सुबह ही दोनों की आंख खुली. रेहाना बाथरूम से फ्रेश होकर आयी और अपने कपड़े पहनने लगी.
रमेश- अपनी ब्रा और पैंटी रहने देना यहीं पर।
रेहाना- मतलब?
रमेश- मुझे चुदाई के बाद तुम जैसी रंडियों की ब्रा और पेंटी कलेक्ट करने की आदत है. एक बार मेरे सामने अगर किसी औरत की ब्रा और पैंटी खुल गयी तो खुल गयी। फिर वो मेरी हो जाती है.
रेहाना- अच्छा तो यह बात है, मगर मैं घर कैसे जाऊँगी?
रमेश- घर क्या तुम ब्रा और पेंटी में जाओगी? चुपचाप अपने ऊपर के कपड़े पहनो और चली जाओ।
वो मुस्करा कर उसके पास आई और उसका फोन उठा कर नम्बर लगाने लगी.
रमेश- किसको फोन लगा रही हो?
रेहाना केवल मुस्करा दी.
तभी रेहाना के फोन पर रिंग बजी और रमेश से बोली- यह मेरा नम्बर है. जब भी आप मुझे बुलाना चाहो, मुझे डायरेक्ट फोन कॉल कर देना. मैं चली आऊंगी.
रमेश भी मुस्करा दिया.
फिर रेहाना ने रमेश को उसका फोन वापस किया और कपड़े पहन कर जाने लगी और जाते हुए बोली- ये बात किसी को बताना नहीं.
फिर वो रूम से निकल गयी.
फिर रमेश भी कपड़े पहन कर वहां से निकल गया और घर पहुंचा.
दरवाजा रिया ने ही खोला.
रमेश ने रिया को देख कर एक शैतानी मुस्कान दी और उसके गले लगाते हुए बोला- गुड मॉर्निंग डार्लिंग!
रिया- गुड मॉर्निंग।
रमेश- पता है आज मैं बहुत खुश हूँ. मुझे कुछ नया मिला है।
रिया रमेश की बात सुनकर उलझन में पड़ गयी और बोली- क्या?
रमेश- यह तो सरप्राइज है. मैं आकर बताऊंगा. तब तक इंतज़ार करो।
रमेश मुस्कराते हुए अपने कमरे में चला गया.
रिया रमेश की बातें सुन कर सोच में पड़ गयी.
तभी उसका फ़ोन बजा.
रिया- हाँ बोल रेहाना, इतनी सुबह-सुबह कैसे याद किया?
रेहाना- मुझे तुझसे मिलना है।
रिया- ठीक है 1 घंटे में आती हूँ तेरे घर पर!
रेहाना- मुझे तुझसे अभी मिलना है।
रिया- अभी?
रेहाना- हाँ अभी, बहुत ही अर्जेंट काम है।
रिया- अब इतना भी अर्जेंट क्या है, तू मुझे फ़ोन पर ही बता दे।
रेहाना- अरे यार, यह फ़ोन पर बताने वाली बात नहीं है।
रिया- ऐसा भी क्या है जो तू मुझे फ़ोन पर नहीं बता सकती. जब हम फ़ोन पर अपने बिज़नेस की बातें कर सकते हैं तो फिर उससे बड़ी और क्या बात हो सकती है?
रेहाना- उससे भी बड़ी बात है।
रिया- अच्छा तब तो मुझे अभी जानना है कि ऐसा क्या है?
रेहाना- नहीं, तू मुझसे मिल पहले, तभी बताऊंगी।
रिया- नहीं, तू अभी बता।
रेहाना- नहीं, तू मिल तो सही।
रिया- रेहाना, तुझे तेरी बिज़नेस की कसम तू अभी बता।
खीझकर रेहाना बोली- साली तू बहुत ज़िद्दी है. ऐसे नहीं मानेगी. ठीक है अभी तू कहाँ है?
रिया- घर में।
रेहाना- पहले तू घर से कहीं बाहर निकल तब बताऊँगी।
रिया- ओहो! यार क्या ड्रामा है ये, लोचा क्या है बताएगी मुझे? चल ठीक है आती हूं. रुक।
रति को आवाज देते हुए रिया बोली- मां, मैं गार्डन में हूं.
रति- ठीक है बेटा।
रिया गार्डन में गयी और फिर से रेहाना से बात करने लगी.
रिया- हां अब बोल, क्या बात है?