रात का समय है पूरा परिवार डाईनिंग टेबल पर बैठा है।
रागनी और क़ौमल सबको खाना परोस रही है।
"दार्जलिंग वाले कंसाइनमेंट का क्या हुआ अमन अभी निकला या नही।
राज निवाला अपने मुँह के हवाले करता हुआ बोला।
"पापा कंसाइनमेंट तो कल ही वँहा पहुँच गया था पर वँहा का लोकल विधायक डिस्ट्रीब्यूट करने वाले लड़को को परेशान कर रहा है।
"क्यों क्या हुआ।
"पापा उसने बोला है कि अगर उसके एरिया में काम करना है तो उसको कट देना होगा।नही तो उसके गुंडे ऐसे ही लड़को को परेशान करते रहेंगे।अभी कुछ लड़कों से सामान भी लूटा गया है।
"देखो बेटा हम बिज़नेस वाले लोग है हमे सबकुछ देखना होता है तुम एक काम करो उस नेता से एक मीटिंग फिक्स करो और उसको वंही जाकर मिलो।और जितने कम परसेंट पर उसे मना सको मनाओ।काम तो करना ही है।
राज गंभीर स्वर में बोला।
"पर पापा इतना भारी भरकम टैक्स देने के बाद भी।
ऐसे तो हमारा काम ही चोपट हो जायेगा।
"बेटा काम चोपट नही होगा अगर तुम एक बिज़नेस-मैन की तरह सोचों।
"क्या करेंगे हम बताइये।
"देखो एक बात समझों जब सरकार किसी चीज़ पर कर की दरें बढ़ाती है तो मैन्युफैक्चरर के पास दो तरीके होते है।
या तो वो अपना मुनाफा कम करे और चीज़ को पुराने दाम पर सप्लाई करता रहे।लेकिन इसमें कंपनी का दिवाला निकलने के चांस बन जाते है।
दूसरा तरीका ये होता है कि वो चीज़ के वज़न में कटौती कर उसको पुराने दाम पर सप्लाय करता रहे।
या फिर वो बढ़ते कर को सीधा कस्टमर को हस्तांतरित कर दें।
"जी पापा ये सब तो मुझे मालूम है।पर इससे होगा क्या।
"बेटा तुम उस नेता का जो भी कट तय करोगे उसका परसेंट निकाल कर इन तीनो में से एक काम कर लेना।इस तरह काम चलता रहेगा।
"वाह पापा मान गए गुरु हो आप।
"तो फिर ठीक है दार्जलिंग जाने का प्लान कर लो।
राज कुर्सी से उठता हुआ बोला।
"पापा मैंने सुना है दार्जलिंग टूरिस्ट पैलेस है।
क़ौमल बीच में कूदती है।दरअसल क़ौमल अपने पापा और भाई के बीच हो रही बातों को बड़े ध्यान से सुन रही थी और अमन का प्लान बनने से पहले ही क़ौमल ने अपना प्लान बना डाला था।
"जगह तो अच्छी है पर तुम क्यों पूछ रही हो।
"वो पापा में सोच रही थी कि मैं भी अमन के साथ घूम आउंगी मेरी कॉलेज की समर वेकेशन हो गई है।
और अमन को भी कंपनी मिल जायेगी।
क़ौमल को पता था कि अमन वँहा अकेला ही जायेगा और अगर क़ौमल उसके साथ होगी तो अमन को सिड्यूस करने के हज़ारों मोके होंगे और घर वालो की चक चक भी नही होगी।और हो सकता है कि जब वो वँहा से वापस आये तो कुँवारी होने का टैग भी उतार कर आये।
"बेटी अमन वँहा घूमने नही बिज़नेस ट्रिप पर जा रहा है।
राज गंभीर स्वर में बोला।
"अरे तो बिज़नेस ट्रिप भी हो जायेगी और घूम भी आयेगा जाने दो ना क़ौमल के पापा पहली बार तो मेरी बेटी घूमना चाहती है वरना सिर्फ किताबो में ही खोई रहती है।
रागनी ने क़ौमल का समर्थन किया।
"ठीक है जैसी रानी साहिबा की मर्ज़ी जाओ भाई अमन घूमा लाना अपनी बहन को भी।
राज मुस्कुराते हुए बोला।
"पापा मुझे भी जाना है भाई के साथ घूमने।
सोनम ने भी टांग उठाई।
सोनम की आवाज़ सुनते ही क़ौमल का दिल धड़कने लगा उसको अपना प्लान चोपट होता नजर आने लगा।
और अभी तो एक और भी बची थी वो भी बोल पड़ी।
"पापा में भी।
जासूस रिया भी हौले से मिमयाई।
"एक काम क्यों नही करलेते पूरा परिवार ही चला जाये।
सुनो लड़कियों तुम्हारी बड़ी बहन इस लिए जा रही है कि उसका कॉलेज क्लोस है।पर तुम्हारा नही।अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। इनके वापस आने तक सबकी छुट्टियां शुरू हो जायँगी फिर पूरा परिवार मामा के गांव जायेगा काफी साल हो गए भाई के वंहा गए हुए।
रागनी ने अपनी बेटियों को समझाते हुए कहा।
क़ौमल का मन तो किया कि अभी कूद कर अपनी माँ के गाल चूम ले क्योंकि उसकी माँ जाने अनजाने उसके लिए रांहे आसान कर रही थी।
"मम्मी ने जो कहा है सुन लिया सबने बस ऐसा ही होगा।
अमन तुम जाने की तैयारी करो।
राज बेसिन की तरफ बढ़ता हुआ बोला।
बस फिर किसी की आवाज़ नही निकली।क़ौमल रागनी के साथ मिलकर बर्तन समेटने लगी उसका दिल तो कर रहा था कि आज वो अपनी माँ को आराम करने भेज दे और सारा काम खुद ही निपटा ले।पर वो अपने आप को एक्स्ट्रा एकसाईट नही दिखाना चाहती थी।वो जल्दी जल्दी बर्तन को बेसिन में धकेलने लगी क्योंकि उसको कमरे में जाकर अपने प्लान की रूप-रेखा बनानी थी।
कुछ ही देर में सारे बर्तन बेसिन में पड़े थे।रागनी अपने हाथ धोकर अपने रूम की तरफ बढ़ गई।क़ौमल कि धड़कने काफी तेज़ी से चल रही थी उसके दिमाग ने प्लान बनाना भी शुरू कर दिया था कि कैसे क्या करना है।वो अभी किचन में ही खड़ी थी उसकी आंखें शून्य में ठहरी हुई थी और दिमाग पूरी रफ्तार से दौड़ रहा था।अमन ने बरामदे में पड़े सोफे पर बैठते हुए टी वी का रिमोट उठाया और टी वी ऑन करके पूरी तरह सोफे पर पसर गया।
कुछ देर सब इधर उधर घूमते रहे फिर सब अपने अपने रूम की तरफ बढ़ गए सबके जाने के बाद कामनी अमन के पास आई।
"आओ बुआ बैठो।
अमन अपने पास सोफे पर जगह बनाता हुआ बोला।
"क्या बैठो अमन वँहा जाने की क्या ज़रूरत है।हम लोग आज भी 1990 में जी रहे है क्या।
"ज़रूरत है बुआ हम बिज़नेस करते है अगर बिज़नेस ही नही होगा तो पैसे नही होंगे और पैसे नही होंगे तो ये ऐशो-आराम की ज़िंदगी नही होगी।
"मेरा वो मतलब नही था बेवकूफ़।
"तो क्या मतलब था बुआ।अमन अपनी कमर को आगे धकेलता हुआ बोला।कामनी सोफे पर अमन के आगे बैठी थी उसकी कमर आगे होते ही उसे अपनी बुआ के गरम चूतड़ अपने जिस्म पर महसूस होने लगे।बैठने की वजह से कामनी की गाँड़ का फैलाव और भी बढ़ गया था।
"कमीने अभी सब जाग रहे है कोई भी आ सकता है।
"अरे बुआ क्या अब बुआ भतीजा एक जगह बैठ भी नही सकते क्या।
"बस बाते बनानी आती है तुझको और कुछ नही।
"वैसे भतीजा आपका बड़ा हो गया है अब कहो तो बच्चे भी बना सकता है।
"बस बस बड़ा आया बच्चें बनाने वाला।बच्चे बनाने के लिए औरत के पास रुकना पड़ता है और तू तो दूर भाग रहा है।
अपनी बुआ की बातों का अर्थ अमन भली भांति समझ रहा था।पर उसे रात के इस पहर अपने घर में सब घर वालो के होते हुए इस तरह बात करने में मज़ा आ रहा था।
"बताओ आप क्या चाहती हो।अमन अपने हाथ से कामनी के फैले हुए चूतड़ रगड़ता हुआ बोला।
"कमीने पहले अपने हाथ हटा अभी सब जाग रहे है अमन कभी भी कोई भी आ सकता है।
"अरे मेरी प्यारी बुआ अब कोई नही आयेगा।आप बोलो क्या कहना चाहती हो।
अमन अपने हाथों में गाँड़ का मुलायम मास भींचते हुए बोला।
"में तो बस उईई आराम से।
कामनी ने इस बार अमन को हाथ हटाने को नही बोला था बस आराम से करने को बोला था।इस तरह घर के दालान में बैठकर अपने भतीजे की चुहलबाजियों में मज़ा उसको भी पूरा आ रहा था।
पर उम्र में अमन की माँ की बराबर होने की वजह से उसको सही और गलत की परख भी अमन से ज़्यादा ही थी।
उसको एहसास था कि अगर उनके रिश्ते के बारे में किसी को भनक भी लगी तो सब उसको ही गलत बोलेंगे।
क्योंकि हमारे देश में लड़कों को तो सिर्फ ये बोला जाता
है"जवान खून है हो जाती है गलती।"
ऊपर से उनकी उमर के बीच की खाई और उनका रिश्ता
तौबा हर तरह कामनी को ही फ़सना था।इसलिए वो अपनी तरफ से कोई गलती नही करना चाहती थी।पर कहते है ना औरत की जांघो के बीच जब आग लगती है ना,तो जात,पात,धर्म,भेद,रंग,रूप,रिश्ता,नाता,लौड़ा,लहसुन सब बातों का फर्क समाप्त हो जाता है।उसको बस एक मूसल जैसे कठोर लण्ड की ज़रूरत होती है जो उसकी ओखली में जाकर ईंट से ईंट बजा दे।और ओखली में भड़की आग को अपने गरम पानी से ठंडा करदे।फर्क नही पड़ता फिर की मूसल का मालिक कौन है।
बस यहीं जांघो के बीच में लगी आग कामनी को घर के दालान में अपने भतीजे से खुलम खुल्ला अपनी गाँड़ को रगड़वाने को मजबूर कर रही थी।
"बोलो ना बुआ आप क्या बोल रही थी।
"कमीने पहले अपने हाथों को और अपने इस मूसल को तो सम्हाल पता नही कहाँ को घुसने की कोशिश कर रहा है।
कंही एक और नया सुराख ना बना दे मेरे जिस्म में।
कामनी की बात सुनकर अमन को इतनी तेज़ हंसी आई कि उसको अपने हाथों को कामनी की गाँड़ से हटाकर अपने मुँह पर दबाना पड़ा वरना सारे घर वाले अभी के अभी उसके सामने होते।काफी देर तक बुआ की बात अमन को हँसने पर मजबूर करती रही।अपनी हंसी को कंट्रोल करके अमन ने अपनी बुआ की तरफ देखा।
"ही ही ही क्या बुआ आप भी एक और सुराख़ ही ही ही।
"बस बस इतना भी अच्छा जोक नही था।अब सुनेगा या में जाऊं फिर हस्ते रहना पूरी रात।
अमन ने कामनी का हाथ पकड़ कर उसको रोका
"बोलो बोलो क्या बोल रही हो।
"में ये बोल रही हूँ कि वँहा जाने की क्या ज़रूरत है उस भड़वे नेता से बात तो फोन पर भी हो सकती है।
"बात तो आपकी सही है बुआ बात तो हो सकती है पर आपको मालूम नही ये हमारे नेता है ना ये साले घाघ होते है इस तरह की बातें ये फोन पर नही करते।फोन पर सिर्फ वो बाते करते है जो लीगल होती है।
"तो फिर पक्का जाना ही पड़ेगा।
कामनी मायूस होते हुए बोली।
"मेरी सोहनी बुआ कोई हमेशा के लिए थोड़ा ही जा रहा हूँ।
काम होते ही वापस आपकी बाँहों में।
"काम होते ही वापस,और वो कटिया जो बांध दी तेरे गले उसका क्या उसको घुमाना नही है।
"अरे बुआ अब क्या करूँ मम्मी पापा दोनो ही चाहते है देखता हूँ काम होने के बाद 1-2 दिन उसको सेर-सपाटा करवा कर वापस ले आऊंगा,और वैसे भी ज़्यादा दिन वो घर वालो से दूर रह भी नही पायगी हो सकता है काम खत्म होते ही बोले "मुझे घर जाना है।"
"तो फिर जाना ही पड़ेगा।
"आप इतनी उदास न हो काम खत्म होते ही आ जाऊंगा।
"अच्छा ठीक है पर जाने से पहले एक बार।
"एक बार क्या।
"बताउंगी मेरे रूम में आएगा तो।अभी कुछ देर टी वी देख इतने में मुन्नी को और सोनम को सुला दूँ।
अमन समझ गया था कि आज की रात घर में ही रंगीन होगी।अपने ही घर में अपने पापा की बहन आह कच्चा चबा जाऊँगा साली रंडी को।आने वाले पलों को सोचकर अमन का लौड़ा झटके मारने लगा।