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Incest बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम

andyking302

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सूगना बीते हुए दिनो को याद करती है कैसे हरिया और उसके बीच चुदाई की शुरूआत हुई थी
बात उन दिनों की है जब सूगना के पड़ोस मे रहने वाली भूरी काकी ने बच्चे को जन्म दिया था उस समय हरिया किशोरावस्था मे था और लाला के घर छोटू का काम करता था जैसे कि पौधों को पानी देना साफ सफाई करना पशुओं को चारा डालना ।

एक दिन भूरी काकी सूगना से मिलने उसके घर आई हरिया भी घर पर ही था, दोनो सहेलियों मे बातचीत हो रही थी ।

भूरी काकी- बहन जबसे मुन्ना हुआ है इन्होने शहर से एक पैसा ना भेजा है डाॅकटर ने हमे कहा है कि अगर मै अपने आहार पर ध्यान ना दूंगी तो मेरी छाती मे दूध ना होगा जिससे मुन्ने को तकलीफ होगी , कुछ पैसे हो सुगना बहन तो दै दौ । जैसे ही मुन्ना के बापू पैसे भेजगा मै लौटा दूंगी।

सूगना - कैसी बात करती हो भूरी बहन तूम मेरी छोटी बहन हो ये कुछ पैसे कल लाला जी ने दिये ये तूम रख लो और मुन्ने को खूब दूध पिलाओ , तभी यह बडा होकर मजबूत मर्द बनेगा ।

भूरी काकी- धन्यवाद सूगना बहन .... अच्छा एक बात बताइए बहन

सूगना - कौन सी बात रे

भूरी काकी- वो हरिया ने कबतक ....मेरा मतलब है कबतक आपकी छाती से दूध पिया है

(यह सूनकर हरिया के कान खडे हो गये और वो ध्यान से अपनी माई और काकी की बात सुनने लगा)

सूगना - देख बहिन बच्चा क अधिकार उकी माई के दूध पर जनम भर होवत है ...देखती नही मेरे हरिया को पूरे गांव मे उकि टक्कर का कौनो मर्द नही इतनी कम उम्र मे लाला जी का काम संभाल लिया मेरे हरिया ने .... और रही बात दूध पीने की तो मेरे बेटे हरिया ने अभी चार साल पहले मेरा दूध पीना बंद किया है ।

भूरी - हाए दईया हरिया बाबू तो जवान हो गये है और चार साल पहिले भी जवान थे बहिन

सूगना -तो का हुआ है तो मेरा बेटवा ना, तो अपनी माई के थनों से वो चाहे तो उम्र भर दूध पी सकता है लेकिन मेरे थनों मे अब तेरी तरह दूध नही आता है भूरी वर्ना मै अपने बचवा को जरूर पिलाती

(इतने मे भूरी काकी का बच्चा रोने लगता हैऔर वह अपनी चूचियों को ब्लाउज से निकालकर अपने बच्चे के मुंह दे देती है और यह देखकर हरिया के बदन मे एक सुखद हलचल होती है वो फौरन अपनी माई और खुद को सोचने लगता है कि माई कैसे उसे दिनभर अपना दूध पिलाती थी अभी तक हरिया के मन मे अपनी माई के लिए कोई गलत भावना नही आई थी बस आज उसका मन एकबार फिर अपनी माई के चूचियों को पीने का कर रहा था बस वह चाहता था कि उसकी माई उसे बचपन मे जिस तरह अपना दूध पिलाती थी ठीक उसी तरह अपने बेटे को एकबार फिर अपना दूध पिलाए।
शानदार जबरदस्त भाई
 

andyking302

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सूगना बीते हुए दिनो को याद करती है कैसे हरिया और उसके बीच चुदाई की शुरूआत हुई थी
बात उन दिनों की है जब सूगना के पड़ोस मे रहने वाली भूरी काकी ने बच्चे को जन्म दिया था उस समय हरिया किशोरावस्था मे था और लाला के घर छोटू का काम करता था जैसे कि पौधों को पानी देना साफ सफाई करना पशुओं को चारा डालना ।

एक दिन भूरी काकी सूगना से मिलने उसके घर आई हरिया भी घर पर ही था, दोनो सहेलियों मे बातचीत हो रही थी ।

भूरी काकी- बहन जबसे मुन्ना हुआ है इन्होने शहर से एक पैसा ना भेजा है डाॅकटर ने हमे कहा है कि अगर मै अपने आहार पर ध्यान ना दूंगी तो मेरी छाती मे दून ना होगा जिससे मुन्ने को तकलीफ होगी , कुछ पैसे हो सुगना बहन तो दै दौ । जैसे ही मुन्ना के बापू पैसे भेजगा मै लौटा दूंगी।

सूगना - कैसी बात करती हो भूरी बहन तूम मेरी छोटी बहन हो ये कुछ पैसे कल लाला जी ने दिये ये तूम रख लो और मुन्ने को खूब दूध पिलाओ , तभी यह बडा होकर मजबूत मर्द बनेगा ।

भूरी काकी- धन्यवाद सूगना बहन .... अच्छा एक बात बताइए बहन

सूगना - कौन सी बात रे

भूरी काकी- वो हरिया ने कबतक ....मेरा मतलब है कबतक आपकी छाती से दूध पिया है

(यह सूनकर हरिया के कान खडे हो गये और वो ध्यान से अपनी माई और काकी की बात सुनने लगा)

सूगना - देख बहिन बच्चा क अधिकार उकी माई के दूध पर जनम भर होवत है ...देखती नही मेरे हरिया को पूरे गांव मे उकि टक्कर का कौनो मर्द नही इतनी कम उम्र मे लाला जी का काम संभाल लिया मेरे हरिया ने .... और रही बात दूध पीने की तो मेरे बेटे हरिया ने अभी चार साल पहले मेरा दून पीना बंद किया है ।

भूरी - हाए दईया हरिया बाबू तो जवान हो गये है और चार साल पहिले भी जवान थे बहिन

सूगना -तो का हुआ है तो मेरा बेटवा ना तो अपनी माई के थनों से वो चाहे तो उम्र भर दूध पी सकता है लेकिन मेरे थनों मे अब तेरी तरह दूध नही आता है भूरी वर्ना मै अपने बचाव को जरूर पिलाती

(इतने मे भूरी काकी का बच्चा रोने लगता हैऔर वह अपनी चूचियों को ब्लाउज से निकालकर अपने बच्चे के मुंह दे देती है और यह देखकर हरिया के बदन मे एक सुखद हलचल होती है वो फौरन अपनी माई और खुद को सोचने लगता है कि माई कैसे उसे दिनभर अपना दूध पिलाती थी अभी तक हरिया के मन मे अपनी माई के लिए कोई गलत भावना नही आई थी बस आज उसका मन एकबार फिर अपनी माई के चूचियों को पीने का कर रहा था बस वह चाहता था कि उसकी माई उसे बचपन मे जिस तरह अपना दूध पिलाती थी ठीक उसी तरह अपने बेटे को एकबार फिर अपना दूध पिलाए।

धीरे धीरे शाम हो जाती है और सूगना आंगन मे केवल पेटीकोट मे पहनकर नहाने जा रही थी वो हैंडपंप से पानी भर रही थी उसकी दोनो चूचिया लटकी हुई थी जैसे जैसे सूगना हैंडपंप चलाती उसकी दो दो किलो कि पपीते जैसी चूचिया हिलती थी

इतने मे हरिया घर आता है और देखता घर का दरवाजा अंदर से बंद है

हरिया - माई ओ माई दरवाजा खोल मुझे लाला जी के घर जाना है उनकी भैंस का दूध निकालने का समय हो गया है
देर पहुंचा तो फिर गाली देंगे

सूगना - आती हू बेटवा ...वही ठहर

(सूगना जाकर दरवाजा खोलती है और अपने बेटे को घर मे लेकर तुरंत दरवाजा बंद करती है )

हरिया- का कर रही थी माई ( इतना कहकर हरिया अपनी माई की चूचियों को देखता है जिसे देखकर उसे काफी सूख का अनुभव होता है )

सूगना - का देखता हौ बेटवा बारह बरस तक पिया तूने मेरा दूध चार साल से इनमे दूध ना है वरना तोरी माई तोका आज भी अपना दूध पिलाती

हरिया - माई.....अब दूध काहे ना है मुझे तो पीना है

सूगना- अब तोरी माई बूढ़ी हो गई है बेटवा और तू भी तो बडा हो गया है

हरिया-माई एकबार पीकर देखूं (हरिया के मन मे कोई गलत भावना नही थी वो सब एक बच्चे की तरह अपनी माॅ का स्तनपान करना चाहता था लेकिन विडंबना ये थी कि हरिया की बात सुनकर सूगना की बूर फूलने लगी उसे ये बात रोमांचित कर रही थी कि कैसे उसका जवान बेटा उसके स्तनों को पियेगा )

सूगना - अभी ना बेटवा रात मे पी लेना अभी तू जा लाला की भैंस का दूध भी तो निकालना है तूझे देर हो जाएगी । अरेरेरे ..... ये क्या बेटवा अब काट मत दूध नही आएगा ऐसे अचानक कोई अपनी माई की चूची पीता है क्या

हरिया- अपने मूह से सूगना की चूची निकालता है माफ करना माई ....देर भी बहुत हो रही है तू नहा लै और मेरी पतलून खोज कर दे दै मुझे पतलून बदलनी है

सूगना - बेटवा तेरी पतलून अंदर अलमारी मे है जल्दी पहन और जा वर्ना लाला जी की डाट पड़ेगी

हरिया- माई वो डाटते कहा है वो तो सीधा गालियाँ देते है रंडी का बच्चा कहते है

सूगना - जाने दे बेटवा गाली शरीर को नही लगती ....और उन्ही की वजह से हमारा घर चलता है बेटवा( मन मे ...बेटवा तोरी माई लाला की रंडी तौ है ही और तू भी लाला के लंड से ही पैदा हुआ है और तोरी माई तोका तोरा हक जरूर दिलवावेगी एक दिन तू इस गाॅव का लाला बनेगा लाला की सारी जायदाद तोरे नाम होगी बेटवा)

हरिया- माई इ माधरचोद का होत है जब देखो लालाजी मुझे माधरचोद कहते है

( ये सुनकर सूगना सन्न रह जाती है एक पल के लिए उसके मन मे खयाल आता है कि हरिया अगर सचमुच माधरचोद बन जाए तो ....ये सोचकर वो अपना सिर झटक देती है उसे खुद पर ग्लानि होती है )

सूगना - कुछ नही बेटवा इ भी एक गाली होती है

हरिया- माई मुझे पता है इ गाली है लेकिन इसका मतबल का हुआ

सूगना- क्यू रे नासपिटे! जाता है या उठाऊ डंडा जा जल्दी
लाला जी गुस्सा करंगे

हरिया- जाता हू माई (इतना कहकर वो फौरन पतलून पहन कर लाला जी के घर चला जाता है )

हरिया के जाते ही सूगना दरवाजा बंद करके नहाने बैठ जाती है और हरिया की बात सोचने लगती है बार बार उसके कानो मे हरिया का वही सवाल गूंजता है ....माई इ माधरचोद का होता है ? और देखते देखते उसकी बूर आग की तरह गर्म हो जाती है उसे खुद पर गुस्सा आता है और वो अपने शरीर पर ठंडा पानी डालकर नहाती है और रसोईघर मे खाना पकाने चल देती है ।

Present मे,

बेचन और मल्लू की हत्या को पंद्रह दिन बीत चुके थे
सुधियाँ को अपने पति और जवान बेटे की मौत का गहरा सदमा लगा था उसके मन मे यह डर घर कर गया था कि कही उसके बचे हुए एकलौते सहारे उसके बेटे कल्लू को भी हत्यारे मार ना डाले

सुधिया- बेटा.... अब हम इस गाॅव मे नही रहेंगे यहा हमारी जान सुरक्षित नही है

कल्लू- नही अम्मा मुझे लाला और उसके आदमियों से भाई और बापू की हत्या का बदला लेना है मै ये गाॅव छोडकर नही जाऊंगा

सुधिया- मेरी बात को समझ बेटे ...बदला तो मै भी लेना चाहती हू आखिर मैने अपना सुहाग और जवान बेटा खोया है मै लाला की बर्बादी देखना चाहती हू लेकिन यह समय अभी अनुकूल नही है लाला बहुत ताकतवर है उसके आदमी राक्षस है वो हमे चीटी की तरह मसल सकते है
हमे सही समय का इंतजार करना होगा बेटे बदले की इस आग को और भड़काना होगा तुझे एक योद्धा बनना होगा बेटा

कल्लू- ठीक है अम्मा मै सही समय का इंतजार करूंगा , लेकिन हम ये गाॅव छोडकर कहा जाएंगे

सुधिया- मैने सब सोच लिया है बेटे हम तेरे नानी के घर जाएंगे तेरे नाना नानी तो इस दुनिया मे है नही और तेरा मामा भी अपना परिवार लेकर शहर रहता है तो हम वही रहेंगे और तेरे नाना की जमीन पर खेती करेंगे मैने तेरे मामा से बात कर ली है और वो मान गये है

कल्लू-ठीक है अम्मा हम कल ही मामा के गाॅव जाएंगे

सुधियाँ- याद रहे बेटा हमे दिन निकलने से पहले यहा से निकलना होगा वर्ना लाला के आदमी हमे पकड लेंगे ।

और इस तरह अपने सीने मे आग लिए अगली ही सुबह सुधियाँ और कल्लू दोनो गाॅव छोडकर चले जाते है ।
शानदार जबरदस्त भाई
 

andyking302

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(सूगना और हरिया का फ्लैशबैक)

सूगना का मन आज बहुत बेचैन था जिस तरह से अचानक कल्लू ने उसकी चूची को मुह मे लेकर चूसा था वो बात उसे बार बार याद आ रही थी और अपने जवान बेटे द्वारा माधरचोद शब्द का मतलब पूछे जाने पर उसके मन मे उथल पुथल चल रही थी , वो सोच रही थी कि उसका बेटा कितना भोला है जो उसे इस शब्द का मतलब नही पता , ऐसे भोलेपन से तो उसे लाला की जायदाद मिलने से रही उसे ही कुछ करना होगा अपने बेटे को तेज तर्रार बनाना होगा...

उधर दूसरी तरफ कल्लू लाला के घर पहुंचता है जहा पर नोकरानी चंपा लाला कि पत्नी रजनी के बालो में तेल लगा रही थी

चंपा - मालकिन आपकी उमर कितने बरस होगी

रजनी - 52 की होगी का हुआ चंपा अचानक उम्र काहे पूछने लगी

चंपा- कुछ नही मालकिन बस आपके बालों मे आजतक सफेदी ना आई इतनी उम्र होने के बाद भी लाला साहेब तो बडे नसीब वाले है मालिक जो आप आज भी जवान है

रजनी- चुप कर करमजली, चुपचाप बालों मे तेल लगा और जाकर देख ये माधरचोद हरिया काहे ना आया अबतक काम पर

चंपा- जो हुक्म मालकिन । लेकिन मैने जो कहा सच ही कहा मालकिन लाला साहब को छोडिये आप सूगना बहन के बेटे हरिया से पूछना वो भी आप पर डोरे डाले बिना रह नही पाएगा

रजनी - बेशरम, बेहया, पक्की छिनार हो गई है तू रंडी
जा जाकर हरिया से कह दे भैंस का दून निकाल दे
और जाकर बाजार से सब्जी ले आए

चंपा - ठीक है मालकिन जाती हू

(चंपा के जाने के बाद रजनी उठकर खडी हो जाती है और चंपा की बात सोचने लगती कि क्या चंपा सच कह रही थी क्या मै अभी भी जवान हू इतना सोचते सोचते रजनी शीशे के सामने खड़ी हो जाती है और खुद को निहारना लगती है )

रजनी- (मन मे).....चंपा ने कहा तो ठीक ही है मेरी इतनी
भी उम्र नही लगती ...लाला जी का जबसे
एक्सीडेंट हुआ वो मुझे शारिरीक सुख नही दे पाते
और मैंने भी अपने आप पर ध्यान देना छोड ही
दिया .....क्यू न आज हरिया को अपना रूप
दिखाऊ और उसकी प्रतिक्रिया देखू....

इतना सोचकर रजनी अपनी ब्रा उतार कर ब्लाउज दो बार पहन लेती है और उपर के दो बटन खुले रखती है और अपनी साडी का पल्लू इस तरह रखती है कि उसके बडी बडी चूचियों की गहरी घाटी आसानी से दिख सके

हरिया- मालकिन आपने बुलाया

रजनी- मालकिन के बच्चे तुझे नही पता कि भैंस दुहने का समय हो गया है.....कहा मर गया था ?

हरिया - वो मालकिन वो मै आ ही रहा था
(रजनी धीरे से अपना पल्लू अपनी छाती से सर का देती है जिसपर हरिया की नजर पडती है और वो चोर नजरों से रजनी की चूचियो को देखने लगता है जो की रजनी बखूबी जानती थी )

रजनी - माॅ के लौडे ..माधरचोद मेरे थनों को का घूर रहा है दूध भैंस का दूहना है मेरा नही

भोलाभाला हरिया डरते हुए बोल पडता है

हरिया- भैंस का ही दूध निकालूंगा मालकिन...आपका कैसे निकाल सकता हू आपको तो दूध भी नही आता होगा

रजनी को हरिया की बात से एक शरारत सूझती है और वह कहती है

रजनी- क्यू रे हरिया अगर मेरे थनो से दून निकलता तो क्या तू मेरे थनो को दूहता

हरिया- मालकिन आप कहती तो जरूर दूहता

रजनी- हाए हरामजादे...चल आज मेरे थनो को दूह और दूध निकालने की कोशिश कर

हरिया- मालकिन आपके थनो मे दूध नही होगा

सूगना- क्यू रे माधरचोद तूझे कैसे पता कि मेरे थनो मे दून ना है ....जा जाकर तेल और लोटा ले आ

हरिया अंदर जाता है और एक छोटी सी कटोरी मे तेल जो की भैंस की चूचियो पर दूध निकालने से पहले लगता जाता है और एक लोटा लेकर रजनी के कमरे आता है
अंदर आते ही जो नजारा उसे दिखाई देता है वो हैरान हो जाता है ...अंदर कमरे मे रजनी बिना ब्लाउज के केवल साडी और पेटीकोट मे अपने घुटने और हाथो के बल चौपाया बनकर खडी थी जैसे कि गाय भैंस होते है और उसकी साडी जमीन पर पडी थी यह नजारा देखकर हरिया के मन मे अजीब भाव आते है और वो खुद को संभालते हुए कहता है

हरिया- मालकिन ये क्या आप इस तरह काहे खडी है

रजनी - क्यू तुझे दूध नही दूहना क्या मेरा चल जल्दी कर देख मेरे थनो मे बचा है या नही

हरिया भोलापन से कहता है

हरिया- दूध कहा से आएगा मालकिन ना तो आप गाभिन (गर्भवती) है और ना ही आपने बच्चा दिया है भइसिया तो दूध तब देती है जब उका बच्चा उसके थनो को जूठा करता है तब उसके थनो मे दूध उतरता है आपके थनो मे दून कैसे उतरेगा मालकिन

रजनी- क्यू तू है ना ..मैने तो तूझे कबी नोकर ना समझा है हमेशा अपना ही बचवा माना है तूझे बस थोडी सी डांटती हू .....तू जूठा कर दे मेरे थनो को

हरिया - इ कइसे होगा मालकिन

रजनी - क्यू नही हो सकता है रे बचवा

हरिया- ठीक है मालकिन !

इतना कहकर हरिया झुककर रजनी की रजनी की दोनोचूची को अपने मुंह मे भर कर कुछ देर चुभलाता है जिससे रजनी की गर्म सिसकारी निकल जाती है

रजनी- आहहहहहहहह सीईईईईई हरिया मेरे बचवा दूध उतरा या नही

हरिया को चूची पीना बहुत सूख दे रहा था वो और कुछ देर पीना चाहता था धीरे धीरे उसकी जवानी का तंबू उसकी पतलून मे सिर उठाने लगा था

हरिया - अभी नही मालकिन अभी दूध नही उतरा

रजनी भी यही चाहती थी कि हरिया कुछ देर और उसकी चूचियो को चूसे

रजनी - ठीक है हरिया आहहहहहह सीईईईईईई हराम के जाने दांत मत काट रे आहहहहह दर्द होता है

हरिया डर जाता है और उठकर बैठ जाता है और कटोरी मे रखा हुआ तेल बारी बारी से रजनी के दोनो निप्पलों पर लगा देता है और बारी बारी से लोटे मे रजनी के निप्पल खीच कर दूध निकालने की कोशिश करने लगता है

रजनी - क्यू रे माधरचोद पूरे पंजा से दबोचकर दूह ना

हरिया पूरे पंजों से दोनो से रजनी की चूचियो को दबाने लगता है रजनी पूरी तरह गरम हो चुकी थी और रह रहकर गरमागरम सिसकारी छोड रही थी आज दो साल बाद किसी मरद ने उसके चूचियो को छुआ था

रजनी- आहहहहहहहह हरिया आहहहहहहहहह( इतना सिसकते हुए रजनी की बूर झड जाती ह)

हरिया- माफ करना मालकिन .....क्या हुआ

रजनी - कुछ नही माधरचोद ....जा मेरा छोड जाकर भैंस का दूध निकाल

हरिया- जो हुक्म मालकिन

( इतना कहकर हरिया चला जाता है )
Nice
 

andyking302

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काम खत्म करके हरिया अपने घर आ जाता है आज उसने रजनी की दबी हुई वासना जगा दी थी कहने को रजनी उसकी मालकिन थी लेकिन जिस तरह के स्तनपान का सुख उसे आज हरिया ने दिया था रजनी नौकर और मालिक के बीच का भेद भूल चुकी थी वो बस हरिया से अपनी बूर चुदवाना चाहती थी उसके मन मे हरिया का लंड लेने की लालसा बढ गई थी और वो हरिया को फसाने की तरकीब सोचने लगी ।

इधर हरिया घर पहुँच जाता है

सूगना- आ गया बेटा, चल खाना लगा देती हू खा ले ।

हरिया - हा माई बहुत जोरो की भूख लगी है

सूगना- का हुआ रे तेरा मुह काहे बना हुआ है ? फिर लाला जी ने उ गाली दी ...कौन सी गाली है उ .....हा, माधरचोद , लाला जी ने फिर से तुझे माधरचोद कहा क्या ?

हरिया - (भोलेपन से) नही माई लाला जी तो शहर गए है , मालकिन ने वही गाली मुझे दी माई , और इसका मतलब क्या होता है बता ना माई ?

सूगना - तू ध्यान मत दिया कर ....लाला जी की वजह से हमारे घर चूल्हा जलता है बचवा

हरिया- माई तोसे एक बात और कहनी है

सूगना - हा बचवा बोल

हरिया-माई उ ..माई आज मैने मालकिन का दूध दुहा

सूगना -वो तो तू रोज करता है बेटा इसमे कौन सी नयी बात है

हरिया- नही माई भैंस का नही, खुद मालकिन का दूध दुहा पर दूध नही निकला (हरिया ने भोलापन मे सब बता दिया)

सूगना- का नासपिटे इ कैसे किया तूने

हरिया- माई मै क्या करता .. मालकिन ने खुद कहा तो मैने पहले उनका दूध पिया फिर लोटे मे दूध निकालने की बहुत कोशिश की पर दूध नही निकला

सूगना-क्या ! तूने मालकिन का दूध पिया

हरिया- हा माई दोनो थनो को पिया

(सूगना ये सुनकर गरम होने लगती है कि कैसे उसके बेटे ने मालकिन की चूचियो को पिया होगा)

सूगना- हाए रे नासपिटे तुझे शर्म नही आई ...कैसा लग रहा था मालकिन का दूध (इतना कहकर साडी के उपर से ही अपनी चुत को दबा देती है )

हरिया-अच्छा लगा था माई , बिल्कुल वैसा जैसे अपनी माई का दूध लगता है नरम नरम

(ये सुनकर सूगना गर्म हो जाती है और उसका मन भी हरिया को चूची पिलाने का करने लगता है )

सूगना - नही रे माधरचोद ..तोरी माई के दूध जितना मीठा मालकिन का दूध नही होगा मेरे बच्चे

हरिया - माई आप भी माधरचोद कह रही हो ....मालकिन का दूध आप जैसा ही था

सूगना - तो और का कहूँ हराम के जने ...लगता है तू अपनी माई के चूचियो का स्वाद भूल गया है तोका याद दिलवाना पड़ेगा (इतना कहकर सूगना अपनी चोली के बटन खोलकर अपनी चूचियो को आजाद कर देती है )

यह देखकर हरिया खूश हो जाता है

हरिया - माई दूध पिलाएगी हमका

सूगना - हा मेरे बच्चे जा जाकर तेल ले आ ( और इतना कहकर सूगना चौपाया बन जाती है और अपने पैरो के बीच इतना गैप रखती है ताकी हरिया नीचे से घुस सके और आराम से लेटकर उसकी चूचियो को पी सके )

हरिया तेल ले आता है और बिना कुछ बोले सूगना के पैरो के बीच से घुसकर उसके नीचे पीठ के बल लेट जाता है और सूगना की दोनो पपीते जैसी चूचियो को हाथो मे थाम लेता है

सूगना- आहहह रे नासपिटे मुह खोल और चूस अपनी माई की चूची (हरिया बिलकुल वैसा ही करता है एक छोटे बच्चे की तरह अपनी माॅ का दूध पीने लगता है, सूगना हरिया से अपनी चूचिया मसलवाना चाहती थी उसकी बूर पानी छोडने लगी थी एक जवान बेटा उसकी चूचियो को चूस रहा था वो चाहकर भी अपनी भावनाओ को काबू नही कर पा रही थी )

सूगना - बेटा दौनों हाथो से दबादबाकर पी मसलकर पी बेटवा दांत से काट तभी माई का दूध आएगा

हरिया बिलकुल वैसा ही करता है अपनी माॅ के निप्पलों को दांत से हल्के से काटता है और दोनो चूचियो को मसलमसलकर पीता है हरिया के ऐसा करने से सूगना बूरी तरह चूदवासी हो जाती है उसकी बूर गर्म भट्टी की तरह तपने लगती है

सूगना- आहहहहहहह मेरे बच्चे सीईईईईईईईई और कसकर पकड दबादबाकर माधरचोद पी माॅ के लौडे

हरिया- माई पी तो रहा हू दूध नही आ रहा है

सूगना - पीता रह बचवा आहहहहहहहह सीईईईईईईईईई हाए मेरे लाल, जोर से पी पूरा दूध पी जा बेटे

चूची दबाते दबाते दूध पीने से हरिया के लंड मे मे भी तनाव आ चुका था लेकिन हरिया को इस बात का एहसास नही था वो बस अपनि माई का दून पीने मे व्यस्त था, सूगना पूरी तरह चुदवासी हो चुकी थी उसे बस झडना ना और वो अपने आपे से बाहर हो चुकी थी उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे उसने आव देखा न ताल और वो हरिया कि कमर पर बैठ गई, एक जवान बेटा निप्पलों को काट कर दूध पीने की कोशिश कर रहा था, कमर पर बैठते ही उसे हरिया के खडे लंड का एहसास हुआ उसके मन मे बस हरिया का जवान लंड लेने की ईच्छा होने लगी उसे पाप का बोध न रहा वो धीरे धीरे हरिया के कमर पर साडी के उपर से अपनी कमर रगड़ने लगी

हरिया - आहहह माई दूध नही आ रहा है

सूगना को बस झडना था वो पूरी तरह बेचैन हो चुकी थी उसे एक तरकीब सूझी और वो हरिया के उपर से उठकर किनारे जाकर खडी ही गई, हरिया मन मसोस कर रह गया

हरिया - माई हमको पीने दो ना ( उसे चूची चूसने मे बहुत आनंद आ रहा था )

सूगना - नही बेटे , तोरे माई का चूचियो मे दूध नही आ सकता ये बात मै भूल गई थी बचवा

हरिया - माई काहे नही आ सकता , हमका पीने दे माई

(इतना कहकर हरिया खडा हो जाता है और उसकी पतलून मे बना तंबू सूगना तिरछे नजर से देखती है और चुदवासी हो जाती है मन मे सोचने लगती है इतनी सी उम्र मे इतना बडा है बडा होगा तो कैसा होगा)

सूगना- वो बेटवा चार साल पहले तोरा दूध पीना छूट गया था, क्यूँकी उ पुराने पीपल पर रहनेवाली डायन मे मुझे श्राप दिया था
(ये बस सुगना की तरकीब थी अपने बेटे को फसाने के लिए )

हरिया- कैसा श्राप माई

सूगना - बेटा उ डायन मेरे सपने मे आकर मुझसे बोली थी "सूगना आज से तोरे छाती मे दूध नही आएगा काहे से तू दिनभर अपने बेटे को दूध पिलाती है "

हरिया - तो आप का बोली माई ?

सूगना - मै डर गई थी बचवा मै कुछ ना बोली पर वो डायन फिर बोली " सूगना तोरे ऐसी जगह से दूध निकलेगा जहा से तू अपने बेटे को पिलाने का सोच भी नही सकती" इसलिए बेटा चार साल से मैने तुझे अपना दूध नही पिलाया

हरिया- तो कौन सी जगह से आता है माई दूध , ऐसी कौन सी जगह है माई मुझे बता मुझे दूध पीना है माई

( सूगना को तो बस जैसे यही सूनना था )

सूगना - बेटा बहुत गंदी जगह है रे मेरे लाड़ले तू वहा से दूध नही पी सकता बेटा

हरिया- नही माई मुझे बस दूध पीना है कोई भी जगह क्यू न हो माई बस मुझे अपनी माई का दूध पीना है

सूगना- नही मेरे लाल , अपनी माई के सूसू वाली जगह पर तू कैसे मुह लगाएगा कैसे पीएगा अपनी माई के बूर से निकलते सफेद दूध को

(इतना कहकर सूगना और गर्म हो जाती है और हरिया के जवाब का इंतजार करने लगती है)

हरिया- सूसू वाली जगह से दूध ! छी माई , (कुछसोकर) लेकिन माई मुझे पीना है

यह सूनकर सूगना पूरी तरह कामोत्तेजीत हो जाती है

सूगना- हाए रे माधरचोद .....अपनी माई की बूर को पीएगा

हरिया- हा माई मुझे बस दूध पीना है

(सूगना की तरकीब काम कर गई वो बस हरिया से अपनी बूर चटवाकर कर खूद को शांत करना चाहती थी )

सूगना- ठीक है तू चाहता है तो पिला देती हू रे ....चल खटिया पर चल

(सूगना की बूर इस खयाल से ही पावरोटी की तरह फूल कर गर्म हो गई थी कि उसका सगा बेटा उसकी बूर चूसने जा रहा है यह सोचकर उसकी बूर नमकीन पानी छोड रही थी )

हरिया - ठीक है माई

दोनो माॅ बेटे खटिया पर आ जाते है और सूगना लेटकर धीरे धीरे अपनी साडी और पेटीकोट उपर सरकारने लगती है मारे शरम के उसके दिल की धड़कन तेज हो गई थी और उसकी बूर आग की तरह जल रही थी

सूगना - आजा बचवा मेरे दोनो पैरन के बीच आ जा देख अपनी माई की बूर को पी जा मेरे लाल

हरिया अपनी माॅ के पैरो के बीच बैठ जाता है और देखता है उसकी माॅ अपनी दो उंगलियों से चुत को फैलाकर उसे चुत चाटने का न्यौता दे रही है

हरिया- माई क्या इसी मे से दूध आएगा

सूगना- हाए, हा मेरे बच्चे इसी मे से दूध आएगा लेकिन दूध बहुत अंदर है तुझे मेहनत करनी होगी अपनी माई की बूर को चूसना होगा तभी दूध निकलेगा मेरे लाल, और याद रहे ये दूध बहुत मीठा होगा मेरे बच्चे पी जा अपने माई की बूर को (इतना कहकर सूगना अपने दौनों पैरो को फैला देती है जिससे उसकी बूरी पूरी तरह खू ल जाती है)

हरिया बिना देर किये सूगना की बिना बालों वाली बूर पर अपने होठ रख देता है उसे बूर काफी गर्म महसूस होती है वो तुरंत होठ हटा लेता है

हरिया - माई ये तो जल रही है

सूगना - हा रे माधरचोद अब देर ना कर पी जा मेरे बच्चे

हरिया फिर अपना मुह अपनी माॅ के चूत पर रख देता है
इस बार सूगना अपना हाथ हरिया के सिर पर रखकर सहलाने लगती है

सूगना - हा ऐसी ही आहहहहहहहहह ओ माईईईईईईईईईई हा ऐसे ही चाट मेरे बच्चे पी जा आहहहहहहहहहहह पी जा मेरी बूर को चाट दून निकलेगा जीभ अंदर घूँसा नासपिटे आहहहहहह .....हा ऐसे ही आहहहहहहहहह ओहहहहहहहहहहह माईईईईईईईईईई रे अंदर बाहर कर जीभ को मेरे लाल आहहहहहहहहहह ( अपनी दोनो जांघों से हरिया के चेहरे को दबा लेती है ) आहहहहहहहहहहहह मेरे जिगर के टुकडे आहहहहहहह ओहहहहह ओह्ह मेरे पूत चाट पी जा अपने माई की चुत

हरिया भी गरम हो चुका था उसे चुत चाटने मे बहुत आनंद आ रहा था उसे चुत का कसैला स्वाद अमृत प्रतीत हो रहा था उसका लंड पूरी तरह खडा हो चुका था वो तेजी से अपनी मा की बूर को चूस रहा था

सूगना से बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था वो आपने चरम पर आ चुकी थी

सूगना - आहहहहहहहहह माधरचोद आहहह अदभुत आहहहहह मै झड गई, देख निकल रहा है तेरे माई की बूर से दूध पी जा बेटे

हरिया सूगना का सारा रस पी जाता है और बूर को चाटकर साफ कर देता है

सूगना उठकर खडी हो जाती है और नजरें झुकाए कपडे पहनने लगती है

हरिया- माई दूध मीठा तो नही था पर था बहुत स्वादिष्ट अब मै रोज पिऊंगा

यह सुनकर सूगना खूश हो जाती है लेकिन कुछ नही बोलती और रसोईघर मे जाकर खाना परोसती है
दोनो माॅ बेटे खाना खाकर सो जाते है ।
शानदार जबरदस्त भाई
 

andyking302

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भोर मे चार बजे....

मीना- बन्नो, अरी ओ बन्नो चल जल्दी खेत की तरफ जाना है (मीना सुधिया को शौच के लिए जगाने आई थी )

मीना की आवाज सुनकर सुधिया की नींद खुलती है और वह लालटेन लेकर बाहर को आती है बरामदे मे जैसे ही वो कल्लू के खटिया के पास से गुजरती है उसकी ऑखे फटी की फटी रह जाती है और पैर वही जम जाते है

वह देखती है कि उसका बेटा कल्लू गहरी नींद मे सो रहा है और उसकी लुंगी हट चुकी है और उसका घोड़े जैसा मोटा लंड मुरझाया पडा बाहर झांक रहा है, यह देखकर सुधिया हतप्रभ रह गई

सुधिया-मन मे (कल्लू ने कच्छा काहे नहीं पहना .... अरे कैसे पहनेंगा इतनी गर्मी है..इसका लंड तो इसके बापू से दोगुना है ...छी ये मै क्या सोच रही हू ...बेटा है वो मेरा)
और सुधिया कल्लू के लुंगी को सही करने लगती है

तभी फिर मीना की पुकार सुनाई देती है

मीना- अरी बन्नो जल्दी चल ...सूरज निकल आएगा
और मुझे बहुत तेज लगी है

सुधिया - आई भाभी ( लालटेन वही बरामदे मे छोडकर बाहर चली जाती है )

दोनो ननद भाभी खेतों की ओर शौच के लिए चल देते है
आगे चलते चलते आम के बगीचे मे दोनो की नजर पडती है दोनो देखती है कि एक साॅड एक बूढ़ी गाय पर चढने की कोशिश कर रहा है यह देखकर दोनो विधवाओं की चुत मे चीटियां रेंगने लगती है ...तभी मीना एक बडा सा ईट का टुकडा उठाती है और उस सांड को मार कर भगाने लगती है

सुधिया- रहने दिजिए ना भाभी, क्यू मार रही है उसे हमे पाप लगेगा , करने दिजिए ना भाभी

मीना- अरी बन्नो पाप हमे क्यू लगेगा ? मै तो पाप होने से रोक रही हू

सुधिया - क्या मतलब भाभी

मीना- ये दीनू काका की गाय है और यह सांड इसी गाय का बेटा है और यह अपनी माॅ पर ही चढ रहा है

( यह सुनकर सुधिया को झटका लगता है और उसे कल्लू के मुरझाए लंड की तस्वीर दिखने लगती है और उसकी बूर फुलकर कुप्पा हो जाती है ......कुछ देर बाद वह अपना सिर ग्लानि के भाव से झटक देती है )

सुधिया - मन मे ( छी ये मै क्या सोच रही हू वह मेरा बेटा है एकलौता सहारा है मेरा )

मीना- अरी बन्नो कहा खो गई

सुधिया - कही नही भाभी, चलिए जल्दी

फिर दोनो औरते खेत मे थोडी थोडी दूरी पर अपनी अपनी साडी अपने कमर तक उठाकर शौक करने के लिए बैठ जाती है

मीना- बन्नो, तुझे बेचन बाबू की याद नही आती

सुधिया - आती है भाभी उनके बिना जीवन काटने को दौड़ता है ,,आपको भी ती भईया की याद आती होगी

मीना- आती तो है पर वक्त के साथ धुंधला हो गया सबकुछ और राजू की परवरिश मे मै अपने सुख चैन को भूल गई और राजू मेरा बहुत ख्याल रखता है

सुधिया - भाभी क्या आपको किसी मर्द की जरूरत महसूस नही हुई

मीना - होती है मेरी बन्नो लेकिन मै अपने आप को रोकती हू अपने पति की जगहसाई नही होने दे सकती .....और वैसे एक मर्द है जो मुझे घूरता रहता है बन्नो लेकिन मै असमंजस मे हू

सुधिया - कौन है भाभी वो इसी गाॅव का है

मीना - है तो इसी गाॅव का ...और सही वक्त पर मै तुझे बताऊंगी अभी तो मै भी नही पकड पाती हू उसकी नजरों को उसके मन की भावना को

दोनो घोड़ीया शौच कर चुकी थी

सुधिया- चलिए भाभी घर ।

आगे....
शौच करके दोनो अपने अपने घर चुकी थी ।
सूरज निकल आया था , और कल्लू भी जाग चुका था

सुधिया- उठ गया बेटवा, आज दोपहर मे कही बाहर ना जाना , हमलोगों को कही जाना है बेटवा

कल्लू- कहा जाना है अम्मा?

सुधिया- उ बगल के जंगल मे कोई बंगाली बाबा आए है , उन्ही का आशीर्वाद लेना है बेटवा , तेरी मीना मामी है ना ...उन्ही के साथ चलना है

कल्लू- राजू भईया भी चलेंगे क्या अम्मा

सुधिया- पता नही , जल जा शौच होकर आ मै नाश्ता बना देती हू आज काम जल्दी खत्म करना है खाना भी अभी बनाकर निपटा लेती हू ताकी जल्दी जाए और जल्दी लौट आए मौसम का कौनो भरोसा नाही है जंगल मा फस गये तो बहुत बुरा होगा ।

कल्लू- ठीक है अम्मा, मै अभी आता हू

( इतना कहकर कल्लू बाहर खेतों की तरफ चल देता है तभी उसे मीना का बेटा राजू दिखाई देता है, राजू भी हाथ मे लोटा लिए खेतों की तरफ जा रहा था )


कल्लू- राजू भईया , ओ राजू भइया रूको मै भी वही चल रहा हू

राजू- का रे छोटे , जल्दी उठ गया है

कल्लू- हा भईया, आप कुछ परेशान लग रहे हो

राजू- छोटे परेशान नही हू रे लेकिन बात ही कुछ ऐसी है

कल्लू - का बात है भईया हमे बताओ ।

राजू - बताने लायक तो ना है पर तू अपनी माई की कसम खा जो मै बताने जा रहा हू वह तू किसी से नही कहेगा

कल्लू- माई कसम भईया मै किसी से ना कहूंगा, आखिर बात क्या है भईया

राजू- देख छोटे जो मै बता रहा हू उसमे मेरी कोई गलती ना है शायद मेरी जगह तू होता तो तू भी वही करता जो मैने किया है

(कल्लू और राजू खेत मे थोडी थोडी दूरी पर अपनी अपनी धोती खोलकर बैठ जाते है )

कल्लू- ऐसा क्या कर दिया है भईया आपने

राजू- बात ये है छोटे मै रोज सोता हू छत पर बिस्तर लगाकर , आज जब मै उठा और जैसै ही अंगडाई ली मैने मेरी नजर रोशनदान पर पडी , और मेरे घर का रोशनदान बिल्कुल आंगन पर बना है

कल्लू- तो क्या बात हुई भईया जल्दी बताओ

राजू- छोटे , जल्दी मे ही गडबड होता है मैने जैसे ही रोशनदान से नीचे देखा मेरे होश उड गये मुझसे वो हो गया छोटे जो ना होना चाहिए था

कल्लू- भईया ऐसा का हो गया , बोलो ना

राजू - छोटे मैने देखा, मेरी माई पूरी नंगी होकर नहा रही है बडी बडी चूचियाॅ उभरा हुआ पेट और बाहर निकली हुई गांड देखकर मै ये भूल गया की ये पाप है माई को ऐसे नही देखना चाहिए

कल्लू- छी भईया, ये का किया आपने, मीना मामी को ऐसे हालत मे देख लिए आप वो आपकी अम्मा है

राजू- अबे साले बात पूरी सुन, माई को ऐसे देखकर मुझसे राहा नही गया और मै वही अपना लंड निकालकर हिलाने लगा और खूदको शांत किया, तभी से अपराधी जैसी भावना आ रही है , माई के सामने जाने पर उका नंगा शरीर ऑखों के सामने आता है

कल्लू- पाप तो हो गया भईया, लेकिन भूल जाइए आपकी क्या गलती है

राजू- गलती ना है छोटे लेकिन हमरा मन माई को देखकर वही सोचने लगता है

कल्लू- सब ठीक हो जाएगा भईया, चलिए घर अब अम्मा इंतजार कर रही होगी। आज दोपहर को आप भी चल रहे हो ?

राजू- कहा चलना है ?

कल्लू- मामी ने बताया नही आपको वो किसी बंगाली बाबा के पास ले जा रही है मुझे और अम्मा को

राजू- मुझे नही पता छोटे , ठीक है तूम लोग जाओ शाम को चौपाल पर मिलते है

( दोनो दोस्त अपने अपने घर को चले जाते है और धीरे धीरे दोपहर होने लगती है सुधिया और कल्लू तैयार होकर मीना का इंतजार करते है )

मीना- बन्नो, अरी ओ बन्नो, तैयार है कि नाही ?

सुधिया - हम लोग तो कबसे आपही का इंतजार कर रहे है भाभी

मीना - चल चल जल्दी चल

( बंगाली बाबा सुधिया पर आए दुखो के निवारण का रास्ता बताएंगे, तीनो इसी उम्मीद से घने जंगल मे चले जा रहे थे )

सुधिया- और कितनी दूर चलना पडेगा भाभी? मै तो थक गयी हू

मीना- बस बन्नो कुछ दूर और है

सुधिया - थोडी देर ठहरो भाभी

मीना- हा बन्नो थोडा आराम कर लेते है

(तीनो एक बडे पेड के नीचे सुस्ताने लगे)

कुछ देर बाद..

सुधिया- भाभी मुझे पेशाब लगी

(यह सुनकर कल्लू के शरीर मे अजीब सी भावना का संचार हुआ)

मीना- यो इसमे पूछने वाली कौन सी बात है इतना बडा जंगल है बैठ जा बन्नौ बूर फैलाकर

सुधिया- भाभी चुप रहो, कल्लू के सामने तो मजाक ना करो

मीना- लो कर लो बात, अब बूर को बूर ना कहूँ तो का कहूँ, क्यू कल्लू बेटा

कल्लू- (कुछ समझ नही पा रहा था क्या कहे , बस वह इतना ही कह पाया ) जी मामी

सुधिया- जी मामी के बच्चे (आज सुबह ही उसने कल्लू का मोटा लंड देखा था जो बेचन के लंठ का दोगुना था , सुधिया से रहा नही गया वो थोडी दूर जाकर कल्लू के सामने ही अपनी साडी उठाकर बैठ गई और मूतने लगी )

जैसे ही कल्लू ने अपनी माॅ की मांसल गुदाज़ गांड देखी जो की काफी भरावदार गोरी चिकनी थी जिसे देखकर बुजुर्गों का लंड भी जाग जाए , वो न चाहते हुए भी एकटक अपनी मस्तानी माॅ सुधिया की गांड को घूरने लगा
यह पहला अवसर था जब वह किसी औरत की गांड को देख रहा था

मीना-(धीरे से )अच्छी है ना बेटा
शानदार जबरदस्त भाई
 

Alagsi

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सूगना बीते हुए दिनो को याद करती है कैसे हरिया और उसके बीच चुदाई की शुरूआत हुई थी
बात उन दिनों की है जब सूगना के पड़ोस मे रहने वाली भूरी काकी ने बच्चे को जन्म दिया था उस समय हरिया किशोरावस्था मे था और लाला के घर छोटू का काम करता था जैसे कि पौधों को पानी देना साफ सफाई करना पशुओं को चारा डालना ।

एक दिन भूरी काकी सूगना से मिलने उसके घर आई हरिया भी घर पर ही था, दोनो सहेलियों मे बातचीत हो रही थी ।

भूरी काकी- बहन जबसे मुन्ना हुआ है इन्होने शहर से एक पैसा ना भेजा है डाॅकटर ने हमे कहा है कि अगर मै अपने आहार पर ध्यान ना दूंगी तो मेरी छाती मे दूध ना होगा जिससे मुन्ने को तकलीफ होगी , कुछ पैसे हो सुगना बहन तो दै दौ । जैसे ही मुन्ना के बापू पैसे भेजगा मै लौटा दूंगी।

सूगना - कैसी बात करती हो भूरी बहन तूम मेरी छोटी बहन हो ये कुछ पैसे कल लाला जी ने दिये ये तूम रख लो और मुन्ने को खूब दूध पिलाओ , तभी यह बडा होकर मजबूत मर्द बनेगा ।

भूरी काकी- धन्यवाद सूगना बहन .... अच्छा एक बात बताइए बहन

सूगना - कौन सी बात रे

भूरी काकी- वो हरिया ने कबतक ....मेरा मतलब है कबतक आपकी छाती से दूध पिया है

(यह सूनकर हरिया के कान खडे हो गये और वो ध्यान से अपनी माई और काकी की बात सुनने लगा)

सूगना - देख बहिन बच्चा क अधिकार उकी माई के दूध पर जनम भर होवत है ...देखती नही मेरे हरिया को पूरे गांव मे उकि टक्कर का कौनो मर्द नही इतनी कम उम्र मे लाला जी का काम संभाल लिया मेरे हरिया ने .... और रही बात दूध पीने की तो मेरे बेटे हरिया ने अभी चार साल पहले मेरा दूध पीना बंद किया है ।

भूरी - हाए दईया हरिया बाबू तो जवान हो गये है और चार साल पहिले भी जवान थे बहिन

सूगना -तो का हुआ है तो मेरा बेटवा ना, तो अपनी माई के थनों से वो चाहे तो उम्र भर दूध पी सकता है लेकिन मेरे थनों मे अब तेरी तरह दूध नही आता है भूरी वर्ना मै अपने बचवा को जरूर पिलाती

(इतने मे भूरी काकी का बच्चा रोने लगता हैऔर वह अपनी चूचियों को ब्लाउज से निकालकर अपने बच्चे के मुंह दे देती है और यह देखकर हरिया के बदन मे एक सुखद हलचल होती है वो फौरन अपनी माई और खुद को सोचने लगता है कि माई कैसे उसे दिनभर अपना दूध पिलाती थी अभी तक हरिया के मन मे अपनी माई के लिए कोई गलत भावना नही आई थी बस आज उसका मन एकबार फिर अपनी माई के चूचियों को पीने का कर रहा था बस वह चाहता था कि उसकी माई उसे बचपन मे जिस तरह अपना दूध पिलाती थी ठीक उसी तरह अपने बेटे को एकबार फिर अपना दूध पिलाए।
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Alagsi

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सूगना बीते हुए दिनो को याद करती है कैसे हरिया और उसके बीच चुदाई की शुरूआत हुई थी
बात उन दिनों की है जब सूगना के पड़ोस मे रहने वाली भूरी काकी ने बच्चे को जन्म दिया था उस समय हरिया किशोरावस्था मे था और लाला के घर छोटू का काम करता था जैसे कि पौधों को पानी देना साफ सफाई करना पशुओं को चारा डालना ।

एक दिन भूरी काकी सूगना से मिलने उसके घर आई हरिया भी घर पर ही था, दोनो सहेलियों मे बातचीत हो रही थी ।

भूरी काकी- बहन जबसे मुन्ना हुआ है इन्होने शहर से एक पैसा ना भेजा है डाॅकटर ने हमे कहा है कि अगर मै अपने आहार पर ध्यान ना दूंगी तो मेरी छाती मे दून ना होगा जिससे मुन्ने को तकलीफ होगी , कुछ पैसे हो सुगना बहन तो दै दौ । जैसे ही मुन्ना के बापू पैसे भेजगा मै लौटा दूंगी।

सूगना - कैसी बात करती हो भूरी बहन तूम मेरी छोटी बहन हो ये कुछ पैसे कल लाला जी ने दिये ये तूम रख लो और मुन्ने को खूब दूध पिलाओ , तभी यह बडा होकर मजबूत मर्द बनेगा ।

भूरी काकी- धन्यवाद सूगना बहन .... अच्छा एक बात बताइए बहन

सूगना - कौन सी बात रे

भूरी काकी- वो हरिया ने कबतक ....मेरा मतलब है कबतक आपकी छाती से दूध पिया है

(यह सूनकर हरिया के कान खडे हो गये और वो ध्यान से अपनी माई और काकी की बात सुनने लगा)

सूगना - देख बहिन बच्चा क अधिकार उकी माई के दूध पर जनम भर होवत है ...देखती नही मेरे हरिया को पूरे गांव मे उकि टक्कर का कौनो मर्द नही इतनी कम उम्र मे लाला जी का काम संभाल लिया मेरे हरिया ने .... और रही बात दूध पीने की तो मेरे बेटे हरिया ने अभी चार साल पहले मेरा दून पीना बंद किया है ।

भूरी - हाए दईया हरिया बाबू तो जवान हो गये है और चार साल पहिले भी जवान थे बहिन

सूगना -तो का हुआ है तो मेरा बेटवा ना तो अपनी माई के थनों से वो चाहे तो उम्र भर दूध पी सकता है लेकिन मेरे थनों मे अब तेरी तरह दूध नही आता है भूरी वर्ना मै अपने बचाव को जरूर पिलाती

(इतने मे भूरी काकी का बच्चा रोने लगता हैऔर वह अपनी चूचियों को ब्लाउज से निकालकर अपने बच्चे के मुंह दे देती है और यह देखकर हरिया के बदन मे एक सुखद हलचल होती है वो फौरन अपनी माई और खुद को सोचने लगता है कि माई कैसे उसे दिनभर अपना दूध पिलाती थी अभी तक हरिया के मन मे अपनी माई के लिए कोई गलत भावना नही आई थी बस आज उसका मन एकबार फिर अपनी माई के चूचियों को पीने का कर रहा था बस वह चाहता था कि उसकी माई उसे बचपन मे जिस तरह अपना दूध पिलाती थी ठीक उसी तरह अपने बेटे को एकबार फिर अपना दूध पिलाए।

धीरे धीरे शाम हो जाती है और सूगना आंगन मे केवल पेटीकोट मे पहनकर नहाने जा रही थी वो हैंडपंप से पानी भर रही थी उसकी दोनो चूचिया लटकी हुई थी जैसे जैसे सूगना हैंडपंप चलाती उसकी दो दो किलो कि पपीते जैसी चूचिया हिलती थी

इतने मे हरिया घर आता है और देखता घर का दरवाजा अंदर से बंद है

हरिया - माई ओ माई दरवाजा खोल मुझे लाला जी के घर जाना है उनकी भैंस का दूध निकालने का समय हो गया है
देर पहुंचा तो फिर गाली देंगे

सूगना - आती हू बेटवा ...वही ठहर

(सूगना जाकर दरवाजा खोलती है और अपने बेटे को घर मे लेकर तुरंत दरवाजा बंद करती है )

हरिया- का कर रही थी माई ( इतना कहकर हरिया अपनी माई की चूचियों को देखता है जिसे देखकर उसे काफी सूख का अनुभव होता है )

सूगना - का देखता हौ बेटवा बारह बरस तक पिया तूने मेरा दूध चार साल से इनमे दूध ना है वरना तोरी माई तोका आज भी अपना दूध पिलाती

हरिया - माई.....अब दूध काहे ना है मुझे तो पीना है

सूगना- अब तोरी माई बूढ़ी हो गई है बेटवा और तू भी तो बडा हो गया है

हरिया-माई एकबार पीकर देखूं (हरिया के मन मे कोई गलत भावना नही थी वो सब एक बच्चे की तरह अपनी माॅ का स्तनपान करना चाहता था लेकिन विडंबना ये थी कि हरिया की बात सुनकर सूगना की बूर फूलने लगी उसे ये बात रोमांचित कर रही थी कि कैसे उसका जवान बेटा उसके स्तनों को पियेगा )

सूगना - अभी ना बेटवा रात मे पी लेना अभी तू जा लाला की भैंस का दूध भी तो निकालना है तूझे देर हो जाएगी । अरेरेरे ..... ये क्या बेटवा अब काट मत दूध नही आएगा ऐसे अचानक कोई अपनी माई की चूची पीता है क्या

हरिया- अपने मूह से सूगना की चूची निकालता है माफ करना माई ....देर भी बहुत हो रही है तू नहा लै और मेरी पतलून खोज कर दे दै मुझे पतलून बदलनी है

सूगना - बेटवा तेरी पतलून अंदर अलमारी मे है जल्दी पहन और जा वर्ना लाला जी की डाट पड़ेगी

हरिया- माई वो डाटते कहा है वो तो सीधा गालियाँ देते है रंडी का बच्चा कहते है

सूगना - जाने दे बेटवा गाली शरीर को नही लगती ....और उन्ही की वजह से हमारा घर चलता है बेटवा( मन मे ...बेटवा तोरी माई लाला की रंडी तौ है ही और तू भी लाला के लंड से ही पैदा हुआ है और तोरी माई तोका तोरा हक जरूर दिलवावेगी एक दिन तू इस गाॅव का लाला बनेगा लाला की सारी जायदाद तोरे नाम होगी बेटवा)

हरिया- माई इ माधरचोद का होत है जब देखो लालाजी मुझे माधरचोद कहते है

( ये सुनकर सूगना सन्न रह जाती है एक पल के लिए उसके मन मे खयाल आता है कि हरिया अगर सचमुच माधरचोद बन जाए तो ....ये सोचकर वो अपना सिर झटक देती है उसे खुद पर ग्लानि होती है )

सूगना - कुछ नही बेटवा इ भी एक गाली होती है

हरिया- माई मुझे पता है इ गाली है लेकिन इसका मतबल का हुआ

सूगना- क्यू रे नासपिटे! जाता है या उठाऊ डंडा जा जल्दी
लाला जी गुस्सा करंगे

हरिया- जाता हू माई (इतना कहकर वो फौरन पतलून पहन कर लाला जी के घर चला जाता है )

हरिया के जाते ही सूगना दरवाजा बंद करके नहाने बैठ जाती है और हरिया की बात सोचने लगती है बार बार उसके कानो मे हरिया का वही सवाल गूंजता है ....माई इ माधरचोद का होता है ? और देखते देखते उसकी बूर आग की तरह गर्म हो जाती है उसे खुद पर गुस्सा आता है और वो अपने शरीर पर ठंडा पानी डालकर नहाती है और रसोईघर मे खाना पकाने चल देती है ।

Present मे,

बेचन और मल्लू की हत्या को पंद्रह दिन बीत चुके थे
सुधियाँ को अपने पति और जवान बेटे की मौत का गहरा सदमा लगा था उसके मन मे यह डर घर कर गया था कि कही उसके बचे हुए एकलौते सहारे उसके बेटे कल्लू को भी हत्यारे मार ना डाले

सुधिया- बेटा.... अब हम इस गाॅव मे नही रहेंगे यहा हमारी जान सुरक्षित नही है

कल्लू- नही अम्मा मुझे लाला और उसके आदमियों से भाई और बापू की हत्या का बदला लेना है मै ये गाॅव छोडकर नही जाऊंगा

सुधिया- मेरी बात को समझ बेटे ...बदला तो मै भी लेना चाहती हू आखिर मैने अपना सुहाग और जवान बेटा खोया है मै लाला की बर्बादी देखना चाहती हू लेकिन यह समय अभी अनुकूल नही है लाला बहुत ताकतवर है उसके आदमी राक्षस है वो हमे चीटी की तरह मसल सकते है
हमे सही समय का इंतजार करना होगा बेटे बदले की इस आग को और भड़काना होगा तुझे एक योद्धा बनना होगा बेटा

कल्लू- ठीक है अम्मा मै सही समय का इंतजार करूंगा , लेकिन हम ये गाॅव छोडकर कहा जाएंगे

सुधिया- मैने सब सोच लिया है बेटे हम तेरे नानी के घर जाएंगे तेरे नाना नानी तो इस दुनिया मे है नही और तेरा मामा भी अपना परिवार लेकर शहर रहता है तो हम वही रहेंगे और तेरे नाना की जमीन पर खेती करेंगे मैने तेरे मामा से बात कर ली है और वो मान गये है

कल्लू-ठीक है अम्मा हम कल ही मामा के गाॅव जाएंगे

सुधियाँ- याद रहे बेटा हमे दिन निकलने से पहले यहा से निकलना होगा वर्ना लाला के आदमी हमे पकड लेंगे ।

और इस तरह अपने सीने मे आग लिए अगली ही सुबह सुधियाँ और कल्लू दोनो गाॅव छोडकर चले जाते है ।
Ek no manas
 

Alagsi

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(सूगना और हरिया का फ्लैशबैक)

सूगना का मन आज बहुत बेचैन था जिस तरह से अचानक कल्लू ने उसकी चूची को मुह मे लेकर चूसा था वो बात उसे बार बार याद आ रही थी और अपने जवान बेटे द्वारा माधरचोद शब्द का मतलब पूछे जाने पर उसके मन मे उथल पुथल चल रही थी , वो सोच रही थी कि उसका बेटा कितना भोला है जो उसे इस शब्द का मतलब नही पता , ऐसे भोलेपन से तो उसे लाला की जायदाद मिलने से रही उसे ही कुछ करना होगा अपने बेटे को तेज तर्रार बनाना होगा...

उधर दूसरी तरफ कल्लू लाला के घर पहुंचता है जहा पर नोकरानी चंपा लाला कि पत्नी रजनी के बालो में तेल लगा रही थी

चंपा - मालकिन आपकी उमर कितने बरस होगी

रजनी - 52 की होगी का हुआ चंपा अचानक उम्र काहे पूछने लगी

चंपा- कुछ नही मालकिन बस आपके बालों मे आजतक सफेदी ना आई इतनी उम्र होने के बाद भी लाला साहेब तो बडे नसीब वाले है मालिक जो आप आज भी जवान है

रजनी- चुप कर करमजली, चुपचाप बालों मे तेल लगा और जाकर देख ये माधरचोद हरिया काहे ना आया अबतक काम पर

चंपा- जो हुक्म मालकिन । लेकिन मैने जो कहा सच ही कहा मालकिन लाला साहब को छोडिये आप सूगना बहन के बेटे हरिया से पूछना वो भी आप पर डोरे डाले बिना रह नही पाएगा

रजनी - बेशरम, बेहया, पक्की छिनार हो गई है तू रंडी
जा जाकर हरिया से कह दे भैंस का दून निकाल दे
और जाकर बाजार से सब्जी ले आए

चंपा - ठीक है मालकिन जाती हू

(चंपा के जाने के बाद रजनी उठकर खडी हो जाती है और चंपा की बात सोचने लगती कि क्या चंपा सच कह रही थी क्या मै अभी भी जवान हू इतना सोचते सोचते रजनी शीशे के सामने खड़ी हो जाती है और खुद को निहारना लगती है )

रजनी- (मन मे).....चंपा ने कहा तो ठीक ही है मेरी इतनी
भी उम्र नही लगती ...लाला जी का जबसे
एक्सीडेंट हुआ वो मुझे शारिरीक सुख नही दे पाते
और मैंने भी अपने आप पर ध्यान देना छोड ही
दिया .....क्यू न आज हरिया को अपना रूप
दिखाऊ और उसकी प्रतिक्रिया देखू....

इतना सोचकर रजनी अपनी ब्रा उतार कर ब्लाउज दो बार पहन लेती है और उपर के दो बटन खुले रखती है और अपनी साडी का पल्लू इस तरह रखती है कि उसके बडी बडी चूचियों की गहरी घाटी आसानी से दिख सके

हरिया- मालकिन आपने बुलाया

रजनी- मालकिन के बच्चे तुझे नही पता कि भैंस दुहने का समय हो गया है.....कहा मर गया था ?

हरिया - वो मालकिन वो मै आ ही रहा था
(रजनी धीरे से अपना पल्लू अपनी छाती से सर का देती है जिसपर हरिया की नजर पडती है और वो चोर नजरों से रजनी की चूचियो को देखने लगता है जो की रजनी बखूबी जानती थी )

रजनी - माॅ के लौडे ..माधरचोद मेरे थनों को का घूर रहा है दूध भैंस का दूहना है मेरा नही

भोलाभाला हरिया डरते हुए बोल पडता है

हरिया- भैंस का ही दूध निकालूंगा मालकिन...आपका कैसे निकाल सकता हू आपको तो दूध भी नही आता होगा

रजनी को हरिया की बात से एक शरारत सूझती है और वह कहती है

रजनी- क्यू रे हरिया अगर मेरे थनो से दून निकलता तो क्या तू मेरे थनो को दूहता

हरिया- मालकिन आप कहती तो जरूर दूहता

रजनी- हाए हरामजादे...चल आज मेरे थनो को दूह और दूध निकालने की कोशिश कर

हरिया- मालकिन आपके थनो मे दूध नही होगा

सूगना- क्यू रे माधरचोद तूझे कैसे पता कि मेरे थनो मे दून ना है ....जा जाकर तेल और लोटा ले आ

हरिया अंदर जाता है और एक छोटी सी कटोरी मे तेल जो की भैंस की चूचियो पर दूध निकालने से पहले लगता जाता है और एक लोटा लेकर रजनी के कमरे आता है
अंदर आते ही जो नजारा उसे दिखाई देता है वो हैरान हो जाता है ...अंदर कमरे मे रजनी बिना ब्लाउज के केवल साडी और पेटीकोट मे अपने घुटने और हाथो के बल चौपाया बनकर खडी थी जैसे कि गाय भैंस होते है और उसकी साडी जमीन पर पडी थी यह नजारा देखकर हरिया के मन मे अजीब भाव आते है और वो खुद को संभालते हुए कहता है

हरिया- मालकिन ये क्या आप इस तरह काहे खडी है

रजनी - क्यू तुझे दूध नही दूहना क्या मेरा चल जल्दी कर देख मेरे थनो मे बचा है या नही

हरिया भोलापन से कहता है

हरिया- दूध कहा से आएगा मालकिन ना तो आप गाभिन (गर्भवती) है और ना ही आपने बच्चा दिया है भइसिया तो दूध तब देती है जब उका बच्चा उसके थनो को जूठा करता है तब उसके थनो मे दूध उतरता है आपके थनो मे दून कैसे उतरेगा मालकिन

रजनी- क्यू तू है ना ..मैने तो तूझे कबी नोकर ना समझा है हमेशा अपना ही बचवा माना है तूझे बस थोडी सी डांटती हू .....तू जूठा कर दे मेरे थनो को

हरिया - इ कइसे होगा मालकिन

रजनी - क्यू नही हो सकता है रे बचवा

हरिया- ठीक है मालकिन !

इतना कहकर हरिया झुककर रजनी की रजनी की दोनोचूची को अपने मुंह मे भर कर कुछ देर चुभलाता है जिससे रजनी की गर्म सिसकारी निकल जाती है

रजनी- आहहहहहहहह सीईईईईई हरिया मेरे बचवा दूध उतरा या नही

हरिया को चूची पीना बहुत सूख दे रहा था वो और कुछ देर पीना चाहता था धीरे धीरे उसकी जवानी का तंबू उसकी पतलून मे सिर उठाने लगा था

हरिया - अभी नही मालकिन अभी दूध नही उतरा

रजनी भी यही चाहती थी कि हरिया कुछ देर और उसकी चूचियो को चूसे

रजनी - ठीक है हरिया आहहहहहह सीईईईईईई हराम के जाने दांत मत काट रे आहहहहह दर्द होता है

हरिया डर जाता है और उठकर बैठ जाता है और कटोरी मे रखा हुआ तेल बारी बारी से रजनी के दोनो निप्पलों पर लगा देता है और बारी बारी से लोटे मे रजनी के निप्पल खीच कर दूध निकालने की कोशिश करने लगता है

रजनी - क्यू रे माधरचोद पूरे पंजा से दबोचकर दूह ना

हरिया पूरे पंजों से दोनो से रजनी की चूचियो को दबाने लगता है रजनी पूरी तरह गरम हो चुकी थी और रह रहकर गरमागरम सिसकारी छोड रही थी आज दो साल बाद किसी मरद ने उसके चूचियो को छुआ था

रजनी- आहहहहहहहह हरिया आहहहहहहहहह( इतना सिसकते हुए रजनी की बूर झड जाती ह)

हरिया- माफ करना मालकिन .....क्या हुआ

रजनी - कुछ नही माधरचोद ....जा मेरा छोड जाकर भैंस का दूध निकाल

हरिया- जो हुक्म मालकिन

( इतना कहकर हरिया चला जाता है )
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काम खत्म करके हरिया अपने घर आ जाता है आज उसने रजनी की दबी हुई वासना जगा दी थी कहने को रजनी उसकी मालकिन थी लेकिन जिस तरह के स्तनपान का सुख उसे आज हरिया ने दिया था रजनी नौकर और मालिक के बीच का भेद भूल चुकी थी वो बस हरिया से अपनी बूर चुदवाना चाहती थी उसके मन मे हरिया का लंड लेने की लालसा बढ गई थी और वो हरिया को फसाने की तरकीब सोचने लगी ।

इधर हरिया घर पहुँच जाता है

सूगना- आ गया बेटा, चल खाना लगा देती हू खा ले ।

हरिया - हा माई बहुत जोरो की भूख लगी है

सूगना- का हुआ रे तेरा मुह काहे बना हुआ है ? फिर लाला जी ने उ गाली दी ...कौन सी गाली है उ .....हा, माधरचोद , लाला जी ने फिर से तुझे माधरचोद कहा क्या ?

हरिया - (भोलेपन से) नही माई लाला जी तो शहर गए है , मालकिन ने वही गाली मुझे दी माई , और इसका मतलब क्या होता है बता ना माई ?

सूगना - तू ध्यान मत दिया कर ....लाला जी की वजह से हमारे घर चूल्हा जलता है बचवा

हरिया- माई तोसे एक बात और कहनी है

सूगना - हा बचवा बोल

हरिया-माई उ ..माई आज मैने मालकिन का दूध दुहा

सूगना -वो तो तू रोज करता है बेटा इसमे कौन सी नयी बात है

हरिया- नही माई भैंस का नही, खुद मालकिन का दूध दुहा पर दूध नही निकला (हरिया ने भोलापन मे सब बता दिया)

सूगना- का नासपिटे इ कैसे किया तूने

हरिया- माई मै क्या करता .. मालकिन ने खुद कहा तो मैने पहले उनका दूध पिया फिर लोटे मे दूध निकालने की बहुत कोशिश की पर दूध नही निकला

सूगना-क्या ! तूने मालकिन का दूध पिया

हरिया- हा माई दोनो थनो को पिया

(सूगना ये सुनकर गरम होने लगती है कि कैसे उसके बेटे ने मालकिन की चूचियो को पिया होगा)

सूगना- हाए रे नासपिटे तुझे शर्म नही आई ...कैसा लग रहा था मालकिन का दूध (इतना कहकर साडी के उपर से ही अपनी चुत को दबा देती है )

हरिया-अच्छा लगा था माई , बिल्कुल वैसा जैसे अपनी माई का दूध लगता है नरम नरम

(ये सुनकर सूगना गर्म हो जाती है और उसका मन भी हरिया को चूची पिलाने का करने लगता है )

सूगना - नही रे माधरचोद ..तोरी माई के दूध जितना मीठा मालकिन का दूध नही होगा मेरे बच्चे

हरिया - माई आप भी माधरचोद कह रही हो ....मालकिन का दूध आप जैसा ही था

सूगना - तो और का कहूँ हराम के जने ...लगता है तू अपनी माई के चूचियो का स्वाद भूल गया है तोका याद दिलवाना पड़ेगा (इतना कहकर सूगना अपनी चोली के बटन खोलकर अपनी चूचियो को आजाद कर देती है )

यह देखकर हरिया खूश हो जाता है

हरिया - माई दूध पिलाएगी हमका

सूगना - हा मेरे बच्चे जा जाकर तेल ले आ ( और इतना कहकर सूगना चौपाया बन जाती है और अपने पैरो के बीच इतना गैप रखती है ताकी हरिया नीचे से घुस सके और आराम से लेटकर उसकी चूचियो को पी सके )

हरिया तेल ले आता है और बिना कुछ बोले सूगना के पैरो के बीच से घुसकर उसके नीचे पीठ के बल लेट जाता है और सूगना की दोनो पपीते जैसी चूचियो को हाथो मे थाम लेता है

सूगना- आहहह रे नासपिटे मुह खोल और चूस अपनी माई की चूची (हरिया बिलकुल वैसा ही करता है एक छोटे बच्चे की तरह अपनी माॅ का दूध पीने लगता है, सूगना हरिया से अपनी चूचिया मसलवाना चाहती थी उसकी बूर पानी छोडने लगी थी एक जवान बेटा उसकी चूचियो को चूस रहा था वो चाहकर भी अपनी भावनाओ को काबू नही कर पा रही थी )

सूगना - बेटा दौनों हाथो से दबादबाकर पी मसलकर पी बेटवा दांत से काट तभी माई का दूध आएगा

हरिया बिलकुल वैसा ही करता है अपनी माॅ के निप्पलों को दांत से हल्के से काटता है और दोनो चूचियो को मसलमसलकर पीता है हरिया के ऐसा करने से सूगना बूरी तरह चूदवासी हो जाती है उसकी बूर गर्म भट्टी की तरह तपने लगती है

सूगना- आहहहहहहह मेरे बच्चे सीईईईईईईईई और कसकर पकड दबादबाकर माधरचोद पी माॅ के लौडे

हरिया- माई पी तो रहा हू दूध नही आ रहा है

सूगना - पीता रह बचवा आहहहहहहहह सीईईईईईईईईई हाए मेरे लाल, जोर से पी पूरा दूध पी जा बेटे

चूची दबाते दबाते दूध पीने से हरिया के लंड मे मे भी तनाव आ चुका था लेकिन हरिया को इस बात का एहसास नही था वो बस अपनि माई का दून पीने मे व्यस्त था, सूगना पूरी तरह चुदवासी हो चुकी थी उसे बस झडना ना और वो अपने आपे से बाहर हो चुकी थी उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे उसने आव देखा न ताल और वो हरिया कि कमर पर बैठ गई, एक जवान बेटा निप्पलों को काट कर दूध पीने की कोशिश कर रहा था, कमर पर बैठते ही उसे हरिया के खडे लंड का एहसास हुआ उसके मन मे बस हरिया का जवान लंड लेने की ईच्छा होने लगी उसे पाप का बोध न रहा वो धीरे धीरे हरिया के कमर पर साडी के उपर से अपनी कमर रगड़ने लगी

हरिया - आहहह माई दूध नही आ रहा है

सूगना को बस झडना था वो पूरी तरह बेचैन हो चुकी थी उसे एक तरकीब सूझी और वो हरिया के उपर से उठकर किनारे जाकर खडी ही गई, हरिया मन मसोस कर रह गया

हरिया - माई हमको पीने दो ना ( उसे चूची चूसने मे बहुत आनंद आ रहा था )

सूगना - नही बेटे , तोरे माई का चूचियो मे दूध नही आ सकता ये बात मै भूल गई थी बचवा

हरिया - माई काहे नही आ सकता , हमका पीने दे माई

(इतना कहकर हरिया खडा हो जाता है और उसकी पतलून मे बना तंबू सूगना तिरछे नजर से देखती है और चुदवासी हो जाती है मन मे सोचने लगती है इतनी सी उम्र मे इतना बडा है बडा होगा तो कैसा होगा)

सूगना- वो बेटवा चार साल पहले तोरा दूध पीना छूट गया था, क्यूँकी उ पुराने पीपल पर रहनेवाली डायन मे मुझे श्राप दिया था
(ये बस सुगना की तरकीब थी अपने बेटे को फसाने के लिए )

हरिया- कैसा श्राप माई

सूगना - बेटा उ डायन मेरे सपने मे आकर मुझसे बोली थी "सूगना आज से तोरे छाती मे दूध नही आएगा काहे से तू दिनभर अपने बेटे को दूध पिलाती है "

हरिया - तो आप का बोली माई ?

सूगना - मै डर गई थी बचवा मै कुछ ना बोली पर वो डायन फिर बोली " सूगना तोरे ऐसी जगह से दूध निकलेगा जहा से तू अपने बेटे को पिलाने का सोच भी नही सकती" इसलिए बेटा चार साल से मैने तुझे अपना दूध नही पिलाया

हरिया- तो कौन सी जगह से आता है माई दूध , ऐसी कौन सी जगह है माई मुझे बता मुझे दूध पीना है माई

( सूगना को तो बस जैसे यही सूनना था )

सूगना - बेटा बहुत गंदी जगह है रे मेरे लाड़ले तू वहा से दूध नही पी सकता बेटा

हरिया- नही माई मुझे बस दूध पीना है कोई भी जगह क्यू न हो माई बस मुझे अपनी माई का दूध पीना है

सूगना- नही मेरे लाल , अपनी माई के सूसू वाली जगह पर तू कैसे मुह लगाएगा कैसे पीएगा अपनी माई के बूर से निकलते सफेद दूध को

(इतना कहकर सूगना और गर्म हो जाती है और हरिया के जवाब का इंतजार करने लगती है)

हरिया- सूसू वाली जगह से दूध ! छी माई , (कुछसोकर) लेकिन माई मुझे पीना है

यह सूनकर सूगना पूरी तरह कामोत्तेजीत हो जाती है

सूगना- हाए रे माधरचोद .....अपनी माई की बूर को पीएगा

हरिया- हा माई मुझे बस दूध पीना है

(सूगना की तरकीब काम कर गई वो बस हरिया से अपनी बूर चटवाकर कर खूद को शांत करना चाहती थी )

सूगना- ठीक है तू चाहता है तो पिला देती हू रे ....चल खटिया पर चल

(सूगना की बूर इस खयाल से ही पावरोटी की तरह फूल कर गर्म हो गई थी कि उसका सगा बेटा उसकी बूर चूसने जा रहा है यह सोचकर उसकी बूर नमकीन पानी छोड रही थी )

हरिया - ठीक है माई

दोनो माॅ बेटे खटिया पर आ जाते है और सूगना लेटकर धीरे धीरे अपनी साडी और पेटीकोट उपर सरकारने लगती है मारे शरम के उसके दिल की धड़कन तेज हो गई थी और उसकी बूर आग की तरह जल रही थी

सूगना - आजा बचवा मेरे दोनो पैरन के बीच आ जा देख अपनी माई की बूर को पी जा मेरे लाल

हरिया अपनी माॅ के पैरो के बीच बैठ जाता है और देखता है उसकी माॅ अपनी दो उंगलियों से चुत को फैलाकर उसे चुत चाटने का न्यौता दे रही है

हरिया- माई क्या इसी मे से दूध आएगा

सूगना- हाए, हा मेरे बच्चे इसी मे से दूध आएगा लेकिन दूध बहुत अंदर है तुझे मेहनत करनी होगी अपनी माई की बूर को चूसना होगा तभी दूध निकलेगा मेरे लाल, और याद रहे ये दूध बहुत मीठा होगा मेरे बच्चे पी जा अपने माई की बूर को (इतना कहकर सूगना अपने दौनों पैरो को फैला देती है जिससे उसकी बूरी पूरी तरह खू ल जाती है)

हरिया बिना देर किये सूगना की बिना बालों वाली बूर पर अपने होठ रख देता है उसे बूर काफी गर्म महसूस होती है वो तुरंत होठ हटा लेता है

हरिया - माई ये तो जल रही है

सूगना - हा रे माधरचोद अब देर ना कर पी जा मेरे बच्चे

हरिया फिर अपना मुह अपनी माॅ के चूत पर रख देता है
इस बार सूगना अपना हाथ हरिया के सिर पर रखकर सहलाने लगती है

सूगना - हा ऐसी ही आहहहहहहहहह ओ माईईईईईईईईईई हा ऐसे ही चाट मेरे बच्चे पी जा आहहहहहहहहहहह पी जा मेरी बूर को चाट दून निकलेगा जीभ अंदर घूँसा नासपिटे आहहहहहह .....हा ऐसे ही आहहहहहहहहह ओहहहहहहहहहहह माईईईईईईईईईई रे अंदर बाहर कर जीभ को मेरे लाल आहहहहहहहहहह ( अपनी दोनो जांघों से हरिया के चेहरे को दबा लेती है ) आहहहहहहहहहहहह मेरे जिगर के टुकडे आहहहहहहह ओहहहहह ओह्ह मेरे पूत चाट पी जा अपने माई की चुत

हरिया भी गरम हो चुका था उसे चुत चाटने मे बहुत आनंद आ रहा था उसे चुत का कसैला स्वाद अमृत प्रतीत हो रहा था उसका लंड पूरी तरह खडा हो चुका था वो तेजी से अपनी मा की बूर को चूस रहा था

सूगना से बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था वो आपने चरम पर आ चुकी थी

सूगना - आहहहहहहहहह माधरचोद आहहह अदभुत आहहहहह मै झड गई, देख निकल रहा है तेरे माई की बूर से दूध पी जा बेटे

हरिया सूगना का सारा रस पी जाता है और बूर को चाटकर साफ कर देता है

सूगना उठकर खडी हो जाती है और नजरें झुकाए कपडे पहनने लगती है

हरिया- माई दूध मीठा तो नही था पर था बहुत स्वादिष्ट अब मै रोज पिऊंगा

यह सुनकर सूगना खूश हो जाती है लेकिन कुछ नही बोलती और रसोईघर मे जाकर खाना परोसती है
दोनो माॅ बेटे खाना खाकर सो जाते है ।
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आइए दोस्तों अब थोडा present मे चलते है देखते है यहा क्या हो रहा है ।

सुधिया और कल्लू पर आया दूखों का तूफान शांत तो नही हुआ था लेकिन अपना गाॅव छोडकर सुधिया सुरक्षित महसूस कर रही थी और करती भी क्यूँ ना जहा उसके पति और बेटे की हत्या हुई हो वो गाॅव उसके और उसके एकमात्र सहारे अर्थात उसके बेटे कल्लू के लिए सुरक्षित कैसे हो सकता था भला । दोनो माॅ बेटे अपना गाॅव पीछे छोडकर एक जाने पहचाने गाॅव चले आये थे जो सुधियाँ का मायका था, दिल मे बदले की आग थी किसी भी तरह लाला और उसके आदमियों से हरिया से बदला लेना था, बस इंतजार था शक्ति एकत्रित करने का अपनी ताकत बढने का इंतजार था दोनो माॅ बेटे को ।

सुधिया और कल्लू घर पहुचते है , घर काफी समय से बंद पडा था दोनो माॅ बेटे घर की साफ सफाई मे जूट जाते है तभी पड़ोस मे रहनेवाली मीना भाभी की नजर उन दोनो पर पडती है और वो सुधिया से मिलने चली आती है

(सुधिया का मायका मीना की ससुराल थी, थे तो दोनो पडोसी लेकिन दोनो पक्की सहेलियां थी और रिश्ता था ननद भाभी का )

मीना- का ही ननद रानी, कब आई हो ?
(यह आवाज सुनते ही सुधिया की ऑखे भर आती है और वो फौरन मीना से लिपटकर रोने लगती है )

मीना - का हुआ बन्नो, क्यू रो रही हो ........और इ का ....इ तोरी मांग काहे सूनी है , बेचन बाबू कहा है ...?

मीना सुधिया की हालत देखकर अधीर होने लगी और सुधियाँ के जवाब का इंतजार करने लगी , अपनी माॅ को रोता देख कल्लू भी रोने लगा , इस तरह दोनो माॅ बेटों को रोता देख मीना के मन मे जो सवाल थे कही हद तक उन सवालो को जवाब उसे मिल चुका था

सुधिया- (रोते हुए ) भाभी ........सब बर्बाद हो गया भाभी ,
मै कही की नही रही सब बर्बाद हो गया , कल्लू के
बापू और मल्लू को मार दिया भाभी , उन
जालिमों ने मार दिया( इतना कहकर सुधिया मीना
से लिपटकर रोने लगी )

मीना- (रोते हुए) बात क्या हुई है बताओ सुधिया किसने
मारा बेचन बाबू को

( सुधिया ने सारी आप बीती मीना को बताई कि कैसे हरिया ने उसके पति और बेटे की हत्या की आसपास के मुहल्ले की सारी औरतों की भीड इकठ्ठा हो चुकी थी लोग सांत्वना और दिलासा दिए जा रहे थे , इसी तरह कुछ दिन बीत गए मीना रोज सुधियाँ के घर आती दुख के समय वह उसे अकेला नही छोड़ना चाहती थी )

एक शाम .....

सुधिया- अरे भाभी आओ बैठो , मै चाय बनाती हू

मीना- ना बन्नो चाय रहने दे, मुझे जरूरी बात करनी है
तोसे..

सुधिया- हा भाभी बोलिए ना का बात है

मीना- गाॅव वाले कहते है ...तोरे परिवार को बूरी नजर लग गई अच्छा भला हसता खेलता परिवार था और सब बर्बाद हो गया , और तू लाला से बदला लेना चाहती है कैसे लेगी बदला , मैने सूना है लाला बहुत ताकतवर है ।

सुधिया- हा भाभी बात तो सही है लेकिन मै अपने बेटे और पति के साथ हुए अपराध के लिए लाला को और उसके कुत्तो को सजा देना चाहती हू और ये काम और कोई नही मेरा बेटा कल्लू करेगा

मीना- कल्लू करेगा ! तू उसकी जान भी खतरे मे डालना चाहती है , शरीर देख अपने बेटे का कितना कमजोर हो गया है वो लाला का आदमियों से लडेगा! मेरी एक सलाह मानेगी

सुधिया- कैसी सलाह भाभी

मीना- देख बन्नो मुझसे ये तेरा दुख देखा नही जाता और विधवा होने का दर्द क्या होता है ये मुझसे अच्छा कौन जान सकता है , मै तेरी और कल्लू बेटे की खूशी चाहती हू इसलिए मना मत करना

सुधिया- हा भाभी बात क्या है बताइए

मीना- देख बन्नो मुझे लगता है तेरे हँसते खेलते परिवार को किसी की बूरी नजर लग गई है और इसलिए मै चाहती हू तू मेरे साथ कल जंगल चलेगी

सुधिया- जंगल क्यू भाभी ?

मीना- जंगल मे एक बंगाली बाबा आए है दो साल से वही पर रहते है और उनके पास हर समस्या का निवारण है और मुझे यकीन है उनसे मिलने के बाद तेरे परिवार मे भी खुशियाँ आएंगी।

सुधिया- ठीक है भाभी , आप कहती है जो जरूर चलूंगी

मीना- कल दोपहर को तू और कल्लू बेटा तैयार रहना मै आऊंगी बुलाने

सुधिया- ठीक हे दीदी।
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