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Incest बेटी की जवानी - बाप ने अपनी ही बेटी को पटाया - 🔥 Super Hot 🔥

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कहानी में अंग्रेज़ी संवाद अब देवनागरी की जगह लैटिन में अप्डेट किया गया है. साथ ही, कहानी के कुछ अध्याय डिलीट कर दिए गए हैं, उनकी जगह नए पोस्ट कर रही हूँ. पुराने पाठक शुरू से या फिर 'बुरा सपना' से आगे पढ़ें.

INDEX:

 

Raja jani

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Apki story hai aap jaisa koi nahi
 

Ramiz Raza

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Baap ke rang me rang gyi beti ,end me puri bakvas likhi huee h,or aapne aabhi tak end diya nhi h,NYA savera hota to maja aajata,kyoki aapka story ka phle vala last 2 bhag ekdam seducing the,per aapne remove ker diye,but I hope that aap or bhi end badiya tarike se karogi
 

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23 - पापा

कुछ देर बाद मनिका ने हौले से हिल कर अपने पिता से कहा कि वे आराम से सो जाएँ. जयसिंह ने भी उसे जाने दिया.

मनिका बेड पर अपनी साइड आ कर लेट गई. उसने करवट दूसरी तरफ़ कर रखी थी.

“हाय! पापा ने उस रात मुझे नोटिस किया था… शॉर्ट्स में… पर कुछ कहा नहीं था ताकि मुझे बुरा ना लग जाए… कितने अच्छे है पापा… पर कितनी तारीफ कर रहे थे अभी कि… I was looking very beautiful… हाय, सब कुछ देख लिया था उन्होंने सुबह-सुबह मतलब… शॉर्ट्स तो पूरी ऊपर हुई पड़ी थी… he saw my naked bums… तो क्या उनका डिक इरेक्ट हुआ था… नहीं! Oh God!”

उसका ये सोचना हुआ कि उसे अपने पीछे जयसिंह के होने का एहसास हुआ. उसका दिल जैसे थम गया. “पापा क्या कर रहे हैं?”

जयसिंह ने पीछे से उसके साथ सटकर उसके गाल पर एक किस्स करते हुए कहा,
“I forgot our goodnight kiss… good night darling.”
“Oh papa… good night…” मनिका सिहरते हुए बोली.

जयसिंह ने अब उसे अपने आग़ोश में लेते हुए अपना गाल आगे कर दिया. मनिका ने भी हौले से उनके गाल पर पप्पी कर दी,

‘पुच्च’

फिर उसका चेहरा मोहरा सब सफ़ेद पड़ गए.

जयसिंह उसे छोड़ पीछे होने लगे थे, लेकिन पीछे होने से पहले उन्होंने धीरे से अपना अधोभाग आगे किया और हौले से मनिका की गांड पर अपना खड़ा लंड गड़ा दिया.

“आह!” मनिका के मुँह से एक मादक सी आ निकली.

तब तक जयसिंह पीछे हो कर सो चुके थे, लेकिन वो एक क्षणिक एहसास जो उन्होंने दिया था, उसने मनिका को फिर से उस अंधेरी दुनिया में धकेल दिया था जहाँ से निकलने के वो लाख जतन कर रही थी.

“हाय! क्या वो… पापा का डिक था… हाय… भगवान… पापा ने पीछे से हग किया था मुझे… और उनका वो… बिग ब्लैक कॉक… मेरे बम्स पर लग गया…”

उसने अपने आप को भींच कर उस एहसास को झटकना चाहा, लेकिन उसकी गांड से लेकर उसकी योनि में एक तरंग दौड़ रही थी. कैसा एहसास था ये?

“आज फिर देख लिया था उनका डिक मैंने… हाय कैसे लटकता है… कितना बड़ा है… सच में… उस पॉर्न साइट वाले आदमी जैसा है… तो क्या मर्दों का डिक बाक़ी जनों से बड़ा होता है? उस आदमी का भी पूरे टाइम इरेक्ट ही था… और पापा का भी… कैसे पैंट में रखते होंगे… इतना बड़ा…”

सोचते-सोचते मनिका के कानों में सीटी बजने लगी थी.

“पापा बोले कि… he treats me like a grown up girl… तभी मुझे मनिका कहते हैं… बोल रहे थे हमारी बॉडी की ज़रूरतें अलग-अलग है… and he understands that… सो मैं शरम ना करूँ… पर वो मेरे पापा है… शरम तो आएगी ही ना… he says… सोसाइटी के लिए हम फादर और डॉटर हैं… लेकिन… we are also a man and woman… and he admires me like that… हाय… I also admire him so much… काश पापा जैसा कोई बॉयफ़्रेंड मिल जाता… बड़े डिक वाला… हाय… नहीं-नहीं… उनके जैसा अच्छा…”

मनिका ने अब करवट बदली और अपने पिता की ओर हो कर सोने लगी.

जयसिंह का विशाल शरीर मानो उसकी नज़रों को आमंत्रित कर रहा था. वो रह-रहकर उन्हें देख रही थी.

आज जयसिंह की तरफ़ का नाइट लैम्प बंद था, सो उसे सिर्फ़ खिड़की से आती हल्की रौशनी का ही सहारा था. उसमें भी उसे उनके शरीर के बलिष्ठ उभारों की झलक मिल रही थी.

“जब अभी पापा ने मुझे चुप कराते टाइम अपनी बाँहों में ले लिया था… कितने पावरफुल है वो… जब बाँहों में लेकर कसते हैं तो सारी बॉडी में… अजीब सा लगता है ना? हाय… पक्के मर्द हैं पापा…”

कुछ देर बाद मनिका की आँख लग गई.

–​

कई बार यूँ भी होता है कि हम एक ही सपने को बार-बार देखते हैं, और फिर सपने के बीच हमें एहसास होता है कि ‘ये तो वही सपना है’ और फिर हम उसे अपने हिसाब से ढालने की कोशिश करने लगते है.

मनिका एक बार फिर उस अंधेरे कमरे में थी.

एक अजीब सा भय और उत्सुकता लिया वह आगे बढ़ रही थी. फिर कमरे में हल्की रौशनी हुई और उसने पाया कि वह घर पर अपने कमरे में थी. सामने बिस्तर पर कोई बैठा था.

"मनिका, आओ बिस्तर में आ जाओ.” आवाज़ आई.

उसके पापा थे. उन्होंने बिलकुल होटल वाले जैसा एक कम्बल ओढ़ रखा था. वह मुस्कुरा कर आगे बढ़ी, लेकिन उसके दिल की धड़कन भी बढ़ने लगी. जैसे उसे मालूम हो आगे क्या होने वाला है.

"पापा?" मनिका ने कहा.
"हाँ डार्लिंग?" उसके पापा मुस्कुराए.

वही कुटिल, गंदी मुस्कुराहट जिसे वो इतना अच्छे से जानती थी. जयसिंह ने हाथ बढ़ा कर उसका हाथ पकड़ लिया, उनकी आक्रामकता मनिका को पागल करने लगी थी. उसके पिता ने उसे अपनी ओर खींचा, उन्होंने ऊपर कुछ भी नहीं पहन रखा था.

"पापा, क्या करते हो?” मनिका फुसफुसाई.
"रात हो गई है, सोना नहीं है?" उसके पापा ने आगे कहा.
“हाँ पापा…” मनिका मदहोश सी बोली.
“तो आ जाओ…” कह उसके पापा ने कम्बल एक तरफ कर दिया.
“पापाऽऽऽ… हाय…!" मनिका कंपकंपाने लगी.

उसके पापा कम्बल के अन्दर पूरे नंगे थे, उनका काला लंड ऊपर उठा हुआ हौले-हौले हिल रहा था.

“हाय पापा… आप… आप नंगे हो!”
"पर तुम भी तो नंगी हो मेरी जान…" जयसिंह ने उसी कुटिल मुस्कान के साथ कहा.
“हम्प मैं…? मैं भी!” मनिका ने नीचे देखा.

वह भी पूरी तरह से नंगी थी.

उसके पिता ने उसे फिर खींचा और अपने आग़ोश में ले लिया. मनिका उस नंगे जिस्मों के स्पर्श से तड़प उठी. पापा का वो… उसकी योनि पर छू रहा था.

“हाय पापा… कितना बड़ा है… आपका….”
“क्या? क्या बड़ा है पापा का..?”
“बिग ब्लैक कॉक पापा… हाय…” उसने अपने हाथ से अपने पापा का लंड कस कर पकड़ते हुए कहा.

"आह… नाआऽऽऽ…"

अंधेरे में मनिका की आँख खुली.
–​
 

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Apsingh
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