हवेली में पहुंचते ही श्वेता हाफने लगी। आज मन्नू ने जो उसके साथ किया,वो उसे नए अनुभव में डाल रहा था। वो समझ नही पा रही थी कि वो अनुभव शर्म का था या अच्छा था। लेकिन सच में श्वेता को कुछ पल के लिए हद बाहर उत्तेजित कर चुका था।
श्वेता ने देखा कि बाहर से नटवर आ रहा था। श्वेता ने दरवाजा खोला। नटवर आते ही श्वेता को देख मुस्कुराने लगा। दोनो ने एक दूसरे को मुस्कुराते हुए देखा। दोनो ने साथ में खाना खाया। रात हो चुकी थी। आज दोनो की आंखों के नींद नहीं थी। श्वेता ने स्लीवलेस नाइटी पहना। वो लगातार छत के चक्कर काट रही थी। आज जो मन्नू ने उसके साथ किया उसमे उसे शर्म से ज्यादा excitment हो रहा था। वो खुद को समझा नही पा रही थी कि वो करना क्या चाहती है। अपने कश्मकश में डूबी श्वेता को नटवर काका के आने की आवाज आई। वो पीछे मुड़ी तो देखा नटवर काका सामने आए थे। नटवर तो श्वेता को नाइटी में देखकर ही उतावला होने लगा। वैसे श्वेता ने नटवर को फसने के लिए ही पहना था। नटवर काका वापिस छत से बाहर जाने के लिए मुड़े।
श्वेता ने रोकते हुए कहा "वापिस क्यों जा रहे हो काका ?"
नटवर बोला "आप कौन ? यहां क्या कर रही है ?"
श्वेता हंस दी और बोली "अपनी दोस्त श्वेता को भूल गए क्या ?"
"आप मजाक अभी कर लेती है। मेरी दोस्त श्वेता साड़ी पहनती है। आप तो कोई हीरोइन लग रही हो।"
"क्या मैं हीरोइन ?" श्वेता ने पूछा।
"हां किसी पिक्चर की लेकिन मेरी श्वेता कहा है ?" नटवर मजाक करने लगा।
"मैं ही हूं तुम्हारी श्वेता।"
"कैसे मान लूं ?"
श्वेता नटवर के बिलकुल करीब आ गई जिससे नटवर उत्तेजित हुआ। श्वेता बोली "मान भी जाओ मेरे दोस्त।"
"मुझे नही मानना।"
श्वेता नेटीअर काका को चिकोती काट देती है जिससे नटवर चिल्लाया "आआह्ह्हह ये तो सच में श्वेता है।"। फिर दोनो हंस दिए।
"श्वेता आज मन नहीं लग रहा मेरा। जरा मेरा मन लगा दो।"
"ऐसा क्या करूं ? जिससे तुम्हारा मन लगे।"
"आज कहीं दूर चलते है और खूब सारा गाना गाते है।"
"Wow amazing चलो मैं कपड़े बदलकर आती हूं।"
श्वेता जा रही थी की नटवर ने हाथ पकड़कर रोक लिया और बोला "इसमें क्या समस्या है ?"
"काका आप भी ना। नाइटी पहना है मैने।"
"यहां रात दूर दूर तक कोई नही रहता। और वैसे भी आज हम गांव से दूर झरने के पास चलेंगे।"
"तो फोर चलें जहा कोई आता जाता नही।" श्वेता ने गाने का राग ched दिया।
"वह तुमने तो अभी से ही राग छेड़ दिया।"
"तो चलो अब पूरे रात का साथ है।"
"चलो फिर लेकिन पूरे रात ?"
श्वेता गाने लगी "रात बाकी बात बाकी होना है जो हो जाने दो।"
फिर दोनो आगे चल दिए। छत से नीचे उतरकर घर का दरवाजा बंद कर दिया और दोनो चल दिए रात के चांदनी रात के उजाले में।
रात के इस सन्नाटे को चीरते हुए नटवर काका ने गाना गया "जिंदगी एक सफर है सुहाना यहां कल क्या हो किसने जाना।"। श्वेता भी साथ में गाने लगी।
फिर रात के सन्नाटे में श्वेता का हाथ को अपने हाथ में थामते हुए गाया
"कह दूं तुम्हे या चुप रहूं?
दिल में मेरे आज क्या है
को बोलो तो जानूं, गुरु तुमको मानू,
चलो ये भी वादा है......"
फिर श्वेता ने भी एक गीत छेड़ दिया,
"आप जैसा कोई मेरी ज़िंदगी में आये
तो बात बन जाये हाँ हाँ बात बन जाये
आप जैसा कोई मेरी ज़िंदगी में आये
तो बात बन जाये हाँ हाँ बात बन जाये
फूल को बहार बहार को चमन
दिल को दिल बदन को बदन
हर किसी को चाहिये तन मन का मिलन
काश मुझ पर ऐसा दिल आपका भी आये
तो बात बन जाये हाँ हाँ बात बन जाये
हाँ आप जैसा कोई मेरी ज़िंदगी में आये
तो बात बन जाये हाँ हाँ बात बन जाये"
नटवर श्वेता को लेकर झील के पास पहुंचा। श्वेता के नंगे कंधे पर हाथ रखते हुए पीछे बैठा नटवर गाने लगा "रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना
रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना
भूल कोई हमसे न हो जाये
रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना
भूल कोई हमसे न हो जाये
रात नशीली मस्त समां है
आज नशे में सारा जहाँ है
रात नशीली मस्त समां है
आज नशे में सारा जहाँ है
हाय शराबी मौसम बहकाए
रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना
भूल कोई हमसे न हो जाये"
श्वेता पूछी "आज कोई गलती करने का इरादा है क्या ?"
नटवर काका ने पीछे से श्वेता को बाहों में भरते हुए कहा "तुम इजाजत तो दो आज सब कुछ कर लूं।" इतना कहकर नटवर श्वेता के गाल को चूमने के लिए आगे बढ़ा की श्वेता ने उसे रोक दिया और नशीली आवाज में बोली "मेरे इतने करीब न आओ। मैं तुम्हे बर्बाद कर दूंगी।"
नटवर भी मुस्कुराते हुए बोला "मैं बर्बाद होना चाहता हूं।"
"अच्छा ? बड़े आशिक मिजाज के आदमी है आप काका।" श्वेता ने कहा।
"अब तुम्हारे जैसी हसीन को देखकर आशिक अंदर का जाग गया।"
"Shut up।" श्वेता अब शर्माने लगी। फिर कुछ देर नटवर और श्वेता एक दूसरे को देखने लगे।
नटवर ने अगला गीत गया "ऐसे न मुझे तुम देखो सीने से लगा लूंगा
तुमको मैं चुरा लूँगा तुमसे दिल में छुपा लूंगा
ऐसे न मुझे तुम देखो सीने से लगा लूंगा
तुमको मैं चुरा लूँगा तुमसे दिल में छुपा लूंगा
तेरे दिल से ऐ दिलबर दिल मेरा कहता हैं
प्यार के दुश्मन लोग मुझे डर लगता रहता हैं
अरे तेरे दिल से ऐ दिलबर दिल मेरा कहता हैं
प्यार के दुश्मन लोग मुझे डर लगता रहता हैं
थामलो तुम मेरी बाहें मै तुम्हे सम्भालूंगा
तुमको मैं चुरा लूँगा तुमसे दिल में छुपा लूंगा
ऐसे न मुझे तुम देखो सीने से लगा लूंगा
तुमको मैं चुरा लूँगा तुमसे दिल में छुपा लूंगा हे हे हे हे"
अब romance का खुमार श्वेता में भी बढ़ने लगा और वो भी गा दी
"चुरा लिया है तुमने जो दिल को
नज़र नहीं चुराना सनम
बदलके मेरी तुम ज़िंदगानी
कहीं बदल न जाना सनम।"
गाते गाते श्वेता ने नटवर का हाथ थाम लिया और झील के किनारे खड़ी हो गई। नटवर ने श्वेता के नाजुक कमर पर दोनो हाथ रखा और गाने लगा
"दिल क्या करे जब किसी से
किसी को प्यार हो जाये
जाने कहा कब किसी को
किसी से प्यार हो जाये
ऊँची ऊँची दीवारो सी
इस दुनिया की रस्मे
न कुछ तेरे बस में
जूली न कुछ मेरे बस में
दिल क्या करे जब किसी से
किसी को प्यार हो जाये
जाने कहा कब किसी को
किसी से प्यार हो जाये" ये गाते गाते नटवर ने श्वेता को कसके बाहों में भर लिया।
श्वेता ने भी नटवर को बाहों में जकड़ लिया और गया "बाहों में चले आओ
हो, हमसे सनम क्या परदा -२
श, श, श, श, श, श
बाहों में चले आओ...
(चले ही जाना है, नज़र चुराके यूँ
फिर थामी थी साजन तुमने मेरी कलाई क्यों) -२
किसी को अपना बना के छोड़ दे ऐसा कोई नहीं करता
श, श, श, श, श, श
बाहों में चले आओ..."
श्वेता के मुकाबले नटवर की ऊंचाई कम थी। नटवर का सिर सीधा श्वेता के सीने तक था। श्वेता ने नटवर को अपने सीने से लगा लिया। नटवर खामोश रहा। श्वेता के अंदर जैसे कामवासना ने जगह बना ली। नटवर से भी रहा नही गया और हल्के से श्वेता के नाइटी के पतली स्ट्रिप को हल्के से कंधे से सरका दिया। श्वेता की जैसे सासें ऊपर नीचे होने लगी। नटवर के मुलायम कंधो को थोड़ा दबाकर श्वेता को हल्के से नीचे की तरफ किया और फिर घांस पर बिठाया। श्वेता से बिना कुछ कहे उसके नाइटी को उपर से ढीला कर दिया। श्वेता की काली ब्रा पूरी तरह से दिखाने लगी। नटवर ने श्वेता के सीने पर अपना रूख सुखा होंठ रखा और चूम लिया। श्वेता नटवर के इस वार से सनसना गई और सीधा लेट गई। नटवर आज रुकनेवाला नही था।
श्वेता के ऊपर आ गया। श्वेता के गर्दन को चूमने लगा। श्वेता आज में जपने लगी। फिर अचानक से नटवर से चुम्बन रोका और अपने हाथ से श्वेता के चेहरे को अपनी ओर किया। श्वेता को आंखे शर्म से लाल थी। दोनो बस एक दूसरे में खोए थे। फिर नटवर ने अपना कदरूपा चेहरा आगे किया और श्वेता के होठ पर अपना होठ दबा दिया। श्वेता ने साथ दिया और अपनी जुबान को नटवर की जुबां से मिलाया। नटवर बीस मिनट तक श्वेता के होठों को चूसते रहा। फिर श्वेता के होठ को अपने होठ से अलग किया और थोड़ा नीचे की तरफ गया। श्वेता के गोरे गोरे पेट पर जुबान चलाने लगा।
श्वेता मन में खुद से बोली "ओह नटवर काका। ये क्या कर रहे हो मेरे साथ ? इस उमर में क्यों मेरी जवानी को तार तार कर रहे हो ? क्यों मुझे मेरे मर्यादा पर करने पर मजबूर किया ? क्यों अपने मोहब्बत में फसाया ? क्यों मैं आपके लिए मरने लगी हूं। ? ये जवानी लुटाने का दिल कर रहा है। और चूमो मुझे काका। ये हद पार कर लो। क्योंकि अब मेरे दिल और जिस्म में आप बस चुके हो। हे भगवान आखिर काका से मुझे प्यार हो गया। और चूमो काका। जो किसी ने नहीं किया वो आप कर लो। गुलाम बना लो मेरे जिस्म को।"
नटवर ने अचानक से श्वेता के गोरे गोरे मुलायम पेट पर थूक दिया। Navel पर अपनी जुबान चलाने लगा। श्वेता ने कसके नटवर काका के सिर को अपने पेट पर दबा दिया। नटवर ने दोनो हाथ ऊपर किया और श्वेता के बड़े बड़े स्तन को हाथो से मसलने लगा। वो इतने अच्छे और आराम से मसल रहा था की श्वेता को मजा आने लगा। श्वेता आखिर नटवर को अपने शरीर से धक्का देकर हटाया और खुद उठ गई। नटवर ओर सामने अपने नाइटी को उतार दिया। ब्रा और पेंटी में श्वेता दौड़ने लगी। नटवर ने अपनी धोती उतरी और कुर्ता भी। वो श्वेता का पीछा करने लगा। झरने के बहाव के नीचे श्वेता नहाने लगी। पूर्णिमा रात ने पानी से नहाते श्वेता जैसे हीरा लग रही थी। नटवर काका भी झील के पास श्वेता के बगल खड़े हो गए। दोनो एक दूसरे के गले लगे। दोनो ठंडे पानी में अपने जिस्म को सेक रहे थे। आज रात दोनो जल्दबाजी नहीं करना चाहते थे। दोनो ने कितने चुंबन एक दूसरे को दिए और फिर झील से बाहर आए। अपने अपने कपड़े पहन और हवेली की तरफ चल दिए।
नटवर काका और श्वेता हवेली में आ गए। श्वेता का हाथ पकड़कर नटवर काका उसे अपने कमरे ले गए। कमरे में ले जाकर दरवाजा बंद कर दिया। दोनो एक दूसरे को बाहों में भरकर बिस्तर पर सो गए। आज रात दोनो एक दूसरे की बाहों में ही रहना चाहते थे। बहुत जल्द दोनो का मिलन होनेवाला है।
श्वेता ने देखा कि बाहर से नटवर आ रहा था। श्वेता ने दरवाजा खोला। नटवर आते ही श्वेता को देख मुस्कुराने लगा। दोनो ने एक दूसरे को मुस्कुराते हुए देखा। दोनो ने साथ में खाना खाया। रात हो चुकी थी। आज दोनो की आंखों के नींद नहीं थी। श्वेता ने स्लीवलेस नाइटी पहना। वो लगातार छत के चक्कर काट रही थी। आज जो मन्नू ने उसके साथ किया उसमे उसे शर्म से ज्यादा excitment हो रहा था। वो खुद को समझा नही पा रही थी कि वो करना क्या चाहती है। अपने कश्मकश में डूबी श्वेता को नटवर काका के आने की आवाज आई। वो पीछे मुड़ी तो देखा नटवर काका सामने आए थे। नटवर तो श्वेता को नाइटी में देखकर ही उतावला होने लगा। वैसे श्वेता ने नटवर को फसने के लिए ही पहना था। नटवर काका वापिस छत से बाहर जाने के लिए मुड़े।
श्वेता ने रोकते हुए कहा "वापिस क्यों जा रहे हो काका ?"
नटवर बोला "आप कौन ? यहां क्या कर रही है ?"
श्वेता हंस दी और बोली "अपनी दोस्त श्वेता को भूल गए क्या ?"
"आप मजाक अभी कर लेती है। मेरी दोस्त श्वेता साड़ी पहनती है। आप तो कोई हीरोइन लग रही हो।"
"क्या मैं हीरोइन ?" श्वेता ने पूछा।
"हां किसी पिक्चर की लेकिन मेरी श्वेता कहा है ?" नटवर मजाक करने लगा।
"मैं ही हूं तुम्हारी श्वेता।"
"कैसे मान लूं ?"
श्वेता नटवर के बिलकुल करीब आ गई जिससे नटवर उत्तेजित हुआ। श्वेता बोली "मान भी जाओ मेरे दोस्त।"
"मुझे नही मानना।"
श्वेता नेटीअर काका को चिकोती काट देती है जिससे नटवर चिल्लाया "आआह्ह्हह ये तो सच में श्वेता है।"। फिर दोनो हंस दिए।
"श्वेता आज मन नहीं लग रहा मेरा। जरा मेरा मन लगा दो।"
"ऐसा क्या करूं ? जिससे तुम्हारा मन लगे।"
"आज कहीं दूर चलते है और खूब सारा गाना गाते है।"
"Wow amazing चलो मैं कपड़े बदलकर आती हूं।"
श्वेता जा रही थी की नटवर ने हाथ पकड़कर रोक लिया और बोला "इसमें क्या समस्या है ?"
"काका आप भी ना। नाइटी पहना है मैने।"
"यहां रात दूर दूर तक कोई नही रहता। और वैसे भी आज हम गांव से दूर झरने के पास चलेंगे।"
"तो फोर चलें जहा कोई आता जाता नही।" श्वेता ने गाने का राग ched दिया।
"वह तुमने तो अभी से ही राग छेड़ दिया।"
"तो चलो अब पूरे रात का साथ है।"
"चलो फिर लेकिन पूरे रात ?"
श्वेता गाने लगी "रात बाकी बात बाकी होना है जो हो जाने दो।"
फिर दोनो आगे चल दिए। छत से नीचे उतरकर घर का दरवाजा बंद कर दिया और दोनो चल दिए रात के चांदनी रात के उजाले में।
रात के इस सन्नाटे को चीरते हुए नटवर काका ने गाना गया "जिंदगी एक सफर है सुहाना यहां कल क्या हो किसने जाना।"। श्वेता भी साथ में गाने लगी।
फिर रात के सन्नाटे में श्वेता का हाथ को अपने हाथ में थामते हुए गाया
"कह दूं तुम्हे या चुप रहूं?
दिल में मेरे आज क्या है
को बोलो तो जानूं, गुरु तुमको मानू,
चलो ये भी वादा है......"
फिर श्वेता ने भी एक गीत छेड़ दिया,
"आप जैसा कोई मेरी ज़िंदगी में आये
तो बात बन जाये हाँ हाँ बात बन जाये
आप जैसा कोई मेरी ज़िंदगी में आये
तो बात बन जाये हाँ हाँ बात बन जाये
फूल को बहार बहार को चमन
दिल को दिल बदन को बदन
हर किसी को चाहिये तन मन का मिलन
काश मुझ पर ऐसा दिल आपका भी आये
तो बात बन जाये हाँ हाँ बात बन जाये
हाँ आप जैसा कोई मेरी ज़िंदगी में आये
तो बात बन जाये हाँ हाँ बात बन जाये"
नटवर श्वेता को लेकर झील के पास पहुंचा। श्वेता के नंगे कंधे पर हाथ रखते हुए पीछे बैठा नटवर गाने लगा "रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना
रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना
भूल कोई हमसे न हो जाये
रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना
भूल कोई हमसे न हो जाये
रात नशीली मस्त समां है
आज नशे में सारा जहाँ है
रात नशीली मस्त समां है
आज नशे में सारा जहाँ है
हाय शराबी मौसम बहकाए
रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना
भूल कोई हमसे न हो जाये"
श्वेता पूछी "आज कोई गलती करने का इरादा है क्या ?"
नटवर काका ने पीछे से श्वेता को बाहों में भरते हुए कहा "तुम इजाजत तो दो आज सब कुछ कर लूं।" इतना कहकर नटवर श्वेता के गाल को चूमने के लिए आगे बढ़ा की श्वेता ने उसे रोक दिया और नशीली आवाज में बोली "मेरे इतने करीब न आओ। मैं तुम्हे बर्बाद कर दूंगी।"
नटवर भी मुस्कुराते हुए बोला "मैं बर्बाद होना चाहता हूं।"
"अच्छा ? बड़े आशिक मिजाज के आदमी है आप काका।" श्वेता ने कहा।
"अब तुम्हारे जैसी हसीन को देखकर आशिक अंदर का जाग गया।"
"Shut up।" श्वेता अब शर्माने लगी। फिर कुछ देर नटवर और श्वेता एक दूसरे को देखने लगे।
नटवर ने अगला गीत गया "ऐसे न मुझे तुम देखो सीने से लगा लूंगा
तुमको मैं चुरा लूँगा तुमसे दिल में छुपा लूंगा
ऐसे न मुझे तुम देखो सीने से लगा लूंगा
तुमको मैं चुरा लूँगा तुमसे दिल में छुपा लूंगा
तेरे दिल से ऐ दिलबर दिल मेरा कहता हैं
प्यार के दुश्मन लोग मुझे डर लगता रहता हैं
अरे तेरे दिल से ऐ दिलबर दिल मेरा कहता हैं
प्यार के दुश्मन लोग मुझे डर लगता रहता हैं
थामलो तुम मेरी बाहें मै तुम्हे सम्भालूंगा
तुमको मैं चुरा लूँगा तुमसे दिल में छुपा लूंगा
ऐसे न मुझे तुम देखो सीने से लगा लूंगा
तुमको मैं चुरा लूँगा तुमसे दिल में छुपा लूंगा हे हे हे हे"
अब romance का खुमार श्वेता में भी बढ़ने लगा और वो भी गा दी
"चुरा लिया है तुमने जो दिल को
नज़र नहीं चुराना सनम
बदलके मेरी तुम ज़िंदगानी
कहीं बदल न जाना सनम।"
गाते गाते श्वेता ने नटवर का हाथ थाम लिया और झील के किनारे खड़ी हो गई। नटवर ने श्वेता के नाजुक कमर पर दोनो हाथ रखा और गाने लगा
"दिल क्या करे जब किसी से
किसी को प्यार हो जाये
जाने कहा कब किसी को
किसी से प्यार हो जाये
ऊँची ऊँची दीवारो सी
इस दुनिया की रस्मे
न कुछ तेरे बस में
जूली न कुछ मेरे बस में
दिल क्या करे जब किसी से
किसी को प्यार हो जाये
जाने कहा कब किसी को
किसी से प्यार हो जाये" ये गाते गाते नटवर ने श्वेता को कसके बाहों में भर लिया।
श्वेता ने भी नटवर को बाहों में जकड़ लिया और गया "बाहों में चले आओ
हो, हमसे सनम क्या परदा -२
श, श, श, श, श, श
बाहों में चले आओ...
(चले ही जाना है, नज़र चुराके यूँ
फिर थामी थी साजन तुमने मेरी कलाई क्यों) -२
किसी को अपना बना के छोड़ दे ऐसा कोई नहीं करता
श, श, श, श, श, श
बाहों में चले आओ..."
श्वेता के मुकाबले नटवर की ऊंचाई कम थी। नटवर का सिर सीधा श्वेता के सीने तक था। श्वेता ने नटवर को अपने सीने से लगा लिया। नटवर खामोश रहा। श्वेता के अंदर जैसे कामवासना ने जगह बना ली। नटवर से भी रहा नही गया और हल्के से श्वेता के नाइटी के पतली स्ट्रिप को हल्के से कंधे से सरका दिया। श्वेता की जैसे सासें ऊपर नीचे होने लगी। नटवर के मुलायम कंधो को थोड़ा दबाकर श्वेता को हल्के से नीचे की तरफ किया और फिर घांस पर बिठाया। श्वेता से बिना कुछ कहे उसके नाइटी को उपर से ढीला कर दिया। श्वेता की काली ब्रा पूरी तरह से दिखाने लगी। नटवर ने श्वेता के सीने पर अपना रूख सुखा होंठ रखा और चूम लिया। श्वेता नटवर के इस वार से सनसना गई और सीधा लेट गई। नटवर आज रुकनेवाला नही था।
श्वेता के ऊपर आ गया। श्वेता के गर्दन को चूमने लगा। श्वेता आज में जपने लगी। फिर अचानक से नटवर से चुम्बन रोका और अपने हाथ से श्वेता के चेहरे को अपनी ओर किया। श्वेता को आंखे शर्म से लाल थी। दोनो बस एक दूसरे में खोए थे। फिर नटवर ने अपना कदरूपा चेहरा आगे किया और श्वेता के होठ पर अपना होठ दबा दिया। श्वेता ने साथ दिया और अपनी जुबान को नटवर की जुबां से मिलाया। नटवर बीस मिनट तक श्वेता के होठों को चूसते रहा। फिर श्वेता के होठ को अपने होठ से अलग किया और थोड़ा नीचे की तरफ गया। श्वेता के गोरे गोरे पेट पर जुबान चलाने लगा।
श्वेता मन में खुद से बोली "ओह नटवर काका। ये क्या कर रहे हो मेरे साथ ? इस उमर में क्यों मेरी जवानी को तार तार कर रहे हो ? क्यों मुझे मेरे मर्यादा पर करने पर मजबूर किया ? क्यों अपने मोहब्बत में फसाया ? क्यों मैं आपके लिए मरने लगी हूं। ? ये जवानी लुटाने का दिल कर रहा है। और चूमो मुझे काका। ये हद पार कर लो। क्योंकि अब मेरे दिल और जिस्म में आप बस चुके हो। हे भगवान आखिर काका से मुझे प्यार हो गया। और चूमो काका। जो किसी ने नहीं किया वो आप कर लो। गुलाम बना लो मेरे जिस्म को।"
नटवर ने अचानक से श्वेता के गोरे गोरे मुलायम पेट पर थूक दिया। Navel पर अपनी जुबान चलाने लगा। श्वेता ने कसके नटवर काका के सिर को अपने पेट पर दबा दिया। नटवर ने दोनो हाथ ऊपर किया और श्वेता के बड़े बड़े स्तन को हाथो से मसलने लगा। वो इतने अच्छे और आराम से मसल रहा था की श्वेता को मजा आने लगा। श्वेता आखिर नटवर को अपने शरीर से धक्का देकर हटाया और खुद उठ गई। नटवर ओर सामने अपने नाइटी को उतार दिया। ब्रा और पेंटी में श्वेता दौड़ने लगी। नटवर ने अपनी धोती उतरी और कुर्ता भी। वो श्वेता का पीछा करने लगा। झरने के बहाव के नीचे श्वेता नहाने लगी। पूर्णिमा रात ने पानी से नहाते श्वेता जैसे हीरा लग रही थी। नटवर काका भी झील के पास श्वेता के बगल खड़े हो गए। दोनो एक दूसरे के गले लगे। दोनो ठंडे पानी में अपने जिस्म को सेक रहे थे। आज रात दोनो जल्दबाजी नहीं करना चाहते थे। दोनो ने कितने चुंबन एक दूसरे को दिए और फिर झील से बाहर आए। अपने अपने कपड़े पहन और हवेली की तरफ चल दिए।
नटवर काका और श्वेता हवेली में आ गए। श्वेता का हाथ पकड़कर नटवर काका उसे अपने कमरे ले गए। कमरे में ले जाकर दरवाजा बंद कर दिया। दोनो एक दूसरे को बाहों में भरकर बिस्तर पर सो गए। आज रात दोनो एक दूसरे की बाहों में ही रहना चाहते थे। बहुत जल्द दोनो का मिलन होनेवाला है।