• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance बात एक रात की(Completed)

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 10

"छोटे-मोटे चाकू से काम नही चलता था तुम्हारा जो इतना बड़ा चाकू रख लिया" चौहान ने कहा.


"सर मुझे यही पसंद आया...मैने रख लिया"


"ह्म्म....विजय एक मिनट इधर आओ" चौहान ने विजय को कहा.


"जी सर" विजय ने कहा.


"तुम इसे थाने ले जाओ और डरा धमका कर छोड़ देना. और हां 1 पेटी से कम मत लेना. ज़्यादा तीन-पाँच करे तो अंदर डाल देना" चौहान ने कहा.


"सर एक बात कहूँ अगर बुरा ना माने तो" विजय ने कहा.


"हां-हां बोलो"


"जिस कॉलेज गर्ल का कतल हुआ था उसकी फ़्रेंड है ना ये लड़की"


"हां ठीक कहा वही है ये...तुम इसे ले कर जाओ मैं यही रूम में रुकुंगा" चौहान ने कहा.


"जी सर समझ गया...सर सुंदर लड़की है... थोड़ा हमारा भी ध्यान...."


"पहले मुझे तो घोड़ी चढ़ने दे..."


"ओके सर समझ गया...मैं फ़ौरन इस लफंगे को लेकर थाने पहुँचता हूँ" विजय ने कहा.


"और हां...उस पद्मिनी का कुछ भी पता चले तो फ़ौरन मुझे फोन करना" चौहान ने कहा.




सब इनस्पेक्टर विजय को भेज कर इनस्पेक्टर चौहान वापिस कमरे में घुसता है और कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है.


“हां तो पूजा जी...क्या आप अब सच बताएँगी कि आप यहा क्या कर रही हैं,” चौहान ने रोब से पूछा.


“सर मैने बताया ना कि मैं अपने फियान्से से मिलने आई हूँ.”


“वो तो आपका नाम मुस्कान बता रहा था.”


“मुस्कान…नही नही आपको कोई ग़लत फ़हमी हुई है…मेरा नाम तो पूजा है आप भी जानते हैं.”


“ह्म्म हो सकता है कि ग़लतफहमी हुई हो.”


“जी बिल्कुल आप से सुन-ने में ग़लती लगी है.”


“वो तो ये भी कह रहा था कि तुम एस्कॉर्ट हो…”


“क्या…?” लड़की के चेहरे का रंग उड़ गया.


“हां-हां और उसने ये भी बताया कि उसने 50,000/- दिए हैं तुम्हे.”


“ये सब झूठ है.”


“पर्स दिखाओ अपना.”


“सर प्लीज़ मेरा यकीन कीजिए…आप तो जानते हैं ना कि मैं ऐसी लड़की नही हूँ.”


“तभी इतनी नर्मी से पेश आ रहा हूँ…वरना अब तक वो हो जाता यहा जो तुम सोच भी नही सकती…दीखाओ पर्स अपना”


“सर प्लीज़…ऐसा कुछ नही है जैसा आप सोच रहे हैं.”


चौहान ने उसके हाथ से पर्स छीन लिया और उसे खोल कर देखा. 50,000 की गद्दी बाहर निकाल कर बोला, “ये क्या है…एक दिन का किराया तुम्हारा.”


“सर मुझे छ्चोड़ दीजिए मैं अपनी ग़लती मानती हूँ.”


“मुझ से झूठ बोल कर कोई बच नही सकता. कब बनी तुम एस्कॉर्ट?”


“ये मेरा पहला असाइनमेंट था…अभी बस एक हफ़्ता पहले ही जाय्न किया था”


“कौन सी एस्कॉर्ट एजेन्सी में जाय्न किया तुमने?”


“मिस्टर कुमार इस एजेन्सी को चलाता है.”


“अच्छा मिस्टर कुमार…कमिने ने नयी चिड़िया भरती कर ली और हमे बताया भी नही.”


“सर…मैं अभी ये सब छ्चोड़ दूँगी प्लीज़ मुझे जाने दीजिए.”


“देखो हमारी रेजिस्ट्रेशन फीस तो तुम्हे देनी ही पड़ेगी.” चौहान ने कहा.


“मैं समझी नही सर.”


“देखो इस सहर में हर क्राइम करने वाले को पोलीस को रेजिस्ट्रेशन फीस देनी होती है.”


“ठीक है…आप ये 50,000 रख लीजिए”


“हर जगह पैसा नही चलता पूजा जी”


“फिर और क्या दूं आपको.”


“कैसी बात करती हैं आप भी…इतना सुंदर मुखड़ा दिया है और इतना सुंदर शरीर दिया है भगवान ने आपको…ये कब काम आएगा”


“सर मैं ये काम आज ही अभी से छ्चोड़ रही हूँ. वैसे भी मैं अपनी ख़ुसी से नही आई थी इस लाइन में.”


“वो सब मुझे नही पता…तुमने कदम तो रखा है ना इस लाइन में फीस तो लगेगी ही. और अगर फीस नही देना चाहती तो जैल जाकर चक्की पीसो…चाय्स तुम्हारी है…मैं तुम्हे मजबूर नही करूँगा”


“क्या करना होगा मुझे?”


“उस नालयक के साथ जो करने वाली थी वही हमारे साथ करो”


“ ठीक है सर…उसके बाद तो मुझे छ्चोड़ देंगे ना आप?”


“हां-हां अगर तुम इस लाइन में आज के बाद नही रहोगी तो तुम्हे कोई परेशान नही करेगा. वैसे मैं यहा पद्मिनी की तलाश में आया था.”


“कौन पद्मिनी?”


“वही जिसने तुम्हारी फ्रेंड को मारा था.”


“क्या?...तो क्या सीरियल किल्लर एक लड़की है.”


“हां…वैसे तुमने इंक्वाइरी में कोई ज़्यादा सपोर्ट नही किया था. ”


“सर…मुझे जितना पता था…मैने बता दिया था.”


“दरवाजा पटक दिया था आपने मेरे मूह पर…ये कह कर कि मुझे परेशान मत करो में कुछ और नही जानती”


“सर उस वक्त…बार-बार मुझसे सवाल किए जा रहे थे…मैं परेशान हो चुकी थी.”


“वैसे तुमने तो किसी आदमी का जिकर किया था, लेकिन कातिल तो एक लड़की निकली”


“मैं और रागिनी जब सिनिमा से निकले तो कोई आदमी हमारा लगातार पीछा कर रहा था…मैने उसकी शकल भी देखी थी. अगले दिन रागिनी का खून हो गया. इतना ही मैं जानती थी और ये सब मैने पोलीस को बता दिया था…इस से ज़्यादा और क्या बताती मैं.”


“हो सकता है वही आदमी नकाब पोश हो, क्या तुम्हे अभी भी याद है उसका चेहरा?”


“अब तो वो शकल मेमोरी में धुंधली हो चुकी है. वैसे भी शाम का वक्त था उस वक्त. वो आदमी सामने आए तो शायद पहचान लू. वैसे ये नकाब पोश कौन है?”


तभी अच्छानक चौहान का फोन बज उठा. “न्यूज़ नही देखती क्या…एक मिनट…किसका फोन है?” चौहान ने पॅंट की जेब से फोन निकालते हुए कहा.


चौहान ने फोन उठाया और बोला, “परवीन कहा है तू यार…काईं बार फोन किया…उठाता ही नही है”


परवीन चौहान का कॉलेज के दिनो का दोस्त था.


“यार फोन दराज में पड़ा था…सुनाई नही दिया.” परवीन ने कहा.


“पर तू तो घर पर भी नही था…रात 2 बजे निकला था मैं तेरे घर के आगे से…कहा था तू इतनी रात को.”


“वो यार रात ज़्यादा पी ली थी…बार में ही पड़ा रहा. अभी घर आया हूँ.”


“तुझे डर नही लगता सहर में सीरियल किल्लर घूम रहा है.”


“तेरे रहते मुझे किस बात का डर दोस्त”


“वो तो ठीक है…एक बात सुन बर्तडे बॉय…तेरे लिए बहुत सुंदर तौफा है मेरे पास.”


“क्या बात कर रहा है…कैसा तोहफा है?”


“तू ऐसा कर अपने फार्म हाउस पे पहुँच बहुत दिन हो गये साथ में मस्ती किए आज हो ही जाए.”


“अच्छा समझ गया ये तोहफा है…कॉलेज के दिनो की यादे ताज़ा करना चाहता है हूँ”


“ये ही समझ ले…तेरा जनम दिन भी है…ऐसा कर तू फार्म हाउस पहुँच और हरी-हरी घास में खुले आसमान के नीचे अच्छा इंटेज़ाम कर”


“ये सब खुले में करेगा तू.”


“तो क्या हुआ…तेरे नौकर रामू के अलावा वाहा और कौन होगा. खूब मस्ती करेंगे…अब देर मत कर जल्दी पहुँच.”


“ठीक है…मैं अभी के अभी निकलता हूँ.”


“ठीक है मैं भी निकल ही रहा हूँ.”


फोन कॉन्वर्सेशन ख़तम हो जाती है.


“सर मैं चालू फिर…आप तो बर्तडे मनाने जा रहे हैं”


“नही मेरे दोस्त की बर्तडे पार्टी में तुम भी शामिल होगी…चलो”


जब पूजा को इनस्पेक्टर की बात समझ में आई तो उसके रोंगटे खड़े हो गये. “हे भगवान कहा फँस गयी मैं…अब क्या करूँ?” पूजा ने खुद से कहा.


कुछ ही देर में इनस्पेक्टर अपनी जीप में पूजा को बीठा कर परवीन के फार्म हाउस की तरफ बढ़ रहा था.


“सर में बर्तडे पार्टी में क्या करूँगी…प्लीज़ मुझे जाने दीजिए” पूजा गिदगड़ाई.


“पार्टी में हसीन लोग साथ हो तो रोनक बढ़ जाती है…तुम चिंता मत करो खूब एंजाय करोगी तुम.”


“सर प्लीज़ मुझे जाने दीजिए…मैं एस्कॉर्ट एजेन्सी से आज ही नाता तौड लूँगी…”
“पूजा जी घबराओ मत…जन्नत दीखाएगे हम आपको आज…आप बेवजह परेशान हो रही हैं.” चौहान ने कहा और एक विकेड स्माइल उसके चेहरे पर उभर आई.


“मेरी एक ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा…कहा तक जायज़ है.”


“अब शैतानी कीजिएगा तो सज़ा तो मिलेगी ना…वैसे हम सच कह रहे है…जन्नत की सैर कराएँगे आपको…आप बस अपने दिल से डर को दूर भगा दीजिए...वैसे एक बात बताओ…क्यों बनी तुम एस्कॉर्ट ?”


“इस सब के लिए मेरा बॉय फ्रेंड ज़िम्मेदार है.”


“वो कैसे?”


“मैं उसे प्यार करती थी…अँधा प्यार और उसने मेरी वीडियोज बना ली. मुझे कभी शक नही हुआ. हर मुलाकात की चुपचाप रेकॉर्डिंग की उसने.”


“तो ये ब्लॅकमेलिंग का मामला है”


“हां उसने मुझे ज़बरदस्ती एस्कॉर्ट बनाया. अब मुझे पता चला कि मिस्टर कुमार का पार्ट्नर है वो.”


“ह्म्म इंट्रेस्टिंग स्टोरी है”


“ये स्टोरी नही हक़ीकत है…मेरे जैसे हज़ारो शायद यू ही बर्बाद हुई होंगी.”


“छोड़ो ये सब जो होना था हो गया…”


“ये सब सुन-ने के बाद भी आप मुझे पार्टी में ले जाएँगे.”


“बिल्कुल…घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या…हां तेरे बॉय फ्रेंड को सीधा करने की ज़िम्मेदारी मेरी” चौहान ने घिनोनी हँसी के साथ कहा.


“शुक्र है कुछ तो राहत मिली मुझे. उसो तो मैं जैल में देखना चाहती हूँ.”


“सब हो जाएगा पूजा जी…आप बस मुझे खुस कर दो.”


“ये ख़ुसी मुझे रोज तो नही देनी होगी ना?”


“अगर लत पड़ गयी तुम्हारी तो कह नही सकता…वैसे मैं रोज नया शिकार पसंद करता हूँ. अपनी नौकरी भी कुछ ऐसी है…नया-नया माल मिलता रहता है.”


कुछ ही देर में जीप सुनसान सड़क पर आ गयी.
 

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 11

“ये तो हम सहर से बाहर ही आ गये.”


“फार्म हाउस है पूजा जी…सहर से दूर तो होगा ही.”


“कितना टाइम रुकना पड़ेगा मुझे….पार्टी में” पूजा ने पूछा.


“पार्टी है…देर भी हो सकती है….हहहे.”


कुछ ही देर में जीप एक बड़े से फार्म हाउस पर आ कर रुक गयी. परवीन वही खड़ा था.


जीप से उतरते ही चौहान ने परवीन को गले लगाया और बोला, “हॅपी बर्तडे यार…देख ध्यान से पटाखा लाया हूँ तेरे लिए.”


परवीन ने पूजा को उपर से नीचे तक देखा और एक अजीब सी हँसी उसके चेहरे पर उभर आई जिसे देख कर पूजा ने फ़ौरन अपनी नज़रे झुका ली.


“बोल ना कैसा लगा बर्तडे गिफ्ट?” चौहान ने कहा.


“कुछ बोलने लायक छोड़ा है तूने जो बोलूं मैं. एक तो ये लड़की वैसे ही बहुत सुंदर है उपर से ये इसका चूड़ीदार शूट सितम ढा रहा है…तेरे हाथ कैसे लगी ये” परवीन ने कहा.


“वो सब छोड़ तू आम खा गुठलिया मत गिन.” चौहान ने कहा.


पूजा चुपचाप सर झुकाए सब सुनती रही.


परवीन पूजा के पास आया और बोला, “क्या नाम है तेरा?”


“जी पूजा?”


“क्या करती हो?”


“जी कॉलेज में पढ़ती हूँ.”


“तुझे अंदाज़ा भी है कि आज तेरे साथ क्या होगा.”


“जी क्या मतलब”


“मतलब कभी एक साथ 2 आदमियों को दी है तूने या नही…”


पूजा ने चौहान की तरफ देखा और बोली, “सर……”


“अरे परवीन चल अंदर डरा मत बेचारी को ये बाजारू लड़की नही है…समझा कर”


“क्या बात है…फिर तो सच में नायाब तोहफा है ये…सच बता कहा मिली ये तुझे.”


“छोड़ यार ये सब और ये बता कि सारा इंतज़ाम किया कि नही.”


“सब इंतज़ाम पूरा है. खुली हवा में धूप कर नीचे बिस्तर लगवा दिए हैं. बोतल-सोटल पानी-वानी सब रखवा दिया है.”


“नौकर को कहना वाहा से दूर ही रहे…डिस्टर्ब ना करे हमे.”


“तुम तो जानते ही हो उसे वो वाहा फटकेगा भी नही. हम तीनो बिल्कुल अकेले रहेंगे.”


चलते-चलते परवीन ने पूजा के पिछवाड़े पर हाथ रखा और उन्हे मसल्ते हुए बोला, “बहुत सॉफ्ट हैं…मज़ा आएगा दोस्त ये गान्ड मारने में…तू भी हाथ लगा के देख.”


चौहान ने भी पूजा की गान्ड पर हाथ रखा और उसे मसल्ने लगा, “बिल्कुल सही कहा यार एक दम मस्त गान्ड है. इसकी गान्ड ऐसी है तो चूत कैसी होगी.”


पूजा ने घूम कर चौहान को घूरा. चौहान के चेहरे पर घिनोनी हँसी उभर आई.


“चूत भी अभी सामने आ जाएगी…क्यों पूजा क्या कहती हो?” परवीन ने गान्ड पर थप्पड़ मार कर पूछा.


पूजा ने कोई जवाब नही दिया. “हे भगवान ये वक्त बीत जाए मेरा…” पूजा ने मन ही मन कहा.


कुछ ही देर में वो वाहा पहुँच गये जहाँ परवीन ने सारा इंतज़ाम कर रखा था.


“दोस्त इंतज़ाम तो सारा कर रखा है मैने पर मुझे नही लगता कि इस शराब के आगे वो बोतल की शराब टिक पाएगी.”


“तो क्या कहता है…मन गया ना बर्त डे तेरा”


“हां यार उम्मीद से बढ़कर…इसे कहते है सच्ची दोस्ती…इसे मैं नंगी करूँगा समझे… तू बीच में नही आएगा.”


“तेरा गिफ्ट है…रॅपर तू ही तो खोलेगा…हहहे.”


“हहा….हहे….” दौनो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे. पूजा एक खिलोने की तरह खड़ी रही.


परवीन पूजा के पास आया और उसका चेहरा पकड़ कर उसके होंटो को कश के अपने होंटो में दबा लिया. पूजा छटपटा कर रह गयी. पागलो की तरह किस कर रहा था परवीन उसे. ऐसा लग रहा था जैसे कि पहली बार लड़की के होन्ट मिले हैं उसे चूमने को


पूरे 5 मिनट बाद छोड़ा परवीन ने पूजा को.


“वाह रसमलाई है…तू भी चख कर देख” परवीन ने चौहान से कहा.


चौहान ने पूजा को बाहों में लिया और बोला, “पूजा जी थोड़ा रस मुझे भी पीला दो”


चौहान ने भी पूजा के होंटो को कश के चूसा और बोला. "सच कहा यार…एक दम रस मलाई है."


“चल पीछे हट अब मुझे अपना गिफ्ट खोलने दे.”


“बिल्कुल जनाब ये लो” चौहान ने पीछे हट-ते हुए कहा.


परवीन ने पूजा की चुन्नी पकड़ी और डोर फेंक दी. पूजा ने उसे घास पर गिरते हुए देखा. परवीन ने पूजा की कमीज़ को पकड़ा और बोला, “चल हाथ उपर कर.”


पूजा ने चौहान की तरफ देखा. वो पागलो की तरह हँसे जा रहा था.


पूजा की कमीज़ भी परवीन ने दूर उछाल दी. वो भी एक तरफ घास पर जा कर गिरी. परवीन ने पूजा की ब्रा पर गीदड़ की तरह झप्पता मारा और उसके बूब्स को खुले आसमान के नीचे नंगा कर दिया.


“वाउ क्या बूब्स हैं…देख यार दूध से भी सफेद हैं” परवीन ने कहा.


“ये तो पूरी की पूरी मस्त है.” चौहान ने कहा.


“अब इसकी चूत देखी जाए.” परवीन ने कहा.


“जल्दी खोल नाडा यार सबर नही होता…तूने थोड़ी भी देर की तो तेरा गिफ्ट मैं खोल दूँगा.”


“धीरज रख यार…मज़ा तो लेने दे.” परवीन ने कहा और पूजा के बाए बूब को मूह में ले कर सक करने लगा. उसके दाँत पूजा को चुभे तो वो कराह उठी, “आअहह”


“क्या हुआ मेरी जान…मज़ा आया ना” परवीन ने पूछा.


“दाँत लग रहे थे आपके.”


“अब मूह में दाँत हैं तो लगेंगे भी…बुड्ढ़ा तो मैं हूँ नही क्यों भाई रंजीत.”


“सही कहा…थोड़ा दर्द तो प्यार में होता ही है.”


पूजा कुछ नही बोली.


परवीन ने पूजा का नाडा खोलना शुरू किया. पूजा ने आँखे बंद कर ली. पहली बार वो 2 आदमियों के आगे नंगी होने जा रही थी.


कुछ ही देर में पूजा हरी-हरी घास में खिलखिलाती धूप में नंगी खड़ी थी.


“इसे कहते हैं चूत…एक भी बॉल नही है.” परवीन ने कहा.


“आ जाउ नज़दीक अब मैं. अब तो तुमने अपना गिफ्ट खोल लिया है.” चौहान ने कहा.


“हां-हां आओ यार देख क्या रहे हो देखो तो इसकी कितनी चिकनी चूत है, लंड रखते ही फिसल जाएगा” परवीन ने कहा.


“लगता है आज-कल में बाल सॉफ किए हैं…हैं ना?” चौहान ने पूजा की तरफ देख कर कहा.


पूजा ने हां में सर हिलाया.


“पहले मैं मारूँगा” परवीन ने कहा.


“तेरा बर्तडे है इसलिए मान लेता हूँ तेरी बात वरना पहले मैं ही मारता”


“थन्क यू यार.” परवीन ने कहा और फटा-फॅट कपड़े उतारने लगा.


जब परवीन सिर्फ़ अंडरवेर में रह गया तो पूजा की निगाह परवीन के अंडरवेर में उभरे भारी-भरकम तनाव पर पड़ी. वो समझ गयी कि अंडरवेर के पीछे भारी-भरकम हथियार है.


“देख कैसे देख रही है. रुक मेरी जान अभी मारता हूँ तेरी गान्ड मैं” परवीन ने कहा और अपना कच्छा नीचे सरका दिया और टाँग से निकाल कर दूर फेंक दिया.


पूजा ने अपनी नज़रे झुका ली. लेकिन अगले ही पल क्यूरीयासिटी के कारण उसने आँखे उठा कर परवीन के लंड को देखा.


“ओह माइ गॉड?” पूजा के मूह से निकला.


“देख रंजीत डर गयी बेचारी मेरा लंड देख के.” परवीन बोला


“कौन सी लड़की नही डरी हमारे लंड देख के.” चौहान ने कहा और दोनो हस्ने लगे.


“मुझसे नही रुका जा रहा मैं तो सीधे चूत मारूँगा…फॉरपले को मारो गोली.” परवीन ने कहा.


“जैसी तेरी मर्ज़ी… पर थूक लगा लेना लंड पे…इसे भारी पड़ेगा ये…देखा नही कैसे आँखे फाड़ कर देख रही है…शायद इतना बड़ा नही लिया इसने अंदर.”


“तो अब घुस्सा देते हैं…क्यों पूजा…चलो बिस्तर का सहारा ले कर झुक जाओ पीछे से डालूँगा तुम्हारी चूत में.”


पूजा झीजकते हुए घूम कर झुक गयी.


वो अभी झुकी ही थी कि परवीन ने लंड को चूत पे रख कर ज़ोर का धक्का मारा.


“ऊऊऊययययययीीईईईईई माआआआआ मर गयी”


परवीन का आधा लंड पूजा की चूत में घुस्स गया था.
परवीन ने एक जोरदार धक्का और मारा और उसका पूरा लंड पूजा की चूत में उतर गया. इस बार पूजा और ज़ोर से चिल्लाई.


पूजा साँस भी नही लेने पाई थी कि उसकी चूत में परवीन ने धक्का पेल शुरू कर दी. अपने बॉय फ्रेंड से कयि बार किया था पूजा ने पर ऐसी चुदाई पहली बार हो रही थी.


10 मिनट तक परवीन पूजा को उसी पोज़िशन में ठोकता रहा. चौहान परवीन के पास आया और बोला. इसे अपने उपर ले आओ और नीचे से मारो.”


“ठीक है” परवीन ने कहा.


पूजा ने भी ये सुन लिया पर उसे समझ नही आया कि इस से क्या फरक पड़ेगा.


परवीन बिस्तर पर लेट गया और पूजा को अपने उपर लिटा कर उसकी चूत में लंड पेलने लगा. अगले ही पल पूजा की नज़र चौहान पर पड़ी. वो भी अपने कपड़े उतार रहा था.
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 12


जब चौहान पूरा नंगा हो गया तो पूजा ने सरसरी नज़र से चौहान के लंड को देखा. वो भी भीमकाय था.


पूजा ने अपनी आँखे बंद कर ली. परवीन लगातार उसकी चूत में लंड रगडे जा रहा था. पूजा को भी मज़ा आ रहा था अब, जिसे वो झुटला नही सकती थी…इसीलिए उन पॅलो में खोने के लिए उसने अपनी आँखे बंद कर ली थी.


कुछ देर बाद पूजा को अपनी गान्ड पर 2 हाथ महसूस हुए. उसने मूड कर देखा तो पाया कि चौहान उसकी गान्ड पर लंड ताने खड़ा है. लेकिन वो परवीन के धक्को के कारण इतनी मदहोश अवस्था में थी कि कुछ नही बोल पाई.


चौहान ने अपने लंड को चिकना करके पूजा की गान्ड पर रख दिया और परवीन से बोला, “थोड़ी देर रुक यार मुझे गान्ड में डालने दे.”


“ठीक है” परवीन ने कहा और रुक गया.’


जैसे ही परवीन के धक्के रुके पूजा को होश आया. पर अब कुछ नही हो सकता था लंड ने उसके होल पर पोज़िशन ले ली थी. लेकिन वो फिर फाइ चिल्लाई, “नही वाहा नही जाएगा ये.”


“जाएगा क्यों नही पूजा जी…बिल्कुल जाएगा आप धीरज रखें.” चौहान ने कहा.


पूजा ने अपनी साँसे रोक ली. चौहान ने ज़ोर का धक्का मारा और लंड का मूह पूजा की गान्ड में उतार गया.


“ऊऊओह…….म्म्म्ममम….नूऊओ” पूजा कराह उठी.


“थोड़ी देर की बात है पूजा…सब ठीक हो जाएगा.” चौहान ने हंसते हुए कहा.


चौहान ने पूजा की गान्ड के पुतो को पकड़ कर फैलाया और लंड को और अंदर धकेलने लगा. लंड का कुछ और हिस्सा गान्ड में उतर गया.


“म्म्म्ममम….नूऊ….नही जाएगा ये…मेरे बॉय फ्रेंड का नही गया तो ये कैसे जाएगा.” पूजा ज़ोर से बोली.


“तेरे बॉय फ्रेंड को गान्ड मारनी नही आती होगी…मुझे आती है…देख अभी कैसे जाता है ये.” चौहान ने कहा और पूरा ज़ोर लगा कर एक और धक्का मारा.


“उउऊयईी मर गयी…..” पूजा फिर से चिल्लाई.


“ले देख अपना हाथ लगा कर…पूरा उतर चुका है मेरा तेरी गान्ड में.” चौहान ने कहा


पूजा ने हैरत में हाथ लगा कर देखा. उसके होल के उपर चौहान के आँड थे और उसका पूरा लंड उसकी गान्ड में उतरा हुआ था. “हे राम” पूजा बड़बड़ाई.


“देखा है ना तेरा बॉय फ्रेंड चूतिया.”


“वो कुत्ता भी है आप तो जानते ही हैं.” पूजा ने कहा.


“अरे यार शुरू करें अब अगर तुम लोगो की बात-चीत ख़तम हो गयी हो तो.” पूजा के नीचे पड़ा परवीन बोला.


“हां यार चल एक साथ रिदम से मारते
हैं…एक…दो…तीन….चल शुरू हो जा.”


फिर पूजा की चूत और गान्ड में एक साथ धक्का पेल शुरू हो गयी और पूजा सातवे आसमान पे पहुँच गयी. उसकी दर्द भरी चीन्खो की जगह अब लस्टफुल आहें थी.
“आअहह…..नो…..आअहह …म्म्म्मम”


"क्या हुआ पूजा जी…दीखा दी ना जन्नत आपको मैने" चौहान ने कहा


“ऐसी जन्नत तो ये रंडी रोज देखेगी अब” परवीन ने कहा.


पूजा को ये बात बिल्कुल अछी नही लगी और उसने परवीन को घूर कर देखा. एक अजीब सी हँसी परवीन के चेहरे पर उभर आई. पहली बार पूजा ने परवीन के चेहरे को गौर से देखा.


तभी अचानक पूजा को एक ख्याल आया.


“मैने देखा है इस परवीन को पर कहाँ याद नही आ रहा.” पूजा ने मन ही मन कहा. वो गहरी सोच में डूब गयी.
चौहान और परवीन अभी भी लगातार उसकी मारे जा रहे थे.


“अरे हां याद आया…यही तो है वो जो उस दिन मेरा और रागिनी का पीछा कर रहा था.” पूजा ये बात फ़ौरन चौहान को बताना चाहती थी पर वो तो उसके उपर था.


“ सर आप क्या मेरे आगे से नही डालेंगे” पूजा ने चौहान से कहा.


“हां यार मेरा मन इसकी मुलायम गान्ड मारने का कर रहा है…चल तू नीचे आजा मैं इसके उपर आता हूँ.” परवीन ने कहा


जब उन्होने पोज़िशन चेंज कर ली तो पूजा ने धीरे से चौहान के कान में कहा, “यही है वो आदमी जो उस दिन मेरा और रागिनी का पीछा कर रहा था.”


“क्या मतलब” चौहान हैरानी में बोला.


“मतलब कि परवीन ही वो आदमी है.”


“क्या बकवास कर रही है…तुझे कुछ भूल हुई है.”


“मुझे भूल नही हुई है…वो आदमी परवीन ही था” पूजा ये शब्द ज़ोर से बोल गयी. फिर उसे अफ़सोस हुआ.


परवीन जैसे सब कुछ समझ गया.


वो पूजा की गान्ड में बहुत ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा.


“ऊहह नो…प्लीज़ सर रोको इसे मैं मर जाउन्गि.” पूजा गिड़गिडाई.


“साली मुझ पर इल्ज़ाम लगाती है हा तेरी गान्ड ना फाड़ दी तो मेरा नाम परवीन नही.” परवीन ने कहा.


“परवीन कोई बात नही... इसे कोई ग़लत फ़हमी हुई है तू आराम से कर.” चौहान ने कहा.


“पर इल्ज़ाम तो लगा दिया ना साली ने मैं इसकी गान्ड लाल कर दूँगा” परवीन ने कहा.


उसने उसके बाल पकड़े और पूरे ज़ोर लगा कर अपने लंड को पूजा की गान्ड में अंदर बाहर करने लगा.


पूजा ने अपनी आँखे बंद कर ली. जो भी हो उसे मज़े का अहसास तो हो ही रहा था. पूजा को शांत देख कर चौहान ने भी नीचे से पूजा की चूत में रगडे लगाने शुरू कर दिए. कुछ ही पॅलो में पूजा सब कुछ भूल कर आनंद के सागर में गोते लगा रही थी.


जब दोनो ने अपना अपना पानी उसके अंदर छ्चोड़ा और वो रुके तो उसे होश आया.


“कातिल मेरे उपर है और पोलीस वाला नीचे…वाह री किस्मत.” पूजा ने कहा


"ओह गॉड...मज़ा आ गया...क्यों परवीन कैसी रही ?" चौहान ने कहा.


परवीन किन्ही ख़यालो में खोया था. उसने कोई जवाब नही दिया. परवीन का लंड अभी भी पूजा की गान्ड में फँसा था. चौहान का लंड आधा पूजा की चूत से बाहर था और आधा अंदर.


"कहा खोए हो जनाब...कहीं तुम सच में वो आदमी तो नही....हे..हे" चौहान ने हंसते हुए कहा.


"मज़ाक मत कर यार मैं अभी मदहोश हूँ...क्या गान्ड है साली की"


गाली पूजा के दिल पर फिर से चोट कर गयी और वो बोली, "सर मैं अब जाउ?"


"तू कही नही जाएगी अभी मुझे और मारनी है तेरी" परवीन ने कहा.


"सर प्लीज़...मैं थक गयी हूँ...मुझे जाने दीजिए अब."


"भाई तेरे जाने का फ़ैसला तो बर्तडे बॉय ही करेगा...मैं इस में कुछ नही कर सकता...और सच कहूँ तो मेरा मन भी है तुझे फिर से चोद्ने का." चौहान ने कहा और पूजा के होन्ट चूम लिए.


"बाहर तो निकाल लीजिए मैं सच में थक गयी हूँ."


"चल परवीन इसे थोड़ा आराम देते हैं. जब तक ये अपनी थकान उतारती है, हम दारू का मज़ा लेते हैं."


"ह्म ठीक है" परवीन ने कहा.


परवीन ने पूजा की गान्ड की गहराई से अपने लंड को ज़ोर से खींचा.


"आहह" पूजा कराह उठी.


"इसे कहते हैं गान्ड...लंड बाहर निकालने पर भी आवाज़ करती है ये...जबरदस्त गान्ड है" परवीन ने कहा.


जब दौनो ने अपने लंड बाहर निकाल लिए तो पूजा बोली, "वॉशरूम कहा है."


"रामू!" परवीन ने आवाज़ लगाई.


"जी मालिक."


"इसे वॉश रूम का रास्ता बता दे." परवीन ने कहा.


रामू ने पूजा को उपर से नीचे तक देखा और घिनोनी हँसी के साथ बोला, "मेरे पीछे-पीछे आ जाओ"


पूजा ने उसकी हँसी देख कर अपनी नज़रे झुका ली और मन ही मन कहा, "किस्मत मेहरबान तो गधा पहलवान"


पूजा रामू के साथ चल दी


"कितने में बिकी तुम?" रामू ने कहा.


"हे ज़ुबान संभाल कर बात करो ऐसा कुछ नही है जो तुम समझ रहे हो." पूजा गुर्राई.


"तो क्या फ्री में कर रही हो ये तमासा?"


"तुम्हे इस से क्या लेना देना अपना काम करो."


"लो आ गया टाय्लेट...वो सामने है."


"ठीक है...तुम जाओ यहा से"


रामू ने पूजा की गान्ड पर हाथ रखा और बोला, "अगर फ्री में कर रही हो तो मुझे भी कुछ...."




रामू अपने शब्द पूरे नही कर पाया क्योंकि अगले ही पल पूजा की पाँचो उंगलिया उसके चेहरे पर पड़ चुकी थी.
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 13


थप्पड़ लगते ही रामू पागल हो गया और जाने कहा से उसने एक बड़ा सा चाकू उठाया और बोला, "साली तुझे पता नही मैं कौन हूँ...काट डालूँगा तुझे"


पूजा भाग कर टाय्लेट में घुस गयी और फ़ौरन चटकनी चढ़ा ली. उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी.


"बाहर तो आएगी ना?"


"मैं तुम्हारे मालिक को सब कुछ बता दूँगी...तुम्हारी खाल उधेड़ देंगे वो" पूजा अंदर से बोली.


"तू जानती ही कितना है मालिक को हहे..हो..हो" रामू हँसने लगा.


"मैं अच्छे से जानती हूँ कि वही खूनी है और हो ना हो ये नौकर भी उसके साथ सामिल है...कैसे चाकू दीखा रहा था...हे भगवान मेरा ये दिन कब बीतेगा." पूजा ने मन ही मन कहा.


जब पूजा को यकीन हो गया कि वो रामू उसके टाय्लेट के बाहर नही है तो वो फ़ौरन दरवाजा खोल कर भागी.


"अरे क्या हुआ इसे...क्या चमगादड़ ने काट लिया जो की ऐसे भागी आ रही है." चौहान ने कहा.


परवीन ने रामू की तरफ देखा. रामू के चेहरे पर एक अजीब सी हँसी उभर आई, "मालिक डर गयी होगी अकेली...मैने कुछ नही किया."


"ठीक है-ठीक है तू जा यहा से" चौहान ने कहा.


पूजा भाग कर चौहान के पास आई और बोली, "इसने मुझे चाकू दीखा कर डराया."


"लगता है हर किसी पर सीरियल किल्लर का भूत सवार है" चौहान ने कहा.


"ह्म छोड़ ये सब...मज़ाक किया होगा उसने ये यू ही बात का बतंगड़ बना रही है."


,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


"तूने तो बेज़्जती करा दी मेरी राज ये सब क्या है, पूरा फर्श गीला कर दिया" मोहित ने कहा.


"गुरु य.य..ये यहा कैसे."


"मैं बताती हूँ...तेरा खून करने आई हूँ मैं यहा." पद्मिनी ने कहा.


"गुरु ये सब क्या है?"


"समझाया था ना मैने कि दीवारो के भी कान होते हैं...भुगत अब"


"नही गुरु ऐसा मत कहो."


"क्यों कर रहे थे इतनी बकवास तुम?" पद्मिनी ने कहा


"मुझे क्या पता था कि आप यहा हो."


"तो क्या पीठ पीछे किसी लड़की के बारे में कुछ भी बोलॉगे."


"ग़लती हो गयी...माफ़ कर दो मुझे" राज गिड़गिदाया


"बस बहुत हो गया...छोड़ो मेरे दोस्त को" मोहित ने कहा.


"तुम्हारे दोस्त से कहो ज़ुबान पर लगाम रखा करे वरना किसी दिन भारी पड़ेगा इसे"


राज चुपचाप खड़ा सुन रहा था. उसकी समझ में कुछ नही आ रहा था.


मोहित राज को सारी बात बताता है और बोलता है, "ये कहानी है सारी...पद्मिनी को फँसाने की चाल है ये उस कातिल की, वो बौखलाया हुआ है कि हम उसके हाथ से बच गये."


"ह्म...मुझे तो पहले से ही यकीन था कि इतनी हस....."


"खबरदार जो आगे बोले तो." पद्मिनी बोली.


"म..मेरा मतलब आप कैसे खून कर सकते हो...आप को तो चाकू चलाना भी नही आएगा" राज बोला.


राज जाओ और बाहर ध्यान से देख कर आओ कि कही पोलीस तो नही है. और हां पोछा उठा कर पहले ये फर्श सॉफ कर्दे बदबू हो जाएगी वरना.


राज ने पहली बार फ़राश पर देखा. "सॉरी गुरु पता नही कैसे हो गया."


"मैं समझ सकता हूँ." मोहित ने कहा.


राज ने कमरे को सॉफ किया और बाहर चला गया. 15 मिनट बाद वो नये कपड़े पहन कर आया. पद्मिनी उसे नये कपड़ो में देख कर हँसे बिना ना रह सकी.


"पहले तो डराती हो फिर हँसती हो...अच्छा नही किया आपने मेरे साथ."


"तुमने बड़ा अच्छा किया था मेरे साथ...क्या-क्या बक रहे थे." पद्मिनी ने कहा.


"छोड़ो ये सब...राज कैसा माहॉल है बाहर" मोहित ने कहा


"गुरु नुक्कड़ पर पोलीस की जिप्सी खड़ी है"


"पर मुझे हर हाल में अपने घर वालो से बात करनी है."


"ऐसी बेवकूफी मत करना...पोलीस फ़ौरन तुम्हारी लोकेशन ढूँढ कर तुम्हे पकड़ लेगी."


"पर मैने किसी का खून नही किया मैं क्यों डर के बैठी रहू यहा."


"देखो पोलीस को इस बात से कोई मतलब नही होगा कि तुम वाकाई में कातिल हो की नही...उनका केस सॉल्व हो गया बस...ऐसे ही काम करती है पोलीस"


"हां पद्मिनी जी गुरु ठीक कह रहा है...पहले हमे ये पता लगाना होगा कि वो विटनेस कौन है"


"ठीक कहा राज...उसका पता लगाना बहुत ज़रूरी है. इसके साथ-साथ ये भी पता करना होगा कि इसके पीछे उसका प्लान क्या है."


"सीधी से बात है पद्मिनी जी ने उसे देखा है...और वो उसके चंगुल से बच गयी है...अब वो एक तीर से 2 निसाने कर रहा है. तुम लोगो को समझ नही आता क्या ये सब करके वो सॉफ बच जाएगा."


"मुझे लगा था कि तुम सिर्फ़ बेहूदा बाते ही कर सकते हो." पद्मिनी.


"पद्मिनी जी वो तो मैं गुरु के साथ रह कर बिगड़ गया वरना मैं अच्छा लड़का हूँ."


"क्या बोला साले...मैने बिगाड़ा है तुझे...एक दूँगा कान के नीचे."


"सॉरी गुरु ज़ुबान फिसल गयी...माफ़ करदो...पर मेरे पास एक धांसु आइडिया है सुनो."


"जल्दी बोलो" पद्मिनी ने उत्सुकता से कहा.


"हमे इस विटनेस के खिलाफ सबूत सबूत इकट्ठे करने होंगे."


"इतना आसान नही है ये" मोहित ने कहा.


"हां ठीक कहा." पद्मिनी ने हामी भरी.


"सुनो तो...विटनेस के घर में कुछ ना कुछ तो मिल ही जाएगा जिससे कि हम साबित कर पायें कि वही कातिल है...जैसे कि चाकू. न्यूज़ के मुताबिक, हर कतल में एक जैसे चाकू का इस्तेमाल हुआ है. मुझे यकीन है कि कहीं तो रखता होगा वो चाकू."


"मुझे ये आइडिया बिल्कुल पसंद नही आया." मोहित ने कहा.


"लेकिन हमे कुछ तो करना होगा...यू हाथ पर हाथ रख कर बैठने से कुछ हाँसिल नही होगा." पद्मिनी ने कहा.


"पर ये विटनेस मतलब कि कातिल कहाँ रहता है...हमे कुछ नही पता."


"भोलू हवलदार कब काम आएगा गुरु." राज ने कहा.


"वो निकम्मा किसी काम का नही."


"एक बार ट्राइ करने में क्या हर्ज है." राज ने कहा.


"हां बिल्कुल कोई ना कोई रास्ता निकल ही जाएगा...वैसे भी इस कातिल को सज़ा दिलवाना हमारा फर्ज़ बनता है. जो होगा देखा जाएगा." पद्मिनी ने कहा.


"ह्म...तुम दौनो का जोश देख कर मुझे भी जोश आ रहा है. ठीक है इस कातिल को उसके अंजाम तक हम ले जाएँगे."


"गुरु ने कह दिया तो समझो काम हो गया...पद्मिनी जी आप अब बिल्कुल चिंता मत करो...वो नही बच्चेगा अब." राज ने कहा.


"कितनी देर हो गई राज को गये हुए, पता नही कहा रह गया" मोहित ने कहा.


"तुम्हे क्या लगता है उसे पता होगा इस विटनेस के बारे में"


"उसे पता तो होना चाहिए, वैसे वो बहुत निकम्मा है, अगर उसे ना भी पता हो तो मुझे हैरानी नही होगी"


"फिर कैसे पता चलेगा उसके बारे में"


"पहले राज को आ जाने दो, फिर देखते हैं कि आगे क्या करना है"


"पर वो राज को क्यों बताएगा" पद्मिनी ने पूछा.


"वो सब राज संभाल लेगा" मोहित ने जवाब दिया.


तभी कमरे का दरवाजा खड़का. जैसे ही मोहित ने दरवाजा खोला राज सरपट अंदर आ गया.


"गुरु पता चल गया उस विटनेस का मतलब कि कातिल का" राज ने कहा.


पद्मिनी चुपचाप खड़ी सब सुन रही थी


"कौन है कहाँ रहता है जल्दी बता" मोहित ने कहा.


"सुरिंदर नाम है उसका और बस स्टॅंड के पीछे जो कॉलोनी है वाहा रहता है. पूरा अड्रेस लिख के लाया हूँ मैं" राज ने कहा


" इतना कुछ कैसे बता दिया उसने" मोहित ने पूछा.


राज ने पद्मिनी की तरफ देखा और बोला, "छ्चोड़ो ना गुरु पता तो चल गया. मैने उसे कहा था कि मेरे एक रिपोर्टर फ़्रेंड को इंटरव्यू लेना है उसका"


"फिर भी वो इतनी जल्दी बताने वाला नही था" मोहित ने कहा.


"नगमा की गान्ड चाहिए उसे, पद्मिनी जी के सामने कैसे बोलू" राज ने मोहित के कान में कहा.


"क्या बात है कुछ प्राब्लम है क्या" पद्मिनी ने पूछा.


"कुछ नही यू ही" मोहित ने कहा.


"नही कुछ तो बात ज़रूर है, राज तुम बताओ क्या प्राब्लम है" पद्मिनी ने कहा.


"वो भोलू हवलदार को नगमा....." राज ने कहा पर पद्मिनी ने उसकी बात बीच में ही काट दी. "ठीक है-ठीक है जाने दो"


"चल गुरु चलते हैं और असली कातिल का परदा-फास करते हैं"


"क्या मतलब... क्या मैं तुम दौनो के साथ नही चलूंगी"


"तुम क्या करोगी...पोलीस ढूँढ रही है तुम्हे...और वाहा ख़तरा भी हो सकता है" मोहित ने कहा.


"नही मुझे जाना ही होगा...तुम कैसे पहचानोगे कातिल को...उसे मैने बहुत नज़दीक से देखा है"


"हां गुरु बात तो ठीक है, पद्मिनी जी का साथ होना ज़रूरी है"


"पर ये बाहर निकली तो पोलीस का ख़तरा है" मोहित ने कहा.


"अगर पद्मिनी जी हुलिया बदल के जाए तो"


"वो कैसे होगा" पद्मिनी ने पूछा.
 

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 14

"नगमा ये काम अच्छे से कर सकती है, ब्यूटी पार्लर में काम करती है वो. वो पूरा लुक चेंज कर देगी आपका" राज ने कहा.


"ये ठीक रहेगा" मोहित ने कहा


"ठीक है...लेकिन उसके लिए भी तो बाहर तो जाना ही पड़ेगा" पद्मिनी ने कहा.


"मैं उसे यही बुला लाउन्गा...उसका बापू यहा नही है...उसे आने में कोई दिक्कत नही होगी"


"ह्म.....जल्दी करो फिर" पद्मिनी ने कहा.


राज ने नगमा को पूरी कहानी बताई और उसे उनकी मदद करने के लिए मना लिया.


"तू ये सब क्यों कर रहा है, तेरा दिल तो नही आ गया उस लड़की पर"


"ऐसा कुछ नही है...मुसीबत में फँसी लड़की की कौन मदद नही करेगा" राज ने कहा.


"तेरे जैसा दिल फेंक ऐसी बाते करता है हा" नगमा ने कहा.


"जब से तुझ से काँटा भिड़ा है कसम से कहीं और नही घुसाया मैने अपना लंड" राज ने कहा.


"तो फिर कहा घुसाया है" नगमा ने पूछा.


"अभी कल रात ही तो तेरी गान्ड मारी थी, दुबारा घुस्सा के दिखाउ क्या" राज ने नगमा के बूब्स को मसल्ते हुए कहा.


"चल छ्चोड़ हर वक्त तुझे यही सूझता है"


"अरे हां नगमा एक बात और कहनी थी" राज ने कहा.


"अब क्या है?"


"एक और मदद करनी होगी तुझे मेरी"


"बताओ और क्या करूँ अपने राज के लिए मैं."


"तुझे एक रात के लिए भोलू हवलदार के पास रुकना होगा"


"अपने गुरु के आगे तो पारोष चुके हो मुझे, शरम नही आती तुम्हे मैं क्या कोई रंडी हूँ"


"पागल हो क्या बस एक बार की बात है, तुझे ये काम करना ही होगा"


"मैं ऐसा कुछ नही करूँगी"


"गुरु को भी तो दी थी तूने, और एक बार की ही तो बात है"


"शकल देखी है तूने उसकी उसके साथ तो कोई कुतिया भी ना करे, मेरी तो बात ही दूर है"


"अब उस से कुछ काम निकलवाया है तो कीमत तो उसे चुकानी ही पड़ेगी"


"मैं सोच कर बताउन्गि, पहले तू मुझे तेरा पहला काम करने दे"


"ठीक है सोच लो...करना तो तुझे पड़ेगा ही...तू मज़े करना...उसकी शकल देखना ही मत आँखे बंद रखना"


"ह्म्म तू बहुत कमीना है"


"क्यों गुरु जे जब तेरी मारी थी मज़ा नही आया था क्या तुझे"


"हां तो मज़े के लिए किसी के भी आगे झुक जाउ मैं...मेरा भी स्टॅंडर्ड है"


"क्या बात है, वो तो है...बस एक बार मेरी बात मान ले फिर कभी ऐसा करने को नही
कहूँगा"


"ठीक है, कब करना होगा मुझे काम ये. सिर्फ़ आज का दिन और रात है मेरे पास, कल बापू आ जाएगा"


"भोलू भी आज के लिए ही बोल रहा था, तू रात 9 बजे पहुँच जाना उसके पास"


"चल ठीक है, तेरे लिए एक बार और सही"


"वाह-वाह जैसे तुझे तो मज़ा लेना ही नही"


"भोलू से मज़ा लेने का मैं सोच भी नही सकती ओके...ये काम मैं बस तुम्हारे लिए करूँगी"


"चल ठीक है अब सारा समान उठा ले और जल्दी चल मेरे साथ."


"ठीक है...बस 10 मिनट में चलते हैं."


"तेरी सेक्सी बहन कहा है आज"


"कॉलेज गयी है वो"


"बड़ी जल्दी चली गयी आज"


"तुम्हे क्या करना उसका"


"जवानी फूट रही है उसकी, इस से पहले कि कोई और हाथ मार जाए मुझे कुछ करना होगा"


"चुप कर और चल अब"


"तुम दौनो बहनो की एक साथ लूँगा कभी"


"ज़्यादा सपने मत देख और चल अब, मैं तैयार हूँ."


नगमा अपना सारा समान ले कर राज के साथ मोहित के कमरे पर आ जाती है. मोहित और राज नगमा को पद्मिनी के पास छोड़ कर बाहर आ जाते हैं.


"ह्म्म तो आप हो पद्मिनी, बहुत सुंदर हो" नगमा ने पद्मिनी को देख कर कहा.


"तुम भी कम नही हो तभी तो......" पद्मिनी ने हंस कर कहा.


"तभी तो मतलब!"


"कुछ नही तुम अपना काम सुरू करो" पद्मिनी ने कहा


"ये सब मैं राज के लिए कर रही हूँ वरना यहा कभी नही आती मैं"




"राज के लिए तुम कुछ भी कर लेती हो" पद्मिनी ने पूछा.


"हां तो मेरा बहुत अच्छा दोस्त है वो"


"मैं अच्छे से जानती हूँ की कितना अच्छा दोस्त है वो तुम्हारा, शोषण कर रहा है वो तुम्हारा"


"हा...हा...हे..हे मेरा सोसन और राज...हो ही नही सकता"


"उसने तुम्हे अपने गुरु मतलब मोहित के साथ.....तुम जानती हो मैं क्या कह रही हूँ"


"राज की बात बताउ"


"हां बोलो" पद्मिनी ने कहा


"बहुत मज़े किए थे मैने मोहित के साथ. राज की तरह उसका भी मोटा तगड़ा लंड है...बहुत अच्छे से मारी थी उसने मेरी गान्ड, हां बस थोड़ी देर बहुत दर्द हुआ था पर बाद में तो मज़ा ही मज़ा था"


"छी... तुम्हे शरम नही आती ऐसी बाते करते हुए" पद्मिनी ने कहा.


"शरम तो लड़को से की जाती है तुझ से क्या शरम क्या तुम मज़ा नही लेती लंड का"


"मैं शादी शुदा हूँ, मुझे तेरे जैसी लत नही है"


"ह्म्म तो क्या हुआ तेरा मर्द तो अच्छे से मारता होगा ना तेरी"


"मैं अपने पति को छोड़ चुकी हूँ, अपने मायके में हूँ" पद्मिनी ने कहा.


"फिर कैसे काम चलता है तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड तो होगा ही"


"नही कोई नही है, तुम अपना काम करो अब"


"काम भी हो जाएगा, अच्छा ये तो बता कि कितना बड़ा था तेरे मर्द का"


"तुझे उस से क्या मतलब? तू जल्दी काम शुरू कर हमे देर हो रही है"


"मुझे आदमियों के लंड के बारे में सुन-ना अच्छा लगता है"


"तो मैं क्या करूँ?"


"आप तो नाराज़ हो गयी...मैं तो बस यू ही मज़ाक कर रही हूँ"


"सादे पाँच इंच था उनका...अब काम शुरू करें"


"बस सादे पाँच इंच, उतने से तेरा क्या होता होगा" नगमा ने हंस कर कहा.


"मेरे लिए बहुत था वो....हँसो मत"


"हां पर सादे पाँच इंच गहराई तक नही पहुँच पाएगा" नगमा ने चुटकी ली.


"साइज़ डज़ नोट मॅटर ओके"


"अँग्रेज़ी मुझे नही आती सिर्फ़ सातवी तक पढ़ी हूँ, हां मेरी छोटी बहन कॉलेज में है वो खूब सीख गयी है अँग्रेज़ी" नगमा ने कहा.


मैने कहा छोटे बड़े से कुछ फरक नही पड़ता"


"तुम्हे कैसे पता तुमने क्या दौनो तरह के लिए है चूत में"


"हे भगवान तू लड़की है विस्वास नही होता"


"बता तो क्या तूने दोनो लिए है अंदर"


"नही मैने बस अपने पति से किया है मैं तुम्हारे जैसी नही हूँ" पद्मिनी ने कहा.


"फिर तुम कैसे इतने विस्वास से कह सकती हो" नगमा ने कहा.


"मैं इस बारे में और बात नही करना चाहती" पद्मिनी ने कहा.


"एक बात तो सुन" नगमा ने हंसते हुए कहा.


"अब क्या है?"


"मैने दोनो ट्राइ किए है. राज से पहले मेरा टांका दिनेश से था. तेरे पति जितना ही था उसका. जब तक मैने राज का नही लिया तब तक मुझे भी नही पता था कि बड़े लंड का क्या मज़ा है."


"ये सब बकवास है...अब तुम काम शुरू करती हो या नही" पद्मिनी ने कहा.


"करती हूँ बाबा करती हूँ....."


नगमा आख़िर अपना काम शुरू कर देती है. पर बीच बीच में कुछ ना कुछ बोलती रहती है.


"देखो मैं तो अपना काम कर दूँगी, पर जो तुम्हे बहुत अच्छे से जानता है वो तुम्हे हर हाल में पहचान लेगा" नगमा ने कहा.


"पोलीस तो मुझे अच्छे से नही जानती...बस वो ना पहचान पाए"


"उनकी चिंता नही है, जिसने तुम्हे बहुत बार देखा हो वही तुम्हे पहचान पाएगा किसी और के बस की बात नही. वैसे भी पोलीस के पास तुम्हारी फोटो है जो कि टीवी पर दीखाई जा रही है. उस फोटो को देख कर कोई नही पहचान पाएगा तुम्हे"


"ह्म्म फिर ठीक है" पद्मिनी ने कहा


"अरे मुझे याद आया, मुझे भी एक पोलीस वाले के पास जाना है आज, काश मैं भी बच पाती"


"क्यों तुम्हे तो मज़ा लेने का शौक है, बचना क्यों चाहती हो" पद्मिनी ने कहा.


"तो क्या तुम्हे सब पता है कि मैं भोलू के पास जाउन्गि आज?" नगमा ने पूछा.


"हां" पद्मिनी ने जवाब दिया.
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 15


"बहुत खराब है ये राज मुझे बदनाम करने पे तुला है...वैसे तुम्हारे कारण करना होगा मुझे उसके साथ" नगमा ने कहा.


"तो क्या हुआ एक और साइज़ आजमा लेना, तेरा क्या बिगड़ेगा...तुझे तो लत है इस सब की""


"तुम अगर भोलू को देखोगी तो तुम्हे पता चलेगा कि इतना आसान नही है ये काम"


"तो रहने दे" पद्मिनी ने कहा


"मैं राज के लिए करूँगी"


"वाह-वाह ये खूब रही...यकीन नही होता"


"देखो बहुत भद्दा है वो भोलू, मेरा बिल्कुल मन नही है उसे देने का"


"ह्म्म फिर रहने दो ना."


"नही मुझे राज के लिए जाना होगा. और क्या पता उसका लंड भी तगड़ा हो. आँखे मीच कर कर लूँगी"


"आ गयी ना हक़ीकत ज़ुबान पे"


"देखो जब मुझे ये काम करना ही है तो थोड़ा अपने मज़े के बारे में तो सोचूँगी ही"


"अभी फिलहाल अपने यहा के काम पे ध्यान दे" पद्मिनी ने कहा.


"मेरा पूरा ध्यान है यहा, थोड़ा मूह उपर करो...वैसे एक बात है"


"अब क्या है?"


"तुम्हारी चुचियाँ मुझ से बड़ी हैं, आदमी तो मरते होंगे इन चुचियों पर"


"चुप कर" पद्मिनी ने गुस्से में कहा


"पर मैं सच कह रही हूँ, अगर मैं लड़का होती तो अभी इन्हे बाहर निकाल कर खूब चूस्ति"




"हे भगवान यू आर टू मच..." पद्मिनी ने कहा.


"क्या कहा आपने"


"कुछ नही यही की मुझे देर हो रही है"


"बस हो गया काम, 15 मिनट और लगेंगे इन बालो को ध्यान से करना होगा"




"ह्म्म जल्दी करो"


थोड़ी देर नगमा चुप रही फिर अचानक बोली, "राज बहुत अच्छे से चूस्ता है मेरे निपल"


"तो मैं क्या करूँ, मैं भी चुस्वा लूँ क्या जाकर उस से"


"नही-नही मैने ऐसा तो नही कहा...आप ऐसा सोचना भी मत राज सिर्फ़ मेरा है"


"अपने राज को अपने पास रख मुझे कोई शौक नही है"


"मोहित आपके लिए ठीक रहेगा बहुत मोटा लंड है उसका भी, बिल्कुल राज की तरह पर मुझे पता नही कि उसे चुचियाँ चूसनी आती है की नही, अभी तक एक बार ही मिली हूँ उस से. उसने बिना कुछ किए मेरी गान्ड में डाल दिया था. दुबारा कोई मोका नही मिला उस से मिलने का"


"तुम्हे कोई और बात भी सूझती है इन बातो के अलावा"


"मुझे बस अपने राज की चिंता है, उस से दूर रहना, बहुत सुंदर हो तुम कहीं मेरा राज बहक जाए."


"अरे मेरी मा मुझे तेरे राज से कुछ लेना देना नही है और ना ही मोहित से कुछ लेना देना है. मैं यहा मजबूरी में फँसी हूँ और तुम ऐसी बाते कर रही हो"


"फिर ठीक है"




उसके बाद नगमा ने कोई बात नही की और चुपचाप अपने काम में लगी रही. जब काम ख़तम हो गया तो वो बोली, " लो हो गया तुम्हारा हुलिया चेंज, कोई नही पहचान पाएगा तुम्हे अब"


पद्मिनी ने खुद को शीसे में देखा और बोली, "बहुत बढ़िया, मैं तो खुद को पहचान ही नही पा रही हूँ"


"सब मेरा कमाल है"


"थॅंक यू नगमा इस सबके लिए"


"कोई बात नही...मुझे माफ़ करना मैं बात बहुत करती हूँ"


"वो तो ठीक है पर तुम्हारी बाते बहुत गंदी थी...मुझे अच्छा नही लगा"


ये सुन कर नगमा का चेहरा उतर गया और बोली, "ठीक है मैं चलती हूँ. भगवान आपको जल्द से जल्द आपको इस मुसीबत से निकाले"


"थॅंक यू" पद्मिनी ने कहा


नगमा के जाने के बाद मोहित और राज कमरे में वापिस आ जाते हैं. मोहित पद्मिनी को देख कर कहता है, "बहुत खूब, तेरी नगमा ने तो सच में हुलिया चेंज कर दिया"


"मुझे यकीन था कि नगमा ये काम कर सकती है" राज ने कहा.


"चला जाए फिर अब"


"हां बिल्कुल, मैने कार अरेंज कर ली है" मोहित ने कहा.


कुछ देर बाद पद्मिनी, मोहित और राज कार में थे, मोहित ड्राइव कर रहा था, राज उसके बगल में बैठा था और पद्मिनी पिछली सीट पर बैठी थी. कार अपनी मंज़िल की ओर बढ़े जा रही थी.


"तुझे पता है ना रास्ता" मोहित ने राज से पूछा.


"हां गुरु अभी सीधा चलो आगे जो गली आएगी उसी में है उसका घर" राज ने कहा.


"ह्म्म कॅटा कहा है" मोहित ने पूछा.


"मेरे पास है, चिंता मत करो" राज ने कहा.


"ध्यान रखना कहीं चल जाए ये देसी बंदूक बहुत ख़तरनाक होती है" मोहित ने कहा.


"तुम लोग बंदूक साथ लाए हो!" पद्मिनी ने हैरानी मे पूछा.


"हां मेडम ख़तरनाक कातिल है वो, हमे भी तो कुछ रखना होगा, क्या पता ज़रूरत पड़ जाए"


"हां पद्मिनी जी गुरु ठीक कह रहा है, ये देसी कॅटा बहुत काम आएगा"


"ठीक है जैसा तुम ठीक समझो" पद्मिनी ने कहा.


"गुरु बस मोड़ लो इस गली में" राज ने कहा.


जैसे ही मोहित ने कार को गली में मोड़ा राज बोला, "वो रहा उसका घर जहा 2 आदमी खड़े हैं"


"ये दोनो पोलीस वाले लगते हैं मुझे"


"ठीक कहा गुरु ये पोलीस वाले ही हैं"


"अब हम क्या करेंगे" पद्मिनी ने कहा.


"मैं ये लेटर लाया हूँ, मैं कौरीएर वाला बन कर जाउन्गा और उसे बाहर बुलाउन्गा साइन के लिए आप पहचान-ने की कोशिस करना कि वो वही है की नही"


"ये विटनेस उस के अलावा और कौन हो सकता है ये बिल्कुल वही है" पद्मिनी ने कहा


"वो तो है फिर भी एक बार उसे देख तो ले" मोहित ने कहा.


"अगर वो बाहर नही आया तो" पद्मिनी ने कहा.


"अपना लेटर रिसेव करने तो वो आएगा ही, राज जैसे मैने समझाया है वैसे ही करना"


"ठीक है गुरु" राज ने कहा.


राज कार से उतर कर एक लेटर हाथ में लेकर उस घर की तरफ बढ़ता है.


"श्री सुरिंदर जी यही रहते हैं?" राज ने सिविल कपड़े पहने पोलीस वाले से पूछा.


"हां यही रहते हैं वो, क्या काम है?"


"उनका कौरीएर है बुला दीजिए उन्हे रिसेव करना होगा ये"


पोलीस वाले ने घर की बेल बजाई. थोड़ी देर बाद एक आदमी बाहर निकला.


"आप ही सुरिंदर हो?" राज ने पूछा.


"हां बोलो क्या बात है?"


"आपका करियर है यहा साइन कर दीजिए" राज ने एक कागज उसकी ओर बढ़ा कर कहा.


दूर से पद्मिनी ने उस आदमी को देखा और तुरंत बोली, "ये वो नही है"


"क्या! ऐसा कैसे हो सकता है ध्यान से देखो" मोहित ने कहा.


"कार थोड़ी आगे लो" पद्मिनी ने कहा.


"ठीक है मैं कार उसके घर के आगे से निकालता हूँ फिर देख कर बताना" मोहित ने कहा.


कार को अपनी और आते देख राज ने मन ही मन कहा, "ये गुरु कार आगे क्यों ला रहा है मरवाएगा क्या"


कार उस घर के आगे से निकल गयी. पद्मिनी ने बड़े गौर से उस आदमी को देखा.


"ये वो नही है, आइ आम 100 पर्सेंट शुवर" पद्मिनी ने कहा.


"फिर इसने क्यों झुटि गवाही दी" मोहित ने कहा.


"इसका जवाब तो यही दे सकता है." पद्मिनी ने कहा.


मोहित ने कार गली के बाहर निकाल कर रोक ली ताकि राज को पिक कर सके.


राज ने आते ही पूछा, "वही था ना वो"


"नही, ये वो नही है" पद्मिनी ने कहा.


"क्या!" राज भी हैरान रह गया.


"अब क्या करें" राज ने कहा.


"पहले घर वापिस चलते हैं, मुझे तो ये कोई बहुत बड़ी सोची समझी साजिस लगती है. घर पर बैठ कर आराम से सोचेंगे कि आगे क्या करें"
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 16

बॅक टू फार्म हाउस :-..........


मैं सच कह रही हूँ सर, इसने मुझे चाकू दीखया था" पूजा ने चौहान से कहा.


"रामू तू पागल है क्या, इतनी हसीन लड़की को लंड दीखाया जाता है ना कि चाकू" चौहान ने हंसते हुए कहा.


"बिल्कुल सही कहा यार, रामू तू जा अपना काम कर" परवीन ने कहा.


"क्या धूप खिली है तेरे बर्तडे पे यार, इस धूप में इसका बदन सोने जैसा चमक रहा है" चौहान ने कहा.


"हां यार आज दिन खिला-खिला है, चल काम शुरू करें"


"जैसे तेरी मर्ज़ी, मैं तो लंड चुस्वाउंगा पहले इस से बाद मारूँगा इसकी" चौहान ने कहा.


"ठीक है तू लंड चुस्वा मैं इसकी गान्ड मारूँगा" परवीन ने कहा.


"मुझे थोड़ा आराम तो दो, अभी दर्द है हर जगह" पूजा गिड़गिडाई.


"कहा दर्द है मेरी गुलबो सॉफ-सॉफ बता ना, मैं मालिस कर दूँगा" परवीन ने कहा.


"हां-हाँ बोलो मैं भी मालिस करने के लिए तैयार हूँ" चौहान ने भी चुस्की ली.


"आप दोनो को सब पता है, मज़ाक मत करो, सच में दर्द हो रहा है" पूजा ने कहा.


"हमे कुछ नही पता समझाओ तो कुछ" परवीन ने कहा.


"इतने बड़े-बड़े पूरे के पूरे डाल दिए मेरे अंदर, दर्द नही होगा क्या?" पूजा झल्ला कर बोली.


"यार चौहान लड़की ठीक कह रही है इसकी चूत और गान्ड फाड़ डाली हमने आज. इसकी चूत और गान्ड को मालिस की शख्त ज़रूरत है" परवीन ने कहा.


"चल फिर दोनो एक साथ मालिस करते हैं" चौहान घिनोनी हँसी के साथ बोला.


"मुझे कुछ समझ नही आ रहा, वाहा मालिस कैसे होगी" पूजा ने उत्सुकता में पूछा.


पूजा की बात सुनते ही दोनो हँसने लगे. चौहान ने अपने लंड को हाथ मे पकड़ा और उसे हिलाते हुए बोला, "पूजा जी बहुत भोली हो आप, ये देखिए ये लंड है ना मालिस के लिए, कब से तैयार खड़ा है आपके लिए. मेरा मन तो तुम्हारे मूह में देने का था, अब जब तुम्हारी गान्ड में दर्द हो रहा है तो चलो थोड़ी मालिस ही कर देता हूँ"


पूजा ने चौहान के हाथ में हिलते हुए लंड को देखा और अपनी नज़रे झुका ली. वो समझ गयी कि दौनो फिर से एक साथ घुस्साने वाले हैं उसके अंदर. "कमीना है ये इनस्पेक्टर, ऐसे पोलीस वाले होंगे तो देश का क्या होगा," पूजा ने मन ही मन कहा.


"तू गान्ड की मालिस करेगा?" परवीन ने कहा.


"अगर तुझे गान्ड चाहिए तो मैं चूत संभाल लूँगा, जैसी तेरी मर्ज़ी, आख़िर तू बर्तडे बॉय है"


"नही कोई बात नही, बाद में पोज़िशन चेंज कर लेंगे" परवीन ने कहा.


परवीन पूजा के पास आया और उसे बाहों में भर लिया. उसका तना हुआ लंड पूजा के पेट से टकरा रहा था. परवीन ने पूजा के होंटो को अपने होंटो में दबा लिया.


"उम्म्म"


"क्या हुआ मेरी गुलाबो अभी तो लंड तेरी चूत में घुसा ही नही पहले ही चिल्लाने लगी"


"दाँत लग गये आपके मेरे होन्ट पर"


"कोई बात नही गुलाबो, घर जाएगी तो तुझे याद आएगा कि किसी मर्द से पाला पड़ा था"


पूजा ने कुछ नही कहा


चल मेरी गोदी में आजा तुझे हवा में झोते दे दे कर चोदुन्गा" परवीन ने कहा और पूजा को उपर उठा कर उसकी चूत में लंड घुस्सा दिया.


"आअहह धीरे से" पूजा कराह उठी.


चौहान पूजा के पीछे आ गया और उसकी गान्ड पर अपना लंड टीका दिया.


"सर धीरे से डालना" पूजा ने चौहान से कहा.


"घबराओ मत पूजा जी, अब आपकी गान्ड खुल चुकी है, आराम से जाएगा ये लंड इस बार" चौहान ने कहा और एक झटके में पूरा का पूरा लंड पूजा की गान्ड में उतार दिया.


"उूउऊययययययीीईईई माआ" पूजा कराह उठी.


"अब 2 लंड तेरे अंदर हैं कैसा लग रहा है मेरी गुलाबो"


"पहली बार से दर्द कम है" पूजा ने कहा.


"देखा काम आ रही है ना मालिस, बेकार में डर रही थी" चौहान ने कहा.


पूजा के दोनो हाथ परवीन के गले पर लिपटे थे. परवीन उसे दौनो हाथो से हवा में उठाए था. चौहान पूजा की गान्ड में लंड फँसाए खड़ा था. बहुत ही अजीब सी पोज़िशन बन रही थी तीनो की.


परवीन ने पहला धक्का मारा पूजा के अंदर


"आआहह"


"क्या हुआ पूजा जी मज़ा आ रहा है क्या चूत में" चौहान ने कहा.


पूजा ने कोई जवाब नही दिया. लेकिन उसकी 'आअहह' सारी कहानी कह रही थी


चौहान ने अपना लंड पूजा की गान्ड की गहराई से बाहर की ओर खींचा और ज़ोर से वापिस अंदर धकेल दिया और बोला, "ले तेरी गान्ड में भी मज़ा ले"


"आआहह"


"चल अब एक साथ मारेंगे" परवीन ने कहा.


"ठीक है.... वन, टू, थ्री.... लेट्स फक दा बिच"


और पूजा के अंदर आगे पीछे दोनो तरफ से लंड के धक्को की बोचार शुरू हो गयी.


"आआअहह....ओह....नूऊओ....यस"


"पूजा जी.... व्हाट यस?" चौहान ने हंसते हुए पूछा.


"नतिंग.....आआअहह"


हर एक धक्का पूजा के अंदर तूफान मच्चा रहा था.


"नूऊऊओ......प्लीज़ स्टॉप......" पूजा का पानी छूट गया था.


"अभी तो शुरूवात है मेरी गुलाबो, बहुत बार पानी छोड़ॉगी तुम" परवीन ने कहा.


"नही प्लीज़.....आआआहह एक बार और हो गया रूको ना...."


"हा...हा...हे...हे" दाओनो खिलखिला कर हँसने लगे.


पूजा ने आँख खोली तो उसने देखा की दूर हरी झाड़ियों के पीछे रामू खड़ा था. "ये कमीना नौकर हमे देख रहा है" पूजा धीरे से बड़बड़ाई. वो ये बात बताना ही चाहती थी की.......


"आआअहह नही......" एक और ऑर्गॅज़म ने पूजा को कराहने पर मजबूर कर दिया.


पूजा जब होश में आई तो उसने दुबारा रामू की और देखा. रामू अपनी पंत की ज़िप खोल रहा था.


"बस्टर्ड......" पूजा के मूह से निकल गया.


परवीन और चौहान पूजा की छूट और गान्ड मारने में इतने व्यस्त थे की उन्हे पूजा की गाली सुनाई ही नही दी.


अगले ही पल पूजा फिर ज़ोर से छील्लाई "ऊऊओह.....म्म्म्ममम" एक और ऑर्गॅज़म ने उसे घेर लिया.


जब पूजा ने दुबारा आँखे खोली तो पाया की रामू झाड़ियों में अपनी ज़िप खोले खड़ा है और उसकी ज़िप में से भारी भरकम लंड लटक रहा है. लंड रामू के रंग की तरह काले नाग की तरह काला था. रामू का लंड पूजा को बिल्कुल उस हबसी के लंड की तरह लग रहा था जिसको उसनो होटेल में पॉर्न मोविए में देखा था.


"ओह गोद वो तो और भी बड़ा है" पूजा बदबाआई.


"क्या बड़ा है मेरी जान" चौहान ने इस बार उसकी आवाज़ शन ली


"झाड़ियों में वो नौकर मुझे अपना वो दिखा रहा है" पूजा ने कहा.


"कहा है?" चौहान ने कहा.


"वो वही था सच कह रही हूँ" पूजा ने कहा.


"तू क्यों बेचारे रामू के पीछे पड़ी है, कभी कहती है उसने चाकू दिखाया और कभी कहती है कि लंड दिखाया. तू अपनी चूत और गान्ड की चुदाई पे ध्यान दे" परवीन ने कहा.


पूजा फिर से परवीन और चौहान के धक्को में खो गयी.


"दोस्त मैं तो अपना पानी छोड़ने जा रहा हूँ, तू कब तक मारेगा गान्ड" परवीन ने कहा.


"मैं भी फीनिस करने वाला हूँ, चल दोनो स्पीड से चोदते हैं" चौहान ने कहा.


फिर पूजा की चूत और गान्ड में लंड के धक्को की वो बोचार सुरू हुई कि पूजा की साँसे फूलने लगी.


"आआअहह.......ऊऊऊहह......म्म्म्ममम....." एक के बाद एक ऑर्गॅज़म होता रहा.


अचानक दोनो लंड थम गये. पूजा को अपने अंदर हॉट लावा सा महसूस हुआ.


"आआहह मज़ा आ गया यार मस्त लड़की है ये" परवीन ने कहा.


"मैं तो इसकी गान्ड का दीवाना हो गया हूँ, क्या गान्ड है साली की" चौहान ने कहा.


पूजा अपनी आँखे बंद किए परवीन की गोदी में अटकी रही. परवीन और चौहान के लंड अभी भी उसके अंदर फँसे थे.


"मज़ा आ गया कसम से" चौहान ने कहा.


पूजा परवीन और चौहान के बीच हवा में झूल रही थी. दोनो के लंड अभी भी पूजा के अंदर फँसे थे.


"यार मुझे ड्यूटी भी करनी है, मुझे जाना होगा अब, इस किल्लर के केस ने परेशान कर रखा है नही तो आज पूरा दिन यही रहता" चौहान ने कहा और एक झटके में अपना लंड पूजा की गान्ड से बाहर खींच लिया.


"मुझे भी ज़रूरी काम है, मैं भी निकलता हूँ" परवीन ने भी अपना लंड पूजा की चूत से बाहर खींच लिया.


"तुझे क्या काम है?" चौहान ने पूछा


"और क्या काम होगा, ज़रूर नये शिकार की तलाश में निकलेगा ये खूनी" पूजा ने मन ही मन कहा.


"है कुछ ज़रूरी काम बाद में बताउन्गा" परवीन ने कहा.


"चलो पूजा जी कपड़े पहन लो कहीं हमारा मन ना बदल जाए" चौहान ने हंसते हुए कहा.


पूजा ने बिना कुछ कहे जल्दी से घास पर बिखरे अपने कपड़े बटोरे और जल्दी से पहन लिए.


परवीन पूजा के पास आया और बोला, "जो बात चौहान को बताई है, किसी और को बताई तो तुम्हारी खैर नही"


"क्या कह रहा है बेचारी के कान में" चौहान ने पूछा.


"कुछ नही, पूछ रहा था की दुबारा कब मिलोगि?"


पूजा कुछ नही बोली.


"उस दिन तुम दोनो सहेलियों को देख कर मन मचल उठा था मेरा. देखो क्या किस्मत पाई है मैने आज खूब रगड़ रगड़ कर मारी है मैने तुम्हारी"
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 17

"मुझे पता है तुम ही कातिल हो, ज़्यादा दिन बच नही पाओगे तुम"


ये सुनते ही परवीन की आँखो में खून उतर आया. इस से पहले की वो कुछ बोल पता, चौहान ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला, "चलें अब"


"हां-हां बिल्कुल" परवीन ने पूजा को घूरते हुए कहा.


"चलो पूजा जी मैं आपको घर छोड़ देता हूँ" चौहान ने पूजा की गान्ड पर हाथ मार कर कहा.


कुछ देर बाद पूजा और चौहान जीप में थे और फार्महाउस से निकल कर सहर की तरफ बढ़ रहे थे.


"आपका दोस्त ही है वो किल्लर" पूजा ने कहा.


"हा....हे...हा" क्या खूब कही "उसे बस चूत और गान्ड मारनी आती है किसी इंसान को वो नही मार सकता"


"ऐसा कैसे कह सकते है आप"


"बहुत पुराना यार है परवीन मेरा बहुत अच्छे से जानता हूँ मैं उसे और वैसे भी कातिल तो पद्मिनी है जो कि फरार है"


"वो सब मुझे नही पता पर आपका दोस्त कहीं ना कही इस जुर्म मे ज़रूर शामिल है. मुझे उसके नौकर रामू पर भी शक है"


"पूजा जी आप घर जा कर आराम करो बहुत थक गयी होंगी आज की चुदाई से, पोलीस का काम पोलीस पर छोड़ दो"


चौहान की जीप के पास से एक कार गुज़री जिसमे कि मोहित, राज और पद्मिनी बैठे थे.


"गुरु वो तो पूजा थी, ये पोलीस की जीप में क्या कर रही है"


"पूजा, कौन पूजा?"


"ओह तुम उसे नही जानते गुरु, नगमा की छोटी बहन है वो."


"ह्म्म पर वो पोलीस की जीप में क्या कर रही है?"


"यही सोच कर तो मैं भी परेशान हूँ"


"देखो ये वक्त उस लड़की के बारे में सोचने का नही है. ये सोचो कि मेरा क्या होगा. बहुत बड़ी मुसीबत में फँस गयी हूँ मैं" पद्मिनी ने कहा.


"घर चल कर आराम से सोचेंगे मेडम, तुम बिल्कुल चिंता मत करो" मोहित ने कहा.


"मैं घर जाना चाहती हूँ गाड़ी को मेरे घर की तरफ ले चलो मैं रास्ता बताती हूँ"


"पर पद्मिनी जी आपके घर के आस पास भी पोलीस का पहरा है, मैने न्यूज़ में देखा था." राज ने कहा


"ह्म्म...पर मेरा अपने घर वालो से मिलना ज़रूरी है."


"अभी नही मेडम, अभी ख़तरा है, थोड़ा संयम रखो" मोहित ने कहा.


"गुरु अपनी कार को थोड़ा स्लो कर लो, पोलीस की गाड़ी है कही कुछ गड़बड़ हो जाए" राज ने कहा.


"तू चिंता मत कर राज, वो खुद ही स्पीड से जा रहे हैं, हमे स्लो करने की कोई ज़रूरत नही है"


"पर गुरु ये पूजा कही किसी चक्कर में तो नही फँस गयी" राज ने कहा.


"तुझे बड़ी चिंता हो रही है उसकी...हा...क्या बात है?" मोहित ने कहा.


"गुरु नगमा की बहन है वो, और फिर इंसानियत भी तो कोई चीज़ होती है" राज ने कहा.


"सच-सच बताओ ये इंसानियत ही है या कुछ और मेरे पीछे तो तुम कुछ और ही बाते करते थे" पद्मिनी ने कहा.


"नही पद्मिनी जी, ऐसा कुछ नही है, मुझे सच में पूजा की चिंता हो रही है" राज ने कहा.


"कसम खा के बताना कि तुम्हारा पूजा के बारे में कोई ग़लत इरादा नही है" पद्मिनी ने कहा.


"क...क...कसम की क्या ज़रूरत है, मुझ से तो पूजा वैसे भी चिढ़ती है, सीधे मूह बात भी नही करती" राज ने कहा.


"उसे तुम्हारी नियत पर शक होगा तभी ऐसा करती होगी, वैसे क्या उसे तुम्हारे और नगमा के बारे में पता है क्या?" पद्मिनी ने कहा.


"हां एक बार मैं जब नगमा की चूत मार......." राज अपने बोल पूरे नही कर सका क्योंकि जैसे ही उसके मूह से 'चूत मार' निकला पद्मिनी ने उसे गुस्से में घूर कर देखा और राज चुप हो गया.


"स...स...सॉरी ज़ुबान फिसल गयी....गुरु के साथ रह कर गंदी बाते करने की आदत पड़ गयी है" राज ने कहा.


"क्यों बे सब गंदे काम क्या मैने ही तुझे सिखाए हैं" मोहित गुस्से में बोला.


"सॉरी गुरु...मैं तो बस" राज ने मायूस हो कर कहा.


राज की हालत देख कर पद्मिनी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी. मोहित भी ठहाके लगाने लगा.


"तुम दोनो बस मेरी क्लास लिया करो और कोई काम नही है तुम दौनो को हा" राज ने कहा.


"वो फार्स गीला करने वाली बात मैं नगमा को बताना चाहती थी पर बता नही पाई. बताती भी कैसे नगमा ही चपार-चपार किए जा रही थी" पद्मिनी ने कहा.


"नही पद्मिनी जी ऐसा मत कीजिएगा, मेरी इज़्ज़त नीलाम हो जाएगी. आपको मेरी कसम है"


"मुझे तुम्हारी कसम से क्या लेना देना" पद्मिनी ने कहा.


"मैं आपकी मदद कर रहा हूँ और आपको मुझ से कुछ लेना देना नही है" राज ने कहा.


ये बात जैसे पद्मिनी के दिल पर तीर की तरह लगी और वो किन्ही ख़यालो में खो गयी. उसने राज को बड़े गौर से देखा. राज के चेरे की मासूमियत उसका दिल छू गयी.


"यू आर रियली आ नॉटी बॉय, अच्छा नही बताउन्गि किसी को भी ये बात...अब खुस"


"ख़ुसी तो मुझे तब मिलेगी जब आप इस मुसीबत से निकल जाएँगी" राज ने कहा.


"मैं तुम दोनो को हमेशा याद रखूँगी" पद्मिनी ने भावुक हो कर कहा.


"हमारी बाते भी याद रखना" मोहित ने कहा.


"कौन सी बाते?" पद्मिनी ने कहा.


"वही जो तुमने छुप-छुप कर सुनी थी" मोहित ने हंसते हुए कहा.


"बिल्कुल जनाब वो तो तुम दोनो का रियल कॅरक्टर दर्साति हैं, वो कैसे भूल सकती हूँ"


गुरु गाड़ी स्लो करो जल्दी, वो पोलीस की जीप स्लो हो रही है" राज ने हड़बड़ाहट में कहा.


चौहान एक किनारे पर जीप रोक देता है. "मैं तुम्हे घर छोड़ दूँगा यहा से कैसे जाओगी तुम"


"नही....किसी ने देख लिया तो बदनामी होगी, लोग तरह-तरह के सवाल पूछेंगे कि पोलीस की जीप में मैं क्या कर रही थी. कोई ना कोई ऑटो मिल जाएगा आप जाओ"


"वैसे तुझे यू छोड़ने का मन नही करता पर चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी"


"थॅंक यू सर?"


"किस बात के लिए, तुम्हारी चुदाई करना तो मेरा फ़र्ज़ था हे..हे..हे"


"जी हां... आपने पोलीस वाले का फ़र्ज़ बहुत अच्छे से निभाया, उसी के लिए थॅंक यू बोल रही हूँ" पूजा ने कहा.


"लगता है एक बार और मारनी चाहिए थी तेरी गान्ड....चल दफ़ा हो जा वरना जैल में डाल दूँगा और रोज वही चोदुन्गा तुझे"


पूजा ने आगे कुछ नही कहा. चौहान जीप लेकर आगे बढ़ गया.


जीप को रुकती देख मोहित ने भी कुछ दूरी पे अपनी कार रोक ली थी.


"गुरु ये पूजा को यहा क्यों उतार दिया पोलीस वाले ने" राज ने कहा.


"इस बात का जवाब तो पूजा ही दे सकती है" मोहित ने कहा.


"चलो गुरु उसे अपनी कार में बैठा लेते हैं" राज ने कहा.


"पागल हो गये हो तुम उसने मुझे पहचान लिया तो" पद्मिनी ने कहा.


"पद्मिनी ठीक कह रही है राज, जितने कम लोगो को इसके बारे में पता हो उतना अच्छा है, वक्त बहुत नाज़ुक है" मोहित ने कहा.


"ठीक है फिर, मैं कार से उतर कर उसके पास जा रहा हूँ. तुम दौनो घर जाओ"


"अरे रूको तो" पद्मिनी ने कहा.


पर राज तब तक कार से बाहर निकल चुका था और पूजा की तरफ बढ़ रहा था.


"ये लड़का भी ना......" मोहित ने झुंज़लाहट में कहा.


पूजा ऑटो का वेट कर रही थी. उसका ध्यान उसकी और बढ़ते राज पर नही गया क्योंकि उसकी नज़रे दूसरी दिशा में थी.


"क्या जिंदगी बन गयी मेरी...ये सब उस कामीने की वजह से हुआ है...मैं उसे ज़िंदा नही छोड़ूँगी" पूजा मन ही मन सोच रही है. उसकी आँखे सोचते-सोचते कब नम हो गयी उसे पता ही नही चला.


तभी राज उसके नज़दीक पहुँच जाता.


"पूजा क्या बात है...यहा क्या कर रही हो" राज ने पूछा.


पूजा ने फ़ौरन अपने बहते हुए आँसू पोंछे और बोली, "तुम से मतलब...तुम अपना काम करो"


"पूजा बताओ तो सही बात क्या है, तुम रो क्यों रही हो और ये पोलीस की जीप में तुम क्या कर रही थी" राज ने पूछा.


"तुम दफ़ा हो जाओ यहा से, तुम कौन होते हो ये सब पूछने वाले" पूजा ने कहा. उसे एक ऑटो आता दीखाई दिया उसने आवाज़ लगाई, "ऑटो"


ऑटो रुक गया. "मार्केट ले चलो" पूजा ने कहा.


"पूजा मेरी बात तो सुनो"


पर ऑटो पूजा को लेकर आगे बढ़ गया.


राज दौड़ कर कार में आया और बोला, "गुरु जल्दी स्टार्ट करो हमे उस ऑटो के पीछे चलना है"


"बात क्या है, कुछ बता तो" मोहित ने पूछा.


"गुरु वो वाहा खड़ी रो रही थी...मुझ से सीधे मूह बात ही नही की उसने"


"ह्म्म....क्या पता क्या बात है...चलो देखते हैं" मोहित ने कहा.


"मैं भी हूँ कार में याद रखना कहीं मुझे फंस्वा दो"


"चिंता मत करो पद्मिनी जी आप को कोई नही पहचानेगा" राज ने कहा.


मोहित ने कार पूजा के ऑटो के पीछे लगा दी. कोई 15 मिनट बाद ऑटो मार्केट में रुका और पूजा ऑटो से उतर कर एक दुकान में घुस गयी.


"वो अपनी सोपिंग कर रही है और हम अपना टाइम वेस्ट कर रहे हैं" पद्मिनी ने कहा.


"काई बार वेस्ट से सोना निकल आता है पद्मिनी जी" राज ने कहा.


"बहुत सुन्दर लड़की है सच-सच बताओ राज कहीं तुम किसी और चक्कर में तो नही हो" पद्मिनी ने कहा.


"नही-नही पद्मिनी जी....मैने सच में उसकी आँखो में आँसू देखे थे. हां वो सुंदर तो बहुत है बिल्कुल आपकी तरह"


"ठीक है-ठीक है....जाओ जाकर देखो तो सही कि वो क्या कर रही है इस दुकान पर"


"वैसे ठीक ही कहा है राज ने आप बहुत सुंदर हो मेडम और पूजा आपको टक्कर दे रही है"


"क्या मतलब है तुम्हारा?" पद्मिनी ने पूछा.


"कुछ नही यही कि आप दौनो बहुत सुन्दर हो क्यों राज" मोहित ने कहा.


"हां हां बिल्क....." राज अपने बोल पूरे नही कर सका क्योंकि पद्मिनी के चेहरे के भाव बहुत गंभीर थे.


"गुरु देखो तो ये क्या खरीद रही है?" राज ने कहा.


"इस चाकू का ये क्या करेगी, ये घरेलू चाकू से बड़ा है" मोहित ने कहा.


"मैं ना कहता था कि कुछ गड़बड़ है"


"तू सही है राज कुछ तो गड़बड़ है." मोहित ने कहा.
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 18


पद्मिनी ने दौनो की बाते सुन कर गहरी साँस ली. वो अपनी मुसीबत को लेकर बेचैन थी...उसे समझ नही आ रहा था की ये दोनो पूजा के लिए इतने परेशान क्यों हो रहे हैं. "लड़की सुंदर है किसी का भी मन बहक सकता है और ये दौनो तो हैं ही एक नंबर के लुम्पेट" पद्मिनी ने सोचा.


पूजा चाकू को अपने पर्स में डाल कर बाहर आई और उसी ऑटो में बैठ गयी जिसमे वो आई थी. ऑटो के चलते ही मोहित ने भी अपनी कार उसके पीछे लगा ली.


कोई 10 मिनट बाद पूजा का ऑटो एक घर के बाहर रुका. पूजा ने ऑटो वाले को पैसे देकर चलता कर दिया.


मोहित ने कार कुछ दूरी पर रोक ली.


पूजा घर का गेट खोल कर अंदर आ गयी.


घर के एक कमरे में :-


"थोड़ा और डालो मूह में"


"डाल तो रही हूँ, तुम चुप नही रह सकते क्या"


"जल्दी से इस लंड को चिकना कर दो फिर इसे तुम्हारी चूत में उतारूँगा"


"वो नही करने दूँगी आज.....फिर कभी देखेंगे"


"हर बार यही कहती हो....आज तो तुम्हारी चूत मार कर ही रहूँगा"


"देखेंगे"


"चलो लेट जाओ और डालने दो मुझे"


"नही विक्की इतनी जल्दी क्या है...कॉंडम भी नही है हमारे पास"


"कॉंडम को मार गोली क्या तुम मुझे प्यार नही करती"


"हाँ करती हूँ"


"तो क्या अपने प्यारे विक्की को अपनी प्यारी चूत नही दोगि देखो ना मेरे लंड की हालत इस पर तो तरस खाओ"


इस से पहले कि लड़की कुछ बोल पाती विक्की ने उसकी चूत पर लंड टीका दिया. वो धक्का मारने ही वाला था कि दरवाजा खड़कने लगा.


"कौन है इस वक्त." वो झुंजलाहट में बोला.


दरवाजे के बाहर पूजा खड़ी थी....


दरवाजा खुला तो विक्की के होश उड़ गये.


"तुम यहा क्या कर रही हो"


"ये लो तुम्हारे 50000" पूजा ने कहा.


"मैने कहा था ना कि यहा मत आना मैं खुद तुमसे कॉंटॅक्ट करूँगा"


पूजा ने 50000 की गद्दी उसके मूह पर दे मारी.


"विक्की कौन है ये"


"कोई नही...."


"अच्छा इसकी भी ज़िंदागी बर्बाद कर रहे हो"


चुप कर और दफ़ा हो जा यहा से"


"विक्की ये लड़की क्या कह रही है?"


"कुछ नही बकवास करने की आदत है इसकी"


"ये विक्की तुम्हारी पॉर्न मूवी बना रहा है और बाद में ये तुम्हे एस्कॉर्ट बना देगा."


"क्या?" लड़की हैरान रह गयी. उसने फ़ौरन अपने कपड़े पहने और बोली, "विक्की मैं जा रही हूँ"


"ये झूठ बोल रही है....ये लड़की पागल है"


"मुझे कुछ नही पता मुझे तो तुम पर पहले से ही शक था तुम बार बार उस पर्दे के पीछे जा कर क्या करते थे"


पूजा ने आगे बढ़ कर परदा हटा और बोली, "इस कमेरे को अड्जस्ट करता होगा"


"हे भगवान इसका मतलब अब तक यहा जो भी हुआ सब रेकॉर्ड हुआ होगा इसमे"


"बिल्कुल हुआ होगा ये लो सम्भालो इस कैमरे को" पूजा ने कहा.


"बहुत बढ़िया मेरे घर में आ कर मुझसे होशयारी....अब तुम दोनो का लेसबो सीन रेकॉर्ड करूँगा"


पूजा ने फुर्ती से पर्स में से चाकू निकाला और विक्की के पेट पर वार किया. चाकू पेट को उपर से चीर कर निकल गया और विक्की के पेट पर खून उभर आया. विक्की लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर गया.


"क्यों ना हम तुम्हारे मरने की वीडियो बनाए" पूजा ने कहा.


"देखो मैं जा रही हूँ मुझे इस सब से कुछ नही लेना देना"


"जैसी तुम्हारी मर्ज़ी पर मैं इसे ज़िंदा नही छोड़ूँगी आज"


पूजा का ध्यान उस लड़की की ओर चला गया और मोके का फ़ायदा उठा कर विक्की ने अपने दराज से पिस्टल निकाल ली.


"खबरदार अगर कोई भी हिला तो....दोनो को भुन दूँगा...अब जैसा मैं कहता हूँ वैसा करो"


पूजा ने चाकू को निसाना लगा कर विक्की के सर की तरफ फेंका पर वो बच गया.


"मेरी बिल्ली और मुझे ही मयाऊ हां अभी मज़ा चखाता हूँ" विक्की बोला और अपनी जेब से फोन निकाल कर एक नंबर डाइयल किया.


"हां यार ऐसा कर अपने सभी लोगो को लेकर मेरे घर आ जा एक गंगबॅंग मूवी बनानी है"


"बहुत बढ़िया इस मूवी मे पहला रोल मैं करूँगा" राज ने कहा.


राज ने विक्की के सर पर अपना देसी कॅटा तान रखा था.


"हां और मैं इस मूवी को डाइरेक्ट करूँगा" मोहित ने कहा.


"चल गुरु इसकी गान्ड में डंडा देते हैं और मूवी बना कर नेट पे डाल देते हैं"


"कौन हो तुम दोनो और यहा क्या कर रहे हो" विक्की ने कहा.


"हम तुम्हारे बाप हैं पहचाना नही क्या" राज ने कहा और घुमा कर उसके सर पर कॅटा दे मारा.


विक्की ज़मीन पर गिर गया.


"बस इतना ही दम था तेरे अंदर हा"


"तुम यहा क्या कर रहे हो" पूजा ने राज से पूछा.


"बाते करने का वक्त नही है इस से पहले कि इसके आदमी यहा आए चलो निकलो यहा से" राज ने कहा.


"क्या तुम बाइक पर हो" पूजा ने पूछा.


"नही कार खड़ी है बाहर आओ चलें"


"तुम कैसे जाओगी" पूजा ने उस लड़की से पूछा.


"मेरी स्कूटी खड़ी है नीचे"


"बहुत देर हो गयी कहा रह गये ये दौनो" पद्मिनी कार में बैठी हुई परेशान हो रही है.


अगले ही पल उसे राज मोहित और पूजा कार की ओर भागते नज़र आते.


"लगता है सच में कोई गड़बड़ हुई है...हे भगवान मैं किसी और मुसीबत में ना फँस जाउ" पद्मिनी ने कहा.


"तुम पीछे बैठो हम आगे बैठ-ते हैं"राज ने पूजा से कहा.


पूजा फ़ौरन पीछे का दरवाजा खोल कर बैठ गयी. राज और मोहित भी तुरंत बैठ गये. अगले ही पल कार सड़क पर दौड़े जा रही थी.


"कोई मुझे बताएगा कि यहा हो क्या रहा है?" पद्मिनी ने कहा.


"पद्मिनी जी पूरी बात तो हमे भी नही पता... हां बस इतना पता चला है कि उस घर में एक लड़का पॉर्न मूवी बना रहा था और पूजा उसे रोकना चाहती थी" राज ने कहा.


"पद्मिनी....कुछ ऐसा ही नाम लिया था चौहान ने..... अरे हां वो नाम पद्मिनी ही तो था" पूजा ने मन ही मन सोचा और बड़े गौर से पद्मिनी की ओर देखा. पूजा ने न्यूज़ नही देखी थी इसलिए उसके लिए पद्मिनी को पहचान-ना और भी मुस्किल था"


"क्या देख रही हो?" पद्मिनी ने पूछा.


"कुछ नही.....उस कातिल का नाम भी पद्मिनी है ना"


"हां तो क्या मैं तुम्हे कातिल नज़र आती हूँ.... मैने किसी का खून नही किया ये सब साजिस है उसी किल्लर की जो की असली कातिल है" पद्मिनी ने कहा.


"नही मेरा वो मतलब नही था?" पूजा ने कहा.


"मैं तुम्हे सारी बात बताता हूँ ध्यान से सुनो" राज ने पीछे मूड कर कहा.


राज पूजा को पूरी बात बताता है. "वो पद्मिनी जी को फसाना चाहता है क्योंकि इन्होने उसे देख लिया था"


"ह्म्म.....कैसे-कैसे खेल खेलती है किस्मत भी" पूजा ने कहा.


"सबसे बड़ी बात तो ये है कि वो विटनेस वो किल्लर नही है...उस से तो बस पद्मिनी जी के खिलाफ गवाही दिलाई जा रही है" राज ने कहा.


"मैं जानती हूँ कातिल कौन है और कहा रहता है" पूजा ने कहा.


"क्या!!!" पद्मिनी, राज और मोहित ने एक साथ कहा.


बल्कि मोहित तो इतना सर्प्राइज़्ड हुआ कि उसने फ़ौरन कार को ब्रेक लगा दिए.


"तुम कैसे जानती हो उस को" राज ने पूछा.


"वो मैं आज.....वो सब छोड़ो. मैं तुम्हारी पूरी मदद करूँगी इस केस में."


"क्या तुम हमे उसके घर ले जा सकती हो..... और नाम क्या है उसका?" राज ने पूछा.


"परवीन नाम है उसका.... घर तो उसका नही जानती मैं हां पर एक जगह है जहा वो मिल सकता है" पूजा ने कहा.


"तो हमे वाहा ले चलो अभी" राज ने कहा.


"अभी वो वाहा नही मिलेगा" पूजा ने कहा.


"चलो फिलहाल घर चलते हैं और पूरी प्लॅनिंग के साथ उसे पकड़ेंगे" मोहित ने कहा.


"पोलीस में कनेक्षन हैं उसके इसलिए थोड़ा ज़्यादा ध्यान रखना होगा हमे" पूजा ने कहा.


"क्या जो पोलीस वाला तुम्हे छोड़ कर गया था उस सड़क पर वो भी जानता है उसे" राज ने कहा.


"हां" पूजा ने जवाब दिया.


"मामला बहुत गंभीर है गुरु" राज ने कहा.


"कोई बात नही तुम साथ हो ना कहीं दुबारा फर्श तो....." मोहित ने चुस्की ली.


"गुरु दुबारा ऐसी बात की तो मैं कभी तुमसे बात नही करूँगा" राज ने कहा.


कुछ देर बाद कार मोहित के कमरे के बाहर रुकती है.


"मैं चलती हूँ....फ्रेश हो कर तुमसे मिलूंगी...चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा" पूजा ने पद्मिनी को कहा.




पूरा दिन एक अच्छे ख़ासे ड्रामे के साथ बीता. शाम हो चुकी है और अंधेरा घिरने को है.


"तुम यहा क्या कर रहे हो"नगमा ने राज से पूछा.


"भोलू हवलदार के पास जा रही हो ना"


"हां बाबा जा रही हूँ...तू क्या यही पूछने आया है"


"नही नही मैं तो तेरा हाल चाल पूछने आया था"


"पूजा कहा है?"


"सो रही है, लगता है आज कॉलेज में खूब थक गयी बेचारी"


"ह्म्म...एक बात का ध्यान रखना ज़्यादा मज़े मत देना भोलू को"


"तुझे उस से क्या वो कम मज़े ले या ज़्यादा"


"तू अपनी ख़ुसी से जा रही है ना"


"तेरे लिए जा रही हूँ"
 

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 19


"बहुत बढ़िया मुझसे पहले जो रोज दिनेश और उसके दोस्त को दिया करती थी अपनी चूत उसका क्या"


"वो पुरानी बात है, जब से तुम मिले हो मैने किसी और को नही दी"


"अच्छा ऐसा क्या है मुझ में"


"बस पूछो मत"


"बताओ ना.....मेरा लंड तगड़ा है ना"


"चल हट....वो तो है ही तेरा स्टाइल भी प्यारा है"


"इस्तयले नही स्टाइल.."


"वैसे तेरा गुरु भी कम नही"


"तुझ में और पूजा में ज़मीन आसमान का अंतर है"


"वो तो होगा ही वो कॉलेज में पढ़ती है और मैं अनपढ़ गवार हूँ"


"वो बात नही है नगमा....मेरा मतलब कुछ और था....चल मैं चलता हूँ तू टाइम से पहुँच जाना भोलू के पास"


"ठीक है मैं तो अपनी आँखे बंद रखूँगी बहुत भयानक सूरत है भोलू की"


"जैसा तेरा मन हो वैसा करना...मैं चलता हूँ"


राज चला जाता है.


नगमा भोलू के घर की ओर चल पड़ती है.


नगमा ने भोलू हवलदार के घर जा कर उसका दरवाजा खड़काया.


"कौन है?" अंदर से आवाज़ आई.


नगमा ने कोई जवाब नही दिया. "दरवाजा खोल कर देख ले ना कौन है...बेवकूफ़ कही का हा" नगमा बड़बड़ाई.


दरवाजा खुलता है. "अरे नगमा तू है...तू यहा कैसे...आ...आ अंदर आ"


"आक्टिंग देखो जनाब की...कमीना कही का" नगमा ने मन ही मन कहा.


"बताओ क्या लोगि ठंडा या गरम"


"क्या तुम्हे नही पता कि मैं यहा क्यो आई हूँ"


"पता है मेरी जान वो तो मैं यू ही कह रहा था..."


"तुम्हारी बीवी कहा है?"


"बीवी यहा होती तो क्या तुझे बुलाता मैं यहा"


"मैं यहा राज के कहने पे आई हूँ"


"कोई बात नही...तेरी ऐसी तस्सल्ली करूँगा कि तू याद रखेगी"


"ह्म्म...देखेंगे"


"राज से पहले तेरा चक्कर दिनेश से था ना"


"क्यों तुम्हे क्या करना है?"


"दिनेश अभी यही से गया है...बहुत तारीफ़ कर रहा था तुम्हारी"


"अच्छा क्या बोल रहा था?"


"बोल रहा था कि तुम बहुत अच्छे से तस्सल्ली से देती हो...क्या ये सच है"


"ये तो लेने वाले पे डिपेंड करता है" नगमा ने कहा.


"लेने वाला तो आज तस्सल्ली से लेगा" भोलू ने अपना लंड पॅंट के उपर से मसल्ते हुए कहा.


"ठीक है फिर मैं भी तस्सल्ली से दूँगी हां पर तुम मेरे होन्ट नही चूमोगे"


"ऐसा क्यों?"


"बस यू ही" नगमा ने कहा "क्योंकि तुम्हारी सुवर जैसी सूरत से मुझे घिन आती है" नगमा ने मन में कहा.


"चल नंगी तो हो जा"


"लाइट बंद करो पहले"


"मेरी जान लाइट भी बंद हो जाएगी पहले तेरे हुसन का दीदार तो कर लू...और क्या तुम मेरा लंड नही देखोगी."


लंड की बात सुनते ही नगमा की चूत में खुजली होने लगी और वो बोली, "ठीक है थोड़ी देर लाइट रहने देते है"


"ये हुई ना बात" भोलू ने कहा.


"दीखाओ अपना" नगमा से वेट नही हो रहा था.


"बहुत बेचैन हो रही हो लॉडा देखने के लिए क्या बात है?"


"बात कुछ नही है....जल्दी दीखाओ ना अपना लंड"


भोलू ने एक झटके में अपनी पॅंट उतार दी और अंडरवेर भी उतार कर दूर फेंक दिया.


"ये लो देखो मेरा लंड"


"ह्म्म"


"कैसा है?"


"अच्छा है...पर राज जैसा नही है"


"क्या बकवास कर रही है...उस लोंडे के पास क्या तोप है"


"तोप ही समझो पर तुम्हारा भी ठीक ठीक है"


"ये ठीक ठीक क्या होता है"


"दिनेश से तो तुम्हारा बड़ा है पर राज से छोटा है..."


"तू छोड़ इन बातो को और जल्दी से नंगी हो जा"


"तुम गान्ड में तो नही डालोगे ना"


"क्यों क्या हुआ?"


"कल राज ने बहुत बुरा हाल किया अभी तक दर्द है"


"अच्छा राज ने गान्ड मारी थी कल तुम्हारी"


"हां"


"अगर मान हुआ तो देखेंगे" भोलू ने कहा.


"नही नही गान्ड में नही लूँगी मैं कहे देती हूँ. कल ही तो राज ने ली थी वो...थोड़े दिन बीत जाते तो शायद दे देती पर आज बिल्कुल नही"


"चल मेरी जान तेरी गान्ड फिर किसी दिन मार लूँगा तू फिलहाल अपनी चूत तो दे मुझे...चल जल्दी से नंगी हो जा."


नगमा ने भोलू की तरफ पीठ करके अपने कपड़े उतार दिए. भोलू उसके नज़दीक आया और गान्ड पर हाथ रख कर बोला, "तेरी गान्ड तो मारने लायक है...पता नही मैं खुद को रोक पाउन्गा की नही"


"हाथ हटाओ मेरी गान्ड से कहा ना नही लूँगी गान्ड में"


"अच्छा मत लेना गान्ड में थोड़ा सा इस मखमली गान्ड को सहला तो लेने दे"


"मुझे कुछ कुछ होता है हटो" नगमा ने भोलू का हाथ अपनी गान्ड से दूर झटक दिया.


"लंड चूस्ति हो ना"


"मैने आज तक राज का नही चूसा तुम्हारा तो मैं अब चूसुन्गि"


भोलू ने नगमा को बाहों में उठा लिया और बिस्तर पर लेटा कर उसके उपर चढ़ गया.


"लाइट बंद कर दो" नगमा भोलू की सूरत नही देखना चाहती थी.


"लाइट भी बंद हो जाएगी मेरी जान, पहले इन चुचियों को तो चुस्वा लो"


"उसके लिए लाइट की क्या ज़रूरत है?"


"मुझे रोशनी में चुदाई करनी अछी लगती है" भोलू ये कह कर नगमा के बूब्स पर टूट पड़ा.


"आअहह"


"आ रहा है ना मज़ा"


"हां बहुत मज़ा आ रहा है...अपना लंड डाल दो जल्दी...."


"लंड भी डाल दूँगा इतनी जल्दी क्या है...थोड़ा सरूर तो आने दो"


"सरूर आता रहेगा तुम जल्दी घुसाओ अंदर"


"तेरे जैसी लड़की नही देखी मैने"


"बाते कम कर और जल्दी डाल"


"ये ले संभाल मेरा लंड रंडी कही की"


"आआहह रंडी किसे कहता है... मैं क्या तुझसे पैसे ले रही हूँ"


"यू ही बोल दिया"




"आगे से मत बोलना वरना मैं चली जाउन्गि"


"ऐसी चूत मारूँगा तेरी कि तू जाने का सोचेगी भी नही"


"आआहह बिल्कुल सही जा रहे हो...और ज़ोर से मारो"


"ये लो फिर सम्भालो.....आआहह"


भोलू के धक्को की गति तेज हो गयी. कोई 10 मिनट तक भोलू नगमा को यू ही चोदता रहा. अचानक वो बोला, "चल उल्टी हो जा पीछे से डालूँगा तेरी चूत में"


"गान्ड में मत डाल देना" नगमा ने कहा.


"नही नही चूत में ही डालूँगा घुमो तो सही"


"ठीक है मैं घूम रही हूँ"


नगमा भोलू के नीचे घूम गयी और उसके घूमते ही भोलू ने एक झटके में उसकी चूत में अपना लंड उतार दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा.


"आआहह"


"मस्त चूत है तेरी"


"तेरा लंड भी मस्त है आआहह"


भोलू ने अचानक अपना लंड बाहर निकाला और फुर्ती से नगमा की गान्ड में डाल दिया.


"आआययईीीई ये तो गान्ड में घुस्स गया निकालो इसे"


"अब घुस्स गया है तो मार लेने दो थोड़ी सी गान्ड भी"


"कल से वैसे ही दर्द है...तुम समझते क्यो नही"


"बस 2 मिनट मारने दे फिर निकाल लूँगा"


"ह्म्म चल ठीक है...पर धक्के धीरे मारना यहा समझे"


"समझ गया मेरी जान....तू चिंता मत कर धीरे धीरे मारूँगा गान्ड तेरी मैं हे...हे..हा..हा"


"तुम हंस क्यो रहे हो"


"बस यू ही....ये ले मेरे लंड का पहला झटका तेरी गान्ड में"


"आआहह"
 
Top