किसकी थी ये आंखे???????
अब आगे-
रागनी जैसे ही अपने रूम में घुसी ठीक उसी समय क़ौमल ऊपर से नीचे उतरती है उसने अपनी माँ को अपने कमरे में जाते हुए देख लिया था उसको पता था कि उसकी माँ ने उसके लिए नाश्ता तैयार कर दिया होगा,अतः वो सीधी किचन की तरफ बढ़ी पर किचन में जाकर देखती है तो उसको वँहा सिर्फ बर्तन ही नज़र आते है नाश्ता कहीं भी नही था,और होता भी कैसे उसकी माँ तो किचन में उसके लिए नाश्ता बनाने की बजाय उसके भाई के लिए अपनी चूत में जूस बना रही थी,जिसके निशान अभी भी फर्श पर नज़र आ रहे थे।क़ौमल जैसी जवान लड़की चाहती तो अपने लिए ख़ुद भी नाश्ता तैयार कर सकती थी पर रागनी ने अपनी सभी बेटियों को इतना उद्दंड कर दिया था कि कोई भी घर के किसी काम को हाथ नही लगाती थी,रागनी को हमेशा ये चिंता सताती थी कि यंहा तो वो ही सब काम कर लेती है पर ये लड़कियां जब ससुराल जायँगी तो इनका क्या होगा,अतः क़ौमल किचन से अपनी माँ के कमरे की तरफ बढ़ी रागनी के रूम के थोड़े से खुले गेट को उसने जैसे ही धक्का दिया वो पूरा खुलता चला गया,दरवाज़ा खुलते ही क़ौमल के सामने उसकी जननी थी जो पूरी तरह निर्वस्त्र अवस्था में उसकी तरफ पीठ किये खड़ी थी।
अपनी माँ को नग्न अवस्था में देख क़ौमल के पैर वंही ठिठक गए,क़ौमल की आंखे अपनी माँ के नग्न शरीर का ऊपर से नीचे तक मुआयना कर रही थी,कुछ बात तो थी रागनी के शरीर में 4 बच्चों को जनने के बाद भी उसके शरीर में आकर्षण ऐसा तीर्व था कि देखने वाले कि आंखे उसके हर कटाव और उभार की तारीफ किये बिना ना रहती थी,फिर चाहे पुरुष हो या महिला, कुछ ऐसी ही हालात थी इस वक़्त क़ौमल की, उसकी आंखें अपनी माँ के भरावदार चूतड़ों पर आकर रुक गई थी।
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उफ्फ्फ क्या उभार था रागनी की गाँड़ का बिल्कुल गोल मटोल जैसे दो बड़े तरबूज़ आपस में जोड़ दिए गए हो,क़ौमल खुद भी एक लड़की थी जो भी अंग उसकी माँ के पास थे वो सभी उसके पास भी थे पर फिर भी वो अपनी माँ के आकर्षण में खो गई थी।
रागनी वार्डरोब से अपनी पैंटी निकालने के लिए झुकी उसके झुकते ही क़ौमल के सामने उसकी माँ की गदराई गाँड़ के दोनों पाट खुल गए,रागनी के झुकने के कारण उसकी बेटी की आंखों के सामने उसका सुरमई रंग का गुदाद्वार आ गया जिसमे चारो और चुन्नटें पड़ी हुई थी और उन चुन्नटों का अंत सीधा छेंद तक जा रहा था,उसके ठीक 2 इंच नीचे रागनी की गद्दर चूत थी।
जिसको रात उसके पति ने अपने लौड़े से चोदा था और सुबह से दो बार ये चूत अपने बेटे की वजह से झड़ चुकी थी जिस कारण चूत फूल कर डबल रोटी बनी हुई थी और उसपर लगा चूत का जूस उसको और मनमोहक बना रहा था।
एक तो क़ौमल पहले ही अपने भाई के साथ अकेली इतनी दूर जाने पर अपने मन में तरह तरह के सपने संजो रही थी ऊपर से जाने से पहले उसके सामने उसकी माँ का ये हाहाकारी रूप उसकी पहले से गीली चूत को और गीला कर गया,रागनी की बेटियों को अपनी माँ के सुंदर होने का तो पहले से ही पता था मगर क़ौमल आज पहली बार अपनी माँ को पूरी तरह नग्न अवस्था में देख रही थी और मन ही मन अपनी माँ के जिस्म की तारीफ करने से खुद को रोक नही पा रही थी।
वो कहते है ना शराब जितनी पुरानी होती जाती है उसमें उतना ही नाश बढ़ता जाता है बस बिल्कुल ऐसे ही रागनी का जिस्म था।आम तौर पर चार चार जवान बच्चों की माँ अपनी प्रौढ़ अवस्था को पहुंच जाती है,पर रागनी के सामने ये कहावत पूरी तरह सफेद झूठ प्रतीत होती थी।
उसका सफेद संगमरमर से बदन आज कल की लड़कियों को भी अपने सामने पानी पानी करने के लिए काफी था,ठीक जैसे उसकी ख़ुद की बेटी क़ौमल इस वक़्त बिना पलके झपकाए उसके मोह में खोई थी।
रागनी वॉर्डरॉब से अपनी नई पैंटी निकाल कर जैसे ही उठने वाली थी सामने लगे शीशे में उसको अपने पीछे क़ौमल खड़ी नज़र आती है।रागनी तुरंत अपने बेड पर पड़ी चादर को उठाकर अपने नंगे जिस्म को छुपाती हुई क़ौमल कि तरफ मुड़ती है।
"क़ौमल ये क्या बदतमीज़ी है।
रागनी के अल्फ़ाज़ थोड़े ऊंचे और सपाट थे।
"वो वो म म मम्मी में में तो।
"क्या मैं में कर रही हो।
"मुझसे गलती हो गई मम्मी में तो नाश्ते को पूछने।
क़ौमल का फेस देख कर रागनी समझ गई कि आगे एक और अल्फ़ाज़ पर क़ौमल रो पड़ेगी।और वैसे भी सुबह का वक़्त है गलती तो उसकी अपनी ही थी जो अपने बेटे के साथ व्यभिचारी विचार में खो कर उसने सुबह से दूसरी बार अपनी चूत को रगड़ कर जिन्न निकालने की कोशिश की थी,जिन्न तो नही निकल पाया पर दोनों ही बार उसकी चूत ने अपना गाढ़ा पानी काफी सारा निकाल दिया था।क़ौमल कि बात रागनी समझ गई थी इसलिए इस बार अपनी बेटी के पास आकर वो प्यार भरे लहजे में बोली।
"क़ौमल बेटी अब तुम बड़ी हो गई हो किसी को इस तरह देखना अच्छी बात नही है।
"मम्मी में तो बस जाने ही वाली थी पर?
"पर क्या बेटी।
"पर आपके खूबसूरत जिस्म ने जैसे मुझे बांध दिया था हिल भी ना पाई में आपकी सुंदरता देखकर।
क़ौमल के मुंह से आखिर सच निकल ही गया,अपनी जवान बेटी के मुंह से तारीफ सुनकर रागनी का दिल बल्लियों उछलने लगा,वो अपनी मुस्कुराहट को दबाती हुई बोली।
"बेटी में तो अब बूढ़ी हो चली हूँ,अब तो हुस्न और शबाब तुम पर आयेगा।
"कसम से मम्मी आप आज भी बहुत सुंदर हो,पापा की किस्मत अच्छी है जो उनको आपके जैसी पत्नी मिली।
"बस बस मुझे झाड़ पर ना चढ़ा जा जाकर डाइनिंग पर बैठ में कपड़े पहन कर आती हूँ।
रागनी को अपने बारे में बहुत अच्छी तरह पता था पर अपनी बढ़ती उम्र की वजह से उसमे सेल्फ-कॉफिडेंस की कमी आ गई थी,जिसको पूरा करने के लिए दूसरे लोगो की प्रतिकिर्या अति आवश्यक थी,जो उसको गाहे-बगाहे मिलती ही रहती थी,आज भी वो जब कभी सड़क पर निकलती थी जवान लड़को की भी सीटी निकलने लगती थी,कोई उसकी उभरती छातियों पर कमेंट करता तो कोई बाहर की तरफ निकली गाँड़ पर।
यँहा तक कि जिनकी अभी मूँछे भी सही से ना निकली हो ऐसे लड़के भी उसको चोदने तक कि बात बोल देते थे,ऐसे कोले लौंडो को देख रागनी की हंसी निकल जाती थी,वो जानती थी कि ऐसे कोले लौंडो के सामने वो सिर्फ अपने कपड़े भी निकाल दे तो वो उसके गदराए जिस्म को सिर्फ देखने भर से ही उनकी छोटी छोटी लुल्लिया पानी छोड़ देंगी।अपने पति के जिस लण्ड को वो अपनी चूत में डलवाकर मथ कर उसकी क्रीम और घी अलग कर देती थी,इन लौंडों की कलाइयाँ भी उस लण्ड की बराबर ना थी।
लेकिन लौंडो की हसरते ,भगवान ने ज़बान देदी तो बस कुछ भी बक दो।
रागनी ने क़ौमल के जाने के बाद जल्दी जल्दी अपनी चूत के रस में भीगी पैंटी से अपनी चूत पर लिसड़े पानी को साफ किया और दूसरी पैंटी पहन कर जल्दी से कपड़े पहन लिए,अपनी भीगी हुई पैंटी और कपड़ो को उसने वाशिंग-मशीन में डाल दिया और हाथों को धो कर जल्दी से रूम से निकल कर किचन की तरफ बढ़ गई और क़ौमल के लिए नाश्ता तैयार करने लगी।
इधर क़ौमल के डाइनिंग पर बैठते ही अमन ने उससे अपना बैग तैयार करने में मदद करने का आग्रह करना शुरू कर दिया।क़ौमल ने नाश्ते के बाद उसकी मदद करने का आश्वासन दिया,आखिर उसके सपनो का राजकुमार जो था उसका छोटा भाई,उसके लिए तो वो सबकुछ कर सकती थी जो किसी और के लिए उससे करवाना नामुमकिन सा था यंहा तक कि अपने खुद के लिए भी,रागनी ने जल्दी से क़ौमल को नाश्ता बना दिया था क़ौमल ने जल्दी जल्दी नाश्ता किया और अपने भाई के साथ उसके रूम में पहुंच गई,और अपने भाई के लिए अच्छे अच्छे ड्रेस पैक करने लगी,कुछ ही देर में क़ौमल अमन की इनर वियर वाली वॉर्डरोब में से रंग-बिरंगे अंडरवियर निकाल कर बैग में पैक कर रही थी,दोनो भाई-बहन ने मिलकर काफी कम समय में बैग तैयार कर लिया था।
दोनो भाई-बहन अपने अपने रूम से अपना बैग लेकर नीचे की तरफ बढ़ गए,दोनो घर से निकलने के लिए बिल्कुल तैयार थे,रागनी ने एक नज़र दोनो को देखा और क़ौमल को साइड में आने का इशारा किया,अपनी माँ का इशारा अमन ने भी देख लिया था पर वो समझ गया था कि ये इशारा सिर्फ क़ौमल के लिए था,अतः क़ौमल अपनी माँ के साथ साइड में चली गई।
"क़ौमल पहली बार तुम घर से इतनी दूर जा रही हो वँहा अच्छे से रहना और अपने भाई को परेशान नही करना।
"उफ्फ्फ माँ अपने ये बताने के लिए मुझे साइड में बुलाया है,बच्ची नही हूँ मैं।
"जानती हूँ बच्ची नही हो इसी लिए तो समझा रही हूँ,जाते ही अपने भाई से घूमने की ज़िद नही करना पहले उसको अपने बिज़नेस का काम समाप्त करने देना।
"ठीक है माँ आप टेंशन ना लो।
"और एक बात।
"हाँ सबकुछ बोल दो पर जल्दी से।
"तुमने कहा तुम बच्ची नही हो,तो थोड़ा ध्यान से रहना वँहा घर की तरह नंगी पुंगी नही रहना तुम्हारा भाई हमेशा तुम्हारे साथ होगा,और वँहा छोटे कपड़े नही पहनना वो कोई छोटा बच्चा नही है।समझ रही हो ना।
"उफ्फ्फ माँ क्या कहूं में आपको,बस हो गया आपका अब जाये हम।
रागनी कँहा जानती थी कि क़ौमल क्या क्या प्लान बनाये बैठी थी,उसकी माँ उसको छोटे कपड़े पहनने से रोक रही थी,पर क़ौमल सोच रही थी कि वँहा कपड़े ही ना पहनें।
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और रही अमन के बच्चा ना होने की बात,क़ौमल सोच रही थी कि वँहा से जब वापस आये तो अपने गर्भ में अपने बच्चे भाई का बच्चा लेकर आये,सबकी सोंच अपनी तरह काम कर रही थी पर क्या होने वाला है ये तो नियति को ही मालूम था,क्योंकि सब अपने अपने प्लान बनाने में व्यस्त थे पर कोई ये नही जानता था कि इन सब से बढ़कर था नियति द्वारा बनाया प्लान।
"ठीक है माँ अब हम निकलते है।
क़ौमल अपना बैग उठाये अमन की तरफ जाने लगी,अपने बच्चों को जाने के लिए तैयार खड़ा देख राज भी उनके पास आता है।
"अमन मेरे बेटे वैसे तो तुम ख़ुद काफी समझदार हो पर एक बात ध्यान रखना बेटे,हम धंदा करने वाले लोग है तो जँहा तक संभव हो प्यार से काम निकालने की कोशिश करना।
"बिल्कुल पापा मेरी भी यही कोशिश रहेगी।अब हम निकलते है पहले ही काफी लेट हो गए है।
"ठीक है बेटे सकुशल वापस आओ।
राज अपने बच्चों को अपना आशीर्वाद दे रहा था,पर रागनी को अमन का घर से दूर जाना बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था,जैसे कोई नया रिश्ता जुड़ते ही बिछड़ना पड़ जाए बिल्कुल ऐसी हालत थी रागनी की,एक तरफ उसका दिमाग अमन के दूर जाने को सही ठहरा रहा था,की कुछ दिन दूरी रहेगी तो ये वक्तिया व्यभिचार भी समाप्त हो जायेगा,पर मन का क्या कामनी का मन अपने नए नए प्रेमी से दूरी बिल्कुल भी बर्दाश्त करने को तैयार ना था।
आखिरकार होना तो यही था कि अमन और रागनी में कुछ समय के लिए दूरियां बननी ही थी जो कुछ ही समय में रागनी भी समझ ही गई थी,और उसने अपने नए प्रेमी से बिछड़ने के लिए अपना मन पक्का कर लिया था पर वो अमन को ऐसे नही जाने देने वाली थी।
अमन अपने पापा का आशीर्वाद लेकर जैसे ही अपनी माँ की तरफ बढ़ा रागनी ने अपनी बांहे खोल कर अपने बेटे को अपने सीने से लगा लिया,इस आलिंगन में माँ की ममता भी थी और प्रेमि के विरह का दुख भी अमन को अपने सीने में भींच कर रागनी भरभराई आवाज़ में बोली।
"बेटे तुम्हारी माँ को तुम्हारे सकुशल वापस आने का इंतज़ार रहेगा,मेरी आँखें हमेशा तुम्हे ढूंढती रहेगी जल्दी से अपना काम समाप्त करके वापस आ जाना।
"सबको सिर्फ बेटों से ही प्यार होता है,अरे बेटे के साथ बेटी भी जा रही है कोई हमको भी गले लगा लो।
क़ौमल माँ बेटे के बीच में कूदती है।
"पहले में अपने बेटे को गले लगा कर दिल भर लूँ,तब तक तुम अपने पापा के गले लगो।
रागनी क़ौमल को आंखे निकालकर बोली।
"आओ बेटी अपने पापा के गले लग जाओ तुम्हारी माँ तो तुम्हारे भाई को छोड़ने को तैयार ही नही है।
राज अपनी बेटी को देख अपनी बांहे फैलाता है।क़ौमल अमन के पीछे से हटकर अपने पापा की खुली बांहो में समा जाती है,क़ौमल जिस तरह भाग कर राज के गले लगी थी उसके दोनों डाल पर पके चौसा आम उसके पापा के सीने में गड़ गए,अपनी सबसे बड़ी बेटी के गुदाज़ उभारो का एहसास अपने सीने पर पाते ही राज को अपनी पत्नी की बात याद आ गई जो उसने चुदाई के समय राज को जोश दिलाने के लिए कही थी"अमन के पापा क़ौमल के लिए रिश्ता देखना शुरू कर दो दिन प्रितिदिन घोड़ी बनती जा रही है पर किसी काम को हाथ लगाने को तैयार नही है थोड़ा ज़िम्मेदारी आएगी तो कुछ सीख जायेगी।"क़ौमल के इस तरह अपने सीने से लगते ही राज के हाथ अनायास ही उसकी कमर को सहलाते हुए उसकी गाँड़ के उभार की तरफ बढ़ने लगे।अपने पापा के हाथों को अपनी गदराई गाँड़ पर रेंगता महसूस करते ही क़ौमल को झटका लगा।
पर उसने सोचा शायद ग़लती से पापा के हाथ वँहा लग गया होगा,पर अगले ही पल राज की हथेलियों को अपनी गाँड़ की नाप-जोख करते पाकर उसका भ्रम दूर हो गया अपनी गाँड़ की दरार में जाने की कोशिश करती पापा की उंगलियों ने उसको बतला दिया था कि ये एक बाप का बेटी को दिया जाने वाला निश्चल स्नेह नही है,बल्कि एक स्त्री के लिए एक पुरुष की वासना है क़ौमल का मन किया कि वो अभी अपने पापा से दूर हो जाये,पर उसके जिस्म में उठती तरंगों ने उसको ऐसा करने से रोक लिया था,राज की हथेलियां लगातार अपनी बेटी की गदराई गाँड़ को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रही थी,राज के जैसे मज़बूत मर्द के सामने क़ौमल कब तक अपने आप को रोक पाती वो धीरे धीरे खिंचती हुई पापा के जिस्म से लग गई,पापा के जिस्म से सटते ही उसका बचा-कुचा शक भी दूर हो गया,अपनी उस बेटी को अपने इतने करीब पाकर जिसका जिक्र अक्सर उसकी पत्नी चुदाई के समय उसको जोश दिलाने के लिए करती थी राज के मिसाइल में बारूद भरना शुरू हो गया,और उस आधे खड़े मिसाइल को जैसे ही क़ौमल कि चूत रूपी भट्टी में सुलगती आग दिखी वो आसमान में उड़ने की तैयारी करने लगा।
अपने पापा के जिस्म से सटते ही क़ौमल को ये एहसास हो गया कि उसके पापा के पास एक मजबूत खिलौना है,शायद उसकी माँ का इस उम्र में इतना इतना सुंदर होना भी इसकी वजह से ही है,तो क्या माँ पापा के लण्ड का पानी अपनी चूत में भराकर ही इस उम्र में इतनी सुंदर नज़र आती है,हो ना हो क़ौमल का माइंड सही काम कर रहा था,औरत की खूबसूरती को बढ़ती उम्र में भी बरकार रखने में मर्द का वीर्ये बहुत लाभकारी होता है।
इधर क़ौमल अपने पिता द्वारा मिलते सुख को भोग रही थी और उधर रागनी अपने पुत्र और नए प्रेमी पर अपना प्रेम लुटा रही थी,रागनी अपनी बेटी को अपने पति के गले लगते ही चाहती थी कि अमन के हाथ उसके जिस्म को मसल डाले,और उसको इस बात का एहसास करवा जाए कि जैसे वो अपने पुत्र के प्रेम में पागल है वैसे ही उसका पुत्र भी अपनी माँ को प्रेम करता है,पर अमन के हाथ सिर्फ उसकी कमर को पकड़े थे और उन हाथो की कसावट में सिर्फ निष्छल प्रेम था,जो वासना से बिल्कुल परे था।ये बात रागनी की समझ से परे थी वो अमन को समझ नही पा रही थी कभी लगता कि अमन को अगर मौका मिले तो वो अपनी माँ की जांघो में जगह बनाने में समय नही लेगा,पर कभी लगता कि अमन अपनी माँ को एक बेटे की तरह पवित्र प्रेम करता है।
इस सबके बीच एक बात जो रागनी ने नोट की थी वो थे उसकी पति और पुत्री के बीच होता आलिंगन रागनी और क़ौमल का चेहरा आमने सामने था और रागनी ने बड़ी बारीक नज़र से क़ौमल के चेहरे के बदलते भाव पढ़े थे,हालांकि वो अपने पति के हाथों को अपनी बेटी के नितंबो पर घूमते हुए नही देख सकती थी पर क़ौमल के चेहरे पर बदलते भाव को आसानी से नोट कर सकती थी।
काफी समय तक चारो लोग एक दूसरे को आलिंगन में लिए रहे जँहा क़ौमल को एक और अपने पिता के जज़्बात पता चल गए थे वंही रागनी को अमन ने ऐसी हालत में छोड़ दिया था कि उसके लिए अमन को जज कर पाना कठिन था कि उसके मन में क्या चल रहा है।
बहरहाल दोनो भाई बहन अपने माता पिता से मिलकर अपने सफर पर निकल रहे थे,अमन ने अपनी कार की डिक्की में दोनों बैग एडजस्ट कर लिए थे और अब दोनों के लिए कार में पूरी जगह खाली थी क़ौमल ने पीछे बैठने के बजाय अपने भाई के साथ आगे बैठने का फैसला किया था।रागनी और राज अपने दोनों बच्चों को हाथ हिलाकर बाय बोल रहे थे,जब गाड़ी घर के पोर्च एरिया से निकल रही थी।
दोस्तो आपकी प्रितिकिर्या कहानी को आगे ले जाने में सहायक होगी।