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Adultery बाबा ठाकुर (ब्लू मून क्लब- भाग 2)

कहानी का कथानक (प्लॉट)

  • अच्छा

    Votes: 2 12.5%
  • बहुत बढ़िया

    Votes: 13 81.3%
  • Could ठीक-ठाकbe better

    Votes: 2 12.5%

  • Total voters
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naag.champa

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बाबा ठाकुर
BBT-Hindi2-Cover-Ok22.jpg


(ब्लू मून क्लब- भाग 2)
~ चंपा नाग ~
अनुक्रमणिका

अध्याय १ // अध्याय १ // अध्याय ३ // अध्याय ४ // अध्याय ५
अध्याय ६ // अध्याय ७ // अध्याय ८ // अध्याय ९ // अध्याय १०
अध्याय ११ // अध्याय १२ // अध्याय १३ // अध्याय १४ // अध्याय १५
अध्याय १६ // अध्याय १७ // अध्याय १८ // अध्याय १९ // अध्याय २०
अध्याय २१ // अध्याय २२ // अध्याय २३ // अध्याय २४ // अध्याय २५
अध्याय २६ // अध्याय २७ // अध्याय २८ // अध्याय २९ // अध्याय ३०
अध्याय ३१ // अध्याय ३२ (समाप्ति)


प्रिय पाठक मित्रों,

बड़ी उत्साह के साथ और बड़ी खुशी के साथ मैं आपके लिए एक नई कहानी प्रस्तुत करने करने जा रही हूं| इस कहानी को मैंने बहुत ही धैर्य से और बड़े ही विस्तार से लिखा है| आशा है कि यह कहानी आप लोगों को मेरी लिखी हुई बाकी कहानियों की तरह ही पसंद आएगी क्योंकि इस कहानी को लिखने का मेरा सिर्फ एकमात्र ही उद्देश्य है वह है कि अपने पाठक बंधुओं का मनोरंजन करना|

मुझे आप लोगों के सुझाव, टिप्पणियां, कॉमेंट्स और लाइक्स का बेसब्री से इंतजार रहेगा|
PS और अगर अभी तक आप लोगों ने इस कहानी का पहला भाग नहीं पड़ा हो तो जरूर पढ़िएगा| पहले भाग का लिंक नीचे दिया हुआ है
ब्लू मून क्लब (BMC)

~ चंपा नाग ~



यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक घटनाओं पर आधारित है और इसका जीवित और मृत किसी भी शख्स से कोई वास्ता नहीं। इस कहानी में सभी स्थान और पात्र पूरी तरह से काल्पनिक है, अगर किसी की कहानी इससे मिलती है, तो वो बस एक संयोग मात्र है| इस कहानी को लिखने का उद्देश्य सिर्फ पाठकों का मनोरंजन मात्र है|
 
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naag.champa

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Priy naag.champa Ji,

Aaj aapki ye kriti ek hi baar me puri padh dali.....................erotica ko kya khub tarike se likha he aapne...................ek ladki ki fantasy kya kya ho sakti he aur usase kya kya karwa sakti he............iska bahut hi shandar chitran kiya he aapne.................

Kalam ki jadugar he aap......................

Keep writing
आदरणीय पाठक मित्र Ajju Landwalia जी,

मेरी लिखी हुई कहानी और मेरी लेखन शैली आपको पसंद आई इस बात कि मुझे बहुत खुशी है| आप जैसे पाठक मेरी प्रेरणा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है|

मेरी ज्यादातर कहानियाँ स्त्री कामुकता पर आधारित है और मैं खुद एक नारी होकर इन विचारों को खुलकर व्यक्त कर पा रही हूं; इस बात का मुझे गर्व है|

अगर आप मेरी बाकी कहानियों को भी पढ़ें और उन पर अपने मूल्यवान मंतव्य प्रदान करें तो मुझे बहुत खुशी होगी|
 

naag.champa

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naag.champa
आपकी नई कामुक् गाथा के इंतजार में आपका एक तुच्छ पाठक.......!
धन्यवाद......!
आदरणीय पाठक मित्र manu@84 जी,

आप जैसे पाठकों का समर्थन पाकर मैं अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली महसूस करती हूं| मेरी यह कहानी आपको पसंद आई, इसमें आपने मूल्यवान मंतव्य और सुझाव प्रदान किये इस बात की मैं आभारी हूं|

मेरा प्रयास है कि मैं आप लोगों के सामने जल्द से जल्द एक नई कहानी प्रस्तुत करूं, लेकिन तब तक अगर आप मेरी दूसरी कहानी भी पढ़कर उनमें अपने मूल्यवान मंत्र भी और सुझाव प्रदान करेंगे- तो मुझे बहुत खुशी होगी|
 

Tiger 786

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अध्याय २१



बाबा ठाकुर के कहे अनुसार मैं जमीन पर उकडू होकर बैठ गई- उनका कहना था कि वह सदा सर्वदा ऐसे ही बैठकर गांजा पिया करते थे और उन्हें यही अच्छा लगता है| इसलिए मैं उनकी तरफ मुंह करके ऐसे ही बैठ गई| उन्होंने गांजा की चिलम का एक लंबा सा कश लिया और उसका धुंआ उन्होंने मेरे मुंह पर छोड़ा... लगता है गांजा बहुत ही महंगी किस्म कथा इसलिए उसकी गंध मीठी और मादक थी| मैं आंखें मूंदे बैठी रही|

इतने में बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ अपनी एक हाथ से मेरे स्तन की एक चूची को अपनी दो उंगलियों से हल्के हल्के मलने लगे मैंने अपनी टांगों को और फैलाकर कर बैठ गई और अपनी छाती को थोड़ा ऊपर उठा दिया ताकि उनके हाथ मेरे स्तनों तक अच्छी तरह पहुंच सके|

"तू तो एकदम अच्छी लड़की... एकदम मीठी लड़की है... साक्षात कामधेनु", बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ मेरे बालों पर हाथ फेरते हुए बोले, "तू तो सिगरेट पीती है; अब जरा बाबा के इस प्रसाद के दो- तीन कश मार के दिखा तो?"

मैंने बाबा ठाकुर के हाथ से गांजा का चिलम लिया और उन्हीं की देखा देखी मैंने उससे एक लंबा सा कश लिया| लेकिन सिगरेट की तुलना में मेरे अंदर काफी शरद हुआ चला आया और उसकी वजह से एकदम से मेरे गले, सीने और नाक में जैसे एक धक्का सा लगा... और मैं खास नहीं लगी"

बाबा ठाकुर हंसते हुए मेरे बालों को सहलाते हुए बोले,"धीरे से लौंडिया धीरे से... यह तेरे शहर का सिगरेट नहीं है यह गांव का देसी चिलम है धीरे-धीरे पिया कर... हल्के हल्के एक लंबा सा कष्ट ले और उसके बाद धुआं अपने नाक से निकाल... मैं चाहता हूं कि तुझे इस चीज का नशा हो जाए ताकि जब मैं तेरे साथ गुदामैथुन करूं तो तुझ जैसी मीठी मीठी प्यारी प्यारी और कोमल सी लड़की को ज्यादा तकलीफ ना हो"

जैसा बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ ने बताया था ठीक वैसे ही मैं चिलम का कश लेने लगी| इससे पहले मैंने कभी गांजा नहीं पिया था इसलिए दो या तीन कस के बाद ही मेरा सर चकराने लगा और उसके बाद उस समझने से पहले ही मैं उनके ऊपर लुढ़क गई... पहले शराब उसके बाद 'अफ़रोडिसियक' (कामोत्तेजक दवाई) और फिर सुगंधित मोमबत्ती की मीठी मीठी खुशबू और उसके ऊपर यह गांजा... शायद मेरा शरीर और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था...

बाबा ठाकुर गांजे का चिलम मेरे हाथ से लेकर जमीन पर रखकर मुझे अपनी बाहों में उठा लिया मुझे पलंग पर मेरे दोनों हाथ और दोनों पैर फैला कर लेटा दिया और उसके बाद मेरे गर्दन के नीचे हाथ रख कर उन्होंने मेरा सर उठाया और मेरे लंबे बालों को तकिए के ऊपर बड़े प्यार से फैला दिए... मैं एकदम निढाल होकर पड़ी हुई थी मेरे अंदर कुछ करने या फिर हिलने डुलने की भी ताकत नहीं थी लेकिन मैं देख रही थी कि वह मुझे बड़ी ललचाई आंखों से देख रहे थे...

उसके बाद बाबा ठाकुर अपना चिलम उठा कर ले आए और पलंग पर मेरे बगल में कुकड़ो होकर बैठ गए और उसके बाद वह अपने चिलम से लंबे लंबे कश लेने लगे और फिर मेरे नंगे बदन पर धुआं छोड़ने लगे... मेरे बालों पर, चेहरे पर, स्तनों पर, योनि पर... मैं बाबा ठाकुर के प्रशासन औरतें सुमन मुझे से महसूस करने लगी|

मुझे मालूम था कि कमरे की मंद नीली रोशनी में वह मेरे नंगे बदन कि हर वक्र रेखा और उतार-चढ़ाव को साफ-साफ देख पा रहे थे और मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद वह आंखों से ही मेरे बदन की यौवन सुधा की आभा को पी रहे थे और मुझे अपने गांजे के धुंए से नहलाते जा रहे थे...

गांजे के नशे और धुंए से मुझे थोड़ी परेशानी हो रही थी इसलिए मैं अपना सर दाएं से बाएं फेर रही थी और मेरा बदन कसमसा रहा था... मर्द को और क्या चाहिए? फिलहाल मैं तो के सामने एक नंगी जिंदा पुतली जैसी हूं ना... शायद इसीलिए वह मेरे अंग और प्रत्यंग मैं अपने हाथ फिरने लगे... न जाने क्यों मेरी गहरी सांसो से उठते गिरते स्तनों के जोड़े को बहुत अच्छे लग रहे थे इसलिए उन्हें बड़े प्यार से सहला रहे थे... और उन्हें चूस रहे थे....लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था शायद उनका मन नहीं भर रहा इसलिए कुछ देर बाद ही उन्होंने कुछ ऐसा किया जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी... वह उठकर मेरे कोमल अंगों में अपना लिंग फेरने लगे... शायद वह मेरे बदन पर अपनी मर्दानगी और अपने हक गायक छाप छोड़ना चाह रहे थे|

वह जब भी अपना लिंग मेरे मुंह के पास ले आते मैं हल्के हल्के उनका लिंग अपने दांतों से काट काट कर चुस्ती रही थी... थोड़ी देर बाद मुझे भी उनकी ये हरकत बहुत अच्छी लगने लगी मेरे अंदर भी वासना की आग भड़कने लगी... नशे की वजह से शायद मैं कुछ कह नहीं पा रही थी लेकिन मैं बार-बार अपना कमर उसका रही थी... मुझे इस तरह छटपटाते देखकर शायद बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ को एक अनजानी ख़ुशी का एहसास हो रहा था... मैं ठहरी एक नवयौवना और बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ एक परिपक्व पुरुष... लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि किसी पराई औरत के अंदर ऐसी कामाग्नि जलाकर शायद वह एक अद्भुत कार्य सिद्धि की तृप्ति का अनुभव कर रहे थे|

मेरी जुबान लड़खड़ा रही थी फिर भी मैंने बड़ी मुश्किल से कहा, "बाबा ठाकुर... मुझ पर दया कीजिए... भोगिए मुझे... चोद दीजिए मुझे"

"थोड़ा सा सबर कर... मेरी कामधेनु, अभी मेरा मन नहीं भरा... संभोग से पहले मैं तेरे बदन के साथ थोड़ा और खेलना चाहता हूं... उसके बाद मैं तेरे साथ पहले गुदामैथुन करूंगा और उसके बाद प्राकृतिक मैथुन यानी कि तेरी योनि मेंअपना लिंग डालकर मैथुन ..."

अब मारे नशे के या फिर कामोत्तेजना के यह तो पता नहीं, पर मैं फूट-फूट कर रोने लगी और उससे रहा भी जा रहा था... इसलिए मैंने किसी तरह से उठने की कोशिश की और फिर बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ को जकड़ कर अपने ऊपर लेटाने की कोशिश की... लेकिन उन्होंने मुझे बलपूर्वक दोबारा बिस्तर पर लेटा दिया और इस बार हल्के हल्के मेरे गालों पर दो थप्पड़ मार कर अपने होठों पर उंगली रखकर चुप रहने का इशारा किया और फिर हाथ से दोबारा होने इशारे से मुझे बताया थोड़ा इंतजार कर...

उनका इस तरह से मुझे मारना भी मुझे बहुत अच्छा लग रहा था पर मैं चाह कर भी अपने आप को रोक नहीं पा रही थी मैं बिलक बिलक कर रोने लगी|

"उफ्फ! लगता है मुझे शांति से थोड़ा सा प्रसाद का (गांजे का) मजा भी नहीं लेने देगी..." यह कहकर बाबा ठाकुर मेरी जांघों के ऊपर बैठकर मेरी योनि के अधरों को अपनी उंगलियों से थोड़ा सा खोलकर "जय गुरु" बोलते हुए अपना खड़ा और फौलादी लिंग मेरी योनि के अंदर डाल दिया... लेकिन उन्होंने मैथुन करना शुरू नहीं किया... फिर कुछ भी हो, मुझे थोड़ी शांति तो मिली पर फिर भी मुझसे रहा नहीं जा रहा था... मैं रह रह कर अपनी कमर को ऊपर उठाने की कोशिश कर रही थी... पर बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ मस्त होकर सिर्फ अपने चिलम के कश लिए जा रहे थे... मैंने फिर से एक दो बार अपनी कमर को ऊपर उठाने की कोशिश की लेकिन जैसे किसी बच्चे को हल्का सा मारकर बड़े लोग उन्हें अनुशासित करते हैं ठीक वैसे ही उन्होंने मेरे दोनों गालों पर हल्के हल्के तमाचे जड़कर मुझे डांटते हुए कहा, "तो फिर वैसा कर रही है मैंने कहा ना, मुझे थोड़ा मजे लेने दे"

मुझे उनका इस तरह से मारना पीटना भी बहुत अच्छा लग रहा था... और बाबा ठाकुर बड़ी शांति के साथ सिर्फ अपने चिलम के कश लिए जा रहे थे|


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उनका चिलम पीना आखिरकार खत्म हुआ| उन्होंने मेरी योनि के अंदर से अपना लिंग बाहर निकाल कर पलक से उतरकर खड़े हो गए| जब तक वह गांजा पी रहे थे; तब तक उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि के अंदर डाल रखा था और बड़े ताज्जुब की बात है कि दूसरे मर्दों की तरह उनका लिंग बिल्कुल निढाल नहीं हो गया था... पता नहीं क्या यह गांजा पीने का असर था या फिर बाबा ठाकुर की यह खास काबिलियत थी|

मैंने सिसकते हुए अनजाने में ही उनकी तरफ अपना हाथ बढ़ाया| वह इतनी देर तक मेरी योनि में सिर्फ अपना लिंग डालकर बैठे हुए थे- इससे भी मुझे थोड़ी बहुत संतुष्टि मिल रही थी लेकिन अब आगे क्या होगा?

इसका जवाब मुझे जल्दी ही मिल गया बाबा ठाकुर खुद अपने कूल्हों को थपथपाते हुए बोले, "हां अब वक्त आ गया है..."

यह कहकर उन्होंने मुझे बालों से पकड़कर बिस्तर पर बिठा दिया और अपना खड़ा और सख्त लिंग मेरे मुंह में डाल दिया| मैं समझ गई थी कि अब वह मेरे साथ गुदामैथुन करने वाले हैं... पर मैं भी काफी उत्तेजित थी इसलिए मैं दुनिया भर की शर्मो हया और घृणा छोड़कर उनके लिंग के सिरे के चमड़े को पीछे किसका कर जितना हो सके उनका लिंग अपने मुंह में लेकर... पूरे दम के साथ चूसने लगी|

आखिरकार बाबा ठाकुर ने अपना लिंग मेरे मुंह से निकाल लिया... मैं समझ गई कि अब वक्त आ गया है|

मैं बिस्तर पर उनकी तरफ पीठ करके घुटनों के बल बैठ गई और अपने हाथ पीछे कर दिए| बाबा ठाकुर मेरा इशारा समझ गए| वह जल्दी जल्दी कमरे से लगे बाथरूम में गए और वहां रखे एक गमछे को उन्होंने बाल्टी के पानी में डुबोकर भिगो दिया और उसके बाद उसे फाड़ फाड़ कर उसके कई लंबे-लंबे टुकड़े किए|

गीले गमछे का एक टुकड़ा उन्होंने मेरे मुंह में ठूंस दिया और फिर ऊपर से मेरे मुंह पर एक पट्टी बांधी है| मैंने अपने हाथ पीछे कर रखे थे, तो उन्होंने मेरे हाथ और पैर दोनों बाँध दिए और फिर उन्होंने मेरा सिर बिस्तर पर टिका दिया| मैं घुटनों के बल थी जिसकी वजह से मेरे कूल्हे उठे हुए थे|

मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा| उनका लिंग चूसते वक्त मुझे इस बात का अंदाजा हो गया था कि उनका लिंक कितना सख्त और दृढ़ है और अब थोड़ी ही देर में बाबा ठाकुर यह चीज मेरे मलद्वार के अंदर घुसाने वाले थे... मैं मारे उत्तेजना और पूर्वानुमान के फिर से रोने लगी... लेकिन शायद बाबा ठाकुर जानते थे उन्हें क्या करना है... शायद उन्हें पहले से पता था कि ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा ने उनके लिए सारा इंतजाम कर रखा है| इसलिए उन्होंने मेरे बैग का सामने का चेन खोला और अंदर खंगाल कर एक क्रीम का ट्यूब निकाल कर उसमें से जेल निकालकर मेरे मलद्वार पर लगाने लगे और लगाते लगाते उन्होंने अपनी एक उंगली मेरे मलद्वार के अंदर डाल दीया| स्क्रीन की वजह से मेरे मलद्वार बाहरी और अंदरूनी हिस्सा बिल्कुल चिकना चिकना और फिसलाऊ हो गया था पर मुझे ऐसा लग रहा था कि बाबा ठाकुर शायद इस बात का अंदाजा लगा रहे हैं कि मेरा मलद्वार कितना तंग है... एहसास जैसे कि मानो मेरी उत्तेजना को बिल्कुल चरम सीमा पर ले गया... बाबा ठाकुर मेरी ऐसी हालत देखकर मन ही मन बहुत खुश हो रहे थे| उसके बाद वो रुक गए और फिर मैंने अंदाजा लगाया कि उन्होंने अपने लिंग पर एक कंडोम चढ़ा लिया और फिर उन्होंने मेरी कमर को कस कर पकड़ा... कमरे की सारी खिड़कियां- बाहर को खुलने वाली और अंदर को खुलने वाली सब के सब खुली हुई थी| बाहर आसमान में बादल छाए हुए थे हल्की-हल्की बिजली चमक रही थी| ठंडी हवाओं के झोंकों से कमरे के परदे उड़ रहे थे... पर अचानक जैसे सब कुछ शांत हो गया... मैं अब तक छटपटा रही थी और फिर मैं एकदम स्थिर हो गई... उन्होंने अपने लिंग का सिरा मेरे मलद्वार पर छुआया... मेरा सारा बदन कांप उठा... उन्होंने फिर मेरे को ठोको पकड़ कर मेरा मलद्वार के अंदर अपना सुडौल, लंबा, मोटा और एक भाले की तरह खड़ा लिंग अंदर खूब दिया घोंप दिया... मैं मारे दर्द के जोर से चीख उठी... और बाहर बड़ी तेज बिजली चमकी और बादल भी बड़े जोर से गरज उठे|

अब तक मैंने सुना ही था कि डोम पट्टी में सूअरों का किस तरह से वध किया जाता है... अब मुझे उसका पूरा पूरा अंदाजा हो चुका था... बाबा ठाकुर ने अपना लिंग मेरे मलद्वार के अंदर और थोड़ा घुसा दिया... मैं और जोर से चीख उठी...

मुझे क्या मालूम था कि कमरे एक खिड़की जो अंदर की तरफ खुलती है उसके बाहर बिल्कुल नंगी और उकडू होकर बैठी हुई आरती अब तक हम दोनों की कामलीला पर्दे को थोड़ा सा हटा कर देख देख कर अपनी योनि में उंगली कर रही थी... लेकिन मेरी चीख सुनकर उसने भी हाथ जोड़कर प्रार्थना शुरू कर दी...

बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ एक-दो मिनट बिल्कुल बिना हिले दुले चुपचाप वैसे ही बैठे रहे... शायद वह मुझे संभालने का मौका दे रहे थे| और उसके बाद उन्होंने अपनी मैथुन लीला शुरू कर दी और मेरा पूरा बदन उनके धक्कों डोलने लगा... मैं सुख और दर्द के बीच का भेदभाव नहीं कर पा रही थी... मेरे मुंह से बस एक दबी हुई थी आवाज ही निकल रही थी, "उम्मम्मम ममममम" और मुझे मालूम था कि बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ बिल्कुल मैथुन होकर मिथुनलीला किए जा रहे थे... कुछ देर बाद मुझे भी यह सब बहुत ही अच्छा लगने लगा...

क्रमशः
Superb update
 

Tiger 786

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अध्याय २२


मैं जरूर बेहोश हो गई थी|

इसलिए मुझे यह याद नहीं कि कितनी देर तक बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ ने मेरे साथ गुदामैथुन किया और कब उन्होंने मेरे हाथ पैर के बंधन खोलकर बिस्तर पर सीधा लेटा दिया था|

बस मुझे हल्का-हल्का याद है कि उन्होंने मुझे पानी पिलाया था और उसके बाद उन्होंने शायद दो बार मेरे साथ और संभव किया था- प्राकृतिक संभोग; यानी मेरी योनि में अपना लिंग डालकर मैथुन लीला|

हां अब मुझे याद आ रहा है शायद ऐसा ही हुआ था... और उनके गरम-गरम वीर्य से मेरी योनि पूरी तरह से लबालब भर गई थी| मैं एक अजीब सी शांति का एहसास कर रही थी... इसलिए मैं फिर से कब सो गई (या फिर बेहोश हो गई) यह मुझे याद नहीं... उसके बाद फिर मुझे ऐसा लगने लगा कि शायद मैं सपना देख रही हूं... बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ मेरे ऊपर लेटे हुए थे और मुझे जी भर के प्यार कर रहे थे| मुझे चुम रहे थे चाट रहे थे|

उनका लिंग शायद आज शांत नहीं हो रहा था... न जाने उन्हें आज क्या हो गया था... एक उत्तेजित और पढ़े हुए लिंग का यथा स्थान एक स्त्री की योनि के अंदर होता है... और बाबा ठाकुर का लिंग वही आश्रित था- मेरी योनि के अंदर... फिर मुझे उनके शरीर की गंध आने लगी... और उनका वजन अपने बदन के ऊपर महसूस करने लगी... नहीं यह सपना नहीं है, हकीकत है|

बाबा ठाकुर पंडित की एकनाथ और मेरा यौनांग संयुक्त तथा... मैंने मदहोशी में उनको अपनी बाहों में जकड़ लिया और उनके गालों से अपने गाल को घिसने लगी... बाबा ठाकुर भी खुश होकर फिर से अपनी कमर को नचाने लगे... उनकी मैथुन लीला काफी देर तक चली... मेरे अंदर कामना के विस्फोट के बाद विस्फोट होते गए... और फिर उन्होंने अपने वीर्य का सैलाब मेरी योनि के अंदर एक टूटे हुए बांध के पानी की तरह छोड़ दिया... न जाने क्यों मुझे लग रहा था इस बार भी उनके वीर्य की मात्रा बहुत ज्यादा है... मैं पूरी तरह से संतुष्ट और निढाल हो चुकी थी|

बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ और मैं उसके बाद एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल कर सो गए| उस वक्त शायद सुबह के 4:00 बज रहे थे|

समय कितनी जल्दी बीत गया इसका पता ही नहीं चला| बाथरूम में नल चलाकर बाल्टी भरने की आवाज से मेरी नींद खुली| बाबा ठाकुर उठ गए थे| खिड़कियों से सुबह की हल्की-हल्की रोशनी आ रही थी और कमरे की नीली बत्ती भी चल रही थी|

मैंने आंखें खोलकर देखा बाबा ठाकुर बाथरूम से बाहर निकल कर आए लेकिन उनका लिंग तभी भी खड़ा हो रखा था| मैं थोड़ा सा उठकर अधलेटी की अवस्था में उनसे पूछा, "बाबा ठाकुर, आप उठ गए हैं?"

"हां पीयाली, और मैं सोच रहा था कि मैं तुझे भी उठा दूं"

मैं समझ गई कि वह मुझे क्यों उठाना चाहते थे|

"जी ठीक है, मैं उठ गई पर आपका लिंग तो अभी भी खड़ा है..." यह कहकर मैंने मुस्कुराते हुए अपना सर झुका दिया और फिर अपनी दोनों राहों को फैलाकर बिस्तर पर चित्त होकर लेट गई|

बाबा ठाकुर ने भी ज्यादा देर नहीं की... वह भी बिस्तर पर उठ कर आए और मेरे ऊपर लेट गए और फिर अपना लिंग मेरी योनि में डाल दिया| मैं आंखें मूंदकर उनके होठों को चूमती रही और बाबा ठाकुर फिर से गुदा मैथुन में लीन हो गए|

कमरे में कामदेव जैसे ताली बजाने लगे क्योंकि मैथुन की आवाज आ रही थी- थप! थप! थप! थप! थप!

***

जब मेरी आंख खुली मैंने देखा कि दिन चढ़ा आया है| बाहर धूप खिली हुई थी| पर कमरे की खिड़की दरवाजे बंद थे| उसके बाद मुझे एहसास हुआ कि मैंने सिर्फ बदन पर साड़ी लपेट रखी है... सारी रात तो मैं बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ के साथ बिल्कुल नंगी थी; मैंने यह साड़ी कब पहनी मुझे याद नहीं|

इसका जवाब मुझे जल्दी ही मिल गया| आरती एकदम एक फुल स्पीड में धड़धड़ा कर आती हुई स्टीम इंजन की तरह कमरे के दरवाजों के किवाड़ों को झटके के साथ खुलती हुई दाखिल हुई और मैं उसको बिस्तर पर लेटी हुई आंखें फाड़ फाड़ कर देख रही थी|

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"ही ही ही ही ही ही", आरती खिलखिला कर हंसती हुई बोली, "पीयाली दीदी... तुम उठ गई हो... सुबह मैं जब कमरे में झाड़ू लगाने आई थी... तब मैंने देखा कि तुम बिल्कुल नंगी लेटी हुई हो... और बाबा ठाकुर ने तुम्हारा बदन सिर्फ एक चादर से ढक रखा था... मैंने तुमको उठा कर तुम्हारे बदन पर किसी तरह यह साड़ी लपेट दी है... लेकिन शायद तुम्हारा नशा नहीं उतरा था… तुम तो कभी इधर लुढ़क रही थी तो कभी उधर... ही ही ही...."

मैंने बंगाली में कहा, "धुर! पाजी मेये (धत! बदमाश लड़की)"

"ही ही ही", आरती थोड़ा सा खिलखिला कर हंस कर फिर रुक गए और मैंने गौर किया शायद उसका नाक थोड़ा सिकुड़ सा गया है फिर उसने कहा, " एक बात कहूं पीयाली दीदी, कल रात को मैंने देखा था कि बाबा ठाकुर तुम्हारे ऊपर लेट कर उनको बहुत प्यार कर रहे हैं| ऐसा लग रहा था कि तुम्हारे पूरे बदन को बिल्कुल आटे की तरह गूँथ रहे हैं... और फिर मैंने यह भी देखा उन्होंने तुम्हारी गूद (योनि) मैं अपना लिंग डालकर अपनी कमर ऊपर नीचे ऊपर नीचे कर रहे थे... उन्होंने तुम्हारे अंदर अपना काफी सारा सड़का (वीर्य) छोड़ा होगा... अब मुझे पक्का यकीन है- जल्दी ही तुम्हारे पेट में बच्चा हो जाएगा" यह कहकर बड़े उत्साह और आनंद के साथ आरती मुझसे लिपट गई; लेकिन फिर एक झटके के साथ मेरे से अलग होकर उसने मुझसे अपनी नाक को पूरी तरह से सिकुड़ कर कहा, " पर एक बात कहूं किया कि पीयाली दीदी; तुम्हारे बदन से बदबू आ रही है... एकदम गांजा जैसी और तुम्हारा बदन पीके सर चिपचिपा चिपचिपा सा लग रहा है"

मुझे याद आ गया की पिछली रात बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ मेरे पूरे बदन को झूम रहे थे और चाट रहे थे| बड़े मजे से मेरे पूरे शरीर में अपने चिलम का कश लेकर मेरे पूरे बदन में छोड़ रहे थे और साथ ही अपना लिंग मेरे बदन के जहां-तहां एक रंग भरने के ब्रश की तरह फेर रहे थे... इसलिए मेरे बदन से बदबू आना बिलकुल स्वाभाविक था|

मैंने पूछा, "बाबा ठाकुर कहां है?"

"वह पूजा कर रहे हैं"

"ठीक है मैं झटपट नहा लेती हूं"

मैंने बाबा ठाकुर से वादा किया था कि मैं आज अपने बालों में शैंपू करूंगी ताकि मेरे बाल फिर कुछ फूले फूले से रहें; इसलिए अच्छी तरह से मैंने अपने बालों में शैंपू किया| अपने हाथों और पूरे बदन को अच्छी तरह से साबुन लगाकर रगड़ रगड़ कर साफ किया... एक बार नहीं दो बार और उसके बाद मैं सिर्फ एक साड़ी लपेट कर अपने बालों को तौलिए से पोंछती हुई बाथरूम से बाहर आई|

बाहर आते ही मैंने देखा की आरती अपने हाथों में कंघी लिए मेरा इंतजार कर रही है|

"पीयाली दीदी, बहुत सुंदर दिख रही हो तुम" यह कहकर वह दोबारा मुझसे लिपट गई और फिर मेरे गानों को चूमा और फिर बोली, "अरे वाह! अब तुम्हारे बदन और बालों से कितनी अच्छी खुशबू आ रही है..."

मैंने अपना बैग खोलकर एक बड़े दांत वाली कंगी निकालकर आरती को दिया और फिर मैं बोली, "कल जैसे हल्के हल्के कंघी कर रही थी आज वैसे ही करना"

यह कहकर मैं आरती की तरफ पीठ करके बैठ गई|

आरती में बड़े प्यार से मुझे दुलारते हुए कहा, "पीयाली दीदी तुम अपना आंचल हटा कर बैठो ना, मैं तुम्हारे मम्मो देखती हुई तुम्हारे बालों में कंघी करूंगी"

"आ-हा-हा-हा! लड़की के मिजाज तो देखो? तुझे दोपहर तक का इंतजार नहीं हो रहा क्या?" यह कहकर आरती का मन रखने के लिए मैंने अपना आंचल हटा दिया और मेरा शरीर का ऊपरी हिस्सा बिल्कुल नंगा हो गया| आरती मेरे पीछे बैठकर आईने में मेरा प्रतिबिंब देख कर मुस्कुराती हुई मेरे बालों में हल्के हल्के कंघी करना शुरू की; फिर मैंने उससे पूछा, " अब अचानक अगर बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ कमरे में आ गए तो क्या होगा?"

आरती तिरछी नजरों से दीवार पर टंगी घड़ी को देखती हुई बोली, "बाबा ठाकुर को अभी अपना आसन छोड़ने में आधा घंटा और लगेगा- ही ही ही ही ही ही"

फिर बड़े ही आश्चर्य से उसने मुझसे कहा, "हे भगवान! पीयाली दीदी? तुम्हारे बदन में कितनी सारी खरोचें हैं! और मम्मो पर भी- काटने कितने निशान..."

आरती की बातों को सुनकर मेरे हाथ पैर ठंडे पड़ गए|

हां यह सच है कि पिछली रात बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ बहुत ज्यादा काम आतुर हो गए थे| पर मेरे बदन पर इतने दाग देखकर ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा जरूर गुस्सा करेंगी| कुछ भी हो, आखिरकार मैं उन्हीं के हाथ के नीचे काम करती हूं| उनके पाले हुए हॉट गर्ल्स की फायर ब्रिगेड की प्रीमियम पार्ट टाइम लवर गर्ल हूं मैं|

मैंने अपनी सेक्स लाइफ में विविधता लाने के लिए स्वेच्छा से यह रास्ता चुना। उनके मुताबिक, मुझे अपने लंबे घने बालों को खुलकरऔर बिल्कुल नंगी होकर अभी कई और क्लाइंट के बिस्तर पर लेटना होता है और अपनेटांगों को फैलाना है; लेकिन मेरे बदन पर अगर ईद में दाग हुए तो शायद क्लाइंट को अच्छा नहीं लगेगा|

इस धंधे में हर कोई बिल्कुल तरोताजा माल चाहता है- और वह भी बिना किसी दाग-धब्बे के...

मैं सोच में डूबी हुई थी इसलिए कुछ पलों तक कमरे में एक अजीब सी खामोशी से छा गई थी कि इतने में आरती फिर से बोल पड़ी, "पीयाली दीदी, तुम ना जिस तरह से मेरी गूद (योनि) के अंदर उंगली डाल के हिला रही थी- मुझे बहुत अच्छा लग रहा था... आज ना, तुम मुझे अपनी गूद (योनि) मैं उंगली डालने देना... मैं तुम्हें जी भर के प्यार करूंगी... प्लीज तो मना मत करना"

उसकी बातों को सुनकर मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया, "ठीक है, ठीक है; पर तूने जो इतने बड़े-बड़े नाखून रखे हैं उनको कार्ड जरूर लेना और मेरी गूद (योनि) में उंगली करने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह साबुन से धो लेना|

"हां हां हां; जरूर जरूर जरूर... ही ही ही ही" आरती मेरा जवाब सुनकर बहुत खुश हो गई|

फिर मैंने कहा, "आज बाबा ठाकुर ने मुझे तेरे साथ बाजार जाने की अनुमति दे दी है| आज मैं तेरे लिए कुछ नहीं ब्रा और पेंटी खरीद दूंगी"

"हां हां हां और इसके साथ ही मुझे अपने लिए दो नई नाइटी भी खरीदनी है"

मैंने आश्चर्य के साथ गर्दन घुमा कर उसकी तरफ देखते हुए कहा, "अच्छा एक बात बता बाबा ठाकुर तुझे घर में नाइटी पहनने देंगे?"

नाइटी पहनने से आसानी रहती है... जब मैं और आरती समलैंगिकता मैं मगन हुए रहते हैं उस वक्त अगर जरूरत पड़ी तो जल्दबाजी में सिर्फ नाइटी पहनने में आसानी रहती है लेकिन साड़ी पहनने में वक्त लगता है|

"हां हां हां उसमें कोई दिक्कत नहीं है... तुम हमारे घर आने वाली थी और मुझे तुमको सब कुछ समझाना बुझाना था इसलिए बाबा ठाकुर ने मुझे सिर्फ साड़ी और ब्लाउज पहनकर रहने की हिदायत दी थी... तुम्हें तो सिर्फ साड़ी पहनकर ही रहना है... ब्रा-पेंटी, ब्लाउज-पेटीकोट बिल्कुल नहीं सिर्फ साड़ी"

मेरे चेहरे पर एक आशयपूर्ण मुस्कान खिल गई और मैंने कहा, "हां तूने बिल्कुल सही कहा... मैं तो बाबा ठाकुर के यहां मां बनने के लिए आई हूं"

"हां बिल्कुल ठीक" आरती ने मेरी शीशे में मेरे प्रतिबिंब को देखा और एक पल के लिए हम दोनों की नजरें मिली और फिर आरती खिलाकर हंस पड़ी, "ही ही ही ही ही"

और अब मुझसे भी रहा नहीं गया मैं भी हंस पड़ी, "ही ही ही ही ही ही"


क्रमशः
Awesome update
 

Tiger 786

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अध्याय ३२ (समाप्ति)


इसलिए अगले ही पल मैंने सोचा की आरती कोई इन सब चीजों से फिलहाल दूर रखना ही अच्छा होगा|

शाम को जब मेरी नींद खुली है तब भी मेरे अंदर काफी थकावट से भरी हुई थी|

मैरी डिसूजा ने मुझसे कहा, "चल अब उठ जा पीयाली, मेरी नई लड़कियां थोड़ी देर में आती ही होंगी... उनमें से एक बिल्कुल वर्जिन है... इसलिए मैं सोच रही थी कि उसको अच्छे खासे रेट में किसी मोटे आसामी के पास भेजूंगी... इसके लिए मुझे उससे बात करनी पड़ेगी और मैं चाहती हूं कि तू भी मेरे साथ रहे"

"जी मम्मी" यह कहकर मैं आंख रगड़ते हुए एक बड़ी सी जम्हाई लेकर उठ कर बैठ गई|

***

जब तक मैं तैयार होकर ग्राउंड फ्लोर पर बने ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा की ऑफिस में पहुंची तो मैंने देखा कि वह दोनों नई नवेली लड़कियां पहले से ही उनके साथ वहां मौजूद थी| दोनों की ही लंबे लंबे बाल थे, उनके वक्ष स्थलों का साइज भी अच्छा खासा था और फिगर भी अच्छा| दोनों किसी विदेशी कंपनी के कॉल सेंटर में काम किया करती थी| कुछ ही दिनों में यहां टूरिस्ट सीजन शुरू होने वाला है... कुछ दिनों के बाद ही हमारे शहर में विदेशी पर्यटकों की भीड़ लगने लगेगी| आशा है हमारी आमदनी अच्छी होगी खासकर तब जब उनमें से एक लड़की बिल्कुल वर्जिन (कुंवारी) है|

मैंने मन ही मन मैरी डिसूजा की तारीफ की उनकी चॉइस अच्छी है| उन्होंने देख सुनकर ही लड़कियों को अपने हाथ के नीचे लिया है शायद इसीलिए मार्केट में उनका इतना नाम है|

मैं बिल्कुल एक आधुनिक बंगालन घरेलू औरत की तरह सज धज कर ऑफिस में आई थी| शायद इसीलिए मुझे थोड़ी देर हो गई| पहले की तरह मैंने घटा और खुला ब्लाउज पहन रखा था| जिसकी वजह से मेरे स्तनों के बीच की दरार काफी हद तक दिख रही थी और पीठ का हिस्सा भी काफी खुला हुआ था| दोनों के दोनों लड़कियां जैसे कि मानो मंत्रमुग्ध सी हो गई|

हां, मैं सचमुच सुंदर थी और उन्होंने भी यही सोचा कि हो ना हो मैं ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा की ही बेटी हूं|

मैंने उन दोनों की तरफ देख कर, 'Hi" किया| उन्होंने भी मुझे उसका जवाब दिया|

मैरी डिसूजा मेरा परिचय उन लड़कियों के साथ करवाया| उन्होंने कहा, "हां यही है मेरी बेटी, पीयाली... यह भी हमारे क्लब की मेंबर हैं... और सर्विस भी देती है..."

मैंने देखा की मैरी डिसूजा का लैपटॉप चालू है, उन्होंने कीबोर्ड पर अपनी उंगलियां चलाएं और उसके बाद ही मेरे मोबाइल फोन का एसएमएस टोन बज उठा| मैंने मोबाइल निकाल कर देखा मैरी डिसूजा ने पैसे ट्रांसफर कर दिए थे- पूरे के पूरे ₹6,40, 000...

फिर भी मैरी डिसूजा ने अपना लैपटॉप घुमाकर उसकी स्क्रीन को मेरी तरफ किया ताकि वह दोनों नई लड़कियां भी उनके स्क्रीन को देख सकें और फिर वह बोली, "यह देख मैंने तुझे पैसे ट्रांसफर कर दिए हैं"

मैरी डिसूजा किसी को भी आश्वासित करने की कला में बहुत ही माहिर थी... खासकर कम उम्र की लड़कियों को|

***

अनवर मियां की गाड़ी में बैठकर मैं अब घर की तरफ रवाना हो रही थी| पिछले 7 दिनों तक में एक गांव की घरेलू ग्रहणी बनकर रह रही थी| शायद इसीलिए मुझे अपने मोबाइल फोन से अपने ईमेल में लॉगिन करने में थोड़ी परेशानी हुई|

ईमेल खुलते ही मुझे टॉम के लिखे हुए अपने बॉयफ्रेंड कई सारे ईमेल दिखे... सारे के सारे ईमेल प्यार और मोहब्बत भरी बातों से भरी हुई थी... लेकिन उनमें से आखरी मेल पढ़कर मेरी आंखों में आंसू आ गए| उसमें लिखा हुआ था कि वह 2 महीने के लिए अपने व्यापार के सिलसिले में देश के बाहर जा रहा है|

इन सात दिनों में उसने एक बार भी मुझे फोन नहीं किया था क्योंकि वह जानता था कि मैं बाबा ठाकुर के घर 'कॉल' पर हूं|

मैंने भी उसके हर एक ई-मेल का जवाब ना देकर सिर्फ एक ही ईमेल लिखा... जिसमें मुझसे जितना हो सके उतना ही प्यार मैंने उस ईमेल पर भर दिया|

देखते ही देखते मेरा घर आ गया... और अपने घर को देखते ही न जाने क्यों मुझे ऐसा लगने लगा किन सात दिनों में मैंने बहुत ही ज्यादा मेहनत की थी जिसकी वजह से अभी भी मेरा मन और शरीर काफी थका हुआ था... मैंने सोचा कि कुछ दिनों तक मैं बिल्कुल कुछ भी नहीं करूंगी... सिर्फ आराम ही आ रहा हूं उसके बाद देखती हूं कि मेरे भाग्य में क्या लिखा हुआ है?


Bmk2-h-end.jpg

*** समाप्त ***
Behad khubsurat kahani,bohot maza aaya padhne mai👏👏👏👏👏👏👏
 
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niteshp

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अध्याय ३२ (समाप्ति)


इसलिए अगले ही पल मैंने सोचा की आरती कोई इन सब चीजों से फिलहाल दूर रखना ही अच्छा होगा|

शाम को जब मेरी नींद खुली है तब भी मेरे अंदर काफी थकावट से भरी हुई थी|

मैरी डिसूजा ने मुझसे कहा, "चल अब उठ जा पीयाली, मेरी नई लड़कियां थोड़ी देर में आती ही होंगी... उनमें से एक बिल्कुल वर्जिन है... इसलिए मैं सोच रही थी कि उसको अच्छे खासे रेट में किसी मोटे आसामी के पास भेजूंगी... इसके लिए मुझे उससे बात करनी पड़ेगी और मैं चाहती हूं कि तू भी मेरे साथ रहे"

"जी मम्मी" यह कहकर मैं आंख रगड़ते हुए एक बड़ी सी जम्हाई लेकर उठ कर बैठ गई|

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जब तक मैं तैयार होकर ग्राउंड फ्लोर पर बने ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा की ऑफिस में पहुंची तो मैंने देखा कि वह दोनों नई नवेली लड़कियां पहले से ही उनके साथ वहां मौजूद थी| दोनों की ही लंबे लंबे बाल थे, उनके वक्ष स्थलों का साइज भी अच्छा खासा था और फिगर भी अच्छा| दोनों किसी विदेशी कंपनी के कॉल सेंटर में काम किया करती थी| कुछ ही दिनों में यहां टूरिस्ट सीजन शुरू होने वाला है... कुछ दिनों के बाद ही हमारे शहर में विदेशी पर्यटकों की भीड़ लगने लगेगी| आशा है हमारी आमदनी अच्छी होगी खासकर तब जब उनमें से एक लड़की बिल्कुल वर्जिन (कुंवारी) है|

मैंने मन ही मन मैरी डिसूजा की तारीफ की उनकी चॉइस अच्छी है| उन्होंने देख सुनकर ही लड़कियों को अपने हाथ के नीचे लिया है शायद इसीलिए मार्केट में उनका इतना नाम है|

मैं बिल्कुल एक आधुनिक बंगालन घरेलू औरत की तरह सज धज कर ऑफिस में आई थी| शायद इसीलिए मुझे थोड़ी देर हो गई| पहले की तरह मैंने घटा और खुला ब्लाउज पहन रखा था| जिसकी वजह से मेरे स्तनों के बीच की दरार काफी हद तक दिख रही थी और पीठ का हिस्सा भी काफी खुला हुआ था| दोनों के दोनों लड़कियां जैसे कि मानो मंत्रमुग्ध सी हो गई|

हां, मैं सचमुच सुंदर थी और उन्होंने भी यही सोचा कि हो ना हो मैं ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा की ही बेटी हूं|

मैंने उन दोनों की तरफ देख कर, 'Hi" किया| उन्होंने भी मुझे उसका जवाब दिया|

मैरी डिसूजा मेरा परिचय उन लड़कियों के साथ करवाया| उन्होंने कहा, "हां यही है मेरी बेटी, पीयाली... यह भी हमारे क्लब की मेंबर हैं... और सर्विस भी देती है..."

मैंने देखा की मैरी डिसूजा का लैपटॉप चालू है, उन्होंने कीबोर्ड पर अपनी उंगलियां चलाएं और उसके बाद ही मेरे मोबाइल फोन का एसएमएस टोन बज उठा| मैंने मोबाइल निकाल कर देखा मैरी डिसूजा ने पैसे ट्रांसफर कर दिए थे- पूरे के पूरे ₹6,40, 000...

फिर भी मैरी डिसूजा ने अपना लैपटॉप घुमाकर उसकी स्क्रीन को मेरी तरफ किया ताकि वह दोनों नई लड़कियां भी उनके स्क्रीन को देख सकें और फिर वह बोली, "यह देख मैंने तुझे पैसे ट्रांसफर कर दिए हैं"

मैरी डिसूजा किसी को भी आश्वासित करने की कला में बहुत ही माहिर थी... खासकर कम उम्र की लड़कियों को|

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अनवर मियां की गाड़ी में बैठकर मैं अब घर की तरफ रवाना हो रही थी| पिछले 7 दिनों तक में एक गांव की घरेलू ग्रहणी बनकर रह रही थी| शायद इसीलिए मुझे अपने मोबाइल फोन से अपने ईमेल में लॉगिन करने में थोड़ी परेशानी हुई|

ईमेल खुलते ही मुझे टॉम के लिखे हुए अपने बॉयफ्रेंड कई सारे ईमेल दिखे... सारे के सारे ईमेल प्यार और मोहब्बत भरी बातों से भरी हुई थी... लेकिन उनमें से आखरी मेल पढ़कर मेरी आंखों में आंसू आ गए| उसमें लिखा हुआ था कि वह 2 महीने के लिए अपने व्यापार के सिलसिले में देश के बाहर जा रहा है|

इन सात दिनों में उसने एक बार भी मुझे फोन नहीं किया था क्योंकि

देखते ही देखते मेरा घर आ गया... और अपने घर को देखते ही न जाने क्यों मुझे ऐसा लगने लगा किन सात दिनों में मैंने बहुत ही ज्यादा मेहनत की थी जिसकी वजह से अभी भी मेरा मन और शरीर काफी थका हुआ था... मैंने सोचा कि कुछ दिनों तक मैं बिल्कुल कुछ भी नहीं करूंगी... सिर्फ आराम ही आ रहा हूं उसके बाद देखती हूं कि मेरे भाग्य में क्या लिखा हुआ है?


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Awesome story please continue... This story.. nice work keep going 👏
 

naag.champa

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Behad khubsurat kahani,bohot maza aaya padhne mai👏👏👏👏👏👏👏
आदरणीय पाठक मित्र Tiger 786 जी,

मेरी लिखी हुई कहानी आपको पसंद आई इस बात कि मुझे बहुत खुशी है| मैं उम्मीद करती हूं कि मैं आगे भी अपनी कहानियों के द्वारा आप लोगों का मनोरंजन करती रहूंगी|

आप अपने दोस्तों को मेरी कहानी के बारे में जरूर बताइए और मैं आशा करती हूं कि उनको भी मेरी लिखी हुई कहानियाँ पसंद आएंगी|

धन्यवाद
 

naag.champa

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आदरणीय पाठक मित्र niteshp जी,

मेरी लिखी हुई कहानी आपको पसंद आई इस बात कि मुझे बहुत खुशी है|

इस कहानी का पहला भाग भी आप पढ़ सकते हैं|
ब्लू मून क्लब (BMC)
मैं आपके मूल्यवान मंतव्य और सुझावों का इंतजार करूंगी|

मैं उम्मीद करती हूं कि मैं आगे भी अपनी कहानियों के द्वारा आप लोगों का मनोरंजन करती रहूंगी|

धन्यवाद
 
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niteshp

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I already read.. story,💯
But I have more this stories amazing
Please try to continue you really good work keep going 👏 please add extra cheese a little more hot 🔥 photo 🤤
 
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