Update 95
रोहित एक अजीब सा अहसास ले कर आया बाहर. ऐसा अहसास उसने कभी महसूस नही किया था.
“ये सब क्या था. मेडम कितने प्यार से देख रही थी मेरी तरफ. मैं तो खो ही गया था उनकी आँखो में. हम दोनो का एक साथ साइको के चंगुल में फँसना,फिर खाई में गिरना और फिर अब मेडम का यू प्यार से मेरी तरफ देखना…ये सब इत्तेफ़ाक है या फिर ये मेरी डेस्टिनी की तरफ इशारा करते हैं.” रोहित बहुत गहरी सोच में डूब गया और फिर अचानक धीरे से बोला, “हे भगवान कही मैं उस खाई में अपनी जींदगी को गोदी में उठा कर तो नही घूम रहा था. अगर मैं सही हूँ तो ये एक प्यार की शुरूवात है…बहुत प्यारे प्यार की शुरूवात. पर मैं रीमा को क्या कहूँगा…वो मुझे बहुत प्यार करती है. सब कुछ वक्त के हाथों छोड़ना पड़ेगा. अगर रीमा आई सब कुछ छोड़ कर मेरे पास तो मैं उसका साथ दूँगा. और अगर वो नही आई तो मैं मेडम को अपने दिल की बात बोल दूँगा. मुझे यकीन है कि वो भी मेरे बारे में प्यार भरा कुछ सोच रही होंगी. हे भगवान मुझे राह देखना कि मैं किस तरफ चलु
..............................
.........
मोहित अपने कमरे में बिस्तर पर पड़ा साइको के बारे में सोच रहा था.
"कर्नल के घर में मौत की पैंटिंग और मौत की वीडियो हैं. बाकी और कुछ नही है. क्या ये सबूत काफ़ी हैं उसे साइको मान-ने के लिए. मगर उसके यहाँ एसपी साहिब के घर की लिव वीडियो चल रही थी रोहित के मुताबिक. एसपी साहिब अब हॉस्पिटल में हैं. इस साइको ने तो सबको घुमा कर रखा हुआ है. जो भी हो कर्नल फरार है और इस वक्त पूरा फोकस उसी पर होना चाहिए आख़िर इतने इंपॉर्टेंट सबूत मिले हैं उसके घर से. मगर इस संजय पर भी ध्यान देना होगा. मज़ा आएगा इस केस पर काम करके. अगर सॉल्व कर पाया इसे तो नाम होगा मेरा और फ्यूचर में खुद की इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी खोल लूँगा.
कल को पूजा से शादी होगी तो अपनी ज़िम्मेदारियाँ अच्छे से निभा पाउन्गा. एक खुश हाल जींदगी देना चाहता हूँ मैं अपनी पूजा को, इस एक कमरे के घर से बात नही बनेगी. "
साइको को सोचते सोचते बात पूजा तक पहुँच गयी. अजीब दीवानगी पैदा कर देता है प्यार, बात घूम फिर कर उसी पर आ जाती है जिसे आप बहुत प्यार करते हैं.
पूजा की बात से मोहित को ध्यान
आया कि आज वो बिज़ी होने के कारण पूजा से मिल ही नही पाया.
"यार आज पूजा से नही मिला तो कितना खाली खाली सा लग रहा है. उसने मेरा वेट किया होगा बस स्टॉप पर. बहुत देर तक वेट करने के बाद गयी होगी कॉलेज. फोन ट्राइ करता हूँ. वैसे फोन नगमा के पास रहता है मगर क्या पता पूजा उठा ले."
मोहित ने फोन मिलाया. फोन पूजा ने ही उठाया.
"शूकर है तुमने ही फोन उठाया. नगमा ने फोन आज तुम्हारे पास कैसे छोड़ दिया."
"दीदी घर पर नही हैं. डेडी के साथ गाँव गयी है. इसलिए फोन मेरे पास है."
"यार ये अजीब बात है. फिर कॉल क्यों नही किया मुझे?" मोहित ने कहा.
"टॉक टाइम नही था फोन में. दीदी को बोला था डलवाने को पर वो शायद भूल गयी."
"चलो कोई बात नही. सॉरी आज मैं बस स्टॉप पर मिलने नही आ पाया. किसी काम में बिज़ी था."
"थोड़ी देर के लिए भी नही आ सकते थे क्या ...बहुत वेट किया मैने तुम्हारा. कॉलेज से भी लेट हो गयी थी."
"ओह सो सॉरी पूजा. फोन होता तुम्हारे पास तो कॉल कर देता. क्या मैं तुम्हे फोन खरीद कर दे दूं."
"नही उसकी कोई ज़रूरत नही है. मैं तुमसे कोई गिफ्ट नही लूँगी."
"गिफ्ट नही लूँगी मतलब...यार ये अजीब बात है. फिर मुझे कैसे अपनी जान के लिए कुछ करने का अवसर मिलेगा."
"मोहित...जिस दिन मैं खुद अफोर्ड कर पाउन्गि फोन तभी लूँगी. मैं तुम्हे वैसे ही बहुत प्यार करती हूँ. गिफ्ट देने की ज़रूरत नही है."
"अरे यार गिफ्ट प्यार बढ़ाने या तुम्हे लुभाने के लिए नही बल्कि इसलिए दे रहा था कि हमारा कम्यूनिकेशन बना रहे. बेवजह आज तुम वेट करती रही, फोन होता तुम्हारे पास तो वक्त से कॉलेज जाती."
"मोहित जो भी हो...मुझे कोई गिफ्ट नही चाहिए. मेरा स्वाभिमान मुझे इसकी इजाज़त नही देता."
"ह्म्म...मेरे लिए तो ये अच्छी बात है. गर्ल फ्रेंड मेंटेनेन्स का खर्चा बचेगा हिहिहीही."
"ज़्यादा हँसो मत. शादी के बाद पूरे हक़ से एक स्मार्ट फोन लूँगी मैं . जिसमें लेटेस्ट फीचर्स हो. इंटरनेट हो,अच्छा कॅमरा हो, 3जी हो एट्सेटरा...एट्सेटरा."
"क्या ...मुझे लगा था कि ये स्वाभिमान शादी के बाद भी जारी रहेगा. ये ग़लत बात है."
"और नही तो क्या, पत्नी का हक़ होता है हज़्बेंड को लूटना. वो मैं पूरे शान से करूँगी."
"मुझे पता है की तुम मज़ाक कर रही हो..है ना..."
"आइ आम सीरीयस."
"चलो ले लेना जो जी चाहे. भगवान ज़रूर मुझे तरक्की देंगे तुम्हारी लूट खसोट के लिए."
"हां बहुत तर्रक्कि देंगे. और मैं तुम्हे शान से लुतूँगी." पूजा ने हंसते हुए कहा.
"अगर ऐसा है तो मैं भी शान से लुतूँगा तुम्हारी जवानी. रोज बहुत अच्छे से लूँगा तुम्हारी. एक बार मेरी दुल्हन बन कर आओ तो सही."
"कैसी बाते करते हो तुम ... मुझे नही करनी तुमसे बात. गुड नाइट."
"अरे क्या हुआ रूको तो..." मोहित ने तुरंत कहा मगर फोन कट चुका था.
मोहित ने केयी बार फोन ट्राइ किया मगर पूजा ने फोन स्विच्ड ऑफ कर दिया था.
“ये क्या मज़ाक है पूजा. इतना मज़ाक तो कर ही सकता हूँ यार. हद है तुम्हारी भी.” मोहित ने मन ही मन कहा और बिस्तर से उठ गया.
“आ रहा हूँ अब मैं तुम्हारे पास. कोई चारा नही छोड़ा तुमने.” मोहित ने कहा और अपने कमरे की कुण्डी लगा कर चल दिया पूजा के घर की तरफ.
रात का सन्नाटा चारो तरफ फैला हुआ था. सभी लोग अपने-अपने घरो में थे. साइको का ख़ौफ़ ज्यों का त्यों बरकरार था.
“ये सन्नाटा पता नही कब गायब होगा इन सड़को से. पहले कितनी चहल पहल हुआ करती थी इन सड़को पर. मगर अब ये मनहूस सन्नाटा शाम ढलते ही घेर लेता है इन गलियों को. काश ये ख़ौफ़ जल्द से जल्द ख़तम हो जाए.”
मगर सन्नाटा एक तरह से अच्छा भी था.
मोहित पूजा के घर पहुँचा और चुपचाप दरवाजा खड़काया.
पूजा दरवाजे पर दस्तक सुन कर सिहर उठी.
“हे भगवान कौन हो सकता है.” पूजा ने मन ही मन कहा.
मोहित ने बाहर से आवाज़ दी, “मैं हूँ मोहित. दरवाजा खोलो.”
पूजा दरवाजे के पास आई और बोली, “तुम यहा क्यों आए हो?”
“अरे दरवाजा तो खोलो यार?”
पूजा ने दरवाजा खोला. मोहित झट से अंदर आ गया और दरवाजे की कुण्डी लगा दी.
“मोहित क्यों आए तुम यहाँ.”
“अब यार फोन बंद करके तुमने मेरे दिल की धड़कन बंद कर दी. यहाँ नही आता तो क्या करता मैं. क्यों किया तुमने ऐसा.”
“तुम खुद अपने दिल से पूछो. क्या ऐसा बोलता है कोई किसी लड़की को.” पूजा ने कहा.
“जान तुम मेरी प्रेमिका हो जो की जल्द ही पत्नी बन-ने जा रही है. तुम भी तो मज़ाक कर रही थी. मैने भी मज़ाक कर दिया.”
“क्या वो सब मज़ाक था.”
“जान मानता हूँ कि कुछ ज़्यादा बोल गया. प्यार करता हूँ तुमसे. कुछ बातों को अनदेखा कर दिया करो. केयी बार कुछ अजीब बोल जाता हूँ मैं. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. मुझसे नाराज़ मत होना.”
“ठीक है…ठीक है…बैठो चाय बनाती हूँ तुम्हारे लिए.”
“नही पूजा. मैं चलता हूँ. मैं बस तुम्हे सॉरी बोलने आया था. तुमने फोन ऑफ कर दिया था. इसलिए मुझे आना पड़ा.”
“मोहित मैं डर गयी थी तुम्हारी इन बातों से. क्यों करते हो ऐसा तुम.”
“छोड़ो भी अब. ग़लती हो गयी मुझसे. माफ़ करदो मुझे नही कहूँगा आज के बाद ऐसा कुछ.”
“हाहहहाहा…देखा कैसी बॅंड बजाई तुम्हारी.” पूजा ने हंसते हुए कहा.
“क्या ये सब मज़ाक था…”
“और नही तो क्या. तुम शादी के बाद सेक्स की बात कर रहे थे. मैं भला बुरा क्यों मानूँगी. बस यू ही तुम्हे सताने का मन था. आज बहुत सताया तुमने मुझे. आँखे तरस गयी थी तुम्हारे इंतेज़ार में.”
“पूजा लेकिन मैं सच कह रहा हूँ. तुम्हारा रोज बॅंड बजेगा अब शादी के बाद. हर रात आआहह उउउहह आहह करोगी.” मोहित ने कहा.
“देखेंगे जनाब…फिलहाल आप जाओ यहा से. मुझे नींद आ रही है.”
“अब जब यहा आ गया हूँ तो खाली हाथ नही जाउन्गा मैं.”
“क्या मतलब?”
“एक पप्पी तो लेकर ही जाउन्गा.”
“बदमाश हो तुम. कुछ नही मिलेगा तुम्हे आज”
“मेरी आँखो में देख कर बोलो तो.” मोहित ने कहा और बाहों में भर लिया पूजा को.
“तुम्हारी आँखो में देख कर कैसे मना कर पाउन्गि तुम्हे.” पूजा ने मोहित की छाती पर सर रख लिया.
“उफ्फ…मैं चलता हूँ यार. भावनाए भड़क रही हैं. कही शादी से पहले ही हनिमून ना हो जाए.”
“हां चले जाओ. मुझे भी यही डर है. तुम बहक गये तो तुम्हे रोक नही पाउन्गि मैं. प्यार जो करती हूँ तुम्हे. मगर हम सेक्स में शादी के बाद ही उतरे तो ज़्यादा अच्छा होगा.”
मोहित ने पूजा के चेहरे को हाथ से उपर किया और अपने होन्ट टिका दिए उसके होंटो पर. पूजा ने भी झट से जाकड़ लिया मोहित के लबों को अपने होंटो में. और फिर प्यार हुआ दोनो के बीच. 5 मिनिट तक चूमते रहे दोनो बेतहासा एक दूसरे को.
5 मिनिट बाद पूजा ने मोहित को धक्का दे कर उसको खुद से अलग किया, “बस कही बहक ना जायें हम दोनो.”
“अरे यार किस से याद आया. मैने राज शर्मा को पद्मिनी की पप्पी लेने के लिए उकसा दिया है. बहुत जबरदस्त चुटकुला बन-ने वाला है राज शर्मा का.”
“क्या? ऐसा क्यों किया तुमने. क्यों मरवा रहे हो बेचारे को.”
“अरे लेकिन इस से ये तो पता चलेगा कि कैसा प्यार है पद्मिनी का. कही बेकार में हमारा राज शर्मा उलझा रहे उसके सोन्दर्य के जाल में.”
दोनो बाते कर रहे थे कि अचानक घर के बाहर कुछ अजीब सी हलचल हुई.
“ये कैसी आवाज़ थी मोहित. शूकर है कि तुम यहाँ हो…वरना मैं तो मर जाती अकेले में.” पूजा ने कहा.
“लगता है…बाहर कोई है?” मोहित ने कहा.
“कौन हो सकता है?”
“हटो मुझे देखने दो.”
“नही बाहर जाने की कोई ज़रूरत नही है. जो कोई भी होगा चला जाएगा.”
पूजा के घर के बाहर होती हलचल ने एक दह्सत का माहॉल क्रियेट कर दिया था. पूजा मोहित से लिपटी हुई थी.
“ऐसे लिपटी रहोगी तो कुछ हो जाएगा हमारे बीच. फिर मत कहना मुझे.” मोहित ने कहा.
“ऐसे में भी तुम्हे ये सब सूझ रहा है. मुझे डर लग रहा है. कही हमारे घर के बाहर साइको तो नही घूम रहा.” पूजा ने कहा.
“तभी कह रहा हूँ मुझे देखने दो. देखो ऐसा हो सकता है कि वो मेरे पीछे यहा आया हो. बहुत शातिर है वो…इस से पहले कि वो वार करे मुझे कुछ करने दो.”
“तुम्हारे पीछे क्यों आएगा वो.”
“दो बार मेरा उस से सामना हुआ है और एक बार कॉपीकॅट साइको विजय से सामना हुआ है. मुझे वो ज़रूर जानता होगा. कोई बड़ी बात नही है कि मेरे पीछे वो यहाँ तक आ गया हो.”
“ऐसा है तो अब क्या करेंगे हम?”
“चिंता मत करो. फोन है मेरे पास.पोलीस को बुला लेंगे. पहले पता तो चले कि बाहर कौन है?”
तभी बाहर सड़क पर पोलीस साइरन की आवाज़ सुनाई दी.
“पोलीस भी आ गयी…अब तो पक्का है कि ज़रूर कुछ गड़बड़ है.”
“जो कुछ भी होगा पोलीस देख लेगी…तुम बेकार में टेन्षन मत लो.”
रोहित एक अजीब सा अहसास ले कर आया बाहर. ऐसा अहसास उसने कभी महसूस नही किया था.
“ये सब क्या था. मेडम कितने प्यार से देख रही थी मेरी तरफ. मैं तो खो ही गया था उनकी आँखो में. हम दोनो का एक साथ साइको के चंगुल में फँसना,फिर खाई में गिरना और फिर अब मेडम का यू प्यार से मेरी तरफ देखना…ये सब इत्तेफ़ाक है या फिर ये मेरी डेस्टिनी की तरफ इशारा करते हैं.” रोहित बहुत गहरी सोच में डूब गया और फिर अचानक धीरे से बोला, “हे भगवान कही मैं उस खाई में अपनी जींदगी को गोदी में उठा कर तो नही घूम रहा था. अगर मैं सही हूँ तो ये एक प्यार की शुरूवात है…बहुत प्यारे प्यार की शुरूवात. पर मैं रीमा को क्या कहूँगा…वो मुझे बहुत प्यार करती है. सब कुछ वक्त के हाथों छोड़ना पड़ेगा. अगर रीमा आई सब कुछ छोड़ कर मेरे पास तो मैं उसका साथ दूँगा. और अगर वो नही आई तो मैं मेडम को अपने दिल की बात बोल दूँगा. मुझे यकीन है कि वो भी मेरे बारे में प्यार भरा कुछ सोच रही होंगी. हे भगवान मुझे राह देखना कि मैं किस तरफ चलु
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मोहित अपने कमरे में बिस्तर पर पड़ा साइको के बारे में सोच रहा था.
"कर्नल के घर में मौत की पैंटिंग और मौत की वीडियो हैं. बाकी और कुछ नही है. क्या ये सबूत काफ़ी हैं उसे साइको मान-ने के लिए. मगर उसके यहाँ एसपी साहिब के घर की लिव वीडियो चल रही थी रोहित के मुताबिक. एसपी साहिब अब हॉस्पिटल में हैं. इस साइको ने तो सबको घुमा कर रखा हुआ है. जो भी हो कर्नल फरार है और इस वक्त पूरा फोकस उसी पर होना चाहिए आख़िर इतने इंपॉर्टेंट सबूत मिले हैं उसके घर से. मगर इस संजय पर भी ध्यान देना होगा. मज़ा आएगा इस केस पर काम करके. अगर सॉल्व कर पाया इसे तो नाम होगा मेरा और फ्यूचर में खुद की इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी खोल लूँगा.
कल को पूजा से शादी होगी तो अपनी ज़िम्मेदारियाँ अच्छे से निभा पाउन्गा. एक खुश हाल जींदगी देना चाहता हूँ मैं अपनी पूजा को, इस एक कमरे के घर से बात नही बनेगी. "
साइको को सोचते सोचते बात पूजा तक पहुँच गयी. अजीब दीवानगी पैदा कर देता है प्यार, बात घूम फिर कर उसी पर आ जाती है जिसे आप बहुत प्यार करते हैं.
पूजा की बात से मोहित को ध्यान
आया कि आज वो बिज़ी होने के कारण पूजा से मिल ही नही पाया.
"यार आज पूजा से नही मिला तो कितना खाली खाली सा लग रहा है. उसने मेरा वेट किया होगा बस स्टॉप पर. बहुत देर तक वेट करने के बाद गयी होगी कॉलेज. फोन ट्राइ करता हूँ. वैसे फोन नगमा के पास रहता है मगर क्या पता पूजा उठा ले."
मोहित ने फोन मिलाया. फोन पूजा ने ही उठाया.
"शूकर है तुमने ही फोन उठाया. नगमा ने फोन आज तुम्हारे पास कैसे छोड़ दिया."
"दीदी घर पर नही हैं. डेडी के साथ गाँव गयी है. इसलिए फोन मेरे पास है."
"यार ये अजीब बात है. फिर कॉल क्यों नही किया मुझे?" मोहित ने कहा.
"टॉक टाइम नही था फोन में. दीदी को बोला था डलवाने को पर वो शायद भूल गयी."
"चलो कोई बात नही. सॉरी आज मैं बस स्टॉप पर मिलने नही आ पाया. किसी काम में बिज़ी था."
"थोड़ी देर के लिए भी नही आ सकते थे क्या ...बहुत वेट किया मैने तुम्हारा. कॉलेज से भी लेट हो गयी थी."
"ओह सो सॉरी पूजा. फोन होता तुम्हारे पास तो कॉल कर देता. क्या मैं तुम्हे फोन खरीद कर दे दूं."
"नही उसकी कोई ज़रूरत नही है. मैं तुमसे कोई गिफ्ट नही लूँगी."
"गिफ्ट नही लूँगी मतलब...यार ये अजीब बात है. फिर मुझे कैसे अपनी जान के लिए कुछ करने का अवसर मिलेगा."
"मोहित...जिस दिन मैं खुद अफोर्ड कर पाउन्गि फोन तभी लूँगी. मैं तुम्हे वैसे ही बहुत प्यार करती हूँ. गिफ्ट देने की ज़रूरत नही है."
"अरे यार गिफ्ट प्यार बढ़ाने या तुम्हे लुभाने के लिए नही बल्कि इसलिए दे रहा था कि हमारा कम्यूनिकेशन बना रहे. बेवजह आज तुम वेट करती रही, फोन होता तुम्हारे पास तो वक्त से कॉलेज जाती."
"मोहित जो भी हो...मुझे कोई गिफ्ट नही चाहिए. मेरा स्वाभिमान मुझे इसकी इजाज़त नही देता."
"ह्म्म...मेरे लिए तो ये अच्छी बात है. गर्ल फ्रेंड मेंटेनेन्स का खर्चा बचेगा हिहिहीही."
"ज़्यादा हँसो मत. शादी के बाद पूरे हक़ से एक स्मार्ट फोन लूँगी मैं . जिसमें लेटेस्ट फीचर्स हो. इंटरनेट हो,अच्छा कॅमरा हो, 3जी हो एट्सेटरा...एट्सेटरा."
"क्या ...मुझे लगा था कि ये स्वाभिमान शादी के बाद भी जारी रहेगा. ये ग़लत बात है."
"और नही तो क्या, पत्नी का हक़ होता है हज़्बेंड को लूटना. वो मैं पूरे शान से करूँगी."
"मुझे पता है की तुम मज़ाक कर रही हो..है ना..."
"आइ आम सीरीयस."
"चलो ले लेना जो जी चाहे. भगवान ज़रूर मुझे तरक्की देंगे तुम्हारी लूट खसोट के लिए."
"हां बहुत तर्रक्कि देंगे. और मैं तुम्हे शान से लुतूँगी." पूजा ने हंसते हुए कहा.
"अगर ऐसा है तो मैं भी शान से लुतूँगा तुम्हारी जवानी. रोज बहुत अच्छे से लूँगा तुम्हारी. एक बार मेरी दुल्हन बन कर आओ तो सही."
"कैसी बाते करते हो तुम ... मुझे नही करनी तुमसे बात. गुड नाइट."
"अरे क्या हुआ रूको तो..." मोहित ने तुरंत कहा मगर फोन कट चुका था.
मोहित ने केयी बार फोन ट्राइ किया मगर पूजा ने फोन स्विच्ड ऑफ कर दिया था.
“ये क्या मज़ाक है पूजा. इतना मज़ाक तो कर ही सकता हूँ यार. हद है तुम्हारी भी.” मोहित ने मन ही मन कहा और बिस्तर से उठ गया.
“आ रहा हूँ अब मैं तुम्हारे पास. कोई चारा नही छोड़ा तुमने.” मोहित ने कहा और अपने कमरे की कुण्डी लगा कर चल दिया पूजा के घर की तरफ.
रात का सन्नाटा चारो तरफ फैला हुआ था. सभी लोग अपने-अपने घरो में थे. साइको का ख़ौफ़ ज्यों का त्यों बरकरार था.
“ये सन्नाटा पता नही कब गायब होगा इन सड़को से. पहले कितनी चहल पहल हुआ करती थी इन सड़को पर. मगर अब ये मनहूस सन्नाटा शाम ढलते ही घेर लेता है इन गलियों को. काश ये ख़ौफ़ जल्द से जल्द ख़तम हो जाए.”
मगर सन्नाटा एक तरह से अच्छा भी था.
मोहित पूजा के घर पहुँचा और चुपचाप दरवाजा खड़काया.
पूजा दरवाजे पर दस्तक सुन कर सिहर उठी.
“हे भगवान कौन हो सकता है.” पूजा ने मन ही मन कहा.
मोहित ने बाहर से आवाज़ दी, “मैं हूँ मोहित. दरवाजा खोलो.”
पूजा दरवाजे के पास आई और बोली, “तुम यहा क्यों आए हो?”
“अरे दरवाजा तो खोलो यार?”
पूजा ने दरवाजा खोला. मोहित झट से अंदर आ गया और दरवाजे की कुण्डी लगा दी.
“मोहित क्यों आए तुम यहाँ.”
“अब यार फोन बंद करके तुमने मेरे दिल की धड़कन बंद कर दी. यहाँ नही आता तो क्या करता मैं. क्यों किया तुमने ऐसा.”
“तुम खुद अपने दिल से पूछो. क्या ऐसा बोलता है कोई किसी लड़की को.” पूजा ने कहा.
“जान तुम मेरी प्रेमिका हो जो की जल्द ही पत्नी बन-ने जा रही है. तुम भी तो मज़ाक कर रही थी. मैने भी मज़ाक कर दिया.”
“क्या वो सब मज़ाक था.”
“जान मानता हूँ कि कुछ ज़्यादा बोल गया. प्यार करता हूँ तुमसे. कुछ बातों को अनदेखा कर दिया करो. केयी बार कुछ अजीब बोल जाता हूँ मैं. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. मुझसे नाराज़ मत होना.”
“ठीक है…ठीक है…बैठो चाय बनाती हूँ तुम्हारे लिए.”
“नही पूजा. मैं चलता हूँ. मैं बस तुम्हे सॉरी बोलने आया था. तुमने फोन ऑफ कर दिया था. इसलिए मुझे आना पड़ा.”
“मोहित मैं डर गयी थी तुम्हारी इन बातों से. क्यों करते हो ऐसा तुम.”
“छोड़ो भी अब. ग़लती हो गयी मुझसे. माफ़ करदो मुझे नही कहूँगा आज के बाद ऐसा कुछ.”
“हाहहहाहा…देखा कैसी बॅंड बजाई तुम्हारी.” पूजा ने हंसते हुए कहा.
“क्या ये सब मज़ाक था…”
“और नही तो क्या. तुम शादी के बाद सेक्स की बात कर रहे थे. मैं भला बुरा क्यों मानूँगी. बस यू ही तुम्हे सताने का मन था. आज बहुत सताया तुमने मुझे. आँखे तरस गयी थी तुम्हारे इंतेज़ार में.”
“पूजा लेकिन मैं सच कह रहा हूँ. तुम्हारा रोज बॅंड बजेगा अब शादी के बाद. हर रात आआहह उउउहह आहह करोगी.” मोहित ने कहा.
“देखेंगे जनाब…फिलहाल आप जाओ यहा से. मुझे नींद आ रही है.”
“अब जब यहा आ गया हूँ तो खाली हाथ नही जाउन्गा मैं.”
“क्या मतलब?”
“एक पप्पी तो लेकर ही जाउन्गा.”
“बदमाश हो तुम. कुछ नही मिलेगा तुम्हे आज”
“मेरी आँखो में देख कर बोलो तो.” मोहित ने कहा और बाहों में भर लिया पूजा को.
“तुम्हारी आँखो में देख कर कैसे मना कर पाउन्गि तुम्हे.” पूजा ने मोहित की छाती पर सर रख लिया.
“उफ्फ…मैं चलता हूँ यार. भावनाए भड़क रही हैं. कही शादी से पहले ही हनिमून ना हो जाए.”
“हां चले जाओ. मुझे भी यही डर है. तुम बहक गये तो तुम्हे रोक नही पाउन्गि मैं. प्यार जो करती हूँ तुम्हे. मगर हम सेक्स में शादी के बाद ही उतरे तो ज़्यादा अच्छा होगा.”
मोहित ने पूजा के चेहरे को हाथ से उपर किया और अपने होन्ट टिका दिए उसके होंटो पर. पूजा ने भी झट से जाकड़ लिया मोहित के लबों को अपने होंटो में. और फिर प्यार हुआ दोनो के बीच. 5 मिनिट तक चूमते रहे दोनो बेतहासा एक दूसरे को.
5 मिनिट बाद पूजा ने मोहित को धक्का दे कर उसको खुद से अलग किया, “बस कही बहक ना जायें हम दोनो.”
“अरे यार किस से याद आया. मैने राज शर्मा को पद्मिनी की पप्पी लेने के लिए उकसा दिया है. बहुत जबरदस्त चुटकुला बन-ने वाला है राज शर्मा का.”
“क्या? ऐसा क्यों किया तुमने. क्यों मरवा रहे हो बेचारे को.”
“अरे लेकिन इस से ये तो पता चलेगा कि कैसा प्यार है पद्मिनी का. कही बेकार में हमारा राज शर्मा उलझा रहे उसके सोन्दर्य के जाल में.”
दोनो बाते कर रहे थे कि अचानक घर के बाहर कुछ अजीब सी हलचल हुई.
“ये कैसी आवाज़ थी मोहित. शूकर है कि तुम यहाँ हो…वरना मैं तो मर जाती अकेले में.” पूजा ने कहा.
“लगता है…बाहर कोई है?” मोहित ने कहा.
“कौन हो सकता है?”
“हटो मुझे देखने दो.”
“नही बाहर जाने की कोई ज़रूरत नही है. जो कोई भी होगा चला जाएगा.”
पूजा के घर के बाहर होती हलचल ने एक दह्सत का माहॉल क्रियेट कर दिया था. पूजा मोहित से लिपटी हुई थी.
“ऐसे लिपटी रहोगी तो कुछ हो जाएगा हमारे बीच. फिर मत कहना मुझे.” मोहित ने कहा.
“ऐसे में भी तुम्हे ये सब सूझ रहा है. मुझे डर लग रहा है. कही हमारे घर के बाहर साइको तो नही घूम रहा.” पूजा ने कहा.
“तभी कह रहा हूँ मुझे देखने दो. देखो ऐसा हो सकता है कि वो मेरे पीछे यहा आया हो. बहुत शातिर है वो…इस से पहले कि वो वार करे मुझे कुछ करने दो.”
“तुम्हारे पीछे क्यों आएगा वो.”
“दो बार मेरा उस से सामना हुआ है और एक बार कॉपीकॅट साइको विजय से सामना हुआ है. मुझे वो ज़रूर जानता होगा. कोई बड़ी बात नही है कि मेरे पीछे वो यहाँ तक आ गया हो.”
“ऐसा है तो अब क्या करेंगे हम?”
“चिंता मत करो. फोन है मेरे पास.पोलीस को बुला लेंगे. पहले पता तो चले कि बाहर कौन है?”
तभी बाहर सड़क पर पोलीस साइरन की आवाज़ सुनाई दी.
“पोलीस भी आ गयी…अब तो पक्का है कि ज़रूर कुछ गड़बड़ है.”
“जो कुछ भी होगा पोलीस देख लेगी…तुम बेकार में टेन्षन मत लो.”