Update 115
मुस्किल वक्त में इंसान सबसे पहले भगवान को याद करता है. पद्मिनी भी वही कर रही थी. कुछ सोच कर पद्मिनी उठी और दीवार के साथ झुक कर उस जगह से आगे बढ़ गयी. उसने कुछ करने की ठान ली थी.
राज शर्मा फार्म हाउस में कूद कर दीवार के साथ ही खड़ा रहा.
“क्या कहा तुमने मुझे…चूतिया…हा…ये बंदूक वही गिरा कर चुपचाप यहाँ आजा. मैं तुझे बताता हूँ क़ि चूतिया किसे कहते हैं.” साइको कठोर शब्दो में कहा.
“ओके फाइन… ये लो गिरा दी बंदूक मैने. और मुझे पता है चूतिया किसे कहते हैं. तुझसे बड़ा चूतिया मिलेगा क्या कही. बिना मतलब लोगो को मारता फिरता है. तुझे मिलता क्या है ये सब करके?”
“एक आर्टिस्ट को जो मिलता है…वही मुझे मिलता है. मैं लोगो को ख़ास तरीके से मारता हूँ. एक खूबसूरत मौत देता हूँ उन्हे. आज मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन है. आज एक साथ इतने लोगो को मारने का मौका मिल रहा है. तुम नही समझ सकते कि क्या मज़ा है इस आर्ट में. ये सिर्फ़ मैं ही जानता हूँ. चुपचाप यहाँ आओ तुम्हारी खातिरदारी करता हूँ. तुम्हारे हर सवाल का जवाब मिलेगा तुम्हे…हिहिहीही.”
राज शर्मा बिना कुछ कहे चुपचाप साइको के करीब आ गया.
“बहुत दिन से मैने किसी की खोपड़ी नही उड़ाई अपनी बंदूक से. सोचता हूँ आज ये कमी पूरी कर दी जाए. मेरे सर पर निशाना लगाया था तूने हा. मेरे कान को ज़ख्मी कर दिया तूने. तुम्हारा निशाना तो चूक गया पर मेरा नही चूकेगा. उड़ती चिड़िया को गिरा सकता हूँ मैं ज़मीन पर गोली मार कर. तो सोचो तुम्हारी खोपड़ी कैसे बचेगी…हिहिहिहीही.”
ये सुन कर एक पल को राज शर्मा के होश उड़ गये. “इस से पहले ये मेरी खोपड़ी उड़ाए मुझे इसकी उड़ा देनी चाहिए.” राज शर्मा ने फुर्ती से गन निकाली पीठ के पीछे से. लेकिन फाइयर नही कर पाया क्योंकि बंदूक उसके हाथ से छूट चुकी थी.
“हाहहहाहा…अब बताओ कॉन है चूतिया. मेरे सामने कोई बंदूक लेकर खड़ा नही हो सकता. कोई डाउट हो तो अपनी ए एस पी साहिबा से पूछ लो. या फिर इस रिपोर्टर से पूछ लो. कोई और बंदूक हो तो वो भी निकाल कर ट्राइ कर लो.”
“होती तो ट्राइ ज़रूर करता” राज शर्मा ने कहा.
साइको ने राज शर्मा के हाथ से छूटी बंदूक उठा ली और उसमें से गोलिया निकाल कर उसे दूर फेंक दिया.
“बहुत खूब…तुम्हारे साथ गेम खेलने में मज़ा आएगा. तुम्हारी खोपड़ी उड़ाने के लिए तड़प रहा हूँ मैं. तुरंत तुम्हे गोली मारने का मन कर रहा है. लेकिन तुम एक काम करोगे तो मैं ये तड़प भूल जाऊगा और तुम्हे यहाँ से जाने दूँगा. ये देखो तुम्हारे सामने ए एस पी साहिबा पड़ी हैं. इनके उपर मिस्टर रोहित पांडे पड़ें हैं. हद है ना बेशर्मी की. इन दोनो की इन्ही हर्कतो की वजह से सहर में क्राइम बढ़ रहा है. ये तो मैने मिस्टर पांडे को किसी लायक छोड़ा नही है वरना तो ये अभी हमारे सामने ही चूत मार रहा होता ए एस पी साहिबा की.” साइको ने कहा.
“शट अप यू बस्टर्ड. शरम आनी चाहिए तुम्हे ऐसा बोलते हुए.” बहुत ज़्यादा दर्द था शालिनी की आवाज़ में. इतना दर्द की राज शर्मा की आँखे भी नम हो गयी उसकी आवाज़ सुन कर.
“अगर तुम जींदा रहना चाहते हो तो तुम्हे इन दोनो बेशार्मो को मारना होगा. ये बेसबॉल बॅट लो और मार डालो इन दोनो को. जितना ज़्यादा खून बहेगा उतना अच्छा रहेगा. मुझे यकीन है अपनी खोपड़ी बचाने के लिए तुम इतना तो कर ही सकते हो. बहुत मज़ा आएगा चलो शुरू हो जाओ.”
साइको ने बेसबॉल बॅट राज शर्मा की तरफ फेंका और बोला, "उठाओ इसे और जल्दी शुरू हो जाओ. सिर्फ़ 10 मिनिट का टाइम है तुम्हारे पास इन दोनो को मारने का. नही मार पाए इन दोनो को तो तुम्हारी खोपड़ी में अपनी बंदूक की सारी की सारी गोलिया उतार दूँगा.और हां अब कोई चालाकी मत करना...हर वक्त तुम्हारी खोपड़ी मेरे निशाने पर है हिहिहिहीही."
राज शर्मा अजीब असमंजस में पड़ गया. उसे मरना मंजूर नही था. ना ही वो शालिनी और रोहित को मार सकता था. वो बात उठाने के लिए नीचे झुका.
"क्या हुआ बुजदिल.... कायर...खुद क्यों नही मारते हमे. तू नपुन्शक है और नपुन्शक ही रहेगा." रोहित ने कहा
साइको गुस्से से तिलमिला उठा ये सुन कर. उसने तुरंत रोहित के सर को निशाना बनाया. राज शर्मा ने जब देखा कि साइको का ध्यान चूक गया है, उसने बड़ी फुर्ती से साइको की तरफ बढ़ कर बेसबॉल बॅट से उसके उसी हाथ पर वार किया जिसमें उसने गन पकड़ रखी थी. वार इतनी ज़ोर का था कि बंदूक ना जाने कहाँ गिरी जाकर और साइको का हाथ खून से लथपथ हो गया.
"अब इस बेसबॉल बॅट से पीट-पीट कर मैं तुझे जहन्नुम पहुँचा दूँगा. चल कुत्ते की तरह पिटने के लिए तैयार हो जा. पागल कुत्तो को ऐसे बेसबॉल बॅट की मार की ही ज़रूरत होती है." राज शर्मा ने कहा.
“हाहहहाहा….तू मुझे मारेगा. अपनी औकात से कुछ ज़्यादा ही सोच लिया तूने. अब देख मैं तेरा क्या हाल करता हूँ.” साइको ने अपनी जेब से एक बड़ा से चाकू निकाल लिया.
पद्मिनी इस सब से अंजान दीवार के सहारे चलते-चलते काफ़ी दूर आ गयी वहाँ से. वो चुपचाप बिना आवाज़ किए दीवार पर चढ़ कर अंदर कूद गयी. वो उस कमरे के पीछे पहुँच गयी थी जिसके आगे साइको का घिनोना खेल चल रहा था.
साइको ने चाकू बायें हाथ में लेकर बहुत ज़ोर से राज शर्मा की तरफ फेंका. चाकू सीधा उसके पेट में लगा जाकर. राज शर्मा दर्द से कराह उठा.
“क्यों कैसी रही…मुझे मारने चले थे हा….”
साइको राज शर्मा की तरफ आगे बढ़ा. राज शर्मा ने दर्द की परवाह किए बिना उसके सर को निशाना बना कर बॅट घुमाया पर साइको झुक गया और झुक कर उसने राज शर्मा के पेट में लात से वार किया. वार इतनी ज़ोर का था कि राज शर्मा संभाल नही पाया और वो हाथ में बॅट लिए रोहित और शालिनी के उपर गिर गया पीठ के बल. साइको ने तुरंत आगे बढ़ कर चाकू राज शर्मा के पेट से निकाल कर उसके पेट में दूसरी तरफ गाढ दिया पूरा का पूरा. राज शर्मा की चीन्ख गूँज गयी चारो तरफ.
"रोहित...रोहित...हमें राज की मदद करनी चाहिए." शालिनी ने कहा.
मगर रोहित की कोई आवाज़ नही आई. वो बेहोश हो चुका था. शालिनी भी इस हालत में नही थी कि उठ कर कुछ कर सके. बहुत बेरहमी से पीटा गया था उसे.
पद्मिनी उस वक्त जस्ट पहुँची ही थी वहाँ. उसने पेड़ के पीछे से राज शर्मा को गिरते हुए देखा और फिर साइको को उसे चाकू मारते हुए देखा. ना चाहते हुए भी पद्मिनी की चीन्ख निकल गयी, “नहियीईईईईई.” चीख के साथ ही उसकी आँखे भी बरस पड़ी. उसे लगा की राज शर्मा मर गया है.
पद्मिनी उसी जगह खड़ी थी जहाँ साइको ने पूजा को छुपा रखा था. वही उसने बहुत सारे हथियार भी रख रखे थे. पद्मिनी की नज़र एक तलवार पर पड़ी. उसने अपने आँसू पोंछे और तलवार उठा ली, “नही छोड़ूँगी मैं तुम्हे. तुमने मेरा सब कुछ छीन लिया.”
साइको चीन्ख सुन कर चोंक गया और उसने चारो तरफ नज़र दौड़ाई. मगर उसे कोई नही दीखा.
“अब कों है जो मेरे हाथो मरना चाहता है. आज तो जॅकपॉट लग गया मेरा. आवाज़ तो किसी लड़की की लगती है. अगर ऐसा है तो मज़ा ही आ जाएगा.” साइको ने सोचा. उसने अपनी बंदूक की तलाश शुरू कर दी.
“रोहित…” शालिनी ने रोहित के सर पर हाथ रख कर कहा.
शालिनी के हाथो की चुअन को रोहित ने अपने सर पर महसूस किया तो तुरंत उसकी आँख खुल गयी, “आपने कुछ कहा…मेरे उपर कॉन पड़ा है ये.?”
“राज है. साइको ने उसे चाकू मार दिया.”
“ओह गॉड ये क्या हो रहा है.”
“रोहित हम हार नही सकते…कुछ करना होगा हमें.” शालिनी ने कहा.
“मेरा शरीर साथ नही दे रहा है…नही तो मैं कुछ भी कर जाता.” रोहित ने कहा.
“खाई में गिरे थे हम तब भी कुछ ऐसी ही हालत थी हमारी. तुम मुझे बचाने के लिए उठ गये थे. क्या याद है तुम्हे वो सब?”
“वो कैसे भूल सकता हूँ मैं.”
“हमें उठना होगा रोहित. वो बंदूक ढूंड रहा है. इस से पहले बंदूक उसके हाथ आए हमें उठना होगा.” शालिनी ने कहा.
“राज शर्मा…” रोहित ने राज शर्मा को आवाज़ दी.
“हां सर….आअहह” राज शर्मा ने कहा.
“तुम्हारे पास कोई हथियार है क्या?”
“मेरे हाथ में बेसबॉल बॅट है…”
“गुड…अब मेरे उपर से तोड़ा सा हट जाओ…मैं उठने की कोशिस करता हूँ. ए एस पी साहिबा का ऑर्डर है..उठना तो पड़ेगा ही.” रोहित ने कहा.
राज शर्मा का पेट बुरी तरह से ज़ख्मी था. वो धीरे से रोहित के उपर से सरक गया.
“राज हम अभी हारे नही है. वी विल डू सम्तिंग.” शालिनी ने कहा.
पद्मिनी ने तलवार तो उठा ली थी पर बहुत ज़्यादा सदमें में थी. बार-बार राज शर्मा का चेहरा उसकी आँखो में घूम रहा था. उसने किसी तरह अपने एमोशन्स को काबू में किया और तलवार को दोनो हाथो से मजबूती से थाम कर साइको की तरफ चल पड़ी. तब तक साइको को अपनी बंदूक मिल गयी थी. जब पद्मिनी उसके नज़दीक पहुँची तो उसने उसे पहचान लिया.
“अरे मैं खवाब तो नही देख रहा. ऑम्ग… नही ये तो हक़ीक़त है. आओ पद्मिनी आओ. स्वागत है तुम्हारा यहाँ.
“मैं तुम्हे जींदा नही छोड़ूँगी…तुमने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी.” पद्मिनी चिल्लाई.
“हाहहहाहा….अति सुंदर. एक हसीना के मूह से ये सुन-ना कितना अच्छा लग रहा है. तुमने आज साबित कर दिया कि तुम मेरी बेस्ट आर्ट का हिस्सा बन-ने के लायक हो. ये तलवार किसी काम नही आएगी तुम्हारे क्योंकि मेरे पास बंदूक है. इसलिए ये गिरा कर मेरे पास आ जाओ चुपचाप.”
“पद्मिनी क्यों आई तुम यहाँ…तुम्हे वही रुकने को कहा था ना मैने.” राज शर्मा दर्द भरी आवाज़ में बोला.
राज शर्मा की आवाज़ सुनते ही पद्मिनी की जान में जान आई.
“राज शर्मा तुम ठीक हो ना?” पद्मिनी ने पूछा.
“बस कुछ पल का महमान है बेचारा. वैसे तुम्हे इतनी चिंता क्यों है उसकी. तेरा यार है क्या ये.” साइको ने कहा.
“हां मेरा यार भी है और मेरा प्यार भी है…मेरा सब कुछ है. मेरे प्यार को ज़ख़्मी करने की सज़ा मैं दूँगी तुम्हे.”
“हाहहहाहा…क्या बात है. पद्मिनी मान गये. जब पहली बार मिली थी तो गान्ड फॅट रही थी तुम्हारी. आज बिना ख़ौफ़ के मेरे सामने खड़ी हो. ऐसे मज़ा नही आएगा बात का. कुछ ख़ौफ़ पैदा करो अपने अंदर. रूको एक गोली मारता हूँ तुम्हे…जब तुम्हे दर्द मिलेगा तो खूबसूरत ख़ौफ़ अपने आप पैदा हो जाएगा….हिहिहिहीही.”
अचानक साइको की चीन्ख गूँज उठी और वो लड़खड़ा कर नीचे गिर गया. रोहित ने उसकी टाँगों पर घुटनो के नीचे बेसबॉल बॅट से वार किया था. साइको के गिरते ही रोहित भी गिर गया. बड़ी मुस्किल से उठा था वो और अपनी पूरी ताक़त उसने साइको की टाँग पर बॅट मारने में लगा दी थी.
जैसे ही साइको नीचे गिरा पद्मिनी ने बिना वक्त गवायें उसके दायें हाथ पर तलवार से वार किया. हाथ बंदूक सहित साइको की कलाई से अलग हो गया. साइको की चीन्ख गूँज उठी चारो तरफ.
“साली…कुतिया…रंडी…आआहह… मेरा हाथ….नही छोड़ूँगा तुझे मैं.” साइको दर्द से कराहता हुआ उठ खड़ा हुआ और अपनी जेब से एक और चाकू निकाला उसने बायें हाथ से.
“तेरे आशिक़ की तरह तुझे भी टपका दूँगा मैं.”
तभी साइको फिर से नीचे गिर गया. इस बार शालिनी ने वार किया था बात से साइको के टाँग पर घुटनो के ठीक नीचे.
पद्मिनी ने तुरंत बिना मौका गवायें पहली बार की तरह साइको के बायें हाथ पर वार किया और साइको का बायाँ हाथ चाकू सहित उसकी कलाई से अलग हो गया. फिर से दर्दनाक चीन्ख गूँज उठी वहाँ साइको की.
“जो ख़ौफ़ तुमने लोगो को दिया वही ख़ौफ़ आज तुम्हारी आँखो में दिख रहा है. बहुत सुंदर ख़ौफ़ है ये. मैं तुम्हे एक मिनिट के लिए भी जींदा नही देखना चाहती.” पद्मिनी ने तलवार साइको के पेट में गाढ़ने के लिए उपर उठाई.
“नही पद्मिनी…रुक जाओ. इतनी जल्दी मौत नही देनी है इसे.” रोहित चिल्लाया.
पद्मिनी ने तलवार एक तरफ फेंक दी और दौड़ कर राज शर्मा के पास आ गयी. “राज शर्मा तुम ठीक हो ना.”
“जिसके पास तुम्हारे जैसी प्रेमिका हो उसे क्या हो सकता है.”
“मैने उसके दोनो हाथ काट दिए. उन्ही हाथो से उसने तुम्हे मारा था ना. उन्ही हाथो से मेरे मम्मी-पापा को बेरहमी से मारा था. उन्ही हाथो से सभी को इतना दर्द दिया उसने आज. मैने काट दिए उसके हाथ राज शर्मा… अब वो हमें कोई नुकसान नही पहुँचा सकता.”
“ठीक किया तुमने. मुझे नही पता था कि मेरी पद्मिनी ऐसा भी कर सकती है.”
“सब कुछ तुम्हारे लिए किया. तुम पर वार किया इसने तो बर्दास्त नही कर पाई. प्यार करती हूँ तुमसे कोई मज़ाक नही.”
“जानता हूँ मैं…”
रोहित बड़ी मुस्किल से उठा दुबारा और बोला, “सभी थोड़ी सी हिम्मत करो और यहाँ आ जाओ. हमने बहुत कुछ सहा है आज. पर अब वो वक्त आ गया है जिसके लिए हम सब एक साथ जुड़े थे. मोहित आ जाओ भाई…अब एक गेम हो जाए इस पागल कुत्ते के साथ.”
शालिनी ने तलवार उठा ली और साइको के पास खड़ी हो गयी ताकि वो भागने की कोशिस ना करे. “ज़रा भी हिलने की कोशिस की तो काट डालूंगी तुम्हे मैं.” शालिनी ने कहा.
रोहित पद्मिनी के पास आया और बोला, “पद्मिनी तुमने बहुत बहादुरी से काम लिया आज. ये तलवार कहाँ से मिली तुम्हे.”
“वहाँ उस पेड़ के पीछे पड़ी थी. और हथियार भी पड़े हैं वहाँ.” पद्मिनी ने हाथ के इशारे से बताया.
“क्या वहाँ कुल्हाड़ी भी है.”
“हां शायद है.”
“राज शर्मा बस थोड़ी देर और फिर हम हॉस्पिटल चलेंगे. हॅंग ऑन.” रोहित ने कहा.
“मेरी चिंता मत करो…इसे ऐसी मौत देना की दुबारा किसी जनम में ऐसी हरकत करने की सोचे भी नही.” राज शर्मा ने कहा.
रोहित ने मिनी को भी उठाया. “ठीक हो ना तुम.”
“कम्बख़त ने सर में ऐसी लात मारी कि सर घूम रहा है. पेट में भी बहुत दर्द है.” मिनी ने कहा.
“मेरे शरीर का बुरा हाल है पर किसी तरह से उठ ही गया हूँ. आओ साइको के साथ एक गेम हो जाए.” रोहित ने कहा.
मिनी को उठाने के बाद रोहित, मोहित के पास गया और उसे बोला, “उठो दोस्त. गेम तुम्हारे बिना अधूरी रहेगी.”
मोहित उठा बड़ी मुस्किल से . उसने अपनी शर्ट उतार कर पूजा को दे दी. “ये पहन लो फिलहाल. ये शर्ट तुम्हारे शरीर को घुटने तक ढक लेगी.”
मुस्किल वक्त में इंसान सबसे पहले भगवान को याद करता है. पद्मिनी भी वही कर रही थी. कुछ सोच कर पद्मिनी उठी और दीवार के साथ झुक कर उस जगह से आगे बढ़ गयी. उसने कुछ करने की ठान ली थी.
राज शर्मा फार्म हाउस में कूद कर दीवार के साथ ही खड़ा रहा.
“क्या कहा तुमने मुझे…चूतिया…हा…ये बंदूक वही गिरा कर चुपचाप यहाँ आजा. मैं तुझे बताता हूँ क़ि चूतिया किसे कहते हैं.” साइको कठोर शब्दो में कहा.
“ओके फाइन… ये लो गिरा दी बंदूक मैने. और मुझे पता है चूतिया किसे कहते हैं. तुझसे बड़ा चूतिया मिलेगा क्या कही. बिना मतलब लोगो को मारता फिरता है. तुझे मिलता क्या है ये सब करके?”
“एक आर्टिस्ट को जो मिलता है…वही मुझे मिलता है. मैं लोगो को ख़ास तरीके से मारता हूँ. एक खूबसूरत मौत देता हूँ उन्हे. आज मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन है. आज एक साथ इतने लोगो को मारने का मौका मिल रहा है. तुम नही समझ सकते कि क्या मज़ा है इस आर्ट में. ये सिर्फ़ मैं ही जानता हूँ. चुपचाप यहाँ आओ तुम्हारी खातिरदारी करता हूँ. तुम्हारे हर सवाल का जवाब मिलेगा तुम्हे…हिहिहीही.”
राज शर्मा बिना कुछ कहे चुपचाप साइको के करीब आ गया.
“बहुत दिन से मैने किसी की खोपड़ी नही उड़ाई अपनी बंदूक से. सोचता हूँ आज ये कमी पूरी कर दी जाए. मेरे सर पर निशाना लगाया था तूने हा. मेरे कान को ज़ख्मी कर दिया तूने. तुम्हारा निशाना तो चूक गया पर मेरा नही चूकेगा. उड़ती चिड़िया को गिरा सकता हूँ मैं ज़मीन पर गोली मार कर. तो सोचो तुम्हारी खोपड़ी कैसे बचेगी…हिहिहिहीही.”
ये सुन कर एक पल को राज शर्मा के होश उड़ गये. “इस से पहले ये मेरी खोपड़ी उड़ाए मुझे इसकी उड़ा देनी चाहिए.” राज शर्मा ने फुर्ती से गन निकाली पीठ के पीछे से. लेकिन फाइयर नही कर पाया क्योंकि बंदूक उसके हाथ से छूट चुकी थी.
“हाहहहाहा…अब बताओ कॉन है चूतिया. मेरे सामने कोई बंदूक लेकर खड़ा नही हो सकता. कोई डाउट हो तो अपनी ए एस पी साहिबा से पूछ लो. या फिर इस रिपोर्टर से पूछ लो. कोई और बंदूक हो तो वो भी निकाल कर ट्राइ कर लो.”
“होती तो ट्राइ ज़रूर करता” राज शर्मा ने कहा.
साइको ने राज शर्मा के हाथ से छूटी बंदूक उठा ली और उसमें से गोलिया निकाल कर उसे दूर फेंक दिया.
“बहुत खूब…तुम्हारे साथ गेम खेलने में मज़ा आएगा. तुम्हारी खोपड़ी उड़ाने के लिए तड़प रहा हूँ मैं. तुरंत तुम्हे गोली मारने का मन कर रहा है. लेकिन तुम एक काम करोगे तो मैं ये तड़प भूल जाऊगा और तुम्हे यहाँ से जाने दूँगा. ये देखो तुम्हारे सामने ए एस पी साहिबा पड़ी हैं. इनके उपर मिस्टर रोहित पांडे पड़ें हैं. हद है ना बेशर्मी की. इन दोनो की इन्ही हर्कतो की वजह से सहर में क्राइम बढ़ रहा है. ये तो मैने मिस्टर पांडे को किसी लायक छोड़ा नही है वरना तो ये अभी हमारे सामने ही चूत मार रहा होता ए एस पी साहिबा की.” साइको ने कहा.
“शट अप यू बस्टर्ड. शरम आनी चाहिए तुम्हे ऐसा बोलते हुए.” बहुत ज़्यादा दर्द था शालिनी की आवाज़ में. इतना दर्द की राज शर्मा की आँखे भी नम हो गयी उसकी आवाज़ सुन कर.
“अगर तुम जींदा रहना चाहते हो तो तुम्हे इन दोनो बेशार्मो को मारना होगा. ये बेसबॉल बॅट लो और मार डालो इन दोनो को. जितना ज़्यादा खून बहेगा उतना अच्छा रहेगा. मुझे यकीन है अपनी खोपड़ी बचाने के लिए तुम इतना तो कर ही सकते हो. बहुत मज़ा आएगा चलो शुरू हो जाओ.”
साइको ने बेसबॉल बॅट राज शर्मा की तरफ फेंका और बोला, "उठाओ इसे और जल्दी शुरू हो जाओ. सिर्फ़ 10 मिनिट का टाइम है तुम्हारे पास इन दोनो को मारने का. नही मार पाए इन दोनो को तो तुम्हारी खोपड़ी में अपनी बंदूक की सारी की सारी गोलिया उतार दूँगा.और हां अब कोई चालाकी मत करना...हर वक्त तुम्हारी खोपड़ी मेरे निशाने पर है हिहिहिहीही."
राज शर्मा अजीब असमंजस में पड़ गया. उसे मरना मंजूर नही था. ना ही वो शालिनी और रोहित को मार सकता था. वो बात उठाने के लिए नीचे झुका.
"क्या हुआ बुजदिल.... कायर...खुद क्यों नही मारते हमे. तू नपुन्शक है और नपुन्शक ही रहेगा." रोहित ने कहा
साइको गुस्से से तिलमिला उठा ये सुन कर. उसने तुरंत रोहित के सर को निशाना बनाया. राज शर्मा ने जब देखा कि साइको का ध्यान चूक गया है, उसने बड़ी फुर्ती से साइको की तरफ बढ़ कर बेसबॉल बॅट से उसके उसी हाथ पर वार किया जिसमें उसने गन पकड़ रखी थी. वार इतनी ज़ोर का था कि बंदूक ना जाने कहाँ गिरी जाकर और साइको का हाथ खून से लथपथ हो गया.
"अब इस बेसबॉल बॅट से पीट-पीट कर मैं तुझे जहन्नुम पहुँचा दूँगा. चल कुत्ते की तरह पिटने के लिए तैयार हो जा. पागल कुत्तो को ऐसे बेसबॉल बॅट की मार की ही ज़रूरत होती है." राज शर्मा ने कहा.
“हाहहहाहा….तू मुझे मारेगा. अपनी औकात से कुछ ज़्यादा ही सोच लिया तूने. अब देख मैं तेरा क्या हाल करता हूँ.” साइको ने अपनी जेब से एक बड़ा से चाकू निकाल लिया.
पद्मिनी इस सब से अंजान दीवार के सहारे चलते-चलते काफ़ी दूर आ गयी वहाँ से. वो चुपचाप बिना आवाज़ किए दीवार पर चढ़ कर अंदर कूद गयी. वो उस कमरे के पीछे पहुँच गयी थी जिसके आगे साइको का घिनोना खेल चल रहा था.
साइको ने चाकू बायें हाथ में लेकर बहुत ज़ोर से राज शर्मा की तरफ फेंका. चाकू सीधा उसके पेट में लगा जाकर. राज शर्मा दर्द से कराह उठा.
“क्यों कैसी रही…मुझे मारने चले थे हा….”
साइको राज शर्मा की तरफ आगे बढ़ा. राज शर्मा ने दर्द की परवाह किए बिना उसके सर को निशाना बना कर बॅट घुमाया पर साइको झुक गया और झुक कर उसने राज शर्मा के पेट में लात से वार किया. वार इतनी ज़ोर का था कि राज शर्मा संभाल नही पाया और वो हाथ में बॅट लिए रोहित और शालिनी के उपर गिर गया पीठ के बल. साइको ने तुरंत आगे बढ़ कर चाकू राज शर्मा के पेट से निकाल कर उसके पेट में दूसरी तरफ गाढ दिया पूरा का पूरा. राज शर्मा की चीन्ख गूँज गयी चारो तरफ.
"रोहित...रोहित...हमें राज की मदद करनी चाहिए." शालिनी ने कहा.
मगर रोहित की कोई आवाज़ नही आई. वो बेहोश हो चुका था. शालिनी भी इस हालत में नही थी कि उठ कर कुछ कर सके. बहुत बेरहमी से पीटा गया था उसे.
पद्मिनी उस वक्त जस्ट पहुँची ही थी वहाँ. उसने पेड़ के पीछे से राज शर्मा को गिरते हुए देखा और फिर साइको को उसे चाकू मारते हुए देखा. ना चाहते हुए भी पद्मिनी की चीन्ख निकल गयी, “नहियीईईईईई.” चीख के साथ ही उसकी आँखे भी बरस पड़ी. उसे लगा की राज शर्मा मर गया है.
पद्मिनी उसी जगह खड़ी थी जहाँ साइको ने पूजा को छुपा रखा था. वही उसने बहुत सारे हथियार भी रख रखे थे. पद्मिनी की नज़र एक तलवार पर पड़ी. उसने अपने आँसू पोंछे और तलवार उठा ली, “नही छोड़ूँगी मैं तुम्हे. तुमने मेरा सब कुछ छीन लिया.”
साइको चीन्ख सुन कर चोंक गया और उसने चारो तरफ नज़र दौड़ाई. मगर उसे कोई नही दीखा.
“अब कों है जो मेरे हाथो मरना चाहता है. आज तो जॅकपॉट लग गया मेरा. आवाज़ तो किसी लड़की की लगती है. अगर ऐसा है तो मज़ा ही आ जाएगा.” साइको ने सोचा. उसने अपनी बंदूक की तलाश शुरू कर दी.
“रोहित…” शालिनी ने रोहित के सर पर हाथ रख कर कहा.
शालिनी के हाथो की चुअन को रोहित ने अपने सर पर महसूस किया तो तुरंत उसकी आँख खुल गयी, “आपने कुछ कहा…मेरे उपर कॉन पड़ा है ये.?”
“राज है. साइको ने उसे चाकू मार दिया.”
“ओह गॉड ये क्या हो रहा है.”
“रोहित हम हार नही सकते…कुछ करना होगा हमें.” शालिनी ने कहा.
“मेरा शरीर साथ नही दे रहा है…नही तो मैं कुछ भी कर जाता.” रोहित ने कहा.
“खाई में गिरे थे हम तब भी कुछ ऐसी ही हालत थी हमारी. तुम मुझे बचाने के लिए उठ गये थे. क्या याद है तुम्हे वो सब?”
“वो कैसे भूल सकता हूँ मैं.”
“हमें उठना होगा रोहित. वो बंदूक ढूंड रहा है. इस से पहले बंदूक उसके हाथ आए हमें उठना होगा.” शालिनी ने कहा.
“राज शर्मा…” रोहित ने राज शर्मा को आवाज़ दी.
“हां सर….आअहह” राज शर्मा ने कहा.
“तुम्हारे पास कोई हथियार है क्या?”
“मेरे हाथ में बेसबॉल बॅट है…”
“गुड…अब मेरे उपर से तोड़ा सा हट जाओ…मैं उठने की कोशिस करता हूँ. ए एस पी साहिबा का ऑर्डर है..उठना तो पड़ेगा ही.” रोहित ने कहा.
राज शर्मा का पेट बुरी तरह से ज़ख्मी था. वो धीरे से रोहित के उपर से सरक गया.
“राज हम अभी हारे नही है. वी विल डू सम्तिंग.” शालिनी ने कहा.
पद्मिनी ने तलवार तो उठा ली थी पर बहुत ज़्यादा सदमें में थी. बार-बार राज शर्मा का चेहरा उसकी आँखो में घूम रहा था. उसने किसी तरह अपने एमोशन्स को काबू में किया और तलवार को दोनो हाथो से मजबूती से थाम कर साइको की तरफ चल पड़ी. तब तक साइको को अपनी बंदूक मिल गयी थी. जब पद्मिनी उसके नज़दीक पहुँची तो उसने उसे पहचान लिया.
“अरे मैं खवाब तो नही देख रहा. ऑम्ग… नही ये तो हक़ीक़त है. आओ पद्मिनी आओ. स्वागत है तुम्हारा यहाँ.
“मैं तुम्हे जींदा नही छोड़ूँगी…तुमने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी.” पद्मिनी चिल्लाई.
“हाहहहाहा….अति सुंदर. एक हसीना के मूह से ये सुन-ना कितना अच्छा लग रहा है. तुमने आज साबित कर दिया कि तुम मेरी बेस्ट आर्ट का हिस्सा बन-ने के लायक हो. ये तलवार किसी काम नही आएगी तुम्हारे क्योंकि मेरे पास बंदूक है. इसलिए ये गिरा कर मेरे पास आ जाओ चुपचाप.”
“पद्मिनी क्यों आई तुम यहाँ…तुम्हे वही रुकने को कहा था ना मैने.” राज शर्मा दर्द भरी आवाज़ में बोला.
राज शर्मा की आवाज़ सुनते ही पद्मिनी की जान में जान आई.
“राज शर्मा तुम ठीक हो ना?” पद्मिनी ने पूछा.
“बस कुछ पल का महमान है बेचारा. वैसे तुम्हे इतनी चिंता क्यों है उसकी. तेरा यार है क्या ये.” साइको ने कहा.
“हां मेरा यार भी है और मेरा प्यार भी है…मेरा सब कुछ है. मेरे प्यार को ज़ख़्मी करने की सज़ा मैं दूँगी तुम्हे.”
“हाहहहाहा…क्या बात है. पद्मिनी मान गये. जब पहली बार मिली थी तो गान्ड फॅट रही थी तुम्हारी. आज बिना ख़ौफ़ के मेरे सामने खड़ी हो. ऐसे मज़ा नही आएगा बात का. कुछ ख़ौफ़ पैदा करो अपने अंदर. रूको एक गोली मारता हूँ तुम्हे…जब तुम्हे दर्द मिलेगा तो खूबसूरत ख़ौफ़ अपने आप पैदा हो जाएगा….हिहिहिहीही.”
अचानक साइको की चीन्ख गूँज उठी और वो लड़खड़ा कर नीचे गिर गया. रोहित ने उसकी टाँगों पर घुटनो के नीचे बेसबॉल बॅट से वार किया था. साइको के गिरते ही रोहित भी गिर गया. बड़ी मुस्किल से उठा था वो और अपनी पूरी ताक़त उसने साइको की टाँग पर बॅट मारने में लगा दी थी.
जैसे ही साइको नीचे गिरा पद्मिनी ने बिना वक्त गवायें उसके दायें हाथ पर तलवार से वार किया. हाथ बंदूक सहित साइको की कलाई से अलग हो गया. साइको की चीन्ख गूँज उठी चारो तरफ.
“साली…कुतिया…रंडी…आआहह… मेरा हाथ….नही छोड़ूँगा तुझे मैं.” साइको दर्द से कराहता हुआ उठ खड़ा हुआ और अपनी जेब से एक और चाकू निकाला उसने बायें हाथ से.
“तेरे आशिक़ की तरह तुझे भी टपका दूँगा मैं.”
तभी साइको फिर से नीचे गिर गया. इस बार शालिनी ने वार किया था बात से साइको के टाँग पर घुटनो के ठीक नीचे.
पद्मिनी ने तुरंत बिना मौका गवायें पहली बार की तरह साइको के बायें हाथ पर वार किया और साइको का बायाँ हाथ चाकू सहित उसकी कलाई से अलग हो गया. फिर से दर्दनाक चीन्ख गूँज उठी वहाँ साइको की.
“जो ख़ौफ़ तुमने लोगो को दिया वही ख़ौफ़ आज तुम्हारी आँखो में दिख रहा है. बहुत सुंदर ख़ौफ़ है ये. मैं तुम्हे एक मिनिट के लिए भी जींदा नही देखना चाहती.” पद्मिनी ने तलवार साइको के पेट में गाढ़ने के लिए उपर उठाई.
“नही पद्मिनी…रुक जाओ. इतनी जल्दी मौत नही देनी है इसे.” रोहित चिल्लाया.
पद्मिनी ने तलवार एक तरफ फेंक दी और दौड़ कर राज शर्मा के पास आ गयी. “राज शर्मा तुम ठीक हो ना.”
“जिसके पास तुम्हारे जैसी प्रेमिका हो उसे क्या हो सकता है.”
“मैने उसके दोनो हाथ काट दिए. उन्ही हाथो से उसने तुम्हे मारा था ना. उन्ही हाथो से मेरे मम्मी-पापा को बेरहमी से मारा था. उन्ही हाथो से सभी को इतना दर्द दिया उसने आज. मैने काट दिए उसके हाथ राज शर्मा… अब वो हमें कोई नुकसान नही पहुँचा सकता.”
“ठीक किया तुमने. मुझे नही पता था कि मेरी पद्मिनी ऐसा भी कर सकती है.”
“सब कुछ तुम्हारे लिए किया. तुम पर वार किया इसने तो बर्दास्त नही कर पाई. प्यार करती हूँ तुमसे कोई मज़ाक नही.”
“जानता हूँ मैं…”
रोहित बड़ी मुस्किल से उठा दुबारा और बोला, “सभी थोड़ी सी हिम्मत करो और यहाँ आ जाओ. हमने बहुत कुछ सहा है आज. पर अब वो वक्त आ गया है जिसके लिए हम सब एक साथ जुड़े थे. मोहित आ जाओ भाई…अब एक गेम हो जाए इस पागल कुत्ते के साथ.”
शालिनी ने तलवार उठा ली और साइको के पास खड़ी हो गयी ताकि वो भागने की कोशिस ना करे. “ज़रा भी हिलने की कोशिस की तो काट डालूंगी तुम्हे मैं.” शालिनी ने कहा.
रोहित पद्मिनी के पास आया और बोला, “पद्मिनी तुमने बहुत बहादुरी से काम लिया आज. ये तलवार कहाँ से मिली तुम्हे.”
“वहाँ उस पेड़ के पीछे पड़ी थी. और हथियार भी पड़े हैं वहाँ.” पद्मिनी ने हाथ के इशारे से बताया.
“क्या वहाँ कुल्हाड़ी भी है.”
“हां शायद है.”
“राज शर्मा बस थोड़ी देर और फिर हम हॉस्पिटल चलेंगे. हॅंग ऑन.” रोहित ने कहा.
“मेरी चिंता मत करो…इसे ऐसी मौत देना की दुबारा किसी जनम में ऐसी हरकत करने की सोचे भी नही.” राज शर्मा ने कहा.
रोहित ने मिनी को भी उठाया. “ठीक हो ना तुम.”
“कम्बख़त ने सर में ऐसी लात मारी कि सर घूम रहा है. पेट में भी बहुत दर्द है.” मिनी ने कहा.
“मेरे शरीर का बुरा हाल है पर किसी तरह से उठ ही गया हूँ. आओ साइको के साथ एक गेम हो जाए.” रोहित ने कहा.
मिनी को उठाने के बाद रोहित, मोहित के पास गया और उसे बोला, “उठो दोस्त. गेम तुम्हारे बिना अधूरी रहेगी.”
मोहित उठा बड़ी मुस्किल से . उसने अपनी शर्ट उतार कर पूजा को दे दी. “ये पहन लो फिलहाल. ये शर्ट तुम्हारे शरीर को घुटने तक ढक लेगी.”