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Incest बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम

Alagsi

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धीरे धीरे रात होने लगी थी सुधियाँ रसोई मे खाना बना रही थी और कल्लू बाहर राजू ( मीना का बेटा) के साथ चौपाल पर बैठा था

राजू- कल्लू भाई, अब घर चला जाए बडी जोरो की भूख लगी है

कल्लू- हा भईया , अम्मा इंतजार करती होगी

दोनो अपने अपने घर को चले जाते है
कल्लू- अम्मा खाना खिला दे बहुत भूख लगी है

सुधिया- कहा गया था बेटवा, मै तो तेरी ही राह देख रही थी चल जल्दी से हाथ मुंह धो ले मै खाना लगाती हू

कल्लू- अम्मा वो मै राजू भैया के साथ चौपाल पर बैठा था , खाना लगा हाथ धोकर आता हू

( फिर दोनो माॅ बेटे साथ बैठकर खाना खाने लगते है और सुधिया बर्तन समेट कर ऑगन मे चली जाती है )

कल्लू बरामदे मे खटिया बिछाकर सोने की तैयारी करता है और उसकी माॅ लालटेन जलाकर रूम मे सो जाती है ,

भोर मे चार बजे....

मीना- बन्नो, अरी ओ बन्नो चल जल्दी खेत की तरफ जाना है (मीना सुधिया को शौच के लिए जगाने आई थी )

मीना की आवाज सुनकर सुधिया की नींद खुलती है और वह लालटेन लेकर बाहर को आती है बरामदे मे जैसे ही वो कल्लू के खटिया के पास से गुजरती है उसकी ऑखे फटी की फटी रह जाती है और पैर वही जम जाते है

वह देखती है कि उसका बेटा कल्लू गहरी नींद मे सो रहा है और उसकी लुंगी हट चुकी है और उसका घोड़े जैसा मोटा लंड मुरझाया पडा बाहर झांक रहा है, यह देखकर सुधिया हतप्रभ रह गई

सुधिया-मन मे (कल्लू ने कच्छा काहे नहीं पहना .... अरे कैसे पहनेंगा इतनी गर्मी है..इसका लंड तो इसके बापू से दोगुना है ...छी ये मै क्या सोच रही हू ...बेटा है वो मेरा)
और सुधिया कल्लू के लुंगी को सही करने लगती है

तभी फिर मीना की पुकार सुनाई देती है

मीना- अरी बन्नो जल्दी चल ...सूरज निकल आएगा
और मुझे बहुत तेज लगी है

सुधिया - आई भाभी ( लालटेन वही बरामदे मे छोडकर बाहर चली जाती है )

दोनो ननद भाभी खेतों की ओर शौच के लिए चल देते है
आगे चलते चलते आम के बगीचे मे दोनो की नजर पडती है दोनो देखती है कि एक साॅड एक बूढ़ी गाय पर चढने की कोशिश कर रहा है यह देखकर दोनो विधवाओं की चुत मे चीटियां रेंगने लगती है ...तभी मीना एक बडा सा ईट का टुकडा उठाती है और उस सांड को मार कर भगाने लगती है

सुधिया- रहने दिजिए ना भाभी, क्यू मार रही है उसे हमे पाप लगेगा , करने दिजिए ना भाभी

मीना- अरी बन्नो पाप हमे क्यू लगेगा ? मै तो पाप होने से रोक रही हू

सुधिया - क्या मतलब भाभी

मीना- ये दीनू काका की गाय है और यह सांड इसी गाय का बेटा है और यह अपनी माॅ पर ही चढ रहा है

( यह सुनकर सुधिया को झटका लगता है और उसे कल्लू के मुरझाए लंड की तस्वीर दिखने लगती है और उसकी बूर फुलकर कुप्पा हो जाती है ......कुछ देर बाद वह अपना सिर ग्लानि के भाव से झटक देती है )

सुधिया - मन मे ( छी ये मै क्या सोच रही हू वह मेरा बेटा है एकलौता सहारा है मेरा )

मीना- अरी बन्नो कहा खो गई

सुधिया - कही नही भाभी, चलिए जल्दी

फिर दोनो औरते खेत मे थोडी थोडी दूरी पर अपनी अपनी साडी अपने कमर तक उठाकर शौक करने के लिए बैठ जाती है

मीना- बन्नो, तुझे बेचन बाबू की याद नही आती

सुधिया - आती है भाभी उनके बिना जीवन काटने को दौड़ता है ,,आपको भी ती भईया की याद आती होगी

मीना- आती तो है पर वक्त के साथ धुंधला हो गया सबकुछ और राजू की परवरिश मे मै अपने सुख चैन को भूल गई और राजू मेरा बहुत ख्याल रखता है

सुधिया - भाभी क्या आपको किसी मर्द की जरूरत महसूस नही हुई

मीना - होती है मेरी बन्नो लेकिन मै अपने आप को रोकती हू अपने पति की जगहसाई नही होने दे सकती .....और वैसे एक मर्द है जो मुझे घूरता रहता है बन्नो लेकिन मै असमंजस मे हू

सुधिया - कौन है भाभी वो इसी गाॅव का है

मीना - है तो इसी गाॅव का ...और सही वक्त पर मै तुझे बताऊंगी अभी तो मै भी नही पकड पाती हू उसकी नजरों को उसके मन की भावना को

दोनो घोड़ीया शौच कर चुकी थी

सुधिया- चलिए भाभी घर ।
Ek no manas
 

Alagsi

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भोर मे चार बजे....

मीना- बन्नो, अरी ओ बन्नो चल जल्दी खेत की तरफ जाना है (मीना सुधिया को शौच के लिए जगाने आई थी )

मीना की आवाज सुनकर सुधिया की नींद खुलती है और वह लालटेन लेकर बाहर को आती है बरामदे मे जैसे ही वो कल्लू के खटिया के पास से गुजरती है उसकी ऑखे फटी की फटी रह जाती है और पैर वही जम जाते है

वह देखती है कि उसका बेटा कल्लू गहरी नींद मे सो रहा है और उसकी लुंगी हट चुकी है और उसका घोड़े जैसा मोटा लंड मुरझाया पडा बाहर झांक रहा है, यह देखकर सुधिया हतप्रभ रह गई

सुधिया-मन मे (कल्लू ने कच्छा काहे नहीं पहना .... अरे कैसे पहनेंगा इतनी गर्मी है..इसका लंड तो इसके बापू से दोगुना है ...छी ये मै क्या सोच रही हू ...बेटा है वो मेरा)
और सुधिया कल्लू के लुंगी को सही करने लगती है

तभी फिर मीना की पुकार सुनाई देती है

मीना- अरी बन्नो जल्दी चल ...सूरज निकल आएगा
और मुझे बहुत तेज लगी है

सुधिया - आई भाभी ( लालटेन वही बरामदे मे छोडकर बाहर चली जाती है )

दोनो ननद भाभी खेतों की ओर शौच के लिए चल देते है
आगे चलते चलते आम के बगीचे मे दोनो की नजर पडती है दोनो देखती है कि एक साॅड एक बूढ़ी गाय पर चढने की कोशिश कर रहा है यह देखकर दोनो विधवाओं की चुत मे चीटियां रेंगने लगती है ...तभी मीना एक बडा सा ईट का टुकडा उठाती है और उस सांड को मार कर भगाने लगती है

सुधिया- रहने दिजिए ना भाभी, क्यू मार रही है उसे हमे पाप लगेगा , करने दिजिए ना भाभी

मीना- अरी बन्नो पाप हमे क्यू लगेगा ? मै तो पाप होने से रोक रही हू

सुधिया - क्या मतलब भाभी

मीना- ये दीनू काका की गाय है और यह सांड इसी गाय का बेटा है और यह अपनी माॅ पर ही चढ रहा है

( यह सुनकर सुधिया को झटका लगता है और उसे कल्लू के मुरझाए लंड की तस्वीर दिखने लगती है और उसकी बूर फुलकर कुप्पा हो जाती है ......कुछ देर बाद वह अपना सिर ग्लानि के भाव से झटक देती है )

सुधिया - मन मे ( छी ये मै क्या सोच रही हू वह मेरा बेटा है एकलौता सहारा है मेरा )

मीना- अरी बन्नो कहा खो गई

सुधिया - कही नही भाभी, चलिए जल्दी

फिर दोनो औरते खेत मे थोडी थोडी दूरी पर अपनी अपनी साडी अपने कमर तक उठाकर शौक करने के लिए बैठ जाती है

मीना- बन्नो, तुझे बेचन बाबू की याद नही आती

सुधिया - आती है भाभी उनके बिना जीवन काटने को दौड़ता है ,,आपको भी ती भईया की याद आती होगी

मीना- आती तो है पर वक्त के साथ धुंधला हो गया सबकुछ और राजू की परवरिश मे मै अपने सुख चैन को भूल गई और राजू मेरा बहुत ख्याल रखता है

सुधिया - भाभी क्या आपको किसी मर्द की जरूरत महसूस नही हुई

मीना - होती है मेरी बन्नो लेकिन मै अपने आप को रोकती हू अपने पति की जगहसाई नही होने दे सकती .....और वैसे एक मर्द है जो मुझे घूरता रहता है बन्नो लेकिन मै असमंजस मे हू

सुधिया - कौन है भाभी वो इसी गाॅव का है

मीना - है तो इसी गाॅव का ...और सही वक्त पर मै तुझे बताऊंगी अभी तो मै भी नही पकड पाती हू उसकी नजरों को उसके मन की भावना को

दोनो घोड़ीया शौच कर चुकी थी

सुधिया- चलिए भाभी घर ।

आगे....
शौच करके दोनो अपने अपने घर चुकी थी ।
सूरज निकल आया था , और कल्लू भी जाग चुका था

सुधिया- उठ गया बेटवा, आज दोपहर मे कही बाहर ना जाना , हमलोगों को कही जाना है बेटवा

कल्लू- कहा जाना है अम्मा?

सुधिया- उ बगल के जंगल मे कोई बंगाली बाबा आए है , उन्ही का आशीर्वाद लेना है बेटवा , तेरी मीना मामी है ना ...उन्ही के साथ चलना है

कल्लू- राजू भईया भी चलेंगे क्या अम्मा

सुधिया- पता नही , जल जा शौच होकर आ मै नाश्ता बना देती हू आज काम जल्दी खत्म करना है खाना भी अभी बनाकर निपटा लेती हू ताकी जल्दी जाए और जल्दी लौट आए मौसम का कौनो भरोसा नाही है जंगल मा फस गये तो बहुत बुरा होगा ।

कल्लू- ठीक है अम्मा, मै अभी आता हू

( इतना कहकर कल्लू बाहर खेतों की तरफ चल देता है तभी उसे मीना का बेटा राजू दिखाई देता है, राजू भी हाथ मे लोटा लिए खेतों की तरफ जा रहा था )


कल्लू- राजू भईया , ओ राजू भइया रूको मै भी वही चल रहा हू

राजू- का रे छोटे , जल्दी उठ गया है

कल्लू- हा भईया, आप कुछ परेशान लग रहे हो

राजू- छोटे परेशान नही हू रे लेकिन बात ही कुछ ऐसी है

कल्लू - का बात है भईया हमे बताओ ।

राजू - बताने लायक तो ना है पर तू अपनी माई की कसम खा जो मै बताने जा रहा हू वह तू किसी से नही कहेगा

कल्लू- माई कसम भईया मै किसी से ना कहूंगा, आखिर बात क्या है भईया

राजू- देख छोटे जो मै बता रहा हू उसमे मेरी कोई गलती ना है शायद मेरी जगह तू होता तो तू भी वही करता जो मैने किया है

(कल्लू और राजू खेत मे थोडी थोडी दूरी पर अपनी अपनी धोती खोलकर बैठ जाते है )

कल्लू- ऐसा क्या कर दिया है भईया आपने

राजू- बात ये है छोटे मै रोज सोता हू छत पर बिस्तर लगाकर , आज जब मै उठा और जैसै ही अंगडाई ली मैने मेरी नजर रोशनदान पर पडी , और मेरे घर का रोशनदान बिल्कुल आंगन पर बना है

कल्लू- तो क्या बात हुई भईया जल्दी बताओ

राजू- छोटे , जल्दी मे ही गडबड होता है मैने जैसे ही रोशनदान से नीचे देखा मेरे होश उड गये मुझसे वो हो गया छोटे जो ना होना चाहिए था

कल्लू- भईया ऐसा का हो गया , बोलो ना

राजू - छोटे मैने देखा, मेरी माई पूरी नंगी होकर नहा रही है बडी बडी चूचियाॅ उभरा हुआ पेट और बाहर निकली हुई गांड देखकर मै ये भूल गया की ये पाप है माई को ऐसे नही देखना चाहिए

कल्लू- छी भईया, ये का किया आपने, मीना मामी को ऐसे हालत मे देख लिए आप वो आपकी अम्मा है

राजू- अबे साले बात पूरी सुन, माई को ऐसे देखकर मुझसे राहा नही गया और मै वही अपना लंड निकालकर हिलाने लगा और खूदको शांत किया, तभी से अपराधी जैसी भावना आ रही है , माई के सामने जाने पर उका नंगा शरीर ऑखों के सामने आता है

कल्लू- पाप तो हो गया भईया, लेकिन भूल जाइए आपकी क्या गलती है

राजू- गलती ना है छोटे लेकिन हमरा मन माई को देखकर वही सोचने लगता है

कल्लू- सब ठीक हो जाएगा भईया, चलिए घर अब अम्मा इंतजार कर रही होगी। आज दोपहर को आप भी चल रहे हो ?

राजू- कहा चलना है ?

कल्लू- मामी ने बताया नही आपको वो किसी बंगाली बाबा के पास ले जा रही है मुझे और अम्मा को

राजू- मुझे नही पता छोटे , ठीक है तूम लोग जाओ शाम को चौपाल पर मिलते है

( दोनो दोस्त अपने अपने घर को चले जाते है और धीरे धीरे दोपहर होने लगती है सुधिया और कल्लू तैयार होकर मीना का इंतजार करते है )

मीना- बन्नो, अरी ओ बन्नो, तैयार है कि नाही ?

सुधिया - हम लोग तो कबसे आपही का इंतजार कर रहे है भाभी

मीना - चल चल जल्दी चल

( बंगाली बाबा सुधिया पर आए दुखो के निवारण का रास्ता बताएंगे, तीनो इसी उम्मीद से घने जंगल मे चले जा रहे थे )

सुधिया- और कितनी दूर चलना पडेगा भाभी? मै तो थक गयी हू

मीना- बस बन्नो कुछ दूर और है

सुधिया - थोडी देर ठहरो भाभी

मीना- हा बन्नो थोडा आराम कर लेते है

(तीनो एक बडे पेड के नीचे सुस्ताने लगे)

कुछ देर बाद..

सुधिया- भाभी मुझे पेशाब लगी

(यह सुनकर कल्लू के शरीर मे अजीब सी भावना का संचार हुआ)

मीना- यो इसमे पूछने वाली कौन सी बात है इतना बडा जंगल है बैठ जा बन्नौ बूर फैलाकर

सुधिया- भाभी चुप रहो, कल्लू के सामने तो मजाक ना करो

मीना- लो कर लो बात, अब बूर को बूर ना कहूँ तो का कहूँ, क्यू कल्लू बेटा

कल्लू- (कुछ समझ नही पा रहा था क्या कहे , बस वह इतना ही कह पाया ) जी मामी

सुधिया- जी मामी के बच्चे (आज सुबह ही उसने कल्लू का मोटा लंड देखा था जो बेचन के लंठ का दोगुना था , सुधिया से रहा नही गया वो थोडी दूर जाकर कल्लू के सामने ही अपनी साडी उठाकर बैठ गई और मूतने लगी )

जैसे ही कल्लू ने अपनी माॅ की मांसल गुदाज़ गांड देखी जो की काफी भरावदार गोरी चिकनी थी जिसे देखकर बुजुर्गों का लंड भी जाग जाए , वो न चाहते हुए भी एकटक अपनी मस्तानी माॅ सुधिया की गांड को घूरने लगा
यह पहला अवसर था जब वह किसी औरत की गांड को देख रहा था

मीना-(धीरे से )अच्छी है ना बेटा
Ek no Manas
 
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सुधिया अपने चौडे चूतर फैलाकर अपने बेटे के सामने छल छल मूते जा रही थी और कल्लू नजरें बचाकर अपनी अम्मा के भारी भरकम गुदाज़ गांड को निहारता जा रहा था .....मीना ये सब देख रही थी कि कैसे उसकी मुह बोली नन्द का बेटा अपनी ही माॅ की गांड देख रहा है

मीना -अच्छी है ना बेटा ?

कल्लू- क्कक क्या मामी ?

मीना -वही जे तू देख रहो है

कल्लू- धत्त मामी (और शरमा कर दूसरी तरफ देखने लगता है तबतक सुधिया मूत चुकी थी और अपनी साडी नीचे करके खडी हो गयी )

कल्लू- चलिए भाभी....पता नही और कितनी देर चलना है

मीना- जादा दूर ना है बन्नो बस पहुचने ही वाले है
(तेजी से बंगाली बाबा और उनके बीच की दूरी कम हो रही थी अब देखना यह था कि बंगाली बाबा ऐसा क्या करनेवाले थे जिससे कल्लू एक शक्तिवान मर्द बन जाता)

चलिए थोडी नजर हरिया के अतीत मे डाल लेते है

अपनी अम्मा सूगना की चुत पीकर हरिया बेशुद्ध पडा था मानो चुत के रस को पीकर उसे मीठी निद्रा ने अपने वश मे कर लिया था यही हाल सूगना का था वह भी अपनी बूर चटवाने बाद मदहोश भरी नींद मे थी
धीरे धीरे दोपहर हो गयी और सुगना की नींद खुली , वह अब भी आनंद के सागर मे गोते लगा रही थी इस आनंद का अनुभव उसे पागल बना रहा था उसने ठान लिया था कि वह अपने बेटे हरिया को बूरचट्टा बनाएगी जो उसे वह सूख देगा जो उसे जवानी के दिनों मे अपने पति और लाला से मिलता था

हरिया जो कि गहरी नींद मे था उसका बमपिलाट लंड पैजामे से साफ झलक रहा था यह देखकर सूगना की बूर पसीजने लगी वह सोचने लगी कि ऐसा क्या करे कि उसका अपना बेटा हरिया उसकी बूर मे लंड डालकर उसकी चुदाई करे फिलहाल उसे कोई तरकीब नही सूझ रही थी इतने मे हरिया की नींद खुल जाती है अपनी माॅ को अपने करीबदेखकर हरिया मंद मंद मुस्कुराता है

हरिया - अम्मा, बताई नाही
सुगना -क्या बेटा
हरिया - वही अम्मा वो गाली का मतलब .....सब हमको माधरचोद काहे कहते है का मतलब होवत है इ गाली का
सूगना- अरे नासपिटे मतलब का करेगा जानकर (मन मे .....वक्त आने दे तोरी अम्मा तोका माधरचोद होवयका सौभाग्य देगी देखता नही कितनी तडपती हू )

हरिया -कुछ नाही अम्मा पर....वो .....
सूगना- कुछ मत बोल बेटवा बस अम्मा जो कहती है करता जा
हरिया- हा अम्मा जरूर करूंगा....वैसे आपका दूध बहुत स्वादिष्ट था
सूगना-हाय रे नासपिटे ......(आहे भरती है ) कौन सा वाला ऊपर का या नीचे का
हरिया - दोनो अम्मा लेकिन नीचे का हमको बहुत स्वादिष्ट लगा फिर कब पिलाओगी
सुगना - पिलाउंगी बेटे रात मे पी लेना.....(तूझे बहोत बडा माधरचोद बनाउंगी पूरे गाॅव मे तेरे चर्चे होंगे बेटवा ...मन मे कहती है )

हरिया -ठीक है अम्मा मै लाला जी के घर जाकर देखूं कवनो काम तो नाही आय गया है

सुगना-ठीक है बेटवा जा....और देखना मालकिन जो कहे वो कर देना आखिर उनकी ही कृपा से हमे दो जून की रोटी मिलती है

हरिया - ठीक है अम्मा ..कर दूंगा (इतना कहकर हरिया लाला के घर निकल जाता है )

हरिया - प्रनाम मालकिन ...मालिक आय गये शहर से
रजनी- नही हरिया अभी उन्हे कुछ दिनो का समय लगेगा
हरिया - ठीक है मालकिन कोई काम हो मेरे लायक तो बताय देना

(जबसे हरिया ने उसका दूध दुहा था रजनी बस हरिया से चुदवाना चाहती थी बस उसे यह समझ नही आ रहा था कि वह कैसे कहे हरिया से कि वह उसकी बूर की फाॅको को फैलाकर अपना लंड डाले )

रजनी -काम तो बहुत है रे माधरचोद ......बस यह शंका है वह काम तोसे हो पावेगा कि नाही
हरिया - काहे नाही हो पायेगा मालकिन .. ऐसा कोई काम ना है जो हरिया नही कर सकता
रजनी - रे माधरचोद इत्ता घमंड है तोके अपनेआप पर
हरिया - घमंड नाही मालकिन आतमविश्वास है

रजनी - तो ठीक है मै भी देखती हू .....जा बाहर दुवारे पे जितनी भी घास बढ गयी है सबको छिल दे .और सुन इ काम 15 मिनट मे हो जाना चाहिए....एक भी घास नही छुटनी चाहिए

हरिया- जो हुक्म मालकिन, अभी किए देता हू

(इतना कहकर हरिया घर के बाहर दुवारे जमी गाय को खुरपी से छिलने लगता है .....देखते ही देखते दस मिनट के अंदर ही हरिया सारी घास छिल देता है )

हरिया - मालकिन...ओ मालकिन .....मालकिन
रजनी- का है मुए काहे गला फाड रहा है
हरिया - अरे मालकिन ! मैने दस मिनट मे ही सारी घास छिल दी
रजनी- सारी नही छिली है माधरचोद एक जगह की घास बाकी है
हरिया- सारी छिल दी है मालकिन आप खुदैय देख लो
रजनी- अरे! माॅ के लौडे एक जगह की घास बाकी है चल इधर भीतर आ और छिल
(रजनी हरिया को भीतर कमरे मे ले जाती है और उसे रेजर पकडा देती है )

हरिया- इ तो रेजर है ना मालकिन
रजनी- हा रे हरिया इ रेजर है और इससे तुझे मेरी घास छिलनी है
हरिया - आपकी घास ! आपकी कौन सी घास ?

(इतना सुनते ही रजनी अपनी साडी और पेटीकोट उपर उठा लेती है जिससे उसकी झाॅटो से भरी हुई योनि हरिया की ऑखों के सामने आ जाती है जिसे हरिया बडे गौर से देख रहा था )

रजनी - यही घास है रे हरिया मेरे बच्चे इसे ही छील दे चिकनी बना दे मेरी चिरइया को
हरिया-ठीक है मालकिन (इतना कहकर हरिया रजनी की बूर के पास घुटनों के बल बैठ जाता है और रेजर उसकी फूली हुई बूर पर लगा देता है )

रजनी- ठहर जा ! बिना गिली किए छिलेगा तो कट जाएगी गीली कर ले बचवा
हरिया-ठीक है मालकिन अभी पानी लाता हू
रजनी-रूक(इतना कहकर हरिया का सिर अपनी बूर पर लगा देती है ...हरिया जो की अभी कुछ देर पहले अपनी अम्मा की चुत चाटकर आया था उसे पता था उसे क्या करना है वह अपनी लपलपाती जिव्हा से रजनी की बूर को चाटने लगा )

रजनी तो जैसे सातवे आसमान पर थी

रजनी - आहहहहह चाट माधरचोद पी जा मेरी बूर को कर दे गीली झड जाने दे आहहहहहहह ऊईईईईईईईईई हरिया मेरे बलम चाट मेरे बचवा आहहहहहहह आहहहहह माॅआआआआआ ऐसे ही जीभ अंदर बाहर कर दे

हरिया - चाट रहा हू मालकिन बडा स्वाद आ रहा है मालकिन ऑहहहहह उममममममम मुआआआआआआहहहहह लपपपपपपपप सर्पर्पर्पर्पर्पर्प लप्प्प्प्प्प्प्प्प्प

रजनी अपनी कमर हरिया के मुह पर मारने लगती है

रजनी- आहहहहहहह बचवा मेरे लाल कभी नोकर नही समझा तुझे चाट मेरी बूर को आहहहहहहहहह उहहहहहहहहह उफ्फफफफफफफ मेरे छोटे बलम आहहहहहहहहह तोपे वारी जाऊ आहहहहहहहहहहहह चाट मेरे बेटे उफफफफफफफ
काश!......काश! तू मेरा बेटा होता आहहहहहहह उफ्पपपफफफफफफ (इतना कह कर रजनी झडने लगती है )

हरिया- मालकिन मै आपके बेटे जैसा ही तो हू (रजनी की बूर को चाटे जा रहा था )

रजनी- हा रे बचवा अब घास छिल दे

(हरिया तूरंत रजनी की बूर पर रेजर सेट करता है जो कि चुत चटाई से काफी गीली हो चुकी थी और उसकी झाॅटे (जो भूरे सुनहरे रंग की थी) छिलने लगता है और कुछ ही देर मे रजनी की बूर चिकनी हो जाती हैं
 

Mass

Well-Known Member
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good one bhai...hope you will continue with the story and give regular updates.
 
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