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Romance बात एक रात की(Completed)

The Immortal

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Update 26

"नगमा की चिंता मत करो उसका मेरा कोई प्यार का रिस्ता नही है"


"शरीर का रिस्ता तो है ना"


"ऐसा रिस्ता तो नगमा का काई लोगो से है...मेरे होने ना होने से उसे फरक नही पड़ेगा"


"नही पर वो फिदा है तुम पर"


"फिदा है....ऐसा नही हो सकता...तुम्हे कैसे पता ये?"


"उसी ने बताया था..."


"बकवास है....उसको क्या कमी है लड़को की"


"नही वो कह रही थी की......" पद्मिनी कहते-कहते रुक गयी


"क्या कह रही थी?"


"वो कह रही थी की तुम बहुत अच्छे से करते हो...तुम जैसा कोई नही"


"क्या अच्छे से करता हूँ मैं कुछ समझा नही पद्मिनी जी"


"राज तुम सब समझ रहे हो नादान मत बनो"


"मुझे सच में कुछ समझ नही आया...सॉफ सॉफ बताओ ना क्या कह रही थी नगमा मेरे बारे में"


"वो कह रही थी की तुम वो पकड़ कर बहुत अच्छे से घुस्साते हो....समझ गये अब"


"वो मतलब कि गान्ड है ना"


"हां हां वही"


"अब मैने नगमा की चूत अच्छे से मारी है तो इसका मतलब ये तो नही की मैं सारी उमर उसी के साथ रहूँगा...मेरा अपना दिल भी तो है जिसमे प्यार उमड़ रहा है तुम्हारे लिए"


"ऐसी बाते मत करो मुझे कुछ कुछ होता है"


"तुम्हे भी मुझसे प्यार हो गया है हैं ना"


"ऐसा नही है"


"ऐसा ही है पद्मिनी जी"


"तुम नगमा को छोड़ दोगे क्या?"


"नगमा के पास बहुत आशिक हैं उसकी चिंता क्यों कर रही हो...आओ अपने प्यार का थोड़ा मज़ा ले"


"मज़ा ले मतलब?"


"मतलब की कुछ हो जाए"


"देखा ये प्यार नही हवस है तुम्हारी"


"हवस में भी तो प्यार ही है...आओ तुम्हे कुछ दीखाता हूँ"


"क्या दिखाओ"


"वही जिसकी नगमा दीवानी थी"


"मुझे नही देखना"


"तुम देखे बिना रह नही पाओगि" राज ने कहा और अपनी ज़िप खोल कर अपना भारी भरकम विसाल काय लंड बाहर खींच लिया.


पद्मिनी ने राज के लंड को सरसरी नज़र से देखा लेकिन एक बार उस पर नज़र क्या गयी वही टिकी रह गयी.


"ओह माइ गॉड, ये तो बहुत बड़ा है...ये कैसे मुमकिन है"


"नगमा इस लंड की दीवानी है और कुछ नही...पर आज से ये लंड तुम्हारा है छू कर देखो तुम्हे अच्छा लगेगा"


"तुम्हारा मेरा प्यार नही हो सकता"


"क्यों?"


"इतना बड़ा ना बाबा ना...मुझे नही करना ये प्यार"


"पद्मिनी जी ऐसा मत कहो....ये आपको प्यार के सिवा कुछ और नही देगा"


"प्यार नही ये दर्द देगा मैं खूब समझ रही हूँ"


"ऐसा कुछ नही है डरो मत"


"डरने की बात ही है मैने इतना भयानक आज तक नही देखा"


"अफ मैने ये लंड दीखा कर ग़लती कर ली चुपचाप तुम्हारी चूत में डाल देता तो अच्छा रहता"


"ये नही डलेगा वाहा राज...भूल जाओ मुझे"


"कैसी बात करती हो नगमा तो पूरा ले लेती है....उसकी तो गान्ड में भी पूरा उतार दिया था मैने...तुम्हारे अंदर क्यों नही जाएगा फिर ये"


"मुझे नही पता पर ये मुमकिन नही है"


"आओ अभी ट्राइ करके देखते हैं"


"मुझे क्या पागल समझा है तुमने"


"नही पद्मिनी जी आप ग़लत समझ रही हैं"


"देखो नगमा इधर ही आ रही है....उसके सामने कोई बात मत करना" पद्मिनी ने कहा.


"वो यहा नही आएगी...उसे नींद आ रही है देखो वो तो खाट बिछा कर लेट गयी"


पद्मिनी ने मूड कर देखा. नगमा वाकाई पेड़ के नीचे खाट पर लेटी थी.


"पर उसकी नज़र यही रहेगी" पद्मिनी ने कहा.


"छोड़ो ना उसे वो सो चुकी है आओ मुझे डालने दो...ये जीन्स ज़रा नीचे सरकाओ"


"अगर उसने देख लिया ना तो मेरी जान ले लेगी वो"


"मेरा यकीन करो वो सो चुकी है"


राज ने पद्मिनी की जीन्स का बटन खोला और उसे नीचे खीचने लगा.


"रूको इतनी जल्दी क्या है?"


"मैं तड़प रहा हूँ पद्मिनी जी प्लीज़ जल्दी से ये जीन्स उतारो"


पद्मिनी ने जीन्स नीचे सरका ली. राज ने फ़ौरन पद्मिनी की पॅंटी नीचे खींच ली.


"बहुत सुंदर....ऐसी चूत मैने आज तक नही देखी...आपके चेहरे की तरह आपकी चूत भी सुंदर है"


"चुप रहो नगमा सुन लेगी"


"उसकी मुझे परवाह नही....चलो थोड़ा घूम जाओ मुझे पीछे से डालना अच्छा लगता है"


"आज ही डालना क्या ज़रूरी है...फिर कभी देखेंगे"


"नही आज ही फ़ैसला हो जाए की ये लंड अंदर जाएगा की नही"


"अगर नही गया तो...क्या ये प्यार ख़तम?"


"प्यार सेक्स का मोहताज़ नही है पद्मिनी जी....आइ लव यू"


"पता नही क्यों पर तुम मुझे अच्छे लगे"


"यही तो प्यार है...चलो थोड़ा घूम जाओ अब"


पद्मिनी राज के सामने घूम कर झुक गयी और राज ने उसकी सुंदर चूत पर लंड टीका दिया.


"देखो थोड़ा धीरे से डालना" पद्मिनी ने कहा.


"आप बिल्कुल चिंता मत करो बिल्कुल धीरे से डालूँगा"


"आआहह मर गयी इसे धीरे कहते हो तुम...निकालो बाहर नही जाएगा ये" पद्मिनी चिल्लाई


"जब लंड बड़ा हो तो थोड़ा ज़ोर तो लगाना ही पड़ता है हे हे हे" राज ने कहा.


"उफ्फ ये आगे नही जाएगा मेरी बात मानो और मत डालना"


"पद्मिनी जी ये पूरा जाएगा....आप चिंता मत करो" राज ने ज़ोर लगा कर धक्का मारा.


"उुउऊहह मा...डाल दिया क्या पूरा बहुत दर्द हो रहा है"


"अभी आधा गया है पद्मिनी जी"


"ये प्यार आधा ही रहने दो राज प्लीज़ पूरा मत डालना मैं मर जाउन्गि"


"आज तक कोई लंड घुस्सने से नही मरा...ये प्यार पूरा हो के रहेगा आअहह" राज ने कहा और इस बार ज़ोर लगा कर अपना पूरा लंड पद्मिनी की चूत में उतार दिया.


"उूउऊयययययीीईई मा....आआअहह मेरी जान ले कर रहोगे आज तुम आहह"


"कंग्रॅजुलेशन पद्मिनी जी मेरा लंड पूरा का पूरा अब आपकी चूत में है"


"इसे पूरा लेने में जो मेरी हालत हुई है वो मैं ही जानती हूँ...ऐसा प्यार रोज मिलेगा तो मैं तो गयी काम से" पद्मिनी ने हांपते हुए कहा.


"हर बार ऐसा दर्द नही होगा तुम्हारी चूत धीरे धीरे अड्जस्ट कर लेगी"


"आआहह पता नही अभी तो बहुत दर्द हो रहा है."


"थोड़ी देर रुकते हैं"


"हां मैं भी यही कहने वाली थी"


"अब जब मैं तुम्हारी मारूँगा तो तुम्हे बहुत मज़ा आएगा"


"नगमा ठीक कहती थी तुम वो पकड़ कर ही घुस्साते हो"


"गान्ड को पकड़ कर चूत में लंड डालने का मज़ा ही कुछ और है"


"ह्म....नगमा अभी भी सो रही है ना"


"हां-हाँ सो रही है तुम उसकी चिंता मत करो"


"अब थोड़ा आराम है"


"मतलब की मैं छूट मारना शुरू करूँ"


"मेरा वो मतलब नही था"


"जो भी हो मैं अब मारने जा रहा हूँ" राज ने कहा और अपना लंड पद्मिनी की चूत से बाहर की ओर खींच कर वापिस अंदर धकैल दिया.


"उउउहह....आअहह"


"क्या हुआ अच्छा लगा ना" राज ने पूछा.


"उम्म पता नही तुम करते रहो"


"तुम एंजाय कर रही हो मुझे पता है...बड़ा लंड पहले थोड़ा दर्द ज़रूर देता है लेकिन बाद में बेहिसाब मज़ा भी देता है"


"आआहह बहुत गर्व है तुम्हे अपने साइज़ पर हाँ"


"क्यों ना हो हर किसी को ये साइज़ नही मिलता पद्मिनी जी....आअहह"


राज ने अपने धक्को की स्पीड बहुत तेज कर दी.


"य...य..ये क्या कर रहे हो थोड़ा धीरे चलाओ गाड़ी"


"सॉरी ब्रेक फैल हो गये हैं अब स्पीड कम नही होगी"


"गयी भंस पानी में...ब्रेक किसने खराब किए ये ज़रूर नगमा का काम है"


"हे..हे..शायद उसी का काम है आआहह"


"उुउऊहह तुमने तो तूफान मच्चा दिया आआहह."


"ऐसी सुंदर चूत मिलेगी तो तूफान तो आएगा ही" राज ने कहा


"रूको नगमा करवट ले रही है..... और....और ये उसके पास कौन खड़ा है....हे भगवान ये तो वही है...राज रूको देखो वही है कातिल....रुक जाओ वो नगमा को मार देगा आअहह"


"इस हराम खोर को भी अभी आना था....पद्मिनी जी ये गाड़ी अब मंज़िल पर पहुँच कर ही रुकेगी" राज लगातार पद्मिनी की चूत में धक्के मारता रहा.
 

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Update 27

रुक जाओ राज वो चाकू निकाल रहा है" पद्मिनी ने हान्फ्ते हुए कहा.


"आआहह बस थोड़ी देर और आआहह"


तभी नगमा ने करवट ली पर पद्मिनी को खाट पर नगमा की जगह कोई और दीखा.


"अरे ये तो वही विटनेस है जिसने मेरे खीलाफ गवाही दी थी"


"जो कोई भी हो अब मैं ये चूत पूरी तरह मार कर ही रुकुंगा आअहह"




"आआआहह राज प्लीज़ रूको"


तभी पद्मिनी ने देखा कि ने तेज धार चाकू से सुरिंदर पर हमले शुरू कर दिए. राज भी तभी पद्मिनी की चूत में झाड़ गया उसने पद्मिनी की चूत को पूरा पानी से भर दिया.


"नहियीईईईईईईईईईईईई" पद्मिनी ज़ोर से चिल्ला कर बेड पर बैठ गयी.


"क....क्या हुआ तुम्हे" पास पड़ी नगमा भी उठ गयी.


"अफ ये कैसा अजीब सपना था." पद्मिनी ने मन ही मन कहा.


पद्मिनी की चीन्ख सुन कर राज और मोहित भी उठ गये. राज ने उठ कर कमरे की लाइट जला दी.


"क्या हुआ?" मोहित ने पूछा.


"हां बोलो पद्मिनी क्या बात है?" नगमा ने पद्मिनी के कंधे पर हाथ रख कर पूछा.


"कुछ नही बुरा सपना था...सो जाओ तुम" पद्मिनी ने कहा.


"सुबह के 6 बजे हैं अब क्या सोएंगे...बताओ ना" नगमा ने कहा.


"हां-हां पद्मिनी जी बताओ ना क्या बात है" राज भी बोल पड़ा


पद्मिनी ने राज की तरफ देखा और अपने दिल पर हाथ रख लिया. दिल बहुत तेज धड़क रहा था. उसे अपनी टाँगो के बीच गीला गीला महसूस हुआ. बात सॉफ थी उसने ड्रीम में बहुत इनटेन्स ऑर्गॅज़म को महसूस किया था. उसका असर अभी भी उसके दिलो दिमाग़ पर था.


"पद्मिनी जी क्या हुआ कुछ तो बोलिए" राज ने फिर कहा.


"हां-हां पद्मिनी बोलो ना क्या बात है?" नगमा ने कहा.


"मैने बहुत अजीब सपना देखा....वो...वो उस विटनेस को मार रहा था. राज पोलीस की वर्दी में था.......बस इतना ही याद है" पद्मिनी ने कहा.


पूरा सपना पद्मिनी बता भी नही सकती थी. वो बेड से उठ कर टाय्लेट में चली गयी.


"लो कर लो बात खोदा पहाड़ और निकला चूहा" नगमा ने कहा.


"तुम्हे क्या पहाड़ खोदने पर लंड की उम्मीद थी" मोहित ने धीरे से कहा.


"जी नही....मुझसे मज़ाक मत किया करो"नगमा ने कहा.


राज को पता नही क्या सूझी उसने टीवी ऑन कर दिया.


बाइ चान्स टीवी पर सुरिंदर के खून की खबर ही आ रही थी.


"बहुत ही दर्दनाक मौत दी है कातिल ने सुरिंदर को. कातिल ने उन दो कॉन्स्टेबल्स को भी मार डाला जो कि सुरिंदर के घर पर तैनात थे. पूरा शक पद्मिनी अरोरा और उसके नकाब पोश साथी पर है. सुरिंदर के घर के सामने रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया है कि उसने रात के कोई 11:30 बजे एक महिला को सुरिंदर के घर से निकलते देखा था. हो ना हो शायद वो महिलपदमिनी ही थी. अभी पोलीस की तरफ से कोई बयान नही आया है. दो कॉन्स्टेबल्स की मौत के बाद पोलीस महकमा भी सकते में है" न्यूज़ आंकर ने कहा.


न्यूज़ सुनते ही राज और मोहित हैरान रह गये. तभी पद्मिनी भी टाय्लेट से बाहर आ गयी.


"आपका सपना तो सच हो गया पद्मिनी जी...देखिए न्यूज़ पर दीखा रहे हैं की सुरिंदर का खून हो गया" राज ने कहा.


"इसका मतलब तुम्हे पोलीस की वर्दी मिलने वाली है....सपने में तुम भी तो पोलीस की वर्दी में थे" मोहित ने कहा


"पद्मिनी जी पूरा सपना सूनाओ ना" राज ने कहा.


"नही-नही मुझे पूरा सपना याद नही... जितना याद था बता दिया बाकी मैं भूल गयी" पद्मिनी ने कहा.


"तुम कुछ छुपा रही हो....सच-सच बताओ मेरा राज तुम्हारे सपने में क्या कर रहा था?" नगमा ने पद्मिनी के कान में कहा.


"मैं क्यों कुछ छुपाउंगी मुझे जो याद रहा बता दिया" पद्मिनी ने धीरे से कहा.


"कहीं राज तुझे झुका के तेरी चूत तो नही मार रहा था" नगमा ने धीरे से कहा.


पद्मिनी ने नगमा की ओर गौर से देखा जैसे कि पूछ रही हो कि 'तुम्हे कैसे पता?'


"क्या हुआ ऐसे क्यों देख रही हो जैसे कि मैने तुम्हारी चोरी पकड़ ली....अरे मैं तो मज़ाक कर रही हूँ. राज अक्सर झुका कर चूत मारता है. वो तुम्हारे सपने में था मैने सोचा कही तुम्हारी भी मार ली हो. हक़ीकत में ऐसा सोचना भी मत तुम्हारी जान ले लूँगी मैं" नगमा ने कहा.


"क्या कह रही हो पद्मिनी जी को चुपचाप...उन्हे परेशान मत करो" राज ने कहा.


पद्मिनी ने राज की तरफ देखा और मन ही मन बोली,"प्यार और वो भी राज से कभी नही....छी कितना गंदा सपना था. सब इस नगमा के कारण हुआ...हर वक्त गंदी बाते करती रहती है. कही ये सपना सच हुआ तो...नही... नही सपने की सारी बाते थोड़ा सच हो सकती हैं. पर ये सुबह का सपना है. एक बात तो सच भी हो गयी. पर जो भी हो मैं राज जैसे लड़के से प्यार किसी भी हालत में नही कर सकती"


"कहा खो गयी और मेरे राज को इस तरह से क्या देख रही हो" नगमा ने पद्मिनी को हिलाया.


"कुछ नही है हर वक्त एक ही राग मत गाया करो" पद्मिनी ने कहा.


अगले ही पल पद्मिनी गहरी चिंता में खो गयी.


"उस विटनेस के मरने का मतलब है कि मैं अब बुरी तरह फँस चुकी हूँ" पद्मिनी ने कहा.


"ये जो भी हो है बहुत शातिर...पूरी प्लॅनिंग से काम कर रहा है" राज ने कहा.


"अब हम क्या करेंगे?" पद्मिनी ने कहा.


ये ऐसा सवाल था जिसका किसी के पास कोई जवाब नही था. कमरे में
सन्नाटा हो गया. किसी ने कुछ नही कहा.
..............................
........................
"कब आई मेडम" चौहान ने पूछा.


"सर सुबह सुबह 9 बजे से हैं अपने कमरे में काफ़ी गुस्से वाली लगती हैं...काफ़ी यंग हैं कोई 24-25 साल की होंगी"


"देखने में कैसी है...सुंदर है क्या?" चौहान ने पूछा.


"पूछो मत सर बिजली है बिजली" विजय ने कहा.


"ह्म ये तो दो दिन बाद आने वाली थी इतनी जल्दी कैसे टपक पड़ी?" चौहान ने कहा.


"सर आपको तुरंत बुलाया है उन्होने...जल्दी जाओ कही नाराज़ हो जायें" विजय ने कहा.


"ठीक है मैं जा रहा हूँ उनके कमरे में....तुम यही रूको."


"जी सर"


चौहान आस्प शालिनी ठाकुर के कमरे में घुस्स जाता है.


"गुड मॉर्निंग मेडम, आइ आम इनस्पेक्टर रंजीत चौहान...सॉरी मुझे पता नही था कि आपने आज से ही जाय्न कर लिया है"


"गुड मॉर्निंग, बैठो....ये क्या चल रहा है शहर में"


"सब ठीक ही है मेडम बस ये सीरियल किल्लर के केस ने परेशान कर रखा है" चौहान ने कहा.


"ऐसी परेशानी हॅंडल करना हमारी ड्यूटी है मिस्टर चौहान आप ऐसी बाते करेंगे तो कैसे चलेगा. मेरे सामने आगे से ऐसी बात मत करना."


"सॉरी मेडम" चौहान ने कहा.


"ऐसा कैसे हो गया कि विटनेस को मार कर चला गया कोई और हम कुछ नही कर पाए. साथ में दो कॉन्स्टेबल भी मारे गये. यही एफीशियेन्सी है यहा पर पोलीस की" शालिनी ने कहा.


"ये सीरियल किल्लर बहुत ख़तरनाक है मेडम...आप अभी नये हो आपको ये सब समझने में देर लगेगी"


"शट अप....मैं नयी बेसक हूँ पर बेवकूफ़ नही....तुम इस केस को बिल्कुल भी हॅंडल नही कर पा रहे"


"नही मेडम ऐसी बात नही है...कातिल की पहचान तो हो ही चुकी है....वो जल्दी पकड़ी जाएगी"


"मुझे रिज़ल्ट चाहिए मिस्टर चौहान वरना तुम्हारी छुट्टी समझे...मुझे इस केस की पल-पल की रिपोर्ट चाहिए..... ईज़ दट क्लियर?"


"जी मेडम जैसा आपका हूकम" चौहान की बोलती बंद हो चुकी थी. बड़ी मुस्किल से बोल पाया बेचारा.


"और हां मैं ये फाइल देख रही थी.....ये राजवीर सिंग है कोई...सब इनस्पेक्टर के लिए सेलेक्षन हुई थी इसकी. यहा पर अब तक उसकी जाय्निंग क्यों नही ली गयी"


"मैं देख लेता हूँ मेडम मुझे इसके बारे में जानकारी नही है.."


"शाम तक इसकी भी रिपोर्ट देना मुझे.... जाओ अब"


"जी मेडम"


चौहान बाहर आ जाता है. विजय उसे देख कर उसके पास आता है.


"क्या हुआ सर, आपके माथे पर तो पसीने हैं"


"पूछो मत....कयामत आ गयी है हमारे सिर पर. साली ने खूब डांटा मुझे. आज तक ऐसा नही हुआ मेरे साथ."


"सर वो हमारी बॉस है.."


"अरे बॉस है तो क्या कुछ भी बोलेंगी..."


"क्या कहा उन्होने?"


"कहेगी क्या उसे लगता है वो ज़्यादा जानती है....चल छोड़...और हां ये यार राज शर्मा की जाय्निंग करवा दो"


"सर उसने कोई पैसा तो दिया नही फिर कैसे..वैसे भी ग़लती से नाम आया था उसका लिस्ट में..जिन्होने 50-50 लाख दिए वो क्या बेवकूफ़ हैं..?"


"अरे इन बातो को मार गोली....उस कयामत ने शाम तक रिपोर्ट माँगी है इस बारे में"


"ठीक है सर जैसा आप कहे मैं भोलू हवलदार को भेज कर बुला लेता हूँ उसे...उसके घर के पास ही रहता है वो राज शर्मा "


"ठीक है....जो भी करो आज शाम तक ये काम हो जाना चाहिए कहीं मुझे डाँट पड़े."


"आप चिंता मत करो सिर ये काम तो हो ही जाएगा."


नगमा सुबह होते ही मोहित के कमरे से चल दी. आज उसका बापू वापिस आने वाला था इसलिए वो जल्द से जल्द घर पहुँचना चाहती थी.


"ठीक है...मैं तो चलती हूँ तुम लोग अपना प्लान बनाओ कि अब क्या करोगे...जहा मेरी ज़रूरत हो बता देना" नगमा ने चलते हुए कहा.


मोहित उसके करीब आया और धीरे से उसके कान में बोला, "ज़रूरत तो तुम्हारी हमेशा है...दुबारा गान्ड कब दोगि"


"तुम्हे चट नही चाहिए क्या...जिसे देखो मेरी गान्ड के पीछे पड़ा है....मार-मार कर सूजा दी मेरी अब नही दूँगी किसी को भी गान्ड मैं....चूत लेनी हो तो बताओ" नगमा ने धीरे से कहा.


"मेरा वो मतलब नही था अगली बार तेरी चूत ही लेनी है...बता कब देगी" मोहित ने कहा.


"पूरी रात मैं यहा बोर होती रही....रात नही निपटा सकते थे ये काम तुम"


"पागल हो क्या पद्मिनी के रहते कैसे करते?"


"अफ इस पद्मिनी ने तो सारा मज़ा खराब कर रखा है....मैं जा रही हूँ बाद में बात करेंगे"


"ठीक है जाओ....जल्दी बताना कब दोगि?"


"आज मेरा बापू आ जाएगा.....जब मोका लगेगा बता दूँगी"


मोहित ने उसकी तरफ आँख मारी और बोला, "जल्दी कोशिस करना"


"ठीक है गुरु जी मैं जाउ अब"


"हां-हां बिल्कुल" मोहित ने कहा.


नगमा चली गयी. नगमा के जाते ही पद्मिनी ने राहत की साँस ली.


"गुरु क्या कह रहे थे चुपके-चुपके नगमा को"


"कुछ नही इधर-उधर की बाते कर रहे थे" मोहित ने कहा.


"मैं सब जानती हूँ ये इधर-उधर की बाते कौन सी हैं...मुझे इस मुसीबत में फँसा कर तुम मस्ती कर रहे हो....कुछ सोचा तुमने कि मेरा अब क्या होगा. मेरे घर में सब परेशान होंगे. मेरे पिता जी दिल के मरीज हैं अगर कुछ हो गया तो उसके ज़िम्मेदार भी तुम होंगे. मैं अब और नही सह सकती मैं घर जा रही हूँ"


मोहित कुछ नही कह पाया जवाब में.


"पद्मिनी जी शांत हो जाओ, गुरु की तो ग़लती है ही...मैं मानता हूँ पर जो भी हुआ अंजाने में हुआ" राज ने कहा.


"हां....मुझे क्या पता था की खेल इस तरह बिगड़ जाएगा" मोहित ने कहा.


"जिस खेल को कंट्रोल ना कर सको वो खेल नही खेलना चाहिए मिस्टर मोहित....अब वो विटनेस भी मार दिया उस ने....बताओ हमारे पास करने को क्या है...पोलीस मुझे ढूँढ रही है....तुम्हे नही...तुम्हारी तस्वीर टीवी पर आई होती ना तो पता चलता तुम्हे" पद्मिनी ने गुस्से में कहा.


"देखो पद्मिनी मैं अपनी ग़लती मानता हूँ....जो सज़ा तुम्हे देनी है दे दो" मोहित ने कहा और उसके कदमो में बैठ गया.


पद्मिनी फूट-फूट कर रोने लगी, "मैं क्या सज़ा दू तुम्हे...सज़ा तो मुझे मिल रही है....पता नही किस बात की"


"पद्मिनी जी आप चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा...हम सब हैं ना आपके साथ" राज ने कहा.


"तुम मुझसे दूर ही रहना मुझे तुमसे कुछ नही लेना देना समझे" पद्मिनी ने अपनी आँखो से आँसू पोंछते हुए राज को कहा.
 

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Update 28

राज कन्फ्यूज़ हो गया. "मेरी क्या ग़लती है...मैं तो बस आपकी मदद करना चाहता हूँ" राज ने कहा.


"मेरा सर घूम रहा है प्लीज़ मुझे अकेला छोड़ दो" पद्मिनी ने कहा.


तभी दरवाजे पर दस्तक हुई. मोहित ने दरवाजा खोला. सामने पूजा खड़ी थी.


"पद्मिनी कहा है?" पूजा ने पूछा.


"यही है..आओ" मोहित ने कहा.


पूजा अंदर आ गयी और पद्मिनी के पास बैठ गयी.


"सॉरी कल शाम को मैं नही आ सकी....इतनी गहरी नींद आई की पूछो मत" पूजा ने कहा.


"कोई बात नही" पद्मिनी ने कहा.


"ये चेहरा क्यों उतरा हुआ है तुम्हारा" पूजा ने कहा.


"जब कोई ऐसी मुसीबत में फँसा हो तो...और क्या होगा" पद्मिनी ने कहा.


"ज़्यादा देर तक तुम इस मुसीबत में नही रहोगी...बहुत जल्द असली मुजरिम पकड़ा जाएगा" पूजा ने कहा.


"कैसे होगा ये चमत्कार पोलीस तो मेरे पीछे पड़ी है उन्हे कैसे यकीन दीलाएँगे की खूनी मैं नही कोई और है" पद्मिनी ने कहा.


"आप चिंता मत करो पद्मिनी जी सब ठीक हो जाएगा" राज ने कहा.


"कैसे ठीक होगा सब मुझे समझाओ तो सही" पद्मिनी झल्ला कर बोली.


किसी के पास कोई जवाब नही था.


"सिर्फ़ कहने भर से की सब ठीक हो जाएगा बात नही बनती...मुझे तो हर तरफ अंधेरा दीखाई दे रहा है" पद्मिनी ने कहा.


अचानक दरवाजा खड़कने लगा.


"राज....तुम यहा हो क्या?" बाहर से आवाज़ आई


"ये तो भोलू की आवाज़ है" राज बड़बड़ाया.


राज ने दरवाजा खोला.


"शूकर है तू मिल गया...तुझे ढूँढ-ढूँढ कर थक गया मैं"


राज ने भोलू को अंदर नही आने दिया और अपने पीछे दरवाजा बंद करके वही खड़ा हो गया.


"क्या हुआ...मुझे क्यों ढूँढ रहे थे तुम?" राज ने पूछा.


"रोज पूछता था ना तू अपनी जाय्निंग के बारे में"


"हां-हां आगे बोल"


"चल आज तेरी सॉरी आपकी जाय्निंग करा देता हूँ....अब तो तुम एसआइ बन जाओगे तुम्हे आप ही बोलना पड़ेगा"


"तू ये क्या कह रहा है....मुझे यकीन नही हो रहा"


"यकीन करले अब....तुझे फॉरन चलना होगा मेरे साथ...अभी जाय्निंग हो जाएगी तुम्हारी"


"ये सब अचानक कैसे"


"नयी एएसपी साहिबा आई हैं उन्होने ही ऑर्डर दिया है तुम्हारी जाय्निंग का चलो अब देर मत करो"


ये ऐसा वक्त था कि एमोशन्स उमड़ आना नॅचुरल है. राज की आँखो में आँसू उभर आए और उसने भोलू को गले लगा लिया और बोला, "लगता था कि पोलीस में जाने का सपना, सपना ही रह जाएगा...तू मुझे बस 15 मिनट दे मैं अभी आता हूँ"


"ठीक है मैं अपने घर पर हूँ वही आ जाना" भोलू ने कहा.


भोलू के जाने के बाद राज अंदर आया. उसकी आँखे अभी भी भरी हुई थी.


अंदर सभी ने भोलू और राज की बातें सुन ली थी.


राज के अंदर आते ही मोहित ने उसे गले से लगा लिया.


"वाउ....मेरा राज अब पोलीस में जाएगा और सबकी बॅंड बजाएगा"


"गुरु सब तुम्हारी दुवाओ का नतीजा है"


"भाई मुझे तो यकीन नही था...इसलिए मैने कभी दुवा नही की...सब तेरी लगन का नतीज़ा है...बड़ी महनत से दिए थे तूने पेपर....मान गये राज"


"गुरु हो ना हो इसमें पद्मिनी जी के सपने का भी हाथ है" राज ने कहा.


पद्मिनी ने अपने तेज धड़कते दिल पर हाथ रखा और बोली, "ऐसा नही हो सकता"


"क्या हुआ पद्मिनी जी क्या आपको ख़ुसी नही हुई" राज ने कहा.


"नही-नही ऐसा नही है मैं तुम्हारे लिए खुस हूँ" पद्मिनी ने कहा.


"फिर आपने क्यों कहा कि ऐसा नही हो सकता...आपका सपना तो सच हो गया...और कुछ याद हो तो बताओ ना क्या पता वो भी सच हो जाए" राज ने कहा.


"इतना कुछ सच हो गया.... अब क्या हर बात सच होगी....ऐसा नही होगा" पद्मिनी ने कहा.


पद्मिनी की बात किसी को समझ नही आई. आती भी कैसे पूरा सपना तो सिर्फ़ उसे ही पता था.




"पद्मिनी जी क्या हुआ आप इतनी परेशान सी क्यों लग रही हैं." राज ने पूछा.


"कुछ नही...तुम जाओ वरना लेट हो जाओगे" पद्मिनी ने कहा.


"अरे हां...मैं लेट हो रहा हूँ....गुरु मैं निकलता हूँ...पहले जाके जाय्न कर लू बाकी की बाते बाद में करेंगे" राज ने कहा.


"ठीक है तुम निकलो हम तीनो बैठ कर आगे का प्लान बनाते हैं." मोहित ने कहा.


"ठीक है तुम लोग प्लान बनाओ मैं बाद में मिलता हूँ" राज ने कहा और कमरे से निकल गया.


"हां तो पूजा क्या कुछ जानती हो उस आदमी के बारे में...क्या नाम था उसका...उम्म" मोहित ने कहा.


"परवीन" पूजा झट से बोली.


"हां तो तुम्हे शक है कि किल्लर वही है" मोहित ने कहा.


"मुझे शक नही पूरा यकीन है की वही किल्लर है" पूजा ने कहा.


"नही मैं वैसे ही पूछ रहा था.... दरअसल कल हमारी बहुत फ़ज़ियत हुई है"


"कैसी फ़ज़ीहत?" पूजा ने पूछा.


"छोड़ो जाने दो तुम उस परवीक के बारे में बताओ" मोहित ने कहा.


"मुझे उसके बारे में और कुछ नही पता...हां उसका एक नौकर भी है मुझे उस पर भी शक है. शायद नौकर साथ देता है परवीन का"


"ह्म्म....पहले तुम मुझे ये बताओ कि वो कहा मिलेगा" मोहित ने कहा.


"मुझे उसके फार्म हाउस का पता है बाकी उसके बारे में और कोई जानकारी नही मुझे"


"ठीक है मुझे उसका फार्म हाउस दीखा दो बाकी जानकारी मैं इक्कथा कर लूँगा" मोहित ने कहा.


"ठीक है" पूजा ने कहा.


"पद्मिनी मैं पूजा के साथ उसका फार्म हाउस देख आता हूँ...बाद में राज के आने पे देखते हैं कि क्या करना है?"


"ह्म्म ठीक है जाओ...मेरा सर दर्द कर रहा है मैं सोने जा रही हूँ" पद्मिनी ने कहा.


"मेडिसिन दूं क्या...पड़ी है मेरे पास" मोहित ने कहा.


"नही ये दर्द दवाई से नही जाएगा...मैं ठीक हूँ तुम लोग जाओ" पद्मिनी ने कहा.


"आओ पूजा चलें"


"क्या उसी कार में चलेंगे?" पूजा ने पूछा.


"नही बाइक से चलेंगे वो कार तो किसी और की थी"


"बाइक पर!"


"क्यों कोई परेशानी है क्या?"


"नही चलो" पूजा ने कहा.


कुछ ही देर बाद मोहित और पूजा फार्म हाउस की तरफ बढ़ रहे थे.


"क्या तुम्हारी उस लड़के ने कोई मूवी बना ली थी" मोहित ने पूछा.


"मेरी पर्सनल लाइफ के बारे में बात ना ही करो तो अच्छा है मैं बस पद्मिनी की मदद करना चाहती हू और कुछ नही" पूजा ने कहा.


"तुम तो बुरा मान गयी...मैं तो यू ही पूछ रहा था."


"जो भी हो मेरी लाइफ के बारे में तुम्हे जान-ने का कोई हक़ नही है समझे बहुत अच्छे से जानती हूँ मैं तुम दोनो को"


"क्या जानती हो ज़रा हमे भी बता दो हम भी तो देखें की दुनिया हमारे बारे में क्या सोचती है" मोहित ने कहा.


"वो तुम्हे भी पता है और मुझे भी" पूजा ने कहा.


"क्या नगमा ने तुम्हे बता दिया कि मैने उसकी गान्ड मारी थी" मोहित ने कहा.


पूजा मोहित की बात सुन कर हैरान रह गयी. उसे ऐसी बात की उम्मीद नही थी.


"क्या कहा तुमने?" पूजा ने पूछा.


"ओह....शायद तुम नही जानती कि तुम्हारी बड़ी बहन कितनी पहुँची हुई चीज़ है" मोहित ने कहा.


"मैं सब जानती हूँ....राज ने ही उसे बिगाड़ा है...वरना मेरी दीदी ऐसी नही है"


"हे..हे..हा..हा..हा"


"क्या हुआ" पूजा ने पूछा.


"तुम्हारी दीदी ऐसी नही है....हे..हे..हा..हा. अरे वो तो अच्छे अछो को बिगाड़ दे...उसे कौन बिगाड़ेगा."


"तुम झूठ बोल रहे हो"


"मैं झूठ क्यों बोलूँगा जाके पूछ लेना अपनी दीदी से....पर तुम्हे वो सच क्यों बताएगी"


"बाइक इस रोड से सीधा ले लो इसी रोड के आख़िर में है वो फार्म हाउस."


"राज बेचारा तो तुम्हारे पीछे था पर पट गयी नगमा...पट क्या गयी वो हमेशा तैयार रहती है....राज ने एक बार मुझसे मिलवाया नगमा को और उसी दिन मैने उसकी गान्ड ले ली हे..हे..हे"


"ये बाते तुम मुझे क्यों सुना रहे हो."


"तुम्हारा कोई इंटेरेस्ट है कि नही इन बातो में जान-ना चाहता हूँ क्या पता तुम्हारी मेरी जम जाए बात."


"अच्छा तो तुम मुझ पर लाइन मार रहे हो....अगर ऐसी बाते करके सोचते हो कि मुझे पटा लोगे तो तुम ग़लत हो. मुझे बिल्कुल अछी नही लगी तुम्हारी बाते."


"अछी ना लगी हो सेक्सी तो लगी होंगी...क्या तुम्हारा मन नही करता किसी को चूत देने का...मुझमे क्या बुराई है. अपनी दीदी से पूछ लेना बहुत अच्छे से मारता हूँ"


"मैं दीदी से क्यों पूचु भला मुझे क्या मतलब...तुम सीधे सीधे चलाओ" पूजा ने कहा.


"मुझे पता है उस लड़के ने तुम्हारी ली होगी और मूवी बना ली होगी तभी तुम उसे मारने भागी थी. देखो मैं उस लड़के जैसा कमीना नही हूँ"


"तुम्हारी दाल यहा नही गलेगी मिस्टर बाइक चलाने पर ध्यान दो."


"तुम ही बता दो कि दाल गलाने के लिए मुझे क्या करना होगा."


"ये दाल किसी हालत में नही गलेगी"


"अच्छा ऐसा है...फिर तो मैं भी चलेंज लेता हूँ कि तुम्हारी चूत में लंड डाल के रहूँगा...वो भी तुम्हारी मर्ज़ी से."


"ऐसा दिन कभी नही आएगा हा....जिस काम से आए हो उस पर ध्यान दो."


"देखो मेरे साथ आगे से ऐसी बात मत करना वरना तुम देख ही चुके हो की मैं क्या कर सकती हूँ" पूजा ने कहा


"अगर मैं और राज वक्त से ना पहुँचते तो तुम्हारी बॅंड बजने वाली थी वाहा...बंदूक निकाल ली थी उसने और तुम एक चाकू ले कर घूम रही थी"


"मैने तुम लोगो को नही बुलाया था."


"वाह जी वाह एक तो इनकी गान्ड की रक्षा करो उपर से कोई नाम भी नही"


"फार्म हाउस आ गया...बकवास बंद करो और बाइक रोको" पूजा ने कहा.


"कहा है फार्म हाउस" मोहित ने बाइक रोक कर पूछा.


पूजा ने हाथ का इशारा करके बताया, "वो रहा...यही से देख लो पास जाना ठीक नही"


"वैसे एक बात पूचु"


"क्या है अब?" पूजा ने कहा.


"फार्म हाउस जैसी जगह पर तो उल्टे ही काम होते हैं तुम यहा क्या करने आई थी?" मोहित ने पूछा


"तुमसे मतलब...तुम बस अपने काम से मतलब रखो...चलो वापिस अब" पूजा ने कहा.


"अरे इतनी दूर क्या बस इस फार्म हाउस की शकल देखने आए हैं"


"तो क्या इरादा है तुम्हारा?" पूजा ने कहा.


"मैं ज़रा वाहा जा कर देखता हूँ...अगर इस परवीन का घर का अड्रेस मिल जाए तो अच्छा होगा."


"ठीक है जाओ...मैं यही वेट करूँगी" पूजा ने कहा.


"पर तुम यहा अकेली...ऐसा करते हैं इस बाइक को यही सड़क किनारे की झाड़ियो में छुपा कर दोनो चलते हैं"
 

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Update 29

"नही मैं वाहा नही जाउन्गि...तुम जाओ मैं यही वेट करूँगी"


"परवीन वाहा हुआ तो मैं उसे कैसे पहचानूँगा...चलो ना पूजा"


"ठीक है...चलो...पर कोई बकवास मत करना"


"ठीक है अब चलो तो"


बाइक को सड़क किनारे छुपा कर दोनो चुपचाप फार्म हाउस की तरफ चल पड़ते हैं. "हम झाड़ियों के रास्ते जाएँगे सामने से जाना ठीक नही" मोहित ने कहा.


"ह्म्म ठीक कह रहे हो मैं भी ऐसा ही सोच रही थी."


"चुपचाप दबे पाँव मेरे पीछे आ जाओ." मोहित ने कहा.


"तुम चलो मैं आ रही हूँ"


"बहुत सुनसान इलाक़े में बनाया है फार्म हाउस" मोहित ने कहा.


"सस्स्शह तुम्हे कुछ सुनाई दिया" पूजा ने कहा.


"हां...शायद नज़दीक ही कोई है"


"कल साहिब लोगो ने एक लड़की की खूब मारी थी यही इस घास पर" उन्हे आवाज़ आती है.


मोहित और पूजा आवाज़ के नज़दीक पहुँच जाते हैं...पर वो अभी भी झाड़ियों के पीछे रहते हैं.


"चलो यहा से" पूजा ने धीरे से कहा.


"अरे रूको तो लाइव ब्लू फिल्म तो देख ले" मोहित ने कहा.


उनके सामने रामू एक औरत को बाहों में लिए खड़ा था. औरत कोई 35 साल की थी, रंग सॉफ था और शरीर गतिला था.


"क्या यही परवीन है?"


"नही ये उसका नौकर रामू है"


"ह्म्म नौकर ने क्या किस्मत पाई है...क्या माल हाथ लगा है सेयेल के" मोहित ने कहा.


"मुझे लगता है परवीन यहा नही है हमे चलना चाहिए" पूजा ने कहा.


"परवीन का पता तो जानता ही होगा ये नौकर थोड़ा रूको ना" मोहित ने कहा.


"तुम्हारे साहिब आ गये तो?" उस औरत ने पूछा.


"साहिब तो सहर से बाहर गये हैं...कल शाम को ही निकल गये थे यहा से" रामू ने कहा.


"अंदर घर में चलो ना यहा खुले में कुछ अजीब लगता है"


"कल उस लड़की की चुदाई देख कर मन कर रहा है की यही खुले में मस्ती की जाए चलो जल्दी कोड़ी हो जाओ" रामू ने कहा.


"ये किस लड़की की बात कर रहा है पूजा" मोहित ने पूछा.


"मुझे क्या पता...चलो यहा से." पूजा गुस्से में बोली.


"धीरे बोलो बाबा वो लोग सुन लेंगे." मोहित ने कहा.


रामू ने उस औरत को अपने आगे झुका दिया और अपने लंड को उसकी गान्ड पर रगड़ने लगा.


"अफ क्या मस्त गान्ड है कास इस नौकर की जगह मैं होता उसके पीछे....अभी डाल देता पूरा का पूरा लंड गान्ड में" मोहित बड़बड़ाया.


"तुम यहा मस्ती करने आए हो तो...मैं जा रही हूँ." पूजा ने कहा.


मोहित ने पूजा का हाथ पकड़ा और बोला, "रूको तो मैं इस नौकर से परवीन के बारे में पूछूँगा."


"ये काम बाद में कर लेना...मैने तुम्हे ये जगह दीखा दी है अब चलो यहा से" पूजा ने कहा.


"बस थोड़ी देर ये नज़ारा ले लेने दो फिर चलते हैं" मोहित ने कहा.


पूजा पाँव पटक कर रह गयी.


"इस मोटी गान्ड पर लंड रगड़ना अच्छा लगता है मुझे" रामू ने कहा.


"आअहह तो रागडो ना लंड जी भरके किसने रोका है....पर अंदर मत डालना...आहह"


"तेरी चूत मारने से फ़ुर्सत मिले तब ना गान्ड में डालूँगा...वैसे सच सच बता ये गान्ड इतनी मोटी कैसे हो गयी जब तूने मरवाई नही एक भी बार."


"पता नही बचपन से ही ऐसी है....डाल दो ना अब चूत में मैं कब तक झुकी रहूंगी"


"थोड़ा रूको ना इस मोटी गान्ड पर लंड रगड़ कर इसे गरम तो कर लूँ"


"इसके लंड से भी मोटा लंड है मेरा" मोहित ने कहा.


"अच्छा मज़ाक अच्छा कर लेते हो?" पूजा मुस्कुराइ.


"दीखाऊ क्या अभी?" मोहित ने कहा.


"मुझे क्यों दीखाओगे उस औरत को दीखाओ जा के...मेरे उपर कोई असर नही होने वाला."


"हाई काश मैं वाहा जा पाता....क्या मस्त गान्ड है...ऐसी मोटी गान्ड नही मारी मैने आज तक" मोहित ने कहा.


"तुम्हारे जैसे लड़के मुझे बिल्कुल पसंद नही जो कही भी लार टपकाने लगते हैं" पूजा ने कहा.


"पूजा अगर तुम मान जाओ ना तो कसम से किसी की तरफ नही देखूँगा...तुम्हारा मुकाबला कोई नही कर सकता...तुम बिल्कुल पद्मिनी जैसी हो....बहुत सुंदर." मोहित ने कहा.


"अच्छा बेहतर हो की तुम दिन में सपने लेना छोड़ दो...तुम्हारे जैसे लोगो से मुझे नफ़रत है नफ़रत."


"उफ्फ तुम्हारी लेने के लिए बहुत पाप्ड बेलने पड़ेंगे" मोहित ने कहा.


"बंद करो बकवास अपनी...मैं वापिस जा कर पद्मिनी को सब बता दूँगी कि तुम यहा क्या कर रहे थे."


"नही पूजा ऐसा मत करना वो पहले ही मुझसे नाराज़ है" मोहित ने कहा.


"ठीक है चलो फिर."


"रूको रूको देखो डाल दिया उसने उसकी चूत में थोड़ा तो देख लेने दो." मोहित ने कहा.


"तुम देखो मैं जा रही हूँ" पूजा ने कहा.


पूजा मूड कर दबे पाँव वाहा से चल दी. पूजा के जाते ही मोहित झाड़ियो से बाहर आ गया.


"अरे भाई परवीन जी क्या यही रहते हैं." मोहित ने पूछा.


आनन फानन में जल्दी से रामू ने अपना लंड उस औरत की चूत से निकाला. लंड के बाहर आते ही वो औरत अपने कपड़े जल्दी से ठीक करके वाहा से भाग खड़ी हुई.


"क..क..कौन हो तुम और यहा क्या कर रहे हो." रामू ने कहा.


"भाई मैं परवीन जी के गाँव से आया हूँ उनसे मिलना था. किसी ने इस फार्म हाउस का पता बताया तो चला आया. यहा आया तो क्या देखता हूँ एक महिला झुकी हुई हैं और आप उसकी चूत में लंड डाले खड़े हैं. सोचा वापिस चला जाउ लेकिन फिर रुक गया. सोचा बात करने में हर्ज़ ही क्या है"


"थोड़ी देर रुक नही सकते थे...एक भी धक्का नही मारने दिया उसकी चूत में"


"कोई बात नही मेरे जाने के बाद धक्के मारते रहिएगा...आप बस परवीन जी का घर का अड्रेस दे दो"


"वो तो भाग गयी अब क्या मैं हवा में धक्के मारु." रामू झल्ला कर बोला.


"रुकावट के लिए खेद है भाई...कृपया करके अड्रेस दे दीजिए मैं बहुत परेशान हूँ."


"ठीक है ठीक है अभी देता हूँ." रामू ने कहा.


रामू ने मोहित को अड्रेस दे दिया. अड्रेस ले कर मोहित मुस्कुराता हुआ फार्म हाउस से बाहर आ गया.




पूजा झाड़ियों के रास्ते सड़क पर वापिस आ गयी और मोहित फार्म हाउस से अड्रेस ले कर मेन गेट से बाहर आ गया.


"बड़ी जल्दी वापिस आ गये" पूजा ने पूछा.


"अड्रेस मिल गया तो आ गया...मैं यहा इसी काम से तो आया था...काम होते ही आ गया" मोहित ने कहा.


"ऐसा कैसे हो गया...वो लोग तो"


"हैरान हो ना...मैने सर्प्राइज़्ड एंट्री की वाहा और काम बन गया....तुम थोड़ी देर रुकती तो अच्छा ख़ासा ड्रामा देखने को मिल जाता."


"अब चलें वापिस?" पूजा ने कहा.


"क्या मैं तुम्हे बिल्कुल भी अच्छा नही लगता?" मोहित ने पूछा.


"क्यों ऐसा क्या है तुम में जो मुझे अच्छा लगेगा.? तुम्हारी तो बीवी भी छोड़ गयी ना तुम्हे...अगर तुम में कोई गुण होते तो क्या तुम्हारी बीवी छोड़ के जाती" पूजा ने कहा.


"वो अलग ही कहानी है पूजा...खैर छोड़ो...मुझसे ग़लती हो गयी जो तुम्हे नगमा जैसी समझ बैठा. मुझे लगा तुम नगमा की बहन हो तो उसके जैसी ही होगी. हालाँकि मुझे राज ने बताया तो था कि तुम नगमा जैसी नही हो पर यकीन नही था. तुम्हे पटाने का मेरा तरीका ग़लत था. मुझे तुमसे ऐसी अश्लील बाते नही करनी चाहिए थी. अब मैं कुछ और तरकीब लगाउन्गा." मोहित ने कहा.


"तुम्हारी कोई भी तरकीब काम नही करने वाली...चलो अब"


"ये तो वक्त ही बताएगा." मोहित ने कहा.


दोनो बाइक पर बैठ कर वापिस चल दिए.


..............................
......................


राज जाय्निंग की फॉरमॅलिटी पूरी करने के बाद सीधा शालिनी ठाकुर के रूम की तरफ चल दिया. वो उसका धन्यवाद करना चाहता था. जब वो कमरे में घुसा तो शालिनी अख़बार पढ़ रही थी. राज भाग कर शालिनी के कदमो में गिर गया और उसके पैर पकड़ लिए.


"अरे ये क्या कर रहे हो कौन हो तुम और तुम्हे अंदर किसने आने दिया"


राज ने सर नीचे झुकाए हुए कहा,"मैं राज शर्मा हूँ मेडम...आप यहा ना आती तो मेरी जाय्निंग कभी नही हो पाती."


"उठो....तुम अब एसआइ हो और ऐसे आम आदमी की तरह बिहेव मत करो वरना अभी वापिस नौकरी से निकाल दूँगी" शालिनी ने गुस्से में कहा.


राज फ़ौरन खड़ा हो गया.


"अरे ये तो बहुत यंग है...मैने सोचा कोई काफ़ी उमर की होगी. बेकार में पाँव छू कर अपनी फ़ज़ीहत करवा ली" राज ने सोचा.


"तुमने जाय्निंग कर ली" शालिनी ने पूछा.


"हां मेडम" राज ने जवाब दिया.


"जब किसी सीनियर के सामने जाओ तो हाथ पीछे रखो...क्या इतना भी नही जानते...जेब से बाहर निकालो हाथ आंड स्टॅंड प्रॉपर्ली" शालिनी ने कहा.


राज ने फ़ौरन हाथ जेब से निकाल कर पीछे कर लिए, "सॉरी मेडम मेरा पहला दिन है और आप जैसी सुंदर लड़की सामने है...मेरा दीमाग नही चल रहा. आगे से ध्यान रखूँगा"


"मैं कोई लड़की नही हूँ तुम्हारी बॉस हूँ...बिहेव युवरसेल्फ"


"सॉरी मेडम"


तभी चौहान अंदर आता है.


"मिस्टर चौहान इसको ट्रैनिंग पर भेज दो." शालिनी ने कहा.


"मेडम ट्रैनिंग में ये अब अगले साल ही जा पाएगा...अभी इन्स्टिट्यूट में ट्रैनिंग चालू है..और वाहा जगह भी नही है" चौहान ने कहा.


"ठीक है फिर ऐसा करो इसे अपने साथ रखो और काम सिख़ाओ. इसको ट्रेन करना तुम्हारी ज़िम्मेदारी है" शालिनी ने कहा.


"मुझे अपने साथ रख लीजिए ना मेडम...मुझे लगता है आप मुझे ज़्यादा अच्छे से सीखा सकती हैं" राज ने कहा.


"तुम्हारी राय माँगी किसी ने मिस्टर राज. जैसा कहा है वैसा करो...तुम्हारी कोई शिकायत नही आनी चाहिए" शालिनी ने कहा.


"अफ ये तो तीखी मिर्ची है इतनी सुंदर लड़की पोलीस में क्या कर रही है." राज ने मन ही मन सोचा.


"यू कॅन गो नाउ" शालिनी ने कहा.


राज वही खड़ा रहा. चौहान ने उसे चलने का इशारा किया तब उसे समझ में आया कि उसे भी बाहर जाने को कहा गया है.


बाहर आ कर चौहान बोला, बर्खुरदार जाय्निंग तो तुमने कर ली...अपनी नौकरी बच्चाए रखना चाहते हो तो एक बात ध्यान रखना. अपने सीनियर के आगे कभी ज़्यादा मूह मत खोलना. मैं भी तुम्हारा सीनियर हूँ ये भी याद रखना. अभी तुम बच्चे हो सब सीख जाओगे" चौहान ने कहा.


"आपका क्या रॅंक है?"


"मैं इनस्पेक्टर हूँ वर्दी देख कर पता नही चलता क्या"


"पता चल गया सर...पता चल गया."


तभी राज को ध्यान आया, "अरे ये तो वही है जिसने पूजा को सड़क पर उतारा था."


"चलो तुम्हारी ट्रैनिंग शुरू की जाए...जाओ मेरे लिए चाय ले कर आओ" चौहान ने कहा.


"चाय सर?" राज हैरानी में बोला.


पीछे से शालिनी आ रही थी उसे ये बात सुन ली


"मिस्टर चौहान मैने राजवीर को तुम्हारे अंडर ट्रेन करने के लिए लगाया है ना कि चाय लाने के लिए." शालिनी ने रोब से कहा.


"नही मेडम आप ग़लत समझ रही हैं...मैं तो ये कह रहा था कि चलो चाय पी कर किल्लर वाले केस की इंक्वाइरी के लिए चलते हैं" चौहान ने कहा.


"ठीक है....मुझे रिपोर्ट देते रहना की क्या सीखा रहे हो इसे"


"जी मेडम"


"गजब की ऑफीसर हैं ये तो...इनके साथ काम करके मज़ा आएगा" राज बड़बड़ाया.


"कयामत है ये हम सब के लिए जितना जल्दी समझ लो अच्छा है" चौहान ने राज की बात पर रिक्ट किया.


"लेकिन बहुत खूबसूरत कयामत है...ऐसी कयामत को तो मैं हमेशा सीने से लगा कर रखूं" राज ने सोचा.


"क्या सोच रहे हो चलो हमे इन्वेस्टिगेशन के लिए निकलना है" चौहान ने कहा.


"मेरी वर्दी सर?" राज ने पूछा.


"अरे वर्दी भी मिल जाएगी अभी ऐसे ही चलो" चौहान ने कहा.


"जैसा आप कहें सर"
 

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Update 30


चौहान राज को लेकर सुरिंदर के घर पहुँचता है.
"क्राइम सीन है घबराना मत...चारो तरफ खून बीखरा पड़ा है कही देख कर घबरा जाओ"
"मैने न्यूज़ में सुन लिया था सब सर, मैं इन बातो से नही डरता"
"अच्छा चलो फिर अंदर" चौहान ने कहा.
राज चौहान के पीछे-पीछे सुरिंदर के घर में घुस गया.
"यहा तो कुछ भी नही है" राज ने कहा.
"लासे पीछे पड़ी है बर्खुरदार थोड़ा धीरज रखो" चौहान ने कहा.
"सर ये बेडरूम देखिए...बिस्तर पर काफ़ी उछल-पुथल हुई लगती है" राज ने कहा.
"तुम इस कमरे को अच्छे से चेक करो मैं पीछे जा रहा हूँ, कुछ भी इंपॉर्टेंट लगे तो मुझे बताना" चौहान ने कहा.
"ओके सर मैं यहा देख लेता हूँ" राज ने कहा ,"वैसे भी मुझे लास देखने का कोई सोंक नही है" राज धीरे से बड़बड़ाया.
"क्या कहा तुमने?"
"कुछ नही सर बस यू ही"
"लाश तो तुम्हे अक्सर देखने को मिलेगी बर्खुरदार. पोलीस में आए हो किसी ऐन्जीओ में नही"
"मेरा वो मतलब नही था सर."
"ठीक है...ठीक है चलो जो काम दिया है उसे करो...और मेरे सामने ज़्यादा मत बोला करो"
"सॉरी सर"
"सॉरी हा..."चौहान कह कर आगे बढ़ गया.
राज कमरे को बड़े ध्यान से देखता है.
"यहा क्या देखूं बस ये बीखरा हुआ बिस्तर है और ये आल्मिरा है...बाकी तो कुछ नही."
अचानक उसकी नज़र बेड पर पड़े तकिये पर गयी. उसके बिल्कुल पास कुछ चमकीली चीज़ नज़र आ रही थी. राज ने आगे बढ़ कर उसे उठा लिया.
"ये तो सोने की चैन लगती है...ये यहा क्या कर रही है...ह्म्म इस बेड पर अछी ख़ासी गेम खेली गयी है शायद. खेल-खेल में ये चैन गिर गयी होगी...एक बार नगमा भी तो अपनी पायल भूल गयी थी मेरे कमरे में"
राज ने बेड को अच्छे से चेक किया और कुछ नही मिला. लेकिन बेड के पास रखी टेबल पर जो मोबाइल पड़ा था उस पर राज का ध्यान नही गया. राज कमरे से बाहर आने लगा, तभी मोबाइल बज उठा.
राज ने मोबाइल उठा कर ऑन किया और कान से लगा लिया, "सुरिंदर मेरी सोने की चैन तुम्हारे वाहा छूट गयी शायद. मिल जाए तो संभाल कर रख लेना. संजय ने गिफ्ट दी थी वो हमेशा उसे मेरे गले में देखना चाहता है. तुम कुछ बोल क्यों नही रहे... कल रात मज़ा नही आया क्या"
"मज़ा तो उसे आया ही होगा, क्या आपको पता नही कि वो कल रात मारे गये?" राज ने कहा.
"क..क..कौन बोल रहे हो तुम...और ये क्या बकवास कर रहे हो." मोनिका ने कहा.
"मैं सब इनस्पेक्टर राज शर्मा बोल रहा हूँ ज़बान संभाल के बात करो"
मोनिका ने फ़ौरन फोन काट दिया.
"काट दिया फोन क्यों क्या हुआ...अब मैं पोलीस वाला हूँ कोई भी ऐरा ग़ैरा मुझसे ऐसे ही कुछ भी नही बोल सकता."
राज उस बेडरूम से निकल कर घर के पीछे की तरफ चल दिया.
"अफ कितनी बेरहमी से मारा है कामीने ने." राज ने अपनी आँखे बंद कर ली.
"क्यों बर्खुरदार छूट गये पसीने..हे..हे." चौहान हस्ने लगा.
"सर आपको ये सब देखने की आदत हो गयी होगी मैं तो पहली बार देख रहा हूँ"
"कोई बात नही तुम्हे भी आदत हो जाएगी...कुछ मिला उस कमरे में?"
"हां सर ये सोने की चैन मिली है" राज ने कहा.
राज ने फोन वाली बात भी चौहान को बता दी.
"नाम तो पूछ लेते उसका."
"मैं पूछने ही वाला था पर फोन काट दिया उसने."
"ह्म्म कोई बात नही उसके नंबर से उसके घर का पता चल ही जाएगा" चौहान ने कहा.
"सर आपको क्या लगता है ये सब खून क्या कोई औरत कर सकती है" राज ने चौहान का व्यू लेने के लिए पूछा.
"क्यों नही...आज कल कोई भी कुछ भी कर सकता है...इसने देखा था ना उसे अपनी आँखो से" चौहान ने कहा.
"हां पर मुझे वो लड़की कातिल नही लगती" राज ने कहा.
"तुम्हे क्या लगता है उस से फरक नही पड़ता बर्खुरदार यहा सब सबूत बोलते हैं" चौहान ने कहा.
चौहान ने एक कॉन्स्टेबल को आवाज़ दी, "इनको पोस्ट मॉर्टेम के लिए भेज दो"
"जी सर" कॉन्स्टेबल ने कहा.
"चलो बर्खुरदार यहा का काम हो गया."
"अभी कहा जाना है सर"
"पहले थाने चलते है...बाद में सोचेंगे आगे क्या करना है"
चौहान राज को जीप में ले कर पोलीस स्टेशन की तरफ निकल देता है.
"सर एक बात पूछनी थी आपसे बुरा ना माने तो"
"हां-हां पूछो क्या बात है?"
"कल मैने आपको इसी जीप में देखा था आप किसी लड़की को सड़क पर उतार कर आगे बढ़ गये ...वो लड़की कौन थी?"
"क्यों तेरा दिल आ गया क्या उस पर?"
"नही सर मैने उसे कही देखा है...इसलिए पूछ रहा था." राज ने कहा.
"एस्कॉर्ट थी वो...होटेल में पकड़ी थी मैने. बहुत सुंदर थी इसलिए मैने भी हाथ मार लिया. मैने और
परवीन ने मिलके ड्प किया साली का. सारे नखरे उतार दिए उसके. एक बात समझ लो इस नौकरी में तुम्हे एक से बढ़ कर एक आइटम मिलेगी. पर सोच समझ कर खेलना फँस भी सकते हो. आजकल मीडीया बहुत पीछे पड़ी रहती है."
चौहान की बात सुन कर राज का दिल बैठ गया.
"पूजा के साथ इतना कुछ हो गया...किस चक्कर में फँस गयी थी ये पूजा...कुछ समझ नही आ रहा." राज ने सोचा.
"क्या हुआ बर्खुरदार किस सोच में डूब गये."
"कुछ नही सर बस यू ही." राज ने कहा.
राज को पूजा के बारे में सुन कर बहुत बुरा लगा. उसे यकीन नही हो रहा था कि उसके जैसी लड़की ऐसे चक्करो में फँस जाएगी.
"ज़रूर कोई मज़बूरी रही होगी पूजा की" राज ने सोचा.
..............................
....
मोनिका टीवी ऑन करके उसके सामने खड़ी हुई आँखे फाडे न्यूज़ देख रही है.
"ओह माइ गॉड सुरिंदर तो सच में मारा गया...वो दोनो पोलीस वाले भी नही बचे...अगर मैं थोड़ी देर वाहा रुकती तो शायद मेरा भी यही हसर होता....क्या हो रहा है ये इस सहर में"
संजय पीछे से आकर मोनिका को बाहों में भर लेता है और कहता है, "क्या बात है डार्लिंग इतनी परेशान सी क्यों लग रही हो....और ये कैसी न्यूज़ लगा रखी है"
"त...तुम उठ गये" मोनिका ने कहा.
"मैं तो कब से उठा हूँ...तुम बिस्तर से गायब थी"
"मैं नहा धो कर पूजा करती हूँ आजकल इसलिए जल्दी उठ जाती हूँ"
"ह्म्म तभी ये भीनी भीनी खुसबु आ रही है...आओ थोड़ी मस्ती हो जाए."
"मेरा मूड ठीक नही है बाद में"
"मेरी बीवी के नखरे रोज बढ़ते जा रहे हैं कही किसी और से तो दिल नही लगा लिया"
"क...क...कैसी बाते करते हो संजय...तुम्हारे सिवा मैं किसी को प्यार नही कर सकती."
"सच कह रही हो?"
"और नही तो क्या?"
संजय ने मोनिका को बाहों में उठाया और बेडरूम की तरफ चल दिया.
"आज तुम्हारे नखरे नही चलेंगे, आइ विल फक यू हार्ड आंड फास्ट"
"अफ समझा करो संजय अभी मेरा मूड ऑफ है"
"लंड घुस्सते ही मूड ठीक हो जाएगा चिंता मत करो. ऐसे मूड को ठीक करने के लिए ही बनाया गया है ये इंजेक्षन."
संजय मोनिका को बेडरूम में ले आया.
"तुमने ये नही बताया कि तुम वक्त से पहले कैसे पहुँच गये. ट्रेन तो अक्सर लेट हो जाती है तुम तो एक घंटा पहले ही घर भी पहुँच गये." मोनिका ने कहा.
"तुम्हे उस से क्या आ तो गया ना टाइम से घर...अब मूड कराब मत करो....आइ नीड आ नाइस फक नाउ."
मोनिका के दीमाग में अभी भी सुरिंदर के ख्याल घूम रहे थे.."अफ कही मैं ना किसी मुसीबत में फँस जाउ. मेरा नंबर भी पोलीस के पास चला गया...पोलीस ज़रूर यहा भी आएगी अब क्या करूँ....आअहह धीरे से" इधर मोनिका ये सब सोच रही थी उधर संजय उसके बड़े-बड़े बूब्स मसल रहा था.
"क्या हो गया तुम्हे आज...तुम्हे तो ये अच्छा लगता था."
"तुमने ज़रा ज़ोर से दबा दिए थे."
"अच्छा ऐसी बात है...चलो अब आराम से दबाउन्गा तुम अपना मूड ठीक कर लो बस."
"तुम मुझे बस 5 मिनट दो मैं अभी आती हूँ." मोनिका ने कहा.
"अब क्या हुआ तुम्हे?" संजय ने कहा.
"बस डार्लिंग अभी आई...फिर आराम से करेंगे."
"ठीक है जल्दी करो जो करना है...आइ नीड टू फक अट एनी कॉस्ट."
"यू विल फक मी जस्ट वेट आ मिनट." मोनिका ने कहा.
मोनिका भाग कर बाहर आई और अपने मोबाइल को अपने पर्स में से निकाल कर अपने घर की छत की तरफ भागी. छत पर आ कर उसने मोबाइल को ऑफ करके सिम सहित घर के पीछे फैले जंगल में फेंक दिया. "अब पोलीस मुझ तक नही पहुँच सकती....ये मोबाइल भी सुरिंदर का था और सिम कार्ड भी उसी के नाम था." मोनिका ने खुद से कहा.
मोनिका भाग कर वापिस बेडरूम में आ गयी.
"मैं आ गयी" मोनिका ने कहा.
"आ तो गयी अब ये लंड बैठ गया...सक इट आंड मेक इट रेडी फॉर यू"
"लो जनाब ये काम अभी किए देती हूँ" मोनिका ने कहा और संजय की टाँगो के बीच बैठ कर उसके लंड के उपर झुक गयी. मोनिका ने मूह खोल कर संजय के लंड को मूह में ले लिया.
"आआहह यू आर आ गुड सकर" संजय कराह उठा.
"तुम आज ओरल का ही मज़ा लो....क्या कहते हो?"
"इतनी आसानी से नही बचोगी तुम...युवर होल विल बी फक्ड नाइस आंड हार्ड बेबी."
मोनिका अभी भी अपने ख़यालो में उलझी थी लेकिन फिर भी वो संजय के साथ नाटक करने की पूरी कोशिस कर रही थी. नॉर्मली अब तक वो खुद ही गरम हो चुकी होती पर आज हालात कुछ और थे. उसके दीमाग की उधेड़बुन उसे परेशान किए थी. किसी तरह से वो संजय के लंड को चुस्ती रही.
"आआहह बस हो गया ये तैयार...आ जाओ अब" संजय ने कहा.
मोनिका टांगे फैला कर लेट गयी.
अरे उपर आ जाओ ना...खुद डालो अंदर" संजय ने कहा.
मोनिका संजय के उपर आ गयी और उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के होल पर रख लिया. मोनिका के दीमाग में पिछली रात सुरिंदर के घर का नज़ारा घूम गया. संजय ने हल्का सा धक्का मारा और लंड मोनिका की चूत में फिसल गया.
"आअहह सुरिंदर" मोनिका के मूह से निकल गया
"क्या कहा तुमने?"
मोनिका की सिट्टी पिटी गुम हो गयी.
"क..क..कुछ नही संजय."
"तुमने शायद सुरिंदर कहा." संजय ने हैरत भरे लहजे में पूछा.
"हां वो न्यूज़ देख रही थी ना....कल रात जो मारा गया उसका नाम सुरिंदर था...यू ही मूह से निकल गया. मेरे दीमाग में न्यूज़ घूम रही थी." मोनिका ने टालने की कोशिस की.
"पर तुमने लंड के अंदर जाते ही आह भरके सुरिंदर कहा...कही कुछ गड़बड़ तो नही हा."
"ग..गड़बड़ क्या होगी...कहा ना वैसे ही निकल गया मूह से."
संजय ने मोनिका की गान्ड पकड़ कर उसे नीचे की ओर खींचा ताकि उसका पूरा लंड मोनिका की चूत में समा जाए.
"आअहह संजय." मोनिका कराह उठी.
"अबकी बार सही नाम लिया...शाबाश." संजय ने कहा.
 

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Update 31

संजय ने मोनिका की गान्ड पकड़ कर उसके अपने उपर उछालना शुरू कर दिया. हर उछाल के साथ संजय का लंड मोनिका की चूत में अंदर बाहर होता रहा.
"आअहह संजय कीप डूयिंग इट"
"हो गया ना मूड ठीक अब. देखा ये इंजेक्षन बहुत काम का है."
"आअहह संजय आआहह."
संजय मोनिका को 10 मिनट तक यू ही अपने उपर उछालता रहा.
"अब पेट के बल लेट जाओ."
"नही पीछे से नही"
"अनल नही करूँगा घबराओ मत चूत में डालूँगा लेट जाओ" संजय ने कहा.
मोनिका पेट के बल लेट गयी और संजय उसके उपर लेट गया. उसका लंड मोनिका की गान्ड पर पसर गया था.
"पक्का अनल नही करोगे ना"
"हां बाबा...आइ लाइक युवर पुसी मोर दॅन एनितिंग एल्स." संजय ने कहा.
संजय ने मोनिका की गान्ड थपथपाई.
"आआहह"
संजय ने मोनिका की गान्ड को फैला कर उसकी चूत तक पहुँचने का रास्ता बनाया और उसकी चूत में लंड डाल दिया.
"आआअहह संजय"
"मैं डर रहा था कि कही इस बार भी किसी और का नाम ना ले दो"
"बार बार ऐसी ग़लती थोड़ा करूँगी आअहह" मोनिका ने कहा.
संजय मोनिका के उपर पड़ पड़ा उसकी चूत में धक्के लगाता रहा.
"दिस ईज़ फॅंटॅस्टिक फक ऊऊहह आअहह" संजय धक्के मारते हुए बोला.
कुछ देर बाद वो निढाल हो कर मोनिका के उपर गिर गया. "यू आर ऑल्वेज़ आ गुड फक्किंग थिंग"
"क्या मतलब?" मोनिका ने पूछा.
"हर बार तुम्हारे साथ अलग ही मज़ा आता है." संजय ने कहा.
..............................
.......................................................
"विजय कुछ पता चला किसका नंबर है वो." चौहान ने पूछा. राज भी पास में ही बैठा था.
"सर वो नंबर भी सुरिंदर का ही था....मोबाइल ट्रेस किया पर वो जंगल में पड़ा मिला."
"तुम्हे फ़ौरन फोन मुझे देना चाहिए था ईडियट." चौहान राज की तरफ देख कर झल्ला कर बोला.
"सॉरी सर आगे से ध्यान रखूँगा."
"ये बात उस कयामत को ना पता चले वरना मेरी खाट खड़ी कर देगी वो." चौहान ने कहा.
"सर मैं जाउ अब?" राज ने कहा.
"पोलीस की नौकरी चौबीस घंटे की होती है बर्खुरदार कहा जाने की सोच रहे हो" चौहान ने कहा.
"सर आज पहला दिन है...घर पर थोड़ा सेलेब्रेट भी कर लूँ वरना आस पड़ोस के लोग नाराज़ हो जाएँगे"
"ठीक है आज तो जाओ कल से जल्दी जाने की सोचना भी मत" चौहान ने कहा.
राज गहरी साँस ले कर चुपचाप वाहा से निकल लिया.
"उफ्फ ये चौहान ही मिला था मेडम को मुझे ट्रेन करने के लिए" राज ने सोचा.
राज सीधा मोहित के कमरे पर गया. उसने दरवाजा खड़काया. पद्मिनी ने दरवाजा खोला.
"आप यहा अकेली हैं गुरु कहा है" राज ने पूछा.
"मोहित मेरे लिए कुछ कपड़े लेने गया है."
"अरे मैं भी सोच ही रहा था कि आप कब तक इन कपड़ो में रहेंगी"
"राज मुझे घर जाना है क्या कुछ हो सकता है." पद्मिनी ने पूछा.
"ह्म्म आप चिंता मत करो मैं खुद ले कर जाउन्गा आपको आपके घर बस एक दो दिन रुक जाईए" राज ने कहा.
पद्मिनी मायूस हो कर बैठ गयी. तभी मोहित भी आ गया.
"गुरु ये काम अच्छा किया तुमने जो कि पद्मिनी जी के लिए कुछ कपड़े ले आए"
"पूजा ने ध्यान दिलाया मुझे तो खुद ख्याल नही था और ना ही पद्मिनी ने कुछ कहा"
"पद्मिनी जी आप ट्राइ कर लीजिए...हम बाहर जाते हैं आओ गुरु तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है" राज ने कहा.
राज सुरिंदर के घर की सारी घटना मोहित को सुना देता है.
"ह्म....ये सच में बहुत ख़तरनाक है" मोहित ने कहा.
"हां गुरु और पूजा के बारे में कुछ अजीब सी बात पता लगी जिस पर यकीन नही होता"
"क्या पता चला मेरी पूजा के बारे में बताओ?"
"तुम्हारी पूजा...ये पूजा तुम्हारी कब्से हो गयी गुरु" राज ने पूछा.
"बस हो गयी तू अब उस पर लाइन मत मारना अब वो मेरी है" मोहित ने कहा.
"ये खूब रही गुरु...ये ठीक नही कर रहे तुम" राज ने कहा.
"नगमा है ना तेरे पास पूजा का क्या अच्चार डालेगा" मोहित ने कहा.
"ऐसा क्या हो गया जो तुम पूजा के पीछे पड़ गये" राज ने पूछा.
"मैने चॅलेंज लिया है कि उसे पटा कर रहूँगा."
"हे..हे..हा..हा..क्या खूब कही..... चॅलेंज के लिए पूजा ही मिली थी...मेरी चप्पल घिस्स गयी उसे पटाने के चक्कर में...पर उसने एक बार भी घास नही डाली"
"तू बता ना क्या बताने वाला था पूजा के बारे में" मोहित ने कहा.
राज मोहित की चौहान की कही सारी बात बता देता है.
"ये ज़रूर ब्लॅकमेलिंग का चक्कर रहा होगा वरना पूजा ऐसी लड़की नही लगी मुझे"
"ड्प हो चुका है उसके साथ...मुझे तो खुद यकीन नही हुआ" राज बोला.
"कुछ भी हो मैं फिर भी पूजा को पटा कर ही रहूँगा." मोहित ने कहा.
"जैसी तुम्हारी मर्ज़ी गुरु...अब दोस्ती तो नीभानी ही पड़ेगी जाओ मैं रास्ते से हट गया" राज ने कहा.
"अबे तू रास्ते में था कब जो हटेगा...तुझे तो वो बिल्कुल पसंद नही करती." मोहित ने कहा.
"फिर भी मेरा त्याग याद रखना गुरु...कही भूल जाओ" राज ने कहा.
"बिल्कुल मेरे राज तेरा ये महान त्याग मैं हमेशा याद रखूँगा."
दोनो हस्ने लगे और वापिस कमरे की तरफ मूड गये.
"कैसे लगे कपड़े पद्मिनी?"
"ठीक हैं...क्या तुमने सोचा कुछ कि आगे क्या करना है...मैं हमेशा यहा इस कमरे में नही पड़े रहना चाहती."
इस से पहले की मोहित कुछ बोल पाता राज बोल पड़ा, "गुरु ऐसा करते हैं....अड्रेस तो है ही आपके पास परवीन का...पहले कन्फर्म कर लेते हैं कि वही किल्लर है, फिर आगे मैं सब संभाल लूँगा. जो इनस्पेक्टर इस केस को हॅंडल कर रहा है उसी के साथ हूँ मैं."
"पहले हम दोनो चलते हैं वाहा...बाद मैं पद्मिनी को ले जाएँगे...क्या कहते हो" मोहित ने कहा.
"ठीक है चलो फिर अभी इंतेज़ार किस बात का है" राज ने कहा.
कुछ ही देर बाद मोहित और राज बाइक पर सवार हो कर परवीन के घर की तरफ जा रहे थे.
"ये रहा घर पर कोई दीखाई नही दे रहा." मोहित ने कहा.
"बेल बजाते हैं घर की देखते हैं कौन बाहर आता है" राज ने कहा.
"देख लो कही कोई फ़ज़ीहत हो जाए" मोहित ने कहा.
"सब इनस्पेक्टर तुम्हारे साथ है गुरु चिंता क्यों कर रहे हो"
"तुम साथ हो तभी तो चिंता है" मोहित ने कहा.
"गुरु ऐसा क्यों बोल रहे हो"
"अरे मज़ाक कर रहा हूँ चल बेल मारते हैं."
मोहित घर की बेल बजाता है. कुछ देर बाद दरवाजा खुलता है.
"आप यहा!" मोहित के मूह से निकल गया.
राज भी उस लड़की को देख कर हैरान रह गया.
"ये मेरा घर है तुम दोनो यहा क्या कर रहे हो?"
"लगता है हम ग़लत अड्रेस पर आ गये हमे लगा ये परवीन का घर है" मोहित ने कहा.
" मेरे बड़े भाई हैं वो अभी सहर से बाहर गये हैं, बोलिए क्या काम है"
"छोड़िए हमे उनसे ही काम था...हम फिर कभी मिल लेंगे" मोहित ने कहा.
"जैसी आपकी मर्ज़ी...चाय पानी कुछ लेंगे" लड़की ने कहा.
"पहले हमे अंदर तो बुला लीजिए यहा खड़े-खड़े चाय पीना अजीब लगेगा" राज ने कहा.
"ओह आइ आम सो सॉरी...प्लीज़ कम इन" लड़की ने कहा.
मोहित ने अंदर आते हुए राज की पीठ थपथपाई.
"प्लीज़ हॅव सीट...मैं अभी चाय लाती हूँ" लड़की ने कहा.
"ये तस्वीर किस की है" राज ने कहा.
"अजीब बात है आप लोग भैया से मिलने आए हैं और उनकी तस्वीर नही पहचानते." लड़की ने कहा.
"ये परवीन को नही जानता...मैं जानता हूँ...ये तो बस मेरे साथ आया है" मोहित ने बात संभालने की कोशिस की.
"ह्म्म ठीक है मैं चाय लाती हूँ"
"तूने पहचाना कि नही ये वही लड़की है जिसकी वो लड़का पॉर्न मूवी बना रहा था" मोहित ने कहा.
"पहचान लिया गुरु...ऐसा करते हैं ये फोटो ले चलते हैं...पद्मिनी जी को यही दीखा देंगे...क्या बोलते हो" राज ने धीरे से कहा.
"आआययईीीई शू शू हटो यहा से" किचन से आवाज़ आई.
"शायद कोई चूहा या लंड्रोच परेशान कर रहा है लड़की को मैं देख कर आता हूँ" मोहित ने कहा.
"ठीक है जाओ मैं ये तस्वीर ठीकाने लगाता हूँ" राज ने कहा.
मोहित जब किचन में आया तो उसने देखा की वो लड़की चीनी का डब्बा उठाने की कोशिस कर रही है पर डर रही है क्योंकि उस पर एक मोटा सा लंड्रोच बैठा है.
"हा..हा..हे...हे." मोहित हस्ने लगा.
लड़की ने मूड कर देखा और बोली, "आपको हस्ने की बजाय मेरी मदद करनी चाहिए"
"ओह सॉरी" मोहित ने कहा और लड़की के पीछे आ कर सॅट गया. मोहित का लंड अंजाने में ही उस लड़की की गान्ड से टकरा गया और उसमे हरकत होने लगी. अगले ही पल वो मोहित की पॅंट में तन चुका था.
मोहित ने हाथ के झटके से लंड्रोच को हटा दिया. लंड्रोच भाग कर कही छुप गया.
"लीजिए हो गयी आपकी मदद वैसे आपका नाम क्या है?" मोहित ने पूछा.
"संगीता" लड़की ने जवाब दिया.
मोहित ने अपने तने हुए लंड को संगीता की गान्ड पर अच्छे से सटा दिया और बोला, "बहुत अच्छा नाम है, बहुत प्यारा"
संगीता को मोहित का लंड अपनी गान्ड की गहराई तक महसूस हो रहा था और वो सिहर रही थी.
"आप बैठिए मैं चाय लाती हूँ" संगीता ने कहा.
"चाय भी पी लेंगे...आपको कैसा लग रहा है अभी" मोहित ने पूछा.
"क्या मतलब?"
"मतलब की वो लंड्रोच भगा दिया मैने...अब कैसा लग रहा है"
"अच्छा लग रहा है" संगीता ने कहा.
"अगर थोड़ा झुक जाओ तो और भी अच्छा लगेगा" मोहित ने कहा.
"आपका दोस्त बाहर चाय की वेट कर रहा होगा" संगीता ने कहा.
"कोई बात नही चाय तो उसे मिल ही जाएगी...तुम नाडा खोल कर झुक जाओ" मोहित ने कहा.
"मैं तुम्हे जानती तक नही" संगीता ने कहा.
"हमारी दूसरी मुलाकात है ये...हमने ही बच्चाया था तुम दोनो लड़कियो को उस दिन"
"जानती हूँ पर इसका मतलब ये तो नही कि मैं कुछ भी कर लूँ तुम्हारे साथ." संगीता ने कहा.
मोहित ने संगीता की गान्ड पर हल्के हल्के धक्के मारने शुरू कर दिए.
"आहह क्या कर रहे हो" संगीता ने कहा.
"अब तुम झुक नही रही हो तो सोचा कि यू ही मज़े ले लू"
संगीता को मोहित का लंड अपनी गान्ड की दरार पर महसूस हो रहा था.
"ह्म्म यही ठीक है तब तक मैं चाय बनाती हूँ" संगीता ने कहा.
मोहित ने संगीता के आगे हाथ करके उसके नाडे को पकड़ लिया और बोला, "जब मज़े ही लेने हैं तो क्यों ना अच्छे से लिए जायें"
 

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Update 32

"नही तुम्हारा दोस्त आ जाएगा रूको" संगीता गिड़गिडाई.
मोहित ने एक झटके में संगीता का नाडा खोल दिया और उसकी सलवार नीचे सरका दी. उसने कोई पॅंटी नही पहनी थी इसलिए अब उसकी नंगी गान्ड मोहित की आँखो के सामने थी.
"बहुत सुंदर गान्ड है आपकी" मोहित ने कहा.
"धीरे बोलिए...आपके दोस्त से सुन लिया तो"
"सुन लेने तो आपकी तारीफ़ ही तो कर रहा हूँ" मोहित ने कहा.
मोहित ने संगीता की चूत में उंगली डाल दी.
"आअहह क्या डाल दिया तुमने." संगीता कराह उठी.
"उंगली डाली है बस अभी...तुम तो एकदम तैयार हो...खूब चिकनी हो रखी है तुम्हारी चूत."
मोहित ने अपनी ज़िप खोली और अपने लंड को संगीता की नंगी गान्ड पर रगड़ने लगा.
संगीता को अपनी गान्ड पर बहुत भारी भरकम चीज़ महसूस हो रही थी. उस से रहा नही गया और उसने पीछे मूड कर मोहित के लंड पर नज़र डाली.
"ओह माइ गोद इट्स सो बिग" संगीता ने कहा.
"पसंद आया क्या?" मोहित ने पूछा.
"मैने अब तक ऐसा पॉर्न मूवीस में ही देखा है" संगीता ने कहा.
"ह्म्म तो हक़ीकत में देख कर कैसा लग रहा है" मोहित ने कहा.
"मुझे डर लग रहा है"
"हे..हे..हा..हा..अच्छा मज़ाक कर लेती हो चलो झुक जाओ" मोहित ने कहा.
"मैं मज़ाक नही कर रही"
"डरो मत संगीता थोड़ा झुक जाओ..... कुछ नही होगा ट्रस्ट मे."
"तुम्हारा दोस्त आ गया तो" संगीता ने कहा.
"वो नही आएगा तुम चिंता मत करो झुक जाओ" मोहित ने कहा.
संगीता मोहित के आगे किचन की स्लॅब का सहारा ले कर झुक गयी. मोहित ने देर ना करते हुए फ़ौरन अपना लंड उसकी चूत के होल पर रख दिया.
"अपनी टांगे खोल लो... लेने में आसानी होगी" मोहित ने कहा.
संगीता ने अपनी टांगे खोल ली और मोहित ने ज़ोर से अपने लंड को पूस किया.
"आआययईीीईईई मर गयी....दिस ईज़ टू बिग फॉर मे" संगीता कराह उठी.
संगीता की आवाज़ राज को भी सुनाई दी.
"लगता है गुरु हो गया शुरू और मुझे खबर तक नही की" राज ने कहा.
"टू बिग...हा..हा...हे...हे." मोहित हस्ने लगा.
"तुम बात-बात पर हंसते क्यों हो मैं क्या मज़ाक कर रही हू क्या तुम्हे नही पता कि तुम्हारा कुछ ज़्यादा ही बड़ा है" संगीता ने कहा.
"मुझे पता है ये बड़ा है....वैसे ही तुम्हारी बात पर हंस रहा था आअहह" मोहित ने बात करते करते पूरा का पूरा लंड संगीता की चूत में उतार दिया.
"उउउउय्य्य्य्यीईइ मा क्या अभी और भी बचा है." संगीता ने कहा.
"नही बस घुस्स गया पूरा...नाउ आइ आम रेडी टू स्मॅश युवर पुसी" मोहित ने कहा.
"अभी तक क्या कर रहे थे....मी पुसी ईज़ स्मॅश्ड ऑलरेडी आहह"
"अभी तो शुरूवात है संगीता जी बहुत ज़ोर-ज़ोर से मारने वाला हूँ मैं आपकी"
"आअहह ऐसा मत कहो मुझ डर लग रहा है....उउउहह" संगीता कराहते हुए बोली.
मोहित ने संगीता की छूट में लंड के धक्को की बरसात शुरू कर दी. संगीता की गान्ड को पकड़ कर वो बार-बार अपने मोटे लंड को संगीता की चूत में धकेल रहा था.
राज से रहा नही गया और वो उठ कर किचन की और चल दिया. पर किचन के अंदर का नज़ारा देख कर वो दरवाजे पर ही रुक गया.
संगीता ने राज को देख लिया पर वो मोहित के धक्को में इतना खोई थी कि कुछ देर कुछ नही बोल पाई. अचानक वो बोली, "आअहह तुम्हारा दोस्त देख रहा है....उउउहह हटो"
"देख लेने दो बेचारे को इसने आज तक ब्लू फिल्म नही देखी" मोहित ने राज की तरफ आँख मार कर कहा.
राज ने मोहित की तरफ थंब्स-अप का इशारा किया और बोला, "लगे रहो गुरु"
"इस से कहो बीच में बोले मत मुझे वैसे ही शरम आ रही है आआहह हो सके तो इसे यहा से भेज दो" संगीता ने कहा.
"मूवी देखनी है तो चुपचाप देखो शोर क्यों मचाते हो" मोहित ने राज को फिर से आँख मार कर कहा.
राज ने अपने मूह पर उंगली रख ली. संगीता ने उसकी तरफ देखा तो उसने गर्दन हिला कर इसारे में पूछा, 'अब ठीक है'
"स्टुपिड कही का आआहह" संगीता बड़बड़ाई.
मोहित लगातार संगीता की चूत मारे जा रहा था और राज खड़ा खड़ा खूब तमासा देख रहा था.
"आआहह फीनिस इट अप आआअहह" संगीता कराहते हुए बोली.
"अभी तो शुरूवात हुई है संगीता जी....आअहह" मोहित ज़ोर-ज़ोर से अपने लंड को पूस करते हुए बोला.
"नहियीईई....आआआहह आइ आम कमिंग" संगीता ने पहला ऑर्गॅज़म महसूस किया.
"लगता है खूब मज़े ले रही हो...आअहह" मोहित ने कहा.
"उुउऊहह आअहह ओह ... फक" संगीता ने कहा.
मोहित के धक्को की स्पीड अचानक बढ़ती चली गयी और स्पीड बढ़ते ही संगीता ने सीरीस ऑफ ऑर्गॅज़म को महसूस किया. मोहित ने अचानक संगीता की गान्ड को ज़ोर से जाकड़ लिया और बहुत तेज धक्के मारते हुए उसने अपना पानी संगीता की चूत की गहराई में छ्चोड़ दिया.
"आआहह इट वाज़ आ फॅंटॅस्टिक फक उऊहह" मोहित ने संगीता की गान्ड को मसल्ते हुए कहा.
मोहित कुछ देर तक यू ही संगीता की चूत में लंड डाले खड़ा रहा और राज उन दोनो को आँखे फाडे देखता रहा.
राज सोच रहा था, "मेरा नंबर कब आएगा."
जब संगीता का नशा उतरा तो उसे अहसास हुआ कि वो किस हालत में है. मोहित अभी भी उसकी गान्ड पकड़े खड़ा था और उसका लंड किसी तरह से अभी भी संगीता की चूत में टीका हुआ था. राज दरवाजे पर खड़ा मुस्कुरा रहा था.
"फिर कभी लंड्रोच सताए तो मुझे तुरंत कॉल करना मैं उसकी हड्डी पसली एक कर दूँगा" मोहित ने कहा.
"तुमने अभी तो उस लंड्रोच को जाने दिया और मेरी हड्डी पसली एक कर दी...ना बाबा ना ऐसी मदद नही चाहिए मुझे" संगीता ने कहा.
लंड्रोच भी जैसे सब सुन रहा था. ना जाने कहा से निकला और फुर्ती से वापिस चीनी के डिब्बे पर चढ़ गया.
"अरे ये तो फिर से आ गया...शुउऊ शुउ" संगीता बोली.
"इस बार मैं मदद करूँगा...ये लंड्रोच बहुत शातिर है" राज ने कहा.
मोहित ने धीरे से संगीता की चूत से लंड बाहर खींच लिया और बोला,"हां-हां तुम सम्भालो खबीस लंड्रोच को"
जैसे ही मोहित ने लंड बाहर निकाला संगीता ने अपनी सलवार उपर करके नाडा बाँध लिया.
"अरे ये क्या गजब कर रही हैं आप रहने दीजिए ना ये सलवार नीचे मेरी मदद भी तो देख लीजिए" राज ने कहा.
"लगता है ये लंड्रोच तुम दोनो के साथ है...आज तक मैने इसे यहा नही देखा...जो भी हो अब ये नही बचेगा." संगीता ने अपने हाथ में अपनी चप्पल ले कर कहा.
संगीता ने लंड्रोच पर वार किया पर शरारती लंड्रोच चप्पल लगने से पहले ही वाहा से रफू चक्कर हो गया. वो स्लॅब के नीचे कही घुस्स गया. संगीता हाथ में चप्पल लिए स्लॅब के आगे झुक कर लंड्रोच को ढूँढने लगी.
"अफ क्या मजेदार झुकी है...इसी पोज़िशन में बस सलवार नीचे कर ले तो मज़ा आ जाए." राज ने मन ही मन कहा.
राज संगीता की गान्ड पर अपना तना हुआ लंड लगा कर सॅट गया और बोला,"मैं कुछ मदद करूँ"
"जी नही आपके दोस्त ने बहुत मदद कर ली हट जाओ मेरे पीछे से." संगीता ने कहा.
मोहित ने राज को पकड़ा और उसे खींच कर संगीता के पीछे से हटाया और उसके कान में बोला,"तुझे नही देगी ये चल निकलते हैं यहा से कही कुछ गड़बड़ हो जाए"
"गुरु प्लीज़ थोड़ा ट्राइ तो करने दो...तुम्हे मिल गयी तो मुझे भी मिल सकती है" राज ने कहा.
"तुम दोनो अब जाओ यहा से...भैया वापिस आएँगे तो उन्हे मेसेज दे दूँगी अपना नाम और मोबाइल नो बता दो." संगीता ने कहा.
"इसका मतलब हमे चाय नही मिलने वाली" राज ने कहा.
संगीता ने गहरी साँस ली और बोली,"ठीक है बैठो 2 मिनट अभी लाती हूँ चाय"
"मैं आपके हाथो की चाय पी कर ही जाउन्गा" राज ने कहा और मोहित के साथ बाहर आ गया.
संगीता कुछ ही देर में चाय ले आई.
"मैं आपको लंड्रोच को हॅंडल करने का बहुत अच्छा तरीका बताता हूँ" राज ने कहा.
"हां बोलो क्या है?"
"जैसे ही आपको लंड्रोच दीखे उसे आप पकड़ लीजिए. अब उसे फार्स पर पीठ के बल लेटा दीजिए. फिर आप उंगली से उसके पेट में गुदगुदी कीजिए. लंड्रोच हँसे बिना नही रह पाएगा देर सबेर मूह खोलेगा ही. जैसे ही वो हँसने के लिए मूह खोले उसके मूह में फिनायल डाल दीजिए...वो तुरंत ढेर हो जाएगा."
"हा..हा..हा...हे..हे...क्या तरीका है...वाह मान गये." संगीता लॉट पॉट हो गयी.
"बहुत आजमाया हुआ तरीका है आप कहें तो अभी करके दीखा दू" राज ने कहा.
"रहने दीजिए वो लंड्रोच बहुत शातिर है...बहुत अच्छे से जानती हूँ मैं उसे"
"आप तो कह रही थी कि आज ही देखा है आपने उसे" राज ने कहा.
"मज़ाक कर रही थी...ये तो उसका रोज का काम है" संगीता ने कहा.
"मेरी तरह कौन आता है रोज मदद करने" मोहित ने कहा.
"कोई नही मैं खुद उसे भगा देती हूँ" संगीता ने कहा.
"जो भी हो आपने मुझे मोका नही दिया आज" राज ने कहा.
"मोका तो लेना पड़ता है दिया नही जाता." संगीता ने कहा.
राज ने मोहित की तरफ देखा और आँखो ही आँखो में पूछा, "क्या कहते हो गुरु ले लू मोका"
मोहित ने आँखे झपका कर हां का इशारा किया.
राज ने फ़ौरन आगे बढ़ कर संगीता को गोदी में उठा लिया.
"अरे क्या कर रहे हो?" संगीता ने कहा.
"मोका ले रहा हूँ...आपका बेडरूम कहा है" राज ने कहा.
"फिर कभी मोका लेना तुम्हारे दोस्त ने वैसे ही बहुत थका रखा है" संगीता ने कहा.
"फिर कभी...फिर कभी ही रह जाता है...आज ही ठीक रहेगा" राज ने कहा.
"नही ये भैया का कमरा है...मेरा बेडरूम उधर है" संगीता ने कहा.
"कोई बात नही इस में ही चलते हैं अब वेट नही हो रहा" राज ने कहा.
राज ने संगीता को बेड पर लेटा दिया और जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए.
"ओह माइ गोद " संगीता ने राज के लंड को देखते हुए कहा.
"क्या हुआ?"
"इट्स ह्यूज" संगीता ने कहा.
राज संगीता के उपर चढ़ गया और बोला,"कभी अनल किया है?"
"एक बार... क्यों पूछ रहे हो?...अगर तुम सोच रहे हो कि मैं इतना बड़ा वाहा लूँगी तो भूल जाओ"
"मेरे दोस्त को चूत दी है तुमने मुझे कुछ अलग ही दोगि ना. क्या दोनो को एक ही गिफ्ट दोगि"
"बहुत खूब तुम दोनो दोस्त उस लंड्रोच से भी शातिर हो" संगीता ने कहा.
राज ने संगीता के उपर के कपड़े फुर्ती से उतार दिए और उसके बूब्स मसल्ने लगा और बोला,"लंड्रोच का मुकाबला हम कहा कर सकते हैं वो तो सच में बहुत शातिर है. लगता है तुम्हारा आशिक है...बच के रहना कही गान्ड मार ले तुम्हारी"
 

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Update 33


"आअहह माइ बूब्स आर टेंडर डोंट स्क्वीज़ देम सो हार्ड" संगीता ने कहा.

"ओके...वैसे जवाब नही दिया आपने मेरी बात का....गान्ड दोगि कि नही" राज ने संगीता की गर्दन को चूमते हुए कहा.

"यहा माँगे से कुछ नही मिलता मिस्टर सब लेना पड़ता है" संगीता ने कहा.

"बहुत अच्छी फिलॉसोफी है आपको मज़ा आएगा आपकी गान्ड लेने में" राज ने कहा.

"पर क्या इतना बड़ा जाएगा वाहा मैने सुना है कि अनल सेक्स में बड़ा साइज़ दिक्कत करता है." संगीता ने कहा.

"सब बकवास है अफवाहॉ पर ध्यान नही दिया करते...मेरी एक फ़्रेंड है नगमा बड़े आराम से ले लेती है वो मेरा अपनी गान्ड में...वैसे भी तुमने पहले कर ही रखा है"

"मेरे उस बॉय फ्रेंड का इतना बड़ा नही था...था तो ठीक ठाक पर ऐसा नही था." संगीता ने कहा.

"कोई बात नही आप बिलककुल चिंता मत करो आपकी गान्ड मेरे लंड के नीचे बिल्कुल सुरक्षित रहेगी"

राज ने संगीता की सलवार उतार दी और उसे अपने नीचे घुमा कर पेट के बल लेटा दिया और उसके उपर लेट गया. राज का लंड संगीता की गान्ड की दरार पर टकरा रहा था.

"आअहह आइ लाइक अनल" संगीता ने कहा.

"अच्छा फिर भी अभी तक एक बार ही गान्ड दी है" राज ने पूछा.

"कोई ट्राइ करेगा तभी ना होगा ऐसे कैसे मुमकिन है" संगीता ने कहा.

राज ने संगीता की गान्ड फैला कर उसके होल पर थूक लगा दिया और कुछ थूक अपने लंड पर भी रगड़ लिया.

"ओके मैं ट्राइ करने जा रहा हूँ रोकना मत मुझे. अगर आपको अनल पसंद है तो ये पूरा लंड आपको लेना पड़ेगा." राज ने कहा.

"आइ विल ट्राइ माइ बेस्ट....आअहह"

राज ने लंड के अगले हिस्से को संगीता की गान्ड के छेद पर टिकाया और खुद को आगे की ओर पूस किया.

"ऊऊओह कीप इट स्लो." संगीता ने कहा.

"या या ओफ़कौरसे...." राज ने कहा.

अभी लंड बाहर ही था. हल्के हल्के धक्को से काम नही बन रहा था.

"मुझे थोड़ा ज़ोर तो लगाना ही पड़ेगा...ये तो घुस्स ही नही रहा." राज ने कहा.

"आर यू शुवर की तुम्हारी फ्रेंड ले लेती है इसे आराम से" संगीता ने कहा.

राज ने ज़ोर का धक्का मारा और बोला,"उस से क्या फरक पड़ता है आपकी गान्ड में तो इसे हर हाल में घुस्सना है"

"आआययईीीई मर गयी....आआहह"

राज का आधा लंड संगीता की गान्ड में उतर जाता है.

"ये क्या किया जान निकाल दी मेरी"

"गान्ड में लंड घुस्सता नही घुस्साना पड़ता है...आपकी ही फिलॉसोफी ट्राइ कर रहा था."

"इट्स फीलिंग गुड...बस ये दर्द कम हो जाए" संगीता ने कहा.

राज ने संगीता की गान्ड में आधा ही लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.

"आअहह मज़ा आ रहा है...कीप डूयिंग इट" संगीता ने कहा.

हर एक धक्के के साथ राज का लंड संगीता की गान्ड में और गहरा उतरता चला गया.

"आअहह सेक्सी गान्ड है आपकी" राज ने कहा.

राज के आँड अब हर धक्के के साथ संगीता की गान्ड से से टकरा रहे थे.

"ओह माइ गॉड आइ आम फीलिंग युवर बॉल्स क्या पूरा अंदर है अब" संगीता हैरानी में बोली.

"बिल्कुल आपकी गान्ड ने पूरा निगल लिया मेरे लंड को आअहह"

इधर मोहित ड्रॉयिंग रूम में ही बैठा था.

"कितना वक्त लगा रहा है ये राज...कही कुछ गड़बड़ ना हो जाए." मोहित बड़बड़ाया.

अचानक मोहित को घर के बाहर कार के रूकने की आवाज़ सुनाई दी. मोहित ने खिड़की से झाँक कर देखा. "ओह नो ये तो परवीन ही लग रहा है"

मोहित फ़ौरन वाहा से बेडरूम की तरफ भागा. जब उसने बेडरूम का दरवाजा खोला तो हैरान रह गया. राज संगीता के उपर लेता हुआ ताबड़तोड़ उसकी गान्ड में लंड घुमा रहा था.

"अच्छा गान्ड मारने में मगन हैं जनाब तभी कहु इतना टाइम क्यों लग रहा है."

मोहित फ़ौरन अंदर आया और राज के कंधे पर हाथ रखा.

राज फ़ौरन रुक गया "क..कौन है?"

संगीता ने भी मूड कर देखा, "क्यों डिस्टर्ब कर रहे हो"

मोहित ने राज के कान में कहा, "परवीन आ गया है...चल उठ जल्दी"

ये सुनते ही राज ने खुद को तूफान मैल बना दिया और संगीता की गान्ड में ज़ोर ज़ोर से लंड घीसने लगा.

"बस थोड़ा सा टाइम और आआहह" राज ने कहा.

"अबे मरवाएगा क्या...चल फिर कभी पूरा कर लेना बाकी का काम" मोहित ने कहा.

"तुमने पूरा नही किया क्या अपना काम इसे भी पूरा कर लेने दो आआहह कीप डूयिंग इट आअहह" संगीता ने कहा.

"तेरा भाई आ गया है मेरी मा इसलिए बोल रहा हूँ" मोहित ने कहा.

"क..क...क्या हटो...रूको...हट जाओ आअहह" संगीता घबराई हुई बोली.

"आपने इतना साथ दिया बस थोड़ा और आआहह" राज बोला.

"मेरे भाई ने देख लिया तो मेरी जान ले लेगा रुक जाओ बाद में आ जाना...आअहह"

तभी घर की बेल बज उठी.

"आअहह मुझे जाना होगा." संगीता ने कहा.

मोहित ने राज की पीठ पर एक मुक्का मारा,"राज रुकते हो कि नही"

इत्तेफ़ाक से उसी वक्त राज ने अपने वीर्य से संगीता की गान्ड को भर दिया.

राज ने फ़ौरन कपड़े पहने. संगीता भी झट से कपड़े पहन कर तैयार हो गयी.

"तुम्हारे घर में कोई पीछे से रास्ता है क्या." मोहित ने पूछा.

"हां है...पर क्या तुम भैया से नही मिलोगे" संगीता ने पूछा.

"अभी नही फिर कभी उन्हे कही शक ना हो जाए कि हमने तुम्हारी..." मोहित ने कहा.

"ठीक है ठीक है जल्दी आओ मेरे साथ" संगीता ने कहा.

संगीता ने मोहित और राज को पीछले गेट से निकाल दिया. और ब्भाग कर वापिस आ कर दरवाजा खोला.

"क्या कर रही थी दरवाजा खोलने में इतनी देर क्यों लगा दी" परवीन ने पूछा.

"भैया मैं बाथरूम में थी सॉरी"

"ह्म्म पसीने क्यों आ रहे हैं तुम्हे जाओ पानी ले कर आओ"

"जी भैया अभी लाई"

"बॉल बॉल बच गयी..." संगीता ने किचन की ओर जाते हुए सोचा.

..............................

.................................

"फोटो लाया कि नही या फिर मस्ती में सब भूल गया" मोहित ने पूछा.

"लाया हूँ गुरु लाया हूँ ये देखो" राज ने जेब से फोटो निकाल कर दीखाई.

"शूकर है"

"गुरु मेरी पीठ पर इतनी ज़ोर से मारने की क्या ज़रूरत थी"

"तू रुक ही नही रहा था...और क्या करता मैं"

राज और मोहित बाते करते हुए घर वापिस आ गये. राज ने परवीन की फोटो पद्‍मिनी को थमा दी.

पद्‍मिनी ने फोटो को गौर से देखा

"यही है ना वो ?" राज ने पूछा.

"नही ये वो नही है" पद्‍मिनी ने गहरी साँस ले कर कहा.

"क्या? ऐसा कैसे हो सकता है पूजा तो कह रही थी कि यही कातिल है" राज ने कहा.

मोहित अपना सर पकड़ कर बैठ गया, "सारी मेहनत बेकार गयी"

कमरे में सन्नाटा हो गया. राज कुछ देर तक तस्वीर को निहारता रहा

फिर उसने तस्वीर वापिस अपनी जेब में रख ली.

"फेंक दो इस तस्वीर को अब क्या करोगे इसका" मोहित ने कहा.

"वापिस कर देंगे गुरु....अच्छा थोड़ी लगता है की किसी की तस्वीर चुरा कर डॅस्टबिन में फेंक दो"

पद्‍मिनी हतास और निराश हो कर बेड पर बैठ गयी और किन्ही ख़यालो में खो गयी. उसके चेहरे पर चिंता और परेशानी सॉफ झलक रही थी. "क्या होगा अब?" पद्‍मिनी ने कहा.

राज ने मोहित की तरफ देखा पर उसने भी अपना चेहरा अपने हाथो में छिपा लिया.

"आज गुरु पहली बार इतना परेशान लग रहा है" राज ने सोचा.

तभी दरवाजे पर नॉक होती है.

"कौन हो सकता है" राज ने कहा.

"दरवाजा खोलो और देख लो" मोहित ने कहा.

राज ने दरवाजा खोला. सामने पूजा खड़ी थी.

"पूजा तुम आओ...आओ" राज ने कहा.

पूजा अंदर आ गयी और पद्‍मिनी के पास बैठ गयी.

"क्या हुआ तुम सब खामोस क्यों हो" पूजा ने पूछा.

"जिसे तुम कातिल बता रही थी वो भी कातिल नही है" मोहित ने कहा.

"क्या! ऐसा नही हो सकता" पूजा ने कहा.

"ऐसा ही है पूजा" पद्‍मिनी ने कहा.

"सॉरी मैने तुम लोगो का वक्त बर्बाद किया" पूजा ने कहा.

"कोई बात नही इसी बहाने हमे आपका साथ मिल गया." मोहित ने कहा.

पूजा ने मोहित की तरफ देखा और बोली,"मैं पद्‍मिनी का साथ दे रही हूँ ना कि तुम्हारा"

"बात तो एक ही है हम सब साथ हैं" मोहित ने कहा.

"पद्‍मिनी आइ आम रियली सॉरी...मैं तो बस तुम्हारी मदद करना चाहती थी." पूजा ने पद्‍मिनी के कंधे पर हाथ रख कर कहा.

"इट्स ओके पूजा...थॅंक्स फॉर युवर लव आंड सपोर्ट" पद्‍मिनी ने कहा.

"हां हां आपका लव और सपोर्ट हमे हमेशा याद रहेगा" मोहित ने कहा.

"ये गुरु को क्या हो गया अभी तो मूह लटकाए बैठा था अभी पूजा से फ्लर्ट कर रहा है." राज ने सोचा.

"अच्छा मैं चलती हूँ...मैं तो बस हाल चाल पूछने आई थी तुम्हारा" पूजा ने कहा और उठ कर चल दी.

"रूको मैं तुम्हे घर छ्चोड़ देता हूँ" मोहित ने कहा.

"जी नही उसकी कोई ज़रूरत नही है मैं चली जाउन्गि" पूजा ने कहा और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गयी.

मोहित पूजा के मना करने के बावजूद उसके साथ चल दिया.

राज कुण्डी लगा ले मैं अभी आता हूँ. राज कुण्डी बंद करने लगा तो पद्‍मिनी अचानक बोली,"नही खुली रहने दो उसे"

"क्यों क्या हुआ पद्‍मिनी जी कुण्डी तो हमारी सुरक्षा के लिए है" राज ने कहा.

"मैं तुम्हारे साथ इस बंद कमरे में नही रहूंगी समझे" पद्‍मिनी ने कहा.

राज ने दरवाजा बंद तो कर दिया पर कुण्डी नही लगाई.

"आपको मुझसे क्या डर है पद्‍मिनी जी" राज ने पूछा.

"मैं खूब जानती हूँ कि तुम किस फिराक में हो" पद्‍मिनी ने कहा.

"मैं तो बस आपकी मदद कर रहा हूँ" राज ने कहा.

अब पद्‍मिनी कैसे बताए कि उसने सपने में क्या देखा था. वो तो सपने को हर हाल में टालना चाहती थी. राज हैरान और परेशान हो रहा था की आख़िर पद्‍मिनी ऐसा बिहेव क्यों कर रही है उसके साथ.

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Update 34

मैने कहा ना मैं चली जाउन्गि मेरे पीछे मत पाडो" पूजा ने कहा.

"तुमसे ज़रूरी बात करनी थी" मोहित ने कहा.

"मैं जानती हूँ तुम्हारी ज़रूरी बात, मेरा पीछा छ्चोड़ दो मुझे तुम्हारे अंदर कोई इंटेरेस्ट नही है" पूजा ने कहा.

"तुम कैसे तैयार हो गयी ड्प के लिए हमसे तो बात भी करने को तैयार नही हो" मोहित ने कहा.

"ड्प मतलब...मुझे कुछ समझ नही आया." पूजा ने कहा.

"ड्प मतलब डबल पेनेट्रेशन एक लंड चूत में और एक गान्ड में आया समझ अब. मैं तो हैरान हूँ कि तुमने ये सब किया."

पूजा के पाँव के नीचे से जैसे ज़मीन निकल गयी. वो हैरान थी कि आख़िर मोहित को ये सब कैसे पता चल गया.

"तुम्हे किसने बताया ये सब?"

"उस से क्या फरक पड़ता है ये सच है कि नही ये बताओ" मोहित ने कहा.

"मैं तुम्हे क्यों बताउ कौन होते हो तुम ये सब पूछने वाले"

"मैं तुम्हारा आशिक हूँ और मैं जान-ना चाहता हूँ कि तुमने ये सब क्यों किया." मोहित ने कहा.

"आइ वांटेड टू डिक्स अट दा सेम टाइम. आइ आम स्लट आंड वन ईज़ नोट एनफ फॉर मी. ईज़ दट फाइन वित यू...नाउ गेट दा हेल आउट ऑफ हियर"

"ये सच नही है...तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी" मोहित ने कहा.

"उस से तुम्हे क्या लेना देना मुझे परेशान मत करो...लीव मी अलोन" पूजा ने कहा.

"देखो पूजा मेरा यकीन करो मैं सच में तुम्हे चाहने लगा हूँ और तुम्हारा भला चाहता हूँ. मुझे सारी बात बताओ मैं तुम्हारी मदद करूँगा"

"मुझे किसी की मदद की ज़रूरत नही है...अब मैं उस मुसीबत से निकल चुकी हूँ"

"क्या तुम्हे ब्लॅकमेल किया गया था?"

पूजा ने गहरी साँस ली और बोली, "हां...लेकिन अब मेरी बात ध्यान से सुनो...तुम बहुत अच्छा फ्लर्ट कर लेते हो...मुझे ये फ्लर्ट बिल्कुल पसंद नही"

"बट दिस ईज़ नोट फ्लर्ट.... ये मेरा प्यार है" मोहित ने कहा.

"अच्छा कितनी लड़कियों को बोल चुके हो ये लाइन ये भी बता दो"

"तुम तीसरी हो"

"शूकर है तुमने सच तो बोला." पूजा ने कहा.

"पर उन दोनो के लिए मैं इतना पागल नही था जितना तुम्हारे लिए हूँ"

मेरा घर आ गया...अब तुम जाओ.

"मूवी देखने चलोगि मेरे साथ" मोहित ने पूछा.

"ऑफ कोर्स नोट" पूजा ने कहा और अपने घर की तरफ चल दी.

मोहित खड़ा खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा. "असली मज़ा तो ऐसी लड़की को ठोकने का है बाकी सब तो बकवास है" मोहित ने सोचा.

जैसे ही पूजा घर में घुसी नगमा ने पूछा, "कहा रह गयी थी तू पूजा"

"दीदी मैं वो पद्‍मिनी से मिलने गयी थी" पूजा ने कहा.

"पद्‍मिनी को तुम कैसे जानती हो?"

"बस जानती हूँ दीदी"

"क्या राज और मोहित भी थे वाहा"

"हां वो भी थे"

"देखो उन दोनो से बचके रहना उनकी बातो में मत आना."

"दीदी जो बाते मुझे सीखा रही हो अगर खुद भी सीख लो तो ज़्यादा अच्छा है मैं सब जानती हूँ कि आप क्या करती हैं"

"पूजा ये क्या कह रही हो?"

"राज तो था ही तुम मोहित के साथ भी ची"

"ये तुम्हे किसने बताया?"

"दीदी आप बस संभाल जाओ दुनिया ठीक नही है"

"मैं जानती हू पूजा पर तू मुझे ग़लत मत समझ"

"आप क्यों करती हैं फिर ऐसा?"

"पिता जी अभी तक नही आए" नगमा ने कहा.

"उनका फोन आया था उनकी ट्रेन रद्द हो गयी अब वो अगले हफ्ते ही आएँगे" पूजा ने कहा.

"मुझे बता तो देती मैं यू ही परेशान हो रही हूँ"

"आप बात टाल रही हो दीदी"

"ठीक है तू खाना खा ले बाद में बात करते हैं" नगमा ने कहा.

एक और रात घिर आई थी और सहर में सन्नाटा छाने लगा था. हर कोई यही सोच रहा था कि क्या आज की रात भी कोई हादसा होगा. सब यही दुवा कर रहे थे की किल्लर जल्दी पकड़ा जाए और सहर में शांति आए.

नगमा और पूजा बिस्तर लगा कर लेट चुके हैं.

"दीदी पिछली दो रात तुम कहा थी" पूजा ने पूछा.

"देख पूजा तू मेरे मामले में ज़्यादा टाँग मत अड़ा समझी तू कॉलेज जाती है क्या तू मस्ती नही करती"

तभी पूजा की आँखो के सामने वो सभी सीन घूम गये जो उसने विक्की के साथ बिताए थे. विक्की से मिलने के लिए उसने काई बार कॉलेज भी बंक किया था.

"क्या हुआ चुप क्यों हो गयी" नगमा ने पूछा.

पूजा की आँखो में आँसू उतर आए. वो प्यार में खाए धोके को लेकर भावुक हो गयी.

नगमा पूजा की आँखो में आँसू देख कर फ़ौरन अपने बिस्तर से उठ कर पूजा के पास आ गयी.

"अरे क्या हुआ तू तो बुरा मान गयी मैं तो यू ही कह रही थी. क्या मुझे नही पता कि तू दोनो साल फर्स्ट आई थी कॉलेज में"

"हां पर आपकी बात सच भी थी...मैं एक लड़के के झुटे प्यार में पड़ गयी थी."

"तो क्या हुआ झूठा प्यार ही तो था कुछ ऐसा वैसा तो नही हुआ ना"

पूजा ने नगमा की आँखो में देखा. नगमा समझ गयी.

"चल कोई बात नही?"

"पर आप तो कमाल कर रही हैं दीदी ऐसा कोई करता है क्या जैसा आप कर रही हैं"

"तू मेरी चिंता मत कर आगे से ध्यान रखना कही फिर कोई मजनू बन कर तुम्हारी ले ले हे हे"

"मैं दुबारा प्यार के चक्कर में नही पड़ूँगी...पर आप ये बताओ क्या मोहित ने भी आपके साथ"

"हां एक बार...बहुत मोटा है उसका."

"ची आप भी ना कैसी बाते करती हैं."

"अब जब मुद्दा छिड़ ही गया है तो सॉफ-सॉफ बात करनी चाहिए...तू अपनी कहानी सुना मैं अपनी सुनाती हूँ" नगमा ने कहा.

"नही मेरी कोई लंबी चौड़ी कहानी नही है...और ना ही मैं सुनाना चाहती हूँ"

"मुझे पता था कि कोई ना कोई तेरी ज़रूर ले रहा है बड़ी साज धज के जाती थी तू कॉलेज हा"

"दीदी ऐसी बाते मत करो मुझे वो दिन याद मत दिलाओ."

"अच्छा मेरी कहानी सुनेगी."

"बिल्कुल भी नही जाओ सो जाओ."

पर नगमा कहा मान-ने वाली थी उसने कहानी सुनानी शुरू कर दी.

(तुझे याद होगा मैं 3 साल पहले बापू के साथ देल्ही गयी थी शादी में. वाहा शादी में एक अंकल मेरे पीछे पड़ गया. हर वक्त मुझे घूरता रहता था. काई बार उसने मुझसे बेवजह बात भी करने की कोशिस की. पर मैं बिना कोई जवाब दिए निकल लेती थी. पर वो तो जैसे मेरे पीछे ही पड़ा था. जहा भी जाओ वही आ जाता था. मैं तंग आ कर शादी के माहॉल को छ्चोड़ कर जिनके यहा हम गये थे उनके घर की छत पर आ गयी. बापू अपने दोस्तो में व्यस्त थे. पर उस अंकल ने वाहा भी मेरा पीछा नही छ्चोड़ा. मेरे पीछे पीछे वही आ गया. शाम का वक्त था छत पर कोई नही था. मैने सोचा की मैं तो बुरी तरह फँस गयी. मैं मूड कर वापिस जाने लगी.

अंकल ने मुझे पीछे से आवाज़ दी, "बेटा आप मुझसे डर क्यों रहे हो."

"एक तो मुझे बेटा कहते हो और उपर से मुझ पर ग़लत नज़र रखते हो शरम नही आती आपको"

अंकल मेरे पास आया और बोला,"बेटा ऐसी बात नही है...मैं तो तुझे तुझे अपने बेटे की बहू बनाना चाहता हूँ. अब शादी के लिए बहू को तो अच्छे से देखना ही पड़ता है ना."

मुझे बात कुछ अटपटी सी तो लगी पर फिर भी मैने ना जाने क्यों मान ली.

"मुझे अभी शादी नही करनी अंकल"

"कोई बात नही बेटा अभी सगाई कर लो शादी बाद में कर लेना. मेरा बेटा बिल्कुल मेरे जैसा ही है" अंकल ने कहा.

"वो सब ठीक है पर मेरा कोई इरादा नही अभी"

"अभी तक कुँवारी हो क्या."

"क्यों आपको क्या लेना देना"

"तभी बोल रही हो जिसे गरम बिस्तर मिल जाता है वो शादी से मना नही करता"

"गरम बिस्तर?"

"आदमी का लंड देखा है तूने कभी"

मैं तो वाहा से भाग खड़ी हुई और वापिस शादी की भीड़ में शामिल हो गयी. पर अंकल फिर मेरे पीछे पीछे. थक कर मैने पूछ ही लिया "क्या चाहिए आपको?"

"तुम्हारी चूत चाहिए.... दोगि क्या?" अंकल ने जवाब दिया.

मुझे समझ नही आया की क्या जवाब दू अंकल को. मैं चुप ही रही.

अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला, "चल मेरे साथ शर्मा मत तुझे बहुत मज़ा आएगा."

मैने पूछा, "आप तो कह रहे थे कि आप मुझे अपने बेटे के लिए देख रहे है अब ये सब क्या है"

"मैं मज़ाक कर रहा था चल आजा शर्मा मत"

मुझ पर ना जाने क्या जादू किया अंकल ने मैं उनके साथ चल दी.

"छत ही ठीक रहेगी क्यों क्या कहती हो" अंकल ने कहा.

मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या कहु. अंकल वापिस मुझे उसी छत पर ले आया.

अंकल ने छत पर आते ही अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे हाथ में रख दिया. पहली बार मेरे हाथ में लंड था. मैं हैरानी मे उसे हर तरफ छू कर देख रही थी.

अंकल ने मेरा नाडा खोल दिया और बोला, "चल जल्दी से काम ख़तम करते हैं कही कोई आ जाए."

मुझे क्या पता था कि काम क्या है और कैसे होगा मैं तो अपने हाथ में लंड पा कर ही खुस थी. अंकल ने मुझे घुमा कर अपने आगे झुका दिया और बोला, "सच बता कुँवारी है क्या तू."

"हां" मैने कहा.

"तब तो बहुत मज़ा आएगा"

अंकल ने मेरी चूत पर थूक लगाया और लंड घुस्सा दिया. लंड राज के जितना बड़ा तो नही था फिर भी बहुत दर्द हुआ. पहली बार जो ले रही थी.

मेरे मूह से चीन्ख ना निकले इसलिए उसने मेरे मूह पर हाथ रख लिया था और पूरे ज़ोर से मेरी चूत में लंड डाल दिया था. दर्द तो बहुत हुआ पर मैने अंकल को रोका नही. थोड़ी ही देर में मज़ा भी आने लगा. अंकल मेरी चुचियों को पकड़ कर मेरी चूत में बार बार लंड के धक्के मार रहा था और मेरी सिसकिया निकल रही थी. कोई 10 मिनट तक वो मेरी चूत में लंड घुमाता रहा फिर अचानक रुक गया. मुझे मेरी चूत में गरम गरम महसूस हुआ. उसने अपना सारा पानी मेरी चूत में डाल दिया था.
 

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Update 35


मैं दो दिन देल्ही रही और अंकल ने मेरी चार बार ली. उसके बाद मुझे बार इच्छा होने लगी. फिर मेरा टांका दिनेश से भीड़ गया. उसके बाद राज मिल गया. राज के साथ कैसे हुआ वो बड़ी मज़ेदार कहानी है सुनोगी क्या?

नगमा ने ध्यान से देखा तो पाया कि पूजा सो चुकी है.

"ये भी पद्‍मिनी जैसी है मेरी बातो में कोई रूचि नही लेती हा...और ना अपनी बताती है."

नगमा ने घड़ी में देखा की रात के 10 बज चुके थे.

बाहर कुत्तो के भोंकने की आवाज़ से नगमा सहम गयी.

"कही वो यही कही तो नही घूम रहा." नगमा ने सोचा.

"अफ पहले पता होता की आज बापू नही आ रहे तो राज के साथ कोई प्रोग्राम बना लेती आज की रात बेकार जाएगी."

अचानक नगमा को घर के बाहर कुछ हलचल सुनाई देती है. वो लाइट बंद करके खिड़की से बाहर झाँक कर देखती है.

"ये भोलू यहा क्या कर रहा है?" नगमा ने सोचा.

मुझे तो ये भोलू ही कातिल लगता है. राज और मोहित को बेवकूफ़ बनाया है इसने. पर ये इस वक्त मेरे घर के बाहर क्या कर रहा है." नगमा ने सोचा.

बाहर सन्नाटा फैला था और कुत्ते बार बार भोंक रहे थे. भोलू नगमा के घर के बाहर खड़ा था.

"आख़िर ये चाहता क्या है, क्यों खड़ा है मेरे घर के बाहर"

नगमा भोलू पर बराबर नज़र रखे हुए थी. अचानक भोलू वाहा से चल दिया.

"कहा जा रहा है ये, इसका घर तो उस तरफ है" नगमा सोच में डूब गयी.

कुछ देर तक नगमा खिड़की पर खड़ी खड़ी बाहर झाँकति रही. जब उसे कुछ नज़र नही आया तो वापिस अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी.

"कुछ तो गड़बड़ है भोलू के साथ.....कामीने ने मेरी गान्ड ले ली. पर इस बात का शूकर है की मेरी जान तो नही ली. राज को आज की बात बताउन्गि. पर वो खड़ा ही तो था मेरे घर के बाहर...कही वो मेरे चक्कर में तो यहा नही था. नही नही पर आज मैं उसके साथ नही जाती बड़ी चालाकी से गान्ड मारता है....अफ पर मेरी रात तो बेकार जा रही है" नगमा पड़े पड़े कुछ ना कुछ सोचे जा रही है.

..............................

..........................................

"ये गुरु कहाँ रह गया...10 बज चुके हैं." राज ने कहा.

पद्‍मिनी अपने ही ख़यालो में खोई थी. उसने कोई रिक्ट नही किया.

"पद्‍मिनी जी आप खाना खाओ ना कब तक आप यू ही चुपचाप बैठी रहेंगी."

"मुझे भूक नही है तुम खा लो"

"आपके बिना नही खाउन्गा मैं"

पद्‍मिनी ने राज की तरफ देखा और बोली,"मुझे भूक नही है कहा ना"

"थोड़ा तो ले लीजिए ऐसा कैसे चलेगा...आज भूक क्यों नही है"

"मुझे अब पोलीस में जा कर सारी सच्चाई बता देनी चाहिए"

"बात तो ठीक है मैं आपके साथ हूँ...पर इस से कुछ हाँसिल नही होगा. आपको पकड़ कर बंद कर दिया जाएगा और केस क्लोज़ कर दिया जाएगा."

"तो मैं क्या करूँ यही पड़ी रहू सारी उमर"

"मुझ पर यकीन रखिए मैं हू ना. मैं उसी इनस्पेक्टर के साथ हूँ जो इस केस को हॅंडल कर रहा है"

"तुम्हारा गुरु कहा है?"

"पता नही पूजा को छ्चोड़ने गया था...ना जाने कहा रह गया"

तभी राज का मोबाइल बज उठा. राज ने फोन उठाया और सुन कर रख दिया.

"गुरु घर नही आएगा आज" राज ने कहा.

"क्यों क्या हुआ?"

"अपने किसी दोस्त के साथ बैठा पी रहा है."

"बहुत बढ़िया मुझे मुसीबत में फँसा के जनाब दारू पी रहे हैं"

"आप कुछ खाओ ना" राज ने कहा.

राज के इतना कहने के बाद थोड़ा खा लेती है. राज भी खा लेता है.

"कल रात सुरिंदर के साथ कोई लड़की थी. उसे ढूँढना पड़ेगा. हो सकता है उसे कुछ पता हो के बारे में"

"वो वाहा क्या कर रही थी." पद्‍मिनी ने पूछा.

"बेडरूम का बिस्तर उथल पुथल था और...."

"बस बस समझ गयी" पद्‍मिनी ने राज को टोक दिया.

"अभी उस लड़की का कुछ आता पता नही लेकिन उम्मीद है की जल्दी पता चल जाएगा."

"ह्म....ठीक है राज तुम अब जाओ...मुझे नींद आ रही है"

"मैं आपको अकेला छ्चोड़ कर नही जाउन्गा"

"नही तुम जाओ मुझे अकेला छ्चोड़ दो" पद्‍मिनी बोल ही रही थी कि उसके सर से अचानक कुछ टकराया.

"आअहह" पद्‍मिनी दर्द से कराह उठी

राज ने ध्यान से देखा तो पाया कि पद्‍मिनी के पैरो में काग़ज़ में लिपटा एक पत्थर पड़ा था. राज ने फ़ौरन उसे उठाया और काग़ज़ को पत्थर से अलग करके पत्थर एक तरफ फेंक दिया. राज ने काग़ज़ फैलाया. उस पर लिखा था "यू कॅन रन बट यू कॅन नेवेर हाइड"

राज ने काग़ज़ पद्‍मिनी को दिया और फ़ौरन बाहर आकर देखा. कुत्ते ज़ोर ज़ोर से भोंक रहे थे और चारो तरफ सन्नाटा था. राज को कुछ दीखाई नही दिया.

पद्‍मिनी ने काग़ज़ पर लिखे शब्द पढ़े तो वो थर थर काँपने लगी. रौ दरवाजा बंद करके वापिस अंदर आ गया. थोड़ा वो भी डरा हुआ था.

"उस रात जंगल में वो चिल्ला चिल्ला कर यही बोल रहा था जो इस काग़ज़ पर लिखा है" पद्‍मिनी ने कहा.

राज ने फ़ौरन खिड़की बंद की और बोला,"उफ्फ वो कॅटा भी नही है आज...गुरु को भी आज ही पीनी थी"

"अरे आपके सर से तो खून निकल आया है" राज ने कहा.

पद्‍मिनी ने सर पर हाथ रखा तो उसकी उंगली पर खून की कुछ बूंदे लग गयी.

राज ने फोन निकाला और इनस्पेक्टर चौहान को फोन लगाया. पर उनका नंबर नही मिला. फिर उसने सब इनस्पेक्टर विजय को फोन किया. उन्होने फोन नही उठाया.

"उफ्फ कैसे पोलीस वाले हैं ये...कोई भी एमर्जेन्सी हो ये नही मिलेंगे" राज बड़बड़ाया.

हार कर राज ने मोहित को फोन किया. पर नशे की हालत में उसने भी फोन नही उठाया.

"सब के सब निक्कममे हैं मुझे ही कुछ करना होगा." राज ने कहा और कुण्डी खोलने लगा.

"क्या कर रहे हो बाहर मत जाओ...वो बहुत ख़तरनाक है" पद्‍मिनी ने कहा.

राज रुक गया और बोला, "पर उसे पकड़ने को अच्छा मोका था."

पद्‍मिनी जी यहा कुछ नही है सर पे लगाने को आप ऐसा करो थोड़ा ठंडा पानी डाल लो चोट पर खून बंद हो जाएगा."

"कोई बात नही खून बंद हो चुका है मामूली सी चोट है ठीक हो जाएगी"

"पद्‍मिनी जी आप की जगह कोई और होता तो ना जाने क्या हाल होता उसका. आप बड़ी बहादुरी से सब सह रही हो"

"बस बस मक्खन मत लगाओ मैं जानती हूँ तुम क्या कोशिस कर रहे हो"

"आप ऐसा क्यों बोलती हैं मुझे...मैं तो बस..."

"उसे पता है की मैं यहा हूँ" पद्‍मिनी ने कहा.

"शायद"

"शायद नही...उसे पता है वरना वो ये पत्थर क्यों फेंकता"

"नगमा के पीछे आया था वह कल यहा...हो सकता है वो उसके पीछे हो. कल आपको उसने नही पहचाना होगा. आज तो वो खिड़की के पास आया ही नही बस पत्थर फेंका है दूर से."

"हां पर ये तुम्हारा अंदाज़ा है...मैं एक पल भी यहा नही रुकूंगी मैं इसी वक्त घर जा रही हूँ"

"ये आप क्या कह रही हैं...ये वक्त कही आने जाने का नही है"

"तो क्या करूँ इस कमरे में बैठे बैठे अपनी किस्मत को रोती रहूं...मुझे अब यहा से जाना ही होगा."

"पद्‍मिनी जी आप समझ नही रही हैं वो बाहर ही कही है" राज ने कहा.

"तुम भी नही समझ रहे हो मेरा यहा रहना भी ठीक नही है"

"मैं समझ रहा हूँ पर...एक मिनट"

"क्या हुआ" पद्‍मिनी ने पूछा.

"एक काम हो सकता है"

"क्या?"

"हम एएसपी शालिनी जी से मिलते हैं और उन्हे सारी बात बताते हैं. मुझे यकीन है कि वो हमारी बात समझेंगी."

"ह्म्म कैसी हैं ये शालिनी."

"बहुत कड़क ऑफीसर है. उनके कारण ही मेरी जाय्निंग हुई है. मुझे यकीन है को वो हमारा साथ देंगी."

"ह्म्म...चलो फिर."

"रुकिये मैं पोलीस की जीप बुलाअता हूँ. एक कॉन्स्टेबल का नंबर है मेरे पास जो की जीप ला सकता है."

राज कॉन्स्टेबल को फोन मिलाता है और उसे जीप लाने को बोलता है.

"शूकर है उसने तो फोन उठाया...वो 20 मिनट में यहा पहुँच जाएगा."

20 मिनट में तो नही पर आधे घंटे में जीप वाहा आ गयी. राज पद्‍मिनी को लेकर कमरे से बाहर निकला. उसने चारो तरफ देखा... कोई दीखाई नही दिया. राज ने कमरे का ताला लगाया और पद्‍मिनी के साथ जीप में बैठ गया.

"हमे एएसपी साहिबा के घर ले चलो" राज ने कॉन्स्टेबल से कहा.

"जी सर"

अंधेरी रात में जीप सड़क पर आगे बढ़े जा रही थी. चारो तरफ सन्नाटा फैला था.

.............................................................

नगमा रह रह कर करवट बदल रही थी.

"नींद क्यों नही आ रही मुझे?" नगमा धीरे से बोली.

उसे फिर से घर के बाहर कुछ हलचल सुनाई दी. वो फ़ौरन उठ कर खिड़की पर आ गयी.

"क्या ये भोलू अभी भी यही घूम रहा है" नगमा ने सोचा.

बाहर कुछ दीखाई नही दिया. पर आस पास कुछ हलचल ज़रूर हो रही थी.

"कही राज तो नही...उसे पता चल गया होगा कि मेरा बापू यहा नही है आज भी...शायद वो मेरे लिए यहा आया हो...पर वो आएगा तो धीरे से दरवाजा तो खड़काएगा ही. वैसे उसका कुछ नही पता एक बार बहुत देर तक खड़ा रहा था बाहर और मुझे खबर भी नही लगी...दरवाजा खोल कर देखूं क्या...नही...नही...दरवाजा खोलना ठीक नही होगा."

पर नगमा को लग रहा था कि बाहर कोई है ज़रूर. ना जाने उसे क्या सूझी...उसने हल्का सा दरवाजा खोला और बाहर झाँक कर दाए बाए देखा. "यहा तो कोई भी नही है बस कुत्ते भोंक रहे हैं."

नगमा दो कदम बाहर आ गयी और चारो तरफ देखने लगी. अचानक उसे किसी ने पीछे से दबोच लिया. उसके मूह को भी दबोच लिया गया था इसलिए वो चिल्ला नही पाई.

"घबराओ मत मैं हूँ... भोलू" भोलू ने कहा और नगमा के मूह से हाथ हटा लिया.

"तुम यहा क्या कर रहे हो...छ्चोड़ो मुझे." नगमा ने कहा.

"कल तू बड़ी जल्दी भाग गयी थी...मेरा तो एक बार और मन था."

नगमा को अपनी गान्ड पर भोलू का लंड महसूस हुआ. "इस लंड को मेरी गान्ड से हटाओ"

"क्यों अच्छा नही लग रहा क्या."

"पहले ये बताओ तुम यहा कर क्या रहे हो इतनी रात को."

"तेरे लिए भटक रहा था यहा. किसी ने मुझे बताया कि तेरा बापू आज नही आया तो मैने सोचा क्यों ना तेरे साथ एक और रात बिताई जाए."

"तुम झूठ बोल रहे हो छ्चोड़ो मुझे." नगमा ने कहा.

"चल ना नखरे मत कर...चल मेरे घर चलते हैं"

"ना बाबा ना मैं वाहा नही जाउन्गि."

"तो चल तेरे घर में ही करते हैं."

"मेरी छोटी बहन है साथ वो सो रही है"

"उसकी भी ले लूँगा चिंता क्यों करती है."

"चुप कर मेरी बहन के बारे में कुछ भी बोला तो ज़ुबान खींच लूँगी"

"फिर चल ना मेरे घर चलते हैं."

नगमा को अपनी गान्ड पर भोलू का लंड लगातार फील हो रहा था और वो धीरे धीरे बहकने लगी थी. उसका मन भी चुदाई के लिए तड़प रहा था पर वो भोलू के साथ जाने से डर रही थी.
 
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