Update 10
"छोटे-मोटे चाकू से काम नही चलता था तुम्हारा जो इतना बड़ा चाकू रख लिया" चौहान ने कहा.
"सर मुझे यही पसंद आया...मैने रख लिया"
"ह्म्म....विजय एक मिनट इधर आओ" चौहान ने विजय को कहा.
"जी सर" विजय ने कहा.
"तुम इसे थाने ले जाओ और डरा धमका कर छोड़ देना. और हां 1 पेटी से कम मत लेना. ज़्यादा तीन-पाँच करे तो अंदर डाल देना" चौहान ने कहा.
"सर एक बात कहूँ अगर बुरा ना माने तो" विजय ने कहा.
"हां-हां बोलो"
"जिस कॉलेज गर्ल का कतल हुआ था उसकी फ़्रेंड है ना ये लड़की"
"हां ठीक कहा वही है ये...तुम इसे ले कर जाओ मैं यही रूम में रुकुंगा" चौहान ने कहा.
"जी सर समझ गया...सर सुंदर लड़की है... थोड़ा हमारा भी ध्यान...."
"पहले मुझे तो घोड़ी चढ़ने दे..."
"ओके सर समझ गया...मैं फ़ौरन इस लफंगे को लेकर थाने पहुँचता हूँ" विजय ने कहा.
"और हां...उस पद्मिनी का कुछ भी पता चले तो फ़ौरन मुझे फोन करना" चौहान ने कहा.
सब इनस्पेक्टर विजय को भेज कर इनस्पेक्टर चौहान वापिस कमरे में घुसता है और कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है.
“हां तो पूजा जी...क्या आप अब सच बताएँगी कि आप यहा क्या कर रही हैं,” चौहान ने रोब से पूछा.
“सर मैने बताया ना कि मैं अपने फियान्से से मिलने आई हूँ.”
“वो तो आपका नाम मुस्कान बता रहा था.”
“मुस्कान…नही नही आपको कोई ग़लत फ़हमी हुई है…मेरा नाम तो पूजा है आप भी जानते हैं.”
“ह्म्म हो सकता है कि ग़लतफहमी हुई हो.”
“जी बिल्कुल आप से सुन-ने में ग़लती लगी है.”
“वो तो ये भी कह रहा था कि तुम एस्कॉर्ट हो…”
“क्या…?” लड़की के चेहरे का रंग उड़ गया.
“हां-हां और उसने ये भी बताया कि उसने 50,000/- दिए हैं तुम्हे.”
“ये सब झूठ है.”
“पर्स दिखाओ अपना.”
“सर प्लीज़ मेरा यकीन कीजिए…आप तो जानते हैं ना कि मैं ऐसी लड़की नही हूँ.”
“तभी इतनी नर्मी से पेश आ रहा हूँ…वरना अब तक वो हो जाता यहा जो तुम सोच भी नही सकती…दीखाओ पर्स अपना”
“सर प्लीज़…ऐसा कुछ नही है जैसा आप सोच रहे हैं.”
चौहान ने उसके हाथ से पर्स छीन लिया और उसे खोल कर देखा. 50,000 की गद्दी बाहर निकाल कर बोला, “ये क्या है…एक दिन का किराया तुम्हारा.”
“सर मुझे छ्चोड़ दीजिए मैं अपनी ग़लती मानती हूँ.”
“मुझ से झूठ बोल कर कोई बच नही सकता. कब बनी तुम एस्कॉर्ट?”
“ये मेरा पहला असाइनमेंट था…अभी बस एक हफ़्ता पहले ही जाय्न किया था”
“कौन सी एस्कॉर्ट एजेन्सी में जाय्न किया तुमने?”
“मिस्टर कुमार इस एजेन्सी को चलाता है.”
“अच्छा मिस्टर कुमार…कमिने ने नयी चिड़िया भरती कर ली और हमे बताया भी नही.”
“सर…मैं अभी ये सब छ्चोड़ दूँगी प्लीज़ मुझे जाने दीजिए.”
“देखो हमारी रेजिस्ट्रेशन फीस तो तुम्हे देनी ही पड़ेगी.” चौहान ने कहा.
“मैं समझी नही सर.”
“देखो इस सहर में हर क्राइम करने वाले को पोलीस को रेजिस्ट्रेशन फीस देनी होती है.”
“ठीक है…आप ये 50,000 रख लीजिए”
“हर जगह पैसा नही चलता पूजा जी”
“फिर और क्या दूं आपको.”
“कैसी बात करती हैं आप भी…इतना सुंदर मुखड़ा दिया है और इतना सुंदर शरीर दिया है भगवान ने आपको…ये कब काम आएगा”
“सर मैं ये काम आज ही अभी से छ्चोड़ रही हूँ. वैसे भी मैं अपनी ख़ुसी से नही आई थी इस लाइन में.”
“वो सब मुझे नही पता…तुमने कदम तो रखा है ना इस लाइन में फीस तो लगेगी ही. और अगर फीस नही देना चाहती तो जैल जाकर चक्की पीसो…चाय्स तुम्हारी है…मैं तुम्हे मजबूर नही करूँगा”
“क्या करना होगा मुझे?”
“उस नालयक के साथ जो करने वाली थी वही हमारे साथ करो”
“ ठीक है सर…उसके बाद तो मुझे छ्चोड़ देंगे ना आप?”
“हां-हां अगर तुम इस लाइन में आज के बाद नही रहोगी तो तुम्हे कोई परेशान नही करेगा. वैसे मैं यहा पद्मिनी की तलाश में आया था.”
“कौन पद्मिनी?”
“वही जिसने तुम्हारी फ्रेंड को मारा था.”
“क्या?...तो क्या सीरियल किल्लर एक लड़की है.”
“हां…वैसे तुमने इंक्वाइरी में कोई ज़्यादा सपोर्ट नही किया था. ”
“सर…मुझे जितना पता था…मैने बता दिया था.”
“दरवाजा पटक दिया था आपने मेरे मूह पर…ये कह कर कि मुझे परेशान मत करो में कुछ और नही जानती”
“सर उस वक्त…बार-बार मुझसे सवाल किए जा रहे थे…मैं परेशान हो चुकी थी.”
“वैसे तुमने तो किसी आदमी का जिकर किया था, लेकिन कातिल तो एक लड़की निकली”
“मैं और रागिनी जब सिनिमा से निकले तो कोई आदमी हमारा लगातार पीछा कर रहा था…मैने उसकी शकल भी देखी थी. अगले दिन रागिनी का खून हो गया. इतना ही मैं जानती थी और ये सब मैने पोलीस को बता दिया था…इस से ज़्यादा और क्या बताती मैं.”
“हो सकता है वही आदमी नकाब पोश हो, क्या तुम्हे अभी भी याद है उसका चेहरा?”
“अब तो वो शकल मेमोरी में धुंधली हो चुकी है. वैसे भी शाम का वक्त था उस वक्त. वो आदमी सामने आए तो शायद पहचान लू. वैसे ये नकाब पोश कौन है?”
तभी अच्छानक चौहान का फोन बज उठा. “न्यूज़ नही देखती क्या…एक मिनट…किसका फोन है?” चौहान ने पॅंट की जेब से फोन निकालते हुए कहा.
चौहान ने फोन उठाया और बोला, “परवीन कहा है तू यार…काईं बार फोन किया…उठाता ही नही है”
परवीन चौहान का कॉलेज के दिनो का दोस्त था.
“यार फोन दराज में पड़ा था…सुनाई नही दिया.” परवीन ने कहा.
“पर तू तो घर पर भी नही था…रात 2 बजे निकला था मैं तेरे घर के आगे से…कहा था तू इतनी रात को.”
“वो यार रात ज़्यादा पी ली थी…बार में ही पड़ा रहा. अभी घर आया हूँ.”
“तुझे डर नही लगता सहर में सीरियल किल्लर घूम रहा है.”
“तेरे रहते मुझे किस बात का डर दोस्त”
“वो तो ठीक है…एक बात सुन बर्तडे बॉय…तेरे लिए बहुत सुंदर तौफा है मेरे पास.”
“क्या बात कर रहा है…कैसा तोहफा है?”
“तू ऐसा कर अपने फार्म हाउस पे पहुँच बहुत दिन हो गये साथ में मस्ती किए आज हो ही जाए.”
“अच्छा समझ गया ये तोहफा है…कॉलेज के दिनो की यादे ताज़ा करना चाहता है हूँ”
“ये ही समझ ले…तेरा जनम दिन भी है…ऐसा कर तू फार्म हाउस पहुँच और हरी-हरी घास में खुले आसमान के नीचे अच्छा इंटेज़ाम कर”
“ये सब खुले में करेगा तू.”
“तो क्या हुआ…तेरे नौकर रामू के अलावा वाहा और कौन होगा. खूब मस्ती करेंगे…अब देर मत कर जल्दी पहुँच.”
“ठीक है…मैं अभी के अभी निकलता हूँ.”
“ठीक है मैं भी निकल ही रहा हूँ.”
फोन कॉन्वर्सेशन ख़तम हो जाती है.
“सर मैं चालू फिर…आप तो बर्तडे मनाने जा रहे हैं”
“नही मेरे दोस्त की बर्तडे पार्टी में तुम भी शामिल होगी…चलो”
जब पूजा को इनस्पेक्टर की बात समझ में आई तो उसके रोंगटे खड़े हो गये. “हे भगवान कहा फँस गयी मैं…अब क्या करूँ?” पूजा ने खुद से कहा.
कुछ ही देर में इनस्पेक्टर अपनी जीप में पूजा को बीठा कर परवीन के फार्म हाउस की तरफ बढ़ रहा था.
“सर में बर्तडे पार्टी में क्या करूँगी…प्लीज़ मुझे जाने दीजिए” पूजा गिदगड़ाई.
“पार्टी में हसीन लोग साथ हो तो रोनक बढ़ जाती है…तुम चिंता मत करो खूब एंजाय करोगी तुम.”
“सर प्लीज़ मुझे जाने दीजिए…मैं एस्कॉर्ट एजेन्सी से आज ही नाता तौड लूँगी…”
“पूजा जी घबराओ मत…जन्नत दीखाएगे हम आपको आज…आप बेवजह परेशान हो रही हैं.” चौहान ने कहा और एक विकेड स्माइल उसके चेहरे पर उभर आई.
“मेरी एक ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा…कहा तक जायज़ है.”
“अब शैतानी कीजिएगा तो सज़ा तो मिलेगी ना…वैसे हम सच कह रहे है…जन्नत की सैर कराएँगे आपको…आप बस अपने दिल से डर को दूर भगा दीजिए...वैसे एक बात बताओ…क्यों बनी तुम एस्कॉर्ट ?”
“इस सब के लिए मेरा बॉय फ्रेंड ज़िम्मेदार है.”
“वो कैसे?”
“मैं उसे प्यार करती थी…अँधा प्यार और उसने मेरी वीडियोज बना ली. मुझे कभी शक नही हुआ. हर मुलाकात की चुपचाप रेकॉर्डिंग की उसने.”
“तो ये ब्लॅकमेलिंग का मामला है”
“हां उसने मुझे ज़बरदस्ती एस्कॉर्ट बनाया. अब मुझे पता चला कि मिस्टर कुमार का पार्ट्नर है वो.”
“ह्म्म इंट्रेस्टिंग स्टोरी है”
“ये स्टोरी नही हक़ीकत है…मेरे जैसे हज़ारो शायद यू ही बर्बाद हुई होंगी.”
“छोड़ो ये सब जो होना था हो गया…”
“ये सब सुन-ने के बाद भी आप मुझे पार्टी में ले जाएँगे.”
“बिल्कुल…घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या…हां तेरे बॉय फ्रेंड को सीधा करने की ज़िम्मेदारी मेरी” चौहान ने घिनोनी हँसी के साथ कहा.
“शुक्र है कुछ तो राहत मिली मुझे. उसो तो मैं जैल में देखना चाहती हूँ.”
“सब हो जाएगा पूजा जी…आप बस मुझे खुस कर दो.”
“ये ख़ुसी मुझे रोज तो नही देनी होगी ना?”
“अगर लत पड़ गयी तुम्हारी तो कह नही सकता…वैसे मैं रोज नया शिकार पसंद करता हूँ. अपनी नौकरी भी कुछ ऐसी है…नया-नया माल मिलता रहता है.”
कुछ ही देर में जीप सुनसान सड़क पर आ गयी.
"छोटे-मोटे चाकू से काम नही चलता था तुम्हारा जो इतना बड़ा चाकू रख लिया" चौहान ने कहा.
"सर मुझे यही पसंद आया...मैने रख लिया"
"ह्म्म....विजय एक मिनट इधर आओ" चौहान ने विजय को कहा.
"जी सर" विजय ने कहा.
"तुम इसे थाने ले जाओ और डरा धमका कर छोड़ देना. और हां 1 पेटी से कम मत लेना. ज़्यादा तीन-पाँच करे तो अंदर डाल देना" चौहान ने कहा.
"सर एक बात कहूँ अगर बुरा ना माने तो" विजय ने कहा.
"हां-हां बोलो"
"जिस कॉलेज गर्ल का कतल हुआ था उसकी फ़्रेंड है ना ये लड़की"
"हां ठीक कहा वही है ये...तुम इसे ले कर जाओ मैं यही रूम में रुकुंगा" चौहान ने कहा.
"जी सर समझ गया...सर सुंदर लड़की है... थोड़ा हमारा भी ध्यान...."
"पहले मुझे तो घोड़ी चढ़ने दे..."
"ओके सर समझ गया...मैं फ़ौरन इस लफंगे को लेकर थाने पहुँचता हूँ" विजय ने कहा.
"और हां...उस पद्मिनी का कुछ भी पता चले तो फ़ौरन मुझे फोन करना" चौहान ने कहा.
सब इनस्पेक्टर विजय को भेज कर इनस्पेक्टर चौहान वापिस कमरे में घुसता है और कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है.
“हां तो पूजा जी...क्या आप अब सच बताएँगी कि आप यहा क्या कर रही हैं,” चौहान ने रोब से पूछा.
“सर मैने बताया ना कि मैं अपने फियान्से से मिलने आई हूँ.”
“वो तो आपका नाम मुस्कान बता रहा था.”
“मुस्कान…नही नही आपको कोई ग़लत फ़हमी हुई है…मेरा नाम तो पूजा है आप भी जानते हैं.”
“ह्म्म हो सकता है कि ग़लतफहमी हुई हो.”
“जी बिल्कुल आप से सुन-ने में ग़लती लगी है.”
“वो तो ये भी कह रहा था कि तुम एस्कॉर्ट हो…”
“क्या…?” लड़की के चेहरे का रंग उड़ गया.
“हां-हां और उसने ये भी बताया कि उसने 50,000/- दिए हैं तुम्हे.”
“ये सब झूठ है.”
“पर्स दिखाओ अपना.”
“सर प्लीज़ मेरा यकीन कीजिए…आप तो जानते हैं ना कि मैं ऐसी लड़की नही हूँ.”
“तभी इतनी नर्मी से पेश आ रहा हूँ…वरना अब तक वो हो जाता यहा जो तुम सोच भी नही सकती…दीखाओ पर्स अपना”
“सर प्लीज़…ऐसा कुछ नही है जैसा आप सोच रहे हैं.”
चौहान ने उसके हाथ से पर्स छीन लिया और उसे खोल कर देखा. 50,000 की गद्दी बाहर निकाल कर बोला, “ये क्या है…एक दिन का किराया तुम्हारा.”
“सर मुझे छ्चोड़ दीजिए मैं अपनी ग़लती मानती हूँ.”
“मुझ से झूठ बोल कर कोई बच नही सकता. कब बनी तुम एस्कॉर्ट?”
“ये मेरा पहला असाइनमेंट था…अभी बस एक हफ़्ता पहले ही जाय्न किया था”
“कौन सी एस्कॉर्ट एजेन्सी में जाय्न किया तुमने?”
“मिस्टर कुमार इस एजेन्सी को चलाता है.”
“अच्छा मिस्टर कुमार…कमिने ने नयी चिड़िया भरती कर ली और हमे बताया भी नही.”
“सर…मैं अभी ये सब छ्चोड़ दूँगी प्लीज़ मुझे जाने दीजिए.”
“देखो हमारी रेजिस्ट्रेशन फीस तो तुम्हे देनी ही पड़ेगी.” चौहान ने कहा.
“मैं समझी नही सर.”
“देखो इस सहर में हर क्राइम करने वाले को पोलीस को रेजिस्ट्रेशन फीस देनी होती है.”
“ठीक है…आप ये 50,000 रख लीजिए”
“हर जगह पैसा नही चलता पूजा जी”
“फिर और क्या दूं आपको.”
“कैसी बात करती हैं आप भी…इतना सुंदर मुखड़ा दिया है और इतना सुंदर शरीर दिया है भगवान ने आपको…ये कब काम आएगा”
“सर मैं ये काम आज ही अभी से छ्चोड़ रही हूँ. वैसे भी मैं अपनी ख़ुसी से नही आई थी इस लाइन में.”
“वो सब मुझे नही पता…तुमने कदम तो रखा है ना इस लाइन में फीस तो लगेगी ही. और अगर फीस नही देना चाहती तो जैल जाकर चक्की पीसो…चाय्स तुम्हारी है…मैं तुम्हे मजबूर नही करूँगा”
“क्या करना होगा मुझे?”
“उस नालयक के साथ जो करने वाली थी वही हमारे साथ करो”
“ ठीक है सर…उसके बाद तो मुझे छ्चोड़ देंगे ना आप?”
“हां-हां अगर तुम इस लाइन में आज के बाद नही रहोगी तो तुम्हे कोई परेशान नही करेगा. वैसे मैं यहा पद्मिनी की तलाश में आया था.”
“कौन पद्मिनी?”
“वही जिसने तुम्हारी फ्रेंड को मारा था.”
“क्या?...तो क्या सीरियल किल्लर एक लड़की है.”
“हां…वैसे तुमने इंक्वाइरी में कोई ज़्यादा सपोर्ट नही किया था. ”
“सर…मुझे जितना पता था…मैने बता दिया था.”
“दरवाजा पटक दिया था आपने मेरे मूह पर…ये कह कर कि मुझे परेशान मत करो में कुछ और नही जानती”
“सर उस वक्त…बार-बार मुझसे सवाल किए जा रहे थे…मैं परेशान हो चुकी थी.”
“वैसे तुमने तो किसी आदमी का जिकर किया था, लेकिन कातिल तो एक लड़की निकली”
“मैं और रागिनी जब सिनिमा से निकले तो कोई आदमी हमारा लगातार पीछा कर रहा था…मैने उसकी शकल भी देखी थी. अगले दिन रागिनी का खून हो गया. इतना ही मैं जानती थी और ये सब मैने पोलीस को बता दिया था…इस से ज़्यादा और क्या बताती मैं.”
“हो सकता है वही आदमी नकाब पोश हो, क्या तुम्हे अभी भी याद है उसका चेहरा?”
“अब तो वो शकल मेमोरी में धुंधली हो चुकी है. वैसे भी शाम का वक्त था उस वक्त. वो आदमी सामने आए तो शायद पहचान लू. वैसे ये नकाब पोश कौन है?”
तभी अच्छानक चौहान का फोन बज उठा. “न्यूज़ नही देखती क्या…एक मिनट…किसका फोन है?” चौहान ने पॅंट की जेब से फोन निकालते हुए कहा.
चौहान ने फोन उठाया और बोला, “परवीन कहा है तू यार…काईं बार फोन किया…उठाता ही नही है”
परवीन चौहान का कॉलेज के दिनो का दोस्त था.
“यार फोन दराज में पड़ा था…सुनाई नही दिया.” परवीन ने कहा.
“पर तू तो घर पर भी नही था…रात 2 बजे निकला था मैं तेरे घर के आगे से…कहा था तू इतनी रात को.”
“वो यार रात ज़्यादा पी ली थी…बार में ही पड़ा रहा. अभी घर आया हूँ.”
“तुझे डर नही लगता सहर में सीरियल किल्लर घूम रहा है.”
“तेरे रहते मुझे किस बात का डर दोस्त”
“वो तो ठीक है…एक बात सुन बर्तडे बॉय…तेरे लिए बहुत सुंदर तौफा है मेरे पास.”
“क्या बात कर रहा है…कैसा तोहफा है?”
“तू ऐसा कर अपने फार्म हाउस पे पहुँच बहुत दिन हो गये साथ में मस्ती किए आज हो ही जाए.”
“अच्छा समझ गया ये तोहफा है…कॉलेज के दिनो की यादे ताज़ा करना चाहता है हूँ”
“ये ही समझ ले…तेरा जनम दिन भी है…ऐसा कर तू फार्म हाउस पहुँच और हरी-हरी घास में खुले आसमान के नीचे अच्छा इंटेज़ाम कर”
“ये सब खुले में करेगा तू.”
“तो क्या हुआ…तेरे नौकर रामू के अलावा वाहा और कौन होगा. खूब मस्ती करेंगे…अब देर मत कर जल्दी पहुँच.”
“ठीक है…मैं अभी के अभी निकलता हूँ.”
“ठीक है मैं भी निकल ही रहा हूँ.”
फोन कॉन्वर्सेशन ख़तम हो जाती है.
“सर मैं चालू फिर…आप तो बर्तडे मनाने जा रहे हैं”
“नही मेरे दोस्त की बर्तडे पार्टी में तुम भी शामिल होगी…चलो”
जब पूजा को इनस्पेक्टर की बात समझ में आई तो उसके रोंगटे खड़े हो गये. “हे भगवान कहा फँस गयी मैं…अब क्या करूँ?” पूजा ने खुद से कहा.
कुछ ही देर में इनस्पेक्टर अपनी जीप में पूजा को बीठा कर परवीन के फार्म हाउस की तरफ बढ़ रहा था.
“सर में बर्तडे पार्टी में क्या करूँगी…प्लीज़ मुझे जाने दीजिए” पूजा गिदगड़ाई.
“पार्टी में हसीन लोग साथ हो तो रोनक बढ़ जाती है…तुम चिंता मत करो खूब एंजाय करोगी तुम.”
“सर प्लीज़ मुझे जाने दीजिए…मैं एस्कॉर्ट एजेन्सी से आज ही नाता तौड लूँगी…”
“पूजा जी घबराओ मत…जन्नत दीखाएगे हम आपको आज…आप बेवजह परेशान हो रही हैं.” चौहान ने कहा और एक विकेड स्माइल उसके चेहरे पर उभर आई.
“मेरी एक ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा…कहा तक जायज़ है.”
“अब शैतानी कीजिएगा तो सज़ा तो मिलेगी ना…वैसे हम सच कह रहे है…जन्नत की सैर कराएँगे आपको…आप बस अपने दिल से डर को दूर भगा दीजिए...वैसे एक बात बताओ…क्यों बनी तुम एस्कॉर्ट ?”
“इस सब के लिए मेरा बॉय फ्रेंड ज़िम्मेदार है.”
“वो कैसे?”
“मैं उसे प्यार करती थी…अँधा प्यार और उसने मेरी वीडियोज बना ली. मुझे कभी शक नही हुआ. हर मुलाकात की चुपचाप रेकॉर्डिंग की उसने.”
“तो ये ब्लॅकमेलिंग का मामला है”
“हां उसने मुझे ज़बरदस्ती एस्कॉर्ट बनाया. अब मुझे पता चला कि मिस्टर कुमार का पार्ट्नर है वो.”
“ह्म्म इंट्रेस्टिंग स्टोरी है”
“ये स्टोरी नही हक़ीकत है…मेरे जैसे हज़ारो शायद यू ही बर्बाद हुई होंगी.”
“छोड़ो ये सब जो होना था हो गया…”
“ये सब सुन-ने के बाद भी आप मुझे पार्टी में ले जाएँगे.”
“बिल्कुल…घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या…हां तेरे बॉय फ्रेंड को सीधा करने की ज़िम्मेदारी मेरी” चौहान ने घिनोनी हँसी के साथ कहा.
“शुक्र है कुछ तो राहत मिली मुझे. उसो तो मैं जैल में देखना चाहती हूँ.”
“सब हो जाएगा पूजा जी…आप बस मुझे खुस कर दो.”
“ये ख़ुसी मुझे रोज तो नही देनी होगी ना?”
“अगर लत पड़ गयी तुम्हारी तो कह नही सकता…वैसे मैं रोज नया शिकार पसंद करता हूँ. अपनी नौकरी भी कुछ ऐसी है…नया-नया माल मिलता रहता है.”
कुछ ही देर में जीप सुनसान सड़क पर आ गयी.