Ajju Landwalia
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अब्बास लण्ड के लिए रास्ता बनाता हुआ चूत सहला रहा था और ज़ैनब अपनी कमर उठाकर लण्ड अंदर ले लेना चाहती थी। अब्बास लण्ड को चूत से सटाकर ज़ैनब के ऊपर लेट गया और उसके होठों को चूमने लगा और चचियों मसलने लगा।
ज़ैनब अब बर्दाश्त नहीं कर पाई, कहा- "डालिए ना अब्बू अंदर, क्या कर रहे हैं आप?"
अब्बास ज़ैनब के गालों को चमता बोला- "क्या डालं मेरी जान?"
ज़ैनब एक झटके में बोली- "लण्ड..." लेकिन तुरंत ही उसे एहसास हो गया की वो क्या बोली और शर्मा गईं।
अब्बास उसकी चूचियों पे दाँत काटता हुआ पूछा- “कहाँ मेरी जान?"
ज़ैनब दो सेकेंड के लिए रुकी लेकिन फिर अपने शर्म को त्यागती हुई बोली- "मेरी चूत में। ओह्ह... अब्बा क्यों तड़पा रहे हैं आज तो हमारी सुहागरात है. इस रात के लिए तो मैं और आप न जाने कितनी सालों से तड़पे है आज अल्लाह के रेहमत से यह दिन आया है तो आप मुझे क्यों तड़पा रहे हैं?"
अचानक ज़ैनब को अपना जिस्म फटता हुआ महसूस हुआ। वो दर्द से बिलख गई। अब्बास ने ज़ैनब को कस के अपनी बाहों में पकड़ लिया था। अब्बास का लण्ड ज़ैनब की चूत के रास्ते को खोल चका था। अब्बास ने अपनी कमर का भार ज़ैनब की चूत पे बढ़ाया और अपने दर्द को सहती हुई ज़ैनब आह्ह... आह करती हुई दोनों पैर को पूरी तरह फैला ली और फाइनली अब्बास खान का लण्ड ज़ैनब शर्मा की चूत के अंदर आ चुका था। अब्बास ने अब एक धक्का मारा और उसका लण्ड ज़ैनब की चूत की गहराइयों में उत्तरता चला गया।
ज़ैनब को बहुत दर्द हो रहा था. पर यह तो वो दर्द था जिस के लिए वो दोनों बाप बेटी न जाने कब से तड़प रहे थे. इसलिए चाहे जैनब को कितना भी दर्द हो रहा था पर वो अपने होंठ भींचे लेती थी. उसको दर था कि कहीं उसके अब्बा को लगा कि उसकी प्यारी बेटी को उसके हल्लबी लण्ड से दर्द हो रहा है तो कहीं उसका बाप अपने लण्ड बाहर न निकल ले,
लेकिन अब्बास भी तो उम्रदराज था. अपनी बेटी की शक़ल से ही वो समज गया कि ज़ैनब को दर्द हो रहा है, तो वो थोड़ा रुक गया और प्यार से ज़ैनब के होंठों को चूमता हुआ बोलै.
"क्या बाप है बेटी? क्या बहुत दर्द हो रहा है? तुम अगर कहो तो मैं अपना लण्ड बाहर निकल लेता हूँ. "
ज़ैनब ने एकदम से आँखें खोली जैसे उसे डर हो कि कहीं उस का अब्बू अपना लण्ड सच में ही बाहर न निकल ले,
वो अपने अब्बा की आँखों में प्यार से देखते हुए बोली.
"अब्बा आप चिंता न करें। बस थोड़ी देर रुक जाइए, असल में आप का ये (वो अभी भी शर्म के कारण लण्ड शब्द का प्रयोग नहीं कर पा रही थी ) हथियार तो बहुत ही बड़ा है, इतना बड़ा लेने की मुझे आदत नहीं है न. बस थोड़ी ही देर में दर्द कम हो जायेगा. "
अब्बास अपनी बेटी की एक चूची को मसलता हुआ बोलै.
" बेटी क्या उस्मान का लण्ड मेरे से कुछ छोटा है। जो तुम कह रही हो कि तुम्हे इतना बड़ा लेने की आदत नहीं है. "
ज़ैनब ने शर्म से अपने अब्बा की छाती में मुँह छुपा लिया और बोली.
"अब्बा उस्मान का लण्ड तो मुश्किल से ४-५ इंच का होगा, पर आप का तो लगभग ८ इंच का है. ऊपर से असली दिक्कत तो इसकी मोटाई से है. उस्मान का लण्ड तो ज्यादा से ज्यादा २ -३ इंच मोटा होगा पर आप का तो बेलन की तरह इतना मोटा है की शायद मेरी कलाई भी इतनी मोती न होगी. तो आप ही बताइये कि मैं भी क्या करूँ. चाहे उस्मान से मेरी शादी को कितना ही समय हो चूका हो पर फिर भी मुझे इतना मोटा झेलने में दर्द तो होगा ही ना?"
अब्बास समझ गया की उसकी बेटी को चोदने के लिए उसे थोड़ी सबर से काम लेना पड़ेगा. उसने अपने लण्ड अपनी बेटी की चूत में ही रहने दिया और उसने ज़ैनब के मम्मो को चूसना शुरू कर दिया. इस से ज़ैनब का दर्द थोड़ा कम होना शुरू हो गया और उसे फिर से मझा आने लगा.
थोड़ी देर ऐसे हे करते रहने से ज़ैनब का दर्द कम हो चुका था। वो कोई कुँवारी लड़की तो नहीं थी फिर भी अभी भी पूरा लण्ड अंदर नहीं गया था। अब्बास ज़ैनब के होठों को चूमने लगा, चूसने लगा। अब्बास ने एक धक्का और मारा और बचा खुच लण्ड भी ज़ैनब की चूत में समा गया। अब्बास अब कस कस के धक्के लगाने लगा।
ज़ैनब आहह ... उऊहह ... करने लगी। अब्बास के धक्के में ज़ैनब का पूरा जिस्म हिल रहा था। ज़ैनब की मुलायम चूचियां पूरी तरह से उछल रही थी, और अब्बास अपने अरमान पूरे कर रहा था। तुरंत ही ज़ैनब की चूत में अपना पानी छोड़ दिया। लेकिन तुरंत ही वो फिर से गरमा गई थी।
लण्ड डाले डाले ही अब्बास ने अपनी बेटी को अपने ऊपर कर दिया और खुद नीचे लेट गया। अब ज़ैनब अब्बास के लण्ड पे उछल रही थी। ज़ैनब की चूचियां ऊपर-नीचे हो रही थी । ज़ैनब पूरा ऊपर आ रही थी और फिर पूरा नीचे जा रही थी। थोड़ी देर बाद अब्बास ने ज़ैनब को कुतिया की तरह चार पैरों पे कर दिया और उसकी गाण्ड पे कम के एक हाथ मारा। ज़ैनब इस तरह हो गई की उसकी गाण्ड बाहर की तरफ निकल गई और कमर नीचे हो गई। अब्बास ज़ैनब के पीछे आया और उसकी चूत में अपना लण्ड घुसेड़ दिया।
ज़ैनब की चूत में फिर पानी बह निकला और अब्बास के हर धक्के से ज़ैनब की चूत से वो पानी बाहर आ रहा था। अब्बास ज़ैनब को जोर जोर से चोदने लगा। ज़ैनब पस्त हो चुकी थी। बहुत देर हो चुकी थी । ज़ैनब आधे घंटे से इतने विशाल लण्ड को अपनी नाजुक सी चूत में झेल रही थी।
अब्बास ज़ैनब से पूरी तरह चिपक गया और लण्ड चूत के आखिरी छोर में जा सटा और अब्बास के लण्ड में पानी गिरा दिया। अंदर वीर्य की गर्मी पाते ही ज़ैनब की चूत तीसरी बार पानी छोड़ दी। जब बीर्य की आखिरी बंद भी ज़ैनब की चूत में गिर गई तो अब्बास ने अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया और ज़ैनब के बगल में ढेर हो गया। लण्ड के बाहर आते ही ज़ैनब की चूत में वीर्य का और चूत के पानी का मिक्स्च र बाहर बेड पे बहनें लगा। दोनों पीने से लथपथ हो चुके थे। इस महयुद्ध में एक बार फिर से चूत की ही जीत हुई और इतना विशाल लण्ड भी अब थक हार कर मुर्दे की तरह पड़ा हुआ था। बेड के सारे फूल रौदे मसले जा चुके थे।
आखिरकार, ज़ैनब आज अपने बाप अब्बास से चुद ही गई। इतनी मजेदार चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी। वो पशीने से लथपथ थी। अब्बास भी अपनी बेटी रूपी इस अप्सरा को अपने मन मुताबिक चोदकर निढाल पड़ा था।
ज़ैनब ऐसे ही नंगी लेटी रही। उसकी चूत में अभी भी अब्बास का वीर्य और खुद उसकी चूत का पानी मिलकर बाहर बह रहा था और बेंड को गीला कर रहा था। ज़ैनब के जिस्म में तो जैसे जान ही नहीं थी। ३ बार उसकी चूत से पानी निकला था। एक बार तो वो खुद नहाते वक़्त निकाली थी
और तीन बार अब्बास ने चोदते हुए निकाल दिया।
ज़ैनब मन में- "उफफ्फ... ऐसे भी कहीं चदाई होती है। इतनी देर तक। एक तो इतना बड़ा घोड़े का लण्ड है और उसमें इतनी देर तक चोदते रहे। मेरी तो चूत छिल गई है। पूरा बदन दर्द कर रहा है। लेकिन एक बात की खुशी है की में इनका साथ दे पाई। मुझे ख़ुशी है कि मेरे अब्बा को आज मुझे चोद कर मजा तो आया होगा ना? संतुष्ट तो हए होंगे ? पता नहीं, लेकिन इतने में भी अगर कोई संतुष्ट ना हो तो अब क्या जान निकल के मानेगा?
Gazab ki hahakari update he Ting ting Bhai,
Aag hi laga di Bro............
Keep posting