24 - गर्लफ़्रेंड
मनिका ने उस हसीन दहशत भरे सपने से उबरते ही अपने पापा की तरफ़ देखा था.
उसने पाया कि अभी भी उनकी करवट उसी की तरफ़ थी, और उनका हाथ उसके कुछ क़रीब रखा था. कुछ पल लेटी रहने के बाद उसने धीमें से उनके हाथ पर अपना हाथ रख छुआ था. लेकिन फिर घबरा कर वापस हटा लिया.
“Oh God! ये मैं क्या कर रही हूँ… पापा को ऐसे क्यूँ छुआ मैंने? और वो सपना… कितना अलग था… पापा ने मुझे नंगा अपने साथ… हाय! कैसा अजीब लग रहा था… और उनका डिक… it was touching my pussy!”
मनिका का कौतुहल जागने लगा था. उसने धीमे से अपने साइड का नाइट लैम्प जला दिया. उसके पीछे से आती रौशनी जयसिंह पर पड़ने लगी.
“पापा कितने… स्मार्ट हैं… I mean… his personality… his confidence… दुनिया की कोई परवाह नहीं करते बस अपनी मस्ती में रहते हैं…”
फिर उसकी नज़र उनके बरमुडे में बने तम्बू पर गई.
“और उनका वो भी… हर वक्त excited ही रहता है… हाय! मैं बार-बार एक ही बात सोचने लग जाती हूँ… क्या हो गया है मुझे…”
कहीं जयसिंह उठ न जाएँ और उसे उन्हें इस तरह ताड़ते न देख ले, इस डर से मनिका ने कुछ पल बाद नाइट लैम्प बुझा दिया था और सीधी हो कर लेट गई थी. अपने पिता के बारे में कभी गंदा तो कभी अच्छा सोचते उसकी आँख लग गई.
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दिल्ली में आज उनका आख़िरी दिन था.
मनिका उठी तो उसने जयसिंह को उठे हुए पाया.
“देखो आज कौन पहले जाग गया…” जयसिंह हँस कर बोले.
“हाहा पापा… आप मेरी टांग खींचने के लिए पहले उठे हो बस…” मनिका ने अंगड़ाई ली.
उसने देखा कि पापा ने पैंट और एक पोलो टी-शर्ट पहन रखी थी. हालाँकि उसे प्रत्यक्ष महसूस नहीं हुआ था पर लेकिन उन्हें बरमूडा न पहने देख, उसका दिल थोड़ा बैठ गया था.
जयसिंह ने नाश्ता इत्यादि भी मँगवा लिया था. इस बात पर भी मनिका और उनके बीच थोड़ी ठिठोली हुई और फिर मनिका फ़्रेश होने बाथरूम में चली गई.
“पापा कितने ख़राब हैं… मुझे बस सताते रहते हैं…” सोचते हुए वो नहाने लगी, “पापा को… thank you कहूँगी आज… for treating me so specially…”
मनिका ने नहा कर एक जींस-टॉप पहना और बाहर आई. पापा अख़बार पढ़ रहे थे.
“पापा… ब्रेकफ़ास्ट करें?” उसने पिछली रोज़ की भाँति पूछा.
नाश्ता कर लेने के बाद जयसिंह काउच पर जा जमे. कुछ पल बाद जब उनकी नज़र मनिका से मिली तो उन्होंने आदतवश उसे गोद में आने का इशारा कर दिया.
मनिका भी मुस्काते हुए उनकी जाँघ पर आ बैठी. उसने आज बाल धोए थे, उनमें हल्का गीलापन था और शैम्पू की भीनी-भीनी ख़ुशबू आ रही थी.
“हाँ भई… अब तो पैकिंग कर लो… कल सुबह जाना है…”
“हाँ पापा… शाम को कर लूँगी ना…”
“अच्छा-अच्छा…”
“पापा एक बात बोलूँ…”
“बोलो ना…” जयसिंह ने उसका चेहरा ताकते हुए कहा.
“वो पापा… I am sorry…”
“अरे फिर से..?” जयसिंह ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा.
“पापा! पूरी बात सुनो ना…”
“अच्छा भई बोलो…”
“I am sorry… that… मैंने आपसे लड़ाई की… और आपको मम्मी से… compare किया… and thank you papa, for treating me… so specially…like a grown up…”
“It’s okay sweetheart and you are welcome… अब इस बारे में और मत सोचो… okay?”
“जी… पापा… आप इतने अच्छे क्यूँ हो..?”
“हाहाहा… अब तुम्हारे लिए अच्छा हूँ… पर तुम्हारी माँ कहेगी बुरा हूँ…” जयसिंह ने नाटकीयता से कहा.
“हेहे पापा… सच में… मैं सोच रही थी… कि आप जैसा बॉयफ़्रेंड मिल जाए काश…”
पिछली रात वाला विचार अनायास ही मनिका के होंठों पर आ गया था.
“अरे! मेरे जैसा क्यूँ… मैं हूँ ना…” जयसिंह उसे भींचते हुए बोले.
“हाहा… पापा… पर आप तो पापा भी हो ना…” मनिका ने शर्मीली मुस्कान के साथ कहा.
“तो क्या हुआ… घर पे पापा बना लो… और बाहर आकर… बॉयफ़्रेंड… हम्म?” जयसिंह ने उसके कान के पास मुँह लाते हुए कहा, “वैसे भी क्या कहतीं हैं तुम्हारी फ़्रेंड्स..?”
“हाय पापा… आप तो पीछे ही पड़ गए उस बात के…”
“मैं तो सच कह रहा हूँ… ऐसी डील कहीं नहीं मिलेगी… पापा भी और बॉयफ़्रेंड भी… दोनों तरफ़ से खर्चा मिला करेगा मस्ती के लिए.” जयसिंह ने उसे गुदगुदाया.
“हाहा पापा… डील तो अच्छी है… पर मम्मी?”
“वो जाए भाड़ में…”
“हाहाहा… हाहाहा… पापा बिगड़ते जा रहे हो दिल्ली आ कर.” मनिका ने किलकारी मारी.
“अच्छे से शॉपिंग करना… घूमना फिरना… फ़ाइव-स्टार होटलों में रहना पापा के साथ… हम्म? क्या कहती हो?”
“हाय पापा… ये डील तो बहुत amazing लग रही है…”
“तो ले लो ना…”
“हेहे पापा… पर लोग क्या कहेंगे?”
“कुछ नहीं… लोगों को क्यूँ बताना है..?”
“हाहा… पर किसी को पता चल गया तो..?”
“तो अपन उल्टा उनपर इल्ज़ाम लगा देंगे… कि बाप-बेटी के बारे में ऐसा सोचते हो शरम नहीं आती… क्यूँ?”
“हाहाहा… हाय पापा. कितने शातिर हो आप.”
“तो बोलो… डील मंज़ूर है?”
हालाँकि मनिका को यह सब मज़ाक़ लग रहा था पर पापा के साथ ऐसी बातें करने में मज़ा भी आ रहा था.
“हाहा पापा…”
“बोलो ना डार्लिंग…”
“हाय… हाँ पापा.” मनिका उनसे चिपट कर बोली.
“तो अबसे हम गर्लफ़्रेंड-बॉयफ़्रेंड हो गए ना?”
“हीही… हाँ पापा… I guess…”
जयसिंह ने अनायास ही मनिका ले गाल पर चुम्बन ले लिया.
“ओह पापा… क्या करते हो…” मनिका उनकी गोद में मचल उठी.
“अरे, अपनी गर्लफ़्रेंड को किस्स कर रहा हूँ…”
मनिका ने शरमा कर दोनों हाथों में मुँह छुपा लिया.
अब जयसिंह एक बार फिर काउच पर अधलेटे होने लगे और मनिका को अपने पास खींचा. मनिका स्वतः ही उनके आलिंगन में बँधती चली गई. आज उनके बीच बिलकुल दूरी नहीं थी, जयसिंह ने मनिका को अपनी छाती पर ले लिया था. उसके उरोज उसके पिता की छाती पर गड़े हुए थे. उसकी बिखरी लटों में हाथ फेरते हुए जयसिंह ने पूछा,
“तो फिर आज क्या करने का मन है मेरी जान का..?”
“कुछ नहीं पापा…” मनिका ने अपने पिता के शरमीले आलिंगन में मचलते हुए कहा.
“हम्म…” जयसिंह मानो कुछ सोचते रहे.
“क्या हुआ पापा?”
“कुछ नहीं… मेरी गर्लफ़्रेंड वाली किस्स का इंतज़ार कर रहा हूँ बस…” वे मुसकाए.
“हाय पापा… बड़े शैतान हो आप…” जयसिंह लेटे रहे.
कुछ पल बाद मनिका ने अपने सुर्ख़ होंठ उनके गाल पर रख दिए.
‘पुच्च’
मदमस्त जयसिंह ने मनिका अपने साथ कस लिया. दोनों पर एक नशा सा छाने लगा और वे उसी मुद्रा में सो गए.
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