Update 26
"नगमा की चिंता मत करो उसका मेरा कोई प्यार का रिस्ता नही है"
"शरीर का रिस्ता तो है ना"
"ऐसा रिस्ता तो नगमा का काई लोगो से है...मेरे होने ना होने से उसे फरक नही पड़ेगा"
"नही पर वो फिदा है तुम पर"
"फिदा है....ऐसा नही हो सकता...तुम्हे कैसे पता ये?"
"उसी ने बताया था..."
"बकवास है....उसको क्या कमी है लड़को की"
"नही वो कह रही थी की......" पद्मिनी कहते-कहते रुक गयी
"क्या कह रही थी?"
"वो कह रही थी की तुम बहुत अच्छे से करते हो...तुम जैसा कोई नही"
"क्या अच्छे से करता हूँ मैं कुछ समझा नही पद्मिनी जी"
"राज तुम सब समझ रहे हो नादान मत बनो"
"मुझे सच में कुछ समझ नही आया...सॉफ सॉफ बताओ ना क्या कह रही थी नगमा मेरे बारे में"
"वो कह रही थी की तुम वो पकड़ कर बहुत अच्छे से घुस्साते हो....समझ गये अब"
"वो मतलब कि गान्ड है ना"
"हां हां वही"
"अब मैने नगमा की चूत अच्छे से मारी है तो इसका मतलब ये तो नही की मैं सारी उमर उसी के साथ रहूँगा...मेरा अपना दिल भी तो है जिसमे प्यार उमड़ रहा है तुम्हारे लिए"
"ऐसी बाते मत करो मुझे कुछ कुछ होता है"
"तुम्हे भी मुझसे प्यार हो गया है हैं ना"
"ऐसा नही है"
"ऐसा ही है पद्मिनी जी"
"तुम नगमा को छोड़ दोगे क्या?"
"नगमा के पास बहुत आशिक हैं उसकी चिंता क्यों कर रही हो...आओ अपने प्यार का थोड़ा मज़ा ले"
"मज़ा ले मतलब?"
"मतलब की कुछ हो जाए"
"देखा ये प्यार नही हवस है तुम्हारी"
"हवस में भी तो प्यार ही है...आओ तुम्हे कुछ दीखाता हूँ"
"क्या दिखाओ"
"वही जिसकी नगमा दीवानी थी"
"मुझे नही देखना"
"तुम देखे बिना रह नही पाओगि" राज ने कहा और अपनी ज़िप खोल कर अपना भारी भरकम विसाल काय लंड बाहर खींच लिया.
पद्मिनी ने राज के लंड को सरसरी नज़र से देखा लेकिन एक बार उस पर नज़र क्या गयी वही टिकी रह गयी.
"ओह माइ गॉड, ये तो बहुत बड़ा है...ये कैसे मुमकिन है"
"नगमा इस लंड की दीवानी है और कुछ नही...पर आज से ये लंड तुम्हारा है छू कर देखो तुम्हे अच्छा लगेगा"
"तुम्हारा मेरा प्यार नही हो सकता"
"क्यों?"
"इतना बड़ा ना बाबा ना...मुझे नही करना ये प्यार"
"पद्मिनी जी ऐसा मत कहो....ये आपको प्यार के सिवा कुछ और नही देगा"
"प्यार नही ये दर्द देगा मैं खूब समझ रही हूँ"
"ऐसा कुछ नही है डरो मत"
"डरने की बात ही है मैने इतना भयानक आज तक नही देखा"
"अफ मैने ये लंड दीखा कर ग़लती कर ली चुपचाप तुम्हारी चूत में डाल देता तो अच्छा रहता"
"ये नही डलेगा वाहा राज...भूल जाओ मुझे"
"कैसी बात करती हो नगमा तो पूरा ले लेती है....उसकी तो गान्ड में भी पूरा उतार दिया था मैने...तुम्हारे अंदर क्यों नही जाएगा फिर ये"
"मुझे नही पता पर ये मुमकिन नही है"
"आओ अभी ट्राइ करके देखते हैं"
"मुझे क्या पागल समझा है तुमने"
"नही पद्मिनी जी आप ग़लत समझ रही हैं"
"देखो नगमा इधर ही आ रही है....उसके सामने कोई बात मत करना" पद्मिनी ने कहा.
"वो यहा नही आएगी...उसे नींद आ रही है देखो वो तो खाट बिछा कर लेट गयी"
पद्मिनी ने मूड कर देखा. नगमा वाकाई पेड़ के नीचे खाट पर लेटी थी.
"पर उसकी नज़र यही रहेगी" पद्मिनी ने कहा.
"छोड़ो ना उसे वो सो चुकी है आओ मुझे डालने दो...ये जीन्स ज़रा नीचे सरकाओ"
"अगर उसने देख लिया ना तो मेरी जान ले लेगी वो"
"मेरा यकीन करो वो सो चुकी है"
राज ने पद्मिनी की जीन्स का बटन खोला और उसे नीचे खीचने लगा.
"रूको इतनी जल्दी क्या है?"
"मैं तड़प रहा हूँ पद्मिनी जी प्लीज़ जल्दी से ये जीन्स उतारो"
पद्मिनी ने जीन्स नीचे सरका ली. राज ने फ़ौरन पद्मिनी की पॅंटी नीचे खींच ली.
"बहुत सुंदर....ऐसी चूत मैने आज तक नही देखी...आपके चेहरे की तरह आपकी चूत भी सुंदर है"
"चुप रहो नगमा सुन लेगी"
"उसकी मुझे परवाह नही....चलो थोड़ा घूम जाओ मुझे पीछे से डालना अच्छा लगता है"
"आज ही डालना क्या ज़रूरी है...फिर कभी देखेंगे"
"नही आज ही फ़ैसला हो जाए की ये लंड अंदर जाएगा की नही"
"अगर नही गया तो...क्या ये प्यार ख़तम?"
"प्यार सेक्स का मोहताज़ नही है पद्मिनी जी....आइ लव यू"
"पता नही क्यों पर तुम मुझे अच्छे लगे"
"यही तो प्यार है...चलो थोड़ा घूम जाओ अब"
पद्मिनी राज के सामने घूम कर झुक गयी और राज ने उसकी सुंदर चूत पर लंड टीका दिया.
"देखो थोड़ा धीरे से डालना" पद्मिनी ने कहा.
"आप बिल्कुल चिंता मत करो बिल्कुल धीरे से डालूँगा"
"आआहह मर गयी इसे धीरे कहते हो तुम...निकालो बाहर नही जाएगा ये" पद्मिनी चिल्लाई
"जब लंड बड़ा हो तो थोड़ा ज़ोर तो लगाना ही पड़ता है हे हे हे" राज ने कहा.
"उफ्फ ये आगे नही जाएगा मेरी बात मानो और मत डालना"
"पद्मिनी जी ये पूरा जाएगा....आप चिंता मत करो" राज ने ज़ोर लगा कर धक्का मारा.
"उुउऊहह मा...डाल दिया क्या पूरा बहुत दर्द हो रहा है"
"अभी आधा गया है पद्मिनी जी"
"ये प्यार आधा ही रहने दो राज प्लीज़ पूरा मत डालना मैं मर जाउन्गि"
"आज तक कोई लंड घुस्सने से नही मरा...ये प्यार पूरा हो के रहेगा आअहह" राज ने कहा और इस बार ज़ोर लगा कर अपना पूरा लंड पद्मिनी की चूत में उतार दिया.
"उूउऊयययययीीईई मा....आआअहह मेरी जान ले कर रहोगे आज तुम आहह"
"कंग्रॅजुलेशन पद्मिनी जी मेरा लंड पूरा का पूरा अब आपकी चूत में है"
"इसे पूरा लेने में जो मेरी हालत हुई है वो मैं ही जानती हूँ...ऐसा प्यार रोज मिलेगा तो मैं तो गयी काम से" पद्मिनी ने हांपते हुए कहा.
"हर बार ऐसा दर्द नही होगा तुम्हारी चूत धीरे धीरे अड्जस्ट कर लेगी"
"आआहह पता नही अभी तो बहुत दर्द हो रहा है."
"थोड़ी देर रुकते हैं"
"हां मैं भी यही कहने वाली थी"
"अब जब मैं तुम्हारी मारूँगा तो तुम्हे बहुत मज़ा आएगा"
"नगमा ठीक कहती थी तुम वो पकड़ कर ही घुस्साते हो"
"गान्ड को पकड़ कर चूत में लंड डालने का मज़ा ही कुछ और है"
"ह्म....नगमा अभी भी सो रही है ना"
"हां-हाँ सो रही है तुम उसकी चिंता मत करो"
"अब थोड़ा आराम है"
"मतलब की मैं छूट मारना शुरू करूँ"
"मेरा वो मतलब नही था"
"जो भी हो मैं अब मारने जा रहा हूँ" राज ने कहा और अपना लंड पद्मिनी की चूत से बाहर की ओर खींच कर वापिस अंदर धकैल दिया.
"उउउहह....आअहह"
"क्या हुआ अच्छा लगा ना" राज ने पूछा.
"उम्म पता नही तुम करते रहो"
"तुम एंजाय कर रही हो मुझे पता है...बड़ा लंड पहले थोड़ा दर्द ज़रूर देता है लेकिन बाद में बेहिसाब मज़ा भी देता है"
"आआहह बहुत गर्व है तुम्हे अपने साइज़ पर हाँ"
"क्यों ना हो हर किसी को ये साइज़ नही मिलता पद्मिनी जी....आअहह"
राज ने अपने धक्को की स्पीड बहुत तेज कर दी.
"य...य..ये क्या कर रहे हो थोड़ा धीरे चलाओ गाड़ी"
"सॉरी ब्रेक फैल हो गये हैं अब स्पीड कम नही होगी"
"गयी भंस पानी में...ब्रेक किसने खराब किए ये ज़रूर नगमा का काम है"
"हे..हे..शायद उसी का काम है आआहह"
"उुउऊहह तुमने तो तूफान मच्चा दिया आआहह."
"ऐसी सुंदर चूत मिलेगी तो तूफान तो आएगा ही" राज ने कहा
"रूको नगमा करवट ले रही है..... और....और ये उसके पास कौन खड़ा है....हे भगवान ये तो वही है...राज रूको देखो वही है कातिल....रुक जाओ वो नगमा को मार देगा आअहह"
"इस हराम खोर को भी अभी आना था....पद्मिनी जी ये गाड़ी अब मंज़िल पर पहुँच कर ही रुकेगी" राज लगातार पद्मिनी की चूत में धक्के मारता रहा.
"नगमा की चिंता मत करो उसका मेरा कोई प्यार का रिस्ता नही है"
"शरीर का रिस्ता तो है ना"
"ऐसा रिस्ता तो नगमा का काई लोगो से है...मेरे होने ना होने से उसे फरक नही पड़ेगा"
"नही पर वो फिदा है तुम पर"
"फिदा है....ऐसा नही हो सकता...तुम्हे कैसे पता ये?"
"उसी ने बताया था..."
"बकवास है....उसको क्या कमी है लड़को की"
"नही वो कह रही थी की......" पद्मिनी कहते-कहते रुक गयी
"क्या कह रही थी?"
"वो कह रही थी की तुम बहुत अच्छे से करते हो...तुम जैसा कोई नही"
"क्या अच्छे से करता हूँ मैं कुछ समझा नही पद्मिनी जी"
"राज तुम सब समझ रहे हो नादान मत बनो"
"मुझे सच में कुछ समझ नही आया...सॉफ सॉफ बताओ ना क्या कह रही थी नगमा मेरे बारे में"
"वो कह रही थी की तुम वो पकड़ कर बहुत अच्छे से घुस्साते हो....समझ गये अब"
"वो मतलब कि गान्ड है ना"
"हां हां वही"
"अब मैने नगमा की चूत अच्छे से मारी है तो इसका मतलब ये तो नही की मैं सारी उमर उसी के साथ रहूँगा...मेरा अपना दिल भी तो है जिसमे प्यार उमड़ रहा है तुम्हारे लिए"
"ऐसी बाते मत करो मुझे कुछ कुछ होता है"
"तुम्हे भी मुझसे प्यार हो गया है हैं ना"
"ऐसा नही है"
"ऐसा ही है पद्मिनी जी"
"तुम नगमा को छोड़ दोगे क्या?"
"नगमा के पास बहुत आशिक हैं उसकी चिंता क्यों कर रही हो...आओ अपने प्यार का थोड़ा मज़ा ले"
"मज़ा ले मतलब?"
"मतलब की कुछ हो जाए"
"देखा ये प्यार नही हवस है तुम्हारी"
"हवस में भी तो प्यार ही है...आओ तुम्हे कुछ दीखाता हूँ"
"क्या दिखाओ"
"वही जिसकी नगमा दीवानी थी"
"मुझे नही देखना"
"तुम देखे बिना रह नही पाओगि" राज ने कहा और अपनी ज़िप खोल कर अपना भारी भरकम विसाल काय लंड बाहर खींच लिया.
पद्मिनी ने राज के लंड को सरसरी नज़र से देखा लेकिन एक बार उस पर नज़र क्या गयी वही टिकी रह गयी.
"ओह माइ गॉड, ये तो बहुत बड़ा है...ये कैसे मुमकिन है"
"नगमा इस लंड की दीवानी है और कुछ नही...पर आज से ये लंड तुम्हारा है छू कर देखो तुम्हे अच्छा लगेगा"
"तुम्हारा मेरा प्यार नही हो सकता"
"क्यों?"
"इतना बड़ा ना बाबा ना...मुझे नही करना ये प्यार"
"पद्मिनी जी ऐसा मत कहो....ये आपको प्यार के सिवा कुछ और नही देगा"
"प्यार नही ये दर्द देगा मैं खूब समझ रही हूँ"
"ऐसा कुछ नही है डरो मत"
"डरने की बात ही है मैने इतना भयानक आज तक नही देखा"
"अफ मैने ये लंड दीखा कर ग़लती कर ली चुपचाप तुम्हारी चूत में डाल देता तो अच्छा रहता"
"ये नही डलेगा वाहा राज...भूल जाओ मुझे"
"कैसी बात करती हो नगमा तो पूरा ले लेती है....उसकी तो गान्ड में भी पूरा उतार दिया था मैने...तुम्हारे अंदर क्यों नही जाएगा फिर ये"
"मुझे नही पता पर ये मुमकिन नही है"
"आओ अभी ट्राइ करके देखते हैं"
"मुझे क्या पागल समझा है तुमने"
"नही पद्मिनी जी आप ग़लत समझ रही हैं"
"देखो नगमा इधर ही आ रही है....उसके सामने कोई बात मत करना" पद्मिनी ने कहा.
"वो यहा नही आएगी...उसे नींद आ रही है देखो वो तो खाट बिछा कर लेट गयी"
पद्मिनी ने मूड कर देखा. नगमा वाकाई पेड़ के नीचे खाट पर लेटी थी.
"पर उसकी नज़र यही रहेगी" पद्मिनी ने कहा.
"छोड़ो ना उसे वो सो चुकी है आओ मुझे डालने दो...ये जीन्स ज़रा नीचे सरकाओ"
"अगर उसने देख लिया ना तो मेरी जान ले लेगी वो"
"मेरा यकीन करो वो सो चुकी है"
राज ने पद्मिनी की जीन्स का बटन खोला और उसे नीचे खीचने लगा.
"रूको इतनी जल्दी क्या है?"
"मैं तड़प रहा हूँ पद्मिनी जी प्लीज़ जल्दी से ये जीन्स उतारो"
पद्मिनी ने जीन्स नीचे सरका ली. राज ने फ़ौरन पद्मिनी की पॅंटी नीचे खींच ली.
"बहुत सुंदर....ऐसी चूत मैने आज तक नही देखी...आपके चेहरे की तरह आपकी चूत भी सुंदर है"
"चुप रहो नगमा सुन लेगी"
"उसकी मुझे परवाह नही....चलो थोड़ा घूम जाओ मुझे पीछे से डालना अच्छा लगता है"
"आज ही डालना क्या ज़रूरी है...फिर कभी देखेंगे"
"नही आज ही फ़ैसला हो जाए की ये लंड अंदर जाएगा की नही"
"अगर नही गया तो...क्या ये प्यार ख़तम?"
"प्यार सेक्स का मोहताज़ नही है पद्मिनी जी....आइ लव यू"
"पता नही क्यों पर तुम मुझे अच्छे लगे"
"यही तो प्यार है...चलो थोड़ा घूम जाओ अब"
पद्मिनी राज के सामने घूम कर झुक गयी और राज ने उसकी सुंदर चूत पर लंड टीका दिया.
"देखो थोड़ा धीरे से डालना" पद्मिनी ने कहा.
"आप बिल्कुल चिंता मत करो बिल्कुल धीरे से डालूँगा"
"आआहह मर गयी इसे धीरे कहते हो तुम...निकालो बाहर नही जाएगा ये" पद्मिनी चिल्लाई
"जब लंड बड़ा हो तो थोड़ा ज़ोर तो लगाना ही पड़ता है हे हे हे" राज ने कहा.
"उफ्फ ये आगे नही जाएगा मेरी बात मानो और मत डालना"
"पद्मिनी जी ये पूरा जाएगा....आप चिंता मत करो" राज ने ज़ोर लगा कर धक्का मारा.
"उुउऊहह मा...डाल दिया क्या पूरा बहुत दर्द हो रहा है"
"अभी आधा गया है पद्मिनी जी"
"ये प्यार आधा ही रहने दो राज प्लीज़ पूरा मत डालना मैं मर जाउन्गि"
"आज तक कोई लंड घुस्सने से नही मरा...ये प्यार पूरा हो के रहेगा आअहह" राज ने कहा और इस बार ज़ोर लगा कर अपना पूरा लंड पद्मिनी की चूत में उतार दिया.
"उूउऊयययययीीईई मा....आआअहह मेरी जान ले कर रहोगे आज तुम आहह"
"कंग्रॅजुलेशन पद्मिनी जी मेरा लंड पूरा का पूरा अब आपकी चूत में है"
"इसे पूरा लेने में जो मेरी हालत हुई है वो मैं ही जानती हूँ...ऐसा प्यार रोज मिलेगा तो मैं तो गयी काम से" पद्मिनी ने हांपते हुए कहा.
"हर बार ऐसा दर्द नही होगा तुम्हारी चूत धीरे धीरे अड्जस्ट कर लेगी"
"आआहह पता नही अभी तो बहुत दर्द हो रहा है."
"थोड़ी देर रुकते हैं"
"हां मैं भी यही कहने वाली थी"
"अब जब मैं तुम्हारी मारूँगा तो तुम्हे बहुत मज़ा आएगा"
"नगमा ठीक कहती थी तुम वो पकड़ कर ही घुस्साते हो"
"गान्ड को पकड़ कर चूत में लंड डालने का मज़ा ही कुछ और है"
"ह्म....नगमा अभी भी सो रही है ना"
"हां-हाँ सो रही है तुम उसकी चिंता मत करो"
"अब थोड़ा आराम है"
"मतलब की मैं छूट मारना शुरू करूँ"
"मेरा वो मतलब नही था"
"जो भी हो मैं अब मारने जा रहा हूँ" राज ने कहा और अपना लंड पद्मिनी की चूत से बाहर की ओर खींच कर वापिस अंदर धकैल दिया.
"उउउहह....आअहह"
"क्या हुआ अच्छा लगा ना" राज ने पूछा.
"उम्म पता नही तुम करते रहो"
"तुम एंजाय कर रही हो मुझे पता है...बड़ा लंड पहले थोड़ा दर्द ज़रूर देता है लेकिन बाद में बेहिसाब मज़ा भी देता है"
"आआहह बहुत गर्व है तुम्हे अपने साइज़ पर हाँ"
"क्यों ना हो हर किसी को ये साइज़ नही मिलता पद्मिनी जी....आअहह"
राज ने अपने धक्को की स्पीड बहुत तेज कर दी.
"य...य..ये क्या कर रहे हो थोड़ा धीरे चलाओ गाड़ी"
"सॉरी ब्रेक फैल हो गये हैं अब स्पीड कम नही होगी"
"गयी भंस पानी में...ब्रेक किसने खराब किए ये ज़रूर नगमा का काम है"
"हे..हे..शायद उसी का काम है आआहह"
"उुउऊहह तुमने तो तूफान मच्चा दिया आआहह."
"ऐसी सुंदर चूत मिलेगी तो तूफान तो आएगा ही" राज ने कहा
"रूको नगमा करवट ले रही है..... और....और ये उसके पास कौन खड़ा है....हे भगवान ये तो वही है...राज रूको देखो वही है कातिल....रुक जाओ वो नगमा को मार देगा आअहह"
"इस हराम खोर को भी अभी आना था....पद्मिनी जी ये गाड़ी अब मंज़िल पर पहुँच कर ही रुकेगी" राज लगातार पद्मिनी की चूत में धक्के मारता रहा.