• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance बात एक रात की(Completed)

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 20

लन्ड पुछा चुची से, क्यों हो आज उदास!
बोली चुची, प्यारे ! न्याय की मुझे नही अब आस!!
मुझे नही अब आस, बडा हो रहा घोटाला,
तुने भ्रष्टाचार मेरे साथ कर डाला!
खोल के अपने रूप को, मै तुझे रिझाती,
साली चूत तुझे झट चट कर जाती!!
गतान्क से आगे.................
एक बार भोलू ने नगमा की गान्ड मारनी शुरू की तो टाइम का पता ही नही चला. पूरे 15 मिनट तक वो नगमा की गान्ड रगड़ता रहा. जब भोलू का पानी छूटने वाला था तब तो उसके धक्के भी बहुत तेज हो गये थे. नगमा ने भी कोई ऐतराज़ नही किया. करती भी क्यों वो हर एक धक्के का मज़ा जो ले रही थी.
ढेर सारा गरम पानी भोलू ने नगमा की गान्ड में छोड़ दिया.
"आआहह निकाल अब बाहर 2 मिनट कहा था 2 घंटे मार ली मेरी गान्ड"
"हा..हा...हे हे तू सच में मस्त है....मज़ा आ गया तेरी ले के"
"टाय्लेट कहा है?"
"वो रहा सामने"
नगमा फ़ौरन टाय्लेट में घुस्स गयी. जब वो टाय्लेट में हाथ धो रही थी अचानक उसकी नज़र खूटी पर तंगी कमीज़ पर गयी.
"ये कमीज़ पर खून जैसे धब्बे.....वो भी इतने सारे...क्या माज़रा है"
"क्या हुआ इतनी देर क्यों लगा रही हो"
"आ रही हूँ"
नगमा को थोड़ा थोड़ा डर लग रहा था. वो जब बाहर आई तो उसने टीवी पर रखे एक चाकू को देखा जिस से उसका डर और बढ़ गया.
"मुझे अब चलना होगा"
"क्यों अभी तो बस एक बार ही ली है तेरी...दुबारा नही देगी क्या"
"नही बापू कल आ जाएगा बहुत काम करने हैं मुझे घर पर."
"मैं तुझे तेरे घर तक छोड़ दू"
"नही नही मैं चली जाउन्गि अभी 9 ही तो बजे हैं."
नगमा ने कपड़े पहने और चुपचाप वाहा से निकल ली. उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था.
"हे भगवान मुझे तो डर लग रहा है, उस कमीज़ पर खून के इतने धब्बे क्या कर रहे थे...और वो टीवी पर रखा चाकू....कुछ लाल लाल सा उस पर भी लगा था. धात तेरे की पूरी चुदाई का नशा उतार दिया" नगमा चलते-चलते बड़बड़ा रही है.
अचानक उसे अपने पीछे किसी के कदमो की आहट सुनाई देती है. वो थर-थर काँपने लगती है. "हे भगवान ये मेरे पीछे कौन है?" नगमा खुद से कहती है.
"घबरा मत सारे कतल 10 बजे के बाद ही हुए हैं और अभी तो 9 बजे हैं और 5 मिनट में मैं राज के कमरे पर पहुँच जवँगी" नगमा बड़बड़ाई. लेकिन उसके पीछे लगातार किसी के कदमो की आहट हो रही थी.
"आज चूत मरवाने के चक्कर में मैं खुद ना मारी जाउ कही...हे भगवान मेरी रक्षा करना"
वो थोड़ी देर चुपचाप चलती रहती है फिर अचानक फुर्ती से पीछे मूड कर देखती है...पर उसे अपने पीछे कोई नही दिखाई देता. "भोलू क्या तुम मेरा पीछा कर रहे हो" वो ज़ोर से बोली.
किसी का कोई जवाब नही आया. "भाग नगमा...कुछ गड़बड़ ज़रूर है"
वो वाहा से भाग खड़ी होती है और 2 मिनट में राज के कमरे के बाहर पहुँच जाती है. वो राज का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से पीटने लगती है. पर दरवाजा नही खुलता. "ओह यहा तो ताला लगा है...वो ज़रूर अपने गुरु के साथ होगा"
नगमा का खुद का घर अभी भी दूर था और मोहित का कमरा वाहा से नज़दीक पड़ता था. वो तुरंत तेज कदमो से मोहित के कमरे की तरफ चल दी. अब वो भाग नही रही थी क्योंकि सड़क पर उसके अलावा और भी चार-पाँच लोग थे.
वो मोहित के कमरे पर पहुँच कर कमरे का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से पीटने लगती है.
मोहित झट से दरवाजा खोलता है.
"क्या हुआ पागल हो गयी हो क्या?" मोहित ने पूछा.
"र...राज कहा है?" नगमा ने कहा.
"राज यही है....बताओ तो क्या बात है?"
राज भी तुरंत दरवाजे पर आ गया. "नगमा तू यहा...क्या हुआ भोलू के पास नही गयी क्या"
"अरे वही से आ रही हूँ...मेरी जान ख़तरे में है"
"क्या बोल रही हो....तुमसे तो सारी दुनिया की जान ख़तरे में है...तुम्हे किसने ख़तरे में डाल दिया" मोहित ने हंसते हुए कहा.
"मैं सच कह रही हूँ...कोई मेरा पीछा कर रहा था" नगमा ने कहा.
"यहा बैठो नगमा....बैठ कर आराम से पूरी बात बताओ" पद्मिनी ने उसे अपने पास बुलाया.
नगमा पद्मिनी के पास बैठ गयी और बोली, "जब मैं भोलू के घर से निकली तो मुझे अपने पीछे किसी के कदमो की आहट सुनाई दी....भाग कर आई हूँ मैं यहा....ये ज़रूर भोलू की कारस्तानी है"
"भोलू क्यों ऐसा करेगा?" राज ने कहा.
"मैने उसके टाय्लेट में एक नीले रंग की कमीज़ तंगी देखी थी जिस पर की खून के बहुत सारे धब्बे थे. और तो और उसके टीवी पर एक चाकू रखा देखा मैने...उस पर भी हल्के-हल्के लाल रंग के निशान थे" नगमा ने कहा.
"तुझे कुछ ग़लतफहमी हुई है...भोलू ऐसा आदमी नही है...सूरत उसकी जैसी भी हो पर दिल से नेक है वो" राज ने कहा.
"हां-हां बहुत नेक है वो...तभी तो बिना मेरी इज़ाज़त के मेरी गान्ड मार ली उसने" नगमा तुरंत बोली.
ये सुनते ही मोहित हस्ने लगा.
"हंस क्या रहे हो मैं सच कह रही हूँ....मैने मना किया था उसे मेरी गान्ड में डालने को पर शैतान ने चुपचाप बिना पूछे डाल दिया"
"नगमा....पद्मिनी जी बैठी हैं यहा........" राज ने नगमा को टोका.
"तो क्या हुआ मैं सच ही तो कह रही हूँ...सच बोलना क्या जुर्म है" नगमा ने कहा.
"असली मुद्दा क्या है....कोई तुम्हारा पीछा कर रहा था ये कि या फिर भोलू ने तुम्हारी गान्ड मार ली वो....असली मुद्दा बताओ" मोहित ने चुस्की ली.
"मैं यहा आई ही क्यों तुम सब मतलबी हो"
अचानक पद्मिनी ने कुछ ऐसा देखा कि वो फॉरन बोली
"ये सच कह रही है...जो भी इसका पीछा कर रहा था वो यहा तक आ गया है....खिड़की से कोई झाँक रहा है" पद्मिनी ने ये बात इतनी धीरे से कही की केवल पास खड़े राज को सुनाई दी. मोहित को कुछ सुनाई नही दिया.
"तेरी मा की आँख तेरी तो...." राज ने फ़ौरन कॅटा निकाल कर खिड़की की तरफ फाइयर किया.
मोहित को भी पूरी बात समझते देर नही लगी उसने फुर्ती से बेड के नीचे से हॉकी निकाली और दरवाजा खोल कर बाहर भागा.
राज भी उसके पीछे-पीछे भागा.
"उसके सर पे गोली लगी होगी" राज बोला.
बेवकूफ़ उसे गोली लगी होती तो लाश अपनी खिड़की के नीचे पड़ी होती यहा तो कुछ भी नही है.
"इतनी जल्दी वो यहा से नही भाग सकता....गया कहाँ वो" राज बोला.
मोहित भाग कर वापिस कमरे में आया.
"तुम दोनो डरना मत अंदर से कुण्डी लगा लो और खिड़की को भी अंदर से बंद कर लो मैं और राज अभी अकल ठिकाने लगाते हैं उसकी.
पद्मिनी खिड़की और दरवाजा बंद कर लेती है और नगमा से कहती है, "चिंता मत करो तुम यहा सुरक्षित हो"
"देखा कितनी हिम्मत कि उसने मेरे पीछे-पीछे यहा तक आ पहुँचा" नगमा ने कहा.
"वाकाई...और तो और खिड़की से झाँक कर देख रहा था...मेरी तो रूह काँप गयी थी उसे देख कर...चेहरा ठीक से दीखाई नही दिया नही तो पहचान लेती कि वो वही है कि नही"
"तुम्हे इस सब की पड़ी है मेरा तो आज का सारा मज़ा किरकिरा हो गया"
"तू भी अजीब है...अभी तो खुद इस बारे में बोल रही थी" पद्मिनी ने कहा.
"वो तो ठीक है पर आज बहुत अजीब हुआ मेरे साथ" नगमा ने कहा.
"वो तुम बता चुकी हो" पद्मिनी ने उसे टोका.
"क्या बता चुकी हूँ?"
"यही की भोलू ने बिना पूछे....."
"पूरी बात तो सुन....बड़ी शैतानी से डाला पाजी ने मेरी गान्ड में"
"ठीक है-ठीक है समझ गयी" पद्मिनी ने उसे फिर टोका.
"अरे सुन तो सही...मैने उसे पहले ही बता दिया था कि गान्ड में नही लूँगी"
"ठीक है बाबा इतनी डीटेल काफ़ी है"
"मेरी बात तो सुन.....उसने पहले चूत में डाला और खूब घिसाई की मेरी"
"घिसाई मतलब?" पद्मिनी को इसका मतलब नही पता था और अचानक उसके मूह से निकल गया. हालाँकि उसे ये सवाल पूछ कर पछताना पड़ा.
"घिसाई मतलब कि खूब लंड अंदर बाहर किया मेरी चूत में"
"बस-बस मेरी मा समझ गयी"
"आगे तो सुन...फिर उसने मुझे घूमने को कहा ये कह कर कि पीछे से चूत में डालूँगा"
"समझ गयी उसने कही और डाल दिया....आगे रहने दो" पद्मिनी ने कहा.
"यही तो चूक गयी तुम समझने में...बड़ा पाजी निकला वो....कुछ देर तक मेरी चूत मारता रहा. बड़ा मज़ा आ रहा था. सब ठीक चल रहा था कि अचानक उसने लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया"
ना चाहते हुए भी अब पद्मिनी की भी साँसे तेज होने लगी थी. "बस अब सब क्लियर हो गया रहने दे आगे की स्टोरी"
"तुम भी ना पूरी बात तो सुनो....उसने चूत से लंड निकाल कर बड़ी चालाकी से मेरी गान्ड में डाल दिया"
"तो तुम निकलवा देती...इसमे कौन सा बड़ी बात थी" पद्मिनी ने कहा.
"निकालने को ही कहा था मैने पाजी को पर वो बोला...अब जब घुस्स ही गया है गान्ड में तो थोड़ी देर मार लेने दे."
"तो तुमने उसे करने दिया...चलो बात ख़तम हुई कुछ और बात करो" पद्मिनी ने गहरी साँस ले कर कहा.
"मैं क्यों करने दूँगी भला....मेरा भी कुछ इसटेंडर्ड है"
"स्टॅंडर्ड बोलते हैं"
"हां-हां वही वही....मैने कहा चलो 2 मिनट मार लो"
"चलो ठीक है उसने 2 मिनट किया और बात ख़तम हुई" पद्मिनी ने झुंजलाहट भरे लहजे में कहा.
"नही बाबा...वो बड़ा चालाक निकला पूरे 2 घंटे चोदता रहा वो मेरी गान्ड"
"बकवास कर रही हो...इतनी देर करना क्या मज़ाक है"
"लो कर लो बात...हां वैसे मैं 2 घंटे यू ही कह रही हूँ पर उसने 2 मिनट से तो बहुत ज़्यादा किया है ये मुझे यकीन है"
"2 मिनट भी बहुत होते हैं"
"लगता है तेरा पति तुझे 2 मिनट चोदता था"
"जी नही आराम से 10-15 मिनट हो जाता था हमारा...अपनी बात को मेरी ज़िंदागी पर मत घुमा"
"पर राज में बहुत दम है...वो 2 घंटे तक खींच लेता है"
"चल ठीक है हो गयी ना तेरी कहानी पूरी या कुछ और भी बाकी है"
"हाई सच तुझे सब बता के यादे ताज़ा हो गयी वरना तो सब गुड गोबर हो गया था थॅंक यू"
"ठीक है-ठीक है"
"पर इस भोलू को भी ना...इतनी अछी चुदाई के बाद ये सब करने की क्या ज़रूरत थी. मैं पहले ही उसके टाय्लेट में वो कमीज़ देख कर डर गयी थी. तुम्हे नही लगता कि उसे मेरा यू पीछा नही करना चाहिए था.
 

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 21


"ह्म्म....क्या पता तेरा पीछा करने वाला भोलू ना हो, बल्कि कोई और हो"
"उसके सिवा कौन हो सकता है...वही है वो किल्लर...हे भगवान मैं आज किल्लर को दे कर आई हूँ...अब तो मेरा भगवान ही मालिक है"
"मोहित और राज को आने दे सब पता चल जाएगा कि तेरे पीछे कौन था.
"एक घंटा हो गया उन्हे गये हुए...कहाँ रह गये दनो...मुझे तो डर लग रहा है" नगमा ने कहा.
"अभी तो कूद-कूद कर अपनी कहानी बता रही थी...अब डर लग रहा है तुझे हा" पद्मिनी ने ताना मारा.
"मैं भी इंसान हू...कोई पत्थर नही हूँ....एक तो अपनी प्राइवेट बाते बताओ फिर ये सब सुनो...तुम्हे पता नही मेरी सहेलिया रास्ता रोक रोक कर सुनती हैं मेरी बाते और एक तू है जिसे मेरी बातो में कोई रूचि नही है...हा"
"कहा गया वो गुरु?" राज ने कहा.
"नज़दीक ही जंगल शुरू होता है...हो सकता है उस तरफ भागा हो" मोहित ने कहा.
"चलो फिर जंगल में ही चलते हैं" राज ने कहा.
"तुम दोनो यहा क्या कर रहे हो?" राज और मोहित को किसी ने पीछे से आवाज़ दी.
वो दोनो तुरंत घूमे
"अरे रघु तू है...तूने तो डरा दिया....तू बता तू क्या कर रहा है इतनी ठंड में बाहर" राज ने कहा.
"मैने अभी गोली की आवाज़ सुनी थी...वही सुन कर बाहर आया हूँ"
"वो तो हमने भी सुनी थी पर उस बात को तो कोई 20 मिनट हो गये...तू अब निकला है बाहर"
"हां मैं वो टाय्लेट में था तब अभी आया था देखने कि क्या बात है?"
"बड़ी अजीब बात है...किसी और को गोली की आवाज़ सुनाई नही दी...सिर्फ़ तुम निकले हो देखने"
"लोग टीवी में लगे रहते हैं सुनाई नही दिया होगा"
"जाओ अंदर बैठ जाओ जाकर....लगता है आज वो किल्लर इसी इलाक़े में शिकार करेगा"
"शुभ शुभ बोल मुझे डर लगता है ऐसी बातो से...मैं तो चला...तुम भी जाओ अपने-अपने घर"
रघु अपने घर में घुस गया और फ़ौरन अंदर से कुण्डी लगा ली.
"कही ये रघु ही तो नगमा का पीछा नही कर रहा था गुरु?"
"नही ये ऐसी हरकत नही कर सकता....ये ज़रूर उसी किल्लर का काम है...मुझे यकीन है की वो आस पास ही है. कल इसी जंगल से तो आए थे हम.....वो भी शायद हमे ढूँढ रहा है"
"पर नगमा जो कह रही थी उसका क्या...हो सकता है भोलू ही उसका पीछा कर रहा हो."
"ह्म्म.....चलो उसके घर चलते हैं....अभी सारी बात क्लियर हो जाएगी"
"पर एक बात है गुरु ये दोनो बहने अलग अलग इंसान को कातिल बता रही हैं"
"देखो मुझे पूजा की बात पर तो यकीन है....बाकी नगमा का मैं कह नही सकता"
"पर नगमा भी झुटि कहानी नही बनाएगी गुरु"
"चल फिर अभी भोलू के घर जा कर दूध का दूध और पानी का पानी कर देते हैं"
"ठीक है"
राज और मोहित भोलू के घर की ओर चल पड़ते हैं.
"अभी 10 भी नही बजे और सदके सुनसान हो गयी हैं" राज ने कहा.
"सब उस का कमाल है....आजकल 9 बजते ही लोग घरो में घुस जाते हैं" मोहित ने कहा.
कुछ ही देर बाद मोहित और राज भोलू के घर पहुँच जाते हैं.
"गुरु दरवाजे पर तो ताला है" राज ने कहा.
"ह्म्म कहा गया होगा?" मोहित बड़बड़ाया.
"अब तो सब सॉफ हो गया...वही थे नगमा का पीछा करने वाला....पर उसने ऐसा क्यों किया...बेचारी ने गान्ड तो दे ही दी थी" राज ने कहा.
"क्या पता उसे उसकी गान्ड के बाद जान चाहिए हो" मोहित ने कहा.
"मतलब कि तुम मान रहे हो कि भोलू ही किल्लर है....पर पूजा ने जो कहा उसका क्या गुरु"
"अरे मज़ाक कर रहा हूँ राज तू भी ना....क्या पता ताला लगा कर किसी काम से गया हो...पोलीस की नौकरी है उसकी...शायद ड्यूटी पर गया हो." मोहित ने कहा.
"पर नगमा ने जो कमीज़ देखी थी खून के धब्बो वाली....और वो चाकू"
"ये ताला खोलना होगा" मोहित ने कहा.
"पर कैसे तोड़ने की कोशिस करेंगे तो लोग उठ जाएँगे और बिना मतलब हम धरे जाएँगे"
"तू देखता जा कैसे खोलता हूँ मैं इस ताले को" मोहित ने कहा अपनी जेब से एक नुकीली सी चीज़ निकाल कर ताले में घुस्सा दी.
"लो खुल गया" मोहित ने कहा.
"पर कैसे?" राज हैरानी में बोला.
"वो बाद में बताउन्गा...पहले भोलू का टाय्लेट चेक करते हैं"
दोनो भोलू का दरवाजा खोल कर अंदर आ जाते हैं और दवाजे को झुका लेते हैं
"कहा है टाय्लेट....हां वो रहा" मोहित बड़बड़ाया.
टाय्लेट में अभी भी वो कमीज़ वैसी की वैसी तंगी थी.
"ह्म्म...नगमा ठीक कह रही थी....ये खून के ही धब्बे हैं...आख़िर किया क्या है इस भोलू ने...आओ ज़रा अब टीवी पर रखे चाकू को भी देख ले"
"चाकू टीवी पर नही है गुरु"
"तुझे कैसे पता"
"मैने अंदर आते ही सबसे पहले टीवी पर नज़र मारी थी"
तभी अचानक घर का दरवाजा खुलता है. मोहित और राज टाय्लेट के एक कोने में दुबक जाते हैं.
उन्हे कदमो की आहट सुनाई देती है...टक...टक...
मोहित राज को बिल्कुल चुप रहने का इशारा करता है और उसे इशारो-इशारो में कॅटा देने को कहता है.
राज, मोहित को कॅटा पकड़ा देता है.
"कौन घुस्सा है मेरे घर में बिना मेरी इज़ाज़त के...सामने आओ वरना पछताओगे" भोलू ने कहा.
भोलू झटके से टाय्लेट का दरवाजा खोलता है. दरवाजा खुलते ही मोहित कॅटा भोलू की तरफ तान देता है.
"हिलना मत वरना भेजा उड़ा दूँगा....ये चाकू नीचे फेंको बहुत खून कर लिए तुमने इस से अब और नही"
"ये क्या बकवास कर रहे हो एक तो मेरे घर का ताला खोल कर अंदर घुसते हो और फिर मुझे कातिल बताते हो"
"क्या तुम नगमा का पीछा नही कर रहे थे" राज ने कहा.
"मैं क्या पागल हूँ जो उसका पीछा करूँगा" भोलू ने कहा.
"हां तुम ही हो वो पागल खूनी जिसने शहर में आतंक मचा रखा है"
"राज तू भी अपने गुरु की तरह पागल हो गया है.." भोलू ने कहा.
"अच्छा मैं पागल हो गया हूँ....तो ये बताओ कि ये तुम्हारी कमीज़ पर खून के धब्बे क्या कर रहे हैं. और तुम्हारे चाकू पर भी खून के निशान हैं. नगमा ने ये सब देखा था यहा और हमे पूरी बात बताई...तब आए हैं हम यहा"
ये सुनते ही भोलू ज़ोर-ज़ोर से हस्ने लगा और बोला, "उसने ये सब बताया तुम्हे जाकर....हे..हे...हा...हा...क्या ये नही बताया कि मैने कैसे मारी उसकी गान्ड...बड़े नखरे कर रही थी...हा..हा"
"वो भी बताया और ये भी बताया....तुम हंस क्यों रहे हो" मोहित गुस्से में बोला.
"देखो बात ऐसी है कि आज के दिन मुझे अपने कुछ रीति रीवाज़ के तहत मुर्गी की बलि देनी थी. मैं बाज़ार से ज़िंदा मुर्गी लाया था और उसे हलाल करते वक्त खून के धब्बे मेरी कमीज़ पर लग गये. मुर्गी बहुत छटपटा रही थी. मैं मुर्गी काटने में एक्सपर्ट तो हूँ नही...बड़ी मुस्किल से किया सब. तुम चाहो तो ये कमीज़ ले जाओ और इस पर लगे धब्बो की जाँच करवा लो. रही बात चाकू पर लगे खून की तो उसका जवाब तो तुम समझ ही गये होंगे...इसी चाकू से काटी थी मैने मुर्गी और बताओ कुछ और सुन-ना हो तो"
मोहित और राज एक दूसरे की तरफ देखते हैं.
"इस नगमा की वजह से बहुत अच्छा चूतिया कट गया हमारा...क्यों राज" मोहित ने कहा.
"अच्छा अब मैं समझा वो इतनी जल्दी क्यों भाग गयी यहा से...मुझे तो लग रहा था कि सारी रात चूत मरवाएगी पर वो तो एक बार देने के बाद ही भाग खड़ी हुई....दुबारा भेजो उसे मेरे पास मेरा मज़ा अधूरा रह गया." भोलू ने कहा.
"सच में तुम नगमा के पीछे नही गये थे" राज ने पूछा.
भोलू ने अपनी जेब से बीड़ी का नया बंड्ल निकाला और बोला, "मैं बीड़ी लेने गया था...यकीन ना हो तो पान्वाले से पूछ लो जाकर"
"नही अब सब क्लियर हो गया"
"वैसे एक बात बताओ...पोलीस वाला मैं हूँ और पोलीस की तरह इंक्वाइरी करते तुम घूम रहे हो"
"सॉरी भोलू...वो हम नगमा की बातो में आ गये....हम चलते हैं तुम आराम करो"
"ठीक है...और कोई बात हो तो बेझीजक आ जाना"
"ठीक है गुड नाइट" राज ने कहा.
दोनो मूह लटकाए वापिस मोहित के कमरे की ओर चल पड़ते हैं.
"गुरु जो भी हो....नगमा का पीछा करने वाला वही था"
"क्या तूने वाकाई खिड़की में किसी को देखा था"
"क्या बात करते हो गुरु...बिल्कुल देखा था...हां चेहरा सॉफ-सॉफ नही दीखा पर पद्मिनी जी और मैने उसे देखा था"
"ह्म्म आज की रात हमे चौक्कना रहना होगा...मुझे यकीन है कि वो ज़रूर यही कही आस-पास है"
बाते करते करते दोनो कमरे पर पहुँच जाते हैं.
"क्या हुआ तुम दोनो के चेहरे क्यों लटके हुए हैं" पद्मिनी ने पूछा.
"कुछ नही....कुछ भी हाथ नही लगा...पता नही कहा गायब हो गया वो" राज ने कहा.
"भोलू के घर जाना चाहिए था ना" नगमा ने कहा.
"वही से आ रहे हैं....चिकन का खून था उसकी कमीज़ पर और चाकू पर...मुर्गी काट-ते वक्त लग गया था.
"क्या कह रहे हो इसका मतलब मैने बिना मतलब के अपना मज़ा खराब किया आज" नगमा ने कहा.
"बिल्कुल अगर तुम यहा ना आती तो अभी दूसरी बार गान्ड मार रहा होता भोलू तुम्हारी" मोहित ने हंसते हुए कहा.
राज ने मोहित को इशारा किया.
"गुरु पद्मिनी जी के सामने ऐसी बाते मत करो" राज ने मोहित के कान में कहा.
"मेरी गान्ड है तुम्हे क्यों दर्द हो रहा है" नगमा बोली.
"जाओ फिर वापिस वो वेट कर रहा है तुम्हारी और यहा पर ऐसी बाते मत करो...पद्मिनी जी का ध्यान रखा करो" राज ने कहा.
नगमा ने पहले राज को घूरा फिर पद्मिनी को और बोली, "बड़ी हमदर्दी हो रही है...गान्ड में देती हूँ कि ये"
"नगमा प्लीज़......" पद्मिनी अपने कान पर हाथ रख कर चिल्लाई.
"ठीक है मैं चुप हो गयी ये लो मैने अपने मूह पर उंगली रख ली" नगमा बोली.
"तेरे मूह में लंड डाल दूँगा अगर दुबारा बकवास की तो" मोहित ने नगमा के कान में कहा.
"उसे मूह में डालके क्या मिल जाएगा असली मज़ा तो चूत में आएगा...वैसे भी तुमने चूत में नही डाला अब तक" नगमा भी धीरे से बोली.
 
  • Haha
Reactions: Riky007

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 22

"चूत फॅट जाएगी तेरी...इतना बड़ा ले भी लेगी" मोहित फिर धीरे से बोला


"जब गान्ड में ले लिया तेरा पूरा तो क्या चूत में नही जाएगा" नगमा ज़ोर से बोली.


"चुप कर मैं कुछ और पूछ रहा हूँ और तू कुछ और जवाब दे रही है" मोहित ने पद्मिनी की ओर देखते हुए कहा.


"तुम लोग मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो मैं जा रही हूँ" नगमा ने कहा.


तभी उन्हे दरवाजे के बाहर कुछ आहट सुनाई दी.


"सस्शह लगता है बाहर कोई है...." राज ने धीरे से कहा.


मोहित ने तुरंत कमरे की लाइट बंद कर दी.


"कॅटा कहा है?" मोहित ने राज से पूछा.


"तुम्हे ही तो दिया था भोलू के घर पे वही छोड़ आए क्या"


मोहित ने अपने कपड़े टटोले.


"उफ्फ वो मैने भोलू से बात करते करते टाय्लेट के वॉश बेसिन पर रख दिया था. उठाना याद ही नही रहा.


"गयी भंस पानी में अब बाहर निकलना ठीक नही है" राज ने कहा.


"कोई बात नही हॉकी तो है ना अपने पास"


"देख लो मुझ बाहर निकलना ठीक नही लग रहा बाकी तुम्हारी मर्ज़ी" राज ने कहा.


"तू चिंता मत कर देखा जाएगा जो होगा"


"ठीक है फिर खोलो दरवाजा" राज ने कहा.


मोहित धीरे से दरवाजा खोलता है और दाए बाए झाँक कर देखता है, "यहा तो कोई नही है"


"गुरु चलो अंदर वो गेम खेल रहा है हमारे साथ...हम इस गेम में नही फसेंगे...चलो सुबह देखेंगे कि आगे क्या करना है"


"ठीक कह रहे हो" मोहित कहकर दरवाजा बंद कर देता है.


"क्या हुआ....दीखा कोई" पद्मिनी ने पूछा.


"नही कोई नही दीखा" मोहित ने कहा.


"मुझे घर छोड़ आओ मैं यहा एक पल भी नही रुकूंगी....तुम लोगो के पीछे है वो ." नगमा ने कहा.


"भूल गयी यहा तक उसे तू लेकर आई थी" मोहित ने कहा.


"मुझे नही पता मुझे अपने घर जाना है" नगमा ने कहा.


"नगमा इस वक्त घर से बाहर निकलना ठीक नही है....वो बाहर ही घूम रहा है...तुम आज यही रूको"


"पर पूजा घर में अकेली है" नगमा ने कहा.


"तो क्या हुआ...वो कल भी तो अकेली थी....तू यही सो जा आज...मैं भी यही रुक रहा हूँ" राज ने कहा.


"चल ठीक है तू कहता है तो रुक जाती हूँ....पर अपने गुरु को समझा देना मेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे" नगमा ने मोहित की ओर देखते हुए कहा.


"हे भगवान अब ये रात कैसे कटेगी ये तो कल से भी ज़्यादा भयानक बन गयी है" पद्मिनी ने डबल मीनिंग बात कही.


"बीत जाएगी मैं हूँ ना साथ तुम्हारे...तुम डरो मत" नगमा ने कहा.


"तुम हो तभी तो डर है" पद्मिनी धीरे से बड़बड़ाई.


"क्या कहा तुमने?" नगमा ने पूछा.


"कुछ नही यही की बिस्तर एक है और हम चार" पद्मिनी ने कहा.


"कोई बात नही हम दोनो यहा बिस्तर पर लेट जाएँगे और ये दोनो नीचे चटाई पर"


"तुम्हारे साथ नही लेटुंगी मैं" पद्मिनी ने कहा.


"तो क्या इन दोनो के साथ लेटोगी हे..हे..."


"चुप करो नगमा परेशान मत करो पद्मिनी जी को" राज बोला.


"भाई मैं तो सोने जा रही हूँ जिसे मेरे साथ सोना हो आ जाए" नगमा ने कहा और रज़ाई में घुस्स गयी. घुसते हुए उसने मोहित को आँख मारी. मोहित उसकी तरफ हंस दिया.


मरती क्या ना करती पद्मिनी पैर पटक कर रज़ाई का दूसरा कौना पकड़ कर घुस गयी. रज़ाई डबल बेड वाली थी इसलिए दोनो आराम से उसमे समा गये.
..............................
................................
"आ रही हो क्या"


"हां आ तो रही हूँ पर तुम्हारे घर के बाहर जो पोलीस वाले हैं उसका क्या"


"उनकी चिंता मत कर वो मेरी सुरक्षा के लिए हैं ना कि मज़ा खराब करने के लिए"


"कल रात तो मुझे अकेला छोड़ कर चले गये थे अब तुम्हे बेचैनी हो रही है"


"कल जाना ज़रूरी था तू नही समझेगी....तडपा मत जल्दी आजा अब"


"कल कितना अच्छा मोका था.....आज रात मेरे पति देव भी आ जाएँगे...पहली बार पूरी रात थी हमारे पास......तुमने सब गड़बड़ कर दिया"


"रात के 2 बजे पहुँचेगी उसकी ट्रेन...तब तक तो 2-3 बार कर लेंगे"


"अच्छा 2-3 बार नही बस एक बार करके में आ जाउन्गि...मुझे मेरे पति की भी तो सेवा करनी है.....2-3 बार में तो तक जाउन्गि मैं"


"अब आ भी जाओ मेरी प्यारी मोनिका....वरना बातो बातो में ही 2 बज जाएँगे"


"ठीक है मैं आ रही हूँ....पर ध्यान रखना मेरी इज़्ज़त का सवाल है...पोलीस वाले तो मुझे देखेंगे ही घर में आते हुए"


"तू चिंता मत कर मैं उन्हे संभाल लूँगा"


"ठीक है...मैं 15 मिनट में पहुँच रही हूँ"


"कैसे आओगी?"


"स्कूटी है ना"


"ठीक है जल्दी आओ" ये कह कर सुरिंदर फोन काट देता है.


सुरिंदर बाहर आता है और एक कॉन्स्टेबल से कहता है, "देखो भाई...मुझसे मिलने मेरा कोई गेस्ट आ रहा है"


"कौन आ रहा है?"


"उस से तुम्हे क्या?"


"देखो सब इनस्पेक्टर साहब का हूकम है कि उनसे पूछे बिना कोई आपसे नही मिलेगा"


"अजीब बात कर रहे हो तुम भी.....मैं तो विटनेस बन के फँस गया....तभी तो कोई पोलीस के पचदे में नही पड़ना चाहता"


"क्यों महेंदर तू क्या कहता है....विजय सर से बात करूँ क्या"


"छोड़ ना रमेश....आने दे इसके गेस्ट को....क्या दिक्कत है"


मुझे क्यों दिक्कत होगी...कहीं विजय सर से ना डाँट पड़े"


"तुम्हारा गेस्ट स्टे तो नही करेगा ना?" महेंदर ने पूछा.


"नही-नही बस हाल चाल पूछ कर चला जाएगा मेरा गेस्ट"


"ह्म्म ठीक है फिर कोई दिक्कत नही" महेंदर ने कहा.


तभी घर के बाहर एक स्कूटी आ कर रुकी.


"क्या यही गेस्ट है तुम्हारी" रमेश ने मोनिका को देख कर कहा.


"हां" सुरिंदर ने जवाब दिया.


"पहले ही बता देते की गेस्ट एक महिला है तो हम इतना कुछ पूछते ही नही" रमेश ने कहा.


सुरिंदर ने रमेश की बात का कोई जवाब नही दिया. "आओ मोनिका...मैं तुम्हारा ही वेट कर रहा था"


मोनिका सुरिंदर के साथ अंदर आ गयी. अंदर आते ही सुरिंदर ने दरवाजा अच्छे से बंद कर लिया.


"उन पोलीस वालो के सामने मेरा नाम लेने की क्या ज़रूरत थी" मोनिका ने थोड़ा गुस्से में कहा.


"अचानक मूह से निकल गया......छोड़ ना ये सब"


"बिस्तर वैसे का वैसा पड़ा है जैसा मैं छोड़ कर गयी थी"


"तुम किस वक्त गयी थी"


"सुबह 6 बजे तक वेट किया तुम्हारा....थक हार कर जाना ही पड़ा"


"चिंता मत करो सारी कसर पूरी कर दूँगा अब" सुरिंदर ने मोनिका को बाहों में भर के कहा.


बाहर रमेश, महेंदर से कहता है, "लगता है गरमा गर्मी का सीन बनेगा अंदर....कुछ आइडिया लगा देखने का, टाइम पास हो जाएगा वैसे भी यहा खड़े खड़े बोर ही होना है"


"मैं खुद यही सोच रहा हूँ पर कोई राउंड पे आ गया तो दिक्कत हो जाएगी"


"देखी जाएगी यार....हम क्या यहा बोर होते रहेंगे"


"ठीक है चल फिर करते हैं कुछ"


घर के अंदर सुरिंदर और मोनिका बाहों में बाहें डाले खड़े थे.


"पोलीस वाले बड़ी गंदी नज़र से देख रहे थे मुझे" मोनिका ने कहा.


"उनकी क्या ग़लती है...तू चीज़ ही ऐसी है"


"अच्छा इसका कोई भी ऐरा ग़ैरा मुझे कैसे भी घुरेगा"


"छ्चोड़ ना पोलीस वालो को...इनकी तो नज़रे ही गंदी होती हैं"


"वैसे तुम्हारी भी नज़रे कम गंदी नही हैं अभी...क्या देख रहे हो"


"तुम्हारे बूब्स पर टिकी हैं निगाहे ये...यू हॅव गॉट वेरी नाइस टिट्स"


"शुक्रिया जनाब....अब जब इनकी इतनी तारीफ़ कर रहे हो तो इनको थोड़ा प्यार दे दो"


"बिल्कुल जी बिल्कुल....अभी सक करता हूँ...निकालो इन्हे बाहर"


मोनिका अपने उपर के सभी कपड़े उतार देती है.


"हाई रे क्या चुचियाँ हैं काश हमे भी मिल जायें ये चूसने को" महेंदर ने रमेश से कहा.


"सच में...इतनी सेक्सी चुचियाँ मैने कभी नही देखी" रमेश ने कहा.


दोनो ने घर में झाँकने का इंतज़ाम कर ही लिया था.


सुरिंदर मोनिका के बूब्स को दोनो हाथो से मसल्ने लगता है


"आअहह....क्या तुम्हे अच्छे लगते हैं बूब्स मेरे"


"अच्छे....ये तो कयामत हैं....पोलीस वालो की कोई ग़लती नही है....इतने बड़े बड़े चुचो को कोई भी घुरेगा" सुरिंदर ने कहा.


महेंदर और रमेश उनकी बाते सुन कर मुस्कुरा रहे थे.
 

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 23


"हम तो अभी भी घूर रहे हैं...हमारी कोई ग़लती नही है. क्यों रमेश" महेंदर ने कहा.


"बिल्कुल...हे...हे..हा"


"ज़ोर से मत हंस उन्होने सुन लिया तो मज़ा किरकिरा हो जाएगा" महेंदर ने कहा.


"सॉरी तुम्हारी बात पर हँसी आ गयी" रमेश ने कहा.


"काश संजय को रोज कोई ना कोई काम रहे बाहर...हमारे मज़े लग जाएँगे" सुरिंदर ने कहा.


"सक इट नाउ" मोनिका ने कहा.


"एक एक बूब हमे पकड़ा दो हम अच्छे से चूसेंगे...इसके बस्का कुछ नही है" महेंदर ने कहा.


"धीरे बोलो यार कही सुन ना ले" रमेश ने कहा.


सुरिंदर बारी-बारी से मोनिका के निपल्स को मूह में दबा कर चूसने लगता है


"आअहह...म्म्म्ममम....यस....मै
ं गीली हो गयी....आअहह कुछ करो"


"चल नाडा खोल फिर देर किस बात की है" सुरिंदर ने कहा.


मोनिका ने झट से नाडा खोला और सलवार उतार दी. उसने नीले रंग की पॅंटी पहनी हुई थी. पॅंटी को भी उसने एक झटके में अपने शरीर से अलग कर दिया.


"वाउ.....क्या बॉडी है यार......बूब्स की तरह इसकी गान्ड भी बड़ी है...लगता है खूब मरवाती है गान्ड ये" मोहिंदर ने कहा.


"चूत तो देख एक दम चिकनी है...एक भी बाल नही है....इट्स ए वंडरफुल चूत" रमेश ने कहा.


"इस वंडरफुल चूत ने हमारी मुस्किल बढ़ा दी है....लेनी पड़ेगी ये चूत अब तो वरना हर वक्त दिमाग़ में घूमती रहेगी" महेंदर ने कहा.


"पर हम कैसे ले पाएँगे इस की.....भूलो मत हम यहा ड्यूटी पे हैं" रमेश ने कहा.


"सोचने में क्या बुराई है...मिले ना मिले आगे अपनी किस्मत है" महेंदर ने कहा.


"लो थोड़ा चिकना कर दो मेरे मेरे लंड को"


"उसकी ज़रूरत नही पड़ेगी शायद मुझे काफ़ी गीली लग रही मेरी पुसी" मोनिका ने कहा.


सुरिंदर ने मोनिका की चूत में उंगली डाली और बोला, "हां ऐसा लगता है जैसे ये पुसी आज नहा के आई है"


"फक मी नाउ..." मोनिका ने कहा.


"आज तुम चोदो मेरे उपर चढ़ कर...क्या कहती हो?"


"ठीक है लेट जाओ फिर" मोनिका ने कहा.


सुरिंदर बिस्तर पर लेट गया और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर बोला, "टेक इट बेबी"


मोनिका सुरिंदर के उपर आ गयी और अपनी गान्ड को सुरिंदर के लंड के ठीक उपर हवा में थाम लिया.


"ले आओ अपनी गान्ड नीचे अब क्यों तडपा रही हो" सुरिंदर ने कहा.


"मेरे होल पे रख दो बाकी मैं संभाल लूँगी"


सुरिंदर ने लंड को चूत के द्वार पर टीका दिया और बोला, "अपनी गान्ड नीचे को पुश करो...खुद-ब-खुद घुस्स जाएगा ये चूत में"


मोनिका ने अपनी गान्ड को नीचे की ओर पूस किया और सुरिंदर का लंड मोनिका की चूत में गायब होता चला गया.


"हाई रे क्या एंट्री दी है लंड को....काश मेरा भी ले ले ऐसे ही" मोहिंदर ने कहा.


"क्या किस्मत है उस लंड की जो कि गरम चूत में घुस्सा हुआ है...एक हमारे लंड हैं जो यहा ठंड में थितुर रहे हैं"


"देख-देख कैसे उछल रही है उसके उपर" महिनदर ने कहा.


"पूरे लंड को बाहर निकाल के अंदर ले रही है..मज़ा आ गया यार ये तो पोर्न मोविए से भी अच्छा लग रहा है" रमेश ने कहा.


"आअहह मोनिका और ज़ोर से उछलो...मज़ा आ रहा है" सुरिंदर ने कहा.


"थक गयी मैं अब तुम करो" मोनिका ने कहा.


मोनिका सुरिंदर के उपर से उतर कर टांगे फैला कर लेट गयी और बोली, "संजय को बहुत पसंद है ये पोज़िशन"


"कौन सी पोज़िशन?"


"यही जिसमे मैं उपर थी"


"किसके साथ ज़्यादा मज़ा आता है....मेरे साथ या अपने पति के साथ" सुरिंदर ने कहा.


"ह्म्म दौनो के साथ अपना मज़ा है" मोनिका ने कहा.


"सुन रहे हो रमेश....पति से दुखी नही है फिर भी अपने यार को देती है...इसे कहते हैं कलयुग"


"देने दो यार उसकी चूत है तेरा क्या जाता है...तू भी तो भाभी से दुखी नही है...क्या तू नही लेता दूसरी लड़कियों की"


"कहा यार बहुत दिन से कोई चूत नही मिली बस बीवी से ही काम चला रहा हूँ"


"तेरे सामने क्या है....इसकी हम आसानी से ले सकते हैं" रमेश ने कहा.


"ह्म्म बात तो ठीक है...ऐसा मोका रोज-रोज थोड़े ही मिलता है." महेंदर ने कहा.


अंदर सुरिंदर मोनिका को मिशनेरी पोज़िशन मे चोद रहा है.


"उउउहह यस फक मी हार्ड....." मोनिका ने कहा.


"संजय से हार्ड चोदुन्गा तुझे हे..हा..हा" सुरिंदर ने कहा.


"यस...डीपर आअहह हार्डर यस आइ आम कमिंग....उऊहह" मोनिका बड़बड़ाई.


"मेरा काम होने वाला है....पानी अंदर छोड़ दू क्या या बाहर छोड़ू"


"छोड़ दो अंदर कोई बात नही"


"देख लो कही संजय की जगह मेरे बच्चे खेले तुम्हारे आँगन में"


"गोली खा रही हूँ...चिंता की बात नही...आअहह"


"ये लो फिर.....आआहह" ये कह कर सुरिंदर ने बहुत तेज तेज धक्के मारे और अपने पानी को मोनिका की चूत की खाई में गिरा दिया.


"बहुत बढ़िया सीन देखा आज ये हमने" महिनदर ने कहा.


"चलो अब बाहर गेट के पास खड़े होते हैं कहीं साहब राउंड पे आ जाए"


"आआहह मज़ा आ गया...पर एक बात है...जब तुम बहुत तेज तेज धक्के लगा रहे थे कुछ आहट सुनाई दी थी मुझे"


"मुझे तो कुछ सुनाई नही दिया" सुरिंदर ने कहा.


हो सकता है मुझे वेहम हुआ हो पर फिर भी तुम चेक कर लेना. एक बात और पूछनी थी तुमसे" मोनिका ने कहा.


"क्या तुमने सच में उस लड़की को खून करते देखा था"


"तुझे क्या लगता है मैं झूठ बोल रहा हूँ"


"नही मेरा मतलब ये है कि वो लड़की देखने में बिल्कुल कातिल नही लगती"


"तुम कौन सा देखने में स्लुत लगती हो...पर तुम एक नंबर की स्लुत हो"


"ऐसा कुछ नही है जनाब बंदी, अपने पति के अलावा सिर्फ़ आप को देती है...वरना तो दुनिया घूमती है मेरे पीछे"


"वो तो है...मैं तो मज़ाक कर रहा था."


वैसे रात को किसके साथ गये थे तुम....और उस सीरियल किल्लर तक कैसे पहुँच गये"


"तुझे क्या करना है ये सब जान के"


"चलु मैं अब?" मोनिका ने कहा.


"अभी तो सादे 11 हुए हैं अभी जा कर क्या करोगी. ऐसा कर संजय को फोन कर दे कि तू किसी मॅरेज में गयी है""


"तो क्या यहा से 2 बजे निकलु. उस वक्त सड़के बिल्कुल शुन्सान होंगी. रही बात मॅरेज में जाने की तो वो मुमकिन नही है क्योंकि अभी शाम को ही बात हुई थी मेरी संजय से...अचानक मॅरेज का बहाना ठीक नही होगा."


"सड़के तो इस वक्त भी शुन्सान होंगी....उस किल्लर का ख़ौफ़ जो फैला है चारो और"


"कुछ भी हो मुझे जाना तो पड़ेगा ही"


"ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी" सुरिंदर ने कहा.


मोनिका ने कपड़े पहने और बोली, "ठीक है फिर...मैं चलती हूँ"


"रूको मैं ज़रा टाय्लेट जा कर आता हूँ, मैं तुम्हे बाहर तक छोड़ दूँगा"


"मैं निकल रही हूँ लेट हो जाउन्गि"


"अरे रूको तो"


पर मोनिका दरवाजा खोल कर बाहर आ गयी और अपनी स्कूटी स्टार्ट करने लगी. पर किसी कारण से वो स्टार्ट नही हो पाई.


"क्या हुआ मैं कुछ मदद करूँ" महिनदर ने मोनिका के पास आ कर कहा.


"जी नही ये मेरी स्कूटी है और मैं अच्छे से जानती हूँ कि इसे स्टार्ट कैसे करना है"


महिनदर ने मोनिका की गान्ड पर हाथ रखा और बोला, "जी हां ये स्कूटी भी आपकी गान्ड की तरह है...बहुत अच्छे से टीकाई थी ये गान्ड आपने सुरिंदर के लंड पे...लंड सीधा घुस्स गया था"


मोनिका ने महिनदर का हाथ अपनी गान्ड से दूर झटक दिया और बोली,"तो तुम सब देख रहे थे हां शरम नही आती तुम्हे"


"इसने अकेले ने नही देखा मैने भी देखा...बहुत प्यार से देती हो चूत तुम...हमे कब दोगि" रमेश ने कहा.


"शट अप...मेरे पास फालतू वक्त नही अपनी बकवास किसी और को सुनाओ"


मोनिका ने एक बार फिर से ट्राइ किया और स्कूटी स्टार्ट हो गयी और वो बैठ कर चल दी.


"सोच लेना हम यही है" महिनदर ने मोनिका के पीछे से आवाज़ लगाई


तभी एक आहट होती है.


"ये आवाज़ कहा से आई" रमेश ने कहा.


"पता नही...ऐसा लगता है घर के अंदर से आई है" महिनदर ने कहा.


लेकिन तभी आवाज़ लगातार आने लगी.


"ऐसा लग रहा है जैसे कोई दरवाजा पीट रहा हो" रमेश ने कहा.


"आवाज़ घर के पीछे से आ रही है" महिनदर ने कहा.


"चलो चल कर देखते हैं" रमेश ने कहा.


वो दोनो घर के पीछे आते है. पर वाहा पहुँचते ही उनके होश उड़ जाते हैं.


सुरिंदर खून से लथपथ था और खिड़की का शीसा पीट रहा था.


"ओह गॉड....अंबूलेंस बुलाओ जल्दी और हां विजय सर को भी फोन कर दो" मोहिंदर ने कहा और वो घर के दरवाजे की तरफ भागा.


दरवाजा खुला ही था. महिनदर भाग कर घर के अंदर घुस्स गया और वाहा पहुँच गया जहा से सुरिंदर खिड़की को पीट रहा था.


"अंबूलेंस आ रही है"रमेश भी उसके पीछे-पीछे आ गया.


"अब कोई फ़ायदा नही ये मर चुका है" महिनदर ने कहा.


"अपनी तो नौकरी गयी समझो अब" रमेश बाल पकड़ कर नीचे बैठ गया.


"तुम्हे क्या लगता है...क्या वो लड़की इसे मार कर गयी है" रमेश ने कहा.


"सस्स्शह" महिनदर ने रमेश को चुप रहने का इशारा किया.


"जिसने भी इसे मारा है..अभी यही छुपा है...तुम उस कमरे में देखो, मैं टाय्लेट किचन और स्टोर रूम में देखता हूँ" महिनदर ने धीरे से कहा.


"ठीक है...कोई भी बात हो तो ज़ोर से आवाज़ देना" रमेश ने कहा.


"ठीक है...चौक्कने रहना"


महिनदर टाय्लेट की तरफ बढ़ता है और रमेश कमरे की तरफ.


महिनदर टाय्लेट का दरवाजा खोलता है....लेकिन वो अपने बिल्कुल पीछे खड़े साए को नही देख पाता.


"क्या ढूँढ रहे हो" उस साए ने कहा.


महिनदर ने तुरंत मूड कर देखा लेकिन उसके मुड़ते ही उसके पेट को तेज धार चाकू ने चीर दिया.
 

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 24

"रा........" महिनदर के मूह से सिर्फ़ इतना ही निकल पाया क्योंकि अगले ही पल उस साए ने उसके मूह को दबोच कर उसका गला काट दिया. साए तो तड़प्ते हुए खून से लटपथ महिनदर को एक तरफ धकेल दिया. महिनदर मूह के बल फार्स पर गिर गया. वो दम तोड़ चुका था.
जब महिनदर ज़मीन पर गिरा तो ज़ोर की आवाज़ हुई. रमेश उसे सुन कर कमरे से बाहर आया.
"महिनदर कहा हो तुम....यहा तो कोई नही है...तुम्हे मिला क्या कुछ" रमेश ने कहा.
जब कोई रेस्पॉन्स नही आया तो रमेश टाय्लेट की ओर बढ़ा. वो साया रमेश को आता देख दीवार से चिपक गया.
"ओह नो..." रमेश ने महिनदर को फार्स पर पड़े देख कर कहा.
वो तुरंत महिनदर के पास आया और बोला, "महिनदर....महिनदर"
बस इतना ही बोल पाया था रमेश क्योंकि अगले ही पल उस साए ने उसकी गर्दन चीर दी. रमेश लड़खड़ा कर महिनदर के उपर गिर पड़ा.
नीचे गिरते ही रमेश ने उस साए को देखा. उसके आँखे हैरानी से फॅंटी रह गयी.
"मुझे ढूँढ रहे थे हा...हो गयी तस्सल्ली अब"
पर रमेश कोई भी जवाब देने से पहले ही दम तौड चुका था.
..............................
........
"गुरु लाइट बंद कर दू या जली रहने दूं" राज ने कहा.
"अरे लाइट बंद करो....ये भी क्या पूछने की बात है...रोशनी में मुझे नींद नही आती" नगमा ने कहा.
"ठीक है...मैं बंद कर देता हूँ" राज ने कहा.
पद्मिनी ने कुछ रिक्ट नही किया और चुपचाप करवट लिए पड़ी रही"
"वैसे तुम्हारी नौकरी का क्या हुआ......या फिर सब काम धनदा छोड़ कर कातिल के पीछे पड़े हो" नगमा ने कहा.
"अरे भोलू को कहा तो था कि पता करे बताया ही नही उसने कुछ अब तक" राज ने कहा.
"बिना पैसे दिए भरती नही होती पोलीस में...अपनी उम्मीद छोड़ दो" मोहित ने कहा.
"कैसी बात करते हो गुरु....लिस्ट में तो मेरा नाम था ना.....जाय्निंग ही लेट हो रही है" राज ने कहा.
"6 महीने हो गये इस बात को समझने की कोशिस कर तेरा नाम ग़लती से आ गया था लिस्ट में....जब तुमने कोई पैसा नही दिया तो तुम्हारी सेलेक्षन कैसे होगी...सबने 50-50 लाख दिए थे लिस्ट में आने के लिए और तुम फ्री में आ गये....ऐसा होता है कभी क्या....सब की जाय्निंग हो गयी बस तुम्हारी लटकी पड़ी है" मोहित ने कहा.
"शायद तुम ठीक कह रहे हो....पर ना जाने क्यों मुझे उम्मीद है की जिस तरह लिस्ट में मेरा नाम आया था वैसे ही मेरी जाय्निंग भी हो जाएगी....और एक बार मैं पोलीस में चला गया तो उस की खैर नही"
"मेरा राज सपने बहुत देखता है" नगमा अचानक बोली.
"तेरी गान्ड इसने पहले सपने में ही मारी थी फिर सचमुच में भी मार ली....हे..हे..हा..हा" मोहित ने कहा.
"तुमने सिखाया है इसे गान्ड मारना वरना मेरा राज बस मेरी चूत घिसता था बस" नगमा ने कहा.
राज ने मोहित को कोहनी मारी, "क्या करते हो गुरु...पद्मिनी जी का तो ख्याल किया करो...तुम भी नगमा की तरह कुछ भी बोल देते हो और उसे भी मोका मिल जाता है कुछ भी बोलने का" राज ने धीरे से कहा.
"क्या करूँ यार यू ही ज़ुबान फिसल जाती है....वैसे तू ये बता बहुत चिंता रहती है तुझे पद्मिनी जी की दिल आ गया क्या तेरा उस पर उहह" मोहित ने भी धीरे से कहा
"क्या बात करते हो गुर...मैं तो बस"
"पद्मिनी जी की चूत मिलनी मुस्किल है...सपने देखना छोड़ दे" मोहित ने कहा.
"ऐसा कुछ नही है जैसा तुम सोच रहे हो....मुझे तो बस इंसानियत के नाते हमदर्दी है पद्मिनी जी से. हां पद्मिनी जी बहुत सुंदर हैं....पर मैं अब कुछ ऐसा वैसा नही सोचता"
"क्यों बे टीवी पर पद्मिनी जी को देख कर तो मूठ मार ली थी तूने और अब ऐसी बाते कर रहा है"
"तब की बात अलग थी....मैं मिला नही था तब पद्मिनी जी से....मिल कर उनके बारे में कुछ और ही अहसास हैं"
"साले कही ये प्यार तो नही है....शादी-शुदा है वो"
"मैं उनकी रेस्पेक्ट करता हूँ बस....मेरे मन में उनके प्रति कोई ग़लत ख्याल नही है...हर लड़की एक जैसी नही होती, समझा करो गुरु"
"ह्म....अच्छा एक बात बता पूजा के बारे में क्या ख्याल है या फिर वाहा भी तेरे इरादे नेक हैं" मोहित ने कहा.
"पूजा के बारे में इरादे बिल्कुल नेक नही हैं....पर लगता है वो पहले ही डलवा चुकी है...ज़रूर उस विक्की ने ली होगी उसकी"
"ह्म पूरी बात तो पता नही पर लगता तो यही है कि उसने पूजा की भी पॉर्न मूवी बनाई थी"
"हां और शायद वो उसे ब्लॅकमेल कर रहा था...तंग आकर वो उसे मारने पहुँच गयी" राज ने कहा.
राज और मोहित ने जितनी बाते सुनी थी विक्की के घर पे उसके अनुसार अंदाज़ा लगा रहे थे.
"पूजा वैसे पद्मिनी जी से कम सुंदर नही है" राज ने कहा.
"अच्छा तो तू पूजा की चूत मार के पद्मिनी जी का मज़ा लेगा" मोहित ने कहा.
"नही गुरु तुम फिर मुझे ग़लत समझ रहे हो...मैं सच्चे मन से पद्मिनी जी की मदद कर रहा हूँ"
"ह्म....पर पूजा नगमा जैसी नही है....वो इतनी आसानी से नही देगी अपनी" मोहित ने कहा.
"जानता हूँ....सच कहूँ तो मैं तो पूजा को पटाने के लिए ही चक्कर लगाता था उसके घर के लेकिन पट गयी नगमा" राज ने कहा.
"तो क्या हुआ नगमा पूजा जैसी सुंदर ना सही पर इसकी अपनी ही सुंदरता है...बॉडी बहुत सेक्सी है साली की" मोहित ने कहा.
"वो तो है तभी तो मैने मोका नही गवाया. पहली बार नगमा को उसी के घर में चोदा था"
"क्या बात है असली गुरु तो तुम हो मैं तो बस नाम का गुरु हूँ"
"पूजा को भी पटा लेता पर उसने एक बार हमे देख लिया"
"वो कैसे?"
"मैने नगमा को एक बार फिर उसी के घर में चोद रहा था. बापू इसका कही गया था और पूजा कॉलेज गयी थी. पूजा कॉलेज से जल्दी आ गयी और उसने खिड़की से सब देख लिया"
"फिर तो तेरा चान्स कम है....तुझे नही देगी वो" मोहित ने कहा.
"कोशिस करने में क्या हर्ज़ है....वैसे आज तो उसने अच्छे से बात की मुझसे"
"मुझे तो वो भी पद्मिनी जैसी लगी...बाकी तेरी किस्मत...तुझे मिल जाए तो मेरा भी ध्यान रखना"
"ध्यान रखना मतलब वो नगमा नही है...इसकी बात और है"
"है तो इसी की बहन...देखना वो भी इसी के जैसी बनेगी" मोहित ने कहा.
"मुझे ऐसा नही लगता पूजा और नगमा में ज़मीन आसमान का फ़र्क है" राज ने कहा.
इधर नगमा बार-बार कर्वते बदल रही है.
"अफ अजीब बिस्तर है ये तो नींद ही नही आ रही" नगमा धीरे से बड़बड़ाई.
अचानक वो पद्मिनी से आकर चिपक गयी और बोली, "सो गयी क्या तुम"
"क्या है...दूर हटो"
"डरो मत मैं ऐसी लड़की नही हूँ...मुझे सिर्फ़ आदमियों के लंड अच्छे लगते हैं" नगमा ने कहा.
"फिर भी दूर रहो मुझसे...नींद आ रही है मुझे" पद्मिनी ने कहा.
"मुझे तो बिल्कुल नींद नही आ रही इस पर तुम कैसे सो रही हो" नगमा ने कहा.
"आँखे बंद करो और सो जाओ...नींद आ जाएगी" पद्मिनी ने कहा.
"राज बड़ी फिकर करने लगा है तुम्हारी मुझे चिंता हो रही है...कहीं इतनी अछी चूत मारने वाला तुम मुझसे छीन ना लो" नगमा ने कहा.
"मेरा कोई इंटेरेस्ट नही है राज में समझी कितनी बार बताउ मैं....वैसे हर किसी के साथ तुम चल पड़ती हो फिर राज से इतना लगाव क्यों है"
"तुम नही समझोगी उसके जैसा प्रेमी मिलेगा ना तभी समझ पाओगि" नगमा ने कहा.
"मुझे समझना भी नही है" पद्मिनी ने कहा.
"राज जिस तरह से चूत में घुसाता है वैसे कोई और नही घुसाता. ख़ासकर जिन आदमियों से मैं मिली हूँ वो तो राज के आगे फीके ही हैं" नगमा ने कहा.
"ये सब एक नंबर की बकवास है" पद्मिनी बड़बड़ाई.
"नही सच कह रही हूँ" नगमा ने कहा. नगमा ने पद्मिनी के चुतड़ों पर हाथ रखा और बोली, "पता नही क्या करता है वो...गान्ड को पकड़ कर जोरदार तरीके से घुसाता है चूत में लंड"
पद्मिनी ने नगमा का हाथ अपने चताड़ो से दूर झटक दिया और बोली, "यहा टच मत करो"
"क्यों क्या हुआ कुछ-कुछ होता है क्या....मुझे लग ही रहा था कि तुम्हारी गान्ड बहुत सेक्सी है अब साबित भी हो गया. लिया है ना तूने भी गान्ड में"
"ऐसा कुछ नही है...मैं ये उल्टे काम नही करती" पद्मिनी ने कहा.
"मैं ही कौन सा करती हूँ पर ये आदमी लोग किसी ना किसी बहाने से ले ही लेते हैं मेरी गान्ड अब देखो ना कैसे मारी थी भोलू ने मेरी गान्ड आज जबकि मैने उसे पहले ही मना किया था." नगमा ने कहा.
"वो कहानी तुम सुना चुकी हो...सो जाओ अब रात बहुत हो गयी है" पद्मिनी ने कहा.
"सच बता क्या तुमने सच में नही लिया गान्ड में अब तक" नगमा ने पूछा.
"अब क्या स्टंप पेपर पे लिखवा के लाकर दू" पद्मिनी झल्ला कर बोली.
"ठीक है ठीक है तुम्हारी गान्ड है तुम ज़्यादा अच्छे से जानती हो...वैसे तेरा पति एक नंबर का चूतिया था जो उसने इतनी सेक्सी गान्ड नही मारी" नगमा ने कहा.
"दूर हटो अब...मेरी नींद ना खराब करो" पद्मिनी ने नगमा को झटका दिया.
"ओके जी मैं तो हाल-चाल पूछने आई थी गुड नाइट" नगमा ने कहा.
...................................................
"उफ्फ मैं अपने गले की चैन शायद सुरिंदर के घर भूल आई" मोनिका बड़बड़ाई.
मोनिका अपने घर पहुँच गयी है. उसे ज़रा भी अंदाज़ा नही कि उसके सुरिंदर के घर से जाने के बाद वाहा खून की नादिया बह गयी.
"अभी सुरिंदर को फोन करती हूँ..."
मोनिका सुरिंदर का फोन ट्राइ करती है.
"क्या बात है...ये फोन क्यों नही उठा रहा" मोनिका बड़बड़ाई.
"शायद सो गया होगा....मैं भी थोड़ी देर लेट लेती हूँ....सुबह बात करूँगी सुरिंदर से."
मोनिका बिस्तर पर पसर जाती है.
"सुरिंदर के साथ कब तक चलेगा ये सब....किसी दिन संजय को पता चल गया तो....नही...नही ऐसा नही होगा....पर जो भी हो मुझे जल्दी ये सब ख़तम करना होगा"
"इस से पहले की मेरे तन की हवस मेरी ज़िंदागी बर्बाद कर दे...इस कहानी को यही ख़तम किया जाए. पर मैं ये भी जानती हूँ कि ये सब सोचना आसान है और करना मुस्किल...चलो देखते हैं किस्मत कहा ले जाती है"
"ना मैं उस दिन शादी में जाती और ना ही सुरिंदर के चक्कर में फस्ति......कम्बख़त ने पहली ही मुलाकात में फँसा लिया मुझे" मोनिका सोचते-सोचते ख़यालो में खो जाती है.......................
 

The Immortal

Live Life In Process.
Staff member
Sr. Moderator
57,994
42,932
354
Update 25

"हाइ मोनिका संजय कहा है?"


"यार सोनिया वो किसी काम में बिज़ी थे नही आ पाएँगे"


"चल कोई बात नही इनसे मिलो ये हैं मिस्टर सुरिंदर मेरे बड़े भाई"


सुरिंदर ने मोनिका को उपर से नीचे तक देखा और बोला,"सोनिया तुम्हारी फ़्रेंड तो बहुत सुंदर है"


मोनिका ने सुरिंदर की नज़रो में देखा और शरम से अपनी नज़रे झुका ली.


"भैया आप मोनिका से बात करो मैं अभी आई" सोनिया ने कहा.


"अरे सोनिया सुन तो" मोनिका ने सोनिया को टोका पर वो उसकी बात उनसुनी करके चली गयी.


"आप शादी शुदा हो" सुरिंदर ने पूछा.


"हाँ और आप?" मोनिका ने पूछा.


"अभी कुँवारा हूँ....आप जैसी हसीना मिल जाती तो अब तक शादी हो चुकी होती"


मोनिका फिर से शर्मा उठी.


"क्या बात है आप शरमाती बहुत हैं आओ थोड़ा एकांत में चलते हैं यहा भीड़ बहुत है"


"एकांत! एकांत में क्यों"


"देखो मेरे इरादे तुम्हारे बारे में बिल्कुल नेक नही हैं....मर्ज़ी हो तो चलो वरना रहने दो...मैं घुमा फिरा कर बात नही करता."


"हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी..."


"बिना हिम्मत के चूत नही मिलती मेडम"


"एक्सक्यूस मे! क्या कहा आपने"


"वही जो आपने सुना....मैं उस गार्डेन में जा रहा हूँ....अपनी चूत में मेरा लंड फील करने की इच्छा हो तो चली आना" सुरिंदर ने गार्डेन की ओर इशारा करते हुए कहा.


"तुम्हे क्या लगता है मैं तुम्हारे झाँसे में आउन्गि....आइ आम हॅप्पिली मेरिड....मुझ पे वक्त बर्बाद मत करो"


"मैं तो इनवेस्टमेंट कर रहा हूँ वक्त की....क्या पता रिटर्न मिल जाए"


सुरिंदर ने आस पास देखा और मोनिका की गान्ड पे हाथ रख कर बोला, "आओ ना ऐसा मज़ा दूँगा की अपने पति को भूल जाओगी"


"हाथ हटाओ जनाब कोई देख लेगा...वैसे मेरे पति मुझे बहुत मज़ा देते हैं"


"आज दूसरा लंड ट्राइ करके देखो....यू विल फील बेटर" सुरिंदर ने कहा.


"आइ आम नोट इंट्रेस्टेड"


"एक बार चलो तो......कुछ और ना सही तन्हाई में प्यार की दो बाते ही कर लेंगे"


"ह्म ठीक है पर बातो के अलावा और कुछ नही ओके" मोनिका ने कहा.


"ओक जी....चलो तो सही"


दोनो गार्डेन में आ जाते हैं.


"अच्छा गार्डेन बनाया है पॅलेस वालो ने....शादी के धूम धड़ाके से दूर यहा आराम से बात की जा सकती है"


"आपका शादी में मन नही लगता क्या?"


"अपनी शादी हो तो बात भी हो दूसरो की शादी में क्या मन लगेगा"


"ह्म....बहुत दिल फेंक हो तुम"


"भाई तो चारा डालता हूँ मछली फँस जाए तो ठीक है वरना कही और जुगाड़ लगाता हूँ"


"तो क्या मछली फँस गयी" मोनिका हंस कर बोली.


"वो तो मछली के होंटो को चूम कर ही पता चलेगा" सुरिंदर ने कहते ही अचानक मोनिका को पकड़ कर उसके होंटो को अपने में जाकड़ लिया.


"उम्म्म....च...छोड़ो"


"रसीले होन्ट हैं तुम्हारे"


"मछली अभी फँसी नही थी"


"मेरा यकीन करो फँस चुकी है" सुरिंदर ने कहा और मोनिका के बूब्स मसल्ने लगा.


"आअहह यू आर डर्टी फ्लर्ट" मोनिका बड़बड़ाई.


"और तुम प्यारी मछली हो" सुरिंदर ने कहा.


"किसी ने देख लिया तो" मोनिका ने कहा.


"सब शादी में मगन हैं...फिर भी सेफ्टी के लिए उस पेड़ के पीछे चलते हैं"


सुरिंदर मोनिका का हाथ पकड़ कर पेड़ के पीछे ले आया.


"ज़्यादा वक्त नही है....ये साड़ी उपर उठाओ और झुक जाओ...मैं पीछे से चूत में डालूँगा"


"देखो मुझे डर लग रहा है....मेरी शादी शुदा ज़िंदागी ना ख़तरे में पड़ जाए"


"चिंता मत करो, ऐसा कुछ नही होगा...उठाओ साड़ी उपर"


"नही मुझ से नही होगा...चलो चलते हैं" मोनिका ने कहा.


सुरिंदर ने अपना लंड बाहर निकाला और उसे मोनिका के हाथ में थमा दिया और बोला, "इसे क्या तड़प्ता छ्चोड़ जाओगी"


मोनिका ने सुन्दर के लंड को अच्छे से हाथ में पकड़ा और बोली, "मैने अपने पति के सिवा किसी से नही किया आज तक"


"तो आज कर्लो तुम्हे डिफ़्फरेंट लगेगा...हर लंड अलग मज़ा देता है"


"यहा गार्डेन में कोई देख लेगा समझते क्यों नही"


"तभी तो कह रहा हूँ जल्दी साड़ी उपर खींच कर झुक जाओ" सुरिंदर ने कहा और मोनिका को अपना सामने घुमा दिया और खुद ही उसकी साड़ी उपर करने लगा.


"रूको मैं करती हूँ." मोनिका ने साड़ी उपर सरका ली.


"अब झुको तो सही खड़े खड़े नही घुस्सेगा लंड चूत में" सुरिंदर ने मोनिका के कंधे पर दबाव बनाते हुए कहा.


मोनिका झुक गयी. मोनिका के झुकते ही सुरिंदर ने लंड को मोनिका की चूत पर टीका दिया और बोला, "यकीन नही था की तुम इतनी जल्दी पट जाओगी" सुरिंदर ने ज़ोर का धक्का मारा और उसका लंड पूरा अंदर फिसल गया.


"ह्म ये चूत तो खूब चूड़ी हुई है....सच में तेरा पति तो खूब मज़े लेता है....हे..हे..हा..हा"


"आआहह......बाते कम करो" मोनिका बड़बड़ाई.


सुरिंदर ने ज़ोर ज़ोर से मोनिका की चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए.


"पर जो भी हो तेरे पति ने स्मूद रास्ता बना रखा है तुम्हारी चूत में....रोज चोद्ता है क्या वो"


"उउउहह......रोज तो नही पर हर 2-3 दिन में" मोनिका ने हाफ्ते हुए कहा.


"कैसा लग रहा है मेरा लंड, चूत में"


"अच्छा लग रहा है....आअहह जल्दी करो कोई आ जाएगा."


"बस होने वाला है...आअहह...वैसे कोई डिफ़्फरेंसे तो बताओ मुझ मे और तुम्हारे पति में" सुरिंदर ने कहा.


"आअहह तुम धक्के तेज मारते हो....आअहह"


"हे..हे ऐसा है क्या तो ये बताओ दुबारा भी मर्वाओगि क्या धक्के"


"पहले ये धक्के तो रोको आअहह कोई आ गया तो मैं फँस जाउन्गि"


"ये लो फिर छोड़ने जा रहा हूँ मैं अपना जूस तुम्हारे अंदर सम्भालो"


अगले ही पल मोनिका को अपनी चूत में हॉट हॉट लिक्विड महसूस हुआ.


4-5 तेज धक्के निकाल कर सुरिंदर रुक गया. तभी मोनिका की नज़र उनकी तरफ आते एक साए पर पड़ी.


"निकालो बाहर जल्दी कोई इधर आ रहा है" मोनिका बोली.


सुरिंदर ने तुरंत लंड मोनिका की चूत से बाहर खींच लिया और अपनी पॅंट में डाल कर ज़िप बंद कर ली. मोनिका ने भी तुरंत ही अपनी साड़ी नीचे सर्काई और कपड़े अड्जस्ट किए.


"आओ चलें उसकी चिंता मत करो यू ही घूम रहा होगा कोई" सुरिंदर ने कहा.


"मैं तो डर ही गयी थी"


"शूकर मनाओ काम तो पूरा हो गया....धक्के अधूरे रह जाते तो पछताना पड़ता."


"वो तो मैने ही प्रेशर बनाया वरना तो तुम धक्के पे धक्के मारे जा रहे थे." मोनिका हस्ते हुए बोली.


"क्या करूँ तुम्हारी चूत ही ऐसी है मन करता है धक्के मारे चले जाओ." सुरिंदर ने मोनिका की गान्ड पर हाथ फिराते हुए कहा.


"अच्छा...रहने दो ऐसा कुछ ख़ास नही है मेरी....." मोनिका शर्मा कर बोली.


"अच्छा ये बताओ दुबारा धक्के कब मर्वाओगि"


"मेरा कोई अफेर चलाने का मूड नही है समझे"


"क्यों तुम्हे तेज धक्के पसंद नही आए क्या?"


"ऐसी बात नही है पर मैं अपने पति के साथ खुस हूँ"


"तो क्या हुआ....कभी कभी हम भी धक्के मार लेंगे अपना नंबर दे दो"


"सोनिया के पास है मेरा नंबर" मोनिका ने कहा.


"ह्म ठीक है फिर इसका मतलब दुबारा मुलाकात जल्दी होगी अपनी"


"देखेंगे"




अचानक दरवाजा खड़कने लगा और मोनिका अपने ख़यालो से बाहर आ गयी. उसने घड़ी की और देखा रात के एक बजे थे. "इस वक्त कौन आ गया"


मोनिका ने डरते डरते दरवाजा खोला. "तुम! तुम तो 2 बजे आने वाले थे"


"मुझे देख कर ख़ुसी नही हुई क्या?"


"ऐसी बात नही है मैं तो बस हैरान हूँ कि तुम्हारी ट्रेन तो 2 बजे आनी थी"


"छोड़ो ये सब और गरमा गरम चाय बनाओ बहुत थका हुआ हूँ"


"अच्छा हुआ मैं सुरिंदर के घर से जल्दी आ गयी वरना फँस जाती आज." मोनिका ने किचन की ओर जाते हुए सोचा.
..............................
....................................................
"कहा ले जा रहे हो मुझे"


"आओ ना पद्मिनी जी...आपको अच्छा लगेगा आओ"


"वो यही कही आस पास है"


"उसे मैं पकड़ लूँगा चिंता मत करो अब मैं पोलीस में हूँ ज़्यादा देर नही बच्चेगा वो"


"मुझे लगा था कि ये वर्दी किसी से माँग कर लाए हो...तुम पोलीस में कैसे चले गये"


"आपकी खातिर पद्मिनी जी आपको इस मुसीबत से जो निकालना था"


"तुम मेरी इतनी परवाह क्यों करते हो"


"पता नही शायद आपसे प्यार हो गया है"


"प्यार और तुम....सब जानती हूँ मैं ये नाटक क्या है...मैं तुम्हारे झाँसे में आने वाली नही हूँ"


"ये कोई झाँसा नही है पद्मिनी जी मेरे दिल की सच्चाई है कहो तो अपना दिल चीर कर दिखा दू"


"दीखाओ चीर कर मैं भी तो देखूं कितना पाप छुपा है वाहा"


"जैसी आपकी मर्ज़ी" वो एक चाकू उठाता है और अपनी कमीज़ के बटन खोल कर चाकू से अपना जिगर चीरेने लगता है. खून की कुछ बूंदे उभर आती हैं उसके सीने पर.


"रूको ये क्या कोई मज़ाक है?"


"पद्मिनी जी मेरे लिए तो ये हक़ीकत है आप शायद इसे मज़ाक समझ रही हैं"


"ऐसे दिल चीर दोगे तो उस को कौन पकड़ेगा"


"मेरा भूत उसे पकड़ कर जहन्नुम में डाल देगा"


"तुम प्यार कैसे कर सकते हो?"


"प्यार तो प्यार है पद्मिनी जी...कभी भी कही भी हो सकता है"


"नगमा को पता चल गया तो वो मुझे नही छोड़ेगी...... काई बार चेतावनी दे चुकी है मुझे की मेरे राज से दूर रहना"
 
  • Like
Reactions: Riky007
Top