Please Mai tera maa gandi karu gaKoi meri maa k bare mein sexy bate krna chahta hai to msg kre
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bilkul dost update par kaam jaari haiPoori padhi dost... Late update. Mast story ka satyanaash hota hai aise, update ko jaldi diya karo bhai, thoda samay hamare liye bhi nikaal liya karo
intezaar hain bhai...bilkul dost update par kaam jaari hai
jaldi hi bahut hot update milega.
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Mast update. Budding boobs aur hairless choot ki feeling hi alag hoti hai.गोरी की ज़िंदगी का ये पहला मर्दाना स्पर्श था मगर एक बात तो पक्की थी गोरी को मज़ा पूरा आ रहा था।
अब आगे-
गोरी की जाँघे अपनी चूत के इर्द-गिर्द टाइट होने लगी उसे अपनी नन्ही सहेली से कुछ गर्म गर्म बाहर आता है महसूस हुआ उसकी चूत में झटके लगने लगे ये सारा मज़ा गोरी के लिए अविस्मरणीय था चाहे अनजाने में ही सही पर पुरुष का स्पर्श नारी को गीला बहुत गीला कर देता है।
गोरी की जाँघे हर बीतते हुए पल के साथ आपस में भीचती जा रही थी आखिर उसकी चूत की खुजली ने उसे वो करने पर मजबूर किया जो वो शर्म की वजह से नही कर पा रही थी।
उसने पीछे खड़े अमन का एक हाथ अपनी कोमल चूची से हटा कर अपनी चूत पर रख दिया और अमन के हाथ को अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
गोरी अपनी चूत को भी अमन की हथेली पर धकेल रही थी बेचारी कामाग्नि में जलती नन्ही कली किसी भी तरह अपनी चूत में काटती चींटियों को रगड़ कर मार देना चाहती थी।
पर ये ज्वाला कम होने की बजाए बढ़ती ही जा रही थी।
अपनी चूत की मस्ती में गाँड हिलाती गोरी के पीछे लगते हर झटके पर अमन का लंबा लौड़ा उसकी गाँड की दरार पर लग रहा था पर इस नवयौवना को इस मस्ती में इसका एहसास भी नही हुआ ।
अमन गोरी की स्तिथि को समझ रहा था इसलिए वो आगे बढ़ कर गोरी की गाँड से चिपक गया और गोरी की चूत पर रखे अपने हाथ को उसने तेज़ चलाना शुरू कर दिया अपनी दो उंगलियों के बीच गोरी के भग्नासे का मर्दन करते हुए अमन की बाकी उंगलियां गोरी की चूत के उभरे हुए होंठो को रगड़ रही थी।
जैसे ही अमन उसकी पीठ से लगा गोरी को अपनी गाँड की दरार में कुछ घुसता हुआ महसूस हुआ पर ये वो वक़्त था जब वो अपनी ज़िंदगी के पहले स्क्वरटिंग ओर्गास्म की तरफ बढ़ रही थी।
इस वक़्त गोरी की आंखे बंद थी और मुँह खोल कर वो लंबी लंबी साँसे ले रही थी।
कुछ सिसकियां कुछ आहें और अमन की बांहों में थरथराता इस नवयौवना का जिस्म
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गोरी का जिस्म ऐसा झटके ले रहा था जैसे उसकी आत्मा उसके शरीर का साथ छोड़ रही हो अमन के दोनों हाथ अपने काम में लगे हुए थे एक हाथ से वो गोरी के निम्बूओ को निचोड़ रहा था और दूसरा हाथ गोरी की चूत रूपी हांडी से माखन निकालने की लगातार कोशिश कर रहा था।
वंही अमन का तीसरा हाथ यानी उसका लंबा लौड़ा कमसिन नवयौवना कि गाँड की दरार में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहा था।
पर उसकी ये कोशिश नाकाम होती लग रही थी क्योंकि गोरी के पुष्ट नितंब जांघो के आपस में मिले होने के कारण भींचे हुए थे।
अपनी गाँड पर लगातार होते हमले ने गोरी को सचेत कर दिया था उसने पीछे अपनी गाँड पर हमला करती चीज़ को पकड़ लिया।
लंबा लौड़ा हाथ में आते ही गोरी ने दूसरे हाथ से अपनी आंखों से साबुन को साफ किया और गर्दन मोड़ कर पीछे देखा।
फिर सामने कामनी को देखते ही चीखने के लिए उसका मुँह खुला पर उसमे से कोई आवाज़ नही निकल पाई क्योंकि कामनी ने गोरी के मुंह पर अपनी हथेली रख दी और बड़े सुकून से उसके कान के पास मुँह करके बोली।
"घबराओ नही बच्ची ये तुम्हारा भाई और मेरा भतीजा है अमन अभी बस अपने शरीर को रिलैक्स होने दो बाद में आराम से बात करते है।"
गोरी कुछ सेकंड तक कामनी की कही बातों का मतलब समझने की कोशिश करती रही।
जब कामनी को लगा कि अब गोरी चीखेगी नही तो उसने अपनी हथेली को धीरे धीरे गोरी के मुंह से हटा लिया।
गोरी को नार्मल होता देख अमन ने फिरसे उसके कच्चे आम को दबाना शुरू कर दिया।
चूत पर रखे हाथ ने फिरसे कमांड सम्हाल कर भग्नासे को दो उंगलियों के बीच दबाकर रगड़ना शुरू कर दिया।
एक मिनट से कम समय में गोरी फिरसे किसी और दुनिया में विचरण करने लगी।
उसकी आंहे ऊंची और ऊंची होती जा रही थी जो ग्राउंड फ्लोर पर खड़ी उसकी बड़ी बहन पूर्वा के कानों तक पहुँच सकती थी।
इसलिए कामनी को कमान सम्हालनी पड़ी वो आगे बढ़ी और गोरी के मतवाले होंठो को अपने होंठो में जकड़ लिया।
इस प्रकार गोरी की सिस्कारियों को कंट्रोल करके कामनी ने अपने हाथों की गोरी के पुष्ट नितंबो की तरफ बढ़ाया तभी उसका हाथ गोरी के हाथ से लगा जिसमे गोरी ने अभी तक अमन के मोटे लौड़े को पकड़ रखा था।
गोरी की भी अपने हाथ में लौड़ा होने का एहसास कामनी का हाथ लगने से हुआ।
उसने अपने हाथ से लौड़ा छोड़ने की कोशिश की तभी कामनी का हाथ उसके हाथ के ऊपर आया और उसने गोरी की खुलती मुठ्ठी को वापस अमन के लौड़े पर कस दिया।
और गोरी की मुठ्ठी को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगी अमन के लौड़े से निकलते प्रिकम से गोरी की हथेली भीग गई थी जिसमे अमन का लौड़ा फिसल रहा था।
जब कामनी को गोरी का हाथ चलता हुआ महसूस हुआ तो उसने अपना हाथ हटा अब गोरी अमन के लंड को मुठिया रही थी और अमन गोरी की चूत को तभी गोरी अमन की तरफ पलट गई और अमन के लौड़े को अपनी चूत तक ले जाने का प्रयास करने लगी पर बेचारी अमन से बहुत छोटी होने के कारण कामयाब न हो सकी।
अमन गोरी की चाहत को समझ कर वेस्ट्रन कंमोड पर बैठ गया गोरी तुरंत किसी बंदर के बच्चे की तरह उसके ऊपर चढ़ गई और नीचे हाथ डाल कर अमन के लौड़े को बेस से पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
वो अमन के खड़े लौड़े के टोप्ले को अपनी गीली चूत के चीरे पर नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे की और तेज़ी से रगड़ रही थी तभी उसके जिस्म ने झटके लिए और गोरी की गोरी चूत से सीईईईI की आवाज़ के साथ पेशाब की धार निकलकर अमन के लौड़े को भिगोती चली गई जब लंड का टोप्ला पी-होल पर लगता तो पेशाब की धार बंद हो जाती और लंड के नीचे फिसलते ही फिर तेज़ी से निकलने लगती।
गोरी को लगातार स्क्वरटिंग ओर्गास्म आ रहा था उसकी पैरों से ताकत खत्म हो गई थी वो किसी जुड़ी के मरीज की तरह कांप रही थी।
अमन ने उसे अपने सीने से लगा लिया सहारा पाते ही गोरी अमन की छाती से चिपक गई और अपने नन्हे नुकीले निप्पलों से अमन की छाती में छेंद करने की कोशिश करने लगी।
धीरे धीरे अमन को अपने लौड़े पर गिरता गर्म पेशाब बंद होता महसूस हुआ पर जिस्म की अकड़ाहत के साथ अभी भी छोटी छोटी धारे अमन के लौड़े का स्नान करवा रही थी।
अमन की ज़िंदगी का यह सबसे हसीन पल था एक कमसिन कली उसके लौड़े को अपनी नन्ही चूत से रागड़वा कर स्नान करवा रही थी।
होले होले गोरी निढाल हो गई अब उसका सारा भार अमन पर था।
गोरी की गुदाज़ जांघो से निकलकर बाहर झांकता उसका लंड अपनी बुआ को निहार रहा था और कामनी भी अमन के तने हुए लौड़े को निहार रही थी।
दोस्तो अभी के लिए इतना ही बताते रहे कहानी सही चल रही है या नही।
Very very hot update. Reminds me of my first time with my Mausi.अपने स्तन अपने भतीजे को चुस्वाती हुई ये निर्लज नारी अपने भतीजे की रंडी बनने को भी तैयार थी उससे अपनी चूत को चुदवा कर अपनी बच्चेदानी में अपने भतीजे का वीर्ये ले कर उसका बच्चा जनने को भी तैयार थी।हाय काम तृप्ति की खातिर इंसान क्या कुछ नही कर जाता।
अब आगे-
अपने मोटे स्तनों का मर्दन अपने भतीजे से करवाती हुई कामनी ने अपने हाथ को नीचे करके अमन के लौड़े को पकड़ लिया जो थोड़ी देर पहले ढीला होकर लटक गया था अब अपनी बुआ का दूध पीकर फिरसे फौलाद की तरह सख्त हो गया था और अपनी नोंक उठाए किसी भी क़िले को फतह करने के लिए फिरसे तैयार था।
जवान पठ्ठा कामनी बुआ के उरोज़ो का मर्दन बड़े जोर शोर से कर रहा था जैसे ही अमन पूरे चूचक को मुंह से पकड़ कर खींचता बुआ के चुचो में तीखे दर्द के साथ मस्ती की लहर उठती जो उसको अपनी चूत तक जाती महसूस होती।
जितनी तेज़ी से अमन बुआ के निप्पलों को खींच रहा था ठीक उतनी ही तेज़ी से कामनी अमन के लौड़े को भींच रही थी कामनी अमन के लौड़े को गाड़ी के गियर की तरह इस्तेमाल कर रही थी।
अमन ने कामनी के दूध तब तक नही छोड़े जब तक वो लाल नही हो गए अमन ने जब उनको अपने मुँह से आज़ाद किया तो कामनी अपने चूचक को देखती रह गई।
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उसके चूचक लाल गुलाबी होकर चमक रहे थे जो कामनी की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे।
अपने भतीजे की कलाकारी देख कामनी उसकी दीवानी हो गई अमन ने अपना काम कर दिया था अब कामनी की बारी थी कामनी ने उसको बिस्तर पर धक्का दिया और उसके मदमस्त झटके मारते लौड़े को अपने हाथ से पकड़ कर उसपर झुकती चली गई और अपनी जीभ निकाल कर अपने भतीजे के लौड़े को चाटने लगी।
बुआ की गरम जीभ का स्पर्श अमन को होश खोने पर मजबूर करने लगा।
अभी अपने दूध चुसवाते हुए जो मज़ा कामनी को मिल रहा था अब वो मज़ा कामनी अपने भतीजे को दे रही थी पूरे लंड पर अपनी जीभ से चाटने के बाद कामनी पहाड़ी आलू की तरह सूजे अपने भतीजे के मोटे सुपाड़े
को देखने लगी जिसपर लंड से निकले पानी की बूँद चमक रही थी कामनी ने अपनी जीभ से उस बूँद को चाट लिया और बूँद का स्वाद लेने के बाद उसने और क्रीम की चाहत में अपना मुँह खोल कर पूरा सुपाड़ा अपने होंठो में भर लिया।
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"आआह रंडी बुआ।
बस इतना ही निकल पाया अमन के मुंह से और उसकी गर्दन उपर उठती चली गई।
और ये वो शब्द था जो कामनी को बहुत पसंद था "रंडी"
बिल्कुल रंडी ही बनना चाहती थी वो अपने भतीजे की आने बालम की अपने साजन की अपने चोदू की।
इस छोटे से शब्द ने वाकई कामनी में छुपी रंडी को जगा दिया फिर जो उसने अमन के लंड पर चुप्पा लगाना शुरू किया तो उसको चीखने पर मजबूर कर दिया।
कामनी अमन के लंड को जितना संभव था मुँह मैं खींचती और पूरा बाहर निकाल देती साथ ही अंदर लेकर अपनी जीभ से पेशाब के छेंद को ऐसे चाटती की अमन के अण्डों में भरा लावा उबल पड़ता।
अमन को महसूस होने लगा कि बुआ को अगर नही रोक पाया तो अपना वीर्ये उसकी चूत में भरने की बजाय उसके मुँह में भर देगा।
"आआह मम्मी बुआ बस करो आआह नही बुआ आआह नही बुआ छोड़ दो।
अमन ने कामनी के बाल पकड़ कर उसको अपने लौड़े से दूर किया पर कामनी किसी भूखी शेरनी की तरह बार बार अपना मुँह लंड की तरफ ले जा रही थी किसी तरह अमन ने अपने लौड़े को अपनी बुआ के मुख से आज़ाद करवाया मुँह से आज़ाद होते ही लंड ऐसे झटके मारने लगा जैसे अभी पिचकारी मार देगा पर अमन ने उसको कंट्रोल किया।
और कुछ समय अपनी आंखों को बंद करके अपने आप को नियंत्रित करने लगा।
कुछ देर में लंड के झटके कम होने पर उसने आंखे खोल कर देखा तो सामने बुआ उसके लौड़े को देख अपनी गुदाज़ छातियों को अपने ही हाथों से दबा कर मज़े ले रही थी।
"आआह बुआ क्या हो गया था तुमको बिल्कुल भूखी शेरनी लग रही हो।
"सीईईई मेरे लाल अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल है जल्दी से चढ़ जा अपनी घोड़ी पर।
"अरे बुआ घोड़ा घोड़ी पर पीछे से चढ़ता है सोच लो कंही लेने के देने ना पड़ जाए।
"कमीने चढ़ता तो पीछे से ही है पर अपने हथियार को डालता तो चूत में ही है ना तू भी चढ़ जा पीछे से बस अपने इस सिपाही को सही जगह डालना।
"ठीक है बुआ चलो फिर बन जाओ अपने घोड़े के लिए घोड़ी।
अमन के फूले हुए लौड़े को देख कर कामनी अपने घुटनों पर झुक गई।
"ले बन गई तेरी घोड़ी पर ध्यान रखना चूत में ही डालना।
कामनी ने एक बार फिरसे चेताया अपने भतीजे को।
कामनी की चूत के होंठ लौड़ा लेने के लिए फूले पड़े थे अमन ने पीछे से एक बार फिरसे अपनी बुआ की मस्तानी चौड़ी गाँड को देखा।
हाय क्या मस्तानी गदराई गाँड थी उसकी बुआ की एकदम मस्त भूरा छेंद गोरे चूतड़ और गाँड के छेंद से सिर्फ एक इंच नीचे पाव रोटी की तरह फूली हुई उसकी गोरी चूत।
उसकी मस्तानी गाँड देखकर अमन का मन डोलने लगा
"बुआ में आपकी गाँड चोद तो नही सकता पर आपको बुरा ना लगे तो क्या इसको प्यार कर सकता हूँ।
"मेरे लाल तू मेरी गाँड के साथ सब कुछ कर लेना पर पहले एक बार मेरी चूत को चौद दे बेटा देख केसी आग लगाई है तेरे लौड़े ने इसमें।
देख बेचारी कैसे गीली होकर तेरे लौड़े के अंदर आने का इंतज़ार कर रही है।
"बस थोड़ी देर बुआ।
इतना कह कर अमन बुआ की गाँड पर झूक कर उसके एक चूतड़ पर अपने होंठो से चुम्बन लेता है।
अमन को पता था कि चूत का पानी निकलते ही बुआ फिर अपने होश खो देगी।
अमन ने दोनों चूतड़ पकड़ कर विपरीत दिशा में फैलाये तो कामनी की गाँड के छेंद के आस पास की सिलवटे दिखने लगी जो ठीक गाँड के छेंद पर जाकर खत्म हो रही थी।
घबराहट में कामनी ने अपनी गाँड को ज़ोर से भींच लिया था इसलिए उसका गुदा-द्वार अमन के द्वारा चूतड़ फैलाने पर भी पूरी तरह बंद था।
अमन को अपनी बुआ की स्थिति का एहसास था इसलिए उसने अपनी जीभ को बाहर निकालकर गाँड के छेंद पर रख दिया।
अपनी ज़िंदगी में पहली बार कामनी के साथ ये हो रहा था कि कोई मर्द उसकी गाँड के छल्ले को अपनी जीभ से चाट रहा था इतना सुखद एहसास भी उसको उसका भतीजा करवा रहा था।
आम तौर पर इंसान लंड और चूत को तो चाट लेता है पर गुदा-द्वार को गंदा समझा जाता है इस कारण कुछ विरले लोग ही इस सुखद अनुभव को प्राप्त कर पाते है।
जब कि औरत हो या मर्द उसकी गाँड एक सेंसेटिव पॉइंट होता है।
मेने कहा था कि कुछ विरले लोग ही ये सुखद अनुभव ले पाते है उन्ही विरले लोगो में आज कामनी का नाम भी लिखा जा चुका था।
अपने भतीजे की जीभ अपनी गाँड के छल्ले पर लगते ही कामनी को ऐसा मज़ा आया कि उसकी कमर और भी ज़्यादा झुकती चली गई और कमर के झुकते ही गाँड खुलकर सामने आती चली गई।
पर अमन ने अपनी जीभ से सिर्फ एक बार गाँड के छल्ले को छुआ और अपनी जीभ को हटा लिया अब वो अपनी बुआ का रेस्पॉन्स देख रहा था।
कैसे उसकी बुआ ने अपनी गाँड को खोलकर उसके आगे परोस दिया था।अमन ने फिर एक बार अपनी जीभ को छिद्र तक पहुंचाया और चाट कर वापस हटा लिया।
गाँड के छिद्र पर जीभ लगते ही कामनी के पूरे जिस्म में कंपन होने लगा।
"आआह मेरे लाल कर ना
कामनी ने अपनी गाँड को और बहार की और धकेला।
पर अमन अपनी बुआ से खेल रहा था वो अपनी जीभ गाँड के छल्ले पर लगाता और हटा लेता पर जितनी देर उसकी जीभ कामनी के गुदा-द्वार पर होती कामनी का पूरा जिस्म कांपता रहता।
"आआह अमन चाट ना बेटा मज़ा आ रहा है सीईईई।
"बुआ सोंचो जब आपको गाँड चटवाने में इतना मज़ा आ रहा है तो इसको चुदवाने में कितना मज़ा आएगा।
अमन ने अब अपनी बुआ के जिस्म के साथ साथ उसके जज़्बात से भी खेलना शुरू कर दिया था।
अमन कामनी को गाँड चुदाई पर मजबूर कर देना चाहता था और उसके तरकश से निकला हुआ तीर निशाने पर भी लगा था कामनी सोंचने पर मजबूर हो गई थी अमन की कही बात में उसको सच्चाई नज़र आने लगी थी।
पर इन सब चीज़ों से परे जैसे ही कामनी अमन के लंड के साइज के बारे में सोचती उसकी हिम्मत टूट जाती।
"अमन मेरे लाल मेरा वादा है तुझसे की तेरी बुआ जल्दी ही ये गाँड तेरे लौड़े के नाम कर देगी पर अभी तू जल्दी से मेरी प्यास बुझा दे।
"ठीक है बुआ जैसी आपकी मर्जी।
अमन ने भी अब ज़्यादा देर करना सही नही समझा क्योंकि उसका लौड़ा भी अब फटने को तैयार था
वो उठकर अपनी बुआ के पीछे आया और अपने गरम मोटे लौड़े को हाथ से पकड़ कर अपनी बुआ की चूत के चीरे पर उपर से नीचे की और रगड़ा चूत के होंठो के बीच रगड़ते ही लौड़े का टोप्ला कामनी की चूत के पानी से भीग गया इसका मतलब अमन को अच्छे से पता था कि उसकी बुआ की चूत अंदर से भट्टी की तरह तप रही है।
"तैयार हो बुआ।
"बिल्कुल मेरे राजा जल्दी से कर।
"क्या करूँ बुआ।
अमन अब भी अपनी हरकतों से बाज़ नही आ रहा था।
"वो कर ना जो करने के लिए खड़ा है।
"क्या करना है बुआ साफ साफ बोलो वरना में कपड़े पहनता हूँ।
"नही नही वो कर ना अपने उस को मेरे अंदर।
"ठीक है में कपड़े पहन रहा हुँ।
"ओऊऊ कितना गंदा हो गया है तू कमीने बोलती हूँ सुन सिर्फ एक बार बोलूंगी।
"सुन रहा हूँ।
"मेरी च च चूत में अपना लौड़ा डाल कर च च चोद।
"आआह मेरी जान ये हुई ना बात तो ये लो।
अमन ने अपने लौड़े को चूत के छेंद पर लगाया और एक करारा झटका मारा जिससे एक ही बार मैं उसका आधा लौड़ा चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया।
"आआह मेरे लाल आराम से उईईईई रागनी भाभी कैसा सांड बेटा पैदा किया है आपने।
"अच्छा मम्मी को भी ले आई आप बीच मैं अब तो आपकी खेर नही।
अमन ने अपने लौड़े को कैप तक वापस खींच कर अबकी बार और ज़ोर का झटका मार कर अपने लौड़े को सीधा बुआ की बच्चेदानी से सटा दिया।
"उईईईई मम्मी आआह हाय मार डाला कुत्ते आराम से कर आआह आआह।
"अच्छा आपकी चूत तो ज़ोर ज़ोर से करने को बोल रही है और आप आराम से।लो बुआ लो अंदर और अंदर आआह।
अमन पर शायद इस बात का गुस्सा था कि बुआ ने उसे गाँड के लिए टाल दिया था इसलिए वो अपना पूरा गुस्सा कामनी की चूत पर निकाल रहा था।
"लो बुआ लो अपने भतीजे का लौड़ा अपनी चूत में मेरी रंडी बुआ आआह लो लो पूरा बच्चेदानी तक आआह है मेरी रंडी ले अपने यार का लौड़ा साली चुद्दो ले।
"आआह अमन आराम से फाड़ देगा क्या चूत को ओऊऊ मेरे लाल आराम से।
कामनी को अमन का ये जल्लाद रूप पसंद तो आ रहा था पर मज़े के साथ साथ उसको तेज़ झटकों से दर्द भी हो रहा था।वो बस ये सोंच रही थी कि अगर उसकी चूत सुखी होती तो क्या होता।
जब पूरी तरह से गीली चूत में अमन का लौड़ा पूरा फ़स कर अंदर बाहर हो रहा है।
अमन जैसे ही अंदर झटका मारता कामनी की चूत की बाहरी खाल भी उसके लंड के साथ अंदर की तरफ दबती और लौड़ा बाहर खींचते हुए चूत की अंदरूनी गुलाबी खाल भी बाहर की तरफ खिंचती।
अमन अपने दोनों हाथों से कामनी के गोल मटोल चूतड़ पकड़ कर दनादन उसकी चूत में अपने लौड़े को अंदर बाहर कर रहा था पूरे कमरे में कामनी की आआह और सिसकियां गूंज रही थी।
इस प्रकार की बलपूर्वक चुदाई कामनी के साथ पहली बार हो रही थी यंहा तक कि कभी उज़के पति ने भी उसको इस तरह कुतिया बना कर नही चोदा था।
"आआह मेरे लाल चोद मेरी चूत को अपने लंबे लौड़े से आआह ऊईईई उईईईई आआह आआह अमन आज तो तूने वाकई मुझे सीईईई रंडी बना डाला रे उईईईई मम्मी आआह आआह।
ताबड़तोड़ चुदाई ने कुछ ही देर में कामनी की चूत को झड़ने पर मजबूर कर दिया कामनी का पूरा जिस्म कांप रहा था पर अमन रुकने को तैयार ना था वो अपना लौड़ा लगातार झरती चूत में अंदर बाहर कर रहा था।
लंड चूत से बाहर आते हुए अपने साथ चूत का पानी भी खींच कर बाहर लाता पर अंदर जाते हुए चूत का छल्ला उस पानी को बाहर ही रोक लेता इस कारण घोड़ी की तरह झुकी कामनी की चूत से पानी ऐसे टपक रहा था जैसे टूटी खराब होकर टपकने लगती है।
"आआह अमन उईईईई रुक्क जा उईईईई सीईईई अब मुझसे सहन आआआई सहन नही हो रहा।
कामनी की चूत झरने के बाद काफी सेंसेटिव हो गई थी अब लंड के आवागमन से उसको अत्यधिक गुदगुदी हो रही थी जिसको बर्दाश्त करना अब कामनी के बस में ना था।
बार बार अंदर बाहर होता अमन का लौड़ा चूत के दाने को रगड़ जाता था जिसकी वजह से कामनी को बहुत तीर्व पेशाब आता महसूस हो रहा था पर अमन रुकने को तैयार ना था।
""सीईईई अमन रुक्क जा मेरे लाल उईईईई माँ मेरा पेशाब सीईईई निकल जायेगा उईईईई मेरे लाल आआह सीईईई।
पर अमन इस वक़्त कुछ भी सुनने को तैयार ना था वो लगातार अपने लौड़े को चूत में ठोक- जी ठीक पढ़ा आपने वो कामनी की चूत में लौड़ा ठोक ही रहा था और कामनी का पेशाब बस लबों पर आ गया था जब मसाने ने ज़्यादा ज़ोर मारा तो कामनी से बर्दाश्त ना हुआ वो जिस्म में बची कूची ताकत समेट कर आगे हुई।
और चूत से लौड़ा बाहर फिसलते ही कामनी की चूत से पेशाब की मोटी धार निकलकर सोफे को भिगोने लगी।
जिसको कामनी ने बहुत रोकने का प्रयास किया पर उसकी चूत पर उसका बस ना चला और झटकों के साथ पेशाब निकलता चला गया।
मज़ा तो तब आया जब अमन ने आगे बढ़कर फिरसे अपने लौड़े को चूत में ठोक दिया लौड़ा चूत में घुसते ही पेशाब की धार बंद हो गई अगले ही पल अमन ने लौड़ा चूत से वापस बाहर खींच लिया लंड के बाहर आते ही पेशाब की धार फिरसे निकलने लगी और सीधा अमन के खड़े लौड़े को भिगोने लगी।
अमन ने फिरसे लौड़ा चूत में भर दिया पेशाब फिरसे बंद हो गया बाहर निकलते ही पेशाब की धार फिरसे लौड़े को भिगोने लगी।
अमन बार बार यही किर्या दोहराता रहा जब तक कामनी की चूत से पेशाब निकलता रहा इस सब में कामनी के जिस्म को ऐसे झटके लग रहे थे जैसे उसने 440 वाल्ट के नंगे तारो को पकड़ लिया हो।
कामनी की टंकी खाली होते ही उसके जिस्म की सारी ताकत खत्म हो गई पर अमन के धक्के अभी भी जारी थे।
कामनी का जिस्म निढाल होकर अमन के हाथों में झूल रहा था जब अमन को अपने लौड़े में लावा उबलता हुआ महसूस हुआ उसने कस कस कर आखिरी कुछ झटके मारे और अपने लौड़े को बुआ की बच्चेदानी तक घुसेड़ कर अपना प्रेम-रस बुआ की चूत को अर्पित करने लगा।
लंड के खाली होते ही अमन के हाथों की पकड़ कामनी के चूतड़ों पर हल्की हुई और अमन भी बुआ के साथ साथ उसके जिस्म पर लुढ़कता चला गया।
दोस्तो आपकी प्रितिकिर्या लिखने का साहस देती है।
तो साथ बने रहे।और अपनी प्रितिकिर्या देते रहे।
wonderful update. Riya is also getting ready for fuck.कुछ देर और हल्की फुल्की बात होती रही फिर सब उठकर अपने अपने रूम की तरफ जाने लगे।
अब आगे-
सब लोग अपने अपने कमरों की तरफ बढ़ गए थे पर सबके मन में अपने अलग ही विचारों की आंधी आई पड़ी थी।
रागनी के मन में के ये विचार थे कि आज की रात को कैसे रंगीन बनाया जाए।
उधर अमन ये सोच कर खुश था कि उसने एक तीर से दो शिकार कर लिए थे।
अल्हड़ सोनम अपने भइय्या के द्वारा अपने आप को बचाने की वजह से खुश थी।
कामनी की आज अपने भतीजे के द्वारा दमदार चुदाई उसकी खुशी का कारण थी।
कोमल कल उस अजनबी का सामना करने के लिए अपने आप को तैयार कर रही थी।
और अंत में अपनी रिया जल्दी से रात होने का इंतज़ार कर रही थी।
दोस्तो अब इस राज़ के खुलने का टाइम आ गया है कि रागनी और राज की चुदाई जो साया छुप कर देख रहा था वो थी जासूस रिया।
जी हाँ इसलिए रागनी से ज़्यादा सबके सोने की जल्दी रिया को थी क्योंकि राज और रागनी तो अपने रूम में जाकर अपना काम शुरू कर सकते थे पर बेचारी रिया को तो खुले में खड़े होकर देखना था जंहा कभी भी कोई भी आ सकता था।
रिया की नज़र बार बार घड़ी की तरफ जा रही थी।
इधर रागनी ने रूम में आते ही अपने आप को बाथरूम में बंद कर लिया और तसल्ली से अपनी टंकी को खाली करने लगी जिसकी मधुर ध्वनि बाहर बैठे राज को भी सुनाई दे रही थी।
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राज ने उठकर बाथरूम का दरवाजा खोलने की कोशिश की पर वो अंदर से लॉक था वो मन मसोस कर दरवाज़े से कान लगाकर ही अपनी पत्नी की चूत से बजता वायलन सुनता रहा।
ब्लैडर में भरा पूरा गोल्डन पानी निकालने के बाद रागनी ने एक एक कर अपने सारे कपड़ो को अपने गोरे जिस्म से अलग कर दिया और पहले से बाथरूम में रखी गुलाबी रंग की नाइटी को अपने गोरे जिस्म पर पहन लिया टाइट नाइटी उसके गोरे जिस्म पर खूब जंच रही थी।
उसके दोनों बड़े स्तन उस झीने कपड़े की नाइटी में पूरे समा नही पा रहे थे आधे से ज़्यादा बाहर झांक रहे थे और जितने समा रहे थे पारदर्शी झीने कपड़े में वो भी आराम से देखे जा सकते थे।
उसने एक बार अपने आपको आदम-कद आईने में देखा हाय कयामत लग रही थी रागनी इतनी छोटी नाइटी में अपने आप को देखकर वो खुद शर्मा गई।
ये नाइटी उसको कोमल ने गिफ्ट की थी रागनी के काफी बार ना कहने पर भी कोमल नही मानी थी।
रागनी ने तो इसका साइज देखकर ही कोमल को ना कह दिया था।
पर कोमल ने ये कह कर की आप को घर में ही तो पहननी है और घर में तो सब घर वाले ही है कोई पराया थोड़ी है अपनी माँ को मना लिया था।
कोमल का दिया ये गिफ्ट काफी टाइम से रागनी ने कबर्ड में रख रखा था पर आज जब उसने कबर्ड की सफाई की तो इस नाइटी को उठाकर आज बाथरूम में रख दिया था और रात को अपने पति को खुश करने का पूरा इंतज़ाम कर लिया था।
शीशे के सामने घूम घूम कर रागनी ने अपने आप को चारों तरफ से देखा अपने आधे से ज़्यादा बाहर निकले पड़े स्तनों को देखकर ख़ुद अपने शरीर में गर्मी बढ़ने लगी और जब उसने घूम कर देखा तो जो हाल उज़के स्तनों का था वहीं हाल उसकी गदराई फैली हुई गाँड का था।
वो नाइटी उसकी कमर से थोड़ा सा नीचे आते ही खत्म हो गई थी जंहा से उसकी गाँड का ढाल शुरू होता था नाइटी मानो गाँड को छुपाने के लिए बनाई ही नही गई थी।बल्कि गाँड को ज़रा सा छुपा कर और भड़काऊ बनाने के लिए बनाई गई थी।
रागनी ने अपने आप को आखिरी बार आईने में देखा और अपने जिस्म पर नाइटी के ऊपर एक चादर लपेट ली जिसमे उसका पूरा जिस्म ढक गया।
धीमे से उसने बाथरूम का गेट खोला और बिना अपने पति पर नज़र डालें वो ड्रेसिंग के सामने जाकर बैठ गई और आंखों को काजल से सजा कर अपने होंठो पर हल्की गुलाबी लिपस्टिक को लगाया और हल्का फुल्का मेकअप कर के अपने आप को आईने में निहारने लगी।
अपने आप से संतुष्ट होकर उसने एक नज़र आईने में अपने पति राज को देखा।
राज अपने लैपटॉप में खोया हुआ था शायद ऑफिस का बचा काम पूरा कर रहा था।
रागनी अपना मेकअप करके उठी और जाकर सीधी राज के सामने खड़ी हो गई।
"हेलो पति देव आपको पता है आज क्या डेट है।
राज ने उसको एक नज़र देखा अपनी पत्नी को चादर में लिपटा देख उसने बुरा सा मुँह बनाया और हल्के से बोला।
"24 मार्च
"वो तो मुझे भी पता है पर आज स्पेशियल क्या है।
"राज लैपटॉप की स्क्रीन में नज़र गड़ाए ही बोला।
"आज क्या स्पेशियल होगा ये दिन तो हर साल आता है।
"ज़रा लैपटॉप से नज़र हटाओ और ध्यान दो पति-देव आज कुछ स्पेशियल है।
राज ने रागनी को नज़र उठाकर देखा।
"ओ शायद आज चादर डे है इसलिए तुम चादर लपेट कर आई हो।
राज की बात सुनकर रागनी को बहुत गुस्सा आया वो चादर लपेटे ही बिस्तर पर लेट गई और राज की तरफ से अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया।
और सोंचने लगी।
कोई इतना लापरवाह कैसे हो सकता है जो अपनी शादी की तारीख भूल जाय रागनी ने आज रात अपने पति को खुश करने के लिए क्या क्या तैयारी की थी।
उसने सुबह उठते ही पूरा घर साफ कर दिया था।
अपने पूरे रूम को अच्छे से साफ किया था सब पर्दे चादर बदल कर नई लगा दी थी उज़के बाद दोपहर तक ये सारा काम करके अपने आप को साफ किया अपनी चूत को अपने पति के लिए पूरा चिकना किया अपने जिस्म के सारे अनचाहे बालों को हटा दिया और खुलाब कि तरह खिल गई।
पर उसका पति उसको तो ये भी ध्यान नही है कि आज क्या है।
रागनी की आंखों में नमी आने लगी और सब कुछ सोंचते सोंचते वो अपने तकिए को भिगोने लगी।
धीरे धीरे उसकी सुबकियां राज के कानों तक पहुंची।
राज ने अपना लैपटॉप बंद किया और उठकर रूम में जलती लाइट को बंद किया और रूम से बाहर निकल गया।
ये सब देखकर रागनी की रुलाई फुट पड़ी और उसने अपने चेहरे को तकिए में घुसा दिया ताकि उसके रोने की आवाज़ कोई और न सुन सके।
राज 5 मिनट में रूम में आया और सपाट शब्दो में रागनी से बोला।
"सुनो ज़रा मेरे लिए मेरे लिए एक गिलास दूध ले आओगी।
रागनी ने अपनी सिसकियों को अपने मुँह में कैद किया और बिस्तर से उठकर रूम की लाइट जलाई।
और रूम का दरवाजा खोलकर चादर लपेटे हुए ही किचन मैं जाकर दूध गरम करने लगी।
उसे आज राज पर इतना गुस्सा आ रहा था जितना अपनी ज़िंदगी में शायद किसी पर ना आया हो।
दूध गरम करते हुए ही उसने सोंच लिया की अगर इनको याद नही है तो ठीक है में भी याद नही दिलाऊंगी।
और दूध देकर सीधा बिस्तर में जाकर सो जाऊंगी।
गरम दूध को उसने गिलास में किया और रूम में जाकर दरवाजा बंद किया और राज के हाथ में दूध का गिलास देकर लाइट बंद करने के लिए बढ़ी।तभी राज की आवाज़ सुनकर ठिठक गई।
"सुनो ज़रा टेबल पर से एक पैन-किलर और देदो।
रागनी टेबल की तरफ बढ़ गई और टेबल के पास जाते ही उसकी आंखे चमक उठी और पूरा शरीर खुशी से झूम उठा।
टेबल पर एक सुंदर गुलाबी केक रखा था जिसपर लिखा था हैप्पी एनिवर्सरी और एक दिल बना था जिसके अंदर राज और रागनी लिखा था।
उसने मुड़कर राज की तरफ देखा वो एक कमीनी हँसी हस रहा था रागनी दौड़कर उसके पास पहुंची और उसके सीने पर मुक्के मारने लगी।
"अरे अरे रुको दूध गिर जायेगा।
अमन ने दूध का गिलास साईड में रखा।
"मुझे इतना परेशान क्यों किया।
कामनी फिरसे उससे झगड़ने लगी और उसको इधर उधर प्यार से मारने लगी।
"उईईईई देखो तो मेरी जंगली बिल्ली का चेहरा है है है है।
राज ने बिस्तर से उठकर उसे अपनी बांहों में भर लिया और अपने मज़बूत हाथों से उसे उपर उठा लिया।
रागनी के हाथ-पैर अब भी चल रहे थे।
इतनी हाथा-पाई में रागनी के जिस्म पर बंधी चादर ढीली हो गई और जैसे ही उसे राज ने उसे नीचे उतारा वो चादर चिकनी नाइटी से फिसलकर ज़मीन पर गिर गई।
चादर के अंदर हज़ार बार अपने द्वारा नंगे देखे जिस्म को आज देखकर राज की आंखे चोंधिया गई।
"उफ्फ्फ रागनी तुम्हारी उम्र बढ़ रही है या घट रही है।
कितनी सुंदर हो तुम मेरी जान आज भी।
राज के मुँह से निकले शब्द रागनी के कानों में शहद घोलते चले गए।उसकी पूरे दिन की गई मेहनत अब जाकर रंग लाई थी।अपने पति के मुँह से अपनी तारीफ सुनकर रागनी को बहुत अच्छा लगा।
रागनी ने आगे बढ़कर राज के होंठो को चूम लिया।
"कितने कमीने हो तुम तुम्हे सब कुछ याद था तो फिर मुझे परेशान क्यों किया।
"हाय मेरी जान तुम्हारा रिएक्शन देखना चाहता था।
राज ने रागनी को अपने सीने से लगाते हुए कहा।
रागनी ने राज की टी-शर्ट को उपर करके निकाल कर उसको बिस्तर पर धक्का देकर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ कर बैठ गई।
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"तो क्या देखा तुमने।
रागनी ने सीधा सवाल किया।
राज ने अपने हाथों को उठाकर रागनी के गुदाज़ स्तनों को अपने हाथों में भींच कर कहा।
"मेने देखा कि मेरी जान मुझसे बहुत प्यार करती है।
"सीईईई आराम से साजन बहुत भारी हो रहे है ये।
और थैंक्स मुझे इतना प्यार देने के लिए।
रागनी अपनी नंगी गाँड को लोवर के ऊपर से ही राज के लंड पर रगड़ती हुई बोली।
"और तुमको भी थैंक्स मुझे इतना प्यारा गिफ्ट देने के लिए।
राज ने उसके दोनों चुचो को नाइटी से बाहर निकालते हुए कहा।
"ये तो तुम अपनी बेटी को थैंक्स बोलना उसी का गिफ्ट है ये।
रागनी ने राज का लोवर नीचे खींचा जिसमे राज ने अपनी गाँड को हवा में उठाकर निकालने में उसकी मदद की।
"मेरी कौनसी बेटी इतनी समझदार हो गई जो अपने मम्मी पापा की इन बातों का ध्यान रखने लगी।
राज ने रागनी के स्तन पकड़ कर अपनी तरफ खींचे जिससे रागनी की कमर झुकती चली गई और दोनों गुदाज़ स्तन राज के चेहरे के सामने आ गए राज ने एक लटकते हुए स्तन को अपने मुँह में भर लिया और दूसरे को अपने हाथ से दबाने लगा।
"उईईईई आराम से जानू ये तुम्हारी बड़ी बेटी कोमल का गिफ्ट है।
कोमल का नाम सुनते ही राज की आंखों में अपनी बेटी का भरावदार जिस्म घूम गया और उसको लगा कि रागनी की जगह उसकी बेटी कोमल उसके ऊपर झुक कर उसको अपना दूध पिला रही है।
राज के लंड ने एक तेज़ झटका लिया जिसकी चोट रागनी को अपने गुदा-द्वार पर महसूस हुई।
और अपने पति के दांतों की पकड़ को उसने अपने निप्पल पर बढ़ता महसूस किया।
"आआह आराम से जानू कंही निप्पल को उखाड़ मत देना उईईईई मम्मी सीईईई।
राज लगातार बदल बदल कर रागनी की गुदाज़ छातियों में से दूध निकालने का प्रयास कर रहा था लेकिन बच्चा होने के इतने समय के बाद ये मुमकिन ना था।अब तो रागनी के द्वारा जने हुए बच्चों की छातियां इतनी बड़ी हो गई थी कि उनसे दूध निकल जाये।
राज अच्छी तरह जानता था कि अगर फिरसे उसे रागनी के दूध का स्वाद चखना है तो पहले अपने लौड़े के दूध से रागनी की बच्चेदानी को भरना पड़ेगा तब कंही नो महीने में जाकर उसकी छातियों से दूध का रिसाव शुरू होगा।
पर कहते है ना मर्द ज़िद्दी होते है तो मर्द ज़ात की मर्यादा रखते हुए राज दूध निकालने के लिए लगातार रागनी के चुचो को कभी भींच रहा था कभी खींच रहा था कभी दबा रहा था कभी चूस रहा था।
जिसका परिणाम ये हुआ कि रागनी की छातियों से तो दूध नही निकला पर उसकी चूत से पानी टपकने लगा जो बून्द बून्द करके राज के झटके मारते लौड़े को भिगो कर चिकना कर रहा था।
बाहर खिड़की में खड़े दो जवान नैन ये सब नज़ारा देख कर खुश थे।
रिया ने अपने आप को अपने कमरे में रोकने की काफी कोशिश की।अपने मन को समझाया कि खतरा है कोई भी देख सकता है पर जवान जिस्म एक बार जो चुदाई देखी थी उसको अपने मन मस्तिष्क से निकाल नही पा रही थी।
आखिर अपनी चूत के आगे घुटने टेक कर अपने आप को फिर अपने मम्मी पापा की खिड़की तक ले आआई थी और शुरू से सारा नज़ारा देख रही थी।बस थोड़ा दूर होने के कारण मम्मी पापा के बीच होती बाते नही सुन पा रही थी।
"तो ये गिफ्ट कोमल ने दिया है मम्मी को काफी समझदार हो गई है हमारी बेटी।
राज ने दूसरे निप्पल को मुँह में भरते हुए कहा।
आम तौर पर राज छातियों को इतनी देर तक नही चूसता था पर आज कोमल का नाम आने से उसे अपने मुँह में भरा स्तन अपनी बड़ी बेटी कोमल का ही महसूस हो रहा था जो उसके जिस्म में चिंगारिया भर रहा था।
अपनी छातियों को इतना चूसे जाने से रागनी की चूत भी कावरी-बावरी हो रही थी अब उससे भी सबर नही हो रहा था।रागनी ने अपनी गाँड को उठाकर रॉकेट की नोक को अपनी चूत पर लगाया और अपनी कमर को नीचे दबाती चली गई।पत्थर की तरह सख्त हुए लौड़े को भी जब कच्ची ज़मीन महसूस हुई तो वो भी अंदर घुसता चला गया।
लौड़े के बिना बालो वाली चिकनी चूत में घुसते ही दोनों के मुँह से एक सुकून भारी सिसकी निकली।
राज के हाथ आटोमेटिक तरीके से रागनी की गाँड पर पहुंच गए निप्पल को मुँह में दबाए हुए ही राज ने अपने हाथों से रागनी की गाँड को नीचे की तरफ दबाया और अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछाला चूत के पानी में चिकना हुआ पड़ा लौड़ा दो तरफा दबाव के कारण रागनी की चूत में घुसता चला गया और तब जाकर
रुका जब राज के आंड रागनी की गाँड से चिपक गए।
लंड की चोट सीधी रागनी की बच्चेदानी पर पड़ी एक ही चोट ने रागनी के जिस्म को झटके खाने पर मजबूर कर दिया अगले ही पल अमन की उंगली रेंगती हुई रागनी को अपनी गाँड के छल्ले पर महसूस हुई।
जैसे ही रागनी ने अपनी गाँड को थोड़ा ऊपर उठाया खड़ा लौड़ा टोप्ले तक ही आया था कि राज ने अपनी उंगली को गाँड के छेंद में धकेला और अपनी कमर को उपर उछाला तीन तरफ से हमला रागनी को एक ही पल में जन्नत की सैर पर ले गया
चुचो पर गड़े राज के दाँत गाँड में घुसी उंगली और चूत को चीरता हुआ राज का मोटा बम्बू।
आज एनिवर्सरी की खुशी में राज फ्रंट-फुट पर खेल रहा था एक कदम आगे बढ़ कर।
अपनी बच्चेदानी पर अगले दो झटके पड़ते ही रागनी का जिस्म अकड़ता चला गया उसकी चूत ने लौड़े को ऐसा भींचा की जैसे अब कभी छोड़ेगी नही राज जैसे मज़बूत मर्द ने भी रागनी की चूत में होते संकुचन के आगे हथियार डाल दिये और एक बार पूरा लौड़ा बाहर खींचकर राज ने अपने लौड़े को झटके से पूरा चूत में घुसाया और अपना प्रेम रस चूत को अर्पित करने लगा।
बाहर खड़ी रिया की चूत भी अपने मम्मी पापा के इस गरम मिलन को बर्दाश्त ना कर पाई और खड़े खड़े उसके पैर भी कांपने लगे उसने अपनी चूत को अपनी जांघो में भींच लिया और खिड़की में लगी लोहे की जाली पकड़कर सहारा लिया और कुछ पल अपनी गाँड वंही खड़ी हिलाती रही।
चूत के पानी से पजामी को भिगोते ही रिया के पैरों ने और वंहा खड़े रहने से इनकार कर दिया और वो भागकर अपने रूम में पहुंच कर बिस्तर पर लेटकर लंबी लंबी सांस लेने लगी।
उसकी सांसे धौकनी की तरह चल रही थी ऐसा लगता था जैसे वो कई किलोमीटर दौड़ कर आई हो।
रिया ने एक तकिए को अपने सिर के नीचे लगाया और एक तकिए को अपनी जांघो मैं भींच कर लेट गए।
उसकी चूत की खुमारी ने कब उसे नींद में पहुंचा दिया उसको पता नही चला।
दोस्तो अपडेट कैसा लगा अपना कीमती समय निकालकर ज़रूर बताए।
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अब आगे-
सब लोग अपने अपने कमरों की तरफ बढ़ गए थे पर सबके मन में अपने अलग ही विचारों की आंधी आई पड़ी थी।
रागनी के मन में के ये विचार थे कि आज की रात को कैसे रंगीन बनाया जाए।
उधर अमन ये सोच कर खुश था कि उसने एक तीर से दो शिकार कर लिए थे।
अल्हड़ सोनम अपने भइय्या के द्वारा अपने आप को बचाने की वजह से खुश थी।
कामनी की आज अपने भतीजे के द्वारा दमदार चुदाई उसकी खुशी का कारण थी।
कोमल कल उस अजनबी का सामना करने के लिए अपने आप को तैयार कर रही थी।
और अंत में अपनी रिया जल्दी से रात होने का इंतज़ार कर रही थी।
दोस्तो अब इस राज़ के खुलने का टाइम आ गया है कि रागनी और राज की चुदाई जो साया छुप कर देख रहा था वो थी जासूस रिया।
जी हाँ इसलिए रागनी से ज़्यादा सबके सोने की जल्दी रिया को थी क्योंकि राज और रागनी तो अपने रूम में जाकर अपना काम शुरू कर सकते थे पर बेचारी रिया को तो खुले में खड़े होकर देखना था जंहा कभी भी कोई भी आ सकता था।
रिया की नज़र बार बार घड़ी की तरफ जा रही थी।
इधर रागनी ने रूम में आते ही अपने आप को बाथरूम में बंद कर लिया और तसल्ली से अपनी टंकी को खाली करने लगी जिसकी मधुर ध्वनि बाहर बैठे राज को भी सुनाई दे रही थी।
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राज ने उठकर बाथरूम का दरवाजा खोलने की कोशिश की पर वो अंदर से लॉक था वो मन मसोस कर दरवाज़े से कान लगाकर ही अपनी पत्नी की चूत से बजता वायलन सुनता रहा।
ब्लैडर में भरा पूरा गोल्डन पानी निकालने के बाद रागनी ने एक एक कर अपने सारे कपड़ो को अपने गोरे जिस्म से अलग कर दिया और पहले से बाथरूम में रखी गुलाबी रंग की नाइटी को अपने गोरे जिस्म पर पहन लिया टाइट नाइटी उसके गोरे जिस्म पर खूब जंच रही थी।
उसके दोनों बड़े स्तन उस झीने कपड़े की नाइटी में पूरे समा नही पा रहे थे आधे से ज़्यादा बाहर झांक रहे थे और जितने समा रहे थे पारदर्शी झीने कपड़े में वो भी आराम से देखे जा सकते थे।
उसने एक बार अपने आपको आदम-कद आईने में देखा हाय कयामत लग रही थी रागनी इतनी छोटी नाइटी में अपने आप को देखकर वो खुद शर्मा गई।
ये नाइटी उसको कोमल ने गिफ्ट की थी रागनी के काफी बार ना कहने पर भी कोमल नही मानी थी।
रागनी ने तो इसका साइज देखकर ही कोमल को ना कह दिया था।
पर कोमल ने ये कह कर की आप को घर में ही तो पहननी है और घर में तो सब घर वाले ही है कोई पराया थोड़ी है अपनी माँ को मना लिया था।
कोमल का दिया ये गिफ्ट काफी टाइम से रागनी ने कबर्ड में रख रखा था पर आज जब उसने कबर्ड की सफाई की तो इस नाइटी को उठाकर आज बाथरूम में रख दिया था और रात को अपने पति को खुश करने का पूरा इंतज़ाम कर लिया था।
शीशे के सामने घूम घूम कर रागनी ने अपने आप को चारों तरफ से देखा अपने आधे से ज़्यादा बाहर निकले पड़े स्तनों को देखकर ख़ुद अपने शरीर में गर्मी बढ़ने लगी और जब उसने घूम कर देखा तो जो हाल उज़के स्तनों का था वहीं हाल उसकी गदराई फैली हुई गाँड का था।
वो नाइटी उसकी कमर से थोड़ा सा नीचे आते ही खत्म हो गई थी जंहा से उसकी गाँड का ढाल शुरू होता था नाइटी मानो गाँड को छुपाने के लिए बनाई ही नही गई थी।बल्कि गाँड को ज़रा सा छुपा कर और भड़काऊ बनाने के लिए बनाई गई थी।
रागनी ने अपने आप को आखिरी बार आईने में देखा और अपने जिस्म पर नाइटी के ऊपर एक चादर लपेट ली जिसमे उसका पूरा जिस्म ढक गया।
धीमे से उसने बाथरूम का गेट खोला और बिना अपने पति पर नज़र डालें वो ड्रेसिंग के सामने जाकर बैठ गई और आंखों को काजल से सजा कर अपने होंठो पर हल्की गुलाबी लिपस्टिक को लगाया और हल्का फुल्का मेकअप कर के अपने आप को आईने में निहारने लगी।
अपने आप से संतुष्ट होकर उसने एक नज़र आईने में अपने पति राज को देखा।
राज अपने लैपटॉप में खोया हुआ था शायद ऑफिस का बचा काम पूरा कर रहा था।
रागनी अपना मेकअप करके उठी और जाकर सीधी राज के सामने खड़ी हो गई।
"हेलो पति देव आपको पता है आज क्या डेट है।
राज ने उसको एक नज़र देखा अपनी पत्नी को चादर में लिपटा देख उसने बुरा सा मुँह बनाया और हल्के से बोला।
"24 मार्च
"वो तो मुझे भी पता है पर आज स्पेशियल क्या है।
"राज लैपटॉप की स्क्रीन में नज़र गड़ाए ही बोला।
"आज क्या स्पेशियल होगा ये दिन तो हर साल आता है।
"ज़रा लैपटॉप से नज़र हटाओ और ध्यान दो पति-देव आज कुछ स्पेशियल है।
राज ने रागनी को नज़र उठाकर देखा।
"ओ शायद आज चादर डे है इसलिए तुम चादर लपेट कर आई हो।
राज की बात सुनकर रागनी को बहुत गुस्सा आया वो चादर लपेटे ही बिस्तर पर लेट गई और राज की तरफ से अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया।
और सोंचने लगी।
कोई इतना लापरवाह कैसे हो सकता है जो अपनी शादी की तारीख भूल जाय रागनी ने आज रात अपने पति को खुश करने के लिए क्या क्या तैयारी की थी।
उसने सुबह उठते ही पूरा घर साफ कर दिया था।
अपने पूरे रूम को अच्छे से साफ किया था सब पर्दे चादर बदल कर नई लगा दी थी उज़के बाद दोपहर तक ये सारा काम करके अपने आप को साफ किया अपनी चूत को अपने पति के लिए पूरा चिकना किया अपने जिस्म के सारे अनचाहे बालों को हटा दिया और खुलाब कि तरह खिल गई।
पर उसका पति उसको तो ये भी ध्यान नही है कि आज क्या है।
रागनी की आंखों में नमी आने लगी और सब कुछ सोंचते सोंचते वो अपने तकिए को भिगोने लगी।
धीरे धीरे उसकी सुबकियां राज के कानों तक पहुंची।
राज ने अपना लैपटॉप बंद किया और उठकर रूम में जलती लाइट को बंद किया और रूम से बाहर निकल गया।
ये सब देखकर रागनी की रुलाई फुट पड़ी और उसने अपने चेहरे को तकिए में घुसा दिया ताकि उसके रोने की आवाज़ कोई और न सुन सके।
राज 5 मिनट में रूम में आया और सपाट शब्दो में रागनी से बोला।
"सुनो ज़रा मेरे लिए मेरे लिए एक गिलास दूध ले आओगी।
रागनी ने अपनी सिसकियों को अपने मुँह में कैद किया और बिस्तर से उठकर रूम की लाइट जलाई।
और रूम का दरवाजा खोलकर चादर लपेटे हुए ही किचन मैं जाकर दूध गरम करने लगी।
उसे आज राज पर इतना गुस्सा आ रहा था जितना अपनी ज़िंदगी में शायद किसी पर ना आया हो।
दूध गरम करते हुए ही उसने सोंच लिया की अगर इनको याद नही है तो ठीक है में भी याद नही दिलाऊंगी।
और दूध देकर सीधा बिस्तर में जाकर सो जाऊंगी।
गरम दूध को उसने गिलास में किया और रूम में जाकर दरवाजा बंद किया और राज के हाथ में दूध का गिलास देकर लाइट बंद करने के लिए बढ़ी।तभी राज की आवाज़ सुनकर ठिठक गई।
"सुनो ज़रा टेबल पर से एक पैन-किलर और देदो।
रागनी टेबल की तरफ बढ़ गई और टेबल के पास जाते ही उसकी आंखे चमक उठी और पूरा शरीर खुशी से झूम उठा।
टेबल पर एक सुंदर गुलाबी केक रखा था जिसपर लिखा था हैप्पी एनिवर्सरी और एक दिल बना था जिसके अंदर राज और रागनी लिखा था।
उसने मुड़कर राज की तरफ देखा वो एक कमीनी हँसी हस रहा था रागनी दौड़कर उसके पास पहुंची और उसके सीने पर मुक्के मारने लगी।
"अरे अरे रुको दूध गिर जायेगा।
अमन ने दूध का गिलास साईड में रखा।
"मुझे इतना परेशान क्यों किया।
कामनी फिरसे उससे झगड़ने लगी और उसको इधर उधर प्यार से मारने लगी।
"उईईईई देखो तो मेरी जंगली बिल्ली का चेहरा है है है है।
राज ने बिस्तर से उठकर उसे अपनी बांहों में भर लिया और अपने मज़बूत हाथों से उसे उपर उठा लिया।
रागनी के हाथ-पैर अब भी चल रहे थे।
इतनी हाथा-पाई में रागनी के जिस्म पर बंधी चादर ढीली हो गई और जैसे ही उसे राज ने उसे नीचे उतारा वो चादर चिकनी नाइटी से फिसलकर ज़मीन पर गिर गई।
चादर के अंदर हज़ार बार अपने द्वारा नंगे देखे जिस्म को आज देखकर राज की आंखे चोंधिया गई।
"उफ्फ्फ रागनी तुम्हारी उम्र बढ़ रही है या घट रही है।
कितनी सुंदर हो तुम मेरी जान आज भी।
राज के मुँह से निकले शब्द रागनी के कानों में शहद घोलते चले गए।उसकी पूरे दिन की गई मेहनत अब जाकर रंग लाई थी।अपने पति के मुँह से अपनी तारीफ सुनकर रागनी को बहुत अच्छा लगा।
रागनी ने आगे बढ़कर राज के होंठो को चूम लिया।
"कितने कमीने हो तुम तुम्हे सब कुछ याद था तो फिर मुझे परेशान क्यों किया।
"हाय मेरी जान तुम्हारा रिएक्शन देखना चाहता था।
राज ने रागनी को अपने सीने से लगाते हुए कहा।
रागनी ने राज की टी-शर्ट को उपर करके निकाल कर उसको बिस्तर पर धक्का देकर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ कर बैठ गई।
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"तो क्या देखा तुमने।
रागनी ने सीधा सवाल किया।
राज ने अपने हाथों को उठाकर रागनी के गुदाज़ स्तनों को अपने हाथों में भींच कर कहा।
"मेने देखा कि मेरी जान मुझसे बहुत प्यार करती है।
"सीईईई आराम से साजन बहुत भारी हो रहे है ये।
और थैंक्स मुझे इतना प्यार देने के लिए।
रागनी अपनी नंगी गाँड को लोवर के ऊपर से ही राज के लंड पर रगड़ती हुई बोली।
"और तुमको भी थैंक्स मुझे इतना प्यारा गिफ्ट देने के लिए।
राज ने उसके दोनों चुचो को नाइटी से बाहर निकालते हुए कहा।
"ये तो तुम अपनी बेटी को थैंक्स बोलना उसी का गिफ्ट है ये।
रागनी ने राज का लोवर नीचे खींचा जिसमे राज ने अपनी गाँड को हवा में उठाकर निकालने में उसकी मदद की।
"मेरी कौनसी बेटी इतनी समझदार हो गई जो अपने मम्मी पापा की इन बातों का ध्यान रखने लगी।
राज ने रागनी के स्तन पकड़ कर अपनी तरफ खींचे जिससे रागनी की कमर झुकती चली गई और दोनों गुदाज़ स्तन राज के चेहरे के सामने आ गए राज ने एक लटकते हुए स्तन को अपने मुँह में भर लिया और दूसरे को अपने हाथ से दबाने लगा।
"उईईईई आराम से जानू ये तुम्हारी बड़ी बेटी कोमल का गिफ्ट है।
कोमल का नाम सुनते ही राज की आंखों में अपनी बेटी का भरावदार जिस्म घूम गया और उसको लगा कि रागनी की जगह उसकी बेटी कोमल उसके ऊपर झुक कर उसको अपना दूध पिला रही है।
राज के लंड ने एक तेज़ झटका लिया जिसकी चोट रागनी को अपने गुदा-द्वार पर महसूस हुई।
और अपने पति के दांतों की पकड़ को उसने अपने निप्पल पर बढ़ता महसूस किया।
"आआह आराम से जानू कंही निप्पल को उखाड़ मत देना उईईईई मम्मी सीईईई।
राज लगातार बदल बदल कर रागनी की गुदाज़ छातियों में से दूध निकालने का प्रयास कर रहा था लेकिन बच्चा होने के इतने समय के बाद ये मुमकिन ना था।अब तो रागनी के द्वारा जने हुए बच्चों की छातियां इतनी बड़ी हो गई थी कि उनसे दूध निकल जाये।
राज अच्छी तरह जानता था कि अगर फिरसे उसे रागनी के दूध का स्वाद चखना है तो पहले अपने लौड़े के दूध से रागनी की बच्चेदानी को भरना पड़ेगा तब कंही नो महीने में जाकर उसकी छातियों से दूध का रिसाव शुरू होगा।
पर कहते है ना मर्द ज़िद्दी होते है तो मर्द ज़ात की मर्यादा रखते हुए राज दूध निकालने के लिए लगातार रागनी के चुचो को कभी भींच रहा था कभी खींच रहा था कभी दबा रहा था कभी चूस रहा था।
जिसका परिणाम ये हुआ कि रागनी की छातियों से तो दूध नही निकला पर उसकी चूत से पानी टपकने लगा जो बून्द बून्द करके राज के झटके मारते लौड़े को भिगो कर चिकना कर रहा था।
बाहर खिड़की में खड़े दो जवान नैन ये सब नज़ारा देख कर खुश थे।
रिया ने अपने आप को अपने कमरे में रोकने की काफी कोशिश की।अपने मन को समझाया कि खतरा है कोई भी देख सकता है पर जवान जिस्म एक बार जो चुदाई देखी थी उसको अपने मन मस्तिष्क से निकाल नही पा रही थी।
आखिर अपनी चूत के आगे घुटने टेक कर अपने आप को फिर अपने मम्मी पापा की खिड़की तक ले आआई थी और शुरू से सारा नज़ारा देख रही थी।बस थोड़ा दूर होने के कारण मम्मी पापा के बीच होती बाते नही सुन पा रही थी।
"तो ये गिफ्ट कोमल ने दिया है मम्मी को काफी समझदार हो गई है हमारी बेटी।
राज ने दूसरे निप्पल को मुँह में भरते हुए कहा।
आम तौर पर राज छातियों को इतनी देर तक नही चूसता था पर आज कोमल का नाम आने से उसे अपने मुँह में भरा स्तन अपनी बड़ी बेटी कोमल का ही महसूस हो रहा था जो उसके जिस्म में चिंगारिया भर रहा था।
अपनी छातियों को इतना चूसे जाने से रागनी की चूत भी कावरी-बावरी हो रही थी अब उससे भी सबर नही हो रहा था।रागनी ने अपनी गाँड को उठाकर रॉकेट की नोक को अपनी चूत पर लगाया और अपनी कमर को नीचे दबाती चली गई।पत्थर की तरह सख्त हुए लौड़े को भी जब कच्ची ज़मीन महसूस हुई तो वो भी अंदर घुसता चला गया।
लौड़े के बिना बालो वाली चिकनी चूत में घुसते ही दोनों के मुँह से एक सुकून भारी सिसकी निकली।
राज के हाथ आटोमेटिक तरीके से रागनी की गाँड पर पहुंच गए निप्पल को मुँह में दबाए हुए ही राज ने अपने हाथों से रागनी की गाँड को नीचे की तरफ दबाया और अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछाला चूत के पानी में चिकना हुआ पड़ा लौड़ा दो तरफा दबाव के कारण रागनी की चूत में घुसता चला गया और तब जाकर
रुका जब राज के आंड रागनी की गाँड से चिपक गए।
लंड की चोट सीधी रागनी की बच्चेदानी पर पड़ी एक ही चोट ने रागनी के जिस्म को झटके खाने पर मजबूर कर दिया अगले ही पल अमन की उंगली रेंगती हुई रागनी को अपनी गाँड के छल्ले पर महसूस हुई।
जैसे ही रागनी ने अपनी गाँड को थोड़ा ऊपर उठाया खड़ा लौड़ा टोप्ले तक ही आया था कि राज ने अपनी उंगली को गाँड के छेंद में धकेला और अपनी कमर को उपर उछाला तीन तरफ से हमला रागनी को एक ही पल में जन्नत की सैर पर ले गया
चुचो पर गड़े राज के दाँत गाँड में घुसी उंगली और चूत को चीरता हुआ राज का मोटा बम्बू।
आज एनिवर्सरी की खुशी में राज फ्रंट-फुट पर खेल रहा था एक कदम आगे बढ़ कर।
अपनी बच्चेदानी पर अगले दो झटके पड़ते ही रागनी का जिस्म अकड़ता चला गया उसकी चूत ने लौड़े को ऐसा भींचा की जैसे अब कभी छोड़ेगी नही राज जैसे मज़बूत मर्द ने भी रागनी की चूत में होते संकुचन के आगे हथियार डाल दिये और एक बार पूरा लौड़ा बाहर खींचकर राज ने अपने लौड़े को झटके से पूरा चूत में घुसाया और अपना प्रेम रस चूत को अर्पित करने लगा।
बाहर खड़ी रिया की चूत भी अपने मम्मी पापा के इस गरम मिलन को बर्दाश्त ना कर पाई और खड़े खड़े उसके पैर भी कांपने लगे उसने अपनी चूत को अपनी जांघो में भींच लिया और खिड़की में लगी लोहे की जाली पकड़कर सहारा लिया और कुछ पल अपनी गाँड वंही खड़ी हिलाती रही।
चूत के पानी से पजामी को भिगोते ही रिया के पैरों ने और वंहा खड़े रहने से इनकार कर दिया और वो भागकर अपने रूम में पहुंच कर बिस्तर पर लेटकर लंबी लंबी सांस लेने लगी।
उसकी सांसे धौकनी की तरह चल रही थी ऐसा लगता था जैसे वो कई किलोमीटर दौड़ कर आई हो।
रिया ने एक तकिए को अपने सिर के नीचे लगाया और एक तकिए को अपनी जांघो मैं भींच कर लेट गए।
उसकी चूत की खुमारी ने कब उसे नींद में पहुंचा दिया उसको पता नही चला।
दोस्तो अपडेट कैसा लगा अपना कीमती समय निकालकर ज़रूर बताए।
bahut hi mast update. Komal ne apni seal Aman ke liye bacha ke rakhi hai.समी का विकराल लिँग देखते ही कोमल की आंखे बड़ी हो गई उसकी आंखों के सामने सुबह का नज़ारा घूम गया समी का लिंग भी बिल्कुल अमन के जैसा ही था कोमल के हाथ के गट्टे की बराबर मोटा और लंबा।
"हाय समीर कितना खतरनाक है तुम्हारा क्या खिलाते हो इसको।
"अरे खतरनाक कहाँ है देखो तो कितना प्यारा है।
"तुम इसे प्यारा बोल रहे हो ये तो हालात खराब कर देगा।
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"शायद हालात तो खराब कर दी है इसने।
समीर ने कोमल की जांघों के बीच से झांकती उसकी भीगी हुई लेगिंग को देखते हुए कहा।
समीर की नज़रों का पीछे करती हुई कोमल की आंखे जब अपनी लेगिंग पर पड़ी तो वो शर्म से पानी पानी हो गई।
उसकी लेगिंग अपनी ही चूत के पानी में पूरी भीगी हुई थी और लेगिंग का कपड़ा उसकी चूत के होंठो के बीच फसा हुआ था।
चूत के पानी से भीगने के कारण लेगिंग का पतला से कपड़ा पारदर्शी हो गया था जिसमे से कोमल की चूत पूरी नंगी दिख रही थी।और पानी का धब्बा पल पल बढ़ता ही जा रहा था।
कोमल की चूत से पानी लगातार निकल रहा था जिसको रोकना उसके बस में नही था।
उसको रोकने के लिए अब उसकी चूत में कोई मोटी चीज़ ही ठोकनी पड़ती।
जो उसकी आँखों के सामने थी पर उसका साइज कोमल के मन में डर पैदा कर रहा था।
क्योंकि अपनी चूत का आकार उसको बहुत अच्छे से मालूम था और आंखों के सामने झूलते लंड को देख उसकी गाँड़ फटी जा रही थी।
"कोमल ऊपर देखो ना।
समीर ने गुज़ारिश की।
"उनहु।
कोमल ने अपनी गर्दन को इनकार में हिलाया।
"देखो तो सही।
समीर ने फिरसे गुज़ारिश की।
कोमल ने अपनी आंखों को ऊपर उठाया तो सबसे पहले उसकी आँखों को फिरसे उसे विकराल लिंग के दर्शन सबसे पहले हुए।
लिंग को देखकर उसने अपनी आंखों को समीर के चेहरे की तरफ देखा।
"कोमल अगर तुम नही चाहती तो रहने दो अभी तुम कम्फर्ट नही हो।
"नही।
बस इतना ही कह पाई कोमल
"ठीक है फिर रहने देते है।
समीर ने घुटनो में पड़ी अपनी पेंट को ऊपर चढ़ा लिया।
लंड के पेंट में छुपते ही कोमल ने समीर के बटन बंद करते हाथ को रोक लिया।
"पागल मेरे कहने का मतलब था मैं कम्फर्ट हूँ।
बाहर निकालो इसको।
कोमल ने पैंट के ऊपर से ही लंड पर हाथ फेरते हुए कहा।
समीर ने अपनी पैंट को वापस नीचे कर दिया।उसका फन फनाता हुआ लोड़ा फिरसे खुली हवा में झूलने लगा।
कोमल ने उसको अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया।
कोमल की मुठ्ठी का घेरा उसको पूरा पकड़ पाने में असफल था उसने दूसरा हाथ भी लगाकर उसको दोनों हाथों में थाम लिया।
अपने हाथों से समी के लंड को आगे पीछे हिलाने लगी।
अपने लंड पर कोमल के कोमल हाथों का स्पर्श समी को मदहोश करने लगा।
"उफ्फ्फ कोमल कितने मुलायम हाथ है तुम्हारे ऐसे ही हिलाओ मेरे लौड़े को मेरी जान।
कोमल के हाथों में समी का लोड़ा था पर उसके दिमाग में अभी भी अमन ही घूम रहा था सुबह सुबह छत की तरफ देखता उसके भाई का लोड़ा।
"ओऊह अमन कितना टाइट है तेरा लंड।
कोमल के मुँह से निकले अल्फ़ाज़ को समी ने सुन लिया था पर अभी वो कोमल से इस बारे में बात नही करना चाहता था।वो नही चाहता था कि कोमल के हाथों से मिलता सुख बंद हो जाये।
"कोमल अमन के लंड को प्यार नही करोगी।
समी ने सही समय पर एक कदम निकाल कर शॉट खेला था जिसका असर उसे तुरंत देखने को मिला।
कोमल को लगा जैसे उसका छोटा भाई उससे अपने लंड को प्यार करने को बोल रहा है।
कोमल नीचे घुटनो पर बैठी थी और उसकी आँखों के सामने उसके हाथों में अठखेलिया करता लौड़ा था उसे फर्क नही पड़ रहा था कि लौड़ा किसका है बस उसका दिमाग और कुछ कुछ समी उसको संकेत दे रहे थे कि उसके सामने उसके भाई का लौड़ा है जो उसके दिल में घर कर गया था।
सुबह जिसको देखकर उसने जाने कैसे कैसे सपने देख लिए थे।
समी ने अपने लौड़े को थोड़ा आगे को धकेला तो लौड़े का कैप कोमल के होंठो को छू गया।
जिसको कोमल ने अपने होंठो को खोल कर सहर्ष स्वीकार कर लिया।
कोमल के लिसलिसे होंठो को अपने लौड़े के कैप पर महसूस करते ही समी की सिसकारी निकलती चली गई।
"सीईईईई कोमल ऐसे ही मेरी जान पूरा लेलो अपने मुँह में मेरा लौड़ा।
कोमल ने अपने लिप्स को गोल किया और समी के लंबे लौड़े का पहाड़ी आलू जैसा मोटा सुपाड़ा अपने होंठो में कैद कर लिया और अपनी जीभ से उसको चाटना शुरू कर दिया।
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जैसे ही कोमल की जीभ ने अपना काम करना शुरू किया समी का लौड़ा और फूलता चला गया उसके हाथ कोमल के बालों में चले गए और उसने अपना मुंह ऊपर उठकर भेड़िये की तरह गुर्राहट निकाली।
"आआह आआह कोमल ऐसे ही अपनी जीभ को लंड के होल में डालो।
कोमल ने अपनी जीभ की नोक से लंड के पी-होल को कुरेदना शुरू कर दिया वो अपनी जीभ की नोक बनाकर उसको लौड़े के छेंद में घुसाने की कोशिश कर रही थी।
ये लम्हा हर लड़के को हिला कर रख देता है जब कोई अपनी जीभ को पी-होल में डालने की कोशिश करे।
पेशाब का छेंद स्त्री पुरुष का सबसे संवेदन शील हिस्सा होता है।
इस सब में सबसे मज़े की बात ये थी कि कोमल बिल्कुल वैसा ही करती जाती थी जैसे समी उसको बोल रहा था।
अब ये अमन की दीवानगी का असर था या लंड की चाहत।
कोमल की जीभ के हमलों को समी अब और बर्दाश्त नही कर सकता था उसने कोमल के मुँह से लंड निकाल लिया।
मुँह से लौड़ा निकलते ही कोमल का चेहरा देखने काबिल था।जैसे किसी बच्चे के मुँह से लॉलीपॉप छीन ली गई हो बिल्कुल ऐसा ही चेहरा बना हुआ था कोमल का।
समी ने कोमल को कंधों से पकड़ कर ऊपर उठाया और कोमल के होंठो पर लिथड़ा अपना प्रिकम देख कर उसको ऐसा नशा चढ़ा की उसने अपने तपते होंठो को कोमल के भीगे होंठो से जोड़ दिया काफी देर तक वो कोमल के होंठो को चूसता रहा कोमल भी इस किर्या में उसका पूरा साथ दे रही थी।
"कोमल एक मिनट रुको तुम्हारे कपड़े गंदे हो जायँगे।
अगर चाहो तो निकाल दो।
समी इतना बोलकर अपने कपड़े निकालने लगा।कोमल उसी की और देख रही थी।
कुछ ही पलों में समी कोमल के सामने पूरा मादरजात नंगा खड़ा था।
समी का कसरती बदन देख कर कोमल की आंखे चमकने लगी।उसका बाहर की तरफ निकला चौड़ा सीना कोमल को सबसे ज़्यादा लुभा रहा था।
"क्या हुआ कोमल तुमने कपड़े नही निकाले देखो यंहा इधर उधर मोबिल लगा होगा अगर कपड़ो पर लगेगा तो कपड़े गंदे हो जायँगे।
समी की बात कोमल को सही लगी उसने अपने सिर को नीचे कर कुरती के कॉलर को पकड़ा और अपने हाथों को ऊपर उठाकर उसको अपने सर् से निकालती चली गई पर छातियों पर आते ही कुरती फंस गई गुदाज़ छातियों से कुरती को निकालने में कोमल को थोड़ी परेशानी हुई।
अब कोमल सिर्फ ब्रा और पतली सी लेगिंग में समी के सामने थी।समी अपने आंखे फाड़े कोमल की ब्रा में कैद गुदाज़ छातियों को निहार रहा था जो ब्रा के कोनो से बाहर को छलकी पड़ी थी और छातियों की गहरी लाइन समी के दिल पर छुरिया चला रही थी।
थोड़ा सा उभरा हुआ पेट और गहरी नाभि उसके नीचे पतली सी लेगिंग उसकी भीगी चूत को छुपाने में नाकाम साबित हो रही थी कोमल की गदराई चूत अपना पूरा उभार दिखा रही थी चूत के ऊपर का प्यूबिक एरिया भी चूत के पानी से भीग कर लगभग नंगा ही नज़र आ रहा था।
अपने सामने कोमल की उफनती जवानी देख समी का हलक सूखने लगा।
और लौड़े से बूंद बनकर पानी टपकने लगा।ऐसा लगता था कि हलक का पानी लंड से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था।
"सीईईईई कोमल मेरी जान इनको भी निकाल दो ना।
समी कोमल के बाकी कपड़ो की तरफ इशारा करते हुए बोला।
"उनहु ये तुम निकालो।
कोमल सर् झुकाकर बोली।
कोमल की मर्ज़ी सुनकर समी उसकी तरफ बढ़ा और अपने चौड़े सीने को उसकी गुदाज़ छातियों में दबाकर अपने हाथों को पीछे उसकी कमर तक ले गया और उसकी फैशनेबल ब्रा के हुक को पकड़ कर खोल दिया।
ब्रा के हुक खुलते ही कोमल की छातियों का साइज और भी बढ़ गया पर उसकी ब्रा अभी भी उसकी गुदाज़ छातियों पर टिकी थी क्योंकि समी का चौड़ा सीना उसको बीच में भीचे हुए था।समी को पता था कि उसके पीछे होते ही कोमल के मदमस्त उन्नत उरोज़ बिल्कुल नंगे होंगे।
धीरे धीरे समी के हाथ कोमल की नंगी पीठ पर घूमते हुए नीचे की तरफ आने लगे।समी के हाथ जैसे ही कोमल की गाँड़ के उभार तक पहुंचे कोमल के जिस्म में झुरझुरी सी फैल गई उसने अपने हाथों को समी के कमर से बांध दिया और कसकर अपनी छातियों को समी के चौड़े सीने से चिपका दिया।
समी ने आसानी से अपने हाथों को इलास्टिक वाली लेगिंग के अंदर घुसा दिया और कोमल के दोनों चूतड़ अपने हाथों में पकड़ कर भींच लिए।
"उईईई आराम से अमन।
ये दूसरी बार था जब समी अमन का नाम सुन रहा था।
उनको कंही न कंही बुरा भी लग रहा था पर अभी वो पहली मुलाकात में ही बात खराब नही करना चाहता था।
कोमल की सीत्कार और अमन के नाम का जाप समी को गुस्सा दिला रहा था इसलिए कोमल के आराम से करने को बोलने का असर उसपर उल्टा हुआ और समी के हाथों में दबे मुलायम चूतड़ पर उसके हाथों की पकड़ और भी बढ़ गई।
"उईईई माँ आराम से दबाओ दर्द होता है।
हालांकि कोमल को अपने जिस्म पर पर-पुरुष स्पर्श अति-उत्साहित करने वाला था पर समी के बेदर्दी से चलते हाथों से उसको दर्द भी महसूस हो रहा था।
समी के हाथ अब लेगिंग के इलास्टिक को पकड़ कर नीचे खींच रहे थे।कुछ ही पलों मैं लेगिंग का नर्म मुलायम कपड़ा कोमल की गाँड़ से नीचे था अब समी के हाथों को रोकने वाला आखरी वस्त्र भी कोमल की गाँड़ से नीचे था।
समी ने नंगी गाँड़ के दोनों पाटो को पकड़ कर विपरीत दिशा में फैलाया और अपनी उंगली को बीच की दरार में डालने लगा।
उफ्फ्फ कोमल की गाँड़ की गहराई में मानो भट्टी जल रही हो समी को अपनी उंगली पिघलती हुई महसूस हुई।
धीरे धीरे समी गाँड़ की गहराई को अपनी उंगली से कुरेदता रहा और कुछ ही पलों में उसको वो द्वार मिल गया जंहा उसकी उंगली पहुंचना चाहती थी।
बिल्कुल मध्य में दो बड़े पहाड़ो के बीच की खाई कोमल का गुदा-द्वार जो बेहद गर्म और मुलायम था।
अपनी गाँड़ के छिद्र पर उंगली का एहसास होते ही कोमल का सिर अपने आप ऊपर होता चला गया और उसने अपनी आंखों से समी की आंखों में देखा।
कोमल के गुलाबी लिप्स देखते ही समी ने अपने प्यासे लबों को कोमल के भीगे लबो से जोड़ दिया।
दोनों के बीच बात ना कि बराबर हो रही थी पर दोनों ही एक दूसरे को पूरी तरह समझ रहे थे।
दोनों ही एक दूसरे के जिस्म की चाहत को समझ रहे थे।
कोमल की लेगिंग से उसकी चूत और गाँड़ अब आज़ाद थी।
दोनों की सांस जब फूलने लगी तो उन्होंने एक दूसरे के होंठो को छोड़ा।
अब कोमल को अपने और समीर के बीच फसी पड़ी ब्रा भी बुरी लग रही थी।
वो कुछ पल को समीर से अलग हुई और उसके भारी गुदाज़ उरोज़ समीर की छाती से अलग होते ही कोमल की ब्रा सीधी नीचे गिरने लगी जो समीर के पैरों के बीच खड़े खूंटे पर टंग गई।
जिसे देखकर दोनों को ही हँसी आ गई।कोमल ने समीर से अलग होकर अपने पैरों से चिपकी लेगिंग को भी निकाल दिया अब कोमल भी समीर की तरह पूरी नंगी थी।
कोमल से अलग होकर अब समीर की आंखे उस के नंगे जिस्म का मुआयना कर रही थी।
कोमल पूरी तरह एक गदराई हुई जवान लड़की थी दो भारी स्तन उसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा रहे थे।
स्तनों के भारी होने की वजह से उसके पेट पर आई चर्बी भी कम महसूस होती थी थोड़े से उभरे पेट पर गहरी नाभि बिल्कुल ऐसी प्रतीत होती थी जैसे 4-5 बार चुद चुका गाँड़ का छल्ला उसके नीचे आरंभ होता था उसका प्यूबिक एरिया जो काफी उभरा हुआ था।
और प्यूबिक एरिया खत्म होते होते शुरू हो जाता था उसकी चूत का कटाव जिसके लिप्स भारी थे जैसे सूजे हुए हो पैरों के आपस में मिलने की वजह से चूत का उभार और भी बढ़ जाता था।
चूत के लिप्स गदराए हुए होने के कारण दोनों लिप्स बिल्कुल एक दूसरे से चिपके हुए थे।
जैसे दो प्रेमियों का जोड़ा आपस में चिपक जाता है।
चूत से निकला पानी उसकी चूत को और भी चमकदार बना रहा था।
गदराई हुई चूत ऐसी प्रतीत होती थी जैसे दो प्रेमियों के चुम्बन करते होंठ आपस में चिपके हो।
"कोमल ज़रा पीछे घूमो न।
कोमल समी का इशारा अच्छे से समझ गई थी कि वो उसकी जानमारु गाँड़ देखना चाहता है।
पल भर में समी की आंखों के सामने दो विशाल पहाड़ थे।
और समी जानता था कि इन विशाल पहाड़ो को चीर कर उसके छिद्र तक जाने के लिए एक विशाल लंड की ही ज़रूरत थी।
कोमल भी जानती थी अपनी गदराई गाँड़ के बारे में पर वो ये भी जानती थी कि ऐसे लंबे लंड समीर और अमन दोनों के पास थे।
उसको पूरा यकीन था कि उसकी गाँड़ के छिद्र तक दोनों ही अपना लौड़ा आसानी से पहुंचा सकते थे।
अभी समीर कोमल की गाँड़ की गहराई में ही खोया हुआ था कि कोमल ने चुटकी बजाई।
"जनाब इतना टाइम नही है अपने पास।
समीर की आंखे तुरंत दीवार घड़ी की तरफ गई।
कोमल को आये 50 मिनट हो चुके थे और अब तक वो उसके हुस्न के दीदार में ही खोया था।
समीर आगे बढ़ा और उसने फिर एक बार कोमल को अपने गले लगा लिया।बस फर्क इतना था कि इस बार कोमल भी समीर की तरह मादरजात नंगी थी।
दोनों के नंगे जिस्म आपस में मिले तो चिंगारियां निकलने लगी।जहाँ कोमल के हाथ समीर की कमर पर घूम रहे रहे वंही समीर के हाथ कोमल की गाँड़ का भूगोल नाप रहे थे।
"उफ्फ्फ कोमल कितनी सॉफ्ट है तुम्हारी बम।
"उनहु ऐसे नही हिंदी में बोलो।मुझे प्राइवेट पार्ट्स के हिंदी नाम पसंद है देसी भाषा में फिलिंग आती है।
"ठीक है मैडम फिर ये ना कहना कितने गंदे हो।
"बिल्कुल नही कहूंगी।
"कोमल तुम्हारी गाँड़ बहुत सॉफ्ट और चिकनी है।
"और।
"और तुम्हारे दूध भी बहुत मस्त है।
"और।
"और तुम्हारी चूत आआह कितनी प्यारी है बिल्कुल छोटी बच्ची के जैसी गदराई हुई।
समी ने एक हाथ से चूत को मसलते हुए कहा।
"उईईई प्यार से।क्या तुम्हें पसंद आई मेरी।
"मुझे क्या हर किसी को पसंद आएगी।
पर पूरा बोलो मेरी क्या?
"उनहु मुझे शर्म आती है।
"ऐसे नही चलेगा पूरी नंगी मेरी बाँहो में होकर भी शर्मा रही हो और मुझसे तो हिंदी में सबकुछ बोलने को बोल रही हो।
चलो जल्दी से बोलो मुझे सुन न है तुम्हारे मुँह से इसका नाम।
समी कोमल की चूत को भींच कर बोला।
"उईईई मेरी च च चूत।
आया मज़ा।
"आआह मेरी जान कितना प्यारा लग रहा तुम्हारे मुँह से।
फिरसे बोलो।
"ऐसे ही मसल डालो मेरी चूत को अमन।
कोमल समीर की बाँहो में थी पर उसका माइंड अभी भी अमन को ही याद कर रहा था।
"ये लो मेरी जान।
समीर के हाथ की स्पीड बढ़ गई वो लगातार उसकी चूत को रगड़ रहा था।
कोमल की चूत से निकला पानी समीर की पूरी सहायता कर रहा था।
"उईईई ससससस ऐसे ही ज़ोर से मेरे प्यारे भाई।
ऐसे ही रगड़ो अपनी बहन की चूत।
चूत की मस्ती में कोमल भूल गई कि वो अपने भाई की नही समीर की बाँहो में है।
पर समीर एक ही पल में समझ गया कि कोमल अपने भाई पर फिदा है।अब वो भी कोमल के साथ उसके रंग में रंग गया।
"ये लो दीदी अपने भाई को भी मज़ा दो।
समीर ने कोमल का हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर रख दिया।जैसे कोमल को बस यही तो चाहिए था।वो लंड को पकड़ कर अपने हाथ से उसकी लंबाई और मोटाई को महसूस करने लगी।
और मन ही मन सोचने लगी कि इतना मोटा और लंबा लोड़ा उसकी चूत और गाँड़ के छोटे से छेंद मैं जायेगा कैसे।
पर कहावत है ना।
व्हाट इस डिफरेंट बिटवीन शूज़ एंड चूत।
शूज़ एक्सेप्ट ओनली वन साइज।
बट चूत एक्सेप्ट आल।
समीर अब आगे बढ़ना चाहता था उसने अपनी गर्दन झुका कर कोमल के स्तन को अपने होंठो में भर लिया और अपने दोनों हाथों से कोमल के गदराए जोबन दबाने शुरू कर दिए।
समीर के हाथ चूत से हटते ही कोमल मायूस हो गई थी पर अगले ही पल अपने जोबन दबाए जाने से फिरसे किलकारियां मारने लगी।
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"आआह सीईईईई आराम से काटो नही।
"उम्म आज अपने भाई को रोको नही कोमल दीदी।
आआह कितना मीठा है आपका दूध दीदी।
समीर कोमल को हसीन सपने से बाहर नही निकलने देना चाहता था।
"उईईई अमन मेरे भाई पूरा दूध तुम्हारे लिए है दीदी का पर आराम से चूसो होंठो से दाँतो से नही काटो।
काफी देर तक समीर कोमल के दूध बदल बदल कर चूसता रहा फिर वो उसके पेट को प्यार करता हुआ अपने घुटनों पर बैठता चला गया।
अब उसके सामने कोमल का अनमोल खज़ाना था उसकी महकती भीगी चूत।
जिसको उसने कल ही चिकना कर लिया था।
कुछ देर तो समीर उसकी खूबसूरत चूत को निहारता रहा फिर उसने अपनी जीभ निकाल कर उस मलाई से भरी हांडी के ढकन पर लगाई और उसको सपड़ सपड़ चाटना शुरू कर दिया।
कोमल के लिए ये मज़ा बिल्कुल नया था समीर की जीभ अपनी चूत के नाज़ुक लबों पर महसूस करके उसका पूरा बदन कांपने लगा।
"आआह आआह उईईई अमन ऐसे ही चाट खा जा मेरी चूत को।
समीर को जबसे मालूम हुआ था कि अमन कोमल का भाई है तबसे उसको कोमल के मुंह से निकलता अमन का नाम बुरा नही लग रहा था।।
समीर ने अपने हाथों को भी काम पर लगा दिया उसने अपने हाथ से कोमल की चूत के नाज़ुक लिप्स को फैलाया और उसकी चूत के दाने को (क्लिटोरिओस)
को अपनी जीभ से चाटने लगा।
अपनी चूत के दाने पर ये वार कोमल बर्दाश्त ना कर पाई खड़े खड़े उसके पैर कांपने लगे।
उसने समीर के बालों को पकड़ कर उसके मुँह को अपनी चूत पर पूरी ताकत से दबाया और अपनी चूत के अमृत से उसका स्नान करवाने लगी।
"आआह आआह अमन मेरे यार मेरे भाई ये ले अपनी दीदी की चूत का अमृत पी जा पूरा।
झड़ते हुए कोमल और भी जाने क्या क्या बड़बड़ाती रही पर समीर तो बस कोमल की चूत से निकलती मलाई चाटने में व्यस्त था।पूरी तरह अपनी चूत का जूस अपने यार को पिलाने के बाद कोमल को महसूस हुआ कि अब उसके पैर उसका और साथ नही दे सकते वो खड़े खड़े ही ज़मीन पर गिरने लगी पर समीर ने उसको अपनी बाँहो में उठाकर सीट पर बैठाया।
कोमल अपनी आंखें बंद किया अपनी कमर को सीट पर टिकाए अपने ओर्गास्म के मज़े में खोई थी।
तभी उसको अपनी चूत पर किसी सख्त चीज़ का एहसास हुआ।
अपनी आंखें खोलते ही उसे अपने सामने खड़ा समीर नज़र आया जो अपने लंबे मूसल को उसकी चूत के लिप्स पर सेट कर चुका था बस एक करारा धक्का लगते ही उसकी कौमार्य झिल्ली को फाड़ता हुआ समीर का लोड़ा उसकी चूत में प्रवेश कर जाना था।
"रुको।
"क्या हुआ कोमल।
"प्लीज् रुक जाओ में अभी इसके लिए तैयार नही हुँ।
"अरे इसके लिए क्या तैयार होना बस धक्का लगते ही अंदर चला जायेगा थोड़ा सा दर्द होगा फिर मज़ा ही मज़ा है।
"नही समीर अभी नही में कुछ करती हूँ आपके लिए।
कोमल उसके लौड़े की हालत समझ रही थी और उसकी सख्ती को अपनी चूत पर भी महसूस कर रही रही थी पर उसका दिल कुछ और बोल रहा था।
वो ऐसे किसी को भी अपना कौमार्य नही दे सकती थी।जिसको वो ये तोहफा देना चाहती थी वो कोई और ही था।
"हटो न मुझे उठने तो दो।
कोमल ने नरम आवाज़ में कहा।
समीर की समझ में ये लड़की नही आ रही थी पर वो एक खुद्दार लड़का था वो किसी भी लड़की के साथ जबरदस्ती करने वालो में से नही था।वो अपना खड़ा लौड़ा लेकर कोमल की चूत से दूर हो गया।
कोमल उठकर बैठ गई और समीर की मायूस आंखों में देखकर बोली।
"सॉरी समीर में अभी ये नही कर सकती।
पर तुमने मुझे जो मज़ा दिया है में उसको तुम्हे वापस करने की पूरी कोशिश करूंगी।
इतना बोल कर कोमल समीर के गुस्साए लौड़े को अपने हाथ से पकड़ लेती है।
और धीरे धीरे अपनी जीभ निकाल कर लंड के कैप की तरफ बढ़ती है।
लंड पर चमक रही प्रिकम कि बूंद पर वो अपनी जीभ लगा देती है और जब पीछे हटती है तो बूंद का धागा उसकी जीभ और लंड के बीच नज़र आने लगता है।
"आआह कोमल बस कुछ करदो इसका अब दर्द कर रहा है।।
कोमल समीर की हालत समझ गई थी उसने फिरसे अपनी जीभ को कैप पर लगाया और टिप पर चमक रहे प्रिकम को चाट गई।
"सीईईईई ऐसे ही खा जाओ इसको।
अब कोमल की जीभ पूरे लौड़े को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी।
"आआह अंदर लो ना जान।तुम्हारे भाई अमन का लोड़ा तुम्हारे मुंह में जाना चाहता है।
समीर ने चाल चली।और कोमल पर अमन का नाम कुछ ज़्यादा ही हावी था।
कोमल ने अपने होंठो को गोल किया और पूरे कैप को अपने मुँह में भर लिया।
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"आआह ऐसे ही दीदी चाट अपनी जीभ से अपने भाई का लौड़ा।
कोमल ने धीरे धीरे जितना हो सकता था समीर के लौड़े को अपने हलक तक जगह दी और फिर एक जबरदस्त ब्लोवजोब देकर उसको चरम तक ले आई।
"आआह दीदी क्या मस्त चुस्ती हो ऐसे ही बस आने वाला है तेरा भाई आआह आआह आआह
लौड़े से निकली गाढ़ी वीर्ये की पहली पिचकारी कोमल के मुंह में गई और बाकी उसने अपने गुदाज़ स्तनों पर निकलवाई
कोमल का चेहरा स्तन और जाँघे सब वीर्ये से भीग गए थे कोमल को ध्यान आया कि ये वही वीर्ये है जिसको वो कल अपनी पैंटी से चाट रही थी।
वो वीर्ये को अपने स्तनों से उठा उठा कर अपनी जीभ के हवाले करने लगी कुछ ही देर में वो प्यासी बिल्ली अपने जिस्म पर लगा सारा वीर्ये चाट गई थी।
अब वो और ज़्यादा देर यंहा नही रुक सकती थी उसका मन उसको बोल रहा था कि जो भी हुआ था सब गलत था पर ये भी सच था कि उसको मज़ा भी बहुत आया था।
वो अपने कपड़े पहन कर एक नज़र साइड में बैठे समीर की और देखती है और अपने बालों को ठीक करती हुई बाहर निकल जाती है।
bahut hi mast update. Komal ne apni seal Aman ke liye bacha ke rakhi hai.समी का विकराल लिँग देखते ही कोमल की आंखे बड़ी हो गई उसकी आंखों के सामने सुबह का नज़ारा घूम गया समी का लिंग भी बिल्कुल अमन के जैसा ही था कोमल के हाथ के गट्टे की बराबर मोटा और लंबा।
"हाय समीर कितना खतरनाक है तुम्हारा क्या खिलाते हो इसको।
"अरे खतरनाक कहाँ है देखो तो कितना प्यारा है।
"तुम इसे प्यारा बोल रहे हो ये तो हालात खराब कर देगा।
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"शायद हालात तो खराब कर दी है इसने।
समीर ने कोमल की जांघों के बीच से झांकती उसकी भीगी हुई लेगिंग को देखते हुए कहा।
समीर की नज़रों का पीछे करती हुई कोमल की आंखे जब अपनी लेगिंग पर पड़ी तो वो शर्म से पानी पानी हो गई।
उसकी लेगिंग अपनी ही चूत के पानी में पूरी भीगी हुई थी और लेगिंग का कपड़ा उसकी चूत के होंठो के बीच फसा हुआ था।
चूत के पानी से भीगने के कारण लेगिंग का पतला से कपड़ा पारदर्शी हो गया था जिसमे से कोमल की चूत पूरी नंगी दिख रही थी।और पानी का धब्बा पल पल बढ़ता ही जा रहा था।
कोमल की चूत से पानी लगातार निकल रहा था जिसको रोकना उसके बस में नही था।
उसको रोकने के लिए अब उसकी चूत में कोई मोटी चीज़ ही ठोकनी पड़ती।
जो उसकी आँखों के सामने थी पर उसका साइज कोमल के मन में डर पैदा कर रहा था।
क्योंकि अपनी चूत का आकार उसको बहुत अच्छे से मालूम था और आंखों के सामने झूलते लंड को देख उसकी गाँड़ फटी जा रही थी।
"कोमल ऊपर देखो ना।
समीर ने गुज़ारिश की।
"उनहु।
कोमल ने अपनी गर्दन को इनकार में हिलाया।
"देखो तो सही।
समीर ने फिरसे गुज़ारिश की।
कोमल ने अपनी आंखों को ऊपर उठाया तो सबसे पहले उसकी आँखों को फिरसे उसे विकराल लिंग के दर्शन सबसे पहले हुए।
लिंग को देखकर उसने अपनी आंखों को समीर के चेहरे की तरफ देखा।
"कोमल अगर तुम नही चाहती तो रहने दो अभी तुम कम्फर्ट नही हो।
"नही।
बस इतना ही कह पाई कोमल
"ठीक है फिर रहने देते है।
समीर ने घुटनो में पड़ी अपनी पेंट को ऊपर चढ़ा लिया।
लंड के पेंट में छुपते ही कोमल ने समीर के बटन बंद करते हाथ को रोक लिया।
"पागल मेरे कहने का मतलब था मैं कम्फर्ट हूँ।
बाहर निकालो इसको।
कोमल ने पैंट के ऊपर से ही लंड पर हाथ फेरते हुए कहा।
समीर ने अपनी पैंट को वापस नीचे कर दिया।उसका फन फनाता हुआ लोड़ा फिरसे खुली हवा में झूलने लगा।
कोमल ने उसको अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया।
कोमल की मुठ्ठी का घेरा उसको पूरा पकड़ पाने में असफल था उसने दूसरा हाथ भी लगाकर उसको दोनों हाथों में थाम लिया।
अपने हाथों से समी के लंड को आगे पीछे हिलाने लगी।
अपने लंड पर कोमल के कोमल हाथों का स्पर्श समी को मदहोश करने लगा।
"उफ्फ्फ कोमल कितने मुलायम हाथ है तुम्हारे ऐसे ही हिलाओ मेरे लौड़े को मेरी जान।
कोमल के हाथों में समी का लोड़ा था पर उसके दिमाग में अभी भी अमन ही घूम रहा था सुबह सुबह छत की तरफ देखता उसके भाई का लोड़ा।
"ओऊह अमन कितना टाइट है तेरा लंड।
कोमल के मुँह से निकले अल्फ़ाज़ को समी ने सुन लिया था पर अभी वो कोमल से इस बारे में बात नही करना चाहता था।वो नही चाहता था कि कोमल के हाथों से मिलता सुख बंद हो जाये।
"कोमल अमन के लंड को प्यार नही करोगी।
समी ने सही समय पर एक कदम निकाल कर शॉट खेला था जिसका असर उसे तुरंत देखने को मिला।
कोमल को लगा जैसे उसका छोटा भाई उससे अपने लंड को प्यार करने को बोल रहा है।
कोमल नीचे घुटनो पर बैठी थी और उसकी आँखों के सामने उसके हाथों में अठखेलिया करता लौड़ा था उसे फर्क नही पड़ रहा था कि लौड़ा किसका है बस उसका दिमाग और कुछ कुछ समी उसको संकेत दे रहे थे कि उसके सामने उसके भाई का लौड़ा है जो उसके दिल में घर कर गया था।
सुबह जिसको देखकर उसने जाने कैसे कैसे सपने देख लिए थे।
समी ने अपने लौड़े को थोड़ा आगे को धकेला तो लौड़े का कैप कोमल के होंठो को छू गया।
जिसको कोमल ने अपने होंठो को खोल कर सहर्ष स्वीकार कर लिया।
कोमल के लिसलिसे होंठो को अपने लौड़े के कैप पर महसूस करते ही समी की सिसकारी निकलती चली गई।
"सीईईईई कोमल ऐसे ही मेरी जान पूरा लेलो अपने मुँह में मेरा लौड़ा।
कोमल ने अपने लिप्स को गोल किया और समी के लंबे लौड़े का पहाड़ी आलू जैसा मोटा सुपाड़ा अपने होंठो में कैद कर लिया और अपनी जीभ से उसको चाटना शुरू कर दिया।
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जैसे ही कोमल की जीभ ने अपना काम करना शुरू किया समी का लौड़ा और फूलता चला गया उसके हाथ कोमल के बालों में चले गए और उसने अपना मुंह ऊपर उठकर भेड़िये की तरह गुर्राहट निकाली।
"आआह आआह कोमल ऐसे ही अपनी जीभ को लंड के होल में डालो।
कोमल ने अपनी जीभ की नोक से लंड के पी-होल को कुरेदना शुरू कर दिया वो अपनी जीभ की नोक बनाकर उसको लौड़े के छेंद में घुसाने की कोशिश कर रही थी।
ये लम्हा हर लड़के को हिला कर रख देता है जब कोई अपनी जीभ को पी-होल में डालने की कोशिश करे।
पेशाब का छेंद स्त्री पुरुष का सबसे संवेदन शील हिस्सा होता है।
इस सब में सबसे मज़े की बात ये थी कि कोमल बिल्कुल वैसा ही करती जाती थी जैसे समी उसको बोल रहा था।
अब ये अमन की दीवानगी का असर था या लंड की चाहत।
कोमल की जीभ के हमलों को समी अब और बर्दाश्त नही कर सकता था उसने कोमल के मुँह से लंड निकाल लिया।
मुँह से लौड़ा निकलते ही कोमल का चेहरा देखने काबिल था।जैसे किसी बच्चे के मुँह से लॉलीपॉप छीन ली गई हो बिल्कुल ऐसा ही चेहरा बना हुआ था कोमल का।
समी ने कोमल को कंधों से पकड़ कर ऊपर उठाया और कोमल के होंठो पर लिथड़ा अपना प्रिकम देख कर उसको ऐसा नशा चढ़ा की उसने अपने तपते होंठो को कोमल के भीगे होंठो से जोड़ दिया काफी देर तक वो कोमल के होंठो को चूसता रहा कोमल भी इस किर्या में उसका पूरा साथ दे रही थी।
"कोमल एक मिनट रुको तुम्हारे कपड़े गंदे हो जायँगे।
अगर चाहो तो निकाल दो।
समी इतना बोलकर अपने कपड़े निकालने लगा।कोमल उसी की और देख रही थी।
कुछ ही पलों में समी कोमल के सामने पूरा मादरजात नंगा खड़ा था।
समी का कसरती बदन देख कर कोमल की आंखे चमकने लगी।उसका बाहर की तरफ निकला चौड़ा सीना कोमल को सबसे ज़्यादा लुभा रहा था।
"क्या हुआ कोमल तुमने कपड़े नही निकाले देखो यंहा इधर उधर मोबिल लगा होगा अगर कपड़ो पर लगेगा तो कपड़े गंदे हो जायँगे।
समी की बात कोमल को सही लगी उसने अपने सिर को नीचे कर कुरती के कॉलर को पकड़ा और अपने हाथों को ऊपर उठाकर उसको अपने सर् से निकालती चली गई पर छातियों पर आते ही कुरती फंस गई गुदाज़ छातियों से कुरती को निकालने में कोमल को थोड़ी परेशानी हुई।
अब कोमल सिर्फ ब्रा और पतली सी लेगिंग में समी के सामने थी।समी अपने आंखे फाड़े कोमल की ब्रा में कैद गुदाज़ छातियों को निहार रहा था जो ब्रा के कोनो से बाहर को छलकी पड़ी थी और छातियों की गहरी लाइन समी के दिल पर छुरिया चला रही थी।
थोड़ा सा उभरा हुआ पेट और गहरी नाभि उसके नीचे पतली सी लेगिंग उसकी भीगी चूत को छुपाने में नाकाम साबित हो रही थी कोमल की गदराई चूत अपना पूरा उभार दिखा रही थी चूत के ऊपर का प्यूबिक एरिया भी चूत के पानी से भीग कर लगभग नंगा ही नज़र आ रहा था।
अपने सामने कोमल की उफनती जवानी देख समी का हलक सूखने लगा।
और लौड़े से बूंद बनकर पानी टपकने लगा।ऐसा लगता था कि हलक का पानी लंड से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था।
"सीईईईई कोमल मेरी जान इनको भी निकाल दो ना।
समी कोमल के बाकी कपड़ो की तरफ इशारा करते हुए बोला।
"उनहु ये तुम निकालो।
कोमल सर् झुकाकर बोली।
कोमल की मर्ज़ी सुनकर समी उसकी तरफ बढ़ा और अपने चौड़े सीने को उसकी गुदाज़ छातियों में दबाकर अपने हाथों को पीछे उसकी कमर तक ले गया और उसकी फैशनेबल ब्रा के हुक को पकड़ कर खोल दिया।
ब्रा के हुक खुलते ही कोमल की छातियों का साइज और भी बढ़ गया पर उसकी ब्रा अभी भी उसकी गुदाज़ छातियों पर टिकी थी क्योंकि समी का चौड़ा सीना उसको बीच में भीचे हुए था।समी को पता था कि उसके पीछे होते ही कोमल के मदमस्त उन्नत उरोज़ बिल्कुल नंगे होंगे।
धीरे धीरे समी के हाथ कोमल की नंगी पीठ पर घूमते हुए नीचे की तरफ आने लगे।समी के हाथ जैसे ही कोमल की गाँड़ के उभार तक पहुंचे कोमल के जिस्म में झुरझुरी सी फैल गई उसने अपने हाथों को समी के कमर से बांध दिया और कसकर अपनी छातियों को समी के चौड़े सीने से चिपका दिया।
समी ने आसानी से अपने हाथों को इलास्टिक वाली लेगिंग के अंदर घुसा दिया और कोमल के दोनों चूतड़ अपने हाथों में पकड़ कर भींच लिए।
"उईईई आराम से अमन।
ये दूसरी बार था जब समी अमन का नाम सुन रहा था।
उनको कंही न कंही बुरा भी लग रहा था पर अभी वो पहली मुलाकात में ही बात खराब नही करना चाहता था।
कोमल की सीत्कार और अमन के नाम का जाप समी को गुस्सा दिला रहा था इसलिए कोमल के आराम से करने को बोलने का असर उसपर उल्टा हुआ और समी के हाथों में दबे मुलायम चूतड़ पर उसके हाथों की पकड़ और भी बढ़ गई।
"उईईई माँ आराम से दबाओ दर्द होता है।
हालांकि कोमल को अपने जिस्म पर पर-पुरुष स्पर्श अति-उत्साहित करने वाला था पर समी के बेदर्दी से चलते हाथों से उसको दर्द भी महसूस हो रहा था।
समी के हाथ अब लेगिंग के इलास्टिक को पकड़ कर नीचे खींच रहे थे।कुछ ही पलों मैं लेगिंग का नर्म मुलायम कपड़ा कोमल की गाँड़ से नीचे था अब समी के हाथों को रोकने वाला आखरी वस्त्र भी कोमल की गाँड़ से नीचे था।
समी ने नंगी गाँड़ के दोनों पाटो को पकड़ कर विपरीत दिशा में फैलाया और अपनी उंगली को बीच की दरार में डालने लगा।
उफ्फ्फ कोमल की गाँड़ की गहराई में मानो भट्टी जल रही हो समी को अपनी उंगली पिघलती हुई महसूस हुई।
धीरे धीरे समी गाँड़ की गहराई को अपनी उंगली से कुरेदता रहा और कुछ ही पलों में उसको वो द्वार मिल गया जंहा उसकी उंगली पहुंचना चाहती थी।
बिल्कुल मध्य में दो बड़े पहाड़ो के बीच की खाई कोमल का गुदा-द्वार जो बेहद गर्म और मुलायम था।
अपनी गाँड़ के छिद्र पर उंगली का एहसास होते ही कोमल का सिर अपने आप ऊपर होता चला गया और उसने अपनी आंखों से समी की आंखों में देखा।
कोमल के गुलाबी लिप्स देखते ही समी ने अपने प्यासे लबों को कोमल के भीगे लबो से जोड़ दिया।
दोनों के बीच बात ना कि बराबर हो रही थी पर दोनों ही एक दूसरे को पूरी तरह समझ रहे थे।
दोनों ही एक दूसरे के जिस्म की चाहत को समझ रहे थे।
कोमल की लेगिंग से उसकी चूत और गाँड़ अब आज़ाद थी।
दोनों की सांस जब फूलने लगी तो उन्होंने एक दूसरे के होंठो को छोड़ा।
अब कोमल को अपने और समीर के बीच फसी पड़ी ब्रा भी बुरी लग रही थी।
वो कुछ पल को समीर से अलग हुई और उसके भारी गुदाज़ उरोज़ समीर की छाती से अलग होते ही कोमल की ब्रा सीधी नीचे गिरने लगी जो समीर के पैरों के बीच खड़े खूंटे पर टंग गई।
जिसे देखकर दोनों को ही हँसी आ गई।कोमल ने समीर से अलग होकर अपने पैरों से चिपकी लेगिंग को भी निकाल दिया अब कोमल भी समीर की तरह पूरी नंगी थी।
कोमल से अलग होकर अब समीर की आंखे उस के नंगे जिस्म का मुआयना कर रही थी।
कोमल पूरी तरह एक गदराई हुई जवान लड़की थी दो भारी स्तन उसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा रहे थे।
स्तनों के भारी होने की वजह से उसके पेट पर आई चर्बी भी कम महसूस होती थी थोड़े से उभरे पेट पर गहरी नाभि बिल्कुल ऐसी प्रतीत होती थी जैसे 4-5 बार चुद चुका गाँड़ का छल्ला उसके नीचे आरंभ होता था उसका प्यूबिक एरिया जो काफी उभरा हुआ था।
और प्यूबिक एरिया खत्म होते होते शुरू हो जाता था उसकी चूत का कटाव जिसके लिप्स भारी थे जैसे सूजे हुए हो पैरों के आपस में मिलने की वजह से चूत का उभार और भी बढ़ जाता था।
चूत के लिप्स गदराए हुए होने के कारण दोनों लिप्स बिल्कुल एक दूसरे से चिपके हुए थे।
जैसे दो प्रेमियों का जोड़ा आपस में चिपक जाता है।
चूत से निकला पानी उसकी चूत को और भी चमकदार बना रहा था।
गदराई हुई चूत ऐसी प्रतीत होती थी जैसे दो प्रेमियों के चुम्बन करते होंठ आपस में चिपके हो।
"कोमल ज़रा पीछे घूमो न।
कोमल समी का इशारा अच्छे से समझ गई थी कि वो उसकी जानमारु गाँड़ देखना चाहता है।
पल भर में समी की आंखों के सामने दो विशाल पहाड़ थे।
और समी जानता था कि इन विशाल पहाड़ो को चीर कर उसके छिद्र तक जाने के लिए एक विशाल लंड की ही ज़रूरत थी।
कोमल भी जानती थी अपनी गदराई गाँड़ के बारे में पर वो ये भी जानती थी कि ऐसे लंबे लंड समीर और अमन दोनों के पास थे।
उसको पूरा यकीन था कि उसकी गाँड़ के छिद्र तक दोनों ही अपना लौड़ा आसानी से पहुंचा सकते थे।
अभी समीर कोमल की गाँड़ की गहराई में ही खोया हुआ था कि कोमल ने चुटकी बजाई।
"जनाब इतना टाइम नही है अपने पास।
समीर की आंखे तुरंत दीवार घड़ी की तरफ गई।
कोमल को आये 50 मिनट हो चुके थे और अब तक वो उसके हुस्न के दीदार में ही खोया था।
समीर आगे बढ़ा और उसने फिर एक बार कोमल को अपने गले लगा लिया।बस फर्क इतना था कि इस बार कोमल भी समीर की तरह मादरजात नंगी थी।
दोनों के नंगे जिस्म आपस में मिले तो चिंगारियां निकलने लगी।जहाँ कोमल के हाथ समीर की कमर पर घूम रहे रहे वंही समीर के हाथ कोमल की गाँड़ का भूगोल नाप रहे थे।
"उफ्फ्फ कोमल कितनी सॉफ्ट है तुम्हारी बम।
"उनहु ऐसे नही हिंदी में बोलो।मुझे प्राइवेट पार्ट्स के हिंदी नाम पसंद है देसी भाषा में फिलिंग आती है।
"ठीक है मैडम फिर ये ना कहना कितने गंदे हो।
"बिल्कुल नही कहूंगी।
"कोमल तुम्हारी गाँड़ बहुत सॉफ्ट और चिकनी है।
"और।
"और तुम्हारे दूध भी बहुत मस्त है।
"और।
"और तुम्हारी चूत आआह कितनी प्यारी है बिल्कुल छोटी बच्ची के जैसी गदराई हुई।
समी ने एक हाथ से चूत को मसलते हुए कहा।
"उईईई प्यार से।क्या तुम्हें पसंद आई मेरी।
"मुझे क्या हर किसी को पसंद आएगी।
पर पूरा बोलो मेरी क्या?
"उनहु मुझे शर्म आती है।
"ऐसे नही चलेगा पूरी नंगी मेरी बाँहो में होकर भी शर्मा रही हो और मुझसे तो हिंदी में सबकुछ बोलने को बोल रही हो।
चलो जल्दी से बोलो मुझे सुन न है तुम्हारे मुँह से इसका नाम।
समी कोमल की चूत को भींच कर बोला।
"उईईई मेरी च च चूत।
आया मज़ा।
"आआह मेरी जान कितना प्यारा लग रहा तुम्हारे मुँह से।
फिरसे बोलो।
"ऐसे ही मसल डालो मेरी चूत को अमन।
कोमल समीर की बाँहो में थी पर उसका माइंड अभी भी अमन को ही याद कर रहा था।
"ये लो मेरी जान।
समीर के हाथ की स्पीड बढ़ गई वो लगातार उसकी चूत को रगड़ रहा था।
कोमल की चूत से निकला पानी समीर की पूरी सहायता कर रहा था।
"उईईई ससससस ऐसे ही ज़ोर से मेरे प्यारे भाई।
ऐसे ही रगड़ो अपनी बहन की चूत।
चूत की मस्ती में कोमल भूल गई कि वो अपने भाई की नही समीर की बाँहो में है।
पर समीर एक ही पल में समझ गया कि कोमल अपने भाई पर फिदा है।अब वो भी कोमल के साथ उसके रंग में रंग गया।
"ये लो दीदी अपने भाई को भी मज़ा दो।
समीर ने कोमल का हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर रख दिया।जैसे कोमल को बस यही तो चाहिए था।वो लंड को पकड़ कर अपने हाथ से उसकी लंबाई और मोटाई को महसूस करने लगी।
और मन ही मन सोचने लगी कि इतना मोटा और लंबा लोड़ा उसकी चूत और गाँड़ के छोटे से छेंद मैं जायेगा कैसे।
पर कहावत है ना।
व्हाट इस डिफरेंट बिटवीन शूज़ एंड चूत।
शूज़ एक्सेप्ट ओनली वन साइज।
बट चूत एक्सेप्ट आल।
समीर अब आगे बढ़ना चाहता था उसने अपनी गर्दन झुका कर कोमल के स्तन को अपने होंठो में भर लिया और अपने दोनों हाथों से कोमल के गदराए जोबन दबाने शुरू कर दिए।
समीर के हाथ चूत से हटते ही कोमल मायूस हो गई थी पर अगले ही पल अपने जोबन दबाए जाने से फिरसे किलकारियां मारने लगी।
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"आआह सीईईईई आराम से काटो नही।
"उम्म आज अपने भाई को रोको नही कोमल दीदी।
आआह कितना मीठा है आपका दूध दीदी।
समीर कोमल को हसीन सपने से बाहर नही निकलने देना चाहता था।
"उईईई अमन मेरे भाई पूरा दूध तुम्हारे लिए है दीदी का पर आराम से चूसो होंठो से दाँतो से नही काटो।
काफी देर तक समीर कोमल के दूध बदल बदल कर चूसता रहा फिर वो उसके पेट को प्यार करता हुआ अपने घुटनों पर बैठता चला गया।
अब उसके सामने कोमल का अनमोल खज़ाना था उसकी महकती भीगी चूत।
जिसको उसने कल ही चिकना कर लिया था।
कुछ देर तो समीर उसकी खूबसूरत चूत को निहारता रहा फिर उसने अपनी जीभ निकाल कर उस मलाई से भरी हांडी के ढकन पर लगाई और उसको सपड़ सपड़ चाटना शुरू कर दिया।
कोमल के लिए ये मज़ा बिल्कुल नया था समीर की जीभ अपनी चूत के नाज़ुक लबों पर महसूस करके उसका पूरा बदन कांपने लगा।
"आआह आआह उईईई अमन ऐसे ही चाट खा जा मेरी चूत को।
समीर को जबसे मालूम हुआ था कि अमन कोमल का भाई है तबसे उसको कोमल के मुंह से निकलता अमन का नाम बुरा नही लग रहा था।।
समीर ने अपने हाथों को भी काम पर लगा दिया उसने अपने हाथ से कोमल की चूत के नाज़ुक लिप्स को फैलाया और उसकी चूत के दाने को (क्लिटोरिओस)
को अपनी जीभ से चाटने लगा।
अपनी चूत के दाने पर ये वार कोमल बर्दाश्त ना कर पाई खड़े खड़े उसके पैर कांपने लगे।
उसने समीर के बालों को पकड़ कर उसके मुँह को अपनी चूत पर पूरी ताकत से दबाया और अपनी चूत के अमृत से उसका स्नान करवाने लगी।
"आआह आआह अमन मेरे यार मेरे भाई ये ले अपनी दीदी की चूत का अमृत पी जा पूरा।
झड़ते हुए कोमल और भी जाने क्या क्या बड़बड़ाती रही पर समीर तो बस कोमल की चूत से निकलती मलाई चाटने में व्यस्त था।पूरी तरह अपनी चूत का जूस अपने यार को पिलाने के बाद कोमल को महसूस हुआ कि अब उसके पैर उसका और साथ नही दे सकते वो खड़े खड़े ही ज़मीन पर गिरने लगी पर समीर ने उसको अपनी बाँहो में उठाकर सीट पर बैठाया।
कोमल अपनी आंखें बंद किया अपनी कमर को सीट पर टिकाए अपने ओर्गास्म के मज़े में खोई थी।
तभी उसको अपनी चूत पर किसी सख्त चीज़ का एहसास हुआ।
अपनी आंखें खोलते ही उसे अपने सामने खड़ा समीर नज़र आया जो अपने लंबे मूसल को उसकी चूत के लिप्स पर सेट कर चुका था बस एक करारा धक्का लगते ही उसकी कौमार्य झिल्ली को फाड़ता हुआ समीर का लोड़ा उसकी चूत में प्रवेश कर जाना था।
"रुको।
"क्या हुआ कोमल।
"प्लीज् रुक जाओ में अभी इसके लिए तैयार नही हुँ।
"अरे इसके लिए क्या तैयार होना बस धक्का लगते ही अंदर चला जायेगा थोड़ा सा दर्द होगा फिर मज़ा ही मज़ा है।
"नही समीर अभी नही में कुछ करती हूँ आपके लिए।
कोमल उसके लौड़े की हालत समझ रही थी और उसकी सख्ती को अपनी चूत पर भी महसूस कर रही रही थी पर उसका दिल कुछ और बोल रहा था।
वो ऐसे किसी को भी अपना कौमार्य नही दे सकती थी।जिसको वो ये तोहफा देना चाहती थी वो कोई और ही था।
"हटो न मुझे उठने तो दो।
कोमल ने नरम आवाज़ में कहा।
समीर की समझ में ये लड़की नही आ रही थी पर वो एक खुद्दार लड़का था वो किसी भी लड़की के साथ जबरदस्ती करने वालो में से नही था।वो अपना खड़ा लौड़ा लेकर कोमल की चूत से दूर हो गया।
कोमल उठकर बैठ गई और समीर की मायूस आंखों में देखकर बोली।
"सॉरी समीर में अभी ये नही कर सकती।
पर तुमने मुझे जो मज़ा दिया है में उसको तुम्हे वापस करने की पूरी कोशिश करूंगी।
इतना बोल कर कोमल समीर के गुस्साए लौड़े को अपने हाथ से पकड़ लेती है।
और धीरे धीरे अपनी जीभ निकाल कर लंड के कैप की तरफ बढ़ती है।
लंड पर चमक रही प्रिकम कि बूंद पर वो अपनी जीभ लगा देती है और जब पीछे हटती है तो बूंद का धागा उसकी जीभ और लंड के बीच नज़र आने लगता है।
"आआह कोमल बस कुछ करदो इसका अब दर्द कर रहा है।।
कोमल समीर की हालत समझ गई थी उसने फिरसे अपनी जीभ को कैप पर लगाया और टिप पर चमक रहे प्रिकम को चाट गई।
"सीईईईई ऐसे ही खा जाओ इसको।
अब कोमल की जीभ पूरे लौड़े को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी।
"आआह अंदर लो ना जान।तुम्हारे भाई अमन का लोड़ा तुम्हारे मुंह में जाना चाहता है।
समीर ने चाल चली।और कोमल पर अमन का नाम कुछ ज़्यादा ही हावी था।
कोमल ने अपने होंठो को गोल किया और पूरे कैप को अपने मुँह में भर लिया।
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"आआह ऐसे ही दीदी चाट अपनी जीभ से अपने भाई का लौड़ा।
कोमल ने धीरे धीरे जितना हो सकता था समीर के लौड़े को अपने हलक तक जगह दी और फिर एक जबरदस्त ब्लोवजोब देकर उसको चरम तक ले आई।
"आआह दीदी क्या मस्त चुस्ती हो ऐसे ही बस आने वाला है तेरा भाई आआह आआह आआह
लौड़े से निकली गाढ़ी वीर्ये की पहली पिचकारी कोमल के मुंह में गई और बाकी उसने अपने गुदाज़ स्तनों पर निकलवाई
कोमल का चेहरा स्तन और जाँघे सब वीर्ये से भीग गए थे कोमल को ध्यान आया कि ये वही वीर्ये है जिसको वो कल अपनी पैंटी से चाट रही थी।
वो वीर्ये को अपने स्तनों से उठा उठा कर अपनी जीभ के हवाले करने लगी कुछ ही देर में वो प्यासी बिल्ली अपने जिस्म पर लगा सारा वीर्ये चाट गई थी।
अब वो और ज़्यादा देर यंहा नही रुक सकती थी उसका मन उसको बोल रहा था कि जो भी हुआ था सब गलत था पर ये भी सच था कि उसको मज़ा भी बहुत आया था।
वो अपने कपड़े पहन कर एक नज़र साइड में बैठे समीर की और देखती है और अपने बालों को ठीक करती हुई बाहर निकल जाती है।