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Incest बेटी की जवानी - बाप ने अपनी ही बेटी को पटाया - 🔥 Super Hot 🔥

Daddy's Whore

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कहानी में अंग्रेज़ी संवाद अब देवनागरी की जगह लैटिन में अप्डेट किया गया है. साथ ही, कहानी के कुछ अध्याय डिलीट कर दिए गए हैं, उनकी जगह नए पोस्ट कर रही हूँ. पुराने पाठक शुरू से या फिर 'बुरा सपना' से आगे पढ़ें.

INDEX:

 
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I understand. So sorry ki ye story itne saalon se atki padi hai. Kabhi forum band ho gaye kabhi maine latelateefi kar deti hun. Par ye kahani mere dil ke itne kareeb hai ki kya bataun. Aur isse likhna mere liye aasaan nahin hai, puraane vakaye yaad kar kar ke main horny ho jaati hun 🙈 aur likhna chhoot jata hai.

Yahan thoda readers ke pressure me maine jaldi sex daal diya tha, ab unn chapters ko delete karke, Manika, yaani apna perspective daal rahi hun, taaki readers ko uss beti ke mann ki sthiti ka bhi pata chale. Exbii par iska naam ekdum sahi hua karta tha, "Baap ke rang me rang gayi beti".

Itna lamba support karne ke liya 'muah'.

Meri maano to shuru se padhna. Thode changes kiye hain narration mein. Achhe lagein to aaram se batana.

Thanks a lot.

Aap exbii ke time se ho?? Itni purani story hai kya ye?
 
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Aap exbii ke time se ho?? Itni purani story hai kya ye?

Haan. Shuruat me hinglish me likhi thi. Par fir vo account ka password bhool gai, to devnagari me likhne lagi. Fir Xossip band ho gaya... fir maine likhna chhod diya... badi lambi kahani hai :D
 

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Thnks so much is story ko continue karne me liye you r most favorite writer if me but aik sujhaaw ha mera agar tum maano hai singh apni beti ke baare ma baar randi word use karta usse wo aik villan lagta ha as my suggestion baap beti me sex ho par bahut hi romantic or loveable style me ho with due respect each other and love also incest me ye word story ka maza kharab kar dete ha

Aapka concern main samajh sakti hun, lekin aap bhi ye samjho... ye Jaisingh ki vaasna ki kahani hai... pyar ki nahin... aur manika ke behekne ki... Jaisingh ki kaamichha ki vajah se hi ye kahani ban paayi hai 🙈
 
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22 - खूबसूरत

कमरे में चुप्पी छाई थी.

मनिका के मन में रह-रह कर एक ही ख़याल चल रहा था.

“मेरी थोंग! क्या नहाने जाने से पहले वहाँ गिर गई थी?”

उसने किसी तरह अपने पिता के हाथ से वो छोटी सी पैंटी लेकर जल्दी से अपनी अटैची में रखे कपड़ों के बीच ठूँस दी थी. जयसिंह भी बिना कुछ बोले बिस्तर पर अपनी साइड जा बैठे थे.

कुछ पल बाद उन्हें आभास हुआ कि मनिका उनसे मुख़ातिब हुई है. उन्होंने उसकी तरफ़ देखा.

“पापा…” मनिका ने रुँधे गले से कहा और सिसक उठी.

जयसिंह को तो इसी मौक़े का इंतज़ार था.

“अरे क्या हुआ..?”

उन्होंने आश्चर्य और चिंता का मिलाजुला भाव दिखाया और झट खिसक कर मनिका के पास आ गए.

“पापा… वो… सॉरी.” मनिका के मुँह से इतना ही निकला.
“अरे क्या बात हुई… बताओ मुझे.” जयसिंह ने उसकी ठुड्डी पकड़ मुँह अपनी ओर करते हुए पूछा.
“वो पापा… आपके सामने जितना डीसेंट होने की कोशिश करती हूँ… पता नहीं उतना ही उल्टा हो जाता है… अभी वो मेरी अंडरवियर… आपके सामने यूँ…” कहते हुए मनिका फफक उठी.
“ओह मनिका… स्वीटहार्ट… ऐसे मत सोचो…” कहते हुए जयसिंह ने मनिका की पीठ सहलाई.
“पर पापाऽऽऽ… आप सोच रहे होंगे कैसी बिगड़ैल हूँ मैं… आँऽऽऽऽ…” मनिका रोने लगी.

जयसिंह ने मौक़ा न गँवाते हुए उसे पकड़ा और अपने बलिष्ठ बाजुओं से खींच कर अपनी छाती से लगा लिया. भावुक मनिका उनकी कुचेष्टा कहाँ समझ पाती.

“अरे मैं बिलकुल ऐसा नहीं सोचता… पगली हो क्या तुम…”
“आँऽऽऽऽ…” करते हुए मनिका का दर्द और ग्लानि बहने लगे.

कुछ पल बाद वो थोड़ा शांत हुई. उसे अपनी स्थिति का भी थोड़ा आभास हुआ. पापा उसे बाँहों में लिए थे. पर उनसे अलग कैसे हो? तभी जयसिंह बोले,

“अच्छा सुनो मेरी बात… हूँ?”
“आँऽऽऽऽ…” मनिका की फिर से रुलाई फूट पड़ी.

लेकिन इस बार जयसिंह ने उसके गालों से आँसू पोंछते हुए उसे पुचकारा और फिर से कहा,
“मनिका… पापा की बात नहीं सुनोगी?”
“ज… ज… जी प… पापा…” मनिका सिसकते हुए बोली.
“मनिका, मैंने बिलकुल वैसा नहीं सोचा डार्लिंग, जैसा तुम्हें लग रहा है…”
“सस्स… सच पापा..?”
“हाँ, सच और मुच दोनों…” जयसिंह ने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा.

वे उसे आश्वस्त करने के लिए मुस्का भी दिए.

“पर पापा… मैं ये सब जानबूझकर नहीं करती… please believe me…” मनिका ने फिर मिन्नत की.
“मनिका… मैं कह रहा हूँ ना… अच्छा पहले चुप हो जाओ… फिर मेरी बात सुनो.”
“जी… जी पापा.” मनिका ने कांपते हाथों से आँसू पोंछे.
“पानी पीना है? पानी दूँ आपको?” जयसिंह उसकी पीठ और कमर पर हाथ फेरते हुए बोले.
“N… no papa…”
“Okay, then listen to me… okay?”
“हम्म…” मनिका ने हामी में सिर हिलाया.
“Manika.. we are both adults… और जिन बातों को लेकर तुम इतना परेशान हो रही हो… वो सब नॉर्मल है… हम्म?”
“पर पापा… आपके सामने यूँ… मुझे बुरा लग रहा है…”
“मनिका… कल भी मैंने कहा था… कि तुम हमारे समाज के बनाए रिश्ते के बारे में सोच-सोच कर परेशान होती हो…”
“ऊह… जी पापा…”
“But what are we before being a father and daughter?”
“W… what papa?” मनिका उनका तात्पर्य नहीं समझी थी.
“A man and a woman… yes?” जयसिंह बोले.
“Y… yes…”
“And we are staying together, right?”
“जी…”
“तो हम अपनी ज़रूरतों को नज़रंदाज़ नहीं कर सकते… हम्म?”

मनिका कुछ नहीं बोली.

“हमारे शरीर की बनावट अलग-अलग हैं… उनके कपड़े अलग-अलग हैं… उनकी ज़रूरतें अलग-अलग हैं… और यह समझ हम दोनों को है. है कि नहीं?”
“Yes… s.. papa…”
“तो फिर इन बातों को लेकर बुरा महसूस नहीं करो… हम्म. मैं फिर कहता हूँ, मैंने तुम्हें बिलकुल बिगड़ैल या ऐसा कुछ नहीं समझ… okay?”
“ज… जी पापा…” मनिका ने सिर झुका कर कहा.

जयसिंह ने फिर से उसका चेहरा पकड़ कर उठाया और बोले,
“Then smile for me darling… ऐसे उदासी नहीं चलेगी पापा के साथ…”

मनिका ने उनका आदेश मानते हुए एक शर्मीली सी मुस्कान बिखेर दी और फिर उनके कंधे में चेहरा छुपा कर बोली,
“Oh papa… I love you so much…”
“I love you too darling… अब रोना नहीं है… okay?”
“Yes papa…” मनिका ने गिली आँखें टिमटिमाईं.

फिर जयसिंह ने मनिका को अपनी गिरफ़्त से आज़ाद किया. मनिका थोड़ा पीछे होके बैठ गई. जयसिंह भी अपनी साइड पर जा कर बेड से टेक लगा कर बैठ गए और मनिका की तरफ़ देखा. उनकी नज़र मिली तो जयसिंह ने उसे पास आ जाने का इशारा किया.

मनिका उनके क़रीब आ कर उनसे सट कर लेट गई. एक पल के लिए उसके मन में पिछली रात अपने पिता से लिपट कर सोने वाला दृश्य घूम गया था, लेकिन उसने उसे नज़रंदाज़ कर दिया.

“मुझे लगा पता नहीं क्या हो गया… ऐसे कोई रोता है भला… हम्म?” जयसिंह ने उसके बालों में हाथ फिराते हुए कहा.
“ऊँह… पापा…” मनिका ने सिर हिला कर ना कहा.
“मैं देख रहा था सुबह से चुप-चुप हो… यही चल रहा था क्या सुबह से दिमाग़ में?”
“Oh papa! You noticed?” मनिका ने मुँह उठा उन्हें प्यार से देखते हुए कहा.
“Yes darling.”

उनके ऐसा कहने पर मनिका ने उनके बाजू में चेहरा रगड़ कर नेह जताया.

“वो पापा… मुझे बुरा लग रहा था… ऐसा दो-तीन बार हो गया ना… and I have grown up now… so…” मनिका ने बात अधूरी छोड़ दी.
“Hmm… it’s okay Manika… I am also a grown up… hmm?”
“Yes papa… but I thought… may be… आप सोचोगे कि इस लड़की को तो बिलकुल भी शरम नहीं है…”
“हाहाहा… अच्छा है शरम नहीं है… ज़्यादा शर्मीली लड़की किस काम की…”
“हाहा… पापा… आप तो ना मेरी टांग खींचते रहते हो…” मनिका ने उन्हें हल्का सा धक्का देते हुए कहा.
“टांग क्या मैं तो तुम्हें पूरा ही खींच लूँ…" कहते हुए जयसिंह ने मनिका को थोड़ा ज़ोर से भींचा.
“हेहे पापा…” मनिका का मन हल्का हो चला था, उसने अब थोड़ा खुल कर कहा, “सच में पापा… एक आप ही इतने कूल हो… वरना लोग तो मुझे बिगड़ैल ही समझते…”
“वो तो मैंने तुमसे कहा ही था… कि लोगों के सहारे चलोगी तो हर वक्त सही-ग़लत के फेर में ही रहोगी… just enjoy yourself darling… बाक़ी मैं हूँ ना तुम्हारे साथ…”

मनिका के मन में अचानक एक बात आई.

“पापा, एक बात पूछूँ?”
“हम्म.”
“आजकल आप मुझे मनिका कहकर बुलाते हो… पहले घर पर तो आप मनी कहते थे… why?”
“Well… बस ऐसे ही… तुम्हारा नाम मनिका है इसलिए…” जयसिंह इस सवाल की आशा नहीं कर रहे थे.

लेकिन उनके हरामी मन ने जवाब बुनना शुरू कर दिया था.

“बताओ ना पापा… you are hiding something.”
“अरे कुछ बात नहीं है…” जयसिंह की आवाज़ से पता चल रहा था कि वे मनिका को उकसा रहे हैं.
“No papa… tell me… जाओ मैं आपसे बात नहीं करती…”
“अच्छा भई…” जयसिंह बोले.
“तो बताओ.” मनिका नख़रे से बोली.
“Well… ऐसा इसीलिए है क्यूँकि... जैसा तुमने कहा... you have grown up so much… you know?"
"व... वो कैसे पापा?"
"तुम्हें याद है यहाँ आने से पहले तुम्हारी मधु से लड़ाई हुई थी और उस रात हम यहाँ आकर रुके थे…”
“हाँ… तो..?”
“तो… मुझे कुछ-कुछ एहसास हुआ कि… तुम अब बड़ी हो गई हो...”

उनकी आवाज़ में एक बात छिपी थी.

मनिका को अभी तक जयसिंह की बातें मजाक लग रहीं थी. लेकिन जब उन्होंने उस पहली रात का ज़िक्र किया तो उसे अपने पिता का इशारा समझते देर ना लगी. वो चुप रही.

"क्या हुआ?" जयसिंह ने मनिका का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा.
"कुछ नहीं…" मनिका ने हौले से कहा.

एक ही पल में पासा पलट गया था और उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई.

"पापा ने सब नोटिस किया था मतलब… Oh God!”

मनिका और जयसिंह के बीच चुप्पी छा गई थी.

कुछ पल बीतने के बाद मनिका रुक ना सकी और भर्राई आवाज में बोली,
“Papa, I am sorry!”
"अरे तुम फिर वही सब बोलने लगी. मेरी बात तो सुनो.” जयसिंह ने उसे सहलाते हुए कहा.
"वो… वो पापा उस रात है ना मुझे ध्यान नहीं रहा… वो मैं अपने घर वाले कपड़े ले कर बाथरूम में घुस गई थी और फिर… फिर पहले वाली ड्रेस शॉवर में भीग गई सो… I had to wear those clothes and come out." उसने उन्हें बताया.

फिर मनिका ने एक और दलील दी,
“तब भी मैंने सोचा था की आप क्या सोचोगे… कि मैं कैसी बिगड़ैल हूँ… but the way you reacted, I thought you were embarrassed by my behaviour… तभी आपने मुझे डांटा नहीं… you know…”
"अरे! पागल लड़की हो तुम…" जयसिंह ने मनिका का चेहरा ऊपर उठाते हुए कहा.
"पापा?"

मनिका की नज़र में अचरज था. जयसिंह ने उसके चेहरे से उसके मन की बात पढ़ ली थी.

"तुम्हें लगा कि मैं तुम्हें डांटने वाला हूँ?" मनिका की चुप्पी का फायदा उठा कर जयसिंह बोले.
"हाँ… मुझे लगा आप सोचोगे कि मम्मी सही कह रही थी कि मैं कपड़ों का ध्यान नहीं रखती." मनिका ने बताया.

जयसिंह धीमे-धीमे बोलने लगे ताकि मनिका को पता रहे कि वे मजाक नहीं कर रहे.

“अब मेरी बात सुनो… तुम्हें तो शुक्रगुजार होना चाहिए कि तुमने वो ड्रेस पहनी…”
"क… क्या मतलब पापा?" मनिका के कानों में जयसिंह की आवाज़ गूँज सी रही थी.
“When I realised that you have grown up so much…”

इस बार मनिका उनके आशय से शरमा गई.

सो जयसिंह ने शब्द-जाल बुनना शुरू किया और आगे बोले,
“तभी मुझे लगा कि… I should treat you like an adult, confident girl… न कि तुम्हारी मम्मी की तरह… so I started calling you Manika… you know… ना कि किसी बच्ची की तरह 'मनी' जो सब तुम्हें घर पे बुलाते हैं...”
"ओह…" मनिका ने हौले से कहा.
“तभी तो मैंने तुमसे इंटर्व्यू कैंसिल होने के बाद यहाँ रुकने के लिए भी कहा… because I thought… कि तुम इतना जल्दी वापस नहीं जाना चाहोगी." वे बोले.

जब मनिका चुप रही तो जयसिंह ने उसे कुरेदते हुए पूछा,
“What happened sweetheart?”
"कुछ नहीं ना पापा. I am so embarrassed… एक तो आप मेरा इतना ख़याल रखते हो… and I keep comparing you with mom… और फिर वो आपके सामने ऐसे… I mean… वो ड्रेस थोड़ा… you know… indecent… था ना?"

मनिका ने अंत में आते-आते अपने जवाब को सवाल बना दिया था और एक पल जयसिंह से नज़र मिलाई थी.

"ओह मनिका यार! You are embarrassed again… I am admiring you here… अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊँ… look at me…"
"जी…" मनिका ने उन्हें देखते हुए कहा.
"देखो, तुम फिर हमारे रिश्ते के बारे में सोचने लगी हो ना?
“जी… "
"पर मैंने तो तुम्हें सपोर्ट ही किया था… did I make you feel uncomfortable?"
“No papa… but…" मनिका से दो शब्द मुश्किल से निकले.
“But what Manika? क्या मनिका?" जयसिंह बोले, "तुम इतनी ख़ूबसूरत लग रही थी… that’s not a crime… and I admired your beauty…"
“But I am your daughter… papa…”
“I know, I know… मुझे पता है… but you are also a young adult woman… and I am a man… right?”
“Yes papa.”
“अब तुम ये सोचोगी कि सोसाइटी-समाज क्या कहेगा… तो जैसा मैं पहले कह चुका हूँ… you cannot understand what I am trying to say.”

मनिका चुप रही.

“अरे भई मुझे तो बहुत अच्छा लगा कि मेरी मनिका इतनी ब्यूटीफुल हो गई है… हम्म?" उसके पिता ने उसका गाल सहलाते हुए कहा.

मनिका के झेंप भरे चेहरे पर एक पल के लिए छोटी सी मुस्कान आई और चली गई थी.

–​
 

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Apsingh
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But fir bhi baap jitna bhi kharab ho sexy ho baap baap hota ha incest me bhi respect ho sakti ha I cnt think jaisingh is not care about her daughter baap kitna bhi bura ho baap hota ha baaki as your wish sirf is baat ko chod kar you r the best best best keep it up
C
 
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22 - खूबसूरत

कमरे में चुप्पी छाई थी.

मनिका के मन में रह-रह कर एक ही ख़याल चल रहा था.

“मेरी थोंग! क्या नहाने जाने से पहले वहाँ गिर गई थी?”

उसने किसी तरह अपने पिता के हाथ से वो छोटी सी पैंटी लेकर जल्दी से अपनी अटैची में रखे कपड़ों के बीच ठूँस दी थी. जयसिंह भी बिना कुछ बोले बिस्तर पर अपनी साइड जा बैठे थे.

कुछ पल बाद उन्हें आभास हुआ कि मनिका उनसे मुख़ातिब हुई है. उन्होंने उसकी तरफ़ देखा.

“पापा…” मनिका ने रुँधे गले से कहा और सिसक उठी.

जयसिंह को तो इसी मौक़े का इंतज़ार था.

“अरे क्या हुआ..?”

उन्होंने आश्चर्य और चिंता का मिलाजुला भाव दिखाया और झट खिसक कर मनिका के पास आ गए.

“पापा… वो… सॉरी.” मनिका के मुँह से इतना ही निकला.
“अरे क्या बात हुई… बताओ मुझे.” जयसिंह ने उसकी ठुड्डी पकड़ मुँह अपनी ओर करते हुए पूछा.
“वो पापा… आपके सामने जितना डीसेंट होने की कोशिश करती हूँ… पता नहीं उतना ही उल्टा हो जाता है… अभी वो मेरी अंडरवियर… आपके सामने यूँ…” कहते हुए मनिका फफक उठी.
“ओह मनिका… स्वीटहार्ट… ऐसे मत सोचो…” कहते हुए जयसिंह ने मनिका की पीठ सहलाई.
“पर पापाऽऽऽ… आप सोच रहे होंगे कैसी बिगड़ैल हूँ मैं… आँऽऽऽऽ…” मनिका रोने लगी.

जयसिंह ने मौक़ा न गँवाते हुए उसे पकड़ा और अपने बलिष्ठ बाजुओं से खींच कर अपनी छाती से लगा लिया. भावुक मनिका उनकी कुचेष्टा कहाँ समझ पाती.

“अरे मैं बिलकुल ऐसा नहीं सोचता… पगली हो क्या तुम…”
“आँऽऽऽऽ…” करते हुए मनिका का दर्द और ग्लानि बहने लगे.

कुछ पल बाद वो थोड़ा शांत हुई. उसे अपनी स्थिति का भी थोड़ा आभास हुआ. पापा उसे बाँहों में लिए थे. पर उनसे अलग कैसे हो? तभी जयसिंह बोले,

“अच्छा सुनो मेरी बात… हूँ?”
“आँऽऽऽऽ…” मनिका की फिर से रुलाई फूट पड़ी.

लेकिन इस बार जयसिंह ने उसके गालों से आँसू पोंछते हुए उसे पुचकारा और फिर से कहा,
“मनिका… पापा की बात नहीं सुनोगी?”
“ज… ज… जी प… पापा…” मनिका सिसकते हुए बोली.
“मनिका, मैंने बिलकुल वैसा नहीं सोचा डार्लिंग, जैसा तुम्हें लग रहा है…”
“सस्स… सच पापा..?”
“हाँ, सच और मच दोनों…” जयसिंह ने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा.

वे उसे आश्वस्त करने के लिए मुस्का भी दिए.

“पर पापा… मैं ये सब जानबूझकर नहीं करती… please believe me…” मनिका ने फिर मिन्नत की.
“मनिका… मैं कह रहा हूँ ना… अच्छा पहले चुप हो जाओ… फिर मेरी बात सुनो.”
“जी… जी पापा.” मनिका ने कांपते हाथों से आँसू पोंछे.
“पानी पीना है? पानी दूँ आपको?” जयसिंह उसकी पीठ और कमर पर हाथ फेरते हुए बोले.
“N… no papa…”
“Okay, then listen to me… okay?”
“हम्म…” मनिका ने हामी में सिर हिलाया.
“Manika.. we are both adults… और जिन बातों को लेकर तुम इतना परेशान हो रही हो… वो सब नॉर्मल है… हम्म?”
“पर पापा… आपके सामने यूँ… मुझे बुरा लग रहा है…”
“मनिका… कल भी मैंने कहा था… कि तुम हमारे समाज के बनाए रिश्ते के बारे में सोच-सोच कर परेशान होती हो…”
“ऊह… जी पापा…”
“But what are we before being a father and daughter?”
“W… what papa?” मनिका उनका तात्पर्य नहीं समझी थी.
“A man and a woman… yes?” जयसिंह बोले.
“Y… yes…”
“And we are staying together, right?”
“जी…”
“तो हम अपनी ज़रूरतों को नज़रंदाज़ नहीं कर सकते… हम्म?”

मनिका कुछ नहीं बोली.

“हमारे शरीर की बनावट अलग-अलग हैं… उनके कपड़े अलग-अलग हैं… उनकी ज़रूरतें अलग-अलग हैं… और यह समझ हम दोनों को है. है कि नहीं?”
“Yes… s.. papa…”
“तो फिर इन बातों को लेकर बुरा महसूस नहीं करो… हम्म. मैं फिर कहता हूँ, मैंने तुम्हें बिलकुल बिगड़ैल या ऐसा कुछ नहीं समझ… okay?”
“ज… जी पापा…” मनिका ने सिर झुका कर कहा.

जयसिंह ने फिर से उसका चेहरा पकड़ कर उठाया और बोले,
“Then smile for me darling… ऐसे उदासी नहीं चलेगी पापा के साथ…”

मनिका ने उनका आदेश मानते हुए एक शर्मीली सी मुस्कान बिखेर दी और फिर उनके कंधे में चेहरा छुपा कर बोली,
“Oh papa… I love you so much…”
“I love you too darling… अब रोना नहीं है… okay?”
“Yes papa…” मनिका ने गिली आँखें टिमटिमाईं.

फिर जयसिंह ने मनिका को अपनी गिरफ़्त से आज़ाद किया. मनिका थोड़ा पीछे होके बैठ गई. जयसिंह भी अपनी साइड पर जा कर बेड से टेक लगा कर बैठ गए और मनिका की तरफ़ देखा. उनकी नज़र मिली तो जयसिंह ने उसे पास आ जाने का इशारा किया.

मनिका उनके क़रीब आ कर उनसे सट कर लेट गई. एक पल के लिए उसके मन में पिछली रात अपने पिता से लिप्त कर सोने वाला दृश्य घूम गया था, लेकिन उसने उसे नज़रंदाज़ कर दिया.

“मुझे लगा पता नहीं क्या हो गया… ऐसे कोई रोता है भला… हम्म?” जयसिंह ने उसके बालों में हाथ फिराते हुए कहा.
“ऊँह… पापा…” मनिका ने सिर हिला कर ना कहा.
“मैं देख रहा था सुबह से चुप-चुप हो… यही चल रहा था क्या सुबह से दिमाग़ में?”
“Oh papa! You noticed?” मनिका ने मुँह उठा उन्हें प्यार से देखते हुए कहा.
“Yes darling.”

उनके ऐसा कहने पर मनिका ने उनके बाजू में चेहरा रगड़ कर नेह जताया.

“वो पापा… मुझे बुरा लग रहा था… ऐसा दो-तीन बार हो गया ना… and I have grown up now… so…” मनिका ने बात अधूरी छोड़ दी.
“Hmm… it’s okay Manika… I am also a grown up… hmm?”
“Yes papa… but I thought… may be… आप सोचोगे कि इस लड़की को तो बिलकुल भी शरम नहीं है…”
“हाहाहा… अच्छा है शरम नहीं है… ज़्यादा शर्मीली लड़की किस काम की…”
“हाहा… पापा… आप तो ना मेरी टांग खींचते रहते हो…” मनिका ने उन्हें हल्का सा धक्का देते हुए कहा.
“टांग क्या मैं तो तुम्हें पूरा ही खींच लूँ…" कहते हुए जयसिंह ने मनिका को थोड़ा ज़ोर से भींचा.
“हेहे पापा…” मनिका का मन हल्का हो चला था, उसने अब थोड़ा खुल कर कहा, “सच में पापा… एक आप ही इतने कूल हो… वरना लोग तो मुझे बिगड़ैल ही समझते…”
“वो तो मैंने तुमसे कहा ही था… कि लोगों के सहारे चलोगी तो हर वक्त सही-ग़लत के फेर में ही रहोगी… just enjoy yourself darling… बाक़ी मैं हूँ ना तुम्हारे साथ…”

मनिका के मन में अचानक एक बात आई.

“पापा, एक बात पूछूँ?”
“हम्म.”
“आजकल आप मुझे मनिका कहकर बुलाते हो… पहले घर पर तो आप मनी कहते थे… why?”
“Well… बस ऐसे ही… तुम्हारा नाम मनिका है इसलिए…” जयसिंह इस सवाल की आशा नहीं कर रहे थे.

लेकिन उनके हरामी मन ने जवाब बुनना शुरू कर दिया था.

“बताओ ना पापा… you are hiding something.”
“अरे कुछ बात नहीं है…” जयसिंह की आवाज़ से पता चल रहा था कि वे मनिका को उकसा रहे हैं.
“No papa… tell me… जाओ मैं आपसे बात नहीं करती…”
“अच्छा भई…” जयसिंह बोले.
“तो बताओ.” मनिका नख़रे से बोली.
“Well… ऐसा इसीलिए है क्यूँकि... जैसा तुमने कहा... you have grown up so much… you know?"
"व... वो कैसे पापा?"
"तुम्हें याद है यहाँ आने से पहले तुम्हारी मधु से लड़ाई हुई थी और उस रात हम यहाँ आकर रुके थे…”
“हाँ… तो..?”
“तो… मुझे कुछ-कुछ एहसास हुआ कि… तुम अब बड़ी हो गई हो...”

उनकी आवाज़ में एक बात छिपी थी.

मनिका को अभी तक जयसिंह की बातें मजाक लग रहीं थी. लेकिन जब उन्होंने उस पहली रात का ज़िक्र किया तो उसे अपने पिता का इशारा समझते देर ना लगी. वो चुप रही.

"क्या हुआ?" जयसिंह ने मनिका का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा.
"कुछ नहीं…" मनिका ने हौले से कहा.

एक ही पल में पासा पलट गया था और उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई.

"पापा ने सब नोटिस किया था मतलब… Oh God!”

मनिका और जयसिंह के बीच चुप्पी छा गई थी.

कुछ पल बीतने के बाद मनिका रुक ना सकी और भर्राई आवाज में बोली,
“Papa, I am sorry!”
"अरे तुम फिर वही सब बोलने लगी. मेरी बात तो सुनो.” जयसिंह ने उसे सहलाते हुए कहा.
"वो… वो पापा उस रात है ना मुझे ध्यान नहीं रहा… वो मैं अपने घर वाले कपड़े ले कर बाथरूम में घुस गई थी और फिर… फिर पहले वाली ड्रेस शॉवर में भीग गई सो… I had to wear those clothes and come out." उसने उन्हें बताया.

फिर मनिका ने एक और दलील दी,
“तब भी मैंने सोचा था की आप क्या सोचोगे… कि मैं कैसी बिगड़ैल हूँ… but the way you reacted, I thought you were embarrassed by my behaviour… तभी आपने मुझे डांटा नहीं… you know…”
"अरे! पागल लड़की हो तुम…" जयसिंह ने मनिका का चेहरा ऊपर उठाते हुए कहा.
"पापा?"

मनिका की नज़र में अचरज था. जयसिंह ने उसके चेहरे से उसके मन की बात पढ़ ली थी.

"तुम्हें लगा कि मैं तुम्हें डांटने वाला हूँ?" मनिका की चुप्पी का फायदा उठा कर जयसिंह बोले.
"हाँ… मुझे लगा आप सोचोगे कि मम्मी सही कह रही थी कि मैं कपड़ों का ध्यान नहीं रखती." मनिका ने बताया.

जयसिंह धीमे-धीमे बोलने लगे ताकि मनिका को पता रहे कि वे मजाक नहीं कर रहे.

“अब मेरी बात सुनो… तुम्हें तो शुक्रगुजार होना चाहिए कि तुमने वो ड्रेस पहनी…”
"क… क्या मतलब पापा?" मनिका के कानों में जयसिंह की आवाज़ गूँज सी रही थी.
“When I realised that you have grown up so much…”

इस बार मनिका उनके आशय से शरमा गई.

सो जयसिंह ने शब्द-जाल बुनना शुरू किया और आगे बोले,
“तभी मुझे लगा कि… I should treat you like an adult, confident girl… न कि तुम्हारी मम्मी की तरह… so I started calling you Manika… you know… ना कि किसी बच्ची की तरह 'मनी' जो सब तुम्हें घर पे बुलाते हैं...”
"ओह…" मनिका ने हौले से कहा.
“तभी तो मैंने तुमसे इंटर्व्यू कैंसिल होने के बाद यहाँ रुकने के लिए भी कहा… because I thought… कि तुम इतना जल्दी वापस नहीं जाना चाहोगी." वे बोले.

जब मनिका चुप रही तो जयसिंह ने उसे कुरेदते हुए पूछा,
“What happened sweetheart?”
"कुछ नहीं ना पापा. I am so embarrassed… एक तो आप मेरा इतना ख़याल रखते हो… and I keep comparing you with mom… और फिर वो आपके सामने ऐसे… I mean… वो ड्रेस थोड़ा… you know… indecent… था ना?"

मनिका ने अंत में आते-आते अपने जवाब को सवाल बना दिया था और एक पल जयसिंह से नज़र मिलाई थी.

"ओह मनिका यार! You are embarrassed again… I am admiring you here… अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊँ… look at me…"
"जी…" मनिका ने उन्हें देखते हुए कहा.
"देखो, तुम फिर हमारे रिश्ते के बारे में सोचने लगी हो ना?
“जी… "
"पर मैंने तो तुम्हें सपोर्ट ही किया था… did I make you feel uncomfortable?"
“No papa… but…" मनिका से दो शब्द मुश्किल से निकले.
“But what Manika? क्या मनिका?" जयसिंह बोले, "तुम इतनी ख़ूबसूरत लग रही थी… that’s not a crime… and I admired your beauty…"
“But I am your daughter… papa…”
“I know, I know… मुझे पता है… but you are also a young adult woman… and I am a man… right?”
“Yes papa.”
“अब तुम ये सोचोगी कि सोसाइटी-समाज क्या कहेगा… तो जैसा मैं पहले कह चुका हूँ… you cannot understand what I am trying to say.”

मनिका चुप रही.

“अरे भई मुझे तो बहुत अच्छा लगा कि मेरी मनिका इतनी ब्यूटीफुल हो गई है… हम्म?" उसके पिता ने उसका गाल सहलाते हुए कहा.

मनिका के झेंप भरे चेहरे पर एक पल के लिए छोटी सी मुस्कान आई और चली गई थी.

–​
Amezing
 

Nasn

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But fir bhi baap jitna bhi kharab ho sexy ho baap baap hota ha incest me bhi respect ho sakti ha I cnt think jaisingh is not care about her daughter baap kitna bhi bura ho baap hota ha baaki as your wish sirf is baat ko chod kar you r the best best best keep it up
C

भाई साहब स्टोरी चलने दो
ग्रेट थ्रेड है। फोरम की .
 

Nasn

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बहुत ही शानदार अपडेट...

हर स्टोरी में बेटा मां की स्टोरी...

रिश्तों की धज्जियां उड़ा दी।

बाप बेटी की सबसे जबरदस्त
थ्रेड......
 

Nasn

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बाप बेटी के रिश्ते में जो
कशिश,अहसास,रोमान्स
होता है
और किसी भी रिश्तें में नही
होता है ।
 
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