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Incest बेटी का हलाला अपने ही बाप के साथ

Ajju Landwalia

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अब्बास लण्ड के लिए रास्ता बनाता हुआ चूत सहला रहा था और ज़ैनब अपनी कमर उठाकर लण्ड अंदर ले लेना चाहती थी। अब्बास लण्ड को चूत से सटाकर ज़ैनब के ऊपर लेट गया और उसके होठों को चूमने लगा और चचियों मसलने लगा।

ज़ैनब अब बर्दाश्त नहीं कर पाई, कहा- "डालिए ना अब्बू अंदर, क्या कर रहे हैं आप?"

अब्बास ज़ैनब के गालों को चमता बोला- "क्या डालं मेरी जान?"

ज़ैनब एक झटके में बोली- "लण्ड..." लेकिन तुरंत ही उसे एहसास हो गया की वो क्या बोली और शर्मा गईं।

अब्बास उसकी चूचियों पे दाँत काटता हुआ पूछा- “कहाँ मेरी जान?"

ज़ैनब दो सेकेंड के लिए रुकी लेकिन फिर अपने शर्म को त्यागती हुई बोली- "मेरी चूत में। ओह्ह... अब्बा क्यों तड़पा रहे हैं आज तो हमारी सुहागरात है. इस रात के लिए तो मैं और आप न जाने कितनी सालों से तड़पे है आज अल्लाह के रेहमत से यह दिन आया है तो आप मुझे क्यों तड़पा रहे हैं?"

अचानक ज़ैनब को अपना जिस्म फटता हुआ महसूस हुआ। वो दर्द से बिलख गई। अब्बास ने ज़ैनब को कस के अपनी बाहों में पकड़ लिया था। अब्बास का लण्ड ज़ैनब की चूत के रास्ते को खोल चका था। अब्बास ने अपनी कमर का भार ज़ैनब की चूत पे बढ़ाया और अपने दर्द को सहती हुई ज़ैनब आह्ह... आह करती हुई दोनों पैर को पूरी तरह फैला ली और फाइनली अब्बास खान का लण्ड ज़ैनब शर्मा की चूत के अंदर आ चुका था। अब्बास ने अब एक धक्का मारा और उसका लण्ड ज़ैनब की चूत की गहराइयों में उत्तरता चला गया।

ज़ैनब को बहुत दर्द हो रहा था. पर यह तो वो दर्द था जिस के लिए वो दोनों बाप बेटी न जाने कब से तड़प रहे थे. इसलिए चाहे जैनब को कितना भी दर्द हो रहा था पर वो अपने होंठ भींचे लेती थी. उसको दर था कि कहीं उसके अब्बा को लगा कि उसकी प्यारी बेटी को उसके हल्लबी लण्ड से दर्द हो रहा है तो कहीं उसका बाप अपने लण्ड बाहर न निकल ले,

लेकिन अब्बास भी तो उम्रदराज था. अपनी बेटी की शक़ल से ही वो समज गया कि ज़ैनब को दर्द हो रहा है, तो वो थोड़ा रुक गया और प्यार से ज़ैनब के होंठों को चूमता हुआ बोलै.

"क्या बाप है बेटी? क्या बहुत दर्द हो रहा है? तुम अगर कहो तो मैं अपना लण्ड बाहर निकल लेता हूँ. "

ज़ैनब ने एकदम से आँखें खोली जैसे उसे डर हो कि कहीं उस का अब्बू अपना लण्ड सच में ही बाहर न निकल ले,

वो अपने अब्बा की आँखों में प्यार से देखते हुए बोली.

"अब्बा आप चिंता न करें। बस थोड़ी देर रुक जाइए, असल में आप का ये (वो अभी भी शर्म के कारण लण्ड शब्द का प्रयोग नहीं कर पा रही थी ) हथियार तो बहुत ही बड़ा है, इतना बड़ा लेने की मुझे आदत नहीं है न. बस थोड़ी ही देर में दर्द कम हो जायेगा. "

अब्बास अपनी बेटी की एक चूची को मसलता हुआ बोलै.

" बेटी क्या उस्मान का लण्ड मेरे से कुछ छोटा है। जो तुम कह रही हो कि तुम्हे इतना बड़ा लेने की आदत नहीं है. "

ज़ैनब ने शर्म से अपने अब्बा की छाती में मुँह छुपा लिया और बोली.

"अब्बा उस्मान का लण्ड तो मुश्किल से ४-५ इंच का होगा, पर आप का तो लगभग ८ इंच का है. ऊपर से असली दिक्कत तो इसकी मोटाई से है. उस्मान का लण्ड तो ज्यादा से ज्यादा २ -३ इंच मोटा होगा पर आप का तो बेलन की तरह इतना मोटा है की शायद मेरी कलाई भी इतनी मोती न होगी. तो आप ही बताइये कि मैं भी क्या करूँ. चाहे उस्मान से मेरी शादी को कितना ही समय हो चूका हो पर फिर भी मुझे इतना मोटा झेलने में दर्द तो होगा ही ना?"

अब्बास समझ गया की उसकी बेटी को चोदने के लिए उसे थोड़ी सबर से काम लेना पड़ेगा. उसने अपने लण्ड अपनी बेटी की चूत में ही रहने दिया और उसने ज़ैनब के मम्मो को चूसना शुरू कर दिया. इस से ज़ैनब का दर्द थोड़ा कम होना शुरू हो गया और उसे फिर से मझा आने लगा.

थोड़ी देर ऐसे हे करते रहने से ज़ैनब का दर्द कम हो चुका था। वो कोई कुँवारी लड़की तो नहीं थी फिर भी अभी भी पूरा लण्ड अंदर नहीं गया था। अब्बास ज़ैनब के होठों को चूमने लगा, चूसने लगा। अब्बास ने एक धक्का और मारा और बचा खुच लण्ड भी ज़ैनब की चूत में समा गया। अब्बास अब कस कस के धक्के लगाने लगा।

ज़ैनब आहह ... उऊहह ... करने लगी। अब्बास के धक्के में ज़ैनब का पूरा जिस्म हिल रहा था। ज़ैनब की मुलायम चूचियां पूरी तरह से उछल रही थी, और अब्बास अपने अरमान पूरे कर रहा था। तुरंत ही ज़ैनब की चूत में अपना पानी छोड़ दिया। लेकिन तुरंत ही वो फिर से गरमा गई थी।

लण्ड डाले डाले ही अब्बास ने अपनी बेटी को अपने ऊपर कर दिया और खुद नीचे लेट गया। अब ज़ैनब अब्बास के लण्ड पे उछल रही थी। ज़ैनब की चूचियां ऊपर-नीचे हो रही थी । ज़ैनब पूरा ऊपर आ रही थी और फिर पूरा नीचे जा रही थी। थोड़ी देर बाद अब्बास ने ज़ैनब को कुतिया की तरह चार पैरों पे कर दिया और उसकी गाण्ड पे कम के एक हाथ मारा। ज़ैनब इस तरह हो गई की उसकी गाण्ड बाहर की तरफ निकल गई और कमर नीचे हो गई। अब्बास ज़ैनब के पीछे आया और उसकी चूत में अपना लण्ड घुसेड़ दिया।

ज़ैनब की चूत में फिर पानी बह निकला और अब्बास के हर धक्के से ज़ैनब की चूत से वो पानी बाहर आ रहा था। अब्बास ज़ैनब को जोर जोर से चोदने लगा। ज़ैनब पस्त हो चुकी थी। बहुत देर हो चुकी थी । ज़ैनब आधे घंटे से इतने विशाल लण्ड को अपनी नाजुक सी चूत में झेल रही थी।

अब्बास ज़ैनब से पूरी तरह चिपक गया और लण्ड चूत के आखिरी छोर में जा सटा और अब्बास के लण्ड में पानी गिरा दिया। अंदर वीर्य की गर्मी पाते ही ज़ैनब की चूत तीसरी बार पानी छोड़ दी। जब बीर्य की आखिरी बंद भी ज़ैनब की चूत में गिर गई तो अब्बास ने अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया और ज़ैनब के बगल में ढेर हो गया। लण्ड के बाहर आते ही ज़ैनब की चूत में वीर्य का और चूत के पानी का मिक्स्च र बाहर बेड पे बहनें लगा। दोनों पीने से लथपथ हो चुके थे। इस महयुद्ध में एक बार फिर से चूत की ही जीत हुई और इतना विशाल लण्ड भी अब थक हार कर मुर्दे की तरह पड़ा हुआ था। बेड के सारे फूल रौदे मसले जा चुके थे।

आखिरकार, ज़ैनब आज अपने बाप अब्बास से चुद ही गई। इतनी मजेदार चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी। वो पशीने से लथपथ थी। अब्बास भी अपनी बेटी रूपी इस अप्सरा को अपने मन मुताबिक चोदकर निढाल पड़ा था।

ज़ैनब ऐसे ही नंगी लेटी रही। उसकी चूत में अभी भी अब्बास का वीर्य और खुद उसकी चूत का पानी मिलकर बाहर बह रहा था और बेंड को गीला कर रहा था। ज़ैनब के जिस्म में तो जैसे जान ही नहीं थी। ३ बार उसकी चूत से पानी निकला था। एक बार तो वो खुद नहाते वक़्त निकाली थी

और तीन बार अब्बास ने चोदते हुए निकाल दिया।

ज़ैनब मन में- "उफफ्फ... ऐसे भी कहीं चदाई होती है। इतनी देर तक। एक तो इतना बड़ा घोड़े का लण्ड है और उसमें इतनी देर तक चोदते रहे। मेरी तो चूत छिल गई है। पूरा बदन दर्द कर रहा है। लेकिन एक बात की खुशी है की में इनका साथ दे पाई। मुझे ख़ुशी है कि मेरे अब्बा को आज मुझे चोद कर मजा तो आया होगा ना? संतुष्ट तो हए होंगे ? पता नहीं, लेकिन इतने में भी अगर कोई संतुष्ट ना हो तो अब क्या जान निकल के मानेगा?

Gazab ki hahakari update he Ting ting Bhai,

Aag hi laga di Bro............

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Napster

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अब्बास में हाथ को सामने किया और नीचे से ब्रा के अंदर हाथ डालता हुआ चूचियों को मसलने लगा। वो जोर जोर से चचियों और निपलों का मसलने लगा। अब्बास ने ब्रा को हाथ से निकाल दिया। अब ज़ैनब ऊपर से टापलेश थी। अब अब्बास ने ज़ैनब को फिर से सीधा लिटा दिया और चूचियों को चूस रहा था। अब्बास एक निपल को मुँह में लेकर बच्चों की तरह चूस रहा था। अगर ज़ैनब दूध दे रही होती तो अब्बास तुरंत ही उसका टैंकर खाली कर देता। वो दूसरे निपल को मसलता उंगली में लेकर जा रहा था। गोरी चूचियां लाल हो रही थी। ज़ैनब आह्ह... उह्ह.. करने लगी थी। उसे लग रहा था की अब्बास जल्दी में उसे नंगी करतें और तुरंत ही चोद डालते।

फिर अब्बास दूसरे निपल को चूसने लगा और ज़ैनब के पेंट, बगल को सहलाने लगा और पेंट सहलाते हए लहँगा के ऊपर से जांघों को सहला रहा था। ज़ैनब का एक पैर सीधा था और दूसरा पैर उसने मोड़ लिया था। अब्बास लहँगा ऊपर करना शुरू कर दिया और फिर लहँगे के अंदर हाथ डालकर वो ज़ैनब की नंगी जांघों को सहलाने लगा था। ज़ैनब का जिस्म हिलने लगा था अब। अब्बास का हाथ पैंटी के ऊपर से चूत में था और वो चूत के आसपास के एरिया को सहला रहा था। अब्बास ने लहँगा का पूरा ऊपर कर दिया।

ज़ैनब अंदर में लाल रंग की डिजाइनर पैटी पहनी थी जो आधी ट्रांसपेरेंट थी चूत के ऊपर। अब्बास ज़ैनब के पैरों के बीच में आ गया और अच्छे से पेंटी को देखता हुआ जाँघों और पैंटी को सहलाने लगा। ज़ैनब की चूत तो कब से गीली थी और वो गीलापन पैटी पे भी आ चुका था। अब ज़ैनब के लिये बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। अब्बास को अपनी गीली पैंटी को देखते पाकर वो शर्मा गई।

अब्बास में ज़ैनब के लहंगे को उतार दिया और अपने कुर्ते को उतारते हुए ज़ैनब के बगल में लेट गया। ज़ैनब चाह रही थी की जल्दी से अब्बास उसकी पेंटी भी उतार दे और चोदना शुरू कर दें। लेकिन अब्बास को बिना पेंटी उतारे बगल में लेटता हुआ देखकर उसे मायूसी हई। ज़ैनब सिर्फ एक लाल पैंटी में अब्बास खान के साथ लेटी हुई थी । ज़ैनब के हिलने से चूड़ी और पायल की आवाज आ रही थी, और कमरे में बैंड में हर तरफ फूल बिखरे हए थे। अब्बास ज़ैनब के बगल में लेटकर उसे अपने सीने से चिपका लिया और उसके हठों को चूसने लगा और पीठ को सहलाते हए पैंटी के अंदर हाथ डालकर गाण्ड को सहलाने लगा।

पीछे से ज़ैनब की आधी गाण्ड दिख रही थी तो, अब्बास अपना हाथ सामने लाया और ज़ैनब की चिकनी चूत को सहलाने लगा। अब्बास का हाथ ज़ैनब की लाल पैंटी के अंदर उसकी चिकनी गीली चूत पे था। अब्बास चूत को सहला रहा था और उसने अपनी एक उंगली गरमाई ज़ैनब की गीली चूत के अंदर डाल दिया। उफफ्फ... चूत के अंदर का तापमान पूरा बढ़ा हुआ था। उंगली चूत में जाते ही ज़ैनब का बदन हिलने लगा और वो अब्बास को कस के पकड़ ली और उसके होठों को चमने लगी। पेंटी सामने में भी चूत में नीचे हो चुकी थी।

अब्बास चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगा और पैटी को नीचे करता गया। पैंटी घुटने तक पहुँच चुकी थी। अब्बास उठकर बैठ गया और ज़ैनब को सीधा किया। अब्बास ज़ैनब के पैरों के बीच बैठ गया और उसकी पैंटी को उतार दिया।

ज़ैनब अब पूरी नंगी लेटी हुई थी अब्बास के आगे। अब उसके जिस्म में बस चूड़ी, कंगन, पायल ही थे। अब्बास ज़ैनब के चमकतें जिस्म को निहारने लगा। ज़ैनब उस तरह अब्बा को देखता देखकर शमां गई और अपनी मेहन्दी लगे हाथों से अपना चेहरा छुपा ली।

अब्बास मुश्कुरा दिया। उसने ज़ैनब के पैर फैलाए तो गोली चूत के होंठ आपस में खुल गये। वो अपने एक हाथ से चूत को फैलाया । ज़ैनब आँख से थोड़ा सा देखी और अपने अब्बा को इस तरह उसकी चूत के प्यार से देखता देख कर देखकर और शर्मा गई। अब्बास अपनी उंगली चूत में अंदर-बाहर करने लगा।

अब्बास की उंगली चूत से बाहर आई तो पूरी तरह गीली थी। अब्बास ज़ैनब को अपनी गीली उंगली दिखाने लगा और उसी हाथ से ज़ैनब की एक चूची और निपल को मसलने लगा।अब्बास निपल को कस के मसलकर ऊपर खींचने लगा। ज़ैनब आउ: करती हई दर्द कम करने के लिए अपने बदन को ऊपर उठाई और चेहरे से हाथ हटाकर अब्बास का हाथ पकड़ ली। अब्बास मुश्कुरा दिया।

अब्बास फिर से ज़ैनब के पैरों के बीच बैठ गया। अब्बास ने ज़ैनब के पैरों को अच्छे से फैला दिया, और अपने हाथों से चूत को फैलाता हुआ चूत पे किस किया और फिर चूसने लगा। वो अपनी उंगली भी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था और चूत को चूस भी रहा था। हाथ से चूत के छेद को फैलाकर अपनी जीभ को चूत के अंदरूनी हिस्से में सटा रहा था अब्बास अपनी जीभ से ही ज़ैनब की चुदाई कर रहा था। अब्बास जीभ को चूत के अंदर सटाकर चूस रहा था और फिर चूत के दाने को मुँह में भरकर खींचने लगा था।

ज़ैनब अब खुद को नहीं रोक पाई और उसके मुँह से आऽ5 उड्... की आवाज निकलने लगी। अब्बास ज़ैनब की चूत को चूसता जा रहा था और बीच-बीच में उंगली भी करता जा रहा था। ज़ैनब अपने बदन को ऐठने लगी और उसकी चूत में कामरस छोड़ दिया और अब्बास को पता चला गया। ज़ैनब हाँफ रही थी।

अब्बास अब लेटी हूई ज़ैनब के मुँह के पास आया और अपने पायजामें को नीचे कर दिया और उसका विशाल सा लण्ड उसके अंडरवेर को फाड़ने के लिए तैयार था। उसने ज़ैनब का हाथ पकड़कर अपने अंडरवेर पे रखा और ज़ैनब ने अपने बाप का लण्ड धीरे से शरमाते हुए पकड़ लिए और उसे सहलाने लगी। अब्बास ज़ैनब के बगल में सीधा लेट गया।

ज़ैनब करवट होकर अब्बास से चिपक गई, उसकी चूचियां अब्बास के जिश्म से दब रही थी। अब वो अब्बास के लण्ड का अंडरवेर के ऊपर से सहला रही थी। ज़ैनब से अब रहा नहीं जा रहा था उस का मन तो कर रहा था की उस का अब्बा अब्बास जल्दी से जल्दी लण्ड को उसकी चूत के अंदर डाल दे और खूब जोर जोर से उसे छोड़ दे. पर जब उसने अब्बू को ऐसा कुछ न करते देखा तो तो उसे लगा की ऐसे तो उस का अब्बा पूरी रात ऐसे ही गुजार देगा तो उसे खुद ही कुछ करना पड़ेगा. यस सोच कर ज़ैनब थोड़ा सा उठी और अंडरवेर को नीचे कर दी। अंडरबेर नीचे करते ही फुफकारते हए सौंप की तरह लण्ड बाहर निकला और तनकर खड़ा हो गया। ज़ैनब मुश्कुरा दी।

उसे लण्ड और बड़ा और मोटा नजर आया। आज फाइनली उस के प्यारे अब्बा के इस मोटे और बड़े से लण्ड को ज़ैनब की छोटी सी चूत के अंदर की सैर करनी थी।

ज़ैनब उस लण्ड को सहलाने लगी यह उस के बाप का वही प्यारा सा लण्ड तह जिसने कई बार उसके नाम का मूठ मारा था। ज़ैनब का ये सब पहला अनुभव था। वो अपने पति उस्मान के साथ ये सब कुछ नहीं की थी, फिर भी अब्बा को बुरा ना लगे और उसे खुशी मिले, उसने अब्बास का पायजामा और अंडरवेर को नीचे करके उतार दिया और अब्बास के पैरों के बीच बैठ गईं। ज़ैनब लण्ड को पूरे हाथ में लेकर पकड़ ली और झुकती हुई उसे किस की। लण्ड की खुश्ब उसे दीवाना कर गई। वो लण्ड पे झकती गई और मैंह को फैलाती गई और फिर उसे मैंह में लेकर चूसने लगी। उसकी चूचियों अब्बास के जांघों को सहला रही थी। ज़ैनब अपने मुँह का और फैलाई और अच्छे से लण्ड का मुँह में भर कर चूसने लगी।

उसने अपनी सहेलियों से लण्ड को चूसने के बारे में सुना तो जरूर था पर उस ने कभी भी अपने पति उस्मान का लण्ड चूसा नहीं था. उस्मान भी इसको बड़ा गन्दा समझता था. पर ज़ैनब के मन में लण्ड को चूसने की एक दबी हुई इच्छा जरूर थी. उसने सोचा की आज यही अच्छा मौका है जब वो अपने जनम देने वाले अब्बा का लण्ड चूस सकती है और लण्ड चूसने का स्वाद भी चख सकती है,

अब्बास ने ज़ैनब को रोक दिया और उसका मुंह हटा दिया। ज़ैनब चौंक गई की अब क्या हो गया? कहीं मेरे अब्बा को मेरा लण्ड चूसना अच्छा नहीं लगा क्या क्या? लेकिन आज बहुत कुछ होना था। अब्बास उठकर बैड के किनारे पैर लटका कर बैठ गया और ज़ैनब अब नीचे बैठकर अब्बास का लण्ड चूस रही थी।

ज़ैनब बहुत जतन और ध्यान से अब्बास का लण्ड चूस रही थी। वो इस तरह कोशिश कर रही थी की पूरा लण्ड वो मुँह में ले पाए लेकिन ये हो नहीं पा रहा था। ज़ैनब बहुत सेक्सी लग रही थी इस तरह अपने बाप अब्बास का लण्ड को चूसते हुए। अब्बास ने ज़ैनब को बेड पे लेटने के लिए कहा। ज़ैनब बैड पर आकर लेट तो गई, लेकिन उसकी टाँगें आपस में सटी हुई थी और एक तरह से वो अपने नंगे बदन को समेट रही थी। वो समझ रही थी की अब्बास ने उसे चोदने के लिए बैंड पे लिटाया है और अब उसकी चुदाई होने वाली है। चुदाई के इस एहसास ने उसे रोमांचित कर दिया और वो फिर से शर्मा रही थी।

अब्बास ज़ैनब के पैर को फैलाता हुआ बीच में बैठ गया। उसने ज़ैनब के पैर को अच्छे से फैला दिया और चूत में किस करता हुआ उंगली करने लगा। अब वो ज़ैनब के पैरों के बीच में थोड़ा आगें आ गया और अपने लण्ड को ज़ैनब की चूत में सटा दिया और फिर चूत को लण्ड से सहलाने लगा। लण्ड चूत में सटते ही ज़ैनब के जिस्म में करेंट दौड़ गया। वो पूरी तरह गरमा गई और चूत गीली हो गईं। अब्बास अपने लण्ड से ज़ैनब की चूत को सहलाते जा रहा था और जगह बनाते जा रहा था।

ज़ैनब चूत में अब्बास का लण्ड लेने के लिए आतुर हो रही थी। लण्ड के अंदर जाने पर होने वाले दर्द को सहनें के लिए भी वो मेंटली तैयार हो चुकी थी। ज़ैनब सोच रही थी "आहह... अब्बा डालिए ना अब अंदर। मेरी चूत आपके सामने हैं। डाल दीजिए अपने लण्ड को अंदर और चोदिए मुझे। जितने सपने आपने देखें हैं मुझे सोचते हुए, सब पूरे कर लीजिए आह्ह... रौंद डालिए मेरे जिसम को आहह... अब्बा प्लीज़... डालिए ना अंदर"

.. लेकिन उसके मुँह से बस आहह... उम्म्म ह... की आवाज ही आ रही थी।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर खतरनाक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

karthik90

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अब्बास लण्ड के लिए रास्ता बनाता हुआ चूत सहला रहा था और ज़ैनब अपनी कमर उठाकर लण्ड अंदर ले लेना चाहती थी। अब्बास लण्ड को चूत से सटाकर ज़ैनब के ऊपर लेट गया और उसके होठों को चूमने लगा और चचियों मसलने लगा।

ज़ैनब अब बर्दाश्त नहीं कर पाई, कहा- "डालिए ना अब्बू अंदर, क्या कर रहे हैं आप?"

अब्बास ज़ैनब के गालों को चमता बोला- "क्या डालं मेरी जान?"

ज़ैनब एक झटके में बोली- "लण्ड..." लेकिन तुरंत ही उसे एहसास हो गया की वो क्या बोली और शर्मा गईं।

अब्बास उसकी चूचियों पे दाँत काटता हुआ पूछा- “कहाँ मेरी जान?"

ज़ैनब दो सेकेंड के लिए रुकी लेकिन फिर अपने शर्म को त्यागती हुई बोली- "मेरी चूत में। ओह्ह... अब्बा क्यों तड़पा रहे हैं आज तो हमारी सुहागरात है. इस रात के लिए तो मैं और आप न जाने कितनी सालों से तड़पे है आज अल्लाह के रेहमत से यह दिन आया है तो आप मुझे क्यों तड़पा रहे हैं?"

अचानक ज़ैनब को अपना जिस्म फटता हुआ महसूस हुआ। वो दर्द से बिलख गई। अब्बास ने ज़ैनब को कस के अपनी बाहों में पकड़ लिया था। अब्बास का लण्ड ज़ैनब की चूत के रास्ते को खोल चका था। अब्बास ने अपनी कमर का भार ज़ैनब की चूत पे बढ़ाया और अपने दर्द को सहती हुई ज़ैनब आह्ह... आह करती हुई दोनों पैर को पूरी तरह फैला ली और फाइनली अब्बास खान का लण्ड ज़ैनब शर्मा की चूत के अंदर आ चुका था। अब्बास ने अब एक धक्का मारा और उसका लण्ड ज़ैनब की चूत की गहराइयों में उत्तरता चला गया।

ज़ैनब को बहुत दर्द हो रहा था. पर यह तो वो दर्द था जिस के लिए वो दोनों बाप बेटी न जाने कब से तड़प रहे थे. इसलिए चाहे जैनब को कितना भी दर्द हो रहा था पर वो अपने होंठ भींचे लेती थी. उसको दर था कि कहीं उसके अब्बा को लगा कि उसकी प्यारी बेटी को उसके हल्लबी लण्ड से दर्द हो रहा है तो कहीं उसका बाप अपने लण्ड बाहर न निकल ले,

लेकिन अब्बास भी तो उम्रदराज था. अपनी बेटी की शक़ल से ही वो समज गया कि ज़ैनब को दर्द हो रहा है, तो वो थोड़ा रुक गया और प्यार से ज़ैनब के होंठों को चूमता हुआ बोलै.

"क्या बाप है बेटी? क्या बहुत दर्द हो रहा है? तुम अगर कहो तो मैं अपना लण्ड बाहर निकल लेता हूँ. "

ज़ैनब ने एकदम से आँखें खोली जैसे उसे डर हो कि कहीं उस का अब्बू अपना लण्ड सच में ही बाहर न निकल ले,

वो अपने अब्बा की आँखों में प्यार से देखते हुए बोली.

"अब्बा आप चिंता न करें। बस थोड़ी देर रुक जाइए, असल में आप का ये (वो अभी भी शर्म के कारण लण्ड शब्द का प्रयोग नहीं कर पा रही थी ) हथियार तो बहुत ही बड़ा है, इतना बड़ा लेने की मुझे आदत नहीं है न. बस थोड़ी ही देर में दर्द कम हो जायेगा. "

अब्बास अपनी बेटी की एक चूची को मसलता हुआ बोलै.

" बेटी क्या उस्मान का लण्ड मेरे से कुछ छोटा है। जो तुम कह रही हो कि तुम्हे इतना बड़ा लेने की आदत नहीं है. "

ज़ैनब ने शर्म से अपने अब्बा की छाती में मुँह छुपा लिया और बोली.

"अब्बा उस्मान का लण्ड तो मुश्किल से ४-५ इंच का होगा, पर आप का तो लगभग ८ इंच का है. ऊपर से असली दिक्कत तो इसकी मोटाई से है. उस्मान का लण्ड तो ज्यादा से ज्यादा २ -३ इंच मोटा होगा पर आप का तो बेलन की तरह इतना मोटा है की शायद मेरी कलाई भी इतनी मोती न होगी. तो आप ही बताइये कि मैं भी क्या करूँ. चाहे उस्मान से मेरी शादी को कितना ही समय हो चूका हो पर फिर भी मुझे इतना मोटा झेलने में दर्द तो होगा ही ना?"

अब्बास समझ गया की उसकी बेटी को चोदने के लिए उसे थोड़ी सबर से काम लेना पड़ेगा. उसने अपने लण्ड अपनी बेटी की चूत में ही रहने दिया और उसने ज़ैनब के मम्मो को चूसना शुरू कर दिया. इस से ज़ैनब का दर्द थोड़ा कम होना शुरू हो गया और उसे फिर से मझा आने लगा.

थोड़ी देर ऐसे हे करते रहने से ज़ैनब का दर्द कम हो चुका था। वो कोई कुँवारी लड़की तो नहीं थी फिर भी अभी भी पूरा लण्ड अंदर नहीं गया था। अब्बास ज़ैनब के होठों को चूमने लगा, चूसने लगा। अब्बास ने एक धक्का और मारा और बचा खुच लण्ड भी ज़ैनब की चूत में समा गया। अब्बास अब कस कस के धक्के लगाने लगा।

ज़ैनब आहह ... उऊहह ... करने लगी। अब्बास के धक्के में ज़ैनब का पूरा जिस्म हिल रहा था। ज़ैनब की मुलायम चूचियां पूरी तरह से उछल रही थी, और अब्बास अपने अरमान पूरे कर रहा था। तुरंत ही ज़ैनब की चूत में अपना पानी छोड़ दिया। लेकिन तुरंत ही वो फिर से गरमा गई थी।

लण्ड डाले डाले ही अब्बास ने अपनी बेटी को अपने ऊपर कर दिया और खुद नीचे लेट गया। अब ज़ैनब अब्बास के लण्ड पे उछल रही थी। ज़ैनब की चूचियां ऊपर-नीचे हो रही थी । ज़ैनब पूरा ऊपर आ रही थी और फिर पूरा नीचे जा रही थी। थोड़ी देर बाद अब्बास ने ज़ैनब को कुतिया की तरह चार पैरों पे कर दिया और उसकी गाण्ड पे कम के एक हाथ मारा। ज़ैनब इस तरह हो गई की उसकी गाण्ड बाहर की तरफ निकल गई और कमर नीचे हो गई। अब्बास ज़ैनब के पीछे आया और उसकी चूत में अपना लण्ड घुसेड़ दिया।

ज़ैनब की चूत में फिर पानी बह निकला और अब्बास के हर धक्के से ज़ैनब की चूत से वो पानी बाहर आ रहा था। अब्बास ज़ैनब को जोर जोर से चोदने लगा। ज़ैनब पस्त हो चुकी थी। बहुत देर हो चुकी थी । ज़ैनब आधे घंटे से इतने विशाल लण्ड को अपनी नाजुक सी चूत में झेल रही थी।

अब्बास ज़ैनब से पूरी तरह चिपक गया और लण्ड चूत के आखिरी छोर में जा सटा और अब्बास के लण्ड में पानी गिरा दिया। अंदर वीर्य की गर्मी पाते ही ज़ैनब की चूत तीसरी बार पानी छोड़ दी। जब बीर्य की आखिरी बंद भी ज़ैनब की चूत में गिर गई तो अब्बास ने अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया और ज़ैनब के बगल में ढेर हो गया। लण्ड के बाहर आते ही ज़ैनब की चूत में वीर्य का और चूत के पानी का मिक्स्च र बाहर बेड पे बहनें लगा। दोनों पीने से लथपथ हो चुके थे। इस महयुद्ध में एक बार फिर से चूत की ही जीत हुई और इतना विशाल लण्ड भी अब थक हार कर मुर्दे की तरह पड़ा हुआ था। बेड के सारे फूल रौदे मसले जा चुके थे।

आखिरकार, ज़ैनब आज अपने बाप अब्बास से चुद ही गई। इतनी मजेदार चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी। वो पशीने से लथपथ थी। अब्बास भी अपनी बेटी रूपी इस अप्सरा को अपने मन मुताबिक चोदकर निढाल पड़ा था।

ज़ैनब ऐसे ही नंगी लेटी रही। उसकी चूत में अभी भी अब्बास का वीर्य और खुद उसकी चूत का पानी मिलकर बाहर बह रहा था और बेंड को गीला कर रहा था। ज़ैनब के जिस्म में तो जैसे जान ही नहीं थी। ३ बार उसकी चूत से पानी निकला था। एक बार तो वो खुद नहाते वक़्त निकाली थी

और तीन बार अब्बास ने चोदते हुए निकाल दिया।

ज़ैनब मन में- "उफफ्फ... ऐसे भी कहीं चदाई होती है। इतनी देर तक। एक तो इतना बड़ा घोड़े का लण्ड है और उसमें इतनी देर तक चोदते रहे। मेरी तो चूत छिल गई है। पूरा बदन दर्द कर रहा है। लेकिन एक बात की खुशी है की में इनका साथ दे पाई। मुझे ख़ुशी है कि मेरे अब्बा को आज मुझे चोद कर मजा तो आया होगा ना? संतुष्ट तो हए होंगे ? पता नहीं, लेकिन इतने में भी अगर कोई संतुष्ट ना हो तो अब क्या जान निकल के मानेगा?
Fantastic update
 

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अब्बास लण्ड के लिए रास्ता बनाता हुआ चूत सहला रहा था और ज़ैनब अपनी कमर उठाकर लण्ड अंदर ले लेना चाहती थी। अब्बास लण्ड को चूत से सटाकर ज़ैनब के ऊपर लेट गया और उसके होठों को चूमने लगा और चचियों मसलने लगा।

ज़ैनब अब बर्दाश्त नहीं कर पाई, कहा- "डालिए ना अब्बू अंदर, क्या कर रहे हैं आप?"

अब्बास ज़ैनब के गालों को चमता बोला- "क्या डालं मेरी जान?"

ज़ैनब एक झटके में बोली- "लण्ड..." लेकिन तुरंत ही उसे एहसास हो गया की वो क्या बोली और शर्मा गईं।

अब्बास उसकी चूचियों पे दाँत काटता हुआ पूछा- “कहाँ मेरी जान?"

ज़ैनब दो सेकेंड के लिए रुकी लेकिन फिर अपने शर्म को त्यागती हुई बोली- "मेरी चूत में। ओह्ह... अब्बा क्यों तड़पा रहे हैं आज तो हमारी सुहागरात है. इस रात के लिए तो मैं और आप न जाने कितनी सालों से तड़पे है आज अल्लाह के रेहमत से यह दिन आया है तो आप मुझे क्यों तड़पा रहे हैं?"

अचानक ज़ैनब को अपना जिस्म फटता हुआ महसूस हुआ। वो दर्द से बिलख गई। अब्बास ने ज़ैनब को कस के अपनी बाहों में पकड़ लिया था। अब्बास का लण्ड ज़ैनब की चूत के रास्ते को खोल चका था। अब्बास ने अपनी कमर का भार ज़ैनब की चूत पे बढ़ाया और अपने दर्द को सहती हुई ज़ैनब आह्ह... आह करती हुई दोनों पैर को पूरी तरह फैला ली और फाइनली अब्बास खान का लण्ड ज़ैनब शर्मा की चूत के अंदर आ चुका था। अब्बास ने अब एक धक्का मारा और उसका लण्ड ज़ैनब की चूत की गहराइयों में उत्तरता चला गया।

ज़ैनब को बहुत दर्द हो रहा था. पर यह तो वो दर्द था जिस के लिए वो दोनों बाप बेटी न जाने कब से तड़प रहे थे. इसलिए चाहे जैनब को कितना भी दर्द हो रहा था पर वो अपने होंठ भींचे लेती थी. उसको दर था कि कहीं उसके अब्बा को लगा कि उसकी प्यारी बेटी को उसके हल्लबी लण्ड से दर्द हो रहा है तो कहीं उसका बाप अपने लण्ड बाहर न निकल ले,

लेकिन अब्बास भी तो उम्रदराज था. अपनी बेटी की शक़ल से ही वो समज गया कि ज़ैनब को दर्द हो रहा है, तो वो थोड़ा रुक गया और प्यार से ज़ैनब के होंठों को चूमता हुआ बोलै.

"क्या बाप है बेटी? क्या बहुत दर्द हो रहा है? तुम अगर कहो तो मैं अपना लण्ड बाहर निकल लेता हूँ. "

ज़ैनब ने एकदम से आँखें खोली जैसे उसे डर हो कि कहीं उस का अब्बू अपना लण्ड सच में ही बाहर न निकल ले,

वो अपने अब्बा की आँखों में प्यार से देखते हुए बोली.

"अब्बा आप चिंता न करें। बस थोड़ी देर रुक जाइए, असल में आप का ये (वो अभी भी शर्म के कारण लण्ड शब्द का प्रयोग नहीं कर पा रही थी ) हथियार तो बहुत ही बड़ा है, इतना बड़ा लेने की मुझे आदत नहीं है न. बस थोड़ी ही देर में दर्द कम हो जायेगा. "

अब्बास अपनी बेटी की एक चूची को मसलता हुआ बोलै.

" बेटी क्या उस्मान का लण्ड मेरे से कुछ छोटा है। जो तुम कह रही हो कि तुम्हे इतना बड़ा लेने की आदत नहीं है. "

ज़ैनब ने शर्म से अपने अब्बा की छाती में मुँह छुपा लिया और बोली.

"अब्बा उस्मान का लण्ड तो मुश्किल से ४-५ इंच का होगा, पर आप का तो लगभग ८ इंच का है. ऊपर से असली दिक्कत तो इसकी मोटाई से है. उस्मान का लण्ड तो ज्यादा से ज्यादा २ -३ इंच मोटा होगा पर आप का तो बेलन की तरह इतना मोटा है की शायद मेरी कलाई भी इतनी मोती न होगी. तो आप ही बताइये कि मैं भी क्या करूँ. चाहे उस्मान से मेरी शादी को कितना ही समय हो चूका हो पर फिर भी मुझे इतना मोटा झेलने में दर्द तो होगा ही ना?"

अब्बास समझ गया की उसकी बेटी को चोदने के लिए उसे थोड़ी सबर से काम लेना पड़ेगा. उसने अपने लण्ड अपनी बेटी की चूत में ही रहने दिया और उसने ज़ैनब के मम्मो को चूसना शुरू कर दिया. इस से ज़ैनब का दर्द थोड़ा कम होना शुरू हो गया और उसे फिर से मझा आने लगा.

थोड़ी देर ऐसे हे करते रहने से ज़ैनब का दर्द कम हो चुका था। वो कोई कुँवारी लड़की तो नहीं थी फिर भी अभी भी पूरा लण्ड अंदर नहीं गया था। अब्बास ज़ैनब के होठों को चूमने लगा, चूसने लगा। अब्बास ने एक धक्का और मारा और बचा खुच लण्ड भी ज़ैनब की चूत में समा गया। अब्बास अब कस कस के धक्के लगाने लगा।

ज़ैनब आहह ... उऊहह ... करने लगी। अब्बास के धक्के में ज़ैनब का पूरा जिस्म हिल रहा था। ज़ैनब की मुलायम चूचियां पूरी तरह से उछल रही थी, और अब्बास अपने अरमान पूरे कर रहा था। तुरंत ही ज़ैनब की चूत में अपना पानी छोड़ दिया। लेकिन तुरंत ही वो फिर से गरमा गई थी।

लण्ड डाले डाले ही अब्बास ने अपनी बेटी को अपने ऊपर कर दिया और खुद नीचे लेट गया। अब ज़ैनब अब्बास के लण्ड पे उछल रही थी। ज़ैनब की चूचियां ऊपर-नीचे हो रही थी । ज़ैनब पूरा ऊपर आ रही थी और फिर पूरा नीचे जा रही थी। थोड़ी देर बाद अब्बास ने ज़ैनब को कुतिया की तरह चार पैरों पे कर दिया और उसकी गाण्ड पे कम के एक हाथ मारा। ज़ैनब इस तरह हो गई की उसकी गाण्ड बाहर की तरफ निकल गई और कमर नीचे हो गई। अब्बास ज़ैनब के पीछे आया और उसकी चूत में अपना लण्ड घुसेड़ दिया।

ज़ैनब की चूत में फिर पानी बह निकला और अब्बास के हर धक्के से ज़ैनब की चूत से वो पानी बाहर आ रहा था। अब्बास ज़ैनब को जोर जोर से चोदने लगा। ज़ैनब पस्त हो चुकी थी। बहुत देर हो चुकी थी । ज़ैनब आधे घंटे से इतने विशाल लण्ड को अपनी नाजुक सी चूत में झेल रही थी।

अब्बास ज़ैनब से पूरी तरह चिपक गया और लण्ड चूत के आखिरी छोर में जा सटा और अब्बास के लण्ड में पानी गिरा दिया। अंदर वीर्य की गर्मी पाते ही ज़ैनब की चूत तीसरी बार पानी छोड़ दी। जब बीर्य की आखिरी बंद भी ज़ैनब की चूत में गिर गई तो अब्बास ने अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया और ज़ैनब के बगल में ढेर हो गया। लण्ड के बाहर आते ही ज़ैनब की चूत में वीर्य का और चूत के पानी का मिक्स्च र बाहर बेड पे बहनें लगा। दोनों पीने से लथपथ हो चुके थे। इस महयुद्ध में एक बार फिर से चूत की ही जीत हुई और इतना विशाल लण्ड भी अब थक हार कर मुर्दे की तरह पड़ा हुआ था। बेड के सारे फूल रौदे मसले जा चुके थे।

आखिरकार, ज़ैनब आज अपने बाप अब्बास से चुद ही गई। इतनी मजेदार चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी। वो पशीने से लथपथ थी। अब्बास भी अपनी बेटी रूपी इस अप्सरा को अपने मन मुताबिक चोदकर निढाल पड़ा था।

ज़ैनब ऐसे ही नंगी लेटी रही। उसकी चूत में अभी भी अब्बास का वीर्य और खुद उसकी चूत का पानी मिलकर बाहर बह रहा था और बेंड को गीला कर रहा था। ज़ैनब के जिस्म में तो जैसे जान ही नहीं थी। ३ बार उसकी चूत से पानी निकला था। एक बार तो वो खुद नहाते वक़्त निकाली थी

और तीन बार अब्बास ने चोदते हुए निकाल दिया।

ज़ैनब मन में- "उफफ्फ... ऐसे भी कहीं चदाई होती है। इतनी देर तक। एक तो इतना बड़ा घोड़े का लण्ड है और उसमें इतनी देर तक चोदते रहे। मेरी तो चूत छिल गई है। पूरा बदन दर्द कर रहा है। लेकिन एक बात की खुशी है की में इनका साथ दे पाई। मुझे ख़ुशी है कि मेरे अब्बा को आज मुझे चोद कर मजा तो आया होगा ना? संतुष्ट तो हए होंगे ? पता नहीं, लेकिन इतने में भी अगर कोई संतुष्ट ना हो तो अब क्या जान निकल के मानेगा?
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
आखिर जैनब अब्बास के मोटे तगडे और लंबे लंड से चुद कर खुद भी और अब्बास को भी संतुष्ट कर दिया तो क्या ये सिलसिला आगे भी चलेगा लगता हैं जैनब अपने बाप के लंड की दिवानी हो गई है
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Ting ting

Ting Ting
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थोड़ी देर में अब्बास बेड से उठा। उसका लण्ड इतनी पुरजोर चुदाई के बाद ढीला था। लेकिन उसकी जांघों के बीच ऐसे लटक रहा था जैसे कोई काला नाग झल रहा हो। उस झूलते लण्ड को देखकर ज़ैनब की चूत में फिर से आग भर गई। अब्बास ने प्यार से लेटी हुई ज़ैनब को देखा। ज़ैनब शर्मा गईं।

ज़ैनब अब्बास से पूछना चाहती थी- "कैसा लगा मुझे चोदकर? अब तो आप खुश हैं ना? अब तो आप संतुष्ट हैं ना? अब तो आप रिलैक्स रहेंगे ना?" लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हई। वो अभी भी एक संस्कारी औरत थी जो सेक्स के बारे में ज्यादा बात नहीं कर सकती थी।

ज़ैनब भी बेड से उठ गई। उसका पूरा मेकप बिगड़ा हुआ था। आँखों का काजल और लिपस्टिक फैल गया था और बाल बिखरे हुए थे। वो बहुत ही संडक्टिव लग रही थी। अब्बास पूरी तरह झड़ने के बाद अपनी बेटी के ऊपर ही निढाल होकर ढेर हो गया और उसका लंड सिकुड़कर ज़ैनब की चूत से निकल गया | ज़ैनब की चूत से उसके अब्बा का लंड निकलते ही उसकी चूत से वीरज निकलकर बेड पर गिरने लगा |

“ओह्ह्ह्ह आई लव यू अब्बा“, ज़ैनब ने अपने अब्बा को जोर से अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगी |

“ओह्ह्ह्ह बेटी आज मुझे जो मज़ा तुमने दिया है , उसका एहसान मैं कभी नहीं भुला सकता” , अब्बास ने अपनी बेटी के होंठों को चूमने के बाद उसकी साइड में लेटते हुए कहा और अपनी बेटी की गोरी चुचियों से खेलने लगा |

“आआहाह अब्बा इसमें एहसान की क्या बात है , मैं आपकी ही बेटी हूँ और मैं आपकी मेहनत से ही पैदा हुई हूँ , इसलिए मुझपर सबसे ज्यादा हक आपका ही है”, ज़ैनब ने अपने अब्बा के बालों में हाथ डालकर उसके मुंह को अपनी चुचियों पर दबाते हुए कहा |

ज़ैनब के ऐसा करने से अब्बास का मुंह उसकी बेटी की दोनों चुचियों के बीच आ गया | अब्बास भी अपनी बेटी की दोनों चुचियों को अपने दोनों हाथों में थामकर जोर से दबाते हुए उन्हें चूमने और चाटने लगा | दोनों बाप बेटी कुछ देर तक ऐसे ही मस्ती करते रहे और कुछ देर बाद ज़ैनब अपने अब्बा से अलग होते हुए बाथरूम जाने लगी |

ज़ैनब बिलकुल नंगी ही वहां से उठकर बाथरूम जा रही थी | ज़ैनब के बाथरूम जाते हुए अब्बास की नज़रें अपनी बेटी के नंगे जिस्म को घुर रही थी |

ज़ैनब के बाथरूम घुसने के बाद अब्बास भी बेड से उठते हुए अपनी बेटी के पास बाथरूम जाने लगा | अंदर से नल खोलने की आवाज आई। अब्बास उसके पीछे-पीछे गया तो पाया कि ज़ैनब यूं ही बैठ कर सुसु कर रही थी। अब्बास को यूं देख कर ज़ैनब शर्मा गई। ज़ैनब यह नहीं चाहती थी कि अब्बास उसे सुसु करते हुए देखे ।

ज़ैनब बाथरूम में निचे बैठकर पेशाब कर रही थी |

“अब्बा आप यहाँ? कुछ तो शर्म कीजिये” , ज़ैनब ने अचानक अपने अब्बा को नंगा ही बाथरूम में दाखिल होता देखकर झूठमूठ के गुस्से से कहा |

ज़ैनब ने मुंह बनाया तो अब्बास ने कहा कि, “मुझे भी पेशाब करना है”। ज़ैनब चुप हो गयी. उसे लगा के जैसे इतनी दमदार चुदाई के बाद उसे पेशाब लगी है तो उसी तरह उसके अब्बा को भी तो पेशाब लगी होगी. इसलिए वो चुप रही और शर्म के मरे मुँह नीचे को करके पेशाब करने लगी। अब्बास उसके पीछे गया और वो भी नीचे बैठ गया और अपना हाथ पीछे से ज़ैनब के नितंबों के नीचे से से होते हुए उसकी योनि पर रख दिया। ज़ैनब इस अचानक हमले से चमक गई। उसकी पेशाब की धार अब्बास के हाथों से होते हुए जमीन पर जा रही थी। उसका गरम-गरम पेशाब और उसकी कोमल चूत गजब का एहसास दे रहे थी। अब्बास ने उसकी चूत को अपने हाथों से मलना शुरू किया, और एक ऊंगली उसकी चूत में डाल दी। वह पेशाब करती रही और अब्बास मलता रहा।

फिर वह खड़ी हुई और अपने बाप को प्यार से एक चपत लगाते हुए अब्बास के हाथों को पकड़ कर एक मग पानी उसके हाथों में डाला। फिर अपनी चूत पर डाला और कहा, “यह क्या था?”

अब्बास ने कहा, “ज़ैनब अब जो कुछ तुम्हारा है, वह मेरा है”। फिर अब्बास ने उसे अपनी ओर खींचा और गले लगा लिया।अब्बास का खड़ा लिंग ज़ैनब की नाभि पर चिपक गया था।अब्बास ने उसके कमर को जोर से सटा लिया, और उसके एक पैर को उठा कर अपनी कमर पर बांध दिया। वह समझ नहीं पाई तब तक उसके अब्बा ने उसे गोद में उठा लिया।

अब उसने खुद ही दूसरा पैर अब्बास के कमर पर बांध दिया।अब्बास ने ज़ैनब के नितंबों को उठा कर लिंग को उसकी योनि पर एडजस्ट किया। उसे लगा कि अब्बास उसे दोबारा चोदने वाला था। पर अब्बास ने अपने पेशाब की धार उसकी योनि पर छोड़ दी। ज़ैनब मुझसे लिपट गई और उसके शोहर रुपी अब्बा की गर्म पेशाब की धार उसकी चूत से होते हुए उसकी जांघों से बहने लगी। अब्बास ने जितना हो सके तेज पेशाब करना शुरू किया, और शावर को चला दिया। दोनों भीगने लगे।

पानी की एक-एक बूंद का एहसास और अपनी ज़ैनब के जिस्म की गर्माहट साथ ही पेशाब की धार कमाल कर गई। पेशाब रुकने के बाद ज़ैनब ने अपनी आँखें खोली और अपने अब्बा से बोली

"अब्बा आप तो नौजवान लड़कों से भी ज्यादा जवान और शरारती हैं, बस अब मुझे उतारिये मुझे कमरे में जाना है. "

पर अब्बास ने अपनी नंगी बेटी को गोद में से उतारा और उसका हाथ पकड़ कर उसे बाहर जाने से रोकते हुए बोले

“अरे बेटी अब तुमसे क्या शर्म? मैं तो बस अपनी बेटी के साथ नहाना चाहता हूँ” , अब्बास ने बाथरूम में अन्दर शावर को ओन करते हुए कहा |

"अब्बा मुझे शर्म आ रही है , मैं आपके साथ नहीं नहा पाऊँगी , मैं जा रही हूँ”, ज़ैनब ने अपने अब्बा से कहा और उठकर वहां से जाने लगी |

बेटी क्यों इतना शर्मा रही हो , बस कुछ ही देर की तो बात है”? अब्बास ने अपनी बेटी को कलाई से पकड़कर अपने साथ शावर के निचे खड़ा करते हुए कहा |

“ज़ैनब ने भी अब कोई विरोध नहीं किया और शावर के पानी से अपने पिता के साथ नहाने लगी | अब्बास ने नहाते हुए साबुन उठा लिया और अपनी बेटी की पीठ पर मलने लगा | अब्बास साबुन को ज़ैनब की चिकनी पीठ पर मलते हुए निचे होते हुए उसके दोनों चूतडों तक आ गया और अपनी बेटी के दोनों नर्म चूतडों पर साबुन को मलते हुए उन्हें अपने दुसरे हाथ से दबाने लगा |

“अआहाहह्ह्ह अब्बा क्या कर रहे हो, बस साबुन लगा लिया ना” , ज़ैनब ने सिसकते हुए कहा |

“बेटी थोडा झुक जाओ , तुम्हारा हाथ इधर नहीं पहुच पाता, इस लिए यहाँ पर थोड़ी गंदगी है , मैं इसे साफ कर देता हूँ” , अब्बास ने अपनी ऊँगली को ज़ैनब के चूतडों के बीच फेरते हुए कहा |

“ओह्ह्हह्ह्ह्ह अब्बा” ज़ैनब ने थोडा झुकते हुए सिसककर कहा | अब्बास अब साबुन को अपनी बेटी की गांड के छेद से निचे लेजाकर उसकी चूत तक मलने लगा | अब्बास के ऐसा करने से ज़ैनब के मुंह से जोर की सिसकियाँ निकल रही थी | अब्बास थोड़ी देर तक अपनी बेटी के चूतडों को सही तरीके से साफ करने के बाद उठकर खड़ा हो गया |

अब्बास अब साबुन को अपनी बेटी की दोनों बड़ी बड़ी गोरी चुचियों पर मलने लगा | अब्बास साबुन को अपनी बेटी की चुचियों पर मलते हुए उन्हें अपने हाथ से भी दबा रहा था |

“आह्ह्ह्हह्ह अब्बा क्या कर रहें हैं आप ?” अब्बास का ऐसा करने से ज़ैनब के मुंह से बहुत जोर की सिसकियाँ निकल रही थी | अब्बास अब साबुन को ज़ैनब के चिकने गोरे पेट पर मलते हुए निचे ले जाने लगा |अब्बास का हाथ अब उसकी बेटी की चूत की हलकी झांटों तक आ गया था | ज़ैनब ने मज़े के मारे अपनी आँखें बंद कर ली थी | वो अपने पिता की हरकतों से बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी | अब्बास अब साबुन को अपनी बेटी की चूत पे मल रहा था और ज़ैनब मज़े से सिसक रही थी |

अब्बास ने कुछ देर तक अपनी बेटी की चूत को साबुन से साफ़ करने के बाद साबुन को निचे रख दिया और ज़ैनब की चूत को गोर से देखते हुए अपने होंठों को उसकी चूत पर रख दिया |

“ओह्ह्हह्ह्ह्ह अब्बा क्या कर दिया आपने” , अपने अब्बा के होंठों को अचानक अपनी चूत पर महसूस करते ही ज़ैनब ने जोर से सिसकते हुए कहा |

अब्बास अपनी बेटी को कोई जवाब दिए बगैर उसकी चूत को चूमते और चाटते हुए उसकी चूत पर गिरता हुआ पानी भी चाटने लगा | ज़ैनब की हालत बहुत खराब हो चुकी थी | उसका पूरा बदन तप कर आग बन चूका था | अब्बास ने अचानक अपनी एक ऊँगली को अपनी बेटी की चूत के छेद में डालते हुए उसकी चूत के दाने को अपने मुंह में ले लिया और उसे बहुत जोर से चूसने लगा |

ज़ैनब अपने पिता की यह हरकत बर्दाश्त न कर सकी और उसका पूरा जिस्म कांपने लगा |

“आहाह्ह्ह्हह इश..... अब्बा ओह्ह्ह्ह” , ज़ैनब ने जोर से सिसकते हुए अपने अब्बा को बालों से पकड़कर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी चूत झटके खाते हुए पानी छोड़ने लगी | अब्बास अपनी बेटी की चूत का रस शावर के गिरते हुए पानी के साथ चाटने लगा |

ज़ैनब कुछ देर तक यूँ ही अपनी आँखें बंद करके झड़ने लगी |

“बेटी क्या हुआ, मज़ा आया?” कुछ देर बाद जब ज़ैनब ने अपनी आखें खोली तो अब्बास ने उठकर उसके सामने खड़ा होते हुए पूछा |

"अब्बा ...." ज़ैनब ने अपने अब्बा को अपनी बाँहों में भर लिया और दोनों बाप बेटी एक दुसरे के होंठों को चूमने लगे | कुछ देर तक ऐसे ही एक दुसरे के होंठों से खेलने के बाद अब्बास ने ज़ैनब को गोद से उतारा और उसके चूचों को चूसने लगा। उसके एक हाथ उसके नितम्ब के छेद को रगड़ रहा था, और दूसरा हाथ उसकी पीठ को सहला रहा था। अब्बास ने ज़ैनब को चूमते हुए उसे नहलाना शुरू किया। उसने बड़े प्यार से अपने बाप के पूरे शरीर को साफ किया और उसे गले लगा लिया।

दोनो ने तौलिया से एक-दूसरे को पोंछा। इस बार ज़ैनब ने शरारती अंदाज में अब्बास के लंड को पकड़ कर उसे बाहर की ओर चलने का इशारा किया। बस उसके पीछे-पीछे अब्बास बाहर आ गया और पलंग पर गया और लेट गया। ज़ैनब भी उसके बगल में लेट गई, और अब्बास के लिंग को सहलाते हुए उसकी छाती पर अपना सर रख कर अब्बास से बातें करने लगी।
थोड़ी देर बातें करते रहने के बाद अब्बास ने ज़ैनब से कहा कि, “अपने छुटकु को प्यार नहीं करोगी”? अब्बास अपने इतने बड़े लण्ड को प्यार से छुटकु कह रहा था । ज़ैनब ने शर्म के मरे कोई जवाब नहीं दिया पर उसकी आँखों के प्यार से अब्बास समझ गया और उसका सिर अपने लंड की ओर किया। उसने बड़े प्यार से अपने अब्बा के लंड का अग्र भाग मुंह में लिया, और चूसते हुए आंख मारी। अब्बास ने फिर उसे कहा, “पूरा लेलो मेरी जान”। तो ज़ैनब ने अपने अब्बा के लंड को अपने मुंह में भर कर धीरे-धीरे अपनी गर्म सांसे उस पर छोड़ते हुए चूसने लगी।

थोड़ी देर बाद ज़ैनब ने कहा

"अब्बा बहुत रात हो चुकी है लगभघ रात के २ बजने वाले है. हलाला का काम तो बहुत हो चूका है, चलो थोड़ी देर सो जाते हैं. "

दोनों कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे। फिर वह अब्बास से अलग हुई और उसके लिंग को सिकुड़ा हुआ देख कर हंसने लगी, और उसे चूम लिया। फिर दोनों एक-दूसरे की आगोश में गहरी नींद में सो गए।
 
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Manju singh

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थोड़ी देर में अब्बास बेड से उठा। उसका लण्ड इतनी पुरजोर चुदाई के बाद ढीला था। लेकिन उसकी जांघों के बीच ऐसे लटक रहा था जैसे कोई काला नाग झल रहा हो। उस झूलते लण्ड को देखकर अब्बास की चूत में फिर से आग भर गई। अब्बास ने प्यार से लेटी हुई अब्बास को देखा। अब्बास शर्मा गईं।

अब्बास अब्बास से पूछना चाहती थी- "कैसा लगा मुझे चोदकर? अब तो आप खुश हैं ना? अब तो आप संतुष्ट हैं ना? अब तो आप रिलैक्स रहेंगे ना?" लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हई। वो अभी भी एक संस्कारी औरत थी जो सेक्स के बारे में ज्यादा बात नहीं कर सकती थी।

अब्बास भी बेड से उठ गई। उसका पूरा मेकप बिगड़ा हुआ था। आँखों का काजल और लिपस्टिक फैल गया था और बाल बिखरे हुए थे। वो बहुत ही संडक्टिव लग रही थी। अब्बास पूरी तरह झड़ने के बाद अपनी बेटी के ऊपर ही निढाल होकर ढेर हो गया और उसका लंड सिकुड़कर अब्बास की चूत से निकल गया | अब्बास की चूत से उसके अब्बा का लंड निकलते ही उसकी चूत से वीरज निकलकर बेड पर गिरने लगा |

“ओह्ह्ह्ह आई लव यू अब्बा“, अब्बास ने अपने अब्बा को जोर से अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगी |

“ओह्ह्ह्ह बेटी आज मुझे जो मज़ा तुमने दिया है , उसका एहसान मैं कभी नहीं भुला सकता” , अब्बास ने अपनी बेटी के होंठों को चूमने के बाद उसकी साइड में लेटते हुए कहा और अपनी बेटी की गोरी चुचियों से खेलने लगा |

“आआहाह अब्बा इसमें एहसान की क्या बात है , मैं आपकी ही बेटी हूँ और मैं आपकी मेहनत से ही पैदा हुई हूँ , इसलिए मुझपर सबसे ज्यादा हक आपका ही है”, अब्बास ने अपने अब्बा के बालों में हाथ डालकर उसके मुंह को अपनी चुचियों पर दबाते हुए कहा |

अब्बास के ऐसा करने से अब्बास का मुंह उसकी बेटी की दोनों चुचियों के बीच आ गया | अब्बास भी अपनी बेटी की दोनों चुचियों को अपने दोनों हाथों में थामकर जोर से दबाते हुए उन्हें चूमने और चाटने लगा | दोनों बाप बेटी कुछ देर तक ऐसे ही मस्ती करते रहे और कुछ देर बाद अब्बास अपने अब्बा से अलग होते हुए बाथरूम जाने लगी |

अब्बास बिलकुल नंगी ही वहां से उठकर बाथरूम जा रही थी | अब्बास के बाथरूम जाते हुए अब्बास की नज़रें अपनी बेटी के नंगे जिस्म को घुर रही थी |

अब्बास के बाथरूम घुसने के बाद अब्बास भी बेड से उठते हुए अपनी बेटी के पास बाथरूम जाने लगा | अंदर से नल खोलने की आवाज आई। अब्बास उसके पीछे-पीछे गया तो पाया कि अब्बास यूं ही बैठ कर सुसु कर रही थी। अब्बास को यूं देख कर अब्बास शर्मा गई। अब्बास यह नहीं चाहती थी कि अब्बास उसे सुसु करते हुए देखे ।

अब्बास बाथरूम में निचे बैठकर पेशाब कर रही थी |

“अब्बा आप यहाँ? कुछ तो शर्म कीजिये” , अब्बास ने अचानक अपने अब्बा को नंगा ही बाथरूम में दाखिल होता देखकर झूठमूठ के गुस्से से कहा |

अब्बास ने मुंह बनाया तो अब्बास ने कहा कि, “मुझे भी पेशाब करना है”। अब्बास चुप हो गयी. उसे लगा के जैसे इतनी दमदार चुदाई के बाद उसे पेशाब लगी है तो उसी तरह उसके अब्बा को भी तो पेशाब लगी होगी. इसलिए वो चुप रही और शर्म के मरे मुँह नीचे को करके पेशाब करने लगी। अब्बास उसके पीछे गया और वो भी नीचे बैठ गया और अपना हाथ पीछे से अब्बास के नितंबों के नीचे से से होते हुए उसकी योनि पर रख दिया। अब्बास इस अचानक हमले से चमक गई। उसकी पेशाब की धार अब्बास के हाथों से होते हुए जमीन पर जा रही थी। उसका गरम-गरम पेशाब और उसकी कोमल चूत गजब का एहसास दे रहे थी। अब्बास ने उसकी चूत को अपने हाथों से मलना शुरू किया, और एक ऊंगली उसकी चूत में डाल दी। वह पेशाब करती रही और अब्बास मलता रहा।

फिर वह खड़ी हुई और अपने बाप को प्यार से एक चपत लगाते हुए अब्बास के हाथों को पकड़ कर एक मग पानी उसके हाथों में डाला। फिर अपनी चूत पर डाला और कहा, “यह क्या था?”

अब्बास ने कहा, “अब्बास अब जो कुछ तुम्हारा है, वह मेरा है”। फिर अब्बास ने उसे अपनी ओर खींचा और गले लगा लिया।अब्बास का खड़ा लिंग अब्बास की नाभि पर चिपक गया था।अब्बास ने उसके कमर को जोर से सटा लिया, और उसके एक पैर को उठा कर अपनी कमर पर बांध दिया। वह समझ नहीं पाई तब तक उसके अब्बा ने उसे गोद में उठा लिया।

अब उसने खुद ही दूसरा पैर अब्बास के कमर पर बांध दिया।अब्बास ने अब्बास के नितंबों को उठा कर लिंग को उसकी योनि पर एडजस्ट किया। उसे लगा कि अब्बास उसे दोबारा चोदने वाला था। पर अब्बास ने अपने पेशाब की धार उसकी योनि पर छोड़ दी। अब्बास मुझसे लिपट गई और उसके शोहर रुपी अब्बा की गर्म पेशाब की धार उसकी चूत से होते हुए उसकी जांघों से बहने लगी। अब्बास ने जितना हो सके तेज पेशाब करना शुरू किया, और शावर को चला दिया। दोनों भीगने लगे।

पानी की एक-एक बूंद का एहसास और अपनी अब्बास के जिस्म की गर्माहट साथ ही पेशाब की धार कमाल कर गई। पेशाब रुकने के बाद अब्बास ने अपनी आँखें खोली और अपने अब्बा से बोली

"अब्बा आप तो नौजवान लड़कों से भी ज्यादा जवान और शरारती हैं, बस अब मुझे उतारिये मुझे कमरे में जाना है. "

पर अब्बास ने अपनी नंगी बेटी को गोद में से उतारा और उसका हाथ पकड़ कर उसे बाहर जाने से रोकते हुए बोले

“अरे बेटी अब तुमसे क्या शर्म? मैं तो बस अपनी बेटी के साथ नहाना चाहता हूँ” , अब्बास ने बाथरूम में अन्दर शावर को ओन करते हुए कहा |

"अब्बा मुझे शर्म आ रही है , मैं आपके साथ नहीं नहा पाऊँगी , मैं जा रही हूँ”, अब्बास ने अपने अब्बा से कहा और उठकर वहां से जाने लगी |

बेटी क्यों इतना शर्मा रही हो , बस कुछ ही देर की तो बात है”? अब्बास ने अपनी बेटी को कलाई से पकड़कर अपने साथ शावर के निचे खड़ा करते हुए कहा |

“अब्बास ने भी अब कोई विरोध नहीं किया और शावर के पानी से अपने पिता के साथ नहाने लगी | अब्बास ने नहाते हुए साबुन उठा लिया और अपनी बेटी की पीठ पर मलने लगा | अब्बास साबुन को अब्बास की चिकनी पीठ पर मलते हुए निचे होते हुए उसके दोनों चूतडों तक आ गया और अपनी बेटी के दोनों नर्म चूतडों पर साबुन को मलते हुए उन्हें अपने दुसरे हाथ से दबाने लगा |

“अआहाहह्ह्ह अब्बा क्या कर रहे हो, बस साबुन लगा लिया ना” , अब्बास ने सिसकते हुए कहा |

“बेटी थोडा झुक जाओ , तुम्हारा हाथ इधर नहीं पहुच पाता, इस लिए यहाँ पर थोड़ी गंदगी है , मैं इसे साफ कर देता हूँ” , अब्बास ने अपनी ऊँगली को अब्बास के चूतडों के बीच फेरते हुए कहा |

“ओह्ह्हह्ह्ह्ह अब्बा” अब्बास ने थोडा झुकते हुए सिसककर कहा | अब्बास अब साबुन को अपनी बेटी की गांड के छेद से निचे लेजाकर उसकी चूत तक मलने लगा | अब्बास के ऐसा करने से अब्बास के मुंह से जोर की सिसकियाँ निकल रही थी | अब्बास थोड़ी देर तक अपनी बेटी के चूतडों को सही तरीके से साफ करने के बाद उठकर खड़ा हो गया |

अब्बास अब साबुन को अपनी बेटी की दोनों बड़ी बड़ी गोरी चुचियों पर मलने लगा | अब्बास साबुन को अपनी बेटी की चुचियों पर मलते हुए उन्हें अपने हाथ से भी दबा रहा था |

“आह्ह्ह्हह्ह अब्बा क्या कर रहें हैं आप ?” अब्बास का ऐसा करने से अब्बास के मुंह से बहुत जोर की सिसकियाँ निकल रही थी | अब्बास अब साबुन को अब्बास के चिकने गोरे पेट पर मलते हुए निचे ले जाने लगा |अब्बास का हाथ अब उसकी बेटी की चूत की हलकी झांटों तक आ गया था | अब्बास ने मज़े के मारे अपनी आँखें बंद कर ली थी | वो अपने पिता की हरकतों से बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी | अब्बास अब साबुन को अपनी बेटी की चूत पे मल रहा था और अब्बास मज़े से सिसक रही थी |

अब्बास ने कुछ देर तक अपनी बेटी की चूत को साबुन से साफ़ करने के बाद साबुन को निचे रख दिया और अब्बास की चूत को गोर से देखते हुए अपने होंठों को उसकी चूत पर रख दिया |

“ओह्ह्हह्ह्ह्ह अब्बा क्या कर दिया आपने” , अपने अब्बा के होंठों को अचानक अपनी चूत पर महसूस करते ही अब्बास ने जोर से सिसकते हुए कहा |

अब्बास अपनी बेटी को कोई जवाब दिए बगैर उसकी चूत को चूमते और चाटते हुए उसकी चूत पर गिरता हुआ पानी भी चाटने लगा | अब्बास की हालत बहुत खराब हो चुकी थी | उसका पूरा बदन तप कर आग बन चूका था | अब्बास ने अचानक अपनी एक ऊँगली को अपनी बेटी की चूत के छेद में डालते हुए उसकी चूत के दाने को अपने मुंह में ले लिया और उसे बहुत जोर से चूसने लगा |

अब्बास अपने पिता की यह हरकत बर्दाश्त न कर सकी और उसका पूरा जिस्म कांपने लगा |

“आहाह्ह्ह्हह इश..... अब्बा ओह्ह्ह्ह” , अब्बास ने जोर से सिसकते हुए अपने अब्बा को बालों से पकड़कर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी चूत झटके खाते हुए पानी छोड़ने लगी | अब्बास अपनी बेटी की चूत का रस शावर के गिरते हुए पानी के साथ चाटने लगा |

अब्बास कुछ देर तक यूँ ही अपनी आँखें बंद करके झड़ने लगी |

“बेटी क्या हुआ, मज़ा आया?” कुछ देर बाद जब अब्बास ने अपनी आखें खोली तो अब्बास ने उठकर उसके सामने खड़ा होते हुए पूछा |

"अब्बा ...." अब्बास ने अपने अब्बा को अपनी बाँहों में भर लिया और दोनों बाप बेटी एक दुसरे के होंठों को चूमने लगे | कुछ देर तक ऐसे ही एक दुसरे के होंठों से खेलने के बाद अब्बास ने अब्बास को गोद से उतारा और उसके चूचों को चूसने लगा। मेरा एक हाथ उसके नितम्ब के छेद को रगड़ रहा था, और दूसरा हाथ उसकी पीठ को सहला रहा था। अब्बास ने अब्बास को चूमते हुए उसे नहलाना शुरू किया। उसने बड़े प्यार से अपने बाप के पूरे शरीर को साफ किया और उसे गले लगा लिया।

दोनो ने तौलिया से एक-दूसरे को पोंछा। इस बार अब्बास ने शरारती अंदाज में अब्बास के लंड को पकड़ कर उसे बाहर की ओर चलने का इशारा किया। बस उसके पीछे-पीछे अब्बास बाहर आ गया और पलंग पर गया और लेट गया। अब्बास भी उसके बगल में लेट गई, और अब्बास के लिंग को सहलाते हुए उसकी छाती पर अपना सर रख कर अब्बास से बातें करने लगी।
थोड़ी देर बातें करते रहने के बाद अब्बास ने अब्बास से कहा कि, “अपने छुटकु को प्यार नहीं करोगी”? अब्बास अपने इतने बड़े लण्ड को प्यार से छुटकु कह रहा था । अब्बास ने शर्म के मरे कोई जवाब नहीं दिया पर उसकी आँखों के प्यार से अब्बस समझ गया और उसका सिर अपने लंड की ओर किया। उसने बड़े प्यार से अपने अब्बा के लंड का अग्र भाग मुंह में लिया, और चूसते हुए आंख मारी। अब्बास ने फिर उसे कहा, “पूरा लेलो मेरी जान”। तो अब्बास ने अपने अब्बा के लंड को अपने मुंह में भर कर धीरे-धीरे अपनी गर्म सांसे उस पर छोड़ते हुए चूसने लगी।

थोड़ी देर बाद अब्बास ने कहा

"अब्बा बहुत रात हो चुकी है लगभघ रात के २ बजने वाले है. हलाला का काम तो बहुत हो चूका है, चलो थोड़ी देर सो जाते हैं. "

दोनों कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे। फिर वह अब्बास से अलग हुई और उसके लिंग को सिकुड़ा हुआ देख कर हंसने लगी, और उसे चूम लिया। फिर दोनों एक-दूसरे की आगोश में गहरी नींद में सो गए।
बाप और बेटी दोनों का नाम अब्बास ही रखा है ऐसा क्यों
 

Raj9977

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थोड़ी देर में अब्बास बेड से उठा। उसका लण्ड इतनी पुरजोर चुदाई के बाद ढीला था। लेकिन उसकी जांघों के बीच ऐसे लटक रहा था जैसे कोई काला नाग झल रहा हो। उस झूलते लण्ड को देखकर अब्बास की चूत में फिर से आग भर गई। अब्बास ने प्यार से लेटी हुई अब्बास को देखा। अब्बास शर्मा गईं।

अब्बास अब्बास से पूछना चाहती थी- "कैसा लगा मुझे चोदकर? अब तो आप खुश हैं ना? अब तो आप संतुष्ट हैं ना? अब तो आप रिलैक्स रहेंगे ना?" लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हई। वो अभी भी एक संस्कारी औरत थी जो सेक्स के बारे में ज्यादा बात नहीं कर सकती थी।

अब्बास भी बेड से उठ गई। उसका पूरा मेकप बिगड़ा हुआ था। आँखों का काजल और लिपस्टिक फैल गया था और बाल बिखरे हुए थे। वो बहुत ही संडक्टिव लग रही थी। अब्बास पूरी तरह झड़ने के बाद अपनी बेटी के ऊपर ही निढाल होकर ढेर हो गया और उसका लंड सिकुड़कर अब्बास की चूत से निकल गया | अब्बास की चूत से उसके अब्बा का लंड निकलते ही उसकी चूत से वीरज निकलकर बेड पर गिरने लगा |

“ओह्ह्ह्ह आई लव यू अब्बा“, अब्बास ने अपने अब्बा को जोर से अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगी |

“ओह्ह्ह्ह बेटी आज मुझे जो मज़ा तुमने दिया है , उसका एहसान मैं कभी नहीं भुला सकता” , अब्बास ने अपनी बेटी के होंठों को चूमने के बाद उसकी साइड में लेटते हुए कहा और अपनी बेटी की गोरी चुचियों से खेलने लगा |

“आआहाह अब्बा इसमें एहसान की क्या बात है , मैं आपकी ही बेटी हूँ और मैं आपकी मेहनत से ही पैदा हुई हूँ , इसलिए मुझपर सबसे ज्यादा हक आपका ही है”, अब्बास ने अपने अब्बा के बालों में हाथ डालकर उसके मुंह को अपनी चुचियों पर दबाते हुए कहा |

अब्बास के ऐसा करने से अब्बास का मुंह उसकी बेटी की दोनों चुचियों के बीच आ गया | अब्बास भी अपनी बेटी की दोनों चुचियों को अपने दोनों हाथों में थामकर जोर से दबाते हुए उन्हें चूमने और चाटने लगा | दोनों बाप बेटी कुछ देर तक ऐसे ही मस्ती करते रहे और कुछ देर बाद अब्बास अपने अब्बा से अलग होते हुए बाथरूम जाने लगी |

अब्बास बिलकुल नंगी ही वहां से उठकर बाथरूम जा रही थी | अब्बास के बाथरूम जाते हुए अब्बास की नज़रें अपनी बेटी के नंगे जिस्म को घुर रही थी |

अब्बास के बाथरूम घुसने के बाद अब्बास भी बेड से उठते हुए अपनी बेटी के पास बाथरूम जाने लगा | अंदर से नल खोलने की आवाज आई। अब्बास उसके पीछे-पीछे गया तो पाया कि अब्बास यूं ही बैठ कर सुसु कर रही थी। अब्बास को यूं देख कर अब्बास शर्मा गई। अब्बास यह नहीं चाहती थी कि अब्बास उसे सुसु करते हुए देखे ।

अब्बास बाथरूम में निचे बैठकर पेशाब कर रही थी |

“अब्बा आप यहाँ? कुछ तो शर्म कीजिये” , अब्बास ने अचानक अपने अब्बा को नंगा ही बाथरूम में दाखिल होता देखकर झूठमूठ के गुस्से से कहा |

अब्बास ने मुंह बनाया तो अब्बास ने कहा कि, “मुझे भी पेशाब करना है”। अब्बास चुप हो गयी. उसे लगा के जैसे इतनी दमदार चुदाई के बाद उसे पेशाब लगी है तो उसी तरह उसके अब्बा को भी तो पेशाब लगी होगी. इसलिए वो चुप रही और शर्म के मरे मुँह नीचे को करके पेशाब करने लगी। अब्बास उसके पीछे गया और वो भी नीचे बैठ गया और अपना हाथ पीछे से अब्बास के नितंबों के नीचे से से होते हुए उसकी योनि पर रख दिया। अब्बास इस अचानक हमले से चमक गई। उसकी पेशाब की धार अब्बास के हाथों से होते हुए जमीन पर जा रही थी। उसका गरम-गरम पेशाब और उसकी कोमल चूत गजब का एहसास दे रहे थी। अब्बास ने उसकी चूत को अपने हाथों से मलना शुरू किया, और एक ऊंगली उसकी चूत में डाल दी। वह पेशाब करती रही और अब्बास मलता रहा।

फिर वह खड़ी हुई और अपने बाप को प्यार से एक चपत लगाते हुए अब्बास के हाथों को पकड़ कर एक मग पानी उसके हाथों में डाला। फिर अपनी चूत पर डाला और कहा, “यह क्या था?”

अब्बास ने कहा, “अब्बास अब जो कुछ तुम्हारा है, वह मेरा है”। फिर अब्बास ने उसे अपनी ओर खींचा और गले लगा लिया।अब्बास का खड़ा लिंग अब्बास की नाभि पर चिपक गया था।अब्बास ने उसके कमर को जोर से सटा लिया, और उसके एक पैर को उठा कर अपनी कमर पर बांध दिया। वह समझ नहीं पाई तब तक उसके अब्बा ने उसे गोद में उठा लिया।

अब उसने खुद ही दूसरा पैर अब्बास के कमर पर बांध दिया।अब्बास ने अब्बास के नितंबों को उठा कर लिंग को उसकी योनि पर एडजस्ट किया। उसे लगा कि अब्बास उसे दोबारा चोदने वाला था। पर अब्बास ने अपने पेशाब की धार उसकी योनि पर छोड़ दी। अब्बास मुझसे लिपट गई और उसके शोहर रुपी अब्बा की गर्म पेशाब की धार उसकी चूत से होते हुए उसकी जांघों से बहने लगी। अब्बास ने जितना हो सके तेज पेशाब करना शुरू किया, और शावर को चला दिया। दोनों भीगने लगे।

पानी की एक-एक बूंद का एहसास और अपनी अब्बास के जिस्म की गर्माहट साथ ही पेशाब की धार कमाल कर गई। पेशाब रुकने के बाद अब्बास ने अपनी आँखें खोली और अपने अब्बा से बोली

"अब्बा आप तो नौजवान लड़कों से भी ज्यादा जवान और शरारती हैं, बस अब मुझे उतारिये मुझे कमरे में जाना है. "

पर अब्बास ने अपनी नंगी बेटी को गोद में से उतारा और उसका हाथ पकड़ कर उसे बाहर जाने से रोकते हुए बोले

“अरे बेटी अब तुमसे क्या शर्म? मैं तो बस अपनी बेटी के साथ नहाना चाहता हूँ” , अब्बास ने बाथरूम में अन्दर शावर को ओन करते हुए कहा |

"अब्बा मुझे शर्म आ रही है , मैं आपके साथ नहीं नहा पाऊँगी , मैं जा रही हूँ”, अब्बास ने अपने अब्बा से कहा और उठकर वहां से जाने लगी |

बेटी क्यों इतना शर्मा रही हो , बस कुछ ही देर की तो बात है”? अब्बास ने अपनी बेटी को कलाई से पकड़कर अपने साथ शावर के निचे खड़ा करते हुए कहा |

“अब्बास ने भी अब कोई विरोध नहीं किया और शावर के पानी से अपने पिता के साथ नहाने लगी | अब्बास ने नहाते हुए साबुन उठा लिया और अपनी बेटी की पीठ पर मलने लगा | अब्बास साबुन को अब्बास की चिकनी पीठ पर मलते हुए निचे होते हुए उसके दोनों चूतडों तक आ गया और अपनी बेटी के दोनों नर्म चूतडों पर साबुन को मलते हुए उन्हें अपने दुसरे हाथ से दबाने लगा |

“अआहाहह्ह्ह अब्बा क्या कर रहे हो, बस साबुन लगा लिया ना” , अब्बास ने सिसकते हुए कहा |

“बेटी थोडा झुक जाओ , तुम्हारा हाथ इधर नहीं पहुच पाता, इस लिए यहाँ पर थोड़ी गंदगी है , मैं इसे साफ कर देता हूँ” , अब्बास ने अपनी ऊँगली को अब्बास के चूतडों के बीच फेरते हुए कहा |

“ओह्ह्हह्ह्ह्ह अब्बा” अब्बास ने थोडा झुकते हुए सिसककर कहा | अब्बास अब साबुन को अपनी बेटी की गांड के छेद से निचे लेजाकर उसकी चूत तक मलने लगा | अब्बास के ऐसा करने से अब्बास के मुंह से जोर की सिसकियाँ निकल रही थी | अब्बास थोड़ी देर तक अपनी बेटी के चूतडों को सही तरीके से साफ करने के बाद उठकर खड़ा हो गया |

अब्बास अब साबुन को अपनी बेटी की दोनों बड़ी बड़ी गोरी चुचियों पर मलने लगा | अब्बास साबुन को अपनी बेटी की चुचियों पर मलते हुए उन्हें अपने हाथ से भी दबा रहा था |

“आह्ह्ह्हह्ह अब्बा क्या कर रहें हैं आप ?” अब्बास का ऐसा करने से अब्बास के मुंह से बहुत जोर की सिसकियाँ निकल रही थी | अब्बास अब साबुन को अब्बास के चिकने गोरे पेट पर मलते हुए निचे ले जाने लगा |अब्बास का हाथ अब उसकी बेटी की चूत की हलकी झांटों तक आ गया था | अब्बास ने मज़े के मारे अपनी आँखें बंद कर ली थी | वो अपने पिता की हरकतों से बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी | अब्बास अब साबुन को अपनी बेटी की चूत पे मल रहा था और अब्बास मज़े से सिसक रही थी |

अब्बास ने कुछ देर तक अपनी बेटी की चूत को साबुन से साफ़ करने के बाद साबुन को निचे रख दिया और अब्बास की चूत को गोर से देखते हुए अपने होंठों को उसकी चूत पर रख दिया |

“ओह्ह्हह्ह्ह्ह अब्बा क्या कर दिया आपने” , अपने अब्बा के होंठों को अचानक अपनी चूत पर महसूस करते ही अब्बास ने जोर से सिसकते हुए कहा |

अब्बास अपनी बेटी को कोई जवाब दिए बगैर उसकी चूत को चूमते और चाटते हुए उसकी चूत पर गिरता हुआ पानी भी चाटने लगा | अब्बास की हालत बहुत खराब हो चुकी थी | उसका पूरा बदन तप कर आग बन चूका था | अब्बास ने अचानक अपनी एक ऊँगली को अपनी बेटी की चूत के छेद में डालते हुए उसकी चूत के दाने को अपने मुंह में ले लिया और उसे बहुत जोर से चूसने लगा |

अब्बास अपने पिता की यह हरकत बर्दाश्त न कर सकी और उसका पूरा जिस्म कांपने लगा |

“आहाह्ह्ह्हह इश..... अब्बा ओह्ह्ह्ह” , अब्बास ने जोर से सिसकते हुए अपने अब्बा को बालों से पकड़कर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी चूत झटके खाते हुए पानी छोड़ने लगी | अब्बास अपनी बेटी की चूत का रस शावर के गिरते हुए पानी के साथ चाटने लगा |

अब्बास कुछ देर तक यूँ ही अपनी आँखें बंद करके झड़ने लगी |

“बेटी क्या हुआ, मज़ा आया?” कुछ देर बाद जब अब्बास ने अपनी आखें खोली तो अब्बास ने उठकर उसके सामने खड़ा होते हुए पूछा |

"अब्बा ...." अब्बास ने अपने अब्बा को अपनी बाँहों में भर लिया और दोनों बाप बेटी एक दुसरे के होंठों को चूमने लगे | कुछ देर तक ऐसे ही एक दुसरे के होंठों से खेलने के बाद अब्बास ने अब्बास को गोद से उतारा और उसके चूचों को चूसने लगा। मेरा एक हाथ उसके नितम्ब के छेद को रगड़ रहा था, और दूसरा हाथ उसकी पीठ को सहला रहा था। अब्बास ने अब्बास को चूमते हुए उसे नहलाना शुरू किया। उसने बड़े प्यार से अपने बाप के पूरे शरीर को साफ किया और उसे गले लगा लिया।

दोनो ने तौलिया से एक-दूसरे को पोंछा। इस बार अब्बास ने शरारती अंदाज में अब्बास के लंड को पकड़ कर उसे बाहर की ओर चलने का इशारा किया। बस उसके पीछे-पीछे अब्बास बाहर आ गया और पलंग पर गया और लेट गया। अब्बास भी उसके बगल में लेट गई, और अब्बास के लिंग को सहलाते हुए उसकी छाती पर अपना सर रख कर अब्बास से बातें करने लगी।
थोड़ी देर बातें करते रहने के बाद अब्बास ने अब्बास से कहा कि, “अपने छुटकु को प्यार नहीं करोगी”? अब्बास अपने इतने बड़े लण्ड को प्यार से छुटकु कह रहा था । अब्बास ने शर्म के मरे कोई जवाब नहीं दिया पर उसकी आँखों के प्यार से अब्बस समझ गया और उसका सिर अपने लंड की ओर किया। उसने बड़े प्यार से अपने अब्बा के लंड का अग्र भाग मुंह में लिया, और चूसते हुए आंख मारी। अब्बास ने फिर उसे कहा, “पूरा लेलो मेरी जान”। तो अब्बास ने अपने अब्बा के लंड को अपने मुंह में भर कर धीरे-धीरे अपनी गर्म सांसे उस पर छोड़ते हुए चूसने लगी।

थोड़ी देर बाद अब्बास ने कहा

"अब्बा बहुत रात हो चुकी है लगभघ रात के २ बजने वाले है. हलाला का काम तो बहुत हो चूका है, चलो थोड़ी देर सो जाते हैं. "

दोनों कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे। फिर वह अब्बास से अलग हुई और उसके लिंग को सिकुड़ा हुआ देख कर हंसने लगी, और उसे चूम लिया। फिर दोनों एक-दूसरे की आगोश में गहरी नींद में सो गए।
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2812rajesh2812

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थोड़ी देर में अब्बास बेड से उठा। उसका लण्ड इतनी पुरजोर चुदाई के बाद ढीला था। लेकिन उसकी जांघों के बीच ऐसे लटक रहा था जैसे कोई काला नाग झल रहा हो। उस झूलते लण्ड को देखकर अब्बास की चूत में फिर से आग भर गई। अब्बास ने प्यार से लेटी हुई अब्बास को देखा। अब्बास शर्मा गईं।

अब्बास अब्बास से पूछना चाहती थी- "कैसा लगा मुझे चोदकर? अब तो आप खुश हैं ना? अब तो आप संतुष्ट हैं ना? अब तो आप रिलैक्स रहेंगे ना?" लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हई। वो अभी भी एक संस्कारी औरत थी जो सेक्स के बारे में ज्यादा बात नहीं कर सकती थी।

अब्बास भी बेड से उठ गई। उसका पूरा मेकप बिगड़ा हुआ था। आँखों का काजल और लिपस्टिक फैल गया था और बाल बिखरे हुए थे। वो बहुत ही संडक्टिव लग रही थी। अब्बास पूरी तरह झड़ने के बाद अपनी बेटी के ऊपर ही निढाल होकर ढेर हो गया और उसका लंड सिकुड़कर अब्बास की चूत से निकल गया | अब्बास की चूत से उसके अब्बा का लंड निकलते ही उसकी चूत से वीरज निकलकर बेड पर गिरने लगा |

“ओह्ह्ह्ह आई लव यू अब्बा“, अब्बास ने अपने अब्बा को जोर से अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगी |

“ओह्ह्ह्ह बेटी आज मुझे जो मज़ा तुमने दिया है , उसका एहसान मैं कभी नहीं भुला सकता” , अब्बास ने अपनी बेटी के होंठों को चूमने के बाद उसकी साइड में लेटते हुए कहा और अपनी बेटी की गोरी चुचियों से खेलने लगा |

“आआहाह अब्बा इसमें एहसान की क्या बात है , मैं आपकी ही बेटी हूँ और मैं आपकी मेहनत से ही पैदा हुई हूँ , इसलिए मुझपर सबसे ज्यादा हक आपका ही है”, अब्बास ने अपने अब्बा के बालों में हाथ डालकर उसके मुंह को अपनी चुचियों पर दबाते हुए कहा |

अब्बास के ऐसा करने से अब्बास का मुंह उसकी बेटी की दोनों चुचियों के बीच आ गया | अब्बास भी अपनी बेटी की दोनों चुचियों को अपने दोनों हाथों में थामकर जोर से दबाते हुए उन्हें चूमने और चाटने लगा | दोनों बाप बेटी कुछ देर तक ऐसे ही मस्ती करते रहे और कुछ देर बाद अब्बास अपने अब्बा से अलग होते हुए बाथरूम जाने लगी |

अब्बास बिलकुल नंगी ही वहां से उठकर बाथरूम जा रही थी | अब्बास के बाथरूम जाते हुए अब्बास की नज़रें अपनी बेटी के नंगे जिस्म को घुर रही थी |

अब्बास के बाथरूम घुसने के बाद अब्बास भी बेड से उठते हुए अपनी बेटी के पास बाथरूम जाने लगा | अंदर से नल खोलने की आवाज आई। अब्बास उसके पीछे-पीछे गया तो पाया कि अब्बास यूं ही बैठ कर सुसु कर रही थी। अब्बास को यूं देख कर अब्बास शर्मा गई। अब्बास यह नहीं चाहती थी कि अब्बास उसे सुसु करते हुए देखे ।

अब्बास बाथरूम में निचे बैठकर पेशाब कर रही थी |

“अब्बा आप यहाँ? कुछ तो शर्म कीजिये” , अब्बास ने अचानक अपने अब्बा को नंगा ही बाथरूम में दाखिल होता देखकर झूठमूठ के गुस्से से कहा |

अब्बास ने मुंह बनाया तो अब्बास ने कहा कि, “मुझे भी पेशाब करना है”। अब्बास चुप हो गयी. उसे लगा के जैसे इतनी दमदार चुदाई के बाद उसे पेशाब लगी है तो उसी तरह उसके अब्बा को भी तो पेशाब लगी होगी. इसलिए वो चुप रही और शर्म के मरे मुँह नीचे को करके पेशाब करने लगी। अब्बास उसके पीछे गया और वो भी नीचे बैठ गया और अपना हाथ पीछे से अब्बास के नितंबों के नीचे से से होते हुए उसकी योनि पर रख दिया। अब्बास इस अचानक हमले से चमक गई। उसकी पेशाब की धार अब्बास के हाथों से होते हुए जमीन पर जा रही थी। उसका गरम-गरम पेशाब और उसकी कोमल चूत गजब का एहसास दे रहे थी। अब्बास ने उसकी चूत को अपने हाथों से मलना शुरू किया, और एक ऊंगली उसकी चूत में डाल दी। वह पेशाब करती रही और अब्बास मलता रहा।

फिर वह खड़ी हुई और अपने बाप को प्यार से एक चपत लगाते हुए अब्बास के हाथों को पकड़ कर एक मग पानी उसके हाथों में डाला। फिर अपनी चूत पर डाला और कहा, “यह क्या था?”

अब्बास ने कहा, “अब्बास अब जो कुछ तुम्हारा है, वह मेरा है”। फिर अब्बास ने उसे अपनी ओर खींचा और गले लगा लिया।अब्बास का खड़ा लिंग अब्बास की नाभि पर चिपक गया था।अब्बास ने उसके कमर को जोर से सटा लिया, और उसके एक पैर को उठा कर अपनी कमर पर बांध दिया। वह समझ नहीं पाई तब तक उसके अब्बा ने उसे गोद में उठा लिया।

अब उसने खुद ही दूसरा पैर अब्बास के कमर पर बांध दिया।अब्बास ने अब्बास के नितंबों को उठा कर लिंग को उसकी योनि पर एडजस्ट किया। उसे लगा कि अब्बास उसे दोबारा चोदने वाला था। पर अब्बास ने अपने पेशाब की धार उसकी योनि पर छोड़ दी। अब्बास मुझसे लिपट गई और उसके शोहर रुपी अब्बा की गर्म पेशाब की धार उसकी चूत से होते हुए उसकी जांघों से बहने लगी। अब्बास ने जितना हो सके तेज पेशाब करना शुरू किया, और शावर को चला दिया। दोनों भीगने लगे।

पानी की एक-एक बूंद का एहसास और अपनी अब्बास के जिस्म की गर्माहट साथ ही पेशाब की धार कमाल कर गई। पेशाब रुकने के बाद अब्बास ने अपनी आँखें खोली और अपने अब्बा से बोली

"अब्बा आप तो नौजवान लड़कों से भी ज्यादा जवान और शरारती हैं, बस अब मुझे उतारिये मुझे कमरे में जाना है. "

पर अब्बास ने अपनी नंगी बेटी को गोद में से उतारा और उसका हाथ पकड़ कर उसे बाहर जाने से रोकते हुए बोले

“अरे बेटी अब तुमसे क्या शर्म? मैं तो बस अपनी बेटी के साथ नहाना चाहता हूँ” , अब्बास ने बाथरूम में अन्दर शावर को ओन करते हुए कहा |

"अब्बा मुझे शर्म आ रही है , मैं आपके साथ नहीं नहा पाऊँगी , मैं जा रही हूँ”, अब्बास ने अपने अब्बा से कहा और उठकर वहां से जाने लगी |

बेटी क्यों इतना शर्मा रही हो , बस कुछ ही देर की तो बात है”? अब्बास ने अपनी बेटी को कलाई से पकड़कर अपने साथ शावर के निचे खड़ा करते हुए कहा |

“अब्बास ने भी अब कोई विरोध नहीं किया और शावर के पानी से अपने पिता के साथ नहाने लगी | अब्बास ने नहाते हुए साबुन उठा लिया और अपनी बेटी की पीठ पर मलने लगा | अब्बास साबुन को अब्बास की चिकनी पीठ पर मलते हुए निचे होते हुए उसके दोनों चूतडों तक आ गया और अपनी बेटी के दोनों नर्म चूतडों पर साबुन को मलते हुए उन्हें अपने दुसरे हाथ से दबाने लगा |

“अआहाहह्ह्ह अब्बा क्या कर रहे हो, बस साबुन लगा लिया ना” , अब्बास ने सिसकते हुए कहा |

“बेटी थोडा झुक जाओ , तुम्हारा हाथ इधर नहीं पहुच पाता, इस लिए यहाँ पर थोड़ी गंदगी है , मैं इसे साफ कर देता हूँ” , अब्बास ने अपनी ऊँगली को अब्बास के चूतडों के बीच फेरते हुए कहा |

“ओह्ह्हह्ह्ह्ह अब्बा” अब्बास ने थोडा झुकते हुए सिसककर कहा | अब्बास अब साबुन को अपनी बेटी की गांड के छेद से निचे लेजाकर उसकी चूत तक मलने लगा | अब्बास के ऐसा करने से अब्बास के मुंह से जोर की सिसकियाँ निकल रही थी | अब्बास थोड़ी देर तक अपनी बेटी के चूतडों को सही तरीके से साफ करने के बाद उठकर खड़ा हो गया |

अब्बास अब साबुन को अपनी बेटी की दोनों बड़ी बड़ी गोरी चुचियों पर मलने लगा | अब्बास साबुन को अपनी बेटी की चुचियों पर मलते हुए उन्हें अपने हाथ से भी दबा रहा था |

“आह्ह्ह्हह्ह अब्बा क्या कर रहें हैं आप ?” अब्बास का ऐसा करने से अब्बास के मुंह से बहुत जोर की सिसकियाँ निकल रही थी | अब्बास अब साबुन को अब्बास के चिकने गोरे पेट पर मलते हुए निचे ले जाने लगा |अब्बास का हाथ अब उसकी बेटी की चूत की हलकी झांटों तक आ गया था | अब्बास ने मज़े के मारे अपनी आँखें बंद कर ली थी | वो अपने पिता की हरकतों से बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी | अब्बास अब साबुन को अपनी बेटी की चूत पे मल रहा था और अब्बास मज़े से सिसक रही थी |

अब्बास ने कुछ देर तक अपनी बेटी की चूत को साबुन से साफ़ करने के बाद साबुन को निचे रख दिया और अब्बास की चूत को गोर से देखते हुए अपने होंठों को उसकी चूत पर रख दिया |

“ओह्ह्हह्ह्ह्ह अब्बा क्या कर दिया आपने” , अपने अब्बा के होंठों को अचानक अपनी चूत पर महसूस करते ही अब्बास ने जोर से सिसकते हुए कहा |

अब्बास अपनी बेटी को कोई जवाब दिए बगैर उसकी चूत को चूमते और चाटते हुए उसकी चूत पर गिरता हुआ पानी भी चाटने लगा | अब्बास की हालत बहुत खराब हो चुकी थी | उसका पूरा बदन तप कर आग बन चूका था | अब्बास ने अचानक अपनी एक ऊँगली को अपनी बेटी की चूत के छेद में डालते हुए उसकी चूत के दाने को अपने मुंह में ले लिया और उसे बहुत जोर से चूसने लगा |

अब्बास अपने पिता की यह हरकत बर्दाश्त न कर सकी और उसका पूरा जिस्म कांपने लगा |

“आहाह्ह्ह्हह इश..... अब्बा ओह्ह्ह्ह” , अब्बास ने जोर से सिसकते हुए अपने अब्बा को बालों से पकड़कर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी चूत झटके खाते हुए पानी छोड़ने लगी | अब्बास अपनी बेटी की चूत का रस शावर के गिरते हुए पानी के साथ चाटने लगा |

अब्बास कुछ देर तक यूँ ही अपनी आँखें बंद करके झड़ने लगी |

“बेटी क्या हुआ, मज़ा आया?” कुछ देर बाद जब अब्बास ने अपनी आखें खोली तो अब्बास ने उठकर उसके सामने खड़ा होते हुए पूछा |

"अब्बा ...." अब्बास ने अपने अब्बा को अपनी बाँहों में भर लिया और दोनों बाप बेटी एक दुसरे के होंठों को चूमने लगे | कुछ देर तक ऐसे ही एक दुसरे के होंठों से खेलने के बाद अब्बास ने अब्बास को गोद से उतारा और उसके चूचों को चूसने लगा। मेरा एक हाथ उसके नितम्ब के छेद को रगड़ रहा था, और दूसरा हाथ उसकी पीठ को सहला रहा था। अब्बास ने अब्बास को चूमते हुए उसे नहलाना शुरू किया। उसने बड़े प्यार से अपने बाप के पूरे शरीर को साफ किया और उसे गले लगा लिया।

दोनो ने तौलिया से एक-दूसरे को पोंछा। इस बार अब्बास ने शरारती अंदाज में अब्बास के लंड को पकड़ कर उसे बाहर की ओर चलने का इशारा किया। बस उसके पीछे-पीछे अब्बास बाहर आ गया और पलंग पर गया और लेट गया। अब्बास भी उसके बगल में लेट गई, और अब्बास के लिंग को सहलाते हुए उसकी छाती पर अपना सर रख कर अब्बास से बातें करने लगी।
थोड़ी देर बातें करते रहने के बाद अब्बास ने अब्बास से कहा कि, “अपने छुटकु को प्यार नहीं करोगी”? अब्बास अपने इतने बड़े लण्ड को प्यार से छुटकु कह रहा था । अब्बास ने शर्म के मरे कोई जवाब नहीं दिया पर उसकी आँखों के प्यार से अब्बस समझ गया और उसका सिर अपने लंड की ओर किया। उसने बड़े प्यार से अपने अब्बा के लंड का अग्र भाग मुंह में लिया, और चूसते हुए आंख मारी। अब्बास ने फिर उसे कहा, “पूरा लेलो मेरी जान”। तो अब्बास ने अपने अब्बा के लंड को अपने मुंह में भर कर धीरे-धीरे अपनी गर्म सांसे उस पर छोड़ते हुए चूसने लगी।

थोड़ी देर बाद अब्बास ने कहा

"अब्बा बहुत रात हो चुकी है लगभघ रात के २ बजने वाले है. हलाला का काम तो बहुत हो चूका है, चलो थोड़ी देर सो जाते हैं. "

दोनों कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे। फिर वह अब्बास से अलग हुई और उसके लिंग को सिकुड़ा हुआ देख कर हंसने लगी, और उसे चूम लिया। फिर दोनों एक-दूसरे की आगोश में गहरी नींद में सो गए।
बाप बेटी दोनों के नाम अब्बास हो गए,,,,,
अपडेट बहुत शानदार है,,,,,,
यूँ ही जारी रखिये कहानी,,,,,
मस्त,मस्त,मस्त..........👌
 
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