Update 20
लन्ड पुछा चुची से, क्यों हो आज उदास!
बोली चुची, प्यारे ! न्याय की मुझे नही अब आस!!
मुझे नही अब आस, बडा हो रहा घोटाला,
तुने भ्रष्टाचार मेरे साथ कर डाला!
खोल के अपने रूप को, मै तुझे रिझाती,
साली चूत तुझे झट चट कर जाती!!
गतान्क से आगे.................
एक बार भोलू ने नगमा की गान्ड मारनी शुरू की तो टाइम का पता ही नही चला. पूरे 15 मिनट तक वो नगमा की गान्ड रगड़ता रहा. जब भोलू का पानी छूटने वाला था तब तो उसके धक्के भी बहुत तेज हो गये थे. नगमा ने भी कोई ऐतराज़ नही किया. करती भी क्यों वो हर एक धक्के का मज़ा जो ले रही थी.
ढेर सारा गरम पानी भोलू ने नगमा की गान्ड में छोड़ दिया.
"आआहह निकाल अब बाहर 2 मिनट कहा था 2 घंटे मार ली मेरी गान्ड"
"हा..हा...हे हे तू सच में मस्त है....मज़ा आ गया तेरी ले के"
"टाय्लेट कहा है?"
"वो रहा सामने"
नगमा फ़ौरन टाय्लेट में घुस्स गयी. जब वो टाय्लेट में हाथ धो रही थी अचानक उसकी नज़र खूटी पर तंगी कमीज़ पर गयी.
"ये कमीज़ पर खून जैसे धब्बे.....वो भी इतने सारे...क्या माज़रा है"
"क्या हुआ इतनी देर क्यों लगा रही हो"
"आ रही हूँ"
नगमा को थोड़ा थोड़ा डर लग रहा था. वो जब बाहर आई तो उसने टीवी पर रखे एक चाकू को देखा जिस से उसका डर और बढ़ गया.
"मुझे अब चलना होगा"
"क्यों अभी तो बस एक बार ही ली है तेरी...दुबारा नही देगी क्या"
"नही बापू कल आ जाएगा बहुत काम करने हैं मुझे घर पर."
"मैं तुझे तेरे घर तक छोड़ दू"
"नही नही मैं चली जाउन्गि अभी 9 ही तो बजे हैं."
नगमा ने कपड़े पहने और चुपचाप वाहा से निकल ली. उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था.
"हे भगवान मुझे तो डर लग रहा है, उस कमीज़ पर खून के इतने धब्बे क्या कर रहे थे...और वो टीवी पर रखा चाकू....कुछ लाल लाल सा उस पर भी लगा था. धात तेरे की पूरी चुदाई का नशा उतार दिया" नगमा चलते-चलते बड़बड़ा रही है.
अचानक उसे अपने पीछे किसी के कदमो की आहट सुनाई देती है. वो थर-थर काँपने लगती है. "हे भगवान ये मेरे पीछे कौन है?" नगमा खुद से कहती है.
"घबरा मत सारे कतल 10 बजे के बाद ही हुए हैं और अभी तो 9 बजे हैं और 5 मिनट में मैं राज के कमरे पर पहुँच जवँगी" नगमा बड़बड़ाई. लेकिन उसके पीछे लगातार किसी के कदमो की आहट हो रही थी.
"आज चूत मरवाने के चक्कर में मैं खुद ना मारी जाउ कही...हे भगवान मेरी रक्षा करना"
वो थोड़ी देर चुपचाप चलती रहती है फिर अचानक फुर्ती से पीछे मूड कर देखती है...पर उसे अपने पीछे कोई नही दिखाई देता. "भोलू क्या तुम मेरा पीछा कर रहे हो" वो ज़ोर से बोली.
किसी का कोई जवाब नही आया. "भाग नगमा...कुछ गड़बड़ ज़रूर है"
वो वाहा से भाग खड़ी होती है और 2 मिनट में राज के कमरे के बाहर पहुँच जाती है. वो राज का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से पीटने लगती है. पर दरवाजा नही खुलता. "ओह यहा तो ताला लगा है...वो ज़रूर अपने गुरु के साथ होगा"
नगमा का खुद का घर अभी भी दूर था और मोहित का कमरा वाहा से नज़दीक पड़ता था. वो तुरंत तेज कदमो से मोहित के कमरे की तरफ चल दी. अब वो भाग नही रही थी क्योंकि सड़क पर उसके अलावा और भी चार-पाँच लोग थे.
वो मोहित के कमरे पर पहुँच कर कमरे का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से पीटने लगती है.
मोहित झट से दरवाजा खोलता है.
"क्या हुआ पागल हो गयी हो क्या?" मोहित ने पूछा.
"र...राज कहा है?" नगमा ने कहा.
"राज यही है....बताओ तो क्या बात है?"
राज भी तुरंत दरवाजे पर आ गया. "नगमा तू यहा...क्या हुआ भोलू के पास नही गयी क्या"
"अरे वही से आ रही हूँ...मेरी जान ख़तरे में है"
"क्या बोल रही हो....तुमसे तो सारी दुनिया की जान ख़तरे में है...तुम्हे किसने ख़तरे में डाल दिया" मोहित ने हंसते हुए कहा.
"मैं सच कह रही हूँ...कोई मेरा पीछा कर रहा था" नगमा ने कहा.
"यहा बैठो नगमा....बैठ कर आराम से पूरी बात बताओ" पद्मिनी ने उसे अपने पास बुलाया.
नगमा पद्मिनी के पास बैठ गयी और बोली, "जब मैं भोलू के घर से निकली तो मुझे अपने पीछे किसी के कदमो की आहट सुनाई दी....भाग कर आई हूँ मैं यहा....ये ज़रूर भोलू की कारस्तानी है"
"भोलू क्यों ऐसा करेगा?" राज ने कहा.
"मैने उसके टाय्लेट में एक नीले रंग की कमीज़ तंगी देखी थी जिस पर की खून के बहुत सारे धब्बे थे. और तो और उसके टीवी पर एक चाकू रखा देखा मैने...उस पर भी हल्के-हल्के लाल रंग के निशान थे" नगमा ने कहा.
"तुझे कुछ ग़लतफहमी हुई है...भोलू ऐसा आदमी नही है...सूरत उसकी जैसी भी हो पर दिल से नेक है वो" राज ने कहा.
"हां-हां बहुत नेक है वो...तभी तो बिना मेरी इज़ाज़त के मेरी गान्ड मार ली उसने" नगमा तुरंत बोली.
ये सुनते ही मोहित हस्ने लगा.
"हंस क्या रहे हो मैं सच कह रही हूँ....मैने मना किया था उसे मेरी गान्ड में डालने को पर शैतान ने चुपचाप बिना पूछे डाल दिया"
"नगमा....पद्मिनी जी बैठी हैं यहा........" राज ने नगमा को टोका.
"तो क्या हुआ मैं सच ही तो कह रही हूँ...सच बोलना क्या जुर्म है" नगमा ने कहा.
"असली मुद्दा क्या है....कोई तुम्हारा पीछा कर रहा था ये कि या फिर भोलू ने तुम्हारी गान्ड मार ली वो....असली मुद्दा बताओ" मोहित ने चुस्की ली.
"मैं यहा आई ही क्यों तुम सब मतलबी हो"
अचानक पद्मिनी ने कुछ ऐसा देखा कि वो फॉरन बोली
"ये सच कह रही है...जो भी इसका पीछा कर रहा था वो यहा तक आ गया है....खिड़की से कोई झाँक रहा है" पद्मिनी ने ये बात इतनी धीरे से कही की केवल पास खड़े राज को सुनाई दी. मोहित को कुछ सुनाई नही दिया.
"तेरी मा की आँख तेरी तो...." राज ने फ़ौरन कॅटा निकाल कर खिड़की की तरफ फाइयर किया.
मोहित को भी पूरी बात समझते देर नही लगी उसने फुर्ती से बेड के नीचे से हॉकी निकाली और दरवाजा खोल कर बाहर भागा.
राज भी उसके पीछे-पीछे भागा.
"उसके सर पे गोली लगी होगी" राज बोला.
बेवकूफ़ उसे गोली लगी होती तो लाश अपनी खिड़की के नीचे पड़ी होती यहा तो कुछ भी नही है.
"इतनी जल्दी वो यहा से नही भाग सकता....गया कहाँ वो" राज बोला.
मोहित भाग कर वापिस कमरे में आया.
"तुम दोनो डरना मत अंदर से कुण्डी लगा लो और खिड़की को भी अंदर से बंद कर लो मैं और राज अभी अकल ठिकाने लगाते हैं उसकी.
पद्मिनी खिड़की और दरवाजा बंद कर लेती है और नगमा से कहती है, "चिंता मत करो तुम यहा सुरक्षित हो"
"देखा कितनी हिम्मत कि उसने मेरे पीछे-पीछे यहा तक आ पहुँचा" नगमा ने कहा.
"वाकाई...और तो और खिड़की से झाँक कर देख रहा था...मेरी तो रूह काँप गयी थी उसे देख कर...चेहरा ठीक से दीखाई नही दिया नही तो पहचान लेती कि वो वही है कि नही"
"तुम्हे इस सब की पड़ी है मेरा तो आज का सारा मज़ा किरकिरा हो गया"
"तू भी अजीब है...अभी तो खुद इस बारे में बोल रही थी" पद्मिनी ने कहा.
"वो तो ठीक है पर आज बहुत अजीब हुआ मेरे साथ" नगमा ने कहा.
"वो तुम बता चुकी हो" पद्मिनी ने उसे टोका.
"क्या बता चुकी हूँ?"
"यही की भोलू ने बिना पूछे....."
"पूरी बात तो सुन....बड़ी शैतानी से डाला पाजी ने मेरी गान्ड में"
"ठीक है-ठीक है समझ गयी" पद्मिनी ने उसे फिर टोका.
"अरे सुन तो सही...मैने उसे पहले ही बता दिया था कि गान्ड में नही लूँगी"
"ठीक है बाबा इतनी डीटेल काफ़ी है"
"मेरी बात तो सुन.....उसने पहले चूत में डाला और खूब घिसाई की मेरी"
"घिसाई मतलब?" पद्मिनी को इसका मतलब नही पता था और अचानक उसके मूह से निकल गया. हालाँकि उसे ये सवाल पूछ कर पछताना पड़ा.
"घिसाई मतलब कि खूब लंड अंदर बाहर किया मेरी चूत में"
"बस-बस मेरी मा समझ गयी"
"आगे तो सुन...फिर उसने मुझे घूमने को कहा ये कह कर कि पीछे से चूत में डालूँगा"
"समझ गयी उसने कही और डाल दिया....आगे रहने दो" पद्मिनी ने कहा.
"यही तो चूक गयी तुम समझने में...बड़ा पाजी निकला वो....कुछ देर तक मेरी चूत मारता रहा. बड़ा मज़ा आ रहा था. सब ठीक चल रहा था कि अचानक उसने लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया"
ना चाहते हुए भी अब पद्मिनी की भी साँसे तेज होने लगी थी. "बस अब सब क्लियर हो गया रहने दे आगे की स्टोरी"
"तुम भी ना पूरी बात तो सुनो....उसने चूत से लंड निकाल कर बड़ी चालाकी से मेरी गान्ड में डाल दिया"
"तो तुम निकलवा देती...इसमे कौन सा बड़ी बात थी" पद्मिनी ने कहा.
"निकालने को ही कहा था मैने पाजी को पर वो बोला...अब जब घुस्स ही गया है गान्ड में तो थोड़ी देर मार लेने दे."
"तो तुमने उसे करने दिया...चलो बात ख़तम हुई कुछ और बात करो" पद्मिनी ने गहरी साँस ले कर कहा.
"मैं क्यों करने दूँगी भला....मेरा भी कुछ इसटेंडर्ड है"
"स्टॅंडर्ड बोलते हैं"
"हां-हां वही वही....मैने कहा चलो 2 मिनट मार लो"
"चलो ठीक है उसने 2 मिनट किया और बात ख़तम हुई" पद्मिनी ने झुंजलाहट भरे लहजे में कहा.
"नही बाबा...वो बड़ा चालाक निकला पूरे 2 घंटे चोदता रहा वो मेरी गान्ड"
"बकवास कर रही हो...इतनी देर करना क्या मज़ाक है"
"लो कर लो बात...हां वैसे मैं 2 घंटे यू ही कह रही हूँ पर उसने 2 मिनट से तो बहुत ज़्यादा किया है ये मुझे यकीन है"
"2 मिनट भी बहुत होते हैं"
"लगता है तेरा पति तुझे 2 मिनट चोदता था"
"जी नही आराम से 10-15 मिनट हो जाता था हमारा...अपनी बात को मेरी ज़िंदागी पर मत घुमा"
"पर राज में बहुत दम है...वो 2 घंटे तक खींच लेता है"
"चल ठीक है हो गयी ना तेरी कहानी पूरी या कुछ और भी बाकी है"
"हाई सच तुझे सब बता के यादे ताज़ा हो गयी वरना तो सब गुड गोबर हो गया था थॅंक यू"
"ठीक है-ठीक है"
"पर इस भोलू को भी ना...इतनी अछी चुदाई के बाद ये सब करने की क्या ज़रूरत थी. मैं पहले ही उसके टाय्लेट में वो कमीज़ देख कर डर गयी थी. तुम्हे नही लगता कि उसे मेरा यू पीछा नही करना चाहिए था.
लन्ड पुछा चुची से, क्यों हो आज उदास!
बोली चुची, प्यारे ! न्याय की मुझे नही अब आस!!
मुझे नही अब आस, बडा हो रहा घोटाला,
तुने भ्रष्टाचार मेरे साथ कर डाला!
खोल के अपने रूप को, मै तुझे रिझाती,
साली चूत तुझे झट चट कर जाती!!
गतान्क से आगे.................
एक बार भोलू ने नगमा की गान्ड मारनी शुरू की तो टाइम का पता ही नही चला. पूरे 15 मिनट तक वो नगमा की गान्ड रगड़ता रहा. जब भोलू का पानी छूटने वाला था तब तो उसके धक्के भी बहुत तेज हो गये थे. नगमा ने भी कोई ऐतराज़ नही किया. करती भी क्यों वो हर एक धक्के का मज़ा जो ले रही थी.
ढेर सारा गरम पानी भोलू ने नगमा की गान्ड में छोड़ दिया.
"आआहह निकाल अब बाहर 2 मिनट कहा था 2 घंटे मार ली मेरी गान्ड"
"हा..हा...हे हे तू सच में मस्त है....मज़ा आ गया तेरी ले के"
"टाय्लेट कहा है?"
"वो रहा सामने"
नगमा फ़ौरन टाय्लेट में घुस्स गयी. जब वो टाय्लेट में हाथ धो रही थी अचानक उसकी नज़र खूटी पर तंगी कमीज़ पर गयी.
"ये कमीज़ पर खून जैसे धब्बे.....वो भी इतने सारे...क्या माज़रा है"
"क्या हुआ इतनी देर क्यों लगा रही हो"
"आ रही हूँ"
नगमा को थोड़ा थोड़ा डर लग रहा था. वो जब बाहर आई तो उसने टीवी पर रखे एक चाकू को देखा जिस से उसका डर और बढ़ गया.
"मुझे अब चलना होगा"
"क्यों अभी तो बस एक बार ही ली है तेरी...दुबारा नही देगी क्या"
"नही बापू कल आ जाएगा बहुत काम करने हैं मुझे घर पर."
"मैं तुझे तेरे घर तक छोड़ दू"
"नही नही मैं चली जाउन्गि अभी 9 ही तो बजे हैं."
नगमा ने कपड़े पहने और चुपचाप वाहा से निकल ली. उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था.
"हे भगवान मुझे तो डर लग रहा है, उस कमीज़ पर खून के इतने धब्बे क्या कर रहे थे...और वो टीवी पर रखा चाकू....कुछ लाल लाल सा उस पर भी लगा था. धात तेरे की पूरी चुदाई का नशा उतार दिया" नगमा चलते-चलते बड़बड़ा रही है.
अचानक उसे अपने पीछे किसी के कदमो की आहट सुनाई देती है. वो थर-थर काँपने लगती है. "हे भगवान ये मेरे पीछे कौन है?" नगमा खुद से कहती है.
"घबरा मत सारे कतल 10 बजे के बाद ही हुए हैं और अभी तो 9 बजे हैं और 5 मिनट में मैं राज के कमरे पर पहुँच जवँगी" नगमा बड़बड़ाई. लेकिन उसके पीछे लगातार किसी के कदमो की आहट हो रही थी.
"आज चूत मरवाने के चक्कर में मैं खुद ना मारी जाउ कही...हे भगवान मेरी रक्षा करना"
वो थोड़ी देर चुपचाप चलती रहती है फिर अचानक फुर्ती से पीछे मूड कर देखती है...पर उसे अपने पीछे कोई नही दिखाई देता. "भोलू क्या तुम मेरा पीछा कर रहे हो" वो ज़ोर से बोली.
किसी का कोई जवाब नही आया. "भाग नगमा...कुछ गड़बड़ ज़रूर है"
वो वाहा से भाग खड़ी होती है और 2 मिनट में राज के कमरे के बाहर पहुँच जाती है. वो राज का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से पीटने लगती है. पर दरवाजा नही खुलता. "ओह यहा तो ताला लगा है...वो ज़रूर अपने गुरु के साथ होगा"
नगमा का खुद का घर अभी भी दूर था और मोहित का कमरा वाहा से नज़दीक पड़ता था. वो तुरंत तेज कदमो से मोहित के कमरे की तरफ चल दी. अब वो भाग नही रही थी क्योंकि सड़क पर उसके अलावा और भी चार-पाँच लोग थे.
वो मोहित के कमरे पर पहुँच कर कमरे का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से पीटने लगती है.
मोहित झट से दरवाजा खोलता है.
"क्या हुआ पागल हो गयी हो क्या?" मोहित ने पूछा.
"र...राज कहा है?" नगमा ने कहा.
"राज यही है....बताओ तो क्या बात है?"
राज भी तुरंत दरवाजे पर आ गया. "नगमा तू यहा...क्या हुआ भोलू के पास नही गयी क्या"
"अरे वही से आ रही हूँ...मेरी जान ख़तरे में है"
"क्या बोल रही हो....तुमसे तो सारी दुनिया की जान ख़तरे में है...तुम्हे किसने ख़तरे में डाल दिया" मोहित ने हंसते हुए कहा.
"मैं सच कह रही हूँ...कोई मेरा पीछा कर रहा था" नगमा ने कहा.
"यहा बैठो नगमा....बैठ कर आराम से पूरी बात बताओ" पद्मिनी ने उसे अपने पास बुलाया.
नगमा पद्मिनी के पास बैठ गयी और बोली, "जब मैं भोलू के घर से निकली तो मुझे अपने पीछे किसी के कदमो की आहट सुनाई दी....भाग कर आई हूँ मैं यहा....ये ज़रूर भोलू की कारस्तानी है"
"भोलू क्यों ऐसा करेगा?" राज ने कहा.
"मैने उसके टाय्लेट में एक नीले रंग की कमीज़ तंगी देखी थी जिस पर की खून के बहुत सारे धब्बे थे. और तो और उसके टीवी पर एक चाकू रखा देखा मैने...उस पर भी हल्के-हल्के लाल रंग के निशान थे" नगमा ने कहा.
"तुझे कुछ ग़लतफहमी हुई है...भोलू ऐसा आदमी नही है...सूरत उसकी जैसी भी हो पर दिल से नेक है वो" राज ने कहा.
"हां-हां बहुत नेक है वो...तभी तो बिना मेरी इज़ाज़त के मेरी गान्ड मार ली उसने" नगमा तुरंत बोली.
ये सुनते ही मोहित हस्ने लगा.
"हंस क्या रहे हो मैं सच कह रही हूँ....मैने मना किया था उसे मेरी गान्ड में डालने को पर शैतान ने चुपचाप बिना पूछे डाल दिया"
"नगमा....पद्मिनी जी बैठी हैं यहा........" राज ने नगमा को टोका.
"तो क्या हुआ मैं सच ही तो कह रही हूँ...सच बोलना क्या जुर्म है" नगमा ने कहा.
"असली मुद्दा क्या है....कोई तुम्हारा पीछा कर रहा था ये कि या फिर भोलू ने तुम्हारी गान्ड मार ली वो....असली मुद्दा बताओ" मोहित ने चुस्की ली.
"मैं यहा आई ही क्यों तुम सब मतलबी हो"
अचानक पद्मिनी ने कुछ ऐसा देखा कि वो फॉरन बोली
"ये सच कह रही है...जो भी इसका पीछा कर रहा था वो यहा तक आ गया है....खिड़की से कोई झाँक रहा है" पद्मिनी ने ये बात इतनी धीरे से कही की केवल पास खड़े राज को सुनाई दी. मोहित को कुछ सुनाई नही दिया.
"तेरी मा की आँख तेरी तो...." राज ने फ़ौरन कॅटा निकाल कर खिड़की की तरफ फाइयर किया.
मोहित को भी पूरी बात समझते देर नही लगी उसने फुर्ती से बेड के नीचे से हॉकी निकाली और दरवाजा खोल कर बाहर भागा.
राज भी उसके पीछे-पीछे भागा.
"उसके सर पे गोली लगी होगी" राज बोला.
बेवकूफ़ उसे गोली लगी होती तो लाश अपनी खिड़की के नीचे पड़ी होती यहा तो कुछ भी नही है.
"इतनी जल्दी वो यहा से नही भाग सकता....गया कहाँ वो" राज बोला.
मोहित भाग कर वापिस कमरे में आया.
"तुम दोनो डरना मत अंदर से कुण्डी लगा लो और खिड़की को भी अंदर से बंद कर लो मैं और राज अभी अकल ठिकाने लगाते हैं उसकी.
पद्मिनी खिड़की और दरवाजा बंद कर लेती है और नगमा से कहती है, "चिंता मत करो तुम यहा सुरक्षित हो"
"देखा कितनी हिम्मत कि उसने मेरे पीछे-पीछे यहा तक आ पहुँचा" नगमा ने कहा.
"वाकाई...और तो और खिड़की से झाँक कर देख रहा था...मेरी तो रूह काँप गयी थी उसे देख कर...चेहरा ठीक से दीखाई नही दिया नही तो पहचान लेती कि वो वही है कि नही"
"तुम्हे इस सब की पड़ी है मेरा तो आज का सारा मज़ा किरकिरा हो गया"
"तू भी अजीब है...अभी तो खुद इस बारे में बोल रही थी" पद्मिनी ने कहा.
"वो तो ठीक है पर आज बहुत अजीब हुआ मेरे साथ" नगमा ने कहा.
"वो तुम बता चुकी हो" पद्मिनी ने उसे टोका.
"क्या बता चुकी हूँ?"
"यही की भोलू ने बिना पूछे....."
"पूरी बात तो सुन....बड़ी शैतानी से डाला पाजी ने मेरी गान्ड में"
"ठीक है-ठीक है समझ गयी" पद्मिनी ने उसे फिर टोका.
"अरे सुन तो सही...मैने उसे पहले ही बता दिया था कि गान्ड में नही लूँगी"
"ठीक है बाबा इतनी डीटेल काफ़ी है"
"मेरी बात तो सुन.....उसने पहले चूत में डाला और खूब घिसाई की मेरी"
"घिसाई मतलब?" पद्मिनी को इसका मतलब नही पता था और अचानक उसके मूह से निकल गया. हालाँकि उसे ये सवाल पूछ कर पछताना पड़ा.
"घिसाई मतलब कि खूब लंड अंदर बाहर किया मेरी चूत में"
"बस-बस मेरी मा समझ गयी"
"आगे तो सुन...फिर उसने मुझे घूमने को कहा ये कह कर कि पीछे से चूत में डालूँगा"
"समझ गयी उसने कही और डाल दिया....आगे रहने दो" पद्मिनी ने कहा.
"यही तो चूक गयी तुम समझने में...बड़ा पाजी निकला वो....कुछ देर तक मेरी चूत मारता रहा. बड़ा मज़ा आ रहा था. सब ठीक चल रहा था कि अचानक उसने लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया"
ना चाहते हुए भी अब पद्मिनी की भी साँसे तेज होने लगी थी. "बस अब सब क्लियर हो गया रहने दे आगे की स्टोरी"
"तुम भी ना पूरी बात तो सुनो....उसने चूत से लंड निकाल कर बड़ी चालाकी से मेरी गान्ड में डाल दिया"
"तो तुम निकलवा देती...इसमे कौन सा बड़ी बात थी" पद्मिनी ने कहा.
"निकालने को ही कहा था मैने पाजी को पर वो बोला...अब जब घुस्स ही गया है गान्ड में तो थोड़ी देर मार लेने दे."
"तो तुमने उसे करने दिया...चलो बात ख़तम हुई कुछ और बात करो" पद्मिनी ने गहरी साँस ले कर कहा.
"मैं क्यों करने दूँगी भला....मेरा भी कुछ इसटेंडर्ड है"
"स्टॅंडर्ड बोलते हैं"
"हां-हां वही वही....मैने कहा चलो 2 मिनट मार लो"
"चलो ठीक है उसने 2 मिनट किया और बात ख़तम हुई" पद्मिनी ने झुंजलाहट भरे लहजे में कहा.
"नही बाबा...वो बड़ा चालाक निकला पूरे 2 घंटे चोदता रहा वो मेरी गान्ड"
"बकवास कर रही हो...इतनी देर करना क्या मज़ाक है"
"लो कर लो बात...हां वैसे मैं 2 घंटे यू ही कह रही हूँ पर उसने 2 मिनट से तो बहुत ज़्यादा किया है ये मुझे यकीन है"
"2 मिनट भी बहुत होते हैं"
"लगता है तेरा पति तुझे 2 मिनट चोदता था"
"जी नही आराम से 10-15 मिनट हो जाता था हमारा...अपनी बात को मेरी ज़िंदागी पर मत घुमा"
"पर राज में बहुत दम है...वो 2 घंटे तक खींच लेता है"
"चल ठीक है हो गयी ना तेरी कहानी पूरी या कुछ और भी बाकी है"
"हाई सच तुझे सब बता के यादे ताज़ा हो गयी वरना तो सब गुड गोबर हो गया था थॅंक यू"
"ठीक है-ठीक है"
"पर इस भोलू को भी ना...इतनी अछी चुदाई के बाद ये सब करने की क्या ज़रूरत थी. मैं पहले ही उसके टाय्लेट में वो कमीज़ देख कर डर गयी थी. तुम्हे नही लगता कि उसे मेरा यू पीछा नही करना चाहिए था.