Erotic update.ज़ैनब कि दूसरी सुहागरात अब्बास के साथ.
ज़ैनब अपनी चुदाई के लिए पूरी तैयार थी। पूरा मेकप और पूरी ज्वेल्लरी में वो बहुत ही हसीन लग रही थी। उसकी धड़कन तेज हो गई थी। वो किचन में जाकर जूस पी ली थी। अब उसे ठीक लग रहा था। ज़ैनब 8:00 बजने का इंतजार कर रही थी।
ठीक 8:00 बजे अब्बास खान ने दरवाजा नाक किया। वो भी नये कुर्ता पायजामा और स्कल कैप में था। ज़ैनब कौंपते हाथों से दरवाजा खोली। जैसे वो अपने घर का नहीं चूत का दरवाजा खोल रही थी अपने पिता अब्बास खान के लिए। अब्बास ज़ैनब को देखता ही रह गया। ज़ैनब बहुत हसीन थी, लेकिन आज तो वो कयामत लग रही थी। उफफ्फ.. अब्बास की आँखें चंधिया गई थी इस बेपनाह हश्न को देखकर।
ज़ैनब सुहाग सेज पर सर झुके बैठी थी जब अब्बास कमरे में आए। उस ने कमरे के दरवाज़े को बंद कर दिया और चुपचाप आ कर ज़ैनब के पास बैठ गए । अब्बास खामोशी से ज़ैनब को देख रहे थे जो लाल जोड़े में दुल्हन बनी बहुत ही सुन्दर लग रही थी।
अब्बास :- बेटी...!!
ज़ैनब:- कृपया मुझे बेटी नहीं बुलाएं। मैं आज आपकी बीवी हूं. मुझे मेरे नाम से बुलाएं.
अब्बास :- लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता।
ज़ैनब:- क्यू नहीं ??
अब्बास :- ज़ैनब यह ठीक है कि हमारी शादी हुई है पर फिर भी असल में तुम मेरी बेटी हो. हमने मजहब का अपना फर्ज पूरा करने के लिए शादी की है न की शादी के लिए। इस लिए मैं तुम्हे छू कर तुम्हे नहीं करना चाहता। तुम कहो तो मैं तुम्हारे साथ औरत मर्द वाला कोई काम नहीं करूँगा और ऐसे ही हम सो जायेंगे, मैं कल सुबह ही उस्मान को कह दूंगा कि हमारा हलाला हो चूका है और मैं तुम्हे तलाक दे कर आजाद कर दूंगा.
(असल में अब्बास तो अपनी बेटी को चोदने को पूरी तरह से तैयार था पर वो झूठ मूठ बोल कर ज़ैनब को चेक करना चाह रह था कि वो उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाना चाहती है या नहीं,)
ज़ैनब:- लेकिन एक बात आप भूल गए । जब तक आप मेरे साथ सुहागरात नहीं मनाएंगे, मेरे अंदर अपना बीज नहीं डालेंगे तब तक हमारा हलाला पूरी तरह से नहीं हो सकता और बगैर हलाला किये , हमारी तलाक नहीं हो सकती ।
अब्बास :- हम झूठ भी तो कह सकते हैं।
ज़ैनब:- बेशक हम झूठ कह सकते हैं लेकिन हकीकत से तो मुँह नहीं मोड सकते। अगर हमारा मिलन नहीं हो सकता, तो शादी ख़त्म नहीं हो सकती।
अब्बास :- इसका मतलब???
ज़ैनब:- इसका मतलब मैं हलाला के लिए पूरी तरह से तैयार हूँ. आज आप मेरे पिता नहीं बल्कि मेरे शौहर हैं। आप आगे बढ़ें और एक शोहर का अपना हक़ मुझसे से लें। मैं पूरी तरह से तैयार हूं।
ये सुनते ही अब्बास खुश हो गए।
ज़ैनब ने फिर कहा. "अब्बाजान मैं जानती हूँ की आप यह सब मेरा मन रखने के लिए कह रहे हैं. असल में तो आप मेरे से बहुत सालों से प्यार करते हैं और जिस्मानी ताल्लुकात भी बनाना चाहते हैं. मैं जानती हूँ की अम्मी के मौत के बाद आप अकेले रह गए हैं और आप के पास अपनी जिस्मानी जरूरतों को पूरा करने का कोई साधन नहीं है. मैं जानती हूँ की आप सालों से औरत के जिस्म के लिए तड़प रहे हैं. मैंने अपनी शादी के पहले कई बार आपको मुझे छुप छुप कर देखते हुए देखा है. आप को शायद पता नहीं है पर मैंने आप को कितनी ही बार अपने बैडरूम में मु...... (फिर वो मुठ शब्द कहने मैं शर्मा गयी ) , मेरा मतलब अपने अंग से खुद ही खेलते देखा है. मैंने आप को उस वक़्त मेरा नाम लेते सुना है. मैं जानती हूँ की आप बहुत सालों से मेरे से सेक्स करना चाहते हो. पर शायद बाप बेटी के रिश्ते के कारण आप हिम्मत न कर सके. मैंने तो आप को कई बार मेरी पैंटी, जो मैंने नहाते हुए बाथरूम में उतार दी थी, को सूंघते और अपने गुप्त अंग पर लपेट कर मु........ मारते देखा है. मैं तो शर्म के कारण कुछ नहीं कह सकी पर मैं जानती हूँ की आप मेरे से सेक्स करने के लिए बहुत सालों से तड़प रहे हो. अल्लाह बहुत ही मेहरबान है उस ने देखो तो आज आप को अपने मन की सालों से दबी हुई इच्छा को पूरा करने का मौका दिया है। और अब तो आप का यह मजहबी हक भी है क्योंकि अब मैं आप की बेटी नहीं बल्कि आपकी बीवी हूँ. आप कुछ मत सोचो और आगे बढ़ कर अपना पति का हक़ ले लो. मैं इसके लिए तैयार हूँ. "
यही सुनते ही अब्बास ख़ुशी से मनो पागल ही हो गया. फिर भी उसे शर्म आ रही थी कि उस का अपनी बेटी के प्रति शारीरिक आकर्षण उसकी बेटी को पता चल गया है. पर वो जानना चाहता था की उसकी बेटी ज़ैनब का उस के प्रति का विचार है. क्या वो निकाह के कारण उसको चोदने को कह रही है या उसके मन मैं भी उसके बाप के लिए वही भावनाएं है जो खुद अब्बास के मन मैं हैं.
तो वो ज़ैनब से बोला. "बेटी ज़ैनब। मैं बहुत शर्मिंदा हूँ कि मेरी उस बात का तुम्हे पता चल गया. पर जब तुम्हे पता चला तो तुमने मुझे रोका क्यों नहीं? क्या तुम उस से नाराज नहीं थी. क्या तुम्हारे मन में भी ऐसी ही भावनाएं थी ?"
ज़ैनब शर्म से मुँह छुपा कर बोली "अब्बा , अम्मी की मौत के बाद आप बिलकुल अकेले हो गए थे. हर आदमी की अपनी जरूरतें होती हैं, जिन में सेक्स भी एक जरुरत है, मैं जानती थी की आप की इस जरुरत का कोई इंतजाम नहीं है. पर फिर भी आप ने बाज़ारू औरतों से अपनी जरूरत पूरी न कर के , अपनी भवनाओँ को मार कर पाक साफ़ जिंदगी जी है. इसलिए मैं आपकी बहुत इज्जत करती हूँ. मैं चाहती थी कि किसी तरह हो सके तो आपके किसी काम आ सकूँ, पर आप ने अपने आप पर काबू रखा और कभी आगे बढ़ कर कोई हरकत मेरे साथ न की, मैं हालाँकि मन से तैयार थी की अपने प्यारे अब्बू को खुश कर सकूँ. पर हम दोनों की बाप बेटी की मर्यादा की सीमा को न तोड़ सके. पर अल्लाह बहुत मेहरबान हैं इसीलिए तो उसे रहीम कहते है, देखो उसने कैसे आज हम दोनों को अपने मन की छुपी हुइ इच्छाएं पूरी करने का मौका दिया है. इसलिए आप ज्यादा सोच विचार न करे. "
अब्बास अपनी बेटी रुपी बीवी की बात सुन कर बहुत खुश हो गया और आगे आ कर सुहाग सेज पर अपनी बेटी ज़ैनब के पास बैठ गया.
और उसके बाद आगे बाढ़ कर ज़ैनब को अपनी बाहो में भर लिया। साथ ही उन दोनों के होंठ भी आपस में मिल गए। दोनों जोश में एक दूसरे को किस करने लगे । अब्बास तो बहुत अरसे से प्यासे थे लेकिन ज़ैनब को सेक्स किये हुए इतने दिन नहीं हुए थे।
लेकिन फिर भी वो खुल केर उनका साथ दे रही थी। ज़ैनब अब्बू की आँखों में देखती हुई शर्मा गई और उसकी नजरें झुक गई। अब्बास के लिए ता ज़ैनब का ये अंदाज जानलेवा था। अब्बास यूँ ही खड़ा रहा तो ज़ैनब एक कदम आगे बढ़कर उसके गले से लिपट गई, और कहा- " अब्बू , ऐसे क्यों देख रहे हैं, मुझं शर्म आ रही है...
अब्बास अपने होश में लौटा, और बोला- "मैंने सुना था हूरों के बारे में, आज यकीन हो गया की वो होती होगी, सुभान अल्लाह, तुम्हारा हुस्न तो बेमिशाल है..."
ज़ैनब अपनी तारीफ सुनकर और शर्मा गई और अब्बास को कसकर पकड़ ली। अब्बास ने भी प्यार से उसकी पीठ पे हाथ फैरा। ज़ैनब उसे देख रही थी।
ज़ैनब उसके सीने से लग गई और महसूस करने की कोशिश करने लगी की अब्बू ही उसका सब कुछ है ज़ैनब का रोम-रोम सिहर उठा। अब वो अब्बू की दुल्हन है, अब्बू की बीवी है। अब अगर मैं अब्बू के साथ कुछ भी करती हैं तो कुछ गलत नहीं कर रही हैं मैं। अब अब्बू का पूरा हक है मेरे पे। अब मुझे कुछ भी सोचने की जरुरत नहीं है। अब्बू अब मेरे पति हैं।
ज़ैनब थोड़ी देर बाद अब्बास से अलग हुई एक ग्लास उठाकर अब्बास को दी जिसमें दूध भरा हुआ था। अब्बास की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उसने खुद इतना उम्मीद नहीं किया था। वो दूध पी लिया तो ज़ैनब दूसरे ग्लास से उसे पानी दी। अब्बास ने पानी पी लिया और नीचे रख दिया। उसने एक हाथ से ज़ैनब का एक हाथ पकड़ लिया था।
ज़ैनब कि दूसरी सुहागरात अब्बास के साथ.
ज़ैनब अपनी चुदाई के लिए पूरी तैयार थी। पूरा मेकप और पूरी ज्वेल्लरी में वो बहुत ही हसीन लग रही थी। उसकी धड़कन तेज हो गई थी। वो किचन में जाकर जूस पी ली थी। अब उसे ठीक लग रहा था। ज़ैनब 8:00 बजने का इंतजार कर रही थी।
ठीक 8:00 बजे अब्बास खान ने दरवाजा नाक किया। वो भी नये कुर्ता पायजामा और स्कल कैप में था। ज़ैनब कौंपते हाथों से दरवाजा खोली। जैसे वो अपने घर का नहीं चूत का दरवाजा खोल रही थी अपने पिता अब्बास खान के लिए। अब्बास ज़ैनब को देखता ही रह गया। ज़ैनब बहुत हसीन थी, लेकिन आज तो वो कयामत लग रही थी। उफफ्फ.. अब्बास की आँखें चंधिया गई थी इस बेपनाह हश्न को देखकर।
ज़ैनब सुहाग सेज पर सर झुके बैठी थी जब अब्बास कमरे में आए। उस ने कमरे के दरवाज़े को बंद कर दिया और चुपचाप आ कर ज़ैनब के पास बैठ गए । अब्बास खामोशी से ज़ैनब को देख रहे थे जो लाल जोड़े में दुल्हन बनी बहुत ही सुन्दर लग रही थी।
अब्बास :- बेटी...!!
ज़ैनब:- कृपया मुझे बेटी नहीं बुलाएं। मैं आज आपकी बीवी हूं. मुझे मेरे नाम से बुलाएं.
अब्बास :- लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता।
ज़ैनब:- क्यू नहीं ??
अब्बास :- ज़ैनब यह ठीक है कि हमारी शादी हुई है पर फिर भी असल में तुम मेरी बेटी हो. हमने मजहब का अपना फर्ज पूरा करने के लिए शादी की है न की शादी के लिए। इस लिए मैं तुम्हे छू कर तुम्हे नहीं करना चाहता। तुम कहो तो मैं तुम्हारे साथ औरत मर्द वाला कोई काम नहीं करूँगा और ऐसे ही हम सो जायेंगे, मैं कल सुबह ही उस्मान को कह दूंगा कि हमारा हलाला हो चूका है और मैं तुम्हे तलाक दे कर आजाद कर दूंगा.
(असल में अब्बास तो अपनी बेटी को चोदने को पूरी तरह से तैयार था पर वो झूठ मूठ बोल कर ज़ैनब को चेक करना चाह रह था कि वो उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाना चाहती है या नहीं,)
ज़ैनब:- लेकिन एक बात आप भूल गए । जब तक आप मेरे साथ सुहागरात नहीं मनाएंगे, मेरे अंदर अपना बीज नहीं डालेंगे तब तक हमारा हलाला पूरी तरह से नहीं हो सकता और बगैर हलाला किये , हमारी तलाक नहीं हो सकती ।
अब्बास :- हम झूठ भी तो कह सकते हैं।
ज़ैनब:- बेशक हम झूठ कह सकते हैं लेकिन हकीकत से तो मुँह नहीं मोड सकते। अगर हमारा मिलन नहीं हो सकता, तो शादी ख़त्म नहीं हो सकती।
अब्बास :- इसका मतलब???
ज़ैनब:- इसका मतलब मैं हलाला के लिए पूरी तरह से तैयार हूँ. आज आप मेरे पिता नहीं बल्कि मेरे शौहर हैं। आप आगे बढ़ें और एक शोहर का अपना हक़ मुझसे से लें। मैं पूरी तरह से तैयार हूं।
ये सुनते ही अब्बास खुश हो गए।
ज़ैनब ने फिर कहा. "अब्बाजान मैं जानती हूँ की आप यह सब मेरा मन रखने के लिए कह रहे हैं. असल में तो आप मेरे से बहुत सालों से प्यार करते हैं और जिस्मानी ताल्लुकात भी बनाना चाहते हैं. मैं जानती हूँ की अम्मी के मौत के बाद आप अकेले रह गए हैं और आप के पास अपनी जिस्मानी जरूरतों को पूरा करने का कोई साधन नहीं है. मैं जानती हूँ की आप सालों से औरत के जिस्म के लिए तड़प रहे हैं. मैंने अपनी शादी के पहले कई बार आपको मुझे छुप छुप कर देखते हुए देखा है. आप को शायद पता नहीं है पर मैंने आप को कितनी ही बार अपने बैडरूम में मु...... (फिर वो मुठ शब्द कहने मैं शर्मा गयी ) , मेरा मतलब अपने अंग से खुद ही खेलते देखा है. मैंने आप को उस वक़्त मेरा नाम लेते सुना है. मैं जानती हूँ की आप बहुत सालों से मेरे से सेक्स करना चाहते हो. पर शायद बाप बेटी के रिश्ते के कारण आप हिम्मत न कर सके. मैंने तो आप को कई बार मेरी पैंटी, जो मैंने नहाते हुए बाथरूम में उतार दी थी, को सूंघते और अपने गुप्त अंग पर लपेट कर मु........ मारते देखा है. मैं तो शर्म के कारण कुछ नहीं कह सकी पर मैं जानती हूँ की आप मेरे से सेक्स करने के लिए बहुत सालों से तड़प रहे हो. अल्लाह बहुत ही मेहरबान है उस ने देखो तो आज आप को अपने मन की सालों से दबी हुई इच्छा को पूरा करने का मौका दिया है। और अब तो आप का यह मजहबी हक भी है क्योंकि अब मैं आप की बेटी नहीं बल्कि आपकी बीवी हूँ. आप कुछ मत सोचो और आगे बढ़ कर अपना पति का हक़ ले लो. मैं इसके लिए तैयार हूँ. "
यही सुनते ही अब्बास ख़ुशी से मनो पागल ही हो गया. फिर भी उसे शर्म आ रही थी कि उस का अपनी बेटी के प्रति शारीरिक आकर्षण उसकी बेटी को पता चल गया है. पर वो जानना चाहता था की उसकी बेटी ज़ैनब का उस के प्रति का विचार है. क्या वो निकाह के कारण उसको चोदने को कह रही है या उसके मन मैं भी उसके बाप के लिए वही भावनाएं है जो खुद अब्बास के मन मैं हैं.
तो वो ज़ैनब से बोला. "बेटी ज़ैनब। मैं बहुत शर्मिंदा हूँ कि मेरी उस बात का तुम्हे पता चल गया. पर जब तुम्हे पता चला तो तुमने मुझे रोका क्यों नहीं? क्या तुम उस से नाराज नहीं थी. क्या तुम्हारे मन में भी ऐसी ही भावनाएं थी ?"
ज़ैनब शर्म से मुँह छुपा कर बोली "अब्बा , अम्मी की मौत के बाद आप बिलकुल अकेले हो गए थे. हर आदमी की अपनी जरूरतें होती हैं, जिन में सेक्स भी एक जरुरत है, मैं जानती थी की आप की इस जरुरत का कोई इंतजाम नहीं है. पर फिर भी आप ने बाज़ारू औरतों से अपनी जरूरत पूरी न कर के , अपनी भवनाओँ को मार कर पाक साफ़ जिंदगी जी है. इसलिए मैं आपकी बहुत इज्जत करती हूँ. मैं चाहती थी कि किसी तरह हो सके तो आपके किसी काम आ सकूँ, पर आप ने अपने आप पर काबू रखा और कभी आगे बढ़ कर कोई हरकत मेरे साथ न की, मैं हालाँकि मन से तैयार थी की अपने प्यारे अब्बू को खुश कर सकूँ. पर हम दोनों की बाप बेटी की मर्यादा की सीमा को न तोड़ सके. पर अल्लाह बहुत मेहरबान हैं इसीलिए तो उसे रहीम कहते है, देखो उसने कैसे आज हम दोनों को अपने मन की छुपी हुइ इच्छाएं पूरी करने का मौका दिया है. इसलिए आप ज्यादा सोच विचार न करे. "
अब्बास अपनी बेटी रुपी बीवी की बात सुन कर बहुत खुश हो गया और आगे आ कर सुहाग सेज पर अपनी बेटी ज़ैनब के पास बैठ गया.
और उसके बाद आगे बाढ़ कर ज़ैनब को अपनी बाहो में भर लिया। साथ ही उन दोनों के होंठ भी आपस में मिल गए। दोनों जोश में एक दूसरे को किस करने लगे । अब्बास तो बहुत अरसे से प्यासे थे लेकिन ज़ैनब को सेक्स किये हुए इतने दिन नहीं हुए थे।
लेकिन फिर भी वो खुल केर उनका साथ दे रही थी। ज़ैनब अब्बू की आँखों में देखती हुई शर्मा गई और उसकी नजरें झुक गई। अब्बास के लिए ता ज़ैनब का ये अंदाज जानलेवा था। अब्बास यूँ ही खड़ा रहा तो ज़ैनब एक कदम आगे बढ़कर उसके गले से लिपट गई, और कहा- " अब्बू , ऐसे क्यों देख रहे हैं, मुझं शर्म आ रही है...
अब्बास अपने होश में लौटा, और बोला- "मैंने सुना था हूरों के बारे में, आज यकीन हो गया की वो होती होगी, सुभान अल्लाह, तुम्हारा हुस्न तो बेमिशाल है..."
ज़ैनब अपनी तारीफ सुनकर और शर्मा गई और अब्बास को कसकर पकड़ ली। अब्बास ने भी प्यार से उसकी पीठ पे हाथ फैरा। ज़ैनब उसे देख रही थी।
ज़ैनब उसके सीने से लग गई और महसूस करने की कोशिश करने लगी की अब्बू ही उसका सब कुछ है ज़ैनब का रोम-रोम सिहर उठा। अब वो अब्बू की दुल्हन है, अब्बू की बीवी है। अब अगर मैं अब्बू के साथ कुछ भी करती हैं तो कुछ गलत नहीं कर रही हैं मैं। अब अब्बू का पूरा हक है मेरे पे। अब मुझे कुछ भी सोचने की जरुरत नहीं है। अब्बू अब मेरे पति हैं।
ज़ैनब थोड़ी देर बाद अब्बास से अलग हुई एक ग्लास उठाकर अब्बास को दी जिसमें दूध भरा हुआ था। अब्बास की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उसने खुद इतना उम्मीद नहीं किया था। वो दूध पी लिया तो ज़ैनब दूसरे ग्लास से उसे पानी दी। अब्बास ने पानी पी लिया और नीचे रख दिया। उसने एक हाथ से ज़ैनब का एक हाथ पकड़ लिया था।