तुम्हे बहुत कुछ बोल देती हूँ गुस्से में. फिर बाद में बहुत पछताती भी हूँ.”
“अच्छा ये बताओ…कपड़े उतार कर क्यों आई थी तुम मेरे पास?”
“मैने सोचा जब तुम्हे मेरा शरीर ही चाहिए तो समर्पित कर देती हूँ खुद को तुम्हारे आगे. सोच रही थी कि शायद उसके बाद हम प्यार में और आगे बढ़ पाएँगे. ये शरीर तुम्हारा ही तो है…तुम्हे देने में हर्ज़ ही क्या है.”
“पद्मिनी हम एक दूसरे को अभी समझ नही पाए हैं इसलिए ये बातें हो रही हैं. देखना आगे से कोई भी शिकायत का मोका नही दूँगा तुम्हे. तुम्हारे हर दुख में साथ हूँ मैं पद्मिनी. तुम अकेली नही हो. तुमने अपने पेरेंट्स को अब खोया है…मैने तो बचपन में ही खो दिया था. ये दर्द मेरे लिए इतना कामन और नॅचुरल है कि तुम्हारे दर्द को कभी समझ ही नही पाया. यही मेरी सबसे बड़ी भूल थी. मुझे माफ़ कर दो पद्मिनी. आयेज से ऐसा नही होगा. चलो बिस्तर पर लेट कर आराम से बातें करते हैं.”
“राज आइ लव यू सो मच. मुझे उम्मीद थी कि तुम मेरी बात समझोगे. तुम्हारी आँखो में मैने वो इंसान देखा है जो मेरी हर बात समझता है. तुमसे प्यार यू ही नही कर लिया मैने. एक अच्छे इंसान की छवि देखी थी तुम्हारी आँखो में.”
“मैं जितना भी कमीना सही पर बहुत प्यार करता हूँ तुम्हे. कुछ भी कर सकता हूँ तुम्हारे लिए. जितना खुश मैं अब हूँ इतना खुश जींदगी में कभी नही रहा. मम्मी पापा की मौत के बाद अब मैं जीना सीख रहा हूँ वरना तो खुद को यहाँ वहाँ घसीट रहा था. तुमने मेरी जींदगी को खूबसूरत बना दिया है पद्मिनी इतना खूबसूरत कि मैं पागल हो गया हूँ. इस पागल पन में तुम्हारे साथ बहुत कुछ कर बैठा…यकीन मानो हर बात में मेरा प्यार ही था.”
“राज शर्मा थोड़ा कन्सर्वेटिव हूँ मैं. कही मेरा ये बिहेवियर तुम्हे मुझसे दूर तो नही कर देगा.”
“पागल हो क्या. तुमसे तो किसी हाल में भी दूर नही जाने वाला. तुम तो मेरी जान हो” राज शर्मा ने पद्मिनी को ज़ोर से जाकड़ कर कहा.
“तो थोड़ा कंट्रोल रखोगे ना अब तुम, आटीस्ट जब तक हमारी शादी नही हो जाती.”
“यही पाप मुझसे नही होगा पद्मिनी बाकी तुम कुछ भी माँग लो. दीवाना बन गया हूँ तुम्हारा…चाहूं भी तो भी खुद को रोक नही सकता.”
“उफ्फ मतलब बात वही की वही रही…”
“बिल्कुल नही…अब से तुम्हारे दिल की धड़कनो को ध्यान से सुनूँगा. तुम्हारी म्रिग्नय्नि आँखो में ध्यान से देखूँगा. समझने की कोशिस करूँगा अपनी पद्मिनी को. चेहरे पर कोई भी शिकन नही आने दूँगा. आँखो में आँसू आएँगे तो मैं उन्हे अमृत समझ कर पी लूँगा. तुम्हारे दुख और तकलीफ़ खुद ब खुद मेरी आत्मा तक पहुँच जाएँगे. सब कुछ करूँगा पर मेरा हक़ नही छोड़ सकता. आख़िर आशिक़ हूँ तुम्हारा तुम्हारे हुस्न से खेलने का हक़ बनता है मेरा…”
“बहुत खूब मेरे दीवाने…तुम तो प्यार की नयी मिसाल कायम करोगे शायद.”
“बिल्कुल करूँगा. तुम साथ दोगि तो मिसाल कायम हो ही जाएगी.” राज शर्मा ने हंसते हुए कहा.
“फिर तो जंग रहेगी तुम्हारे मेरे बीच.” पद्मिनी ने भी हंसते हुए कहा.
“जंग तो शुरू से चल रही है हमारे बीच इसमे नया क्या है. लेकिन अब और मज़ा आएगा.”
“चलो छोड़ो मुझे मैं अपने दुश्मन के गले लग कर क्यों रहूं.”
“क्योंकि प्यार करती हैं आप मुझसे कोई मज़ाक नही…जंग में कयि बार दुश्मन भी गले मिलते हैं.”
“तुम सच में पागल हो राज शर्मा.”
“हां तुम्हारे प्यार में पागल हहेहहे…चलो अब सोते हैं.” राज शर्मा पद्मिनी को लेकर बिस्तर की तरफ चल दिया.
“मैं भला अपने दुश्मन के साथ क्यों लेतू.”
“अभी जंग में विराम चल रहा है…साथ लेट सकती हो कोई दिक्कत नही है.” राज शर्मा ने कहा.
पद्मिनी चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लिए राज शर्मा के साथ बिस्तर पर आ गयी. राज शर्मा ने लाइट बंद कर दी और पद्मिनी को बाहों में भर लिया.
“कब करोगी मुझसे शादी”
“मैं तो कल कर लूँगी पर डाइवोर्स नही हुआ अभी. वो होते ही कर लेंगे हम शादी.”
“वैसे तुमने बहुत बड़ा जोखिम लिया था कपड़े उतार कर मेरे पास आने का.”
“बहुत भावुक हो गयी थी राज .. सॉरी …दुबारा ऐसा नही होगा. मैं भी कम पागल नही हूँ तुम्हारे लिए. गुस्सा थी तुमसे बहुत ज़्यादा फिर भी तुम्हारे पास आ गयी थी वो भी कपड़े उतार कर.”
“मैं भड़क जाता ना तो पछताती तुम बहुत. आज रात ही काम्सुत्र के सारे आसान आज़मा लेता तुम्हारे उपर फिर तुम्हे पता चलता कि मेरे पास कपड़े उतार कर आने का क्या मतलब होता है.”
“डराओ मत मुझे तुम वरना शादी नही करूँगी तुमसे.”
“मत करना शादी… ये प्यार काफ़ी है मेरे लिए तुम पर हक़ जताने के लिए. तुम्हे मन से पत्नी मान चुका हूँ.”
“अब क्या कहूँ तुम्हे…आइ लव यू. लेकिन अपनी जंग जारी रहेगी…शादी से पहले कुछ नही हहेहहे.”
“एक पप्पी तो दे दो फिलहाल उसमें तो कोई जंग नही है हमारे बीच. कोल्गेट तो कर ही रखा होगा तुमने.”
“हां कोल्गेट तो कर रखा है.” बस इतना ही कहा पद्मिनी ने.
राज शर्मा आगे बढ़ा और अपने होंतों को पद्मिनी के होंटो पर टिका दिया. पद्मिनी ने राज शर्मा के होंटो को अपने होंटो में जकड़ने में ज़रा भी देरी नही की. ये एक ऐसी किस थी जिसमे प्यार के साथ साथ एक अंडरस्टॅंडिंग भी शामिल थी. दोनो एक प्यारी सी जंग के लिए तैयार थे.
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अगली सुबह सिकेन्दर रोहित की जगह जाय्न करने से पहले सीधा रोहित के घर पहुँच गया. रोहित ने गरम्जोशी से उसका स्वागत किया.
“ सरकार आपसे इस केस में मार्गदर्शन की आशा रखता हूँ. उम्मीद है कि आप मुझे इस केस के हर पहलू से अवगत करवाएँगे.” शिकेन्दर ने कहा.
“बिल्कुल मैं आपकी हर संभव मदद करूँगा. पहले आप ये बतायें कि इतनी दिलचस्पी क्यों थी आपको यहा आने की और इस केस को लेने की.”
“वो सब छोड़िए सरकार. हर कोई किसी ना किसी काम में दिलचस्पी रखता है. हमें बस साइको को पकड़ने पर ध्यान रखना चाहिए.”
रोहित ने साइको के केस की सभी डीटेल्स सिकेन्दर को बता दी.
“सरकार इसका मतलब बात कर्नल के घर पर आकर अटक गयी है. आपको क्या लगता है ये सीसी कौन हो सकता है.” सिकेन्दर ने पूछा.
“कोई भी हो सकता है. आप भी हो सकते हैं.” रोहित ने मज़ाक में कहा.
“सरकार मुझे तो पैंटिंग के नाम से ही डर लगता है. स्कूल में एक आपल तक ठीक से नही बना पाता था. आपल बनाते बनाते भींडी की तस्वीर बन जाती थी.” सिकेन्दर ने कहा.
“ऐसा क्यों सरकार भींडी बहुत पसंद थी क्या आपको?” रोहित ने चुस्की ली.
“छोड़िए सरकार अब क्या रखा है इन बातों में. चलता हूँ मैं और जाकर जाय्न करता हूँ. जब भी कोई शंका होगी आपसे कॉंटॅक्ट करूँगा.”
“बिल्कुल बेझीजक मुझे कॉल कर लेना.” रोहित ने कहा.
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